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  • “वह कभी घर पर मिलता ही नहीं!”
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हमारी राज-सेवा—2014
km 11/14 पेज 7

“वह कभी घर पर मिलता ही नहीं!”

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी दिलचस्पी दिखानेवाले से वापसी भेंट करने जाते हैं और वह घर पर मिलता ही नहीं? आपने उसके दिल में सच्चाई का बीज बोया है और आप उसे सींचने के लिए उस व्यक्‍ति से बार-बार मिलने कोशिश करते हैं। लेकिन आप ऐसा नहीं कर पाते, क्योंकि वह घर पर मिलता ही नहीं। (1 कुरिं. 3:6) ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? कुछ अनुभवी प्रचारक कभी-कभी ऐसे व्यक्‍ति को खत लिखते हैं, या फिर कोई नोट या संदेश उसके घर पर छोड़ जाते हैं। कुछ प्रचारक जानते हैं कि दिलचस्पी दिखानेवालों से दोबारा घर पर मिलना वाकई एक चुनौती है। इसलिए वे उस व्यक्‍ति से पहली मुलाकात में ही उसका फोन नंबर ले लेते हैं। वे कुछ इस तरह कहते हैं, “क्या मैं आपका फोन नंबर ले सकता हूँ?” अगर आप दिलचस्पी दिखानेवाले से घर पर मिलते हैं या उसे खत लिखकर, ई-मेल या मैसेज भेजकर या फिर उसके घर पर कोई नोट या संदेश छोड़कर या टेलिफोन के ज़रिए सच्चाई बताते हैं, तो आप वापसी भेंट गिन सकते हैं। भले ही एक व्यक्‍ति से घर पर मिलना मुश्‍किल हो, फिर भी दूसरे तरीकों से उसकी दिलचस्पी बढ़ायी जा सकती है।

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