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  • 3 | उनसे सीखिए जिनके हालात आपके जैसे थे
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2023
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2023
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भविष्यवक्‍ता मूसा बहुत परेशान है। वह आसमान की तरफ देखकर परमेश्‍वर से प्रार्थना कर रहा है।

3 | उनसे सीखिए जिनके हालात आपके जैसे थे

पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि ऐसे कई वफादार आदमी और औरतें थे, जिनमें “हमारे जैसी भावनाएँ थीं।”​—याकूब 5:17.

इसका क्या मतलब है?

बाइबल में ऐसे कई लोगों की सच्ची कहानियाँ लिखी हैं, जो अलग-अलग भावनाओं से गुज़रे थे। जब हम ये किस्से पढ़ेंगे तो हमारा ध्यान शायद एक ऐसे व्यक्‍ति पर जाए, जिसने वैसा ही महसूस किया जैसा हम महसूस कर रहे हैं।

क्या कदम उठाएँ?

हम सब चाहते हैं कि दूसरे हमें समझें, खासकर तब जब हम किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हो। लेकिन जब दूसरे हमें नहीं समझ पाते, तो हम खुद को बहुत अकेला महसूस करते हैं। इसलिए जब हम बाइबल में ऐसे लोगों के बारे में पढ़ते हैं जिनकी सोच और भावनाएँ हमारी जैसी थीं, तो हमें बहुत तसल्ली मिलती है। हम समझ पाते हैं कि इस लड़ाई में हम अकेले नहीं हैं, दूसरे भी डर और चिंता जैसी बुरी भावनाओं से गुज़रे हैं।

  • बाइबल की कई आयतों में बताया गया है कि जिन लोगों ने खुद को लाचार और बेबस महसूस किया उन्होंने क्या कहा। जैसे मूसा, एलियाह और दाविद ने कहा कि अब उनसे और नहीं होगा। क्या आपने भी कभी ऐसा कहा या महसूस किया है?​—गिनती 11:14; 1 राजा 19:4; भजन 55:4.

  • बाइबल में हन्‍ना नाम की एक औरत के बारे में बताया गया है, जो “कड़वाहट से भर गयी थी” यानी वह बहुत दुखी थी। वह इसलिए कि उसे बच्चा नहीं हो रहा था। ऊपर से इस बात को लेकर उसकी सौतन उसे ताने मारती रहती थी।​—1 शमूएल 1:6, 10.

  • बाइबल में अय्यूब नाम के एक आदमी के बारे में बताया गया है, जो हमारी जैसी भावनाओं से गुज़रा था। उसे यहोवा पर बहुत विश्‍वास था, फिर भी जब उस पर एक-के-बाद-एक कई मुसीबतें आयीं तो वह अंदर से टूट गया। एक बार वह इस कदर दुखी हो गया कि उसने कहा, “नफरत हो गयी है ज़िंदगी से, मैं और जीना नहीं चाहता।”​—अय्यूब 7:16.

फिर भी इन सभी लोगों ने अपनी गलत सोच और बुरी भावनाओं पर काबू पाया। इसलिए जब हम उनके बारे में बाइबल से पढ़ते हैं, तो हमें भी अपने हालात का सामना करने की हिम्मत मिल सकती है।

कैविन को मिल रही है बाइबल से मदद

बायपोलर डिसऑर्डर का मुझ पर असर

केविन अपने दो दोस्तों के साथ कॉफी पी रहा है।

“जब मैं करीब 50 साल का हुआ तो मुझे बायपोलर डिसऑर्डर हो गया। इस वजह से कई बार मुझे ऐसा लगता है कि ज़िंदगी में कितनी भी बड़ी मुश्‍किल क्यों न आ जाए मैं उसे पार कर लूँगा। मगर कई बार मुझे ऐसा लगता है कि सबकुछ खत्म हो गया है, जीने का कोई फायदा नहीं।”

बाइबल से मिल रही मुझे मदद

“मुझे बाइबल में बताए पतरस नाम के एक आदमी से बहुत हिम्मत मिलती है। उससे कई गलतियाँ हुई थीं जिस वजह से वह खुद को बेकार समझने लगा था। पर इसी सोच में डूबे रहने के बजाय उसने अपने दोस्तों की मदद ली। बायपोलर डिसऑर्डर की वजह से कभी-कभी मेरा पूरा दिन खराब जाता है। ऐसे में मुझे अपनी गलतियाँ बहुत बड़ी लगने लगती हैं। मैं खुद को किसी लायक नहीं समझता। मगर फिर पतरस की तरह मैं तुरंत अपने दोस्तों की मदद लेता हूँ। वे मुझे हार न मानने का हौसला देते रहते हैं।

बाइबल में बताए एक और आदमी के बारे में पढ़कर मुझे बहुत दिलासा मिलता है। वह है राजा दाविद। वह अकसर अपने हालात को लेकर दुखी रहता था और अपनी पुरानी गलतियाँ याद करके पछताता था। मैं भी उसकी तरह हूँ क्योंकि कई बार मैं कुछ ऐसा कह देता हूँ या कर देता हूँ, जिसका मुझे बाद में जाकर अफसोस होता है। मुझे खासकर भजन 51 में कहे दाविद के शब्दों से दिलासा मिलता है। आयत 3 में उसने कहा, ‘मुझे अपने अपराधों का पूरा-पूरा एहसास है, मेरा पाप हमेशा मेरे सामने रहता है।’ जब मैं बहुत मायूस होता हूँ तो ऐसा ही महसूस करता हूँ। उस समय खुद के बारे में अच्छा सोचना मेरे लिए बहुत मुश्‍किल हो जाता है। पर फिर मैं आयत 10 पर ध्यान देता हूँ जहाँ दाविद ने कहा, ‘हे परमेश्‍वर, मेरे अंदर एक साफ दिल पैदा कर, मन का एक नया रुझान दे कि मैं अटल बना रहा हूँ।’ मैं भी परमेश्‍वर से यही गुज़ारिश करता हूँ। मैं उससे कहता हूँ कि वह मेरी मदद करे ताकि मैं खुद के बारे में अपना नज़रिया बदल सकूँ। फिर आयत 17 पढ़कर मुझे बहुत सुकून मिलता है। वहाँ लिखा है, ‘हे परमेश्‍वर, तू टूटे और कुचले हुए दिल को नहीं ठुकराएगा।’ इस आयत से मुझे यकीन हो जाता है कि परमेश्‍वर मुझसे प्यार करता है।

जब मैं बाइबल में बताए लोगों के बारे में पढ़ता हूँ और याद रखता हूँ कि परमेश्‍वर ने मेरे लिए क्या-क्या किया है, तो इससे भविष्य के बारे में मेरी आशा और भी पक्की हो जाती है। मुझे यकीन है कि परमेश्‍वर का वादा ज़रूर पूरा होगा और इसी बात से मुझे हार न मानने की हिम्मत मिलती है।”

कुछ और सुझाव:

जनवरी-मार्च 2015 की सजग होइए!  पर दिया लेख, “मानसिक रोग​—क्यों जानें इस बारे में?” पढ़ें। यह लेख jw.org पर उपलब्ध है।

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