तख्तियाँ
जब जकरयाह ने इब्रानी भाषा में लिखा “इसका नाम यूहन्ना होगा,” तो उसने शायद वैसी ही तख्ती इस्तेमाल की होगी जैसी हम यहाँ देख सकते हैं। प्राचीन मध्य पूर्वी देशों में ऐसी तख्तियों का इस्तेमाल सदियों तक होता रहा। इन तख्तियों के बीच के हिस्से पर मोम की पतली परत चढ़ायी जाती थी और इस पर लोहे, काँसे या हाथी-दाँत से बनी कलम से लिखा जाता था। यह कलम आगे से नुकीली और पीछे से छेनी के आकार की होती थी। पीछे के हिस्से से लिखावट को मिटाया जाता था और मोम को फिर से चिकना कर दिया जाता था। दो या उससे ज़्यादा तख्तियाँ चमड़े की छोटी-छोटी पट्टियों से बाँधी जाती थीं। व्यापारी, विद्वान, विद्यार्थी और कर वसूलनेवाले ज़रूरी जानकारी इन तख्तियों पर लिखते थे और काम होने पर मिटा देते थे। तसवीर में दिखायी गयी तख्तियाँ दूसरी या तीसरी सदी की हैं जो मिस्र में मिलीं।
चित्र का श्रेय:
© Trustees of the British Museum. Licensed under CC BY-NC-SA 4.0 (http://creativecommons.org/licenses/by/4.0/). Source: http://www.britishmuseum.org/research/collection_online/collection_object_details/collection_image_gallery.aspx?partid=1&assetid=1129969001&objectid=AN422058001
आयतें: