वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • भजन 57:उपरिलेख-11
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब दाविद शाऊल से भागकर गुफा में जा छिपा था।+

      57 हे परमेश्‍वर, मुझ पर कृपा कर, कृपा कर,

      क्योंकि मैं तेरी पनाह में आया हूँ,+

      जब तक मुसीबतें टल नहीं जातीं, मैं तेरे पंखों की छाँव तले पनाह लूँगा।+

       2 मैं परम-प्रधान परमेश्‍वर को पुकारता हूँ,

      सच्चे परमेश्‍वर को, जो मेरी मुसीबतों का अंत कर देता है।

       3 वह स्वर्ग से मेरी मदद करेगा, मुझे बचाएगा।+

      वह उसे नाकाम कर देगा जो मुझे काटने को दौड़ता है। (सेला )

      परमेश्‍वर अपने अटल प्यार और वफादारी का सबूत देगा।+

       4 मैं शेरों से घिरा हुआ हूँ,+

      मुझे ऐसे आदमियों के बीच लेटना पड़ता है जो मुझे फाड़ खाना चाहते हैं,

      जिनके दाँत भाले और तीर हैं,

      जिनकी जीभ तेज़ तलवार है।+

       5 हे परमेश्‍वर, तेरी महिमा आसमान के ऊपर हो,

      तेरा वैभव पूरी धरती के ऊपर फैल जाए।+

       6 दुश्‍मनों ने मेरे पैरों के लिए जाल बिछाया है,+

      मैं दुखों के बोझ से झुक गया हूँ।+

      उन्होंने मुझे गिराने के लिए गड्‌ढा खोदा,

      मगर खुद उसमें गिर पड़े।+ (सेला )

       7 हे परमेश्‍वर, मेरा दिल अटल है,+

      मेरा दिल अटल है।

      मैं गीत गाऊँगा, संगीत बजाऊँगा।

       8 हे मेरे मन, जाग!

      हे तारोंवाले बाजे और सुरमंडल, तुम भी जागो!

      मैं भोर को जगाऊँगा।+

       9 हे यहोवा, मैं देश-देश के लोगों के बीच तेरी तारीफ करूँगा,+

      राष्ट्रों के बीच तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*+

      10 क्योंकि तेरा अटल प्यार क्या ही महान है,

      आसमान जितना ऊँचा है,+

      तेरी वफादारी आकाश की बुलंदियाँ छूती है।

      11 हे परमेश्‍वर, तेरी महिमा आसमान के ऊपर हो,

      तेरा वैभव पूरी धरती के ऊपर फैल जाए।+

  • भजन 142:उपरिलेख-7
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • मश्‍कील।* दाविद का यह गीत उस समय का है जब वह एक गुफा में था।+ एक प्रार्थना।

      142 मैं मदद के लिए यहोवा को पुकारता हूँ+

      मैं दया के लिए यहोवा से गिड़गिड़ाता हूँ।

       2 उसे अपनी सारी चिंताएँ खुलकर बताता हूँ,

      अपने मन की पीड़ा बताता हूँ।+

       3 जब मेरी ताकत जवाब दे जाती है,

      तब तू मेरी राह पर नज़र रखता है।+

      मैं जिस रास्ते पर चलता हूँ,

      वहाँ मेरे दुश्‍मन मेरे लिए फंदा छिपाते हैं।

       4 मेरे दायीं तरफ देख,

      कोई मेरी परवाह नहीं करता।*+

      ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ मैं भाग सकूँ,+

      मेरी फिक्र करनेवाला कोई नहीं।

       5 हे यहोवा, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ।

      मैं कहता हूँ, “तू मेरी पनाह है,+

      मेरे जीते जी* तू ही मेरा सबकुछ* है।”

       6 मेरी मदद की पुकार पर ध्यान दे,

      क्योंकि मैं बड़ी मुसीबत में हूँ।

      मुझ पर ज़ुल्म करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,+

      क्योंकि वे मुझसे ज़्यादा ताकतवर हैं।

       7 मुझे इस काल-कोठरी से बाहर निकाल

      ताकि मैं तेरे नाम की तारीफ करूँ।

      नेक लोग मेरे चारों तरफ इकट्ठा हों

      क्योंकि तू मेरे साथ कृपा से पेश आता है।

हिंदी साहित्य (1972-2025)
लॉग-आउट
लॉग-इन
  • हिंदी
  • दूसरों को भेजें
  • पसंदीदा सेटिंग्स
  • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
  • इस्तेमाल की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • गोपनीयता सेटिंग्स
  • JW.ORG
  • लॉग-इन
दूसरों को भेजें