विश्व-दर्शन
लहू से एड्स?
रक्ताधान या लहू के उत्पादों से एड्स होने की कितनी संभावना है? जोहानिसबर्ग के समाचार-पत्र द स्टार के अनुसार, जब से एड्स की पहचान की गयी है तब से संसार-भर में ६,००,००० लोग—या संक्रमित सभी लोगों में से १५ प्रतिशत—लहू या लहू के उत्पादों से एड्स जीवाणु द्वारा संक्रमित हुए हैं। वर्तमान में, एच.आइ.वी. के लिए लहू की जाँच करने में बहुत समय और पैसा ख़र्च होता है। कुछ निष्कर्ष निकालते हैं कि लहू को कम-से-कम सात बार जाँच किया जाना चाहिए। अकसर, विकासशील देशों के पास इस जाँच का प्रयोग करने के लिए पैसा या प्रशिक्षण नहीं होता। संपन्न देशों में भी, जहाँ यह जाँच की जाती है, ग़लतियाँ होती हैं। डच रक्ताधान सेवा का चिकित्सीय प्रमुख, पॉल स्ट्रेन्जर्स स्वीकार करता है: “हम नहीं कह सकते कि एच.आइ.वी. जीवाणु या यकृत शोथ के सम्बन्ध में कोई भी लहू उत्पाद १०० प्रतिशत सुरक्षित है।” (g95 3/22)
दिल्ली के लापता लोग
भारत की राजधानी दिल्ली में, हर वर्ष १०,००० लोग लापता बताए जाते हैं। इनमें से सिर्फ़ एक तिहाई का पता लग पाता है। इसमें से पचास प्रतिशत बच्चे हैं जो १८ वर्ष से कम उम्र के हैं और २:१ के अनुपात से पुरुषों की संख्या स्त्रियों से ज़्यादा है। जैसे कि द टाइम्स् आफ इंडिया (अंग्रेज़ी) में रिपोर्ट किया गया है कि हज़ारों युवा लड़कियाँ आख़िरकार वेश्यालयों में पहुँच जाती हैं। युवा लड़कों को अपराधी गिरोहों द्वारा भीख माँगने के लिए विवश किया जाता है या उनसे छोटे रेस्तराँ में कम वेतन पर ज़्यादा घंटे काम लिया जाता है। (g95 4/8)
टी.वी. पर हिंसा का अनुपात
एक विवादास्पद नयी जाँच ने दावा किया है कि अमरीका की टी.वी. पर हिंसा के विरुद्ध तमाम नाराज़गी के बावजूद—और टी.वी. नेटवर्कों के इस पर नियंत्रण रखने के अनेक वायदों के बावजूद—गत दो वर्षों में टी.वी. पर हिंसा असल में बढ़ी है। यह जाँच ‘मीडिया और सार्वजनिक मामलों के केन्द्र’ द्वारा संचालित की गयी और दस केन्द्रों पर एक दिन के कार्यक्रमों का अवलोकन करने के द्वारा और उनके विषय की तुलना दो वर्ष पहले उसी तारीख़ के कार्यक्रमों से करने के द्वारा इस जाँच ने अपने निष्कर्ष निकाले। इसने पता लगाया कि हिंसा के कार्य, जिनकी परिभाषा ऐसे सुविचारित शारीरिक ज़बरदस्ती के कार्यों के तौर पर की गयी है जिनका परिणाम शारीरिक हानि या संपत्ति का नाश होता है, दो-वर्ष की अवधि में ४१ प्रतिशत से बढ़ गए। घोर हिंसा के कार्यों को जीवन-घातक या संभवतः गंभीर चोट पहुँचानेवाले कार्यों के तौर पर परिभाषित किया गया और इनकी संख्या में ६७ प्रतिशत की वृद्धि हुई। “प्रत्येक चैनल पर प्रत्येक घंटे के लिए हिंसक घटनाओं की औसत दर १० दृश्यों से बढ़कर क़रीब १५ दृश्य हो गयी,” टी.वी. गाइड रिपोर्ट करता है। (g95 3/22)
विश्वव्यापी कुपोषण
विश्वव्यापी तौर पर, कुपोषण के बारे में अच्छा समाचार भी है और बुरा भी। विश्वव्यापी शिशु स्वास्थ्य समाचार और पुनर्विचार (अंग्रेज़ी) के अनुसार, पाँच वर्ष से कम उम्र के कुपोषण से पीड़ित सभी बच्चों की प्रतिशत दर १९७५ में ४२ प्रतिशत से घटकर १९९० में ३४ प्रतिशत हो गयी। लेकिन, कुपोषित बच्चों की मूल संख्या बढ़ी है। विकासशील देशों में पाँच वर्ष से कम उम्र के कुछ १९.३ करोड़ बच्चों का वज़न साधारण रूप से या गंभीर रूप से कम है, और उनमें से एक तिहाई गंभीर रूप से कुपोषित हैं। समाचार-पत्र कहता है कि जब एक बच्चा थोड़ा-सा कुपोषित होता है, तो रोग से मृत्यु होने का ख़तरा दुगना होता है। साधारण रूप से कुपोषित बच्चे के लिए ख़तरा तिगुना हो जाता है। एक बच्चा जो गंभीर रूप से कुपोषित है, रोग से उसकी मृत्यु होने का ख़तरा ११ गुना ज़्यादा है। समाचार-पत्र रिपोर्ट करता है कि औद्योगीकृत देशों में, बच्चों में कुपोषण का एक सबसे सामान्य प्रकार है मोटापा। उदाहरण के लिए, उत्तर अमरीका में बच्चे अपनी ५० प्रतिशत ऊर्जा सप्लाई चरबी से पाते हैं—जो “सिफ़ारिश किए गए अनुपात से दुगना” है। (g95 3/22)
क्यूबा में यहोवा के साक्षी
क्यूबा में यहोवा के साक्षी अपनी सेवकाई को जारी रखने के लिए, ज़्यादा स्वतंत्रता का आनन्द उठाते रहे हैं। इस बात ने उन्हें परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार लोगों के साथ बाँटने के लिए समर्थ किया है। यद्यपि यह कार्य सरकारी तौर पर मान्यता-प्राप्त और वैध नहीं है, उन्हें अपने पहले के कार्यालयों का प्रयोग करने की अनुमति दी गयी है और वे उपासना के लिए ज़्यादा खुलकर मिले हैं—और यह इस हद तक कि उन्होंने छोटे सम्मेलन भी आयोजित किए हैं। उन्हें पत्रिकाएँ छापने का अधिकार दिया गया है। इन हाल की घटनाओं से आनन्द और उत्साह से भरकर, ये साक्षी अपना प्रचार कार्य जारी रखते हैं और बाइबल की आशा का संदेश बताने का प्रयास करते हैं।