सर्वश्रेष्ठ मनुष्य के बारे में सीखने के लिए दूसरों की मदद कीजिए
जिन्होंने वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा पुस्तक पढ़ी है, उन्होंने अपने जीवन पर पड़े इसके प्रभाव के लिए सच्ची क़दरदानी ज़ाहिर की है। एक ने लिखा: “जब मैं पुस्तक के अंत तक पहुँचा, तो मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कि यीशु ने मुझे उसके साथ संगति करने के लिए, उसके साथ-साथ जीने के लिए, उसकी तकलीफ़ों, उसकी भावनाओं, उसकी सेवकाई के हर पहलू में भाग लेने के लिए, आमंत्रित किया है। . . . इस पुस्तक को पढ़ना यीशु के जीवन के बारे में फ़िल्म देखने के जैसे है।”
२ सर्वष्ठ मनुष्य पुस्तक न सिर्फ़ यीशु लेकिन यहोवा से भी बेहतर तरीक़े से परिचित होने में हमारी मदद करती है। (यूहन्ना १४:९) एक १२-वर्षीय ने पुस्तक के बारे में कहा: “इसने मुझे इतनी सांत्वना दी कि जैसे ही मैंने इसे पढ़ा मैंने ख़ुशी से रोते हुए यहोवा से प्रार्थना की। दिल की गहराइयों से मैं आश्वस्त हूँ कि यहोवा और यीशु हमारी निगरानी कर रहे हैं।” यीशु ने कहा, जैसे यूहन्ना १७:३ में अभिलिखित है, कि यहोवा और उसके पुत्र को जानना ही अनंत जीवन है। यीशु के जीवन के बारे में इस पुस्तक का अध्ययन करते वक़्त हमें यहोवा के व्यक्तित्व के बारे में विशेष अंतर्दृष्टि मिलती है क्योंकि यीशु “उसके तत्व की छाप है।”—इब्रा. १:३.
३ सर्वष्ठ मनुष्य पुस्तक की १ करोड़, ९० लाख से अधिक प्रतियाँ ७० से अधिक भाषाओं में छप चुकी हैं। यह दिखाता है कि कितनी अच्छी तरह से पुस्तक को स्वीकार किया जा रहा है। कई लोग पुस्तक मिलते ही उसे पूरा पढ़ लेते हैं। एक दिलचस्पी रखनेवाले व्यक्ति ने इसे प्राप्त करने के बाद दो सप्ताहों में ही पढ़ लिया। एक पादरी जिसने पुस्तक ली, कहा: “मैं पुस्तक को नीचे नहीं रख सकता। मेरी पत्नी और मैं हर रात सोने से पहले इसका कुछ भाग पढ़ते हैं।”
४ अनौपचारिक गवाही: एक भाई ने अपने कार्य-स्थल पर लोगों को सर्वश्रेष्ठ मनुष्य पुस्तक दिखाई। यह बात फैल गयी कि उसके पास यह पुस्तक थी, और उसमें क्या है इसकी ख़बर फैल गयी। उसके सहकर्मियों ने उन लोगों की एक सूची बनायी जिनको प्रति चाहिए थी। उसने ४६१ पुस्तकें वितरित कीं! जिन्हें यह मिली उन में से पाँच अध्ययन कर रहे हैं। एक बहन ने, विमान में सफ़र करते वक़्त, सर्वश्रेष्ठ मनुष्य पुस्तक एक पादरी को दी जो एक नये कार्डिनल की नियुक्ति में उपस्थित होने के लिए जा रहा था। वह पादरी ४० वर्षों से वॅटिकन में था। दूसरों को इस पुस्तक की सिफ़ारिश करने के लिए हमें अवसरों का पूरा लाभ उठाना चाहिए।
५ युवा इसकी क़दर करते हैं: युवजन इस पुस्तक में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एक नौ-वर्षीय ने लिखा है: “मेरा सबसे प्रिय प्रकाशन वह र्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा है क्योंकि मैं इससे बहुत कुछ सीखता हूँ।” क्षेत्र सेवा में जब हमें युवजन मिलते हैं, तब अगर उनके माता-पिता अनुमति दें, तो इस पुस्तक को इन युवजनों को दिखाकर इसकी कुछेक विशेषताओं और कलात्मक चित्रों का निरीक्षण करने का समय निकालना चाहिए। हम शायद इन युवजनों के साथ पुस्तकें छोड़ सकें। यीशु के बारे में जानने का मौका मिलने से, युवजन उससे प्रभावित होकर उसके क़रीब आ सकते हैं। यीशु एक सुगम्य व्यक्ति था।—मत्ती १९:१४, १५.
६ सर्वश्रेष्ठ मनुष्य पुस्तक पढ़ने से लोगों की ज़िन्दगियाँ बदल सकती हैं। अधिक से अधिक लोगों को इसके विषयों से परिचित करने की कोशिश कीजिए। पुस्तक की प्रस्तावना के आख़िरी पृष्ठ पर उपशीर्षक “उसके बारे में सीखने से लाभ पाएँ,” के जानकारी को उपयोग कीजिए। इस पुस्तक को पढ़ने से लोगों को क्या लाभ होगा इस पर ध्यान क्रेंदित करने के लिए यह जानकारी उनकी मदद करेगी। पुस्तक पढ़ने के बाद शायद आपके क्षेत्र में कई विस्मित होकर कहेंगे जैसे एक व्यक्ति ने कहा: “इससे उत्तम पुस्तक मैंने नहीं पढ़ी! इसने मेरा जीवन बदल दिया।”