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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1999
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पाठकों के प्रश्‍न

यहोवा के कुछ साक्षियों को नौकरी के लिए कुछ ऐसी जगहों से ऑफर आए हैं जिनका संबंध धार्मिक बिल्डिंग में या उनके अहाते में काम करने से है। ऐसी नौकरियों के बारे में बाइबल क्या कहती है?

ऐसे हालात से शायद उन मसीहियों को जूझना पड़े जो १ तीमुथियुस ५:८ की बात अपने जीवन में पूरी तरह लागू करना चाहते हैं। यह वचन अपने परिवार के लिए भौतिक वस्तुएँ उपलब्ध कराने के महत्त्व पर ज़ोर देता है। हालाँकि मसीहियों को इस सलाह को अमल में लाना चाहिए, मगर यह सलाह इस बात को वाजिब नहीं ठहराती कि वे किसी भी किस्म की नौकरी को स्वीकार कर लें। मसीहियों को परमेश्‍वर की इच्छा से संबंधित दूसरी बातों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए, हर व्यक्‍ति की इच्छा होती है कि वह अपने परिवार की देखभाल करे। लेकिन यह इच्छा इस बात को वाजिब नहीं ठहराएगी कि वह बदचलनी या हत्या के बारे में बाइबल जो कहती है उसके खिलाफ जाए। (उत्पत्ति ३९:४-९; यशायाह २:४; यूहन्‍ना १७:१४, १६ से तुलना कीजिए।) इसके अलावा, यह भी बहुत ज़रूरी है कि मसीही, झूठे धर्म के विश्‍व साम्राज्य यानी बड़े बाबुल से बाहर निकल आने की आज्ञा मानें।—प्रकाशितवाक्य १८:४, ५.

दुनिया-भर में परमेश्‍वर के सेवकों को नौकरी पर तरह-तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। सभी तरह की परिस्थितियों की सूची बनाना, और उनसे कैसे निपटा जाए, इसके नियम बनाने की कोशिश करना न सिर्फ बेमतलब का होगा, बल्कि यह हमारे बस की बात भी नहीं है। (२ कुरिन्थियों १:२४) लेकिन, आइए हम नौकरियों के बारे में फैसला करने के लिए कुछ ऐसी बातों को देखें, जिन पर मसीहियों को विचार करना चाहिए। ये बातें मोटे तौर पर जुलाई १५, १९८२ की अंग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग के एक लेख में दी गयी थीं, जो परमेश्‍वर द्वारा दिए गए विवेक से फायदा उठाने के बारे में था। इस लेख के एक बॉक्स में दो मुख्य सवाल पूछे गए थे और फिर मदद के लिए वहाँ कुछ बातें दी गयी थीं।

पहला मुख्य सवाल है: क्या बाइबल में फलाने काम की निंदा की गयी है? इसके बारे में प्रहरीदुर्ग में लिखा था कि बाइबल चोरी करने, लहू का गलत इस्तेमाल करने और मूर्तिपूजा करने की निंदा करती है। सो, एक मसीही को ऐसी कोई भी नौकरी नहीं करनी चाहिए जो सीधे-सीधे उन कामों को बढ़ावा देती है जिन्हें परमेश्‍वर पसंद नहीं करता। इनमें से कुछ कामों के बारे में हमने अभी ऊपर बताया।

दूसरा सवाल है: क्या ऐसी नौकरी करने से व्यक्‍ति गलत काम का साझेदार बन जाएगा? यह तो साफ है कि अगर कोई व्यक्‍ति किसी जुए के अड्डे, अबॉर्शन क्लिनिक या किसी वेश्‍यालय में नौकरी करता है, तो वह गैर-बाइबलीय कार्य का सहभागी बन जाएगा। चाहे उसका वहाँ हर दिन बस झाड़ू-पोछा मारने या टेलिफोन का जवाब देने का ही काम हो, तौभी वह एक ऐसे काम में सहयोग दे रहा होगा जिसकी निंदा परमेश्‍वर का वचन करता है।

जिन मसीहियों को कोई खास नौकरी करने, न करने के बारे में फैसला करना पड़ता है, उन्होंने पाया है कि सिर्फ इन दोनों सवालों पर ध्यान से विचार करके उन्हें सही नतीजे पर पहुँचने में मदद मिली है।

उदाहरण के लिए, इन दो सवालों से किसी भी व्यक्‍ति को साफ पता चल सकता है कि क्यों एक सच्चा उपासक किसी झूठे धार्मिक संगठन में, जैसे किसी चर्च के लिए, या उसमें नौकरी नहीं करेगा। प्रकाशितवाक्य १८:४ में यह आदेश दिया गया है: “हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो।” अगर कोई व्यक्‍ति झूठी उपासना सिखानेवाले किसी ऐसे धार्मिक संस्थान का कर्मचारी है, तो वह बड़े बाबुल के कामों और पापों का सहभागी होगा। चाहे वह कर्मचारी वहाँ का माली, द्वारपाल, मरम्मत करनेवाला या हिसाब-किताब सँभालनेवाला ही क्यों न हो, उसके काम की वज़ह से ऐसी उपासना को बढ़ावा मिलेगा जो सच्चे धर्म के विरोध में है। इसके अलावा, जब लोग देखेंगे कि यह कर्मचारी चर्च को सुंदर बना रहा है, उसकी मरम्मत कर रहा है, या उस धर्म के हितों के लिए काम कर रहा है, तो वाजिब है कि वे उसे उसी धर्म से जुड़ा हुआ समझेंगे।

मगर उसके बारे में क्या जो किसी चर्च या किसी और धार्मिक संगठन में हर दिन काम करनेवाला कर्मचारी नहीं है? शायद उसे किसी एमरजॆंसी काम के लिए बुलाया जाए, जैसे चर्च के तहखाने में पानी की टूटी पाइप की मरम्मत करने के लिए। क्या ऐसी एमरजॆंसी में काम करना, किसी ठेके पर काम लेने के लिए टेंडर भरने से अलग नहीं होगा, जैसे चर्च की छत पर पत्तरे डालने के लिए या उसे इंसुलेट करने के लिए?

एक बार फिर, ऐसी बहुत-सी परिस्थितियाँ हैं जिनके बारे में सोचा जा सकता है। सो आइए हम उस प्रहरीदुर्ग में दी गयी पाँच अतिरिक्‍त बातों को दोहराएँ:

१. क्या यह नौकरी महज़ मानव-सेवा है जिस पर बाइबल कोई आपत्ति नहीं उठाती? चलिए एक पोस्टमैन का उदाहरण लेते हैं। अगर वह किसी ऐसे इलाके में चिट्ठी-पत्री बाँटता है जहाँ कोई चर्च है या फिर अबॉर्शन क्लिनिक है, तो यह बिलकुल भी नहीं कहा जा सकता कि वह किसी गलत काम को बढ़ावा दे रहा है। परमेश्‍वर के बनाए हुए सूरज की रोशनी तो सभी इमारतों की खिड़कियों से अंदर जाती है, चाहे वह चर्च हो या कोई अबॉर्शन क्लिनिक। (प्रेरितों १४:१६, १७) अगर एक मसीही एक पोस्टमैन है, तो वह यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि वह तो बस हर दिन मानव-सेवा कर रहा है। यही बात उस मसीही के साथ भी सच है जो किसी एमरजॆंसी के लिए जाता है—शायद वह नलसाज़ हो और उसे किसी चर्च में पानी भर जाने से रोकने के लिए बुलाया गया हो या फिर वह एम्बुलेंस का अटॆंडॆंट हो और उसे चर्च की सभा के दौरान बेहोश हुए किसी व्यक्‍ति का इलाज करने के लिए बुलाया गया हो। वह शायद इसके बारे में यही सोचे कि इंसानियत के नाते उसने मुसीबत के वक्‍त किसी की मदद की है।

२. जो काम किया जाता है, उस पर व्यक्‍ति का किस हद तक वश चलता है? अगर किसी मसीही की अपनी दुकान है, तो वह मूर्तियाँ, जादू-टोना से संबंधी तावीज़ें, सिग्रॆट, या लहू से बने सॉसेज की ऑर्डर नहीं लेगा, और न ही उन्हें मँगाकर बेचेगा। क्योंकि वह खुद दुकान का मालिक है, सो सब कुछ उसके हाथ में है। लोग शायद उसे सिग्रॆट या मूर्तियाँ बेचकर मुनाफा कमाने के लिए उकसाएँ, मगर वह अपने बाइबल के विश्‍वास के अनुसार काम करेगा। दूसरी तरफ, एक ऐसे मसीही को लीजिए जो खाद्य-पदार्थों की किसी बड़ी दुकान में काम करता है। उसे शायद कैश रजिस्टर सँभालने, फर्श पॉलिश करने या बुक-कीपिंग करने का काम दिया जाए। कौन-कौन-से सामान मँगाकर बेचे जाते हैं, यह उसके हाथ में नहीं है। चाहे उनमें से कुछ सामान आपत्तिजनक भी क्यों न हों, जैसे सिग्रॆट या त्योहारों में इस्तेमाल की जानेवाली चीज़ें, फिर भी इस पर उसका वश नहीं है।a (लूका ७:८; १७:७, ८ से तुलना कीजिए।) यही बात अगली परिस्थिति से ताल्लुक रखती है।

३. व्यक्‍ति इसमें किस हद तक शामिल होता है? आइए हम फिर से उस दुकान के उदाहरण पर गौर करें। कैश रजिस्टर सँभालनेवाले या शॆल्फ में सामान रखनेवाले कर्मचारी से शायद कभी-कभार ही सिग्रॆट या त्योहार में इस्तेमाल की जानेवाली चीज़ों को सँभालने के लिए कहा जाए; यह उसके बाकी सभी काम का बस एक छोटा-सा भाग है। दूसरी तरफ, इस व्यक्‍ति का काम उसी दुकान में उस कर्मचारी के काम से बहुत ही अलग होगा जो तंबाकू का काउंटर सँभालता हो! हर रोज़ पूरा दिन वह ऐसा काम करता रहता है जो मसीही विश्‍वास के खिलाफ है। (२ कुरिन्थियों ७:१) यह परिस्थिति दिखाती है कि किसी नौकरी के बारे में फैसला करने से पहले, इस बात को ज़रूर आँक लेना चाहिए कि उस काम में हमें किस हद तक शामिल होना पड़ेगा या कितना लेन-देन रखना पड़ेगा।

४. तनख्वाह कौन दे रहा है या कहाँ काम करना है? दो परिस्थितियों पर गौर कीजिए। लोगों को अपनी तरफ खींचने के लिए, एक अबॉर्शन क्लिनिक अपनी आस-पास की सड़कों की साफ-सफाई करने के लिए किसी आदमी को काम पर रखती है। इस आदमी को उसकी तनख्वाह अबॉर्शन क्लिनिक से मिलती है, लेकिन वह उसमें काम तो नहीं करता है, ना ही पूरा दिन क्लिनिक में उसे कोई काम करते हुए देखता है। इसके बजाय, चाहे उसे जो भी तनख्वाह दे, लोग उसे जनता के लिए कार्य करते हुए देखते हैं, जो अपने आप में बाइबल के खिलाफ नहीं है। अब इसके विपरीत एक स्थिति पर गौर कीजिए। किसी ऐसे देश में जहाँ वेश्‍यावृत्ति कानूनन जुर्म नहीं है, वहाँ पब्लिक हैल्थ सर्विस किसी नर्स को वेश्‍यालयों में काम करने के लिए तनख्वाह देती है, ताकि वह वहाँ लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियों को कम करने के इरादे से स्वास्थ्य जाँच करे। हालाँकि नर्स को तनख्वाह पब्लिक हैल्थ सर्विस से मिलती है, मगर वह पूरी तरह से वेश्‍यालय में ही काम करती है और उसका काम है अनैतिकता को ज़्यादा सुरक्षित, ज़्यादा स्वीकार्य बनाना। ये उदाहरण दिखाते हैं कि इन बातों पर क्यों विचार किया जाना चाहिए कि तनख्वाह कौन दे रहा है और काम कहाँ किया जा रहा है।

५. इस काम का क्या असर होगा; क्या इससे हमारा विवेक हमें कचोटेगा या क्या दूसरे इससे ठोकर खाएँगे? अपने और दूसरों के विवेक के बारे में ध्यान दिया जाना चाहिए। अगर ज़्यादातर मसीहियों को कोई खास नौकरी (जिसमें काम करने की जगह और तनख्वाह किससे मिलती है, शामिल है) ठीक भी लगे, तौभी शायद एक व्यक्‍ति को लगे कि यह नौकरी उसके विवेक को कचोटेगी। बहुत ही बढ़िया मिसाल रखनेवाले प्रेरित पौलुस ने कहा: “हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; और हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैं।” (इब्रानियों १३:१८) हमें ऐसे काम नहीं करने चाहिए जिससे हम परेशान हो जाएँ; साथ ही, अगर किसी और व्यक्‍ति का विवेक उसे यह काम करने की अनुमति देता है तो हमें उसकी निंदा भी नहीं करनी चाहिए। दूसरी तरफ, किसी खास नौकरी के बारे में एक मसीही को शायद लगे कि वह बाइबल के विरोध में नहीं है, लेकिन वह यह भी महसूस करता है कि इससे कलीसिया और समाज के कई लोग परेशान होंगे। पौलुस ने सही नज़रिया दिखाया जब उसने कहा: “हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए। परन्तु हर बात से परमेश्‍वर के सेवकों की नाईं अपने सद्‌गुणों को प्रगट करते हैं।”—२ कुरिन्थियों ६:३, ४.

आइए हम फिर से चर्च में काम करने के बारे में उस खास सवाल को देखते हैं, जैसे चर्च में नयी खिड़कियाँ लगाना, कालीनें साफ करना, या कोई और मरम्मत करना। यहाँ चर्चा की गयी पाँच बातें कैसे शामिल हो सकती हैं?

अधिकार के मामले को फिर से याद कीजिए। क्या वह मसीही एक मालिक या मैनेजर है जो यह फैसला कर सकता है कि वह चर्च के ऐसे काम करेगा या नहीं? क्या एक मसीही, जिसके पास ऐसा अधिकार है, झूठी उपासना को बढ़ावा देनेवाले किसी धर्म की मदद करने के लिए कोई नौकरी करेगा या कोई ठेके पर काम लेने के लिए टेंडर भरेगा, और इस तरह बड़े बाबुल का कोई हिस्सा बनना चाहेगा? क्या यह अपनी दुकान में सिग्रॆट या मूर्तियाँ बेचने का फैसला करने के बराबर नहीं होगा?—२ कुरिन्थियों ६:१४-१६.

अगर एक मसीही ऐसी नौकरी करता है जहाँ उसे यह फैसला करने का अधिकार नहीं है कि किस तरह के काम स्वीकार किए जाते हैं, तब दूसरी बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए, जैसे काम की जगह कहाँ होगी और किस हद तक उसे खुद को शामिल करना होगा। क्या कर्मचारी से बस इतना ही कहा जाता है कि किसी अवसर के लिए नयी कुर्सियाँ पहुँचाए या उन्हें वहाँ सजाए, या फिर मानव-सेवा करे, जैसे आग के फैलने से पहले किसी चर्च में आग बुझाने के लिए एक फायरमैन से कहा जाता है? कई लोगों की नज़रों में यह उस काम से अलग होगा, जहाँ बिज़नॆस करनेवाले एक कर्मचारी को चर्च की रंगाई करने के लिए काफी समय बिताना पड़ता है या चर्च को खूबसूरत बनाने के लिए बार-बार बागवानी करनी पड़ती है। इस तरह का लगातार या काफी समय तक संपर्क रखने से मुमकिन है कि कई लोग उसे उसी धर्म से जुड़ा हुआ समझेंगे, जिसका भाग न होने की बात वह करता है। इससे दूसरों लोगों को ठोकर खिलाने की गुंजाइश बढ़ जाएगी।—मत्ती १३:४१; १८:६, ७.

हमने नौकरी के बारे में कई ज़रूरी मुद्दों को देखा है। इन्हें झूठे धर्म से संबंधित खास सवाल की चर्चा करते हुए पेश किया गया था। फिर भी, दूसरी तरह की नौकरियों के लिए भी इन पर उतना ही ध्यान दिया जा सकता है। हर मामले में, प्रार्थना के साथ विचार किया जाना चाहिए, और जिस स्थिति का सामना किया जा रहा है, उसकी खास और शायद अनोखी बातों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। जो बातें यहाँ बतायी गयीं हैं, इनसे कई नेकदिल मसीहियों को सोच-समझकर फैसले करने में मदद मिल चुकी है। उन्होंने ऐसा फैसला किया है जिससे यहोवा के सामने सीधे और खरे मार्ग पर चलने की उनकी इच्छा झलकती है।—नीतिवचन ३:५, ६; यशायाह २:३; इब्रानियों १२:१२-१४.

[फुटनोट]

a अस्पतालों में काम करनेवाले कुछ मसीहियों को अधिकार के इस मुद्दे का सामना करना पड़ा है। एक डॉक्टर के पास किसी रोगी को दवा देने का या किस प्रकार इलाज किया जाना है, यह कहने का अधिकार होगा। रोगी को अगर एतराज़ न भी हो, तो भी एक मसीही डॉक्टर, जिसके पास अधिकार है, खून चढ़ाने या गर्भपात करने का आदेश कैसे देगा, यह जानते हुए कि बाइबल इन मामलों पर क्या कहती है? इसके विपरीत, अस्पताल में काम करनेवाली एक नर्स के पास ऐसे मामले पर कोई अधिकार नहीं होता। अपना हर रोज़ का काम करते वक्‍त, डॉक्टर शायद उसे खास मकसद से किसी व्यक्‍ति के खून की जाँच करने या गर्भपात के लिए आयी हुई किसी रोगी की देखभाल करने के लिए कहे। २ राजा ५:१७-१९ में दिए गए उदाहरण के मुताबिक, वह नर्स शायद इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि क्योंकि उसके पास खून चढ़ाने या गर्भपात करने का आदेश देने का अधिकार नहीं है, सो वह रोगी के लिए मानव-सेवा का अपना काम कर सकती है। फिर भी, उसे अपने विवेक की ओर भी ध्यान देना होगा, ताकि वह ‘परमेश्‍वर के सामने सच्चे विवेक से जीवन बिताए।’—प्रेरितों २३:१.

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