तनाव को सँभाला जा सकता है!
“जीवन में तनाव तो हमेशा रहेगा, और हमें तनाव दूर करने की कोशिश करने के बजाय असल में यह देखना है कि तनाव में हमारी प्रतिक्रिया क्या होती है।”—लीआन चाइटॉफ, विख्यात स्वास्थ्य लेखक।
बाइबल ने पूर्वबताया कि “अन्तिम दिनों” में “कठिन समय” आएँगे। प्रमाण स्पष्ट रूप से दिखाता है कि हम उस समय में जी रहे हैं, क्योंकि लोग—भविष्यवाणी की पूर्ति में—“डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र। मयारहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी” हैं।—२ तीमुथियुस ३:१-५.
इसमें आश्चर्य नहीं कि थोड़ी भी शांति बनाए रखना इतना कठिन क्यों है! जो शांति से रहने की कोशिश करते हैं वे भी प्रभावित हो सकते हैं। “धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती . . . हैं,” भजनहार दाऊद ने लिखा। (भजन ३४:१९. २ तीमुथियुस ३:१२ से तुलना कीजिए।) फिर भी, आप तनाव को कम करने के लिए काफी कुछ कर सकते हैं ताकि यह आपको दबा न दे। निम्नलिखित सुझावों पर विचार कीजिए।
अपना ध्यान रखिए
देखिए कि आप क्या खाते हैं। स्वास्थ्यकर आहार में प्रोटीन, फल, सब्ज़ियाँ, दालें और दूसरे अनाज, और डेयरी उत्पादन होते हैं। हो सके तो मैदे और संतृप्त वसा (सैचुरेटॆड फैट) के इस्तेमाल से बचिए। नमक, परिष्कृत (रिफाइंड) चीनी, शराब और कैफीन का ज़्यादा सेवन मत कीजिए। अपने आहार में सुधार कीजिए, तब आप उतनी जल्दी तनाव का शिकार नहीं होंगे।
व्यायाम कीजिए। “देह की साधना से . . . लाभ होता है,” बाइबल सलाह देती है। (१ तीमुथियुस ४:८) सचमुच, थोड़ा-बहुत परंतु नियमित व्यायाम—कुछ लोग सप्ताह में तीन बार करने की सिफारिश करते हैं—दिल को मज़बूत बनाता है, खून का दौरा बढ़ाता है, कोलॆस्ट्रॉल घटाता है, और दिल का दौरा पड़ने की संभावना घटाता है। उससे भी बढ़कर, व्यायाम तंदुरुस्ती का एहसास बढ़ाता है, संभवतः उन एंडॉरफिन्स के कारण जो मेहनत करते समय रिसते हैं।
पर्याप्त नींद लीजिए। नींद की कमी से थकावट होती है और यह तनाव को सँभालने की आपकी क्षमता कम कर देती है। यदि आपको ठीक से नींद नहीं आती, तो रात को सोने और सुबह उठने का एक निश्चित समय रखकर देखिए। कुछ लोगों का सुझाव है कि दिन में ३० मिनट से ज़्यादा झपकी नहीं लेनी चाहिए ताकि रात को अच्छी नींद आने में परेशानी न हो।
अपने काम व्यवस्थित कीजिए। जो लोग अपने समय को ठीक से व्यवस्थित करते हैं वे तनाव से ज़्यादा अच्छी तरह निपट पाते हैं। व्यवस्थित होने के लिए, पहले यह निश्चित कीजिए कि किन ज़िम्मेदारियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। उसके बाद, एक सारणी बनाइए ताकि ये छूट न जाएँ।—१ कुरिन्थियों १४:३३, ४० और फिलिप्पियों १:१० से तुलना कीजिए।
अच्छे संबंध बनाकर रखिए
सहारा लीजिए। जिनके काफी दोस्त और जान-पहचानवाले होते हैं वे तनावपूर्ण समय में पूरी तरह हताश होने से कुछ हद तक तो बचते हैं। जिससे भरोसे के साथ दिल की बात कह सकें, ऐसा एक भी दोस्त होना बहुत मददगार हो सकता है। बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।”—नीतिवचन १७:१७.
झगड़े मिटाइए। “सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे,” प्रेरित पौलुस ने लिखा। (इफिसियों ४:२६) मनमुटाव रखने के बजाय जल्दी से मतभेद दूर करने की बुद्धिमानी ऐसे ९२९ लोगों के एक अध्ययन से दिखायी पड़ती है जिनको दिल का दौरा पड़ चुका है। जो ज़्यादा शांत स्वभाव के थे उनकी तुलना में इसकी संभावना तीन गुना ज़्यादा थी कि ज़्यादा झगड़ालू लोग पहला दौरा पड़ने के दस साल के अंदर ही दूसरा दौरा पड़ने पर मर जाएँगे। इस अध्ययन के लेखक बताते हैं कि क्रोध सबसे बड़ा कारण प्रतीत होता है, लेकिन कोई भी तीव्र नकारात्मक भाव जो शरीर में तनाव हार्मोनों का तेज़ प्रवाह करता है, यही प्रभाव कर सकता है। “ईर्ष्या हड्डियों को गला देती है,” नीतिवचन १४:३० (NHT) कहता है।
परिवार के लिए समय निकालिए। इस्राएली माता-पिताओं को आज्ञा दी गयी थी कि अपने बच्चों के साथ समय बिताएँ, उनके हृदय में सही सिद्धांत बिठाएँ। (व्यवस्थाविवरण ६:६, ७) इसके फलस्वरूप जो बंधन बनता था वह पारिवारिक एकता को बढ़ावा देता था—दुःख की बात है कि आज इसकी कमी है। एक अध्ययन ने प्रकट किया कि कुछ नौकरीपेशा दंपति हर दिन अपने बच्चों के साथ खेलने में औसतन मात्र ३.५ मिनट बिताते हैं। लेकिन, जब आप तनाव का सामना करते हैं तो आपका परिवार बहुत मददगार हो सकता है। “परिवार आपको एक ऐसे भावात्मक समर्थन समूह में बिलाशर्त विशेष सदस्यता देता है जो आपका स्वभाव जानता है और आपको वैसे ही पसंद करता है,” तनाव पर एक पुस्तक कहती है। “पारिवारिक समूहकार्य तनाव घटाने का एक बहुत बढ़िया तरीका है।”
अपने जीवन में संतुलन बनाइए
तर्कसंगत बनिए। जो व्यक्ति अपने आपको शारीरिक और भावात्मक रूप से पूरी तरह थका देता है वह शिथिलता (बर्नआउट) और संभवतः अवसाद का आसान शिकार बन सकता है। कुंजी है संतुलन। ‘जो ज्ञान ऊपर से आता है वह कोमल [तर्कसंगत] होता है,’ शिष्य याकूब ने लिखा। (याकूब ३:१७. सभोपदेशक ७:१६, १७ और फिलिप्पियों ४:५ से तुलना कीजिए।) तर्कसंगत रूप से आप जितना कर सकते हैं उससे अधिक की माँग की जाने पर ‘न’ कहना सीखिए।
अपनी तुलना किसी और से मत कीजिए। गलतियों ६:४ कहता है: “हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।” जी हाँ, उपासना के मामलों में भी, परमेश्वर प्रतिकूल तुलनाएँ नहीं करता, हमारी व्यक्तिगत परिस्थितियों में जो हो सकता है उससे अधिक की माँग नहीं करता। वह हमारे दान और त्याग ग्रहण करता है ‘उसके अनुसार जो हमारे पास है न कि उसके अनुसार जो हमारे पास नहीं।’—२ कुरिन्थियों ८:१२.
मनबहलाव के लिए समय निकालिए। जबकि यीशु बहुत मेहनती था, तो भी उसने अपने लिए और अपने अनुयायियों के लिए विश्राम का समय निकाला। (मरकुस ६:३०-३२) सभोपदेशक के ईश्वरप्रेरित लेखक को लगा कि हितकर मनबहलाव लाभकर है। उसने लिखा: “मैं ने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने-पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्वर उसके लिये धरती पर ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा।” (सभोपदेशक ८:१५) संतुलित मौज-मस्ती शरीर को स्फूर्ति दे सकती है और तनाव घटा सकती है।
तनाव के प्रति तर्कसंगत दृष्टिकोण रखिए
तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते समय:
यह निष्कर्ष मत निकालिए कि परमेश्वर ने आपको अस्वीकार कर दिया है। बाइबल हमें बताती है कि वफादार स्त्री हन्ना सालों तक “मन में व्याकुल” (“मन में कड़वी,” फुटनोट) थी। (१ शमूएल १:४-११) मकिदुनिया में, पौलुस को “चारों ओर से क्लेश” था। (२ कुरिन्थियों ७:५) अपनी मृत्यु से पहले, यीशु “अत्यन्त संकट में व्याकुल” हो रहा था और उस पर इतना तनाव था कि “उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था।”a (लूका २२:४४) ये परमेश्वर के वफादार सेवक थे। इसलिए, जब आप पर तनाव आता है तब यह निष्कर्ष निकालने का कोई कारण नहीं है कि परमेश्वर ने आपको त्याग दिया है।
अपनी कष्टपूर्ण परिस्थितियों से सीखिए। पौलुस ने लिखा कि उसके “शरीर में एक कांटा” चुभा था। यह शायद एक स्वास्थ्य समस्या थी जिसके कारण उसे बहुत कष्ट हुआ। (२ कुरिन्थियों १२:७) लेकिन, करीब पाँच साल बाद वह कह सका: “हर एक बात और सब दशाओं में मैं ने तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।” (फिलिप्पियों ४:१२, १३) पौलुस को अपने ‘शरीर में कांटे’ से मज़ा नहीं आता था, लेकिन उसे सहने के द्वारा, उसने शक्ति के लिए परमेश्वर पर और भी ज़्यादा निर्भर रहना सीखा।—भजन ५५:२२.
आध्यात्मिकता विकसित कीजिए
परमेश्वर के वचन को पढ़िए और उस पर मनन कीजिए। “खुश हैं वे जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं,” यीशु ने कहा। (मत्ती ५:३, NW) परमेश्वर के वचन को पढ़ना और उस पर मनन करना अत्यावश्यक है। अकसर, शास्त्र में गहरी खोजबीन करने से हमें सही प्रोत्साहन मिल जाता है जो हमें दिन भर खींच लेता है। (नीतिवचन २:१-६) “जब मेरे मन में बहुत सी चिन्ताएं होती हैं,” भजनहार ने लिखा, तब “तेरी [परमेश्वर की] दी हुई शान्ति से मुझ को सुख होता है।”—भजन ९४:१९.
नियमित रूप से प्रार्थना कीजिए। पौलुस ने लिखा: “तुम्हारे निवेदन . . . परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।” (फिलिप्पियों ४:६, ७) जी हाँ, “परमेश्वर की शान्ति” हमारी परेशान भावनाओं को दूर करके हमें स्थिर कर सकती है, तब भी जब “असीम सामर्थ” की ज़रूरत होती है।—२ कुरिन्थियों ४:७.
मसीही सभाओं में उपस्थित होइए। मसीही कलीसिया में एक मूल्यवान समर्थन प्रबंध है, क्योंकि इसके सदस्यों को प्रोत्साहन दिया जाता है कि “ध्यान रखें कि किस प्रकार प्रेम और भले कार्यों में एक दूसरे को उत्साहित कर सकते हैं, . . . एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो।” पौलुस के पास प्रथम शताब्दी के इब्रानी मसीहियों को यह कहने का ठोस कारण था कि “एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ो।”—इब्रानियों १०:२४, २५, NHT.
निश्चित आशा
माना, एक आसान-सा फार्मूला अपनाकर आम तौर पर तनाव को दूर नहीं किया जा सकता। अकसर, सोच-विचार में बड़े बदलाव की ज़रूरत होती है। उदाहरण के लिए, व्यक्ति को अपनी परिस्थितियों का सामना करने के नये तरीकों को सीखने की ज़रूरत हो सकती है ताकि वह उनके आगे हार न मान जाए। कुछ किस्सों में तनाव की बारंबारता या तीव्रता यह ज़रूरी बना सकती है कि कुशल चिकित्सीय मदद ली जाए।
सच है कि आज किसी का जीवन ऐसा नहीं जो बुरे तनाव से पूरी तरह मुक्त हो। लेकिन, बाइबल हमें आश्वासन देती है कि परमेश्वर जल्द ही अपना ध्यान मनुष्यों की ओर फेरेगा और उन परिस्थितियों को दूर करेगा जो उन पर इतना हानिकर तनाव लाती हैं। प्रकाशितवाक्य २१:४ में हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर “उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।” उसके बाद, वफादार मानवजाति सुरक्षा में रहेगी। भविष्यवक्ता मीका ने पूर्वबताया: “वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है।”—मीका ४:४.
[फुटनोट]
a कहा जाता है कि अत्यधिक मानसिक तनाव के कुछ किस्सों में खून-युक्त पसीना आया है। उदाहरण के लिए, हीमाटिड्रोसिस होने पर ऐसा पसीना निकलता है जिसमें थोड़ा खून या खून के कण होते हैं या खून के साथ मिला हुआ शारीरिक द्रव निकलता है। लेकिन, यह निर्णायक रूप से नहीं कहा जा सकता कि यीशु के किस्से में क्या हुआ।
[पेज 12 पर बक्स]
तनाव और ऑपरेशन
कुछ चिकित्सक अपने मरीज़ों को ऑपरेशन कक्ष में ले जाने से पहले उनका तनाव स्तर देखते हैं। उदाहरण के लिए, डॉ. कैमरैन नेज़्हैत जो एक शल्यचिकित्सक है, यूँ कहता है:
“यदि ऑपरेशन से पहले एक मरीज़ मुझसे कहती है कि उसे डर लग रहा है और आज ऑपरेशन नहीं करवाना चाहती, तो मैं ऑपरेशन नहीं करता।” क्यों? नेज़्हैत बताता है: “हर शल्यचिकित्सक जानता है कि जो लोग बहुत डरे हुए होते हैं उनके ऑपरेशन में परेशानी होती है। उनका बहुत खून बहता है, उनको ज़्यादा संक्रमण और जटिलताएँ होती हैं। उन्हें फिर से स्वस्थ होने में ज़्यादा परेशानी होती है। यदि वे शांत होते हैं तो ज़्यादा अच्छा रहता है।”
[पेज 10 पर तसवीर]
आध्यात्मिकता विकसित करना शांत रहने में आपकी मदद कर सकता है
[पेज 11 पर तसवीर]
अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना तनाव को घटाता है
आराम
अच्छा आहार
व्यायाम