किताबें-पत्रिकाएँ लगाकर सरेआम गवाही कैसे दी जा सकती है
नेकदिल लोगों को सच्चाई में खींचने के लिए ट्रॉली या मेज़ पर किताबें-पत्रिकाएँ लगाकर गवाही देना काफी असरदार साबित हो रहा है। (यूह. 6:44) इसलिए प्राचीनों को बढ़ावा दिया गया है कि वे मंडली के प्रचार इलाके में उन जगहों पर सरेआम गवाही देने का इंतज़ाम करें, जहाँ ज़्यादा लोगों का आना-जाना रहता है। सरेआम गवाही देने के लिए हम जिस पर अपनी किताबें-पत्रिकाएँ लगाते हैं, उसे एक जगह से दूसरी जगह लाया-ले जाया जा सकता है, इसलिए इस तरह गवाही देने के लिए हमें आम तौर पर अधिकारियों से इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं होती। इस तरह गवाही देने में कौन हिस्सा ले सकते हैं? ऐसे प्रचारक जो सूझ-बूझ से काम लेते हैं, गरिमा से पेश आते हैं और लोगों के साथ आसानी से बातचीत शुरू करने की काबिलीयत रखते हैं। आगे कुछ सुझाव दिए गए हैं कि इस तरह गवाही देते वक्त हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इन्हें अपनाने से प्रचारक अच्छी तरह सरेआम गवाही दे सकते हैं।