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सजग होइए!–1995
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पुनर्जन्म “क्या आप पहले जी चुके हैं? क्या आप फिर जीएँगे?” लेखों की सर्वोत्तम श्रंखला के लिए शुक्रिया। (जून ८, १९९४, अवेक!) ये लेख एक सरल और तर्कसंगत रूप से मृतकों की स्थिति के बारे में सच्चाई व्यक्‍त करते हैं। मैं विश्‍वास करता हूँ कि इस विषय के सम्बन्ध में जो भी व्यक्‍ति सच्चाई ढूँढ रहा है, वह आपने जो लिखा है उसे स्वीकारने के लिए बाध्य होगा।

एफ. पी., इटली

भूतपूर्व मुक्केबाज़ “मैंने उससे घृणा करना सीखा जिससे मैं प्रेम करता था” लेख के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। (जून ८, १९९४, अवेक!) ऑबदूल्यो नून्यस की कहानी ने मेरे पति की कुछ चिकित्सीय समस्याओं को समझने में हमारी सहायता की है। एक भूतपूर्व मुक्केबाज़ होने के कारण, वह भी हताशा से पीड़ित होता है। सचमुच, यहोवा परमेश्‍वर ने ही मेरे पति को अपनी जीवन-रीति बदलने में सहायता दी है!

एस. एस., अमरीका

दर्द मैं एक पेशेवर अंगमर्दक हूँ और “क्या दर्द से मुक्‍त जीवन संभव है?” श्रंखला के लिए आपका शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। (जुलाई-सितम्बर, १९९४, सजग होइए!) इस जानकारी के शोध और प्रस्तुतीकरण में प्रत्यक्ष अंतर्दृष्टि, संतुलन, और बुद्धि से मैं अत्यधिक प्रभावित हुआ। यह लेख विशेषज्ञों, मरीज़ों, और अन्य लोगों के लिए एक बहुमूल्य सहायक होगा। मालिश तकनीकों का प्रयोग करते हुए, मैंने दर्द का सामना करना जारी रखा है, और परमेश्‍वर के राज्य के अधीन उस दिन का इन्तज़ार कर रहा हूँ जब जीर्ण दर्द अस्तित्व में नहीं रहेगा।

डी. टी., डेनमार्क

इन लेखों ने मुझे काफ़ी दिलासा दिया। मैंने उन्हें अनेक अन्य लोगों के साथ बाँटा, जो मेरी तरह रोज़ दर्द का सामना करते हैं।

एम. जी., अमरीका

मैं यहाँ बिस्तर पर पड़ी-पड़ी आपको लिख रही हूँ। मैं दो स्लिप्ड डिस्क की वजह से पिछले ढाई साल से बार-बार बिस्तर पर पड़ जाती हूँ। “क्या आप पीठ के दर्द से पीड़ित हैं?” बहुत बढ़िया लेख के लिए शुक्रिया। (जून ८, १९९४, अवेक!) उसे पढ़ते वक़्त मैं रोयी, क्योंकि मुझे ऐसा लगा मानो आप मुझसे बातें कर रहे हों। मैं विश्‍वास ही नहीं कर सकी कि कोई व्यक्‍ति इस समस्या को इतनी स्पष्टता से समझ सकेगा।

बी. एच., इंग्लैंड

मात्र दस दिन पहले, मुझे पीठ की शल्यचिकित्सा करानी पड़ी, और सही-सही जानकारी के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ। इस लेख ने मेरे दर्द का कारण समझने में मुझे मदद दी। दिए गए सुझाव बहुत उपयोगी हैं, और मैं आशा करता हूँ कि अनेक लोग इन्हें लागू करेंगे और उन्हें शल्यचिकित्सा करवानी नहीं पड़ेगी।

के. जी., हंगरी

आत्महत्या मैंने “युवा लोग पूछते हैं . . . क्या आत्महत्या उत्तर है?” लेख को (अप्रैल से जून, १९९४, सजग होइए!) आशंका और उत्तेजना से पढ़ा। मैं बीस-वर्षीया हूँ और अब एक पूर्ण-समय की सेविका हूँ। लेकिन कुछ ही समय पहले, मैं आत्मघातक थी। यहोवा ने मेरी मदद की है और मेरा हाथ थामे हुए है। कुछ ही दिन पहले, जब मेरी एक निकटतम सहेली ने मुझे बताया कि उसने अपने आपको मारने की कोशिश की, तब मैंने व्यावहारिक सलाह की तलाश की जो उसे निराश न होने में मदद करेगी। इस लेख ने मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दिया।

ए. के., इटली

पिछले ही सप्ताह आत्महत्या के विचार मेरे हृदय में प्रबल थे। एक मसीही प्राचीन और उसकी पत्नी नज़दीकी विश्‍वासपात्र बन गए और उन्होंने आत्महत्या के विचारों का सफलतापूर्वक सामना करने में मेरी मदद की। हताशा पर आपके अनेक लेख मेरे लिए जीवन-रक्षक रहे हैं।

डी. जे., अमरीका

उस लेख के लिए मुझे आपको बहुत-बहुत शुक्रिया कहना ही था। मुझे याद नहीं कि पहले किसी लेख ने मुझे कभी इतना प्रेरित किया हो। देखिए ना, कुछ साल पहले मैं आत्महत्या को एक विकल्प मानता था—प्रतीयमानतः असहनीय परिस्थितियों से बच निकलने का एक तरीक़ा। फिर भी, माता-पिता और दोस्तों की मदद से, मैंने जाना कि मेरे पास जीने का सर्वोत्तम कारण है—यहोवा चाहता था कि मैं जीऊँ।

एम. वी., अमरीका

मैंने इस लेख में विस्तृत जानकारी और इसे अच्छी तरह से लिखा हुआ पाया। मैं महसूस करता हूँ कि यह लेख ऐसे किसी भी व्यक्‍ति की मदद करने के लिए नितान्त मूल्यवान साधन है जो शायद मन में आत्महत्या के विचार रखता हो। मैं सम्मिलित किए गए सभी उदाहरणों से प्रभावित हुआ।

एल. एस., अमरीका

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