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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
आमोस

आमोस

1 यह आमोस* का संदेश है जो उसे दर्शन में मिला था। आमोस तकोआ+ के चरवाहों में से एक था। उसने भूकंप+ से दो साल पहले इसराएल के बारे में यह दर्शन देखा था। उस वक्‍त उज्जियाह, यहूदा का राजा था+ और योआश+ का बेटा यारोबाम, इसराएल का राजा था।+ 2 आमोस ने कहा,

“यहोवा सिय्योन से गरजेगा,

यरूशलेम से बुलंद आवाज़ में बोलेगा।

चरवाहों के चरागाह मातम मनाएँगे

और करमेल की चोटी सूख जाएगी।”+

 3 “यहोवा कहता है,

‘“दमिश्‍क के बार-बार* बगावत* करने की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि उन्होंने गिलाद को लोहे के दाँवनेवाले औज़ारों से रौंद डाला।+

 4 इसलिए मैं हजाएल+ के महल पर आग भेजूँगा,

जो बेन-हदद की किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी।+

 5 मैं दमिश्‍क के फाटकों के बेड़े तोड़ डालूँगा,+

बिकत-आवेन के निवासियों को

और बेत-एदेन से राज करनेवाले* को नाश कर दूँगा,

सीरिया के लोगों को बंदी बनाकर कीर ले जाया जाएगा।”+ यह बात यहोवा ने कही है।’

 6 यहोवा कहता है,

‘“गाज़ा के बार-बार बगावत करने+ की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि उन्होंने बंदियों के एक पूरे समूह+ को एदोम के हवाले कर दिया।

 7 इसलिए मैं गाज़ा की शहरपनाह पर आग भेजूँगा,+

जो उसकी किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी।

 8 मैं अशदोद के निवासियों को

और अश्‍कलोन से राज करनेवाले* को नाश कर दूँगा,+

मैं एक्रोन पर अपना हाथ उठाऊँगा+

और बचे हुए पलिश्‍ती मिट जाएँगे।”+ यह बात सारे जहान के मालिक यहोवा ने कही है।’

 9 यहोवा कहता है,

‘सोर के बार-बार बगावत करने+ की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि उन्होंने बंदियों के एक पूरे समूह को एदोम के हवाले कर दिया

और उन्होंने भाइयों का करार याद नहीं रखा।+

10 इसलिए मैं सोर की शहरपनाह पर आग भेजूँगा,

जो उसकी किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी।’+

11 यहोवा कहता है,

‘एदोम के बार-बार बगावत करने+ की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि उसने तलवार खींचकर अपने ही भाई का पीछा किया+

और उसने दया करने से इनकार कर दिया।

वह गुस्से में आकर उन्हें बेतहाशा चीरता-फाड़ता है

और उनसे हमेशा भड़का रहता है।+

12 इसलिए मैं तेमान पर आग भेजूँगा,+

जो बोसरा की किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी।’+

13 यहोवा कहता है,

‘“अम्मोनियों के बार-बार बगावत करने+ की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि उन्होंने अपने इलाके की सरहद बढ़ाने के लिए गिलाद की गर्भवती औरतों का पेट चीर दिया।+

14 इसलिए मैं रब्बाह की शहरपनाह को आग लगा दूँगा,+

जो उसकी किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी।

लड़ाई के दिन युद्ध की ललकार सुनायी देगी,

तेज़ आँधी के दिन तूफान चलेगा।

15 उनका राजा अपने हाकिमों समेत बँधुआई में चला जाएगा।”+ यह बात यहोवा ने कही है।’

2 यहोवा कहता है,

‘“मोआब के बार-बार बगावत* करने+ की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि उसने चूने के लिए एदोम के राजा की हड्डियाँ जला दीं।

 2 इसलिए मैं मोआब पर आग भेजूँगा,

जो करियोत की किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी,+

जब चारों तरफ शोरगुल होगा, युद्ध की ललकार और नरसिंगे की आवाज़ सुनायी देगी,

तब मोआब मर जाएगा।+

 3 मैं उसके बीच से शासक* को हटा दूँगा,

उसके साथ उसके सभी हाकिमों को मार डालूँगा।”+ यह बात यहोवा ने कही है।’

 4 यहोवा कहता है,

‘यहूदा के बार-बार बगावत करने+ की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि उन्होंने यहोवा का कानून* ठुकरा दिया,

उसके नियमों का पालन नहीं किया।+

इसके बजाय वे उन्हीं झूठी बातों से गुमराह हो गए जो उनके बाप-दादे मानते थे।+

 5 इसलिए मैं यहूदा पर आग भेजूँगा,

जो यरूशलेम की किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी।’+

 6 यहोवा कहता है,

‘इसराएल के बार-बार बगावत करने+ की वजह से मैं सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा,

क्योंकि वे चाँदी के लिए नेक जन को

और एक जोड़ी जूती के लिए गरीब को बेच देते हैं।+

 7 वे मुसीबत के मारों का सिर धूल में रौंद देते हैं,+

दीनों का रास्ता रोक देते हैं।+

बाप-बेटा, दोनों एक ही लड़की के साथ संबंध रखते हैं

और मेरे पवित्र नाम का अपमान करते हैं।

 8 वे गिरवी के लिए कपड़े ज़ब्त करते हैं+ और हर वेदी+ के सामने बिछाकर पसर जाते हैं,

जुरमाने के पैसे से दाख-मदिरा खरीदकर अपने देवताओं के मंदिर में पीते हैं।’

 9 ‘मगर मैंने ही उनके सामने से एमोरी को नाश किया था,+

जो देवदारों जितना लंबा और बाँज के पेड़ों जितना मज़बूत था,

मैंने ऊपर से उसके फल और नीचे से उसकी जड़ें नाश कर दी थीं।+

10 मैं तुम्हें मिस्र से निकाल लाया था,+

40 साल वीराने से चलाकर लाया था+

ताकि तुम एमोरियों के देश पर कब्ज़ा कर सको।

11 मैंने तुम्हारे कुछ बेटों को भविष्यवक्‍ता

और कुछ जवानों को नाज़ीर ठहराया था।+

हे इसराएल के लोगो, क्या मैंने ऐसा नहीं किया था?’ यहोवा का यह ऐलान है।

12 ‘मगर तुम लोग नाज़ीरों को दाख-मदिरा पिलाने की कोशिश करते रहे+

और तुमने भविष्यवक्‍ताओं को आज्ञा दी, “तुम भविष्यवाणी मत करो।”+

13 इसलिए मैं तुम्हें तुम्हारी जगह रौंद दूँगा,

जैसे पूलों से लदी गाड़ी ज़मीन को रौंद देती है।

14 तेज़ दौड़नेवाला कहीं भाग न सकेगा,+

ताकतवर की ताकत किसी काम की न होगी,

कोई भी सूरमा अपनी जान बचाकर नहीं भाग सकेगा।

15 तीरंदाज़ अपनी जगह टिक न सकेगा,

तेज़ दौड़नेवाला बच नहीं पाएगा,

घुड़सवार अपनी जान बचाकर नहीं भाग सकेगा।

16 योद्धाओं में जो सबसे दिलेर है,

वह भी उस दिन नंगा भाग जाएगा।’+ यहोवा का यह ऐलान है।”

3 “इसराएल के लोगो, सुनो मैं यहोवा तुम्हें क्या संदेश दे रहा हूँ, इस पूरे घराने को क्या संदेश दे रहा हूँ जिसे मैं मिस्र से निकाल लाया था:

 2 ‘मैं धरती के सब घरानों में से सिर्फ तुम्हीं को जानता हूँ।+

इसलिए मैं तुम्हारे सभी गुनाहों का हिसाब तुमसे माँगूँगा।+

 3 अगर दो लोग आपस में मिलना तय न करें, तो क्या वे साथ-साथ चल सकेंगे?

 4 अगर एक शेर को जंगल में शिकार न मिले तो क्या वह गरजेगा?

अगर एक जवान शेर ने कुछ पकड़ा न हो तो क्या वह अपनी माँद में से गुर्राएगा?

 5 अगर ज़मीन पर फंदा न बिछा हो* तो क्या चिड़िया उसमें फँसेगी?

अगर फंदे में शिकार न फँसे तो क्या वह ऊपर उछलेगा?

 6 अगर शहर में नरसिंगा फूँका जाए तो क्या लोग नहीं काँपेंगे?

अगर शहर में विपत्ति आए तो क्या इसके पीछे यहोवा का हाथ नहीं?

 7 सारे जहान का मालिक यहोवा अपने सेवकों यानी भविष्यवक्‍ताओं को

राज़ की बात बताए बिना कोई भी काम नहीं करेगा।+

 8 शेर गरजा है!+ कौन नहीं डरेगा?

सारे जहान के मालिक यहोवा ने यह बात कही है! कौन भविष्यवाणी नहीं करेगा?’+

 9 ‘अशदोद की किलेबंद मीनारों पर

और मिस्र की किलेबंद मीनारों पर यह ऐलान करो:

“सामरिया के पहाड़ों के खिलाफ इकट्ठा हो जाओ,+

देखो, उसके यहाँ कितनी खलबली मची है,

कितनी धोखाधड़ी हो रही है!+

10 क्योंकि वे सही काम करना नहीं जानते,

वे मानो अपनी किलेबंद मीनारों में हिंसा और विनाश जमा कर रहे हों।” यहोवा का यह ऐलान है।’

11 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,

‘एक दुश्‍मन आकर देश को घेर लेगा,+

वह तेरी ताकत छीन लेगा,

तेरी किलेबंद मीनारों को लूट लिया जाएगा।’+

12 यहोवा कहता है,

‘आज सामरिया में लोग शानदार बिस्तरों और बढ़िया दीवानों* पर बैठते हैं।

उनमें से सिर्फ कुछ लोग ही बचाए जाएँगे,

जैसे चरवाहा शेर के मुँह से बस दो पैर या कान का एक टुकड़ा खींच पाता है।’+

13 सारे जहान का मालिक, सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है, ‘सुनो और याकूब के घराने को चेतावनी दो।’*

14 ‘जिस दिन मैं इसराएल से उसकी सारी बगावत* का हिसाब माँगूँगा,+

उस दिन मैं बेतेल की वेदियों से भी हिसाब माँगूँगा,+

वेदी के सींग काटकर ज़मीन पर गिरा दिए जाएँगे।+

15 मैं जाड़े के मकान और गरमियों के मकान, दोनों ढा दूँगा।’

‘हाथी-दाँत के घर नाश कर दिए जाएँगे,+

बड़े-बड़े* घर नाश कर दिए जाएँगे।’+ यहोवा का यह ऐलान है।”

4 “बाशान की गायो, यह संदेश सुनो,

तुम जो सामरिया के पहाड़ों पर हो,+

तुम ऐसी औरतें हो जो दीन-दुखियों को ठगती हैं,+ गरीबों को कुचल देती हैं,

तुम अपने पतियों* से कहती हो, ‘शराब लाओ कि हम पीएँ!’

 2 सारे जहान का मालिक यहोवा अपनी पवित्रता की शपथ खाकर कहता है,

‘“देखो! तुम पर ऐसे दिन आनेवाले हैं जब वह तुम्हें कसाई के काँटों से उठाएगा

और बाकियों को मछली पकड़ने के काँटों से उठाएगा।

 3 तुम शहरपनाह की दरारों से निकलोगी, हर किसी को अपने सामने की दरार से निकलना होगा

और तुम्हें हरमोन में फेंक दिया जाएगा।” यहोवा का यह ऐलान है।’

 4 ‘बेतेल आओ और अपराध* करो,+

गिलगाल आओ और अपराध-पर-अपराध करो!+

सुबह अपने बलिदान लाओ+

और तीसरे दिन दसवाँ हिस्सा लाओ।+

 5 धन्यवाद-बलि के लिए खमीरी रोटी जलाओ,+

अपनी स्वेच्छा-बलियों का ढिंढोरा पीटो!

क्योंकि इसराएल के लोगो, तुम्हें यही तो पसंद है।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।

 6 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने तुम्हारे हर शहर में अकाल भेजा,*

तुम्हारे सभी घरों में रोटी की तंगी फैलायी,+

फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।’+

 7 ‘मैंने कटाई से पहले के तीन महीने बारिश भी रोक दी,+

एक शहर पर पानी बरसाया, दूसरे पर नहीं।

एक खेत पर बारिश होती,

तो दूसरा खेत बारिश न होने की वजह से सूख जाता था।

 8 दो-तीन शहरों के लोग लड़खड़ाते हुए पानी के लिए एक शहर जाते,+

मगर उनकी प्यास नहीं बुझती,

फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।’+ यहोवा का यह ऐलान है।

 9 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने तुम्हारी फसलों को झुलसन और बीमारी से मारा।+

तुम अपने बगीचे और अंगूरों के बाग बढ़ाते गए,

मगर टिड्डी तुम्हारे अंजीर और जैतून के पेड़ों को चट कर जाती थी,+

इसके बाद भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।’+

10 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने तुम्हारे बीच ऐसी महामारी भेजी जैसी मिस्र में आयी थी।+

मैंने तलवार से तुम्हारे जवानों को मार डाला+ और तुम्हारे घोड़े ले लिए।+

मैंने तुम्हारी छावनी की बदबू तुम्हारी नाकों में भर दी,+

फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।’

11 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने तुम्हारे देश को नाश कर दिया,

जैसे मैंने सदोम और अमोरा को नाश किया था।+

तुम ऐसी लकड़ी जैसे थे जिसे आग से खींचकर निकाला गया हो,

फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।’+

12 इसलिए हे इसराएल, मैं तुझे फिर से सज़ा दूँगा।

मैं तेरे साथ ऐसा ही करूँगा,

हे इसराएल, अपने परमेश्‍वर के सामने आने के लिए तैयार हो जा।

13 क्योंकि देख! उसी ने पहाड़ बनाए+ और हवा की सृष्टि की थी,+

वह इंसान को अपने विचार बताता है,

भोर को अँधेरे में बदल देता है,+

धरती की ऊँची जगहों को रौंद देता है,+

उसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।”

5 “हे इसराएल के घराने, यह संदेश सुन। यह एक शोकगीत है जो मैं तेरे बारे में सुनाता हूँ:

 2 ‘कुँवारी इसराएल गिर गयी है,

वह उठ नहीं सकती।

उसे अपनी ज़मीन पर पड़ा छोड़ दिया गया है,

उसे उठानेवाला कोई नहीं।’

3 क्योंकि सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,

‘जो शहर हज़ार सैनिक लेकर जाएगा उसके सिर्फ सौ सैनिक बचेंगे,

जो सौ लेकर जाएगा उसके सिर्फ दस बचेंगे,

इसराएल के घराने के साथ यही होगा।’+

4 यहोवा इसराएल के घराने से कहता है,

‘तू मेरी खोज कर और जीता रह।+

 5 बेतेल की खोज मत कर,+

न गिलगाल जा,+ न ही सरहद पार करके बेरशेबा जा,+

क्योंकि गिलगाल ज़रूर बँधुआई में जाएगा+

और बेतेल मिट्टी में मिल जाएगा।*

 6 यहोवा की खोज कर और जीता रह+

ताकि वह आग की तरह यूसुफ के घराने पर न भड़क उठे,

बेतेल को ऐसे भस्म न कर दे कि उस आग को बुझानेवाला कोई न हो।

 7 तुम न्याय को नागदौना* बना देते हो,

नेकी को मिट्टी में मिला देते हो।+

 8 जिस परमेश्‍वर ने किमा* और केसिल तारामंडल* बनाए,+

जो घोर अंधकार को सुबह में बदल देता है,

जो दिन को काली रात बना देता है,+

जो समुंदर के पानी को बुलाता है

ताकि उसे धरती पर बरसाए+

—उसका नाम यहोवा है।

 9 वह ताकतवर लोगों को अचानक नाश कर देगा,

किलेबंद जगहों को तहस-नहस कर देगा।

10 वे उनसे नफरत करते हैं जो शहर के फाटक पर फटकार लगाते हैं,

वे उनसे घिन करते हैं जो सच बोलते हैं।+

11 तुम गरीब से ज़बरदस्ती लगान वसूलते हो,

कर के नाम पर उसका अनाज ले लेते हो,+

इसलिए तुम गढ़े पत्थरों से जो घर बनाकर रहते हो, उनमें और नहीं रह पाओगे,+

तुमने जो बढ़िया अंगूरों के बाग लगाए हैं, उनकी दाख-मदिरा नहीं पी सकोगे।+

12 मैं जानता हूँ कि तुमने कितनी बार बगावत की है,*

कितने बड़े-बड़े पाप किए हैं,

तुम नेक लोगों को सताते हो, रिश्‍वत लेते हो,

शहर के फाटक पर गरीबों का हक मारते हो।+

13 इसलिए अंदरूनी समझवाले उस समय चुप रहेंगे,

क्योंकि वह विपत्ति का समय होगा।+

14 भलाई की खोज करो, बुराई की नहीं+

ताकि तुम जीते रहो।+

तब सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा,

जैसे तुम कहते हो कि वह तुम्हारे साथ है।+

15 बुराई से नफरत करो और भलाई से प्यार करो,+

शहर के फाटक पर न्याय की जीत हो।+

तब शायद सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा

यूसुफ के बचे हुओं पर कृपा करे।’+

16 इसलिए यहोवा, सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

‘शहर के सभी चौकों पर रोना-पीटना होगा,

गली-गली में हाय-हाय मचेगी,

वे शोक मनाने के लिए किसानों को बुलाएँगे,

किराए पर मातम मनानेवालों को बुलाएँगे।’

17 यहोवा कहता है, ‘अंगूरों के हर बाग में रोना-पीटना होगा,+

क्योंकि मैं तुम्हारे बीच से गुज़रूँगा।’

18 ‘उन लोगों का बुरा होगा जो यहोवा के दिन के लिए तरसते हैं!+

तुम क्या उम्मीद करते हो, यहोवा के दिन क्या होगा?+

उस दिन अँधेरा होगा, उजाला नहीं।+

19 उस दिन ऐसा होगा मानो एक आदमी शेर से बचकर भागता है और उसके सामने भालू आ जाता है,

वह अपने घर में घुसकर दीवार पर हाथ टेकता है और एक साँप उसे डस लेता है।

20 क्या यहोवा के दिन, उजाले के बजाय अँधेरा नहीं होगा?

तेज़ रौशनी के बजाय काली घटा नहीं होगी?

21 मैं तुम्हारे त्योहारों से नफरत करता हूँ, घिन करता हूँ,+

तुम्हारी पवित्र सभाओं की सुगंध से खुश नहीं होता।

22 तुम चाहे मुझे पूरी होम-बलियाँ और भेंट का चढ़ावा चढ़ाओ,

फिर भी मैं उनसे खुश नहीं होऊँगा,+

तुम्हारे मोटे किए जानवरों की शांति-बलियाँ मंज़ूर नहीं करूँगा।+

23 अपने गीतों का शोर-शराबा बंद करो,

मुझे तुम्हारे तारोंवाले बाजों की धुन नहीं सुननी।+

24 तुम्हारे देश में न्याय की नदी बहती रहे,+

नेकी की धारा हमेशा बहती रहे।

25 हे इसराएल के घराने, वीराने में उन 40 सालों के दौरान,

क्या तूने बलिदान और भेंट के चढ़ावे मुझे दिए थे?+

26 अब तुम्हें अपने राजा सक्कूत और कैवान* को ले जाना होगा,

अपनी बनायी मूरतों को, अपने देवता के सितारे को ले जाना होगा।

27 मैं तुम्हें दमिश्‍क से भी आगे बँधुआई में भेज दूँगा।’+ यह बात उसने कही है जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।”+

6 “सिय्योन के उन लोगों का बहुत बुरा होगा

जिन्हें खुद पर बहुत भरोसा है,*

जो सोचते हैं कि सामरिया के पहाड़ पर वे सुरक्षित हैं,+

जो सबसे बड़े राष्ट्र के खास लोग हैं,

जिनके पास इसराएल का घराना आता है!

 2 कलने नगर जाओ और देखो।

वहाँ से महानगर हमात+ जाओ

और नीचे पलिश्‍तियों के गत शहर जाओ।

क्या वे इन राज्यों* से बेहतर हैं?

क्या उनका इलाका तुम्हारे इलाके से बड़ा है?

 3 क्या तुमने विपत्ति के दिन को अपने दिमाग से निकाल दिया है+

और क्या तुम खून-खराबे का राज* ला रहे हो?+

 4 वे हाथी-दाँत के पलंगों पर सोते हैं+ और दीवानों पर पैर फैलाए रहते हैं,+

झुंड के मेढ़े और मोटे किए बछड़े* खाते हैं,+

 5 सुरमंडल* की धुन पर गीत रचते हैं,+

दाविद की तरह नए-नए साज़ बनाते हैं,+

 6 बड़े-बड़े प्यालों में दाख-मदिरा पीते हैं,+

खुद पर बढ़िया-से-बढ़िया तेल मलते हैं।

मगर यूसुफ के विनाश की उन्हें कोई फिक्र नहीं।+

 7 इसलिए सबसे पहले उन्हें बंदी बनाकर ले जाया जाएगा+

और रंगरलियों के दिन खत्म हो जाएँगे।

 8 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है,

‘सारे जहान के मालिक यहोवा ने अपने जीवन की शपथ खाकर कहा है,+

“मैं याकूब के घमंड से घिन करता हूँ,+

उसकी किलेबंद मीनारों से नफरत करता हूँ,+

शहर और उसमें जो भरा हुआ है, सब मैं दुश्‍मनों के हवाले कर दूँगा।+

9 अगर एक घर में दस आदमी बच जाएँ तो वे भी मर जाएँगे। 10 एक रिश्‍तेदार* आएगा ताकि उनकी लाशें बाहर ले जाए और एक-एक करके उन्हें जला दे। वह घर से उनकी हड्डियाँ निकालेगा और फिर घर के भीतरी कमरों में जो कोई है उससे कहेगा, ‘क्या तेरे साथ और कोई है?’ और वह कहेगा, ‘कोई नहीं है!’ तब वह रिश्‍तेदार कहेगा, ‘चुप रहो! क्योंकि यह समय यहोवा का नाम लेने का नहीं है।’”

11 क्योंकि यहोवा की ही आज्ञा पर+

बड़े घर को मलबे का ढेर बना दिया जाएगा

और छोटे घर को खंडहर।+

12 क्या घोड़े चट्टान पर दौड़ते हैं?

क्या वहाँ कोई बैलों से जुताई करेगा?

तुमने न्याय को ज़हरीला पौधा बना दिया है,

नेकी के फल को नागदौना* बना दिया है।+

13 तुम बेकार की बातों पर खुश होते हो

और कहते हो, “क्या हम अपने दम पर ताकतवर नहीं बने?”+

14 इसलिए हे इसराएल के घराने, मैं तेरे खिलाफ एक राष्ट्र खड़ा करूँगा+

और वह लेबो-हमात*+ से अराबा की घाटी* तक तुझ पर ज़ुल्म ढाएगा।’ सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का यह ऐलान है।”

7 सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझे एक दर्शन दिखाया। मैंने देखा कि बाद की फसल* उगनी शुरू ही हुई थी कि उसने टिड्डियों का एक दल भेजा! राजा को देने के लिए घास की कटाई हो चुकी थी और यह फसल उसके बाद बोयी गयी थी। 2 जब टिड्डियों का दल देश की पूरी हरियाली चट कर गया तो मैंने कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, दया करके लोगों को माफ कर दे!+ नहीं तो याकूब नहीं बच पाएगा क्योंकि वह कमज़ोर है!”+

3 इसलिए यहोवा ने अपने फैसले पर दोबारा गौर किया।*+ यहोवा ने कहा, “ठीक है, अब ऐसा नहीं होगा।”

4 सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझे यह दर्शन दिखाया: मैंने देखा कि सारे जहान के मालिक यहोवा ने हुक्म दिया कि आग बरसाकर सज़ा दी जाए! आग ने विशाल गहरे सागर को सुखा दिया और ज़मीन के एक हिस्से को भस्म कर दिया। 5 तब मैंने कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, दया करके यह कहर रोक दे!+ नहीं तो याकूब नहीं बच पाएगा क्योंकि वह कमज़ोर है!”+

6 इसलिए यहोवा ने अपने फैसले पर दोबारा गौर किया।+ सारे जहान के मालिक यहोवा ने कहा, “ठीक है, अब यह भी नहीं होगा।”

7 परमेश्‍वर ने मुझे यह दर्शन दिखाया: मैंने देखा कि यहोवा एक दीवार पर खड़ा था जो साहुल लगाकर बनायी गयी थी! उसके हाथ में एक साहुल था। 8 यहोवा ने मुझसे पूछा, “आमोस, तू क्या देखता है?” मैंने कहा, “एक साहुल।” यहोवा ने कहा, “मैं अपनी प्रजा इसराएल पर एक साहुल लगाने जा रहा हूँ। अब मैं उन्हें और माफ नहीं करूँगा।+ 9 इसहाक की ऊँची जगह+ उजाड़ दी जाएँगी और इसराएल के पवित्र-स्थान तहस-नहस कर दिए जाएँगे।+ मैं एक तलवार लिए यारोबाम के घराने पर हमला करूँगा।”+

10 बेतेल के याजक अमज्याह+ ने इसराएल के राजा यारोबाम+ को यह संदेश भेजा: “आमोस इसराएल के घराने के बीच तेरे खिलाफ साज़िश कर रहा है।+ देश के लोग उसका संदेश अब और नहीं सह सकते।+ 11 क्योंकि आमोस कहता है, ‘यारोबाम तलवार से मारा जाएगा और इसराएल के लोगों को ज़रूर बंदी बनाकर अपने देश से ले जाया जाएगा।’”+

12 फिर अमज्याह ने आमोस से कहा, “हे दर्शी, भाग यहाँ से। जा यहूदा देश जा, वहाँ जाकर रोटी कमा* और वहीं अपनी भविष्यवाणियाँ सुना।+ 13 मगर यहाँ बेतेल में फिर कभी भविष्यवाणी मत करना+ क्योंकि यहाँ राजा का पवित्र-स्थान+ और एक राज्य का मंदिर है।”

14 तब आमोस ने अमज्याह से कहा, “मैं न भविष्यवक्‍ता था, न भविष्यवक्‍ता का बेटा। मैं तो एक चरवाहा था+ और गूलर के पेड़ों की देखभाल करता था।* 15 मगर यहोवा ने मुझे झुंड चराने का काम छोड़कर आने के लिए कहा। यहोवा ने मुझसे कहा, ‘जाकर मेरी प्रजा इसराएल को भविष्यवाणी सुना।’+ 16 इसलिए अब यहोवा का संदेश सुन, ‘तू कहता है, “इसराएल के खिलाफ भविष्यवाणी मत कर+ और इसहाक के घराने के खिलाफ प्रचार मत कर।”+ 17 इसलिए यहोवा ने कहा है, “तेरी पत्नी शहर में वेश्‍या बन जाएगी और तेरे बेटे-बेटियाँ तलवार से मार डाले जाएँगे। तेरी ज़मीन नापने की डोरी से नापकर बाँट ली जाएगी और तू खुद एक अशुद्ध देश में मरेगा और इसराएल के लोगों को ज़रूर बंदी बनाकर अपने देश से ले जाया जाएगा।”’”+

8 सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझे एक दर्शन दिखाया। मैंने देखा कि गरमियों के फलों से भरी एक टोकरी है! 2 उसने पूछा, “आमोस, तू क्या देखता है?” मैंने कहा, “गरमियों के फलों से भरी एक टोकरी।” तब यहोवा ने मुझसे कहा, “मेरी प्रजा इसराएल का अंत आ गया है। अब मैं उन्हें और माफ नहीं करूँगा।+ 3 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मंदिर से गीतों के बजाय रोने-पीटने की आवाज़ें आएँगी।+ हर कहीं लाशें बिछी होंगी+ जिससे सन्‍नाटा छा जाएगा!’

 4 तुम सब यह संदेश सुनो, जो गरीबों को रौंदते हो,

देश के दीन जनों का नाश करते हो,+

 5 जो कहते हो, ‘नए चाँद का त्योहार कब खत्म होगा+ ताकि हम अनाज बेच सकें?

सब्त का दिन+ कब बीतेगा ताकि हम अनाज बेच सकें?

फिर हम एपा* की नाप छोटी कर सकेंगे,

शेकेल* का वज़न बढ़ा सकेंगे

और तराज़ू में दंडी मारेंगे।+

 6 फिर हम चाँदी से ज़रूरतमंदों को खरीद सकेंगे,

एक जोड़ी जूती के दाम पर गरीब को खरीद सकेंगे+

और अनाज की फटकन बेच सकेंगे।’

 7 यहोवा याकूब की शान+ की शपथ खाकर कहता है,

‘मैं उनका एक भी काम नहीं भूलूँगा।+

 8 इसलिए देश काँपेगा,*

इसका हर निवासी मातम मनाएगा।+

क्या यह देश नील नदी की तरह उमड़ने नहीं लगेगा?

मिस्र की नील की तरह नहीं घटेगा-बढ़ेगा?’+

 9 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है,

‘उस दिन मैं भरी दोपहरी में सूरज डुबा दूँगा

और दिन के उजाले में देश में अँधेरा कर दूँगा।+

10 मैं तुम्हारे त्योहारों को मातम में बदल दूँगा,+

तुम्हारे सब गीतों को शोकगीतों में बदल दूँगा।

मैं सबकी कमर पर टाट ओढ़ाऊँगा और सबका सिर मुँड़वाऊँगा,

मैं उनसे ऐसे मातम करवाऊँगा जैसे कोई इकलौते बेटे की मौत पर करता है

और उस दिन का अंत बहुत कड़वा होगा।’

11 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है,

‘देखो! वे दिन आ रहे हैं,

जब मैं देश में अकाल भेजूँगा,

रोटी और पानी के लिए नहीं

बल्कि यहोवा के वचन सुनने के लिए लोग भूखे-प्यासे रह जाएँगे।+

12 वे लड़खड़ाते हुए एक सागर से दूसरे सागर जाएँगे,

उत्तर से पूरब जाएँगे।

यहोवा के वचनों की खोज में मारे-मारे फिरेंगे, मगर कहीं नहीं पाएँगे।

13 उस दिन सुंदर कुँवारियाँ और जवान आदमी

प्यास के मारे बेहोश हो जाएँगे।

14 जो सामरिया के पाप+ की शपथ खाकर कहते हैं,

“हे दान, तेरे देवता के जीवन की शपथ!”+

और “बेरशेबा के रास्ते की शपथ!”+

वे गिर जाएँगे और फिर कभी नहीं उठेंगे।’”+

9 मैंने यहोवा को वेदी के ऊपर देखा+ और उसने कहा, “खंभे के सिरे को मार और दहलीज़ें हिल जाएँगी। सिरों को काट डाल और मैं नाश से बचनेवाले सभी को तलवार से मार डालूँगा। कोई भी भाग नहीं पाएगा, जो बचने की कोशिश करेगा वह कामयाब नहीं होगा।+

 2 अगर वे कब्र खोदकर उसमें जा छिपें,

तो मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें निकाल लाऊँगा।

अगर वे ऊपर आसमानों में चले जाएँ,

तो मैं उन्हें नीचे उतार लाऊँगा।

 3 अगर वे करमेल की चोटी पर जाकर छिप जाएँ,

तो मैं उन्हें ढूँढ़कर पकड़ लूँगा।+

अगर वे मेरी नज़रों से छिपने के लिए समुंदर के तल में उतर जाएँ,

तो मैं वहाँ साँप को उन्हें डसने का हुक्म दूँगा।

 4 अगर दुश्‍मन उन्हें बँधुआई में ले जाएँ,

तो मैं वहाँ तलवार को हुक्म दूँगा और वह उन्हें मार डालेगी।+

मैं उन पर नज़र रखूँगा, आशीष देने के लिए नहीं, विपत्ति लाने के लिए।+

 5 क्योंकि देश* को छूनेवाला सारे जहान का मालिक और सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है,

इसलिए देश पिघल जाएगा+ और उसके सभी निवासी मातम मनाएँगे,+

सारा देश नील नदी की तरह उमड़ने लगेगा,

और मिस्र की नील की तरह घट जाएगा।+

 6 ‘जो आसमानों तक जानेवाली सीढ़ियाँ बनाता है,

धरती पर अपनी इमारत खड़ी* करता है,

जो समुंदर के पानी को बुलाता है

ताकि उसे धरती पर बरसाए+

—उसका नाम यहोवा है।’+

 7 यहोवा ऐलान करता है, ‘इसराएल के लोगो, क्या तुम मेरे लिए कूशियों जैसे नहीं हो?

क्या मैं इसराएल को मिस्र से,+ पलिश्‍तियों को क्रेते से+

और सीरिया को कीर से नहीं निकाल लाया था?’+

 8 यहोवा ऐलान करता है, ‘देखो! मैं सारे जहान का मालिक यहोवा इस पापी राज्य को देख रहा हूँ,

मैं धरती से इसका नामो-निशान मिटा दूँगा।+

मगर मैं याकूब के घराने को पूरी तरह नाश नहीं करूँगा।’+

 9 ‘क्योंकि देखो! मैं हुक्म दे रहा हूँ

और मैं सब राष्ट्रों के बीच इसराएल के घराने को हिलाऊँगा,+

जैसे कोई छलना हिलाता है

ताकि एक भी कंकड़ ज़मीन पर न गिरे।

10 मेरे लोगों में से जितने भी पापी हैं, वे सब तलवार से मारे जाएँगे,

वे सभी मारे जाएँगे जो कहते हैं, “विपत्ति हम पर नहीं आएगी, हमारे पास तक नहीं फटकेगी।”’

11 ‘उस दिन मैं दाविद का गिरा हुआ छप्पर* खड़ा करूँगा,+

मैं दरारें* भर दूँगा,

जो खंडहर बन गया है उसे दोबारा बनाऊँगा,

मैं उसे दोबारा बनाऊँगा और वह मुद्दतों पहले जैसा हो जाएगा+

12 ताकि वे एदोम के बचे हुए हिस्से पर अधिकार करें+

और उन सब राष्ट्रों पर भी, जो मेरे नाम से पुकारे जाते हैं।’ यह यहोवा का ऐलान है, जो यह सब कर रहा है।

13 यहोवा ऐलान करता है, ‘देखो! वे दिन आ रहे हैं,

कटाई करनेवाले का काम पूरा होने से पहले जुताई करनेवाला आ जाएगा,

अंगूर रौंदनेवाले से पहले बीज बोनेवाला आ जाएगा,+

पहाड़ों से मीठी दाख-मदिरा टपकेगी,+

सभी पहाड़ियों से इसकी धारा बहेगी।+

14 मैं अपनी प्रजा इसराएल को इकट्ठा करके बँधुआई से वापस ले आऊँगा,+

वे उजाड़ पड़े हुए शहरों को दोबारा बनाएँगे और उन्हें आबाद करेंगे,+

वे अंगूरों के बाग लगाएँगे और उनकी दाख-मदिरा पीएँगे,+

वे बगीचे लगाएँगे और उनका फल खाएँगे।’+

15 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं उन्हें उनके देश में लगाऊँगा,

मैंने उन्हें जो देश दिया है,

वहाँ से उन्हें फिर कभी नहीं उखाड़ा जाएगा।’”+

मतलब “बोझ होना” या “बोझ ढोना।”

शा., “तीन बार बल्कि चार बार।”

या “अपराध।”

शा., “राजदंड पकड़नेवाले।”

शा., “राजदंड पकड़नेवाले।”

या “अपराध।”

शा., “न्यायी।”

या “हिदायत।”

या शायद, “अगर ज़मीन पर बिछाए फंदे में चारा न हो।”

या “दमिश्‍क के दीवानों।”

या “के खिलाफ गवाही दो।”

या “उसके अपराधों।”

या शायद, “बहुत-से।”

या “मालिकों।”

या “बगावत।”

शा., “मैंने तुम्हें साफ दाँत दिए।”

या शायद, “जादू-टोने की चीज़ बन जाएगा।”

या “कड़वा।”

शायद वृष तारामंडल में तारों का समूह, कृत्तिका।

शायद मृगशिरा तारामंडल।

या “कितने अपराध किए हैं।”

ये दोनों देवता शायद शनि गृह को दर्शाते थे, जिसे देवता मानकर पूजा जाता था।

या “जो बेफिक्र रहते हैं।”

ज़ाहिर है कि यहाँ यहूदा और इसराएल राज्यों की बात की गयी है।

शा., “की गद्दी।”

या “बैल।”

या “तारोंवाले बाजे।”

शा., “उसके पिता का भाई।”

या “कड़वा।”

या “हमात के प्रवेश।”

शब्दावली देखें।

यानी जनवरी और फरवरी की फसल।

या “पछतावा महसूस किया।”

शा., “रोटी खा।”

या “गूलर के फलों में चीरा लगानेवाला था।”

अति. ख14 देखें।

अति. ख14 देखें।

या “धरती काँपेगी।”

या “धरती।”

या “अपना गुंबद खड़ा।”

या “तंबू; झोपड़ी।”

या “उनकी दरारें।”

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