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  • सभोपदेशक 9
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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सभोपदेशक का सारांश

      • सबका एक ही अंजाम होता है (1-3)

      • जब तक ज़िंदगी है, उसका मज़ा लो (4-12)

        • मरे हुए कुछ नहीं जानते (5)

        • कब्र में कोई काम नहीं (10)

        • मुसीबत की घड़ी और हादसा (11)

      • हमेशा बुद्धि की कदर नहीं की जाती (13-18)

सभोपदेशक 9:1

संबंधित आयतें

  • +व्य 33:3; 1शम 2:9; भज 37:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 30

सभोपदेशक 9:2

संबंधित आयतें

  • +सभ 5:15
  • +सभ 8:10

सभोपदेशक 9:3

फुटनोट

  • *

    शा., “सूरज के नीचे।”

  • *

    शा., “और इसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते हैं।”

संबंधित आयतें

  • +अय 3:17-19; सभ 2:15

सभोपदेशक 9:4

संबंधित आयतें

  • +यश 38:19

सभोपदेशक 9:5

फुटनोट

  • *

    या “मज़दूरी।”

संबंधित आयतें

  • +उत 3:19; रोम 5:12
  • +भज 88:10; 115:17; 146:4; यश 38:18; यूह 11:11
  • +अय 7:9, 10; सभ 2:16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 29

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2005, पेज 3

    2/15/1997, पेज 16

    6/1/1995, पेज 6-7

    5/15/1995, पेज 4-5

सभोपदेशक 9:6

फुटनोट

  • *

    शा., “सूरज के नीचे।”

संबंधित आयतें

  • +सभ 9:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1995, पेज 6-7

सभोपदेशक 9:7

संबंधित आयतें

  • +व्य 12:7; भज 104:15; सभ 2:24
  • +व्य 16:15; प्रेष 14:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/1997, पेज 17

सभोपदेशक 9:8

फुटनोट

  • *

    यानी उजले कपड़े, जो मातम की नहीं बल्कि खुशी की निशानी थे।

संबंधित आयतें

  • +दान 10:2, 3

सभोपदेशक 9:9

फुटनोट

  • *

    या “व्यर्थ।”

  • *

    या “व्यर्थ।”

संबंधित आयतें

  • +नीत 5:18
  • +सभ 5:18

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/1/2006, पेज 14-15

सभोपदेशक 9:10

फुटनोट

  • *

    या “शीओल।” शब्दावली देखें।

संबंधित आयतें

  • +भज 115:17; 146:3, 4; यश 38:18

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 29

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2015, पेज 11

    7/1/2006, पेज 5

    12/1/1987, पेज 30

सभोपदेशक 9:11

फुटनोट

  • *

    शा., “सूरज के नीचे।”

संबंधित आयतें

  • +1शम 17:50; भज 33:16
  • +सभ 2:15
  • +2शम 17:23

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 3 2021 पेज 8

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2017, पेज 29

    सजग होइए!,

    अंक 3 2017, पेज 6

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/2009, पेज 4-5

    9/1/2003, पेज 9-10

    10/15/2001, पेज 13-14

    8/15/1998, पेज 15-16

सभोपदेशक 9:12

फुटनोट

  • *

    या “मुसीबत।”

संबंधित आयतें

  • +सभ 8:8; याकू 4:13, 14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    11/1/2005, पेज 3-4

सभोपदेशक 9:15

संबंधित आयतें

  • +सभ 9:11

सभोपदेशक 9:16

संबंधित आयतें

  • +नीत 21:22; 24:5; सभ 7:12, 19; 9:18
  • +मर 6:3; 1कुर 2:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/1/2000, पेज 32

सभोपदेशक 9:17

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    12/1/1987, पेज 30

सभोपदेशक 9:18

संबंधित आयतें

  • +यह 22:20; 1कुर 5:6; इब्र 12:15

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    1/2024, पेज 15

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 3 2021 पेज 11

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

सभो. 9:1व्य 33:3; 1शम 2:9; भज 37:5
सभो. 9:2सभ 5:15
सभो. 9:2सभ 8:10
सभो. 9:3अय 3:17-19; सभ 2:15
सभो. 9:4यश 38:19
सभो. 9:5उत 3:19; रोम 5:12
सभो. 9:5भज 88:10; 115:17; 146:4; यश 38:18; यूह 11:11
सभो. 9:5अय 7:9, 10; सभ 2:16
सभो. 9:6सभ 9:10
सभो. 9:7व्य 12:7; भज 104:15; सभ 2:24
सभो. 9:7व्य 16:15; प्रेष 14:17
सभो. 9:8दान 10:2, 3
सभो. 9:9नीत 5:18
सभो. 9:9सभ 5:18
सभो. 9:10भज 115:17; 146:3, 4; यश 38:18
सभो. 9:111शम 17:50; भज 33:16
सभो. 9:11सभ 2:15
सभो. 9:112शम 17:23
सभो. 9:12सभ 8:8; याकू 4:13, 14
सभो. 9:15सभ 9:11
सभो. 9:16नीत 21:22; 24:5; सभ 7:12, 19; 9:18
सभो. 9:16मर 6:3; 1कुर 2:8
सभो. 9:18यह 22:20; 1कुर 5:6; इब्र 12:15
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
  • अध्ययन बाइबल (nwtsty) में पढ़िए
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
सभोपदेशक 9:1-18

सभोपदेशक

9 जब मैंने इन बातों पर सोचा तो मैं इस नतीजे पर पहुँचा कि नेक इंसान और बुद्धिमान इंसान और उन दोनों के काम, सच्चे परमेश्‍वर के हाथ में हैं।+ इंसान बेखबर है कि उससे पहले लोगों में कितना प्यार और कितनी नफरत हुआ करती थी। 2 सब लोगों का एक ही अंजाम होता है,+ फिर चाहे वे नेक हों या दुष्ट,+ अच्छे और पवित्र हों या अपवित्र, बलिदान चढ़ानेवाले हों या बलिदान न चढ़ानेवाले। अच्छे इंसान और पापी इंसान दोनों की एक ही दशा होती है। बिना सोचे-समझे शपथ खानेवाले का और सोच-समझकर शपथ खानेवाले का भी वही हाल होता है। 3 दुनिया में* होनेवाली यह बात बहुत दुख देती है कि सब इंसानों का एक ही अंजाम होता है,+ इसलिए उनके दिल में बुराई भरी रहती है। ज़िंदगी-भर उनके दिल में पागलपन छाया रहता है और फिर वे मर जाते हैं।*

4 जब तक एक इंसान ज़िंदा है, तब तक उसके लिए उम्मीद है क्योंकि एक ज़िंदा कुत्ता मरे हुए शेर से अच्छा है।+ 5 जो ज़िंदा हैं वे जानते हैं कि वे मरेंगे,+ लेकिन मरे हुए कुछ नहीं जानते।+ और न ही उन्हें आगे कोई इनाम* मिलता है क्योंकि उन्हें और याद नहीं किया जाता।+ 6 उनका प्यार, उनकी नफरत, उनकी जलन मिट चुकी है और दुनिया में* जो कुछ किया जाता है उसमें अब उनका कोई हाथ नहीं।+

7 जा! मगन होकर अपना खाना खा और खुशी-खुशी दाख-मदिरा पी+ क्योंकि सच्चा परमेश्‍वर तेरे कामों से खुश है।+ 8 तेरे कपड़े हमेशा सफेद रहें* और अपने सिर पर तेल मलना मत भूल।+ 9 अपनी प्यारी पत्नी के साथ अपनी छोटी-सी* ज़िंदगी का मज़ा ले।+ हाँ, जो छोटी-सी* ज़िंदगी परमेश्‍वर ने तुझे दी है उसमें ऐसा ही कर क्योंकि जीवन में तेरा यही हिस्सा है और सूरज के नीचे तेरी कड़ी मेहनत का यही इनाम है।+ 10 तू जो भी करे उसे जी-जान से कर क्योंकि कब्र* में जहाँ तू जानेवाला है वहाँ न कोई काम है, न सोच-विचार, न ज्ञान, न ही बुद्धि।+

11 मैंने दुनिया में* यह भी देखा है कि न तो सबसे तेज़ दौड़नेवाला दौड़ में हमेशा जीतता है, न वीर योद्धा लड़ाई में हमेशा जीतता है,+ न बुद्धिमान के पास हमेशा खाने को होता है, न अक्लमंद के पास हमेशा दौलत होती है+ और न ही ज्ञानी हमेशा कामयाब होता है।+ क्योंकि मुसीबत की घड़ी किसी पर भी आ सकती है और हादसा किसी के साथ भी हो सकता है। 12 कोई इंसान नहीं जानता कि उसका समय कब आएगा।+ जैसे मछली अचानक जाल में जा फँसती है और परिंदा फंदे में, वैसे ही इंसान पर अचानक विपत्ति* का समय आ पड़ता है और वह उसमें फँस जाता है।

13 मैंने सूरज के नीचे बुद्धि के बारे में एक और बात गौर की और उसने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी। मैंने देखा: 14 एक छोटा-सा शहर था जिसमें बहुत कम आदमी रहते थे। एक ताकतवर राजा उस शहर के खिलाफ आया और उसने चारों तरफ से उसकी घेराबंदी की। 15 शहर में एक गरीब मगर बुद्धिमान आदमी था और उसने अपनी बुद्धि से पूरे शहर को बचा लिया। मगर उस गरीब को सब भूल गए।+ 16 तब मैंने अपने आपसे कहा, ‘बुद्धि ताकत से कहीं अच्छी है,+ फिर भी एक गरीब की बुद्धि को तुच्छ समझा जाता है और कोई उसकी बात नहीं मानता।’+

17 मूर्खों पर राज करनेवाले की चीख सुनने से अच्छा है, बुद्धिमान की सुनना जो अपनी बात शांति से कहता है।

18 बुद्धि, युद्ध के हथियारों से अच्छी है। लेकिन अच्छे कामों को बिगाड़ने के लिए एक ही गुनहगार काफी होता है।+

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