भजन
पहली किताब
(भजन 1-41)
1 सुखी है वह इंसान जो दुष्टों की सलाह पर नहीं चलता,
पापियों की राह पर खड़ा नहीं होता,+
न ही हँसी-ठट्ठा करनेवालों के साथ बैठता है।+
3 वह ऐसे पेड़ की तरह होगा जो बहते पानी के पास लगाया गया है,
जो समय पर फल देता है,
जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं।
वह आदमी अपने हर काम में कामयाब होगा।+
4 मगर दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते,
वे भूसी की तरह होते हैं जिसे हवा उड़ा ले जाती है।
3 वे कहते हैं, “आओ, हम उनकी लगायी ज़ंजीरें तोड़ दें,
उनकी रस्सियाँ काट फेंकें!”
4 स्वर्ग में विराजमान परमेश्वर उन पर हँसेगा,
यहोवा उनका मज़ाक उड़ाएगा।
5 उस वक्त वह उन पर बरस पड़ेगा,
अपनी जलजलाहट से उन्हें घबरा देगा।
11 यहोवा का डर मानते हुए उसकी सेवा करो,
उसका गहरा आदर करो और आनंद मनाओ।
12 बेटे का सम्मान करो,*+ वरना परमेश्वर का* क्रोध भड़क उठेगा
और तुम ज़िंदगी की राह से मिट जाओगे,+
क्योंकि उसका गुस्सा कभी-भी भड़क सकता है।
सुखी हैं वे सब जो परमेश्वर की पनाह लेते हैं।
दाविद का सुरीला गीत। यह गीत उस समय का है जब दाविद अपने बेटे अबशालोम से भाग रहा था।+
3 हे यहोवा, इतने सारे लोग मेरे दुश्मन कैसे बन गए?+
मेरे खिलाफ उठनेवाले ये सब कहाँ से आ गए?+
2 बहुत-से लोग मेरे बारे में कहते हैं,
“परमेश्वर उसे नहीं बचाएगा।”+ (सेला )*
7 हे यहोवा, उठ! मेरे परमेश्वर, मुझे बचा ले!+
तू मेरे सभी दुश्मनों के जबड़े पर मारेगा,
उन दुष्टों के दाँत तोड़ डालेगा।+
8 उद्धार करनेवाला यहोवा ही है।+
तेरी आशीष तेरे लोगों पर रहती है। (सेला )
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए।
4 हे मेरे नेक परमेश्वर,+ जब मैं तुझे पुकारूँ तो मुझे जवाब दे।
मुसीबतों से घिर जाऊँ तो मेरे लिए कोई रास्ता निकाल।*
मुझ पर कृपा कर और मेरी प्रार्थना सुन।
2 हे लोगो, तुम कब तक मेरा आदर करने के बजाय अपमान करते रहोगे,
बेकार की बातों से लगाव रखोगे, झूठ के पीछे भागते रहोगे? (सेला )
4 अगर तुम गुस्से से भर जाओ, तो भी पाप मत करो।+
बिस्तर पर लेटे मन-ही-मन सोचो और शांत रहो। (सेला )
6 बहुत-से हैं जो कहते हैं, “कौन हमें अच्छे दिन दिखाएगा?”
हे यहोवा, अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका।+
7 तूने मेरे दिल को उनसे ज़्यादा खुशियाँ दी हैं,
जिनके पास भरपूर फसल और नयी दाख-मदिरा है।
दाविद का सुरीला गीत। नहिलोत* के लिए निर्देशक को हिदायत।
2 मेरी मदद की पुकार सुन,
क्योंकि हे मेरे राजा, मेरे परमेश्वर, मैं तुझी से प्रार्थना करता हूँ।
3 हे यहोवा, भोर को तू मेरी आवाज़ सुनेगा,+
भोर को मैं अपनी चिंता तुझे बताऊँगा+ और जवाब का इंतज़ार करूँगा।
5 कोई भी मगरूर तेरे सामने खड़ा नहीं रह सकता।
यहोवा खूँखार और धोखेबाज़ लोगों* से घिन करता है।+
7 मगर मैं तेरे महान अटल प्यार+ की वजह से तेरे भवन में आऊँगा,+
तेरे पवित्र मंदिर* की तरफ मुँह करके श्रद्धा और भय से दंडवत करूँगा।+
8 हे यहोवा, मेरे दुश्मनों की वजह से तू मुझे अपनी नेक राह पर ले चल,
उस राह पर आनेवाली हर बाधा दूर कर।+
9 उनकी कोई भी बात भरोसे के लायक नहीं,
उनका मन मैला है,
उनका गला एक खुली कब्र है,
उनकी जीभ चिकनी-चुपड़ी बातें कहती है।+
अपने अनगिनत अपराधों की वजह से वे खदेड़ दिए जाएँ,
क्योंकि उन्होंने तुझसे बगावत की है।
जो उन्हें चोट पहुँचाने आते हैं, उनका रास्ता तू रोक देगा
और तेरे नाम से प्यार करनेवाले तेरे कारण आनंद मनाएँगे।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत शेमिनिथ* की धुन पर तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए।
2 हे यहोवा, मुझ पर कृपा* कर, मैं कमज़ोर हो गया हूँ।
हे यहोवा, मुझे चंगा कर,+ मेरी हड्डियाँ काँप रही हैं।
6 आहें भरते-भरते मैं पस्त हो चुका हूँ।+
मैं पूरी रात अपना बिस्तर आँसुओं से भिगोता हूँ,
आँसुओं के सैलाब में मेरा दीवान डूब जाता है।+
10 मेरे सभी दुश्मन शर्मिंदा किए जाएँगे और खौफ खाएँगे,
अचानक ही उनकी बेइज़्ज़ती होगी और वे भाग जाएँगे।+
दाविद का शोकगीत। इसमें वह यहोवा से उन बातों का ज़िक्र करता है जो बिन्यामीन गोत्र के कूश ने कही थीं।
7 हे यहोवा मेरे परमेश्वर, मैंने तेरी पनाह ली है।+
सतानेवालों से मुझे बचा ले, मुझे छुड़ा ले।+
3 हे यहोवा मेरे परमेश्वर, अगर गलती मेरी है,
मैंने कोई अन्याय किया है,
4 किसी की अच्छाई का बदला बुराई से दिया है+
या दुश्मन को बेवजह लूटा है,*
5 तो तू दुश्मन को न रोक,
वह मेरा पीछा करके मुझे पकड़ ले,
मुझे ज़मीन पर रौंदकर मार डाले,
मेरी शान मिट्टी में मिला दे। (सेला )
6 हे यहोवा, उठ! अपना क्रोध दिखा,
मेरे झुँझलाए हुए दुश्मनों के खिलाफ खड़ा हो,+
मेरी खातिर जाग और न्याय की माँग कर।+
7 राष्ट्र तुझे घेर लें
और तू ऊँचे पर से उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।
8 यहोवा देश-देश के लोगों को फैसला सुनाएगा।+
हे यहोवा, मेरे नेक और निर्दोष चालचलन के मुताबिक
मेरा न्याय कर।+
9 दुष्टों की करतूतों का अंत कर दे,
मगर नेक लोगों को महफूज़ रख,+
क्योंकि तू नेक परमेश्वर है,+ जो दिलों को और गहरी भावनाओं को जाँचता है।*+
10 परमेश्वर मेरी ढाल है,+ सीधे-सच्चे मनवालों का उद्धारकर्ता है।+
तो परमेश्वर अपनी तलवार तेज़ करता है,+
अपनी कमान चढ़ाता है,+
13 अपने घातक हथियार तैयार करता है,
अपने जलते तीरों से निशाना साधता है।+
दाविद का सुरीला गीत। गित्तीत* के सिलसिले में निर्देशक के लिए हिदायत।
8 हे यहोवा हमारे प्रभु, पूरी धरती पर तेरा नाम क्या ही गौरवशाली है!
2 तूने अपने बैरियों की वजह से
नन्हे-मुन्नों और दूध-पीते बच्चों के मुँह से+ अपनी ताकत दिखायी है
ताकि दुश्मन और बदला लेनेवाले को खामोश कर सके।
3 जब मैं आसमान को निहारता हूँ जो तेरी हस्तकला है,
जब मैं चाँद-सितारों को देखता हूँ जो तेरी रचना हैं,+
4 तो मैं सोच में पड़ जाता हूँ,
‘नश्वर इंसान है ही क्या कि तू उसका खयाल रखे?
इंसान है ही क्या कि तू उसकी परवाह करे?’+
7 भेड़-बकरियाँ, गाय-बैल, जंगली जानवर,+
8 आसमान के पंछी, समुंदर की मछलियाँ,
पानी में तैरनेवाले सारे जीव।
9 हे यहोवा हमारे प्रभु, पूरी धरती पर तेरा नाम क्या ही गौरवशाली है!
दाविद का सुरीला गीत। मूत-लब्बेन* के सिलसिले में निर्देशक के लिए हिदायत।
א [आलेफ ]
2 मैं तेरे कारण मगन होऊँगा, खुशियाँ मनाऊँगा,
हे परम-प्रधान परमेश्वर, मैं तेरे नाम की तारीफ में गीत गाऊँगा।*+
ב [बेथ ]
ג [गिमेल ]
ה [हे ]
ו [वाव ]
10 तेरा नाम जाननेवाले तुझ पर भरोसा रखेंगे,+
हे यहोवा, जो तेरी खोज करते हैं, उन्हें तू कभी नहीं छोड़ेगा।+
ז [जैन ]
11 यहोवा, जो सिय्योन में निवास करता है, उसकी तारीफ में गीत गाओ,
उसके कामों के बारे में देश-देश के लोगों को बताओ।+
ח [हेथ ]
13 हे यहोवा, मुझ पर कृपा कर,
तू जो मुझे मौत के फाटकों से उठाता है,+
मेरे दुख पर ध्यान दे जो दुश्मन मुझे दे रहे हैं
14 ताकि मैं सिय्योन की बेटी के फाटकों के पास
तेरे उन कामों का ऐलान करूँ जो तारीफ के काबिल हैं,+
तू जो उद्धार दिलाता है उससे मगन होऊँ।+
ט [टेथ ]
15 राष्ट्रों ने जो गड्ढा खोदा था उसमें वे खुद गिर पड़े,
उन्होंने जो जाल बिछाया था उसमें उन्हीं के पैर फँस गए।+
16 यहोवा जो सज़ा देता है, वह दिखाता है कि वह कैसा परमेश्वर है।+
दुष्ट की कारस्तानी उसी के लिए फंदा बन गयी है।+
हिग्गायोन।* (सेला )
י [योध ]
17 दुष्ट कब्र में लौट जाएँगे,
परमेश्वर को भूलनेवाले सब राष्ट्र वहीं जाएँगे।
כ [काफ ]
19 हे यहोवा, उठ! नश्वर इंसान का ज़ोर चलने न दे।
तेरी मौजूदगी में राष्ट्रों को सज़ा मिले।+
ל [लामेध ]
10 हे यहोवा, तू क्यों दूर खड़ा रहता है?
मुसीबत की घड़ी में क्यों छिप जाता है?+
3 क्योंकि दुष्ट अपनी बुरी इच्छाओं पर डींग मारता है,+
लालची को आशीर्वाद देता है।*
נ [नून ]
वह यहोवा का अनादर करता है।
4 दुष्ट अपनी हेकड़ी की वजह से परमेश्वर की खोज नहीं करता,
वह मन में यही कहता है, “कोई परमेश्वर नहीं।”+
5 दुष्ट अपनी राह पर फलता-फूलता है,+
मगर तेरे फैसले उसकी समझ से परे हैं,+
वह अपने सभी बैरियों को तुच्छ जानता है।
6 वह मन में कहता है, “मैं कभी हिलाया नहीं जा सकता,*
मैं पीढ़ी-दर-पीढ़ी कभी मुसीबत का मुँह नहीं देखूँगा।”+
פ [पे ]
ע [ऐयिन ]
उसकी आँखें लाचार को ढूँढ़ती हैं ताकि उसका शिकार करे।+
वह बेसहारे को जाल में फँसाकर धर-दबोचता है।+
11 दुष्ट मन में कहता है, “परमेश्वर भूल गया है।+
उसने अपना मुँह फेर लिया है।
वह कभी ध्यान नहीं देता।”+
ק [कोफ ]
12 हे यहोवा, उठ!+ हे परमेश्वर, अपना हाथ उठा!+
बेसहारों को न भूल।+
13 आखिर दुष्ट क्यों परमेश्वर का अनादर करता है?
वह मन में कहता है, “परमेश्वर मुझसे लेखा नहीं लेगा।”
ר [रेश ]
14 मगर तू बेशक तकलीफें और मुसीबतें देखता है।
तू ध्यान देता है और मामले अपने हाथ में लेता है।+
ש [शीन ]
राष्ट्र धरती से मिट गए हैं।+
ת [ताव ]
17 मगर हे यहोवा, तू दीनों की बिनती सुनेगा।+
उनके दिलों को मज़बूत करेगा,+ उन पर पूरा ध्यान देगा।+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत।
11 मैंने यहोवा की पनाह ली है।+
फिर तुम मुझसे क्यों कहते हो,
“एक पंछी की तरह तुम सब अपने पहाड़ पर भाग जाओ!
2 देखो, दुष्टों ने कैसे अपनी कमान चढ़ा ली है,
तीर से निशाना साध लिया है
ताकि अँधेरे में छिपकर सीधे-सच्चे मनवालों पर तीर चलाएँ।
4 यहोवा अपने पवित्र मंदिर में है।+
यहोवा की राजगद्दी स्वर्ग में है।+
7 क्योंकि यहोवा नेक है,+ वह नेक कामों से प्यार करता है।+
सीधे-सच्चे लोग उसका मुख देखेंगे।*+
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत शेमिनिथ* की धुन पर गाया जाए।
12 हे यहोवा, मुझे बचा ले क्योंकि एक भी वफादार जन न रहा,
विश्वासयोग्य लोग दुनिया से मिट गए हैं।
4 वे कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीत जाएँगे।
अपने होंठों से जो चाहे बोलेंगे,
किसकी जुर्रत कि हम पर हुक्म चलाए?”+
जो उन्हें तुच्छ समझते हैं, उनसे उन्हें बचाऊँगा।”
6 यहोवा की कही बातें शुद्ध हैं,+
उस चाँदी की तरह जो मिट्टी की भट्ठी* में तायी गयी है,
सात बार शुद्ध की गयी है।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
13 हे यहोवा, तू कब तक मुझे भूला रहेगा? क्या सदा के लिए?
कब तक मुझसे मुँह फेरे रहेगा?+
2 कब तक मैं चिंताओं से घिरा रहूँगा?
कब तक मेरा दिल हर दिन रोता रहेगा?
कब तक मेरा दुश्मन मुझे दबाता रहेगा?+
3 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, ज़रा मेरी तरफ देख और मुझे जवाब दे।
मेरी आँखों की चमक लौटा दे ताकि मैं मौत की नींद न सो जाऊँ
4 और दुश्मन यह न कहे, “मैंने उसे हरा दिया!”
ऐसा न हो कि मेरे गिरने पर विरोधी जश्न मनाएँ।+
6 मैं यहोवा के लिए गीत गाऊँगा, उसने मुझे ढेरों आशीषें दी हैं।*+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत।
14 मूर्ख* मन में कहता है, “कोई यहोवा नहीं।”+
ऐसे लोगों के काम भ्रष्ट और घिनौने होते हैं,
कोई भी भला काम नहीं करता।+
2 मगर यहोवा स्वर्ग से इंसानों को देखता है
कि क्या कोई अंदरूनी समझ रखनेवाला है,
क्या कोई यहोवा की खोज करनेवाला है।+
कोई भी भला काम नहीं करता, एक भी नहीं।
4 क्या गुनहगारों में से कोई भी समझ नहीं रखता?
वे मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं मानो रोटी हो।
वे यहोवा को नहीं पुकारते।
7 इसराएल का उद्धार सिय्योन की तरफ से हो!+
जब यहोवा अपने लोगों को बँधुआई से लौटा ले आएगा,
तब याकूब खुशियाँ मनाए, इसराएल जश्न मनाए।
दाविद का सुरीला गीत।
15 हे यहोवा, कौन तेरे तंबू में मेहमान बनकर रह सकता है?
कौन तेरे पवित्र पहाड़ पर निवास कर सकता है?+
वह अपना वादा निभाता है,* फिर चाहे उसे नुकसान सहना पड़े।+
जो कोई ये सब करता है, उसे कभी हिलाया नहीं जा सकता।*+
दाविद का मिकताम।*
16 हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर क्योंकि मैंने तेरी पनाह ली है।+
2 मैंने यहोवा से कहा, “हे यहोवा, मेरा भला करनेवाला तू ही है।
4 जो दूसरे देवताओं के पीछे भागते हैं, वे अपने दुख बढ़ाते जाते हैं।+
मैं कभी उनके साथ मिलकर खून का अर्घ नहीं चढ़ाऊँगा,
न ही अपने होंठों से उन देवताओं का नाम लूँगा।+
तू मेरी विरासत की हिफाज़त करता है।
6 मेरे हिस्से में कई मनभावनी जगह आयी हैं।
मैं अपनी विरासत से वाकई खुश हूँ।+
7 मैं यहोवा की तारीफ करूँगा जिसने मुझे सलाह दी है।+
रात के वक्त भी मेरे मन की गहराई में छिपे विचार* मुझे सुधारते हैं।+
8 मैं हर पल यहोवा को अपनी नज़रों के सामने रखता हूँ।+
वह मेरे दायीं तरफ रहता है, इसलिए मैं कभी हिलाया नहीं जा सकता।*+
और मैं* महफूज़ बसा रहता हूँ।
10 क्योंकि तू मुझे कब्र* में नहीं छोड़ देगा।+
तू अपने वफादार जन को गड्ढे में पड़े रहने नहीं देगा।*+
11 तू मुझे ज़िंदगी की राह दिखाता है।+
दाविद की प्रार्थना।
17 हे यहोवा, न्याय के लिए मेरी दुहाई सुन,
मेरी मदद की पुकार पर ध्यान दे,
मैं बिना कपट के प्रार्थना कर रहा हूँ, मेरी सुन ले।+
3 तूने मेरा दिल जाँचा, रात के वक्त मुझे परखा,+
तूने मुझे शुद्ध किया है,+
तू पाएगा कि मैंने कोई साज़िश नहीं की,
न ही अपने मुँह से कोई पाप किया।
4 जहाँ तक इंसान के कामों की बात है,
मैं तेरे मुँह से निकले वचन मानकर लुटेरों के रास्तों से दूर रहता हूँ।+
6 हे परमेश्वर, मैं तुझे पुकारता हूँ क्योंकि तू मेरी सुनेगा।+
तू मेरी तरफ कान लगा।* मेरी बिनती सुन।+
7 हे परमेश्वर, तू उनका बचानेवाला है,
जो बागियों से भागकर तेरे दाएँ हाथ के नीचे पनाह लेते हैं,
तू लाजवाब तरीके से अपने अटल प्यार का सबूत दे।+
12 वह एक शेर की तरह है जो शिकार को फाड़ खाने के लिए बेताब है,
जवान शेर की तरह जो घात लगाए बैठा है।
14 हे यहोवा, अपना हाथ बढ़ाकर मुझे छुड़ा ले,
इस ज़माने* के लोगों से मुझे छुड़ा ले, जो सिर्फ आज के लिए जीते हैं,+
जिन्हें तू अपने भंडार से अच्छी चीज़ें बहुतायत में देता है,+
जो अपने बहुत-से बेटों के लिए विरासत छोड़ जाते हैं।
15 मगर मैं तो नेक बना रहूँगा ताकि तेरा मुख देखूँ,
निर्देशक के लिए हिदायत। यहोवा के सेवक दाविद का गीत। यह गीत उसने यहोवा के लिए तब गाया जब यहोवा ने उसे सभी दुश्मनों और शाऊल के हाथ से छुड़ाया था:+
18 हे यहोवा, मेरी ताकत,+ मैं तुझसे गहरा लगाव रखता हूँ।
2 यहोवा मेरे लिए बड़ी चट्टान और मज़बूत गढ़ है, वही मेरा छुड़ानेवाला है।+
मेरा परमेश्वर मेरी चट्टान है+ जिसकी मैं पनाह लेता हूँ,
6 मुसीबत में मैंने यहोवा को पुकारा,
मदद के लिए मैं अपने परमेश्वर को पुकारता रहा।
7 तब धरती काँपने लगी, बुरी तरह डोलने लगी,+
पहाड़ों की नींव हिल गयी,
उनमें भयानक हलचल हुई क्योंकि उसका क्रोध भड़क उठा था।+
8 उसके नथनों से धुआँ उठने लगा,
मुँह से भस्म करनेवाली आग निकलने लगी,+
उसके पास से दहकते अंगारे बरसने लगे।
10 वह एक करूब पर सवार होकर उड़ता हुआ आया।+
वह एक स्वर्गदूत* के पंखों पर सवार होकर तेज़ी से नीचे आया।+
12 उसके सामने ऐसा तेज था कि बादल फट गए,
उनसे ओले और धधकते अंगारे बरसने लगे।
13 फिर स्वर्ग में यहोवा गरजने लगा,+
परम-प्रधान ने अपनी बुलंद आवाज़ सुनायी,+
तब ओले और धधकते अंगारे बरसने लगे।
15 हे यहोवा, जब तूने डाँट लगायी और तेरे नथनों से फुंकार निकली,
तो नदियों के तल नज़र आने लगे,+
धरती की बुनियाद तक दिखने लगी।+
17 उसने मुझे ताकतवर दुश्मन से छुड़ाया,+
उन लोगों से जो मुझसे नफरत करते थे, मुझसे ज़्यादा ताकतवर थे।+
21 क्योंकि मैं हमेशा यहोवा की राहों पर चलता रहा,
मैंने अपने परमेश्वर से दूर जाने की दुष्टता नहीं की।
22 उसके सभी न्याय-सिद्धांत मेरे सामने हैं,
मैं कभी उसकी विधियों को नज़रअंदाज़ नहीं करूँगा।
24 यहोवा मेरी नेकी के मुताबिक मुझे फल दे,+
मेरी बेगुनाही के मुताबिक इनाम दे जो उसने अपनी आँखों से देखी है।+
25 जो वफादार रहता है उसके साथ तू वफादारी निभाता है,+
जो सीधा है उसके साथ तू सीधाई से पेश आता है,+
26 जो खुद को शुद्ध बनाए रखता है उसे तू दिखाएगा कि तू शुद्ध है,+
मगर जो टेढ़ी चाल चलता है उसके साथ तू होशियारी से काम लेता है।+
वह उसकी पनाह लेनेवालों के लिए एक ढाल है।+
31 यहोवा को छोड़ और कौन परमेश्वर है?+
हमारे परमेश्वर के सिवा और कौन चट्टान है?+
34 वह मेरे हाथों को युद्ध का कौशल सिखाता है,
मेरे बाज़ू ताँबे की कमान मोड़ सकते हैं।
35 तू मुझे अपनी उद्धार की ढाल देता है,+
तेरा दायाँ हाथ मुझे थाम लेता* है
और तेरी नम्रता मुझे ऊँचा उठाती है।+
37 मैं अपने दुश्मनों का पीछा करूँगा और उन्हें पकड़ लूँगा,
मैं उन्हें मिटाकर ही लौटूँगा।
41 वे मदद के लिए पुकारते हैं, मगर उन्हें बचानेवाला कोई नहीं,
वे यहोवा को भी पुकारते हैं, मगर वह उन्हें जवाब नहीं देता।
42 मैं उन्हें कूटकर ऐसी धूल बना दूँगा जिसे हवा उड़ा ले जाती है,
उन्हें गलियों के कीचड़ की तरह बाहर फेंक दूँगा।
43 तू मुझे मेरे अपने लोगों के विरोध से भी बचाएगा।+
मुझे राष्ट्रों का मुखिया बनाएगा।+
जिन लोगों को मैं जानता तक नहीं वे मेरी सेवा करेंगे।+
46 यहोवा जीवित परमेश्वर है! मेरी चट्टान की तारीफ हो!+
मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर की बड़ाई हो!+
48 वह मुझे भड़के हुए दुश्मनों से छुड़ाता है।
तू मुझे मेरे हमलावरों से ऊँचा उठाता है,+
मुझे ज़ुल्मी के हाथ से बचाता है।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 दिन-भर उसकी तारीफ में उनके बोल उमड़ते हैं,
रात को वे ज्ञान की बातें फैलाते हैं।
3 उनकी न कोई बोली है, न कोई शब्द,
उनकी आवाज़ नहीं सुनायी देती।
परमेश्वर ने आकाश में सूरज के लिए तंबू ताना है,
5 सूरज उस दूल्हे की तरह दमकता है जो अपने कमरे से बाहर आता है,
वह शूरवीर की तरह है जो दौड़ दौड़ने के लिए उमंग से भरा है।
6 वह आसमान के एक छोर से उगता है
और चक्कर काटता हुआ दूसरे छोर तक जाता है,+
कुछ भी ऐसा नहीं जिस तक उसकी गरमी न पहुँचे।
7 यहोवा का कानून खरा* है,+ जान में जान डाल देता है।+
यहोवा जो हिदायत याद दिलाता है वह भरोसेमंद है,+
जिन्हें कोई तजुरबा नहीं है उन्हें भी बुद्धिमान बना देती है।+
8 यहोवा के आदेश नेक हैं, मन को आनंद से भर देते हैं,+
यहोवा की आज्ञा शुद्ध है, आँखों में चमक लाती है।+
9 यहोवा का डर+ पवित्र है, सदा बना रहता है।
यहोवा के फैसले सच्चे हैं, हर तरह से सही हैं।+
10 वे सोने से भी ज़्यादा चाहने लायक हैं,
ढेर सारे शुद्ध* सोने से भी मनभावने।+
वे मधु से भी मधुर हैं,+
छत्ते से टपकते शहद से भी ज़्यादा मीठे।
12 अपनी गलतियों का एहसास किसे होता है?+
मुझसे अनजाने में जो पाप हुए हैं उन्हें माफ करके मुझे निर्दोष ठहरा।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
20 मुसीबत के दिन यहोवा तेरी प्रार्थना का जवाब दे।
याकूब के परमेश्वर का नाम तेरी हिफाज़त करे।+
5 तू जो उद्धार दिलाता है उसकी वजह से हम खुशी से जयजयकार करेंगे,+
अपने परमेश्वर के नाम की महिमा करेंगे।+
यहोवा तेरी सभी गुज़ारिशें पूरी करे।
6 अब मैं जान गया हूँ कि यहोवा अपने अभिषिक्त जन को बचाता है।+
अपने पवित्र स्वर्ग से उसकी प्रार्थना का जवाब देता है,
जब हम मदद के लिए पुकारेंगे तो वह हमें जवाब देगा।+
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
5 तू जो उद्धार दिलाता उससे वह बड़ा सम्मान पाता है।+
तू उसे गरिमा और वैभव देता है।
7 क्योंकि राजा यहोवा पर भरोसा करता है,+
परम-प्रधान के अटल प्यार के कारण उसे कभी नहीं हिलाया जा सकता।*+
8 तेरा हाथ तेरे सभी दुश्मनों को पकड़ लेगा,
तेरा दायाँ हाथ तुझसे नफरत करनेवालों को पकड़ लेगा।
9 तू जाँच के समय उन्हें दहकता तंदूर बना देगा,
यहोवा क्रोध में आकर उन्हें निगल जाएगा और आग उन्हें भस्म कर देगी।+
13 हे यहोवा, उठ! अपनी ताकत दिखा।
हम तेरी महाशक्ति की तारीफ में गीत गाएँगे।*
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: “भोर की हिरनी”* के मुताबिक।
22 हे मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?+
तू क्यों मुझे बचाने नहीं आता?
क्यों मेरी दर्द-भरी पुकार नहीं सुनता?+
7 मुझे देखनेवाले सभी मेरा मज़ाक बनाते हैं,+
मेरी खिल्ली उड़ाते हैं, सिर हिलाकर मुझ पर हँसते+ और कहते हैं:
8 “इसने खुद को यहोवा के हवाले कर दिया, वही इसे छुड़ाए!
वही इसे बचाए, यह परमेश्वर को इतना प्यारा जो है!”+
10 मुझे पैदा होते ही देखभाल के लिए तुझे सौंपा गया।
जब मैं माँ की कोख में था, तभी से तू मेरा परमेश्वर है।
14 मुझे पानी की तरह उँडेल दिया गया है,
मेरी हड्डियों के जोड़ खुल गए हैं।
15 मेरी ताकत ठीकरे की तरह सूख गयी है,+
मेरी जीभ तालू से चिपक गयी है,+
तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।+
16 दुश्मनों ने कुत्तों की तरह मुझे घेर लिया है,+
दुष्टों की टोली मुझे धर-दबोचने पर है,+
वे शेर की तरह मेरे हाथ-पैर पर झपट पड़े हैं।+
17 मैं अपनी सारी हड्डियाँ गिन सकता हूँ,+
वे मुझे ताकते रहते हैं, मुझे घूरते हैं।
19 मगर हे यहोवा, तू मुझसे और दूर न रह,+
तू मेरी ताकत है, मेरी मदद के लिए जल्दी आ।+
23 यहोवा का डर माननेवालो, उसकी तारीफ करो!
याकूब के वंशजो, उसकी महिमा करो!+
इसराएल के वंशजो, उसकी श्रद्धा करो।
24 क्योंकि उसने ज़ुल्म सहनेवाले का दुख नज़रअंदाज़ नहीं किया, उससे घिन नहीं की,+
परमेश्वर ने उससे अपना मुँह नहीं फेरा।+
जब उसने मदद के लिए उसे पुकारा तो उसने सुना।+
तू हमेशा की ज़िंदगी का आनंद लेता रहे।*
27 धरती का कोना-कोना यहोवा को याद करेगा, उसकी तरफ मुड़ेगा।
राष्ट्रों के सभी परिवार तेरे सामने झुककर दंडवत करेंगे।+
29 धरती के सभी रईस* खाएँगे-पीएँगे और उसे दंडवत करेंगे,
वे सभी जो मिट्टी में मिल जाते हैं उसके आगे घुटने टेकेंगे,
उनमें से कोई अपनी जान नहीं बचा सकता।
30 उनके वंशज उसकी सेवा करेंगे,
आनेवाली पीढ़ी को यहोवा के बारे में बताया जाएगा।
31 वे आएँगे और उसकी नेकी के बारे में बताएँगे।
आनेवाली नसल को उसके कामों के बारे में बताएँगे।
दाविद का सुरीला गीत।
मुझे कोई कमी नहीं होगी।+
अपने नाम की खातिर नेकी की डगर पर ले चलता है।+
4 चाहे मैं काली अँधेरी घाटी से गुज़रूँ,+
तो भी मुझे कोई डर नहीं,+
क्योंकि तू मेरे साथ रहता है,+
तेरी छड़ी और लाठी मुझे हिम्मत* देती है।
5 तू मेरे दुश्मनों के सामने मेरे लिए मेज़ सजाता है।+
6 बेशक, भलाई और अटल प्यार ज़िंदगी-भर मेरे साथ रहेंगे+
और मैं सारी उम्र यहोवा के भवन में निवास करूँगा।+
दाविद का सुरीला गीत।
4 वही जो बेगुनाह है और जिसका दिल साफ है,+
जिसने मेरे जीवन* की झूठी शपथ नहीं खायी,
न ही शपथ खाकर छल किया।+
6 परमेश्वर की खोज करनेवालों की पीढ़ी यही है,
हे याकूब के परमेश्वर, ये ही वे लोग हैं जो तेरी मंज़ूरी पाना चाहते हैं। (सेला )
8 यह गौरवशाली राजा कौन है?
10 यह गौरवशाली राजा कौन है?
सेनाओं का परमेश्वर यहोवा ही गौरवशाली राजा है।+ (सेला )
दाविद की रचना।
א [आलेफ ]
25 हे यहोवा, मैं तेरी ओर मुड़ता हूँ।
ב [बेथ ]
मेरे दुश्मनों को मेरी तकलीफों पर हँसने न दे।+
ג [गिमेल ]
3 बेशक, तुझ पर आशा रखनेवाला कोई भी शर्मिंदा नहीं होगा,+
मगर जो बेवजह दगा देते हैं वे शर्मिंदा होंगे।+
ד [दालथ ]
ה [हे ]
ו [वाव ]
मैं पूरा दिन तुझ पर ही आशा रखता हूँ।
ז [जैन ]
ח [हेथ ]
7 मैंने जवानी में जो पाप और अपराध किए, उन्हें याद न कर।
हे यहोवा, अपने अटल प्यार के मुताबिक,
अपनी भलाई के कारण मुझे याद कर।+
ט [टेथ ]
8 यहोवा भला और सीधा-सच्चा है।+
इसलिए वह पापियों को जीने की राह सिखाता है।+
י [योध ]
כ [काफ ]
10 जो यहोवा का करार मानते हैं,+
उसके याद दिलाने पर उसकी सुनते हैं,+
उनसे वह प्यार* करता है, उनका विश्वासयोग्य बना रहता है।
ל [लामेध ]
מ [मेम ]
12 यहोवा का डर माननेवाला इंसान कौन है?+
उसे परमेश्वर सिखाएगा कि कौन-सा रास्ता चुनना है।+
נ [नून ]
ס [सामेख ]
14 यहोवा से गहरी दोस्ती सिर्फ वे कर सकते हैं जो उसका डर मानते हैं,+
वह अपने करार के बारे में उन्हें बताता है।+
ע [ऐयिन ]
פ [पे ]
16 मेरी तरफ मुड़, मुझ पर कृपा कर,
मैं अकेला और बेसहारा हूँ।
צ [सादे ]
ר [रेश ]
19 देख, मेरे दुश्मन कैसे बेशुमार हो गए हैं,
नफरत के मारे मुझे सताना चाहते हैं।
ש [शीन ]
20 मुझे बचा ले, मेरी जान की हिफाज़त कर।+
मुझे शर्मिंदा न होने दे क्योंकि मैंने तेरी पनाह ली है।
ת [ताव ]
22 हे परमेश्वर, इसराएल को उसकी सारी मुसीबतों से छुड़ा ले।
दाविद की रचना।
6 हे यहोवा, मैं अपने हाथ धोकर खुद को बेगुनाह साबित करूँगा
और तेरी वेदी के चारों तरफ घूमूँगा
7 ताकि मैं ऊँची आवाज़ में तेरा शुक्रिया अदा करूँ,+
तेरे सभी आश्चर्य के कामों का ऐलान करूँ।
9 पापियों के साथ मेरा भी सफाया न कर देना,+
न ही खूँखार लोगों* के साथ मेरी जान ले लेना,
10 जिनके हाथ नीच कामों में लगे रहते हैं,
जिनका दायाँ हाथ रिश्वत से भरा रहता है।
11 मगर मैंने तो ठाना है कि मैं निर्दोष चाल चलूँगा।
मुझे छुड़ा ले और मुझ पर कृपा कर।
दाविद की रचना।
27 यहोवा मेरा प्रकाश+ और मेरा उद्धारकर्ता है।
फिर मुझे डर किसका?+
यहोवा मेरे जीवन का मज़बूत गढ़ है।+
फिर मैं किसी से क्यों खौफ खाऊँ?
चाहे मेरे खिलाफ युद्ध छिड़ जाए,
तब भी मेरा भरोसा अटल रहेगा।
4 मैंने यहोवा से सिर्फ एक चीज़ माँगी है,
यही मेरी दिली तमन्ना है
कि मैं सारी ज़िंदगी यहोवा के भवन में निवास करूँ+
ताकि यहोवा की मनोहरता निहार सकूँ
5 क्योंकि संकट के दिन वह मुझे अपने आसरे में छिपा लेगा,+
अपनी गुप्त जगह में, अपने तंबू में छिपा लेगा,+
वह मुझे ऊँची चट्टान पर चढ़ा देगा।+
6 अब मेरा सिर दुश्मनों से ऊँचा हो गया है जो मुझे घेरे हुए हैं,
मैं परमेश्वर के तंबू में खुशी से जयजयकार करते हुए बलिदान चढ़ाऊँगा,
यहोवा की तारीफ में गीत गाऊँगा।*
8 मेरे मन ने कहा है कि तूने यह आज्ञा दी है,
“मेरी मंज़ूरी पाने के लिए मेहनत करता रह।”
हे यहोवा, मैंने तेरी मंज़ूरी पाने की ठान ली है।+
तू मेरा मददगार है,+
मेरा उद्धार करनेवाले परमेश्वर, मुझे त्याग न देना, मुझे छोड़ न देना।
12 मुझे मेरे बैरियों के हवाले न कर,+
क्योंकि मेरे खिलाफ झूठे गवाह उठ खड़े हुए हैं,+
वे मुझे मारने-पीटने की धमकी देते हैं।
हाँ, यहोवा पर आशा रख।
दाविद की रचना।
2 जब मैं मदद के लिए पुकारूँ,
तेरे पवित्र-स्थान के भीतरी कमरे की तरफ अपने हाथ उठाऊँ,+
तो तू मेरी दुहाई सुनना।
3 तू दुष्टों के साथ मुझे घसीट न ले जाना,
जो नुकसान पहुँचानेवाले काम करते हैं,+
अपने संगी से शांति की बातें करते हैं, मगर उनके दिल में मैल भरा होता है।+
उनके किए की सज़ा उन्हें दे,
उन्होंने जो किया है उसका बदला उन्हें दे।+
वह उन्हें ढा देगा और दोबारा खड़ा नहीं करेगा।
6 यहोवा की तारीफ हो,
क्योंकि उसने मेरी मदद की पुकार सुनी है।
7 यहोवा मेरी ताकत+ और मेरी ढाल है।+
मेरा दिल उसी पर भरोसा करता है।+
मुझे उससे मदद मिली है और मेरा दिल मगन है,
इसलिए मैं अपने गीत में उसकी तारीफ करूँगा।
9 अपने लोगों को बचा ले, अपनी विरासत को आशीष दे।+
उनका चरवाहा बन जा और सदा उन्हें अपनी गोद में लिए रह।+
दाविद का सुरीला गीत।
2 यहोवा का नाम जिस महिमा का हकदार है वह महिमा उसे दो।
पवित्र पोशाक पहने* यहोवा को दंडवत करो।*
यहोवा घने बादलों के ऊपर है।+
5 यहोवा की आवाज़ से देवदार टूटकर गिर जाते हैं,
हाँ, यहोवा लबानोन के देवदारों के टुकड़े-टुकड़े कर देता है।+
7 यहोवा की आवाज़ के साथ आग के शोले भड़क उठते हैं,+
8 यहोवा की आवाज़ से वीराना काँप उठता है,+
यहोवा कादेश के वीराने+ को कँपा देता है।
उसके मंदिर में सब कहते हैं, “परमेश्वर की महिमा हो!”
11 यहोवा अपने लोगों को ताकत देगा।+
यहोवा अपने लोगों को शांति की आशीष देगा।+
दाविद का सुरीला गीत। नए घर के उद्घाटन का गीत।
30 हे यहोवा, मैं तेरी बड़ाई करूँगा क्योंकि तूने मुझे ऊपर निकाला है,*
तूने मेरे दुश्मनों को मुझ पर हँसने का मौका नहीं दिया।+
2 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मैंने तुझे मदद के लिए पुकारा और तूने मुझे चंगा किया।+
3 हे यहोवा, तूने मुझे कब्र में से ऊपर निकाला,+
मेरी जान सलामत रखी, मुझे गड्ढे* में गिरने से बचाया।+
4 यहोवा के वफादार लोगो, उसकी तारीफ में गीत गाओ,*+
उसके पवित्र नाम* की तारीफ करो,+
साँझ को भले ही रोना पड़े, पर सवेरे खुशी से जयजयकार होगी।+
6 जब मुझे कोई परेशानी नहीं थी तब मैंने कहा,
“मैं कभी हिलाया नहीं जा सकता।”*
7 हे यहोवा, जब तू मुझसे खुश था* तब तूने मुझे पहाड़ जैसा मज़बूत किया।+
मगर जब तूने मुझसे मुँह फेर लिया तो मैं बहुत डर गया।+
9 क्या मेरे मरने* से, गड्ढे* में जाने से कोई फायदा होगा?+
क्या मिट्टी तेरी तारीफ करेगी?+ तेरी वफादारी का बखान करेगी?+
10 हे यहोवा, मेरी दुआ सुन, मुझ पर कृपा कर।+
हे यहोवा, मेरा मददगार बन जा।+
हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मैं सदा तेरी तारीफ करता रहूँगा।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
31 हे यहोवा, मैंने तेरी पनाह ली है।+
मुझे कभी शर्मिंदा न होने दे।+
अपनी नेकी के कारण मुझे छुड़ा ले।+
मुझे छुड़ाने के लिए फौरन आ।+
मेरे लिए पहाड़ पर खड़ा मज़बूत गढ़ बन जा,
मुझे बचाने के लिए एक महफूज़ किला बन जा।+
3 क्योंकि तू मेरे लिए बड़ी चट्टान और मज़बूत गढ़ है,+
अपने नाम की खातिर+ तू मेरी अगुवाई करेगा, मुझे रास्ता दिखाएगा।+
5 मैं अपनी जान तेरे हवाले करता हूँ।+
हे यहोवा, सच्चाई के परमेश्वर,*+ तूने मुझे छुड़ाया है।
6 मैं उनसे नफरत करता हूँ जो बेकार और निकम्मी मूरतों को पूजते हैं,
मगर मैं यहोवा पर भरोसा करता हूँ।
7 मैं तेरे अटल प्यार के कारण बहुत मगन होऊँगा,
क्योंकि तूने मेरा दुख देखा है,+
तू मेरे मन की पीड़ा जानता है।
9 हे यहोवा, मुझ पर रहम कर, मैं मुसीबत में हूँ।
घोर चिंता से मेरी आँखें कमज़ोर हो गयी हैं,+ पूरा शरीर सूख गया है।+
मेरे गुनाह की वजह से मेरी ताकत मिट रही है,
मेरी हड्डियाँ कमज़ोर हो रही हैं।+
मेरे जान-पहचानवाले मुझसे डरते हैं,
मुझे बाहर देखते ही मुझसे दूर भागते हैं।+
12 उन्होंने मुझे अपने दिल* से निकाल दिया है,
मुझे भुला दिया है मानो मेरी मौत हो गयी हो,
मैं एक टूटे घड़े जैसा बन गया हूँ।
वे सब मेरे खिलाफ दल बाँधते हैं,
मेरी जान लेने की साज़िश रचते हैं।+
14 मगर हे यहोवा, मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ।+
मैं ऐलान करता हूँ, “तू मेरा परमेश्वर है।”+
15 मेरी ज़िंदगी* तेरे हाथ में है।
मुझे मेरे दुश्मनों और सतानेवालों के हाथ से छुड़ा।+
16 अपने सेवक पर अपने मुख का प्रकाश चमका।+
अपने अटल प्यार के कारण मुझे बचा ले।
17 हे यहोवा, मैं तुझे पुकारूँगा, मुझे शर्मिंदा न होना पड़े।+
दुष्ट शर्मिंदा हों,+ कब्र में खामोश कर दिए जाएँ।+
18 झूठ बोलनेवाले मुँह बंद कर दिए जाएँ,+
जो मगरूर होकर, घमंड और नफरत से भरकर
नेक जन के खिलाफ बोलते हैं।
19 हे परमेश्वर, तेरी भलाई अपार है!+
यह तूने उनके लिए रख छोड़ी है जो तेरा डर मानते हैं+
और जो तेरी पनाह लेते हैं, उनके साथ तूने सबके देखते भलाई की है।+
20 तू उन्हें लोगों की साज़िशों से बचाने के लिए
अपनी मौजूदगी की गुप्त जगह छिपाए रखेगा,+
उन्हें चुभनेवाली बातों के वार से बचाने के लिए
अपने आसरे में छिपा लेगा।+
21 यहोवा की तारीफ हो क्योंकि जब मैं सेना से घिरे शहर में था,+
तब उसने मुझे अपने अटल प्यार का लाजवाब तरीके से सबूत दिया था।+
मगर जब मैंने दुहाई दी तो तूने मेरी सुनी।+
23 यहोवा के सभी वफादार लोगो, उससे प्यार करो!+
दाविद की रचना। मश्कील।*
32 सुखी है वह इंसान जिसका अपराध माफ किया गया है, जिसका पाप ढाँप दिया गया है।*+
3 जब मैं चुप रहा तो मैं दिन-भर कराहता रहा जिससे मेरी हड्डियाँ गलने लगीं।+
4 क्योंकि दिन-रात तेरा हाथ* मुझ पर भारी था।+
मेरा दमखम ऐसे खत्म हो गया* जैसे गरमियों की कड़ी धूप से पानी सूख जाता है। (सेला )
मैंने कहा, “मैं यहोवा के सामने अपने अपराध मान लूँगा।”+
तब तूने मेरे पाप, मेरे गुनाह माफ कर दिए।+ (सेला )
फिर सैलाब भी उस तक नहीं पहुँचेगा।
तू मुझे छुड़ाकर मेरे चारों ओर खुशियों का समाँ बाँध देगा।+ (सेला )
मैं तुझ पर हर पल नज़र रखकर तुझे सलाह दूँगा।+
9 तू घोड़े या खच्चर की तरह न बनना जिसमें समझ नहीं होती,+
जिसकी उमंग को लगाम या रस्सी से काबू करना पड़ता है,
तभी वह तेरे पास आएगा।”
11 नेक लोगो, यहोवा के कारण मगन हो, आनंद मनाओ,
सीधे-सच्चे मनवालो, सब खुशी से जयजयकार करो।
33 नेक लोगो, यहोवा के कारण खुशी से जयजयकार करो।+
यह सही है कि सीधे-सच्चे लोग उसकी तारीफ करें।
5 उसे नेकी और न्याय से प्यार है।+
धरती यहोवा के अटल प्यार से भरपूर है।+
7 वह समुंदर का पानी ऐसे रोके रखता है मानो उस पर बाँध बाँधा हो,+
उफनते पानी को भंडारों में जमा करता है।
8 सारी धरती यहोवा का डर माने।+
सारे जगत के लोग उसके लिए श्रद्धा रखें।
14 वह अपने निवास से धरती के लोगों को गौर से देखता है।
16 कोई भी राजा अपनी विशाल सेना के बल पर नहीं बचता,+
न ही शूरवीर अपनी ज़बरदस्त ताकत के दम पर बचता है।+
18 देखो! जो यहोवा का डर मानते हैं
और उसके अटल प्यार के भरोसे रहते हैं,
उन पर उसकी नज़र बनी रहती है+
19 ताकि उन्हें मौत से छुड़ाए
और अकाल के वक्त उन्हें ज़िंदा रखे।+
20 हम यहोवा पर उम्मीद लगाए हुए हैं।
वही हमारा मददगार और हमारी ढाल है।+
दाविद का यह गीत उस समय का है जब दाविद ने अबीमेलेक के सामने पागल होने का ढोंग किया था+ और अबीमेलेक ने उसे भगा दिया था।
א [आलेफ ]
34 मैं हर समय यहोवा की तारीफ करूँगा,
उसकी तारीफ के बोल हमेशा मेरे होंठों पर होंगे।
ב [बेथ ]
ג [गिमेल ]
ד [दालथ ]
4 मैंने यहोवा से सलाह माँगी और उसने मुझे जवाब दिया।+
उसने मेरा सारा डर दूर कर दिया।+
ה [हे ]
5 उस पर आस लगानेवालों का चेहरा दमक उठा,
उन्हें कभी शर्मिंदा नहीं किया जा सकता।
ז [जैन ]
6 इस दुखी इंसान ने यहोवा को पुकारा और उसने सुना।
परमेश्वर ने उसे सारी मुसीबतों से बचाया।+
ח [हेथ ]
ט [टेथ ]
י [योध ]
כ [काफ ]
10 जवान ताकतवर शेर भी भूख से आधे हो गए हैं,
मगर यहोवा की खोज करनेवालों को अच्छी चीज़ की कमी नहीं होगी।+
ל [लामेध ]
מ [मेम ]
12 तुममें से कौन खुशहाल ज़िंदगी चाहता है?
कौन लंबी उम्र पाना चाहता है?+
נ [नून ]
ס [सामेख ]
ע [ऐयिन ]
פ [पे ]
צ [सादे ]
ק [कोफ ]
ר [रेश ]
ש [शीन ]
ת [ताव ]
21 दुष्ट पर मुसीबत मौत ले आएगी,
नेक जनों से नफरत करनेवाले दोषी ठहराए जाएँगे।
दाविद की रचना।
3 अपना भाला और अपनी कुल्हाड़ी लेकर मेरा पीछा करनेवालों का सामना कर।+
मुझसे कह, “मैं तेरा उद्धारकर्ता हूँ।”+
4 जो मेरी जान लेने पर तुले हैं, वे शर्मिंदा और बेइज़्ज़त किए जाएँ।+
जो मुझे नाश करने के लिए साज़िशें रचते हैं, वे बेइज़्ज़त होकर भाग जाएँ।
6 जब यहोवा का स्वर्गदूत उनका पीछा करे,
तो उनका रास्ता अँधेरा और फिसलन-भरा हो जाए।
7 क्योंकि उन्होंने बेवजह मेरे लिए जाल बिछाया है,
बेवजह मेरे लिए गड्ढा खोदा है।
8 मुसीबत उन पर अचानक आ पड़े,
वे अपने ही बिछाए जाल में फँस जाएँ,
अपने ही खोदे गड्ढे में गिरकर नाश हो जाएँ।+
9 मगर मैं यहोवा के कारण मगन होऊँगा,
वह जो उद्धार दिलाता उससे आनंद मनाऊँगा।
10 मेरा रोम-रोम कहेगा,
“हे यहोवा, तुझ जैसा कौन है?
11 ऐसे गवाह सामने आए हैं जिन्होंने मेरा बुरा करने की ठान ली है,+
वे मुझसे ऐसी बातें पूछते हैं जो मैं नहीं जानता।
13 मगर जब वे बीमार थे तब मैंने टाट ओढ़ा था,
उपवास करके खुद को दुख दिया था
और जब मेरी प्रार्थना का कोई जवाब नहीं मिलता,*
14 तो मैं मातम मनाते हुए फिरता, मानो मैंने अपना दोस्त या भाई खो दिया हो,
अपनी माँ के लिए मातम मनानेवाले की तरह मैं दुख से झुक गया।
15 मगर जब मैं गिर पड़ा तो वे खुश हुए और इकट्ठा हो गए,
वे घात लगाकर मुझ पर हमला करने के लिए इकट्ठा हो गए,
उन्होंने मुझे तार-तार कर दिया और चुप नहीं रहे।
17 हे यहोवा, तू कब तक यूँ ही देखता रहेगा?+
19 मुझसे बेवजह दुश्मनी करनेवालों को मुझ पर हँसने न दे,
मुझसे बेवजह नफरत करनेवालों+ को बुरे इरादे से एक-दूसरे को आँख मारने न दे।+
20 क्योंकि वे शांति की बातें नहीं करते
बल्कि जो देश में शांति से रहते हैं, उनके खिलाफ चालाकी से साज़िश रचते हैं।+
21 वे गला फाड़-फाड़कर मुझ पर दोष लगाते हैं,
वे कहते हैं, “अच्छा हुआ! जैसा हमने सोचा था वैसा ही हो गया!”
22 हे यहोवा, तूने यह देखा है। तू चुप न रह।+
हे यहोवा, मुझसे दूर न रह।+
23 जाग! मेरे बचाव के लिए उठ,
मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरी तरफ से पैरवी कर।
25 वे खुद से कभी यह कहने न पाएँ, “अरे वाह! हमने जो चाहा वही हुआ!”
वे मेरे बारे में यह कभी कहने न पाएँ, “हमने उसे निगल लिया।”+
26 मेरी बरबादी पर हँसनेवाले सभी शर्मिंदा और बेइज़्ज़त किए जाएँ।
मुझे नीचा दिखानेवाले शर्म और अपमान से ओढ़े जाएँ।
27 मगर मेरी नेकी से खुश होनेवाले आनंद से जयजयकार करें,
वे लगातार कहते रहें, “यहोवा की महिमा हो,
जो अपने सेवक की शांति देखकर खुश होता है।”+
यहोवा के सेवक दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 वह अपनी नज़रों में खुद को इतना ऊँचा उठा लेता है
कि अपनी गलती देख नहीं पाता और उससे नफरत नहीं करता।+
3 उसके मुँह से नुकसान पहुँचानेवाली और छल की बातें निकलती हैं,
उसमें ज़रा भी अंदरूनी समझ नहीं कि वह भला काम करे।
4 बिस्तर पर लेटे हुए भी वह साज़िशें रचता है।
वह ऐसे रास्ते पर चलने में अड़ जाता है जो सही नहीं है,
वह बुराई को नहीं ठुकराता।
हे यहोवा, तू इंसान और जानवर, दोनों को सलामत रखता* है।+
7 हे परमेश्वर, तेरा अटल प्यार क्या ही अनमोल है!+
तेरे पंखों की छाँव तले इंसान पनाह लेते हैं।+
11 मगरूर को मौका न दे कि वह पैरों से मुझे रौंद डाले,
न ही दुष्ट को अवसर दे कि वह हाथों से मुझे खदेड़ दे।
दाविद की रचना।
א [आलेफ ]
ב [बेथ ]
ג [गिमेल ]
6 वह तेरी नेकी सुबह के उजाले की तरह,
तेरा न्याय भरी दोपहरी की धूप की तरह चमकाएगा।
ד [दालथ ]
ה [हे ]
ו [वाव ]
10 बस थोड़े ही समय बाद दुष्टों का नामो-निशान मिट जाएगा,+
तू उन्हें वहाँ ढूँढ़ेगा जहाँ वे होते थे, मगर वे नहीं होंगे।+
ז [जैन ]
ח [हेथ ]
14 दुष्ट तलवार खींचते और कमान चढ़ाते हैं
ताकि सताए हुओं को और गरीबों को गिराएँ
और सीधी चाल चलनेवालों को मार डालें।
ט [टेथ ]
17 क्योंकि दुष्टों के हाथ तोड़ दिए जाएँगे,
मगर नेक जन को यहोवा थाम लेगा।
י [योध ]
19 संकट के समय उन्हें शर्मिंदा नहीं किया जाएगा,
अकाल के समय उनके पास भरपूर खाना होगा।
כ [काफ ]
यहोवा के दुश्मन चरागाह की खूबसूरत हरियाली की तरह
और धुएँ की तरह गायब हो जाएँगे।
ל [लामेध ]
22 परमेश्वर जिन्हें आशीष देता है वे धरती के वारिस होंगे,
मगर वह जिन्हें शाप देता है वे नाश कर दिए जाएँगे।+
מ [मेम ]
נ [नून ]
ס [सामेख ]
ע [ऐयिन ]
פ [पे ]
צ [सादे ]
32 दुष्ट, नेक जन पर नज़र रखता है,
उसे मार डालने की फिराक में रहता है।
ק [कोफ ]
34 यहोवा पर आशा रख और उसकी राह पर चल,
वह तुझे ऊँचा उठाकर धरती का वारिस बना देगा।
जब दुष्टों का नाश किया जाएगा,+ तब तू देखेगा।+
ר [रेश ]
ש [शीन ]
37 निर्दोष इंसान* को ध्यान से देख,
सीधे-सच्चे इंसान+ पर गौर कर,
क्योंकि भविष्य में वह चैन की ज़िंदगी जीएगा।+
ת [ताव ]
40 यहोवा उन्हें मदद देगा और छुड़ाएगा।+
वह दुष्ट के हाथ से उन्हें छुड़ाएगा और बचाएगा,
क्योंकि वे उसकी पनाह लेते हैं।+
यादगार के लिए दाविद का सुरीला गीत।
3 तेरे क्रोध की वजह से मेरा सारा शरीर रोगी है।*
मेरे पाप की वजह से मेरी हड्डियों में चैन नहीं।+
5 मेरी मूर्खता के कारण मेरे घाव सड़ गए हैं,
उनसे बदबू आती है।
6 मैं टूट चुका हूँ, यह दर्द बरदाश्त से बाहर है,
मैं सारा दिन मायूसी में डूबा रहता हूँ।
8 मैं सुन्न हो गया हूँ, बिलकुल चूर हो गया हूँ,
मन की बेचैनी के मारे ज़ोर-ज़ोर से कराहता रहता हूँ।
9 हे यहोवा, तू मेरी सारी इच्छाएँ जानता है,
मेरा आहें भरना तुझसे छिपा नहीं है।
11 मुझे ज़ख्मों से भरा देखकर मेरे दोस्त और साथी मुझसे किनारा कर लेते हैं,
जो कभी मेरे करीब थे वे अब मुझसे दूर रहते हैं।
12 मेरे जानी दुश्मन मेरे लिए फंदे बिछाते हैं,
मेरा बुरा चाहनेवाले मुझे बरबाद करने की बातें करते हैं,+
वे दिन-भर मुझे छलने की तरकीबें बुनते रहते हैं।
14 मैं ऐसे आदमी की तरह हो गया हूँ जो सुन नहीं सकता,
न ही अपनी सफाई में कुछ कह सकता है।
16 मैंने कहा था, “अगर मेरा पैर फिसल जाए
तो वे मुझ पर न हँसें या घमंड से न फूलें।”
20 उन्होंने मेरी अच्छाई का सिला बुराई से दिया,
वे मेरा विरोध करते रहे क्योंकि मैं भले काम करने का जतन करता था।
21 हे यहोवा, मुझे छोड़ न देना।
हे परमेश्वर, मुझसे दूर न रहना।+
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यदूतून*+ का।
2 मैं गूँगा हो गया, कुछ नहीं बोला,+
अच्छी बातें कहने के लिए भी मैंने मुँह नहीं खोला,
मगर मेरा दर्द सहन से बाहर था।*
3 मेरा दिल सुलगने लगा,
मैं गहराई से सोचता रहा* और आग जलती रही।
फिर मैं बोल उठा,
4 “हे यहोवा, मुझे बता कि मेरा अंत कब होगा,
मेरे और कितने दिन रह गए हैं+
ताकि मैं जानूँ कि मेरी ज़िंदगी कितनी छोटी है।*
सच, हर इंसान बस एक साँस है,
फिर चाहे वह कितना ही सुरक्षित क्यों न दिखायी पड़े।+ (सेला )
6 सच, हर इंसान एक परछाईं जैसा है।
वह बेकार में दौड़-धूप* करता है।
दौलत का अंबार लगाता है, मगर नहीं जानता कि कौन उसका मज़ा लेगा।+
7 इसलिए हे यहोवा, मैं किस पर आशा रखूँ?
तू ही मेरी आशा है।
8 मुझे मेरे सब अपराधों से छुड़ा ले।+
मूर्खों को मेरी खिल्ली उड़ाने का मौका न दे।
10 तूने मुझ पर जो कहर ढाया, उसे हटा दे।
मैं तेरे हाथ की मार सहते-सहते पस्त हो गया हूँ।
11 तू आदमी को उसके किए की सज़ा देकर सुधारता है,+
वह जिन चीज़ों को खज़ाने की तरह सँभालकर रखता है,
उन्हें तू मिटा देता है जैसे कपड़-कीड़ा कपड़ा चट कर जाता है।
सच, हर इंसान बस एक साँस है।+ (सेला )
मेरे आँसुओं को अनदेखा न कर।
13 अपनी क्रोध-भरी नज़रें मुझसे फेर ले ताकि मेरी खुशी लौट आए,
इससे पहले कि मैं मरकर मिट जाऊँ।”
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 उसने मुझे गहरी खाई से ऊपर खींच लिया,
जहाँ पानी की तेज़ गड़गड़ाहट थी,
मुझे दलदल से बाहर निकाला
और एक चट्टान पर खड़ा किया,
उसने मेरे पैरों को मज़बूती से टिकाया।
यह सब देखकर लोग श्रद्धा से भर जाएँगे
और यहोवा पर भरोसा रखेंगे।
4 सुखी है वह इंसान जो यहोवा पर भरोसा रखता है
और उन पर आस नहीं लगाता जो गुस्ताख और झूठे हैं।
तेरा कोई सानी नहीं।+
अगर मैं उनका बखान करना चाहूँ,
तो वे इतने बेशुमार हैं कि उनका बखान करना नामुमकिन होगा!+
तूने न होम-बलियाँ माँगीं, न पाप-बलियाँ।+
7 तब मैंने कहा, “देख, मैं आया हूँ।
खर्रे* में मेरे बारे में लिखा है।+
8 हे मेरे परमेश्वर, तेरी मरज़ी पूरी करने में ही मेरी खुशी है,*+
तेरा कानून मेरे दिल की गहराई में बसा है।+
9 मैं तेरी नेकी की खुशखबरी बड़ी मंडली में सुनाता हूँ।+
देख! मैं इस बारे में बोलने से खुद को रोकता नहीं,+
हे यहोवा, तू यह अच्छी तरह जानता है।
10 मैं तेरी नेकी की बातें अपने दिल में दबाकर नहीं रखता,
मैं तेरी वफादारी का और तेरी तरफ से मिलनेवाले उद्धार का ऐलान करता हूँ।
मैं तेरा अटल प्यार और तेरी सच्चाई बड़ी मंडली से नहीं छिपाता।”+
11 हे यहोवा, मुझ पर दया करने से पीछे न हट।
तेरा अटल प्यार और तेरी सच्चाई हरदम मेरी हिफाज़त करती रहे।+
12 मुझे इतनी विपत्तियों ने आ घेरा है कि उनका कोई हिसाब नहीं,+
मेरे गुनाह इतने हैं कि मैं देख नहीं सकता कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।+
उनकी गिनती मेरे सिर के बालों से कहीं ज़्यादा है,
अब मैं हिम्मत हार चुका हूँ।
13 हे यहोवा, मुझ पर दया कर, मुझे बचा ले,+
हे यहोवा, मेरी मदद के लिए जल्दी आ।+
14 जितने लोग मेरी जान के पीछे पड़े हैं,
वे सब शर्मिंदा और अपमानित किए जाएँ।
जो मुझे संकटों से घिरा देखकर मज़ा लेते हैं,
वे बेइज़्ज़त होकर भाग जाएँ।
15 जो मुझ पर हँसते और कहते हैं, “अच्छा हुआ! अच्छा हुआ!”
वे खुद शर्मिंदा हो जाएँ और अपनी हालत पर हक्के-बक्के रह जाएँ।
उद्धार के लिए तुझ पर आस लगानेवाले हमेशा कहें,
“यहोवा की महिमा हो।”+
17 हे यहोवा, मुझ पर ध्यान दे,
मैं बेसहारा और गरीब हूँ।
तू ही मेरा मददगार और छुड़ानेवाला है।+
हे मेरे परमेश्वर, तू देर न कर।+
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 यहोवा उसकी हिफाज़त करेगा और उसकी जान सलामत रखेगा।
3 जब वह बिस्तर पर बीमार पड़ा होगा तब यहोवा उसे सँभालेगा,+
बीमारी के दिनों में परमेश्वर उसकी देखभाल करेगा।
4 मैंने कहा था, “हे यहोवा, मैंने तेरे खिलाफ पाप किया है।+
मुझ पर कृपा कर,+ मेरी बीमारी दूर कर दे।”+
5 मगर दुश्मन मेरे बारे में बुरी बातें करते हैं,
“यह कब मरेगा? इसका नाम कब मिटेगा?”
6 जब उनमें से कोई मुझे देखने आता है, तो वह झूठ बोलने के इरादे से आता है।
वह मेरी बुराई करने के लिए कुछ-न-कुछ ढूँढ़ लेता है,
फिर जाकर उसे दूर-दूर तक फैला देता है।
7 मुझसे नफरत करनेवाले सभी आपस में फुसफुसाते हैं,
मेरे खिलाफ साज़िश रचते हैं।
10 मगर हे यहोवा, तू मुझ पर कृपा कर और मुझे ऊपर उठा
ताकि मैं उन्हें उनके किए की सज़ा दे सकूँ।
11 जब मेरे दुश्मन मुझसे जीत नहीं पाएँगे,+
तो मैं जान जाऊँगा कि तू मुझसे खुश है।
12 मेरे निर्दोष चालचलन की वजह से तू मुझे ऊँचा उठाता है,+
तू मुझे अपनी नज़रों के सामने सदा बनाए रखेगा।+
13 इसराएल के परमेश्वर यहोवा की युग-युग तक* तारीफ होती रहे।+
आमीन, आमीन।
दूसरी किताब
(भजन 42-72)
कोरह+ के वंशजों का मश्कील।* निर्देशक के लिए हिदायत।
42 जैसे एक हिरन पानी के लिए तरसता है,
वैसे ही हे परमेश्वर, मैं तेरे लिए तरसता हूँ।
2 मेरा मन परमेश्वर का, जीवित परमेश्वर का प्यासा है।+
जाने वह दिन कब आएगा जब मैं परमेश्वर के सामने जा पाऊँगा।+
4 मैं ये सब याद करता हूँ, अपने दिल की सारी बातें बताता हूँ,*
वह भी क्या दिन थे जब मैं उमड़ती भीड़ के साथ चलता था,
उसके आगे-आगे पूरी गंभीरता से* चलता हुआ परमेश्वर के भवन की तरफ बढ़ता था,
हाँ, वह भीड़ जो कदरदानी के गीत गाती हुई,
जयजयकार करती हुई त्योहार मनाती थी।+
5 मेरे मन, तू क्यों इतना उदास है?+
तेरे अंदर यह तूफान क्यों मचा है?
6 मेरे परमेश्वर, मेरा मन बहुत उदास है।+
7 तेरे झरने की ज़ोरदार झरझर पर
गहरा सागर गहरे सागर को आवाज़ लगाता है।
मैं तेरी उफनती लहरों में डूब गया हूँ।+
8 दिन में यहोवा मुझ पर अटल प्यार ज़ाहिर करेगा,
रात को उसका गीत मेरे होंठों पर होगा,
मैं अपने परमेश्वर से प्रार्थना करूँगा जो मुझे जीवन देता है।+
दुश्मन के ज़ुल्मों की वजह से मुझे क्यों सारा वक्त उदास रहना पड़ता है?”+
10 दुश्मन मेरे खून के प्यासे हैं,* मुझे ताना मारते हैं,
सारा दिन मुझे ताना मारते हैं, “कहाँ गया तेरा परमेश्वर?”+
11 मेरे मन, तू क्यों इतना उदास है?
तेरे अंदर यह तूफान क्यों मचा है?
परमेश्वर का इंतज़ार कर,+
क्योंकि मैं उसकी तारीफ करता रहूँगा
कि वह मेरा महान उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्वर है।+
धोखेबाज़ और अन्याय करनेवाले आदमी से मुझे छुड़ा।
2 क्योंकि तू ही मेरा परमेश्वर है, मेरा किला है।+
तूने क्यों मुझे अपने सामने से दूर कर दिया है?
दुश्मन के ज़ुल्मों की वजह से मुझे क्यों सारा वक्त उदास रहना पड़ता है?+
3 अपनी रौशनी और सच्चाई मुझे दे।+
हे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, मैं सुरमंडल+ बजाकर तेरी तारीफ करूँगा।
5 मेरे मन, तू क्यों इतना उदास है?
तेरे अंदर यह तूफान क्यों मचा है?
परमेश्वर का इंतज़ार कर,+
क्योंकि मैं उसकी तारीफ करता रहूँगा
कि वह मेरा महान उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्वर है।+
कोरह के वंशजों+ की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत। मश्कील।*
44 हे परमेश्वर, हमारे कानों ने तेरे बारे में सुना है,
तेरे कामों का ब्यौरा पुरखों की ज़बानी सुना है,+
जो तूने उनके दिनों में किए थे,
हाँ, मुद्दतों पहले किए थे।
तूने जातियों को कुचल दिया, उन्हें खदेड़ दिया।+
यह इसलिए हुआ क्योंकि तूने अपने दाएँ हाथ की शक्ति दिखायी,+
तेरे मुख का प्रकाश उन पर चमका,
तू उनसे खुश था।+
8 दिन-भर हम परमेश्वर की तारीफ करेंगे,
सदा तेरे नाम की तारीफ करेंगे। (सेला )
10 तू हमें दुश्मन को पीठ दिखाकर भागने पर मजबूर करता है,+
हमसे नफरत करनेवाले जो चाहे हमसे लूट लेते हैं।
11 तूने हमें दुश्मनों के हवाले कर दिया कि वे हमें भेड़ों की तरह खा जाएँ,
तूने हमें दूसरे देशों में तितर-बितर कर दिया।+
13 तूने हमें पड़ोसियों के बीच बदनाम होने दिया,
आस-पास के सब लोग हमारा मज़ाक बनाते हैं, हमारी खिल्ली उड़ाते हैं।
15 सारा दिन मुझे बेइज़्ज़त किया जाता है,
अब मुझसे यह अपमान सहा नहीं जाता,
16 क्योंकि दुश्मन मुझसे बदला लेते हैं,
मुझे ताने मारते हैं, बेइज़्ज़त करते हैं।
18 हमारा मन बहककर तुझसे दूर नहीं गया,
न ही हमारे कदम तेरी राह से भटके।
19 मगर तूने हमें वहाँ कुचल दिया जहाँ गीदड़ रहते हैं,
तूने घोर अंधकार से हमें ढक दिया।
20 अगर हम अपने परमेश्वर का नाम भुला दें,
या किसी पराए देवता के सामने हाथ फैलाकर दुआ करें,
21 तो क्या परमेश्वर को इसका पता नहीं चल जाएगा?
वह तो दिल का हर राज़ जानता है।+
22 तेरी खातिर हम दिन-भर मौत का सामना करते हैं,
हमारी हालत उन भेड़ों जैसी है जिन्हें हलाल किया जाएगा।+
23 हे यहोवा, जाग! तू क्यों सो रहा है?+
उठ! हमें सदा के लिए त्याग न दे।+
24 तूने क्यों हमसे मुँह फेर लिया है?
हम जो दुख और अत्याचार सहते हैं, उन्हें तू क्यों भूल गया है?
26 हमारी मदद के लिए जल्दी उठ!+
अपने अटल प्यार के कारण हमें छुड़ा ले।+
कोरह के वंशजों+ की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “सोसन के फूलों” के मुताबिक। मश्कील।* एक प्यार का गीत।
45 एक मनभावनी बात से मेरे दिल में उमंग जागी है।
मेरा गीत* एक राजा के बारे में है।+
मेरी ज़बान एक हुनरमंद नकल-नवीस*+ की कलम+ बन जाए।
2 हे राजा, इंसानों में तेरे जैसा सुंदर-सजीला और कोई नहीं।
तेरे होंठों से सुहावने बोल उमड़ते हैं!+
इसीलिए परमेश्वर ने तुझे सदा के लिए आशीष दी है।+
4 पूरे वैभव से सवार होकर जीत* हासिल करता जा,+
सच्चाई, नम्रता और नेकी की खातिर जंग लड़+
और तेरा दायाँ हाथ विस्मयकारी काम करेगा।*
7 तूने नेकी से प्यार किया+ और दुष्टता से नफरत की,+
इसीलिए परमेश्वर ने, हाँ, तेरे परमेश्वर ने तेरे साथियों से बढ़कर हर्ष के तेल से तेरा अभिषेक किया।+
8 तेरा पूरा लिबास गंधरस, अगर और तज की खुशबू से महकता है,
हाथी-दाँत से सजे आलीशान महल का मधुर संगीत तेरे दिल को बाग-बाग कर देता है।
9 तेरी रुतबेदार औरतों में राजाओं की बेटियाँ भी हैं,
तेरे दायीं तरफ रानी ओपीर के सोने के गहनों से सजी खड़ी है।+
10 मेरी बेटी सुन, मेरी तरफ कान लगाना और मेरी बात पर ध्यान देना,
अपने लोगों और अपने पिता के घर को भूल जाना।
11 राजा को तेरी खूबसूरती निहारने की चाह होगी,
वह तेरा मालिक है, इसलिए तू सिर झुकाकर उसे प्रणाम करना।
12 सोर की बेटी तेरे लिए तोहफा लेकर आएगी,
बड़े-बड़े रईस तेरी रज़ामंदी पाना चाहेंगे।
13 महल में राजा की बेटी की आभा ऐसी है कि निगाहें थम जाएँ।
उसकी पोशाक पर सोने की कढ़ाई है।
14 वह बुनी हुई शानदार पोशाक* पहने राजा के पास लायी जाएगी।
उसके पीछे-पीछे उसकी कुँवारी सहेलियाँ भी राजा के पास लायी जाएँगी।
15 उन्हें खुशियाँ और जश्न मनाते हुए लाया जाएगा,
वे राजा के महल में कदम रखेंगे।
16 तेरे बेटे तेरे पुरखों की जगह लेंगे।
तू उन्हें सारी धरती पर हाकिम ठहराएगा।+
17 मैं तेरा नाम पीढ़ी-दर-पीढ़ी लोगों को बताता रहूँगा।+
इसलिए देश-देश के लोग युग-युग तक तेरी बड़ाई करते रहेंगे।
कोरह के वंशजों+ का गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: अलामोत की शैली* के मुताबिक।
2 इसलिए हम नहीं डरेंगे, चाहे धरती उलट-पुलट हो जाए,
चाहे पहाड़ टूटकर समुंदर की गहराई में समा जाएँ,+
3 चाहे समुंदर गरजे और उछल-उछलकर फेन उठाए,+
चाहे उसकी खलबली से पहाड़ बुरी तरह डोलें। (सेला )
5 उस नगर में परमेश्वर मौजूद है,+ इसलिए उसे ढाया नहीं जा सकता।
पौ फटते ही परमेश्वर उसकी मदद करने आएगा।+
8 आओ, अपनी आँखों से यहोवा के काम देखो,
धरती पर उसने कैसे-कैसे आश्चर्य के काम किए हैं।
9 धरती के कोने-कोने से वह युद्धों को मिटा देता है।+
तीर-कमान तोड़ डालता है, भाले चूर-चूर कर देता है,
युद्ध-रथों* को आग में भस्म कर देता है।
10 उसने कहा, “हार मान लो और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ।
कोरह के वंशजों+ का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
47 देश-देश के लोगो, तुम सब तालियाँ बजाओ।
जीत का जश्न मनाओ और खुशी से परमेश्वर की जयजयकार करो।
5 जब परमेश्वर की खुशी से जयजयकार हो रही थी तब वह ऊपर चढ़ा,
जब नरसिंगे* की आवाज़ गूँज रही थी तब यहोवा ऊपर चढ़ा।
6 परमेश्वर की तारीफ में गीत गाओ,* उसकी तारीफ में गीत गाओ।
हमारे राजा की तारीफ में गीत गाओ, उसकी तारीफ में गीत गाओ।
8 परमेश्वर सब राष्ट्रों का राजा बन गया है।+
वह अपनी पवित्र राजगद्दी पर बैठा है।
9 देश-देश के लोगों के अगुवे इकट्ठा हुए हैं,
अब्राहम के परमेश्वर की प्रजा के साथ हो लिए हैं।
क्योंकि धरती के सभी शासक* परमेश्वर के हैं।
वह ऊँचा किया गया है।+
कोरह के वंशजों+ का सुरीला गीत।
48 हमारे परमेश्वर के नगर में, अपने पवित्र पहाड़ पर,
यहोवा महान है, सबसे ज़्यादा तारीफ के काबिल है।
2 दूर उत्तर में शान से खड़ा सिय्योन पहाड़ है,
यह महाराजाधिराज का नगर है,+
आसमान छूता यह नगर क्या ही सुंदर है!
सारी धरती के लिए हर्ष का कारण है।+
5 वे यह नगर देखकर दंग रह गए।
उनमें खौफ छा जाएगा, मारे डर के वे भाग गए।
6 वहाँ वे थर-थर काँपने लगे,
बच्चा जनती औरत की तरह तड़पने लगे।
7 पूरब की तेज़ आँधी से तू तरशीश के जहाज़ों को तहस-नहस कर देता है।
8 जो हमने सुना था वह अब अपनी आँखों से देखा है,
सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के नगर में, हमारे परमेश्वर के नगर में देखा है।
परमेश्वर इस नगर को सदा तक मज़बूती से कायम रखेगा।+ (सेला )
तेरा दायाँ हाथ नेकी से भरा है।+
13 उसकी सुरक्षा की ढलानों* पर मन लगाओ।+
उसकी मज़बूत मीनारों को गौर से देखो
ताकि आनेवाली पीढ़ियों को उसकी दास्तान सुना सको।
14 क्योंकि यही परमेश्वर हमारे लिए युग-युग का परमेश्वर है।+
सदा तक* वही हमें राह दिखाएगा।+
कोरह के वंशजों+ का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
49 देश-देश के लोगो, सुनो।
4 मैं एक नीतिवचन पर ध्यान दूँगा,
सुरमंडल बजाकर अपनी पहेली का मतलब खुलकर समझाऊँगा।
5 जब मैं मुश्किल दौर से गुज़रूँ तो क्यों घबराऊँ?+
जब मैं उन लोगों की बुराई से घिर जाऊँ जो मुझे गिराना चाहते हैं तो क्यों डरूँ?
6 जो अपने धन पर भरोसा रखते हैं,+
अपनी दौलत के अंबार पर शेखी मारते हैं,+
7 उनमें से कोई भी अपने भाई को हरगिज़ नहीं छुड़ा सकता,
न ही उसके लिए परमेश्वर को फिरौती दे सकता है+
8 (उनकी जान की फिरौती* की कीमत इतनी ज़्यादा है
कि वे उसे कभी नहीं चुका सकते)
10 वे देखते हैं कि जैसे मूर्ख और नासमझ मिट जाते हैं,
वैसे ही अक्लमंद लोग भी मरते हैं+
और उन्हें अपनी दौलत दूसरों के लिए छोड़नी पड़ती है।+
11 उनकी दिली तमन्ना है कि उनके घर हमेशा टिके रहें,
उनके तंबू पीढ़ी-दर-पीढ़ी खड़े रहें।
वे अपनी जायदाद का नाम अपने नाम पर रखते हैं।
12 मगर इंसान का चाहे कितना ही मान-सम्मान क्यों न हो, वह हमेशा जीता न रहेगा,+
वह जानवरों से कुछ बढ़कर नहीं जो मिट जाते हैं।+
13 मूर्खों का यही अंजाम होता है+
और उनके रंग-ढंग अपनानेवालों और उनकी खोखली बातों से मज़ा लेनेवालों का भी यही हश्र होता है। (सेला )
14 जैसे भेड़ों को हलाल के लिए भेजा जाता है, वैसे ही उन्हें कब्र भेज दिया जाएगा।
मौत उन्हें हाँकती हुई ले जाएगी,
नया सवेरा होने पर सीधे-सच्चे लोग उन पर राज करेंगे,+
उनका नामो-निशान मिट जाएगा,+
16 किसी आदमी को मालामाल होते देख डरना मत,
उसके घर का वैभव बढ़ता देख घबराना मत,
17 क्योंकि मरने के बाद वह अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकता,+
उसका ठाट-बाट उसके साथ नहीं जाएगा।+
18 सारी ज़िंदगी वह खुद पर गुमान करता है।+
(जब तेरे पास दौलत होती है, तो लोग तेरी वाह-वाही करते हैं।)+
19 मगर आखिर में वह अपने पुरखों की तरह मर जाता है।
वे फिर कभी उजाला नहीं देखेंगे।
20 जो इंसान यह बात नहीं समझता, उसका चाहे कितना ही सम्मान हो,+
वह जानवरों से कुछ बढ़कर नहीं जो मिट जाते हैं।
आसाप+ का सुरीला गीत।
50 सब ईश्वरों से महान परमेश्वर यहोवा+ ने कहा है,
पूरब से पश्चिम तक*
पूरी धरती को आने का आदेश दिया है।
2 परमेश्वर सिय्योन से, जिसकी खूबसूरती बेमिसाल* है,+ अपना तेज चमकाता है।
3 हमारा परमेश्वर ज़रूर आएगा और वह चुप न रहेगा।+
5 “मेरे वफादार लोगों को मेरे पास इकट्ठा करो,
जिन्होंने बलिदान की बिनाह पर मेरे साथ एक करार किया है।”+
मैं परमेश्वर हूँ, तेरा परमेश्वर।+
8 मैं तेरे बलिदानों की वजह से तुझे नहीं फटकारता,
न ही तेरी होम-बलियों की वजह से, जो तू मेरे सामने नियमित तौर पर चढ़ाता है।+
15 मुसीबत की घड़ी में मुझे पुकार,+
मैं तुझे छुड़ाऊँगा और तू मेरी महिमा करेगा।”+
16 मगर परमेश्वर दुष्ट से कहेगा,
21 जब तूने ये काम किए तो मैं चुप रहा
और तूने सोच लिया कि मैं भी तेरे जैसा हूँ।
मगर अब मैं तुझे सुधारने के लिए फटकारूँगा,
तुझ पर मुकदमा करूँगा।+
22 परमेश्वर को भूलनेवालो, ज़रा इस बात पर गौर करो,+
वरना मैं तुम्हारी बोटी-बोटी कर दूँगा और तुम्हें बचानेवाला कोई न होगा।
23 जब कोई मुझे धन्यवाद देता है, जो कि उसका बलिदान है, तो वह मेरी महिमा करता है।+
जो मज़बूत इरादे से सही राह पर चलता रहता है,
उसका मैं उद्धार करूँगा।”+
निर्देशक के लिए हिदायत। दाविद का यह सुरीला गीत उस समय का है जब उसने बतशेबा+ के साथ संबंध रखकर पाप किया था और उसके बाद भविष्यवक्ता नातान उसके पास आया था।
51 हे परमेश्वर, अपने अटल प्यार के मुताबिक मुझ पर रहम कर।+
अपनी बड़ी दया के मुताबिक मेरे अपराध मिटा दे।+
इसलिए तू जो बोलता है वह सही है,
तेरा न्याय सच्चा है।+
7 मरुए से पानी छिड़ककर मेरा पाप दूर कर दे ताकि मैं शुद्ध हो जाऊँ,+
मुझे धोकर साफ कर दे ताकि मैं बर्फ से भी उजला हो जाऊँ।+
8 मुझे खुशियाँ और जश्न मनाने की आवाज़ सुनने दे
ताकि जो हड्डियाँ तूने चकनाचूर कर दी हैं, उनमें उमंग भर जाए।+
11 तू मुझे अपने सामने से दूर न कर,
मुझ पर से अपनी पवित्र शक्ति न हटा।
12 तूने मेरा उद्धार करके मुझे जो खुशियाँ दी थीं वे मुझे लौटा दे,+
मेरे अंदर ऐसी इच्छा जगा कि मैं तेरी आज्ञा मानूँ।
14 हे परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर,+ खून का दोष मुझ पर से मिटा दे+
ताकि मेरी जीभ खुशी-खुशी तेरी नेकी का ऐलान करे।+
17 टूटा मन ऐसा बलिदान है जो परमेश्वर को भाता है,
18 अपनी कृपा दिखाकर सिय्योन का भला कर,
यरूशलेम की शहरपनाह को मज़बूत कर।
19 तब तू नेकी के बलिदानों से,
होम-बलियों और पूरे चढ़ावे से खुश होगा,
तब तेरी वेदी पर बैल अर्पित किए जाएँगे।+
निर्देशक के लिए हिदायत। मश्कील।* दाविद का यह गीत उस समय का है जब एदोमी दोएग शाऊल को बता देता है कि दाविद अहीमेलेक+ के घर गया था।
52 अरे दुष्ट, तू क्यों अपने बुरे कामों पर डींग मारता है?+
क्या तू जानता नहीं, परमेश्वर का अटल प्यार दिन-भर कायम रहता है?+
3 तू अच्छाई से नहीं बुराई से प्यार करता है,
तुझे सच के बजाय झूठ बोलना रास आता है। (सेला )
4 हे छली ज़बान,
तू नुकसान करनेवाली हर बात पसंद करती है!
5 इसलिए परमेश्वर तुझे गिराकर हमेशा के लिए नाश कर देगा,+
तुझे झपटकर पकड़ लेगा और तंबू से बाहर घसीट लाएगा,+
7 “देखो इस आदमी को, जिसने परमेश्वर की पनाह नहीं ली*+
बल्कि अपनी बेशुमार दौलत पर भरोसा किया,+
अपनी साज़िशों का सहारा* लिया।”
8 मगर मैं परमेश्वर के भवन में फलते-फूलते जैतून पेड़ जैसा होऊँगा,
मैंने परमेश्वर के अटल प्यार पर भरोसा रखा है+ और सदा रखूँगा।
9 मैं सदा तेरी तारीफ करूँगा क्योंकि तूने कदम उठाया है,+
तेरे वफादार जनों के सामने
मैं तेरे नाम पर आशा रखूँगा+ क्योंकि वह भला है।
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: महलत की शैली* में। मश्कील।*
53 मूर्ख* मन में कहता है, “कोई यहोवा नहीं।”+
ऐसे लोगों के काम बुरे होते हैं, भ्रष्ट और घिनौने होते हैं,
कोई भी भला काम नहीं करता।+
2 मगर परमेश्वर स्वर्ग से इंसानों को देखता है+
कि क्या कोई अंदरूनी समझ रखनेवाला है,
क्या कोई यहोवा की खोज करनेवाला है।+
3 वे सब भटक गए हैं,
सब-के-सब भ्रष्ट हो गए हैं।
कोई भी भला काम नहीं करता, एक भी नहीं।+
4 क्या गुनहगारों में से कोई भी समझ नहीं रखता?
वे मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं मानो रोटी हो।
वे यहोवा को नहीं पुकारते।+
5 मगर उन सब पर खौफ छा जाएगा,
ऐसा आतंक जो उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं किया,*
क्योंकि परमेश्वर तेरे हमलावरों* की हड्डियाँ बिखरा देगा।
तू उन्हें शर्मिंदा करेगा क्योंकि यहोवा ने उन्हें ठुकरा दिया है।
6 इसराएल का उद्धार सिय्योन की तरफ से हो!+
जब यहोवा अपने लोगों को बँधुआई से लौटा ले आएगा,
तब याकूब खुशियाँ मनाए, इसराएल जश्न मनाए।
निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए। मश्कील।* दाविद का यह गीत उस समय का है जब ज़ीफ के लोगों ने शाऊल के पास जाकर उसे खबर दी थी कि दाविद उनके इलाके में छिपा हुआ है।+
वे परमेश्वर की कोई कदर नहीं करते।*+ (सेला )
5 वह मेरे दुश्मनों की बुराई को उन्हीं पर लौटा देगा।+
हे परमेश्वर, उनका अंत कर दे क्योंकि तू विश्वासयोग्य है।+
6 मैं अपनी इच्छा से तेरे लिए बलिदान चढ़ाऊँगा।+
हे यहोवा, मैं तेरे नाम की तारीफ करूँगा क्योंकि वह भला है।+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए। मश्कील।*
2 मुझ पर ध्यान दे और मुझे जवाब दे,+
मैं चिंता के मारे बेचैन हूँ,+
दुख से बेहाल हूँ,
3 क्योंकि दुश्मन चुभनेवाली बातें कहते हैं,
दुष्ट मुझ पर दबाव डालते हैं।
एक-के-बाद-एक मुसीबत खड़ी करते हैं।
वे गुस्से से भरे हुए हैं और मन में दुश्मनी पालते हैं।+
5 मैं डर से काँप रहा हूँ, थरथरा रहा हूँ।
6 रह-रहकर एक ही खयाल आता है,
“काश, फाख्ते की तरह मेरे भी पर होते!
मैं उड़कर किसी महफूज़ जगह जा बसता।
किसी वीराने में बसेरा करता।+ (सेला )
8 मैं इस तेज़ आँधी और भयानक तूफान से बचकर
किसी महफूज़ जगह भाग जाता।”
9 हे यहोवा, उन्हें उलझन में डाल दे,
क्योंकि मैंने शहर में खून-खराबा और झगड़े देखे हैं।
मेरे खिलाफ उठनेवाला अगर मेरा बैरी होता,
तो मैं उससे छिप जाता।
14 हमने दोस्ती के कितने मीठे पल बिताए थे,
भीड़ के साथ हम परमेश्वर के भवन में जाया करते थे।
15 मेरे दुश्मनों पर मुसीबत टूट पड़े!+
वे ज़िंदा ही कब्र में चले जाएँ,
क्योंकि उनके बीच और उनके अंदर बुराई बसी है।
19 परमेश्वर, जो युग-युग से अपनी राजगद्दी पर विराजमान है,+
मेरी दुहाई सुनेगा और उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।+ (सेला )
उन्हें बदलना गवारा नहीं,
वे परमेश्वर का डर नहीं मानते।+
उसके बोल तेल से भी चिकने हैं,
मगर पैनी तलवार की तरह काटते हैं।+
वह नेक जन को कभी गिरने* नहीं देगा।+
23 मगर हे परमेश्वर, तू उन दुष्टों को गहरी खाई में गिरा देगा।+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “दूर की मौन फाख्ता” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब गत में पलिश्तियों ने दाविद को पकड़ लिया था।+
56 हे परमेश्वर, मुझ पर कृपा कर, नश्वर इंसान मुझ पर हमला कर रहा है।*
सारा दिन वे मुझसे लड़ते हैं, मुझ पर ज़ुल्म ढाते हैं।
2 मेरे दुश्मन दिन-भर मुझे काटने को दौड़ते हैं।
बहुत-से लोग घमंड से भरकर मुझसे लड़ते हैं।
3 जब मुझे डर लगता है+ तो मैं तुझ पर भरोसा रखता हूँ।+
4 मुझे परमेश्वर पर भरोसा है जिसके वचन की मैं तारीफ करता हूँ।
मुझे परमेश्वर पर भरोसा है, मैं नहीं डरता।
अदना इंसान मेरा क्या बिगाड़ सकता है?+
6 मुझ पर हमला करने के लिए घात लगाते हैं,
मेरे हर कदम पर नज़र रखते हैं+
ताकि मौका मिलते ही मेरी जान ले लें।+
7 हे परमेश्वर, उनकी दुष्टता के कारण उन्हें ठुकरा दे।
अपना क्रोध भड़काकर उन राष्ट्रों को गिरा दे।+
8 तू मेरे दर-दर भटकने का हिसाब रखता है।+
दया करके मेरे आँसुओं को अपनी मशक में भर ले।+
उनका हिसाब तेरी किताब में लिखा है।+
9 जिस दिन मैं तुझे मदद के लिए पुकारूँगा, मेरे दुश्मन भाग खड़े होंगे।+
मुझे पूरा यकीन है कि परमेश्वर मेरी तरफ है।+
10 मुझे परमेश्वर पर भरोसा है जिसके वचन की मैं तारीफ करता हूँ,
मुझे यहोवा पर भरोसा है जिसके वचन की मैं तारीफ करता हूँ,
अदना इंसान मेरा क्या बिगाड़ सकता है?+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब दाविद शाऊल से भागकर गुफा में जा छिपा था।+
57 हे परमेश्वर, मुझ पर कृपा कर, कृपा कर,
क्योंकि मैं तेरी पनाह में आया हूँ,+
जब तक मुसीबतें टल नहीं जातीं, मैं तेरे पंखों की छाँव तले पनाह लूँगा।+
2 मैं परम-प्रधान परमेश्वर को पुकारता हूँ,
सच्चे परमेश्वर को, जो मेरी मुसीबतों का अंत कर देता है।
3 वह स्वर्ग से मेरी मदद करेगा, मुझे बचाएगा।+
वह उसे नाकाम कर देगा जो मुझे काटने को दौड़ता है। (सेला )
परमेश्वर अपने अटल प्यार और वफादारी का सबूत देगा।+
मुझे ऐसे आदमियों के बीच लेटना पड़ता है जो मुझे फाड़ खाना चाहते हैं,
जिनके दाँत भाले और तीर हैं,
जिनकी जीभ तेज़ तलवार है।+
उन्होंने मुझे गिराने के लिए गड्ढा खोदा,
मगर खुद उसमें गिर पड़े।+ (सेला )
मैं गीत गाऊँगा, संगीत बजाऊँगा।
8 हे मेरे मन, जाग!
हे तारोंवाले बाजे और सुरमंडल, तुम भी जागो!
मैं भोर को जगाऊँगा।+
10 क्योंकि तेरा अटल प्यार क्या ही महान है,
आसमान जितना ऊँचा है,+
तेरी वफादारी आकाश की बुलंदियाँ छूती है।
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।*
58 हे आदमियो, इस तरह चुप बैठकर क्या तुम नेकी के बारे में बोल सकोगे?+
क्या तुम सच्चाई से न्याय कर सकोगे?+
5 वह अब सपेरों की आवाज़ नहीं सुनेगा,
फिर चाहे वे कितनी ही चालाकी से मंत्र फूँकें।
6 हे परमेश्वर, उनके मुँह के सारे दाँत तोड़ दे!
हे यहोवा, उन शेरों के जबड़े तोड़ दे!
7 वे ऐसे गायब हो जाएँ जैसे पानी बहकर गायब हो जाता है।
परमेश्वर अपनी कमान चढ़ाए और तीर चलाकर उन्हें ढेर कर दे।
8 वे घोंघे जैसे हो जाएँ जो रेंगते-रेंगते घुलकर नाश हो जाता है,
वे उस बच्चे जैसे हो जाएँ जो कोख में ही मर जाता है और कभी सूरज की रौशनी नहीं देख पाता।
9 इससे पहले कि तुम्हारी हाँडियों को कँटीली लकड़ियों की आँच लगे
परमेश्वर उन हरी और जलती लकड़ियों को ऐसे उड़ा ले जाएगा जैसे आँधी उड़ा ले जाती है।+
10 परमेश्वर को बदला लेते देख नेक जन खुशियाँ मनाएगा।+
नेक जन के पाँव दुष्टों के खून से लथपथ हो जाएँगे।+
11 तब लोग कहेंगे, “नेक इंसान को ज़रूर इनाम मिलता है,+
दुनिया का न्याय करनेवाला एक परमेश्वर ज़रूर है।”+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब शाऊल ने अपने आदमियों को दाविद के घर पर नज़र रखने भेजा था ताकि वे उसे मार डालें।+
3 देख! वे मेरे लिए घात लगाए बैठे हैं,+
ताकतवर आदमी मुझ पर हमला करते हैं,
जबकि हे यहोवा, मैंने न बगावत की है, न कोई पाप किया है।+
4 मैंने कुछ बुरा नहीं किया, फिर भी वे मुझ पर हमला करने दौड़े चले आते हैं।
मेरी पुकार सुनकर उठ और देख।
5 क्योंकि हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, तू इसराएल का परमेश्वर है।+
उठकर सब राष्ट्रों पर ध्यान दे।
गद्दारी करनेवाले दुष्टों पर ज़रा भी तरस न खा।+ (सेला )
7 देख, उनका मुँह कैसी बातें उगलता है,
उनके होंठ तलवार जैसे हैं,+
क्योंकि वे कहते हैं, “कौन सुनता है?”+
10 मुझ पर अटल प्यार ज़ाहिर करनेवाला परमेश्वर मेरी मदद के लिए आएगा,+
वह मुझे अपने दुश्मनों की हार दिखाएगा।+
11 उन्हें मार न डाल ताकि मेरे लोग भूल न जाएँ।
अपनी शक्ति से उन्हें दर-दर भटकने पर मजबूर कर,
हे यहोवा, हमारी ढाल, तू उन्हें गिरा दे।+
12 वे अपने मुँह से, अपने होंठों से पाप करते हैं।
वे अपने ही घमंड में फँस जाएँ,+
क्योंकि वे शाप देते हैं और छल की बातें करते हैं।
13 तू क्रोध से भरकर उनका नाश कर देना,+
उनका नाश कर देना ताकि वे मिट जाएँ,
उन्हें जता देना कि परमेश्वर याकूब पर और धरती के छोर तक राज करता है।+ (सेला )
15 उनका ऐसा हाल कर दे कि वे एक निवाले के लिए दर-दर भटकें,+
उन्हें न भरपेट खाना मिले, न सिर छिपाने की जगह।
17 हे मेरी ताकत, मैं तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा,*+
क्योंकि परमेश्वर मेरा ऊँचा गढ़ है, मुझसे प्यार* करनेवाला परमेश्वर है।+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “यादगार का सोसन” के मुताबिक। मिकताम।* सिखाने के लिए। यह गीत उस समय का है जब दाविद ने अरम-नहरैम और अराम-सोबा की सेना से युद्ध किया था और योआब ने लौटकर नमक घाटी+ में 12,000 एदोमियों को मार गिराया था।
60 हे परमेश्वर, तूने हमें ठुकरा दिया, हमारी मोरचाबंदी तोड़ दी,+
तू हमसे नाराज़ था मगर अब हमें दोबारा अपना ले!
2 तूने धरती को कँपकँपा दिया, ज़मीन चीर दी।
अब इसकी दरारें भर दे क्योंकि यह गिरनेवाली है।
3 तूने अपने लोगों को मुसीबतें झेलने पर मजबूर किया।
हमें ऐसी दाख-मदिरा पिलायी कि हम लड़खड़ाने लगे।+
6 परमेश्वर अपनी पवित्रता के कारण* कहता है,
8 मोआब मेरा हाथ-पैर धोने का बरतन है।+
एदोम पर मैं अपना जूता फेंकूँगा।+
पलिश्त को जीतकर मैं जश्न मनाऊँगा।”+
9 कौन मुझे उस घिरे हुए* शहर तक ले जाएगा?
कौन मुझे दूर एदोम तक ले जाएगा?+
10 हे हमारे परमेश्वर, तू ही हमें वहाँ ले जाएगा।
मगर तूने तो हमें ठुकरा दिया है,
तू अब युद्ध में हमारी सेना के साथ नहीं जाता।+
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए।
61 हे परमेश्वर, मेरी मदद की पुकार सुन।
मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे।+
तू मुझे एक ऊँची चट्टान पर ले जाना।+
5 क्योंकि हे परमेश्वर, तूने मेरी मन्नतें सुनी हैं।
मुझे वह विरासत दी है जो तेरे नाम का डर माननेवालों के लिए है।+
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यदूतून* का।
62 मैं चुपचाप परमेश्वर का इंतज़ार करता हूँ।
वही मेरा उद्धारकर्ता है।+
2 वही मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है, मेरा ऊँचा गढ़ है,+
मैं कभी इस कदर हिलाया नहीं जा सकता कि गिर जाऊँ।+
3 तुम एक इंसान को मार डालने के लिए कब तक उस पर वार करते रहोगे?+
तुम सब-के-सब खतरनाक हो, उस दीवार की तरह जो झुकी हुई है,
पत्थर की उस दीवार की तरह जो बस ढहनेवाली है।*
मुँह से तो वे आशीर्वाद देते हैं, पर मन-ही-मन शाप देते हैं।+ (सेला )
7 मेरा उद्धार और मेरा वैभव परमेश्वर की ही बदौलत है।
परमेश्वर मेरी मज़बूत चट्टान है, मेरा गढ़ है।+
8 लोगो, हमेशा उस पर भरोसा रखो।
उसके आगे अपना दिल खोलकर रख दो।+
परमेश्वर हमारी पनाह है।+ (सेला )
अगर उन सबको एक-साथ तौला जाए, तो भी वे साँस से हलके निकलेंगे।+
10 इस गलतफहमी में मत रहो कि धोखाधड़ी से तुम कामयाब होगे,
या लूट-खसोट से तुम्हें फायदा होगा।
अगर तुम्हारी दौलत बढ़ने लगे, तो अपना मन उसी पर मत लगाना।+
11 मैंने एक बार नहीं, दो बार परमेश्वर को यह कहते सुना,
“ताकत परमेश्वर ही की है।”+
दाविद का सुरीला गीत। यह गीत उस समय का है जब दाविद यहूदा के वीराने में था।+
63 हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है, मैं तुझे ढूँढ़ता रहता हूँ।+
मैं तेरे लिए प्यासा हूँ।+
इस सूखी तपती ज़मीन पर, जहाँ एक बूँद पानी भी नहीं,
मैं तेरे लिए इतना तरस रहा हूँ कि बेहोश होने पर हूँ।+
4 मैं सारी ज़िंदगी तेरी तारीफ करूँगा,
हाथ उठाकर तेरा नाम पुकारूँगा।
9 मगर जो मेरी जान के पीछे पड़े हैं,
वे धरती की गहराइयों में समा जाएँगे।
11 मगर राजा परमेश्वर के कारण मगन होगा।
जो कोई परमेश्वर की शपथ खाता है, वह खुशियाँ मनाएगा,*
क्योंकि झूठ बोलनेवालों का मुँह बंद कर दिया जाएगा।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
64 हे परमेश्वर, जब मैं मिन्नत करूँ तो मेरी सुन।+
दुश्मन के खतरनाक हमलों से मेरी जान बचा।
3 वे अपनी जीभ तलवार की तरह तेज़ करते हैं,
कड़वे शब्दों के तीरों से निशाना साधते हैं
4 ताकि छिपकर निर्दोष पर वार करें।
वे बेधड़क होकर उस पर अचानक तीर चलाते हैं।
वे कहते हैं, “इन फंदों पर किसकी नज़र जाएगी?”+
6 वे गुनाह करने के नए-नए तरीके खोजते हैं,
बड़ी चालाकी से जाल बिछाने की तरकीबें बुनते हैं,+
उनके दिल के विचार समझना नामुमकिन है।
9 तब सभी आदमी घबरा जाएँगे,
परमेश्वर ने जो किया है उसका ऐलान करेंगे,
वे उसके कामों की अंदरूनी समझ हासिल करेंगे।+
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 हे प्रार्थना के सुननेवाले, सब किस्म के लोग तेरे पास आएँगे।+
हम तेरे भवन की,+ तेरे पवित्र मंदिर* की अच्छी चीज़ों से संतुष्ट होंगे।+
5 हे परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता,
तू हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देगा और नेकी की खातिर विस्मयकारी काम करेगा,+
तू धरती के कोने-कोने तक बसनेवालों का,
सागर के पार दूर-दूर तक रहनेवालों का भरोसा है।+
7 तूफानी समुंदर को, साहिल से टकराती लहरों को तू शांत कर देता है,+
होहल्ला मचाते राष्ट्रों को खामोश कर देता है।+
8 दूर-दराज़ इलाकों के लोग तेरे चिन्ह देखकर दंग रह जाएँगे,+
उदयाचल से अस्ताचल तक रहनेवालों को तू ऐसी खुशी देगा कि वे जयजयकार करेंगे।
10 तू इसके कूँड़ों में पानी भरता है, जुती हुई ज़मीन* समतल करता है,
तू पानी बरसाकर मिट्टी नरम करता है और उसकी पैदावार पर आशीष देता है।+
वे जीत का जश्न मनाते हैं, हाँ, गीत गाते हैं।+
निर्देशक के लिए हिदायत। एक सुरीला गीत।
66 धरती के सब लोगो, परमेश्वर की जयजयकार करो!+
2 उसके गौरवशाली नाम की तारीफ में गीत गाओ।*
उसकी बढ़-चढ़कर महिमा करो।+
3 परमेश्वर से कहो, “तेरे काम क्या ही विस्मयकारी हैं!+
तेरी महाशक्ति देखकर दुश्मन तेरे सामने दुबक जाएँगे।+
4 धरती के सब लोग तुझे दंडवत करेंगे,+
तेरी तारीफ में गीत गाएँगे,
तेरे नाम की तारीफ में गीत गाएँगे।”+ (सेला )
5 आओ, आकर तुम सब परमेश्वर के काम देखो,
इंसानों की खातिर उसने क्या ही विस्मयकारी काम किए हैं!+
जिस पर चलकर हम पार उतर गए।+
परमेश्वर के कारण हम वहाँ आनंद-मगन हुए।+
7 वह अपनी ताकत से सदा राज करता है।+
राष्ट्रों पर नज़र रखता है।+
जो हठीले हैं वे खुद को बहुत ऊँचा न उठाएँ।+ (सेला )
11 तूने हमें अपने जाल में फँसा लिया,
हम पर दुखों का ऐसा भारी बोझ लादा कि हम दब गए।
12 तूने नश्वर इंसान को हमारे* ऊपर से सवारी करने दिया,
हम आग और पानी से गुज़रे,
इसके बाद तू हमें एक महफूज़ जगह ले आया।
13 मैं पूरी होम-बलियाँ लेकर तेरे भवन में आऊँगा,+
वे सारी मन्नतें पूरी करूँगा,+
14 जो मैंने मुसीबत के वक्त तुझसे मानी थीं,+
वे वादे निभाऊँगा जो मैंने संकट के वक्त किए थे।
15 मैं तुझे मोटे-ताज़े जानवरों की होम-बलियाँ चढ़ाऊँगा,
मेढ़ों का बलिदान करूँगा ताकि उनका धुआँ उठे।
मैं बकरे और बैल अर्पित करूँगा। (सेला )
16 परमेश्वर का डर माननेवालो, तुम सब आओ और सुनो,
मैं तुम्हें बताऊँगा कि उसने मेरे लिए क्या-क्या किया।+
17 मैंने अपने मुँह से उसे पुकारा,
अपनी जीभ से उसकी महिमा की।
20 परमेश्वर की बड़ाई हो जिसने मेरी प्रार्थना नहीं ठुकरायी,
न ही अपने अटल प्यार से मुझे दूर रखा।
एक सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए।
3 हे परमेश्वर, देश-देश के लोग तेरी तारीफ करें,
सभी देशों के लोग तेरी तारीफ करें।
तू धरती के राष्ट्रों को राह दिखाएगा। (सेला )
5 हे परमेश्वर, देश-देश के लोग तेरी तारीफ करें,
सभी देशों के लोग तेरी तारीफ करें।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 जैसे धुआँ उड़ाया जाता है, वैसे ही तू उन्हें उड़ा दे,
जैसे मोम आग के सामने पिघल जाता है,
वैसे ही दुष्ट परमेश्वर के सामने मिट जाएँ।+
4 परमेश्वर के लिए गीत गाओ, उसके नाम की तारीफ में गीत गाओ।*+
उस परमेश्वर के लिए गाओ जिसकी सवारी वीरानों से गुज़रती है।*
उसका नाम याह* है!+ उसके आगे आनंद मनाओ!
मगर जो ढीठ* हैं उन्हें सूखे देश में रहना पड़ेगा।+
8 तो तेरे सामने धरती डोलने लगी,+
आसमान पानी बरसाने* लगा,
इसराएल के परमेश्वर के सामने यह सीनै पहाड़ काँपने लगा।+
10 उन्होंने तेरी छावनी में बसेरा किया,+
हे परमेश्वर, तूने गरीबों की ज़रूरतें पूरी करके अपनी भलाई का सबूत दिया।
12 राजा अपनी सेनाओं को लेकर भाग जाते हैं!+ हाँ, वे भाग जाते हैं!
घर में रहनेवाली औरतों को भी लूट का हिस्सा मिलता है।+
13 तुम आदमियों को भले ही अलावों* के पास लेटना पड़ा,
मगर वहाँ तुम्हें ऐसी फाख्ता मिलेगी
जिसके पर चाँदी के और डैने शुद्ध* सोने के होंगे।
14 जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने उसके राजाओं को तितर-बितर कर दिया,+
तो ज़लमोन पहाड़ में बर्फबारी होने लगी।*
16 हे चोटियोंवाले पहाड़, तू क्यों उस पहाड़ को जलन से देखता है
बेशक उसी पहाड़ पर यहोवा सदा निवास करेगा।+
17 परमेश्वर के युद्ध-रथों की गिनती हज़ारों-लाखों में है।+
यहोवा सीनै पहाड़ से पवित्र जगह में आया है।+
18 हे याह, हे परमेश्वर, तू ऊँचे पर चढ़ा+
और बंदियों को ले गया,
आदमियों के रूप में तोहफे ले गया,+
हाँ, ढीठ लोगों+ को भी ले गया ताकि तू उनके बीच निवास करे।
22 यहोवा ने कहा है, “मैं उन्हें बाशान से वापस लाऊँगा,+
समुंदर की गहराइयों से निकाल लाऊँगा
23 ताकि उन दुश्मनों के खून से तुम्हारे पैर लथपथ हो जाएँ+
और तुम्हारे कुत्ते उनका खून चाटें।”
24 हे परमेश्वर, वे तेरी जीत का जुलूस देखते हैं,
मेरे परमेश्वर का, मेरे राजा का जुलूस देखते हैं जो पवित्र जगह की तरफ बढ़ता है।+
25 गायक सबसे आगे होते हैं, उनके पीछे तारोंवाले बाजे बजाते संगीतकार होते हैं,+
दोनों दलों के बीच डफली बजाती जवान औरतें चलती हैं।+
26 जहाँ लोगों की भीड़ जमा है, वहाँ* परमेश्वर की तारीफ करो,
इसराएल के सोते से निकले हुए लोगो, यहोवा की तारीफ करो।+
27 वहाँ सबसे छोटा गोत्र बिन्यामीन+ उन्हें अपने अधीन कर रहा है,
साथ ही यहूदा के हाकिम और उनके लोगों की भीड़,
जबूलून के हाकिम और नप्ताली के हाकिम भी उन्हें अपने अधीन कर रहे हैं।
28 तेरे परमेश्वर ने तय किया है कि तू ताकतवर होगा।
हे परमेश्वर, जैसे तूने हमारी खातिर ताकत दिखायी थी, वैसे अब भी दिखा।+
30 नरकटों में रहनेवाले जंगली जानवरों को
और बैलों के झुंड+ और उनके बछड़ों को तब तक डाँट,
जब तक कि देश-देश के लोग चाँदी के टुकड़े लाकर तुझे दंडवत नहीं करते।*
तू उन लोगों को तितर-बितर कर देता है जिन्हें युद्ध करने में मज़ा आता है।
33 उसके लिए, जो मुद्दतों से कायम ऊँचे आसमानों पर सवार है,+
सुनो! उसकी आवाज़ क्या ही बुलंद है! देखो, कैसे गरज रही है!
34 कबूल करो कि परमेश्वर में ताकत है।+
उसका प्रताप इसराएल पर छाया है,
उसकी ताकत आसमान में है।
35 अपने शानदार भवन से निकलता परमेश्वर क्या ही विस्मयकारी दिखायी पड़ता है।+
वह इसराएल का परमेश्वर है,
जो अपनी प्रजा को ताकत और शक्ति देता है।+
परमेश्वर की तारीफ हो।
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “सोसन के फूलों” के मुताबिक।
69 हे परमेश्वर, मुझे बचा ले क्योंकि मैं पानी में डूबा जा रहा हूँ।+
2 मैं गहरे दलदल में धँस गया हूँ जहाँ ठोस ज़मीन नहीं है।+
मैं गहरे पानी में डूब रहा हूँ,
तेज़ धारा मुझे बहा ले जा रही है।+
अपने परमेश्वर की राह देखते-देखते मेरी आँखें पथरा गयी हैं।+
मेरे कपटी दुश्मन* जो मुझे मिटाने पर तुले हैं,
उनकी गिनती बेशुमार हो गयी है।
मैंने जो चुराया नहीं वह भी मुझे देना पड़ा।
5 हे परमेश्वर, तू मेरी मूर्खता अच्छी तरह जानता है,
मेरा दोष तुझसे छिपा नहीं है।
6 हे सारे जहान के मालिक, सेनाओं के परमेश्वर यहोवा,
तुझ पर आशा रखनेवालों को मेरी वजह से शर्मिंदा न होना पड़े।
हे इसराएल के परमेश्वर, तेरी खोज करनेवालों को मेरी वजह से बेइज़्ज़त न होना पड़े।
9 तेरे भवन के लिए जोश की आग ने मुझे भस्म कर दिया है,+
जो तेरी निंदा करते हैं, उनकी निंदा-भरी बातें मुझ पर आ पड़ी हैं।+
12 शहर के फाटक पर बैठनेवाले मेरे बारे में बात करते हैं,
शराबी मेरे बारे में गीत बनाते हैं।
13 मगर हे यहोवा, तू सही वक्त पर मेरी प्रार्थना कबूल करना।+
हे परमेश्वर, तू अटल प्यार से भरपूर है और सच्चा उद्धारकर्ता है,
इसलिए मेरी प्रार्थना का जवाब दे।+
14 मुझे दलदल से निकाल ले
ताकि मैं अंदर धँस न जाऊँ।
मुझसे नफरत करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,
गहरे पानी में डूबने से मुझे बचा ले।+
16 हे यहोवा, मुझे जवाब दे क्योंकि तेरा अटल प्यार बहुत गहरा है।+
मैं बड़े संकट में हूँ, फौरन मेरी पुकार सुन ले।+
18 मेरे पास आ, मुझे छुड़ा ले,
दुश्मनों से मुझे बचा ले।
तू मेरे सब दुश्मनों को देखता है।
20 घोर अपमान सहते-सहते मेरा दिल टूट गया है, अब यह घाव भर नहीं सकता।*
26 क्योंकि वे उसका पीछा करते हैं जिसे तूने मारा है,
उनके दुखों के बारे में गपशप करते हैं जिन्हें तूने घायल किया है।
27 उनका दोष और बढ़ा दे
और वे तेरी नज़र में नेक न माने जाएँ।
29 मैं सताया जा रहा हूँ, दर्द से बेहाल हूँ।+
हे परमेश्वर, तुझमें उद्धार करने की शक्ति है, मेरी रक्षा कर।
30 मैं परमेश्वर के नाम की तारीफ में गीत गाऊँगा,
उसका शुक्रिया अदा करते हुए उसकी महिमा करूँगा।
32 दीन लोग इसे देखेंगे और आनंद मनाएँगे।
परमेश्वर की खोज करनेवालो, तुम्हारे दिल फिर से मज़बूत हो जाएँ।
35 क्योंकि परमेश्वर सिय्योन को बचाएगा+
और यहूदा के शहरों को फिर बसाएगा,
वे वहाँ बसेंगे और उस पर* अधिकार पाएँगे।
निर्देशक के लिए हिदायत। यादगार के लिए दाविद का गीत।
2 जो मेरी जान के पीछे पड़े हैं,
वे शर्मिंदा और अपमानित किए जाएँ।
जो मुझे संकटों से घिरा देखकर मज़ा लेते हैं,
वे बेइज़्ज़त होकर भाग जाएँ।
3 जो मुझ पर हँसते और कहते हैं, “अच्छा हुआ! अच्छा हुआ!”
उन्हें शर्मिंदा करके वापस भगा दिया जाए।
उद्धार के लिए तुझ पर आस लगानेवाले हमेशा कहें,
“परमेश्वर की महिमा हो!”
5 हे परमेश्वर, मैं बेसहारा और गरीब हूँ,+
मेरी खातिर जल्द कदम उठा,+
तू ही मेरा मददगार और छुड़ानेवाला है।+
हे यहोवा, तू देर न कर।+
71 हे यहोवा, मैंने तेरी पनाह ली है।
मुझे कभी शर्मिंदा न होना पड़े।+
2 तू नेक परमेश्वर है, मुझे बचा ले, मुझे छुड़ा ले।
मेरी तरफ कान लगा* और मुझे बचा ले।+
3 मेरे लिए ऐसा किला बन जा जो चट्टान पर खड़ा हो,
जहाँ मैं कभी-भी भागकर जा सकूँ।
मुझे बचाने का हुक्म दे,
क्योंकि तू मेरे लिए बड़ी चट्टान और गढ़ है।+
मैं हमेशा तेरी तारीफ करता हूँ।
7 मेरे साथ जो हुआ है वह बहुतों के लिए एक करिश्मा है,
मगर तू मेरा मज़बूत गढ़ है।
10 मेरे दुश्मन मेरे खिलाफ बोलते हैं,
जो मेरी जान के पीछे पड़े हैं, वे मिलकर साज़िश रचते हैं,+
11 वे कहते हैं, “परमेश्वर ने उसे छोड़ दिया है।
उसे बचानेवाला कोई नहीं, उसका पीछा करो, उसे पकड़ लो।”+
12 हे परमेश्वर, तू अब मुझसे दूर न रह।
हे मेरे परमेश्वर, मेरी मदद के लिए जल्दी आ।+
जो मुझे बरबाद करने पर तुले हैं,
वे अपमान और बेइज़्ज़ती से ढक जाएँ।+
14 मगर मैं तो तेरी राह तकता रहूँगा,
मैं और भी ज़्यादा तेरी तारीफ करूँगा।
15 मैं तेरे नेक कामों का बखान करूँगा,+
तू जो उद्धार दिलाता है उसका सारा दिन बखान करूँगा,
इसके बावजूद कि वे इतने हैं कि उन्हें समझना* मेरे बस में नहीं।+
16 हे सारे जहान के मालिक यहोवा,
मैं आकर तेरे शक्तिशाली काम बयान करूँगा
और तेरी नेकी के बारे में बताऊँगा, हाँ, सिर्फ तेरी नेकी के बारे में।
17 हे परमेश्वर, मेरे बचपन से तू मुझे सिखाता आया है+
और मैं आज तक तेरे आश्चर्य के कामों का ऐलान कर रहा हूँ।+
18 हे परमेश्वर, जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ और मेरे बाल पक जाएँ, तब भी तू मुझे त्याग न देना,+
मुझे अगली पीढ़ी को तेरी शक्ति* के बारे में,
आनेवाली नसल को तेरी महाशक्ति के बारे में सुनाने का मौका देना।+
19 हे परमेश्वर, तेरी नेकी कितनी महान है,+
हे परमेश्वर, तूने क्या ही बड़े-बड़े काम किए हैं,
तेरा कोई सानी नहीं!+
21 मेरी महानता और बढ़ा दे,
मुझे घेरकर मेरी रक्षा कर और मुझे दिलासा दे।
हे इसराएल के पवित्र परमेश्वर,
मैं सुरमंडल बजाकर तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।
24 सारा दिन मेरी जीभ तेरी नेकी का बखान करेगी,*+
क्योंकि जो मुझे नाश करने पर तुले हैं, वे शर्मिंदा और बेइज़्ज़त किए जाएँगे।+
सुलैमान के बारे में।
3 पहाड़, लोगों के लिए शांति लाएँ,
पहाड़ियाँ नेकी लाएँ।
10 तरशीश और द्वीपों के राजा उसे नज़राना देंगे,+
शीबा और सबा के राजा उसे तोहफे देंगे।+
11 सभी राजा उसे प्रणाम करेंगे,
सारे राष्ट्र उसकी सेवा करेंगे।
12 वह दुहाई देनेवाले गरीबों को बचाएगा,
दीन-दुखियों और उनको छुड़ाएगा जिनका कोई मददगार नहीं।
13 वह दीन-दुखियों और गरीबों पर तरस खाएगा,
गरीबों की जान बचाएगा।
14 वह उन्हें अत्याचार और ज़ुल्म से छुड़ाएगा,
उनका खून उसकी नज़र में अनमोल ठहरेगा।
15 राजा की उम्र लंबी हो, उसे शीबा का सोना दिया जाए।+
उसके लिए लगातार दुआएँ की जाएँ,
सारा दिन उसे आशीर्वाद दिया जाए।
आमीन, आमीन।
20 यहाँ यिशै के बेटे दाविद की प्रार्थनाएँ खत्म होती हैं।+
तीसरी किताब
(भजन 73-89)
आसाप+ का सुरीला गीत।
73 परमेश्वर वाकई इसराएल का, शुद्ध मनवालों का भला करता है।+
5 उन्हें ज़िंदगी में कोई गम नहीं, जैसे औरों को है।+
वे मुसीबत की मार नहीं सहते, जैसे दूसरे सहते हैं।+
8 वे दूसरों को नीचा दिखाते हैं, बुरी-बुरी बातें कहते हैं,+
मगरूर होकर उन्हें डराते-धमकाते हैं।+
9 वे ऐसे बात करते हैं मानो आसमान में हों,
धरती पर उनकी ज़बान बड़ी-बड़ी डींगें हाँकती है।
10 इसलिए उसके लोग उनकी तरफ हो जाते हैं,
उनका उमड़ता पानी पीते हैं।
11 वे कहते हैं, “क्या परमेश्वर यह सब जानता है?+
क्या परम-प्रधान परमेश्वर को वाकई इसकी जानकारी है?”
12 इन दुष्टों को ही सबकुछ आराम से मिल जाता है।+
वे दौलत का अंबार लगाते जाते हैं।+
16 जब मैंने इन हालात को समझने की कोशिश की,
तो मैं परेशान हो उठा।
17 मेरी यह उलझन तब दूर हुई जब मैं परमेश्वर के शानदार भवन में गया
और मैंने उन दुष्टों के अंजाम के बारे में सोचा।
18 बेशक, तू उन्हें फिसलनेवाली ज़मीन पर खड़ा करता है।+
तू उन्हें गिरा देता है ताकि वे बरबाद हो जाएँ।+
19 वे कैसे अचानक नाश हो जाते हैं!+
अचानक ही उनका बुरी तरह अंत हो जाता है!
20 जैसे कोई नींद से जागने के बाद सपना याद नहीं रखता
वैसे ही हे यहोवा, जब तू उठेगा तो उनकी छवि भुला देगा।*
22 मैं अपनी बुद्धि और समझ खो बैठा था,
तेरे सामने निर्बुद्धि जानवर जैसा हो गया था।
25 तेरे सिवा स्वर्ग में मेरा और कौन है?
तू मेरे साथ है तो मुझे धरती पर और किसी की ज़रूरत नहीं।+
26 चाहे मेरा तन और मन कमज़ोर होता जाए,
मगर परमेश्वर वह चट्टान है जो मेरे दिल को मज़बूती देता है,
वही सदा के लिए मेरा भाग है।+
27 जो तुझसे दूरी बनाए रखते हैं उन्हें तू ज़रूर नाश कर देगा।
जो भी तुझसे बेवफाई करके* तुझे छोड़ देता है उसका तू अंत कर देगा।+
28 मगर मेरे लिए परमेश्वर के करीब जाना भला है।+
मैंने सारे जहान के मालिक यहोवा की पनाह ली है
ताकि उसके सभी कामों का ऐलान करूँ।+
74 हे परमेश्वर, तूने क्यों हमें सदा के लिए ठुकरा दिया है?+
तेरे चरागाह की भेड़ों पर क्यों तेरा क्रोध भड़का हुआ है?*+
2 उन लोगों* को याद कर जिन्हें तूने लंबे अरसे पहले अपनी जागीर बनाया था,+
उस गोत्र को याद कर जिसे तूने इसलिए छुड़ाया कि वह तेरी विरासत बने।+
सिय्योन पहाड़ को याद कर जहाँ तू निवास करता था।+
3 उन जगहों की तरफ कदम बढ़ा जो पूरी तरह नाश की गयी हैं,+
दुश्मन ने पवित्र जगह की हर चीज़ तहस-नहस कर दी है।+
4 तेरे बैरी तेरी उपासना की जगह गरजे।+
वहाँ उन्होंने अपने झंडे गाड़ दिए।
5 उन्होंने ऐसी तबाही मचायी जैसे कोई घने जंगल में पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाता है।
6 उन्होंने कुल्हाड़ियों और लोहे की सलाखों से भवन की सारी नक्काशियाँ+ तोड़ दीं।
7 उन्होंने तेरे भवन में आग लगा दी।+
जो पवित्र डेरा तेरे नाम से जाना जाता है उसे दूषित कर दिया, खाक में मिला दिया।
8 उन्होंने और उनकी औलाद ने मन-ही-मन कहा:
“इस देश में परमेश्वर की उपासना की सारी जगह जला दी जाएँ।”
9 हमें कोई निशानी नज़र नहीं आती,
एक भी भविष्यवक्ता नहीं रहा,
हममें से कोई नहीं जानता कि ऐसा कब तक चलता रहेगा।
10 हे परमेश्वर, दुश्मन कब तक तुझे ताना मारता रहेगा?+
क्या बैरी सदा तक तेरे नाम का अनादर करता रहेगा?+
11 तू क्यों अपना दायाँ हाथ रोके हुए है?+
अपना हाथ बगल* से निकाल और उन्हें खत्म कर दे।
16 दिन पर भी तेरा अधिकार है और रात पर भी।
तूने ज्योति बनायी, हाँ, सूरज की रचना की।+
19 अपनी फाख्ते की जान जंगली जानवरों के हवाले न कर दे।
अपने पीड़ित लोगों को हमेशा के लिए न भुला दे।
20 हमारे साथ किया करार याद कर,
क्योंकि धरती की अँधेरी जगह दरिंदों का अड्डा बन गयी हैं।
22 हे परमेश्वर, उठ अपने मुकदमे की पैरवी कर।
ध्यान दे कि मूर्ख कैसे सारा दिन तुझ पर ताना कसते हैं।+
23 तेरे दुश्मन जो कहते हैं उसे न भूल।
तेरे खिलाफ उठनेवालों का होहल्ला आसमान तक बढ़ता जा रहा है।
आसाप+ का गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” धुन के मुताबिक।
75 हे परमेश्वर, हम तेरा धन्यवाद करते हैं, हाँ, तेरा धन्यवाद करते हैं,
तेरा नाम करीब है+
और लोग तेरे आश्चर्य के कामों का ऐलान करते हैं।
2 तू कहता है, “जब मैं समय तय करता हूँ,
तब मैं बिना तरफदारी किए न्याय करता हूँ।
3 जब धरती और उसके सारे निवासी डर के मारे पिघल गए,
तब मैंने ही उसके खंभों को मज़बूत बनाए रखा।” (सेला )
4 मैं शेखीबाज़ों से कहता हूँ, “शेखी मत मारो,”
दुष्टों से कहता हूँ, “अपनी ताकत पर मत इतराओ।*
6 क्योंकि सम्मान पूरब, पश्चिम या दक्षिण से नहीं मिलता।
वही है जो किसी को ऊँचा उठाता तो किसी को नीचे गिराता है।+
वह उसे ज़रूर उँडेल देगा
और धरती के सभी दुष्ट उसे पीएँगे, उसका तलछट तक पीएँगे।”+
10 क्योंकि वह कहता है, “मैं दुष्टों की सारी ताकत मिटा दूँगा,*
जबकि नेक जनों की ताकत और बढ़ायी जाएगी।”*
आसाप+ का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए।
सारे योद्धा मौत की नींद सो गए,
क्योंकि वे मुकाबला नहीं कर सके।+
तेरे ज़बरदस्त क्रोध के आगे भला कौन टिक सकता है?+
8 स्वर्ग से तूने सज़ा सुनायी।+
धरती उस समय डर गयी और चुप थी,+
9 जब तू सज़ा देने और धरती के सब दीनों को बचाने के लिए उठा।+ (सेला )
10 आदमी का गुस्से से भड़कना तेरी तारीफ की वजह बनेगा,+
उसके गुस्से की आखिरी चिंगारी से भी तू अपनी महिमा कराएगा।
11 अपने परमेश्वर यहोवा से मन्नतें मानो
और उन्हें पूरा करो,+
जो उसके चारों तरफ मौजूद हैं,
वे सब उसका डर मानते हुए तोहफे लाएँ।+
12 वह हाकिमों का घमंड चूर कर देगा,
धरती के राजाओं के दिलों में डर पैदा करेगा।
आसाप+ का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: यदूतून* पर।
2 मुसीबत के दिन मैं यहोवा की खोज करता हूँ।+
रात को मेरे हाथ बिना थके उसकी तरफ फैले रहते हैं।
फिर भी मेरे मन को दिलासा नहीं मिलता।
4 तू मेरी पलकों को झपकने नहीं देता,
मैं दुख से बेहाल हूँ, मुझसे कुछ कहते नहीं बनता।
6 रात के दौरान मैं अपना गीत* याद करता हूँ।+
मैं इन सवालों पर दिल से विचार करता हूँ,+
अच्छी तरह खोजबीन करके जवाब तलाशता हूँ:
7 क्या यहोवा ने हमें सदा के लिए त्याग दिया है?+
क्या वह फिर कभी हम पर कृपा नहीं करेगा?+
8 क्या उसका अटल प्यार सदा के लिए मिट गया है?
क्या उसका वादा कभी नहीं पूरा होगा?
9 क्या परमेश्वर हम पर कृपा करना भूल गया है?+
क्या उसने गुस्से में आकर दया करना छोड़ दिया है? (सेला )
10 क्या मुझे बार-बार कहना पड़ेगा, “मुझे यह बात बहुत तड़पाती* है+
कि परम-प्रधान परमेश्वर ने हमसे अपना दायाँ हाथ खींच लिया है”?
11 हे याह, मैं तेरे काम याद करूँगा,
गुज़रे ज़माने में किए तेरे आश्चर्य के काम याद करूँगा।
13 हे परमेश्वर, तेरी राहें पवित्र हैं।
हे परमेश्वर, क्या कोई ईश्वर है जो तुझ जैसा महान हो?+
14 तू ही सच्चा परमेश्वर है जो आश्चर्य के काम करता है।+
तूने देश-देश के लोगों पर अपनी ताकत ज़ाहिर की है।+
गहरे सागर में खलबली मच गयी।
17 बादल बरसने लगे,
घनघोर घटाओं से घिरा आसमान गरजने लगा।
तेरे बिजली के तीर इधर-उधर चलने लगे।+
18 तेरा गरजना+ रथ के पहियों की तेज़ घड़घड़ाहट जैसा था,
बिजली के कौंधने से सारा जग* रौशन हो गया,+
ज़मीन काँप उठी, डोलने लगी।+
19 तेरा रास्ता समुंदर से होकर गुज़रा,+
तेरी डगर गहरे सागर के बीच से गुज़री,
मगर तेरे पैरों के निशान कहीं न मिले।
2 मैं तुम्हें नीतिवचन सुनाऊँगा,
पुराने ज़माने की पहेलियाँ बताऊँगा।+
3 जो बातें हमने सुनी और जानी हैं,
हमारे पुरखों ने हमें बतायी हैं,+
4 वे हम उनके वंशजों से नहीं छिपाएँगे।
हम आनेवाली पीढ़ी को
यहोवा के लाजवाब कामों और उसकी ताकत के,
उसके आश्चर्य के कामों के किस्से सुनाएँगे।+
5 उसने याकूब को याद दिलाने के लिए हिदायत दी,
इसराएल में एक कानून ठहराया,
हमारे पुरखों को आज्ञा दी
कि ये बातें अपने बच्चों को बताएँ+
6 ताकि अगली पीढ़ी,
आनेवाली नसल इन बातों को जाने।+
फिर वे भी अपने बच्चों को ये सब बताएँगे।+
7 तब अगली पीढ़ी के लोग परमेश्वर पर भरोसा करेंगे।
8 वे अपने पुरखों की तरह नहीं बनेंगे,
जिनकी पीढ़ी हठीली और बगावती थी,+
वे परमेश्वर के विश्वासयोग्य नहीं रहे।
9 एप्रैमी लोग तीर-कमान से लैस थे,
मगर युद्ध के दिन पीठ दिखाकर भाग गए।
17 फिर भी, वे वीराने में परम-प्रधान परमेश्वर से बगावत करते रहे,
ऐसा करके वे उसके खिलाफ पाप करते रहे।+
18 उन्होंने उस खाने की माँग की जिसकी वे ज़बरदस्त लालसा कर रहे थे,
19 वे परमेश्वर के खिलाफ कुड़कुड़ाने लगे,
“क्या इस वीराने में परमेश्वर हमारे लिए मेज़ लगा सकता है?”+
फिर भी वे कहने लगे, “क्या वह हमें रोटी भी दे सकता है?
अपने लोगों को गोश्त खिला सकता है?”+
21 जब यहोवा ने यह सुना तो वह क्रोध से भर गया,+
उसने याकूब पर आग बरसायी,+
वह इसराएल पर भड़क उठा+
22 क्योंकि उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया,+
यह भरोसा नहीं किया कि वह उनका उद्धार करने के काबिल है।
23 इसलिए परमेश्वर ने बादलों से घिरे आसमान को हुक्म दिया,
आकाश के द्वार खोल दिए।
27 उसने उन पर गोश्त की ऐसी बौछार की जैसे ढेर सारी धूल हो,
बेशुमार पक्षी भेजे मानो समुंदर किनारे की बालू हो।
28 उसने पक्षियों को अपनी छावनी के बीचों-बीच गिराया,
अपने तंबुओं के चारों ओर गिराया।
उसने उनके ताकतवर आदमियों को मार डाला,+
इसराएल के जवानों को ढेर कर दिया।
34 मगर जब भी वह उनका घात करता वे उसकी खोज करने लगते,+
वे फिरकर परमेश्वर को ढूँढ़ने लगते,
36 मगर उन्होंने मुँह से उसे धोखा देने की कोशिश की,
अपनी जीभ से उससे झूठ बोला।
वह अकसर अपना गुस्सा रोक लेता था,+
उन पर सारा क्रोध नहीं प्रकट करता था।
वह दिन भूल गए जब उसने उन्हें दुश्मन से छुड़ाया था,+
43 कैसे उसने मिस्र में चिन्ह दिखाए थे,+
सोअन प्रदेश में करिश्मे किए थे,
44 कैसे उसने नील नदी की नहरों का पानी खून में बदल दिया था+
और वे अपनी नदियों से पी न सके थे।
48 उसने उनके बोझ ढोनेवाले जानवरों को ओलों से नाश कर दिया,+
बिजली गिराकर* उनके मवेशियों को खत्म कर दिया।
49 उसने उन पर गुस्से की आग भड़कायी
क्रोध, जलजलाहट और संकट ले आया,
कहर ढाने के लिए स्वर्गदूतों के दल भेजे।
50 उसने अपने गुस्से के लिए रास्ता बनाया,
उन्हें मौत से नहीं बचाया
और उन्हें महामारी के हवाले कर दिया।
51 आखिर में उसने मिस्र के सभी पहलौठों को मार डाला,+
हाम के तंबुओं में उनकी शक्ति* की पहली निशानी मिटा दी।
52 फिर वह अपने लोगों को भेड़ों की तरह निकाल लाया,+
वीराने में उन्हें रास्ता दिखाता गया जैसे चरवाहा झुंड को रास्ता दिखाता है।
53 वह उन्हें हर खतरे से बचाता हुआ ले चला,
इसलिए उन्हें कोई डर नहीं था,+
समुंदर उनके दुश्मनों को निगल गया।+
55 उसने उनके सामने से जातियों को खदेड़ दिया,+
नापने की डोरी से विरासत की ज़मीन उनमें बाँट दी,+
इसराएल के गोत्रों को रहने के लिए घर दिया।+
56 मगर वे परम-प्रधान परमेश्वर को चुनौती देने* से बाज़ नहीं आए,
उससे बगावत करते रहे,+
उसके याद दिलाने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया।+
57 वे भी परमेश्वर से फिर गए और अपने पुरखों की तरह गद्दार निकले,+
ढीली कमान की तरह भरोसे के लायक नहीं थे।+
60 आखिरकार उसने शीलो का पवित्र डेरा+ छोड़ दिया,
वह तंबू छोड़ दिया जिसमें वास करके वह इंसानों के बीच रहता था।+
63 उसके जवानों को आग ने भस्म कर दिया,
उसकी कुँवारियों के लिए शादी के गीत नहीं गाए गए।
67 उसने यूसुफ का तंबू ठुकरा दिया,
एप्रैम गोत्र को नहीं चुना।
69 उसने अपने पवित्र-स्थान को आसमान की तरह हमेशा के लिए कायम किया,+
धरती की तरह सदा के लिए मज़बूती से कायम किया।+
71 जो दूध पिलाती भेड़ों की देखभाल करता था,
उसे याकूब का, अपने लोगों का चरवाहा ठहराया,+
अपनी विरासत इसराएल का चरवाहा ठहराया।+
आसाप का सुरीला गीत।+
79 हे परमेश्वर, दूसरे राष्ट्रों ने तेरी विरासत+ पर हमला कर दिया है,
उन्होंने तेरे पवित्र मंदिर को दूषित कर दिया है,+
यरूशलेम को खंडहर बना दिया है।+
2 उन्होंने तेरे सेवकों की लाशें आकाश के पक्षियों को खिला दी हैं,
तेरे वफादार जनों का माँस धरती के जंगली जानवरों को दे दिया है।+
5 हे यहोवा, तू कब तक हमसे भड़का रहेगा?
क्या सदा के लिए?+
कब तक तेरे गुस्से की आग धधकती रहेगी?+
6 तू अपने क्रोध का प्याला उन राष्ट्रों पर उँडेल दे जो तुझे नहीं जानते,
उन राज्यों पर जो तेरा नाम नहीं पुकारते।+
8 हमारे पुरखों के गुनाहों के लिए हमें जवाबदेह न ठहरा।+
हम पर दया करने में देर न कर,+
क्योंकि हमें बिलकुल नीचे गिरा दिया गया है।
10 राष्ट्रों को क्यों यह कहने का मौका मिले, “कहाँ गया इनका परमेश्वर?”+
हमारी आँखों के सामने राष्ट्रों को जता दे
कि तूने अपने सेवकों के खून का बदला लिया है।+
11 तू कैदियों का कराहना सुने।+
अपनी महाशक्ति* से उन्हें बचा ले* जिन्हें मौत की सज़ा सुनायी गयी है।+
13 तब हम जो तेरी प्रजा हैं, तेरे चरागाह की भेड़ें हैं,+
सदा तक तेरा शुक्रिया अदा करते रहेंगे,
पीढ़ी-दर-पीढ़ी तेरी तारीफ करते रहेंगे।+
आसाप का सुरीला गीत।+ निर्देशक के लिए हिदायत: “सोसन के फूलों” के मुताबिक। यादगार के लिए।
4 सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, तू कब तक अपने लोगों से भड़का रहेगा?
कब तक उनकी प्रार्थनाएँ अनसुनी करता रहेगा?+
5 तू उन्हें आँसुओं की रोटी खिलाता है,
आँसुओं का सैलाब पिलाता है।
8 तू अपने लोगों को मिस्र से ऐसे निकाल लाया था जैसे वे अंगूर की बेल हों।+
तूने जातियों को खदेड़कर उनकी जगह उस बेल को लगाया।+
10 उसकी छाया से पहाड़ ढक गए,
उसकी शाखाओं से परमेश्वर के देवदार ढक गए।
12 तूने अंगूरों के बाग के पत्थर के बाड़े क्यों गिरा दिए?+
आने-जानेवाले सभी उसके अंगूर तोड़ लेते हैं।+
14 हे सेनाओं के परमेश्वर, तुझसे बिनती है कि लौट आ।
स्वर्ग से नीचे देख!
16 उसे काट डाला गया है, जला दिया गया है,+
तेरी डाँट से वे नाश हो जाते हैं।
17 तेरा हाथ उस आदमी को थाम ले जो तेरे दायीं तरफ है,
इंसान के बेटे को थाम ले जिसे तूने अपने लिए मज़बूत किया है।+
18 तब हम तुझसे मुँह न फेरेंगे।
हमें मरने से बचा ले ताकि हम तेरा नाम पुकारें।
आसाप की रचना।+ गित्तीत* के सिलसिले में निर्देशक के लिए हिदायत।
81 परमेश्वर हमारी ताकत है,+ खुशी से उसकी जयजयकार करो।
याकूब के परमेश्वर के लिए जीत के नारे लगाओ।
2 संगीत शुरू करो, डफली बजाओ,
तारोंवाले बाजे के साथ मधुर बजनेवाला सुरमंडल बजाओ।
मैंने एक आवाज़* सुनी मगर उसे पहचाना नहीं:
मरीबा* के सोते के पास तुझे परखा।+ (सेला )
8 हे मेरी प्रजा सुन, मैं तेरे खिलाफ गवाही दूँगा।
हे इसराएल काश! तू मेरी बात सुनता!+
अपना मुँह पूरा खोल, मैं उसे भर दूँगा।+
12 इसलिए मैंने उन्हें अपने ढीठ मन के मुताबिक चलने के लिए छोड़ दिया।
15 यहोवा से नफरत करनेवाले उसके सामने दुबक जाएँगे,
वे हमेशा सज़ा भुगतते रहेंगे।
आसाप का सुरीला गीत।+
3 दीन-दुखियों और अनाथों* की पैरवी* करो।+
लाचार और बेसहारा लोगों को न्याय दिलाओ।+
4 दीन-दुखियों और गरीबों को बचाओ,
उन्हें दुष्टों के हाथों से छुड़ाओ।”
5 ये न्यायी न तो कुछ जानते हैं, न कुछ समझते हैं,+
वे अंधकार में भटक रहे हैं,
पृथ्वी की पूरी बुनियाद हिलायी जा रही है।+
आसाप+ का सुरीला गीत।
3 वे धूर्त तरीके से, चोरी-छिपे तेरे लोगों के खिलाफ साज़िशें कर रहे हैं,
तेरे अज़ीज़ लोगों* के खिलाफ चाल चल रहे हैं।
4 वे कहते हैं, “आओ, हम इस पूरे राष्ट्र को नाश कर दें+
ताकि इसराएल का नाम हमेशा के लिए भुला दिया जाए।”
11 उनके रुतबेदार लोगों का वही हाल कर जो ओरेब और ज़ाएब का हुआ था,+
उनके हाकिमों* के साथ वही कर जो जेबह और सलमुन्ना के साथ हुआ था,+
12 क्योंकि उन्होंने कहा है, “चलो, हम उस देश पर कब्ज़ा कर लें जहाँ परमेश्वर निवास करता है।”
13 हे मेरे परमेश्वर, उन्हें उखड़े हुए पौधे जैसा कर दे जो यहाँ-वहाँ उड़ाया जाता है,+
सूखी घास जैसा कर दे जिसे हवा इधर से उधर उड़ाती है।
14 जैसे आग जंगल को भस्म कर देती है,
शोला पहाड़ों को जला देता है,+
15 वैसे ही तू तेज़ आँधी चलाकर उनका पीछा कर,+
तूफान लाकर उनमें खौफ फैला दे।+
16 उनका मुँह अपमान से ढाँप दे
ताकि हे यहोवा, वे तेरे नाम की खोज करें।
17 वे हमेशा के लिए शर्मिंदा किए जाएँ और खौफ में रहें,
वे बेइज़्ज़त किए जाएँ और नाश हो जाएँ,
18 लोग जानें कि सिर्फ तू जिसका नाम यहोवा है,+
सारी धरती के ऊपर परम-प्रधान है।+
कोरह के वंशजों का सुरीला गीत।+ गित्तीत* के सिलसिले में निर्देशक के लिए हिदायत।
मेरा तन और मन खुशी से जीवित परमेश्वर की जयजयकार करता है।
3 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा,
मेरे राजा और मेरे परमेश्वर,
देख! पंछी तेरी महान वेदी के पास आशियाना बनाता है,
अबाबील अपना घोंसला बनाती है,
जहाँ वह अपने बच्चों की देखभाल करती है!
4 सुखी हैं वे जो तेरे भवन में निवास करते हैं!+
वे लगातार तेरी तारीफ करते हैं।+ (सेला )
6 जब वे बाका घाटी* से होकर गुज़रते हैं,
तो वे उसे सोतों का इलाका समझते हैं
और शुरू की बारिश उसे आशीषों का ओढ़ना ओढ़ाती है।*
7 वे चलते जाते हैं, उनका दमखम बढ़ता ही रहता है,+
हर कोई सिय्योन में परमेश्वर के सामने हाज़िर होता है।
8 हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन,
हे याकूब के परमेश्वर, मेरी दुआ सुन। (सेला )
10 क्योंकि तेरे आँगनों में एक दिन बिताना, कहीं और हज़ार दिन बिताने से कहीं बेहतर है!+
दुष्टों के तंबुओं में निवास करने के बजाय
अपने परमेश्वर के भवन की दहलीज़ पर खड़ा रहना मुझे ज़्यादा पसंद है।
11 क्योंकि यहोवा परमेश्वर हमारा सूरज+ और हमारी ढाल है,+
वह हम पर कृपा करता है, हमारा सम्मान बढ़ाता है।
जो निर्दोष चाल चलते हैं,
उन्हें यहोवा कोई भी अच्छी चीज़ देने से पीछे नहीं हटेगा।+
कोरह के वंशजों का सुरीला गीत।+ निर्देशक के लिए हिदायत।
5 क्या तू हमेशा के लिए हम पर भड़का रहेगा?+
क्या तू पीढ़ी-पीढ़ी तक गुस्सा करता रहेगा?
8 सच्चा परमेश्वर यहोवा जो कहता है, मैं सुनूँगा,
क्योंकि वह अपने लोगों से, अपने वफादार जनों से शांति की बातें करेगा,+
मगर ऐसा न हो कि वे पहले की तरह खुद पर हद-से-ज़्यादा भरोसा करें।+
9 परमेश्वर उन लोगों को बचाने के लिए तैयार रहता है जो उसका डर मानते हैं+
ताकि हमारे देश पर उसकी महिमा छायी रहे।
दाविद की प्रार्थना।
2 मेरी जान की हिफाज़त कर क्योंकि मैं वफादार हूँ।+
अपने सेवक को बचा ले जो तुझ पर भरोसा रखता है,
क्योंकि तू मेरा परमेश्वर है।+
4 अपने सेवक को खुशियाँ दे,
क्योंकि हे यहोवा, मैं तेरी ओर रुख करता हूँ।
5 हे यहोवा, तू भला है+ और माफ करने को तत्पर रहता है,+
तू उन सबके लिए अटल प्यार से भरपूर है जो तुझे पुकारते हैं।+
9 हे यहोवा, सब राष्ट्र, जो तेरे हाथ की रचना हैं,
तेरे पास आएँगे और तेरे सामने दंडवत करेंगे,+
तेरे नाम की महिमा करेंगे।+
11 हे यहोवा, मुझे अपनी राह के बारे में सिखा।+
मैं तेरी सच्चाई की राह पर चलूँगा।+
मेरे मन को एक कर* कि मैं तेरे नाम का डर मानूँ।+
12 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मैं पूरे दिल से+ तेरी तारीफ करता हूँ
और सदा तक तेरे नाम की महिमा करूँगा।
14 हे परमेश्वर, गुस्ताख लोग मेरे खिलाफ खड़े हुए हैं,+
बेरहम आदमियों की टोली मेरी जान के पीछे पड़ी है,
15 मगर हे यहोवा, तू दयालु और करुणा करनेवाला परमेश्वर है,
तू क्रोध करने में धीमा, अटल प्यार से भरपूर और विश्वासयोग्य* है।+
16 मुझ पर ध्यान दे और कृपा कर।+
अपने सेवक को ताकत दे,+
अपनी दासी के बेटे को बचा ले।
क्योंकि हे यहोवा, तू मेरा मददगार है और मुझे दिलासा देनेवाला है।
कोरह के वंशजों का सुरीला गीत।+
87 परमेश्वर की नगरी की बुनियाद पवित्र पहाड़ों पर है।+
3 हे सच्चे परमेश्वर की नगरी,+ लोग तेरी तारीफ में कितनी बढ़िया बातें कह रहे हैं। (सेला )
मैं इनमें से हरेक के बारे में कहूँगा, “यह वहाँ पैदा हुआ था।”
5 और सिय्योन के बारे में कहा जाएगा:
“हर कोई इस नगरी में पैदा हुआ था।”
परम-प्रधान परमेश्वर उसे मज़बूती से कायम करेगा।
6 जब यहोवा देश-देश के लोगों के नाम लिखेगा तब वह ऐलान करेगा,
“यह वहाँ पैदा हुआ था।” (सेला )
कोरह के वंशजों का सुरीला गीत।+ निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत बारी-बारी से महलत की शैली* में गाया जाए। जेरह के वंशज हेमान+ का मश्कील।*
88 हे यहोवा, मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर,+
दिन को मैं तुझे पुकारता हूँ,
रात को भी मैं तेरे सामने आता हूँ।+
4 मुझे अभी से उनमें गिना जा रहा है जो जल्द ही गड्ढे* में जानेवाले हैं,+
मैं बिलकुल लाचार हो गया हूँ,*+
5 मुझे मुरदों के बीच छोड़ दिया गया है,
मैं उनके जैसा हो गया हूँ जो घात होकर कब्र में पड़े हैं,
जिन्हें अब तू याद नहीं करता,
जिन पर अब तेरा साया* नहीं रहा।
6 तूने मुझे गहरी खाई में फेंक दिया है,
उस बड़े अथाह-कुंड में, जहाँ अँधेरा ही अँधेरा है।
मैं फँस गया हूँ, निकलने का कोई रास्ता नहीं।
9 पीड़ा से मेरी आँखें धुँधली पड़ गयी हैं।+
हे यहोवा, मैं सारा दिन तुझे पुकारता रहता हूँ,+
हाथ फैलाकर दुआ करता हूँ।
10 क्या तू मरे हुओं की खातिर करिश्मे करेगा?
क्या मुरदे उठकर तेरी तारीफ कर सकते हैं?+ (सेला )
14 हे यहोवा, तू क्यों मुझे ठुकरा देता है?+
क्यों मुझसे अपना मुँह फेर लेता है?+
15 बचपन से ही मैं दुख झेलता आया हूँ, मौत से जूझता रहा हूँ,+
तू मुझ पर भयानक विपत्तियाँ आने देता है,
उन्हें सहते-सहते मैं बेजान हो गया हूँ।
जेरह के वंशज एतान+ की रचना। मश्कील।*
89 यहोवा ने अटल प्यार की वजह से जो उपकार किए हैं, मैं सदा उनके गीत गाऊँगा।
मैं आनेवाली सभी पीढ़ियों को बताऊँगा कि तू कितना विश्वासयोग्य है।
2 क्योंकि मैंने कहा, “अटल प्यार सदा बना रहेगा+
और तूने स्वर्ग में अपनी वफादारी मज़बूती से कायम की है।”
3 तूने कहा है, “मैंने अपने चुने हुए जन के साथ एक करार किया है,+
अपने सेवक दाविद से शपथ खाकर कहा,+
4 ‘मैं तेरा वंश+ सदा तक बनाए रखूँगा
और तेरी राजगद्दी पीढ़ी-पीढ़ी तक कायम रखूँगा।’”+ (सेला )
5 हे यहोवा, स्वर्ग तेरे लाजवाब कामों की बड़ाई करता है,
हाँ, पवित्र जनों की मंडली तेरी वफादारी की तारीफ करती है।
6 क्योंकि आसमान में ऐसा कौन है जो यहोवा के समान हो?+
परमेश्वर के बेटों+ में ऐसा कौन है जो यहोवा जैसा हो?
7 पवित्र जनों की सभा में परमेश्वर की गहरी श्रद्धा की जाती है,+
वह उन सबके लिए वैभवशाली और विस्मयकारी है जो उसके चारों तरफ मौजूद हैं।+
तू पूरी तरह विश्वासयोग्य है।+
10 तूने राहाब+ को घात किए हुए की तरह कुचल दिया।+
अपने ताकतवर बाज़ू से दुश्मनों को तितर-बितर कर दिया।+
11 आकाश तेरा है, धरती भी तेरी है,+
यह उपजाऊ ज़मीन और उसमें पायी जानेवाली सारी चीज़ें+ तूने ही रची हैं।
15 सुखी हैं वे लोग जो खुशी से तेरी जयजयकार करते हैं।+
हे यहोवा, वे तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं।
16 तेरे नाम के कारण वे सारा दिन आनंद मनाते हैं,
तेरी नेकी के ज़रिए वे ऊँचे उठाए जाते हैं।
19 उस वक्त तूने एक दर्शन में अपने वफादार जनों से कहा था,
30 अगर उसके बेटे मेरा कानून मानना छोड़ दें,
मेरे आदेशों* के मुताबिक न चलें,
31 अगर वे मेरी विधियों के खिलाफ जाएँ
और मेरी आज्ञाएँ न मानें,
32 तो मैं उनकी बगावत की वजह से उन्हें छड़ी से मारूँगा,+
उनके गुनाह की वजह से उन्हें कोड़े लगाऊँगा।
37 वह चाँद की तरह सदा तक मज़बूती से कायम रहेगी,
जो आसमान में एक विश्वासयोग्य गवाह जैसा है।” (सेला )
38 मगर तूने अपने अभिषिक्त जन को अपनी नज़रों से दूर कर दिया, उसे ठुकरा दिया,+
तेरे गुस्से की जलजलाहट उस पर भड़की हुई है।
39 तूने अपने सेवक के साथ किए करार को तुच्छ समझा,
उसका ताज ज़मीन पर पटककर दूषित कर दिया।
43 तूने उसकी तलवार का विरोध किया,
तूने युद्ध में उसके पैर जमने नहीं दिए।
44 तूने उसकी शानो-शौकत मिटा दी,
उसकी राजगद्दी ज़मीन पर पटक दी।
45 तूने उस पर वक्त से पहले ही बुढ़ापा आने दिया,
तूने उसे शर्म से ढाँप दिया। (सेला )
46 हे यहोवा, तू कब तक अपना मुँह फेरे रहेगा? क्या सदा के लिए?+
क्या तेरे क्रोध की आग इसी तरह भड़कती रहेगी?
47 ध्यान दे कि मेरी ज़िंदगी कितनी छोटी है!+
क्या तूने सब इंसानों को बिना मकसद के रचा था?
48 क्या कोई ऐसा इंसान है जो कभी मौत न देखे?+
क्या वह कब्र की गिरफ्त से खुद को बचा सकता है? (सेला )
49 हे यहोवा, तूने अटल प्यार की वजह से गुज़रे दिनों में जो काम किए थे वे कहाँ गए,
जिनके बारे में तूने अपनी वफादारी की वजह से दाविद से शपथ खायी थी?+
50 हे यहोवा, ध्यान दे कि तेरे सेवकों पर कैसे ताने कसे जाते हैं,
कैसे मुझे सभी देशों के लोगों के ताने सहने* पड़ते हैं,
51 हे यहोवा देख, कैसे तेरे दुश्मनों ने तेरे अभिषिक्त जन की बेइज़्ज़ती की है,
कैसे उन्होंने उसके हर काम की निंदा की है।
52 यहोवा की सदा तारीफ होती रहे। आमीन। आमीन।+
चौथी किताब
(भजन 90-106)
सच्चे परमेश्वर के सेवक मूसा+ की प्रार्थना।
90 हे यहोवा, पीढ़ी-पीढ़ी से तू हमारा निवास-स्थान* रहा है।+
2 इससे पहले कि पहाड़ पैदा हुए,
या तू पृथ्वी और उपजाऊ ज़मीन को वजूद में लाया,*+ तू ही परमेश्वर था।
हाँ, तू हमेशा से परमेश्वर रहा है और हमेशा रहेगा।+
5 तू एक ही झटके में उनका सफाया कर देता है,+
उनकी ज़िंदगी नींद के चंद लमहों की तरह बन जाती है,
वे भोर को उगनेवाली हरी घास जैसे होते हैं।+
पर ये साल भी दुख और मुसीबतों से भरे होते हैं,
ये जल्दी बीत जाते हैं और हम गायब हो जाते हैं।+
11 तेरी जलजलाहट की इंतिहा कौन जान सकता है?
तेरा क्रोध भयानक है, इसलिए हम तेरा बहुत डर मानते हैं।+
13 हे यहोवा, हमारे पास लौट आ!+
ऐसा कब तक चलेगा?+
अपने सेवकों पर तरस खा।+
14 भोर को अपने अटल प्यार से हमें संतुष्ट कर+
ताकि हम ज़िंदगी के सारे दिन मगन रहें और खुशी से जयजयकार करें।+
17 हमारे परमेश्वर यहोवा की कृपा हम पर बनी रहे।
तू हमारे हाथों की मेहनत सफल करे।*
हाँ, हमारे हाथों की मेहनत सफल करे।*+
2 मैं यहोवा से कहूँगा, “तू मेरी पनाह और मेरा मज़बूत गढ़ है,+
मेरा परमेश्वर जिस पर मैं भरोसा करता हूँ।”+
3 वह तुझे बहेलिए के फंदे से,
जानलेवा महामारी से बचाएगा।
उसकी वफादारी+ एक बड़ी ढाल+ और सुरक्षा-दीवार ठहरेगी।
5 तुझे रात का खौफ नहीं सताएगा,+
न ही तू दिन में चलनेवाले तीरों से घबराएगा,+
6 न तो तुझे अँधेरे में पीछा करनेवाली महामारी का डर होगा,
न ही दिन-दोपहरी होनेवाली तबाही का डर होगा।
7 तेरे एक तरफ हज़ार लोग ढेर हो जाएँगे
और दायीं तरफ दस हज़ार गिर पड़ेंगे
मगर कोई खतरा तेरे पास तक नहीं फटकेगा।+
8 तू सिर्फ अपनी आँखों से यह सब देखेगा,
दुष्टों को सज़ा पाते देखेगा।
9 तूने कहा है, “यहोवा मेरी पनाह है,”
तूने परम-प्रधान को अपना निवास* बनाया है,+
10 इसलिए तुझ पर कोई संकट नहीं आएगा,+
कोई कहर तेरे तंबू के पास तक नहीं फटकेगा।
11 क्योंकि परमेश्वर तेरे बारे में अपने स्वर्गदूतों+ को हुक्म देगा
कि तेरी सब राहों में वे तेरी हिफाज़त करें।+
14 परमेश्वर ने कहा है, “वह मुझसे गहरा लगाव रखता है,* इसलिए मैं उसे बचाऊँगा।+
मैं उसकी रक्षा करूँगा क्योंकि वह मेरा नाम जानता है।*+
15 वह मुझे पुकारेगा और मैं उसे जवाब दूँगा।+
मैं संकट के समय उसके साथ रहूँगा।+
मैं उसे बचाऊँगा और सम्मान दिलाऊँगा।
सब्त के दिन के लिए सुरीला गीत।
92 हे यहोवा, यह सही है कि तेरा शुक्रिया अदा किया जाए+
हे परम-प्रधान, तेरे नाम की तारीफ में गीत गाए जाएँ,*
और हर रात तेरी वफादारी का
3 दस तारोंवाले बाजे, इसराज
और सुरमंडल की सुरीली धुन पर ऐलान किया जाए+
4 क्योंकि हे यहोवा, तूने अपने कामों से मुझे मगन किया है।
तेरे हाथ के कामों के कारण मैं खुशी से जयजयकार करता हूँ।
5 हे यहोवा, तेरे काम कितने महान हैं!+
तेरे विचार कितने गहरे हैं!+
7 जब दुष्ट जंगली पौधों* की तरह बढ़ते हैं
और सभी गुनहगार फलते-फूलते हैं,
तो यह इसलिए होता है कि वे हमेशा के लिए मिटा दिए जाएँ।+
8 मगर हे यहोवा, तू सदा के लिए ऊँचा है।
9 हे यहोवा, तू अपने दुश्मनों की हार देख,
देख कि वे कैसे नाश हो जाएँगे,
सभी गुनहगार तितर-बितर हो जाएँगे।+
10 मगर तू मेरा बल बढ़ाकर मुझे जंगली बैल जैसा ताकतवर बनाएगा,*
मैं अपनी त्वचा पर ताज़ा तेल मलकर उसे नमी दूँगा।+
11 मेरी आँखें मेरे दुश्मनों की हार देखेंगी,+
मेरे कान उन दुष्टों के गिरने की खबर सुनेंगे जो मुझ पर हमला करते हैं।
14 ढलती उम्र में* भी वे फलेंगे-फूलेंगे,+
जोशीले और ताज़ादम बने रहेंगे,+
15 यह ऐलान करते रहेंगे कि यहोवा सीधा-सच्चा है।
वह मेरी चट्टान है+ जिसमें कोई बुराई नहीं।
वह वैभव का लिबास पहने है,
यहोवा ने ताकत धारण की है,
कमर-पट्टी की तरह उसे पहने हुए है।
3 हे यहोवा, नदियाँ उफन रही हैं,
नदियाँ उफन रही हैं, गरज रही हैं,
नदियाँ लगातार उफन रही हैं, ज़ोर से गड़गड़ा रही हैं।
4 ऊँचे पर विराजमान यहोवा प्रतापी है,
गहरे सागर के गरजन से भी ज़्यादा शक्तिशाली है,+
किनारों से टकराती ऊँची-ऊँची लहरों से भी ताकतवर है।+
5 तू जो हिदायतें याद दिलाता है वे पूरी तरह भरोसेमंद हैं+
हे यहोवा, पवित्रता तेरे भवन को सदा के लिए शोभा देती है।+
मगरूरों को सज़ा दे, जिसके वे लायक हैं।+
4 वे बड़बड़ाते रहते हैं, हेकड़ी से भरी बातें करते हैं,
सारे गुनहगार अपने बारे में शेखी बघारते हैं।
9 जिस परमेश्वर ने कान बनाया है, क्या वह सुन नहीं सकता?
जिस परमेश्वर ने आँख रची, क्या वह देख नहीं सकता?+
10 जो परमेश्वर राष्ट्रों को सुधारता है, क्या वह तुम्हें फटकार नहीं सकता?+
वही परमेश्वर लोगों को ज्ञान देता है!+
12 हे याह, सुखी है वह इंसान जिसे तू सुधारता है,+
जिसे तू अपने कानून से सिखाता है+
13 ताकि तू उसे संकट के दिनों में चैन देता रहे,
जब तक कि दुष्टों के लिए गड्ढा नहीं खोदा जाता।+
15 क्योंकि एक बार फिर नेकी से फैसला सुनाया जाएगा
और सीधे-सच्चे मनवाले उस फैसले को मानेंगे।
16 कौन मेरी खातिर दुष्टों के खिलाफ उठेगा?
कौन मेरी खातिर गुनहगारों के खिलाफ खड़ा होगा?
18 जब मैंने कहा, “मेरा पैर फिसल रहा है,”
तब हे यहोवा, तेरा अटल प्यार मुझे सँभाले रहा।+
हमारा परमेश्वर यहोवा उनका सफाया कर देगा।+
95 आओ, हम खुशी से यहोवा की जयजयकार करें!
अपने उद्धार की चट्टान के लिए जीत के नारे लगाएँ।+
7 क्योंकि वह हमारा परमेश्वर है
और हम उसके लोग हैं जिनकी वह चरवाही करता है,
आज अगर तुम उसकी आवाज़ सुनो,+
8 तो अपना दिल कठोर मत करना,
जैसे तुम्हारे पुरखों ने मरीबा* में किया था,+
वीराने में मस्सा* के दिन किया था।+
9 उन्होंने मेरी परीक्षा ली थी,+
मुझे चुनौती दी थी, इसके बावजूद कि उन्होंने मेरे काम देखे थे।+
10 मैं 40 साल उस पीढ़ी से घिन करता रहा और मैंने कहा,
“ये ऐसे लोग हैं जिनका दिल हमेशा भटक जाता है,
इन्होंने मेरी राहों को नहीं जाना।”
11 इसलिए मैंने क्रोध में आकर शपथ खायी,
“ये मेरे विश्राम में दाखिल न होंगे।”+
96 यहोवा के लिए एक नया गीत गाओ।+
सारी धरती के लोगो, यहोवा के लिए गीत गाओ!+
2 यहोवा के लिए गीत गाओ, उसके नाम की तारीफ करो।
वह जो उद्धार दिलाता है, उसकी खुशखबरी रोज़-ब-रोज़ सुनाओ।+
4 यहोवा महान है, सबसे ज़्यादा तारीफ के काबिल है।
सभी देवताओं से बढ़कर विस्मयकारी है।
10 राष्ट्रों में ऐलान करो, “यहोवा राजा बना है!+
पृथ्वी* मज़बूती से कायम की गयी है, यह हिलायी नहीं जा सकती।
परमेश्वर बिना तरफदारी किए देश-देश के लोगों का न्याय* करेगा।”+
12 मैदान और उनमें जो भी है, खुशियाँ मनाएँ।+
जंगल के सारे पेड़ भी खुशी से जयजयकार करें,+
13 यहोवा के सामने जयजयकार करें क्योंकि वह आ रहा है,*
धरती का न्याय करने आ रहा है।
धरती खुशियाँ मनाए।+
सभी द्वीप आनंद-मगन हों।+
9 क्योंकि हे यहोवा, तू सारी पृथ्वी पर परम-प्रधान है,
तू सभी देवताओं से कहीं ज़्यादा ऊँचा किया गया है।+
10 यहोवा से प्यार करनेवालो, बुराई से नफरत करो।+
एक सुरीला गीत।
उसके दाएँ हाथ ने, उसके पवित्र बाज़ू ने उद्धार दिलाया है।*+
हमारा परमेश्वर जो उद्धार दिलाता है, उसे* पूरी धरती ने देखा है।+
4 सारी धरती के लोगो, यहोवा के लिए जीत के नारे लगाओ।
खुशी से भर जाओ, जयजयकार करो, तारीफ के गीत गाओ।*+
8 नदियाँ ताली बजाएँ।
पहाड़ मिलकर खुशी से जयजयकार करें,+
9 यहोवा के सामने जयजयकार करें,
क्योंकि वह धरती का न्याय करने आ रहा है।*
99 यहोवा राजा बना है।+ देश-देश के लोग थरथराएँ।
वह करूबों पर* विराजमान है।+ धरती काँप उठे।
4 वह एक शक्तिशाली राजा है जो न्याय से प्यार करता है।+
तूने सीधाई को मज़बूती से कायम किया है।
याकूब में न्याय और नेकी को लागू किया है।+
6 मूसा और हारून उसके याजकों में से थे।+
शमूएल उसका नाम पुकारनेवालों में से था।+
वे यहोवा को पुकारते और वह उन्हें जवाब देता।+
7 वह बादल के खंभे में से उनसे बात करता।+
उसने जो हिदायतें याद दिलायीं और जो आदेश दिए, उन्हें वे मानते थे।+
8 हे यहोवा, हमारे परमेश्वर, तू उन्हें जवाब देता था।+
9 हमारे परमेश्वर यहोवा की खूब बड़ाई करो,+
उसके पवित्र पहाड़+ के आगे दंडवत* करो,
क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा पवित्र है।+
धन्यवाद देने के लिए एक सुरीला गीत।
100 सारी धरती के लोगो, यहोवा के लिए जीत के नारे लगाओ।+
2 खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करो।+
खुशी से जयजयकार करते हुए उसके सामने आओ।
3 जान लो* कि यहोवा ही परमेश्वर है।+
उसी ने हमें बनाया है और हम उसके हैं।*+
हम उसके लोग हैं, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।+
उसका शुक्रिया अदा करो, उसके नाम की तारीफ करो।+
दाविद का सुरीला गीत।
101 मैं अटल प्यार और न्याय के बारे में गीत गाऊँगा।
हे यहोवा, मैं तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*
2 मैं सूझ-बूझ से काम लूँगा और निर्दोष बना रहूँगा।
तू कब मेरे पास आएगा?
मैं अपने घर के अंदर भी निर्दोष मन से सही चाल चलूँगा।+
3 मैं अपनी आँखों के सामने कोई बेकार की* चीज़ नहीं रखूँगा।
मैं उन लोगों के कामों से नफरत करता हूँ जो सही राह से भटक जाते हैं।+
मैं उनसे कोई नाता नहीं रखूँगा।*
घमंड से चढ़ी आँखें और मगरूर दिल
मैं बरदाश्त नहीं करूँगा।
6 मेरी आँखें धरती के विश्वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी
ताकि वे मेरे साथ निवास करें।
जो निर्दोष चाल चलता है वह मेरी सेवा करेगा।
8 हर सुबह मैं धरती के सभी दुष्टों को खामोश कर दूँगा*
ताकि यहोवा के नगर से सभी गुनहगारों को मिटा दूँ।+
एक सताए हुए इंसान की उस समय की प्रार्थना जब वह दुख से बेहाल होता है* और अपनी सारी चिंताएँ यहोवा को बताता है।+
2 मैं बड़ी मुसीबत में हूँ, मुझसे मुँह न फेर।+
3 क्योंकि मेरी ज़िंदगी के दिन धुएँ की तरह गायब हो रहे हैं,
मेरी हड्डियाँ मानो भट्ठी की तरह जल रही हैं।+
6 मैं वीराने के हवासिल जैसा दिख रहा हूँ,
मैं खंडहरों में रहनेवाले छोटे उल्लू जैसा बन गया हूँ।
8 मेरे दुश्मन सारा दिन मुझे ताना मारते हैं।+
मेरी खिल्ली उड़ानेवाले* मेरा नाम लेकर शाप देते हैं।
10 क्योंकि तेरा क्रोध और तेरी जलजलाहट मुझ पर भड़की है,
तूने मुझे उठाकर फेंक दिया है।
13 बेशक तू उठेगा और सिय्योन पर दया करेगा,+
क्योंकि वह घड़ी आ गयी है कि तू उस पर कृपा करे,+
तय वक्त आ चुका है।+
19 वह अपने ऊँचे पवित्र-स्थान से नीचे देखता है,+
यहोवा स्वर्ग से धरती पर नज़र डालता है
20 ताकि कैदियों का कराहना सुने,+
जिन्हें मौत की सज़ा सुनायी गयी है, उन्हें छुड़ाए।+
21 इससे सिय्योन में यहोवा के नाम का ऐलान किया जाएगा+
यरूशलेम में उसकी तारीफ की जाएगी,
22 जब देश-देश और राज्य-राज्य के लोग
यहोवा की सेवा करने के लिए इकट्ठा होंगे।+
23 उसने वक्त से पहले ही मेरी ताकत छीन ली,
मेरे दिन घटा दिए।
24 मैंने कहा, “हे मेरे परमेश्वर,
तू जिसका वजूद पीढ़ी-पीढ़ी तक कायम रहता है,+
मुझे मिटा न देना, अभी तो मैंने आधी उम्र ही जी है।
26 वे तो नाश हो जाएँगे, मगर तू सदा कायम रहेगा।
एक कपड़े की तरह वे सब पुराने हो जाएँगे,
एक कपड़े की तरह तू उन्हें बदल देगा और वे मिट जाएँगे।
दाविद की रचना।
103 मेरा मन यहोवा की तारीफ करे,
मेरा रोम-रोम उसके पवित्र नाम की तारीफ करे।
10 उसने हमारे पापों के मुताबिक हमारे साथ सलूक नहीं किया,+
न ही हमारे गुनाहों के मुताबिक हमें सज़ा दी।+
13 जैसे एक पिता अपने बच्चों पर दया करता है,
वैसे ही यहोवा ने उन पर दया दिखायी है जो उसका डर मानते हैं।+
17 लेकिन यहोवा का अटल प्यार युग-युग तक* बना रहता है,
उनके लिए बना रहता है जो उसका डर मानते हैं,+
उसकी नेकी उनके बच्चों के बच्चों के लिए सदा बनी रहेगी,+
18 उनके लिए जो उसका करार मानते हैं+
और जो उसके आदेश सख्ती से मानते हैं।
20 सभी स्वर्गदूतो,+ तुम जो शक्तिशाली हो,
उसकी आज्ञा मानकर उसके वचन का पालन करते हो,+
यहोवा की तारीफ करो।
22 हे सारी सृष्टि,
उसके राज्य के कोने-कोने में यहोवा की तारीफ कर।
मेरा रोम-रोम यहोवा की तारीफ करे।
104 मेरा मन यहोवा की तारीफ करे।+
हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, तू बहुत महान है।+
तू प्रताप* और वैभव का लिबास पहने हुए है।+
3 वह ऊपर के पानी में* शहतीरों से ऊपरी कोठरियाँ बनाता है,+
बादलों को अपना रथ बनाता है,+
पवन के पंखों पर सवारी करता है।+
6 तूने धरती को गहरे पानी से ऐसे ढाँप दिया मानो चादर हो।+
पानी ने पहाड़ों को ढक लिया।
7 तेरी डाँट सुनते ही वह भाग गया,+
तेरे गरजन से वह घबराकर भाग गया,
8 उस जगह चला गया जो तूने उसके लिए तय की।
पहाड़ उभरकर आए+ और घाटियाँ नीचे धँस गयीं।
10 वह सोतों का पानी घाटियों में भेजता है,
पानी पहाड़ों के बीच बहता है।
11 उससे मैदान के सभी जंगली जानवरों को पानी मिलता है,
जंगली गधे अपनी प्यास बुझाते हैं।
12 पानी के पास आकाश के पंछी बसेरा करते हैं,
घनी डालियों पर बैठे गीत गाते हैं।
13 वह अपनी ऊपरी कोठरियों से पहाड़ों को सींचता है।+
तेरी मेहनत के फल से धरती भर गयी है।+
14 वह मवेशियों के लिए घास
और इंसानों के इस्तेमाल के लिए पेड़-पौधे उगाता है+
ताकि ज़मीन से खाने की चीज़ें उपजें,
15 दाख-मदिरा मिले जिससे इंसान का दिल मगन होता है,+
तेल मिले जिससे उसका चेहरा चमक उठता है,
रोटी मिले जिससे नश्वर इंसान का दिल मज़बूत बना रहता है।+
16 यहोवा के पेड़ों को,
उसके लगाए लबानोन के देवदारों को भरपूर पानी मिलता है
17 जिन पर पंछी घोंसला बनाते हैं।
लगलग+ का बसेरा सनोवर के पेड़ों पर है।
18 ऊँचे-ऊँचे पहाड़, पहाड़ी बकरियों के लिए हैं,+
बड़ी-बड़ी चट्टानें, चट्टानी बिज्जुओं के लिए पनाह हैं।+
22 जब सूरज उगता है
तो वे माँद में लौट जाते हैं और लेट जाते हैं।
23 इंसान काम पर जाता है
और शाम तक मशक्कत करता है।
24 हे यहोवा, तेरे काम अनगिनत हैं!+
तूने ये सब अपनी बुद्धि से बनाया है,+
धरती तेरी बनायी चीज़ों से भरपूर है।
28 तू उन्हें जो देता है, उसे वे बटोरते हैं।+
जब तू मुट्ठी खोलकर देता है तो वे अच्छी चीज़ों से संतुष्ट होते हैं।+
29 जब तू उनसे अपना मुँह फेर लेता है तो वे बेचैन हो जाते हैं।
जब तू उनकी साँस* ले लेता है तो वे मर जाते हैं, मिट्टी में लौट जाते हैं।+
31 यहोवा की महिमा सदा बनी रहेगी।
यहोवा अपने कामों से खुश होगा।+
33 मैं सारी ज़िंदगी यहोवा के लिए गीत गाऊँगा,+
जब तक मैं ज़िंदा रहूँगा, अपने परमेश्वर की तारीफ में गीत गाऊँगा।*+
मैं यहोवा के कारण मगन होऊँगा।
मेरा मन यहोवा की तारीफ करे। याह की तारीफ करो!*
3 गर्व से उसके पवित्र नाम का बखान करो।+
यहोवा की खोज करनेवालों का दिल मगन हो।+
4 यहोवा और उससे मिलनेवाली ताकत की खोज करो।+
उसकी मंज़ूरी पाने की कोशिश करो।
5 उसने जो आश्चर्य के काम और चमत्कार किए,
जो फैसले सुनाए उन्हें याद करो,+
6 तुम जो उसके सेवक अब्राहम का वंश हो,+
याकूब के बेटे और उसके चुने हुए लोग हो,+ उन्हें याद करो।
7 वह हमारा परमेश्वर यहोवा है।+
उसके किए फैसले सारी धरती पर लागू हैं।+
8 वह अपना करार सदा तक याद रखता है,+
वह वादा जो उसने हज़ारों पीढ़ियों के लिए किया है,*+
9 वह करार जो उसने अब्राहम से किया था,+
वह शपथ जो उसने इसहाक से खायी थी+
10 और जिसे याकूब के लिए एक आदेश
और इसराएल के लिए सदा का करार बना दिया था
11 और कहा था, “मैं तुम्हें कनान देश दूँगा+
ताकि यह तुम्हारी तय विरासत हो।”+
14 उसने किसी इंसान को उन्हें सताने नहीं दिया,+
इसके बजाय, उनकी खातिर राजाओं को फटकारा,+
15 उनसे कहा, “मेरे अभिषिक्त जनों को हाथ मत लगाना,
मेरे भविष्यवक्ताओं के साथ कुछ बुरा न करना।”+
18 उन्होंने तब तक उसके पैरों में बेड़ियाँ डालीं,*+
उसकी गरदन में लोहे की ज़ंजीरें डालीं,
19 जब तक कि परमेश्वर की बात सच साबित न हुई,+
यहोवा की कही बात ने ही उसे शुद्ध किया।
21 राजा ने उसे अपने घराने का मालिक बनाया,
अपनी सारी जायदाद का अधिकारी ठहराया+
22 ताकि वह अपनी इच्छा के मुताबिक उसके हाकिमों पर पूरा अधिकार रखे*
और उसके बुज़ुर्गों को बुद्धि की बातें सिखाए।+
25 उसने दुश्मनों के दिलों को बदलने दिया
ताकि वे उसके लोगों से नफरत करें,
उसके सेवकों के खिलाफ साज़िश रचें।+
31 उसने खून चूसनेवाली मक्खियों को उन पर हमला करने की आज्ञा दी,
मच्छरों को उनके इलाके पर धावा बोलने का हुक्म दिया।+
33 उनके अंगूरों के बाग और अंजीर के पेड़ नाश कर दिए,
उनके इलाके के पेड़ तहस-नहस कर दिए।
35 वे उनके देश के सारे पेड़-पौधे चट कर गयीं,
ज़मीन की सारी उपज चट कर गयीं।
39 उसने एक बादल की आड़ से उन्हें छिपा लिया+
और रात के वक्त आग से उन्हें रौशनी दी।+
42 उसने वह पवित्र वादा याद रखा जो उसने अपने सेवक अब्राहम से किया था।+
43 इसलिए वह अपने लोगों को बाहर ले आया, वे जश्न मनाते हुए निकले,+
अपने चुने हुओं को बाहर ले आया, वे खुशी से जयजयकार करते हुए निकले।
44 उसने उन्हें दूसरी जातियों के इलाके दे दिए,+
उन्होंने विरासत में वह पाया जो दूसरे देशों की मेहनत का फल था+
45 ताकि वे उसके आदेशों का पालन करें+
और उसके कानून मानें।
याह की तारीफ करो!*
2 कौन यहोवा के शक्तिशाली कामों का पूरी तरह ऐलान कर सकता है?
कौन उसके सभी कामों का बखान कर सकता है जो तारीफ के काबिल हैं?+
4 हे यहोवा, जब तू अपने लोगों पर कृपा करे* तो मुझे याद करना।+
मेरा खयाल रखना और मुझे बचा लेना
5 ताकि तू अपने चुने हुओं+ के साथ जो भलाई करता है, उसका मैं आनंद उठाऊँ,
तेरे राष्ट्र के साथ मिलकर खुशियाँ मनाऊँ,
तेरी विरासत के साथ मिलकर गर्व से तेरी तारीफ करूँ।
7 मिस्र में हमारे पुरखों ने तेरे आश्चर्य के कामों की कदर नहीं की।*
तेरा भरपूर अटल प्यार याद नहीं रखा
और लाल सागर के पास बगावत की।+
9 उसने लाल सागर को डाँटा और वह सूख गया,
वह उन्हें उसकी गहराइयों से ले गया मानो वह रेगिस्तान* हो,+
10 उसने उन्हें दुश्मन के हाथ से बचाया,+
बैरी के हाथ से छुड़ा लिया।+
14 वीराने में वे अपनी स्वार्थी इच्छाओं के आगे झुक गए,+
सूखे इलाके में उन्होंने परमेश्वर की परीक्षा ली।+
19 उन्होंने होरेब में एक बछड़ा बनाया,
धातु की मूरत* के आगे दंडवत किया।+
20 उन्होंने मेरी महिमा करने के बजाय,
घास खानेवाले बैल की मूरत की महिमा की।+
21 वे अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गए,+
जिसने मिस्र में बड़े-बड़े काम किए थे,+
22 हाम के देश में आश्चर्य के काम किए थे,+
लाल सागर के पास विस्मयकारी काम किए थे।+
23 वह उन्हें मिटाने की आज्ञा देने ही वाला था
कि तभी उसके चुने हुए जन मूसा ने उससे फरियाद की*
कि वह अपनी जलजलाहट शांत करे जो उन्हें नाश कर सकती थी।+
26 इसलिए उसने अपना हाथ उठाकर शपथ खायी
कि वह उन्हें वीराने में ढेर कर देगा,+
27 उनके वंशजों को दूसरी जातियों के बीच ढेर कर देगा,
अलग-अलग देशों में तितर-बितर कर देगा।+
32 उन्होंने मरीबा* के सोते के पास परमेश्वर का क्रोध भड़काया,
उनकी वजह से मूसा के साथ बहुत बुरा हुआ।+
37 वे दुष्ट स्वर्गदूतों के लिए अपने बेटे-बेटियों का बलिदान चढ़ाते थे।+
38 वे मासूमों का खून बहाते रहे,+
अपने ही बेटे-बेटियों का खून बहाते रहे,
जिन्हें वे कनान की मूरतों को बलिदान चढ़ाते थे+
और सारा देश उनके बहाए खून से दूषित हो गया।
40 तब यहोवा का क्रोध अपने लोगों पर भड़क उठा,
उसे अपनी विरासत से घिन होने लगी।
43 कितनी ही बार उसने उन्हें छुड़ाया था,+
मगर हर बार वे उससे बगावत करते, उसकी आज्ञा तोड़ते,+
उनके गुनाहों की वजह से उन्हें नीचा किया जाता।+
47 हे यहोवा, हमारे परमेश्वर, हमें बचा ले+
और राष्ट्रों के बीच से हमें इकट्ठा कर ले+
ताकि हम तेरे पवित्र नाम की तारीफ करें
और तेरी तारीफ करने में बहुत खुशी पाएँ।+
48 इसराएल के परमेश्वर यहोवा की युग-युग तक* तारीफ होती रहे।+
और सब लोग कहें, “आमीन!”*
याह की तारीफ करो!*
पाँचवीं किताब
(भजन 107-150)
2 जिन्हें यहोवा ने छुड़ाया है,* वे यही कहें,
जिन्हें उसने दुश्मन के हाथ* से छुड़ाया है,+
पूरब से, पश्चिम से,* उत्तर से और दक्षिण से, वे ऐसा ही कहें।+
4 वे वीराने में, जंगल में भटकते-फिरते रहे,
उन्हें किसी शहर का रास्ता न मिला कि वे जाकर बस जाते।
5 वे भूखे-प्यासे थे,
थक-हारकर पस्त हो चुके थे।
8 यहोवा के अटल प्यार के लिए,
इंसानों की खातिर उसके आश्चर्य के कामों के लिए+
लोग उसका शुक्रिया अदा करें।+
10 कुछ लोग घोर अंधकार में जी रहे थे,
कैदी लोहे की ज़ंजीरों में जकड़े दुख झेल रहे थे।
12 इसलिए उसने उन पर तकलीफें लाकर उनके दिलों को दीन किया,+
वे लड़खड़ाकर गिर पड़े, उनकी मदद करनेवाला कोई न था।
13 संकट में उन्होंने मदद के लिए यहोवा को पुकारा,
उसने उन्हें बदहाली से छुड़ाया।
15 यहोवा के अटल प्यार के लिए,+
इंसानों की खातिर उसके आश्चर्य के कामों के लिए
लोग उसका शुक्रिया अदा करें।
18 उनकी भूख मर गयी,
वे कब्र के दरवाज़ों तक पहुँच गए।
19 वे संकट में मदद के लिए यहोवा को पुकारते,
वह उन्हें बदहाली से छुड़ाता।
21 यहोवा के अटल प्यार के लिए,
इंसानों की खातिर उसके आश्चर्य के कामों के लिए
लोग उसका शुक्रिया अदा करें।
23 जो जहाज़ों से समुंदर पर सफर करते हैं,
विशाल सागर से होकर व्यापार का माल लाते-ले जाते हैं,+
24 उन्होंने यहोवा के काम देखे हैं,
वे खूबसूरत चीज़ें देखी हैं जो उसने समुंदर में रची हैं+
25 कि उसके हुक्म पर कैसे आँधी चलती है+
और सागर की लहरों को उठाती है।
26 वे आसमान की ऊँचाई तक उठते हैं,
समुंदर की गहराइयों में डूब जाते हैं।
खतरा मँडराता देखकर उनकी हिम्मत टूट जाती है।
30 लहरों का थमना देखकर वे खुश होते हैं,
वह उन्हें उनके मनचाहे बंदरगाह पर ले जाता है।
31 यहोवा के अटल प्यार के लिए,
इंसानों की खातिर उसके आश्चर्य के कामों के लिए+
लोग उसका शुक्रिया अदा करें।
33 वह नदियों को रेगिस्तान में बदल देता है,
पानी के सोतों को सूखी ज़मीन में+
34 और उपजाऊ ज़मीन को नमकवाली ज़मीन में बदल देता है,+
वहाँ के रहनेवालों की दुष्टता की वजह से वह ऐसा करता है।
39 मगर ज़ुल्म, कहर और दुख की वजह से
दोबारा उनकी गिनती कम हो जाती है और वे बेइज़्ज़त किए जाते हैं।
दाविद का सुरीला गीत।
108 हे परमेश्वर, मेरा दिल अटल है।
मैं तेरे लिए दिलो-जान से गीत गाऊँगा, संगीत बजाऊँगा।+
मैं भोर को जगाऊँगा।
3 हे यहोवा, मैं देश-देश के लोगों के बीच तेरी तारीफ करूँगा,
राष्ट्रों के बीच तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*
4 क्योंकि तेरा अटल प्यार क्या ही महान है,
आसमान जितना ऊँचा है,+
तेरी वफादारी आकाश की बुलंदियाँ छूती है।
7 परमेश्वर अपनी पवित्रता के कारण* कहता है,
9 मोआब मेरा हाथ-पैर धोने का बरतन है।+
एदोम पर मैं अपना जूता फेंकूँगा।+
पलिश्त को जीतकर मैं जश्न मनाऊँगा।”+
10 कौन मुझे उस किलेबंद शहर तक ले जाएगा?
कौन मुझे दूर एदोम तक ले जाएगा?+
11 हे हमारे परमेश्वर, तू ही हमें वहाँ ले जाएगा।
मगर तूने तो हमें ठुकरा दिया है,
तू अब युद्ध में हमारी सेना के साथ नहीं जाता।+
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
109 हे परमेश्वर, जिसकी मैं तारीफ करता हूँ,+ तू और चुप न रह।
2 क्योंकि दुष्ट और धोखेबाज़ मेरे खिलाफ बोलते हैं,
अपनी ज़बान से मेरे बारे में झूठी बातें कहते हैं।+
3 वे मुझे घेर लेते हैं, चुभनेवाली बातें कहते हैं,
बेवजह मुझ पर हमला करते हैं।+
16 क्योंकि दूसरों पर कृपा* करना उसे याद नहीं रहा,+
इसके बजाय, वह ज़ुल्म सहनेवाले, गरीब और टूटे मनवाले का पीछा करता रहा+
ताकि उसे मार डाले।+
17 दूसरों को शाप देने में उसे खुशी मिलती थी,
इसलिए अब उसी पर शाप आ पड़ा है,
उसने दूसरों को आशीर्वाद देना नहीं चाहा,
इसलिए उसे कोई आशीष नहीं मिली।
18 उसे मानो शाप की पोशाक पहनायी गयी।
शाप उसके शरीर में ऐसे उँडेला गया जैसे पानी हो,
उसकी हड्डियों में ऐसे उँडेला गया जैसे तेल हो।
मुझे छुड़ा ले क्योंकि तेरा अटल प्यार भला है।+
23 मैं घटती छाया की तरह गायब हो रहा हूँ,
एक टिड्डी की तरह मुझे झटक दिया गया है।
मुझे देखकर सिर हिलाते हैं।+
26 हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, मेरी मदद कर,
अपने अटल प्यार की वजह से मुझे बचा ले।
27 वे जान जाएँ कि यह तूने अपने हाथ से किया है,
कि हे यहोवा, यह तूने ही किया है।
28 वे भले ही शाप दें, मगर तू आशीष दे।
जब वे मेरे खिलाफ उठें तो वे शर्मिंदा किए जाएँ,
मगर तेरा सेवक आनंद मनाए।
30 मैं अपने मुँह से पूरे जोश के साथ यहोवा की तारीफ करूँगा,
बहुत-से लोगों के सामने उसकी तारीफ करूँगा।+
31 क्योंकि वह गरीब के दाएँ हाथ खड़ा होगा
ताकि उसे उन लोगों से बचाए जो उसे दोषी ठहराते हैं।
दाविद का सुरीला गीत।
110 यहोवा ने मेरे प्रभु से कहा,
2 यहोवा तेरी ताकत का राजदंड सिय्योन से बढ़ाएगा
और कहेगा, “अपने दुश्मनों के बीच जा, उन पर जीत हासिल करता जा।”+
तेरे साथ तेरे जवानों का दल होगा,
जिसमें पवित्रता का तेज चमकता है।
वे ओस की बूँदों के समान हैं,
जो भोर के गर्भ से पैदा होती हैं।
4 यहोवा ने शपथ खाकर यह वादा किया है और जो उसने सोचा है उसे नहीं बदलेगा,*
“तू मेल्कीसेदेक जैसा याजक है
और तू हमेशा-हमेशा के लिए याजक रहेगा!”+
एक विशाल देश* के प्रधान को कुचल देगा।
7 वह* रास्ते के किनारे बहती धारा से पानी पीएगा,
इसलिए वह अपना सिर ऊँचा उठाएगा।
א [आलेफ ]
मैं सीधे-सच्चे लोगों की सभा में और मंडली में
ב [बेथ ]
पूरे दिल से यहोवा की तारीफ करूँगा।+
ג [गिमेल ]
जो उनसे खुशी पाते हैं, वे सब उनकी जाँच करते हैं।+
ה [हे ]
3 उसके काम गौरवशाली और लाजवाब हैं,
ו [वाव ]
उसकी नेकी सदा बनी रहती है।+
ז [जैन ]
4 वह अपने आश्चर्य के कामों को यादगार बनाता है।+
ח [हेथ ]
यहोवा करुणा से भरा और दयालु है।+
ט [टेथ ]
5 जो उसका डर मानते हैं, उन्हें वह खाना देता है।+
י [योध ]
वह सदा अपना करार याद रखता है।+
כ [काफ ]
ऐसा करके उसने अपने शक्तिशाली काम अपने लोगों को दिखाए हैं।
מ [मेम ]
उसके सभी आदेश भरोसेमंद हैं।+
ס [सामेख ]
उनकी बुनियाद सच्चाई और नेकी है।+
פ [पे ]
9 उसने अपने लोगों को छुटकारा दिलाया है।+
צ [सादे ]
उसने आज्ञा दी है कि उसका करार सदा कायम रहे।
ק [कोफ ]
उसका नाम पवित्र और विस्मयकारी है।+
ר [रेश ]
10 यहोवा का डर मानना बुद्धि की शुरूआत है।+
ש [सीन ]
उसके आदेशों को माननेवाले सभी अंदरूनी समझ दिखाते हैं।+
ת [ताव ]
उसकी तारीफ सदा तक होती रहती है।
א [आलेफ ]
सुखी है वह इंसान जो यहोवा का डर मानता है,+
ב [बेथ ]
जो उसकी आज्ञाओं से बड़ी खुशी पाता है।+
ג [गिमेल ]
2 उसके वंशज धरती पर ताकतवर होंगे,
ד [दालथ ]
सीधे-सच्चे लोगों की पीढ़ी आशीष पाएगी।+
ה [हे ]
3 उसके घर में धन-दौलत है
ו [वाव ]
और उसकी नेकी हमेशा बनी रहती है।
ז [जैन ]
4 वह सीधे-सच्चे लोगों के लिए अँधेरे में चमकती रौशनी है।+
ח [हेथ ]
वह करुणा से भरा है, दयालु+ और नेक है।
ט [टेथ ]
5 जो आदमी दिल खोलकर उधार देता है उसके साथ अच्छा होता है।+
י [योध ]
वह अपना सारा काम न्याय से करता है।
כ [काफ ]
6 उसे कभी हिलाया नहीं जा सकता।+
ל [लामेध ]
नेक जन को हमेशा याद किया जाएगा।+
מ [मेम ]
נ [नून ]
उसका दिल अटल रहता है, यहोवा पर भरोसा रखता है।+
ס [सामेख ]
8 उसका दिल मज़बूत* रहता है, वह नहीं डरता।+
ע [ऐयिन ]
आखिर में वह अपने दुश्मनों की हार देखेगा।+
פ [पे ]
9 उसने बढ़-चढ़कर* बाँटा है, गरीबों को दिया है।+
צ [सादे ]
उसकी नेकी हमेशा बनी रहती है।+
ק [कोफ ]
उसकी ताकत* सम्मान के साथ बढ़ती जाएगी।
ר [रेश ]
10 दुष्ट यह देखकर परेशान हो जाएगा।
ש [शीन ]
वह दाँत पीसेगा और मिट जाएगा।
ת [ताव ]
दुष्ट की इच्छाएँ कभी पूरी न होंगी।+
यहोवा के सेवको, उसकी तारीफ करो,
यहोवा के नाम की तारीफ करो।
गरीब को राख के ढेर* से उठाता है+
8 ताकि उसे रुतबेदार लोगों के साथ बिठाए,
अपनी प्रजा के रुतबेदार लोगों के साथ बिठाए।
याह की तारीफ करो!*
114 जब इसराएल मिस्र से बाहर निकला,+
याकूब का घराना दूसरी भाषा बोलनेवालों के बीच से निकला,
2 तब यहूदा उसका पवित्र-स्थान बना,
इसराएल उसका राज्य बना।+
हे यरदन, तू क्यों उलटी दिशा बहने लगी?+
6 हे पहाड़ो, तुम क्यों मेढ़ों की तरह उछले?
हे पहाड़ियो, तुम क्यों मेम्नों की तरह उछलीं?
7 हे धरती, प्रभु के कारण थर-थर काँप,
याकूब के परमेश्वर के कारण काँप,+
8 जो चट्टान को नरकटोंवाले तालाब में बदल देता है,
चकमक चट्टान को पानी के सोतों में बदल देता है।+
115 हे यहोवा, हमारी नहीं, हाँ हमारी नहीं*
बल्कि अपने नाम की महिमा कर,+
अपने अटल प्यार और अपनी वफादारी के कारण ऐसा कर।+
2 राष्ट्रों को यह कहने का मौका क्यों मिले:
“कहाँ गया उनका परमेश्वर?”+
3 हमारा परमेश्वर स्वर्ग में है,
वह वही करता है जो उसे भाता है।
5 उनका मुँह तो है पर वे बोल नहीं सकतीं,+
आँखें हैं पर देख नहीं सकतीं,
6 कान हैं पर सुन नहीं सकतीं,
नाक है पर सूँघ नहीं सकतीं,
7 हाथ हैं पर छू नहीं सकतीं,
पैर हैं पर चल नहीं सकतीं,+
उनके गले से कोई आवाज़ नहीं निकलती।+
12 यहोवा हमें याद रखता है और हमें आशीष देगा,
वह इसराएल के घराने को आशीष देगा,+
वह हारून के घराने को आशीष देगा।
13 जो यहोवा का डर मानते हैं उन्हें वह आशीष देगा,
छोटे और बड़े, सभी को आशीष देगा।
18 मगर हम याह की तारीफ करेंगे,
अब से लेकर हमेशा-हमेशा तक।
याह की तारीफ करो!*
दुख और पीड़ा मुझ पर हावी हो गयी थी।+
4 मगर मैंने यहोवा का नाम पुकारा:+
“हे यहोवा, मुझे छुड़ा ले!”
6 यहोवा उनकी रक्षा करता है जिन्हें कोई तजुरबा नहीं है।+
मैं दुख से बेहाल था, उसने मुझे बचाया।
7 मेरे जी को फिर से चैन मिले,
क्योंकि यहोवा ने मुझ पर कृपा की है।
9 मैं जब तक ज़िंदा हूँ,* यहोवा के सामने चलता रहूँगा।
11 मैं बहुत घबरा गया था,
मैंने कहा, “हर आदमी झूठा है।”+
12 यहोवा ने मेरे साथ जितनी भी भलाई की है,
उसका बदला मैं कैसे चुकाऊँगा?
13 मैं उद्धार का प्याला पीऊँगा,
यहोवा का नाम पुकारूँगा।
15 यहोवा की नज़र में उसके वफादार जनों की मौत बहुत अनमोल* है।+
16 हे यहोवा, मैं तुझसे गिड़गिड़ाकर मिन्नत करता हूँ
क्योंकि मैं तेरा सेवक हूँ।
तेरा सेवक हूँ, तेरी दासी का बेटा हूँ।
तूने मुझे बेड़ियों से आज़ाद किया है।+
18 मैंने यहोवा से जो मन्नतें मानी हैं,+
वे उसके सब लोगों के देखते पूरी करूँगा,+
19 मैं यहोवा के भवन के आँगनों में,+
हे यरूशलेम, तेरे बीच यह सब करूँगा।
2 इसराएल अब कहे,
“उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।”
3 हारून के घराने के लोग अब कहें,
“उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।”
4 यहोवा का डर माननेवाले अब कहें,
“उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।”
6 यहोवा मेरी तरफ है, मैं नहीं डरूँगा।+
इंसान मेरा क्या कर सकता है?+
11 उन्होंने मुझे घेर लिया, हाँ, मैं पूरी तरह से घिर चुका था,
मगर मैंने यहोवा के नाम से सबको भगा दिया।
12 उन्होंने मधुमक्खियों की तरह मुझे घेर लिया,
मगर वे जल्द मिट गए,
जैसे आग लगने पर कँटीली झाड़ियाँ भस्म हो जाती हैं।
मैंने यहोवा के नाम से सबको भगा दिया।+
यहोवा का दायाँ हाथ अपनी ताकत दिखा रहा है।+
20 यह यहोवा का फाटक है।
नेक जन इसमें से दाखिल होंगे।+
24 यह यहोवा का ठहराया हुआ दिन है,
इसके कारण हम खुशियाँ मनाएँगे, आनंद-मगन होंगे।
25 हे यहोवा, हमें बचा ले, हमारा गिड़गिड़ाना सुन ले!
हे यहोवा, हमें जीत दिला, हमारी बिनती सुन ले!
א [आलेफ ]
4 तूने आज्ञा दी है कि तेरे आदेश सख्ती से माने जाएँ।+
7 जब मैं तेरे नेक फैसलों के बारे में सीखूँगा,
तो मैं सीधे-सच्चे मन से तेरी तारीफ करूँगा।
8 मैं तेरे नियमों को मानूँगा।
तू मुझे कभी पूरी तरह छोड़ न देना।
ב [बेथ ]
9 एक जवान कैसे साफ-सुथरी ज़िंदगी बिता सकता है?
तेरे वचन के मुताबिक सावधानी बरतकर।+
10 मैं पूरे दिल से तेरी खोज करता हूँ।
तू मुझे अपनी आज्ञाओं से भटकने न देना।+
12 हे यहोवा, तेरी तारीफ होती रहे,
तू मुझे अपने नियम सिखा।
13 मैं अपने होंठों से तेरे सुनाए सभी फैसलों का ऐलान करता हूँ।
14 तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनसे मुझे खुशी मिलती है,+
कीमती-से-कीमती चीज़ों से बढ़कर खुशी मिलती है।+
16 मैं तेरी विधियों से लगाव रखता हूँ।
मैं तेरा वचन नहीं भूलूँगा।+
ג [गिमेल ]
18 मेरी आँखें खोल दे
ताकि मैं तेरे कानून की लाजवाब बातें साफ देख सकूँ।
19 मैं देश में बस एक परदेसी हूँ।+
मुझसे अपनी आज्ञाएँ न छिपा।
20 मैं तेरे न्याय-सिद्धांतों के लिए हर वक्त तरसता हूँ,
मेरे अंदर यह धुन समायी रहती है।
22 मेरी बदनामी और मेरा अपमान दूर कर दे,
क्योंकि मैंने वे हिदायतें मानी हैं जो तू याद दिलाता है।
23 जब हाकिम साथ बैठकर मेरे खिलाफ बोलते हैं,
तब भी तेरा यह सेवक तेरे नियमों के बारे में गहराई से सोचता है।*
ד [दालथ ]
अपने वचन के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर।+
28 दुख के मारे मेरी नींद उड़ गयी है।
अपने वचन के मुताबिक मुझे मज़बूत कर।
30 मैंने वफादारी की राह चुनी है।+
मैं यह बात समझता हूँ कि तेरे फैसले सही हैं।
31 तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनसे मैं लिपटा रहता हूँ।+
हे यहोवा, मुझे निराश* न होने दे।+
ה [हे ]
34 मुझे समझ दे ताकि मैं तेरे कानून का पालन करूँ
और पूरे दिल से उस पर चलता रहूँ।
40 देख, मैं तेरे आदेशों के लिए कितना तरसता हूँ।
अपनी नेकी की वजह से मेरी जान की हिफाज़त कर।
ו [वाव ]
41 हे यहोवा, तू अपने वादे के* मुताबिक
मुझसे प्यार* करे,+ मेरा उद्धार करे,
42 तब मैं उसे जवाब दूँगा जो मुझ पर ताना कसता है,
क्योंकि मैं तेरे वचन पर भरोसा रखता हूँ।
ז [जैन ]
54 मैं जहाँ कहीं रहूँ,* तेरी विधियाँ मेरे लिए गीत हैं।
56 यह हमेशा से मेरी आदत रही है,
क्योंकि मैंने तेरे आदेशों का पालन किया है।
ח [हेथ ]
60 मैं तेरी आज्ञाएँ फुर्ती से मानता हूँ, देर नहीं करता।+
ט [टेथ ]
65 हे यहोवा, तूने अपने वचन के मुताबिक
अपने सेवक के साथ भलाई की है।
68 तू भला है,+ तेरे काम भले हैं।
तू मुझे अपने नियम सिखा।+
69 गुस्ताख लोग झूठे इलज़ाम लगाकर मुझे बदनाम करते हैं,
मगर मैं पूरे दिल से तेरे आदेशों का पालन करता हूँ।
י [योध ]
73 तेरे हाथों ने मुझे बनाया, मेरी रचना की,
मुझे समझ दे ताकि मैं तेरी आज्ञाएँ सीखूँ।+
मगर मैं तेरे आदेशों के बारे में गहराई से सोचूँगा।*+
כ [काफ ]
84 तेरे सेवक को और कितने दिन इंतज़ार करना होगा?
मेरे सतानेवालों को तू कब सज़ा देगा?+
85 गुस्ताख लोग, जो तेरे कानून को तुच्छ समझते हैं,
मेरे लिए गड्ढे खोदते हैं।
86 तेरी सारी आज्ञाएँ भरोसेमंद हैं।
लोग बेवजह मुझे सताते हैं, मेरी मदद कर!+
87 उन्होंने मुझे धरती से मानो मिटा ही दिया,
मगर मैंने तेरे आदेश नहीं छोड़े।
88 अपने अटल प्यार की वजह से मेरी जान की हिफाज़त कर
ताकि तू जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें मैं मानूँ।
ל [लामेध ]
89 हे यहोवा, तेरा वचन सदा तक स्वर्ग में कायम रहेगा।+
90 तू पीढ़ी-पीढ़ी तक विश्वासयोग्य बना रहेगा।+
तूने धरती को मज़बूती से कायम किया है, इसलिए यह अब तक टिकी है।+
95 दुष्ट मुझे नाश करने की ताक में रहते हैं,
मगर मैं उन हिदायतों पर पूरा ध्यान देता हूँ जो तू याद दिलाता है।
מ [मेम ]
97 मैं तेरे कानून से कितना प्यार करता हूँ!+
सारा दिन उस पर गहराई से सोचता हूँ।*+
99 जितने लोग मुझे सिखाते हैं, उन सबसे ज़्यादा अंदरूनी समझ मुझमें है,+
क्योंकि तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनके बारे में मैं गहराई से सोचता हूँ।*
100 मैं बुज़ुर्गों से ज़्यादा समझ से काम लेता हूँ,
क्योंकि मैं तेरे आदेशों का पालन करता हूँ।
102 मैं तेरे न्याय-सिद्धांतों से हटकर दूर नहीं जाता,
क्योंकि तूने मुझे सिखाया है।
104 तेरे आदेशों की वजह से मैं समझ से काम लेता हूँ।+
इसीलिए मैं हर झूठी राह से नफरत करता हूँ।+
נ [नून ]
106 मैंने शपथ खाकर वादा किया है कि तेरे नेक फैसलों को मानूँगा
और मैं इसे ज़रूर पूरा करूँगा।
107 मुझे बहुत दुख दिया गया है।+
हे यहोवा, अपने वचन के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर।+
108 हे यहोवा, तुझसे बिनती है
कि तू तारीफ की मेरी स्वेच्छा-बलियों* से खुश हो+
और मुझे अपने न्याय-सिद्धांत सिखा।+
111 तू जो हिदायतें याद दिलाता है, उन्हें मैं हमेशा की जागीर* मानता हूँ,
क्योंकि इनसे मेरे दिल को खुशी मिलती है।+
ס [सामेख ]
इसलिए तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनसे मैं प्यार करता हूँ।
120 तेरे खौफ से मेरा शरीर काँप उठता है,
तेरे फैसलों से मैं डरता हूँ।
ע [ऐयिन ]
121 मैंने न्याय और नेकी की है।
मुझे उनके हवाले न कर जो मुझ पर ज़ुल्म ढाते हैं!
122 अपने सेवक को सलामती का यकीन दिला,
गुस्ताख लोगों को मुझ पर ज़ुल्म ढाने न दे।
127 इसीलिए मैं तेरी आज्ञाओं से प्यार करता हूँ,
सोने से ज़्यादा, हाँ, शुद्ध* सोने से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ।+
פ [पे ]
129 तू जो हिदायतें याद दिलाता है वे लाजवाब हैं।
इसीलिए मैं उनका पालन करता हूँ।
132 तेरे नाम से प्यार करनेवालों के साथ जिस तरह पेश आना तेरा नियम है,
उसके मुताबिक मेरी तरफ मुड़, मुझ पर कृपा कर।+
133 तू अपनी कही बात के मुताबिक मेरे कदमों को राह दिखा,*
किसी भी तरह की दुष्टता को मुझ पर अधिकार न करने दे।+
134 ज़ुल्म करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,
तब मैं तेरे आदेशों पर चलता रहूँगा।
צ [सादे ]
138 तू जो हिदायतें याद दिलाता है वे नेक हैं,
पूरी तरह भरोसेमंद हैं।
143 मुसीबतों और मुश्किलों के दौर में भी
मैं तेरी आज्ञाओं से लगाव रखता हूँ।
144 तू जो हिदायतें याद दिलाता है वे सदा नेक होती हैं।
मुझे समझ दे+ ताकि मैं जीता रहूँ।
ק [कोफ ]
145 हे यहोवा, मैं पूरे दिल से तुझे पुकारता हूँ, मुझे जवाब दे।
मैं तेरे नियमों का पालन करूँगा।
146 मैं तुझे पुकारता हूँ, मुझे बचा ले!
तू जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें मैं मानूँगा।
149 अपने अटल प्यार की वजह से मेरी आवाज़ सुन।+
हे यहोवा, अपने न्याय के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर।
152 तू जो हिदायतें याद दिलाता है उनके बारे में मैंने बहुत पहले सीखा था,
जिन्हें तूने इसलिए कायम किया कि वे सदा बनी रहें।+
ר [रेश ]
156 हे यहोवा, तू बड़ा दयालु है।+
अपने न्याय के मुताबिक मेरी जान की हिफाज़त कर।
157 मेरे सतानेवाले और मेरे बैरी बेहिसाब हैं,+
फिर भी मैं उन हिदायतों से नहीं भटका जो तू याद दिलाता है।
159 देख, मैं तेरे आदेशों से कितना प्यार करता हूँ!
हे यहोवा, अपने अटल प्यार की वजह से मेरी जान की हिफाज़त कर।+
ש [सीन ] या [शीन ]
164 तेरे नेक फैसलों की वजह से
मैं दिन में सात बार तेरी तारीफ करता हूँ।
165 भरपूर शांति उन्हें मिलती है जो तेरे कानून से प्यार करते हैं,+
कोई भी बात उन्हें ठोकर नहीं खिला सकती।*
166 हे यहोवा, मैं उद्धार पाने की आशा तुझसे रखता हूँ
और तेरी आज्ञाओं का पालन करता हूँ।
168 तू जो आदेश देता है और जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें मैं मानता हूँ,
क्योंकि मैं जो भी करता हूँ उसे तू अच्छी तरह जानता है।+
ת [ताव ]
169 हे यहोवा, मेरी मदद की पुकार तेरे पास पहुँचे।+
अपने वचन के मुताबिक मुझे समझा।+
170 मेरी कृपा की बिनती तेरे सामने पहुँचे।
तू अपने वादे के* मुताबिक मुझे बचा ले।
176 मैं एक खोयी हुई भेड़ की तरह भटक गया हूँ।+
तू अपने सेवक को खोज,
क्योंकि मैं तेरी आज्ञाएँ नहीं भूला हूँ।+
चढ़ाई का गीत।*
2 हे यहोवा, मुझे झूठ बोलनेवाले होंठों से
और छली ज़बान से बचा ले।
केदार के डेरों+ में बसना पड़ा है!
7 मैं शांति चाहता हूँ, मगर जब मैं बोलता हूँ
तो वे लड़ाई के लिए उतारू हो जाते हैं।
चढ़ाई का गीत।
121 मैं पहाड़ों+ की तरफ अपनी नज़रें उठाता हूँ।
मुझे कहाँ से मदद मिलेगी?
3 वह तेरा पैर कभी फिसलने* न देगा।+
तेरी हिफाज़त करनेवाला परमेश्वर कभी नहीं ऊँघेगा।
5 यहोवा तेरी हिफाज़त कर रहा है।
यहोवा तेरे दायीं तरफ रहकर+ तुझे आड़ देता है।+
7 यहोवा तुझे हर खतरे से बचाएगा,+
वह तेरी जान की हिफाज़त करेगा।+
दाविद की रचना। चढ़ाई का गीत।
122 मैं बहुत खुश हुआ जब लोगों ने मुझसे कहा,
“आओ हम यहोवा के भवन चलें।”+
4 सारे गोत्र वहाँ ऊपर गए हैं,
इसराएल को दिए नियम के मुताबिक
याह* के गोत्र वहाँ गए हैं
ताकि यहोवा के नाम की तारीफ करें।+
6 यरूशलेम की शांति के लिए दुआ करो।+
हे नगरी, तुझसे प्यार करनेवाले महफूज़ रहेंगे।
8 अपने भाइयों और साथियों की खातिर मैं कहूँगा,
“तेरे यहाँ शांति रहे।”
चढ़ाई का गीत।
2 जैसे दासों की आँखें अपने मालिक के हाथ पर लगी रहती हैं,
जैसे एक दासी की आँखें अपनी मालकिन के हाथ पर लगी रहती हैं,
वैसे ही हमारी आँखें हमारे परमेश्वर यहोवा पर टिकी रहती हैं,+
तब तक जब तक कि वह हम पर कृपा न करे।+
4 जिन्हें खुद पर कुछ ज़्यादा ही भरोसा है,
उनके जितने ताने सहने थे उतने हमने सह लिए हैं,
मगरूरों के हाथों जितना अपमान सहना था, उतना सह लिया है।
दाविद की रचना। चढ़ाई का गीत।
124 “अगर यहोवा हमारे साथ न होता,”+
इसराएल अब कहे,
2 “अगर यहोवा हमारे साथ न होता,+
तो जब लोगों ने हम पर हमला किया,+
3 जब उनके गुस्से की आग हम पर भड़की,+
तब वे हमें ज़िंदा ही निगल चुके होते।+
5 उफनते पानी ने हमें डुबा लिया होता।
6 यहोवा की तारीफ हो,
क्योंकि उसने हमें दुश्मनों के हवाले नहीं किया
कि वे अपने दाँतों से हमें फाड़ खाएँ।
चढ़ाई का गीत।
125 जो यहोवा पर भरोसा रखते हैं,+
वे सिय्योन पहाड़ की तरह हैं, जो हिलाया नहीं जा सकता,
मगर सदा कायम रहता है।+
2 जैसे पहाड़ यरूशलेम को घेरे हुए हैं,+
वैसे ही यहोवा अपने लोगों को घेरे रहेगा,+
अब से लेकर हमेशा-हमेशा तक।
इसराएल पर शांति बनी रहे।
चढ़ाई का गीत।
126 जब यहोवा सिय्योन के लोगों को इकट्ठा करके बँधुआई से लौटा ले आया,+
तो हमें ऐसा लगा कि हम सपना देख रहे हैं।
तब राष्ट्रों के लोग एक-दूसरे से कहने लगे,
“यहोवा ने उनकी खातिर बड़े-बड़े काम किए हैं।”+
4 हे यहोवा, हमारे लोगों को इकट्ठा करके बँधुआई से लौटा ले आ,*
नेगेब की धाराओं* की तरह उन्हें वापस ले आ।
5 जो आँसू बहाते हुए बीज बो रहे हैं,
वे खुशी से जयजयकार करते हुए कटाई करेंगे।
6 जो अपने बीज की थैली लेकर रोते हुए भी खेत जाता है,
वह यकीनन खुशी से जयजयकार करता हुआ लौटेगा,+
हाथ में अपने पूले लिए लौटेगा।+
सुलैमान की रचना। चढ़ाई का गीत।
अगर शहर की हिफाज़त यहोवा न करे,+
तो उसके पहरेदार का जागते रहना बेकार है।
2 अगर परमेश्वर की आशीष न हो,
तो तुम्हारा सुबह तड़के उठना,
देर रात तक जागना,
खाने के लिए कड़ी मज़दूरी करना बेकार है।
क्योंकि वह जिनसे प्यार करता है, उनकी देखभाल करता है
और उन्हें अच्छी नींद देता है।+
5 सुखी है वह आदमी जो अपना तरकश तीरों से भरता है।+
वे शर्मिंदा नहीं किए जाएँगे,
क्योंकि वे शहर के फाटक पर दुश्मनों को जवाब देंगे।
चढ़ाई का गीत।
2 तू अपने हाथों की मेहनत का फल खाएगा,
तू सुखी रहेगा और खुशहाली का आनंद उठाएगा।+
3 तेरी पत्नी तेरे घर के अंदर अंगूर की फलती-फूलती बेल जैसी होगी,+
तेरे बेटे तेरी मेज़ के चारों तरफ जैतून के अंकुर जैसे होंगे।
5 यहोवा तुझे सिय्योन से आशीष देगा।
तुझे सारी ज़िंदगी यरूशलेम को फलता-फूलता देखने का मौका मिले,+
6 तुझे बेटों के बेटों को भी देखने का मौका मिले।
इसराएल में शांति बनी रहे।
चढ़ाई का गीत।
129 “मेरे बचपन से मेरे दुश्मन लगातार मुझ पर हमला करते रहे,”+
6 वे छत पर उगनेवाली घास जैसे हो जाएँगे,
जो उखाड़े जाने से पहले ही मुरझा जाती है,
7 जिससे न कटाई करनेवाला अपनी मुट्ठी भरता है,
न ही पूले इकट्ठा करनेवाला अपनी बाहें भरता है।
चढ़ाई का गीत।
130 हे यहोवा, मैं दुख की गहरी खाई से तुझे पुकारता हूँ।+
2 हे यहोवा, मेरी आवाज़ सुन।
तू मेरी मदद की पुकार पर कान लगाए।
6 मैं यहोवा का बेसब्री से इंतज़ार करता हूँ,+
पहरेदार सुबह होने का जितना इंतज़ार करते हैं,
उससे कहीं ज़्यादा मैं इंतज़ार करता हूँ।+
7 इसराएल यहोवा का इंतज़ार करे,
क्योंकि यहोवा वफादार है, सदा प्यार करता है+
और वह छुड़ाने की महाशक्ति रखता है।
8 वह इसराएल को उसके सभी गुनाहों से छुड़ाएगा।
दाविद की रचना। चढ़ाई का गीत।
131 हे यहोवा, मेरा दिल मगरूर नहीं,
न ही मेरी आँखें घमंड से चढ़ी हैं।+
न मैं बड़ी-बड़ी चीज़ों की ख्वाहिश रखता हूँ,+
न ही उन चीज़ों की लालसा करता हूँ, जिन्हें पाना मेरे लिए मुमकिन नहीं।
2 मैंने बेशक अपने जी को शांत किया है,
अपने मन को चुप कराया है,+
अब यह दूध छुड़ाए हुए बच्चे की तरह है जो अपनी माँ के पास शांत है।
मैं एक दूध छुड़ाए बच्चे की तरह संतुष्ट हूँ।
चढ़ाई का गीत।
132 हे यहोवा, दाविद को याद कर,
उसके सारे दुखों को याद कर,+
2 कैसे उसने यहोवा से शपथ खायी थी,
याकूब के शक्तिशाली परमेश्वर से वादा किया था,+
3 “मैं तब तक अपने तंबू, अपने घर+ नहीं जाऊँगा,
अपने दीवान पर, अपने बिस्तर पर नहीं लेटूँगा,
4 अपनी आँखों में नींद न आने दूँगा,
न ही पलकें झपकने दूँगा,
5 जब तक कि मैं यहोवा के लिए एक जगह,
याकूब के शक्तिशाली परमेश्वर के लिए एक बढ़िया निवास* नहीं ढूँढ़ लेता।”+
9 तेरे याजक नेकी की पोशाक पहने हुए हों
और तेरे वफादार लोग खुशी से जयजयकार करें।
11 यहोवा ने दाविद से शपथ खायी है,
वह अपने इस वादे से हरगिज़ नहीं मुकरेगा:
“मैं तेरे वंशजों में से एक को
तेरी राजगद्दी पर बिठाऊँगा।+
12 अगर तेरे बेटे मेरा करार मानेंगे,
उन हिदायतों को मानेंगे जो मैं याद दिलाकर सिखाता हूँ,+
तो उनके बेटे भी तेरी राजगद्दी पर सदा बैठेंगे।”+
17 यहाँ मैं दाविद की ताकत* बढ़ाऊँगा।
मैंने अपने अभिषिक्त जन के लिए एक दीया तैयार किया है।+
दाविद की रचना। चढ़ाई का गीत।
2 यह उस बढ़िया तेल जैसा है जो हारून के सिर पर उँडेला गया,+
वह उसकी दाढ़ी से बहता हुआ+
उसकी पोशाक के गले तक गया।
यहोवा ने आज्ञा दी है कि वहाँ उसकी आशीष हो,
हमेशा की ज़िंदगी की आशीष हो।
चढ़ाई का गीत।
134 यहोवा की तारीफ करो,
यहोवा के सभी सेवको,+
तुम जो यहोवा के भवन में रात के वक्त उसकी सेवा करते हो,
उसकी तारीफ करो।+
3 यहोवा, जो आकाश और धरती का बनानेवाला है,
तुझे सिय्योन से आशीष दे।
यहोवा के नाम की तारीफ करो,
यहोवा के सेवको, उसकी तारीफ करो,+
2 तुम जो यहोवा के भवन में,
हमारे परमेश्वर के भवन के आँगनों में खड़े रहते हो,
उसकी तारीफ करो।+
3 याह की तारीफ करो क्योंकि यहोवा भला है।+
उसके नाम की तारीफ में गीत गाओ* क्योंकि उसका नाम मनभावना है।
7 वह धरती के कोने-कोने से बादलों* को ऊपर उठाता है,
बारिश के लिए बिजली* बनाता है,
अपने भंडारों से आँधी चलाता है।+
13 हे यहोवा, तेरा नाम सदा कायम रहता है।
हे यहोवा, तेरा यश* पीढ़ी-पीढ़ी तक कायम रहता है।+
उनके मुँह में कोई साँस नहीं है।+
19 हे इसराएल के घराने, यहोवा की तारीफ कर।
हे हारून के घराने, यहोवा की तारीफ कर।
20 हे लेवी के घराने, यहोवा की तारीफ कर।+
यहोवा का डर माननेवालो, यहोवा की तारीफ करो।
याह की तारीफ करो!+
3 वह सब प्रभुओं से महान प्रभु है, उसका शुक्रिया अदा करो,
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।
7 उसने बड़ी-बड़ी ज्योतियाँ बनायीं,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है,
8 उसने दिन पर अधिकार रखने के लिए सूरज बनाया,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है,
9 रात पर अधिकार रखने के लिए चाँद-सितारे बनाए,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।
11 वह इसराएल को उनके बीच से निकाल लाया,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है,
12 अपना शक्तिशाली हाथ बढ़ाकर उसे निकाल लाया,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।
18 उसने ताकतवर राजाओं को मार डाला,
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है,
19 एमोरियों के राजा सीहोन को मार डाला,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है,
20 बाशान के राजा ओग को भी मार डाला,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।
21 उसने उनका देश विरासत में दे दिया,+
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है,
22 अपने सेवक इसराएल को विरासत में दे दिया,
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।
26 स्वर्ग के परमेश्वर का शुक्रिया अदा करो,
क्योंकि उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।
137 हम बैबिलोन की नदियों के किनारे+ बैठा करते थे।
सिय्योन को याद करके रो पड़ते थे।+
3 हमें बंदी बनानेवालों ने वहाँ हमसे एक गीत गाने को कहा,+
हमारी खिल्ली उड़ानेवालों ने मन-बहलाव के लिए हमसे कहा,
“हमारे लिए सिय्योन का कोई गीत गाओ।”
4 हम परायी ज़मीन पर यहोवा का गीत कैसे गा सकते हैं?
6 अगर मैं तुझे याद न करूँ,
यरूशलेम को अपनी खुशी की सबसे बड़ी वजह न समझूँ,+
तो मेरी जीभ तालू से चिपक जाए।
7 हे यहोवा, याद कर
कि जब यरूशलेम गिरा तो एदोमियों ने कहा था,
“ढा दो इसे! इसकी बुनियाद तक ढा दो!”+
8 हे बैबिलोन की बेटी, तुझे बहुत जल्द उजाड़ दिया जाएगा,+
क्या ही खुश होगा वह जो तेरे साथ वैसा ही सलूक करेगा,
जैसा तूने हमारे साथ किया था।+
दाविद की रचना।
138 मैं पूरे दिल से तेरी तारीफ करूँगा,+
दूसरे देवताओं के सामने तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*
2 मैं तेरे पवित्र मंदिर* की तरफ मुँह करके दंडवत करूँगा,+
तेरे अटल प्यार और तेरी वफादारी की वजह से
तेरे नाम की बड़ाई करूँगा,+
तूने अपने वचन और अपने नाम को बाकी सब चीज़ों से महान किया है।*
6 यहोवा ऊँचे पर निवास करता है, फिर भी वह नम्र लोगों पर गौर करता है,+
मगर मगरूरों को सिर्फ दूर से जानता है।+
7 जब मैं खतरों से गुज़रूँ, तब भी तू मेरी जान की हिफाज़त करेगा।+
मेरे भड़के हुए दुश्मनों के खिलाफ तू अपना हाथ बढ़ाएगा,
तेरा दायाँ हाथ मुझे बचा लेगा।
8 यहोवा मेरी खातिर सारा काम पूरा करेगा।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
2 तू मेरा उठना-बैठना जानता है,+
तू मेरे विचारों को दूर से ही जान लेता है।+
5 तू मुझे आगे और पीछे से घेरे रहता है,
तू अपना हाथ मुझ पर रखता है।
8 अगर मैं ऊपर आकाश पर चढ़ जाऊँ, तो तू वहाँ रहेगा,
अगर मैं अपना बिस्तर नीचे कब्र में लगाऊँ, तो तू वहाँ भी रहेगा।+
9 अगर मैं भोर के पंख लगाकर उड़ जाऊँ
कि जाकर दूर समुंदर के पास बस जाऊँ,
10 तो वहाँ भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा,
तेरा दायाँ हाथ मुझे थाम लेगा।+
11 अगर मैं कहूँ, “बेशक, अँधेरा मुझे छिपा लेगा!”
तो मेरे चारों ओर रात का अँधेरा उजाला हो जाएगा।
12 अँधेरा तेरे लिए अँधेरा नहीं होगा,
रात का अँधेरा तेरे लिए दिन की तेज़ रौशनी जैसा होगा,+
अँधेरा तेरे लिए उजाले के बराबर है।+
14 मैं तेरी तारीफ करता हूँ क्योंकि तूने मुझे लाजवाब तरीके से बनाया है,+
यह देखकर मैं विस्मय से भर जाता हूँ।
तेरे काम बेजोड़ हैं,+ यह मैं अच्छी तरह जानता हूँ।
15 जब मुझे गुप्त में बनाया जा रहा था,
मुझे मानो धरती की गहराइयों में बुना जा रहा था,
तब मेरी हड्डियाँ तुझसे छिपी न थीं।+
16 तेरी आँखों ने मुझे तभी देखा था जब मैं बस एक भ्रूण था,
इससे पहले कि उसके सारे अंग बनते,
उनके बारे में तेरी किताब में लिखा था
कि कब उनकी रचना होगी।
17 इसलिए तेरे विचार मेरे लिए क्या ही अनमोल हैं!+
हे परमेश्वर, तेरे विचार अनगिनत हैं!+
18 अगर मैं उन्हें गिनने की कोशिश करूँ, तो वे बालू के किनकों से ज़्यादा होंगे।+
जब मैं जाग उठता हूँ, तब भी तेरे संग होता हूँ।*+
19 हे परमेश्वर, काश तू दुष्टों को मार डालता!+
वे तेरे बैरी हैं जो तेरे नाम का गलत इस्तेमाल करते हैं।+
21 हे यहोवा, क्या मैं उनसे नफरत नहीं करता जो तुझसे नफरत करते हैं?+
क्या मैं उनसे घिन नहीं करता जो तुझसे बगावत करते हैं?+
23 हे परमेश्वर, मुझे जाँच और मेरे दिल को जान।+
मुझे परख और मेरे मन की चिंताओं* को जान ले।+
24 देख कि मुझमें कुछ ऐसा तो नहीं जो मुझे बुरी राह पर ले जाए,+
मुझे उस राह पर ले चल+ जो सदा कायम रहेगी।
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
140 हे यहोवा, मुझे बुरे लोगों से छुड़ा ले,
खूँखार आदमियों से मेरी हिफाज़त कर,+
2 जो अपने दिलों में साज़िशें रचते हैं,+
सारा दिन झगड़ा खड़ा करते हैं।
3 उन्होंने अपनी ज़बान साँप की जीभ जैसी तेज़ कर रखी है,+
उनके होंठों के पीछे साँपों का ज़हर है।+ (सेला )
4 हे यहोवा, मुझे दुष्टों के हाथों में पड़ने से बचा,+
खूँखार आदमियों से मेरी हिफाज़त कर,
जो मुझे गिराने की साज़िश करते हैं।
वे मेरे लिए जाल बिछाते हैं।+ (सेला )
6 मैं यहोवा से कहता हूँ, “तू मेरा परमेश्वर है।
हे यहोवा, मेरी मदद की पुकार सुन।”+
7 हे यहोवा, सारे जहान के मालिक, मेरे शक्तिशाली उद्धारकर्ता,
तू युद्ध के दिन मेरे सिर को आड़ देता है।+
8 हे यहोवा, दुष्टों की इच्छाएँ पूरी मत कर।
उनकी चालें कामयाब न होने दे ताकि वे घमंड से भर न जाएँ।+ (सेला )
11 दूसरों को बदनाम करनेवालों को धरती पर* कहीं जगह न मिले।+
मुसीबत खूँखार आदमियों का पीछा करे और उन्हें मार डाले।
दाविद का सुरीला गीत।
141 हे यहोवा, मैं तुझे पुकारता हूँ।+
मेरी मदद के लिए जल्दी आ।+
जब मैं तुझे पुकारूँ तो मुझ पर ध्यान दे।+
2 तेरे सामने मेरी प्रार्थना तैयार किए हुए धूप जैसी हो,+
मेरे उठाए हुए हाथ शाम के अनाज के चढ़ावे जैसे हों।+
4 मेरे दिल को किसी भी बुरी बात की तरफ झुकने न दे+
ताकि मैं बुरे लोगों के दुष्ट कामों का हिस्सेदार न बनूँ,
मैं कभी उनके लज़ीज़ खाने का मज़ा न लूँ।
5 अगर नेक जन मुझे मारे, तो यह उसका अटल प्यार होगा,+
अगर वह मुझे फटकारे, तो यह मेरे सिर पर तेल जैसा होगा,+
जिसे मेरा सिर कभी नहीं ठुकराएगा।+
मैं नेक जन की मुसीबतों में भी उसके लिए प्रार्थना करता रहूँगा।
6 चाहे उनके न्यायी खड़ी चट्टान से नीचे गिरा दिए जाएँ,
फिर भी लोग मेरी बातों पर ध्यान देंगे क्योंकि ये मनभावनी हैं।
7 जैसे किसी के हल चलाने पर मिट्टी के ढेले फूटकर बिखर जाते हैं,
वैसे ही हमारी हड्डियाँ कब्र के मुँह पर बिखरा दी गयी हैं।
8 मगर हे सारे जहान के मालिक यहोवा, मेरी आँखें तेरी ओर लगी हैं।+
मैंने तेरी पनाह ली है।
मेरी जान न लेना।
9 उन्होंने मेरे लिए जो जाल बिछाया है उसके चंगुल से मुझे बचा,
बुरे काम करनेवालों के फंदों से मुझे बचा।
मश्कील।* दाविद का यह गीत उस समय का है जब वह एक गुफा में था।+ एक प्रार्थना।
मैं जिस रास्ते पर चलता हूँ,
वहाँ मेरे दुश्मन मेरे लिए फंदा छिपाते हैं।
ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ मैं भाग सकूँ,+
मेरी फिक्र करनेवाला कोई नहीं।
5 हे यहोवा, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ।
6 मेरी मदद की पुकार पर ध्यान दे,
क्योंकि मैं बड़ी मुसीबत में हूँ।
मुझ पर ज़ुल्म करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,+
क्योंकि वे मुझसे ज़्यादा ताकतवर हैं।
7 मुझे इस काल-कोठरी से बाहर निकाल
ताकि मैं तेरे नाम की तारीफ करूँ।
नेक लोग मेरे चारों तरफ इकट्ठा हों
क्योंकि तू मेरे साथ कृपा से पेश आता है।
दाविद का सुरीला गीत।
तू विश्वासयोग्य और नेक है, इसलिए मुझे जवाब दे।
3 दुश्मन मेरा पीछा कर रहा है,
उसने मुझे ज़मीन पर रौंदकर मेरी जान ले ली।
मुझे अँधेरे में डाल दिया,
उन लोगों की तरह जिन्हें मरे अरसा हो गया है।
5 मैं गुज़रे दिन याद करता हूँ,
तेरे सब कामों पर मनन करता हूँ,+
तेरे हाथ के काम पर गहराई से सोचता हूँ।*
6 मैं तेरे सामने अपने हाथ फैलाता हूँ,
जैसे सूखी ज़मीन बारिश की प्यासी होती है, वैसे ही मैं तेरा प्यासा हूँ।+ (सेला )
8 मुझे भोर को अपने अटल प्यार के बारे में सुना,
क्योंकि मैं तुझ पर भरोसा रखता हूँ।
मुझे वह रास्ता दिखा जिस पर मुझे चलना चाहिए,+
क्योंकि मैं तेरी तरफ मुड़ता हूँ।
9 हे यहोवा, मुझे दुश्मनों से छुड़ा ले।
मैं बचाव के लिए तेरी आस लगाता हूँ।+
तेरी पवित्र शक्ति भली है,
वह समतल ज़मीन* में मेरी अगुवाई करे।
11 हे यहोवा, अपने नाम की खातिर मेरी जान की हिफाज़त कर।
अपनी नेकी की वजह से मुझे संकट से छुड़ा ले।+
12 अपने अटल प्यार की वजह से मेरे दुश्मनों का अंत कर दे,+
मुझे सतानेवालों का नाश कर दे,+
क्योंकि मैं तेरा सेवक हूँ।+
दाविद की रचना।
144 मेरी चट्टान+ यहोवा की तारीफ हो,
जो मेरे हाथों को युद्ध का कौशल सिखाता है,
मेरी उँगलियों को लड़ने की तालीम देता है।+
वह मेरा मज़बूत गढ़ है,
मेरा ऊँचा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है,
वह मेरी ढाल है और उसी में मैंने आसरा लिया है,+
वही है जो देश-देश के लोगों को मेरे अधीन कर देता है।+
7 ऊपर से अपने हाथ बढ़ा,
मुझे उफनते पानी से निकाल ले,
परदेसियों के हाथ* से मुझे छुड़ा ले,+
8 जो अपने मुँह से झूठ बोलते हैं,
अपना दायाँ हाथ उठाकर झूठी शपथ खाते हैं।*
9 हे परमेश्वर, मैं तेरे लिए एक नया गीत गाऊँगा।+
दस तारोंवाले बाजे की धुन पर तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा,*
10 क्योंकि तू राजाओं को जीत दिलाता है,*+
अपने सेवक दाविद को तलवार की मार से बचाता है।+
11 मुझे परदेसियों के हाथ से छुड़ाकर बचा ले,
जो अपने मुँह से झूठ बोलते हैं,
अपना दायाँ हाथ उठाकर झूठी शपथ खाते हैं।
12 तब हमारे बेटे उन छोटे पौधों की तरह होंगे जो जल्दी बढ़ते हैं,
हमारी बेटियाँ महल के कोने में खड़े नक्काशीदार खंभों की तरह होंगी।
13 हमारे भंडार हर तरह की उपज से भरे रहेंगे,
हमारे मैदानों में हमारे जानवरों के झुंड हज़ार गुना बढ़ते जाएँगे,
हज़ारों-लाखों गुना बढ़ते जाएँगे।
14 हमारी गाभिन गायों के साथ कुछ बुरा नहीं होगा,
उनका गर्भ नहीं गिरेगा,
हमारे चौक में किसी तरह का रोना-पीटना नहीं होगा।
15 सुखी हैं वे लोग जो इस तरह खुशहाल होंगे!
सुखी हैं वे लोग जिनका परमेश्वर यहोवा है!+
दाविद का रचा हुआ तारीफ का गीत।
א [आलेफ ]
ב [बेथ ]
ג [गिमेल ]
ד [दालथ ]
ה [हे ]
5 वे तेरी महिमा, तेरे प्रताप और वैभव के बारे में बताएँगे+
और मैं तेरे आश्चर्य के कामों पर मनन करूँगा।
ו [वाव ]
ז [जैन ]
7 वे तेरी अपार भलाई याद करके बड़े जोश से उसकी चर्चा करेंगे,+
तेरी नेकी के कारण खुशी से जयजयकार करेंगे।+
ח [हेथ ]
ט [टेथ ]
י [योध ]
כ [काफ ]
מ [मेम ]
ס [सामेख ]
ע [ऐयिन ]
פ [पे ]
צ [सादे ]
ק [कोफ ]
ר [रेश ]
19 वह उन सबकी इच्छा पूरी करता है जो उसका डर मानते हैं,+
वह उनकी मदद की पुकार सुनता है और उन्हें छुड़ाता है।+
ש [शीन ]
ת [ताव ]
मेरा रोम-रोम यहोवा की तारीफ करे।+
2 मैं सारी ज़िंदगी यहोवा की तारीफ करूँगा,
जब तक मैं ज़िंदा रहूँगा, अपने परमेश्वर की तारीफ में गीत गाऊँगा।*
6 उस परमेश्वर पर जो आकाश, धरती,
समुंदर और उनमें जो कुछ है, सबका बनानेवाला है,+
जो हमेशा विश्वासयोग्य रहता है।+
यहोवा कैदियों* को छुड़ाता है।+
8 यहोवा अंधों की आँखें खोलता है,+
यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है,+
यहोवा नेक लोगों से प्यार करता है।
याह की तारीफ करो!*
3 वह टूटे मनवालों को चंगा करता है,
उनके घावों पर पट्टी बाँधता है।
7 यहोवा का शुक्रिया अदा करते हुए उसके लिए गीत गाओ,
सुरमंडल बजाकर हमारे परमेश्वर की तारीफ में गीत गाओ,
8 जो आसमान को बादलों से ढाँपता है,
धरती पर पानी बरसाता है,+
पहाड़ों पर घास उगाता है।+
12 हे यरूशलेम, यहोवा की महिमा कर।
हे सिय्योन, अपने परमेश्वर की तारीफ कर।
13 वह तेरी नगरी के फाटकों के बेड़े मज़बूत करता है,
वह तेरे बेटों को आशीष देता है।
15 वह धरती पर अपनी आज्ञा भेजता है,
उसका वचन फुर्ती से भागकर जाता है।
17 वह ओलों* को रोटी के टुकड़ों की तरह गिराता है।+
उसकी भेजी ठंड कौन सह सकता है?+
18 वह अपना वचन भेजता है और वे पिघल जाते हैं।
वह तेज़ हवा चलाता है+ और पानी बहने लगता है।
20 ऐसा उसने किसी और राष्ट्र के साथ नहीं किया,+
दूसरे राष्ट्र उसके न्याय-सिद्धांतों के बारे में कुछ नहीं जानते।
स्वर्ग से यहोवा की तारीफ करो,+
ऊँची जगहों में उसकी तारीफ करो।
2 उसके सब स्वर्गदूतो, उसकी तारीफ करो।+
उसकी सारी सेनाओ, उसकी तारीफ करो।+
3 सूरज और चाँद, उसकी तारीफ करो।
चमकते तारो, तुम सब उसकी तारीफ करो।+
4 हे सबसे ऊँचे आसमान और उनके ऊपर ठहरे पानी,
उसकी तारीफ करो।
7 धरती से यहोवा की तारीफ करो,
गहरे समुंदरो और उनके विशाल जीवो,
8 बिजली और ओलो, बर्फ और काली घटाओ,
उसका हुक्म माननेवाली आँधियो,+
फलदार पेड़ो और सब देवदारो,+
10 जंगली जानवरो+ और सब पालतू जानवरो,
रेंगनेवाले जीवो और पंछियो,
11 धरती के राजाओ और सब राष्ट्रो,
धरती के हाकिमो और सब न्यायियो,+
12 जवान लड़को और जवान लड़कियो,*
बुज़ुर्ग आदमियो और जवानो, सब मिलकर उसकी तारीफ करो।
उसका प्रताप धरती और आकाश के ऊपर फैला है।+
याह की तारीफ करो!*
4 यहोवा अपने लोगों से खुश होता है।+
वह दीन स्वभाव के लोगों का उद्धार करके उनकी शोभा बढ़ाता है।+
6 उनके होंठ परमेश्वर की तारीफ में गीत गाएँ
और वे अपने हाथ में दोधारी तलवार लें
7 ताकि राष्ट्रों को उनका बदला चुकाएँ,
देश-देश के लोगों को सज़ा दें,
8 उनके राजाओं को ज़ंजीरों में जकड़ दें,
उनके बड़े-बड़े लोगों को लोहे की बेड़ियाँ पहना दें,
यह सम्मान उसके सभी वफादार लोगों का है।
याह की तारीफ करो!*
परमेश्वर की पवित्र जगह में उसकी तारीफ करो।+
आसमान में उसकी तारीफ करो जो उसकी ताकत की गवाही देता है।+
2 उसके शक्तिशाली कामों के लिए उसकी तारीफ करो।+
उसकी अपार महानता के लिए उसकी तारीफ करो।+
3 नरसिंगा फूँकते हुए+ उसकी तारीफ करो।
तारोंवाला बाजा और सुरमंडल बजाते हुए+ उसकी तारीफ करो।
4 डफली बजाते+ और घेरा बनाकर नाचते हुए उसकी तारीफ करो।
तारोंवाले बाजे और बाँसुरी बजाते हुए+ उसकी तारीफ करो।+
5 झाँझ की झनझनाहट के साथ उसकी तारीफ करो।
झाँझ की झंकार के साथ उसकी तारीफ करो।+
6 साँस लेनेवाला हर जीव याह की तारीफ करे।
या “उसके कानून पर मनन करता है।”
या “मनन कर रहे हैं?”
या “उसके मसीह।”
या “आपस में सलाह।”
या “खबरदार हो जाओ।”
शा., “बेटे को चूमो।”
शा., “उसका।”
शब्दावली देखें।
शा., “जगह चौड़ी कर।”
या “का सम्मान करेगा; को खुद के लिए अलग रखेगा।”
शब्दावली देखें।
या “खून बहानेवाले और धोखा देनेवाले आदमी।”
या “पवित्र-स्थान।”
शब्दावली देखें।
या “दया।”
या “तुझे याद नहीं कर सकता।”
या “ये बूढ़ी हो गयी हैं।”
या शायद, “जबकि मैंने उसे छोड़ दिया है जो बेवजह मेरा विरोध करता है।”
या “दिलों और गुरदों को परखता है।”
या “ज़बरदस्त तरीके से सज़ा।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
शब्दावली देखें।
या शायद, “तेरे वैभव के चर्चे आसमान के ऊपर होते हैं!”
या “उसे उनसे कमतर बनाया जो ईश्वर जैसे हैं।”
शब्दावली देखें।
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
शब्दावली देखें।
या शायद, “लालची खुद को आशीर्वाद देता है।”
या “मैं डगमगा (या लड़खड़ा) नहीं सकता।”
या “घनी झाड़ियों।”
या “मज़बूत पंजों।”
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
या “न्याय की नींव।”
या “तेज़ चमकती आँखें।”
या शायद, “जलते अंगारे।”
या “उसकी कृपा पाएँगे।”
शब्दावली देखें।
या शायद, “ज़मीन पर रखी गयी पिघलानेवाली भट्ठी।”
या “उसने मेरे साथ भलाई की है।”
या “नासमझ।”
या “निर्दोष चालचलन बनाए रखता है।”
या “को शर्मिंदा।”
शा., “अपनी शपथ पूरी करता है।”
या “वह कभी नहीं डगमगाएगा (या लड़खड़ाएगा)।”
शब्दावली देखें।
या “मेरी गहरी भावनाएँ।” शा., “मेरे गुरदे।”
या “मैं डगमगा (या लड़खड़ा) नहीं सकता।”
शा., “मेरी महिमा।”
या “मेरा शरीर।”
या “शीओल।” शब्दावली देखें।
शा., “गड्ढा नहीं देखने देगा।” या शायद, “सड़ने नहीं देगा।”
या “सुख।”
या “झुककर मेरी सुन।”
या “वे अपनी ही चरबी से घिरे हैं।”
या “हमें ज़मीन पर पटक दें।”
या “दुनिया की व्यवस्था।”
या “तेरा रूप देखूँ।”
या “मेरा ताकतवर उद्धारकर्ता।” शब्दावली देखें।
या “हवा।”
या “खुली।”
शा., “मेरे हाथों की शुद्धता।”
या “सताए हुओं।”
शा., “घमंड भरी आँखों को नीची करता है।”
या “परिपूर्ण।”
या “परिपूर्ण।”
या “सँभालता।”
या “टखने।”
या “तू मुझे मेरे दुश्मनों की पीठ दे देगा।”
या “मुरझा जाएँगे।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “परमेश्वर अपने राजा के लिए बड़ी-बड़ी जीत दिलाता है।”
या “अटल प्यार।”
या शायद, “नापने की डोरी।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “परिपूर्ण।”
या “ताए हुए।”
या “भारी अपराध।”
शा., “होम-बलि को चरबी माने।”
या “तेरा मकसद।”
या “उसको जीत दिलाता है।”
या “ताए हुए।”
या “वह कभी नहीं डगमगाएगा (या लड़खड़ाएगा)।”
शा., “फलों।”
शा., “उनके मुँह।”
शा., “के बारे में गाएँगे और संगीत बजाएँगे।”
शायद यह कोई धुन या संगीत-शैली थी।
या “तारीफों की राजगद्दी के बीच (या पर) विराजमान है।”
या “उन्हें शर्मिंदा नहीं किया गया।”
शा., “हाथ।”
शा., “मेरे अकेले।” यहाँ उसके जीवन की बात की गयी है।
शा., “तेरा दिल सदा जीए।”
शा., “मोटे लोग।”
या शायद, “शांत जल के सोतों के पास।”
या “दिलासा।”
या “तेल मलता है।”
यहाँ यहोवा के जीवन की बात की गयी है जिसकी इंसान शपथ खाता है।
या “ऊपर उठो।”
या “जो पुराने ज़माने से है।”
शा., “न्याय के बारे में।”
या “अटल प्यार।”
या “मेरी गहरी भावनाओं।” शा., “मेरे गुरदों।”
शा., “के साथ नहीं बैठता।”
या “कपटियों से नहीं मिलता-जुलता।”
शा., “के साथ बैठने।”
या “खून बहानेवालों।”
शा., “मैं सभाओं।”
या “पवित्र-स्थान।”
या “ध्यान करते हुए।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
शा., “जीवितों के देश में।”
या शायद, “बेशक, मुझे विश्वास है कि मैं जीते-जी यहोवा की भलाई देखूँगा।”
या “कब्र।”
या शायद, “उसकी पवित्रता के वैभव की वजह से।”
या “की उपासना करो।”
शा., “पानी।”
ज़ाहिर है, लबानोन पर्वतमाला।
या “आसमान में फैले महासागर।”
या “खींच निकाला।”
या “कब्र।”
या “संगीत बजाओ।”
शा., “उसकी पवित्रता की यादगार।”
या “मंज़ूरी।”
या “मैं डगमगा (या लड़खड़ा) नहीं सकता।”
या “तेरी मंज़ूरी मुझ पर थी।”
शा., “खून।”
या “कब्र।”
शा., “नाच।”
या “मेरी महिमा।”
या “झुककर मेरी सुन।”
या “विश्वासयोग्य परमेश्वर।”
या “खुली।”
या “दिमाग।”
शा., “मेरा समय।”
शब्दावली देखें।
या “माफ किया गया है।”
या “तेरी नाराज़गी।”
या “मेरे जीवन की नमी ऐसे खत्म हो गयी।”
या “संगीत बजाओ।”
शा., “उसकी सारी सेनाएँ।”
या “मकसद।”
या “के विचारों।”
या “मकसद।”
या “जीत।”
यानी यहोवा का।
या “उनके चारों तरफ छावनी डालता है।”
या “जो निराश हैं।”
ये ढालें अकसर तीरंदाज़ ढोते थे।
या “प्रार्थना मेरी गोद में लौट आती।”
या शायद, “लोग एक टिकिया के लिए।”
शा., “मेरे अकेले।” यहाँ उसके जीवन की बात की गयी है।
या “पर मनन करेगी।”
शा., “तेरी नेकी परमेश्वर के पहाड़ों।”
या “बचाता।”
शा., “चरबी।”
या “अटल प्यार।”
या “गुस्से से मत भड़कना।”
या “देश में।”
या “सबसे ज़्यादा खुशी पा।”
या शायद, “झुँझलाना मत क्योंकि इससे सिर्फ नुकसान होगा।”
शा., “यहोवा निर्दोष लोगों के दिन जानता है।”
या “कृपा करता है।”
या “मज़बूत करता है।”
या “अपने हाथ से।”
या “खाने।”
या “मुँह धीमी आवाज़ में बुद्धि की बातें करता है।”
या “निर्दोष चाल चलनेवाले।”
शा., “मेरे शरीर का कोई भी हिस्सा स्वस्थ नहीं है।”
शा., “मेरी पूरी कमर जल रही है।”
या शायद, “मगर मुझसे बेवजह दुश्मनी करनेवाले बहुत हैं।”
शब्दावली देखें।
यानी जानवरों के मुँह पर बाँधी जानेवाली जाली।
या “बढ़ गया।”
या “मैं आहें भरता रहा।”
या “कि मैं पल-भर का हूँ।”
शा., “तूने मेरे दिन बित्ते-भर बनाए हैं।”
शा., “शोर।”
या “एक प्रवासी।”
या “मैंने सब्र से यहोवा का इंतज़ार किया।”
या “वह मेरी प्रार्थना सुनने के लिए झुका।”
या “तू चढ़ावे से खुश नहीं हुआ।”
शा., “किताब के खर्रे।”
या “पूरी करना ही मेरी इच्छा है।”
या “इच्छा।”
शा., “मेरे खिलाफ एड़ी उठाए है।”
या “हमेशा से हमेशा तक।”
शब्दावली देखें।
शा., “अपनी जान उँडेलता हूँ।”
या “धीरे-धीरे।”
या “छोटे पहाड़।”
या शायद, “मानो मेरी हड्डियाँ चूर-चूर करते हों।”
शब्दावली देखें।
या “याकूब को शानदार उद्धार दिला।”
या “उनकी कीमत से।”
शा., “कहावत।”
शब्दावली देखें।
शा., “मेरी रचनाएँ।”
या “शास्त्री।”
या “कामयाबी।”
शा., “तुझे विस्मयकारी काम सिखाएगा।”
या “न्याय।”
या शायद, “कढ़ाईदार चोगा।”
शब्दावली देखें।
या शायद, “ढालों।”
या “मेढ़े के सींग; तुरही।”
या “संगीत बजाओ।”
शा., “ढालें।”
या “पहले से तय करके मिले हैं।”
शा., “बेटियों।”
या “मज़बूत शहरपनाह।”
या शायद, “हमारी मौत तक।”
या “दुनिया की व्यवस्था।”
या “उन्हें छुड़ाने।”
या “कब्र।”
या “सूरज के उगने से डूबने तक।”
या “परिपूर्ण।”
या “हिदायत।”
या शायद, “उससे मिल जाता है।”
या “को बदनाम करता है।”
या “मेरे मन में।”
शा., “सिर्फ तेरे खिलाफ।”
या “पाप में मेरी माँ ने मुझे गर्भ में धारण किया था।”
या “तुच्छ नहीं समझेगा।”
शब्दावली देखें।
शा., “जीवितों के देश।”
या “को अपना गढ़ नहीं बनाया।”
या “आसरा।”
शब्दावली देखें।
शब्दावली देखें।
या “नासमझ।”
या शायद, “वहाँ जहाँ डरने की कोई वजह नहीं थी।”
शा., “तेरे खिलाफ छावनी डालनेवालों।”
शब्दावली देखें।
या “वे परमेश्वर को अपने सामने नहीं रखते।”
शब्दावली देखें।
या “जब मैं मदद के लिए प्रार्थना करूँ तो तू छिप न जाना।”
या “उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दे।”
या “मेरी बराबरी का आदमी।”
या “डूबा शोर मचाता हूँ।”
यानी वह जो पहले उसका दोस्त था और जिसका ज़िक्र आय. 13 और 14 में किया गया है।
या “डगमगाने; लड़खड़ाने।”
शब्दावली देखें।
या “मुझे काटने को दौड़ रहा है।”
शा., “के सामने चलता रहूँ।”
शब्दावली देखें।
या “संगीत बजाऊँगा।”
शब्दावली देखें।
या “भ्रष्ट।”
शब्दावली देखें।
या “खून के प्यासे।”
या “भौंकते।”
या “भौंकने।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “अटल प्यार।”
शब्दावली देखें।
या शायद, “उन्हें तूने इशारा दिया है।”
या शायद, “अपनी पवित्र जगह में।”
या शायद, “किलेबंद।”
या “कमज़ोर।”
या “निवास करेगा।”
या “उसकी हिफाज़त के लिए अटल प्यार और वफादारी को ठहरा।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
शब्दावली देखें।
या शायद, “तुम सब, मानो वह एक झुकी हुई दीवार हो, पत्थर की ऐसी दीवार जो बस ढहनेवाली है।”
या “उसकी गरिमा।”
शा., “मैं मानो चरबी और चिकने भोजन से।”
या “लोमड़ियों।”
या “गर्व करेगा।”
या “वे बुरा करने के लिए एक-दूसरे को उकसाते हैं।”
या “गर्व करेंगे।”
या “पवित्र-स्थान।”
या “उठी हुई मिट्टी।”
शा., “चिकनाई टपकती है।”
या “संगीत बजाओ।”
या “डगमगाने।”
शा., “हमारे सिर के।”
या “आदर करेंगे।”
या “संगीत बजाओ।”
या शायद, “जो बादलों पर सवारी करता है।”
“याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
शा., “न्यायी।”
या “बागी।”
शा., “टपकने।”
शा., “अपनी विरासत।”
या शायद, “भेड़शालाओं।”
या “पीले-हरे रंग के।”
या “तो यह ऐसा था मानो ज़लमोन में बर्फ पड़ी।”
या “एक विशाल पहाड़।”
या “अपने निवास के लिए चाहा है?”
या “पाप की राह पर चलते हैं।”
शा., “बड़ी सभाओं में।”
या शायद, “टुकड़े रौंद नहीं देते।”
या शायद, “से राजदूत आएँगे।”
या “संगीत बजाओ।”
या “बेवजह मुझसे दुश्मनी करनेवाले।”
या शायद, “जब मैंने रो-रोकर उपवास किया।”
शा., “मैं उनके लिए एक कहावत बन गया।”
या “गड्ढे।”
या “अब मेरे लिए कोई उम्मीद नहीं बची।”
या “एक ज़हरीला पौधा।”
या “कमर।”
या “अपना क्रोध।”
या “दीवारों से घिरी छावनी।”
यानी देश पर।
या “झुककर मेरी सुन।”
या “गिनना।”
शा., “तेरे बाज़ू।”
या “गहरे पानी।”
या “तेरे लिए संगीत बजाऊँगा।”
या “पर मनन करेगी।”
शा., “उनका न्याय।”
या “उसका राज।”
यानी फरात नदी।
इसका यह मतलब हो सकता है कि आशीष पाने के लिए उन्हें भी कुछ कदम उठाने होंगे।
या “डींग मारनेवालों।”
या “उनकी तोंद बड़ी है।”
शा., “चरबी।”
शा., “तेरे बेटों की पीढ़ी।”
शा., “को तुच्छ समझेगा।”
या “बदचलन की तरह पेश आकर।”
शब्दावली देखें।
शा., “के खिलाफ तेरे क्रोध की आग का धुआँ क्यों उठ रहा है?”
शा., “अपनी मंडली।”
या “अपने कपड़े की तह।”
शब्दावली देखें।
शा., “अपना सींग ऊँचा मत करो।”
शा., “अपना सींग बहुत ऊँचा मत करो।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
शा., “के सारे सींग काट डालूँगा।”
शा., “के सींग ऊँचे किए जाएँगे।”
या “तू रौशनी से घिरा हुआ है।”
शब्दावली देखें।
या “तारोंवाले बाजे पर बजाया संगीत।”
या “भेदती।”
शा., “अपने बाज़ू।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
शब्दावली देखें।
या “मेरी हिदायत।”
शा., “तैयार नहीं था।”
या “जैसे दीवार खड़ी की गयी हो।”
शा., “की परीक्षा ली।”
या “स्वर्गदूतों।”
या “उनकी तरफ से बदला लेनेवाला।”
शा., “ढाँप।”
या शायद, “जीवन-शक्ति चली जाती है और वापस नहीं आती।”
शा., “उसका हाथ।”
या शायद, “तपते बुखार से।”
या “संतान पैदा करने की शक्ति।”
शा., “की परीक्षा लेने।”
शा., “ढाँप दे।”
शा., “अपने बाज़ू।”
या शायद, “रिहा कर दे।”
या शायद, “के बीच।”
या “अपना तेज दिखा।”
यानी फरात नदी।
या “अंगूर की बेल के खास तने।”
या “शाखा।”
शब्दावली देखें।
या “भाषा।”
शा., “गरजन की गुप्त जगह।”
मतलब “झगड़ा करना।”
शा., “वे अपनी ही साज़िशों के मुताबिक चले।”
शा., “उसे” यानी परमेश्वर के लोगों को।
या “जो ईश्वर जैसे हैं उनके बीच।”
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
या “का न्याय।”
या “ईश्वर जैसे।”
या “मौन मत रह।”
या “सिर उठाते हैं।”
शा., “छिपाए गए लोगों।”
शा., “वे एक मन होकर सलाह-मशविरा करते हैं।”
या “करार किया है।”
या “घाटी।”
या “अगुवों।”
शब्दावली देखें।
या “बाका झाड़ियों की घाटी।”
या शायद, “शिक्षक आशीषों का ओढ़ना ओढ़ता है।”
या शायद, “हे परमेश्वर, हमारी ढाल देख।”
शा., “ढाँप दिए।”
या “हमें वापस इकट्ठा कर ले।”
या “खुशहाली।”
या “झुककर मेरी सुन।”
या “मुझे ऐसा दिल दे जो बँटा हुआ न हो।”
या “उन्होंने तुझे अपने सामने नहीं रखा।”
या “सच्चा।”
या “सबूत दे।”
या “कबूल करते हैं।”
या “तू मेरे लिए सब चीज़ों का सोता है।”
शब्दावली देखें।
शब्दावली देखें।
या “झुककर मेरी मदद की पुकार सुन।”
या “कब्र।”
या “मैं ऐसे आदमी की तरह बन गया हूँ जिसमें ताकत नहीं है।”
शा., “हाथ।”
या “और अबद्दोन में।” शब्दावली देखें।
या शायद, “अचानक।”
शब्दावली देखें।
शा., “हमारा सींग ऊँचा किया जाता है।”
शा., “उसका सींग ऊँचा किया जाएगा।”
या “अधिकार में।”
या “अटल प्यार।”
या “न्याय-सिद्धांतों।”
या “अटल प्यार।”
शा., “न ही विश्वासयोग्य रहना छोड़कर झूठा ठहरूँगा।”
शा., “बीज।”
या “उसके पत्थर के शरण-स्थानों।”
शा., “का दायाँ हाथ ऊपर उठाया।”
शा., “ताने अपनी गोद में लिए रहने।”
या शायद, “हमारी पनाह।”
या “मानो प्रसव-पीड़ा सहकर जन्म दिया।”
या “तू हमारे गुनाह जानता है।”
या “हमारी ज़िंदगी घटती जाती है।”
या “खास दमखम की वजह से।”
या “मेहनत मज़बूती से कायम करे।”
या “मेहनत मज़बूती से कायम करे।”
या “तेरे पास आने का रास्ता रोक देगा।”
या शायद, “किला; पनाह।”
शा., “जुड़ गया है।”
या “नाम कबूल करता है।”
या “संगीत बजाया जाए।”
या “घास।”
शा., “तू मेरे सींग को जंगली बैल के सींग की तरह ऊँचा करेगा।”
या “बाल पक जाने पर।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “लड़खड़ा नहीं सकती।”
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
शा., “में खामोशी में निवास करता।”
या “परेशान करनेवाले विचार।”
या “मेरे अंदर बढ़ गयीं।”
या “शासक; न्यायी।”
या “फरमान जारी करके।”
शा., “उसके मुख के सामने।”
शा., “हम उसके हाथ की भेड़ें हैं।”
मतलब “झगड़ा करना।”
मतलब “परीक्षा लेना; आज़माइश।”
या “गरिमा।”
या शायद, “उसकी पवित्रता के वैभव की वजह से।”
या “की उपासना।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “की पैरवी।”
या “आ गया है।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “उसकी उपासना।”
या “की बेटियाँ।”
या “की ताकत।”
शा., “उसकी पवित्रता की यादगार।”
या “उसे जीत दिलायी है।”
या “अटल प्यार।”
या “हमारे परमेश्वर की जीत को।”
या “संगीत बजाओ।”
या “संगीत बजाओ।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “आ गया है।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या शायद, “के बीच।”
या “उपासना करो।”
शा., “का बदला चुकाता था।”
या “उपासना।”
या “कबूल करो।”
या शायद, “न कि हमने खुद को।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “निकम्मी।”
या “उनके काम मुझसे नहीं लगे रहते।”
शा., “को नहीं जानूँगा।”
या “मिटा दूँगा।”
शा., “मेरी आँखों के सामने।”
या “मिटा दूँगा।”
या “वह कमज़ोर होता है।”
या “झुककर मेरी सुन।”
या शायद, “मैं सूखकर काँटा हो गया हूँ।”
या “मुझे बेवकूफ बनानेवाले।”
या “बढ़ती।”
या “नाम।” शा., “तेरी यादगार।”
शा., “जो सिरजा जाएगा।”
या “कब्र।”
शा., “और उसकी जगह उसे और नहीं जानती।”
या “हमेशा से हमेशा तक।”
या “गरिमा।”
शा., “वह पानी में।”
या “नहीं डगमगाएगी।”
शब्दावली देखें।
शब्दावली में “रुआख; नफ्मा” देखें।
या “संगीत बजाऊँगा।”
या शायद, “मैं उसके बारे में जो मनन करता हूँ वह मनभावना हो।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “संगीत बजाओ।”
या शायद, “के बारे में बताओ।”
शा., “उस वचन को, जो उसने हज़ारों पीढ़ियों के लिए ठहराया है।”
शा., “रोटी का हर छड़ तोड़ दिया।” शायद यहाँ रोटी लटकानेवाले छड़ों की बात की गयी है।
शा., “डालकर उसे दुख दिया।”
शा., “को बाँध दे।”
या “आग की लपटें गिरायीं।”
या “संतान पैदा करने की शक्ति।”
शा., “उनका।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “को मंज़ूरी दे।”
या “के मायने नहीं समझे।”
या “वीराना।”
या “ढली हुई मूरत।”
शा., “उसके सामने दरार में खड़ा हुआ।”
या “से खुद को जोड़ लिया।”
यानी ऐसे बलिदान जो मरे हुओं को या फिर बेजान मूरतों को चढ़ाए गए थे।
मतलब “झगड़ा करना।”
या “सीख लिए।”
या “उन्होंने वेश्याओं जैसी बदचलनी की।”
शा., “वे उनके हाथ तले दब गए।”
या “भरपूर।”
या “पछतावा महसूस करता।”
या “हमेशा से हमेशा तक।”
या “ऐसा ही हो!”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “वापस खरीद लिया है।”
या “की ताकत।”
या “उदयाचल और अस्ताचल से।”
शा., “बैठक।”
या “ऊँचे पर रखता है,” यानी पहुँच से बाहर।
या “संगीत बजाऊँगा।”
या शायद, “अपनी पवित्र जगह में।”
या “इलज़ाम लगानेवाला।”
या “दुष्ट।”
शा., “बेटों।”
शा., “बेटे।”
या “सूदखोर उसके लिए जाल बिछाएँ।”
या “अटल प्यार।”
या “अटल प्यार।”
शा., “मेरा शरीर बिना चरबी (या तेल) के दुबला हो गया है।”
या “जिस दिन तेरी सेना तैयार होती है।”
या “उसे पछतावा महसूस नहीं होगा।”
या “पूरी धरती।”
यह वही है जिसे आय. 1 में ‘मेरा प्रभु’ बताया गया है।
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “पक्के सबूतों पर आधारित।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “अटल; दृढ़।”
या “उदारता से।”
शा., “सींग।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “विराजमान।”
या शायद, “कूड़े की जगह।”
शा., “बेटों।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “हमारा कुछ नहीं, हे यहोवा, हमारा कुछ नहीं।”
शा., “बेटों।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या शायद, “मैं प्यार करता हूँ क्योंकि यहोवा सुनता है।”
या “झुककर मेरी सुनता है।”
शा., “मैं जीवितों के देश में।”
या “गंभीर बात।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “कुलो।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
“याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “खुली।”
या शायद, “यहोवा मेरी तरफ मेरी मदद करनेवालों के साथ है।”
या शायद, “तूने मुझे ज़ोर का धक्का दिया।”
या “की जीत हुई है।”
शा., “काश! मेरी राहें मज़बूती से कायम होतीं।”
या “का अध्ययन करूँगा।”
या “का अध्ययन करता है।”
शा., “मार्ग।”
या “का अध्ययन करूँ।”
या “शर्मिंदा।”
शा., “पर दौड़ूँगा।”
या शायद, “तू मेरे दिल को भरोसा दिलाएगा।”
या “मुनाफे।”
या “तू अपनी कही बात पूरी कर।”
या शायद, “जो तेरा डर माननेवालों से किया जाता है।”
या “अपने कहे।”
या “अटल प्यार।”
या “का इंतज़ार करता हूँ।”
या “खुली।”
या “का अध्ययन करूँगा।”
या “जिसके लिए तूने मुझे इंतज़ार करवाया।”
या “उस घर में, जहाँ मैं एक परदेसी की तरह रहता हूँ।”
या “अपने कहे।”
या “मैं अनजाने में पाप करता था।”
शा., “चरबी की तरह मोटा हो गया है।”
या “मैं तेरे वचन का इंतज़ार करता हूँ।”
या “कहा है।”
या शायद, “झूठ बोलकर।”
या “का अध्ययन करूँगा।”
या “मैं तेरे वचन का इंतज़ार करता हूँ।”
यानी उसकी सृष्टि के सारे काम।
या “परिपूर्ण।”
शा., “बहुत चौड़ी है।”
या “उसका अध्ययन करता हूँ।”
या “उनका मैं अध्ययन करता हूँ।”
शा., “मेरे मुँह की स्वेच्छा-बलियों।”
या “सदा की विरासत।”
शा., “अपना मन झुकाया है।”
या “जिन आदमियों का दिल बँटा हुआ है उनसे मैं।”
या “मैं तेरे वचन का इंतज़ार करता हूँ।”
या “अपने कहे।”
या “शर्मिंदा न होने दे।”
या “तेरी कही नेक बात।”
या “ताए हुए।”
या “तेरे हर आदेश।”
शा., “हाँफता।”
या “दृढ़ कर।”
या “को देखकर मुस्कुरा।”
या “सुबह के झुटपुटे के समय।”
या “मैं तेरे वचनों का इंतज़ार करता हूँ।”
या “का अध्ययन करूँ।”
या “अश्लील।”
या “मेरा मुकदमा लड़।”
या “अपने कहे।”
या “उनके लिए कोई ठोकर का पत्थर नहीं है।”
या “अपने कहे।”
शब्दावली देखें।
या “लड़खड़ाने।”
शा., “तेरे बाहर जाने और अंदर आने में।”
“याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “मज़बूत शहरपनाह।”
या “अपने हाथ न बढ़ाएँ।”
या “बँधुआई से निकालकर बहाल कर।”
या “दक्षिण की घाटियों।”
या “बच्चे।”
“याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “का हिसाब रखता।”
शा., “तेरा डर माना जाए।”
या “एक शानदार डेरा।”
या “शानदार डेरे।”
शा., “का मुँह न फेर दे।”
शा., “का सींग।”
या शायद, “पवित्र-स्थान में।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “संगीत बजाओ।”
या “अनमोल जायदाद।”
या “भाप।”
या शायद, “झरोखे।”
या “नाम।” शा., “तेरी यादगार।”
या “समझ।”
यहाँ बैबिलोन की बात की गयी है।
या शायद, “मुरझा जाए।”
या शायद, “दूसरे देवताओं के विरोध में, मैं तेरे लिए संगीत बजाऊँगा।”
या “पवित्र-स्थान।”
या शायद, “तूने अपने नाम से बढ़कर अपने वचन को महान किया है।”
या “यह मेरे लिए बहुत हैरानी की बात है।”
या “यह मैं जान भी नहीं सकता।”
या शायद, “में बुना।”
या शायद, “तब भी उन्हें गिन रहा होता।”
या “खून के दोषी आदमी।”
या “अपने ही खयाल से।”
या “और परेशान करनेवाले विचारों।”
या “पानी से भरे गड्ढों।”
या “देश में।”
या “तेरी मौजूदगी में।”
शब्दावली देखें।
शा., “कोई मुझे नहीं पहचानता।”
शा., “जीवितों के देश में।”
शा., “भाग।”
या “का अध्ययन करता हूँ।”
या “कब्र।”
या “सीधाई के देश।”
या “अटल प्यार।”
या “झुकाकर।”
या “चंगुल।”
शा., “उनका दायाँ हाथ झूठ का दायाँ हाथ है।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “का उद्धार करता है।”
या “तेरी शक्ति।”
या “सच्चाई।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “हाकिमों।”
शब्दावली में “रुआख; नफ्मा” देखें।
शा., “बंदियों।”
या “जिसके पिता की मौत हो गयी है।”
या “दुष्ट की राह टेढ़ी-मेढ़ी कर देता है।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “संगीत बजाना।”
या “बर्फ।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
शा., “कुँवारियो।”
शा., “का सींग ऊँचा करेगा।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “संगीत बजाएँ।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।