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न्यायियों का सारांश

      • मानोह और उसकी पत्नी के पास स्वर्गदूत आया (1-23)

      • शिमशोन का जन्म (24, 25)

न्यायियों 13:1

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  • +न्या 2:11, 19; 10:6
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  • *

    शा., “गर्भ।”

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    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2113-2114

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2005, पेज 25

न्यायियों 13:6

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  • +न्या 13:17, 18

न्यायियों 13:7

फुटनोट

  • *

    शा., “गर्भ।”

न्यायियों 13:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2015, पेज 3

    8/15/2013, पेज 16

न्यायियों 13:10

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न्यायि. 13:2उत 49:16
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न्यायि. 13:2उत 30:22, 23
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न्यायि. 13:25यह 15:20, 33
न्यायि. 13:25न्या 18:11, 12
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 13:1-25

न्यायियों

13 इसराएली एक बार फिर यहोवा की नज़र में बुरे काम करने लगे।+ इसलिए यहोवा ने उन्हें 40 साल के लिए पलिश्‍तियों के हवाले कर दिया।+

2 इस दौरान सोरा शहर+ में दानियों+ के कुल का एक आदमी रहता था, जिसका नाम मानोह+ था। उसकी पत्नी बाँझ थी और उसकी कोई औलाद नहीं थी।+ 3 एक दिन यहोवा का स्वर्गदूत मानोह की पत्नी के सामने प्रकट हुआ और उसने कहा, “भले ही तू बाँझ है और तेरी कोई औलाद नहीं, मगर तू गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी।+ 4 पर ध्यान रख, तू न तो दाख-मदिरा न ही किसी तरह की शराब पीना+ और न कोई अशुद्ध चीज़ खाना।+ 5 देख, तू ज़रूर गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी। उसके सिर पर उस्तरा मत चलवाना+ क्योंकि जन्म* से ही वह परमेश्‍वर के लिए नाज़ीर होगा। वह इसराएलियों को पलिश्‍तियों के हाथ से छुड़ाएगा।”+

6 तब उस औरत ने अपने पति मानोह के पास जाकर कहा, “सच्चे परमेश्‍वर का एक सेवक मेरे पास आया था। वह दिखने में स्वर्गदूत जैसा था और उसे देखकर मैं विस्मय से भर गयी। न तो सच्चे परमेश्‍वर के उस दूत ने मुझे अपना नाम बताया,+ न ही मैंने उससे पूछा कि वह कहाँ से है। 7 लेकिन उसने मुझसे कहा, ‘तू गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी। पर ध्यान रख कि तू न तो दाख-मदिरा न ही किसी तरह की शराब पीना। और न कोई अशुद्ध चीज़ खाना क्योंकि वह लड़का जन्म* से लेकर मौत तक परमेश्‍वर के लिए नाज़ीर होगा।’”

8 मानोह ने यहोवा से बिनती की, “हे यहोवा, तूने जिस सेवक को अभी भेजा था मेहरबानी करके सच्चे परमेश्‍वर के उस सेवक को दोबारा भेज कि वह हमें बताए कि हम बच्चे की परवरिश कैसे करें।” 9 सच्चे परमेश्‍वर ने उसकी बिनती सुन ली और सच्चे परमेश्‍वर का स्वर्गदूत एक बार फिर मानोह की पत्नी के पास आया। उस वक्‍त वह बाहर बैठी थी और उसका पति मानोह उसके साथ नहीं था। 10 वह दौड़कर अपने पति को बुलाने गयी। उसने कहा, “देख, जो आदमी उस दिन मेरे पास आया था, वह आज फिर आया है।”+

11 तब मानोह अपनी पत्नी के साथ उस आदमी के पास आया। मानोह ने उससे कहा, “क्या तू वही आदमी है जिसने उस दिन मेरी पत्नी से वह सारी बातें कही थीं?” उसने कहा, “हाँ, मैं वही हूँ।” 12 तब मानोह ने कहा, “तूने जो भी कहा, वह पूरा हो। अब हमें बता कि उस बच्चे की ज़िंदगी कैसी होगी और बड़ा होकर वह क्या करेगा।”+ 13 तब यहोवा के स्वर्गदूत ने मानोह से कहा, “तेरी पत्नी को उन सब चीज़ों से दूर रहना है जिनके बारे में मैंने उसे बताया था।+ 14 उसे न तो अंगूर की बेल पर लगी कोई चीज़ खानी है, न ही दाख-मदिरा या किसी तरह की शराब पीनी है।+ उसे अशुद्ध चीज़ें भी नहीं खानी हैं।+ ध्यान रख कि जैसा मैंने उससे कहा है वह वैसा ही करे।”

15 फिर मानोह ने यहोवा के स्वर्गदूत से कहा, “मेहरबानी करके थोड़ी देर रुक जा। हम अभी तेरे लिए बकरी का बच्चा पकाकर लाते हैं।”+ 16 यहोवा के स्वर्गदूत ने मानोह से कहा, “अगर मैं रुक भी जाऊँ, तो भी मैं कुछ नहीं खाऊँगा। हाँ, अगर तू यहोवा को होम-बलि चढ़ाना चाहता है, तो चढ़ा सकता है।” मानोह नहीं जानता था कि वह यहोवा का स्वर्गदूत है। 17 मानोह ने यहोवा के स्वर्गदूत से कहा, “हमें अपना नाम बता+ ताकि तेरी बात सच होने पर हम तेरा आदर-सम्मान कर सकें।” 18 मगर यहोवा के स्वर्गदूत ने उससे कहा, “मेरा नाम मत पूछ क्योंकि वह निराला है।”

19 फिर मानोह ने बकरी का बच्चा और अनाज का चढ़ावा लिया और एक बड़े पत्थर पर उन्हें यहोवा को चढ़ाया। तब परमेश्‍वर ने मानोह और उसकी पत्नी की आँखों के सामने एक अनोखा काम किया। 20 आग की लपटें वेदी से आसमान की तरफ उठने लगीं और यहोवा का स्वर्गदूत उन लपटों के साथ ऊपर आसमान की तरफ जाने लगा। यह देखकर मानोह और उसकी पत्नी तुरंत ज़मीन पर मुँह के बल गिर गए। 21 तब मानोह समझ गया कि वह यहोवा का स्वर्गदूत था।+ यहोवा का स्वर्गदूत फिर उन्हें दिखायी नहीं दिया। 22 मानोह ने अपनी पत्नी से कहा, “अब हम ज़िंदा नहीं बचेंगे क्योंकि हमने परमेश्‍वर को देख लिया है।”+ 23 मगर उसकी पत्नी ने कहा, “अगर यहोवा हमें मारना ही चाहता था, तो वह हमारे हाथ से होम-बलि और अनाज का चढ़ावा कबूल नहीं करता।+ न ही वह हमें यह सब दिखाता और हमसे वे सारी बातें कहता।”

24 आगे चलकर मानोह की पत्नी ने एक लड़के को जन्म दिया और उसका नाम शिमशोन रखा।+ जैसे-जैसे वह बड़ा हुआ यहोवा की आशीष उसके साथ रही। 25 फिर जब शिमशोन सोरा और एशताओल+ के बीच महनेदान नाम की जगह+ में था, तो यहोवा की पवित्र शक्‍ति उस पर ज़बरदस्त तरीके से काम करने लगी।+

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