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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
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व्यवस्थाविवरण

1 जब इसराएली यरदन के पासवाले वीराने में थे, तब मूसा ने उन सबसे बात की। यह वही वीराना है जो सूफ के सामने और पारान, तोपेल, लाबान, हसेरोत और दीजाहाब के बीच है। 2 (सेईर के पहाड़ी इलाके के रास्ते होरेब से कादेश-बरने+ जाने में 11 दिन लगते हैं।) 3 मिस्र से इसराएलियों के निकलने के 40वें साल+ के 11वें महीने के पहले दिन, मूसा ने इसराएलियों* को वह सारी बातें बतायीं जो यहोवा ने उसे बताने की हिदायत दी थी। 4 यह उन दिनों की बात है जब मूसा ने हेशबोन में रहनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन+ को और अश्‍तारोत में रहनेवाले बाशान के राजा ओग+ को एदरेई में हराया था।+ 5 जब वे मोआब देश में यरदन के इलाके में थे, तब मूसा ने उन्हें परमेश्‍वर के कानून के बारे में यह समझाया:+

6 “जब हम होरेब में थे तब हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमसे कहा था, ‘तुम्हें इस पहाड़ी प्रदेश में रहते बहुत समय बीत चुका है।+ 7 अब तुम यहाँ से आगे बढ़ो और एमोरियों+ के पहाड़ी प्रदेश में जाओ। इसके बाद, तुम उसके पड़ोस में कनानियों के इन सभी इलाकों में जाना: अराबा,+ पहाड़ी प्रदेश, शफेलाह, नेगेब और समुंदर किनारे का इलाका।+ और तुम दूर लबानोन*+ और महानदी फरात+ तक जाओ। 8 देखो, यह सारा देश तुम्हारे सामने है। तुम जाओ और इस देश को अपने अधिकार में कर लो जिसके बारे में यहोवा ने शपथ खाकर तुम्हारे पुरखों से कहा था। हाँ, उसने अब्राहम, इसहाक+ और याकूब+ से कहा था कि वह उन्हें और उनके बाद उनके वंश को यह देश देगा।’+

9 उस समय मैंने तुम लोगों से कहा था, ‘मैं तुम सबको ले जाने का बोझ अकेले नहीं ढो सकता।+ 10 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें गिनती में इतना बढ़ाया है कि आज तुम आसमान के तारों की तरह अनगिनत हो गए हो।+ 11 और मैं दुआ करता हूँ कि तुम्हारे पुरखों का परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें और भी हज़ारों गुना बढ़ाए+ और तुम्हें आशीष दे, ठीक जैसे उसने तुमसे वादा किया है।+ 12 लेकिन मैं अकेले इतनी बड़ी भीड़ का बोझ नहीं ढो सकता, सबकी समस्याएँ नहीं सुलझा सकता और तुम्हारे झगड़े नहीं सह सकता।+ 13 इसलिए अपने-अपने गोत्र से ऐसे आदमी चुनो जो बुद्धिमान और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले और तजुरबेकार हों। मैं उन्हें तुम्हारा अधिकारी ठहराऊँगा।’+ 14 और तुमने कहा था, ‘हाँ, यह ठीक रहेगा।’ 15 तब मैंने तुम्हारे गोत्रों के उन मुखियाओं को लिया, जो बुद्धिमान और तजुरबेकार थे और उन्हें तुम पर प्रधान ठहराया। मैंने उन्हें हज़ारों, सैकड़ों, पचास-पचास और दस-दस की टोली पर प्रधान ठहराया और तुम्हारे गोत्रों के लिए अधिकारी बनाया।+

16 और उस समय मैंने तुम्हारे न्यायियों को यह हिदायत दी, ‘जब तुम्हारे सामने कोई मुकदमा पेश किया जाता है, तो तुम सच्चाई से न्याय करना,+ फिर चाहे मामला दो इसराएलियों के बीच का हो या एक इसराएली और तुम्हारे यहाँ रहनेवाले परदेसी के बीच का।+ 17 तुम न्याय करते वक्‍त किसी की तरफदारी न करना।+ जैसे तुम एक बड़े आदमी का मामला सुनते हो, उसी तरह तुम एक दीन आदमी का मामला भी सुनना।+ तुम इंसान से मत डरना+ क्योंकि तुम परमेश्‍वर की तरफ से न्याय करते हो।+ अगर कोई मामला तुम्हें बहुत पेचीदा लगे तो उसे मेरे पास लाना, उसकी सुनवाई मैं करूँगा।’+ 18 और तुम्हें जो-जो करना चाहिए वह सब मैंने उसी वक्‍त तुम्हें समझा दिया था।

19 इसके बाद, जैसे यहोवा ने हमें आज्ञा दी, हम होरेब से रवाना हुए और वहाँ से एमोरियों के पहाड़ी प्रदेश में+ जाने के लिए हमने वह बड़ा और भयानक वीराना पार किया+ जिसे तुमने भी देखा था। और हम सफर करते-करते कादेश-बरने पहुँचे।+ 20 वहाँ पहुँचने पर मैंने तुमसे कहा, ‘तुम लोग एमोरियों के पहाड़ी प्रदेश में आ गए हो, जो हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमें देने जा रहा है। 21 देखो, तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने यह देश तुम्हारे हाथ में कर दिया है। अब तुम जाओ और इसे अपने अधिकार में कर लो, ठीक जैसे तुम्हारे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा ने तुमसे कहा है।+ तुम किसी से मत डरना और न किसी से खौफ खाना।’

22 तब तुम सब मेरे पास आकर कहने लगे, ‘क्यों न हम उस देश में जाने से पहले अपने कुछ आदमियों को वहाँ भेजें ताकि वे उस देश का मुआयना करें और लौटकर हमें बताएँ कि हमें कौन-सा रास्ता लेना चाहिए और किन-किन शहरों से हमारा सामना होगा?’+ 23 मुझे तुम्हारा यह सुझाव अच्छा लगा इसलिए मैंने तुम्हारे बीच से 12 आदमी चुने, हर गोत्र से एक आदमी।+ 24 वे आदमी वहाँ से पहाड़ी प्रदेश की तरफ गए+ और एशकोल घाटी पहुँचकर उन्होंने देश की जासूसी की। 25 उन्होंने उस देश के कुछ फल भी लिए और हमारे पास लौट आए। उस देश के बारे में उन्होंने हमें यह खबर दी, ‘हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमें जो देश देनेवाला है वह बहुत बढ़िया है।’+ 26 मगर तुम लोगों ने उस देश में जाने से इनकार कर दिया और तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के आदेश के खिलाफ जाकर बगावत करने लगे।+ 27 तुम अपने-अपने तंबू में कुड़कुड़ाते रहे और कहते रहे, ‘यहोवा हमसे नफरत करता है, इसीलिए वह हमें मिस्र से निकालकर यहाँ ले आया ताकि हमें एमोरियों के हवाले कर दे और वे हमें नाश कर दें। 28 हाय! हम कैसे देश में जा रहे हैं? हमारे भाई जो उस देश को देख आए हैं वे कहते हैं, “उस देश के लोग हमसे कहीं ज़्यादा ताकतवर हैं, बहुत लंबे-चौड़े हैं। उनके शहर बहुत बड़े-बड़े हैं और शहरपनाह इतनी ऊँची हैं कि आसमान से बातें करती हैं।+ हमने वहाँ अनाकी लोगों+ को देखा है।” यह सब सुनकर हमारी हिम्मत टूट गयी है।’+

29 तब मैंने तुमसे कहा, ‘उस देश के लोगों से मत डरो, न ही उनसे खौफ खाओ।+ 30 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे आगे-आगे जाएगा और वह तुम्हारी तरफ से लड़ेगा,+ ठीक जैसे वह मिस्र में तुम्हारे देखते तुम्हारी तरफ से लड़ा था।+ 31 और वीराने में भी तुमने देखा कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने कैसे तुम्हारी देखभाल की। पूरे सफर के दौरान तुम जहाँ-जहाँ गए, परमेश्‍वर तुम्हें ऐसे उठाए रहा जैसे एक पिता अपने बेटे को गोद में उठाए चलता है और तुम्हें यहाँ तक पहुँचाया।’ 32 मगर फिर भी तुमने अपने परमेश्‍वर यहोवा पर विश्‍वास नहीं किया,+ 33 जो तुम्हारे आगे-आगे चलता था और तुम्हारे लिए पड़ाव डालने की जगह ढूँढ़ता था। वह रात को आग से और दिन में बादल से तुम्हें दिखाता था कि तुम्हें किस रास्ते जाना है।+

34 उस दौरान तुम जो-जो बातें कर रहे थे वह सब यहोवा सुन रहा था। उसका क्रोध भड़क उठा और उसने शपथ खाकर कहा,+ 35 ‘इस दुष्ट पीढ़ी का एक भी आदमी उस बढ़िया देश को नहीं देख पाएगा जिसे देने के बारे में मैंने तुम्हारे पुरखों से शपथ खाकर कहा था।+ 36 सिर्फ यपुन्‍ने का बेटा कालेब उस देश में जा पाएगा जिसे वह देख आया है। मैं उसे और उसकी संतान को वहाँ की ज़मीन में से एक हिस्सा दूँगा, क्योंकि वह पूरे दिल से* यहोवा के पीछे चला है।+ 37 (तुम्हारी वजह से यहोवा मुझ पर भी भड़क उठा और उसने मुझसे कहा, “तू भी उस देश में नहीं जाएगा।+ 38 नून का बेटा यहोशू, जो तेरा सेवक है,+ उस देश में कदम रख पाएगा।+ तू उसकी हिम्मत बँधा*+ क्योंकि वही इसराएलियों की अगुवाई करके उस देश को उनके अधिकार में कर देगा।”) 39 इसके अलावा तुम्हारे बच्चे, जिनके बारे में तुमने कहा कि वे बंदी बना लिए जाएँगे+ और तुम्हारे ये बेटे जिन्हें आज सही-गलत की समझ नहीं है, ये सब उस देश में जाएँगे। मैं वह देश इन सबके अधिकार में कर दूँगा।+ 40 अब तुम लोग पीछे मुड़ जाओ और लाल सागर की तरफ जानेवाले रास्ते से वीराने के लिए रवाना हो जाओ।’+

41 तब तुम लोगों ने मुझसे कहा, ‘हमने यहोवा के खिलाफ पाप किया है। अब हम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा मानेंगे और जाकर दुश्‍मनों से लड़ेंगे!’ फिर तुम सबने युद्ध के लिए अपने-अपने हथियार बाँध लिए। तुमने सोचा कि पहाड़ पर चढ़कर दुश्‍मनों से लड़ना बहुत आसान है।+ 42 मगर यहोवा ने मुझसे कहा, ‘उनसे कहना, “तुम लोग उनसे लड़ने मत जाओ क्योंकि मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा।+ अगर तुम जाओगे तो दुश्‍मनों से हार जाओगे।”’ 43 मैंने परमेश्‍वर की यह बात तुम्हें बतायी मगर तुमने मेरी एक न सुनी। तुम यहोवा के आदेश के खिलाफ गए और तुमने पहाड़ पर चढ़ने की गुस्ताखी की। 44 तब उस पहाड़ पर रहनेवाले एमोरी लोगों ने आकर तुम्हारा सामना किया। वे मधुमक्खियों की तरह तुम पर टूट पड़े और उन्होंने तुम्हें सेईर के इलाके में दूर होरमा तक भगाया। 45 तब तुम लौट आए और यहोवा के सामने रोने लगे। मगर यहोवा ने तुम्हारा रोना नहीं सुना और तुम पर कोई ध्यान नहीं दिया। 46 इसलिए तुम बहुत समय तक कादेश में ही रहे।

2 फिर हम पीछे मुड़ गए और लाल सागर की तरफ जानेवाले रास्ते से वीराने के लिए रवाना हुए, ठीक जैसे यहोवा ने मुझे बताया था।+ हम कई दिनों तक सेईर के पहाड़ी इलाके के किनारे-किनारे सफर करते रहे। 2 इसके बाद यहोवा ने मुझसे कहा, 3 ‘तुम्हें इस पहाड़ी इलाके के पास सफर करते काफी समय हो गया है। अब उत्तर की तरफ मुड़ो। 4 तू लोगों को यह आज्ञा देना: “तुम सेईर+ के किनारे-किनारे से जाना जो तुम्हारे भाइयों का, एसाव के वंशजों का देश है।+ जब तुम उनके इलाके के पास से जाओगे तो वे तुमसे बहुत डरेंगे।+ मगर तुम इस बात का ध्यान रखना 5 कि तुम उन्हें किसी भी तरह नहीं भड़काओगे क्योंकि मैं उनके देश का कोई भी इलाका तुम्हें नहीं दूँगा, उनकी ज़मीन में से पाँव धरने भर की भी जगह नहीं दूँगा। मैंने सेईर का पहाड़ी इलाका एसाव के अधिकार में कर दिया है।+ 6 तुम कीमत देकर उनसे खाना और पानी खरीदना।+ 7 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे हर काम पर आशीष दी है। तुमने इस बड़े वीराने में जो सफर तय किया है, वह परमेश्‍वर अच्छी तरह जानता है। इन 40 सालों के दौरान तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ रहा, इसलिए तुम्हें कभी किसी चीज़ की कमी नहीं हुई।”’+ 8 तब जैसे परमेश्‍वर ने हमें आज्ञा दी, हम सेईर के किनारे-किनारे निकल गए जो हमारे भाइयों का, एसाव के वंशजों का इलाका है।+ हमने अराबा का रास्ता नहीं लिया और एलत और एस्योन-गेबेर+ से दूर रहे।

इसके बाद हम मुड़कर मोआब के वीराने के रास्ते से गए।+ 9 तब यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तुम मोआबियों को किसी भी तरह नहीं भड़काओगे और न ही उनसे युद्ध करोगे, क्योंकि मैं उनके देश का कोई भी इलाका तुम्हें नहीं दूँगा। मैंने आर का इलाका लूत के इन वंशजों के अधिकार में कर दिया है।+ 10 (पहले आर में एमी लोग+ रहते थे, जो अनाकियों की तरह बहुत लंबे-चौड़े और ताकतवर थे और तादाद में बहुत ज़्यादा थे। 11 माना जाता था कि रपाई लोग+ भी अनाकियों+ की तरह थे और मोआबी उन्हें एमी लोग कहते थे। 12 सेईर में पहले होरी लोग+ रहते थे, मगर बाद में एसाव के वंशजों ने उनका नाश कर दिया और उनके इलाके पर कब्ज़ा करके वहाँ बस गए।+ उसी तरह इसराएल भी उस देश को अपने कब्ज़े में करेगा जिस पर उसका अधिकार है क्योंकि यहोवा उन्हें ज़रूर वह देश दे देगा।) 13 अब तुम लोग जाकर जेरेद घाटी पार करो।’ तब हमने जेरेद घाटी पार की।+ 14 कादेश-बरने से पैदल सफर शुरू करने से लेकर जेरेद घाटी पार करने तक हमें 38 साल लगे। उस वक्‍त तक इसराएलियों में से सैनिकों की पूरी पीढ़ी मिट चुकी थी, ठीक जैसे यहोवा ने शपथ खाकर उनसे कहा था।+ 15 यहोवा का हाथ उनके खिलाफ तब तक उठा रहा जब तक कि वे सभी छावनी में से मिट न गए।+

16 जब सैनिकों की पूरी पीढ़ी मिट गयी+ तो उसके फौरन बाद, 17 यहोवा ने मुझसे दोबारा बात की और मुझसे कहा, 18 ‘आज तुम्हें मोआब के इलाके में आर के पास से गुज़रना है। 19 जब तुम अम्मोनियों के इलाके के पास पहुँचोगे तो उन्हें न तो सताना, न ही भड़काना क्योंकि उनके देश का कोई भी इलाका मैं तुम्हें नहीं दूँगा। मैंने वह इलाका लूत के उन वंशजों के अधिकार में कर दिया है।+ 20 वह भी पहले रपाई लोगों का इलाका माना जाता था।+ (पहले वहाँ रपाई लोग रहते थे जिन्हें अम्मोनी, जमजुम्मी लोग कहते थे। 21 रपाई लोग अनाकियों की तरह लंबे-चौड़े और ताकतवर थे और तादाद में बहुत ज़्यादा थे।+ मगर यहोवा ने उन्हें अम्मोनियों के सामने से नाश कर दिया और अम्मोनियों ने उन्हें वहाँ से भगा दिया और वे उनके इलाके में बस गए। 22 परमेश्‍वर ने एसाव के वंशजों की खातिर भी ऐसा ही किया जो अब सेईर में रह रहे हैं।+ उसने होरी लोगों को एसाव के वंशजों के सामने से नाश कर दिया+ ताकि वे होरी लोगों के इलाके पर कब्ज़ा कर लें और वहाँ बस जाएँ और आज तक वे वहीं बसे हुए हैं। 23 और अव्वी लोग दूर गाज़ा तक बस्तियों में रहते थे।+ जब कप्तोर* से कप्तोरी लोग+ आए तो उन्होंने अव्वी लोगों को नाश कर दिया और उनकी जगह खुद बस गए।)

24 अब तुम जाओ और अरनोन घाटी पार करो।+ देखो, मैंने हेशबोन के एमोरी राजा सीहोन+ को तुम्हारे हाथ में कर दिया है। इसलिए उसके देश को अपने कब्ज़े में लेते जाओ और उससे युद्ध करो। 25 आज ही से मैं धरती पर रहनेवाले* सब लोगों में ऐसा डर फैला दूँगा कि तुम्हारे बारे में सुनते ही उनका दिल दहल जाएगा। तुम्हारी वजह से उनके बीच खलबली मच जाएगी और वे थर-थर काँप उठेंगे।’*+

26 फिर मैंने कदेमोत वीराने+ से अपने दूतों को हेशबोन के राजा सीहोन के पास भेजा। मैंने उसे शांति का यह संदेश भेजा:+ 27 ‘मुझे अपने देश के इलाके से गुज़रने दे। मैं “राजा की सड़क” पर ही चलूँगा, उससे न दाएँ मुड़ूँगा न बाएँ।+ 28 मैं तुझसे जो खाना और पानी लूँगा, उसका दाम चुका दूँगा। बस मुझे अपने इलाके से पैदल जाने की इजाज़त दे। 29 सेईर में एसाव के वंशजों ने और आर में मोआबियों ने मेरे साथ ऐसा ही किया था। मुझे अपने इलाके से होकर जाने दे जब तक कि मैं यरदन पार करके उस देश में न पहुँचूँ जो हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमें देने जा रहा है।’ 30 मगर हेशबोन के राजा सीहोन ने हमें अपने इलाके से जाने की इजाज़त नहीं दी। उसका दिल कठोर हो गया और वह अपनी ज़िद पर अड़ा रहा। तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने उसे ढीठ ही रहने दिया+ ताकि वह उस राजा को तुम्हारे हाथ में कर दे, जैसा कि अभी हुआ है।+

31 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, ‘देख, मैंने सीहोन और उसके देश को तेरे हवाले कर दिया है। उसके देश पर कब्ज़ा करना शुरू कर दे।’+ 32 जब सीहोन अपने सब लोगों को लेकर यहस में हमसे लड़ने आया,+ 33 तो हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने उसे हमारे हाथ में कर दिया। हमने उसे, उसके बेटों और उसके सभी लोगों को हरा दिया। 34 हमने उसके सभी शहरों पर कब्ज़ा कर लिया और हरेक शहर को नाश कर दिया। हमने वहाँ के सभी आदमियों, औरतों और बच्चों को मार डाला, एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा।+ 35 जब हमने उन शहरों पर कब्ज़ा किया तो हमने सिर्फ वहाँ के जानवर और वहाँ का माल लूट में लिया। 36 अरनोन घाटी के किनारे अरोएर शहर+ (साथ ही वह शहर जो घाटी में है) से लेकर दूर गिलाद तक ऐसा कोई भी शहर नहीं था जिसे हम हरा न सके। हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने उन सारे शहरों को हमारे हाथ में कर दिया था।+ 37 मगर तुम यब्बोक घाटी+ के किनारे के इलाके में नहीं गए जो अम्मोनियों का इलाका है,+ न ही पहाड़ी प्रदेश के शहरों में या किसी ऐसी जगह गए जहाँ जाने से हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमें मना किया था।

3 फिर हम मुड़कर “बाशान सड़क” से गए। तब बाशान का राजा ओग अपने सब आदमियों को लेकर एदरेई में हमसे युद्ध करने आया।+ 2 उस वक्‍त यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तू उससे मत डर क्योंकि मैं उसे और उसके सब लोगों को और उसके देश को तेरे हाथ में कर दूँगा। तू उसका वही हश्र करेगा जो तूने हेशबोन में रहनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन का किया था।’ 3 हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने बाशान के राजा ओग और उसके सब लोगों को भी हमारे हाथ में कर दिया। हम उन्हें तब तक मारते गए जब तक कि एक भी ज़िंदा न बचा। 4 फिर हमने ओग के राज्य बाशान में अरगोब का पूरा इलाका जीत लिया और उसके सभी शहरों पर कब्ज़ा कर लिया। हमने कुल मिलाकर 60 शहरों को अपने अधिकार में कर लिया। वहाँ एक भी शहर ऐसा नहीं था जिस पर हमने कब्ज़ा न किया हो।+ 5 ये सब-के-सब किलेबंद शहर थे जिनकी ऊँची-ऊँची शहरपनाह, फाटक और बेड़े थे। इनके अलावा, वहाँ बिन शहरपनाहवाले बहुत-से नगर भी थे। 6 मगर हमने इन सभी शहरों और नगरों को नाश कर दिया।+ हमने हरेक शहर को खाक में मिला दिया और वहाँ के सभी आदमियों, औरतों और बच्चों को मार डाला,+ ठीक जैसे हमने हेशबोन के राजा सीहोन के साथ किया था। 7 और उन शहरों में जितने भी जानवर और जितना भी माल था वह सब हमने लूट लिया।

8 इस तरह हमने यरदन प्रांत में दोनों एमोरी राजाओं के देश पर कब्ज़ा कर लिया,+ जिनकी सरहद अरनोन घाटी से लेकर दूर हेरमोन पहाड़ तक फैली थी।+ 9 (इस पहाड़ को सीदोनी लोग सिरयोन और एमोरी लोग सनीर कहते थे।) 10 हमने उनके पठारी इलाके के सभी शहर, पूरा गिलाद और दूर सलका और एदरेई तक बाशान का पूरा इलाका ले लिया। सलका और एदरेई,+ राजा ओग के राज्य बाशान के शहर थे। 11 बाशान का राजा ओग रपाई लोगों में से आखिरी आदमी था जो मारा गया। उसकी अर्थी* लोहे* की बनी थी और मानक नाप के मुताबिक अर्थी की लंबाई नौ हाथ* और चौड़ाई चार हाथ थी। वह अर्थी आज भी अम्मोनियों के शहर रब्बाह में पायी जाती है। 12 उस समय हमने इस इलाके पर कब्ज़ा कर लिया। इसकी सरहद अरनोन घाटी के पास अरोएर+ से शुरू होती है और उसमें गिलाद के पहाड़ी प्रदेश का आधा भाग भी आता है। मैंने वहाँ के शहर रूबेनियों और गादियों को दिए।+ 13 और गिलाद का बाकी हिस्सा और बाशान का वह इलाका जो राजा ओग के राज्य में आता है, मैंने मनश्‍शे के आधे गोत्र को दिया।+ अरगोब का पूरा इलाका जो बाशान में था, रपाई लोगों का देश कहलाता था।

14 मनश्‍शे के बेटे याईर+ ने अरगोब का पूरा इलाका+ लिया जो दूर गशूरियों और माकातियों+ के इलाके की सरहद तक फैला था। याईर ने बाशान के कसबों का नाम बदलकर अपने नाम पर हव्वोत-याईर*+ रखा। आज तक उन गाँवों का यही नाम है। 15 मैंने गिलाद का इलाका माकीर+ को दिया। 16 और रूबेनियों और गादियों+ को मैंने जो इलाका दिया, वह गिलाद से लेकर अरनोन घाटी तक (घाटी का बीच का हिस्सा इसकी सरहद है) और दूर यब्बोक घाटी तक (यह घाटी अम्मोनियों के देश की सरहद है) 17 और अराबा और यरदन और उसके किनारे तक, यानी किन्‍नेरेत से अराबा के सागर तक फैला है। अराबा का सागर या लवण सागर* पूरब की तरफ पिसगा की ढलानों के नीचे है।+

18 इसके बाद मैंने तुम लोगों को यह आज्ञा दी, ‘तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने यह देश तुम्हें दे दिया है ताकि तुम इसे अपने अधिकार में कर लो। तुम्हारे बीच जितने भी योद्धा हैं, सब हथियार बाँधकर अपने बाकी इसराएली भाइयों के आगे-आगे नदी के उस पार जाएँ।+ 19 सिर्फ तुम्हारे बीवी-बच्चे और तुम्हारे जानवर (मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पास जानवरों के बहुत बड़े-बड़े झुंड हैं) उन शहरों में रह जाएँ जो मैंने तुम्हें दिए हैं, 20 जब तक कि यहोवा तुम्हारे भाइयों को चैन नहीं देता जैसे तुम्हें दिया है और वे भी यरदन के पार वह इलाका अपने अधिकार में न कर लें जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन्हें देनेवाला है। फिर तुममें से हरेक अपनी-अपनी ज़मीन में लौट सकता है जो मैंने तुम्हें दी है।’+

21 उसी दौरान मैंने यहोशू को यह आज्ञा दी:+ ‘तूने खुद अपनी आँखों से देखा है कि तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने इन दोनों राजाओं का क्या हश्र किया। यहोवा नदी के पार उन सभी राज्यों के साथ भी ऐसा ही करेगा जहाँ तू जानेवाला है।+ 22 तुम लोग उनसे बिलकुल मत डरना क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारी तरफ से लड़ता है।’+

23 तब मैंने यहोवा से बिनती की, 24 ‘हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू अपने सेवक को अपनी महानता और अपना शक्‍तिशाली हाथ दिखाने लगा है।+ आसमान में या धरती पर क्या तुझ जैसा कोई ईश्‍वर है जो ऐसे शक्‍तिशाली काम कर सके?+ 25 अब दया करके मुझे यरदन पार जाने दे और उस बढ़िया देश को देखने दे। उस खूबसूरत पहाड़ी प्रदेश और लबानोन को एक नज़र देखने का मौका दे।’+ 26 मगर तुम लोगों की वजह से यहोवा तब भी मुझसे भड़का हुआ था।+ इसलिए उसने मेरी बिनती नहीं सुनी। इसके बजाय यहोवा ने मुझसे कहा, ‘बस, बहुत हो गया! आइंदा कभी मुझसे इस बारे में बात मत करना। 27 तू पिसगा की चोटी पर जा+ और वहाँ से उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्‍चिम, चारों तरफ नज़र दौड़ाकर उस पूरे देश को देख क्योंकि तू इस यरदन को पार नहीं करेगा।+ 28 और तू यहोशू को अगुवा ठहरा+ और उसकी हिम्मत बँधा और उसे मज़बूत कर क्योंकि वही इन लोगों के आगे-आगे चलकर यरदन पार करेगा+ और उस देश को उनके अधिकार में कर देगा जो तू देखनेवाला है।’ 29 यह सब उन दिनों की घटनाएँ हैं जब हम बेतपोर के सामनेवाली घाटी में डेरा डाले हुए थे।+

4 अब हे इसराएल, मैं तुम्हें जो कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सिखाता हूँ उन्हें तुम ध्यान से सुनना और उनका पालन करना ताकि तुम जीते रहो+ और उस देश में जाकर उसे अपने अधिकार में कर लो जो तुम्हारे पुरखों का परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देने जा रहा है। 2 मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ सुनाता हूँ, उनमें न तो तुम कुछ जोड़ना और न ही उनसे कुछ निकालना+ ताकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की सभी आज्ञाओं का पालन करते रहो।

3 तुमने खुद अपनी आँखों से देखा है कि यहोवा ने पोर के बाल देवता के मामले में क्या किया था। तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे बीच से ऐसे हर आदमी को मिटा दिया जिसने पोर के बाल की पूजा की थी।+ 4 मगर तुम सब आज इसलिए ज़िंदा हो क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को मज़बूती से थामे हुए हो। 5 देखो, जैसे मेरे परमेश्‍वर यहोवा ने मुझे आज्ञा दी है, मैंने तुम्हें उसके सारे कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सिखाए हैं+ ताकि तुम उस देश में उनका पालन करो जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो। 6 तुम इन सभी कायदे-कानूनों को सख्ती से मानना+ क्योंकि ऐसा करने से सभी राष्ट्रों के सामने तुम्हारी बुद्धि+ और समझ+ ज़ाहिर होगी। और वे इन कायदे-कानूनों के बारे में सुनकर कहेंगे, ‘इस बड़े राष्ट्र के लोग वाकई बुद्धिमान और समझदार हैं।’+ 7 ऐसा कौन-सा बड़ा राष्ट्र है जिसके देवता उसके इतने करीब रहते हैं जितना हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमारे करीब रहता है? हम जब भी उसकी दुहाई देते हैं, वह फौरन हमारी सुनता है।+ 8 ऐसा कौन-सा बड़ा राष्ट्र है जिसके कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत इतने सच्चे हैं जितना कि यह पूरा कानून है जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ?+

9 सावधान रहो और खुद पर कड़ी नज़र रखो ताकि जो कुछ तुमने अपनी आँखों से देखा है, उसे कभी भूल न जाओ और यह जीते-जी तुम्हारे दिल से उतरने न पाए। तुम ये सारी बातें अपने बेटों और पोतों को भी बताना।+ 10 जिस दिन तुम होरेब में अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खड़े हुए उस दिन यहोवा ने मुझसे कहा था, ‘सब लोगों को मेरे सामने इकट्ठा कर ताकि मैं उन्हें अपनी आज्ञाएँ सुनाऊँ+ जिससे वे सारी ज़िंदगी मेरा डर मानना सीखें+ और अपने बेटों को भी सिखाएँ।’+

11 तब तुम सब पहाड़ के पास आए और उसके नीचे खड़े हुए। वह पहाड़ आग से धधकने लगा और उसकी ज्वाला आसमान तक उठने लगी। चारों तरफ घोर अँधेरा और काले घने बादल छा गए।+ 12 फिर यहोवा ने आग में से तुमसे बात करनी शुरू की।+ तुमने सिर्फ उसकी बातें सुनीं, मगर कोई रूप नहीं देखा।+ वहाँ सिर्फ एक आवाज़ सुनायी दे रही थी।+ 13 परमेश्‍वर ने तुम्हें अपना करार+ यानी दस आज्ञाएँ*+ सुनायीं और तुम्हें आदेश दिया कि तुम उनका पालन करना। इसके बाद उसने पत्थर की दो पटियाओं पर वे आज्ञाएँ लिखकर दीं।+ 14 उस वक्‍त यहोवा ने मुझे आज्ञा दी कि मैं तुम्हें उसके कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सिखाऊँ ताकि तुम उस देश में उनका पालन करो जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।

15 होरेब में जब यहोवा ने तुमसे आग के बीच से बात की, तो उस वक्‍त तुमने उसका कोई रूप नहीं देखा था। इसलिए तुम खुद पर कड़ी नज़र रखो 16 कि तुम पूजा के लिए कोई मूरत बनाकर भ्रष्ट न हो जाओ। तुम किसी के भी रूप की मूरत नहीं बनाओगे, न आदमी की न औरत की,+ 17 न धरती के किसी जानवर की, न आसमान में उड़नेवाले किसी पंछी की,+ 18 न ज़मीन पर रेंगनेवाले किसी जीव की और न ही धरती के पानी में रहनेवाली किसी मछली की।+ 19 जब तुम आँखें उठाकर आसमान की तरफ देखोगे और तुम्हें सूरज, चाँद और तारे नज़र आएँगे, तो तुम आकाश की सारी सेना के आगे दंडवत करने के लिए, उसकी पूजा करने के लिए बहक मत जाना।+ तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने यह सब आकाश के नीचे रहनेवाले सभी लोगों के लिए दिया है। 20 तुम ही वे लोग हो जिन्हें यहोवा ने लोहा पिघलानेवाले भट्ठे से, मिस्र से बाहर निकाला है ताकि तुम उसकी जागीर* बनो,+ जैसा कि आज तुम हो।

21 तुम लोगों की वजह से यहोवा मुझ पर भड़क गया+ और उसने शपथ खाकर कहा कि वह मुझे यरदन पार करने नहीं देगा और उस बढ़िया देश में नहीं जाने देगा जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें विरासत में देनेवाला है।+ 22 अब इसी देश में मेरी मौत हो जाएगी। मैं यरदन पार नहीं करूँगा,+ मगर तुम लोग यरदन पार करोगे और उस बढ़िया देश को अपने अधिकार में कर लोगे। 23 तुम इस बात का पूरा ध्यान रखना कि तुम उस करार को कभी नहीं भूलोगे जो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे साथ किया है+ और पूजा के लिए कोई भी मूरत नहीं तराशोगे, किसी के भी रूप की प्रतिमा नहीं बनाओगे जैसा कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें मना किया है।+ 24 क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा भस्म करनेवाली आग है।+ वह ऐसा परमेश्‍वर है जो माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए।+

25 जब तुम्हारे बच्चे और नाती-पोते होंगे और तुम्हें उस देश में रहते बहुत समय बीत जाएगा, तब अगर तुम दुष्ट काम करोगे और किसी तरह की मूरत तराशोगे+ और इस तरह अपने परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में बुरा काम करके उसका गुस्सा भड़काओगे,+ 26 तो यह तय है कि तुम उस देश से फौरन मिट जाओगे जिसे तुम यरदन पार करके अपने अधिकार में करनेवाले हो। आज मैं आकाश और धरती को गवाह ठहराकर तुमसे यह बात कह रहा हूँ। तुम उस देश में ज़्यादा दिन नहीं रह पाओगे बल्कि पूरी तरह तबाह हो जाओगे।+ 27 यहोवा तुम्हें दूसरे देशों में बिखरा देगा।+ जिन राष्ट्रों में यहोवा तुम्हें भगाएगा वहाँ तुममें से मुट्ठी-भर लोग ही ज़िंदा बचेंगे।+ 28 वहाँ तुम्हें इंसान के हाथ के बनाए लकड़ी और पत्थर के देवताओं की सेवा करनी होगी,+ जो न देख सकते हैं, न सुन सकते हैं, न खा सकते हैं और न ही सूँघ सकते हैं।

29 अगर तुम वहाँ रहते अपने परमेश्‍वर यहोवा की खोज करोगे और पूरे दिल और पूरी जान से उसे ढूँढ़ोगे+ तो उसे ज़रूर पाओगे।+ 30 भविष्य में जब तुम पर ये सारी मुसीबतें टूट पड़ेंगी और तुम बड़े संकट में होगे, तब तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आओगे और उसकी बात मानोगे।+ 31 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा एक दयालु परमेश्‍वर है।+ वह तुम्हें कभी नहीं त्यागेगा, न ही तुम्हें मिटने देगा। उसने शपथ खाकर तुम्हारे पुरखों के साथ जो करार किया था, उसे वह हरगिज़ नहीं भूलेगा।+

32 अब ज़रा गुज़रा ज़माना याद करो। जिस दिन परमेश्‍वर ने धरती पर इंसान की सृष्टि की थी तब से लेकर तुम्हारे वजूद में आने से पहले का समय याद करो। आसमान के एक छोर से दूसरे छोर तक पता लगाओ। क्या पहले कभी ऐसी महान घटना हुई या किसी ने ऐसी घटना के बारे में सुना है?+ 33 क्या किसी और राष्ट्र के लोगों ने कभी आग में से परमेश्‍वर को बोलते हुए सुना फिर भी ज़िंदा बचे, जैसे तुम उसकी आवाज़ सुनकर भी ज़िंदा हो?+ 34 तुमने खुद अपनी आँखों से देखा कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें मिस्र से निकालकर अपनी प्रजा बनाने के लिए क्या-क्या किया। उसने मिस्र पर एक-के-बाद-एक कहर ढाए, वहाँ चिन्ह और चमत्कार किए,+ युद्ध किया,+ दिल दहलानेवाले काम किए+ और अपना शक्‍तिशाली हाथ+ बढ़ाकर तुम्हें वहाँ से बाहर निकाला। क्या उसने इससे पहले कभी किसी राष्ट्र में से दूसरे राष्ट्र को निकालने के लिए ऐसा किया? 35 यह सब तुम्हें इसलिए दिखाया गया ताकि तुम जान लो कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।+ उसके सिवा और कोई परमेश्‍वर नहीं।+ 36 उसने तुम्हें सुधारने के लिए स्वर्ग से तुमसे बात की। और धरती पर तुम्हें अपनी बड़ी आग दिखायी और तुमने उसे आग में से बात करते सुना।+

37 परमेश्‍वर तुम्हारे पुरखों से बहुत प्यार करता था और उसने उनके बाद उनके वंश को चुना।+ इसीलिए उसने तुम्हारे साथ रहकर अपनी महाशक्‍ति से तुम्हें मिस्र से बाहर निकाला। 38 उसने तुम्हारे सामने से ऐसे राष्ट्रों को खदेड़ा जो तुमसे कहीं ज़्यादा बड़े और ताकतवर थे ताकि तुम्हें उनके देश में ले जाए और उनकी ज़मीन तुम्हें विरासत में दे, जैसा कि आज हो रहा है।+ 39 इसलिए आज यह बात जान लो और अपने दिल में बिठा लो कि ऊपर आसमान में और नीचे धरती पर सिर्फ यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।+ उसके सिवा और कोई परमेश्‍वर नहीं।+ 40 और आज मैं तुम्हें जो कायदे-कानून और आज्ञाएँ देता हूँ उनका तुम ज़रूर पालन किया करना ताकि तुम्हारा और तुम्हारे बाद तुम्हारे बच्चों का भला हो और तुम उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओ जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।”+

41 उस वक्‍त मूसा ने यरदन के पूरब में तीन शहर अलग ठहराए।+ 42 अगर कोई आदमी अनजाने में, न कि नफरत की वजह से, किसी का खून कर देता है+ तो उसे इनमें से किसी शहर में भाग जाना चाहिए और वहीं रहना चाहिए।+ 43 ये तीन शहर हैं, पठारी इलाके के वीराने का बेसेर,+ जो रूबेनियों के लिए है, गिलाद का रामोत+ जो गादियों के लिए है और बाशान का गोलान+ जो मनश्‍शे के वंशजों के लिए है।+

44 यह वह कानून है+ जो मूसा ने इसराएल के लोगों को दिया। 45 जब इसराएली मिस्र से निकले तो उसके बाद मूसा ने उन्हें ये कायदे-कानून, न्याय-सिद्धांत और याद दिलाने के लिए हिदायतें दीं।+ 46 मूसा ने लोगों को यह सब उस वक्‍त बताया जब वे यरदन के पास बेतपोर के सामनेवाली घाटी में थे।+ बेतपोर, हेशबोन में रहनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन के देश में है।+ मूसा और इसराएलियों ने मिस्र से निकलने के बाद इस राजा को हराया था।+ 47 उन्होंने उसका देश और बाशान के राजा ओग का देश अपने कब्ज़े में कर लिया।+ ये दोनों एमोरी राजा यरदन के पूरब के प्रांत में रहते थे। 48 इसराएलियों ने अरनोन घाटी के पास अरोएर+ से लेकर सीओन यानी हेरमोन पहाड़ तक का पूरा इलाका+ और 49 यरदन के पूरब में पूरा अराबा और दूर पिसगा की ढलानों के नीचे अराबा के सागर* तक का इलाका ले लिया।+

5 मूसा ने सभी इसराएलियों को बुलाया और उनसे कहा, “इसराएलियो, आज मैं तुम्हें जो कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत सुनाता हूँ उन्हें तुम ध्यान से सुनना। तुम उनके बारे में सीखना और सख्ती से उनका पालन करना। 2 हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने होरेब में हमारे साथ एक करार किया था।+ 3 यहोवा ने यह करार हमारे पुरखों के साथ नहीं बल्कि हम सबके साथ किया जो आज ज़िंदा हैं। 4 यहोवा ने उस पहाड़ पर आग में से तुमसे आमने-सामने बात की थी।+ 5 उस वक्‍त मैं यहोवा और तुम्हारे बीच खड़ा था+ ताकि यहोवा का संदेश तुम तक पहुँचा सकूँ क्योंकि तुम पहाड़ पर आग देखकर डर गए थे और पहाड़ के ऊपर नहीं गए।+ तब परमेश्‍वर ने कहा था,

6 ‘मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर निकाल लाया।+ 7 मेरे सिवा तुम्हारा कोई और ईश्‍वर न हो।*+

8 तुम अपने लिए कोई मूरत न तराशना।+ ऊपर आसमान में, नीचे ज़मीन पर और पानी में जो कुछ है, उनमें से किसी के भी आकार की कोई चीज़ न बनाना। 9 तुम उनके आगे दंडवत न करना और न ही बहकावे में आकर उनकी पूजा करना,+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा माँग करता हूँ कि सिर्फ मेरी भक्‍ति की जाए, मुझे छोड़ किसी और की नहीं।+ जो मुझसे नफरत करते हैं उनके गुनाह की सज़ा मैं उनके बेटों, पोतों और परपोतों को भी देता हूँ।+ 10 मगर जो मुझसे प्यार करते हैं और मेरी आज्ञाएँ मानते हैं, उनकी हज़ारों पीढ़ियों से मैं प्यार* करता हूँ।

11 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम का गलत इस्तेमाल न करना+ क्योंकि जो उसके नाम का गलत इस्तेमाल करता है उसे यहोवा सज़ा दिए बिना नहीं छोड़ेगा।+

12 तुम सब्त का दिन मनाया करना और इसे पवित्र मानना, ठीक जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें आज्ञा दी है।+ 13 घर-बाहर का जो भी काम या मज़दूरी हो, तुम छ: दिन तक करना।+ 14 मगर सातवाँ दिन तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के लिए अलग ठहराया गया सब्त है।+ इस दिन न तुम, न तुम्हारे बेटे-बेटियाँ और न ही तुम्हारे शहरों में* रहनेवाले परदेसी कोई काम करें। तुम अपने बैल, गधे और दूसरे पालतू जानवरों से भी कोई काम न लेना।+ तुम अपने दास-दासियों से भी कोई काम न करवाना ताकि इस दिन वे भी तुम्हारी तरह विश्राम कर सकें।+ 15 मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे और तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने अपना शक्‍तिशाली हाथ बढ़ाकर तुम्हें वहाँ से बाहर निकाला।+ इसीलिए तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें सब्त का दिन मानने की आज्ञा दी है।

16 अपने पिता और अपनी माँ का आदर करना,+ ठीक जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें आज्ञा दी है। तब तुम उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओगे और खुशहाल रहोगे* जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।+

17 तुम खून न करना।+

18 तुम व्यभिचार* न करना।+

19 तुम चोरी न करना।+

20 तुम अपने संगी-साथी के खिलाफ झूठी गवाही न देना।+

21 तुम अपने संगी-साथी की पत्नी का लालच न करना।+ तुम उसके घर या खेत या दास-दासी या उसके बैल या गधे या उसकी किसी भी चीज़ का लालच न करना।’+

22 यहोवा ने तुम लोगों की पूरी मंडली को ये आज्ञाएँ* उस वक्‍त सुनायी थीं जब उसने पहाड़ पर आग में से बात की थी। उस वक्‍त वहाँ बादल और घोर अंधकार छा गया+ और उसने बुलंद आवाज़ में तुमसे बात की। इन आज्ञाओं के साथ उसने कुछ और नहीं जोड़ा। फिर उसने ये आज्ञाएँ पत्थर की दो पटियाओं पर लिखकर मुझे दीं।+

23 जब वह पहाड़ आग से धधक रहा था तब जैसे ही घोर अंधकार में से तुम्हें आवाज़ सुनायी पड़ी,+ तुम्हारे गोत्रों के प्रधान और मुखिया फौरन मेरे पास आए। 24 फिर तुमने मुझसे कहा, ‘आज हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने अपनी महिमा और महानता हम पर प्रकट की है और हमने आग में से उसकी आवाज़ सुनी है।+ आज हम जान गए कि परमेश्‍वर इंसान से बात कर सकता है और इंसान उसकी आवाज़ सुनने के बाद भी ज़िंदा रह सकता है।+ 25 लेकिन हमें डर है कि यह आग हमें भस्म न कर दे और हम मर न जाएँ। अगर हमने यहोवा की आवाज़ और सुनी तो ज़रूर मर जाएँगे। 26 भला आज तक ऐसा हुआ है कि किसी इंसान ने हमारी तरह जीवित परमेश्‍वर को आग में से बात करते सुना हो और फिर भी ज़िंदा बचा हो? 27 इसलिए हमारा परमेश्‍वर यहोवा जो कहता है उसे सुनने के लिए अब तू ही उसके पास जा। फिर तू आकर हमें बताना कि हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे क्या-क्या बताया है। हम तुझसे सुन लेंगे और उसके मुताबिक करेंगे।’+

28 जब तुम मुझसे यह बात कह रहे थे तो यहोवा ने यह सब सुना। यहोवा ने मुझसे कहा, ‘इन सब लोगों ने तुझसे जो कहा है वह मैंने सुना है। ये लोग ठीक कह रहे हैं।+ 29 अगर वे अपने दिल में हमेशा मेरे लिए डर बनाए रखेंगे+ और मेरी सभी आज्ञाओं का पालन किया करेंगे,+ तो ही उनका और उनकी संतान का सदा भला होगा।+ 30 अब तू जा और उनसे कह, “तुम सब अपने-अपने तंबू में लौट जाओ।” 31 मगर तू यहाँ मेरे पास ही रह। मैं तुझे अपनी सभी आज्ञाएँ, कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत बताऊँगा। इसके बाद तू जाकर यह सब उन्हें सिखाना ताकि वे उस देश में इनका पालन करें जो मैं उनके अधिकार में करनेवाला हूँ।’ 32 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें जो-जो आज्ञा दी है, उसका तुम सख्ती से पालन करना।+ तुम न दाएँ मुड़ना न बाएँ।+ 33 तुम उसी राह पर चलना जिस पर चलने की आज्ञा तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें दी है।+ तब तुम उस देश में लंबी और खुशहाल ज़िंदगी जीओगे जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।+

6 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने मुझे ये आज्ञाएँ, कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत तुम्हें सिखाने के लिए दिए हैं ताकि तुम यरदन पार करके जिस देश को अपने अधिकार में करोगे, वहाँ तुम इनका पालन करो 2 और सारी ज़िंदगी अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानो और उसकी सभी विधियों और आज्ञाओं का पालन करो, जो मैं तुम्हारे लिए और तुम्हारे बेटों और पोतों के लिए दे रहा हूँ+ जिससे कि तुम एक लंबी ज़िंदगी जी सको।+ 3 हे इसराएल, तू इन आज्ञाओं को ध्यान से सुनना और सख्ती से इनका पालन करना। फिर तू उस देश में, जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं, खुशहाल रहेगा और गिनती में बढ़ जाएगा, ठीक जैसे तेरे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा ने तुझसे वादा किया है।

4 हे इसराएल सुन, हमारा परमेश्‍वर यहोवा एक ही यहोवा है।+ 5 तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से पूरे दिल, पूरी जान*+ और पूरी ताकत* से प्यार करना।+ 6 आज मैं तुझे जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ, वे तेरे दिल में बनी रहें। 7 और तू इन्हें अपने बेटों के मन में बिठाना*+ और अपने घर में बैठे, सड़क पर चलते, लेटते, उठते इनके बारे में उनसे चर्चा करना।+ 8 तू इन आज्ञाओं को यादगार के लिए अपने हाथ पर बाँध लेना और माथे की पट्टी की तरह सिर पर* लगाए रखना।+ 9 तू इन्हें अपने घर के दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं पर और शहर के फाटकों पर लिखना।

10 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें उस देश में ले जाएगा जिसे देने के बारे में उसने तुम्हारे पुरखों से, अब्राहम, इसहाक और याकूब से शपथ खायी थी,+ तो वह तुम्हें वहाँ बड़े-बड़े खूबसूरत शहर देगा जिन्हें तुमने नहीं बनाया+ 11 और ऐसे घर देगा जो हर तरह की बढ़िया चीज़ों से भरे होंगे जिनके लिए तुमने कोई मेहनत नहीं की, ज़मीन में खुदे हुए हौद देगा जिन्हें तुमने नहीं खोदा, अंगूरों के बाग और जैतून के पेड़ देगा जिन्हें तुमने नहीं लगाया। जब तुम खाओगे और संतुष्ट हो जाओगे,+ 12 तो सावधान रहना कि कहीं तुम यहोवा को भूल न जाओ+ जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर निकाल लाया है। 13 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना+ और उसी की सेवा करना+ और उसके नाम से शपथ लेना।+ 14 तुम दूसरे देवताओं के पीछे न जाना, अपने आस-पास की जातियों के किसी भी देवता के पीछे न जाना+ 15 क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा, जो तुम्हारे बीच मौजूद है, माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए।+ अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के क्रोध की ज्वाला तुम पर भड़क उठेगी+ और वह धरती से तुम्हारा नामो-निशान मिटा देगा।+

16 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की परीक्षा न लेना+ जैसे तुमने मस्सा में उसकी परीक्षा ली थी।+ 17 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें जो आज्ञाएँ और कायदे-कानून दिए हैं और जो हिदायतें याद दिलायी हैं, उन्हें तुम पूरी लगन से मानना। 18 तुम वही करना जो यहोवा की नज़र में सही और भला है ताकि तुम खुशहाल रहो और उस बढ़िया देश में जाकर उसे अपने अधिकार में कर लो जिसे देने के बारे में यहोवा ने तुम्हारे पुरखों से शपथ खायी थी।+ 19 तुम अपने सामने से अपने सभी दुश्‍मनों को खदेड़ दोगे, ठीक जैसे यहोवा ने वादा किया है।+

20 भविष्य में जब तुम्हारे बेटे तुमसे पूछेंगे, ‘हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें ये कायदे-कानून और न्याय-सिद्धांत और याद दिलाने के लिए हिदायतें क्यों दी हैं?’ 21 तो तुम उनसे कहना, ‘हम मिस्र में फिरौन के गुलाम थे, मगर यहोवा अपने शक्‍तिशाली हाथ से हमें मिस्र से निकाल लाया। 22 यहोवा ने हमारी आँखों के सामने मिस्र में बड़े-बड़े चिन्ह और चमत्कार किए,+ जिससे पूरा मिस्र और फिरौन और उसका पूरा घराना तबाह हो गया।+ 23 फिर वह हमें वहाँ से निकालकर यहाँ ले आया ताकि हमें यह देश दे जिसके बारे में उसने हमारे पुरखों से शपथ खायी थी।+ 24 फिर यहोवा ने हमें आज्ञा दी कि हम इन सभी कायदे-कानूनों का पालन करें और अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानें जिससे हमेशा हमारा भला हो+ और हम जीते रहें,+ जैसे कि आज हम जीवित हैं। 25 अगर हम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा के मुताबिक* इन सारे नियमों को सख्ती से मानेंगे तो हम उसकी नज़र में नेक ठहरेंगे।’+

7 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें उस देश में पहुँचा देगा जिसे तुम बहुत जल्द अपने अधिकार में करने जा रहे हो,+ तो वह तुम्हारे सामने से इन सात बड़ी-बड़ी जातियों को, हित्तियों, गिरगाशियों, एमोरियों,+ कनानियों, परिज्जियों, हिव्वियों और यबूसियों+ को हटा देगा+ जिनकी आबादी तुमसे ज़्यादा है और जो तुमसे ज़्यादा ताकतवर हैं।+ 2 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन्हें तुम्हारे हाथ में कर देगा और तुम उन्हें हरा दोगे।+ तुम उन्हें हर हाल में नाश कर देना।+ तुम उनके साथ कोई भी करार न करना, न ही उन पर तरस खाना।+ 3 तुम उनके साथ शादी के ज़रिए रिश्‍तेदारी न करना। न अपनी बेटियाँ उनके बेटों के लिए देना और न उनकी बेटियाँ अपने बेटों के लिए लेना,+ 4 क्योंकि वे तुम्हारे बच्चों को बहका देंगे और तुम्हारे बच्चे मुझसे मुँह मोड़ लेंगे और दूसरे देवताओं की सेवा करने लगेंगे।+ तब यहोवा के क्रोध की ज्वाला तुम पर भड़क उठेगी और वह पल-भर में तुम्हें मिटा देगा।+

5 तुम उन जातियों के साथ यह करना: उनकी वेदियाँ ढा देना, उनके पूजा-स्तंभ चूर-चूर कर देना,+ उनकी पूजा-लाठें* काट डालना+ और उनकी खुदी हुई मूरतें जला देना,+ 6 क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए पवित्र राष्ट्र हो और तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने धरती के सब देशों में से तुम्हें चुना है ताकि वह तुम्हें अपने लोग और अपनी खास जागीर* बनाए।+

7 यहोवा ने तुम्हें जो अपनापन दिखाया और तुम्हें चुना, वह इसलिए नहीं था कि तुम बाकी देशों से तादाद में ज़्यादा थे।+ दरअसल तुम तो सब राष्ट्रों से छोटे थे।+ 8 यहोवा ने अपने शक्‍तिशाली हाथ से तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र और राजा फिरौन के हाथ से इसलिए छुड़ाया+ क्योंकि यहोवा तुमसे बहुत प्यार करता है और उसने तुम्हारे पुरखों से शपथ खाकर जो वादा किया था उसे निभाया है।+ 9 तुम अच्छी तरह जानते हो कि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा सच्चा परमेश्‍वर है और वह एक विश्‍वासयोग्य परमेश्‍वर है। जो उससे प्यार करते और उसकी आज्ञाएँ मानते हैं, वह उनके साथ और उनकी हज़ार पीढ़ियों के साथ अपना करार निभाता है और उनसे प्यार* करता है।+ 10 मगर जो उससे नफरत करते हैं, उन्हें वह सीधे-सीधे इसका बदला चुकाएगा और उन्हें नाश कर देगा।+ वह उनसे निपटने में बिलकुल भी देर नहीं करेगा। वह सीधे-सीधे उनका बदला चुकाएगा। 11 इसलिए तुम इस बात का ध्यान रखना कि तुम उन आज्ञाओं, कायदे-कानूनों और न्याय-सिद्धांतों का हमेशा पालन करोगे जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ।

12 अगर तुम इन न्याय-सिद्धांतों पर हमेशा ध्यान दोगे, इनका पालन करोगे और इनके मुताबिक काम करोगे, तो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपना करार निभाएगा और तुमसे प्यार* करेगा, ठीक जैसे उसने तुम्हारे पुरखों से शपथ खायी थी। 13 वह तुमसे प्यार करेगा, तुम्हें आशीष देगा और तुम्हारी गिनती बढ़ाएगा। परमेश्‍वर ने तुम्हें जो देश देने की शपथ तुम्हारे पुरखों से खायी थी,+ उस देश में वह तुम पर आशीषों की बौछार करेगा, तुम्हारे बहुत-से बच्चे होंगे,*+ तुम्हारी ज़मीन से भरपूर उपज होगी, तुम्हारे पास अनाज, नयी दाख-मदिरा और तेल की भरमार होगी+ और तुम्हारी भेड़-बकरियाँ और गायें खूब बच्चे देंगी। 14 दुनिया के सभी देशों में से तुम सबसे सुखी होगे।+ तुम्हारे बीच कोई भी औरत या आदमी बेऔलाद नहीं होगा। तुम्हारा कोई भी पालतू जानवर ऐसा न होगा जो बच्चे न दे।+ 15 यहोवा तुम्हारे बीच से हर तरह की बीमारी दूर कर देगा। वह तुम पर ऐसी खतरनाक बीमारियाँ नहीं लाएगा जो तुमने मिस्र में देखी थीं।+ इसके बजाय, वह उन लोगों पर ये बीमारियाँ ले आएगा जो तुमसे नफरत करते हैं। 16 तुम उन सभी जातियों को नाश कर देना जिन्हें तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हाथ में कर देगा।+ तुम* उन पर बिलकुल दया मत करना।+ और तुम उनके देवताओं की सेवा न करना,+ क्योंकि यह तुम्हारे लिए फंदा बन जाएगा।+

17 हो सकता है तुम्हारे मन में यह सवाल उठे, ‘इन जातियों की आबादी हमसे ज़्यादा है, हम इन्हें कैसे भगा सकते हैं?’+ 18 मगर तुम उनसे बिलकुल मत डरना।+ तुम हमेशा याद रखना, तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने फिरौन और पूरे मिस्र का क्या किया था।+ 19 तुमने खुद अपनी आँखों से देखा कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने कैसे मिस्र को कड़ी-से-कड़ी सज़ा दी, वहाँ चिन्ह और चमत्कार किए+ और अपना शक्‍तिशाली हाथ बढ़ाकर तुम्हें वहाँ से बाहर निकाला।+ इन सब जातियों के साथ भी तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा ऐसा ही करेगा जिनसे तुम डरते हो।+ 20 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उनका हौसला तोड़ देगा* और वह ऐसा तब तक करेगा जब तक कि उन सबका नाश नहीं हो जाता जो बच जाते हैं+ और खुद को छिपा लेते हैं। 21 तुम उनसे मत डरना क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ है।+ वह महान और विस्मयकारी परमेश्‍वर है।+

22 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन सभी जातियों को थोड़ा-थोड़ा करके तुम्हारे सामने से भगा देगा।+ तुम्हें उन सबको एक ही बार में मिटाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी ताकि देश बंजर न हो जाए और जंगली जानवरों की गिनती न बढ़ जाए जिससे तुम्हें खतरा हो सकता है। 23 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन जातियों को तुम्हारे हाथ में कर देगा और तुम तब तक उन्हें हराते रहोगे जब तक कि वे मिट न जाएँ।+ 24 वह उनके राजाओं को तुम्हारे हाथ में दे देगा+ और तुम धरती से* उनका नाम मिटा दोगे।+ उनमें से कोई भी तुम्हारे खिलाफ नहीं उठेगा+ और तुम उन सबका नाश कर दोगे।+ 25 तुम उनके देवताओं की खुदी हुई मूरतें जला देना।+ उन मूरतों पर जो सोना-चाँदी है उसका तुम लालच न करना और अपने लिए मत लेना+ ताकि तुम उसकी वजह से फंदे में न फँस जाओ क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौना है।+ 26 तुम कोई भी घिनौनी चीज़ अपने घर के अंदर मत लाना क्योंकि ऐसा करने से तुम भी उन घिनौनी चीज़ों की तरह नाश के लायक ठहरोगे। ऐसी चीज़ों से तुम सख्त नफरत करना, उनसे घिन करना क्योंकि वे नाश के लायक हैं।

8 आज मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ उनमें से हर आज्ञा का तुम सख्ती से पालन करना। तब तुम जीते रहोगे,+ तुम्हारी गिनती बढ़ती जाएगी और तुम उस देश में जाकर उसे अपने अधिकार में कर लोगे जिसे देने के बारे में यहोवा ने तुम्हारे पुरखों से शपथ खायी थी।+ 2 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने 40 साल तक तुम्हें वीराने के जिस लंबे रास्ते से पैदल चलवाया वह सफर तुम कभी मत भूलना।+ परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह तुम्हें नम्र बनना सिखाए और तुम्हें परखे+ कि तुम्हारे दिल के इरादे क्या हैं,+ तुम उसकी आज्ञाओं को मानते रहोगे या नहीं। 3 उसने तुम्हें नम्र किया और तुम्हें भूखा रहने दिया+ और फिर तुम्हें मन्‍ना खिलाया,+ जिसके बारे में न तुम और न तुम्हारे बाप-दादे जानते थे। परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि तुम जान लो कि इंसान सिर्फ रोटी से नहीं ज़िंदा रहता बल्कि यहोवा के मुँह से निकलनेवाले हर वचन से ज़िंदा रहता है।+ 4 इन 40 सालों के दौरान न कभी तुम्हारे कपड़े पुराने होकर फटे और न तुम्हारे पैर सूजे।+ 5 तुम्हारा दिल अच्छी तरह जानता है कि जैसे एक पिता अपने बेटे को सुधारता है, वैसे ही तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें सुधारता रहा।+

6 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की राहों पर चलकर और उसका डर मानकर उसकी आज्ञाओं का पालन किया करना, 7 क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें एक बढ़िया देश में ले जा रहा है,+ जो नदी-नालों* का देश है, जहाँ की घाटियों और पहाड़ी प्रदेश में सोते और फव्वारे* फूट निकलते हैं, 8 जो गेहूँ, जौ, अंगूर की बेलों, अंजीर के पेड़ों, अनारों+ और जैतून के तेल और शहद का देश है,+ 9 ऐसा देश जहाँ कभी खाने के लाले नहीं पड़ेंगे और तुम्हें किसी भी चीज़ की कमी नहीं होगी, जहाँ के पत्थरों में लोहा है और जहाँ के पहाड़ों से तुम ताँबा खोद निकालोगे।

10 जब तुम खा-पीकर संतुष्ट होगे, तो तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की तारीफ करना कि उसने तुम्हें ऐसा बढ़िया देश दिया है।+ 11 तुम सावधान रहना कि तुम उसकी आज्ञाओं, न्याय-सिद्धांतों और विधियों को मानने से न चूको जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ और इस तरह अपने परमेश्‍वर यहोवा को कभी नहीं भूलोगे। 12 जब तुम उस देश में खा-पीकर संतुष्ट होगे और बढ़िया-बढ़िया घर बनाकर रहने लगोगे,+ 13 तुम्हारी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की बढ़ती होगी, तुम्हारे पास बहुत सारा सोना-चाँदी होगा और सबकुछ बहुतायत में होगा, 14 तो सावधान रहना कि तुम्हारा मन घमंड से फूल न जाए+ जिससे तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को भूल सकते हो। तुम उस परमेश्‍वर को भूल सकते हो जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर ले आया+ और 15 जिसने तुम्हें उस बड़े और भयानक वीराने से चलवाया,+ जहाँ ज़हरीले साँप और बिच्छू घूमते हैं और जहाँ की सूखी ज़मीन पानी के लिए तरसती है। परमेश्‍वर ने वहाँ चकमक चट्टान से पानी निकाला+ 16 और तुम्हें मन्‍ना खिलाया+ जिसे तुम्हारे बाप-दादे नहीं जानते थे। परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह तुम्हें नम्र बनना सिखाए+ और तुम्हें परखे जिससे आगे चलकर तुम्हारा भला हो।+ 17 अगर कभी तुम यह सोचने लगो कि आज मेरे पास जो बेशुमार दौलत है, यह सब मैंने अपनी काबिलीयत और अपनी ताकत से हासिल की है,+ 18 तो उस वक्‍त तुम याद करना कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने ही तुम्हें इस काबिल बनाया कि तुम दौलत कमा सको।+ परमेश्‍वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह उस करार को निभा सके जो उसने तुम्हारे पुरखों से शपथ खाकर किया था, जैसा कि आज ज़ाहिर है।+

19 अगर तुम कभी अपने परमेश्‍वर यहोवा को भूल जाओ और दूसरे देवताओं के पीछे चलने और उनकी सेवा करने लगो और उनके आगे दंडवत करो, तो आज मैं तुम्हें बताए देता हूँ कि तुम ज़रूर नाश हो जाओगे।+ 20 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात नहीं सुनोगे, तो तुम भी उन जातियों की तरह नाश हो जाओगे जिन्हें यहोवा तुम्हारे सामने नाश कर रहा है।+

9 हे इसराएल सुन, आज तू यरदन पार करके+ उस देश में जानेवाला है और वहाँ से ऐसी जातियों को हटानेवाला है जो तुझसे ज़्यादा बड़ी और ताकतवर हैं,+ जिनके शहर बहुत बड़े-बड़े हैं और जिनकी शहरपनाह आसमान छूती है,+ 2 जहाँ के अनाकी लोग+ लंबे-चौड़े और ताकतवर हैं और उनके बारे में तू जानता है और तूने यह सुना है, ‘कौन अनाकियों से टक्कर ले सकता है?’ 3 इसलिए आज तू यह जान ले कि तेरे आगे-आगे तेरा परमेश्‍वर यहोवा उस पार जाएगा।+ तेरा परमेश्‍वर भस्म करनेवाली आग है+ और वह उन्हें नाश कर देगा। वह उन्हें तेरी आँखों के सामने हरा देगा और तू उन्हें देखते-ही-देखते खदेड़कर* नाश कर देगा, ठीक जैसे यहोवा ने तुझसे वादा किया है।+

4 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन जातियों को तुम्हारे सामने से खदेड़ देगा तो उसके बाद तुम अपने दिल में यह मत कहना, ‘हम नेक लोग हैं इसीलिए यहोवा हमें इस देश में ले आया कि हम इसे अपने अधिकार में कर लें।’+ असल बात यह है कि यहोवा उन जातियों को तुम्हारे सामने से इसलिए भगा रहा है क्योंकि वे बहुत दुष्ट हैं।+ 5 तुम जो उनके देश पर कब्ज़ा करने जा रहे हो, इसकी वजह यह नहीं कि तुम बड़े नेक हो या मन के सीधे-सच्चे हो। तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन्हें तुम्हारे सामने से इसलिए भगा रहा है क्योंकि वे बहुत दुष्ट हैं+ और यहोवा ने शपथ खाकर तुम्हारे पुरखों को, अब्राहम,+ इसहाक+ और याकूब+ को जो वचन दिया था उसे वह पूरा कर रहा है। 6 इसलिए जान लो कि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें इस बढ़िया देश का जो अधिकारी बना रहा है, उसकी वजह यह नहीं कि तुम नेक हो। तुम तो दरअसल बहुत ढीठ किस्म के लोग हो।+

7 यह बात हमेशा याद रखना और कभी मत भूलना कि तुमने वीराने में अपने परमेश्‍वर यहोवा को कैसे गुस्सा दिलाया था।+ जिस दिन तुमने मिस्र छोड़ा था, उस दिन से लेकर यहाँ इस जगह पहुँचने तक तुमने न जाने कितनी बार यहोवा से बगावत की।+ 8 तुमने होरेब में भी यहोवा को गुस्सा दिलाया जिस वजह से यहोवा का क्रोध ऐसा भड़क उठा कि वह तुम्हें नाश करनेवाला था।+ 9 उस वक्‍त मैं पत्थर की पटियाएँ लेने पहाड़ पर गया हुआ था।+ यहोवा ने तुम्हारे साथ जो करार किया था उस करार की पटियाएँ+ लेने मैं गया था और 40 दिन और 40 रात वहीं पहाड़ पर रहा।+ इतने दिन तक न मैंने खाना खाया न पानी पीया। 10 फिर यहोवा ने मुझे पत्थर की वे दोनों पटियाएँ दीं। उन पटियाओं पर यहोवा ने अपने हाथ से वे सारी आज्ञाएँ लिखीं जो उसने तुम्हारी पूरी मंडली को पहाड़ पर आग में से बात करते वक्‍त दी थीं।+ 11 फिर 40 दिन और 40 रात के आखिर में यहोवा ने मुझे करार की दोनों पटियाएँ दीं। 12 इसके बाद यहोवा ने मुझसे कहा, ‘अब तू उठ और जल्दी से नीचे जा क्योंकि तेरे लोगों ने, जिन्हें तू मिस्र से निकाल लाया है, दुष्ट काम किया है।+ कितनी जल्दी वे उस राह से फिर गए हैं जिस पर चलने की आज्ञा मैंने दी थी। उन्होंने पूजा के लिए धातु की एक मूरत* बनायी है।’+ 13 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, ‘मैं देख सकता हूँ कि ये लोग कितने ढीठ हैं!+ 14 इसलिए अब मुझे मत रोक, मैं इनका नाश कर दूँगा और धरती से* इनका नाम मिटा दूँगा। और मैं तुझसे एक ऐसा राष्ट्र बनाऊँगा जो इनसे ज़्यादा ताकतवर और गिनती में बड़ा होगा।’+

15 तब मैं अपने हाथ में करार की दोनों पटियाएँ लिए पहाड़ से नीचे उतर आया।+ पहाड़ आग से जल रहा था।+ 16 जब मैं तुम्हारे पास आया तो मैंने देखा कि तुमने धातु से बछड़े की एक मूरत बना ली है।* अपने परमेश्‍वर यहोवा के खिलाफ तुमने कितना बड़ा पाप किया था! कितनी जल्दी तुम उस रास्ते से फिर गए जिस पर चलने की आज्ञा यहोवा ने तुम्हें दी थी।+ 17 तब मैंने तुम्हारी आँखों के सामने दोनों पटियाएँ नीचे पटक दीं और वे चूर-चूर हो गयीं।+ 18 फिर मैं पहले की तरह यहोवा के सामने मुँह के बल ज़मीन पर गिरा और 40 दिन, 40 रात ऐसा करता रहा। मैंने न खाना खाया, न पानी पीया+ क्योंकि तुमने यहोवा की नज़र में बुरे काम करके पाप किया था और उसे क्रोध दिलाया था। 19 यहोवा का क्रोध देखकर मैं डर गया था क्योंकि वह तुम पर इतना भड़का हुआ था+ कि तुम सबको नाश करनेवाला था। मगर यहोवा ने इस बार भी मेरी फरियाद सुनी।+

20 यहोवा हारून से इतना गुस्सा हुआ कि वह उसे मार डालनेवाला था,+ मगर तब मैंने उसके लिए भी मिन्‍नतें कीं। 21 फिर मैंने तुम्हारे उस पाप को, उस बछड़े+ को आग में जला दिया। मैंने उसे ऐसा चूर-चूर कर दिया कि वह महीन धूल की तरह हो गया और मैंने वह धूल पहाड़ से नीचे बहनेवाली पानी की धारा में फेंक दी।+

22 इसके बाद तुमने तबेरा,+ मस्सा+ और किबरोत-हत्तावा+ में भी यहोवा का क्रोध भड़काया। 23 फिर जब यहोवा ने कादेश-बरने+ में तुम्हें आदेश दिया, ‘जाओ, उस देश को अपने अधिकार में कर लो जो मैं तुम्हें ज़रूर दूँगा!’ तो तुमने अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात नहीं मानी और उससे एक बार फिर बगावत की।+ तुमने उस पर विश्‍वास नहीं किया+ और उसकी आज्ञा नहीं मानी। 24 जब से मैं तुम्हें जानता हूँ तब से तुम बार-बार यहोवा से बगावत करते आए हो।

25 जब यहोवा ने कह दिया कि वह तुम सबको नाश कर देगा, तो मैं 40 दिन और 40 रात यहोवा के सामने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर+ 26 यहोवा से फरियाद करता रहा, ‘हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू अपने लोगों को नाश मत कर। वे तेरी अपनी जागीर* हैं+ जिन्हें तूने अपनी ताकत* से और अपने शक्‍तिशाली हाथ से मिस्र से बाहर निकाला है।+ 27 अपने सेवकों को, अब्राहम, इसहाक और याकूब को याद कर।+ और इन लोगों की ढिठाई, इनकी दुष्टता और इनके पाप की तरफ ध्यान मत दे।+ 28 वरना तू हमें जिस देश से निकालकर लाया है वहाँ के लोग कहेंगे, “यहोवा उन्हें उस देश में ले जाने में नाकाम हो गया जिसके बारे में उसने वादा किया था। वह तो उनसे नफरत करता था इसलिए उसने उन्हें वीराने में ले जाकर मार डाला।”+ 29 ये तेरे लोग हैं, तेरी अपनी जागीर* हैं+ जिन्हें तू अपना हाथ बढ़ाकर अपनी महाशक्‍ति से बाहर निकाल लाया है।’+

10 उस वक्‍त यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तू पत्थर काटकर अपने लिए दो पटियाएँ बनाना जो पहली पटियाओं जैसी हों+ और लकड़ी का एक संदूक* भी बनाना। फिर तू पहाड़ पर मेरे पास आना। 2 उन पटियाओं पर मैं वे शब्द लिखूँगा जो मैंने पहली पटियाओं पर लिखे थे, जिन्हें तूने चूर-चूर कर डाला था। फिर उन पटियाओं को तू संदूक में रखना।’ 3 तब मैंने बबूल की लकड़ी का एक संदूक बनाया और पत्थर काटकर पहले जैसी दो पटियाएँ बनायीं और उन दोनों पटियाओं को हाथ में लिए पहाड़ पर गया।+ 4 तब यहोवा ने उन पटियाओं पर वे दस आज्ञाएँ*+ लिखीं जो उसने पहली पटियाओं पर लिखी थीं+ और मुझे दे दीं। ये वही आज्ञाएँ थीं जो यहोवा ने तुम्हारी पूरी मंडली को+ पहाड़ पर आग में से बात करते वक्‍त दी थीं।+ 5 फिर मैं पहाड़ से नीचे उतर आया+ और मैंने वे पटियाएँ उस संदूक में रख दीं जैसे यहोवा ने मुझे आज्ञा दी थी। और वे पटियाएँ उसी संदूक में रखी रहीं।

6 इसके बाद इसराएली बएरोत-बने-याकान से रवाना हुए और मोसेरा पहुँचे। वहाँ हारून की मौत हो गयी और उसे दफनाया गया।+ उसकी जगह उसका बेटा एलिआज़र याजक के नाते सेवा करने लगा।+ 7 इसके बाद इसराएली मोसेरा से रवाना होकर गुदगोदा आए और गुदगोदा से योतबाता+ गए जहाँ बहुत-सी नदियाँ* थीं।

8 उसी दौरान यहोवा ने लेवी गोत्र को अलग किया+ कि वे यहोवा के करार का संदूक उठाएँ,+ यहोवा के सामने हाज़िर रहकर उसकी सेवा करें और उसके नाम से लोगों को आशीर्वाद दिया करें,+ जैसा कि वे आज तक कर रहे हैं। 9 इसीलिए लेवियों को अपने बाकी इसराएली भाइयों की तरह देश में ज़मीन का कोई हिस्सा या विरासत नहीं दी गयी। यहोवा ही उनकी विरासत है, जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने उन्हें बताया था।+ 10 मैं एक बार फिर पहाड़ पर गया और पहले की तरह 40 दिन, 40 रात वहीं रहा+ और यहोवा ने इस बार भी मेरी बिनती सुनी।+ इसीलिए यहोवा ने तुम्हें नाश न करने का फैसला किया। 11 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, ‘अब तू लोगों की अगुवाई कर और सफर में आगे बढ़ने के लिए उन्हें तैयार कर ताकि वे जाकर उस देश को अपने अधिकार में कर लें जिसे देने के बारे में मैंने उनके पुरखों से शपथ खायी थी।’+

12 अब हे इसराएलियो, तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुमसे क्या चाहता है?+ बस यही कि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानो,+ हर बात में उसकी बतायी राह पर चलो,+ उससे प्यार करो, पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करो+ 13 और यहोवा की उन आज्ञाओं और विधियों का पालन किया करो जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ। ऐसा करने से तुम्हारा ही भला होगा।+ 14 देखो, तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा आकाश का मालिक है, ऊँचे-से-ऊँचा आकाश और धरती और जो कुछ उसमें है सब उसी का है।+ 15 मगर यहोवा सिर्फ तुम्हारे पुरखों के करीब आया और उनसे प्यार किया और उनके बच्चों को, हाँ, सब राष्ट्रों में से तुम लोगों को चुना+ जैसा कि आज ज़ाहिर है। 16 अब तुम लोग अपने दिलों को शुद्ध करो*+ और ढीठ बनना छोड़ दो+ 17 क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा सब ईश्‍वरों से महान ईश्‍वर है+ और सब प्रभुओं से महान प्रभु है, वह महाप्रतापी, शक्‍तिशाली और विस्मयकारी परमेश्‍वर है जो किसी के साथ भेदभाव नहीं करता,+ न ही रिश्‍वत लेता है। 18 वह अनाथों* और विधवाओं को न्याय दिलाता है।+ वह तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसियों से प्यार करता है+ और उनके खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी करता है। 19 तुम भी परदेसियों से प्यार करना क्योंकि एक वक्‍त तुम खुद मिस्र में परदेसी हुआ करते थे।+

20 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना, उसी की सेवा करना,+ उससे लिपटे रहना और उसके नाम से शपथ लेना। 21 तुम सिर्फ उसी की बड़ाई करना।+ वह तुम्हारा परमेश्‍वर है जिसने तुम्हारी खातिर महान और विस्मयकारी काम किए हैं, जैसे तुमने खुद अपनी आँखों से देखा है।+ 22 जब तुम्हारे बाप-दादे मिस्र गए थे तब वे सिर्फ 70 लोग थे+ और अब देखो, तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें इतना बढ़ाया है कि आज तुम आसमान के तारों की तरह अनगिनत हो गए हो।+

11 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करना+ और उसकी तरफ तुम्हारा जो फर्ज़ बनता है उसे हमेशा पूरा करना और उसकी विधियों, न्याय-सिद्धांतों और आज्ञाओं का सदा पालन करना। 2 तुम जानते हो कि आज मैं तुमसे बात कर रहा हूँ, तुम्हारे बच्चों से नहीं क्योंकि उन्होंने तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा से मिलनेवाली तालीम,+ उसकी महानता+ और उसके बढ़ाए शक्‍तिशाली हाथ+ के कारनामे नहीं देखे हैं और न ही कभी उनका तजुरबा किया है। 3 तुम्हारे बच्चों ने वे सारे चिन्ह और चमत्कार नहीं देखे जो परमेश्‍वर ने मिस्र में किए थे, न ही उन्होंने देखा कि उसने राजा फिरौन और उसके पूरे देश का क्या किया था+ 4 और उसने मिस्र की सेनाओं का, फिरौन के घोड़ों और युद्ध-रथों का क्या हश्र किया था जो तुम्हारा पीछा करते हुए आए थे, कैसे यहोवा ने उन्हें लाल सागर में डुबाकर हमेशा के लिए मिटा दिया था।*+ 5 तुम्हारे बच्चों ने यह भी नहीं देखा कि जब तुम वीराने में थे, तब से लेकर इस जगह पहुँचने तक परमेश्‍वर ने तुम्हारे लिए* क्या-क्या किया 6 और उसने दातान और अबीराम का क्या किया जो रूबेन गोत्र के एलीआब के बेटे थे, कैसे सभी इसराएलियों के देखते धरती फट गयी और उन दोनों को और उनके घरानों और तंबुओं को और उनका सबकुछ निगल गयी।+ 7 यहोवा के ये सारे महान काम तुमने खुद अपनी आँखों से देखे हैं।

8 तुम उन सभी आज्ञाओं का पालन करना जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ। तब तुम ताकतवर होगे और यरदन पार करके उस देश में जा सकोगे और उसे अपने अधिकार में कर पाओगे। 9 और तुम उस देश में एक लंबी ज़िंदगी जीओगे+ जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं,+ जिसके बारे में यहोवा ने शपथ खाकर तुम्हारे पुरखों से कहा था कि वह उन्हें और उनके वंश को यह देश देगा।+

10 तुम जिस देश पर कब्ज़ा करने जा रहे हो, वह मिस्र जैसा नहीं है जहाँ से तुम निकल आए हो। मिस्र में तुम्हें खेतों में बीज बोने के बाद कड़ी मेहनत से सिंचाई करनी पड़ती थी,* जैसे सब्ज़ियों के बाग की सिंचाई की जाती है। 11 मगर तुम उस पार जिस देश में जानेवाले हो, वह पहाड़ों और घाटियों से भरा देश है+ और वहाँ की ज़मीन आकाश से गिरनेवाली बारिश के पानी से सींची जाती है।+ 12 वहाँ की ज़मीन की देखभाल करनेवाला खुद तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा है। साल के शुरू से लेकर आखिर तक, तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़रें हमेशा उस पर बनी रहती हैं।

13 अगर तुम लोग पूरी लगन से मेरी आज्ञाओं को मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ और अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करोगे और पूरे दिल और पूरी जान से उसकी सेवा करोगे,+ 14 तो परमेश्‍वर तुम्हारे देश की ज़मीन के लिए वक्‍त पर बारिश देगा। पतझड़ और वसंत की बारिश वक्‍त पर होगी जिससे तुम्हें अनाज, नयी दाख-मदिरा और तेल मिलता रहेगा।+ 15 वह तुम्हारे मवेशियों के लिए मैदानों में भरपूर चरागाह देगा। इस तरह तुम्हें खाने की कमी नहीं होगी और तुम संतुष्ट रहोगे।+ 16 मगर तुम सावधान रहना कि तुम्हारा मन बहक न जाए जिससे तुम दूसरे देवताओं की पूजा करने लगो और उनके आगे दंडवत करने लगो।+ 17 अगर तुम ऐसा करोगे तो यहोवा का क्रोध तुम पर भड़क उठेगा और वह आकाश के झरोखे बंद कर देगा जिससे बारिश नहीं होगी।+ तुम्हारी ज़मीन उपज नहीं देगी और तुम देखते-ही-देखते उस बढ़िया देश में से मिट जाओगे जो यहोवा तुम्हें देने जा रहा है।+

18 आज मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ उन्हें तुम अपने दिलों में उतार लेना और अपने अंदर बसा लेना और यादगार के लिए अपने हाथ पर बाँध लेना और माथे की पट्टी की तरह सिर पर* लगाए रखना।+ 19 और तुम इन्हें अपने बच्चों को सिखाना, इनके बारे में उनसे घर में बैठे, सड़क पर चलते, लेटते, उठते चर्चा किया करना।+ 20 तुम इन्हें अपने घर के दरवाज़े के दोनों बाज़ुओं पर और शहर के फाटकों पर लिखना 21 ताकि तुम और तुम्हारे बच्चे उस देश में एक लंबी ज़िंदगी जीएँ,+ जिसके बारे में यहोवा ने शपथ खाकर तुम्हारे पुरखों से कहा था कि वह उन्हें देगा+ और तुम और तुम्हारे बच्चे उस देश में तब तक बने रहें जब तक धरती के ऊपर आकाश बना रहेगा।

22 आज मैंने तुम्हें आज्ञा दी है कि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करना,+ उसकी बतायी सब राहों पर चलना और उससे लिपटे रहना।+ अगर तुम इसका सख्ती से पालन करोगे और इसके मुताबिक चलोगे, 23 तो यहोवा तुम्हारे सामने से सभी जातियों को भगा देगा+ और तुम उस देश से उन सभी जातियों को निकाल दोगे जो तुमसे कहीं ज़्यादा ताकतवर और तादाद में बड़ी हैं।+ 24 तुम जिस किसी जगह पर कदम रखोगे वह तुम्हारी हो जाएगी।+ तुम्हारी सरहद वीराने से लेकर लबानोन तक, महानदी फरात से लेकर पश्‍चिमी सागर* तक फैली होगी।+ 25 कोई भी तुम्हारे खिलाफ खड़ा होने की जुर्रत नहीं करेगा।+ तुम उस देश में जहाँ-जहाँ कदम रखोगे, तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा वहाँ के लोगों में ऐसा खौफ फैला देगा कि वे तुमसे डरेंगे,+ ठीक जैसे उसने तुमसे वादा किया है।

26 देखो, आज मैं तुम्हें यह चुनने का मौका देता हूँ कि तुम आशीष चाहते हो या शाप।+ 27 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ तो तुम्हें आशीषें मिलेंगी।+ 28 लेकिन अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ नहीं मानोगे और उस रास्ते से फिर जाओगे जिस पर चलने की आज्ञा आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ और उन देवताओं के पीछे चलने लगोगे जिन्हें तुम पहले नहीं जानते थे, तो तुम पर शाप पड़ेगा।+

29 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें उस देश में ले जाएगा जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो, तो तुम गरिज्जीम पहाड़ के पास आशीषों का और एबाल पहाड़+ के पास शाप का ऐलान करना।* 30 जैसा तुम जानते हो, ये दोनों पहाड़ यरदन के उस पार पश्‍चिम* में, अराबा में रहनेवाले कनानियों के देश में गिलगाल के सामने, मोरे के बड़े-बड़े पेड़ों के पास हैं।+ 31 अब तुम यरदन पार करोगे और उस देश को अपने अधिकार में कर लोगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।+ जब तुम उस पर अधिकार कर लोगे और वहाँ रहने लगोगे, 32 तो इस बात का ध्यान रखना कि तुम उन सभी कायदे-कानूनों और न्याय-सिद्धांतों का पालन करोगे जो मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ।+

12 तुम्हारे पुरखों का परमेश्‍वर यहोवा जिस देश को तुम्हारे अधिकार में करनेवाला है, वहाँ तुम सारी ज़िंदगी इन कायदे-कानूनों और न्याय-सिद्धांतों का सख्ती से पालन करना। 2 उस देश में रहनेवाली जातियाँ, जिन्हें तुम निकालनेवाले हो, जिस-जिस जगह पर अपने देवताओं को पूजती हैं उन सभी जगहों को पूरी तरह नष्ट कर देना,+ फिर चाहे वे जगह ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर या पहाड़ियों पर या घने पेड़ों के नीचे बनी हों। 3 तुम उनकी वेदियाँ ढा देना, उनके पूजा-स्तंभ चूर-चूर कर देना,+ उनकी पूजा-लाठें* आग में जला देना और उनके देवताओं की खुदी हुई मूरतें तोड़ डालना।+ इस तरह उस पूरे देश से उन देवताओं का नाम तक मिटा देना।+

4 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना उस तरीके से मत करना जैसे दूसरी जातियाँ अपने देवताओं को पूजती हैं।+ 5 इसके बजाय तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे सब गोत्रों को दिए इलाके में से, अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है और उसे अपना निवास-स्थान ठहराता है, तुम वहीं जाना।+ 6 और अपनी होम-बलियाँ+ और दूसरे बलिदान, अपनी संपत्ति का दसवाँ हिस्सा,+ अपने दान,+ अपनी मन्‍नत-बलियाँ, स्वेच्छा-बलियाँ+ और गाय-बैलों और भेड़-बकरियों के पहलौठे, सब वहीं पर अर्पित करना।+ 7 वहीं पर तुम अपने घरानों के साथ अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने भोजन करना+ और अपने सब कामों पर खुशियाँ मनाना,+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें आशीष देता है।

8 तुम अपनी मन-मरज़ी न करना जैसे तुम यहाँ करते हो। यहाँ तुममें से हर कोई वही करता है जो उसकी नज़र में सही है,* 9 क्योंकि तुम अभी तक उस विश्राम की जगह+ और विरासत की ज़मीन में नहीं पहुँचे हो, जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है। 10 जब तुम यरदन पार करके+ उस देश में बस जाओगे जिसे तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे अधिकार में करनेवाला है, तो वह तुम्हें आस-पास के सभी दुश्‍मनों से ज़रूर राहत दिलाएगा और तुम वहाँ महफूज़ बसे रहोगे।+ 11 उस देश में तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है,+ तुम वहीं पर अपनी होम-बलियाँ, दूसरे बलिदान, अपनी संपत्ति का दसवाँ हिस्सा,+ अपने दान और यहोवा के लिए अपनी सारी मन्‍नत-बलियाँ अर्पित करना, जिनकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है। 12 तुम अपने बेटे-बेटियों और दास-दासियों के साथ और अपने शहरों में* रहनेवाले लेवियों के साथ, जिन्हें अलग से ज़मीन का कोई भाग या विरासत नहीं दी गयी है,+ अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खुशियाँ मनाना।+ 13 तुम ध्यान रखना कि तुम जहाँ चाहो वहाँ अपनी होम-बलियाँ नहीं चढ़ाओगे।+ 14 तुम अपनी होम-बलियाँ सिर्फ उस जगह अर्पित करोगे जो यहोवा तुम्हारे किसी गोत्र के इलाके में चुनता है और वहाँ तुम वह सब करना जिसकी मैं तुम्हें आज्ञा दे रहा हूँ।+

15 मगर जब भी तुम्हारा गोश्‍त खाने का मन करे, तो तुम अपने शहरों में* जानवर हलाल करके खा सकते हो।+ तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की आशीष से तुम्हारे पास जो जानवर हैं, उनमें से तुम जितना चाहे खा सकते हो। सब लोग यह गोश्‍त खा सकते हैं, फिर चाहे वे शुद्ध हों या अशुद्ध, ठीक जैसे चिकारे या हिरन का गोश्‍त तुम सब खाते हो। 16 मगर तुम खून हरगिज़ मत खाना+ बल्कि उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना।+ 17 और कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें अपने शहरों में* खाने या पीने की तुम्हें इजाज़त नहीं है। ये हैं: अनाज का, नयी दाख-मदिरा का और तेल का दसवाँ हिस्सा, गाय-बैलों और भेड़-बकरियों के पहलौठे जानवर,+ कोई भी मन्‍नत-बलि, स्वेच्छा-बलियाँ और दान की गयी चीज़ें। 18 इन्हें तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने ही खाना। ये सब तुम अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों और अपने शहरों में* रहनेवाले लेवियों के साथ उस जगह खाना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनेगा।+ तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपने सब कामों पर खुशियाँ मनाना। 19 और सावधान रहना कि तुम अपने देश में जीते-जी कभी लेवियों को नज़रअंदाज़ नहीं करोगे।+

20 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने वादे के मुताबिक+ तुम्हारे देश की सरहद बढ़ाएगा+ और अगर कभी गोश्‍त खाने का तुम्हारा मन करे और तुम कहो, ‘आज मैं गोश्‍त खाना चाहता हूँ,’ तो तुम खा सकते हो।+ 21 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है+ वह अगर तुम्हारे घर से बहुत दूर है, तो तुम मेरी आज्ञा के मुताबिक यहोवा के दिए गाय-बैलों या भेड़-बकरियों में से जानवर हलाल करना। जब भी तुम्हें गोश्‍त खाने का मन करे तो तुम अपने शहरों में* खाना। 22 सब लोग यह गोश्‍त खा सकते हैं, फिर चाहे वे शुद्ध हों या अशुद्ध, ठीक जैसे चिकारे या हिरन का गोश्‍त तुम सब खाते हो।+ 23 मगर तुम इतना ज़रूर ठान लेना कि तुम खून हरगिज़ नहीं खाओगे+ क्योंकि खून जीवन है।+ तुम गोश्‍त के साथ जीवन न खाना। 24 तुम खून हरगिज़ मत खाना। उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना।+ 25 तुम उसे हरगिज़ न खाना। इससे तुम्हारा और तुम्हारे बाद तुम्हारे बच्चों का भला होगा, क्योंकि तुम यहोवा की नज़र में सही काम कर रहे होगे। 26 जब तुम यहोवा की चुनी हुई जगह जाओगे तो अपने साथ सिर्फ अपनी पवित्र भेंट और अपनी मन्‍नत-बलियाँ ले जाना। 27 वहाँ तुम अपनी होम-बलि के जानवरों का गोश्‍त और खून अपने परमेश्‍वर यहोवा की वेदी पर अर्पित करना।+ बलि के जानवरों का खून तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की वेदी पर उँडेल देना,+ मगर उसका गोश्‍त तुम खा सकते हो।

28 मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ, उनमें से हर आज्ञा का तुम सख्ती से पालन करना। अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारा और तुम्हारे बाद तुम्हारे बच्चों का हमेशा भला होगा, क्योंकि तुम वही कर रहे होगे जो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में सही और भला है।

29 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन जातियों को नाश कर देगा जिन्हें तुम वहाँ से निकाल दोगे+ और तुम उनके देश में बस जाओगे, 30 तो सावधान रहना कि उनके मिटने के बाद तुम वहाँ किसी फंदे में न फँस जाओ। तुम उनके देवताओं के बारे में जानने के लिए यह मत कहना, ‘ये जातियाँ अपने देवताओं की पूजा कैसे करती थीं? ज़रा मैं भी उनके तौर-तरीके अपनाकर देखूँ।’+ 31 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना उनके तरीके से मत करना, क्योंकि वे अपने देवताओं के लिए हर वह घिनौना काम करते हैं जिससे यहोवा नफरत करता है। यहाँ तक कि वे अपने बेटे-बेटियों को अपने देवताओं के लिए आग में होम कर देते हैं।+ 32 तुम इस बात का ध्यान रखना कि मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ देता हूँ उनमें से हरेक का तुम सख्ती से पालन करोगे।+ तुम इन आज्ञाओं में न तो कुछ जोड़ना और न ही इनसे कुछ निकालना।+

13 अगर तुम्हारे बीच कोई भविष्यवक्‍ता या सपने देखकर भविष्य बतानेवाला खड़ा होता है और कोई चिन्ह देता है या भविष्य के बारे में कुछ बताता है 2 और कहता है, ‘आओ हम दूसरे देवताओं के पीछे जाएँ और उनकी सेवा करें’ जिन्हें तुम नहीं जानते और उसने जो चिन्ह दिया है या भविष्य के बारे में जो बताया है वह सच निकलता है, 3 तो तुम उस भविष्यवक्‍ता या सपनों के ज़रिए भविष्य बतानेवाले की बात न सुनना,+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा यह जानने के लिए तुम्हें परख रहा है+ कि तुम पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करते हो या नहीं।+ 4 तुम सिर्फ अपने परमेश्‍वर यहोवा के पीछे चलना, उसी का डर मानना, उसकी आज्ञाओं का पालन करना, उसकी बात मानना, उसी की सेवा करना और उसी को मज़बूती से थामे रहना।+ 5 मगर उस भविष्यवक्‍ता या सपनों के ज़रिए भविष्य बतानेवाले को मौत की सज़ा दी जाए,+ क्योंकि वह तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा से बगावत करने के लिए लोगों को भड़काता है जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से छुड़ाकर लाया है। उस भविष्यवक्‍ता या सपनों के ज़रिए भविष्य बतानेवाले को मार डालना क्योंकि वह उस रास्ते से फिर जाने के लिए लोगों को भड़काता है, जिस पर चलने की आज्ञा तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें दी है। तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।+

6 अगर तेरा सगा भाई या तेरा बेटा या बेटी या तेरी पत्नी, जिसे तू बहुत प्यार करता है या तेरा जिगरी दोस्त तुझे चुपके से बहकाने की कोशिश करे और कहे, ‘चलो, हम दूसरे देवताओं की सेवा करते हैं,’+ ऐसे देवताओं की जिन्हें न तू जानता है और न तेरे बाप-दादे जानते थे, 7 चाहे ये तुम्हारे आस-पास की जातियों के देवता हों या दूर की जातियों के, या देश के किसी भी कोने के देवता हों, 8 तो तू उसकी बातों में मत आना, न ही उसकी सुनना।+ तू उस पर दया न करना, न ही उस पर तरस खाना या उसे बचाने की कोशिश करना। 9 इसके बजाय तू उसे हर हाल में मार डालना।+ उसे मार डालने के लिए सबसे पहले तेरा हाथ उठे, उसके बाद बाकी सब लोगों का।+ 10 तू उसे पत्थरों से मार डालना+ क्योंकि उसने तुझे तेरे परमेश्‍वर यहोवा से दूर ले जाने की कोशिश की है, जो तुझे गुलामी के घर, मिस्र से निकाल लाया है। 11 तब पूरा इसराएल उसके बारे में सुनकर डर जाएगा और फिर कभी कोई तुम्हारे बीच ऐसा बुरा काम नहीं करेगा।+

12 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जिन शहरों में बसाएगा, उनमें से किसी शहर से अगर तुम्हें यह खबर मिलती है 13 कि वहाँ कुछ ऐसे निकम्मे आदमी निकल आए हैं जो यह कहकर अपने शहर के लोगों को गुमराह कर रहे हैं, ‘चलो, हम दूसरे देवताओं की सेवा करते हैं,’ ऐसे देवताओं की जिन्हें तुम नहीं जानते, 14 तो तुम उस मामले की तहकीकात करना, उसकी अच्छी तरह छानबीन करना और पूछताछ करना।+ अगर तुम पाते हो कि खबर सच है और तुम्हारे बीच वाकई ऐसा घिनौना काम हो रहा है, 15 तो तुम उस शहर के लोगों को हर हाल में तलवार से मार डालना।+ उस पूरे शहर को नाश कर देना और वहाँ की एक-एक चीज़ मिटा देना, यहाँ तक कि जानवरों को भी तुम तलवार से नाश कर देना।+ 16 फिर तुम उस शहर की पूरी लूट चौराहे पर लाकर इकट्ठा करना और शहर को जला देना। लूट का वह सारा माल तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के लिए दी जानेवाली होम-बलि जैसा होगा। वह शहर हमेशा के लिए मलबे का ढेर बन जाएगा। उसे कभी दोबारा न बसाया जाए। 17 जो कुछ नाश के लिए अलग ठहराया जाता है* उसमें से तुम अपने लिए कुछ भी मत लेना+ ताकि यहोवा का गुस्सा तुम पर न भड़के और वह तुम पर दया और करुणा करे और तुम्हें गिनती में कई गुना बढ़ाए, ठीक जैसे उसने तुम्हारे पुरखों से शपथ खायी थी।+ 18 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानना* और उन सभी आज्ञाओं का पालन करना जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ। इस तरह तुम वही करना जो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में सही है।+

14 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के बेटे हो। तुम किसी की मौत का मातम मनाने के लिए अपने शरीर पर घाव न करना,+ न ही अपने सिर के सामने के बाल मुँड़वाना,*+ 2 क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए पवित्र राष्ट्र हो+ और यहोवा ने धरती के सब देशों में से तुम्हें चुना है ताकि वह तुम्हें अपने लोग और अपनी खास जागीर* बनाए।+

3 तुम कोई भी घिनौनी चीज़ मत खाना।+ 4 तुम ये जानवर खा सकते हो:+ बैल, भेड़, बकरी, 5 हिरन, चिकारा, छोटा हिरन, जंगली बकरी, नीलगाय, जंगली भेड़ और पहाड़ी भेड़। 6 तुम ऐसे किसी भी जानवर को खा सकते हो जिसके खुर दो भागों में बँटे होते हैं और जो जुगाली भी करता है। 7 मगर तुम वे जानवर मत खाना जो या तो जुगाली करते हैं या जिनके खुर दो भागों में बँटे होते हैं: ऊँट, खरगोश और चट्टानी बिज्जू। ये जानवर जुगाली तो करते हैं मगर इनके खुर दो भागों में नहीं बँटे होते। ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।+ 8 तुम सूअर को भी मत खाना क्योंकि उसके खुर तो दो भागों में बँटे होते हैं मगर वह जुगाली नहीं करता। वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। तुम ऐसे जानवरों का गोश्‍त न खाना, न ही उनकी लाश छूना।

9 पानी में रहनेवाले जीव-जंतुओं में से तुम ऐसे हर जीव को खा सकते हो जिसके पंख और छिलके होते हैं।+ 10 लेकिन तुम ऐसे जीवों को मत खाना जिनके पंख और छिलके नहीं होते। वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।

11 तुम ऐसे किसी भी पक्षी को खा सकते हो जो शुद्ध है। 12 मगर तुम इनमें से किसी को मत खाना: उकाब, समुद्री बाज़, काला गिद्ध,+ 13 लाल चील, काली चील, हर किस्म की चील, 14 हर किस्म का कौवा, 15 शुतुरमुर्ग, उल्लू, धोमरा, हर किस्म का बाज़, 16 छोटा उल्लू, लंबे कानोंवाला उल्लू, हंस, 17 हवासिल, गिद्ध, पन-कौवा, 18 लगलग, हर किस्म का बगुला, हुदहुद और चमगादड़। 19 पंखोंवाला ऐसा हर कीट-पतंगा भी तुम्हारे लिए अशुद्ध है जो झुंड में उड़ता है। इन्हें खाना मना है। 20 तुम उड़नेवाले ऐसे किसी भी जीव को खा सकते हो जो शुद्ध है।

21 तुम ऐसे किसी भी जानवर का गोश्‍त मत खाना जो मरा हुआ पाया जाता है।+ तुम उसे अपने शहरों में* रहनेवाले किसी परदेसी को दे सकते हो। वह उसका गोश्‍त खा सकता है। या मरा हुआ जानवर किसी परदेसी को बेचा जा सकता है। मगर तुम लोग उसे मत खाना क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए पवित्र राष्ट्र हो।

तुम बकरी के बच्चे को उसकी माँ के दूध में मत उबालना।+

22 तुम साल-दर-साल अपने खेत की हर फसल का दसवाँ हिस्सा ज़रूर दिया करना।+ 23 तुम्हारा परमेश्‍वर अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनेगा वहाँ तुम अपने अनाज का, अपनी नयी दाख-मदिरा का और तेल का दसवाँ हिस्सा और अपने गाय-बैलों और भेड़-बकरियों के पहलौठे जानवरों का गोश्‍त अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खाया करना।+ ऐसा करने से तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा का हमेशा डर मानना सीखोगे।+

24 लेकिन अगर तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए जो जगह चुनता है+ वह तुम्हारे घर से बहुत दूर है और तुम्हारे पास यहोवा की आशीष से जो संपत्ति है उसका दसवाँ हिस्सा उतनी दूर ले जाना तुम्हारे लिए मुश्‍किल है, 25 तो तुम अपना दसवाँ हिस्सा बेच सकते हो। फिर वह पैसा हाथ में लेकर तुम उस जगह के लिए सफर करना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनेगा। 26 वहाँ पहुँचने के बाद तुम उस पैसे से जो चाहे खरीद सकते हो, गाय-बैल, भेड़-बकरी, दाख-मदिरा, कोई दूसरी शराब या कोई भी मन-पसंद चीज़। और तुम अपने घराने के साथ अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने भोजन करना और खुशियाँ मनाना।+ 27 तुम अपने शहरों में रहनेवाले लेवियों को नज़रअंदाज़ न करना+ क्योंकि उन्हें तुम्हारे साथ ज़मीन का कोई भाग या विरासत नहीं दी गयी है।+

28 हर तीन साल के आखिर में तुम तीसरे साल की उपज का पूरा-का-पूरा दसवाँ हिस्सा अपने शहरों में ही जमा करना।+ 29 तब तुम्हारे शहरों में रहनेवाले लेवी, जिन्हें तुम्हारे साथ ज़मीन का कोई भाग या विरासत नहीं दी गयी है, साथ ही तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसी, अनाथ* और विधवाएँ आकर उस भंडार में से लेंगे और जी-भरकर खाएँगे+ और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हर काम पर आशीष देगा।+

15 हर सातवें साल के आखिर में तुम रिहाई का ऐलान करना।+ 2 इस रिहाई में यह शामिल है: अगर एक आदमी से उसके किसी पड़ोसी ने कर्ज़ लिया है तो लेनदार को चाहिए कि वह इस साल अपने पड़ोसी को, अपने भाई को रिहाई दे और कर्ज़ चुकाने की माँग न करे क्योंकि इस साल यहोवा के सम्मान में रिहाई का ऐलान किया जाएगा।+ 3 तुम परदेसी से कर्ज़ चुकाने की माँग कर सकते हो,+ मगर अपने भाई से कर्ज़ चुकाने की माँग न करना। 4 तुम्हारे बीच कोई गरीब नहीं होना चाहिए क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश विरासत में देनेवाला है वहाँ यहोवा तुम्हें ज़रूर आशीष देगा,+ 5 बशर्ते तुम सख्ती से अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानो और इन सभी आज्ञाओं का पालन करो जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ।+ 6 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें आशीष देगा, जैसे उसने तुमसे वादा किया है और तुम्हारे पास इतना होगा कि तुम बहुत-सी जातियों को उधार* दे सकोगे। तुम्हें कभी उनसे उधार नहीं लेना पड़ेगा।+ तुम बहुत-सी जातियों पर हुक्म चलाओगे, मगर वे तुम पर हुक्म नहीं चलाएँगी।+

7 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देगा, वहाँ अगर तुम्हारे शहर में कोई इसराएली भाई कंगाल हो जाता है तो तुम उसकी मदद करने से अपना हाथ मत खींच लेना और दिल कठोर न कर लेना।+ 8 इसके बजाय तू खुले हाथ उसे उधार* देना।+ वह अपनी ज़रूरत के हिसाब से तुझसे जितना भी उधार माँगे उसे ज़रूर देना। 9 सावधान रहना कि तू अपने दिल में यह बुरा खयाल न पनपने दे: ‘अब तो सातवाँ साल, रिहाई का साल नज़दीक है’+ और इस वजह से अपने गरीब भाई की मदद करने से पीछे हट जाए और उसे कुछ न दे। तब अगर वह तेरे खिलाफ यहोवा की दुहाई दे तो तू पापी ठहरेगा।+ 10 जब वह तुझसे माँगे तो उसे दिल खोलकर देना+ और मन में कुड़कुड़ाना मत। तभी तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरी मेहनत पर आशीष देगा और तू जो भी काम हाथ में लेगा उसमें तुझे कामयाबी देगा।+ 11 तुम्हारे देश में गरीब हमेशा रहेंगे+ इसीलिए मैं तुम्हें यह आज्ञा देता हूँ, ‘तुम अपने देश में मुसीबत के मारों को और अपने गरीब भाइयों को उदारता से और खुले हाथ से देना।’+

12 अगर तेरे इब्री भाइयों में से कोई, चाहे वह आदमी हो या औरत, तेरे हाथ बेच दिया जाए और वह तेरे यहाँ दास बनकर छ: साल काम करे तो सातवें साल तू उसे आज़ाद कर देना।+ 13 और जब तू उसे आज़ाद करे तो उसे खाली हाथ मत भेजना। 14 तू अपने भेड़-बकरियों के झुंड में से जानवर, अपने खलिहान से अनाज और अपने हौद से तेल और दाख-मदिरा उसे देना। तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे जितनी आशीष दी होगी, उसके मुताबिक तू उसे देना। 15 मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वहाँ से छुड़ा लाया है। इसीलिए मैं आज तुम्हें ऐसा करने की आज्ञा दे रहा हूँ।

16 लेकिन अगर तेरा दास तुझसे और तेरे घराने से बहुत प्यार करता है और वह तेरे यहाँ रहते वक्‍त बहुत खुश था इसलिए वह तुझसे कहता है कि मैं तुझे छोड़कर नहीं जाऊँगा!+ 17 तो तू उस दास को दरवाज़े के पास ले जाना और एक सुए से उसका कान छेद देना। फिर वह ज़िंदगी-भर के लिए तेरा दास हो जाएगा। अगर तेरी दासी तुझे छोड़कर नहीं जाना चाहती तो उसके साथ भी तू ऐसा ही करना। 18 अगर तू अपने दास को आज़ाद करता है और वह तुझे छोड़कर चला जाता है तो तू यह मत सोचना कि इससे तुझे तकलीफ होगी, क्योंकि उसने छ: साल तेरे यहाँ इतना काम किया है जितना दिहाड़ी पर काम करनेवाला दो गुना मज़दूरी करता है और तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तेरे हर काम पर आशीष दी है।

19 तुम अपने गाय-बैलों और भेड़-बकरियों में से हर पहलौठे को अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए अलग ठहराना।+ तुम अपने पहलौठे बैल से कोई काम न करवाना, न ही भेड़-बकरियों के पहलौठे का ऊन कतरना। 20 तुम साल-दर-साल अपने घराने के साथ, इन पहलौठे जानवरों का गोश्‍त अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने उस जगह खाना जो यहोवा चुनेगा।+ 21 लेकिन अगर तुम्हारा पहलौठा जानवर लँगड़ा या अंधा है या उसमें किसी और तरह का बड़ा दोष है, तो तुम उसे अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए बलि मत करना।+ 22 तुम उसे अपने ही शहरों में* खाना। सब लोग यह गोश्‍त खा सकते हैं, फिर चाहे वे शुद्ध हों या अशुद्ध, ठीक जैसे चिकारे या हिरन का गोश्‍त तुम सब खाते हो।+ 23 मगर तुम उसका खून मत खाना+ बल्कि उसे पानी की तरह ज़मीन पर उँडेल देना।+

16 तुम आबीब* महीने को हमेशा याद रखना और उस महीने अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए फसह मनाया करना+ क्योंकि आबीब महीने में तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें रात के वक्‍त मिस्र से बाहर ले आया था।+ 2 तुम अपने भेड़-बकरियों और गाय-बैलों के झुंड से+ अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए फसह का बलिदान चढ़ाना+ और यह बलिदान तुम उस जगह चढ़ाना जो यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए चुनेगा।+ 3 तुम बलि के गोश्‍त के साथ कोई भी खमीरी चीज़ मत खाना।+ तुम सात दिन तक दुख की रोटी यानी बिन-खमीर की रोटी खाना, ठीक जैसे तुमने उस दिन खायी थी जब तुमने हड़बड़ी में मिस्र देश छोड़ा था।+ तुम ऐसा इसलिए करना ताकि तुम्हें सारी ज़िंदगी वह दिन याद रहे जब तुम मिस्र से बाहर आए थे।+ 4 सात दिन तक तुम्हारे इलाके में कहीं भी खमीरा आटा न पाया जाए।+ और पहले दिन की शाम को तुम जो जानवर बलि करोगे उसका कुछ भी गोश्‍त रात-भर, अगली सुबह तक मत बचाकर रखना।+ 5 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देनेवाला है, वहाँ तुम्हें अपनी मरज़ी से किसी भी शहर में फसह की बलि चढ़ाने की इजाज़त नहीं है। 6 इसके बजाय, तुम यह बलि उसी जगह पर चढ़ाना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए चुनेगा। तुम फसह का जानवर शाम को सूरज ढलते ही बलि करना,+ जैसे तुमने मिस्र छोड़ते वक्‍त तय समय पर बलि किया था। 7 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा जो जगह चुनेगा+ वहीं पर तुम इसका गोश्‍त पकाना और खाना।+ फिर सुबह तुम अपने-अपने तंबू में लौट सकते हो। 8 तुम छ: दिन बिन-खमीर की रोटियाँ खाना और सातवें दिन तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के लिए एक पवित्र सभा होगी। उस दिन तुम कोई काम मत करना।+

9 जिस दिन तुम अपने खेत में खड़ी फसल पर पहली बार हँसिया चलाओगे, उस दिन से तुम सात हफ्ते गिनना।+ 10 सात हफ्ते बीतने पर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए कटाई का त्योहार मनाना।+ तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें जितनी आशीष दी होगी उसके हिसाब से तुम स्वेच्छा-बलि लाकर अर्पित करना।+ 11 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों, अपने शहरों के* लेवियों, तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसियों, अनाथों* और विधवाओं के साथ उस जगह खुशियाँ मनाना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए चुनेगा।+ 12 मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे+ और तुम इन सभी कायदे-कानूनों को मानना और इनके मुताबिक चलना।

13 जब तुम अपने खलिहान से अनाज इकट्ठा करोगे और अपने हौद से तेल और दाख-मदिरा जमा करोगे तब तुम सात दिन के लिए छप्परों का त्योहार मनाना।+ 14 इस त्योहार के दौरान तुम खुशियाँ मनाना।+ तुम अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों और उन लेवियों, परदेसियों, अनाथों और विधवाओं के साथ खुशियाँ मनाना जो तुम्हारे शहरों में रहते हैं। 15 तुम सात दिन तक अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए उस जगह त्योहार मनाना+ जो यहोवा चुनता है क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारी फसलों पर और तुम्हारे सभी कामों पर आशीष देगा+ जिससे तुम ज़रूर खुशियाँ मनाओगे।+

16 साल में तीन बार सभी आदमी अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने हाज़िर हुआ करें। बिन-खमीर की रोटी के त्योहार,+ कटाई के त्योहार+ और छप्परों के त्योहार+ के लिए उन्हें उस जगह हाज़िर होना है जो परमेश्‍वर चुनेगा। कोई भी आदमी यहोवा के सामने खाली हाथ न आए। 17 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुममें से हरेक को जितनी आशीष दी होगी उस हिसाब से वह परमेश्‍वर के लिए भेंट लेकर आए।+

18 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देनेवाला है वहाँ के सभी शहरों में* तुम हर गोत्र के लिए न्यायी+ और अधिकारी ठहराना। उन्हें लोगों के मामलों का न्याय सच्चाई से करना चाहिए। 19 तुम गलत फैसला सुनाकर अन्याय न करना,+ न किसी का पक्ष लेना+ और न ही किसी से रिश्‍वत लेना, क्योंकि रिश्‍वत एक बुद्धिमान इंसान को भी अंधा कर सकती है+ और एक नेक इंसान से भी झूठ बुलवा सकती है। 20 तुम सिर्फ और सिर्फ न्याय करना+ ताकि तुम जीते रहो और उस देश को अपने अधिकार में कर लो जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।

21 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए जो वेदी बनाओगे उसके पास कोई पेड़ लगाकर उसे पूजा-लाठ* की तरह मत पूजना।+

22 तुम अपने लिए कोई पूजा-स्तंभ भी न खड़ा करना+ क्योंकि ऐसी चीज़ से तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा नफरत करता है।

17 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को ऐसे बैल या भेड़ की बलि न चढ़ाना जिसमें किसी भी तरह का दोष हो, क्योंकि ऐसी बलि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौनी है।+

2 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देनेवाला है, वहाँ के किसी शहर में मान लो तुम्हारे आदमी-औरतों में से कोई तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में बुरा काम करता है और तुम्हारे परमेश्‍वर का करार तोड़ता है+ 3 और सही राह पर चलना छोड़कर दूसरे देवताओं को पूजता है, उनके सामने दंडवत करता है या सूरज, चाँद या आसमान के तारों के आगे दंडवत करता है,+ जिसकी मैंने आज्ञा नहीं दी है।+ 4 जब तुम्हें इसकी खबर दी जाती है या तुम इस बारे में सुनते हो, तो तुम मामले की अच्छी छानबीन करना। अगर तुम पाते हो कि खबर सच है+ और इसराएल में वाकई ऐसा घिनौना काम किया गया है, 5 तो जिस आदमी या औरत ने यह दुष्ट काम किया है, उसे तुम शहर के फाटक के पास ले जाना और पत्थरों से मार डालना।+ 6 उसे दो या तीन गवाहों के बयान पर+ ही मौत की सज़ा दी जानी चाहिए। एक ही गवाह के बयान पर उसे न मार डाला जाए।+ 7 उसे पत्थरों से मार डालने के लिए सबसे पहले उनका हाथ उठे जो उसके खिलाफ गवाही देते हैं। इसके बाद बाकी लोग उसे पत्थरों से मार डालें। इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।+

8 अगर कभी तुम्हारे शहर में ऐसा मामला तुम्हारे सामने पेश किया जाता है, जिसे निपटाना तुम्हें बहुत मुश्‍किल लगता है, चाहे वह कत्ल का मामला हो+ या कानूनी दावे का या मारपीट का या आपसी झगड़े का, तो तुम वह मामला उस जगह ले जाकर पेश करना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनता है।+ 9 तुम वह मामला लेवी याजकों और अपने दिनों के न्यायियों+ के सामने पेश करना और वे उस मुकदमे का फैसला सुनाएँगे।+ 10 यहोवा की चुनी हुई जगह से तुम्हें जो फैसला बताया जाता है, तुम उसी के मुताबिक कार्रवाई करना। वे तुम्हें जो भी हिदायत देते हैं, तुम उसका सख्ती से पालन करना। 11 वे तुम्हें जो कानून दिखाते हैं और जो फैसला सुनाते हैं, तुम उसी के मुताबिक कदम उठाना।+ तुम उनके फैसले से न दाएँ मुड़ना न बाएँ।+ 12 अगर एक आदमी न्यायी की बात नहीं सुनता या तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करनेवाले याजक का फैसला नहीं मानता, तो उस गुस्ताख को तुम मार डालना।+ इस तरह तुम इसराएल से बुराई मिटा देना।+ 13 तब इसराएल के सब लोग इस बारे में सुनकर डर जाएँगे और इसके बाद फिर कभी कोई ऐसी गुस्ताखी नहीं करेगा।+

14 जब तुम उस देश में दाखिल होगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है और उसे अपने कब्ज़े में करके वहाँ रहने लगोगे और कहोगे, ‘चलो, हम भी आस-पास की सब जातियों की तरह अपने लिए एक राजा ठहराते हैं,’+ 15 तो तुम ऐसे आदमी को ही राजा ठहराना जिसे तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनेगा।+ तुम अपने इसराएली भाइयों में से किसी को राजा चुनना। तुम्हें किसी परदेसी को, जो तुम्हारा इसराएली भाई नहीं है, अपना राजा बनाने की इजाज़त नहीं है। 16 और जो आदमी राजा ठहराया जाता है उसे अपने लिए बहुत सारे घोड़े नहीं हासिल करने चाहिए,+ न ही ज़्यादा घोड़े लाने के लिए अपने लोगों को मिस्र भेजना चाहिए+ क्योंकि यहोवा ने तुम लोगों से कहा है, ‘तुम कभी मिस्र वापस मत जाना।’ 17 और एक राजा को बहुत-सी शादियाँ भी नहीं करनी चाहिए ताकि उसका मन सही राह से भटक न जाए।+ और उसे अपने लिए ढेर सारा सोना-चाँदी नहीं जमा करना चाहिए।+ 18 जब वह राजगद्दी पर बैठकर राज करना शुरू करेगा, तो उसे चाहिए कि वह लेवी याजकों के पास रखी कानून की किताब ले और उसमें लिखी सारी बातें हू-ब-हू अपने लिए एक किताब* में लिख ले।+

19 उसे अपनी यह किताब अपने पास रखनी चाहिए और सारी ज़िंदगी, हर दिन उसे पढ़ना चाहिए+ ताकि वह अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना सीखे और उसमें दिए सभी नियमों का पालन करे और कायदे-कानूनों के मुताबिक चले।+ 20 तब उसका मन घमंड से नहीं फूलेगा और वह खुद को अपने भाइयों से बड़ा नहीं समझेगा। वह परमेश्‍वर की आज्ञाओं से न दाएँ मुड़ेगा न बाएँ और इसराएल पर उसका और उसके वंशजों का राज अरसों तक बना रहेगा।

18 लेवी याजकों को, यहाँ तक कि पूरे लेवी गोत्र को इसराएलियों के साथ देश में ज़मीन का कोई भाग या विरासत नहीं दी जाएगी। वे उन चढ़ावों में से खाएँगे जो यहोवा के लिए आग में अर्पित किए जाते हैं यानी वे उसके भाग में से खाएँगे।+ 2 इसलिए लेवियों को अपने इसराएली भाइयों के बीच कोई विरासत नहीं मिलेगी। यहोवा ही उनकी विरासत है, ठीक जैसे उसने उन्हें बताया था।

3 जब भी लोग जानवरों की बलि चढ़ाते हैं, चाहे बैल की हो या भेड़ की, तो जानवर का कंधा, उसके जबड़े और उसका पेट याजक को दिया जाए। इन हिस्सों पर याजकों का हक होगा। 4 तुम अपने पहले फल में से अनाज, नयी दाख-मदिरा, तेल और अपनी भेड़ों का कतरा हुआ पहला ऊन उन्हें देना।+ 5 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे सब गोत्रों में से लेवियों को चुना है कि वे और उनके बेटे हमेशा यहोवा के नाम से सेवा करें।+

6 अगर एक लेवी इसराएल देश में अपना शहर छोड़कर+ यहोवा की चुनी हुई जगह* जाना चाहता है,+ 7 तो वह जा सकता है और वहाँ अपने परमेश्‍वर यहोवा के नाम से सेवा कर सकता है, जैसे उसके दूसरे लेवी भाई यहोवा के सामने हाज़िर रहकर सेवा करते हैं।+ 8 उसे अपनी पुश्‍तैनी जायदाद बेचने से जो रकम मिलती है, उसके अलावा अपने बाकी लेवी भाइयों के साथ खाने-पीने की चीज़ों का बराबर हिस्सा मिलेगा।+

9 जब तुम उस देश में दाखिल होगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है, तो तुम वहाँ रहनेवाली जातियों की तरह घिनौने काम न करना।+ 10 तुममें ऐसा कोई न हो जो अपने बेटे या बेटी को आग में होम करता है,+ ज्योतिषी का काम करता है,+ जादू करता है,+ शकुन विचारता है,+ टोना-टोटका करता है,+ 11 मंत्र फूँककर किसी को काबू में करता है, भविष्य बतानेवाले से पूछताछ करता है,+ मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करता है+ या ऐसा दावा करनेवाले से पूछताछ करता है।+ 12 जो कोई ऐसे काम करता है वह यहोवा की नज़र में घिनौना है और इन्हीं घिनौने कामों की वजह से तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन जातियों को तुम्हारे सामने से भगा रहा है। 13 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में निर्दोष बने रहना।+

14 तुम जिन जातियों को उस देश से निकाल रहे हो वे जादू-टोना करनेवालों+ और ज्योतिषियों+ की सुनती हैं, मगर तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें इस तरह का कोई भी काम करने की इजाज़त नहीं दी है। 15 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे भाइयों के बीच में से तुम्हारे लिए मेरे जैसा एक भविष्यवक्‍ता खड़ा करेगा। तुम उसकी बात सुनना।+ 16 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा ऐसा इसलिए करेगा क्योंकि होरेब में जब तुम लोगों की पूरी मंडली इकट्ठा हुई थी+ तब तुमने बिनती की थी, ‘हम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आवाज़ अब और नहीं सुन सकते, न ही इस बड़ी आग को देख सकते हैं, कहीं ऐसा न हो कि हम मर जाएँ।’+ 17 तब यहोवा ने मुझसे कहा था, ‘ये लोग ठीक कह रहे हैं। 18 मैं उनके लिए उन्हीं के बीच से तेरे जैसा एक भविष्यवक्‍ता खड़ा करूँगा+ और उसे अपनी आज्ञाएँ बताया करूँगा।+ वह जाकर उन्हें वह सारी बातें बताएगा जिसकी मैं उसे आज्ञा दूँगा।+ 19 अगर एक इंसान उस भविष्यवक्‍ता की बात नहीं सुनेगा जो मेरे नाम से बताएगा तो उस इंसान से मैं लेखा लूँगा।+

20 अगर एक भविष्यवक्‍ता मेरे नाम से ऐसी बात कहने की गुस्ताखी करता है जिसकी मैंने उसे आज्ञा नहीं दी या दूसरे देवताओं के नाम से संदेश देता है, तो वह मार डाला जाए।+ 21 मगर शायद तुम्हारे मन में यह सवाल उठे: “हम कैसे जान सकेंगे कि वह भविष्यवक्‍ता जो बात कह रहा है वह यहोवा की तरफ से नहीं है?” 22 जब कोई भविष्यवक्‍ता यहोवा के नाम से भविष्यवाणी करता है, मगर वह पूरी नहीं होती या झूठी साबित होती है, तो इसका मतलब है कि उसका संदेश यहोवा की तरफ से नहीं था। उस भविष्यवक्‍ता ने अपनी तरफ से बोलने की गुस्ताखी की है। तुम उससे मत डरना।’

19 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वह देश दे देगा जहाँ दूसरी जातियाँ रहती हैं। यहोवा उन जातियों का नाश कर देगा और तुम उनके शहरों और घरों में बस जाओगे।+ 2 जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा वह देश तुम्हारे अधिकार में कर देगा, तो तुम उस देश के बीच में तीन शहर अलग ठहराना।+ 3 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा जिस देश को तुम्हारे अधिकार में कर देगा, उसका इलाका तुम तीन प्रांतों में बाँटना और उन शहरों तक जाने के लिए सड़कें तैयार करना ताकि एक खूनी उनमें से किसी शहर में भाग सके।

4 मगर उन शहरों में सिर्फ ऐसे खूनी को रहने दिया जाए जिसने अनजाने में किसी का खून किया है न कि नफरत की वजह से।+ 5 जैसे, एक आदमी अपने साथी के साथ जंगल में लकड़ी काटने जाता है और जब पेड़ काटने के लिए कुल्हाड़ी ऊपर उठाता है तो कुल्हाड़ी बेंट से निकलकर उसके साथी को लग जाती है और वह मर जाता है। तब उस खूनी को उनमें से किसी एक शहर में भाग जाना चाहिए और वहीं रहना चाहिए।+ 6 अगर शहर बहुत दूर होगा तो जब खून का बदला लेनेवाला+ गुस्से की आग में जलता हुआ खूनी का पीछा करेगा तब रास्ते में ही उसे पकड़कर मार डालेगा, जबकि उसे मार डालना सही नहीं होगा क्योंकि वह उस आदमी से नफरत नहीं करता था जिसे उसने मार डाला था।+ 7 इसीलिए मैं तुम्हें आज्ञा दे रहा हूँ, ‘तुम तीन शहर अलग ठहराना।’

8 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारी सरहद बढ़ाएगा और तुम्हें देश का सारा इलाका दे देगा जैसे उसने तुम्हारे पुरखों से शपथ खाकर वादा किया था,+ 9 बशर्ते तुम इस आज्ञा का हमेशा पालन करो, जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ कि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करना और हमेशा उसकी राहों पर चलना।+ जब परमेश्‍वर तुम्हारी सरहद बढ़ाएगा तो तुम इन तीन शहरों के अलावा तीन और शहर अलग ठहराना।+ 10 तब उस देश में, जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें विरासत में देनेवाला है, किसी बेगुनाह का खून नहीं बहाया जाएगा+ और तुम पर खून का दोष नहीं लगेगा।+

11 लेकिन अगर एक आदमी अपने साथी से नफरत करता है+ और घात लगाकर उस पर जानलेवा हमला करता है जिससे उसका साथी मर जाता है और इसके बाद वह खूनी इनमें से किसी शहर में भाग जाता है, 12 तो वह खूनी जिस शहर का है, वहाँ के मुखियाओं को उसे वापस बुलवाना चाहिए और उसे खून का बदला लेनेवाले के हाथ में सौंप देना चाहिए। और वह खूनी मार डाला जाए।+ 13 तुम* उस पर बिलकुल तरस न खाना और इसराएल से बेगुनाह के खून का दोष मिटा देना+ जिससे तुम्हारा भला हो।

14 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा जो देश तुम्हारे अधिकार में करनेवाला है, वहाँ जब तुम सबको अपनी-अपनी विरासत की ज़मीन मिलेगी, तो तुम अपने पड़ोसी की ज़मीन का सीमा-चिन्ह मत सरकाना+ जो पुरखों ने लगाया है।

15 अगर एक आदमी पर किसी गुनाह या पाप का इलज़ाम लगाया गया है, तो सिर्फ एक गवाह उसे दोषी नहीं ठहरा सकता।*+ दो या तीन गवाहों के बयान पर ही मामले की सच्चाई साबित की जानी चाहिए।+ 16 अगर एक आदमी दूसरे आदमी को नुकसान पहुँचाने के इरादे से उसके खिलाफ झूठी गवाही देता है और उस पर किसी अपराध का इलज़ाम लगाता है,+ 17 तो उन दोनों आदमियों को, जिनके बीच मुकदमा है, यहोवा और याजकों और अपने दिनों के न्यायियों के सामने हाज़िर होना चाहिए।+ 18 न्यायी मामले की अच्छी छानबीन करेंगे+ और अगर यह साबित हो जाए कि गवाही देनेवाला झूठा है और उसने अपने साथी पर झूठा इलज़ाम लगाया है, 19 तो उस झूठे गवाह को वही सज़ा देना, जो उसने अपने भाई को दिलाने की साज़िश की थी।+ इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।+ 20 फिर जब दूसरे लोग इस मामले के बारे में सुनेंगे तो वे डर जाएँगे और तुम्हारे बीच फिर कभी कोई ऐसा बुरा काम नहीं करेगा।+ 21 ऐसा बुरा काम करनेवाले पर तुम* बिलकुल तरस न खाना।+ उससे तुम बराबर का बदला लेना, जान के बदले जान, आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत, हाथ के बदले हाथ और पैर के बदले पैर।+

20 जब तुम अपने दुश्‍मनों से युद्ध करने जाओगे और देखोगे कि उनके पास घोड़े और रथ हैं और उनके सैनिक तुमसे ज़्यादा हैं, तो तुम उनसे डर मत जाना क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ है, जो तुम्हें मिस्र से बाहर लाया है।+ 2 जब तुम्हारी सेना युद्ध के लिए तैयार खड़ी हो, तब याजक को सेना के सामने आकर उससे बात करनी चाहिए।+ 3 उसे सैनिकों से यह कहना चाहिए, ‘हे इसराएलियो, सुनो। तुम जो अपने दुश्‍मनों से युद्ध करने जा रहे हो, तुम अपना दिल कमज़ोर न होने देना। तुम दुश्‍मनों से बिलकुल न डरना, न ही उनसे खौफ खाना या उनसे थर-थर काँपना 4 क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ-साथ चल रहा है और वह तुम्हारी तरफ से दुश्‍मनों से लड़ेगा और तुम्हें बचाएगा।’+

5 और सेना-अधिकारी भी सैनिकों से कहें, ‘क्या तुममें ऐसा कोई आदमी है जिसने नया घर बनाया और उसमें रहना शुरू नहीं किया? अगर है तो वह अपने घर लौट जाए। कहीं ऐसा न हो कि वह लड़ाई में मारा जाए और कोई दूसरा आदमी जाकर उसके घर में रहने लगे। 6 क्या तुममें ऐसा कोई है जिसने अंगूरों का बाग लगाया और अब तक उसका फल नहीं खाया? अगर है तो वह अपने घर लौट जाए। कहीं ऐसा न हो कि वह लड़ाई में मारा जाए और कोई दूसरा आदमी उसके बाग के फल खाए। 7 क्या तुममें ऐसा कोई आदमी है जिसकी सगाई हो चुकी है मगर अब तक शादी नहीं हुई? अगर है तो वह अपने घर लौट जाए।+ कहीं ऐसा न हो कि वह लड़ाई में मारा जाए और कोई दूसरा आदमी उसकी मँगेतर से शादी कर ले।’ 8 सेना-अधिकारी सैनिकों से यह भी पूछें, ‘क्या तुममें कोई डरपोक और बुज़दिल है?+ अगर है तो वह अपने घर लौट जाए। कहीं ऐसा न हो कि वह अपने दूसरे भाइयों का भी मन कच्चा कर दे।’+ 9 यह सब कहने के बाद सेना-अधिकारियों को सेना की अगुवाई के लिए सेनापति ठहराने चाहिए।

10 जब तुम किसी शहर से युद्ध करने उसके पास जाते हो, तो पहले उसके सामने शांति का प्रस्ताव रखना और उसे अपनी सुलह की शर्तें बताना।+ 11 अगर वह शहर तुम्हारी शर्तें मानकर तुमसे सुलह के लिए राज़ी हो जाता है और तुम्हारे लिए अपने फाटक खोल देता है, तो उस शहर के सभी लोग तुम्हारे लिए जबरन मज़दूरी करनेवाले बन जाएँगे और तुम्हारी सेवा करेंगे।+ 12 लेकिन अगर वह शहर तुम्हारे साथ सुलह करने से इनकार कर देता है और तुमसे युद्ध करने निकल पड़ता है तो तुम उस शहर को घेर लेना। 13 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा ज़रूर उस शहर को तुम्हारे हाथ में कर देगा और तुम वहाँ के हर आदमी को तलवार से मार डालना। 14 मगर औरतों, बच्चों और मवेशियों को और शहर की हर चीज़ तुम लूट में ले लेना।+ तुम अपने दुश्‍मनों का लूट का माल अपने लिए ले लेना क्योंकि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें यह सब दे दिया है।+

15 ऐसा तुम उन सभी शहरों के साथ करना जो तुमसे बहुत दूर हैं, जो यहाँ की आस-पास की जातियों के नहीं हैं। 16 मगर जो शहर तुम्हारे आस-पास की जातियों के हैं और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें विरासत में दे रहा है, वहाँ तुम किसी को भी ज़िंदा मत छोड़ना।+ 17 तुम वहाँ रहनेवाले हित्तियों, एमोरियों, कनानियों, परिज्जियों, हिव्वियों और यबूसियों को पूरी तरह नाश कर देना,+ ठीक जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें आज्ञा दी है 18 ताकि ये जातियाँ तुम्हें ऐसे घिनौने काम न सिखाएँ जो वे अपने देवताओं के लिए करती हैं और तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के खिलाफ तुमसे पाप न करवाएँ।+

19 जब तुम किसी शहर को जीतने के लिए उसकी घेराबंदी करते हो और कई दिनों तक उससे युद्ध करते हो, तो वहाँ के पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें नाश मत करना। तुम उन पेड़ों के फल खा सकते हो, मगर उन्हें काटना मत।+ क्या मैदान के पेड़ इंसान हैं कि तुम उन पर हमला करके उन्हें नाश कर दो? 20 तुम सिर्फ ऐसे पेड़ों को काट सकते हो जिनके बारे में तुम जानते हो कि वे फलदार पेड़ नहीं हैं। तुम उन्हें काटकर शहर की घेराबंदी के लिए इस्तेमाल कर सकते हो, जब तक कि तुम शहर पर कब्ज़ा नहीं कर लेते।

21 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा जो देश तुम्हारे अधिकार में करनेवाला है, वहाँ अगर कहीं मैदान में किसी आदमी की लाश मिलती है और कोई नहीं जानता कि उसका खून किसने किया है, 2 तो तुम्हारे मुखिया और न्यायी+ उस जगह जाएँ और वहाँ से आस-पास के शहरों की दूरी नापें। 3 फिर जो शहर सबसे नज़दीक पड़ता है वहाँ के मुखियाओं को एक ऐसी गाय लेनी चाहिए जिससे अब तक काम नहीं लिया गया है और जो जुए में नहीं जोती गयी है। 4 मुखिया उस गाय को एक ऐसी घाटी में ले जाएँ जहाँ पानी की धारा बहती हो और जहाँ कभी जुताई-बोआई न की गयी हो। और वे वहीं घाटी में उस गाय का गला काटकर उसे मार डालें।+

5 तब लेवी याजक वहाँ आएँगे क्योंकि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने उन्हें इसलिए चुना है कि वे उसकी सेवा करें+ और यहोवा के नाम से लोगों को आशीर्वाद देंगे।+ वे बताएँगे कि खून-खराबे का हर मामला कैसे निपटाया जाए।+ 6 फिर उस नज़दीकी शहर के सभी मुखिया उस गाय के ऊपर अपने हाथ धोएँ,+ जिसे घाटी में गला काटकर मार डाला गया है 7 और कहें, ‘न हमारे हाथों ने यह खून बहाया है और न ही हमारी आँखों ने यह खून होते देखा है। 8 इसलिए हे यहोवा, तू अपने लोगों को, इसराएलियों को इसके लिए ज़िम्मेदार मत ठहरा जिन्हें तू छुड़ाकर लाया है+ और उस बेगुनाह के खून का दोष अपने इसराएली लोगों से मिटा दे।’+ तब उस इंसान के खून का दोष तुम पर नहीं आएगा। 9 इस तरह तुम उस बेगुनाह के खून का दोष अपने बीच से मिटा दोगे क्योंकि तुमने वही किया होगा जो यहोवा की नज़र में सही है।

10 जब तू कभी अपने दुश्‍मनों से युद्ध करने जाए और तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरी तरफ से लड़कर उन्हें हरा दे और तू उन्हें बंदी बना ले+ 11 तब अगर तू उन बंदियों में से किसी खूबसूरत औरत को देखता है और वह तुझे बहुत पसंद आती है और तू उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता है, 12 तो तू उसे अपने घर ला सकता है। उस औरत को अपना सिर मुँड़ाना चाहिए, अपने नाखून काटने चाहिए 13 और अपनी वह पोशाक बदल लेनी चाहिए जिसे पहने वह बँधुआई में आयी थी। वह तेरे घर में रहेगी और पूरे एक महीने तक अपने माँ-बाप के लिए मातम मनाएगी।+ इसके बाद तू उसे अपनी पत्नी बना सकता है और उसके साथ संबंध रख सकता है। 14 लेकिन बाद में अगर तू उससे खुश न हो तो तुझे चाहिए कि तू उस औरत को भेज दे,+ वह जहाँ जाना चाहे वहाँ उसे जाने दे। मगर तुझे उस औरत को पैसे के लिए नहीं बेचना चाहिए और न ही उसके साथ बदसलूकी करनी चाहिए, क्योंकि तूने उसे ज़बरदस्ती पत्नी बनाया था।

15 मान लो किसी आदमी की दो पत्नियाँ हैं और वह एक को दूसरे से ज़्यादा प्यार करता है।* दोनों पत्नियों से उसके बेटे होते हैं, मगर पहलौठा उस पत्नी का है जिससे वह कम प्यार करता है।+ 16 जब अपने बेटों में जायदाद बाँटने का दिन आएगा तो उसे यह इजाज़त नहीं कि वह अपने पहलौठे का यानी जिस पत्नी से वह कम प्यार करता है उसके बेटे का हक छीन ले और अपनी चहेती पत्नी के बेटे को पहलौठे का दर्जा दे दे। 17 उस आदमी को उसी पत्नी के बेटे को अपना पहलौठा मानना होगा जिससे वह कम प्यार करता है और उसी बेटे को अपनी हर चीज़ का दुगना हिस्सा देना होगा, क्योंकि वही बेटा उसकी शक्‍ति* की पहली निशानी है। पहलौठे के नाते उस बेटे का जो हक है वह उसी का रहेगा।+

18 अगर किसी आदमी का बेटा ढीठ और बागी है और अपने माँ-बाप का कहना नहीं मानता+ और उसके माँ-बाप उसे सुधारने की बहुत कोशिश करते हैं, पर वह उनकी एक नहीं सुनता+ 19 तो उसके माँ-बाप को उसे पकड़कर अपने शहर के फाटक पर मुखियाओं के पास लाना चाहिए 20 और मुखियाओं को यह बताना चाहिए, ‘हमारा यह बेटा ढीठ और बागी है, यह हमारा कहना बिलकुल नहीं मानता। यह पेटू+ और पियक्कड़ है।’+ 21 तब शहर के सारे आदमी उसे पत्थरों से मार डालें। इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना। जब इसराएल के सभी लोग इस बारे में सुनेंगे तो वे डरेंगे।+

22 अगर किसी आदमी ने ऐसा पाप किया है जिसकी सज़ा मौत है और तुम उसे मार डालने के बाद+ काठ पर लटका देते हो,+ 23 तो उसकी लाश पूरी रात काठ पर न लटकी रहे।+ इसके बजाय, जिस दिन तुम उस आदमी को मौत की सज़ा देते हो उसी दिन उसकी लाश दफना देना, क्योंकि हर वह इंसान जो काठ पर लटकाया जाता है वह परमेश्‍वर की तरफ से शापित ठहरता है।+ तुम अपने देश को दूषित मत करना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें विरासत में देनेवाला है।+

22 अगर तू अपने किसी इसराएली भाई के बैल या उसकी भेड़ को कहीं भटकता हुआ देखे, तो जानबूझकर उसे नज़रअंदाज़ मत करना।+ तू ज़रूर उसे ले जाकर अपने भाई के हाथ सौंप देना। 2 लेकिन अगर वह इसराएली भाई बहुत दूर रहता है या तू नहीं जानता कि जानवर किसका है, तो तू जानवर को अपने घर ले जाना। उसे तब तक अपने यहाँ रखना जब तक कि तेरा भाई उसे ढूँढ़ते हुए तेरे पास नहीं आता। जब वह आएगा तो उसे जानवर लौटा देना।+ 3 तुझे अपने भाई की जो भी खोयी हुई चीज़ मिलती है उसे ज़रूर लौटा देना, फिर चाहे वह उसका गधा हो या कपड़ा या कोई और चीज़। तू उसे देखकर भी अनदेखा मत करना।

4 अगर कभी तू देखे कि एक इसराएली भाई का गधा या बैल रास्ते में गिरा पड़ा है तो तू जानबूझकर उसे नज़रअंदाज़ मत करना। तू ज़रूर अपने भाई के पास जाना और जानवर को उठाने में उसकी मदद करना।+

5 एक औरत को आदमी के कपड़े नहीं पहनने चाहिए और न ही एक आदमी को औरत के कपड़े पहनने चाहिए। जो कोई ऐसा करता है वह तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौना है।

6 अगर तू कभी रास्ते में चलते हुए देखे कि ज़मीन पर या किसी पेड़ पर एक घोंसला है और उसमें एक चिड़िया अपने बच्चों या अंडों पर बैठी है, तो तू घोंसले में से बच्चों के साथ-साथ चिड़िया को मत ले लेना।+ 7 तू चाहे तो बच्चों को ले सकता है मगर चिड़िया को ज़रूर उड़ा देना। ऐसा करने से तेरा भला होगा और तू लंबी उम्र जीएगा।

8 अगर तू एक नया घर बनाता है, तो छत पर मुँडेर ज़रूर बनाना+ ताकि ऐसा न हो कि कोई तेरे घर की छत से गिर जाए और उसके खून का दोष तेरे परिवार पर आए।

9 तू अपने अंगूरों के बाग में अंगूरों के साथ कोई और बीज मत बोना,+ वरना तेरे बाग से मिलनेवाले अंगूर और दूसरे बीज की उपज, दोनों ज़ब्त कर लिए जाएँगे और पवित्र-स्थान के लिए दे दिए जाएँगे।

10 तू बैल और गधे को एक जुए में जोतकर हल न चलाना।+

11 तू ऐसी पोशाक न पहनना जो ऊन और मलमल के धागे को मिलाकर बुनी गयी हो।+

12 तू अपने कपड़े के चारों कोनों पर फुँदने लगाना।+

13 अगर एक आदमी शादी करता है और अपनी पत्नी के साथ संबंध रखता है, मगर बाद में वह उससे नफरत करने लगता है* 14 और उस पर बदचलनी का इलज़ाम लगाता है और यह कहकर उसे बदनाम करता है: ‘मैंने इस औरत से शादी की थी, मगर इसके साथ संबंध रखने पर मैंने इसमें कुँवारी होने का सबूत नहीं पाया,’ 15 तो लड़की के माँ-बाप को शहर के फाटक पर मुखियाओं के पास जाना चाहिए और उनके सामने अपनी बेटी के कुँवारी होने का सबूत पेश करना चाहिए। 16 लड़की के पिता को मुखियाओं से कहना चाहिए, ‘मैंने अपनी बेटी की शादी इस आदमी से करायी थी, मगर अब यह आदमी मेरी बेटी से नफरत करता है* 17 और उस पर बदचलन होने का इलज़ाम लगाकर कहता है, “मैंने पाया है कि तेरी बेटी में कुँवारी होने का सबूत नहीं है।” मगर यह रहा मेरी बेटी के कुँवारेपन का सबूत।’ यह कहने के बाद लड़की के माँ-बाप को शहर के मुखियाओं के सामने कपड़ा बिछाना चाहिए। 18 तब शहर के मुखिया+ उस आदमी को सज़ा देंगे+ 19 और उस पर 100 शेकेल* चाँदी का जुरमाना लगाएँगे क्योंकि उसने इसराएल की एक कुँवारी लड़की को बदनाम किया है।+ मुखिया उस आदमी का दिया पैसा लड़की के पिता को देंगे। वह लड़की उस आदमी की पत्नी बनी रहेगी और उस आदमी को जीते-जी उसे तलाक देने की इजाज़त नहीं है।

20 लेकिन अगर वह इलज़ाम सच है और लड़की के कुँवारी होने का कोई सबूत नहीं है, 21 तो वे लड़की को उसके पिता के घर के द्वार पर ले जाएँ और शहर के आदमी लड़की को पत्थरों से मार डालें, क्योंकि वह अपने पिता के घर में रहते नाजायज़ यौन-संबंध रखकर*+ इसराएल पर कलंक ले आयी है।+ इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।+

22 अगर कोई आदमी किसी दूसरे आदमी की पत्नी के साथ यौन-संबंध रखता है और वे पकड़े जाते हैं, तो तुम उस आदमी और औरत दोनों को एक-साथ मार डालना।+ इस तरह तुम इसराएल से बुराई मिटा देना।

23 अगर एक कुँवारी लड़की की सगाई हो चुकी है और कोई दूसरा आदमी उससे शहर में मिलता है और उसके साथ संबंध रखता है, 24 तो तुम उन दोनों को उस शहर के फाटक पर ले जाना और पत्थरों से मार डालना। लड़की को इसलिए मार डालना क्योंकि वह शहर में होते हुए भी नहीं चिल्लायी और आदमी को इसलिए क्योंकि उसने अपने संगी-साथी की पत्नी को भ्रष्ट किया है।+ इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।

25 लेकिन अगर एक आदमी खेत या मैदान में एक ऐसी लड़की से मिलता है जिसकी सगाई हो चुकी है और उसके साथ ज़बरदस्ती संबंध रखता है, तो तुम सिर्फ उस आदमी को मौत की सज़ा देना। 26 मगर लड़की को कुछ मत करना क्योंकि उसने ऐसा पाप नहीं किया जिसके लिए उसे मौत की सज़ा दी जाए। यह मामला बिलकुल वैसा है जैसे कोई किसी बेगुनाह पर हमला करके उसका खून कर देता है।+ 27 लड़की को इसलिए छोड़ देना क्योंकि उस आदमी ने उसे खेत में पाकर उसे भ्रष्ट किया था और वह लड़की चिल्लायी थी, मगर उसे बचानेवाला कोई न था।

28 अगर एक आदमी किसी कुँवारी लड़की से मिलता है जिसकी अब तक सगाई नहीं हुई है और वह उसे पकड़कर उसके साथ संबंध रखता है और इस बात का खुलासा हो जाता है,+ 29 तो उस आदमी को 50 शेकेल चाँदी लड़की के पिता को देनी होगी और उस लड़की को अपनी पत्नी बनाना होगा।+ और उसे जीते-जी उस लड़की को तलाक देने की इजाज़त नहीं है क्योंकि उसने लड़की को भ्रष्ट किया है।

30 कोई भी आदमी अपने पिता की पत्नी के साथ यौन-संबंध न रखे क्योंकि ऐसा करना अपने पिता का अपमान करना है।*+

23 ऐसा कोई भी आदमी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता जिसने अपने अंड कुचलवाए हों या अपना लिंग कटवा दिया हो।+

2 ऐसा कोई भी आदमी जो नाजायज़ औलाद है, यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता।+ दसवीं पीढ़ी तक उसके वंशजों में से कोई भी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता।

3 कोई भी अम्मोनी या मोआबी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता।+ दसवीं पीढ़ी तक उनके वंशजों में से कोई भी यहोवा की मंडली का हिस्सा नहीं बन सकता 4 क्योंकि जब तुम मिस्र से निकलने के बाद सफर कर रहे थे तो उन्होंने तुम्हें खाना-पानी देकर तुम्हारी मदद नहीं की+ और तुम्हें शाप देने के लिए मेसोपोटामिया के पतोर से बओर के बेटे बिलाम को पैसा देकर बुलाया था।+ 5 मगर तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने बिलाम की बात नहीं मानी+ और यहोवा ने उसके शाप को तुम्हारे लिए आशीष में बदल दिया,+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुमसे प्यार करता है।+ 6 तुम जीते-जी कभी-भी उनकी शांति और खुशहाली के लिए कुछ मत करना।+

7 तुम किसी एदोमी से नफरत मत करना क्योंकि एदोमी लोग तुम्हारे भाई हैं।+

तुम किसी मिस्री से नफरत मत करना क्योंकि तुम उनके देश में परदेसी हुआ करते थे।+ 8 उनकी तीसरी पीढ़ी के लोग यहोवा की मंडली का हिस्सा बन सकते हैं।

9 अगर तुम दुश्‍मनों से युद्ध करने के लिए कहीं छावनी डालते हो, तो उस दौरान तुम ध्यान रखना कि तुम किसी भी तरह से दूषित न हो जाओ।+ 10 अगर एक आदमी रात को वीर्य निकलने की वजह से अशुद्ध हो जाता है,+ तो उसे छावनी से बाहर चले जाना चाहिए और वहीं रहना चाहिए। 11 शाम को सूरज ढलने के बाद उसे नहाना चाहिए और उसके बाद वह छावनी में आ सकता है।+ 12 तुम छावनी के बाहर शौच के लिए एक अलग जगह तय करना और जब भी ज़रूरत हो वहीं जाना। 13 तुम अपने साथ जो औज़ार रखते हो उनमें खुरपी भी होनी चाहिए। जब तुम छावनी के बाहर शौच के लिए जाते हो तो तुम खुरपी से एक गड्‌ढा खोदना और उसमें मल-त्याग करने के बाद मिट्टी से ढाँप देना। 14 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें दुश्‍मनों से छुड़ाने और उन्हें तुम्हारे हाथ में करने के लिए छावनी में तुम्हारे बीच चला-फिरा करता है।+ इसलिए तुम्हारी छावनी हमेशा शुद्ध रहे+ ताकि ऐसा न हो कि परमेश्‍वर तुम्हारे बीच कुछ घिनौना देखे और तुम्हारा साथ छोड़कर चला जाए।

15 अगर कोई दास अपने मालिक के यहाँ से भाग जाता है और तुम्हारे पास आता है, तो तुम उसे वापस ले जाकर उसके मालिक के हाथ मत सौंप देना। 16 वह तुम्हारे ही किसी शहर में तुम्हारे बीच जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। तुम उसके साथ बदसलूकी मत करना।+

17 इसराएलियों की कोई भी लड़की मंदिर की वेश्‍या न बने,+ न ही कोई इसराएली लड़का मंदिर में आदमियों के साथ संभोग करनेवाला बने।+ 18 ऐसा आदमी* या औरत मन्‍नत पूरी करने के लिए अपनी बदचलनी की कमाई तेरे परमेश्‍वर यहोवा के भवन में नहीं ला सकता, क्योंकि वे दोनों तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौने हैं।

19 जब तुम अपने एक इसराएली भाई को कुछ उधार देते हो तो उससे ब्याज मत लेना,+ फिर चाहे वह पैसा हो या खाने की चीज़ें या ऐसी कोई और चीज़ हो जिस पर ब्याज लगाया जा सकता है। 20 तुम एक परदेसी से ब्याज ले सकते हो,+ मगर अपने भाई से ब्याज की माँग मत करना+ ताकि तुम जिस देश को अपने अधिकार में करनेवाले हो वहाँ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हर काम पर आशीष दे।+

21 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए कोई मन्‍नत मानते हो+ तो उसे पूरा करने में देर मत करना।+ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुमसे ज़रूर इसकी माँग करेगा। अगर तुम उसे पूरा नहीं करते तो तुम पापी ठहरोगे।+ 22 लेकिन अगर तुम कोई मन्‍नत नहीं मानते तो तुम पाप के दोषी नहीं हो।+ 23 तुमने जो वादा किया है उसे ज़रूर पूरा करना।+ तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए जो मन्‍नत मानते हो वह उसके लिए स्वेच्छा-बलि है। तुम उसे ज़रूर पूरा करना।+

24 तुम अपने पड़ोसी के अंगूरों के बाग में से जी-भरकर अंगूर खा सकते हो, मगर अपने बरतन में एक भी अंगूर डालकर मत ले जाना।+

25 अगर तुम अपने पड़ोसी के खेत में जाते हो तो तुम उसकी खड़ी फसल में से पकी बालें तोड़कर खा सकते हो, मगर तुम उसकी फसल पर हँसिया मत चलाना।+

24 अगर एक आदमी किसी औरत से शादी करता है, मगर बाद में वह उससे खुश नहीं है क्योंकि वह उसमें कुछ बुराई पाता है, तो उसे तलाकनामा लिखकर+ उस औरत के हाथ में देना चाहिए और उसे अपने घर से निकाल देना चाहिए।+ 2 वह औरत उसका घर छोड़ने के बाद किसी और आदमी से शादी कर सकती है।+ 3 अगर दूसरा आदमी भी उससे नफरत करता है* और तलाकनामा लिखकर उसके हाथ में देता है और उसे अपने घर से निकाल देता है या अगर इस दूसरे आदमी की मौत हो जाती है, 4 तो उस औरत का पहला पति, जिसने उसे अपने घर से निकाला था, उससे दोबारा शादी नहीं कर सकता क्योंकि वह औरत दूषित हो चुकी है। अगर वह ऐसा करता है तो यह यहोवा की नज़र में घिनौना काम होगा। तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश विरासत में देनेवाला है उसमें तुम पाप मत ले आना।

5 अगर एक आदमी की नयी-नयी शादी हुई है तो वह सेना में काम न करे, न ही उसे कोई और ज़िम्मेदारी दी जाए। उसे एक साल तक छूट दी जाए ताकि वह घर पर ही रहे और अपनी पत्नी को खुशियाँ दे।+

6 जब कोई किसी को उधार देता है तो वह गिरवी* के रूप में उसकी हाथ की चक्की या चक्की का ऊपरी पाट ज़ब्त न करे+ क्योंकि ऐसा करना उसकी रोज़ी-रोटी छीन लेना* है।

7 अगर कोई अपने किसी इसराएली भाई को अगवा कर लेता है और उसके साथ बुरा सलूक करता है और उसे बेच देता है,+ तो अगवा करनेवाले को मार डाला जाए।+ तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।+

8 अगर तुम्हारे यहाँ कोढ़* निकल आता है तो कोढ़ के बारे में लेवी याजकों की सारी हिदायतों का तुम सख्ती से पालन करना।+ तुम ठीक वैसा ही करना जैसा मैंने याजकों को आज्ञा दी है। 9 याद रखना कि जब तुम मिस्र से निकलने के बाद सफर कर रहे थे, तब तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने मिरयम के साथ क्या किया था।+

10 अगर तू अपने पड़ोसी को कुछ उधार देता है+ तो उसने जो चीज़ गिरवी रखने का वादा किया है, उसे ज़ब्त करने के लिए तू उसके घर के अंदर मत घुस जाना। 11 तुझे कर्ज़दार के घर के बाहर ही खड़े रहना है और वह अपनी गिरवी की चीज़ बाहर लाकर तुझे देगा। 12 अगर तेरा कर्ज़दार तंगी में है तो उसकी गिरवी की चीज़ अपने पास रात-भर मत रखना।+ 13 सूरज ढलते ही उसका गिरवी का कपड़ा उसे हर हाल में लौटा देना ताकि वह उसे ओढ़कर सो सके।+ तब वह तुझे दुआ देगा और तेरा यह काम तेरे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में नेकी माना जाएगा।

14 तू किसी भी दिहाड़ी के मज़दूर के साथ बेईमानी न करना, फिर चाहे वह तेरा इसराएली भाई हो या तेरे शहरों में* रहनेवाला कोई परदेसी। तू ऐसे ज़रूरतमंद और गरीब को ठगना मत।+ 15 तू हर दिन की मज़दूरी उसे सूरज ढलने से पहले उसी दिन दे देना+ क्योंकि वह ज़रूरतमंद है और उसकी मज़दूरी से ही उसका गुज़ारा होता है। अगर तू उसकी मज़दूरी नहीं देगा तो वह तेरे खिलाफ यहोवा की दुहाई देगा और तू पाप का दोषी ठहरेगा।+

16 बच्चों के पाप के लिए पिताओं को न मार डाला जाए और न ही पिताओं के पाप के लिए बच्चों को मार डाला जाए।+ जो पाप करता है उसी को मौत की सज़ा दी जाए।+

17 तुम अपने यहाँ रहनेवाले किसी परदेसी या अनाथ* के साथ अन्याय मत करना।+ और जब तुम किसी विधवा को उधार देते हो तो उसका कपड़ा ज़ब्त करके गिरवी* मत रखना।+ 18 मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वहाँ से छुड़ा लाया है।+ इसीलिए मैं तुम्हें ऐसा करने की आज्ञा दे रहा हूँ।

19 जब तुम अपने खेत में कटाई करते हो और फसल इकट्ठी करते हो, तब अगर भूल से एक पूला छूट जाए तो उसे लेने के लिए तुम खेत में वापस मत जाना। तुम उसे अपने यहाँ रहनेवाले परदेसियों, अनाथों और विधवाओं+ के लिए छोड़ देना ताकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हर काम पर आशीष दे।+

20 जब तुम अपने जैतून की डालियों को मारकर उनके फल इकट्ठे कर लेते हो, तो डालियों को दोबारा मत झाड़ना। जो फल रह जाते हैं उन्हें तुम अपने यहाँ रहनेवाले परदेसियों, अनाथों और विधवाओं के लिए छोड़ देना।+

21 जब तुम अपने अंगूरों के बाग से अंगूर इकट्ठा कर लेते हो, तो बचे हुए अंगूर इकट्ठा करने के लिए वापस मत जाना। उन्हें तुम अपने यहाँ रहनेवाले परदेसियों, अनाथों और विधवाओं के लिए छोड़ देना। 22 मत भूलना कि मिस्र में तुम भी गुलाम थे। इसीलिए मैं तुम्हें ऐसा करने की आज्ञा दे रहा हूँ।

25 अगर दो आदमियों के बीच झगड़ा हो जाए तो वे अपना मामला न्यायियों के सामने पेश कर सकते हैं।+ फिर न्यायी उनका फैसला करेंगे और उनमें से जो नेक है उसे निर्दोष ठहराएँगे और जो दुष्ट है उसे दोषी ठहराएँगे।+ 2 अगर उस गुनहगार ने मार खाने लायक+ कोई अपराध किया है, तो न्यायी उसे अपने सामने औंधे मुँह लिटाकर पिटवाएगा। उसके अपराध के हिसाब से तय किया जाएगा कि उसे कितनी बार पीटा जाए। 3 उसे 40 बार तक पीटा जा सकता है,+ उससे ज़्यादा नहीं। ऐसा न हो कि इससे ज़्यादा बार पीटने से सबके सामने तुम्हारे उस भाई की बेइज़्ज़ती हो।

4 तुम अनाज की दँवरी करते बैल का मुँह न बाँधना।+

5 अगर कई भाई पास-पास रहते हैं और उनमें से एक की मौत हो जाती है और उसके कोई बेटा नहीं है, तो उसकी विधवा को परिवार से बाहर किसी आदमी से शादी नहीं करनी चाहिए। उसके पति के भाई को देवर-भाभी विवाह के रिवाज़ के मुताबिक उससे शादी करनी चाहिए।+ 6 उस आदमी से उस औरत का जो पहलौठा बेटा पैदा होगा वह मरे हुए भाई का वंश आगे बढ़ाएगा+ ताकि इसराएल से उसका नाम मिट न जाए।+

7 अगर एक आदमी अपने भाई की विधवा से शादी करने से इनकार कर देता है, तो उस विधवा को शहर के फाटक पर मुखियाओं के पास जाना चाहिए और उन्हें बताना चाहिए, ‘मेरे पति के भाई ने उसका नाम इसराएल में बनाए रखने से इनकार कर दिया है। वह देवर-भाभी विवाह के रिवाज़ के मुताबिक मुझसे शादी नहीं करना चाहता।’ 8 तब शहर के मुखिया उस आदमी को बुलवाएँगे और उसे समझाएँगे। इसके बाद भी अगर वह अपने फैसले पर अड़ा रहता है और कहता है, ‘मैं उससे शादी नहीं करूँगा,’ 9 तो उस विधवा को मुखियाओं के सामने उस आदमी के पास जाना चाहिए और उसके पैर से जूती उतार देनी चाहिए+ और उसके मुँह पर थूकना चाहिए और यह कहना चाहिए, ‘जो कोई अपने भाई का वंश चलाने से इनकार कर देता है, उसके साथ यही सलूक किया जाए।’ 10 इसके बाद से इसराएल में उस आदमी के परिवार का नाम* यह होगा, ‘उसका घराना जिसकी जूती उतार दी गयी है।’

11 अगर दो आदमियों के बीच हाथापाई हो जाती है और उनमें से एक की पत्नी अपने पति को बचाने के लिए अपना हाथ बढ़ाकर मारनेवाले के गुप्त अंग पकड़ लेती है, 12 तो तुम उस औरत का हाथ काट देना। तुम* उस पर तरस मत खाना।

13 तुम अपनी थैली में एक तौल के लिए दो अलग-अलग बाट-पत्थर मत रखना,+ एक छोटा और एक बड़ा। 14 तुम अपने घर में एक नाप के लिए दो अलग-अलग बरतन* मत रखना,+ एक छोटा और एक बड़ा। 15 तुम अपने साथ सिर्फ ऐसे बाट-पत्थर और नापने के बरतन रखना जो पूरे-पूरे और सही हों ताकि तुम उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओ जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।+ 16 जो कोई बेईमानी करता है वह तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौना है।+

17 याद रखना कि जब तुम मिस्र से बाहर निकलने के बाद सफर कर रहे थे, तो अमालेकियों ने तुम्हारे साथ क्या किया था।+ 18 जब तुम सफर से थककर चूर हो गए थे, तब अमालेकियों ने आकर तुम्हारे उन सभी लोगों पर हमला किया जो कमज़ोर थे और सफर में पीछे रह गए थे। अमालेकियों ने परमेश्‍वर का डर नहीं माना। 19 इसलिए जब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वह देश विरासत में देगा और यहोवा तुम्हें आस-पास के सभी दुश्‍मनों से राहत दिलाएगा,+ तब तुम धरती से* अमालेकियों की याद हमेशा के लिए मिटा देना।+ तुम यह काम हरगिज़ मत भूलना।

26 जब तुम उस देश में कदम रखोगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें विरासत में देनेवाला है और उसे अपने अधिकार में कर लोगे और उसमें बस जाओगे, 2 तब उस देश में जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देगा, अपनी ज़मीन की हर उपज में से कुछ पहले फल लेना। उन्हें एक टोकरी में रखकर उस जगह ले जाना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम की महिमा के लिए चुनता है।+ 3 वहाँ तुम अपने दिनों के याजक के पास जाना और उससे कहना, ‘आज मैं ऐलान करता हूँ कि तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने जो वादा किया था उसे पूरा किया है। इसीलिए मैं आज इस देश में हूँ जिसे देने के बारे में यहोवा ने हमारे पुरखों से शपथ खायी थी।’+

4 तब याजक तेरे हाथ से टोकरी लेगा और तेरे परमेश्‍वर यहोवा की वेदी के आगे उसे रखेगा। 5 फिर तू अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने यह ऐलान करना, ‘मेरा पिता अरामी+ था और जगह-जगह परदेसी बनकर रहा था।* वह अपने घराने के साथ मिस्र गया+ और वहाँ परदेसी बनकर रहा। उस वक्‍त उसके घराने में बहुत कम लोग थे।+ मगर आगे चलकर वहाँ उसके वंशजों की गिनती बढ़कर बेशुमार हो गयी और उनसे एक महान और ताकतवर राष्ट्र बना।+ 6 फिर मिस्रियों ने हमारे साथ बुरा सलूक किया और हमें बहुत सताया, हमसे कड़ी गुलामी करवायी।+ 7 तब हमने अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा की दुहाई दी और यहोवा ने हमारी बिनती सुन ली। उसने हमारी हालत पर ध्यान दिया कि हम कितनी दुख-तकलीफें, मुसीबतें और ज़ुल्म सह रहे थे।+ 8 आखिरकार यहोवा ने अपना शक्‍तिशाली हाथ बढ़ाया+ और दिल दहलानेवाले बड़े-बड़े काम, चिन्ह और चमत्कार किए और हमें मिस्र से निकालकर बाहर ले आया।+ 9 फिर वह हमें यहाँ ले आया और हमें यह देश दिया जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं।+ 10 यहोवा ने मुझे जो ज़मीन दी है उसकी उपज के पहले फल मैं लाया हूँ।’+

तुम अपने पहले फल अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने रखना और अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने दंडवत करना। 11 फिर तुम उन सारी अच्छी चीज़ों के कारण खुशियाँ मनाना जो तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें और तुम्हारे घराने को दी हैं। तुम अपने बीच रहनेवाले लेवियों और परदेसियों के साथ खुशियाँ मनाना।+

12 जब तीसरा साल यानी दसवाँ हिस्सा देने का साल आता है तब तुम अपनी उपज का दसवाँ हिस्सा अलग करोगे+ और उसे ले जाकर अपने शहरों* के लेवियों, परदेसियों, अनाथों* और विधवाओं को दोगे ताकि वे उसमें से जी-भरकर खाएँ।+ 13 इसके बाद तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने कहना, ‘मैंने अपने घर से अपनी उपज का पवित्र हिस्सा ले जाकर लेवियों, परदेसियों, अनाथों और विधवाओं को दिया है,+ ठीक जैसे तूने मुझे आज्ञा दी थी। मैंने तेरी आज्ञाएँ नहीं तोड़ीं, न ही उन्हें मानने में लापरवाही की। 14 मैंने मातम मनाते समय पवित्र हिस्से में से कुछ नहीं खाया, न अशुद्ध हालत में उसे छुआ और न ही मरे हुओं के लिए उसमें से कुछ निकालकर दिया। मैंने अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानी है और तेरी सभी आज्ञाओं का पालन किया है। 15 इसलिए अब तू स्वर्ग से, अपने पवित्र निवास से अपने इसराएली लोगों पर नज़र कर और जैसे तूने हमारे पुरखों से शपथ खायी थी,+ हम पर और हमारे इस देश पर आशीष दे+ जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं।’+

16 आज के दिन तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें आज्ञा दे रहा है कि तुम इन सभी कायदे-कानूनों और न्याय-सिद्धांतों का पालन करना। तुम पूरे दिल और पूरी जान से उनको मानना और उनके मुताबिक चलना।+ 17 आज के दिन तुम लोगों ने यहोवा का यह ऐलान सुना है कि अगर तुम उसकी राहों पर चलोगे, उसके कायदे-कानूनों,+ आज्ञाओं+ और न्याय-सिद्धांतों+ को मानोगे और उसकी बात सुनोगे तो वह तुम्हारा परमेश्‍वर होगा। 18 और आज तुमने यहोवा के सामने ऐलान किया है कि तुम उसके अपने लोग और उसकी खास जागीर* बनोगे,+ ठीक जैसे उसने तुमसे वादा किया था और तुम उसकी सारी आज्ञाएँ मानोगे। 19 और अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए पवित्र लोग बने रहोगे तो जैसे उसने वादा किया है, वह तुम्हें उन सभी राष्ट्रों से ऊँचा उठाएगा जिन्हें उसने बनाया है+ ताकि तुम्हें सबसे बढ़कर तारीफ, शोहरत और सम्मान हासिल हो।”+

27 फिर मूसा और इसराएल के मुखिया लोगों के सामने खड़े हुए और मूसा ने लोगों से कहा, “आज मैं तुम लोगों को जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ उन सबका तुम पालन करना। 2 जब तुम यरदन पार करके उस देश में जाओगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है, तो वहाँ तुम बड़े-बड़े पत्थर खड़े करना और उन पर पुताई करना।*+ 3 फिर उन पत्थरों पर इस कानून के सारे नियम लिखना। जब तुम यरदन पार कर लोगे और जैसे तुम्हारे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा ने तुमसे वादा किया है, तुम उस देश में दाखिल हो जाओगे जो यहोवा तुम्हें देनेवाला है, जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं, तब तुम उन पत्थरों पर कानून के सारे नियम लिखना।+ 4 यरदन पार करने के बाद तुम एबाल पहाड़+ पर पत्थर खड़े करना और उन पर पुताई करना,* ठीक जैसे आज मैं तुम्हें आज्ञा दे रहा हूँ। 5 वहाँ तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए पत्थरों से एक वेदी भी तैयार करना। मगर तुम उन पत्थरों को लोहे के किसी औज़ार से तराशना मत।+ 6 तुम अनगढ़े पत्थरों से ही अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए वेदी बनाना और उस पर यहोवा के लिए होम-बलियाँ अर्पित करना। 7 तुम वहाँ पर शांति-बलियाँ अर्पित करना+ और उन्हें वहीं खाना+ और अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने खुशियाँ मनाना।+ 8 तुम इस कानून के सारे नियम उन पत्थरों पर साफ-साफ लिखना।”+

9 इसके बाद मूसा और लेवी याजकों ने सभी इसराएलियों से कहा, “इसराएलियो, शांत रहकर ध्यान से सुनो। आज के दिन तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के लोग बन गए हो।+ 10 तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात सुनना और उसकी आज्ञाओं और कायदे-कानूनों का पालन किया करना+ जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ।”

11 उस दिन मूसा ने लोगों को यह आज्ञा दी: 12 “जब तुम यरदन पार कर लोगे तो लोगों को आशीर्वाद देने के लिए ये सारे गोत्र गरिज्जीम पहाड़+ पर खड़े होंगे: शिमोन, लेवी, यहूदा, इस्साकार, यूसुफ और बिन्यामीन। 13 और शाप का ऐलान करने के लिए ये सारे गोत्र एबाल पहाड़+ पर खड़े होंगे: रूबेन, गाद, आशेर, जबूलून, दान और नप्ताली। 14 और लेवी सभी इसराएलियों के सामने ऊँची आवाज़ में यह कहेंगे:+

15 ‘शापित है वह इंसान जो मूरत तराशता है+ या धातु की मूरत* बनाता है+ और उसे छिपाकर रखता है, क्योंकि कारीगर* के हाथ की ऐसी रचना यहोवा की नज़र में घिनौनी है।’+ (तब जवाब में सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’*)

16 ‘शापित है वह इंसान जो अपने पिता या अपनी माँ को नीचा दिखाता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

17 ‘शापित है वह इंसान जो अपने पड़ोसी की ज़मीन का सीमा-चिन्ह खिसका देता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

18 ‘शापित है वह इंसान जो किसी अंधे को रास्ते से भटका देता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

19 ‘शापित है वह इंसान जो तुम्हारे बीच रहनेवाले किसी परदेसी, अनाथ* या विधवा के मामले में गलत फैसला सुनाकर अन्याय करता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

20 ‘शापित है वह इंसान जो अपने पिता की पत्नी के साथ यौन-संबंध रखता है, क्योंकि वह अपने पिता का अपमान करता है।’*+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

21 ‘शापित है वह इंसान जो किसी जानवर के साथ यौन-संबंध रखता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

22 ‘शापित है वह इंसान जो अपनी बहन के साथ यौन-संबंध रखता है, फिर चाहे वह उसके पिता की बेटी हो या उसकी माँ की बेटी।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

23 ‘शापित है वह इंसान जो अपनी सास के साथ यौन-संबंध रखता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

24 ‘शापित है वह इंसान जो घात लगाकर अपने पड़ोसी को मार डालता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

25 ‘शापित है वह इंसान जो किसी बेगुनाह को मार डालने के लिए घूस लेता है।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

26 ‘शापित है वह इंसान जो इस कानून के नियमों को नहीं मानता।’+ (तब सब लोग कहेंगे, ‘आमीन!’)

28 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की सभी आज्ञाओं को सख्ती से मानोगे जो मैं तुम्हें आज सुना रहा हूँ और इस तरह उसकी बात सुनोगे तो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें दुनिया के सभी राष्ट्रों से ऊँचा उठाएगा।+ 2 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात हमेशा सुनोगे तो ये सारी आशीषें तुम्हें आ घेरेंगी:+

3 चाहे तुम शहर में रहो या देहात में, परमेश्‍वर की आशीष तुम पर बनी रहेगी।+

4 तुम्हारे बच्चों* पर, तुम्हारी ज़मीन की उपज पर और तुम्हारे बछड़ों और मेम्नों पर परमेश्‍वर की आशीष बनी रहेगी।+

5 तुम्हारी टोकरी+ और आटा गूँधने के बरतन+ पर परमेश्‍वर की आशीष बनी रहेगी।

6 तुम जो भी काम हाथ में लोगे, तुम पर आशीष बनी रहेगी।

7 जब तुम्हारे दुश्‍मन तुम्हारे खिलाफ उठेंगे तो यहोवा ऐसा करेगा कि वे तुमसे हार जाएँगे।+ वे एक दिशा से आकर तुम पर हमला करेंगे, मगर तुमसे हारकर सात दिशाओं में भाग जाएँगे।+ 8 तुम्हारे अनाज के भंडारों पर और तुम जो भी काम हाथ में लेते हो उस पर यहोवा आशीष का हुक्म देगा,+ हाँ, तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश दे रहा है वहाँ तुम्हें ज़रूर आशीषें देगा। 9 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ मानते रहोगे और उसकी राहों पर चलते रहोगे, तो यहोवा तुम्हें अपने पवित्र लोग बनाएगा,+ ठीक जैसे उसने शपथ खाकर तुमसे कहा था।+ 10 तब धरती के सब लोग साफ देख पाएँगे कि तुम यहोवा के नाम से पुकारे जाते हो+ और वे तुमसे डरेंगे।+

11 यहोवा ने तुम्हारे पुरखों से जिस देश का वादा किया था+ वहाँ यहोवा तुम्हें बहुत-सी संतानें देगा, तुम्हारे मवेशियों की बढ़ोतरी करेगा और तुम्हारी ज़मीन से भरपूर उपज देगा।+ 12 यहोवा तुम्हारे लिए आकाश का भंडार खोलकर तुम्हारे देश को वक्‍त पर बारिश देगा+ और तुम्हारे सभी कामों पर आशीष देगा। तुम्हारे पास इतना होगा कि तुम बहुत-से राष्ट्रों को उधार दे सकोगे जबकि तुम्हें कभी उनसे उधार नहीं लेना पड़ेगा।+ 13 यहोवा तुम्हें दूसरे राष्ट्रों से आगे रखेगा, पीछे नहीं, तुम हमेशा ऊँचे रहोगे,+ नीचे नहीं, बशर्ते तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ मानते रहो जो आज मैं तुम्हें दे रहा हूँ। 14 आज मैं तुम्हें जो-जो आज्ञाएँ दे रहा हूँ, उनसे तुम न तो कभी दाएँ मुड़ना और न बाएँ+ और दूसरे देवताओं के पीछे चलकर उनकी सेवा मत करना।+

15 लेकिन अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की सभी आज्ञाओं और विधियों को सख्ती से नहीं मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ और इस तरह उसकी बात नहीं सुनोगे, तो ये सारे शाप तुम पर आ पड़ेंगे:+

16 चाहे तुम शहर में रहो या देहात में, तुम शापित होगे।+

17 तुम्हारी टोकरी और आटा गूँधने का बरतन शापित होगा।+

18 तुम्हारे बच्चे,* तुम्हारी ज़मीन की उपज, तुम्हारे बछड़े और मेम्ने शापित होंगे।+

19 तुम जो भी काम हाथ में लोगे, तुम शापित होगे।

20 अगर तुम बुरे कामों में लगे रहोगे और यहोवा को छोड़ दोगे, तो तुम जो भी काम हाथ में लोगे उस पर वह शाप देगा, उसमें गड़बड़ी पैदा कर देगा और उसे नाकाम कर देगा और तुम देखते-ही-देखते नाश हो जाओगे।+ 21 यहोवा तुम पर बीमारी भेजेगा जो तुम्हें तब तक अपनी चपेट में लिए रहेगी जब तक कि उस देश से तुम्हारी हस्ती न मिट जाए जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।+ 22 यहोवा तुम्हें तपेदिक, तेज़ बुखार,+ ज़बरदस्त तपिश, हरारत और तलवार से मारेगा+ और तुम्हारी फसलों को झुलसन और बीमारी से नाश कर देगा।+ ये मुसीबतें तब तक तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेंगी जब तक कि तुम मिट नहीं जाते। 23 तुम्हारे ऊपर का आसमान ताँबे की तरह बन जाएगा और तुम्हारे नीचे की ज़मीन लोहे जैसी हो जाएगी।+ 24 यहोवा आकाश से तुम्हारे देश पर तब तक धूल-मिट्टी बरसाता रहेगा जब तक कि तुम मिट नहीं जाते। 25 यहोवा ऐसा करेगा कि तुम अपने दुश्‍मनों से हार जाओगे।+ तुम एक दिशा से जाकर उन पर हमला करोगे, मगर तुम हारकर सात दिशाओं में भाग निकलोगे। तुम्हारा ऐसा हश्र होगा कि धरती के सब राज्य देखकर दहल जाएँगे।+ 26 तुम्हारी लाशें आकाश के पक्षियों और धरती के जानवरों का निवाला बन जाएँगी और उन्हें डराकर भगानेवाला कोई न होगा।+

27 यहोवा तुम्हें ऐसे फोड़ों से पीड़ित करेगा जो मिस्र में आम हैं और तुम्हें बवासीर, खाज और त्वचा पर होनेवाले घावों से मारेगा और तुम कभी ठीक नहीं हो पाओगे। 28 यहोवा तुम्हें पागलपन से पीड़ित करेगा, तुम्हें अंधा कर देगा+ और उलझन में डाल देगा।* 29 तुम भरी दोपहरी में भी रास्ता टटोलते रह जाओगे जैसे कोई अंधा अपनी अँधेरी दुनिया में टटोलता फिरता है।+ तुम किसी भी काम में कामयाब नहीं होगे। तुम कदम-कदम पर ठगे और लूटे जाओगे और तुम्हें बचानेवाला कोई न होगा।+ 30 तुम्हारी सगाई तो होगी, मगर कोई दूसरा आदमी आकर तुम्हारी मँगेतर का बलात्कार कर देगा। तुम घर तो बनाओगे मगर उसमें रह नहीं पाओगे।+ तुम अंगूरों का बाग लगाओगे मगर उसके अंगूर नहीं खा पाओगे।+ 31 तुम्हारा बैल तुम्हारी आँखों के सामने हलाल किया जाएगा, मगर तुम उसका गोश्‍त नहीं खा सकोगे। तुम्हारा गधा तुम्हारे सामने ही चुरा लिया जाएगा और तुम्हें कभी लौटाया नहीं जाएगा। तुम्हारी भेड़ों को तुम्हारे दुश्‍मन आकर उठा ले जाएँगे और उन्हें छुड़ानेवाला कोई न होगा। 32 तुम्हारे बेटे-बेटियों को पराए लोग आकर ले जाएँगे+ और तुम देखते रह जाओगे। तुम सारी ज़िंदगी उनके लौटने की राह देखोगे, मगर कुछ नहीं कर पाओगे। 33 तुम्हारी ज़मीन की सारी उपज और खाने-पीने की सारी चीज़ें दूसरे लोग आकर खा जाएँगे, जिन्हें तुम जानते तक नहीं।+ तुम हमेशा ठगे और कुचले जाओगे। 34 तुम अपनी आँखों से ऐसी बरबादी देखोगे कि पागल हो जाओगे।

35 यहोवा तुम्हारे दोनों पैरों और घुटनों को दर्दनाक फोड़ों से पीड़ित करेगा, जो तुम्हारे पैरों के तलवे से लेकर सिर की चाँद तक फैल जाएँगे और उनका कोई इलाज न होगा। 36 यहोवा तुम्हें और तुम्हारे चुने हुए राजा को ऐसे देश में भगाएगा जिसे न तुम जानते हो और न तुम्हारे बाप-दादे जानते थे।+ वहाँ तुम दूसरे देवताओं की, लकड़ी और पत्थर के देवताओं की सेवा करोगे।+ 37 यहोवा तुम्हें भगाकर जिन देशों में भेजेगा वहाँ के सब लोग तुम्हारा हश्र देखकर दहल जाएँगे, तुम मज़ाक* बनकर रह जाओगे, तुम्हारी बरबादी देखकर सब हँसेंगे।+

38 तुम अपने खेत में बहुत बीज बोओगे, मगर उपज कम बटोरोगे+ क्योंकि टिड्डियाँ आकर उसे खा जाएँगी। 39 तुम अंगूरों के बाग लगाओगे और उनकी देखभाल में बहुत मेहनत करोगे, मगर तुम्हें न पीने के लिए दाख-मदिरा मिलेगी, न ही खाने के लिए अंगूर मिलेंगे+ क्योंकि कीड़े तुम्हारे अंगूर खा जाएँगे। 40 तुम्हारे देश-भर में जैतून के पेड़ होंगे, मगर तुम उनका तेल शरीर पर नहीं मल पाओगे क्योंकि तुम्हारे जैतून के फल झड़ जाएँगे। 41 तुम बेटे-बेटियों को जन्म दोगे, मगर वे तुम्हारे नहीं रहेंगे क्योंकि वे बंदी बना लिए जाएँगे।+ 42 तुम्हारे सब पेड़ों और फसलों पर कीड़ों के झुंड-के-झुंड* हमला करेंगे। 43 तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी तुमसे बढ़ता जाएगा और तुम घटते जाओगे। 44 वह तुम्हें उधार देगा मगर तुम उसे उधार नहीं दे सकोगे।+ वह तुमसे आगे निकल जाएगा और तुम पीछे रह जाओगे।+

45 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाओं और विधियों को नहीं मानोगे और इस तरह उसकी बात नहीं सुनोगे, तो ये सारे शाप तुम पर ज़रूर आ पड़ेंगे+ और तब तक तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेंगे जब तक कि तुम मिट नहीं जाते।+ 46 ये शाप तुम पर और तुम्हारे वंशजों पर आ पड़ेंगे और हमेशा के लिए एक चेतावनी और निशानी बन जाएँगे+ 47 क्योंकि सबकुछ बहुतायत में होते हुए भी तुमने आनंद और दिली खुशी से अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा नहीं की होगी।+ 48 यहोवा तुम्हारे खिलाफ दुश्‍मनों को भेजेगा और तुम भूखे-प्यासे,+ फटे-पुराने कपड़ों में और घोर तंगी झेलते हुए उनकी सेवा करोगे।+ परमेश्‍वर तब तक तुम्हारी गरदन पर लोहे का जुआ रखा रहेगा जब तक कि तुम्हें मिटा नहीं देता।

49 यहोवा दूर से, धरती के छोर से एक राष्ट्र को तुम्हारे खिलाफ भेजेगा,+ जो उकाब की तरह तुम पर अचानक झपट पड़ेगा।+ वह ऐसा राष्ट्र होगा जिसकी भाषा तुम नहीं समझते,+ 50 वह खूँखार होगा, न किसी बूढ़े का लिहाज़ करेगा, न किसी बच्चे पर तरस खाएगा।+ 51 उस राष्ट्र के लोग आकर तुम्हारे झुंड के बछड़े और मेम्ने और तुम्हारी ज़मीन की सारी उपज खा जाएँगे और ऐसा तब तक करते रहेंगे जब तक कि तुम मिट नहीं जाते। वे तुम्हारे लिए ज़रा भी अनाज, नयी दाख-मदिरा या तेल या एक भी बछड़ा या मेम्ना तक नहीं छोड़ेंगे और तुम्हें तबाह करके ही रहेंगे।+ 52 वे तुम्हारे सभी शहरों को घेर लेंगे और तुम अपने ही शहरों में* कैद हो जाओगे और वे तब तक घेराबंदी किए रहेंगे जब तक कि तुम्हारी ऊँची-ऊँची, मज़बूत शहरपनाह गिर नहीं जाती जिस पर तुमने भरोसा रखा होगा। हाँ, वे तुम्हारे उस देश के सभी शहरों की घेराबंदी करेंगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।+ 53 तुम्हारे शहरों की घेराबंदी इतनी सख्त होगी और दुश्‍मन तुम्हारा इतना बुरा हाल करेंगे कि तुम्हें अपने ही बच्चों* को खाना पड़ेगा। तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें जो बेटे-बेटियाँ दिए हैं, तुम उन्हीं का माँस खाओगे।+

54 तुम्हारे बीच जो आदमी सबसे नरम-दिल है और ठाट-बाट से जीने का आदी है, वह भी अपने भाई पर रहम नहीं करेगा। वह न अपनी प्यारी पत्नी पर, न ही अपने बचे हुए बेटों पर दया करेगा। 55 वह अकेला ही अपने बेटों का माँस खा जाएगा और उनमें से किसी को भी नहीं देगा, क्योंकि घेराबंदी इतनी सख्त होगी और दुश्‍मन तुम्हारे शहरों को इस तरह तबाह कर देंगे कि उसके पास खाने के लिए कुछ और नहीं होगा।+ 56 और तुम्हारे बीच जो औरत सबसे नरम-दिल है और इतनी नाज़ुक है कि अपने पाँव ज़मीन पर रखने की कभी सोच भी नहीं सकती,+ वह भी न अपने पति पर रहम करेगी, न ही अपने बेटे या बेटी पर तरस खाएगी। 57 वह अपने नए जन्मे बच्चे पर या बच्चा जनते वक्‍त उसके गर्भ से जो कुछ निकलता है उस पर भी तरस नहीं खाएगी। वह चोरी-छिपे यह सब खाएगी क्योंकि घेराबंदी बहुत सख्त होगी और दुश्‍मन तुम्हारे शहरों को तबाह कर देंगे।

58 अगर तुम कानून की इस किताब+ में लिखी सभी आज्ञाओं को सख्ती से नहीं मानोगे और अपने परमेश्‍वर यहोवा+ के शानदार और विस्मयकारी नाम से नहीं डरोगे,+ 59 तो यहोवा तुम पर और तुम्हारे बच्चों पर भयानक-से-भयानक कहर ढाएगा। वह तुम पर ऐसे बड़े-बड़े कहर+ और दर्दनाक बीमारियाँ ले आएगा कि तुम उन्हें सालों-साल झेलते रहोगे। 60 परमेश्‍वर तुम पर मिस्र देश की सारी बीमारियाँ ले आएगा जिनसे तुम बहुत डरते थे और वे बीमारियाँ तुम्हें लगी रहेंगी। 61 इतना ही नहीं, यहोवा तुम पर ऐसी हर बीमारी और कहर लाएगा जिसका ज़िक्र कानून की इस किताब में नहीं है और वह ऐसा तब तक करता रहेगा जब तक कि तुम मिट नहीं जाते। 62 भले ही आज तुम्हारी गिनती आसमान के तारों जैसी अनगिनत है,+ लेकिन अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात न मानने की वजह से तुममें से सिर्फ मुट्ठी-भर लोग ही रह जाएँगे।+

63 जिस तरह एक वक्‍त पर यहोवा ने खुशी-खुशी तुम्हें गिनती में बढ़ाया और तुम्हें खुशहाली दी, उसी तरह तुम्हें नाश करने और मिटाने में यहोवा को खुशी मिलेगी और तुम उस देश से उखाड़ दिए जाओगे जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।

64 यहोवा तुम्हें धरती के एक छोर से दूसरे छोर तक सब राष्ट्रों में तितर-बितर कर देगा+ और वहाँ तुम्हें लकड़ी और पत्थर के ऐसे देवताओं की सेवा करनी पड़ेगी जिन्हें न तुम जानते हो, न ही तुम्हारे बाप-दादे जानते थे।+ 65 उन राष्ट्रों में रहते तुम्हें शांति नहीं मिलेगी+ और न ही तुम्हें किसी एक जगह रहने का ठिकाना मिलेगा। यहोवा ऐसा करेगा कि तुम्हारा मन हमेशा चिंताओं से घिरा रहेगा,+ छुटकारे की राह तकते-तकते तुम्हारी आँखें थक जाएँगी और तुम पूरी तरह टूट जाओगे।+ 66 तुम्हारी जान जोखिम में होगी, तुम रात-दिन खौफ के साए में जीओगे और तुम पर यह चिंता हावी रहेगी कि कल का दिन मैं देख पाऊँगा भी या नहीं। 67 तुम्हारे दिल में ऐसा डर बैठ जाएगा और तुम्हारी आँखों के सामने ऐसे हालात होंगे कि सुबह होने पर तुम कहोगे, ‘शाम कब होगी?’ और शाम होने पर कहोगे, ‘सुबह कब होगी?’ 68 और यहोवा तुम्हें जहाज़ से उसी रास्ते वापस मिस्र ले जाएगा जिसके बारे में मैंने तुमसे कहा था, ‘तुम इस रास्ते से फिर कभी नहीं जाओगे।’ मिस्र में तुम लाचार होकर खुद को अपने दुश्‍मनों के हाथ बेचना चाहोगे और उनके दास-दासी बनना चाहोगे मगर तुम्हें खरीदनेवाला कोई न होगा।”

29 जब इसराएली मोआब देश में थे तब यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी कि वह उनके साथ एक करार करे। इससे पहले परमेश्‍वर ने होरेब में उनके साथ एक करार किया था।+ मोआब में किए करार की बातें ये हैं।

2 मूसा ने सभी इसराएलियों को बुलाया और उनसे कहा, “तुमने खुद अपनी आँखों से देखा है कि यहोवा ने मिस्र में फिरौन और उसके सब अधिकारियों और उसके पूरे देश का क्या हश्र किया था।+ 3 तुमने देखा कि उसने कैसे उन्हें कड़ी-से-कड़ी सज़ा दी और बड़े-बड़े चिन्ह और चमत्कार किए।+ 4 फिर भी यहोवा ने तुम्हें आज तक समझने के लिए मन, देखने के लिए आँखें और सुनने के लिए कान नहीं दिए।+ 5 उसने तुमसे कहा, ‘मैं 40 साल तक वीराने में तुम्हारे साथ रहकर तुम्हें राह दिखाता रहा+ और उस दौरान न तुम्हारे कपड़े पुराने होकर फटे, न ही तुम्हारे पैरों की जूतियाँ घिसीं।+ 6 तुम्हारे पास खाने के लिए रोटी या पीने के लिए दाख-मदिरा या कोई और शराब नहीं थी, फिर भी मैंने तुम्हारी देखभाल की ताकि तुम जान लो कि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।’ 7 तुम सफर करते-करते जब इस जगह पहुँचे तो हेशबोन का राजा सीहोन+ और बाशान का राजा ओग+ हमसे युद्ध करने आए, मगर हमने उन्हें हरा दिया।+ 8 फिर हमने उनका इलाका ले लिया और रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र को दे दिया ताकि यह उनकी विरासत की ज़मीन हो।+ 9 इसलिए तुम इस करार के नियमों और आज्ञाओं का पालन करना। तब तुम अपने हर काम में कामयाब होगे।+

10 आज तुम सब अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने हाज़िर हो, सभी गोत्रों के प्रधान, मुखिया, अधिकारी, इसराएल के सभी आदमी, 11 औरतें,+ बच्चे, तुम्हारी छावनी में रहनेवाले परदेसी,+ यहाँ तक कि तुम्हारे लिए लकड़ी बीननेवाले और पानी भरनेवाले, सब-के-सब। 12 तुम यहाँ इसलिए हो कि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के साथ एक करार में बँध सको। आज तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा शपथ खाकर तुम्हारे साथ यह करार कर रहा है+ 13 जिससे कि वह आज तुम्हें अपने लोग बना सके+ और वह तुम्हारा परमेश्‍वर ठहरे,+ ठीक जैसे उसने तुमसे और तुम्हारे पुरखों से, अब्राहम,+ इसहाक+ और याकूब+ से शपथ खाकर वादा किया था।

14 मैं शपथ खाकर यह करार न सिर्फ तुम लोगों के साथ कर रहा हूँ 15 जो आज हमारे परमेश्‍वर यहोवा के सामने हाज़िर हैं बल्कि आनेवाली पीढ़ी के* साथ भी कर रहा हूँ। 16 (तुम लोग अच्छी तरह जानते हो कि हमने मिस्र में कैसी ज़िंदगी बितायी थी और अपने सफर में हम किन-किन जातियों के बीच से गुज़रे थे।+ 17 तुम उन जातियों की घिनौनी चीज़ें देखते थे: लकड़ी, पत्थर और सोने-चाँदी से बनी घिनौनी मूरतें।*)+ 18 सावधान रहना कि तुम्हारे बीच ऐसा कोई आदमी, औरत, परिवार या गोत्र न हो जिसका मन आज हमारे परमेश्‍वर यहोवा से फिर जाए और वह उन जातियों के देवताओं की सेवा करने लगे।+ वह ऐसे पौधे की जड़ जैसा होगा जो ज़हरीले फल और नागदौना पैदा करता है।+

19 लेकिन अगर कोई यह शपथ सुनने के बाद भी घमंड से फूलकर अपने मन में सोचता है, ‘मैं तो अपनी मन-मरज़ी करूँगा, मेरा कुछ बुरा नहीं होगा,’ जिससे वह अपने रास्ते में आनेवाली हर चीज़* को नाश करता है, 20 तो यहोवा उसे हरगिज़ माफ नहीं करेगा।+ यहोवा के क्रोध की ज्वाला उस पर भड़क उठेगी और इस किताब में जितने भी शाप लिखे हैं वे सब उस पर आ पड़ेंगे+ और यहोवा धरती से* उसका नाम मिटा देगा। 21 यहोवा उसे इसराएल के सब गोत्रों में से अलग करेगा और कानून की इस किताब में जो भी शाप बताए गए हैं सब उस पर लाएगा और उसे तबाह कर देगा।

22 तुम्हारी आनेवाली पीढ़ी और दूर देश से आनेवाले परदेसी देखेंगे कि तुम्हारे देश पर कैसी मुसीबतें आयी हैं। वे देखेंगे कि यहोवा ने तुम्हारे देश पर क्या-क्या कहर ढाए, 23 नमक, आग और गंधक बरसाकर पूरे देश को नाश कर दिया और उसे जुताई-बोआई के लायक न छोड़ा और उसकी यह हालत कर दी कि वहाँ घास तक नहीं उगती और पूरा देश सदोम, अमोरा,+ अदमा और सबोयीम+ जैसा हो गया है जिन्हें यहोवा ने गुस्से और क्रोध में आकर नाश कर दिया था। 24 जब तुम्हारे वंशज, परदेसी और सब राष्ट्रों के लोग यह देखेंगे तो कहेंगे, ‘आखिर यहोवा ने इस देश का यह हाल क्यों किया?+ क्यों वह गुस्से से इतना भड़क उठा?’ 25 फिर वे कहेंगे, ‘यह इसलिए हुआ क्योंकि इन लोगों ने अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा का करार तोड़ दिया।+ उसने मिस्र से उन्हें निकालने के बाद उनके साथ जो करार किया था उसे मानना छोड़कर+ 26 वे दूसरे देवताओं की सेवा करने लगे और उनके आगे दंडवत करने लगे जिन्हें वे नहीं जानते थे और जिनकी पूजा करने से परमेश्‍वर ने उन्हें मना किया था।*+ 27 तब यहोवा के क्रोध की ज्वाला उस देश पर भड़क उठी और वह उस पर वे सारे शाप ले आया जो इस किताब में लिखे हैं।+ 28 यही वजह है कि यहोवा ने गुस्से, क्रोध और जलजलाहट में आकर उन्हें उनके देश से उखाड़ दिया+ और एक पराए देश में भेज दिया जहाँ वे आज हैं।’+

29 जो बातें गुप्त हैं वे हमारे परमेश्‍वर यहोवा के अधिकार में हैं,+ मगर जो बातें ज़ाहिर की गयी हैं वे हमें और हमारे वंशजों को सदा के लिए दी गयी हैं ताकि हम इस कानून की सारी बातों पर अमल कर सकें।+

30 मैंने तुमसे आशीष और शाप की जो-जो बातें कही हैं वे सब तुम पर पूरी होंगी।+ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें दूसरे राष्ट्रों में तितर-बितर कर देगा+ और वहाँ तुम ये सब बातें याद करोगे।*+ 2 फिर तुम और तुम्हारे बच्चे पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आएँगे+ और उसकी बात मानेंगे+ जिसकी आज मैं तुम्हें आज्ञा दे रहा हूँ। 3 तब तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें बँधुआई से वापस ले आएगा।+ तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम पर दया करेगा+ और उसने जिन-जिन देशों में तुम्हें तितर-बितर किया था, वहाँ से इकट्ठा करके तुम्हें दोबारा अपने देश में ले आएगा।+ 4 चाहे तुम धरती के छोर तक तितर-बितर कर दिए जाओ, फिर भी तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वहाँ से इकट्ठा करके वापस ले आएगा।+ 5 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें वापस उस देश में ले आएगा जिसे तुम्हारे पुरखों ने अपने अधिकार में किया था और वापस आकर तुम भी उसे अपने अधिकार में कर लोगे। वहाँ परमेश्‍वर तुम्हें खुशहाली देगा और तुम्हें गिनती में तुम्हारे पुरखों से भी ज़्यादा बढ़ाएगा।+ 6 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे और तुम्हारे बच्चों के दिलों को शुद्ध* करेगा।+ तब तुम पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करोगे और जीते रहोगे।+ 7 और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा ये सारे शाप तुम्हारे दुश्‍मनों पर ले आएगा जो तुमसे नफरत करते थे और तुम्हें सताते थे।+

8 तुम यहोवा के पास लौट आओगे और उसकी बात सुनोगे और उसकी सारी आज्ञाएँ मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ। 9 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे हाथ की मेहनत पर आशीष देगा+ जिससे तुम खूब फूलोगे-फलोगे, वह तुम्हें बहुत-सी संतानें देगा, तुम्हारे मवेशियों की गिनती बढ़ाएगा और तुम्हारी ज़मीन से भरपूर उपज देगा। यहोवा एक बार फिर तुम्हें खुशी-खुशी बढ़ाएगा, ठीक जैसे उसने तुम्हारे पुरखों को खुशी-खुशी बढ़ाया था+ 10 क्योंकि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात सुनोगे और कानून की इस किताब में लिखी आज्ञाओं और विधियों का हमेशा पालन करोगे और पूरे दिल और पूरी जान से अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आओगे।+

11 आज मैं तुम्हें जो आज्ञाएँ सुना रहा हूँ उन्हें समझना या उन पर चलना तुम्हारे लिए ज़्यादा मुश्‍किल नहीं है।*+ 12 ये आज्ञाएँ स्वर्ग में नहीं हैं कि तुम कहो, ‘हमारे लिए कौन स्वर्ग जाकर वे आज्ञाएँ ले आएगा ताकि हम उन्हें सुनें और मानें?’+ 13 न ही ये आज्ञाएँ समुंदर के उस पार हैं कि तुम कहो, ‘हमारे लिए कौन समुंदर पार जाकर वे आज्ञाएँ ले आएगा ताकि हम उन्हें सुनें और मानें?’ 14 इसके बजाय, कानून का यह संदेश तुम्हारे पास, तुम्हारे ही मुँह में और दिल में है+ ताकि तुम इसके मुताबिक चलो।+

15 देखो, मैं आज तुम्हारे सामने एक चुनाव रखता हूँ। तुम चाहो तो ज़िंदगी और खुशहाली चुन सकते हो या फिर मौत और बदहाली।+ 16 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करोगे,+ उसकी राहों पर चलोगे और उसकी आज्ञाओं, विधियों और न्याय-सिद्धांतों का पालन करते रहोगे और इस तरह अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ मानोगे जो आज मैं तुम्हें सुना रहा हूँ, तो तुम जीते रहोगे+ और तुम्हारी गिनती कई गुना बढ़ जाएगी और तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें उस देश में आशीष देगा जिसे तुम अपने अधिकार में करनेवाले हो।+

17 लेकिन अगर तुम्हारा मन परमेश्‍वर से फिर जाएगा+ और तुम उसकी नहीं सुनोगे और दूसरे देवताओं के आगे दंडवत करने और उनकी सेवा करने के लिए बहक जाओगे,+ 18 तो आज मैं तुम्हें बता देता हूँ कि तुम ज़रूर नाश हो जाओगे।+ तुम उस देश में ज़्यादा दिन तक नहीं जी पाओगे जिसे तुम यरदन पार जाकर अपने अधिकार में करनेवाले हो। 19 आज मैं धरती और आकाश को गवाह ठहराकर तुम्हारे सामने यह चुनाव रखता हूँ कि तुम या तो ज़िंदगी चुन लो या मौत, आशीष या शाप।+ तुम और तुम्हारे वंशज+ ज़िंदगी ही चुनें ताकि तुम सब जीते रहो।+ 20 इसके लिए तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करना,+ उसकी बात सुनना और उससे लिपटे रहना+ क्योंकि तुम्हें जीवन देनेवाला वही है और वही तुम्हें उस देश में लंबी ज़िंदगी दे सकता है जिसे देने के बारे में यहोवा ने तुम्हारे पुरखों से, अब्राहम, इसहाक और याकूब से शपथ खायी थी।”+

31 फिर मूसा इसराएल के सभी लोगों के पास गया और उसने ये बातें उनसे कहीं: 2 “अब मैं 120 साल का हो गया हूँ।+ मैं और तुम्हारी अगुवाई नहीं कर सकता क्योंकि यहोवा ने मुझसे कहा है, ‘तू इस यरदन को पार नहीं करेगा।’+ 3 तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे आगे-आगे जाएगा और यरदन पार करेगा और वही तुम्हारे सामने से इन सब जातियों को नाश करेगा और तुम उन्हें खदेड़ दोगे।+ और जैसे यहोवा ने बताया है, यहोशू तुम्हारी अगुवाई करके तुम्हें उस पार ले जाएगा।+ 4 यहोवा इन जातियों को नाश कर देगा जैसे उसने एमोरियों के राजा, सीहोन+ और ओग+ और उनके देश के साथ किया था।+ 5 यहोवा तुम्हारी तरफ से लड़ेगा और उन्हें हरा देगा। तुम उनके साथ वह सब करना जिसकी मैंने तुम्हें आज्ञा दी है।+ 6 तुम हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना।+ उन जातियों से बिलकुल न डरना और न ही उनसे खौफ खाना+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ चलेगा। वह तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ेगा और न ही तुम्हें त्यागेगा।”+

7 फिर मूसा ने यहोशू को बुलाया और सभी इसराएलियों के सामने उससे कहा, “तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना,+ क्योंकि तू ही इन लोगों को उस देश में ले जाएगा जिसे देने के बारे में यहोवा ने इनके पुरखों से शपथ खायी थी और तू ही इन लोगों को वह देश विरासत में देगा।+ 8 यहोवा खुद तेरे आगे चलेगा और तेरे साथ-साथ रहेगा।+ वह तेरा साथ कभी नहीं छोड़ेगा और न ही तुझे त्यागेगा। इसलिए तू डरना मत और न ही खौफ खाना।”+

9 फिर मूसा ने यह कानून लिखकर+ लेवी याजकों को, जो यहोवा के करार का संदूक ढोया करते थे और इसराएल के सभी मुखियाओं को दिया। 10 मूसा ने उन्हें यह आज्ञा दी: “हर सातवें साल के आखिर में यानी रिहाई के साल+ में जब तय वक्‍त पर छप्परों का त्योहार मनाया जाएगा+ 11 और सभी इसराएली तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के सामने उसकी चुनी हुई जगह पर हाज़िर होंगे,+ तब तुम उन्हें यह कानून पढ़कर सुनाना।+ 12 उस मौके पर तुम सब लोगों को इकट्ठा करना,+ आदमियों, औरतों, बच्चों* और तुम्हारे शहरों में* रहनेवाले परदेसियों, सबको इकट्ठा करना ताकि वे सब तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के बारे में सुनें और सीखें और उसका डर मानें और इस कानून में लिखी सारी बातों को सख्ती से मानें। 13 फिर जब तुम यरदन पार करके उस देश को अपने अधिकार में कर लोगे तो वहाँ उनके बच्चे भी इस कानून के बारे में जान सकेंगे जो इसे नहीं जानते। तुम जितने समय तक उस देश में बसे रहोगे, उतने समय तक वे इस कानून के बारे में सुना करेंगे+ और हमेशा तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना सीखेंगे।”+

14 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “देख, अब वह समय आ गया है जब तेरी मौत हो जाएगी।+ इसलिए यहोशू को बुला और तुम दोनों भेंट के तंबू के आगे हाज़िर होना।* फिर मैं उसे अगुवा ठहराऊँगा।”+ तब मूसा और यहोशू जाकर भेंट के तंबू के सामने हाज़िर हुए। 15 और यहोवा बादल के खंभे में उनके सामने प्रकट हुआ और वह खंभा तंबू के द्वार पर ठहर गया।+

16 यहोवा ने मूसा से कहा, “देख, अब बहुत जल्द तेरी मौत हो जाएगी* और ये लोग जब उस देश में जाकर बस जाएँगे तो वे अपने आस-पास की जातियों के देवी-देवताओं को पूजने लगेंगे।*+ वे मुझे छोड़ देंगे+ और उस करार को तोड़ देंगे जो मैंने उनके साथ किया है।+ 17 तब उन पर मेरा क्रोध भड़क उठेगा।+ मैं उन्हें छोड़ दूँगा+ और तब तक उनसे अपना मुँह फेरे रहूँगा+ जब तक कि वे तबाह नहीं हो जाते। उन पर बहुत-सी दुख-तकलीफें और मुसीबतें टूट पड़ेंगी।+ तब वे कहेंगे, ‘ये सब मुसीबतें हम पर इसलिए आयी हैं क्योंकि हमारा परमेश्‍वर हमारे बीच नहीं है।’+ 18 मगर उन्होंने दूसरे देवताओं के पीछे जाने की जो दुष्टता की होगी उस वजह से मैं उनसे अपना मुँह फेरे रहूँगा।+

19 अब तू यह गीत लिख+ और इसे इसराएलियों को सिखा।+ उनसे कहना कि वे इसे ज़बानी याद कर लें ताकि यह गीत उन्हें याद दिलाए कि परमेश्‍वर की आज्ञा न मानने का क्या अंजाम होता है।+ 20 जब मैं उन्हें उस देश में ले जाऊँगा जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं,+ ठीक जैसे मैंने उनके पुरखों से शपथ खायी थी+ और वहाँ जब उनके पास खाने-पीने की कोई कमी नहीं होगी और वे फूलेंगे-फलेंगे*+ तो वे दूसरे देवताओं की तरफ फिरकर उनकी सेवा करेंगे। वे मेरा अनादर करेंगे और मेरा करार तोड़ देंगे।+ 21 फिर जब उन पर बहुत-सी दुख-तकलीफें और मुसीबतें टूट पड़ेंगी+ तो यह गीत (जो उनके वंशजों को नहीं भूलना चाहिए) उन्हें याद दिलाएगा कि परमेश्‍वर की आज्ञा न मानने का क्या अंजाम होता है। मैं अभी से देख सकता हूँ कि जिस देश के बारे में मैंने शपथ खायी थी उसमें कदम रखने से पहले ही उनमें कैसी फितरत पैदा हो गयी है।”+

22 तब मूसा ने यह गीत लिखा और इसराएलियों को सिखाया।

23 फिर उसने* नून के बेटे यहोशू को अगुवा ठहराया+ और उससे कहा, “तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना,+ क्योंकि तू ही इसराएलियों को उस देश में ले जाएगा जिसके बारे में मैंने उनसे शपथ खायी थी।+ और मैं हमेशा तेरे साथ रहूँगा।”

24 मूसा ने जब कानून की सारी बातें किताब में लिख लीं+ तो उसके फौरन बाद 25 उसने लेवियों को, जो यहोवा के करार का संदूक ढोया करते थे, यह आज्ञा दी: 26 “तुम कानून की यह किताब+ लेना और इसे अपने परमेश्‍वर यहोवा के करार के संदूक+ के पास रखना और यह तुम्हारे खिलाफ गवाह ठहरेगी। 27 मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तुम ढीठ और बगावती लोग हो।+ आज जब मैं ज़िंदा हूँ तब तुम यहोवा के खिलाफ इस कदर बगावत कर रहे हो, तो मेरी मौत के बाद और कितनी ज़्यादा बगावत करोगे! 28 तुम अपने गोत्रों के सभी मुखियाओं और अधिकारियों को मेरे सामने इकट्ठा करना। मैं उनसे ये बातें कहूँगा और आकाश और धरती को उनके खिलाफ गवाह ठहराऊँगा।+ 29 मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि मेरे मरने के बाद तुम ज़रूर दुष्ट काम करोगे+ और मैंने तुम्हें जिस राह पर चलने की आज्ञा दी है, उससे हटकर दूर चले जाओगे। और भविष्य में तुम पर ज़रूर मुसीबतें टूट पड़ेंगी+ क्योंकि तुम ऐसे काम करोगे जो यहोवा की नज़र में बुरे हैं और अपने हाथ के कामों से उसे गुस्सा दिलाओगे।”

30 इसके बाद मूसा ने इसराएल की पूरी मंडली के सामने इस गीत के सारे बोल शुरू से आखिर तक कह सुनाए:+

32 “हे आकाश, मैं जो कह रहा हूँ उस पर कान लगा,

हे धरती, मेरी बातें सुन।

 2 मेरी हिदायतें बारिश की तरह बरसेंगी,

मेरी बातें ओस की बूँदों की तरह टपकेंगी,

जैसे हरी घास पर फुहार

और पौधों पर बौछार होती है।

 3 मैं यहोवा के नाम का ऐलान करूँगा।+

हमारे परमेश्‍वर की महानता का बखान करूँगा!+

 4 वह चट्टान है, उसका काम खरा* है,+

क्योंकि वह जो कुछ करता है न्याय के मुताबिक करता है।+

वह विश्‍वासयोग्य परमेश्‍वर है+ जो कभी अन्याय नहीं करता,+

वह नेक और सीधा-सच्चा है।+

 5 मगर उन्हीं लोगों ने दुष्ट काम किए।+

वे परमेश्‍वर के बच्चे नहीं हैं, खोट उन्हीं में है।+

वे टेढ़ी और भ्रष्ट पीढ़ी के लोग हैं!+

 6 हे मूर्खो, बेअक्ल लोगो,+

क्या यहोवा के एहसानों का तुम यह सिला दोगे?+

क्या वह तुम्हारा पिता नहीं जो तुम्हें वजूद में लाया था,+

क्या उसी ने तुम्हें नहीं बनाया और मज़बूती से कायम किया?

 7 ज़रा बीते दिन याद करो,

गुज़रे ज़माने के बारे में सोचो;

अपने पिता से पूछो, वह तुम्हें बताएगा,+

अपने मुखियाओं से पूछो, वे तुम्हें सुनाएँगे।

 8 जब परम-प्रधान ने सब जातियों को उनकी विरासत दी,+

जब उसने आदम की संतानों* को एक-दूसरे से अलग किया,+

तब उसने इसराएलियों की तादाद को ध्यान में रखते हुए

सब जातियों की सरहदें तय कीं।+

 9 यहोवा के लोग उसकी अपनी जागीर हैं,+

याकूब उसकी विरासत है।+

10 उसने याकूब को एक वीरान देश में पाया,+

एक सुनसान रेगिस्तान में, जहाँ हुआँ-हुआँ करते जानवरों की आवाज़ें गूँजती थीं।+

वह उसके इर्द-गिर्द घूमकर उसकी हिफाज़त करता रहा, उसकी देखभाल करता रहा,+

अपनी आँख की पुतली की तरह उसने उसकी रक्षा की।+

11 जैसे एक उकाब घोंसले को हिला-हिलाकर अपने बच्चों को गिराता है

और उनके ऊपर मँडराता है,

अपने पंख फैलाकर उन्हें ले लेता है,

अपने डैनों से उन्हें उठा लेता है,+

12 उसी तरह यहोवा अकेला उसकी* अगुवाई करता रहा,+

कोई पराया देवता उसके साथ नहीं था।+

13 परमेश्‍वर ने उसे धरती की ऊँची-ऊँची जगहों पर कब्ज़ा दिलाया,+

जिस वजह से उसने खेत की उपज खायी।+

परमेश्‍वर ने उसे चट्टान का शहद खिलाया

और चकमक चट्टान का तेल पिलाया।

14 वह उसे गायों का मक्खन, भेड़-बकरियों का दूध,

मोटी-ताज़ी भेड़ों, बाशान के मेढ़ों और बकरों का गोश्‍त

और सबसे बढ़िया किस्म का गेहूँ खाने को देता रहा।+

और तुमने रसीले अंगूरों* से बनी दाख-मदिरा भी पी।

15 जब यशूरून* मोटा हो गया, तो वह बागी बन गया और लात मारने लगा।

तुझ पर चरबी चढ़ गयी है, तू मोटा हो गया है, फैल गया है।+

इसीलिए उसने परमेश्‍वर को छोड़ दिया जिसने उसे बनाया था,+

उसने अपने उद्धार की चट्टान को तुच्छ जाना।

16 उन्होंने पराए देवताओं की पूजा करके उसका क्रोध भड़काया,+

वे अपनी घिनौनी चीज़ों से उसे गुस्सा दिलाते रहे।+

17 वे परमेश्‍वर के लिए नहीं, दुष्ट स्वर्गदूतों के लिए बलि चढ़ाते थे,+

ऐसे देवताओं के लिए जिन्हें वे नहीं जानते थे,

नए-नए देवताओं के लिए जो अभी-अभी प्रकट हुए हैं,

जिन्हें तुम्हारे बाप-दादे नहीं जानते थे।

18 तुम उस चट्टान को भूल गए,+ अपने पिता को जिसने तुम्हें पैदा किया था,

तुमने उस परमेश्‍वर को याद नहीं रखा जिसने तुम्हें जन्म दिया।+

19 जब यहोवा ने यह देखा तो उसने उन्हें ठुकरा दिया,+

क्योंकि उसके बेटे-बेटियों ने उसे गुस्सा दिलाया।

20 इसलिए उसने कहा, ‘मैं उनसे अपना मुँह फेर लूँगा,+

मैं देखता हूँ कि उनका क्या होता है।

इस पीढ़ी के लोग टेढ़े हैं,+

ऐसे बेटे हैं जो कभी विश्‍वासयोग्य नहीं रहते।+

21 जो ईश्‍वर है ही नहीं उसे मानकर उन्होंने मेरा क्रोध भड़काया,+

अपनी निकम्मी मूरतों को पूजकर मुझे गुस्सा दिलाया।+

इसलिए मैं भी ऐसे लोगों के ज़रिए उन्हें जलन दिलाऊँगा जिन्हें कुछ नहीं समझा जाता,+

एक मूर्ख जाति के ज़रिए उन्हें गुस्सा दिलाऊँगा।+

22 मेरे क्रोध ने आग की चिंगारी भड़कायी है,+

जो कब्र की गहराई तक जलती रहेगी,+

धरती और उसकी उपज भस्म कर देगी,

पहाड़ों की नींव में आग लगा देगी।

23 मैं उनकी मुसीबतें बढ़ा दूँगा,

अपने तीर उन पर चला दूँगा।

24 वे भूख से बेहाल हो जाएँगे,+

तेज़ बुखार और भयानक विनाश से मिट जाएँगे।+

मैं उनके पीछे खूँखार शिकारी जानवर

और ज़मीन पर रेंगनेवाले ज़हरीले साँप छोड़ दूँगा।+

25 बाहर तलवार उनके बच्चों को उनसे छीन लेगी,+

तो अंदर वे डर से मर जाएँगे,+

चाहे लड़के हों या लड़कियाँ,

दूध-पीते बच्चे हों या पके बालवाले, सबका यही हाल होगा।+

26 मैं उनसे यह ज़रूर कहता, “मैं उन्हें तितर-बितर कर दूँगा,

लोगों के बीच से उनकी याद मिटा दूँगा,”

27 अगर मुझे इस बात की चिंता न होती कि दुश्‍मन क्या कहेंगे,+

क्योंकि मेरे बैरी इसका गलत मतलब निकाल बैठेंगे।+

वे शायद कहेंगे, “हमने अपनी ताकत से जीता है,+

इसमें यहोवा का कोई हाथ नहीं।”

28 इसराएल ऐसी जाति है जिसमें अक्ल नाम की चीज़ है ही नहीं,*

उनमें बिलकुल समझ नहीं है।+

29 काश! उनमें बुद्धि होती।+ तब वे इस बारे में गहराई से सोचते।+

वे अपने अंजाम पर गौर करते।+

30 भला एक अकेला 1,000 लोगों का पीछा कैसे कर सकता है?

और दो जन 10,000 लोगों को कैसे भगा सकते हैं?+

यह इसलिए हो पाया क्योंकि इसराएल की चट्टान ने उन्हें बेच दिया,+

यहोवा ने उन्हें दुश्‍मनों के हवाले कर दिया।

31 दुश्‍मनों की चट्टान हमारी चट्टान जैसी नहीं है,+

हमारे दुश्‍मन भी यह जान गए हैं।+

32 उनकी अंगूर की बेल सदोम की अंगूर की बेल से

और अमोरा के बाग से निकली है।+

उनके अंगूर ज़हरीले हैं,

उनके गुच्छे कड़वे हैं।+

33 उनकी दाख-मदिरा साँपों का ज़हर है,

नागों का खतरनाक ज़हर।

34 मैंने उनकी सारी करतूतें जमा कर रखी हैं,

उन्हें अपने भंडार-घर में मुहरबंद कर रखा है।+

35 बदला लेना और सज़ा देना मेरा काम है,+

वक्‍त आने पर दुष्टों के पैर फिसलेंगे,+

क्योंकि उनकी तबाही का दिन पास आ गया है,

जो अंजाम उनके लिए तय है वह उन पर जल्द आनेवाला है।’

36 यहोवा अपने लोगों का न्याय करेगा,+

अपने सेवकों पर तरस खाएगा,*+

जब वह देखेगा कि उनकी ताकत कम हो गयी है,

सिर्फ लाचार और कमज़ोर लोग रह गए हैं।

37 फिर वह कहेगा, ‘कहाँ गए उनके देवता,+

वह चट्टान जिसकी उन्होंने पनाह ली थी,

38 जो उनके बलिदानों की चरबी* खाया करते थे,

उनके अर्घ की दाख-मदिरा पीते थे?+

वे आकर तुम्हारी मदद करें।

वे तुम्हारी पनाह बनें।

39 अब तो जान लो, मैं ही परमेश्‍वर हूँ,+

मेरे सिवा कोई और देवता नहीं है।+

मैं ही मौत देता हूँ और मैं ही ज़िंदा करता हूँ।+

मैं ही घाव देता हूँ+ और मैं ही ठीक करता हूँ,+

मेरे हाथ से कोई नहीं छुड़ा सकता।+

40 मैं स्वर्ग की तरफ हाथ उठाकर कहता हूँ,

“मैं जो सदा तक जीवित रहता हूँ, अपने जीवन की शपथ खाता हूँ,”+

41 जब मैं अपनी चमचमाती तलवार तेज़ करूँगा,

सज़ा देने के लिए अपना हाथ उठाऊँगा,+

तो अपने दुश्‍मनों को उनका बदला चुकाऊँगा,+

मुझसे नफरत करनेवालों को उनके किए की सज़ा दूँगा।

42 मैं घात किए हुए लोगों और बंदियों के खून से

अपने तीरों को मदहोश कर दूँगा,

दुश्‍मन के सरदारों के सिर काटकर

उन्हें अपनी तलवार का कौर बना दूँगा।’

43 राष्ट्रो, परमेश्‍वर की प्रजा के साथ खुशियाँ मनाओ,+

क्योंकि वह अपने सेवकों के खून का बदला लेगा,+

अपने दुश्‍मनों को उनके किए की सज़ा देगा+

और अपने लोगों के देश के लिए प्रायश्‍चित* करेगा।”

44 इस तरह मूसा ने इस गीत के सारे बोल लोगों को कह सुनाए।+ उसने और नून के बेटे होशेआ*+ ने लोगों को यह गीत सुनाया। 45 जब मूसा सभी इसराएलियों को ये बातें सुना चुका, 46 तो उसने उनसे कहा, “मैंने आज तुम्हें जो-जो चेतावनियाँ दी हैं उन्हें तुम अपने दिल में बिठा लेना+ ताकि तुम अपने बेटों को इस कानून की सारी बातें सख्ती से मानने की आज्ञा दे सको।+ 47 ये कोई खोखली बातें नहीं हैं, इन्हीं पर तुम्हारी ज़िंदगी टिकी है।+ अगर तुम इन पर चलोगे तो उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओगे, जिसे तुम यरदन पार जाकर अपने अधिकार में करनेवाले हो।”

48 उसी दिन यहोवा ने मूसा से कहा, 49 “तू इस अबारीम पहाड़ पर जा+ जो मोआब देश में यरीहो के सामने है और नबो की चोटी पर चढ़।+ वहाँ से तू कनान देश को देख जिसे मैं इसराएलियों के अधिकार में करनेवाला हूँ।+ 50 फिर उसी पहाड़ पर तेरी मौत हो जाएगी और तुझे दफनाया जाएगा,* ठीक जैसे होर पहाड़ पर तेरे भाई हारून की मौत के बाद उसे भी दफनाया गया था+ 51 क्योंकि तुम दोनों सिन वीराने में कादेश के मरीबा के सोते के पास इसराएलियों के बीच मेरे विश्‍वासयोग्य नहीं रहे+ और तुमने उनके सामने मुझे पवित्र नहीं ठहराया।+ 52 जो देश मैं इसराएलियों को देनेवाला हूँ उसे तू दूर से देखेगा, मगर उसमें कदम नहीं रख पाएगा।”+

33 सच्चे परमेश्‍वर के सेवक मूसा ने अपनी मौत से पहले इसराएलियों को यह आशीर्वाद दिया।+ 2 उसने कहा,

“यहोवा सीनै से आया,+

सेईर से उन पर अपना प्रकाश चमकाया।

उसने पारान के पहाड़ी प्रदेश से अपनी महिमा का तेज चमकाया,+

उसके साथ लाखों पवित्र स्वर्गदूत थे,+

दायीं तरफ उसके योद्धा थे।+

 3 उसे अपने लोगों से प्यार था,+

उनके सभी पवित्र लोग तेरे हाथ में हैं।+

वे तेरे पैरों के पास बैठते थे,+

वे तेरा उपदेश सुनने लगे।+

 4 (मूसा ने हमें एक आज्ञा दी, एक कानून दिया,+

जो याकूब की मंडली की जागीर है।)+

 5 जब लोगों के मुखिया+ और इसराएल के सब गोत्र साथ इकट्ठा हुए,+

तब परमेश्‍वर यशूरून*+ में राजा बना।

 6 रूबेन हमेशा जीता रहे, उसे कभी मौत न आए,+

उसके आदमियों की गिनती कभी कम न हो।”+

 7 मूसा ने यहूदा को यह आशीर्वाद दिया:+

“हे यहोवा, यहूदा की बिनती सुन,+

तू उसे उसके लोगों के पास वापस लाए।

जो उसका है उसकी हिफाज़त उसने अपने हाथों से की,*

तू दुश्‍मनों से लड़ने में उसकी मदद करे।”+

 8 लेवी के बारे में उसने कहा,+

“तेरा* तुम्मीम और ऊरीम+ तेरे वफादार जन का है,+

जिसे तूने मस्सा में परखा था।+

तू मरीबा के सोते के पास उससे झगड़ने लगा।+

 9 उसने अपने माँ-बाप के बारे में कहा, ‘मैंने उनकी परवाह नहीं की।’

उसने अपने भाइयों को नज़रअंदाज़ कर दिया

और अपने बेटों का भी साथ नहीं दिया।+

क्योंकि उन्होंने तेरी बात मानी,

और तेरा करार माना।+

10 वे याकूब को तेरे न्याय-सिद्धांत+

और इसराएल को तेरा कानून सिखाएँ।+

वे तेरे लिए धूप चढ़ाएँ जिसकी सुगंध पाकर तू खुश होता है+

और तेरी वेदी पर पूरा-का-पूरा चढ़ावा अर्पित करें।+

11 हे यहोवा, उसकी ताकत पर आशीष दे,

उसके हाथ के कामों से खुश हो।

उसके खिलाफ उठनेवालों के पैर* कुचल दे

ताकि उससे नफरत करनेवाले फिर कभी उसके खिलाफ न उठें।”

12 बिन्यामीन के बारे में उसने कहा,+

“यहोवा का यह प्यारा उसके पास महफूज़ बसा रहे,

परमेश्‍वर सारा दिन उसे पनाह दिए रहेगा

और वह उसके कंधों के बीच रहा करेगा।”

13 यूसुफ के बारे में उसने कहा,+

“यहोवा उसकी ज़मीन पर आशीष दे,+

आकाश की अच्छी-अच्छी चीज़ें बरसाए,

ओस की बूँदें और नीचे से सोतों का पानी,+

14 सूरज की बदौलत उगनेवाली अच्छी-अच्छी चीज़ें,

हर महीने मिलनेवाली बेहतरीन उपज,+

15 ज़माने से खड़े पहाड़ों* की उम्दा चीज़ें,+

सदा कायम रहनेवाली पहाड़ियों की अच्छी-अच्छी चीज़ें,

16 धरती और उसके भंडार की अच्छी-अच्छी चीज़ें दे+

और उसे परमेश्‍वर की मंज़ूरी मिले जो कँटीली झाड़ी में प्रकट हुआ था।+

यूसुफ के सिर पर इन आशीषों की बौछार हो,

उसके सिर पर, जिसे अपने भाइयों में से चुना गया।+

17 उसकी शान पहलौठे बैल जैसी है,

उसके सींग जंगली साँड़ के सींग जैसे हैं।

वह अपने सींगों से देश-देश के लोगों को

धरती के छोर तक धकेलेगा।*

उसके सींग एप्रैम के लाखों लोग+

और मनश्‍शे के हज़ारों लोग हैं।”

18 जबूलून के बारे में उसने कहा,+

“हे जबूलून, तू बाहर जाते समय खुशियाँ मना

और हे इस्साकार, तू अंदर अपने तंबुओं में खुश रहे।+

19 वे समुंदर के खज़ाने से

और बालू में छिपे गोदामों से भरपूर दौलत हासिल करेंगे,

इसलिए वे देश-देश के लोगों को पहाड़ों पर बुलाएँगे

और नेकी के बलिदान चढ़ाएँगे।”

20 गाद के बारे में उसने कहा,+

“गाद की सरहदें बढ़ानेवाला सुखी रहे।+

गाद वहाँ शेर की तरह घात लगाए बैठा है,

वह अपने शिकार का हाथ, यहाँ तक कि उसका सिर फाड़ खाने को तैयार है।

21 वह अपने लिए पहला हिस्सा चुनेगा+

क्योंकि कानून देनेवाले ने वहीं उसका हिस्सा तय किया है।+

लोगों के मुखिया एक-साथ इकट्ठा होंगे।

गाद यहोवा की ओर से न्याय करेगा

उसके न्याय-सिद्धांत इसराएल के मामले में लागू करेगा।”

22 दान के बारे में उसने कहा,+

“दान शेर का बच्चा है।+

वह बाशान से छलाँग लगाएगा।”+

23 नप्ताली के बारे में उसने कहा,+

“नप्ताली यहोवा की मंज़ूरी पाकर संतुष्ट है,

उसे परमेश्‍वर की भरपूर आशीषें मिली हैं।

तू पश्‍चिम और दक्षिण को अपने कब्ज़े में कर ले।”

24 आशेर के बारे में उसने कहा,+

“आशेर को बहुत-सी संतानों का सुख मिला है।

उस पर उसके भाई मेहरबान हों,

और वह अपना पाँव तेल में डुबोए।*

25 तेरे दरवाज़े के कुंडे लोहे और ताँबे के हैं,+

तू सारी ज़िंदगी महफूज़ रहेगा।”*

26 “यशूरून+ के सच्चे परमेश्‍वर+ जैसा कोई नहीं,

जो तेरी मदद करने आकाश से होकर आता है,

जो पूरे वैभव के साथ बादलों पर सवार होकर आता है।+

27 परमेश्‍वर मुद्दतों से तेरी पनाह रहा है,+

उसकी बाँहें तुझे सदा थामे रहेंगी।+

वह दुश्‍मन को तेरे सामने से खदेड़ देगा+

और कहेगा, ‘मिटा दे इन सबको!’+

28 इसराएल उस देश में महफूज़ बसा रहेगा,

याकूब का सोता अलग रहेगा,

जो अनाज और नयी दाख-मदिरा का देश है,+

जिसके ऊपर आसमान से ओस टपकती है।+

29 हे इसराएल, तू कितना सुखी है!+

तेरे जैसा और कोई नहीं,+

यहोवा तेरा उद्धार करता है,+

वह तेरी हिफाज़त करनेवाली ढाल है,+

वह तेरी विजयी तलवार है।

दुश्‍मन तेरे आगे डर से दुबक जाएँगे+

और तू उनकी पीठ* रौंद डालेगा।”

34 इसके बाद मूसा मोआब के वीरानों से नबो पहाड़ पर गया,+ जो यरीहो के सामने है+ और पिसगा की चोटी पर चढ़ा।+ वहाँ यहोवा ने उसे पूरा देश दिखाया, गिलाद से दान+ तक 2 और नप्ताली का पूरा इलाका और एप्रैम और मनश्‍शे का इलाका, दूर पश्‍चिम के सागर* तक यहूदा का पूरा इलाका,+ 3 नेगेब+ का इलाका और वह ज़िला,+ जिसमें खजूर के पेड़ों के शहर यरीहो घाटी का मैदान आता है जो दूर सोआर+ तक फैला है।

4 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “यही है वह देश जिसके बारे में मैंने शपथ खाकर अब्राहम, इसहाक और याकूब से यह कहा था, ‘यह देश मैं तेरे वंश को दूँगा।’+ मैंने तुझे यह देश देखने का मौका दिया है और तूने खुद अपनी आँखों से इसे देखा है, मगर तू उस पार नहीं जाएगा।”+

5 इसके बाद वहीं मोआब देश में यहोवा के सेवक मूसा की मौत हो गयी, ठीक जैसे यहोवा ने कहा था।+ 6 उसने मूसा को मोआब देश की घाटी में बेतपोर के सामने दफना दिया। आज तक कोई नहीं जानता कि मूसा की कब्र कहाँ है।+ 7 जब मूसा की मौत हुई तब वह 120 साल का था।+ इस उम्र में भी उसकी नज़र धुँधली नहीं पड़ी थी और अभी-भी उसमें दमखम था। 8 इसराएल के लोग मोआब के वीरानों में 30 दिन तक मूसा के लिए रोते रहे।+ फिर मूसा के लिए रोने और मातम मनाने के दिन खत्म हुए।

9 यहोशू जो नून का बेटा था, बुद्धि* से भरपूर था क्योंकि मूसा ने उस पर अपना हाथ रखा था।+ इसके बाद से इसराएली यहोशू की बात मानने लगे और उन्होंने ठीक वैसे ही किया जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।+ 10 आज तक इसराएल में मूसा के जैसा भविष्यवक्‍ता कभी नहीं हुआ+ जिसे यहोवा करीब से जानता* था।+ 11 यहोवा ने उसे मिस्र देश में फिरौन और उसके सभी अधिकारियों के सामने और उसके पूरे देश में जो-जो चिन्ह और चमत्कार करने के लिए भेजा था, वह सब उसने किए थे।+ 12 मूसा ने पूरे इसराएल के सामने भी बड़े-बड़े शक्‍तिशाली और आश्‍चर्य के काम किए थे।+

शा., “इसराएल के बेटों।”

ज़ाहिर है, लबानोन पर्वतमाला।

शा., “पूरी तरह।”

या शायद, “परमेश्‍वर ने उसकी हिम्मत बँधायी है।”

यानी क्रेते।

शा., “आकाश के नीचे से।”

या “उन्हें बच्चा जनने जैसा दर्द होगा।”

या “शव-पेटी; ताबूत।”

या शायद, “असिताश्‍म पत्थर।”

एक हाथ 44.5 सें.मी. (17.5 इंच) के बराबर था। अति. ख14 देखें।

मतलब “याईर के कसबे।”

यानी मृत सागर।

शा., “दस वचन।”

या “विरासत।”

यानी लवण सागर या मृत सागर।

या “तुम मेरे खिलाफ जाकर किसी और ईश्‍वर को न मानना।”

या “अटल प्यार।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

या “और तुम्हारा भला होगा।”

शब्दावली देखें।

शा., “वचन।”

शब्दावली में “जीवन” देखें।

या “तुझमें जो दमखम है; तेरे पास जो कुछ है।”

या “के सामने दोहराना; मन पर छापना।”

शा., “अपनी आँखों के बीच।”

शा., “यहोवा के सामने।”

शब्दावली देखें।

या “अनमोल जायदाद।”

या “अटल प्यार।”

या “अटल प्यार।”

शा., “तुम्हारे गर्भ के फल पर आशीष देगा।”

शा., “तुम्हारी आँखें।”

या शायद, “उनमें डर; आतंक फैला देगा।”

शा., “आकाश के नीचे से।”

या “पानी की घाटियों।”

या “गहरे पानी के सोते।”

या “बेदखल करके।”

या “ढली हुई मूरत।”

शा., “आकाश के नीचे से।”

या “अपने लिए एक बछड़ा ढालकर बना लिया है।”

या “विरासत।”

या “महानता।”

या “विरासत।”

या “पेटी।”

शा., “दस वचन।”

या “पानी की घाटियाँ।”

या “का खतना करो।”

या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”

या “नाश कर दिया कि आज तक उनका पता नहीं।”

या “तुम्हारे साथ।”

या “तुम अपने पैरों से सिंचाई करते थे।” वे पैरों से पनचक्की चलाकर या नालियाँ बनाकर सिंचाई करते थे।

शा., “तुम्हारी आँखों के बीच।”

यानी महासागर, भूमध्य सागर।

या “शाप देना।”

या “सूरज डूबने की दिशा।”

शब्दावली देखें।

या “जो उसे सही लगता है।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

या “जिसे पाबंदी लगाकर पवित्र ठहराया जाता है।”

या “आवाज़ सुनना।”

शा., “अपनी आँखों के बीच गंजापन न करना।”

या “अनमोल जायदाद।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”

या “गिरवी की चीज़ लेकर उधार।”

या “गिरवी की चीज़ लेकर उधार।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

अति. ख15 देखें।

शा., “फाटकों के अंदर।”

या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

शब्दावली देखें।

या “खर्रे।”

यानी उपासना की खास जगह जो यहोवा चुनता है।

शा., “तुम्हारी आँखें।”

शा., “उसके खिलाफ नहीं उठ सकता।”

शा., “तुम्हारी आँखें।”

शा., “दो पत्नियाँ हैं, एक से वह प्यार करता है और दूसरी से नफरत।”

या “संतान पैदा करने की शक्‍ति।”

या “उसे ठुकरा देता है।”

या “को ठुकरा दिया है।”

एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।

या “वेश्‍या के काम करके।”

शा., “का घेरा उघाड़ना है।”

शा., “कुत्ता।”

या “उसे ठुकरा देता है।”

या “बंधक।”

या “उसकी जान लेना।”

जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “कोढ़” किया गया है उसके कई मतलब हैं। उसमें तरह-तरह के चर्मरोग और कुछ ऐसे संक्रमण भी शामिल हैं जो कपड़ों और घरों में पाए जाते हैं।

शा., “फाटकों के अंदर।”

या “जिसके पिता की मौत हो गयी है।”

या “बंधक।”

या “उसके घराने का नाम।” शा., “उसका नाम।”

शा., “तुम्हारी आँखें।”

शा., “अपने घर में एक एपा और एक एपा।” अति. ख14 देखें।

शा., “आकाश के नीचे से।”

या शायद, “और नाश होने पर था।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”

या “अनमोल जायदाद।”

या “चूना पोतना।”

या “चूना पोतना।”

या “ढली हुई मूरत।”

या “लकड़ी और धातु का काम करनेवाले।”

या “ऐसा ही हो!”

या “जिसके पिता की मौत हो गयी है।”

शा., “का घेरा उघाड़ता है।”

शा., “तुम्हारे गर्भ के फल।”

शा., “तुम्हारे गर्भ के फल।”

या “मन में घबराहट पैदा करेगा।”

शा., “कहावत।”

या “भिनभिनाते कीड़े।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

शा., “अपने गर्भ के फल।”

शा., “जो आज हमारे साथ नहीं हैं उनके।”

इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।

शा., “सूखे के साथ-साथ सिंचे हुए।”

शा., “आकाश के नीचे से।”

शा., “परमेश्‍वर ने उनके हिस्से में नहीं दिया था।”

शा., “वापस अपने दिल में लाओगे।”

शा., “का खतना।”

शा., “वे तुमसे बहुत दूर नहीं हैं।”

शा., “नन्हे-मुन्‍नों।”

शा., “फाटकों के अंदर।”

या “अपनी-अपनी जगह लेना।”

शा., “तू अपने पुरखों के साथ सो जाएगा।”

या “के साथ वेश्‍याओं जैसी बदचलनी करने लगेंगे।”

शा., “मोटे हो जाएँगे।”

ज़ाहिर है, परमेश्‍वर ने।

या “परिपूर्ण।”

या शायद, “मानवजाति।”

यानी याकूब की।

शा., “अंगूरों के खून।”

मतलब “सीधा-सच्चा जन,” इसराएल को दी गयी सम्मान की उपाधि।

या शायद, “जो सलाह पर ध्यान नहीं देता।”

या “के लिए पछतावा महसूस करेगा।”

या “उनके बढ़िया-से-बढ़िया बलिदान।”

या “को शुद्ध।”

यह यहोशू का असल नाम था। होशेआ, होशायाह नाम का छोटा रूप है जिसका मतलब है, “याह के ज़रिए बचाया गया; याह ने बचाया।”

शा., “तू अपने लोगों में जा मिलेगा।”

मतलब “सीधा-सच्चा जन,” इसराएल को दी गयी सम्मान की उपाधि।

या “उसके लिए वह अपने हाथों से लड़ा।”

इस आयत में “तेरा,” “तूने” और “तू” परमेश्‍वर के लिए इस्तेमाल किए गए हैं।

या “की कमर।”

या शायद, “पूरब के पहाड़ों।”

या “सींग मारेगा।”

या “से धोए।”

शा., “जैसे तेरे दिन हैं वैसी तेरी ताकत होगी।”

या शायद, “ऊँची जगह।”

यानी महासागर, भूमध्य सागर।

या “परमेश्‍वर की शक्‍ति से मिली बुद्धि।”

शा., “रू-ब-रू।”

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