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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
एज्रा

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1 फारस के राजा कुसरू के राज के पहले साल में+ यहोवा ने उसके मन को उभारा कि वह अपने पूरे राज में एक ऐलान करवाए ताकि यहोवा ने यिर्मयाह से जो बातें कहलवायी थीं+ वे पूरी हों। राजा कुसरू ने यह ऐलान दस्तावेज़ में भी लिखवाया:+

2 “फारस के राजा कुसरू ने कहा है, ‘स्वर्ग के परमेश्‍वर यहोवा ने धरती के सारे राज्य मेरी मुट्ठी में कर दिए हैं+ और मुझे यह हुक्म दिया है कि मैं यहूदा के यरूशलेम में उसका भवन बनवाऊँ।+ 3 इसलिए तुममें से जो कोई उसके लोगों में से है, उसके साथ उसका परमेश्‍वर रहे और वह यहूदा के यरूशलेम जाकर इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा का भवन दोबारा खड़ा करे। वही सच्चा परमेश्‍वर है जिसका भवन यरूशलेम में था।* 4 इस पूरे राज में जहाँ-जहाँ ये लोग परदेसी बनकर रह रहे हैं,+ उनके पड़ोसी उनकी मदद करें। उन्हें सोना-चाँदी, तरह-तरह का सामान और मवेशी दें। वे उन्हें अपनी खुशी से ऐसी चीज़ें भी दें, जो यरूशलेम में सच्चे परमेश्‍वर के भवन में अर्पित की जा सकें।’”+

5 तब यहूदा और बिन्यामीन के कुलों के मुखिया, लेवी और याजक, जिस-जिस के मन को सच्चे परमेश्‍वर ने उभारा, वे सब यरूशलेम जाने और यहोवा का भवन दोबारा बनाने की तैयारी करने लगे। 6 आस-पास के लोगों ने उन्हें सोने-चाँदी के बरतन, मवेशी, तरह-तरह का सामान और बेशकीमती चीज़ें देकर उनकी मदद की। वे अपनी खुशी से ऐसी चीज़ें भी लाए, जो परमेश्‍वर के भवन में अर्पित की जा सकें।

7 राजा कुसरू ने यहोवा के भवन के उन बरतनों को भी निकाला जिन्हें नबूकदनेस्सर उठा लाया था। नबूकदनेस्सर ने ये बरतन यरूशलेम से लाकर अपने देवता के मंदिर में रख लिए थे।+ 8 फारस के राजा कुसरू ने खज़ानची मिथ्रदात से कहकर इन बरतनों को निकलवाया और इनकी एक सूची बनवाकर यहूदा के प्रधान शेशबस्सर* को दी।+

9 उन बरतनों की सूची यह है: सोने की 30 टोकरियाँ, चाँदी की 1,000 टोकरियाँ, 29 दूसरे पात्र, 10 सोने की 30 कटोरियाँ, चाँदी की 410 कटोरियाँ और 1,000 दूसरे बरतन। 11 सोने-चाँदी के इन बरतनों की कुल गिनती 5,400 थी। ये बरतन शेशबस्सर उस समय अपने साथ ले गया, जब बैबिलोन की बँधुआई से छूटे लोग+ वापस यरूशलेम जा रहे थे।

2 ये लोग उनमें से हैं जिन्हें राजा नबूकदनेस्सर बंदी बनाकर बैबिलोन ले गया था+ और जो छूटकर वापस यरूशलेम और यहूदा में अपने-अपने शहर लौटे।+ पूरे प्रांत से ये लोग+ 2 जरुबाबेल,+ येशू,+ नहेमायाह, सरायाह, रेलायाह, मोर्दकै, बिलशान, मिसपार, बिगवै, रहूम और बानाह के साथ वापस आए।

लौटनेवाले इसराएलियों की गिनती यह थी:+ 3 परोश के बेटे* 2,172; 4 शपत्याह के बेटे 372; 5 आरह के बेटे+ 775; 6 पहत-मोआब के घराने+ से येशू और योआब के बेटे 2,812; 7 एलाम के बेटे+ 1,254; 8 जत्तू के बेटे+ 945; 9 जक्कै के बेटे 760; 10 बानी* के बेटे 642; 11 बेबई के बेटे 623; 12 अजगाद के बेटे 1,222; 13 अदोनीकाम के बेटे 666; 14 बिगवै के बेटे 2,056; 15 आदीन के बेटे 454; 16 हिजकियाह के घराने से आतेर के बेटे 98; 17 बेजै के बेटे 323; 18 योरा* के बेटे 112; 19 हाशूम के बेटे+ 223; 20 गिब्बार* के बेटे 95; 21 बेतलेहेम के बेटे 123; 22 नतोपा के आदमी 56; 23 अनातोत+ के आदमी 128; 24 अज़मावेत के बेटे 42; 25 किरयत-यारीम, कपीरा और बएरोत के बेटे 743; 26 रामाह और गेबा के बेटे+ 621; 27 मिकमास के आदमी 122; 28 बेतेल और ऐ+ के आदमी 223; 29 नबो के बेटे+ 52; 30 मगबीश के बेटे 156; 31 एलाम नाम के एक दूसरे आदमी के बेटे 1,254; 32 हारीम के बेटे 320; 33 लोद, हादीद और ओनो के बेटे 725; 34 यरीहो के बेटे 345 35 और सना के बेटे 3,630.

36 लौटनेवाले याजकों की गिनती यह थी:+ येशू के घराने+ से यदायाह+ के बेटे 973; 37 इम्मेर के बेटे+ 1,052; 38 पशहूर के बेटे+ 1,247 39 और हारीम के बेटे+ 1,017.

40 लौटनेवाले लेवियों की गिनती यह थी:+ होदव्याह के बेटों में से येशू और कदमीएल के बेटे+ 74. 41 गायकों में,+ आसाप के बेटे+ 128. 42 पहरेदारों में,+ शल्लूम के बेटे, आतेर के बेटे, तल्मोन+ के बेटे, अक्कूब+ के बेटे, हतीता के बेटे और शोबै के बेटे, कुल मिलाकर 139.

43 मंदिर के सेवकों* में से ये आदमी लौटे:+ ज़ीहा के बेटे, हसूपा के बेटे, तब्बाओत के बेटे, 44 केरोस के बेटे, सीहा के बेटे, पादोन के बेटे, 45 लबाना के बेटे, हगाबा के बेटे, अक्कूब के बेटे, 46 हागाब के बेटे, शलमै के बेटे, हानान के बेटे, 47 गिद्देल के बेटे, गहर के बेटे, रायाह के बेटे, 48 रसीन के बेटे, नकोदा के बेटे, गज्जाम के बेटे, 49 उज्जा के बेटे, पासेह के बेटे, बेसै के बेटे, 50 असना के बेटे, मऊनियों के बेटे, नपीसीम के बेटे, 51 बकबूक के बेटे, हकूपा के बेटे, हरहूर के बेटे, 52 बसलूत के बेटे, महीदा के बेटे, हरशा के बेटे, 53 बरकोस के बेटे, सीसरा के बेटे, तेमह के बेटे, 54 नसीह के बेटे और हतीपा के बेटे।

55 सुलैमान के सेवकों के ये बेटे लौटे: सोतै के बेटे, सोपेरेत के बेटे, परूदा के बेटे,+ 56 याला के बेटे, दरकोन के बेटे, गिद्देल के बेटे, 57 शपत्याह के बेटे, हत्तील के बेटे, पोकरेत-हसबायीम के बेटे और आमी के बेटे।

58 मंदिर के सेवकों* की और सुलैमान के सेवकों के बेटों की कुल गिनती 392 थी।

59 कुछ आदमी जो तेल-मेलह, तेल-हरशा, करूब, अद्दोन और इम्मेर से लौटे थे, वे यह साबित नहीं कर पाए कि वे इसराएली हैं और उनके पिता का कुल इसराएल से निकला है। वे थे,+ 60 दलायाह के बेटे, तोब्याह के बेटे और नकोदा के बेटे 652. 61 और याजकों में से हबायाह के बेटे, हक्कोस के बेटे+ और बरजिल्लै के बेटे। यह वही बरजिल्लै है जिसने गिलादी बरजिल्लै+ की एक बेटी से शादी की थी और उनका नाम अपना लिया था। 62 इन लोगों ने अपनी वंशावली साबित करने के लिए दस्तावेज़ों में अपने घराने का नाम ढूँढ़ा, मगर उन्हें नहीं मिला। इसलिए याजकपद के लिए वे अयोग्य ठहरे।*+ 63 राज्यपाल* ने उनसे कहा कि जब तक कोई याजक नहीं ठहराया जाता जो ऊरीम और तुम्मीम की मदद से इस मामले का पता लगा सके,+ तब तक तुम सबसे पवित्र चीज़ों में से नहीं खा सकते।+

64 बँधुआई से लौटनेवाली पूरी मंडली की कुल गिनती 42,360 थी।+ 65 इसके अलावा, उनके साथ लौटनेवाले दास-दासियों की गिनती 7,337 थी। और 200 गायक-गायिकाएँ उनके साथ थे। 66 यही नहीं, उनके पास 736 घोड़े, 245 खच्चर, 67 435 ऊँट और 6,720 गधे थे।

68 ये सारे लोग यरूशलेम में यहोवा के भवन की जगह पहुँचे। इनमें से कुछ लोगों ने, जो अपने पिता के कुल के मुखिया थे, सच्चे परमेश्‍वर के भवन के लिए अपनी तरफ से भेंट दीं+ ताकि भवन उसी जगह खड़ा किया जा सके।+ 69 वे जो कुछ दे सकते थे उन्होंने खज़ाने में जमा करवा दिया। उन्होंने 61,000 द्राख्मा* सोना, 5,000 मीना* चाँदी+ और याजकों के लिए 100 पोशाकें दीं। 70 याजक, लेवी, गायक, पहरेदार, मंदिर के सेवक* और बाकी लोग अपने-अपने शहरों में बस गए। इस तरह सभी इसराएली अपने-अपने शहरों में रहने लगे।+

3 जब सातवाँ महीना+ आया तब जो इसराएली अपने-अपने शहरों में थे, वे एक मन होकर यरूशलेम में इकट्ठा हुए। 2 यहोसादाक के बेटे येशू,+ उसके साथी याजक, शालतीएल के बेटे जरुबाबेल+ और उसके भाइयों ने इसराएल के परमेश्‍वर की वेदी खड़ी की ताकि उस पर होम-बलियाँ चढ़ाएँ, जैसा सच्चे परमेश्‍वर के सेवक मूसा के कानून में लिखा था।+

3 हालाँकि उन्हें आस-पास के देशों के लोगों का डर था,+ फिर भी उन्होंने वेदी खड़ी की और वह भी उस जगह, जहाँ वह पहले हुआ करती थी। तब से वे सुबह-शाम उस वेदी पर यहोवा को होम-बलियाँ चढ़ाने लगे।+ 4 फिर उन्होंने छप्परों का त्योहार मनाया ठीक जैसा कानून में लिखा था।+ इस दौरान उन्होंने हर दिन उतनी होम-बलियाँ चढ़ायीं जितनी माँग की गयी थी।+ 5 इसके बाद वे नियमित तौर पर होम-बलियाँ चढ़ाने लगे।+ यही नहीं, वे नए चाँद के दिन पर और साल के अलग-अलग वक्‍त में यहोवा के ठहराए त्योहारों पर भी बलियाँ चढ़ाने लगे।+ और जो कोई यहोवा के लिए स्वेच्छा-बलियाँ लाया उन्हें भी अर्पित किया जाने लगा।+ 6 सातवें महीने के पहले दिन+ से उन्होंने यहोवा के लिए होम-बलियाँ चढ़ानी शुरू कीं, लेकिन अभी तक यहोवा के मंदिर की नींव नहीं डाली गयी थी।

7 उन्होंने पत्थर काटनेवालों+ और कारीगरों+ को पैसे देकर काम पर रखा। फारस के राजा कुसरू की इजाज़त से+ उन्होंने सीदोनियों और सोर के लोगों से देवदार की लकड़ियाँ मँगवायीं, जिन्हें वे समुंदर के रास्ते लबानोन से याफा तक लाए।+ बदले में इसराएलियों ने उन्हें खाने-पीने की चीज़ें और तेल दिया।

8 यरूशलेम में जहाँ सच्चे परमेश्‍वर का भवन हुआ करता था, वहाँ आने के दूसरे साल के दूसरे महीने में, शालतीएल के बेटे जरुबाबेल, यहोसादाक के बेटे येशू और उनके बाकी भाइयों यानी याजकों, लेवियों और बँधुआई से छूटकर आए लोगों ने+ भवन बनाने का काम शुरू किया। और जिन लेवियों की उम्र 20 या उससे ज़्यादा थी, उन्हें यहोवा के भवन के काम की देखरेख के लिए ठहराया। 9 तब येशू, उसके बेटे और भाई और कदमीएल और उसके बेटे आए, जो यहूदा* के बेटे थे। वे सब मिलकर सच्चे परमेश्‍वर के भवन के काम की देखरेख करने लगे। हेनादाद के वंशजों+ ने भी अपने बेटों और भाइयों के साथ इस काम में हाथ बँटाया। ये भी लेवी थे।

10 जब यहोवा का मंदिर बनानेवालों ने उसकी नींव डाली,+ तब यहोवा की बड़ाई करने के लिए याजक मंदिर की पोशाक पहनकर और तुरहियाँ लेकर आए+ और लेवियों में से आसाप के बेटे झाँझ लेकर आए। यह उस इंतज़ाम के मुताबिक था, जो इसराएल के राजा दाविद ने ठहराया था।+ 11 वे बारी-बारी गाने लगे।+ वे यह कहकर यहोवा का धन्यवाद देने और उसका गुणगान करने लगे, “क्योंकि वह भला है, इसराएल के लिए उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।”+ यहोवा के भवन की नींव डाले जाने की खुशी में सब लोगों ने ज़ोरदार आवाज़ में यहोवा की बड़ाई की। 12 याजकों, लेवियों और इसराएल के कुलों के मुखियाओं में से कई बुज़ुर्ग जिन्होंने पहलेवाला मंदिर देखा था,+ इस मंदिर की नींव देखकर रोने लगे। जबकि बाकी लोग खुशी के मारे जयजयकार करने लगे।+ 13 उनका शोर इतना ज़बरदस्त था कि वह दूर-दूर तक सुनायी दे रहा था। लोगों के लिए यह फर्क करना मुश्‍किल था कि वे खुशी के मारे चिल्ला रहे हैं या दुख के मारे रो रहे हैं।

4 यहूदा और बिन्यामीन के दुश्‍मनों+ ने सुना कि बँधुआई से छूटकर आए लोग,+ इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के लिए मंदिर खड़ा कर रहे हैं। 2 वे फौरन जरुबाबेल और उन आदमियों के पास गए जो अपने-अपने पिता के कुल के मुखिया थे और कहने लगे, “इस काम में हम तुम्हारा हाथ बँटाना चाहते हैं क्योंकि हम भी उसी परमेश्‍वर की उपासना करते हैं* जिसकी तुम करते हो।+ हम उस ज़माने से तुम्हारे परमेश्‍वर को बलिदान चढ़ाते आए हैं, जब अश्‍शूर का राजा एसर-हद्दोन+ हमें यहाँ लाया था।”+ 3 मगर जरुबाबेल, येशू और इसराएल के कुलों के मुखियाओं ने उनसे कहा, “तुम हमारे साथ हमारे परमेश्‍वर का भवन नहीं बनाओगे।+ फारस के राजा कुसरू ने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा का भवन बनाने की जो आज्ञा दी है,+ उसे हम अकेले ही पूरा करेंगे।”

4 तब आस-पास के देशों के लोग यहूदा के लोगों की हिम्मत तोड़ने लगे* ताकि वे मायूस होकर मंदिर बनाने का काम छोड़ दें।+ 5 उन्होंने राज्य के सलाहकारों को उनके खिलाफ काम करने के लिए पैसे दिए। ये दुश्‍मन फारस के राजा कुसरू के दिनों से लेकर फारस के राजा दारा के दिनों तक,+ यहूदियों की योजनाएँ नाकाम करने की कोशिश करते रहे।+ 6 उन्होंने राजा अहश-वेरोश के राज की शुरूआत में यहूदा और यरूशलेम के निवासियों के खिलाफ राजा को एक खत लिखा। 7 और जब राजा अर्तक्षत्र फारस पर राज कर रहा था, तब बिशलाम, मिथ्रदात, ताबेल और उसके साथियों ने उसे भी एक चिट्ठी लिखी। उन्होंने उसका अनुवाद अरामी भाषा में करवाया+ और उसे अरामी अक्षरों में लिखवाया।*

8 * राज्य के मुख्य अधिकारी रहूम और शास्त्री शिमशै ने यरूशलेम के खिलाफ राजा अर्तक्षत्र को यह चिट्ठी लिखी: 9 (यह चिट्ठी इन लोगों की तरफ से थी: मुख्य अधिकारी रहूम, शास्त्री शिमशै और उनके बाकी साथी यानी न्यायी, उप-राज्यपाल, मंत्री, एरेख+ के लोग, बैबिलोन के लोग, सूसा+ के रहनेवाले एलामी लोग+ 10 और बाकी राष्ट्रों के लोग, जिन्हें महान और गौरवशाली ओसनप्पर* ने बंदी बनाकर सामरिया के शहरों में बसाया था+ और महानदी के इस पार* रहनेवाले बाकी लोग। 11 उस चिट्ठी की एक नकल यह है)

“महानदी के इस पार रहनेवाले सेवकों की तरफ से राजा अर्तक्षत्र के नाम। 12 हम राजा को बताना चाहते हैं कि जो यहूदी तेरे यहाँ से यरूशलेम आए हैं, वे दोबारा उस बगावती और दुष्ट शहर को खड़ा कर रहे हैं। उसकी शहरपनाह बनायी जा रही है+ और नींव की मरम्मत चल रही है। 13 राजा जान ले कि अगर यह शहर खड़ा हो गया और उसकी शहरपनाह तैयार हो गयी, तो ये यहूदी न तो कर चुकाएँगे, न माल पर महसूल देंगे+ और न ही सड़क का महसूल चुकाएँगे। इससे शाही खज़ाने को भारी नुकसान होगा। 14 हम राजा का नमक खाते हैं और कोई उसे नुकसान पहुँचाए यह देखकर हम चुप नहीं रह सकते। इसलिए हमने यह खत लिखा है 15 ताकि तू अपने से पहले के राजाओं* के दस्तावेज़ों में छानबीन करे।+ तब तुझे खुद मालूम हो जाएगा कि यह एक बगावती शहर है और राजाओं और प्रांतों के लिए हमेशा से खतरा रहा है। पुराने ज़माने से ही इसके लोग बगावत की आग भड़काते आए हैं और इसी वजह से इस शहर का नाश हुआ था।+ 16 राजा जान ले कि अगर इसे दोबारा बनाया गया और इसकी शहरपनाह तैयार हो गयी, तो महानदी के इस पार का इलाका राजा के हाथ से निकल जाएगा।”+

17 तब राजा ने मुख्य अधिकारी रहूम, शास्त्री शिमशै और सामरिया में उनके बाकी साथियों को और महानदी के उस पार रहनेवाले बाकी लोगों को यह पैगाम भेजा:

“सलाम! 18 तुम लोगों ने जो खत भेजा था वह मुझे शब्द-ब-शब्द पढ़कर सुनाया गया।* 19 मेरे हुक्म पर दस्तावेज़ों में छानबीन की गयी और यह बात सामने आयी है कि पुराने ज़माने से यह शहर राजाओं के खिलाफ सिर उठाता आया है और विद्रोह और बगावत करता आया है।+ 20 ऐसे बहुत-से शक्‍तिशाली राजा भी थे जिन्होंने यरूशलेम और महानदी के उस पार के पूरे इलाके पर राज किया। और जिन्हें कर, माल पर महसूल और सड़क का महसूल अदा किया गया। 21 लेकिन अब इन आदमियों को हुक्म दो कि वे अपना काम रोक दें और जब तक मैं न कहूँ, इस शहर को दोबारा न बनाया जाए। 22 इस मामले पर जल्द-से-जल्द कार्रवाई की जाए ताकि राजा को और नुकसान न हो।”+

23 जब राजा अर्तक्षत्र का खत रहूम, शास्त्री शिमशै और उनके साथियों के सामने पढ़ा गया, तो वे फौरन यरूशलेम गए और उन्होंने जबरन यहूदियों का काम बंद करवा दिया। 24 तब यरूशलेम में सच्चे परमेश्‍वर के भवन का काम रुक गया और फारस के राजा दारा के राज के दूसरे साल तक ठप्प पड़ा रहा।+

5 फिर भविष्यवक्‍ता हाग्गै+ और भविष्यवक्‍ता जकरयाह+ जो इद्दो+ का पोता था, यहूदा और यरूशलेम में यहूदियों को परमेश्‍वर का संदेश सुनाने लगे। वे इसराएल के उस परमेश्‍वर के नाम से भविष्यवाणी करने लगे जो अपने लोगों के साथ था। 2 तब शालतीएल के बेटे जरुबाबेल+ और यहोसादाक के बेटे येशू+ ने यरूशलेम में परमेश्‍वर के भवन को एक बार फिर बनाना शुरू किया।+ इस काम में परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता उनके साथ थे और उनकी हिम्मत बढ़ाते रहे।+ 3 तब महानदी* के इस पार के इलाके का राज्यपाल तत्तनै और शतर-बोजनै अपने साथियों के साथ उनके पास आए और पूछने लगे, “किसके कहने पर तुमने यह काम शुरू किया और यह भवन बना रहे हो?” 4 उन्होंने यह भी पूछा, “उन सबके नाम बताओ जो यह इमारत खड़ी कर रहे हैं!” 5 मगर परमेश्‍वर की आँखें यहूदियों के मुखियाओं पर लगी थीं+ और दुश्‍मनों ने उनका काम नहीं रोका। पर उन्होंने राजा दारा को इसकी खबर भेजी और शाही फरमान के आने तक इंतज़ार किया।

6 महानदी के इस पार के इलाके के राज्यपाल तत्तनै ने और शतर-बोजनै और उसके साथियों यानी महानदी के इस पार के उप-राज्यपालों ने राजा दारा को जो खत भेजा 7 उसमें यह लिखा था:

“राजा दारा सलामत रहे! 8 हम राजा को खबर देना चाहते हैं कि जब हम यहूदा के प्रांत गए, तो हमने देखा कि वहाँ महान परमेश्‍वर का भवन बनाया जा रहा है। उसमें बड़े-बड़े पत्थर लगाए जा रहे हैं और लकड़ियाँ लगाकर उसकी दीवारें खड़ी की जा रही हैं। लोग ज़ोर-शोर से उसे बनाने में लगे हुए हैं जिस वजह से यह काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। 9 हमने उनके मुखियाओं से पूछा, ‘किसके कहने पर तुमने यह काम शुरू किया और यह भवन बना रहे हो?’+ 10 हमने उन लोगों के नाम भी पूछे जो इस काम में अगुवाई कर रहे हैं ताकि तुझे बता सकें।

11 जवाब में उन लोगों ने कहा, ‘हम स्वर्ग और पृथ्वी के परमेश्‍वर के सेवक हैं। हम उसी भवन को दोबारा बना रहे हैं, जिसे कई साल पहले इसराएल के एक महान राजा ने खड़ा किया था।+ 12 लेकिन जब हमारे पुरखों ने स्वर्ग के परमेश्‍वर का क्रोध भड़काया,+ तो उसने उन्हें बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर के हवाले कर दिया।+ उस कसदी राजा ने आकर इस भवन को तहस-नहस कर दिया+ और लोगों को बंदी बनाकर बैबिलोन ले गया।+ 13 लेकिन जब राजा कुसरू बैबिलोन का राजा बना, तो उसने अपने राज के पहले साल में परमेश्‍वर का भवन दोबारा बनाने का हुक्म दिया।+ 14 यही नहीं, उसने सोने-चाँदी के वे बरतन निकलवाए जिन्हें नबूकदनेस्सर यरूशलेम के मंदिर से उठाकर बैबिलोन के मंदिर में ले आया था।+ कुसरू ने ये बरतन शेशबस्सर* नाम के आदमी के हवाले किए+ जिसे उसने राज्यपाल ठहराया था।+ 15 उसने शेशबस्सर से कहा, “ये बरतन यरूशलेम के मंदिर में रखने के लिए वापस ले जा। और परमेश्‍वर के भवन को उसी जगह बना जहाँ वह पहले था।”+ 16 फिर शेशबस्सर यरूशलेम आया और उसने परमेश्‍वर के भवन की नींव डाली।+ तब से इस भवन को बनाने का काम चल रहा है, मगर अब तक पूरा नहीं हुआ।’+

17 अब अगर राजा को यह ठीक लगे तो वह बैबिलोन के शाही खज़ाने में ढूँढ़-ढाँढ़ करवाए। अगर राजा कुसरू ने सचमुच यरूशलेम में परमेश्‍वर का भवन खड़ा करने का हुक्म दिया था,+ तो वह फरमान ज़रूर वहाँ होगा। उसके बाद राजा का जो भी फैसला हो वह हमें बताया जाए।”

6 तब राजा दारा ने हुक्म दिया कि बैबिलोन के भंडार* में जहाँ कीमती चीज़ें रखी जाती हैं, ढूँढ़-ढाँढ़ की जाए। 2 खोज करने पर मादै प्रांत में एकबतना के किले में एक खर्रा बरामद हुआ, जिसके आधार पर यह फरमान निकाला गया:

3 “राजा कुसरू ने अपने राज के पहले साल में यरूशलेम में परमेश्‍वर के भवन के बारे में यह हुक्म दिया था:+ ‘भवन की नींव डाली जाए और उसे दोबारा बनाया जाए ताकि वहाँ बलिदान चढ़ाए जा सकें। भवन 60 हाथ* ऊँचा और 60 हाथ चौड़ा हो।+ 4 दीवारें खड़ी करते वक्‍त बड़े-बड़े पत्थरों के तीन रद्दे और मोटी लकड़ी का एक रद्दा डाला जाए।+ इनका खर्च शाही खज़ाने से दिया जाए।+ 5 और यरूशलेम में परमेश्‍वर के भवन से सोने-चाँदी के जितने बरतन नबूकदनेस्सर बैबिलोन ले आया था,+ उन्हें वापस अपनी जगह यानी परमेश्‍वर के मंदिर में रखा जाए।’+

6 इसलिए महानदी* के उस पार रहनेवाले राज्यपाल तत्तनै और शतर-बोजनै और उनके साथियो यानी महानदी के उस पार के उप-राज्यपालो,+ सुनो! उस जगह से दूर रहो। 7 परमेश्‍वर के भवन के काम में दखल मत दो। यहूदियों का राज्यपाल और उनके मुखिया भवन को दोबारा वहीं खड़ा करेंगे जहाँ वह पहले था। 8 मेरा यह भी हुक्म है कि परमेश्‍वर का भवन बनानेवाले इन मुखियाओं की मदद की जाए। महानदी के उस पार के इलाकों से जितना भी कर हमारे शाही खज़ाने+ में जमा होता है, उसमें से फौरन इमारत का खर्च उन्हें दिया जाए ताकि उनका काम बिना रुके चलता रहे।+ 9 और यरूशलेम में उनके याजक स्वर्ग के परमेश्‍वर को होम-बलि चढ़ाने के लिए बैल,+ मेढ़ा,+ मेम्ना+ जो भी माँगें, वह उन्हें दिया जाए। इसके अलावा गेहूँ,+ नमक,+ दाख-मदिरा,+ तेल+ जो कुछ उन्हें चाहिए, वह हर दिन बिना नागा उन्हें दिया जाए 10 ताकि वे स्वर्ग के परमेश्‍वर को ऐसे चढ़ावे अर्पित करते रहें जिनसे वह खुश हो। और वे राजा और उसके बेटों की लंबी उम्र की दुआ माँगते रहें।+ 11 मैं यह भी हुक्म देता हूँ, जो इस फरमान को नहीं मानेगा उसके घर से एक बल्ली उखाड़ी जाएगी और उसे उस पर लटका दिया जाएगा। * और इस अपराध के लिए उसके घर को हर आने-जानेवाले के लिए शौचालय* बना दिया जाएगा। 12 चाहे राजा हो या प्रजा, जो भी मेरा हुक्म तोड़कर यरूशलेम में परमेश्‍वर के भवन का नाश करेगा, परमेश्‍वर उसका सर्वनाश कर देगा, वही परमेश्‍वर जिसने इस भवन को अपने नाम की महिमा के लिए चुना है।+ मैं, राजा दारा यह हुक्म जारी करता हूँ। इस पर फौरन अमल किया जाए।”

13 तब महानदी के उस पार के राज्यपाल तत्तनै ने और शतर-बोजनै+ और उनके साथियों ने फौरन राजा दारा के हुक्म पर अमल किया और उसकी एक-एक बात मानी। 14 हाग्गै की भविष्यवाणियों और इद्दो के पोते जकरयाह की भविष्यवाणियों से हिम्मत पाकर+ यहूदियों के मुखियाओं ने भवन बनाना जारी रखा और उसे बड़ी तेज़ी से करते रहे।+ उन्होंने मंदिर का काम पूरा कर लिया, जिसका हुक्म इसराएल के परमेश्‍वर ने उन्हें दिया था+ और जिसका आदेश फारस के राजा कुसरू,+ दारा+ और अर्तक्षत्र* ने दिया था।+ 15 इस तरह मंदिर का काम अदार* महीने के तीसरे दिन पूरा हुआ। यह राजा दारा के राज का छठा साल था।

16 तब याजक, लेवी+ और बाकी जितने भी लोग बँधुआई से आए थे यानी सब इसराएलियों ने खुशी-खुशी परमेश्‍वर के भवन का उद्‌घाटन* किया। 17 इस मौके पर उन्होंने 100 बैल, 200 मेढ़े और 400 मेम्ने चढ़ाए। और पूरे इसराएल के लिए 12 बकरे पाप-बलि के तौर पर अर्पित किए, हर गोत्र के लिए एक बकरा।+ 18 इसके अलावा, उन्होंने याजकों के दल बनाए और लेवियों को समूहों में बाँटा और उन्हें यरूशलेम में परमेश्‍वर की सेवा के लिए ठहराया।+ मूसा की किताब में जैसा लिखा था वैसा ही किया गया।+

19 बँधुआई से छूटकर आए लोगों ने पहले महीने के 14वें दिन फसह का त्योहार मनाया।+ 20 सभी याजकों और लेवियों ने फसह मनाने के लिए खुद को शुद्ध किया,+ उनमें से एक भी अशुद्ध हालत में नहीं था। उन्होंने बँधुआई से लौटे सब लोगों के लिए, अपने साथी याजकों और अपने लिए फसह का मेम्ना काटा। 21 तब बँधुआई से आए इसराएलियों ने फसह का मेम्ना खाया। उनके साथ उन लोगों ने भी खाया जिन्होंने आस-पास के देशों के अशुद्ध काम छोड़कर खुद को शुद्ध किया था और इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की उपासना करने* के लिए उनके साथ हो लिए थे।+ 22 उन सबने खुशी-खुशी सात दिन तक बिन-खमीर की रोटी का त्योहार भी मनाया+ क्योंकि उन्हें ये खुशियाँ यहोवा की वजह से मिली थीं। इसराएल के परमेश्‍वर ने ही अश्‍शूर के राजा* के मन को उभारा था कि वह इसराएलियों पर मेहरबान हो+ और सच्चे परमेश्‍वर का भवन बनाने में उनकी मदद करे।

7 इसके बाद, फारस के राजा अर्तक्षत्र+ के राज में एज्रा*+ नाम का एक आदमी था। वह सरायाह+ का बेटा था, सरायाह अजरयाह का, अजरयाह हिलकियाह+ का, 2 हिलकियाह शल्लूम का, शल्लूम सादोक का, सादोक अहीतूब का, 3 अहीतूब अमरयाह का, अमरयाह अजरयाह+ का, अजरयाह मरायोत का, 4 मरायोत जरहयाह का, जरहयाह उज्जी का, उज्जी बुक्की का, 5 बुक्की अबीशू का, अबीशू फिनेहास+ का, फिनेहास एलिआज़र+ का और एलिआज़र, प्रधान याजक हारून का बेटा था।+ 6 यही एज्रा बैबिलोन से आया था। वह एक नकल-नवीस* था और इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने मूसा को जो कानून दिया था, उसका अच्छा ज्ञान रखता था।*+ उसका परमेश्‍वर यहोवा उसके साथ था इसलिए राजा के सामने उसने जो भी बिनती की, राजा ने उसे पूरा किया।

7 राजा अर्तक्षत्र के राज के सातवें साल में इसराएलियों, याजकों, लेवियों,+ गायकों,+ पहरेदारों+ और मंदिर के सेवकों*+ में से कुछ लोग एज्रा के साथ यरूशलेम के लिए निकले। 8 एज्रा, राजा अर्तक्षत्र के राज के सातवें साल के पाँचवें महीने में यरूशलेम आया। 9 वह पहले महीने के पहले दिन बैबिलोन से चला था और पाँचवें महीने के पहले दिन यरूशलेम पहुँचा। इस पूरे सफर में उसका परमेश्‍वर उसके साथ था।+ 10 एज्रा ने अपने दिल को तैयार किया* ताकि वह यहोवा के कानून का अध्ययन करे, उसके मुताबिक चले+ और उसमें दिए नियम और न्याय की बातें इसराएल को सिखाए।+

11 एज्रा जो एक याजक और नकल-नवीस* था और यहोवा के नियमों और आज्ञाओं की अच्छी समझ रखता था,* उसे राजा अर्तक्षत्र से एक खत मिला, जिसमें लिखा था:

12 * “राजाओं के राजा अर्तक्षत्र+ का स्वर्ग के परमेश्‍वर के कानून के नकल-नवीस,* याजक एज्रा के लिए यह पैगाम है: तुझे पूरी शांति मिले! 13 मैं यह फरमान जारी करता हूँ कि मेरे इलाके में रहनेवाले जो भी इसराएली, याजक और लेवी यरूशलेम जाना चाहते हैं, वे तेरे साथ जा सकते हैं।+ 14 राजा और उसके सात सलाहकारों की तरफ से तुझे यहूदा और यरूशलेम भेजा जा रहा है। तू जाकर इस बात की छानबीन कर कि तेरे पास परमेश्‍वर का जो कानून है, उसे लोग मान रहे हैं या नहीं। 15 और जो सोना-चाँदी राजा और उसके सलाहकारों ने इसराएल के परमेश्‍वर के लिए खुशी-खुशी दिया है, उसे तू यरूशलेम ले जा जहाँ परमेश्‍वर का निवास है। 16 और जो सोना-चाँदी तुझे पूरे बैबिलोन प्रांत से मिलेगा, साथ ही वे सारी भेंट जो इसराएली और याजक यरूशलेम के मंदिर के लिए अपनी मरज़ी से देंगे उसे भी साथ ले जा।+ 17 और वहाँ जाकर तू फौरन इससे बैल,+ मेढ़े,+ मेम्ने+ और उनके साथ चढ़ाया जानेवाला अनाज का चढ़ावा+ और अर्घ+ खरीदना। यह सब अपने परमेश्‍वर के भवन की वेदी पर चढ़ाना।

18 बचे हुए सोने-चाँदी का वही करना जो तुझे और तेरे भाइयों को ठीक लगे और जो तेरे परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक हो। 19 अपने परमेश्‍वर के भवन के लिए जो बरतन तुझे दिए जा रहे हैं, यरूशलेम पहुँचकर तू उन्हें परमेश्‍वर के सामने रख देना।+ 20 इसके अलावा, अगर तुझे परमेश्‍वर के भवन के लिए किसी और चीज़ की ज़रूरत हो, तो उसका खर्च शाही खज़ाने से ले लेना।+

21 मैं राजा अर्तक्षत्र, महानदी* के उस पार के सभी खज़ानचियों को यह हुक्म देता हूँ कि स्वर्ग के परमेश्‍वर के कानून का नकल-नवीस,* याजक एज्रा+ जो कुछ माँगे, वह सब उसे फौरन दिया जाए। 22 उसे ये सब दिया जाए: 100 तोड़े* चाँदी, 100 कोर* गेहूँ, 100 बत* दाख-मदिरा,+ 100 बत तेल+ और जितना नमक+ चाहिए उतना। 23 स्वर्ग के परमेश्‍वर ने अपने भवन के लिए जो भी हुक्म दिया है, उसे जोश के साथ पूरा किया जाए।+ कहीं ऐसा न हो कि स्वर्ग के परमेश्‍वर का क्रोध मेरे बेटों और मेरे राज्य के लोगों पर भड़क उठे।+ 24 मेरा यह भी हुक्म है कि किसी भी याजक, लेवी, साज़ बजानेवाले,+ पहरेदार, मंदिर के सेवक*+ और परमेश्‍वर के भवन के दूसरे सेवकों से न तो कर लिया जाए, न माल पर महसूल+ और न ही सड़क का महसूल।

25 हे एज्रा! तू परमेश्‍वर से मिली बुद्धि की मदद से महानदी के उस पार, अधिकारी और न्यायी ठहराना कि वे उन सब लोगों का न्याय करें, जो तेरे परमेश्‍वर के नियम-कानून जानते हैं। मगर जो ये नियम-कानून नहीं जानते उन्हें तू सिखाना।+ 26 अगर कोई तेरे परमेश्‍वर का कानून और राजा का कानून नहीं माने, तो उसे फौरन सज़ा देना। फिर चाहे तू उस पर जुरमाना लगाए, उसे जेल में डाले, देश-निकाला दे या मौत की सज़ा।”

27 हमारे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा की बड़ाई हो! उसी ने राजा के दिल में यह बात डाली कि वह यरूशलेम में यहोवा के भवन की शोभा बढ़ाए।+ 28 परमेश्‍वर ने अपने अटल प्यार का सबूत दिया है क्योंकि उसी की वजह से राजा, उसके सलाहकारों+ और उसके बड़े-बड़े हाकिमों की कृपा मुझ पर हुई है।+ मेरा परमेश्‍वर यहोवा मेरे साथ है, इसलिए मैंने हिम्मत रखी और इसराएली अगुवों को इकट्ठा किया कि वे मेरे साथ चलें।

8 राजा अर्तक्षत्र के राज में मेरे साथ बैबिलोन से लौटनेवाले मुखियाओं और उनके घरानों के नाम की सूची यह है:+ 2 फिनेहास के बेटों*+ में से गेरशोम; ईतामार+ के बेटों में से दानियेल; दाविद के बेटों में से हत्तूश; 3 शकन्याह और परोश के बेटों में से जकरयाह और उसके साथ 150 आदमी जिनके नाम सूची में हैं; 4 पहत-मोआब के बेटों+ में से जरहयाह का बेटा एल्यहो-एनै और उसके साथ 200 आदमी; 5 जत्तू के बेटों+ में से यहजीएल का बेटा शकन्याह और उसके साथ 300 आदमी; 6 आदीन के बेटों+ में से योनातान का बेटा एबेद और उसके साथ 50 आदमी; 7 एलाम के बेटों+ में से अतल्याह का बेटा यशाया और उसके साथ 70 आदमी; 8 शपत्याह के बेटों+ में से मीकाएल का बेटा जबद्याह और उसके साथ 80 आदमी; 9 योआब के बेटों में से यहीएल का बेटा ओबद्याह और उसके साथ 218 आदमी; 10 बानी के बेटों में से योसिप्याह का बेटा शलोमीत और उसके साथ 160 आदमी; 11 बेबई के बेटों+ में से जकरयाह, जो बेबई का बेटा था और उसके साथ 28 आदमी; 12 अजगाद के बेटों+ में से हक्कातान का बेटा योहानान और उसके साथ 110 आदमी; 13 अदोनीकाम के बचे हुए बेटे+ यानी एलीपेलेत, यीएल और शमायाह और उनके साथ 60 आदमी; 14 और बिगवै के बेटों+ में से ऊतै और जब्बूद और उनके साथ 70 आदमी।

15 मैंने इन आदमियों को उस नदी के पास इकट्ठा किया जो अहवा की ओर बहती थी।+ हमने वहाँ तीन दिन तक डेरा डाला। जब मैंने लोगों और याजकों की जाँच-परख की तो मुझे एक भी लेवी न मिला। 16 तब मैंने एलीएज़ेर, अरीएल, शमायाह, एलनातान, यारीब, एलनातान, नातान, जकरयाह और मशुल्लाम को बुलवाया जो अगुवे थे। मैंने योयारीब और एलनातान को भी बुलवाया जो शिक्षक थे। 17 मैंने उन्हें इद्दो के पास जाने का आदेश दिया जो कासिप्या का अगुवा था। और इद्दो और उसके भाइयों को, जो मंदिर के सेवक* थे और कासिप्या में रहते हैं यह संदेश देने को कहा कि हमारे परमेश्‍वर के भवन के लिए सेवकों को लाओ। 18 हमारा परमेश्‍वर हमारे साथ था इसलिए शेरेब्याह,+ उसके बेटों और भाइयों को लाया गया, पूरे 18 आदमी। शेरेब्याह सूझ-बूझ से काम करनेवाला आदमी था। वह इसराएल के बेटे लेवी और लेवी के पोते महली के वंश+ से था। 19 इसके अलावा, हशब्याह को और मरारियों+ में से यशाया, उसके भाइयों और उनके बेटों को भी लाया गया, पूरे 20 आदमी। 20 और मंदिर के सेवकों* में से 220 आदमी लाए गए, जिन्हें भवन में सेवा करने के लिए चुना गया था। मंदिर के सेवकों* को दाविद और हाकिमों ने लेवियों की मदद के लिए रखा था।

21 फिर मैंने अहवा नदी के पास उपवास की घोषणा की ताकि हम अपने परमेश्‍वर के सामने खुद को नम्र करें और उससे बिनती करें कि वह सफर में हमारे साथ रहे और हम अपने बच्चों और सामान के साथ सही-सलामत अपने देश पहुँचें। 22 रास्ते में दुश्‍मनों से बचने के लिए राजा से सैनिक और घुड़सवार माँगने में मुझे संकोच हो रहा था क्योंकि मैंने राजा से कहा था, “हमारे परमेश्‍वर का हाथ उन सब पर रहता है जो उसकी खोज में रहते हैं।+ मगर जो उसे छोड़ देते हैं उसका क्रोध उन पर भड़क उठता है और वह उनके खिलाफ अपनी शक्‍ति दिखाता है।”+ 23 इसलिए हमने उपवास किया और हिफाज़त के लिए परमेश्‍वर से बिनती की और उसने हमारी सुन ली।+

24 फिर मैंने याजकों के प्रधानों में से 12 को चुनकर अलग किया। शेरेब्याह, हशब्याह+ और उनके 10 भाइयों को। 25 मैंने उनके सामने वह सोना-चाँदी और बरतन तौले जो राजा, उसके सलाहकारों, उसके हाकिमों और सभी इसराएलियों ने परमेश्‍वर के भवन के लिए दान किए थे।+ 26 मैंने यह सब तौलकर उन्हें सौंपा: 650 तोड़े* चाँदी, चाँदी के 100 बरतन जिनकी कीमत 2 तोड़ों के बराबर थी, 100 तोड़े सोना, 27 सोने की 20 कटोरियाँ जिनकी कीमत 1,000 दर्कनोन* के बराबर थी और दमकते लाल रंग के बढ़िया ताँबे के 2 बरतन, जो सोने जितने कीमती थे।

28 तब मैंने उनसे कहा, “तुम यहोवा की नज़र में पवित्र हो+ और ये बरतन भी पवित्र हैं। और यह सोना-चाँदी तुम्हारे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा के लिए भेंट में दिया गया है। 29 इसलिए यरूशलेम पहुँचने तक इन्हें सँभालकर रखना। और वहाँ यहोवा के भवन के भंडार-घरों में याजकों और लेवियों के प्रधानों और इसराएली कुलों के हाकिमों के सामने इन्हें तौलकर दे देना।”+ 30 तब याजकों और लेवियों ने सोना-चाँदी और उन बरतनों को लिया जो उन्हें तौलकर दिए गए थे ताकि उन्हें यरूशलेम में अपने परमेश्‍वर के भवन में ला सकें।

31 फिर पहले महीने+ के 12वें दिन हमने अहवा नदी से अपना डेरा उठाया+ और हम यरूशलेम की ओर चल दिए। हमारा परमेश्‍वर हमारे साथ था और पूरे सफर में वह दुश्‍मनों और घात लगानेवालों से हमारी हिफाज़त करता रहा। 32 यरूशलेम पहुँचने पर+ हम तीन दिन वहाँ रहे। 33 चौथे दिन हम सोना-चाँदी और बरतन लेकर परमेश्‍वर के भवन में गए। वहाँ हमने इन्हें तौलकर उरीयाह के बेटे, याजक मरेमोत+ के हवाले कर दिया।+ मरेमोत के साथ, फिनेहास का बेटा एलिआज़र और लेवियों में से येशू का बेटा योजाबाद+ और बिन्‍नूई+ का बेटा नोअद्याह भी वहाँ मौजूद था। 34 सब चीज़ों को गिनकर और तौलकर उनका पूरा वज़न लिख लिया गया। 35 ये लोग जो बैबिलोन की बँधुआई से छूटकर वापस अपने देश आए थे, उन्होंने पूरे इसराएल की तरफ से इसराएल के परमेश्‍वर को इन जानवरों की होम-बलि चढ़ायी: 12 बैल,+ 96 मेढ़े,+ 77 मेम्ने और पाप-बलि के तौर पर 12 बकरे।+ यह सब यहोवा के लिए होम-बलि थी।+

36 इसके बाद, हमने महानदी*+ के इस पार रहनेवाले राजा के सूबेदारों और राज्यपालों को राजा का फरमान दिया।+ उन्होंने लोगों की मदद की और सच्चे परमेश्‍वर के भवन के काम में सहयोग दिया।+

9 जब यह सारे काम पूरे हो चुके, तब हाकिमों ने मेरे पास आकर कहा, “इसराएल के लोगों, याजकों और लेवियों ने आस-पास के कनानियों, हित्तियों, परिज्जियों, यबूसियों, अम्मोनियों, मोआबियों, मिस्रियों+ और एमोरियों+ से खुद को अलग नहीं रखा और न ही वे उनके घिनौने कामों से दूर रहे।+ 2 उनमें से कुछ ने उनकी बेटियों से शादी की और अपने बेटों की शादी भी उन्हीं लोगों में करवायी।+ इस वजह से यह पवित्र वंश*+ आस-पास के देशों के लोगों के साथ घुल-मिल गया है।+ हमारे कुछ हाकिम और अधिकारी* यह पाप करने में सबसे आगे रहे हैं।”

3 यह सुनते ही मैंने दुख के मारे अपने कपड़े और बिन आस्तीन का चोगा फाड़ा, अपने सिर और दाढ़ी के बाल नोचे और सदमे में आकर वहीं ज़मीन पर बैठ गया। 4 तब वे लोग जो इसराएल के परमेश्‍वर की बातों का आदर करते थे,* मेरे आस-पास इकट्ठा हुए। उन्हें भी अफसोस था कि बँधुआई से लौटे लोगों ने कितना बड़ा पाप किया है। मैं शाम को अनाज के चढ़ावे के वक्‍त+ तक सदमे की हालत में बैठा रहा।

5 शाम को जब अनाज का चढ़ावा चढ़ाने का वक्‍त आया,+ तो मैं उन्हीं कपड़ों और बिन आस्तीन के चोगे में शोक की हालत से उठा। मैं अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने घुटनों के बल गिरा और हाथ फैलाकर 6 मैंने उससे कहा, “हे मेरे परमेश्‍वर, मैं इतना शर्मिंदा और लज्जित हूँ कि तुझसे बात करने की मुझमें हिम्मत नहीं। क्योंकि हमारे गुनाह बहुत बढ़ गए हैं और हमारा दोष बढ़ते-बढ़ते आसमान तक पहुँच गया है।+ 7 अपने पुरखों के ज़माने से लेकर आज तक हमने बहुत बुरे काम किए हैं।+ हमारे गुनाहों की वजह से हमें, हमारे राजाओं और याजकों को दूसरे देश के राजाओं के हाथ कर दिया गया। उन्होंने हमें अपनी तलवार का कौर बनाया,+ हमें बँधुआई में ले गए,+ हमें पूरी तरह लूट लिया+ और हमारा शर्मनाक हाल कर दिया। आज भी हमारा बुरा हाल है।+ 8 लेकिन हे हमारे परमेश्‍वर यहोवा, कुछ समय से तूने हम पर दया की है और हमें पूरी तरह मिटने नहीं दिया बल्कि वापस यहाँ लाकर अपने निवास-स्थान में एक महफूज़ जगह* दी है।+ तू हमारी आँखों में चमक ले आया है और इस गुलामी में तूने हमें राहत दी है। 9 इस हालत में भी+ तूने हमें बेसहारा नहीं छोड़ा बल्कि अपने अटल प्यार का सबूत दिया और फारस के राजाओं को हम पर मेहरबान होने दिया।+ तूने हमारी मदद की ताकि हम तेरा भवन बनाएँ+ और उसके खंडहरों को दोबारा खड़ा करें। तूने यहूदा और यरूशलेम में हमारे लिए चारों तरफ हिफाज़त की* दीवार खड़ी की है।

10 इतना सब होने के बाद भी, हे हमारे परमेश्‍वर, हमने तेरी आज्ञाओं को नहीं माना 11 जो तूने अपने सेवकों, अपने भविष्यवक्‍ताओं के ज़रिए हमें दी थीं और कहा था, ‘जिस देश को तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो वह एक अशुद्ध देश है क्योंकि वहाँ के लोग अशुद्ध हैं और उन्होंने घिनौने काम करके उसे दूषित कर दिया है। उन्होंने देश के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक उसे अशुद्ध कामों से भर दिया है।+ 12 इसलिए तुम न तो अपनी बेटियों की शादी उनके बेटों से करवाना और न ही अपने बेटों की शादी उनकी बेटियों से।+ तुम उनकी शांति और खुशहाली के लिए कुछ मत करना।+ तभी तुम शक्‍तिशाली बनोगे और देश की बढ़िया उपज खाओगे और अपने बेटों को विरासत में यह देश दे सकोगे कि वह हमेशा उनका बना रहे।’ 13 तूने हमें अपने बुरे कामों और पापों का सिला दिया है। मगर हम जितनी बड़ी सज़ा पाने के लायक थे, तूने हमें उससे कम ही सज़ा दी+ और हमें छुड़ाया।+ 14 अब क्या हम फिर तेरी आज्ञाएँ तोड़ दें और घिनौने काम करनेवालों के साथ रिश्‍तेदारी कर लें?+ क्या ऐसा करने से तेरा क्रोध हम पर नहीं भड़क उठेगा और तू हमें नहीं मिटा देगा? तब तो हममें से कोई नहीं बचेगा। 15 हे इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा, तू एक नेक परमेश्‍वर है+ क्योंकि तूने हममें से कुछ लोगों को ज़िंदा रहने दिया है। देख! हम तेरे सामने दोषी खड़े हैं जबकि अपने अपराध के कारण हम तेरे सामने खड़े होने के लायक भी नहीं।”+

10 एज्रा सच्चे परमेश्‍वर के भवन के सामने मुँह के बल पड़ा हुआ रो-रोकर प्रार्थना कर रहा था+ और अपने लोगों के पाप कबूल कर रहा था। तब इसराएली आदमी-औरतों और बच्चों की एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठा हो गयी और फूट-फूटकर रोने लगी। 2 एलाम के बेटों*+ में से यहीएल+ के बेटे शकन्याह ने एज्रा से कहा, “हमने आस-पास के देशों की औरतों से शादी करके* अपने परमेश्‍वर के साथ विश्‍वासघात किया है।+ मगर इसराएल के लिए अब भी उम्मीद बाकी है। 3 हम अपने परमेश्‍वर के साथ यह करार करना चाहते हैं+ कि हम अपनी-अपनी पत्नियों को वापस उनके देश भेज देंगे। और उनके साथ-साथ बच्चों को भी खुद से दूर कर देंगे। इस तरह हम यहोवा के आदेशों को मानेंगे और उन लोगों की सलाह पर चलेंगे जो परमेश्‍वर की आज्ञाओं का गहरा आदर करते हैं।*+ जैसा कानून में कहा गया है हम वैसा ही करेंगे। 4 हे एज्रा उठ क्योंकि इस मामले को निपटाना तेरी ज़िम्मेदारी है और हम तेरे साथ हैं। हिम्मत रख और इस काम को पूरा कर।”

5 तब एज्रा उठा और उसने याजकों के प्रधानों, लेवियों और सब इसराएलियों को शपथ खिलायी कि जैसा उन्होंने कहा है वैसा ही करें।+ उन सबने शपथ खायी। 6 फिर एज्रा सच्चे परमेश्‍वर के भवन के सामने से उठकर एल्याशीब के बेटे यहोहानान के भोजन के कमरे में गया। लेकिन एज्रा ने वहाँ कुछ नहीं खाया-पीया क्योंकि वह बँधुआई से आए अपने लोगों के विश्‍वासघात पर शोक मना रहा था।+

7 तब पूरे यहूदा और यरूशलेम में घोषणा करवायी गयी कि बँधुआई से आए सभी लोग यरूशलेम में इकट्ठा हों। 8 अगर कोई हाकिमों और मुखियाओं का यह फैसला नहीं मानेगा और तीन दिन के अंदर नहीं आएगा, तो उसकी सारी चीज़ें ज़ब्त कर ली जाएँगी और उसे बँधुआई से आए लोगों की मंडली से बेदखल कर दिया जाएगा।+ 9 यहूदा और बिन्यामीन के सभी आदमी तीन दिन के अंदर यरूशलेम में इकट्ठा हो गए। नौवें महीने के 20वें दिन सब लोग सच्चे परमेश्‍वर के भवन के आँगन में बैठे हुए थे। मामला बड़ा संगीन था इसलिए उनके हाथ-पैर काँप रहे थे। ठंड के मारे भी उनकी कँपकँपी छूट रही थी क्योंकि ज़ोरों की बारिश हो रही थी।

10 तब याजक एज्रा ने उनसे कहा, “तुमने आस-पास के देशों की औरतों से शादी करके परमेश्‍वर के साथ विश्‍वासघात किया है।+ ऐसा करके तुमने इसराएल को और दोषी बना दिया है। 11 इसलिए अब अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपने पाप मान लो और उसकी मरज़ी के मुताबिक काम करो। आस-पास के देशों के लोगों से खुद को अलग करो और उन औरतों से भी जिनसे तुमने शादी की है।”+ 12 तब पूरी मंडली ने ज़ोर से कहा, “जैसा तूने कहा है हम वैसा ही करेंगे। 13 मगर इस बारिश के मौसम में इतने सारे लोगों का बाहर खड़े रहना मुश्‍किल है। और यह मामला ऐसा नहीं कि इसे एक-दो दिन में सुलझाया जा सके क्योंकि हममें से बहुतों ने यह पाप किया है। 14 इसलिए पूरी मंडली के बजाय हमारे हाकिमों को यहाँ रहने दे।+ और जिस-जिस ने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की है, वह एक तय वक्‍त पर अपने-अपने शहर के मुखिया और न्यायी के साथ आए। तभी इस मामले में परमेश्‍वर की जलजलाहट हमसे दूर होगी।”

15 लेकिन असाहेल के बेटे योनातान और तिकवा के बेटे यहजयाह ने इसका विरोध किया और मशुल्लाम और शब्बतै नाम के लेवियों+ ने उनका साथ दिया। 16 मगर बँधुआई से छूटे लोगों ने वही किया जो तय किया गया था। दसवें महीने के पहले दिन याजक एज्रा ने मामले की जाँच के लिए इसराएल के उन आदमियों की बैठक बुलायी, जो अपने-अपने पिता के कुल के मुखिया थे और जिनके नाम लिखे हुए थे। 17 और पहले महीने के पहले दिन तक उन्होंने उन सभी आदमियों का मामला निपटा लिया, जिन्होंने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की थी। 18 जाँच करने पर पता चला था कि याजकों के कुछ बेटों ने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की थी।+ वे थे: यहोसादाक के बेटे येशू+ के भाइयों और बेटों में से मासेयाह, एलीएज़ेर, यारीब और गदल्याह। 19 लेकिन उन्होंने वादा किया कि वे अपनी पत्नियों को वापस उनके देश भेज देंगे। और क्योंकि वे दोषी थे उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने पापों के प्रायश्‍चित के लिए झुंड से एक-एक मेढ़ा चढ़ाएँगे।+

20 पाप करनेवालों में ये भी थे: इम्मेर के बेटों+ में से हनानी और जबद्याह; 21 हारीम के बेटों+ में से मासेयाह, एलियाह, शमायाह, यहीएल और उज्जियाह; 22 पशहूर के बेटों+ में से एल्योएनै, मासेयाह, इश्‍माएल, नतनेल, योजाबाद और एलिआसा। 23 और लेवियों में से योजाबाद, शिमी, केलायाह (यानी कलीता), पतहयाह, यहूदा और एलीएज़ेर। 24 गायकों में से एल्याशीब और पहरेदारों में से शल्लूम, तेलेम और ऊरी।

25 इसराएलियों में से ये थे: परोश के बेटों+ में से रम्याह, यिज्जियाह, मल्कियाह, मियामीन, एलिआज़र, मल्कियाह और बनायाह। 26 एलाम के बेटों+ में से मत्तन्याह, जकरयाह, यहीएल,+ अब्दी, यरेमोत और एलियाह। 27 जत्तू के बेटों+ में से एल्योएनै, एल्याशीब, मत्तन्याह, यरेमोत, जाबाद और अज़ीज़ा। 28 बेबई के बेटों+ में से यहोहानान, हनन्याह, जब्बै और अतलै। 29 बानी के बेटों में से मशुल्लाम, मल्लूक, अदायाह, याशूब, शाल और यरेमोत। 30 पहत-मोआब के बेटों+ में से अदना, कलाल, बनायाह, मासेयाह, मत्तन्याह, बसलेल, बिन्‍नूई और मनश्‍शे। 31 हारीम के बेटों+ में से एलीएज़ेर, यिश्‍शियाह, मल्कियाह,+ शमायाह, शिमोन, 32 बिन्यामीन, मल्लूक और शमरयाह। 33 हाशूम के बेटों+ में से मत्तनै, मत्तता, जाबाद, एलीपेलेत, यरेमै, मनश्‍शे और शिमी। 34 बानी के बेटों में से मादै, अमराम, ऊएल, 35 बनायाह, बेदयाह, कलूही, 36 वन्याह, मरेमोत, एल्याशीब, 37 मत्तन्याह, मत्तनै और यासू। 38 बिन्‍नूई के बेटों में से शिमी, 39 शेलेम्याह, नातान, अदायाह, 40 मक्नदबै, शाशै, शारै, 41 अजरेल, शेलेम्याह, शमरयाह, 42 शल्लूम, अमरयाह और यूसुफ। 43 और नबो के बेटों में से यीएल, मतित्याह, जाबाद, जबीना, यद्दई, योएल और बनायाह। 44 इन सबने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की थी+ और अपने-अपने बीवी-बच्चों को वापस उनके देश भेज दिया।+

या शायद, “जो यरूशलेम में है।”

शायद यह जरुबाबेल है, जिसका ज़िक्र एज 2:2; 3:8 में हुआ है।

इस अध्याय में “बेटे” का मतलब “वंशज” भी हो सकता है। और कुछ जगहों पर “बेटे” का मतलब “निवासी” भी हो सकता है।

नहे 7:15 में इसे “बिन्‍नूई” कहा गया है।

नहे 7:24 में इसे “हारीप” कहा गया है।

नहे 7:25 में इसे “गिबोन” कहा गया है।

या “नतीन लोगों।” शा., “दिए गए लोगों।”

या “नतीन लोगों।” शा., “दिए गए लोगों।”

या “वे अशुद्ध ठहरे और उन्हें निकाल दिया।”

या “तिरशाता।” यह किसी प्रांत के राज्यपाल को दिया एक फारसी खिताब है।

माना जाता है कि द्राख्मा, सोने के फारसी सिक्के दर्कनोन के बराबर था जिसका वज़न 8.4 ग्रा. था। मगर यह यूनानी शास्त्र में बताया द्राख्मा नहीं है। अति. ख14 देखें।

इब्रानी शास्त्र में बताए एक मीना का वज़न 570 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।

या “नतीन लोग।” शा., “दिए गए लोग।”

एज 2:40 में इसे “होदव्याह” कहा गया है और नहे 7:43 में “होदवा।”

शा., “की खोज करते हैं।”

शा., “के हाथ ढीले करने लगे।”

या शायद, “इसे अरामी भाषा में लिखा गया और फिर इसका अनुवाद किया गया।”

मूल पाठ में एज 4:8 से लेकर 6:18 तक का हिस्सा अरामी भाषा में लिखा गया था।

यानी अश्‍शूरबनीपाल।

यानी फरात नदी के पश्‍चिम में।

शा., “अपने पुरखों।”

या शायद, “वह अनुवाद करके पढ़ा गया।”

या “फरात नदी।”

शायद यह जरुबाबेल है, जिसका ज़िक्र एज 2:2; 3:8 में हुआ है।

शा., “दस्तावेज़ों के भवन।”

करीब 26.7 मी. (87.6 फुट)। अति. ख14 देखें।

या “फरात नदी।”

या “और उसे घोंपकर लटका दिया जाएगा।”

या शायद, “कूड़े की जगह; गू-गोबर का ढेर।”

यानी अर्तक्षत्र प्रथम। यह एज 4:7 में बताया अर्तक्षत्र गौमाता नहीं है।

अति. ख15 देखें।

या “समर्पण।”

शा., “की खोज करने।”

फारस के राजा दारा प्रथम के लिए इस्तेमाल हुई उपाधि। उस वक्‍त वह उस इलाके पर राज कर रहा था जो पहले अश्‍शूरी साम्राज्य का इलाका था।

मतलब “मदद।”

या “शास्त्री।”

या “उसकी नकल तैयार करने में माहिर था।”

या “नतीन लोगों।” शा., “दिए गए लोगों।”

या “अपने मन में ठाना।”

या “शास्त्री।”

या “की नकल तैयार करता था।”

मूल पाठ में एज 7:12 से लेकर 7:26 तक का हिस्सा अरामी भाषा में लिखा गया था।

या “शास्त्री।”

या “फरात नदी।”

या “शास्त्री।”

एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।

एक कोर 220 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।

एक बत 22 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।

या “नतीन लोग।” शा., “दिए गए लोग।”

इस अध्याय में “बेटे” का मतलब “वंशज” भी हो सकता है।

या “नतीन लोग।” शा., “दिए गए लोग।”

या “नतीन लोगों।” शा., “दिए गए लोगों।”

या “नतीन लोगों।” शा., “दिए गए लोगों।”

एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।

दर्कनोन सोने का एक फारसी सिक्का था। अति. ख14 देखें।

या “फरात नदी।”

शा., “बीज।”

या “मातहत अधिकारी।”

शा., “बातों के कारण थरथराते थे।”

शा., “एक खूँटी।”

या “पत्थर की।”

इस अध्याय में “बेटे” का मतलब “वंशज” भी हो सकता है। और कुछ जगहों पर “बेटे” का मतलब “निवासी” भी हो सकता है।

या “औरतों को अपने घरों में लाकर।”

शा., “आज्ञाओं के कारण थरथराते हैं।”

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