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हमारी पत्रिकाएँ किन लोगों को दिलचस्प लगेंगी?

1. जब हम खुद प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ पढ़ते हैं, तब हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए और क्यों?

1 प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाएँ पूरी दुनिया के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार की जाती हैं। इसीलिए इनमें अलग-अलग विषयों पर जानकारी दी होती है। जब हम खुद पत्रिका पढ़ते हैं, तो हमें ध्यान देने की ज़रूरत है कि कौन-सा लेख किन लोगों को दिलचस्प लगेगा। फिर हमें ज़रूर उन्हें यह पत्रिका पेश करनी चाहिए।

2. हमारी पत्रिकाओं में आए कौन-से लेख दूसरों को दिलचस्प लग सकते हैं?

2 क्या हाल में आयी प्रहरीदुर्ग में ऐसा कोई लेख आया है, जिसके बारे में आपने साथ काम करनेवाले व्यक्‍ति से कभी बात की हो? क्या परिवार के बारे में कोई लेख आया है, जिससे आपके रिश्‍तेदारों को मदद मिल सकती है? क्या आपके दोस्तों में कोई ऐसा है, जिसने ऐसी जगह जाने की योजना बनायी है जिसके बारे में सजग होइए! में दिया गया है? क्या कोई पत्रिका ऐसी है, जो आपके इलाके में किसी खास पेशे से जुड़ी संस्था या सरकारी संगठन को दिलचस्प लग सकती है। मिसाल के लिए हो सकता है कि पत्रिका में कोई ऐसा लेख आए, जो बताता है कि बुज़ुर्ग लोग किस तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं, आप इसे वृद्धाश्रम या अस्पताल जैसी जगहों में इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस या कानून से जुड़े संगठन शायद उन लेखों को पढ़ना पसंद करें, जो अपराध या जुर्म जैसे विषयों के बारे में चर्चा करते हैं।

3. पत्रिका का खास अंक पेश करने पर मिला कोई अनुभव बताइए।

3 नतीजे: दक्षिण भारत की एक मंडली के अनुभव पर गौर कीजिए। तमिलनाडु में एक मंडली ने अक्टूबर-दिसंबर 2011 की सजग होइए! पत्रिका मिलते ही जिसका विषय था, “कैसे बनाएँ बच्चों को ज़िम्मेदार” ऐसे इलाके में जाकर इस पत्रिका को बाँटने की योजना बनायी, जहाँ पहले उन्हें सजग होइए! पत्रिका को लेकर विरोध का सामना करना पड़ा था। वे वहाँ के सभी परिवारों से मिले और उन्हें बताया कि “वे सजग होइए! पत्रिका का एक खास अंक बाँट रहे हैं, जो बताता है कि माता-पिता कैसे बच्चों को ज़िम्मेदार बनना सिखा सकते हैं।” पहले ही दिन उन्होंने इस पत्रिका की 200 कॉपियाँ बाँटीं। अगले दो महीनों के दौरान इस पूरे इलाके में जहाँ पिछले 6 सालों से प्रचार नहीं किया गया था, वहाँ उन्होंने 600 से ज़्यादा पत्रिकाएँ पेश कीं।

4. हम पत्रिकाओं को क्यों ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक पहुँचाना चाहते हैं?

4 हमारी पत्रिकाएँ मामलों की तह तक जाकर बताती हैं कि हो रही घटनाओं की असली वजह क्या है और इससे हम क्या सीख सकते हैं। साथ ही, ये बाइबल और परमेश्‍वर के राज की तरफ हमारा ध्यान दिलाती हैं। पूरी दुनिया में सिर्फ यही पत्रिकाएँ हैं जो “उद्धार का सन्देश” देती हैं। (यशा. 52:7) इसलिए ज़रूरी है कि हम ये पत्रिकाएँ ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक पहुँचाए। ऐसा करने का सबसे बढ़िया तरीका है खुद से पूछना कि हमारी पत्रिकाएँ “किन लोगों को दिलचस्प लगेंगी?”

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