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  • 1 तीमुथियुस 5
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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1 तीमुथियुस का सारांश

      • जवानों और बुज़ुर्गों के साथ कैसे पेश आएँ (1, 2)

      • विधवाओं की मदद करना (3-16)

        • अपने घर के लोगों की देखभाल करना (8)

      • मेहनती प्राचीनों का आदर करो (17-25)

        • ‘अपने पेट के लिए थोड़ी दाख-मदिरा’ (23)

1 तीमुथियुस 5:1

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    12/1/1987, पेज 26

1 तीमुथियुस 5:3

फुटनोट

  • *

    यानी जिनकी मदद करनेवाला कोई नहीं है।

  • *

    शा., “आदर कर।”

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1 तीमुथियुस 5:5

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 11

1 तीमुथियुस 5:7

फुटनोट

  • *

    या “आज्ञाएँ।”

1 तीमुथियुस 5:8

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1 तीमुथियुस 5:9

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1 तीमुथियुस 5:10

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/2006, पेज 6-7

    10/15/1995, पेज 32

1 तीमुथियुस 5:11

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 11

1 तीमुथियुस 5:12

फुटनोट

  • *

    या “पहले जो वादा किया था।”

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 11

1 तीमुथियुस 5:13

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    प्रहरीदुर्ग

1 तीमुथियुस 5:14

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1 तीमुथियुस 5:15

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    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2011, पेज 18-19

1 तीमुथियुस 5:16

फुटनोट

  • *

    यानी जिनकी मदद करनेवाला कोई नहीं है।

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  • +व्य 15:11; 1ती 5:5; याकू 1:27

1 तीमुथियुस 5:17

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    प्रहरीदुर्ग,

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1 तीमुथियुस 5:18

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    प्रहरीदुर्ग,

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1 तीमुथियुस 5:19

फुटनोट

  • *

    या “प्राचीन।”

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    प्रहरीदुर्ग,

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1 तीमुथियुस 5:20

फुटनोट

  • *

    शा., “बाकी लोग भी डरें।”

संबंधित आयतें

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    संगठित, पेज 149

1 तीमुथियुस 5:21

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1 तीमुथियुस 5:22

फुटनोट

  • *

    यानी ज़िम्मेदारी के पद पर ठहराने में।

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1 तीमुथियुस 5:23

फुटनोट

  • *

    या “सिर्फ पानी मत पीया कर।”

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  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 43

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2015, पेज 25-26

1 तीमुथियुस 5:24

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1 तीमुथियुस 5:25

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दूसरें अनुवाद

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दूसरी

1 तीमु. 5:1लैव 19:32
1 तीमु. 5:31ती 5:16
1 तीमु. 5:41ती 5:8
1 तीमु. 5:4मत 15:4; इफ 6:2
1 तीमु. 5:4याकू 1:27
1 तीमु. 5:51कुर 7:34
1 तीमु. 5:5लूक 2:36, 37
1 तीमु. 5:8मत 15:4-6
1 तीमु. 5:10प्रेष 9:39
1 तीमु. 5:101ती 2:15
1 तीमु. 5:10इब्र 13:2; 1पत 4:9
1 तीमु. 5:10यूह 13:5, 14
1 तीमु. 5:101ती 5:16; याकू 1:27
1 तीमु. 5:132थि 3:11
1 तीमु. 5:141ती 2:15
1 तीमु. 5:141कुर 7:8, 9
1 तीमु. 5:16व्य 15:11; 1ती 5:5; याकू 1:27
1 तीमु. 5:171पत 5:2, 3
1 तीमु. 5:17प्रेष 28:10; इब्र 13:17
1 तीमु. 5:171थि 5:12; इब्र 13:7
1 तीमु. 5:18व्य 25:4; 1कुर 9:7, 9
1 तीमु. 5:18लैव 19:13; मत 10:9, 10; लूक 10:7; गल 6:6
1 तीमु. 5:19व्य 19:15; मत 18:16
1 तीमु. 5:201कुर 15:34; 1यूह 3:9
1 तीमु. 5:20तीत 1:7, 9, 13; प्रक 3:19
1 तीमु. 5:21लैव 19:15; याकू 3:17
1 तीमु. 5:22प्रेष 6:5, 6; 14:23; 1ती 3:2, 6; 4:14
1 तीमु. 5:24यह 7:11; इब्र 4:13
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1 तीमु. 5:251कुर 4:5
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
1 तीमुथियुस 5:1-25

तीमुथियुस के नाम पहली चिट्ठी

5 किसी बुज़ुर्ग आदमी को सख्ती से मत डाँट।+ इसके बजाय, उसे अपना पिता जानकर प्यार से समझा, जवानों को भाई, 2 बुज़ुर्ग औरतों को माँ और कम उम्र की औरतों को बहनें जानकर पूरी पवित्रता के साथ समझा।

3 जो विधवाएँ सचमुच ज़रूरतमंद हैं* उनका ध्यान रख।*+ 4 लेकिन अगर किसी विधवा के बच्चे या नाती-पोते हैं, तो वे पहले अपने घर के लोगों की देखभाल करके परमेश्‍वर के लिए अपनी भक्‍ति दिखाएँ।+ वे अपने माता-पिता और उनके माता-पिता को उनका हक चुकाएँ+ क्योंकि ऐसा करना परमेश्‍वर को भाता है।+ 5 जो विधवा सचमुच ज़रूरतमंद और बेसहारा है, वह परमेश्‍वर पर आशा रखती है+ और रात-दिन मिन्‍नतों और प्रार्थनाओं में लगी रहती है।+ 6 मगर जो शरीर की इच्छाएँ पूरी करने में लगी रहती है वह ज़िंदा होते हुए भी मरी हुई है। 7 इसलिए उन्हें ये हिदायतें* देता रह ताकि कोई उन पर उँगली न उठा सके। 8 बेशक अगर कोई अपनों की, खासकर अपने घर के लोगों की देखभाल नहीं करता, तो वह विश्‍वास से मुकर गया है और अविश्‍वासी से भी बदतर है।+

9 उसी विधवा का नाम सूची में लिखा जाए जिसकी उम्र 60 साल से ज़्यादा है, जो एक ही पति की पत्नी रही हो, 10 भले काम करने के लिए जानी जाती हो,+ जिसने अपने बच्चों की अच्छी परवरिश की हो,+ जिसने मेहमान-नवाज़ी की हो,+ पवित्र जनों के पैर धोए हों,+ जो मुसीबत में थे उनकी मदद की हो+ और जिसने हर भला काम करने में मेहनत की हो।

11 दूसरी तरफ, जवान विधवाओं का नाम सूची में मत लिख क्योंकि जब उनकी यौन-इच्छाएँ मसीह की सेवा में उनके लिए रुकावट बन जाती हैं, तो वे शादी करना चाहती हैं। 12 वे दोषी ठहरेंगी क्योंकि उन्होंने पहले जो विश्‍वास ज़ाहिर किया था* अब वे उसके खिलाफ जाती हैं। 13 साथ ही उन्हें खाली रहने और घर-घर घूमने की आदत पड़ जाती है। हाँ, वे न सिर्फ खाली रहती हैं बल्कि उन्हें गप्पे लड़ाने की आदत पड़ जाती है और वे दूसरों के मामलों में दखल देती रहती हैं।+ वे ऐसी बातों के बारे में बोलती हैं जो उन्हें नहीं बोलनी चाहिए। 14 इसलिए मैं यही चाहता हूँ कि जवान विधवाएँ शादी करें,+ बच्चे पैदा करें+ और घर-गृहस्थी सँभालें ताकि विरोधियों को हमारे बारे में बुरा-भला कहने का मौका न दें। 15 दरअसल, कुछ तो भटककर शैतान के पीछे हो चुकी हैं। 16 अगर किसी विश्‍वासी औरत के परिवार में विधवाएँ हैं, तो वह उनकी मदद करे और मंडली पर उनका बोझ न डाले। तब मंडली ऐसी विधवाओं की मदद कर पाएगी जो सचमुच ज़रूरतमंद हैं।*+

17 जो प्राचीन बढ़िया तरीके से अगुवाई करते हैं,+ वे दुगने आदर के योग्य समझे जाएँ।+ खासकर वे जो बोलने और सिखाने में कड़ी मेहनत करते हैं।+ 18 इसलिए कि शास्त्र कहता है, “तुम अनाज की दँवरी करते बैल का मुँह न बाँधना”+ और यह भी कि “काम करनेवाला मज़दूरी पाने का हकदार है।”+ 19 किसी भी बुज़ुर्ग आदमी* पर लगाए गए इलज़ाम पर तब तक यकीन न करना, जब तक दो या तीन गवाह सबूत न दें।+ 20 जो पाप में लगे रहते हैं,+ उन्हें सबके सामने फटकार+ ताकि बाकी लोगों को चेतावनी मिले।* 21 मैं तुझे परमेश्‍वर और मसीह यीशु और चुने हुए स्वर्गदूतों के सामने पूरी गंभीरता से हुक्म देता हूँ कि पहले से कोई राय कायम किए बिना और पक्षपात किए बिना इन हिदायतों को मान।+

22 कभी किसी आदमी पर हाथ रखने में* जल्दबाज़ी मत कर।+ न ही दूसरों के पापों में हिस्सेदार बन, अपना चरित्र साफ बनाए रख।

23 अब से पानी मत पीया कर,* बल्कि अपने पेट के लिए और बार-बार की बीमारी की वजह से थोड़ी दाख-मदिरा पीया कर।

24 कुछ लोगों के पाप सरेआम मालूम पड़ जाते हैं और उन्हें तुरंत सज़ा मिलती है, मगर दूसरों के पाप भी ज़ाहिर हो जाते हैं, चाहे बाद में ही सही।+ 25 उसी तरह, अच्छे काम भी सरेआम मालूम पड़ जाते हैं+ और जो अच्छे काम ज़ाहिर नहीं होते, वे भी छिपाए नहीं जा सकते।+

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