पहले से तैयारी करने से खुशी मिलती है
प्रचार के काम में हमें बहुत खुशी मिलती है। (भज. ८९:१५, १६) लेकिन इस काम में सच्ची खुशी पाने का राज़ है पहले से तैयारी करना। हम जितनी अच्छी तैयारी करेंगे उतना ही ज़्यादा कामयाब होंगे और जितना ज़्यादा कामयाब होंगे उतनी ही ज़्यादा खुशी हमें मिलेगी।
२ दी गयी मदद का फायदा उठाइए: तैयारी करते वक्त सबसे पहले हमारी राज्य सेवकाई में दी गई बातें पढ़िए और सोचिए कि उसकी सलाह को कैसे लागू किया जाए। इसमें अकसर राज्य संदेश को पेश करने के अच्छे तरीके बताए जाते हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप सुसमाचार को बड़ी आसानी से और असरदार तरीके से सुना सकते हैं। जब लोग सेवकाई में हमारी बात काटते हैं तो जवाब देने में भी इसकी सलाह मददगार होती है। इसमें पुनःभेंट करके बाइबल स्टडी शुरू करने के लिए भी अच्छे सुझाव दिए जाते हैं। इन सुझावों को आप अपने तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, रीज़निंग किताब भी बहुत मददगार है। इसमें बताया गया है कि तरह-तरह के लोगों को सुसमाचार पेश करने के लिए उनसे बात कैसे शुरू की जाए, और जब लोग हमारे संदेश पर एतराज़ करते हैं तो उन्हें जवाब कैसे दिया जाए। इन सुझावों का इस्तेमाल करके आप अलग-अलग हालात में लोगों से अच्छी तरह बात कर पाएँगे।
३ आप जो किताब या पत्रिका पेश करना चाहते हैं उसमें से एकाध दिलचस्प बातें ढूँढ़कर रखिए ताकि इन्हें दिखाकर आप उसे पेश कर सकें। अगर आपने कोई ऐसी खबर सुनी या पढ़ी हो जिसके बारे में लोग फिक्रमंद हैं, तो उसका ज़िक्र करके भी आप बातचीत शुरू कर सकते हैं। पहले से ही सोचकर रखिए कि लोग हमारी बात काटने के लिए आम-तौर पर क्या-क्या कहते हैं और आप उसका जवाब कैसे दे सकते हैं। फिर इसका रिहर्सल कीजिए।
४ हर सेवा सभा में हाज़िर होइए: जब सेवा सभा में हमारी राज्य सेवकाई में दिए गये सुझावों पर चर्चा की जाती है और उन पर प्रदर्शन दिखाए जाते हैं तब अच्छी तरह ध्यान दीजिए। आपको पसंद आनेवाले सुझावों को लिख लीजिए ताकि आप सुसमाचार सुनाते वक्त इनका इस्तेमाल कर सकें। और याद कीजिए कि प्रचार में ज़्यादातर लोगों ने क्या-क्या पूछा या कहा था और फिर सोचिए कि अगली बार आप इनका और अच्छी तरह कैसे जवाब दे सकते हैं। इनके बारे में मीटिंग से पहले और बाद में भाई-बहनों से बात कीजिए।
५ अगर आप “हर भले काम के लिये तैयार” रहते हैं तो आप यकीन रख सकते हैं कि दूसरों को जीवन के मार्ग पर लाने में आपको कामयाबी मिलेगी और बहुत-बहुत खुशी भी।—२ तीमु. २:२१.