तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना—विद्यार्थियों को तैयारी करना सिखाना
एक विद्यार्थी जो पहले से अध्ययन के पाठ को पढ़कर रखता, जवाब पर निशान लगाता और सोचता है कि कैसे अपने शब्दों में जवाब दे सकता है, वह अकसर जल्दी तरक्की करता है। इसलिए एक बार अध्ययन नियमित तौर पर चलने लगता है, तो विद्यार्थी के साथ बैठकर एक पाठ तैयार कीजिए ताकि आप उसे सिखा सकें कि अध्ययन की तैयारी कैसे की जाती है। ज़्यादातर मामलों में देखा गया है कि विद्यार्थी के साथ पूरा पाठ या अध्याय तैयार करना फायदेमंद होता है।
2 निशान लगाना और हाशिए में लिखना: विद्यार्थी को समझाइए कि वह पाठ में दिए सवालों का सीधा जवाब कैसे ढूँढ़ सकता है। उसे अपनी किताब दिखाइए जिसमें आपने सिर्फ खास शब्दों और वाक्य के ज़रूरी हिस्सों पर निशान लगाए हैं। जैसे-जैसे आप उसके साथ जानकारी पढ़ेंगे, हो सकता है वह भी आपकी तरह अपनी किताब में निशान लगाना चाहे ताकि जवाब देने में उसे आसानी हो। (लूका 6:40) आप उससे अपने शब्दों में जवाब देने को कह सकते हैं ताकि आप यह देख पाएँ कि उसने जानकारी को अच्छी तरह समझा है या नहीं।
3 अध्ययन की तैयारी के लिए ज़रूरी है कि विद्यार्थी शास्त्र की उन आयतों को भी खोलकर पढ़ें और जाँचें, जिनका सिर्फ हवाला दिया गया है। (प्रेषि. 17:11) यह समझने में उसकी मदद कीजिए कि शास्त्र का हर हवाला, पैराग्राफ में दिए किसी मुद्दे को पुख्ता करता है। उसे दिखाइए कि वह अपनी अध्ययन की किताब के हाशिए में कैसे इन आयतों के खास शब्द लिख सकता है। उसे इस सच्चाई का एहसास दिलाइए कि वह जो भी सीख रहा है, वह बाइबल से है। उसे बढ़ावा दीजिए कि अध्ययन के दौरान वह अपने जवाबों में ज़्यादा-से-ज़्यादा बाइबल हवालों का इस्तेमाल करे।
4 सरसरी नज़र और दोबारा विचार: इससे पहले कि विद्यार्थी बारीकी से अध्ययन की तैयारी करे, अच्छा होगा कि वह विषय पर सरसरी नज़र डाले। उसे बताइए कि वह अध्याय के शीर्षक, उपशीर्षकों और दी गयी तसवीरों पर गौर कर सकता है। यह भी समझाइए कि तैयारी खत्म करने से पहले, अध्याय के मुख्य मुद्दों पर दोबारा विचार करना अच्छा होगा। अगर अध्याय में इसके लिए बक्स दिया गया है, तो वह उसका भी इस्तेमाल कर सकता है। इस तरह मुद्दों को दोहराने से वह जानकारी को याद रख पाएगा।
5 अगर आप विद्यार्थी को इस तरह अध्ययन की अच्छी तैयारी करना सिखाएँगे तो वह मंडली की सभाओं में सोच-समझकर, बढ़िया जवाब दे पाएगा। इतना ही नहीं, उसमें इस तरह अध्ययन करने की ऐसी आदत बन जाएगी कि बाइबल अध्ययन खत्म होने के सालों बाद भी वह आदत बरकरार रहेगी।