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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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इफिसियों का सारांश

      • हमें ज़िंदा करके मसीह के साथ एक किया (1-10)

      • अलग करनेवाली दीवार ढा दी गयी (11-22)

इफिसियों 2:1

संबंधित आयतें

  • +कुल 2:13

इफिसियों 2:2

फुटनोट

  • *

    या “दुनिया की व्यवस्था।” शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +रोम 12:2; इफ 4:17
  • +1कुर 2:12
  • +यूह 12:31

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 62

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2012, पेज 13

    7/15/2010, पेज 3-4

    8/15/2008, पेज 27

    7/1/2007, पेज 19

    6/1/2007, पेज 5-6

    9/1/1999, पेज 8-9

    2/1/1996, पेज 25

    7/1/1994, पेज 17-18

    4/1/1994, पेज 15-18

    3/1/1989, पेज 11-12

    4/1/1988, पेज 10-22

    राज-सेवा,

    8/2006, पेज 4

    सजग होइए!,

    6/8/2000, पेज 11

इफिसियों 2:3

फुटनोट

  • *

    शा., “हम क्रोध की संतान थे।”

संबंधित आयतें

  • +1कुर 6:9-11
  • +1पत 4:3
  • +यूह 3:36

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/1995, पेज 4

    4/1/1988, पेज 12

    8/1/1987, पेज 16

इफिसियों 2:4

संबंधित आयतें

  • +भज 145:9
  • +रोम 5:8; 1यूह 4:9, 19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2021, पेज 8-9

इफिसियों 2:5

संबंधित आयतें

  • +कुल 2:12, 13

इफिसियों 2:6

संबंधित आयतें

  • +इफ 1:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2015, पेज 13

    8/15/2008, पेज 27

    2/15/2006, पेज 21

इफिसियों 2:7

फुटनोट

  • *

    या “दुनिया की व्यवस्थाओं।” शब्दावली देखें।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    7/2016, पेज 29

इफिसियों 2:8

संबंधित आयतें

  • +रोम 4:16

इफिसियों 2:9

संबंधित आयतें

  • +रोम 3:20

इफिसियों 2:10

संबंधित आयतें

  • +इफ 1:3, 4
  • +गल 6:15

इफिसियों 2:12

संबंधित आयतें

  • +रोम 9:4
  • +यश 65:1

इफिसियों 2:14

संबंधित आयतें

  • +कुल 1:19, 20
  • +कुल 3:11
  • +लैव 20:26; कुल 2:13, 14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/1997, पेज 28

    7/1/1989, पेज 28

इफिसियों 2:15

संबंधित आयतें

  • +1कुर 12:12; गल 3:28

इफिसियों 2:16

फुटनोट

  • *

    शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +इब्र 12:2
  • +प्रेष 10:28

इफिसियों 2:19

संबंधित आयतें

  • +इफ 2:12
  • +फिल 3:20
  • +1ती 3:15; इब्र 3:6

इफिसियों 2:20

संबंधित आयतें

  • +1कुर 12:28
  • +यश 28:16

इफिसियों 2:21

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +कुल 2:19
  • +1कुर 3:16; 6:19

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 22

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (मत्ती-कुलु), पेज 28

इफिसियों 2:22

संबंधित आयतें

  • +1पत 2:5

दूसरें अनुवाद

मिलती-जुलती आयतें देखने के लिए किसी आयत पर क्लिक कीजिए।

दूसरी

इफि. 2:1कुल 2:13
इफि. 2:2रोम 12:2; इफ 4:17
इफि. 2:21कुर 2:12
इफि. 2:2यूह 12:31
इफि. 2:31कुर 6:9-11
इफि. 2:31पत 4:3
इफि. 2:3यूह 3:36
इफि. 2:4भज 145:9
इफि. 2:4रोम 5:8; 1यूह 4:9, 19
इफि. 2:5कुल 2:12, 13
इफि. 2:6इफ 1:3
इफि. 2:8रोम 4:16
इफि. 2:9रोम 3:20
इफि. 2:10इफ 1:3, 4
इफि. 2:10गल 6:15
इफि. 2:12रोम 9:4
इफि. 2:12यश 65:1
इफि. 2:14कुल 1:19, 20
इफि. 2:14कुल 3:11
इफि. 2:14लैव 20:26; कुल 2:13, 14
इफि. 2:151कुर 12:12; गल 3:28
इफि. 2:16इब्र 12:2
इफि. 2:16प्रेष 10:28
इफि. 2:19इफ 2:12
इफि. 2:19फिल 3:20
इफि. 2:191ती 3:15; इब्र 3:6
इफि. 2:201कुर 12:28
इफि. 2:20यश 28:16
इफि. 2:21कुल 2:19
इफि. 2:211कुर 3:16; 6:19
इफि. 2:221पत 2:5
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र (bi7) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
इफिसियों 2:1-22

इफिसियों के नाम चिट्ठी

2 यही नहीं, परमेश्‍वर ने तुम्हें ज़िंदा किया जबकि तुम अपने गुनाहों और पापों की वजह से मरे हुए थे।+ 2 और तुम अपने पापों में पड़े हुए थे और इस दुनिया*+ के तरीके से जीते थे। तुम उस राजा की मानते हुए चलते थे जो दुनिया की फितरत+ के अधिकार पर राज करता है।+ यह फितरत चारों तरफ हवा की तरह फैली हुई है और आज्ञा न माननेवालों पर असर करती है। 3 हाँ, एक वक्‍त पर हम भी इन्हीं लोगों के बीच अपने शरीर की इच्छाओं के मुताबिक चलते थे।+ हम वही करते थे जो हमारा शरीर चाहता और सोचता था।+ और हम जन्म से उन लोगों की तरह थे जिन पर परमेश्‍वर का क्रोध है।*+ 4 मगर परमेश्‍वर जो दया का धनी है,+ उसने हमसे बहुत प्यार किया+ 5 इसलिए हमें ज़िंदा किया और मसीह के साथ एक किया जबकि हम अपने गुनाहों की वजह से मरे हुए थे।+ (उसकी महा-कृपा की वजह से ही तुम्हारा उद्धार हुआ है।) 6 उसी परमेश्‍वर ने हमें मसीह यीशु के साथ एकता में ज़िंदा किया और उसके साथ स्वर्ग में बिठाया है+ 7 ताकि आनेवाले ज़मानों* में परमेश्‍वर बड़ी उदारता से अपनी भरपूर महा-कृपा हमारे मामले में दिखाए, जो मसीह यीशु के साथ एकता में हैं।

8 तुम्हारा उद्धार इसी महा-कृपा की वजह से विश्‍वास के ज़रिए किया गया है।+ यह तुम्हारी वजह से नहीं हुआ है, बल्कि यह परमेश्‍वर का तोहफा है। 9 हाँ, यह तुम्हारे कामों की वजह से नहीं हुआ है+ ताकि किसी भी इंसान के पास शेखी मारने की कोई वजह न हो। 10 हम परमेश्‍वर के हाथ की कारीगरी हैं और मसीह यीशु के साथ एकता में हैं+ इसलिए अच्छे काम करने के लिए हमारी सृष्टि की गयी थी।+ परमेश्‍वर ने पहले से तय कर दिया था कि हम ये काम करें।

11 इसलिए याद रखो कि तुम जो जन्म से दूसरे राष्ट्रों के लोग हो, तुम्हें एक वक्‍त पर वे लोग खतनारहित कहते थे जिन्होंने इंसान के हाथों अपने शरीर का खतना करवाया था। 12 उस वक्‍त तुम मसीह के बिना थे, इसराएल राष्ट्र से अलग थे, वादे के करारों में तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं था,+ तुम्हारे पास कोई आशा नहीं थी और तुम इस दुनिया में बिना परमेश्‍वर के थे।+ 13 मगर अब तुम मसीह यीशु के साथ एकता में हो। तुम जो एक वक्‍त पर परमेश्‍वर से बहुत दूर थे, अब मसीह के खून के ज़रिए उसके पास आए हो। 14 इसलिए कि मसीह ने हमारे लिए शांति कायम की है।+ उसी ने दोनों समूहों को एक किया+ और उनके बीच खड़ी उस दीवार को ढा दिया जो उन्हें अलग किए हुए थी।+ 15 उसने अपना शरीर बलिदान करके वह दुश्‍मनी मिटा दी यानी कानून मिटा दिया जिसमें कई आज्ञाएँ थीं ताकि वह दोनों समूहों को अपने साथ एकता में लाकर एक नया इंसान बनाए+ और शांति कायम करे 16 और यातना के काठ*+ के ज़रिए उन दोनों किस्म के लोगों को एक शरीर बनाए और परमेश्‍वर के साथ उनकी पूरी तरह सुलह कराए, क्योंकि उसने अपना बलिदान देकर इस दुश्‍मनी को खत्म कर दिया।+ 17 उसने आकर तुम्हें, जो परमेश्‍वर से दूर थे और तुम्हें भी जो उसके पास थे, शांति की खुशखबरी सुनायी। 18 क्योंकि उसी के ज़रिए हम दोनों किस्म के लोग एक ही पवित्र शक्‍ति के ज़रिए बिना किसी रुकावट के पिता के पास जा सकते हैं।

19 इसलिए अब तुम अजनबी और परदेसी नहीं रहे+ मगर पवित्र जनों के संगी नागरिक हो+ और परमेश्‍वर के घराने के सदस्य हो।+ 20 तुम्हें प्रेषितों और भविष्यवक्‍ताओं की नींव पर खड़ा किया गया है+ जिसकी नींव के कोने का पत्थर खुद मसीह यीशु है।+ 21 यह पूरी इमारत जो मसीह के साथ एकता में है और जिसके सारे हिस्से एक-दूसरे के साथ पूरे तालमेल से जुड़े हैं,+ बढ़ती जा रही है ताकि यहोवा* के लिए एक पवित्र मंदिर बने।+ 22 उसी के साथ एकता में तुम सबका एक-साथ निर्माण किया जा रहा है ताकि तुम परमेश्‍वर के लिए एक निवास-स्थान बन सको जहाँ वह अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए रहे।+

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