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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1992
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यहोवा का प्रबन्ध, “अर्पण किए हुए”

“अजनबी आ खड़े होगें और तुम्हारे झुण्डों को चराएंगे।”—यशायाह ६१:५, NW.

१. क्यों ‘देनेवाला’ यह शब्द हमारे मन में यहोवा को लाता है?

परमेश्‍वर क्या ही उदार देनेवाला है! प्रेरित पौलुस ने कहा: “[यहोवा] तो आप ही सब को जीवन और श्‍वास और सब कुछ देते हैं।” (प्रेरितों १७:२५) परमेश्‍वर से मिलने वाले अनेक ‘अच्छे वरदानों और उत्तम दानों’ पर विचार करने से हम में से हरेक को लाभ प्राप्त हो सकता है।—याकूब १:५, १७; भजन २९:११; मत्ती ७:७; १०:१९; १३:१२; २१:४३.

२, ३. (अ) परमेश्‍वर के वरदानों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया कैसे होनी चाहिए? (ब) किस अर्थ में लेवीय “अर्पण किए हुए” थे?

२ अच्छे कारण की वजह से भजनकार ने सोचा कि वह यहोवा को बदले में क्या दे सकता है। (भजन ११६:१२) हमारे सृष्टिकर्ता को वास्तव में ऐसी कोई चीज़ की ज़रूरत नहीं है जो इंसान के पास हो सकती है या वह दे सकता है। (भजन ५०:१०, १२) फिर भी, यहोवा यह सूचित करते हैं कि उन्हें खुशी होती है जब लोग क़दरदानी दिखाते हुए अपने आप को सच्ची उपासना के लिए दे देते हैं। (इब्रानियों १०:५-७ से तुलना करें.) सभी इंसानों ने अपने सृष्टिकर्त्ता को समर्पण में अपने आप को देना चाहिए, जो उन्हें इसके बदले में, और अधिक ख़ास अनुग्रह दे सकते हैं, जैसा कि प्राचीन लेवियों के सम्बन्ध में था। जबकि सभी इस्राएली लोग परमेश्‍वर को समर्पित थे, उन्होंने केवल हारून के लेवीय परिवार को चुना कि वे मिलापवाले तम्बू और मंदिर में बलिदानों को चढ़ा सकें। बाकी लेवियों के बारे में क्या?

३ यहोवा ने मूसा से कहा: “लेवी गोत्रवालों को समीप ला . . . और वे मिलापवाले तम्बू के सब पात्रों की रक्षा करें . . . और तू लेवियों को हारून और उसके पुत्रों को सौंप दे। और वे इस्राएलियों की ओर से हारून को अर्पण किए हुए [इब्रानी, नेथूनिम] हैं।” (गिनती ३:६, ८, ९, ४१, NW) लेवी गोत्रवाले हारून को “अर्पण” किए गए थे कि वे मिलापवाले तम्बू की सेवा में कार्य कर सकें, अतः परमेश्‍वर कह सके: “क्योंकि वे इस्राएलियों में से मुझे पूरी रीति से अर्पण किए हुए हैं।” (गिनती ८:१६, १९; १८:६) कुछ लेवीय साधारण कार्य करते थे; अन्य को उत्कृष्ट ख़ास अनुग्रह प्राप्त था, जैसा कि परमेश्‍वर के नियमों को सिखाना। (गिनती १:५०, ५१; १ इतिहास ६:४८; २३:३, ४, २४-३२; २ इतिहास ३५:३-५) आइए अब हम एक और “अर्पण किए गए” लोग और आधुनिक सामानान्तर की ओर अपना ध्यान दें।

इस्राएली लोग बाबुल से वापस आते हैं

४, ५. (अ) किस तरह के इस्राएली बाबुल में निर्वासन से लौटे? (ब) आधुनिक समयों में, क्या घटना इस्राएलियों की निर्वासन से वापसी से मेल खाता है?

४ एज्रा और नहेमायाह वर्णन करते हैं कि कैसे इस्राएलियों का एक अवशेष, जरुब्बाबेल के नेतृत्व में, सच्ची उपासना पुन:स्थापित करने के लिए बाबुल से वापस स्वदेश आए। दोनों विवरण बताते है कि वापस आनेवालों की कुल संख्या ४२,३६० थी। उसमें से हज़ारों “इस्राएली प्रजा के मनुष्य” थे। विवरणों में इसके बाद याजकों की सूची दी गयी है। इसके बाद ३५० लेवीय आते हैं, जिन में लेवीय गवैये और द्वारपाल भी शामील थे। एज्रा और नहेमायाह उन हज़ारों अन्य लोगों के बारे में भी लिखते हैं जो प्रत्यक्षतः इस्राएली थे, शायद याजक भी हो सकते थे, परन्तु अपनी वंशावली साबित नहीं कर सकते थे।—एज्रा १:१, २; २:२-४२, ५९-६४; नहेमायाह ७:७-४५, ६१-६६.

५ इस्राएल का यह अवशेष, जो निर्वासन में ले जाए गए और उसके बाद यरूशलेम और यहूदा लौट आए, ने परमेश्‍वर के प्रति उत्कृष्ट भक्‍ति और सच्ची उपासना के प्रति गहरी वचनबद्धता का प्रदर्शन किया। जैसे ग़ौर किया गया है, हम आधुनिक समय के आत्मिक इस्राएल के अवशेष में, जो बड़े बाबुल की ग़ुलामी से १९१९ में रिहा हुए, एक उपयुक्‍त अनुरूपता पाते हैं।

६. परमेश्‍वर ने आत्मिक इस्राएलियों को हमारे समय में कैसे इस्तेमाल किया है?

६ १९१९ में अपनी रिहाई के बाद से, मसीह के अभिषिक्‍त भाइयों के अवशेष सच्ची उपासना में पूरे जोश से आगे बढ़े हैं। “परमेश्‍वर के इस्राएल” में शामिल हुए १,४४,००० के बाकी व्यक्‍तियों को इकट्ठे करने के उनके प्रयत्नों पर यहोवा ने आशिष दी है। (गलातियों ६:१६; प्रकाशितवाक्य ७:३, ४) अभिषिक्‍त अवशेष, समूह के रूप में, “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” वर्ग बनते हैं जिनका उपयोग प्रचुर मात्रा में जीवन-दायक आध्यात्मिक भोजन का प्रबन्ध करने के लिए किया जाता है, जिसे दुनिया भर में बाँटने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है।—मत्ती २४:४५-४७.

७. सच्ची उपासना में अभिषिक्‍त जन के साथ कौन संगति कर रहे हैं?

७ जैसे पिछले लेख में बताया गया, यहोवा के लोगों में अब लाखों “अन्य भेड़” भी हैं जिनके पास बहुत जल्द आनेवाले बड़े क्लेश से बच निकलने की परमेश्‍वर-प्रदत्त आशा है। वे चाहते हैं कि हमेशा के लिए यहोवा की सेवा पृथ्वी पर करें, जहाँ वे कभी भूखे और प्यासे नहीं होंगे और जहाँ दुःख के आँसू फिर कभी नहीं बहेंगें। (यूहन्‍ना १०:१६; प्रकाशितवाक्य ७:९-१७; २१:३-५) बाबुल से वापस आनेवालों के विवरण में क्या हम ऐसे जनों की कोई अनुरूपता पाते हैं? जी हाँ!

ग़ैर-इस्राएली भी वापस लौटते हैं

८. बाबुल से लौटनेवाले इस्राएलियों के साथ कौन थे?

८ जब बाबुल में यहोवा को प्रेम करनेवालों को प्रतिज्ञात देश लौटने का बुलावा दिया गया, हज़ारों की तादाद में ग़ैर-इस्राएलियों ने प्रतिक्रिया दिखायी। एज्रा और नेहमायाह द्वारा दी गयी सूचीयों में हम “नतीन” (अर्थात, “अर्पण किए हुए”) और “सुलैमान के दासों की सन्तान” के बारे में पढ़ते हैं, जिनकी कुल संख्या ३९२ थी। वृत्तान्त ७,५०० से अधिक अन्य लोगों का भी ज़िक्र करता है: ‘दास-दासियाँ’ और ग़ैर-लेवीय “गानेवाले और गानेवालीयाँ।” (एज्रा २:४३-५८, ६५; नहेमायाह ७:४६-६०, ६७) इतने सारे ग़ैर-इस्राएलियों को लौटने के लिए किस बात ने प्रेरित किया?

९. निर्वासन से लौटने में परमेश्‍वर की आत्मा कैसे सम्मिलित थी?

९ एज्रा १:५ उन सब के बारे में कहता है जिनका “मन परमेश्‍वर ने उभारा था कि जाकर यरूशलेम में यहोवा के भवन को बनाएं।” जी हाँ, लौटनेवाले सभी को परमेश्‍वर ने प्रेरित किया। उन्होंने उनके आत्मा, अर्थात, उनके प्रेरक मानसिक झुकाव, को उकसाया। स्वर्ग से भी परमेश्‍वर ऐसा कर सके, अपनी पवित्र आत्मा या सक्रिय शक्‍ति का प्रयोग करने के द्वारा। इस प्रकार, वे सब जो “यहोवा के भवन को बनाने” के लिए उठ खड़े हुए “[परमेश्‍वर] की आत्मा के द्वारा” मदद किए गए।—जकर्याह ४:१, ६; हाग्गै १:१४.

एक आधुनिक-काल का समानान्तर

१०, ११. बाबुल से लौटनेवाले ग़ैर-इस्राएलियों के साथ कौनसा समानान्तर किया जा सकता है?

१० ऐसे ग़ैर-इस्राएली लौटनेवालों द्वारा कौन चित्रित किए जाते हैं? अनेक मसीही शायद जवाब देंगे: ‘नतीन आज की “अन्य भेड़” से मेल खाते हैं।’ यह सच है, पर केवल नतीन ही नहीं; क्योंकि वे सभी ग़ैर-इस्राएली जो लौटे आज उन मसीहियों को चित्रित करते हैं जो आत्मिक इस्राएल के नहीं हैं।

११ यू मे सर्वाइव्‌ आरमगेडन इनटू गॉड्‌स्‌ न्यू वर्ल्ड (You May Survive Armageddon Into God’s New World)a नामक किताब ग़ौर करती है: “इस्राएलियों के ४२,३६० शेष जनों में केवल वे ही नहीं थे जो अधिपति जरुब्बाबेल के साथ बाबुल से निकले थे . . . हज़ारों ग़ैर-इस्राएली थे . . . नतीन के अलावा ग़ैर-इस्राएली, दास, पेशेवर गानेवाले और गानेवालियाँ और राजा सुलैमान के दासों की सन्तानें भी थीं।” पुस्तक में समझाया गया: “नतीन, दास, गायक और सुलैमान के दासों की सन्तान, सभी ग़ैर-इस्राएली, ने दासत्व के देश को छोड़ा और इस्राएली अवशेष के साथ वापस लौटे . . . इसलिए क्या यह सोचना उचित है कि आज विभिन्‍न राष्ट्रीयता से लोग जो आत्मिक इस्राएल के भाग नहीं हैं आत्मिक इस्राएल के अवशेष के साथ मेल-जोल रखेंगे और उनके साथ यहोवा परमेश्‍वर की उपासना को बढ़ाएँगे? जी हाँ।” ऐसे व्यक्‍ति ‘आधुनिक समय के प्रतिरूपी नतीन, गायक, और सुलैमान के दासों की सन्तान बन गए हैं।’

१२. परमेश्‍वर आत्मिक इस्राएलियों के लिए अपनी आत्मा किस विशेष ढंग से प्रयोग करते है, परन्तु हम क्यों यक़ीन कर सकते हैं कि यह आज उनके सभी उपासकों के लिए उपलब्ध है?

१२ प्राचीन नमूने की तरह, परमेश्‍वर अपनी आत्मा उन्हें भी प्रदान करते हैं जो पृथ्वी पर सर्वदा जीने की आशा रखते हैं। यह सच है कि उनका दुबारा जन्म नहीं होता। १,४४,००० में से हरेक व्यक्‍ति को परमेश्‍वर के आत्मिक पुत्र के तौर से नए सिरे से जन्म लेने और पवित्र आत्मा से अभिषिक्‍त होने का एकमात्र अनुभव है। (यूहन्‍ना ३:३, ५; रोमियों ८:१६; इफ़िसियों १:१३, १४) निश्‍चय ही, यह अभिषिक्‍त करना छोटे झुण्ड की ख़ातिर परमेश्‍वर की आत्मा का एक अद्वितीय प्रदर्शन है। परमेश्‍वर की इच्छा पूरी करने के लिए भी पवित्र आत्मा की आवश्‍यकता है। इस लिए, यीशु ने कहा: ‘स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को पवित्र आत्मा देते हैं।’ (लूका ११:१३) चाहे माँगनेवाले को स्वर्गीय आशा है या वह अन्य भेड़ों में से हैं, यहोवा की आत्मा उनकी इच्छा पूरी करने के लिए प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

१३. परमेश्‍वर के सभी सेवकों पर आत्मा कैसे कार्य कर सकती है?

१३ दोनों इस्राएलियों और ग़ैर-इस्राएलियों को यरूशलेम लौटने के लिए परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा ने प्रेरित किया, और आज वह उनके सभी वफ़ादार लोगों को सशक्‍त करती है और सहायता देती है। चाहे एक मसीही की परमेश्‍वर-प्रदत्त आशा स्वर्ग में या पृथ्वी पर जीवन है, उसे सुसमाचार प्रचार करना चाहिए, और इस काम में विश्‍वासी बने रहने में पवित्र आत्मा उसे क़ाबिल करती है। हम में से हरेक को—हमारी आशा जो भी हो—आत्मा के फलों को उत्पन्‍न करने की आवश्‍यकता है, जिसकी हमें पूरी मात्रा में ज़रूरत है।—गलतियों ५:२२-२६.

विशेष सेवा के लिए अर्पण किए गए

१४, १५. (अ) लौटनेवाले ग़ैर-इस्राएलियों में से कौनसे दो समूह चुन लिए गए? (ब) नतीन कौन थे, और उन्होंने क्या किया?

१४ पवित्र आत्मा ने जिन हज़ारों ग़ैर-इस्राएलियों को लौटने के लिए प्रेरित किया, उन में से दो छोटे समूहों को परमेश्‍वर के वचन ने चुन लिया—नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान। वे कौन थे? उन्होंने क्या किया? और आज, इसका क्या अर्थ हो सकता है?

१५ नतीन एक ऐसा समूह था जिसके ग़ैर-इस्राएली उद्‌गम थे और जिन्हें लेवियों के साथ सेवा-टहल करने का ख़ास अनुग्रह था। उन कनानियों को याद करें जो गिबोन से थे, और जो ‘मण्डली और यहोवा की वेदी के लिए लकड़हारे और पानी भरनेवाले’ बने। (यहोशू ९:२७) शायद उनके कुछ वंशज उन नतीन में थे जो बाबुल से लौटे, और इसके अलावा अन्य जन भी जो दाऊद के शासन के दौरान और अन्य समयों में नतीन के रूप में जोड़े गए थे। (एज्रा ८:२०) नतीन ने क्या किया? लेवियों को याजकों की मदद करने के हेतू दिया गया था, फिर लेवियों की मदद के लिए नतीन दिया गया। ख़तना-प्राप्त विदेशियों के लिए भी यह एक ख़ास अनुग्रह था।

१६. समय के साथ-साथ, नतीनों की भूमिका कैसे बदल गयी?

१६ जब यह समूह बाबुल से लौटा, इस में याजक या नतीन और ‘सुलैमान के दासों की सन्तान’ की तुलना में इने-गिने लेवीय ही थे। (एज्रा ८:१५-२०) डा. जेम्स हेर्स्टिगस्‌ द्वारा लिखित द डिक्शनरि ऑफ़ द बाइबल (The Dictionary of the Bible) ग़ौर करता है: “कुछ समय बाद हम पाते हैं कि [नतीन] एक पवित्र अधिकारी वर्ग के रूप में इतनी पूर्णता से स्थापित हुई, कि उन्हें ख़ास अनुग्रह दिए जाते हैं।” विद्वत्तापूर्ण पत्रिका वेटस टेस्टामेन्टम (Vetus Testamentum) ध्यान देती है: “एक परिवर्तन हुआ। निर्वासन से लौटने के बाद, ये [विदेशी] मंदिर के ग़ुलाम नहीं समझे गए, परन्तु उस में सेवक बन गए, मंदिर में कार्य करनेवाले अन्य समूहों के समान स्थिति का वे आनन्द लेने लगे।”—“बदली हुई स्थिति” नामक बॉक्स देखें।

१७. नतीनों को अधिक कार्य क्यों सौंपा गया था, और इसके लिए क्या बाइबलीय प्रमाण है?

१७ बेशक, नतीन याजकों और लेवियों के तुल्य नहीं बन गए। याजक और लेवीय समूह इस्राएली थे, जिन्हें यहोवा ने ख़ुद चुना था और उनका स्थान ग़ैर-इस्राएलियों द्वारा नहीं लेना था। फिर भी, बाइबलीय सूचनाओं के आधार पर मालूम पड़ता है कि लेवियों की संख्या कम होने के कारण, नतीन को परमेश्‍वर की सेवा में अधिक कार्य दिए गए थे। उन्हें मंदिर के समीप रहने के लिए निवासस्थान दिए गए थे। नहेमायाह के समय में वे याजकों के साथ मिलकर मंदिर के पास की शहरपनाह की मरम्मत करते थे। (नहेमायाह ३:२२-२६) और फ़ारस के राजा ने यह फ़रमान निकाला कि नतीन को कर से छुट दिया जाए, जिस तरह अपने मंदिर की सेवा के कारण लेवीय भी छुट-प्राप्त थे। (एज्रा ७:२४) इससे पता चलता है कि “अर्पण किए हुए” (लेवीय और नतीन) उस समय कितनी घनिष्ठता से आध्यात्मिक मामलों में जुड़े हुए थे और कैसे ज़रूरत के अनुसार नतीन के नियत कार्य बढ़ गए हालाँकि उन्हें कभी भी लेवीय की तरह नहीं गिना जाता था। बाद में जब एज्रा ने निर्वासियों को लौटने के लिए इकट्ठा किया, शुरू में उनके बीच लेवीय नहीं थे। इसलिए उसने कुछेक को जमा करने के लिए भरसक कोशिश किया। परिणामस्वरूप ३८ लेवीय और २२० नतीन, “हमारे परमेश्‍वर के भवन के लिए सेवा टहल करनेवाले” के तौर से लौट आए।—एज्रा ८:१५-२०.

१८. सुलैमान के दासों की सन्तान ने कौनसा कार्य सम्पन्‍न किया होगा?

१८ ग़ैर-इस्राएलियों का चुना हुआ एक और समूह, सुलैमान के दासों की सन्तान था। उन के बारे में बाइबल अधिक ब्योरा नहीं देती है। कुछ “सोपेरेत की सन्तान” थे। एज्रा उस नाम में एक निश्‍चयवाचक उपपद जोड़ता है, जिससे यह हस्सोपेरेत बन जाता है, जिसका संभाव्य अर्थ “शास्त्री” है। (एज्रा २:५५; नहेमायाह ७:५७) इस प्रकार वे शायद शास्त्रियों या लिपिकों का एक कर्मचारी वर्ग होंगे, संभवत: मंदिर/शासन-संबंधी शास्त्री वर्ग। यधपि वे विदेशी वंश के थे, सुलैमान के दासों की सन्तानों ने बाबुल छोड़कर और लौटकर परमेश्‍वर की उपासना पुन:स्थापित करने में भाग लेने के द्वारा अपनी परमेश्‍वरीय भक्‍ति को साबित किया।

आज के समय में अपने आप को दे देना

१९. आज के अभिषिक्‍त और अन्य भेड़ों के दरमियान क्या रिश्‍ता है?

१९ हमारे समय में, परमेश्‍वर ने अभिषिक्‍त अवशेष को सुसमाचार की घोषणा करने और सच्ची उपासना की अगुआई करने के लिए प्रभावशाली ढंग से इस्तेमाल किया है। (मरकुस १३:१०) सैकड़ों, हज़ारों, और फिर लाखों अन्य भेड़ों को अपने साथ उपासना में शामिल होते देखकर ये लोग कितने ख़ुश हुए होंगे! और अवशेष एवं अन्य भेड़ों के बीच कितना सुहावना सहयोग रहा है!—यूहन्‍ना १०:१६.

२०. नतीनों और सुलैमान के दासों की सन्तान के समानान्तर में कौनसी नयी समझ तर्कसंगत है? (नीतिवचन ४:१८)

२० वे सभी ग़ैर-इस्राएली जो प्राचीन बाबुल में निर्वासन से लौटे थे, अन्य भेड़ों के समानान्तर हैं जो आत्मिक इस्राएल के अवशेष के साथ मिलकर सेवा करते हैं। लेकिन, उस तथ्य के विषय में क्या कि बाइबल नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान को चुन लेती है? उस नमूने में, नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान को अन्य ग़ैर-इस्राएली लौटनेवालों से कहीं अधिक ख़ास अनुग्रह दिए गए थे। यह बात भली-भाँति चित्रित कर सकती है कि परमेश्‍वर ने आज कुछ परिपक्व और इच्छुक अन्य भेड़ों को और अधिक ख़ास अनुग्रह और अतिरिक्‍त कार्य दिया है।

२१. पृथ्वी की आशा रखनेवाले कुछ भाइयों को और अधिक कार्य और ख़ास अनुग्रह कैसे प्राप्त हुए हैं?

२१ नतीन के अतिरिक्‍त ख़ास अनुग्रह आध्यात्मिक गतिविधियों से सीधे संबंधित थे। प्रत्यक्षत:, सुलैमान के दासों की सन्तानों को प्रशासनिक उत्तरदायित्व मिले। इसी प्रकार, आज भी यहोवा ने अपने लोगों की आवश्‍यकताओं की देख-भाल के लिए, उन को ‘मनुष्य के दान’ की आशिष प्रदान की है। (इफिसियों ४:८, ११, १२) इस प्रबंध के अंतर्गत, कई सैकड़ों परिपक्व, अनुभवी भाई हैं जो ‘झुंड़ो को चराने’ में हिस्सा लेते हैं, और जो सर्किट और ज़िला अध्यक्ष और वॉच टावर सोसाइटी की ९८ शाखाओं की शाखा समितियों के सदस्य की हैसियत से सेवा करते हैं। (यशायाह ६१:५) संस्था के विश्‍व मुख्यालय में “विश्‍वासयोग्य भण्डारी” और उसके शासी निकाय के निर्देशन में, योग्य पुरुषों को आध्यात्मिक आहार तैयार करने में मदद देने के लिए प्रशिक्षण मिलता है। (लूका १२:४२) अन्य दीर्घकालीन समर्पित स्वयंसेवकों को बेथेल घर और फैक्टरियाँ चलाने और विश्‍वभर नयी शाखा सहूलियतें एवं मसीही उपासना के लिए भवन निर्माण कार्यक्रमों का निरीक्षण करने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। उन्होंने अभिषिक्‍त अवशेष, जो शाही याजकवर्ग के भाग हैं, के साथ मिलकर सहायक के रूप में उत्कृष्ट सेवा की है।—१ कुरिन्थियों ४:१७; १४:४०; १ पतरस २:९ से तुलना करें.

२२. अन्य भेड़ों में से कुछ व्यक्‍तियों को अभी और वज़नी ज़िम्मेदारियाँ दिए जाना क्यों उचित है, और इस की तरफ हमारी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए?

२२ प्राचीन समय में, याजकों और लेवियों ने यहूदियों के मध्य अपनी सेवा जारी रखी। (यूहन्‍ना १:१९) लेकिन, आज, पृथ्वी के आत्मिक इस्राएल के अवशेष की संख्या घटते जानी चाहिए। (यूहन्‍ना ३:३० से तुलना करें.) आख़िरकार, बड़े बाबुल के विनाश के बाद, सभी १,४४,००० ‘मुहर किए गए’ जन मेम्ने के विवाह के लिए स्वर्ग में होंगे। (प्रकाशितवाक्य ७:१-३; १९:१-८) परन्तु अभी अन्य भेड़ों की संख्या को अवश्‍य बढ़ना चाहिए। यह वास्तविकता कि नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान के समान, इन में से कुछेक को अभिषिक्‍त अवशेष की देख-रेख के अंतर्गत अब वज़नी ज़िम्मेदारियाँ दी जा रही है, उन्हें अक्खड़ या अहंकारी नहीं बनाती। (रोमियों १२:३) इससे हमें यक़ीन होता है कि जब परमेश्‍वर के लोग ‘बड़े क्लेश से बचकर’ निकल रहे होंगे, तब अनुभवी पुरुष होंगे—“राजकुमार”—जो अन्य भेड़ों के बीच अगुआई करने के लिए तैयार हैं।—प्रकाशितवाक्य ७:१४; यशायाह ३२:१; तुलना करें प्रेरितों ६:२-७.

२३. परमेश्‍वर की सेवा के सम्बन्ध में हम सब को एक अर्पण करनेवाली आत्मा को क्यों बढ़ाना चाहिए?

२३ बाबुल से लौटनेवाले सभी लोग कठिन परिश्रम करने और यह साबित करने को तैयार थे कि उनके मन और दिल में यहोवा की उपासना को सबसे ऊँचा स्थान था। आज भी वैसा ही है। अभिषिक्‍त अवशेष के साथ, “अजनबी खड़े होकर . . . झुण्डों को चराते हैं।” (यशायाह ६१:५, NW) हमारी परमेश्‍वर-प्रदत्त आशा चाहे जो भी हो, और आत्मा द्वारा नियुक्‍त प्राचीनों को अरमगिदोन में यहोवा के दोषनिवारण के दिन से पहले चाहे जो भी ख़ास अनुग्रह दिए गए हों, आइए हम सब एक निस्स्वार्थ, हितकर, अर्पण करनेवाली आत्मा का पोषण करें। जबकि हम यहोवा को उनके सभी महान उपकारों के लिए बदले में कुछ नहीं दे सकते, हम पूरे तन-मन से उनकी संगठन में कर रहे कार्य को करते रहें। (भजन ११६:१२-१४; कुलुस्सियों ३:२३) इस प्रकार हम सब अपने आप को सच्ची उपासना के लिए अर्पण कर सकते हैं, जैसे-जैसे अन्य भेड़ें अभिषिक्‍त जनों के साथ मिल-जुलकर सेवा कर रहे है, जो ‘पृथ्वी पर राज्य करने’ के लिए नियत किए गए हैं।—प्रकाशितवाक्य ५:९, १०. (w92 4⁄15)

[फुटनोट]

a पृष्ठ १४२-८; वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रेक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित।

स्मरण रखने के लिए मुद्दे

▫ प्राचीन इस्राएल में नतीन किस प्रकार “अर्पण किए हुए” थे?

▫ कौनसे ग़ैर-इस्राएली निर्वासन से लौटे, पर वे किसको चित्रित करते हैं?

▫ नतीन के साथ कौनसा परिवर्तन होने का आभास होता है?

▫ नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान के विषय में, आज कौनसा समानान्तर की क़दर किया जाता है?

▫ अभिषिक्‍त और अन्य भेड़ों के बीच सहयोग से कौनसा आश्‍वासन पैदा होता है?

[पेज 28 पर बक्स]

बदली हुई स्थिती

निर्वासन से लौटनेवाले कुछ ग़ैर-इस्राएलियों द्वारा अनुभव किए गए परिवर्तनों पर अनेक बाइबल शब्दकोश एवं विश्‍वकोश टिप्पणी करते हैं। उदाहरणार्थ, “उनकी स्थिति में परिवर्तन” नामक शीर्षक के अंतर्गत एन्‌साइक्लोपीडिया बिबलिका (Encyclopædia Biblica) कहता है: “जैसा पहले सूचित किया गया, उनकी सामाजिक श्रेणी उस समय ज़रूरत के कारण बढ़ गयी। इसके बाद कभी भी [नतीन] ग़ुलामों की तरह नहीं प्रकट हुए, उस शब्द के यथातथ्य अर्थ के अनुरूप।” (चेन और ब्लैक द्वारा संपादित, खण्ड ३, पृष्ठ ३३९९) द साइक्लोपीडिया ऑफ बिबलिकल लिटरेचर (The Cyclopædia of Biblical Literature) में जॉन किटो लिखते हैं: “ऐसी उम्मीद नहीं थी कि इतनी अधिक संख्या में [नतीन] पलिश्‍तीन में अपनी इस विनम्र पद पाने को लौटेंगे . . . इस प्रकार उन व्यक्‍तियों के द्वारा प्रदर्शित किए गए ऐच्छिक सेवानिष्ठता ने नतीन के पद को पर्याप्त रूप से बढ़ाया।” (खण्ड २, पृष्ठ ४१७) द इंटरनॅश्‍नल स्टॅन्डर्ड बाइबल एन्‌साइक्लोपीडिया (The International Standard Bible Encyclopedia) संकेत करता है: “यह संगति और सुलैमान के समय में उनकी पृष्ठभूमी को ध्यान में रखते हुए, यह माना जा सकता है कि सुलैमान के दासों को दूसरे मंदिर में महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ मिली।”—जी. डब्लयू. ब्रॉमली द्वारा संपादित, खण्ड ४, पृष्ठ ५७०.

[पेज 29 पर तसवीरें]

जब इस्राएली यरूशलेम का पुनःनिर्माण करने लौटे, उनके साथ हज़ारों ग़ैर-इस्राएली हो लिए

[चित्र का श्रेय]

Pictorial Archive (Near Eastern History) Est.

[पेज 31 पर तसवीरें]

कोरिआ की शाखा-समिति। प्राचीन नतीन के समान, आज अन्य भेड़ों के पुरुषों को सच्ची उपासना में वज़नी ज़िम्मेदारियाँ हैं

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