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  • 2 शमूएल 11:4
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 4 फिर दाविद ने उस औरत को लाने के लिए अपने दूत भेजे।+ जब वह औरत आयी तो दाविद ने उसके साथ संबंध रखे।+ (उस वक्‍त वह औरत अपनी अशुद्धता* दूर करने के लिए खुद को शुद्ध कर रही थी।)+ इसके बाद वह अपने घर लौट गयी।

  • 2 शमूएल 11:15
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 15 दाविद ने चिट्ठी में यह लिखा था: “उरियाह को युद्ध में सबसे आगे की कतार में रखना जहाँ घमासान लड़ाई हो रही हो। फिर तुम सब पीछे हट जाना ताकि दुश्‍मन उस पर हमला करके उसे मार डालें।”+

  • भजन 51:उपरिलेख-19
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • निर्देशक के लिए हिदायत। दाविद का यह सुरीला गीत उस समय का है जब उसने बतशेबा+ के साथ संबंध रखकर पाप किया था और उसके बाद भविष्यवक्‍ता नातान उसके पास आया था।

      51 हे परमेश्‍वर, अपने अटल प्यार के मुताबिक मुझ पर रहम कर।+

      अपनी बड़ी दया के मुताबिक मेरे अपराध मिटा दे।+

       2 मेरा दोष पूरी तरह धो दे,+

      मेरे पाप दूर करके मुझे शुद्ध कर दे।+

       3 क्योंकि मुझे अपने अपराधों का पूरा-पूरा एहसास है,

      मेरा पाप हमेशा मेरे सामने* रहता है।+

       4 मैंने तेरे खिलाफ, हाँ, सबसे बढ़कर तेरे खिलाफ* पाप किया है,+

      मैंने तेरी नज़र में बुरा काम किया है।+

      इसलिए तू जो बोलता है वह सही है,

      तेरा न्याय सच्चा है।+

       5 देख! मैं जन्म से ही पाप का दोषी हूँ,

      जब मैं माँ के गर्भ में पड़ा तब से मुझमें पाप है।*+

       6 देख! तू ऐसे इंसान से खुश होता है जो दिल का सच्चा है,+

      मेरे मन को सच्ची बुद्धि की बातें सिखा।

       7 मरुए से पानी छिड़ककर मेरा पाप दूर कर दे ताकि मैं शुद्ध हो जाऊँ,+

      मुझे धोकर साफ कर दे ताकि मैं बर्फ से भी उजला हो जाऊँ।+

       8 मुझे खुशियाँ और जश्‍न मनाने की आवाज़ सुनने दे

      ताकि जो हड्डियाँ तूने चकनाचूर कर दी हैं, उनमें उमंग भर जाए।+

       9 तू मेरे पापों से अपना मुँह फेर ले,+

      मेरे सारे गुनाह पोंछकर मिटा दे।+

      10 हे परमेश्‍वर, मेरे अंदर एक साफ दिल पैदा कर,+

      मन का एक नया रुझान+ दे कि मैं अटल बना रहूँ।

      11 तू मुझे अपने सामने से दूर न कर,

      मुझ पर से अपनी पवित्र शक्‍ति न हटा।

      12 तूने मेरा उद्धार करके मुझे जो खुशियाँ दी थीं वे मुझे लौटा दे,+

      मेरे अंदर ऐसी इच्छा जगा कि मैं तेरी आज्ञा मानूँ।

      13 मैं अपराधियों को तेरी राहों के बारे में सिखाऊँगा+

      ताकि वे पापी तेरे पास लौट आएँ।

      14 हे परमेश्‍वर, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर,+ खून का दोष मुझ पर से मिटा दे+

      ताकि मेरी जीभ खुशी-खुशी तेरी नेकी का ऐलान करे।+

      15 हे यहोवा, मुझे बोलने की इजाज़त दे

      ताकि मैं तेरी तारीफ करूँ।+

      16 तू कोई बलिदान नहीं चाहता वरना मैं ज़रूर चढ़ाता,+

      तू पूरी होम-बलि से खुश नहीं होता।+

      17 टूटा मन ऐसा बलिदान है जो परमेश्‍वर को भाता है,

      हे परमेश्‍वर, तू टूटे और कुचले हुए दिल को नहीं ठुकराएगा।*+

      18 अपनी कृपा दिखाकर सिय्योन का भला कर,

      यरूशलेम की शहरपनाह को मज़बूत कर।

      19 तब तू नेकी के बलिदानों से,

      होम-बलियों और पूरे चढ़ावे से खुश होगा,

      तब तेरी वेदी पर बैल अर्पित किए जाएँगे।+

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