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  • यूहन्‍ना 9
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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यूहन्‍ना का सारांश

      • यीशु एक जन्म के अंधे को ठीक करता है (1-12)

      • फरीसी उस आदमी से सवाल-जवाब करते हैं (13-34)

      • फरीसियों का अंधापन (35-41)

यूहन्‍ना 9:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/2001, पेज 22-23

यूहन्‍ना 9:2

फुटनोट

  • *

    शा., “रब्बी।”

संबंधित आयतें

  • +यूह 1:38

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/2001, पेज 22-23

    5/1/1992, पेज 8

यूहन्‍ना 9:3

संबंधित आयतें

  • +यूह 11:2-4

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/2001, पेज 22-23

    5/1/1992, पेज 8

यूहन्‍ना 9:4

संबंधित आयतें

  • +यूह 4:34; 11:9

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/1996, पेज 22-23

    5/1/1992, पेज 8

यूहन्‍ना 9:5

संबंधित आयतें

  • +यश 49:6; 61:1; यूह 1:5; 8:12

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 166

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1992, पेज 8

यूहन्‍ना 9:6

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  • +मर 8:23

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    प्यार, पाठ 3

यूहन्‍ना 9:7

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    प्यार, पाठ 3

यूहन्‍ना 9:11

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यूहन्‍ना 9:14

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    यीशु—राह, पेज 166-167

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/1992, पेज 9

यूहन्‍ना 9:18

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    यीशु—राह, पेज 167

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    5/1/1992, पेज 9

यूहन्‍ना 9:22

संबंधित आयतें

  • +यूह 7:13; 19:38
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    यीशु—राह, पेज 168

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1992, पेज 8

यूहन्‍ना 9:24

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    यीशु—राह, पेज 168

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1992, पेज 8

यूहन्‍ना 9:31

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  • +भज 66:18; नीत 28:9; यश 1:15
  • +भज 34:15; नीत 15:29

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  • +यूह 5:36

यूहन्‍ना 9:34

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  • +यूह 9:22; 16:2

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    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1992, पेज 9

यूहन्‍ना 9:38

फुटनोट

  • *

    या “दंडवत।”

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    प्रहरीदुर्ग, 2/15/2001, पेज 31

यूहन्‍ना 9:39

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  • +लूक 4:18; यूह 12:46
  • +मत 11:25; 13:13; यूह 3:19

यूहन्‍ना 9:40

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    यीशु—राह, पेज 168

यूहन्‍ना 9:41

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  • +यूह 15:22

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    यीशु—राह, पेज 168

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1992, पेज 9

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

यूह. 9:2यूह 1:38
यूह. 9:3यूह 11:2-4
यूह. 9:4यूह 4:34; 11:9
यूह. 9:5यश 49:6; 61:1; यूह 1:5; 8:12
यूह. 9:6मर 8:23
यूह. 9:72रा 5:10, 14
यूह. 9:11यूह 9:7
यूह. 9:14यूह 9:6
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यूह. 9:16निर्ग 20:9, 10
यूह. 9:16यूह 3:2
यूह. 9:16लूक 12:51; यूह 7:12, 43; 10:19
यूह. 9:22यूह 7:13; 19:38
यूह. 9:22यूह 12:42; 16:2
यूह. 9:31भज 66:18; नीत 28:9; यश 1:15
यूह. 9:31भज 34:15; नीत 15:29
यूह. 9:33यूह 5:36
यूह. 9:34यूह 9:22; 16:2
यूह. 9:39लूक 4:18; यूह 12:46
यूह. 9:39मत 11:25; 13:13; यूह 3:19
यूह. 9:41यूह 15:22
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यूहन्‍ना 9:1-41

यूहन्‍ना के मुताबिक खुशखबरी

9 जब यीशु जा रहा था तो उसने एक आदमी को देखा जो जन्म से अंधा था। 2 चेलों ने उससे पूछा, “गुरु,*+ किसने पाप किया था कि यह अंधा पैदा हुआ? इसने या इसके माता-पिता ने?” 3 यीशु ने जवाब दिया, “न तो इस आदमी ने पाप किया, न इसके माता-पिता ने। मगर यह इसलिए हुआ कि इसके मामले में परमेश्‍वर के काम ज़ाहिर हों।+ 4 जिसने मुझे भेजा है उसके काम हमें दिन रहते ही कर लेने चाहिए।+ वह रात आ रही है जब कोई आदमी काम नहीं कर सकेगा। 5 जब तक मैं दुनिया में हूँ, मैं दुनिया की रौशनी हूँ।”+ 6 यह कहने के बाद, उसने ज़मीन पर थूका और थूक से मिट्टी मिलाकर लेप बनाया और उस अंधे आदमी की आँखों पर लगाया+ 7 और उससे कहा, “जा और जाकर सिलोम के कुंड में धो ले” (सिलोम का मतलब है, ‘भेजा हुआ’)। उसने जाकर अपनी आँखें धोयीं और देखता हुआ लौट आया।+

8 उस आदमी के पड़ोसी और वे लोग, जो उसे भीख माँगते देखा करते थे, कहने लगे, “यह तो वही आदमी है न, जो पहले बैठकर भीख माँगता था?” 9 कुछ कह रहे थे, “हाँ-हाँ यह वही है।” दूसरे कह रहे थे, “नहीं यह वह नहीं है, मगर उसी के जैसा दिखता है।” वह आदमी कहता रहा, “मैं वही हूँ।” 10 तब वे उससे पूछने लगे, “तेरी आँखें कैसे ठीक हो गयीं?” 11 उसने कहा, “यीशु नाम के आदमी ने मिट्टी का लेप बनाकर मेरी आँखों पर लगाया और मुझसे कहा, ‘जाकर सिलोम में धो ले।’+ जब मैंने जाकर अपनी आँखें धोयीं तो मुझे दिखने लगा।” 12 तब वे उससे पूछने लगे, “कहाँ है वह आदमी?” उसने कहा, “मैं नहीं जानता।”

13 वे लोग उस आदमी को फरीसियों के पास ले गए। 14 इत्तफाक से, जिस दिन यीशु ने मिट्टी का लेप लगाकर उसकी आँखें खोली थीं,+ वह सब्त का दिन था।+ 15 इसलिए अब फरीसी भी उस आदमी से पूछताछ करने लगे कि उसकी आँखें कैसे ठीक हुईं। उस आदमी ने कहा, “उसने मेरी आँखों पर मिट्टी का लेप लगाया और जब मैंने आँखें धोयीं तो मुझे दिखायी देने लगा।” 16 इसलिए कुछ फरीसी कहने लगे, “वह आदमी परमेश्‍वर की तरफ से नहीं है क्योंकि वह सब्त को नहीं मानता।”+ मगर दूसरों ने कहा, “एक पापी भला इस तरह के चमत्कार कैसे कर सकता है?”+ इस तरह उनके बीच फूट पड़ गयी।+ 17 तब उन्होंने उस अंधे आदमी से फिर कहा, “उसने तेरी आँखें खोली हैं, तू उसके बारे में क्या कहता है?” उस आदमी ने कहा, “वह एक भविष्यवक्‍ता है।”

18 मगर यहूदी यह मानने को तैयार नहीं थे कि वह पहले अंधा था। जब तक उन्होंने उसके माता-पिता को बुलाकर यह पक्का नहीं कर लिया, तब तक उन्होंने यकीन नहीं किया कि वह पहले अंधा था और अब देख सकता है। 19 उन्होंने उसके माता-पिता से पूछा, “क्या यह तुम्हारा बेटा है जिसके बारे में तुम कहते हो कि यह अंधा पैदा हुआ था? तो अब यह देखने कैसे लगा?” 20 उसके माता-पिता ने कहा, “हाँ यह हमारा बेटा है और यह अंधा पैदा हुआ था। 21 मगर हमें नहीं पता कि यह कैसे देखने लगा या किसने इसकी आँखें ठीक कीं! तुम उसी से पूछ लो। वह कोई बच्चा नहीं, वह खुद अपने बारे में बता सकता है।” 22 उसके माता-पिता ने ये बातें इसलिए कहीं क्योंकि वे यहूदी धर्म-अधिकारियों से डरते थे,+ इसलिए कि यहूदी मिलकर तय कर चुके थे कि अगर कोई यीशु को मसीह मानेगा, तो उसे सभा-घर से बेदखल कर दिया जाएगा।+ 23 इसी वजह से उसके माता-पिता ने कहा था, “वह कोई बच्चा नहीं, उसी से पूछो।”

24 तब उन्होंने उस आदमी को जो पहले अंधा था, दोबारा बुलाया और उससे कहा, “परमेश्‍वर को हाज़िर जानकर, सच-सच बोल। क्योंकि हम जानते हैं कि वह आदमी पापी है।” 25 उसने कहा, “वह पापी है या नहीं, यह मैं नहीं जानता। मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं पहले अंधा था, मगर अब देख सकता हूँ।” 26 तब उन्होंने उससे पूछा, “उसने क्या किया? कैसे तेरी आँखें खोलीं?” 27 उसने कहा, “मैं तुम्हें पहले ही बता चुका हूँ, मगर तुमने मेरी नहीं सुनी। फिर तुम दोबारा क्यों पूछ रहे हो? कहीं तुम भी तो उसके चेले नहीं बनना चाहते?” 28 तब वे उसे नीचा दिखाते हुए कहने लगे, “तू होगा उसका चेला, हम तो मूसा के चेले हैं। 29 हम जानते हैं कि परमेश्‍वर ने मूसा से बात की थी, मगर यह आदमी कहाँ से आया हम नहीं जानते।” 30 तब उस आदमी ने कहा, “कमाल है, उसने मेरी आँखें खोल दीं फिर भी तुम नहीं जानते कि वह कहाँ से आया है? 31 हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता,+ लेकिन अगर कोई उसका डर मानता है और उसकी मरज़ी पूरी करता है, तो वह उसकी सुनता है।+ 32 आज तक यह बात सुनने में नहीं आयी कि किसी ने जन्म के अंधे को आँखों की रौशनी दी हो। 33 अगर यह आदमी परमेश्‍वर की तरफ से नहीं होता, तो कुछ भी नहीं कर पाता।”+ 34 उन्होंने उससे कहा, “तू तो जन्म से ही पूरा-का-पूरा पापी है, फिर भी हमें सिखाने चला है?” और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया!+

35 यीशु ने सुना कि उन्होंने उस आदमी को निकालकर बाहर कर दिया है। उससे मिलने पर यीशु ने कहा, “क्या तू इंसान के बेटे पर विश्‍वास करता है?” 36 उस आदमी ने जवाब दिया, “साहब, वह कौन है ताकि मैं उस पर विश्‍वास करूँ?” 37 यीशु ने उससे कहा, “तूने उसे देखा है। दरअसल वही तुझसे बात कर रहा है।” 38 तब उसने कहा, “प्रभु, मैं उस पर विश्‍वास करता हूँ।” और उसने यीशु को झुककर प्रणाम* किया। 39 तब यीशु ने कहा, “मैं इसलिए आया हूँ ताकि दुनिया का न्याय किया जाए और जो नहीं देखते, वे देखें+ और जो देखते हैं वे अंधे हो जाएँ।”+ 40 जो फरीसी उसके साथ थे, उन्होंने यह सुनकर उससे कहा, “क्या हम भी अंधे हैं?” 41 यीशु ने उनसे कहा, “अगर तुम अंधे होते, तो तुममें कोई पाप नहीं होता। मगर अब तुम कहते हो, ‘हम देखते हैं,’ इसलिए तुम्हारे पाप माफ नहीं किए जाएँगे।”+

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