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न्यायियों का सारांश

      • यहोवा के स्वर्गदूत की चेतावनी (1-5)

      • यहोशू की मौत (6-10)

      • इसराएल के लिए न्यायी ठहराए (11-23)

न्यायियों 2:1

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 23:20, 23; यह 5:13, 14
  • +यह 5:8, 9
  • +उत 12:7; 26:3
  • +उत 17:1, 7; लैव 26:42

न्यायियों 2:2

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 23:32; व्य 7:2; 2कुर 6:14
  • +निर्ग 34:13; गि 33:52
  • +न्या 1:28

न्यायियों 2:3

संबंधित आयतें

  • +न्या 2:20-23
  • +गि 33:55; यह 23:12, 13
  • +निर्ग 23:33; व्य 7:16; 1रा 11:2

न्यायियों 2:5

फुटनोट

  • *

    मतलब “रोनेवाले।”

न्यायियों 2:6

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  • +यह 24:28

न्यायियों 2:7

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  • +यह 24:29

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  • +यह 19:49, 50; 24:30

न्यायियों 2:10

फुटनोट

  • *

    शा., “लोग अपने पुरखों में जा मिले।”

न्यायियों 2:11

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  • +न्या 3:7; 10:6; 1रा 18:17, 18

न्यायियों 2:12

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  • +व्य 31:16
  • +व्य 6:14
  • +निर्ग 20:5

न्यायियों 2:13

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  • +न्या 3:7; 10:6; 1रा 11:5

न्यायियों 2:14

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  • +न्या 3:8; 2रा 17:20; भज 106:40, 41
  • +न्या 4:2
  • +लैव 26:17, 37; व्य 28:15, 25

न्यायियों 2:15

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  • +व्य 28:15
  • +व्य 4:25, 26
  • +न्या 10:9

न्यायियों 2:16

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  • +न्या 3:9; 1शम 12:11; नहे 9:27; भज 106:43

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/1987, पेज 31

न्यायियों 2:17

फुटनोट

  • *

    या “उनके साथ वेश्‍याओं जैसी बदचलनी करने।”

संबंधित आयतें

  • +न्या 2:7

न्यायियों 2:18

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न्यायियों 2:21

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दूसरी

न्यायि. 2:1निर्ग 23:20, 23; यह 5:13, 14
न्यायि. 2:1यह 5:8, 9
न्यायि. 2:1उत 12:7; 26:3
न्यायि. 2:1उत 17:1, 7; लैव 26:42
न्यायि. 2:2निर्ग 23:32; व्य 7:2; 2कुर 6:14
न्यायि. 2:2निर्ग 34:13; गि 33:52
न्यायि. 2:2न्या 1:28
न्यायि. 2:3न्या 2:20-23
न्यायि. 2:3गि 33:55; यह 23:12, 13
न्यायि. 2:3निर्ग 23:33; व्य 7:16; 1रा 11:2
न्यायि. 2:6यह 24:28
न्यायि. 2:7यह 23:3; 24:31
न्यायि. 2:8यह 24:29
न्यायि. 2:9यह 19:49, 50; 24:30
न्यायि. 2:11न्या 3:7; 10:6; 1रा 18:17, 18
न्यायि. 2:12व्य 31:16
न्यायि. 2:12व्य 6:14
न्यायि. 2:12निर्ग 20:5
न्यायि. 2:13न्या 3:7; 10:6; 1रा 11:5
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न्यायि. 2:14लैव 26:17, 37; व्य 28:15, 25
न्यायि. 2:15व्य 28:15
न्यायि. 2:15व्य 4:25, 26
न्यायि. 2:15न्या 10:9
न्यायि. 2:16न्या 3:9; 1शम 12:11; नहे 9:27; भज 106:43
न्यायि. 2:17न्या 2:7
न्यायि. 2:18न्या 4:3
न्यायि. 2:18व्य 32:36; भज 106:45
न्यायि. 2:18न्या 3:9
न्यायि. 2:19न्या 4:1; 8:33
न्यायि. 2:20व्य 7:4; न्या 10:7; भज 106:40
न्यायि. 2:20निर्ग 24:3, 8; 34:27; व्य 29:1; यह 23:16
न्यायि. 2:20लैव 26:14, 17
न्यायि. 2:21यह 13:1, 2
न्यायि. 2:22गि 33:55; व्य 8:2; यह 23:12, 13; न्या 3:4
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
न्यायियों 2:1-23

न्यायियों

2 यहोवा का स्वर्गदूत+ गिलगाल+ से बोकीम गया और उसने कहा, “मैं तुम्हें मिस्र से निकालकर इस देश में लाया, जिसे देने का वादा मैंने तुम्हारे पुरखों से किया था।+ मैंने यह भी कहा था, ‘तुम्हारे साथ जो करार मैंने किया है उसे मैं कभी नहीं तोड़ूँगा।+ 2 और तुम इस देश के निवासियों के साथ करार न करना+ और उनकी वेदियाँ तोड़ डालना।’+ पर तुमने मेरी आज्ञा नहीं मानी।+ तुमने ऐसा क्यों किया? 3 इसलिए जैसा मैंने कहा था, मैं इस देश के लोगों को तुम्हारे सामने से नहीं खदेड़ूँगा।+ वे तुम्हारे लिए फंदा साबित होंगे+ और तुम बहककर उनके देवताओं के पीछे हो लोगे।”+

4 जब यहोवा के स्वर्गदूत ने इसराएलियों से यह कहा, तो सभी लोग ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे। 5 इसलिए उन्होंने उस जगह का नाम बोकीम* रखा और वहाँ यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाया।

6 फिर यहोशू ने इसराएलियों को विदा किया और वे अपनी-अपनी विरासत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए चले गए।+ 7 वे यहोशू के जीते-जी यहोवा की उपासना करते रहे और उन मुखियाओं के दिनों में भी करते रहे, जो यहोशू के बाद ज़िंदा थे और जिन्होंने देखा था कि यहोवा ने इसराएलियों के लिए कितने बड़े-बड़े काम किए हैं।+ 8 इसके बाद यहोवा के सेवक, नून के बेटे यहोशू की मौत हो गयी। वह 110 साल का था।+ 9 लोगों ने उसे तिमनत-हेरेस में दफनाया। यह जगह एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में गाश पहाड़ के उत्तर में थी और यहोशू को दिए इलाके में आती थी।+ 10 उस पीढ़ी के सभी लोगों की मौत हो गयी।* फिर एक नयी पीढ़ी आयी जो न तो यहोवा को जानती थी, न ही यह जानती थी कि उसने इसराएल के लिए क्या-क्या किया है।

11 इसलिए इसराएली यहोवा की नज़र में बुरे काम करने लगे और बाल देवताओं को पूजने लगे।+ 12 उन्होंने अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा को छोड़ दिया, जो उन्हें मिस्र से निकाल लाया था।+ वे आस-पास के लोगों के देवताओं के पीछे जाने लगे+ और उन्हें दंडवत करने लगे। ऐसा करके उन्होंने यहोवा को गुस्सा दिलाया।+ 13 वे यहोवा को छोड़कर बाल देवता और अशतोरेत की मूरतों की पूजा करने लगे।+ 14 तब यहोवा का क्रोध इसराएलियों पर भड़क उठा और उसने उन्हें लुटेरों के हाथ कर दिया जो उन्हें लूटने लगे।+ परमेश्‍वर ने उन्हें आस-पास के दुश्‍मनों के हवाले कर दिया+ और वे उनके सामने टिक नहीं पाए।+ 15 यहोवा उनके खिलाफ हो गया इसलिए वे जहाँ-जहाँ गए वह उन पर मुसीबतें लाया,+ ठीक जैसा यहोवा ने कहा था और जैसा यहोवा ने शपथ खायी थी।+ इसराएलियों की ज़िंदगी दुखों से भर गयी।+ 16 तब यहोवा ने उनके लिए न्यायी ठहराए जो उन्हें लुटेरों के हाथ से बचाते।+

17 लेकिन इसराएलियों ने न्यायियों की भी सुनने से इनकार कर दिया। वे दूसरे देवताओं के आगे दंडवत करने और उन्हें पूजने* लगे। वे फौरन उस राह से बहक गए जिस पर उनके बाप-दादा चलते थे। उनके बाप-दादा तो यहोवा की बात मानते थे,+ मगर उन्होंने नहीं मानी। 18 फिर जब दुश्‍मन उन पर ज़ुल्म ढाते तो उनका कराहना सुनकर+ यहोवा तड़प उठता+ और उन्हें बचाने के लिए यहोवा न्यायी ठहराता+ और उसका पूरा साथ देता। जब तक इसराएल में न्यायी रहे, यहोवा ने अपने लोगों को दुश्‍मनों से बचाया।

19 लेकिन जब एक न्यायी मर जाता, तो इसराएली फिर से दूसरे देवताओं के पीछे चलने लगते और उनकी उपासना करने लगते।+ इस तरह वे अपने पुरखों से भी बढ़कर पाप कर रहे थे। वे अपने कामों से बाज़ नहीं आए और ढीठ बने रहे। 20 आखिरकार यहोवा का गुस्सा इसराएल पर भड़क उठा+ और उसने कहा, “इस राष्ट्र ने मेरा वह करार तोड़ दिया है+ जो मैंने उनके पुरखों से किया था और इन्होंने मेरी आज्ञा नहीं मानी।+ 21 इसलिए यहोशू की मौत के बाद इस देश में जितने भी दुश्‍मन राष्ट्र बचे हैं, उनमें से मैं एक को भी नहीं खदेड़ूँगा।+ 22 मैं परखना चाहता हूँ कि इसराएली अपने पुरखों की तरह यहोवा की राह पर चलेंगे या नहीं।”+ 23 यहोवा ने ऐसा ही किया। उसने उन राष्ट्रों को वहीं रहने दिया, उन्हें तुरंत नहीं खदेड़ा और न ही उन्हें यहोशू के हाथ किया था।

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