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  • क7-क यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यीशु की सेवा शुरू होने से पहले की घटनाएँ
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-क

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यीशु की सेवा शुरू होने से पहले की घटनाएँ

      खुशखबरी की चार किताबों में बतायी घटनाएँ इस क्रम में घटीं

      हर चार्ट के साथ एक नक्शा है जिसमें दिखाया गया है कि यीशु कहाँ-कहाँ गया और उसने किन-किन जगहों में प्रचार किया। नक्शे में तीर के निशान मोटे तौर पर यह दिखाते हैं कि उसने किस दिशा में सफर किया, न कि यह कि ठीक कौन-सा रास्ता लिया।

      यीशु की सेवा शुरू होने से पहले की घटनाएँ

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      ई.पू. 3

      यरूशलेम का मंदिर

      जिब्राईल स्वर्गदूत जकरयाह को बताता है कि यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले का जन्म होगा

         

      1:5-25

       

      करीब ई.पू. 2

      नासरत; यहूदिया

      जिब्राईल स्वर्गदूत मरियम को बताता है कि यीशु का जन्म होगा; वह अपनी रिश्‍तेदार इलीशिबा से मिलने जाती है

         

      1:26-56

       

      ई.पू. 2

      यहूदिया का पहाड़ी इलाका

      यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले का जन्म और उसका नाम रखा गया; जकरयाह भविष्यवाणी करता है; वीराने में यूहन्‍ना की ज़िंदगी

         

      1:57-80

       

      ई.पू. 2, करीब अक्टू. 1

      बेतलेहेम

      यीशु का जन्म; “वचन इंसान बना”

      1:1-25

       

      2:1-7

      1:14

      बेतलेहेम के पास; बेतलेहेम

      स्वर्गदूत चरवाहों को खुशखबरी सुनाता है; स्वर्गदूत परमेश्‍वर की तारीफ करते हैं; चरवाहे शिशु को देखने आते हैं

         

      2:8-20

       

      बेतलेहेम; यरूशलेम

      यीशु का खतना किया गया (8वें दिन); उसके माता-पिता उसे मंदिर ले आए (40वें दिन के बाद)

         

      2:21-38

       

      ई.पू. 1 या ई. 1

      यरूशलेम; बेतलेहेम; मिस्र; नासरत

      ज्योतिषी आते हैं; यूसुफ का परिवार मिस्र भागता है; हेरोदेस छोटे लड़कों को मरवा डालता है; मिस्र से लौटकर वह परिवार नासरत में बस जाता है

      2:1-23

       

      2:39, 40

       

      ई. 12, फसह का त्योहार

      यरूशलेम

      बारह साल का यीशु मंदिर में शिक्षकों से सवाल पूछता है

         

      2:41-50

       
       

      नासरत

      नासरत लौटता है; माता-पिता के अधीन रहता है; बढ़ई का काम सीखता है; मरियम ने यीशु के अलावा चार बेटों और कई बेटियों की परवरिश की (मत 13:55, 56; मर 6:3)

         

      2:51, 52

       

      29, वसंत

      वीराना, यरदन नदी

      यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला सेवा शुरू करता है

      3:1-12

      1:1-8

      3:1-18

      1:6-8

      यीशु की ज़िंदगी से जुड़ी जगहों का नक्शा: बेतलेहेम, नासरत, यरूशलेम

  • क7-ख यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यीशु की सेवा की शुरूआत
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-ख

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यीशु की सेवा की शुरूआत

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      29, पतझड़

      शायद यरदन नदी पर या यरदन के पार बैतनियाह के पास

      यीशु का बपतिस्मा और अभिषेक; यहोवा ने ऐलान किया कि यीशु उसका बेटा है और उसे मंज़ूर किया

      3:13-17

      1:9-11

      3:21-38

       

      यहूदिया का वीराना

      शैतान उसे फुसलाने की कोशिश करता है

      4:1-11

      1:12, 13

      4:1-13

       

      यरदन के पार बैतनियाह

      यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला यीशु को परमेश्‍वर का मेम्ना कहता है; यीशु के शुरूआती चेले उसके साथ हो लेते हैं

           

      1:15, 19-51

      गलील का कसबा काना; कफरनहूम

      शादी में पहला चमत्कार, पानी को दाख-मदिरा बनाता है; कफरनहूम जाता है

           

      2:1-12

      30, फसह का त्योहार

      यरूशलेम

      मंदिर को शुद्ध करता है

           

      2:13-25

      नीकुदेमुस से बात करता है

           

      3:1-21

      यहूदिया; एनोन

      यहूदिया के देहात में जाता है, उसके चेले बपतिस्मा देते हैं; यूहन्‍ना, यीशु के बारे में आखिरी गवाही देता है

           

      3:22-36

      तिबिरियास; यहूदिया

      यूहन्‍ना कैद में; यीशु गलील के लिए रवाना होता है

      4:12; 14:3-5

      6:17-20

      3:19, 20

      4:1-3

      सामरिया का सूखार

      गलील जाते वक्‍त, रास्ते में सामरियों को सिखाता है

           

      4:4-43

      यीशु की ज़िंदगी से जुड़ी जगहों का नक्शा, जिसमें यरदन नदी और यहूदिया भी है
      यहूदिया का वीराना

      यहूदिया का वीराना

  • क7-ग यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—गलील में बड़े पैमाने पर यीशु की सेवा (भाग 1)
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-ग

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—गलील में बड़े पैमाने पर यीशु की सेवा (भाग 1)

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      30

      गलील

      यीशु पहली बार यह ऐलान करता है, “स्वर्ग का राज पास आ गया है”

      4:17

      1:14, 15

      4:14, 15

      4:44, 45

      काना; नासरत; कफरनहूम

      अधिकारी के बेटे को ठीक करता है; यशायाह के खर्रे से पढ़कर सुनाता है; कफरनहूम जाता है

      4:13-16

       

      4:16-31

      4:46-54

      कफरनहूम के पास गलील झील

      चार चेलों को बुलाता है: शमौन, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्‍ना

      4:18-22

      1:16-20

      5:1-11

       

      कफरनहूम

      शमौन की सास और बहुतों को चंगा करता है

      8:14-17

      1:21-34

      4:31-41

       

      गलील

      गलील का पहला दौरा, चारों चेले साथ हैं

      4:23-25

      1:35-39

      4:42, 43

       

      कोढ़ी को ठीक करता है; भीड़ पीछे आती है

      8:1-4

      1:40-45

      5:12-16

       

      कफरनहूम

      लकवे के मारे को ठीक करता है

      9:1-8

      2:1-12

      5:17-26

       

      मत्ती को बुलाता है; कर-वसूलनेवालों के साथ खाना खाता है; उपवास के बारे में सवाल

      9:9-17

      2:13-22

      5:27-39

       

      यहूदिया

      सभा-घरों में प्रचार करता है

         

      4:44

       

      31, फसह का त्योहार

      यरूशलेम

      बेतहसदा में बीमार आदमी को ठीक करता है; यहूदी, यीशु को मार डालने की ताक में

           

      5:1-47

      यरूशलेम से लौटता है (?)

      चेले सब्त के दिन अनाज की बालें तोड़ते हैं; यीशु “सब्त के दिन का प्रभु”

      12:1-8

      2:23-28

      6:1-5

       

      गलील; गलील झील

      एक आदमी का हाथ ठीक करता है; भीड़ पीछे हो लेती है; बहुतों को चंगा करता है

      12:9-21

      3:1-12

      6:6-11

       

      कफरनहूम के पास पहाड़ पर

      12 प्रेषितों को चुनता है

       

      3:13-19

      6:12-16

       

      कफरनहूम के पास

      पहाड़ी उपदेश देता है

      5:1–7:29

       

      6:17-49

       

      कफरनहूम

      सेना-अफसर के बीमार नौकर को ठीक करता है

      8:5-13

       

      7:1-10

       

      नाईन

      विधवा के बेटे को दोबारा ज़िंदा करता है

         

      7:11-17

       

      तिबिरियास; गलील (नाईन या उसके आस-पास)

      यूहन्‍ना चेलों को यीशु के पास भेजता है; सच्चाई नन्हे-मुन्‍नों पर प्रकट; उसका जुआ उठाना आसान

      11:2-30

       

      7:18-35

       

      गलील (नाईन या उसके आस-पास)

      एक पापिन उसके पैरों पर तेल मलती है; कर्ज़ लेनेवालों की मिसाल

         

      7:36-50

       

      गलील

      प्रचार का दूसरा दौरा, 12 प्रेषित साथ हैं

         

      8:1-3

       

      दुष्ट दूत निकाले; पाप जिसकी माफी नहीं

      12:22-37

      3:19-30

         

      योना के सिवा कोई और चिन्ह नहीं देता

      12:38-45

           

      उसकी माँ और भाई आते हैं; कहता है चेले उसके रिश्‍तेदार हैं

      12:46-50

      3:31-35

      8:19-21

       
      गलील, कफरनहूम, काना में यीशु की सेवा का नक्शा

  • क7-घ यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—गलील में बड़े पैमाने पर यीशु की सेवा (भाग 2)
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-घ

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—गलील में बड़े पैमाने पर यीशु की सेवा (भाग 2)

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      31 या 32

      कफरनहूम के आस-पास

      यीशु राज के बारे में मिसालें देता है

      13:1-53

      4:1-34

      8:4-18

       

      गलील झील

      नाव पर सवार वह आँधी को शांत करता है

      8:18, 23-27

      4:35-41

      8:22-25

       

      गदारा का इलाका

      दुष्ट स्वर्गदूतों को सूअरों में भेज देता है

      8:28-34

      5:1-20

      8:26-39

       

      शायद कफरनहूम

      औरत के खून बहने की बीमारी ठीक करता है; याइर की बेटी को ज़िंदा करता है

      9:18-26

      5:21-43

      8:40-56

       

      कफरनहूम (?)

      अंधों को और एक गूँगे को ठीक करता है

      9:27-34

           

      नासरत

      अपने ही शहर में फिर से ठुकराया जाता है

      13:54-58

      6:1-5

         

      गलील

      गलील का तीसरा दौरा; बड़े पैमाने पर प्रचार के लिए प्रेषितों को भेजता है

      9:35–11:1

      6:6-13

      9:1-6

       

      तिबिरियास

      हेरोदेस, यूहन्‍ना का सिर कटवा देता है; यीशु की वजह से हेरोदेस घबराया

      14:1-12

      6:14-29

      9:7-9

       

      32, फसह के त्योहार के आस-पास (यूह 6:4)

      कफरनहूम (?); गलील झील के उत्तर-पूर्व में

      प्रचार के दौरे से प्रेषित लौटते हैं; यीशु 5,000 आदमियों को खाना खिलाता है

      14:13-21

      6:30-44

      9:10-17

      6:1-13

      गलील झील के उत्तर-पूर्व में; गन्‍नेसरत

      यीशु को राजा बनाने की कोशिश; वह पानी पर चला; बीमारों को ठीक किया

      14:22-36

      6:45-56

       

      6:14-21

      कफरनहूम

      “जीवन देनेवाली रोटी”; कई चेलों को ठोकर लगी, उसे छोड़कर चले गए

           

      6:22-71

      32, फसह के त्योहार के बाद

      शायद कफरनहूम

      इंसानी परंपराओं का परदाफाश करता है

      15:1-20

      7:1-23

       

      7:1

      फीनीके; दिकापुलिस

      फीनीके की औरत की बेटी को चंगा करता है; 4,000 आदमियों को खिलाता है

      15:21-38

      7:24–8:9

         

      मगदन

      योना के सिवा कोई और चिन्ह नहीं देता

      15:39–16:4

      8:10-12

         
      गलील, फीनीके, दिकापुलिस के आस-पास यीशु की सेवा का नक्शा

      गलील झील के पास

      (इसे गन्‍नेसरत झील और तिबिरियास झील भी कहा जाता था)

      1. 1 जब वह नाव पर सवार था तो आँधी को शांत किया

      2. 2 दुष्ट स्वर्गदूतों को सूअरों के अंदर भेजा

      3. 3 5,000 आदमियों को खाना खिलाया

      4. 4 पानी पर चला

      5. 5 4,000 आदमियों को खाना खिलाया

      6. 6 माना जाता है कि इसी जगह पर उसने पहाड़ी उपदेश दिया

      गलील झील के आस-पास की जगहों में यीशु की सेवा का नक्शा

  • क7-च यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—गलील में बड़े पैमाने पर यीशु की सेवा (भाग 3) और यहूदिया में बाद की सेवा
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-च

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—गलील में बड़े पैमाने पर यीशु की सेवा (भाग 3) और यहूदिया में बाद की सेवा

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      32, फसह के त्योहार के बाद

      गलील झील; बैतसैदा

      नाव से बैतसैदा जाते वक्‍त यीशु फरीसियों के खमीर से सावधान करता है; अंधे को ठीक करता है

      16:5-12

      8:13-26

         

      कैसरिया फिलिप्पी का इलाका

      राज की चाबियाँ; अपनी मौत और ज़िंदा होने के बारे में भविष्यवाणी करता है

      16:13-28

      8:27–9:1

      9:18-27

       

      शायद हेरमोन पहाड़

      रूप बदलने का दर्शन; यहोवा की आवाज़

      17:1-13

      9:2-13

      9:28-36

       

      कैसरिया फिलिप्पी का इलाका

      लड़के में से दुष्ट स्वर्गदूत निकालता है

      17:14-20

      9:14-29

      9:37-43

       

      गलील

      दोबारा अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है

      17:22, 23

      9:30-32

      9:43-45

       

      कफरनहूम

      मछली के मुँह से मिले सिक्के से कर चुकाता है

      17:24-27

           

      राज में सबसे बड़ा कौन; भटकी हुई भेड़ और माफ न करनेवाले दास की मिसाल

      18:1-35

      9:33-50

      9:46-50

       

      गलील-सामरिया

      यरूशलेम जाते वक्‍त चेलों को राज के लिए सबकुछ दरकिनार करने को कहता है

      8:19-22

       

      9:51-62

      7:2-10

      यहूदिया में यीशु की बाद की सेवा

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      32, डेरों (या छप्परों) का त्योहार

      यरूशलेम

      त्योहार पर सिखाता है; उसे गिरफ्तार करने के लिए पहरेदार भेजे गए

           

      7:11-52

      कहता है “मैं दुनिया की रौशनी हूँ”; जन्म से अंधे आदमी को ठीक करता है

           

      8:12–9:41

      शायद यहूदिया

      70 चेलों को भेजता है; वे खुशी-खुशी लौटते हैं

         

      10:1-24

       

      यहूदिया; बैतनियाह

      दयालु सामरी की मिसाल; मरियम और मारथा के घर जाता है

         

      10:25-42

       

      शायद यहूदिया

      आदर्श प्रार्थना फिर से सिखाता है; माँगते रहनेवाले दोस्त की मिसाल

         

      11:1-13

       

      परमेश्‍वर की उँगली से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालता है; फिर से योना का चिन्ह देता है

         

      11:14-36

       

      फरीसी के साथ खाना खाता है; फरीसियों के कपट के लिए उन्हें धिक्कारता है

         

      11:37-54

       

      मिसालें: मूर्ख अमीर आदमी और विश्‍वासयोग्य प्रबंधक

         

      12:1-59

       

      सब्त के दिन कुबड़ी औरत को चंगा करता है; राई के दाने और खमीर की मिसालें

         

      13:1-21

       

      32, समर्पण का त्योहार

      यरूशलेम

      अच्छे चरवाहे और भेड़शाला की मिसाल; यहूदी उसे पत्थरों से मार डालने की कोशिश करते हैं; यरदन के पार बैतनियाह के लिए रवाना होता है

           

      10:1-39

      यहूदिया और गलील में यीशु की सेवा का नक्शा

  • क7-छ यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरदन के पूरब में यीशु की बाद की सेवा
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-छ

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरदन के पूरब में यीशु की बाद की सेवा

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      32, समर्पण के त्योहार के बाद

      यरदन के पार बैतनियाह

      वहाँ जाता है जहाँ यूहन्‍ना बपतिस्मा देता था; कई लोग यीशु पर विश्‍वास करते हैं

           

      10:40-42

      पेरिया

      यरूशलेम जाते वक्‍त शहरों और गाँवों में सिखाता है

         

      13:22

       

      सँकरे दरवाज़े से जाने का बढ़ावा देता है; यरूशलेम के लिए दुखी होता है

         

      13:23-35

       

      शायद पेरिया

      नम्रता की सीख देता है; मिसालें: खास-खास जगह बैठना और बहाना बनानेवाले मेहमान

         

      14:1-24

       

      चेला बनने की कीमत आँकना

         

      14:25-35

       

      मिसालें: खोयी हुई भेड़, खोया सिक्का, खोया हुआ बेटा

         

      15:1-32

       

      मिसालें: होशियार प्रबंधक, अमीर आदमी और लाज़र

         

      16:1-31

       

      विश्‍वास में बाधा, माफ करने और विश्‍वास करने के बारे में सिखाता है

         

      17:1-10

       

      बैतनियाह

      लाज़र मर गया और ज़िंदा किया गया

           

      11:1-46

      यरूशलेम; एप्रैम

      यीशु को मारने की साज़िश; वहाँ से चला जाता है

           

      11:47-54

      सामरिया; गलील

      दस कोढ़ियों को ठीक करता है; बताता है कि परमेश्‍वर का राज कैसे आएगा

         

      17:11-37

       

      सामरिया या गलील

      मिसालें: हार न माननेवाली विधवा, फरीसी और कर-वसूलनेवाला

         

      18:1-14

       

      पेरिया

      शादी और तलाक के बारे में सिखाता है

      19:1-12

      10:1-12

         

      बच्चों को आशीष देता है

      19:13-15

      10:13-16

      18:15-17

       

      अमीर आदमी का सवाल; मिसाल: अंगूरों के बाग के मज़दूर और बराबर मज़दूरी

      19:16–20:16

      10:17-31

      18:18-30

       

      शायद पेरिया

      तीसरी बार अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है

      20:17-19

      10:32-34

      18:31-34

       

      याकूब और यूहन्‍ना के लिए राज में खास पदवी की गुज़ारिश

      20:20-28

      10:35-45

         

      यरीहो

      यहाँ से गुज़रते वक्‍त दो अंधों को ठीक करता है; जक्कई से मिलता है; चाँदी के दस टुकड़ों की मिसाल

      20:29-34

      10:46-52

      18:35–19:28

       
      यीशु की सेवा से जुड़ी जगहों का नक्शा, जिसमें बैतनियाह, यरीहो, पेरिया शामिल हैं

  • क7-ज यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिन (भाग 1)
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-ज

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिन (भाग 1)

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      33, नीसान 8

      बैतनियाह

      यीशु फसह के त्योहार से छः दिन पहले वहाँ पहुँचता है

           

      11:55–12:1

      नीसान 9

      बैतनियाह

      मरियम उसके सिर और पैर पर तेल उँडेलती है

      26:6-13

      14:3-9

       

      12:2-11

      बैतनियाह-बैतफगे-यरूशलेम

      गधे पर सवार होकर राजा की हैसियत से यरूशलेम में दाखिल

      21:1-11, 14-17

      11:1-11

      19:29-44

      12:12-19

      नीसान 10

      बैतनियाह-यरूशलेम

      अंजीर के पेड़ को शाप देता है; एक बार फिर मंदिर को शुद्ध करता है

      21:18, 19; 21:12, 13

      11:12-17

      19:45, 46

       

      यरूशलेम

      प्रधान याजक और शास्त्री यीशु को मार डालने की साज़िश रचते हैं

       

      11:18, 19

      19:47, 48

       

      यहोवा की आवाज़; यीशु अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है; यहूदी विश्‍वास नहीं करते जिससे यशायाह की भविष्यवाणी पूरी होती है

           

      12:20-50

      नीसान 11

      बैतनियाह-यरूशलेम

      सूखे हुए अंजीर के पेड़ से सबक

      21:19-22

      11:20-25

         

      यरूशलेम का मंदिर

      उसके अधिकार पर सवाल उठाया जाता है; दो बेटों की मिसाल

      21:23-32

      11:27-33

      20:1-8

       

      मिसालें: खून करनेवाले बागबान, शादी की दावत

      21:33–22:14

      12:1-12

      20:9-19

       

      परमेश्‍वर, सम्राट, मरे हुओं के ज़िंदा होने और सबसे बड़ी आज्ञा के बारे में सवालों के जवाब देता है

      22:15-40

      12:13-34

      20:20-40

       

      भीड़ से पूछता है, क्या मसीह दाविद का वंशज है

      22:41-46

      12:35-37

      20:41-44

       

      शास्त्रियों और फरीसियों को धिक्कारता है

      23:1-39

      12:38-40

      20:45-47

       

      विधवा के दान पर ध्यान देता है

       

      12:41-44

      21:1-4

       

      जैतून पहाड़

      अपनी मौजूदगी की निशानी बताता है

      24:1-51

      13:1-37

      21:5-38

       

      मिसालें: दस कुँवारियाँ, तोड़े, भेड़ें और बकरियाँ

      25:1-46

           

      नीसान 12

      यरूशलेम

      यहूदी अगुवे उसे मार डालने की साज़िश रचते हैं

      26:1-5

      14:1, 2

      22:1, 2

       

      यहूदा, यीशु को पकड़वाने की बात करके आता है

      26:14-16

      14:10, 11

      22:3-6

       

      नीसान 13 (गुरुवार दोपहर)

      यरूशलेम में और उसके आस-पास

      आखिरी फसह की तैयारियाँ करता है

      26:17-19

      14:12-16

      22:7-13

       

      नीसान 14

      यरूशलेम

      प्रेषितों के साथ फसह का खाना खाता है

      26:20, 21

      14:17, 18

      22:14-18

       

      प्रेषितों के पैर धोता है

           

      13:1-20

      उन जगहों का नक्शा जहाँ यीशु ने धरती पर अपने आखिरी दिनों में सेवा की थी। इसमें यरूशलेम, बैतनियाह, बैतफगे और जैतून पहाड़ भी हैं

  • क7-झ यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिन (भाग 2)
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • क7-झ

      यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिन (भाग 2)

      वक्‍त

      जगह

      घटना

      मत्ती

      मरकुस

      लूका

      यूहन्‍ना

      नीसान 14

      यरूशलेम

      यीशु, यहूदा को गद्दार बताकर बाहर भेज देता है

      26:21-25

      14:18-21

      22:21-23

      13:21-30

      प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत करता है (1कुरिं 11:23-25)

      26:26-29

      14:22-25

      22:19, 20, 24-30

       

      बताता है कि पतरस उसे जानने से इनकार करेगा और प्रेषित तितर-बितर हो जाएँगे

      26:31-35

      14:27-31

      22:31-38

      13:31-38

      मददगार को भेजने का वादा करता है; सच्ची बेल की मिसाल; प्यार करने की आज्ञा; प्रेषितों के साथ आखिरी प्रार्थना

           

      14:1–17:26

      गतसमनी

      बाग में दुख से तड़पना; यीशु के साथ विश्‍वासघात और उसकी गिरफ्तारी

      26:30, 36-56

      14:26, 32-52

      22:39-53

      18:1-12

      यरूशलेम

      हन्‍ना पूछताछ करता है; महासभा में कैफा मुकदमा चलाता है; पतरस यीशु का इनकार करता है

      26:57–27:1

      14:53–15:1

      22:54-71

      18:13-27

      गद्दार यहूदा फाँसी लगा लेता है (प्रेषि 1:18, 19)

      27:3-10

           

      पहले पीलातुस के, फिर हेरोदेस के और दोबारा पीलातुस के सामने लाया जाता है

      27:2, 11-14

      15:1-5

      23:1-12

      18:28-38

      पीलातुस उसे रिहा करना चाहता है मगर यहूदी, बरअब्बा को छोड़ने की माँग करते हैं; यातना के काठ पर मार डालने की सज़ा सुनायी जाती है

      27:15-30

      15:6-19

      23:13-25

      18:39–19:16

      (दोपहर करीब 3 बजे, शुक्रवार)

      गुलगुता

      यातना के काठ पर दम तोड़ता है

      27:31-56

      15:20-41

      23:26-49

      19:16-30

      यरूशलेम

      यीशु की लाश यातना के काठ से उतारकर गुफा में रखी गयी

      27:57-61

      15:42-47

      23:50-56

      19:31-42

      नीसान 15

      यरूशलेम

      याजक और फरीसी उसकी कब्र पर पहरा बिठाते हैं और उसका द्वार अच्छी तरह बंद करवाते हैं

      27:62-66

           

      नीसान 16

      यरूशलेम और उसके आस-पास; इम्माऊस

      यीशु ज़िंदा हो गया; पाँच बार चेलों को दिखायी देता है

      28:1-15

      16:1-8

      24:1-49

      20:1-25

      नीसान 16 के बाद

      यरूशलेम; गलील

      और भी कई बार चेलों को दिखायी देता है (1कुरिं 15:5-7; प्रेषि 1:3-8); हिदायतें देता है; चेला बनाने का काम सौंपता है

      28:16-20

         

      20:26–21:25

      अय्यार 25

      बैतनियाह के पास जैतून पहाड़ पर

      ज़िंदा होने के 40वें दिन यीशु स्वर्ग जाता है (प्रेषि 1:9-12)

         

      24:50-53

       

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