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  • यिर्मयाह 44
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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यिर्मयाह का सारांश

      • मिस्र में यहूदियों पर विपत्ति की भविष्यवाणी (1-14)

      • उन्होंने चेतावनी अनसुनी की (15-30)

        • “स्वर्ग की रानी” की पूजा (17-19)

यिर्मयाह 44:1

फुटनोट

  • *

    या “मेम्फिस।”

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 43:4, 7
  • +यहे 29:10; 30:6
  • +यहे 30:18
  • +यिर्म 46:14; यहे 30:16
  • +यहे 29:14; 30:14

यिर्मयाह 44:2

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  • +2रा 25:9, 10; यिर्म 39:8
  • +विल 1:1

यिर्मयाह 44:3

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 11:17
  • +व्य 13:6-9; 32:17; यिर्म 19:4

यिर्मयाह 44:4

फुटनोट

  • *

    शा., “तड़के उठकर तुम्हारे पास भेजता रहा।”

संबंधित आयतें

  • +2इत 36:15, 16; यश 65:2; यिर्म 7:24-26; 35:15

यिर्मयाह 44:5

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  • +यिर्म 19:13

यिर्मयाह 44:6

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  • +यश 6:11; यिर्म 39:8

यिर्मयाह 44:8

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  • +1रा 9:7; यिर्म 24:9; 42:18

यिर्मयाह 44:9

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  • +2रा 21:19, 20; 24:8, 9
  • +1रा 11:1-3
  • +यिर्म 44:19

यिर्मयाह 44:10

फुटनोट

  • *

    या “कुचला हुआ महसूस नहीं किया।”

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 36:22-24
  • +व्य 6:1, 2

यिर्मयाह 44:12

संबंधित आयतें

  • +यहे 30:13
  • +यिर्म 42:17, 18

यिर्मयाह 44:13

फुटनोट

  • *

    या “बीमारी।”

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 21:9; 42:22; 43:11

यिर्मयाह 44:15

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 43:4, 7; 44:1

यिर्मयाह 44:17

फुटनोट

  • *

    एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 7:18

यिर्मयाह 44:18

फुटनोट

  • *

    एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/1999, पेज 13-14

यिर्मयाह 44:19

फुटनोट

  • *

    एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2131

यिर्मयाह 44:21

फुटनोट

  • *

    शा., “दिल।”

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 11:13; यहे 16:24, 25

यिर्मयाह 44:22

संबंधित आयतें

  • +1रा 9:8, 9; विल 2:15; यहे 33:29

यिर्मयाह 44:23

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  • +2इत 36:15, 16; दान 9:11

यिर्मयाह 44:25

फुटनोट

  • *

    एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 7:18; 44:15, 17

यिर्मयाह 44:26

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यिर्मयाह 44:27

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  • +यिर्म 1:10
  • +यिर्म 44:12

यिर्मयाह 44:28

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  • +लैव 26:44; यश 27:13; यिर्म 44:14

यिर्मयाह 44:30

फुटनोट

  • *

    शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

संबंधित आयतें

  • +2रा 25:7; यिर्म 34:21; 39:5

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

यिर्म. 44:1यिर्म 43:4, 7
यिर्म. 44:1यहे 29:10; 30:6
यिर्म. 44:1यहे 30:18
यिर्म. 44:1यिर्म 46:14; यहे 30:16
यिर्म. 44:1यहे 29:14; 30:14
यिर्म. 44:22रा 25:9, 10; यिर्म 39:8
यिर्म. 44:2विल 1:1
यिर्म. 44:3यिर्म 11:17
यिर्म. 44:3व्य 13:6-9; 32:17; यिर्म 19:4
यिर्म. 44:42इत 36:15, 16; यश 65:2; यिर्म 7:24-26; 35:15
यिर्म. 44:5यिर्म 19:13
यिर्म. 44:6यश 6:11; यिर्म 39:8
यिर्म. 44:81रा 9:7; यिर्म 24:9; 42:18
यिर्म. 44:92रा 21:19, 20; 24:8, 9
यिर्म. 44:91रा 11:1-3
यिर्म. 44:9यिर्म 44:19
यिर्म. 44:10यिर्म 36:22-24
यिर्म. 44:10व्य 6:1, 2
यिर्म. 44:12यहे 30:13
यिर्म. 44:12यिर्म 42:17, 18
यिर्म. 44:13यिर्म 21:9; 42:22; 43:11
यिर्म. 44:15यिर्म 43:4, 7; 44:1
यिर्म. 44:17यिर्म 7:18
यिर्म. 44:21यिर्म 11:13; यहे 16:24, 25
यिर्म. 44:221रा 9:8, 9; विल 2:15; यहे 33:29
यिर्म. 44:232इत 36:15, 16; दान 9:11
यिर्म. 44:25यिर्म 7:18; 44:15, 17
यिर्म. 44:26यश 48:1, 2; यिर्म 5:2; यहे 20:39
यिर्म. 44:27यिर्म 1:10
यिर्म. 44:27यिर्म 44:12
यिर्म. 44:28लैव 26:44; यश 27:13; यिर्म 44:14
यिर्म. 44:302रा 25:7; यिर्म 34:21; 39:5
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यिर्मयाह 44:1-30

यिर्मयाह

44 यिर्मयाह को उन सभी यहूदियों के लिए एक संदेश मिला जो मिस्र+ के मिगदोल,+ तहपनहेस,+ नोप*+ और पत्रोस के इलाके में रहते थे।+ वह संदेश था: 2 “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तुम लोगों ने वे सारी विपत्तियाँ देखी हैं जो मैं यरूशलेम+ और यहूदा के सब शहरों पर ला चुका हूँ। आज ये इलाके खंडहर बन गए हैं और वहाँ एक भी निवासी नहीं है।+ 3 ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तुम लोगों ने दुष्ट काम करके मेरा क्रोध भड़काया। तुमने जाकर उन दूसरे देवताओं के लिए बलिदान चढ़ाए+ और उनकी सेवा की जिन्हें न तुम जानते हो और न तुम्हारे बाप-दादे जानते थे।+ 4 मैं बार-बार अपने सेवकों को, अपने भविष्यवक्‍ताओं को तुम्हारे पास भेजकर* तुमसे बिनती करता रहा, “तुम यह घिनौना काम मत करो जिससे मुझे नफरत है।”+ 5 मगर तुमने मेरी बात नहीं सुनी, न ही मेरी तरफ कान लगाया कि दूसरे देवताओं के आगे बलिदान चढ़ाने के दुष्ट काम से फिर सको।+ 6 इसलिए मेरे गुस्से और क्रोध का प्याला उँडेला गया और यहूदा के शहर और यरूशलेम की गलियाँ जलकर राख हो गयीं और वे आज तक खंडहर और वीरान पड़े हैं।’+

7 अब सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तुम क्यों खुद पर एक बड़ी विपत्ति लाना चाहते हो जिससे हर आदमी, औरत, बच्चा और दूध पीता बच्चा यहूदा से मिट जाए और कोई न बचे? 8 तुम मिस्र में, जहाँ तुम बसने गए हो, क्यों अपने हाथों से दूसरे देवताओं को बलिदान चढ़ाकर मेरा क्रोध भड़का रहे हो? तुम नाश हो जाओगे और धरती के सब राष्ट्रों में शापित ठहरोगे और बदनाम हो जाओगे।+ 9 क्या तुम भूल गए कि यहूदा देश में और यरूशलेम की गलियों में तुम्हारे पुरखों ने और यहूदा के राजाओं+ और उनकी पत्नियों+ ने कैसे दुष्ट काम किए थे? और क्या तुम भूल गए कि खुद तुमने और तुम्हारी पत्नियों ने कैसे दुष्ट काम किए हैं?+ 10 आज तक भी तुमने खुद को नम्र नहीं किया,* मेरा डर बिलकुल नहीं माना+ और न ही तुम मेरे कानून और मेरी विधियों पर चले जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे पुरखों को दी थीं।’+

11 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैंने ठान लिया है कि मैं तुम पर विपत्ति ले आऊँगा ताकि पूरा यहूदा नाश हो जाए। 12 और मैं यहूदा के उन बचे हुए लोगों को पकड़ूँगा जिन्होंने मिस्र जाकर बसने की ठान ली थी। वे सब मिस्र में नाश हो जाएँगे।+ वे तलवार और अकाल से मारे जाएँगे, छोटे-बड़े सब तलवार और अकाल से मारे जाएँगे। वे शापित ठहरेंगे, उनका ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा, उन्हें बददुआ दी जाएगी और उनकी बदनामी होगी।+ 13 मैं मिस्र में रहनेवालों को तलवार, अकाल और महामारी* से सज़ा दूँगा, ठीक जैसे मैंने यरूशलेम को सज़ा दी थी।+ 14 और यहूदा के जो बचे हुए लोग मिस्र में बसने गए हैं वे न बच पाएँगे और न ही यहूदा देश लौटने के लिए ज़िंदा रहेंगे। वे यहूदा लौटने और वहाँ बसने के लिए तरसेंगे, मगर नहीं लौटेंगे। सिर्फ चंद लोग ही बचेंगे और लौटेंगे।’”

15 तब उन सभी आदमियों ने, जो जानते थे कि उनकी पत्नियाँ दूसरे देवताओं को बलिदान चढ़ाती हैं और वहाँ खड़ी उनकी सभी पत्नियों की बड़ी टोली ने और मिस्र के पत्रोस में रहनेवाले सब लोगों+ ने यिर्मयाह से कहा, 16 “तूने यहोवा के नाम से हमसे जो कहा है हम उसके मुताबिक काम नहीं करेंगे। 17 इसके बजाय, हमने जो कहा है हम वही करेंगे। हम स्वर्ग की रानी* के आगे बलिदान और अर्घ चढ़ाएँगे।+ जब हम यहूदा के शहरों और यरूशलेम की गलियों में ऐसा करते थे तो हमें और हमारे पुरखों, राजाओं और हाकिमों को भरपेट रोटी मिलती थी, हमें किसी चीज़ की कमी नहीं थी और हम पर कभी कोई विपत्ति नहीं आती थी। 18 जब से हमने स्वर्ग की रानी* के आगे बलिदान और अर्घ चढ़ाना बंद कर दिया तब से हमें हर चीज़ की कमी होने लगी और हम तलवार और अकाल से नाश हो गए हैं।”

19 और उन औरतों ने कहा, “जब हम स्वर्ग की रानी* के लिए बलिदान और अर्घ चढ़ाती थीं तो क्या हम अपने पतियों की इजाज़त के बगैर ऐसा करती थीं? क्या हम उनकी इजाज़त के बगैर उस देवी की मूरत के आकार की टिकियाँ बनाकर बलिदान चढ़ाती थीं और उसके लिए अर्घ चढ़ाती थीं?”

20 तब यिर्मयाह ने उससे बात करनेवाले सब लोगों से, उन आदमियों और उनकी पत्नियों से कहा, 21 “तुम और तुम्हारे बाप-दादे, तुम्हारे राजा, हाकिम और देश के लोग यहूदा के शहरों और यरूशलेम की गलियों में जो बलिदान चढ़ाते थे,+ उन्हें यहोवा ने याद किया और वे उसके ध्यान* में आए! 22 और ऐसा वक्‍त आया जब यहोवा तुम्हारे दुष्ट और घिनौने कामों को और बरदाश्‍त न कर सका। तुम्हारा देश उजड़ गया, उसका ऐसा हश्र हुआ कि देखनेवालों का दिल दहल गया, वह शापित ठहरा और वहाँ एक भी निवासी नहीं बचा और उसका आज भी यही हाल है।+ 23 ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तुमने ये बलिदान चढ़ाए और यहोवा के खिलाफ पाप किया। तुमने यहोवा की बात, उसका कानून और उसकी विधियाँ नहीं मानीं और जो हिदायतें उसने याद दिलायीं उन पर तुम नहीं चले। इसीलिए तुम पर यह विपत्ति आ पड़ी है और आज तक है।”+

24 यिर्मयाह ने सब लोगों से और सब औरतों से यह भी कहा, “मिस्र में रहनेवाले यहूदा के सब लोगो, यहोवा का संदेश सुनो। 25 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तुमने और तुम्हारी पत्नियों ने अपने मुँह से जो कहा उसे अपने हाथों से पूरा किया। तुमने कहा, “हमने स्वर्ग की रानी* को बलिदान और अर्घ चढ़ाने की मन्‍नतें मानी थीं और हम उन्हें ज़रूर पूरा करेंगे।”+ औरतो, तुम अपनी मन्‍नतें ज़रूर पूरी करोगी, तुमने जैसी मन्‍नतें मानी हैं वैसा ज़रूर करोगी।’

26 इसलिए मिस्र में रहनेवाले यहूदा के सब लोगो, यहोवा का संदेश सुनो: ‘यहोवा कहता है, “मैं अपने महान नाम की शपथ खाकर कहता हूँ कि पूरे मिस्र में फिर कभी यहूदा का कोई भी आदमी मेरे नाम से यह कहकर शपथ नहीं खाएगा, ‘सारे जहान के मालिक यहोवा के जीवन की शपथ!’+ 27 अब मैं उन पर नज़र रखे हुए हूँ, इसलिए नहीं कि उनके साथ भलाई करूँ बल्कि इसलिए कि उन पर विपत्ति ले आऊँ।+ मिस्र में रहनेवाले यहूदा के सब लोग तलवार और अकाल से तब तक नाश होते जाएँगे जब तक कि वे मिट न जाएँ।+ 28 सिर्फ कुछ ही लोग तलवार से बच जाएँगे और मिस्र से यहूदा लौट जाएँगे।+ तब यहूदा के बचे हुए सब लोग जो मिस्र में रहने गए थे, जान जाएँगे कि किसकी बात सच हुई, उनकी या मेरी!”’”

29 “यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं इस जगह पर तुम्हें सज़ा दूँगा और मैं इसकी एक निशानी देता हूँ जिससे तुम जान लोगे कि मैंने तुम पर विपत्ति लाने की जो बात कही है वह ज़रूर पूरी होगी। 30 यहोवा कहता है, “मैं मिस्र के राजा फिरौन होप्रा को उसके दुश्‍मनों और उन लोगों के हाथ में करनेवाला हूँ जो उसकी जान के पीछे पड़े हैं, ठीक जैसे मैंने यहूदा के राजा सिदकियाह को बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ कर दिया जो उसका दुश्‍मन था और उसकी जान के पीछे पड़ा था।”’”+

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