टेलिफोन द्वारा साक्षी देने में सफलता पाना
यहोवा के साक्षी होने के नाते हमारा लक्ष्य, सुसमाचार प्रचार करने में सिर्फ हिस्सा लेना ही नहीं बल्कि हो सके तो हर व्यक्ति तक राज्य का संदेश पहुँचाना है। (प्रेरि. 10:42; 20:24) आज भी लोगों तक पहुँचने के लिए घर-घर जाकर प्रचार करना हमारा मुख्य तरीका है, लेकिन हम जानते हैं कि यह तरीका अपनाकर भी हम सभी लोगों से नहीं मिल पाते। इसलिए “अपनी सेवा को पूरा” करने के लिए हम भेड़ समान व्यक्तियों को ढूँढ़ने के लिए दूसरे तरीके अपना रहे हैं। इनमें से एक तरीका है टेलिफोन द्वारा साक्षी देना।—2 तीमु. 4:5.
2 कई जगहों पर लोग कड़ी सुरक्षावाली इमारतों में या ऐसे कॉम्पलैक्स में रहते हैं जहाँ कई परिवारों के घर होते हैं या फिर एक ही समुदाय के लोग कॉलोनियों में रहते हैं जहाँ हम जा नहीं सकते। ऐसी जगहों पर घर-घर की सेवकाई के ज़रिए लोगों तक पहुँचना मुमकिन नहीं है। कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहाँ घर-घर की सेवकाई में भाग लेना तो संभव होता है मगर बहुत-से लोग घर पर नहीं मिलते। फिर भी, हमारे बहुत-से प्रकाशकों को ऐसे लोगों से टेलिफोन के ज़रिए बात करने में बहुत कामयाबी मिल रही है। एक दिन सुबह के वक्त एक जोड़ा घर-घर की सेवकाई कर रहा था। उन्हें नौ घरों में कोई भी नहीं मिला। किंगडम हॉल लौटने पर उन्होंने उन घरों के टेलिफोन नंबर ऐसी टेलिफोन डाइरेक्टरी में ढूँढ़ें जिसमें पतों के आधार पर टेलिफोन नंबर दिए थे। फिर जब उन्होंने उन नंबरों पर फोन किया तो नौ में से आठ घरों पर लोग मिले!
3 क्या आप टेलिफोन के ज़रिए साक्षी देने से कतराते हैं? एक भाई स्वीकार करता है: “मुझे पसंद नहीं कि कोई व्यक्ति कुछ बेचने के लिए मेरे घर पर फोन करे, इसलिए साक्षी देने के इस तरीके को न अपनाने के बारे में मैं पहले से ही फैसला कर चुका था।” इसके बावजूद, जब उसने सिर्फ दो फोन किए उसके बाद वह कहता है: “मुझे यह तरीका बेहद पसंद है! मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा, मगर मैं इसे बेहद पसंद करने लगा हूँ! लोग फोन पर आराम से बात करते हैं और आपको जिन चीज़ों की ज़रूरत होती है, वे सब आपके करीब होती हैं। यह वाकई बहुत कारगर तरीका है!” एक बहन की भी इसी तरह की प्रतिक्रिया थी: “सच में, मैं टेलिफोन द्वारा साक्षी देने के लिए इतनी उत्सुक नहीं थी। सच कहूँ तो, मैं ऐसा करना ही नहीं चाहती थी। मगर मैंने कोशिश की और इसे बहुत फलदायक पाया। अब मेरे पास टेलिफोन गवाही की वज़ह से 37 रिटर्न विज़िट हैं और इतने बाइबल अध्ययन हो गए हैं कि मैं अकेली उन्हें नहीं सँभाल सकती!” अगर आप भी टेलिफोन के ज़रिए गवाही देने की कोशिश करते हैं, तो आप भी कामयाब हो सकते हैं।
4 टेलिफोन द्वारा साक्षी देने का प्रबंध करना: कलीसिया में प्रचार के काम की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी सर्विस ओवरसियर की होती है। अगर टेलिफोन द्वारा साक्षी देने का प्रबंध करने के लिए सर्विस ओवरसियर को मदद की ज़रूरत पड़ती है तो प्राचीनों का निकाय, उसकी मदद के लिए किसी दूसरे प्राचीन या काबिल सहायक सेवक को नियुक्त कर सकता है। जो भाई प्रचार के क्षेत्र की देखरेख करता है, उसे भी टेलिफोन गवाही के प्रबंध में हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि कौन किस क्षेत्र में काम करेगा यह बताना और सही-सही रिकार्ड रखना उसी का काम है। और सर्किट ओवरसियर भी इस बात में दिलचस्पी लेंगे कि टेलिफोन द्वारा साक्षी देने के प्रबंध में कहाँ तक उन्नति हुई है।
5 अगर आपके क्षेत्र में ऐसे इलाके हैं, जहाँ घर-घर जाकर प्रचार नहीं किया जा सकता है तो उन इलाकों का रिकॉर्ड टेलिफोन क्षेत्रों के रूप में रखिए। जिस भाई को यह रिकॉर्ड रखने का ज़िम्मा दिया जाता है, उसे ऐसे पतों की एक सूची बनानी चाहिए जिन्हें टेलिफोन क्षेत्र कहा जाएगा। ये टेलिफोन क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों के मुकाबले छोटे होंगे ताकि नियमित रूप से उन घरों में प्रचार किया जा सके। कलीसिया के क्षेत्र के नक्शों में ऐसे इलाकों पर साफ तौर पर निशान लगा देना चाहिए कि यह इलाका खासकर टेलिफोन द्वारा साक्षी देने के लिए अलग रखा गया है।
6 आप टेलिफोन नंबर कहाँ से हासिल कर सकते हैं? टेलिफोन बूथों में एक टेलिफोन डाइरेक्टरी उपलब्ध होती है। उसमें आपको “A-Z” अक्षरों से शुरू होनेवाले नाम मिलेंगे साथ ही इनमें संक्षिप्त में पते भी दिए होते हैं। किसी कड़ी सुरक्षावाली इमारत में अगर अपनी टेलिफोन सूची हो तो शायद आप वहाँ से भी नंबर ले सकते हैं। या फिर, ऐसी इमारतों के प्रवेश द्वार पर अकसर रहनेवालों के नाम दिए होते हैं, अगर मुमकिन हो तो आप वहाँ से नामों को लिख सकते हैं और बाद में किसी टेलिफोन डाइरेक्टरी में से आप उनके नंबरों को ढूँढ़ सकते हैं।
7 प्राचीन इस काम में दिलचस्पी ले सकते हैं और टेलिफोन के ज़रिए साक्षी देने में जिन भाइयों को तजुर्बा है उनकी मदद से दूसरों को भी इस तरीके से साक्षी देने में मदद करने का प्रबंध कर सकते हैं। शायद ‘पायनियरों द्वारा सहायता’ कार्यक्रम के ज़रिए भी वे ऐसा कर सकते हैं। टेलिफोन द्वारा साक्षी देने में ज़्यादा सफलता पाने के लिए, समय-समय पर सेवा सभा में ‘कलीसिया की ज़रूरतें’ भाग में साक्षी देने के इस तरीके के बारे में बता सकते हैं।
8 जब प्राचीन ऐसे भाई-बहनों के घर चरवाही भेंट के लिए जाते हैं जो बीमार हैं या घर की चारदीवारी से बाहर निकलने के काबिल नहीं हैं, तो वे उन्हें टेलिफोन के द्वारा साक्षी देने के लिए उकसा सकते हैं। प्राचीन खुद एक-दो बार फोन पर बात-चीत करके दिखा सकते हैं ताकि प्रकाशक उस पर गौर कर सके और फिर वह भी एक फोन करने का आनंद ले सकता है। कई भाई-बहन जिन्होंने इस तरह शुरूआत की है, अब हर दिन कुछ मिनट इसी तरह प्रचार करते हैं और उन्हें यह तरीका बेहद पसंद है।
9 सफल होने के लिए सुझाव: जब यीशु ने अपने चेलों को प्रचार करने के लिए भेजा था तो उसने “उन्हें दो दो करके . . . भेजा।” (लूका 10:1) क्यों? क्योंकि उसे मालूम था कि ऐसा करने से वे एक दूसरे से सीखेंगे और एक-दूसरे का हौसला भी बढ़ाएँगे। यही बात टेलिफोन द्वारा साक्षी देने के बारे में भी सच है। अगर आप दो लोग मिलकर काम करेंगे तो आप एक-दूसरे से सीख सकते हैं, मिलनेवाले नतीजों के बारे में चर्चा कर सकते हैं, और अगली बातचीत के लिए सुझाव दे सकते हैं। टेलिफोन पर बातचीत के दौरान भी आप एक-दूसरे के लिए ज़रूरी जानकारी ढूँढ़ने में मदद कर सकते हैं।
10 अच्छी तरह से सोच पाने और ध्यान लगाने के लिए ज़रूरी है कि आप ऐसी जगह पर बैठकर साक्षी दें जहाँ आप सभी ज़रूरी चीज़ों को अपने सामने रख सकें जैसे बाइबल, रीज़निंग किताब, माँग ब्रोशर, पत्रिकाएँ, और दूसरा साहित्य। कुछ प्रस्तुतियाँ लिख लीजिए और उन्हें ऐसी जगह रखिए जहाँ से आप उन्हें अच्छी तरह देख सकें। अगर उस व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी लिखनी पड़े तो उसे सही-सही और पूरा लिखने के लिए पहले से तैयार रहिए और फोन करने का दिन, तारीख और समय भी लिख लीजिए ताकि आपको यह मालूम रहे कि दिलचस्पी दिखानेवाले को आप दोबारा कब फोन कर सकते हैं।
11 फोन पर किसी अजनबी की आवाज़ सुनकर, अकसर लोग सावधान हो जाते हैं। इसलिए प्यार-भरे और दोस्ताना लहज़े के साथ-साथ समझ-बूझकर बात कीजिए। याद रखिए कि घर का मालिक सिर्फ आपकी आवाज़ सुन पा रहा है और इसी से वह तय करेगा कि आप किस किस्म के आदमी हैं और आप जो बोल रहे हैं उसे गंभीरता से लिया जाए या नहीं। आराम से और पूरे दिल से बात कीजिए। धीरे-धीरे और साफ शब्दों में बोलिए, साथ ही आवाज़ इतनी ऊँची रखिए जिससे आपकी बात को साफ-साफ सुना जा सके। गृहस्वामी को भी बात करने का मौका दीजिए। अपना पूरा नाम बताइए, और यह भी बताइए कि आप उन्हीं के इलाके में रहते हैं। हम लोगों को यह एहसास नहीं दिलाना चाहते कि हम टेलिफोन के ज़रिए अपना सामान बेचते हैं। उन्हें यह बताने के बजाय कि आप उस बिल्डिंग या इलाके में रहनेवाले सभी लोगों को फोन कर रहे हैं, बेहतर यह होगा कि आप उन्हें यह बताएँ कि आप खासकर उन्हीं से बात करना चाहते हैं।
12 टेलिफोन प्रस्तुतियाँ: रीज़निंग किताब के पेज 9-15 में दी गई, कई प्रस्तावनाओं को टेलिफोन द्वारा साक्षी देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आप इस तरह कह सकते हैं: “मैं आपको फोन इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि मैं आपके घर आकर नहीं मिल सकता, साथ ही आपसे मैं एक बहुत ही दिलचस्प सवाल के बारे में आपकी राय जानना चाहता हूँ।” फिर सवाल पूछिए।
13 सबसे पहली प्रस्तुति, “जुर्म/सुरक्षा” के शीर्षक के नीचे दी गई है। इसे आप इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं: “नमस्ते। मेरा नाम _____ है। मैं आप ही के इलाके में रहता हूँ। मैं आपको पहले ही बता दूँ कि मैं ना तो कोई सर्वे कर रहा हूँ और ना ही कुछ बेचना चाहता हूँ। मैंने आपको इसलिए फोन किया है क्योंकि मैं आपकी और अपनी सुरक्षा के बारे चिंतित हूँ। आज हर तरफ जुर्म-ही-जुर्म है और हमारी ज़िंदगी पर इसका असर हो रहा है। क्या आपको लगता है कि ऐसा एक समय आएगा जब लोग रात के वक्त भी सड़क पर इतमीनान से चल सकेंगे? [जवाब के लिए रुकिए।] मैं आपको पढ़कर बताना चाहता हूँ कि परमेश्वर ने क्या वादा किया है।”
14 फोन पर बाइबल अध्ययन कराने के लिए पहली बार में ही पूछ लेने के काफी अच्छे नतीजे रहे हैं। आप कुछ ही मिनट में यह बता सकते हैं कि अध्ययन कैसे किया जाता है। फिर अध्ययन को जारी रखने के लिए सुझाव दीजिए कि आप उस व्यक्ति के घर आ सकते हैं। अगर वह ऐसा नहीं चाहता तो अध्ययन को किसी और दिन फोन पर ही जारी रखने का सुझाव दीजिए।
15 फिर जब आप बातचीत खत्म करते हैं तो कोई ऐसी बात कहिए जिससे आप उस व्यक्ति से उसके घर पर मिल सकें या डाक द्वारा उसे कोई साहित्य भेज सकें। अगर वह व्यक्ति आपको अपने घर का पता देने में हिचकिचाता है, तो उससे पूछिए कि क्या आप उसे दोबारा फोन कर सकते हैं। हो सकता है कि आपको जान-पहचान बढ़ाने के लिए उसे कई बार फोन करना पड़े ताकि वह आपको अपने घर बुलाए।
16 पहल करना: 15 साल की एक बहन ने अपनी सुबह की सेवकाई फोन करने के द्वारा शुरू की। उसने एक औरत से बात की जो ज्ञान किताब लेने के लिए तैयार हो गई। जब बहन किताब देने के लिए उसके घर गई, तो वह औरत यह जानना चाहती थी कि उसका फोन नंबर उसे कहाँ से मिला, क्योंकि वह तो डाइरेक्टरी में था ही नहीं। उस बहन से वह नंबर गलती से लग गया था! वह औरत अध्ययन करने के लिए राज़ी हो गई और अब वह बपतिस्मा-रहित प्रकाशक बन गई है।
17 एक बहन ने टेलिफोन द्वारा प्रचार करने के लिए एक क्षेत्र ले तो लिया मगर डर के मारे तीन हफ्ते तक उसने एक भी फोन नहीं किया। शुरू करने के लिए उसे हिम्मत कैसे मिली? उसे जनवरी 22, 1997, की अवेक! में दिया गया लेख याद आया, जिसका शीर्षक था “जब मैं निर्बल होती हूँ, तभी बलवन्त होती हूँ।” यह लेख एक बहन के बारे में था जो अपनी शारीरिक दुर्बलताओं के बावजूद भी टेलिफोन द्वारा प्रचार कार्य करती थी। बहन ने कहा: “मैंने यहोवा से शक्ति पाने के लिए प्रार्थना की। मैंने उससे मदद माँगी कि बात करते वक्त सही शब्द इस्तेमाल कर सकूँ।” पहले दिन टेलिफोन द्वारा साक्षी देने का नतीजा क्या हुआ? वह बताती है: “यहोवा ने मेरी प्रार्थना का जवाब दिया। लोगों ने मेरी बात सुनी, और मैंने रिटर्न विज़िट करने का प्रबंध किया।” आगे चलकर टेलिफोन के द्वारा साक्षी देने से उसे एक बाइबल अध्ययन भी मिला। आखिर में वह कहती है: “यहोवा ने एक बार फिर मुझे सिखाया है कि मैं उस पर भरोसा रखूँ ना कि खुद पर।”—नीति. 3:5.
18 टेलिफोन द्वारा सच्चाई पेश करना, सुसमाचार प्रचार करने का एक कामयाब तरीका बन चुका है। अच्छी तैयारी कीजिए, और पूरे दिल से हिस्सा लीजिए। अगर शुरू में कुछ लोग आपकी बात नहीं सुनते हैं तो निराश मत होइए। यहोवा से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना कीजिए, और उन भाई-बहनों से बात कीजिए और उनके अनुभव जानिए जो प्रचार करने के लिए इस अनोखे तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम यह कामना करते हैं कि हम अपने क्षेत्र में किसी भी इंसान को सुसमाचार सुनाने से न चूकें। आइए, हम अपनी सेवकाई की अहमियत को समझते हुए, इसे अच्छी तरह पूरा करें।—रोमि. 10:13, 14.