हमारे पाठकों से
मंगलग्रह पर रोबोट द्वारा छानबीन इंसानों और जानवरों के बीच के बड़े फासले के बारे में दिए गए लेखों को पढ़ने के तुरंत बाद, मैंने उसी अंक में दिया गया यह लेख “मंगलग्रह पर रोबोट द्वारा छानबीन” पढ़ा। (जुलाई ८, १९९८) खूबसूरती और साफ-साफ लिखे गए इस लेख से यह और भी साफ नज़र आया कि बुद्धि के मामले में इंसान जानवरों से कितना श्रेष्ठ है!
जी. डी. एम., अमरीका
पैसा कमाना “युवा लोग पूछते हैं . . . कुछ पैसे कमाने के लिए मैं क्या करूँ?” समय निकालकर इस जानकारी से भरे लेख को छापने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। (सितंबर ८, १९९८) बहुत कोशिशों के बावजूद, मुझे नौकरी नहीं मिल रही थी। लेकिन मैंने आपके लेख में दिए गए सुझावों को आज़माया और मुझे आखिरकार एक नौकरी मिल ही गयी!
एस. डी., घाना
बुरे सपने “विश्व-दर्शन” का एक समाचार, “बच्चों को रात में बुरे सपने आना आम बात है” में दिए गए सुझाव की मैं वास्तव में बहुत कदर करती हूँ। (अक्तूबर ८, १९९८) मेरे बच्चों को रात में बुरे-बुरे सपने आते हैं, लेकिन मैंने हमेशा उनसे यही कहा कि उन सपनों के बारे में बात मत करो, बल्कि, वापस चुपचाप सो जाओ। अब, इस लेख में दिए गए सुझावों को पढ़ने के बाद मैं जान गयी हूँ कि ऐसी समस्या खड़ी होने पर मुझे क्या करना चाहिए। प्लीज़ आप आगे भी ऐसी अच्छी जानकारी देते रहिएगा।
आर. एन., ज़िम्बाबवे
ध्यान लगाना स्कूल में जब टीचर पढ़ा रही होतीं तो मैं उनकी बातों पर ध्यान ही नहीं लगा सकती थी। लेकिन आपके लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . मैं किसी चीज़ पर अपना ध्यान कैसे लगाऊँ?” ने क्लास में अपनी आदतों को बदलने में मेरी बहुत मदद की। (अक्तूबर ८, १९९८) आपका लेख पढ़ने के बाद मेरी यह समस्या सुलझ गयी है और अब मैं क्लास में ज़्यादा ध्यान दे पाती हूँ।
एम. ए. एम., ब्राज़िल
मेरी समस्या है कि मैं किसी भी चीज़ में ज़्यादा देर अपना ध्यान नहीं लगा पाती। मुझे नहीं मालूम था कि ध्यान लगाने के लिए बस प्रेरणा और खुद को अनुशासित करने की ज़रूरत होती है। हालाँकि इसके लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन मुझे लगता है कि मैं यह कर सकती हूँ!
डी. आर. ए., अमरीका
सजग होइए! में ऐसी बहुत-सी जानकारी है जो मुझ जैसे युवाओं को बहुत भाती है। मुझे इस लेख से फायदा पहुँचा क्योंकि मेरी समस्या यही है कि मैं ज़्यादा देर ध्यान नहीं लगा पाती। इस लेख के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया।
एम. एन., इटली
एड्स “एड्स—कौन जीतेगा?” विषय पर दिए गए लेखों के लिए मैं तहेदिल से आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ। (दिसंबर ८, १९९८) इसमें बहुत अच्छी जानकारी दी गयी थी। मैं १९ साल की हूँ और मुझे स्कूल व घर पर एड्स और HIV के बारे में काफी कुछ सिखाया गया था। फिर भी मैं ठीक-ठीक समझ नहीं पायी थी। इन लेखों से मुझे समझ आया कि सोच-समझकर अपना जीवन-साथी चुनना और नैतिक रूप से शुद्ध ज़िंदगी जीना कितना ज़रूरी है।
एस. टी., अमरीका
आपके लेखों में काफी जानकारी दी गयी थी। उनमें सही-सही और एकदम सच बातें बतायी गयी थीं। मुझे एड्स हुए दस से ज़्यादा साल हो गए हैं। मेरी एक सहेली आपके साहित्य से मुझे बाइबल सिखा रही है। निडरता से ऐसे लेख छापने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
बी. डब्ल्यू., अमरीका
सजग होइए! में एड्स पर लेख देखकर मैं उसे पूरा पढ़े बिना रह न सकी। नर्स होने के कारण मैं एड्स के बारे में काफी कुछ जानती हूँ। लेकिन मैंने आज तक इस विषय पर इतनी सही-सही जानकारी नहीं पढ़ी थी। आपका लाख-लाख शुक्रिया।
डी. ई., जर्मनी
एड्स के लेखों के लिए मेरी कदर और भी बढ़ जाती है क्योंकि मेरा बेटा मसीही मार्ग छोड़ गया था और एड्स से पूरी तरह ग्रस्त होकर वापस लौटा। यहोवा की मदद से अब वह कलीसिया में वापस आ गया है और आध्यात्मिक तौर पर काफी तरक्की कर रहा है। डॉक्टरों के इलाज से उसकी सेहत में काफी सुधार आया है। हम जानते हैं कि ऐसे भी कई लोग हैं जिन्हें मालूम नहीं कि उन्हें एड्स हो चुका है। इसलिए वे सभी व्यक्ति जो विवाह की सोच रहे हैं, उनके लिए विवाह से पहले इसका पता लगा लेना बहुत ज़रूरी है।
एन. जे., अमरीका