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यिर्मयाह का सारांश

      • बैबिलोन के खिलाफ भविष्यवाणी (1-64)

        • वह मादियों के आगे अचानक गिर पड़ेगी (8-12)

        • किताब फरात नदी में फेंकी गयी (59-64)

यिर्मयाह 51:1

फुटनोट

  • *

    ऐसा मालूम पड़ता है कि यह कसदिया का एक गुप्त नाम है।

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फुटनोट

  • *

    यानी कसदियों का देश।

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    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2008, पेज 8-9

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2002, पेज 30-31

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  • +यश 13:14
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यिर्मयाह 51:11

फुटनोट

  • *

    या शायद, “तरकश भर लो।”

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  • +यिर्म 50:14
  • +यश 13:17; 45:1

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यिर्मयाह 51:16

फुटनोट

  • *

    या “भाप।”

  • *

    या शायद, “झरोखे।”

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यिर्मयाह 51:17

फुटनोट

  • *

    या “ढली हुई मूरत।”

  • *

    या “उनमें साँस नहीं है।”

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यिर्मयाह 51:18

फुटनोट

  • *

    या “बेकार।”

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  • +उत 10:2, 3; यिर्म 50:41

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    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2001, पेज 26

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  • +यश 13:17; दान 5:30, 31

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यिर्मयाह 51:29

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  • +यश 13:7
  • +यिर्म 50:37
  • +भज 107:16; यश 45:2

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    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/1989, पेज 30

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यिर्मयाह 51:34

फुटनोट

  • *

    शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

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  • +यिर्म 51:44

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  • +यश 44:27; यिर्म 50:38

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  • +यिर्म 25:12; 50:15
  • +यश 13:19, 22
  • +यिर्म 50:13, 39

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यिर्मयाह 51:39

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  • +दान 5:1, 4
  • +यिर्म 25:17, 27; 51:57

यिर्मयाह 51:41

फुटनोट

  • *

    ऐसा मालूम पड़ता है कि यह बाबेल (या बैबिलोन) का एक गुप्त नाम है।

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  • +यिर्म 25:17, 26
  • +यश 13:19; यिर्म 49:25; दान 4:30

यिर्मयाह 51:42

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  • +यिर्म 50:8; प्रक 18:4
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फुटनोट

  • *

    या “अजनबियों।”

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यिर्मयाह 51:64

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यिर्म. 51:1यिर्म 50:9
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यिर्म. 51:3यश 13:17, 18; यिर्म 50:30
यिर्म. 51:4यश 13:15
यिर्म. 51:5भज 94:14; यश 44:21; यिर्म 46:28; जक 2:12
यिर्म. 51:6यिर्म 50:8; जक 2:7; प्रक 18:4
यिर्म. 51:6यिर्म 25:12, 14; 50:15
यिर्म. 51:7प्रक 17:1, 2; 18:3
यिर्म. 51:7यिर्म 25:15, 16
यिर्म. 51:8यश 21:9; 47:9; प्रक 14:8
यिर्म. 51:8प्रक 18:2, 9
यिर्म. 51:9यश 13:14
यिर्म. 51:9प्रक 18:4, 5
यिर्म. 51:10मी 7:9
यिर्म. 51:10यिर्म 50:28
यिर्म. 51:11यिर्म 50:14
यिर्म. 51:11यश 13:17; 45:1
यिर्म. 51:12यश 13:2
यिर्म. 51:12प्रक 17:17
यिर्म. 51:13प्रक 17:1, 15
यिर्म. 51:13यश 45:3; यिर्म 50:37
यिर्म. 51:13हब 2:9; प्रक 18:11, 12, 19
यिर्म. 51:14यिर्म 50:15
यिर्म. 51:15भज 93:1; 104:24
यिर्म. 51:15भज 136:5; नीत 3:19; यश 40:22; यिर्म 10:12-16
यिर्म. 51:16भज 135:7
यिर्म. 51:17यश 44:11
यिर्म. 51:17हब 2:19
यिर्म. 51:18यश 41:29; यिर्म 14:22
यिर्म. 51:19व्य 32:9
यिर्म. 51:19यश 47:4
यिर्म. 51:24भज 137:8
यिर्म. 51:25यिर्म 25:9
यिर्म. 51:25यिर्म 50:31
यिर्म. 51:26यिर्म 50:13, 40; प्रक 18:21
यिर्म. 51:27यश 13:2; यिर्म 51:12
यिर्म. 51:27उत 8:4
यिर्म. 51:27उत 10:2, 3; यिर्म 50:41
यिर्म. 51:28यश 13:17; दान 5:30, 31
यिर्म. 51:29यश 13:13, 19; यिर्म 50:13, 39, 40
यिर्म. 51:30यश 13:7
यिर्म. 51:30यिर्म 50:37
यिर्म. 51:30भज 107:16; यश 45:2
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यिर्म. 51:32यश 44:27; यिर्म 50:38; प्रक 16:12
यिर्म. 51:342इत 36:17, 18; यिर्म 50:17
यिर्म. 51:34यिर्म 51:44
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यिर्म. 51:36यिर्म 50:34
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यिर्म. 51:37यश 13:19, 22
यिर्म. 51:37यिर्म 50:13, 39
यिर्म. 51:39दान 5:1, 4
यिर्म. 51:39यिर्म 25:17, 27; 51:57
यिर्म. 51:41यिर्म 25:17, 26
यिर्म. 51:41यश 13:19; यिर्म 49:25; दान 4:30
यिर्म. 51:43यश 13:1, 20; यिर्म 50:39
यिर्म. 51:44यश 46:1; यिर्म 50:2
यिर्म. 51:442इत 36:7; एज 1:7; यिर्म 51:34; दान 1:1, 2
यिर्म. 51:44यिर्म 51:58
यिर्म. 51:45यश 48:20; प्रक 18:4
यिर्म. 51:45यश 13:13
यिर्म. 51:45यिर्म 51:6; जक 2:7
यिर्म. 51:47यश 13:15; दान 5:30
यिर्म. 51:48यश 44:23; 48:20; 49:13; प्रक 18:20
यिर्म. 51:48यिर्म 50:3, 41
यिर्म. 51:49यिर्म 50:17; 51:24
यिर्म. 51:50यिर्म 50:8; प्रक 18:4
यिर्म. 51:50एज 1:3; भज 137:5
यिर्म. 51:51भज 79:1; विल 1:10
यिर्म. 51:52यश 13:15
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यिर्म. 51:53यिर्म 50:10
यिर्म. 51:54यश 13:6
यिर्म. 51:54यिर्म 50:22, 23
यिर्म. 51:56यश 21:2
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यिर्म. 51:57यिर्म 25:27
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यिर्म. 51:62यश 13:1, 20; 14:23; यिर्म 50:3, 39; 51:29, 37
यिर्म. 51:64प्रक 18:21
यिर्म. 51:64यिर्म 51:58
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यिर्मयाह 51:1-64

यिर्मयाह

51 यहोवा कहता है,

“मैं बैबिलोन और लेब-कामै* के निवासियों को

नाश करने के लिए एक ज़बरदस्त आँधी चलानेवाला हूँ।+

 2 मैं उसानेवालों को बैबिलोन भेजूँगा,

वे उसे फटक देंगे और उसका देश खाली कर देंगे।

संकट के दिन वे हर कोने से उस पर टूट पड़ेंगे।+

 3 तीरंदाज़ अपनी कमान न चढ़ाए।

कोई अपना बख्तर पहनकर खड़ा न हो।

उसके जवानों पर बिलकुल दया न करना।+

उसकी पूरी सेना का नाश कर देना।

 4 वे सब कसदियों के देश में घात होकर ढेर हो जाएँगे,

उसकी सड़कों में उन्हें भेदा जाएगा।+

 5 क्योंकि इसराएल और यहूदा को उनके परमेश्‍वर, सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने नहीं छोड़ा है। वे विधवा जैसे नहीं हैं।+

मगर इसराएल के पवित्र परमेश्‍वर की नज़र में उनका देश* पूरी तरह दोषी है।

 6 बैबिलोन से भाग जाओ,

अपनी जान बचाकर भागो।+

उसके गुनाह की वजह से तुम नाश मत होना।

क्योंकि यह यहोवा के बदला लेने का समय है।

वह उसे उसके किए की सज़ा दे रहा है।+

 7 बैबिलोन यहोवा के हाथ में सोने का प्याला थी,

उसने सारी धरती को मदहोश कर दिया था।

राष्ट्रों ने उसकी दाख-मदिरा पी है,+

इसीलिए वे पागल हो गए हैं।+

 8 बैबिलोन अचानक गिर पड़ी है, टूट गयी है।+

उसके लिए ज़ोर-ज़ोर से रोओ!+

उसका दर्द दूर करने के लिए बलसाँ ले आओ, शायद वह ठीक हो जाए।”

 9 “हमने बैबिलोन को चंगा करने की कोशिश की, मगर वह चंगी न हो सकी।

उसे छोड़ दो, चलो हम सब अपने-अपने देश लौट जाएँ।+

वह सज़ा के लायक है, उसके गुनाह आसमान तक पहुँच गए हैं,

बादलों तक पहुँच गए हैं।+

10 यहोवा ने हमारी खातिर न्याय किया है।+

आओ, हम सिय्योन में अपने परमेश्‍वर यहोवा के कामों का बखान करें।”+

11 “अपने तीरों को तेज़ करो,+ गोलाकार ढालें उठाओ।*

यहोवा ने मादियों के राजाओं के मन को उकसाया है,+

क्योंकि उसने बैबिलोन को तबाह करने की ठान ली है।

यहोवा बदला ले रहा है, अपने मंदिर के लिए बदला ले रहा है।

12 बैबिलोन की शहरपनाह के खिलाफ झंडा खड़ा करो।+

पहरा और सख्त कर दो, पहरेदारों को तैनात करो।

घात लगानेवाले सैनिकों को तैयार करो।

क्योंकि यहोवा ने रणनीति तैयार की है,

वह बैबिलोन के निवासियों को सज़ा देने का वादा पूरा करेगा।”+

13 “हे औरत, तू जो नदी-नहरों पर बैठी हुई है,+

जिसके पास ढेर सारा खज़ाना है,+

तेरा अंत आ गया है, तू मुनाफा कमाने की हद तक पहुँच गयी है।+

14 सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने अपने जीवन की शपथ खाकर कहा है,

‘मैं तुझे सैनिकों से भर दूँगा जो टिड्डियों की तरह अनगिनत होंगे,

वे तुझे हराकर जीत के नारे लगाएँगे।’+

15 उसी ने अपनी शक्‍ति से धरती बनायी,

अपनी बुद्धि से उपजाऊ ज़मीन की मज़बूत बुनियाद डाली+

और अपनी समझ से आकाश फैलाया।+

16 जब वह गरजता है,

तो आकाश के पानी में हलचल होने लगती है,

वह धरती के कोने-कोने से बादलों* को ऊपर उठाता है।

बारिश के लिए बिजली* बनाता है

और अपने भंडारों से आँधी चलाता है।+

17 सभी इंसान ऐसे काम करते हैं मानो उनमें समझ और ज्ञान नहीं है।

हर धातु-कारीगर अपनी गढ़ी हुई मूरत की वजह से शर्मिंदा किया जाएगा,+

क्योंकि उसकी धातु की मूरत* एक झूठ है,

वे मूरतें बेजान हैं।*+

18 वे एक धोखा* हैं,+ बस इस लायक हैं कि उनकी खिल्ली उड़ायी जाए।

जब उनसे हिसाब लेने का दिन आएगा, तो वे नाश हो जाएँगी।

19 याकूब का भाग इन चीज़ों की तरह नहीं है,

क्योंकि उसी ने हर चीज़ रची है,

वही उसकी विरासत की लाठी है।+

उसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।”+

20 “तू मेरे लिए युद्ध का हथियार है, एक लट्ठ है,

क्योंकि मैं तेरे ज़रिए राष्ट्रों को चूर-चूर कर दूँगा,

राज्यों को तबाह कर दूँगा।

21 घोड़े और उसके सवार को चूर-चूर कर दूँगा,

युद्ध-रथ और उसके सवार को चूर-चूर कर दूँगा।

22 आदमी और औरत को चूर-चूर कर दूँगा।

बूढ़े और जवान को चूर-चूर कर दूँगा।

जवान लड़के और जवान लड़की को चूर-चूर कर दूँगा।

23 चरवाहे और उसके झुंड को चूर-चूर कर दूँगा।

किसान और उसके जुताई करनेवाले जानवरों को चूर-चूर कर दूँगा।

राज्यपालों और अधिकारियों को चूर-चूर कर दूँगा।

24 मैं बैबिलोन को और कसदिया के सभी निवासियों को उन सब बुरे कामों का सिला दूँगा,

जो उन्होंने तुम्हारी आँखों के सामने सिय्योन में किए हैं।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

25 यहोवा ऐलान करता है, “हे उजाड़नेवाले पहाड़,

तू जो सारी धरती को उजाड़ रहा है,+ मैं तेरे खिलाफ कदम उठानेवाला हूँ।+

मैं अपना हाथ बढ़ाकर तुझे चट्टानों से नीचे लुढ़का दूँगा

और तुझे जला हुआ पहाड़ बना दूँगा।”

26 यहोवा ऐलान करता है, “लोग तुझसे पत्थर नहीं निकालेंगे,

न कोने के पत्थर के लिए, न बुनियाद डालने के लिए,

क्योंकि तू हमेशा के लिए उजाड़ पड़ा रहेगा।”+

27 “देश में झंडा खड़ा करो,+

राष्ट्रों में नरसिंगा फूँको।

उससे लड़ने के लिए राष्ट्रों को तैयार करो।

अरारात,+ मिन्‍नी और अशकनज+ के राज्यों को बुलाओ।

ऐसा अधिकारी ठहराओ जो उससे लड़ने के लिए सैनिक भरती करे।

घोड़ों से उन पर कड़े बालोंवाली टिड्डियों की तरह हमला कराओ।

28 उससे लड़ने के लिए राष्ट्रों को तैयार करो।

मादै के राजाओं,+ राज्यपालों और सभी अधिकारियों को ठहराओ

और उन सब देशों को ठहराओ जिन पर वे राज करते हैं।

29 धरती डोलेगी और काँपेगी,

क्योंकि यहोवा ने बैबिलोन के साथ जो करने की सोची है वह ज़रूर पूरा होगा।

वह बैबिलोन का ऐसा हश्र कर देगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा, उसमें एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

30 बैबिलोन के योद्धाओं ने लड़ना छोड़ दिया है।

वे अपने मज़बूत गढ़ों में छिप गए हैं।

उनकी हिम्मत जवाब दे गयी है।+

वे औरतों जैसे हो गए हैं।+

बैबिलोन के घरों को आग लगा दी गयी है।

उसके बेड़े तोड़ दिए गए हैं।+

31 एक दूत दौड़कर दूसरे दूत से मिलता है,

एक संदेश देनेवाला दूसरे संदेश देनेवाले से मिलता है

ताकि बैबिलोन के राजा को खबर दे कि उसका शहर चारों तरफ से ले लिया गया है,+

32 उसके घाटों पर कब्ज़ा कर लिया गया है,+

उसकी सरकंडे की नाव आग से जला दी गयी हैं

और सैनिक घबरा गए हैं।”

33 क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“बैबिलोन की बेटी खलिहान की ज़मीन जैसी है।

अब वक्‍त आ गया है कि उसे दबा-दबाकर सख्त किया जाए।

जल्द ही उसकी कटाई का समय आनेवाला है।”

34 “बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने मुझे खा लिया है,+

उसने मुझे उलझन में डाल दिया है।

मुझे खाली बरतन जैसा बना दिया है।

एक बड़े साँप की तरह मुझे निगल लिया है,+

मेरी उम्दा चीज़ों से अपना पेट भर लिया है।

मुझे खंगालकर फेंक दिया है।

35 सिय्योन का निवासी कहता है, ‘मुझ पर और मेरे शरीर पर जो ज़ुल्म किया गया है वही बैबिलोन के साथ हो!’+

यरूशलेम नगरी कहती है, ‘मेरे खून का दोष कसदिया के निवासियों के सिर पड़े!’”

36 इसलिए यहोवा कहता है,

“अब मैं तेरे मुकदमे की पैरवी करूँगा+

और तेरी तरफ से बदला लूँगा।+

मैं उसका समुंदर और उसके कुएँ सुखा दूँगा।+

37 बैबिलोन पत्थरों का ढेर और+

गीदड़ों की माँद बन जाएगी।+

उसका ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा और वे मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएँगे,

उसमें एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

38 वे सब मिलकर जवान शेरों की तरह दहाड़ेंगे।

शेर के बच्चों की तरह गुर्राएँगे।”

39 यहोवा ऐलान करता है, “जब उनकी हवस की आग भड़केगी,

तो मैं उनके लिए दावत रखूँगा और उन्हें खूब पिलाकर मदहोश कर दूँगा

ताकि वे जश्‍न मनाएँ,+

इसके बाद वे हमेशा के लिए सो जाएँगे,

फिर कभी नहीं उठेंगे।”+

40 “मैं उन्हें मेम्नों की तरह

और बकरों और मेढ़ों की तरह हलाल के लिए ले जाऊँगा।”

41 “देखो! शेशक* पर कैसे कब्ज़ा कर लिया गया है,+

जिसकी पूरी धरती पर बड़ाई होती है, उस पर कैसे अधिकार कर लिया गया है!+

राष्ट्रों के बीच बैबिलोन का ऐसा हश्र हुआ है कि देखनेवालों का दिल दहल जाता है!

42 बैबिलोन पर समुंदर चढ़ आया है,

वह बहुत-सी लहरों में डूब गयी है।

43 उसके शहरों का ऐसा हश्र हुआ है कि देखनेवालों का दिल दहल जाता है,

वह एक सूखा वीराना और रेगिस्तान बन गयी है।

ऐसा देश बन गयी है जहाँ कोई नहीं रहेगा, जहाँ से कोई नहीं गुज़रेगा।+

44 मैं बैबिलोन के बेल देवता पर ध्यान दूँगा+

और उसके मुँह से वह सब निकालूँगा जो वह निगल गया है।+

उसकी तरफ फिर कभी राष्ट्र उमड़ते हुए नहीं जाएँगे,

बैबिलोन की शहरपनाह ढह जाएगी।+

45 मेरे लोगो, उसमें से बाहर निकल आओ!+

यहोवा के क्रोध की आग जल रही है,+ अपनी जान बचाकर भागो!+

46 देश को जो खबर मिलनेवाली है, उससे तुम्हारा दिल कमज़ोर न हो और न ही तुम डरो।

एक साल एक खबर मिलेगी,

दूसरे साल दूसरी खबर मिलेगी

कि देश में कैसी मार-काट मची है, एक शासक दूसरे शासक के खिलाफ उठ रहा है।

47 इसलिए देखो! वे दिन आ रहे हैं,

जब मैं बैबिलोन की खुदी हुई मूरतों पर ध्यान दूँगा।

उसका पूरा देश शर्मिंदा किया जाएगा,

उसके बीच उसके सभी लोग घात होकर ढेर हो जाएँगे।+

48 आकाश, धरती और उनमें जो कुछ है वह सब

बैबिलोन का अंजाम देखकर खुशी से जयजयकार करेंगे,+

क्योंकि उत्तर से उसका विनाश करनेवाले आएँगे।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

49 “बैबिलोन ने न सिर्फ इसराएल के लोगों को मार डाला,+

बल्कि अपने बीच रहनेवाले धरती के सब लोगों को मारकर उन्हें ढेर कर दिया।

50 तुम जो तलवार से बच जाते हो, आगे बढ़ते रहो, खड़े मत रहो!+

तुम जो दूर हो, यहोवा को याद करो,

तुम्हारे दिलों में यरूशलेम की याद ताज़ा रहे।”+

51 “हमें शर्मिंदा किया गया है, क्योंकि हम पर ताने कसे गए हैं।

अपमान ने हमारा चेहरा ढाँप दिया है,

क्योंकि परदेसियों* ने यहोवा के भवन की पवित्र जगहों पर हमला कर दिया है।”+

52 यहोवा ऐलान करता है, “इसलिए देख, वे दिन आ रहे हैं,

जब मैं उसकी खुदी हुई मूरतों पर ध्यान दूँगा

और उसके पूरे देश में घायल लोग कराहेंगे।”+

53 यहोवा ऐलान करता है, “बैबिलोन चाहे आसमान की बुलंदियाँ छू जाए,+

चाहे अपने ऊँचे-ऊँचे गढ़ों को मज़बूत करे,

फिर भी मैं उसका नाश करनेवालों को ज़रूर भेजूँगा।”+

54 “सुनो! बैबिलोन में कैसी चीख-पुकार मची है,+

कसदियों के देश में बड़ी तबाही का हाहाकार मचा है।+

55 क्योंकि यहोवा बैबिलोन का नाश कर रहा है,

वह उसका शोर बंद कर देगा।

उसका नाश करनेवाले समुंदर की तरह गरजेंगे।

उनका होहल्ला सुनायी देगा।

56 नाश करनेवाला बैबिलोन पर चढ़ आएगा,+

उसके योद्धा पकड़े जाएँगे,+

उनकी कमान टुकड़े-टुकड़े कर दी जाएँगी,

क्योंकि यहोवा सज़ा देनेवाला परमेश्‍वर है,+

वह उसे ज़रूर उसके कामों का सिला देगा।+

57 मैं उसके हाकिमों और ज्ञानियों को,

उसके राज्यपालों, अधिकारियों और योद्धाओं को

खूब पिलाकर मदहोश कर दूँगा,+

वे हमेशा के लिए सो जाएँगे, फिर कभी नहीं उठेंगे।”+

यह उस राजा का ऐलान है जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।

58 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“बैबिलोन की शहरपनाह भले ही चौड़ी हो, वह पूरी तरह ढा दी जाएगी,+

उसके फाटक भले ही ऊँचे हों उन्हें आग लगा दी जाएगी।

देश-देश के लोग बेकार में मेहनत करेंगे,

जिसके लिए राष्ट्र काम करते-करते पस्त हो जाएँगे, वह आग में झोंक दिया जाएगा।”+

59 भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने सरायाह को एक आज्ञा दी, जो नेरियाह का बेटा+ और महसेयाह का पोता था। यिर्मयाह ने सरायाह को यह आज्ञा तब दी जब सरायाह यहूदा के राजा सिदकियाह के साथ, उसके राज के चौथे साल बैबिलोन गया। सरायाह राजा का निजी प्रबंधक था। 60 यिर्मयाह ने बैबिलोन पर आनेवाली इन सारी विपत्तियों के बारे में एक किताब में लिखा, यानी ये बातें जो बैबिलोन के खिलाफ लिखी गयी हैं। 61 यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “जब तू बैबिलोन पहुँचे और उस नगरी को देखे तो ये सारी बातें पढ़कर सुनाना। 62 फिर कहना, ‘हे यहोवा, तूने इस जगह के बारे में कहा है कि यह इस तरह नाश कर दी जाएगी कि यहाँ कोई नहीं रहेगा, न इंसान न जानवर। यह हमेशा के लिए उजाड़ पड़ी रहेगी।’+ 63 इस किताब को पढ़ने के बाद इस पर एक पत्थर बाँधना और फरात नदी के बीचों-बीच फेंक देना। 64 फिर कहना, ‘इसी तरह बैबिलोन डूब जाएगी और फिर कभी ऊपर नहीं आएगी+ क्योंकि मैं उस पर विपत्ति लानेवाला हूँ। और वे थककर पस्त हो जाएँगे।’”+

यिर्मयाह के शब्द यहीं तक हैं।

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