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  • यिर्मयाह 4
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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यिर्मयाह का सारांश

      • पश्‍चाताप करने से आशीषें मिलती हैं (1-4)

      • उत्तर से बड़ी विपत्ति आएगी (5-18)

      • इस वजह से यिर्मयाह को दर्द उठा (19-31)

यिर्मयाह 4:1

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 3:22; योए 2:12, 13

यिर्मयाह 4:2

फुटनोट

  • *

    इसका यह मतलब हो सकता है कि आशीष पाने के लिए उन्हें भी कुछ कदम उठाने होंगे।

संबंधित आयतें

  • +यश 65:16

यिर्मयाह 4:3

संबंधित आयतें

  • +हो 10:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/2007, पेज 9

यिर्मयाह 4:4

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 9:25, 26
  • +विल 4:11

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2013, पेज 9-10

    4/1/2007, पेज 9

यिर्मयाह 4:5

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 6:1
  • +यिर्म 35:11

यिर्मयाह 4:6

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 1:14; 21:7; 25:9

यिर्मयाह 4:7

संबंधित आयतें

  • +2रा 24:1; 25:1; यिर्म 5:6; 50:17
  • +यहे 26:7
  • +यश 5:9; 6:11; यिर्म 2:15; 9:11

यिर्मयाह 4:8

फुटनोट

  • *

    या “अपनी छाती पीटो।”

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 6:26

यिर्मयाह 4:9

फुटनोट

  • *

    शा., “दिल।”

  • *

    शा., “दिल।”

संबंधित आयतें

  • +2रा 25:5
  • +यश 29:9, 10

यिर्मयाह 4:10

संबंधित आयतें

  • +यहे 14:9
  • +यिर्म 6:13, 14; 14:13; 23:16, 17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/2007, पेज 9

यिर्मयाह 4:11

फुटनोट

  • *

    शायद दया दिखाने या हमदर्दी करने के लिए उन्हें एक बेटी के रूप में बताया गया।

यिर्मयाह 4:13

संबंधित आयतें

  • +यश 5:26, 28
  • +व्य 28:49, 50; विल 4:19; हब 1:8

यिर्मयाह 4:14

संबंधित आयतें

  • +यश 1:16; यहे 18:31

यिर्मयाह 4:15

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 8:16

यिर्मयाह 4:16

फुटनोट

  • *

    शा., “नज़र रखनेवाले” यानी वे जो शहर पर नज़र रखते थे कि कब उस पर हमला किया जाए।

यिर्मयाह 4:17

संबंधित आयतें

  • +2रा 25:1, 2
  • +यश 63:10; यहे 2:3

यिर्मयाह 4:18

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  • +भज 107:17

यिर्मयाह 4:19

फुटनोट

  • *

    शा., “मेरी अंतड़ियाँ।”

  • *

    या शायद, “युद्ध की ललकार।”

संबंधित आयतें

  • +सप 1:15, 16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/1994, पेज 6

यिर्मयाह 4:20

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 10:20

यिर्मयाह 4:21

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  • +यिर्म 6:1

यिर्मयाह 4:22

फुटनोट

  • *

    या “बुद्धिमान।”

संबंधित आयतें

  • +व्य 32:6; यिर्म 5:21

यिर्मयाह 4:23

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  • +यिर्म 9:10
  • +यश 5:30; योए 2:31

यिर्मयाह 4:24

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  • +यश 5:25

यिर्मयाह 4:25

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  • +सप 1:3

यिर्मयाह 4:26

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  • +व्य 29:22, 23

यिर्मयाह 4:27

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  • +लैव 26:32; 2इत 36:20, 21; यश 6:11; यिर्म 10:22; यहे 33:28

यिर्मयाह 4:28

फुटनोट

  • *

    या “मैं पछतावा नहीं महसूस करूँगा।”

संबंधित आयतें

  • +यश 24:4; योए 1:10
  • +यश 5:30; योए 2:30, 31
  • +2रा 23:26; यहे 24:14

यिर्मयाह 4:29

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  • +2रा 25:4
  • +यश 2:19

यिर्मयाह 4:30

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  • +यहे 23:22, 26
  • +विल 1:2

यिर्मयाह 4:31

संबंधित आयतें

  • +विल 1:17

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

यिर्म. 4:1यिर्म 3:22; योए 2:12, 13
यिर्म. 4:2यश 65:16
यिर्म. 4:3हो 10:12
यिर्म. 4:4यिर्म 9:25, 26
यिर्म. 4:4विल 4:11
यिर्म. 4:5यिर्म 6:1
यिर्म. 4:5यिर्म 35:11
यिर्म. 4:6यिर्म 1:14; 21:7; 25:9
यिर्म. 4:72रा 24:1; 25:1; यिर्म 5:6; 50:17
यिर्म. 4:7यहे 26:7
यिर्म. 4:7यश 5:9; 6:11; यिर्म 2:15; 9:11
यिर्म. 4:8यिर्म 6:26
यिर्म. 4:92रा 25:5
यिर्म. 4:9यश 29:9, 10
यिर्म. 4:10यहे 14:9
यिर्म. 4:10यिर्म 6:13, 14; 14:13; 23:16, 17
यिर्म. 4:13यश 5:26, 28
यिर्म. 4:13व्य 28:49, 50; विल 4:19; हब 1:8
यिर्म. 4:14यश 1:16; यहे 18:31
यिर्म. 4:15यिर्म 8:16
यिर्म. 4:172रा 25:1, 2
यिर्म. 4:17यश 63:10; यहे 2:3
यिर्म. 4:18भज 107:17
यिर्म. 4:19सप 1:15, 16
यिर्म. 4:20यिर्म 10:20
यिर्म. 4:21यिर्म 6:1
यिर्म. 4:22व्य 32:6; यिर्म 5:21
यिर्म. 4:23यिर्म 9:10
यिर्म. 4:23यश 5:30; योए 2:31
यिर्म. 4:24यश 5:25
यिर्म. 4:25सप 1:3
यिर्म. 4:26व्य 29:22, 23
यिर्म. 4:27लैव 26:32; 2इत 36:20, 21; यश 6:11; यिर्म 10:22; यहे 33:28
यिर्म. 4:28यश 24:4; योए 1:10
यिर्म. 4:28यश 5:30; योए 2:30, 31
यिर्म. 4:282रा 23:26; यहे 24:14
यिर्म. 4:292रा 25:4
यिर्म. 4:29यश 2:19
यिर्म. 4:30यहे 23:22, 26
यिर्म. 4:30विल 1:2
यिर्म. 4:31विल 1:17
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यिर्मयाह 4:1-31

यिर्मयाह

4 यहोवा ऐलान करता है, “हे इसराएल, अगर तू लौट आए,

मेरे पास लौट आए

और अपनी घिनौनी मूरतें मेरे सामने से हटा दे,

तो तू भगोड़ा बनकर फिरता नहीं रहेगा।+

 2 अगर तू सच्चाई, न्याय और नेकी से यह कहकर शपथ खाए,

‘यहोवा के जीवन की शपथ!’

तो राष्ट्र परमेश्‍वर से आशीष पाएँगे*

और उसके कारण गर्व करेंगे।”+

3 क्योंकि यहोवा, यहूदा के लोगों और यरूशलेम से कहता है,

“तुम ज़मीन जोतो, उसे उपजाऊ बनाओ,

काँटों के बीच बोना छोड़ दो।+

 4 यहूदा और यरूशलेम के लोगो,

यहोवा के लिए अपना खतना करो,

अपने दिलों की खलड़ी निकाल फेंको,+

नहीं तो तुम्हारे दुष्ट कामों की वजह से

मेरा क्रोध आग की तरह भड़क उठेगा

और उसे कोई बुझा न सकेगा।”+

 5 यहूदा में इस बात का ऐलान करो,

यरूशलेम में यह संदेश सुनाओ।

पूरे देश में नरसिंगा फूँको, चिल्ला-चिल्लाकर बताओ।+

पुकार-पुकारकर कहो, “चलो हम सब इकट्ठा हो जाएँ

और किलेबंद शहरों में भाग जाएँ।+

 6 सिय्योन का रास्ता दिखानेवाला एक झंडा खड़ा करो।

खड़े मत रहो, कोई आसरा ढूँढ़ो,”

क्योंकि मैं उत्तर से एक कहर ढानेवाला हूँ,+ एक बड़ी विपत्ति लानेवाला हूँ।

 7 दुश्‍मन ऐसे निकला है जैसे शेर झाड़ी में से निकलता है,+

राष्ट्रों को तबाह करनेवाला चल पड़ा है।+

वह अपनी जगह से रवाना हो चुका है ताकि तुम्हारे देश का ऐसा हश्र करे कि देखनेवालों का दिल दहल जाए।

तुम्हारे शहर खंडहर बना दिए जाएँगे, उनमें एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

 8 इसलिए टाट ओढ़ो,+

मातम मनाओ,* ज़ोर-ज़ोर से रोओ,

क्योंकि यहोवा के क्रोध की आग हमसे दूर नहीं हुई है।

 9 यहोवा ऐलान करता है, “उस दिन राजा हिम्मत* हार जाएगा,+

हाकिम भी हिम्मत* हार जाएँगे,

याजक खौफ खाएँगे और भविष्यवक्‍ताओं के होश उड़ जाएँगे।”+

10 फिर मैंने कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, कितना बुरा हुआ! तूने वाकई इन लोगों को और यरूशलेम को यह कहकर धोखा दिया,+ ‘तुम्हें शांति मिलेगी,’+ जबकि तलवार हमारी गरदन पर है।”

11 उस समय इन लोगों से और यरूशलेम से यह कहा जाएगा:

“रेगिस्तान की सूनी पहाड़ियों से झुलसानेवाली हवा

मेरे लोगों की बेटी* पर चलनेवाली है।

यह हवा अनाज फटकने या साफ करने के लिए नहीं आ रही है।

12 यह तेज़ आँधी मेरे कहने पर इन जगहों से आएगी।

अब मैं उनके खिलाफ फैसला सुनाऊँगा।

13 देख! दुश्‍मन बरसाती बादल की तरह आएगा,

उसके रथ भयानक आँधी की तरह हैं।+

उसके घोड़े उकाबों से भी तेज़ हैं।+

हाय, हम बरबाद हो गए!

14 हे यरूशलेम, अपने दिल से दुष्टता निकालकर उसे साफ कर ताकि तू बच सके।+

तू कब तक अपने मन में बुरे विचार पालती रहेगी?

15 क्योंकि दान से एक आवाज़ खबर दे रही है,+

वह एप्रैम के पहाड़ों से विपत्ति का संदेश सुना रही है।

16 हाँ, राष्ट्रों को खबर भेजो,

यरूशलेम के खिलाफ संदेश सुनाओ।”

“एक दूर देश से कुछ भेदिए* आ रहे हैं,

वे यहूदा के शहरों के खिलाफ युद्ध का ऐलान करेंगे।

17 वे खेत के रखवालों की तरह उसे चारों तरफ से घेर लेंगे,+

क्योंकि उसने मुझसे बगावत की है।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

18 “तुझे अपने ही चालचलन और कामों का अंजाम भुगतना पड़ेगा।+

तेरी तबाही क्या ही दर्दनाक है,

क्योंकि यह तेरे दिल की गहराई तक समाया हुआ है!”

19 हाय, यह दर्द!* हाय, यह दर्द!

मेरे दिल में तेज़ दर्द उठता है।

मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है।

मैं चुप नहीं रह सकता,

क्योंकि मैंने नरसिंगे की आवाज़ सुनी है,

युद्ध का बिगुल* सुना है।+

20 जगह-जगह से तबाही की खबर आ रही है,

क्योंकि पूरा देश नाश किया जा रहा है।

अचानक मेरे अपने तंबू नाश कर दिए गए हैं,

पल-भर में ही मेरे तंबू नाश कर दिए गए हैं।+

21 मैं और कब तक झंडा देखता रहूँ,

नरसिंगे की आवाज़ सुनता रहूँ?+

22 “मेरे लोग मूर्ख हैं,+ वे मुझ पर बिलकुल ध्यान नहीं देते।

मेरे बेटे बेवकूफ हैं, उन्हें ज़रा भी समझ नहीं है।

वे बुरे काम करने में तो बड़े होशियार* हैं,

मगर भले काम करना उन्हें आता ही नहीं।”

23 मैं देश को देखकर दंग रह गया!

वह बिलकुल उजड़ गया था, सुनसान हो गया था।+

मैंने आकाश की ओर ताका तो देखा कि उसमें कोई रौशनी नहीं थी।+

24 पहाड़ों पर नज़र डाली तो देखकर दंग रह गया!

वे काँप रहे थे, पहाड़ियाँ डोल रही थीं।+

25 मैं यह देखकर दंग रह गया कि एक इंसान तक नहीं था!

आकाश के सारे पंछी उड़ गए थे।+

26 मैं यह देखकर दंग रह गया कि फलों का बाग वीरान हो गया था,

उसके सारे शहर ढा दिए गए थे!+

यह सब यहोवा ने किया,

उसके क्रोध की आग भड़क उठी थी।

27 क्योंकि यहोवा ने कहा है, “सारा देश उजाड़ दिया जाएगा,+

मगर मैं उसे पूरी तरह खाक में नहीं मिलाऊँगा।

28 इस वजह से देश मातम मनाएगा+

और ऊपर आकाश अँधेरा हो जाएगा।+

ऐसा इसलिए होगा क्योंकि मैंने कहा है, मैंने फैसला किया है,

मैंने जो सोचा है उसे नहीं बदलूँगा,* न ही पीछे हटूँगा।+

29 घुड़सवारों और तीरंदाज़ों का आना सुनकर

सारा शहर भाग जाता है।+

लोग घनी झाड़ियों में जा छिपते हैं,

चट्टानों पर चढ़ जाते हैं।+

सारे शहर खाली हो गए हैं,

कोई उनमें नहीं रहता।”

30 अब जब तू उजड़ गयी है, तो तू क्या करेगी?

तू सुर्ख लाल कपड़े पहना करती थी,

सोने के ज़ेवरों से खुद को सँवारती थी,

आँखों को और बड़ा दिखाने के लिए काजल लगाती थी।

मगर तेरा यह सारा सजना-सँवरना बेकार गया+

क्योंकि जो अपनी हवस पूरी करने तेरे पास आते थे उन्होंने तुझे ठुकरा दिया,

अब वे तेरी जान के दुश्‍मन बन गए हैं।+

31 मैंने एक बीमार औरत के कराहने जैसी आवाज़ सुनी है,

उस औरत के चिल्लाने जैसी आवाज़ जो पहली बार बच्चा जनती है,

मैंने सिय्योन की बेटी की आवाज़ सुनी है जो एक-एक साँस के लिए हाँफ रही है।

वह अपने हाथ फैलाकर कहती है,+ “हाय, मेरे साथ यह क्या हुआ है,

कातिलों ने मुझे बदहाल करके छोड़ा है!”

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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