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भजन 57:उपरिलेख-11पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब दाविद शाऊल से भागकर गुफा में जा छिपा था।+
57 हे परमेश्वर, मुझ पर कृपा कर, कृपा कर,
क्योंकि मैं तेरी पनाह में आया हूँ,+
जब तक मुसीबतें टल नहीं जातीं, मैं तेरे पंखों की छाँव तले पनाह लूँगा।+
2 मैं परम-प्रधान परमेश्वर को पुकारता हूँ,
सच्चे परमेश्वर को, जो मेरी मुसीबतों का अंत कर देता है।
3 वह स्वर्ग से मेरी मदद करेगा, मुझे बचाएगा।+
वह उसे नाकाम कर देगा जो मुझे काटने को दौड़ता है। (सेला )
परमेश्वर अपने अटल प्यार और वफादारी का सबूत देगा।+
मुझे ऐसे आदमियों के बीच लेटना पड़ता है जो मुझे फाड़ खाना चाहते हैं,
जिनके दाँत भाले और तीर हैं,
जिनकी जीभ तेज़ तलवार है।+
उन्होंने मुझे गिराने के लिए गड्ढा खोदा,
मगर खुद उसमें गिर पड़े।+ (सेला )
मैं गीत गाऊँगा, संगीत बजाऊँगा।
8 हे मेरे मन, जाग!
हे तारोंवाले बाजे और सुरमंडल, तुम भी जागो!
मैं भोर को जगाऊँगा।+
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भजन 142:उपरिलेख-7पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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मश्कील।* दाविद का यह गीत उस समय का है जब वह एक गुफा में था।+ एक प्रार्थना।
मैं जिस रास्ते पर चलता हूँ,
वहाँ मेरे दुश्मन मेरे लिए फंदा छिपाते हैं।
ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ मैं भाग सकूँ,+
मेरी फिक्र करनेवाला कोई नहीं।
5 हे यहोवा, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ।
6 मेरी मदद की पुकार पर ध्यान दे,
क्योंकि मैं बड़ी मुसीबत में हूँ।
मुझ पर ज़ुल्म करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,+
क्योंकि वे मुझसे ज़्यादा ताकतवर हैं।
7 मुझे इस काल-कोठरी से बाहर निकाल
ताकि मैं तेरे नाम की तारीफ करूँ।
नेक लोग मेरे चारों तरफ इकट्ठा हों
क्योंकि तू मेरे साथ कृपा से पेश आता है।
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