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  • यूहन्‍ना 12
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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यूहन्‍ना का सारांश

      • मरियम, यीशु के पैरों पर तेल उँडेलती है (1-11)

      • यीशु राजा की हैसियत से दाखिल होता है (12-19)

      • यीशु अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (20-37)

      • यहूदियों ने विश्‍वास नहीं किया जिससे भविष्यवाणी पूरी हुई (38-43)

      • यीशु दुनिया को बचाने आया (44-50)

यूहन्‍ना 12:1

संबंधित आयतें

  • +यूह 11:1, 43

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 236

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1987, पेज 31

यूहन्‍ना 12:2

फुटनोट

  • *

    या “मेज़ से टेक लगाए थे।”

संबंधित आयतें

  • +लूक 10:40

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 236

    विश्‍वास की मिसाल, पेज 179

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2011, पेज 27

    4/1/1987, पेज 31

यूहन्‍ना 12:3

फुटनोट

  • *

    शा., “एक पौंड।” यानी रोमी पौंड। अति. ख14 देखें।

संबंधित आयतें

  • +मत 26:6-10; मर 14:3-6

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2000, पेज 31

    यीशु—राह, पेज 236

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2108, 2211

यूहन्‍ना 12:4

संबंधित आयतें

  • +मत 26:47; मर 14:10; लूक 22:48; यूह 13:29; प्रेष 1:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/2005, पेज 13

    4/15/2000, पेज 31

यूहन्‍ना 12:5

फुटनोट

  • *

    अति. ख14 देखें।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/2005, पेज 13

    4/15/2000, पेज 31

यूहन्‍ना 12:6

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2015, पेज 29

यूहन्‍ना 12:7

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  • +मत 26:12; मर 14:8; यूह 19:40

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2000, पेज 15-16

यूहन्‍ना 12:8

संबंधित आयतें

  • +व्य 15:11
  • +मत 26:11; मर 14:7

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2003, पेज 32

यूहन्‍ना 12:9

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  • +यूह 11:43, 44

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1987, पेज 31

यूहन्‍ना 12:11

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  • +यूह 7:31; 11:44, 45

यूहन्‍ना 12:12

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1987, पेज 31

यूहन्‍ना 12:13

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

संबंधित आयतें

  • +भज 118:25, 26
  • +मत 21:8, 9; मर 11:8, 9; यूह 1:49

यूहन्‍ना 12:14

संबंधित आयतें

  • +मत 21:7; मर 11:7; लूक 19:35

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    यीशु—राह, पेज 238

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (यिर्म-मला), पेज 29

यूहन्‍ना 12:15

संबंधित आयतें

  • +1रा 1:33, 34; यश 62:11; जक 9:9; मत 21:5

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    यीशु—राह, पेज 238

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (यिर्म-मला), पेज 29

यूहन्‍ना 12:16

संबंधित आयतें

  • +यूह 7:39
  • +लूक 24:45; यूह 14:26

यूहन्‍ना 12:17

फुटनोट

  • *

    या “स्मारक कब्र।”

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  • +यूह 11:1, 43
  • +मत 21:15; लूक 19:37

यूहन्‍ना 12:19

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  • +यूह 11:48

यूहन्‍ना 12:20

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2015, पेज 21

    यीशु—राह, पेज 240

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2126

यूहन्‍ना 12:21

संबंधित आयतें

  • +यूह 1:44

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2015, पेज 21

यूहन्‍ना 12:22

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 240

यूहन्‍ना 12:23

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  • +यूह 13:31, 32; 17:1

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    प्रहरीदुर्ग,

    9/15/2000, पेज 10-11

यूहन्‍ना 12:24

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  • +मत 16:21; रोम 14:9; 1कुर 15:36

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 240

यूहन्‍ना 12:25

संबंधित आयतें

  • +प्रक 12:11
  • +मत 16:25; मर 8:35; लूक 9:24

यूहन्‍ना 12:26

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  • +यूह 14:3; 17:24; 1थि 4:17

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 240-241

यूहन्‍ना 12:27

संबंधित आयतें

  • +मत 26:38; मर 14:34
  • +लूक 12:50; 22:41, 42; इब्र 5:7

इंडैक्स

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    यीशु—राह, पेज 241

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2010, पेज 11

    9/15/2000, पेज 18

यूहन्‍ना 12:28

संबंधित आयतें

  • +मत 3:17; 17:5; मर 1:11; 9:7; लूक 3:22; 9:35; 2पत 1:17
  • +यूह 17:1

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    3/2019, पेज 11-13

    यीशु—राह, पेज 242

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2010, पेज 11

    11/1/1987, पेज 17

यूहन्‍ना 12:30

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 242

यूहन्‍ना 12:31

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  • +यूह 14:30; 16:11; प्रेष 26:17, 18; 2कुर 4:3, 4; इफ 2:1, 2; 1यूह 5:19
  • +लूक 10:18; प्रक 12:9

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 242

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2010, पेज 29

    6/1/1991, पेज 13-15

यूहन्‍ना 12:32

संबंधित आयतें

  • +यूह 8:28

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 242

यूहन्‍ना 12:33

संबंधित आयतें

  • +प्रेष 5:30

यूहन्‍ना 12:34

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  • +भज 89:35, 36; 110:4; यश 9:7
  • +यूह 3:14

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    यीशु—राह, पेज 242

यूहन्‍ना 12:35

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  • +यूह 11:10

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    यीशु—राह, पेज 242

यूहन्‍ना 12:36

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  • +इफ 5:8

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  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 242

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2008, पेज 32

यूहन्‍ना 12:38

फुटनोट

  • *

    अति. क5 देखें।

  • *

    अति. क5 देखें।

  • *

    शा., “बाज़ू।”

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  • +रोम 10:16
  • +यश 53:1

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    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2011, पेज 11

यूहन्‍ना 12:40

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  • +यश 6:10; मत 13:14; मर 4:11, 12; प्रेष 28:27

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यीशु—राह, पेज 242

यूहन्‍ना 12:41

संबंधित आयतें

  • +यश 6:1, 8

इंडैक्स

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    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/1998, पेज 24

यूहन्‍ना 12:42

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  • +यूह 19:38
  • +यूह 9:22; 16:2

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    यीशु—राह, पेज 242

यूहन्‍ना 12:43

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  • +यूह 5:44

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    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/1998, पेज 16-17

यूहन्‍ना 12:44

संबंधित आयतें

  • +मत 10:40; मर 9:37

यूहन्‍ना 12:45

संबंधित आयतें

  • +यूह 14:9

यूहन्‍ना 12:46

संबंधित आयतें

  • +यूह 3:19; 8:12; 9:5
  • +यूह 12:35

यूहन्‍ना 12:47

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  • +यूह 3:16, 17

यूहन्‍ना 12:49

संबंधित आयतें

  • +यूह 8:38; 14:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 15

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2008, पेज 13

यूहन्‍ना 12:50

संबंधित आयतें

  • +यूह 6:40
  • +यूह 3:34

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

यूह. 12:1यूह 11:1, 43
यूह. 12:2लूक 10:40
यूह. 12:3मत 26:6-10; मर 14:3-6
यूह. 12:4मत 26:47; मर 14:10; लूक 22:48; यूह 13:29; प्रेष 1:16
यूह. 12:7मत 26:12; मर 14:8; यूह 19:40
यूह. 12:8व्य 15:11
यूह. 12:8मत 26:11; मर 14:7
यूह. 12:9यूह 11:43, 44
यूह. 12:11यूह 7:31; 11:44, 45
यूह. 12:13भज 118:25, 26
यूह. 12:13मत 21:8, 9; मर 11:8, 9; यूह 1:49
यूह. 12:14मत 21:7; मर 11:7; लूक 19:35
यूह. 12:151रा 1:33, 34; यश 62:11; जक 9:9; मत 21:5
यूह. 12:16यूह 7:39
यूह. 12:16लूक 24:45; यूह 14:26
यूह. 12:17यूह 11:1, 43
यूह. 12:17मत 21:15; लूक 19:37
यूह. 12:19यूह 11:48
यूह. 12:21यूह 1:44
यूह. 12:23यूह 13:31, 32; 17:1
यूह. 12:24मत 16:21; रोम 14:9; 1कुर 15:36
यूह. 12:25प्रक 12:11
यूह. 12:25मत 16:25; मर 8:35; लूक 9:24
यूह. 12:26यूह 14:3; 17:24; 1थि 4:17
यूह. 12:27मत 26:38; मर 14:34
यूह. 12:27लूक 12:50; 22:41, 42; इब्र 5:7
यूह. 12:28मत 3:17; 17:5; मर 1:11; 9:7; लूक 3:22; 9:35; 2पत 1:17
यूह. 12:28यूह 17:1
यूह. 12:31यूह 14:30; 16:11; प्रेष 26:17, 18; 2कुर 4:3, 4; इफ 2:1, 2; 1यूह 5:19
यूह. 12:31लूक 10:18; प्रक 12:9
यूह. 12:32यूह 8:28
यूह. 12:33प्रेष 5:30
यूह. 12:34भज 89:35, 36; 110:4; यश 9:7
यूह. 12:34यूह 3:14
यूह. 12:35यूह 11:10
यूह. 12:36इफ 5:8
यूह. 12:38रोम 10:16
यूह. 12:38यश 53:1
यूह. 12:40यश 6:10; मत 13:14; मर 4:11, 12; प्रेष 28:27
यूह. 12:41यश 6:1, 8
यूह. 12:42यूह 19:38
यूह. 12:42यूह 9:22; 16:2
यूह. 12:43यूह 5:44
यूह. 12:44मत 10:40; मर 9:37
यूह. 12:45यूह 14:9
यूह. 12:46यूह 3:19; 8:12; 9:5
यूह. 12:46यूह 12:35
यूह. 12:47यूह 3:16, 17
यूह. 12:49यूह 8:38; 14:10
यूह. 12:50यूह 6:40
यूह. 12:50यूह 3:34
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यूहन्‍ना 12:1-50

यूहन्‍ना के मुताबिक खुशखबरी

12 फसह के त्योहार से छ: दिन पहले यीशु बैतनियाह पहुँचा। लाज़र,+ जिसे यीशु ने मरे हुओं में से ज़िंदा किया था वहीं का रहनेवाला था। 2 यीशु के लिए वहाँ शाम की दावत रखी गयी और मारथा सेवा में लगी हुई थी।+ जो लोग यीशु के साथ खाने बैठे,* उनमें लाज़र भी एक था। 3 तब मरियम ने करीब 327 ग्राम* असली जटामाँसी का खुशबूदार तेल लिया जो बहुत कीमती था। उसने यीशु के पैरों पर यह तेल उँडेला और अपने बालों से उन्हें पोंछा। सारा घर इस तेल की खुशबू से महक उठा।+ 4 मगर यहूदा इस्करियोती+ ने, जो यीशु के चेलों में से एक था और उसे पकड़वानेवाला था कहा, 5 “इस खुशबूदार तेल को 300 दीनार* में बेचकर इसका पैसा गरीबों को क्यों नहीं दिया गया?” 6 मगर यह उसने इसलिए नहीं कहा कि उसे गरीबों की चिंता थी, बल्कि इसलिए कहा क्योंकि वह चोर था और उसके पास पैसों का बक्सा रहता था जिसमें से वह पैसे चुरा लेता था। 7 तब यीशु ने मरियम के लिए कहा, “इसे छोड़ दो ताकि यह मेरे दफनाए जाने की तैयारी के लिए यह दस्तूर पूरा करे।+ 8 क्योंकि गरीब तो हमेशा तुम्हारे साथ होंगे,+ मगर मैं हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा।”+

9 इस बीच यहूदियों की एक बड़ी भीड़ को पता चला कि यीशु वहाँ है। तब वे न सिर्फ यीशु को बल्कि लाज़र को भी देखने वहाँ आए, जिसे उसने मरे हुओं में से ज़िंदा किया था।+ 10 अब प्रधान याजकों ने लाज़र को भी मार डालने की साज़िश रची 11 क्योंकि उसी की वजह से बहुत-से यहूदी वहाँ जा रहे थे और यीशु पर विश्‍वास कर रहे थे।+

12 अगले दिन, त्योहार के लिए आए लोगों की बड़ी भीड़ ने सुना कि यीशु यरूशलेम आ रहा है। 13 तब वे खजूर की डालियाँ लिए उससे मिलने निकले। वे ज़ोर-ज़ोर से पुकारने लगे, “हम तुझसे बिनती करते हैं, इसे बचा ले! धन्य है वह जो यहोवा* के नाम से आता है,+ इसराएल का राजा धन्य है!”+ 14 जब यीशु को गधे का एक बच्चा मिला, तो वह उस पर बैठ गया,+ ठीक जैसा लिखा है, 15 “सिय्योन की बेटी, मत डर। देख! तेरा राजा गधे के बच्चे पर बैठकर आ रहा है।”+ 16 शुरू में उसके चेले इन बातों का मतलब नहीं समझ पाए। मगर जब यीशु ने महिमा पायी+ तब उन्हें याद आया कि उन्होंने उसके लिए ठीक वही किया, जो उसके बारे में लिखा था।+

17 जिन लोगों ने देखा था कि कैसे यीशु ने लाज़र को कब्र* से बाहर बुलाया+ और उसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया, वे इस बारे में दूसरों को गवाही देते रहे।+ 18 उस भीड़ के लोग यीशु से मिलने इसलिए आए थे क्योंकि उन्होंने इस चमत्कार के बारे में सुना था। 19 तब फरीसी आपस में कहने लगे, “देखो, हम कुछ नहीं कर पा रहे। सारी दुनिया उसके पीछे जा रही है।”+

20 त्योहार के वक्‍त उपासना के लिए आनेवालों में कुछ यूनानी भी थे। 21 इसलिए वे फिलिप्पुस+ के पास आए जो गलील के बैतसैदा का रहनेवाला था और उससे गुज़ारिश करने लगे, “साहब, हम यीशु से मिलना चाहते हैं।” 22 फिलिप्पुस ने जाकर अन्द्रियास को बताया। अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने जाकर यीशु को बताया।

23 मगर यीशु ने उन्हें जवाब दिया, “वह घड़ी आ चुकी है जब इंसान का बेटा महिमा पाए।+ 24 मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, जब तक गेहूँ का एक दाना मिट्टी में गिरकर मर नहीं जाता, तब तक वह एक दाना ही रहता है। लेकिन जब वह मर जाता है+ तो बहुत फल पैदा करता है। 25 जो अपनी जान से लगाव रखता है, वह इसे नाश करता है। मगर जो इस दुनिया में अपनी जान से नफरत करता है+ वह इसे बचाएगा ताकि हमेशा की ज़िंदगी पाए।+ 26 जो मेरी सेवा करना चाहता है, वह मेरे पीछे हो ले और जहाँ मैं हूँ वहाँ मेरा सेवक भी होगा।+ जो मेरी सेवा करेगा, पिता उसका आदर करेगा। 27 अब मैं और क्या कहूँ? मेरा जी बेचैन है।+ हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा ले!+ मगर मैं इसीलिए तो इस घड़ी तक पहुँचा हूँ। 28 पिता अपने नाम की महिमा कर।” तब आकाश से आवाज़+ आयी: “मैंने इसकी महिमा की है और फिर से करूँगा।”+

29 जब आस-पास खड़ी भीड़ ने यह आवाज़ सुनी, तो लोग कहने लगे कि बादल गरजा है। दूसरों ने कहा, “किसी स्वर्गदूत ने उससे बात की है।” 30 यीशु ने कहा, “यह आवाज़ मेरी खातिर नहीं बल्कि तुम्हारी खातिर सुनायी दी है। 31 अब इस दुनिया का न्याय किया जा रहा है और इस दुनिया का राजा+ बाहर कर दिया जाएगा।+ 32 मगर जहाँ तक मेरी बात है, जब मुझे धरती से ऊपर उठाया जाएगा,+ तो मैं सब किस्म के लोगों को अपनी ओर खींचूँगा।” 33 यह बात उसने दरअसल यह दिखाने के लिए कही कि वह कैसी मौत मरनेवाला था।+ 34 तब भीड़ ने उससे कहा, “हमने तो कानून में सुना है कि मसीह हमेशा तक रहेगा,+ फिर तू कैसे कह सकता है कि इंसान के बेटे को ऊपर उठाया जाना है?+ यह इंसान का बेटा कौन है?” 35 तब यीशु ने उनसे कहा, “रौशनी बस थोड़ी देर और तुम्हारे बीच रहेगी। जब तक यह तुम्हारे साथ है, तब तक रौशनी में चलते रहो ताकि अँधेरा तुम पर हावी न हो। जो अँधेरे में चलता है वह नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है।+ 36 जब तक रौशनी तुम्हारे साथ है, तब तक उस पर विश्‍वास करो और तुम रौशनी के बेटे+ कहलाओगे।”

यीशु ये बातें कहने के बाद चला गया और उनसे छिप गया। 37 उसने उनके सामने बहुत-से चमत्कार किए थे, फिर भी वे उस पर विश्‍वास नहीं कर रहे थे। 38 इस तरह भविष्यवक्‍ता यशायाह की कही यह बात पूरी हुई, “हे यहोवा,* किसने हमारे संदेश पर विश्‍वास किया है?+ यहोवा* ने अपनी ताकत* किस पर ज़ाहिर की है?”+ 39 उन्होंने क्यों यकीन नहीं किया, इसकी वजह बताते हुए यशायाह फिर कहता है, 40 “उसने उनकी आँखें अंधी कर दी हैं और उनके दिल कठोर कर दिए हैं ताकि न वे कभी अपनी आँखों से देखें और न ही अपने दिलों से समझें और न वे पलटकर लौट आएँ और मैं उन्हें चंगा करूँ।”+ 41 यशायाह ने मसीह के बारे में ये बातें इसलिए कहीं क्योंकि उसने मसीह की महिमा देखी थी।+ 42 हालाँकि बहुत-से धर्म-अधिकारियों ने भी यीशु पर विश्‍वास किया,+ मगर वे फरीसियों के डर से खुलकर उसे स्वीकार नहीं करते थे ताकि उन्हें सभा-घर से बेदखल न कर दिया जाए।+ 43 उन्हें परमेश्‍वर से मिलनेवाली महिमा से ज़्यादा इंसानों से मिलनेवाली महिमा प्यारी थी।+

44 मगर यीशु ने ज़ोर से कहा, “जो मुझ पर विश्‍वास करता है वह मुझ पर ही नहीं बल्कि उस पर भी विश्‍वास करता है जिसने मुझे भेजा है।+ 45 और जो मुझे देखता है वह उसे भी देखता है जिसने मुझे भेजा है।+ 46 मैं इस दुनिया में रौशनी बनकर आया हूँ+ ताकि हर कोई जो मुझ पर विश्‍वास करता है वह अँधेरे में न रहे।+ 47 लेकिन अगर कोई मेरी बातें सुनता है मगर उन्हें मानता नहीं, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराऊँगा क्योंकि मैं दुनिया को दोषी ठहराने नहीं बल्कि बचाने आया हूँ।+ 48 जो कोई मुझे ठुकरा देता है और मेरे वचन स्वीकार नहीं करता, उसे दोषी ठहरानेवाला कोई और है। जो वचन मैंने कहा है वही उसे आखिरी दिन में दोषी ठहराएगा। 49 क्योंकि मैंने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा। मगर खुद पिता ने, जिसने मुझे भेजा है, मुझे आज्ञा दी है कि मैं क्या-क्या बताऊँ और क्या-क्या बोलूँ।+ 50 और मैं जानता हूँ कि उसकी आज्ञा मानने का मतलब हमेशा की ज़िंदगी है।+ इसलिए मैं सिर्फ वही बातें बताता हूँ जो पिता ने मुझे बतायी हैं।”+

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