क्या इंसान युद्ध और लड़ाइयाँ खत्म कर सकता है?
लोग कई वजहों से युद्ध करते हैं, जैसे सरकार बदलने के लिए, अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने के लिए या समाज में होनेवाले अन्याय को मिटाने के लिए। इसके अलावा, लोग इलाकों पर कब्ज़ा करने या कुदरत में पायी जानेवाली चीज़ों, जैसे कोयला, सोना, हीरा, तेल वगैरह पर कब्ज़ा करने के लिए युद्ध करते हैं। कई युद्ध जाति या धर्म के नाम पर भी किए जाते हैं। इन लड़ाइयों को रोकने और शांति लाने के लिए इंसान कई तरीके आज़मा रहे हैं। पर क्या उनकी कोशिशें कामयाब होंगी?
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अगर अमीरी-गरीबी मिटा दी जाए
इससे क्या होगा? सभी लोगों की ज़िंदगी बेहतर हो जाएगी। आज जो युद्ध और लड़ाइयाँ हो रही हैं, उनकी एक बड़ी वजह है अमीरी-गरीबी। इसलिए अगर आर्थिक विकास होगा, तो अमीर और गरीब लोगों में फासले कम हो जाएँगे या पूरी तरह मिट जाएँगे।
क्यों मुश्किल है? सरकारें जिस तरह अपना पैसा खर्च करती हैं, उसमें उन्हें बदलाव करना होगा। सन् 2022 में अनुमान लगाया गया कि पूरी दुनिया में शांति कायम करने और बनाए रखने में करीब 26.5 खरब रुपए खर्च किए गए। लेकिन यह रकम उस रकम की सिर्फ 0.4 प्रतिशत थी, जो उसी साल सेना में खर्च की गयी थी।
“युद्ध रोकने और शांति कायम करने में हम जितना पैसा और साधन लगा रहे हैं, उससे कहीं ज़्यादा पैसा और साधन हम युद्ध करने में लगा रहे हैं।”—एंटोनियो गुटेरेस, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव।
पवित्र शास्त्र में क्या लिखा है? दुनिया की सरकारें और संगठन गरीबों की मदद कर तो सकते हैं, पर गरीबी को पूरी तरह मिटा नहीं सकते।—व्यवस्थाविवरण 15:11; मत्ती 26:11.
अगर देश कुछ मसलों पर समझौता कर लें
इससे क्या होगा? देश आपस में शांति से बात करेंगे और ऐसे काम करने पर सहमत होंगे जिनसे उन सभी को फायदा होगा। इससे उनके बीच झगड़े नहीं होंगे या होने पर सुलझ जाएँगे।
क्यों मुश्किल है? ज़रूरी नहीं कि सभी पक्ष कुछ मसलों पर सहमत हों या बातचीत या समझौता करने के लिए तैयार हों। और अगर कोई समझौता कर भी लिया जाए, तो देश उसे आसानी से तोड़ देते हैं।
“देशों के बीच किए गए समझौते हमेशा काम नहीं आते। कई बार इनसे झगड़े और बढ़ जाते हैं।”—रेमंड एफ. स्मिथ, अमेरिकन डिप्लोमसी के लेखक।
पवित्र शास्त्र में क्या लिखा है? लोगों को “शांति कायम करने” की कोशिश करनी चाहिए। (भजन 34:14) पर आज कई लोग ‘विश्वासघाती और धोखेबाज़ हैं और वे किसी भी बात पर राज़ी नहीं होते।’ (2 तीमुथियुस 3:1-4) इस वजह से जो अच्छे राजनेता हैं, वे भी झगड़े सुलझा नहीं पाते।
अगर युद्ध के हथियार ही ना हों
इससे क्या होगा? जब सब हथियार, खासकर परमाणु, रसायनिक और जैविक हथियार कम या खत्म हो जाएँगे, तो इससे युद्ध का खतरा टल जाएगा।
क्यों मुश्किल है? अकसर देश हथियार कम करने या खत्म करने के लिए राज़ी नहीं होते। उन्हें डर रहता है कि ऐसा करने से उनकी ताकत कम हो जाएगी और दूसरे देशों के हमला करने पर वे अपनी रक्षा नहीं कर पाएँगे। और देखा जाए तो युद्ध की जड़ कुछ और ही है। इसलिए भले ही लोग सभी हथियार मिटा दें, तब भी वे इसकी जड़ को कभी नहीं मिटा सकते।
“1991 में जब शीत-युद्ध खत्म हुआ, तो कई राष्ट्रों ने वादा किया कि वे अपने देश से सारे हथियार मिटा देंगे। उन्होंने यह भी वादा किया कि वे ऐसे कदम उठाएँगे, जिनसे बड़े-बड़े खतरे टाले जा सकें और देशों के बीच आए तनाव कम किए जा सकें। वे चाहते थे कि दुनिया और भी सुरक्षित हो जाए, लेकिन कई सरकारों ने अपना यह वादा पूरा नहीं किया।”—“हम सबका भविष्य सुरक्षित करना: हथियार कम या खत्म करने की एक योजना।”
पवित्र शास्त्र में क्या लिखा है? लोगों को हथियार उठाना छोड़ देना चाहिए और “अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल” बनाने चाहिए। (यशायाह 2:4) पर सिर्फ इतना करना काफी नहीं है, क्योंकि युद्ध करने या लड़ाई करने का खयाल दिल से आता है।—मत्ती 15:19.
अगर देश साथ हो जाएँ
इससे क्या होगा? कई देशों को लगता है कि अगर वे हाथ मिला लें और साथ हो जाएँ, तो दूसरे देश उन पर हमला करने से पहले दो बार सोचेंगे। किसी एक देश पर हमला करने का मतलब होगा उसके साथी देशों के पलटवार का सामना करना।
क्यों मुश्किल है? ज़रूरी नहीं कि जब कुछ देश साथ हो जाएँ तो दूसरे देश डर जाएँ और उन पर हमला ना करें। यह भी देखा गया है कि जो राष्ट्र साथ हो जाते हैं, वे हमेशा अपना वादा नहीं निभाते और ना ही वे तय कर पाते हैं कि वे दुश्मन पर कब और कैसे पलटकर हमला करेंगे।
“हालाँकि राष्ट्र संघ और संयुक्त राष्ट्र ने देशों के बीच संधि कराने में बहुत मेहनत की, फिर भी वे इन देशों के बीच हो रहे युद्धों को नहीं रोक पाए।”—“इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका।”
पवित्र शास्त्र में क्या लिखा है? आम तौर पर जब ज़्यादा लोग मिलकर काम करते हैं, तो अच्छा रहता है। (सभोपदेशक 4:12) लेकिन दुनिया की सरकारें और संगठन हमेशा तक शांति और सुरक्षा नहीं ला सकते। शास्त्र में लिखा है, “बड़े-बड़े अधिकारियों पर भरोसा मत रखना, न ही किसी और इंसान पर, जो उद्धार नहीं दिला सकता। उसकी भी साँस निकल जाती है और वह मिट्टी में मिल जाता है, उसी दिन उसके सारे विचार मिट जाते हैं।”—भजन 146:3, 4.
कई राष्ट्रों ने शांति लाने की बहुत कोशिशें कीं, फिर भी आज युद्ध रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।