मिलते-जुलते लेख w94 1/1 पेज 16-21 प्रहरीदुर्ग और अवेक!—सत्य की समयोचित पत्रिकाएँ पत्रिकाओं की पेशकश को अपनी सेवा का अहम हिस्सा बनाइए हमारी राज-सेवा—2005 सुसमाचार की भेंट—पत्रिकाओं के साथ हमारी राज-सेवा—1990 पत्रिकाएँ राज्य की घोषणा करती हैं हमारी राज-सेवा—1998 क्या आप हमारी पत्रिकाओं को पढ़ते हैं? हमारी राज-सेवा—1998 प्रहरीदुर्ग और अवेक!—सत्य की पत्रिकाएँ हमारी राज-सेवा—1994 ऐसे लेख चुनिए जो लोगों को खास पसंद आएँ हमारी राज-सेवा—1998 हमारी पत्रिकाओं का सर्वोत्तम प्रयोग कीजिए हमारी राज-सेवा—1996 पत्रिका कार्य के लिए समय अलग रखिए हमारी राज-सेवा—1993 सत्य को बाँटने के लिए पत्रिकाओं का प्रयोग कीजिए हमारी राज-सेवा—1994 सत्य की गवाही देनेवाली पत्रिकाओं को पेश कीजिए हमारी राज-सेवा—2007