“सब कुछ सुसमाचार के लिये” कीजिए
1. राज के प्रचारक दूसरों की खातिर क्या करने के लिए तैयार हैं और क्यों?
प्रेरित पौलुस मानता था कि दूसरों को सुसमाचार सुनाना उसका फर्ज़ है। (1 कुरि. 9:16,19,23) उसी तरह, आज हमारा दिल हमें उभारता है कि हम दूसरों को सुसमाचार सुनाने में अपना भरसक करें, क्योंकि हम लोगों की हमेशा की भलाई चाहते हैं।
2. प्रचार करने के लिए हम अपने शेड्यूल में क्या फेरबदल करने को तैयार हैं और क्यों?
2 प्रचार तब और वहाँ कीजिए, जहाँ लोग मिलें: एक मछुवारा अपना जाल अपनी सहूलियत के मुताबिक जब चाहे, जहाँ चाहे नहीं फेंकता, बल्कि वहाँ फेंकता है और तब फेंकता है, जहाँ मछलियों के मिलने के ज़्यादा आसार हों। हम भी “मनुष्यों के पकड़नेवाले” हैं। इसलिए ज़रूरी है कि लोगों को ढूँढ़ने के लिए हम भी अपने शेड्यूल में फेरबदल करें, ताकि हमें इस खास काम में “हर प्रकार की मछलियों” को इकट्ठा करने की खुशी मिले। (मत्ती 4:19; 13:47) क्या हम शाम को लोगों के घरों पर या सुबह के वक्त रेलवे स्टेशन या बस अड्डे पर लोगों से मिलने की योजना बना सकते हैं? पौलुस का मकसद था कि वह लोगों को ‘सुसमाचार की [अच्छी, NW] गवाही’ दे, इसलिए उसने प्रचार करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दिया।—प्रेरि. 17:17; 20:20,24.
3, 4. अपनी सेवा के दौरान हम कैसे अपनी पेशकश में फेरबदल कर सकते हैं और इसका नतीजा क्या होगा?
3 लोगों की ज़रूरत के हिसाब से पेशकश कीजिए: मछुवारे कुछ खास किस्म की मछलियाँ पकड़ने के लिए अकसर अपने तरीकों में फेरबदल करते हैं। उसी तरह हम अपने इलाके में लोगों की दिलचस्पी के हिसाब से सुसमाचार कैसे सुना सकते हैं? हमें बड़ी सूझ-बूझ से ऐसे विषय पर बात शुरू करनी चाहिए, जिसके बारे में लोग आम तौर पर चिंता करते हैं और फिर ध्यान से उनकी सुननी चाहिए। (याकू. 1:19) उनके दिल की बात जानने के लिए हम कुशलता से कुछ सवाल भी पूछ सकते हैं। (नीति. 20:5) हमें सुसमाचार देने की अपनी पेशकश में बदलाव करने होंगे ताकि हमारी बात उनके दिल को छू जाए। लेकिन अगर हम भाँप जाते हैं कि घर-मालिक हमारी बात से कुछ उखड़ रहा है या भड़क रहा है, तो अच्छा होगा कि हम प्यार से अपनी बात वहीं रोक दें और तुरंत वहाँ से चले जाएँ। पौलुस “सब मनुष्यों के लिये सब कुछ बना।” (1 कुरि. 9:22) जी हाँ, लोगों के दिल तक पहुँचने का राज़ है, अपनी पेशकश में फेरबदल करना।
4 लोगों को “कल्याण का शुभ समाचार” बाँटना वाकई कितनी खुशी की बात है! (यशा. 52:7) ऐसा हो कि हम ‘सुसमाचार के लिये सब कुछ’ करें, ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक पहुँच सकें।—1 कुरि. 9:23.