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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
1 पतरस

पतरस की पहली चिट्ठी

1 पतरस की यह चिट्ठी, जो यीशु मसीह का एक प्रेषित* है, उन सभी के नाम जो पुन्तुस, गलातिया, कप्पदूकिया, एशिया* और बितूनिया में फैले हुए हैं और ऐसे रहते हैं मानो परदेसी हों। उन सभी के नाम 2 जिन्हें परमेश्‍वर, हमारे पिता ने आनेवाली बातों को पहले से जानने की अपनी काबिलीयत के मुताबिक चुना है, और जो पवित्र शक्‍ति के ज़रिए पवित्र ठहराए गए हैं, ताकि आज्ञा माननेवाले बनें और उन पर यीशु मसीह का लहू छिड़का जाए।

तुम पर परमेश्‍वर की महा-कृपा और शांति और भी बढ़कर हो।

3 हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्‍वर और पिता धन्य हो, जिसने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जी उठाया और इसके ज़रिए अपनी बड़ी दया दिखाते हुए हमें एक नया जन्म दिया जिससे कि हम एक जीवित आशा पा सकें, 4 और हमें वह विरासत हासिल हो जो अनश्‍वर और निष्कलंक है और जो कभी नहीं मिटेगी। यह विरासत तुम्हारे लिए स्वर्ग में सुरक्षित रखी हुई है। 5 हाँ, तुम्हारे लिए जिनकी हिफाज़त परमेश्‍वर अपनी शक्‍ति से कर रहा है, क्योंकि तुममें विश्‍वास है। परमेश्‍वर उस उद्धार के लिए तुम्हारी हिफाज़त करता है जो आखिरी वक्‍त में ज़ाहिर किया जाएगा। 6 इस सच्चाई से तुम बहुत खुशी पाते हो, हालाँकि अभी कुछ वक्‍त के लिए जैसा ज़रूरी है, तुम तरह-तरह की परीक्षाओं की वजह से दुःख झेल रहे हो, 7 ताकि तुम्हारे परखे हुए विश्‍वास का खरापन, यीशु मसीह के प्रकट होने के वक्‍त तुम्हारे लिए बड़ाई, महिमा और आदर पाने की वजह बने। तुम्हारे परखे हुए विश्‍वास का यह खरापन उस खरे सोने से कहीं अनमोल है जो आग में से तपाकर निकाले जाने पर भी नाश हो जाता है। 8 हालाँकि तुमने मसीह को कभी नहीं देखा, फिर भी तुम उससे प्यार करते हो। हालाँकि तुम उसे अभी नहीं देखते फिर भी तुम उस पर विश्‍वास दिखाते हो और ऐसी खुशी मना रहे हो जो शब्दों में बयान नहीं की जा सकती और जो बहुत ही शानदार है। 9 क्योंकि तुम्हें यकीन है कि तुम्हारे विश्‍वास की वजह से तुम्हें इनाम के तौर पर अपने जीवन के लिए उद्धार मिलेगा।

10 इसी उद्धार के बारे में उन भविष्यवक्‍ताओं ने बहुत लगन के साथ पूछताछ की और बड़े ध्यान से खोजबीन की जिन्होंने उस महा-कृपा के बारे में भविष्यवाणी की जो तुम्हारे लिए है। 11 वे इस बारे में जाँच-पड़ताल करते रहे कि जो पवित्र शक्‍ति उनमें काम कर रही थी और जो मसीह पर आनेवाली तकलीफों के बारे में और इनके बाद आनेवाली महिमा के बारे में पहले से गवाही दे रही थी, वह किस खास वक्‍त या कैसे हालात की तरफ इशारा कर रही थी। 12 उन पर यह ज़ाहिर किया गया कि ये बातें उनके अपने लिए नहीं थीं, बल्कि वे तुम्हारे सेवक थे और उन्होंने तुम तक ये बातें पहुँचायीं। अब इन बातों का ऐलान तुम्हारे लिए उन लोगों ने किया है जिन्होंने स्वर्ग से भेजी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए तुम्हें खुशखबरी सुनायी है। स्वर्गदूत भी इन बातों में झाँककर इन्हें बहुत करीब से देखने की तमन्‍ना रखते हैं।

13 इसलिए कड़ी मेहनत करने के लिए अपने मन की सारी शक्‍ति बटोर लो, पूरे होश-हवास में रहो; अपनी आशा उस महा-कृपा पर बनाए रखो जो तुम्हें यीशु मसीह के प्रकट होने पर मिलनेवाली है। 14 आज्ञा माननेवाले बच्चों की तरह, अपनी उन ख्वाहिशों के मुताबिक खुद को ढालना बंद करो जो तुम्हारे अंदर उस वक्‍त थीं जब तुम परमेश्‍वर का ज्ञान नहीं रखते थे। 15 मगर उस पवित्र परमेश्‍वर की तरह, जिसने तुम्हें बुलाया है, तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो 16 क्योंकि यह लिखा है: “तुम्हें पवित्र होना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।”

17 इसके अलावा, अगर तुम उस पिता को पुकारते हो जो हरेक के कामों के मुताबिक बिना पक्षपात किए सबका न्याय करता है, तो धरती पर तुम्हारे परदेसी होकर रहने के इस वक्‍त के दौरान तुम परमेश्‍वर का डर मानते हुए जीवन बिताओ। 18 इसलिए कि तुम जानते हो कि तुमने अपने बापदादों से बेमाने जीवन के जो तौर-तरीके पाए थे उनसे छुटकारा पा लिया है और तुमने यह छुटकारा सोने-चाँदी जैसी नश्‍वर चीज़ों से नहीं 19 बल्कि मसीह के बेशकीमती लहू से पाया है जो एक बेदाग और निर्दोष मेम्ना है। 20 सच है कि परमेश्‍वर ने भविष्य के अपने ज्ञान के ज़रिए उसे दुनिया की शुरूआत के पहले से ही चुन लिया था, मगर ज़मानों के आखिर में तुम्हारी खातिर उसे ज़ाहिर किया गया है, 21 तुम्हारी खातिर जो उसके ज़रिए परमेश्‍वर पर विश्‍वास करते हो। परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जी उठाकर महिमा दी, ताकि तुम परमेश्‍वर पर विश्‍वास और आशा रख सको।

22 अब क्योंकि तुमने सच्चाई के वचन को मानकर खुद को शुद्ध किया है, तो आपस में भाईचारे का निष्कपट प्यार दिखाओ और दिल से एक-दूसरे को गहरा प्यार करो। 23 क्योंकि तुम्हें एक नया जीवन दिया गया है और यह जीवन किसी नश्‍वर नहीं बल्कि अनश्‍वर बीज के ज़रिए दिया गया है, जो जीवित और अनंत परमेश्‍वर का वचन है। 24 “सभी इंसान घास की तरह हैं और उनकी शोभा घास के फूल जैसी है। घास सूख जाती है और फूल झड़ जाता है, 25 लेकिन यहोवा* का वचन हमेशा-हमेशा तक कायम रहता है।” यही वह “वचन” है जो तुम्हें खुशखबरी के तौर पर सुनाया गया है।

2 इसलिए, सारी बुराई, छल, कपट, ईर्ष्या और दूसरों की बेइज़्ज़ती करनेवाली सारी बातें अपने अंदर से निकाल फेंको, 2 और नवजात शिशुओं की तरह उस शुद्ध दूध के लिए, जो परमेश्‍वर के वचन में पाया जाता है, ज़बरदस्त भूख पैदा करो ताकि इससे तुम उद्धार पाने के लिए बढ़ते जाओ 3 क्योंकि तुमने खुद अपने तजुर्बे से जाना है कि प्रभु कितना कृपालु है।*

4 प्रभु वह जीवित पत्थर है जिसे इंसानों ने तो ठुकरा दिया, मगर वह परमेश्‍वर का चुना हुआ है और उसके लिए बेशकीमती है। इस जीवित पत्थर के पास आने से 5 तुम्हारा भी, जो जीवित पत्थरों जैसे हो, परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से एक भवन के रूप में निर्माण किया जा रहा है। यह निर्माण इसलिए किया जा रहा है ताकि तुम पवित्र याजकों का दल बनो और यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर को ऐसे बलिदान चढ़ाओ जो उसकी पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन के मुताबिक हों और उसे मंज़ूर हों। 6 इसलिए कि शास्त्र में यह लिखा है: “देख! मैं सिय्योन में एक चुना हुआ पत्थर, यानी नींव का कोने का पत्थर रखता हूँ, जो बेशकीमती है और उस पर विश्‍वास दिखानेवाला हरगिज़ निराश न होगा।”

7 वह तुम्हारे लिए बेशकीमती है क्योंकि तुम उस पर यकीन करते हो। मगर जो उस पर यकीन नहीं करते, उनके बारे में शास्त्र कहता है कि “वही पत्थर जिसे राजमिस्त्रियों ने ठुकराया, कोने का मुख्य पत्थर बन गया है,” 8 और “ठोकर खिलानेवाला पत्थर और ठेस पहुँचानेवाली चट्टान” बन गया है। ये इसलिए ठोकर खाते हैं क्योंकि ये वचन की आज्ञा नहीं मानते। इनका अंत इसी तरह होना है। 9 मगर तुम एक चुना हुआ वंश, शाही याजकों का दल और एक पवित्र राष्ट्र हो और परमेश्‍वर की खास संपत्ति बनने के लिए चुने गए लोग हो, ताकि तुम सारी दुनिया में उसके महान गुणों का ऐलान करो जिसने तुम्हें अंधकार से निकालकर अपनी शानदार रौशनी में बुलाया है। 10 क्योंकि एक वक्‍त ऐसा था जब तुम परमेश्‍वर के खास लोग नहीं थे, मगर अब उसके लोग हो। तुम ऐसे थे जिन पर दया नहीं दिखायी गयी थी, मगर अब ऐसे लोग हो जिन पर दया दिखायी गयी है।

11 मेरे प्यारो, मैं तुम्हें उकसाता हूँ कि इस दुनिया में परदेसी और प्रवासी होने के नाते शरीर की ख्वाहिशों से अपने आप को दूर रखो, क्योंकि यही वे ख्वाहिशें हैं जो तुम्हारे जीवन के खिलाफ युद्ध करती रहती हैं। 12 दुनिया के लोगों के बीच तुम बढ़िया चालचलन बनाए रखो, ताकि चाहे वे तुम्हें बुरे काम करनेवाले कहकर तुम पर दोष लगाते हैं, वे तुम्हारे उन अच्छे कामों की वजह से, जो उन्होंने खुद अपनी आँखों से देखे हैं, उस दिन परमेश्‍वर की महिमा करें जिस दिन वह जाँच करने आएगा।

13 प्रभु की खातिर खुद को इंसान के बनाए हर अधिकार के अधीन करो: राजा के अधीन इसलिए क्योंकि वह दूसरों से बड़ा है 14 या उसके भेजे हुए राज्यपालों के अधीन क्योंकि वे बुरे काम करनेवालों को सज़ा देने और अच्छे काम करनेवालों की तारीफ करने के लिए ठहराए गए हैं 15 इसलिए कि परमेश्‍वर की मरज़ी यही है कि तुम अपने अच्छे कामों से ऐसे मूर्खों का मुँह बंद करो जो बिना सोचे-समझे तुम्हारे खिलाफ बातें करते हैं। 16 आज़ाद लोगों की तरह जीओ, फिर भी अपनी आज़ादी को बुरे काम करने के लिए आड़ की तरह इस्तेमाल मत करो, बल्कि परमेश्‍वर के दासों की तरह जीओ। 17 हर किस्म के इंसान का आदर करो, भाइयों की सारी बिरादरी से प्यार करो, परमेश्‍वर का डर मानो, राजा का आदर करो।

18 घर के नौकर अपने-अपने मालिकों का सब बातों में जैसा डर मानना चाहिए वैसा डर मानते हुए उनके अधीन रहें, न सिर्फ भले और लिहाज़ दिखानेवाले मालिकों के, बल्कि उनके भी जिन्हें खुश करना मुश्‍किल है। 19 इसलिए कि अगर कोई परमेश्‍वर के सामने अपना ज़मीर साफ बनाए रखने के लिए दुःख-तकलीफें और नाइंसाफी सहता है, तो परमेश्‍वर की नज़र में यह अच्छी बात है। 20 क्योंकि अगर तुम्हें पाप करने की वजह से थप्पड़ मारे जाते हैं और तुम सहते हो, तो इसमें तारीफ की क्या बात है? लेकिन अगर, तुम अच्छा काम करने की वजह से दुःख सहते हो और धीरज धरते हो, तो परमेश्‍वर की नज़र में यह अच्छी बात है।

21 दरअसल, तुम्हें ऐसी ही राह पर चलने के लिए बुलाया गया है, क्योंकि मसीह ने भी तुम्हारी खातिर दुःख उठाया और तुम्हारे लिए एक आदर्श छोड़ गया ताकि तुम उसके नक्शे-कदम पर नज़दीकी से चलो। 22 उसने कोई पाप नहीं किया, न ही उसके मुँह से छल की बातें निकलीं। 23 जब उसे गाली दी जा रही थी, तो बदले में उसने गाली देना शुरू नहीं किया। जब वह दुःख झेल रहा था, तो वह धमकियाँ नहीं देने लगा, बल्कि खुद को उस न्यायी के हाथ में सौंपता रहा जो सच्चा न्याय करता है। 24 वह हमारे पाप अपने शरीर पर लिए हुए सूली पर चढ़ गया, ताकि हम अपने पापों से आज़ाद हों और नेकी के काम करने के लिए जीएँ। और “उसके घावों से तुम चंगे किए गए।” 25 क्योंकि तुम उन भेड़ों की तरह थे जो भटक गयी थीं, मगर अब तुम अपने चरवाहे और तुम्हारे जीवन की निगरानी करनेवाले के पास लौट आए हो।

3 इसी तरह, पत्नियो, तुम अपने-अपने पति के अधीन रहो ताकि अगर किसी का पति परमेश्‍वर के वचन की आज्ञा नहीं मानता, 2 तो वह अपनी पत्नी के पवित्र चालचलन और गहरे आदर को देखकर तुम्हारे कुछ बोले बिना ही जीत लिया जाए। 3 और तुम्हारा सजना-सँवरना ऊपरी न हो, जैसे बाल गूंथना, सोने के गहने या बढ़िया पोशाक पहनना। 4 इसके बजाय, तुम अपने अंदर के इंसान को सजाओ-सँवारो और इसे शांत और कोमल स्वभाव पहनाओ। यह ऐसी सजावट है जो कभी पुरानी नहीं पड़ती और परमेश्‍वर की नज़रों में अनमोल है। 5 इसलिए कि गुज़रे ज़माने की पवित्र स्त्रियाँ भी, जो परमेश्‍वर पर आशा रखती थीं, इसी तरह खुद को सँवारती थीं और अपने-अपने पति के अधीन रहा करती थीं। 6 जैसे, सारा अब्राहम की आज्ञा मानती थी और उसे “प्रभु” पुकारती थी। अगर तुम अच्छे काम करती रहो और किसी भी तरह के डर से खौफ में न रहो तो उसकी बेटियाँ ठहरोगी।

7 पतियो, तुम भी इसी तरह अपनी-अपनी पत्नी के साथ समझदारी से जीवन बिताते रहो। और स्त्री होने के नाते उसे अपने से ज़्यादा नाज़ुक पात्र समझकर उसके साथ आदर से पेश आओ, क्योंकि तुम भी उसके साथ महा-कृपा से मिलनेवाले जीवन के वारिस हो, ताकि तुम्हारी प्रार्थनाओं में रुकावट न आए।

8 आखिर में मैं कहता हूँ, तुम सभी के विचारों में एकता हो, एक-दूसरे का दर्द महसूस करो, भाइयों जैसा गहरा लगाव रखो, गहरी करुणा दिखाओ, नम्र स्वभाव रखो, 9 बुराई का बदला बुराई से न दो, न ही गाली के बदले गाली दो। इसके बजाय, उनके साथ भलाई करो,* क्योंकि तुम इसी राह पर चलने के लिए बुलाए गए हो, ताकि विरासत में आशीष पा सको।

10 क्योंकि “जो जीवन से प्यार करता है और अच्छे दिन देखना चाहता है वह अपनी जीभ को बुराई करने से और अपने होठों को छल की बातें बोलने से रोके, 11 मगर वह बुराई से दूर हो जाए और भला करे, दूसरों के साथ शांति कायम करने की खोज करे और इसमें लगा रहे। 12 क्योंकि यहोवा की आँखें नेक लोगों पर लगी रहती हैं और उसके कान उनकी मिन्‍नतों की तरफ लगे रहते हैं। मगर जो बुरे काम करते हैं यहोवा* उनके खिलाफ हो जाता है।”

13 अगर तुम अच्छे काम करने में जोश दिखाओ तो ऐसा कौन है जो तुम्हें नुकसान पहुँचाएगा? 14 और अगर तुम नेकी की खातिर दुःख भी उठाते हो तो सुखी हो। मगर जो तुम पर ज़ुल्म करते हैं, उनके डर से न डरो, न ही परेशान हो जाओ। 15 मगर मसीह को प्रभु जानकर अपने दिलों में पवित्र मानो, और जो कोई तुम्हारी आशा की वजह जानने की माँग करता है, उसके सामने अपनी आशा की पैरवी करने के लिए हमेशा तैयार रहो, मगर ऐसा कोमल स्वभाव और गहरे आदर के साथ करो।

16 अपना ज़मीर साफ बनाए रखो ताकि चाहे लोग तुम्हारी बुराई करते हैं और मसीह में तुम्हारे अच्छे चालचलन की निंदा करते हैं, उन्हीं बातों में वे शर्मिंदा हो जाएँ। 17 अगर परमेश्‍वर की यही मरज़ी है कि तुम भलाई करने की वजह से दुःख उठाओ, तो यह ज़्यादा अच्छा है, बजाय इसके कि तुम बुरे काम करने की वजह से दुःख उठाओ। 18 मसीह भी, जो नेक था, पापियों को उनके पापों से छुटकारा दिलाने के लिए एक ही बार मरा, ताकि वह तुम्हें परमेश्‍वर के पास ले जाए। वह शरीर में मार डाला गया, मगर जब ज़िंदा किया गया तो उसे आत्मिक शरीर* दिया गया। 19 इसी दशा में उसने जाकर कारावास में पड़े दुष्ट स्वर्गदूतों को प्रचार किया, 20 जिन्होंने उस वक्‍त के दौरान परमेश्‍वर की आज्ञा के खिलाफ काम किया था, जब नूह के दिनों में परमेश्‍वर सब्र दिखाते हुए इंतज़ार कर रहा था और उस दौरान नूह का जहाज़* बन रहा था, जिस पर सवार होकर चंद लोग यानी आठ जन पानी से बच निकले थे।

21 वह घटना जिस चीज़ की निशानी है, यानी बपतिस्मा (जिसका मतलब शरीर की गंदगी धोना नहीं, बल्कि साफ ज़मीर पाने की परमेश्‍वर से गुज़ारिश है) अभी तुम्हें यीशु मसीह के जी उठने के ज़रिए बचा रहा है। 22 वह अब स्वर्ग लौट गया है और परमेश्‍वर की दायीं तरफ है। और स्वर्गदूत और अधिकार और ताकतें उसके अधीन की गयी हैं।

4 जबकि मसीह ने शरीर में दुःख झेला, तो जैसा उसका मन का रुझान था, तुम भी उसी रुझान से खुद को लैस कर लो। क्योंकि जिस इंसान ने शारीरिक दुःख झेला है वह पाप करने से बाज़ आता है, 2 ताकि वह अपनी बाकी की ज़िंदगी, इंसानों की अभिलाषाएँ पूरी करने के लिए नहीं, बल्कि परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने के लिए जीए। 3 क्योंकि दुनियावी लोगों की मरज़ी पूरी करने में तुम अब तक जो वक्‍त बिता चुके हो वही काफी है, जब तुम बदचलनी के कामों में, वासनाओं में, हद-से-ज़्यादा शराब पीने में, रंगरलियाँ मनाने में, शराब पीने की होड़ लगाने में और घिनौनी मूर्तिपूजा करने में लगे हुए थे। 4 अब क्योंकि तुमने उनके साथ बदचलनी की कीचड़ में लोटना छोड़ दिया है, इसलिए वे ताज्जुब करते हैं और तुम्हारे बारे में बुरा-भला कहते हैं। 5 मगर इन लोगों को उसे हिसाब देना होगा जो जीवितों और मरे हुओं का न्याय करने के लिए तैयार है। 6 दरअसल, इसी मकसद से मरे हुओं* को भी खुशखबरी सुनायी गयी थी, ताकि चाहे इंसान उनका बाहरी रूप देखकर उन्हें आँकें, मगर वे परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में जीएँ।

7 मगर सब बातों का अंत पास आ गया है। इसलिए, स्वस्थ मन रखो और प्रार्थना करने के लिए चौकस रहो। 8 सबसे बढ़कर, एक-दूसरे के लिए गहरा प्यार रखो, क्योंकि प्यार ढेर सारे पापों को ढक देता है। 9 बिना कुड़कुड़ाए एक-दूसरे को मेहमान-नवाज़ी दिखाते रहो। 10 परमेश्‍वर की जो महा-कृपा अलग-अलग तरीके से दिखायी गयी है उसके मुताबिक तुममें से हरेक ने देन पायी है। इसलिए तुम परमेश्‍वर के ठहराए बढ़िया प्रबंधकों के नाते अपनी इस देन को एक-दूसरे की सेवा करने में इस्तेमाल करो। 11 अगर कोई बोलता है, तो परमेश्‍वर के पवित्र वचन बोले। अगर कोई सेवा करता है, तो उस शक्‍ति पर निर्भर होकर सेवा करे जो परमेश्‍वर देता है, ताकि सब बातों में यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्‍वर की महिमा हो। महिमा और शक्‍ति हमेशा-हमेशा के लिए उसी की है। आमीन।

12 मेरे प्यारो, परीक्षाओं की जो आग तुम्हारे बीच जल रही है उस पर हैरान मत हो, मानो तुम्हारे साथ कोई अनोखी घटना घट रही है। यह इसलिए हो रहा है कि तुम्हारी परख हो। 13 इसके बजाय, तुम यह जानकर खुशियाँ मनाओ कि तुम मसीह की दुःख-तकलीफों में साझेदार बन रहे हो, ताकि तुम उसकी महिमा के प्रकट होने के दौरान खुशियाँ मनाओ और आनंद से भर जाओ। 14 अगर मसीह के नाम की खातिर तुम्हें बदनाम किया जाता है, तो तुम सुखी हो, क्योंकि परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति और इसकी महिमा तुम्हारे ऊपर रहती है।

15 मगर तुममें से कोई खूनी, चोर या बुरे काम करनेवाला या दूसरों के निजी मामलों में दखल देनेवाला होने की वजह से दुःख न उठाए। 16 लेकिन अगर कोई मसीही होने की वजह से दुःख उठाता है तो वह शर्मिंदा महसूस न करे, बल्कि इस नाम को धारण किए हुए परमेश्‍वर की महिमा करता रहे। 17 इसलिए कि वह तय किया हुआ वक्‍त आ पहुँचा है जब न्याय हो, और इस न्याय की शुरूआत परमेश्‍वर के घर से होगी। अगर इसकी शुरूआत हम ही से होगी, तो उनका क्या हश्र होगा जो परमेश्‍वर से मिली खुशखबरी का वचन मानने से इनकार करते हैं? 18 “और अगर नेक इंसान का बड़ी मुश्‍किल से उद्धार होगा, तो उनका क्या हश्र होगा जो परमेश्‍वर की भक्‍ति नहीं करते और पापी हैं?” 19 इसलिए जो परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने की वजह से दुःख उठाते हैं, वे भी अच्छे काम करते हुए खुद को विश्‍वासयोग्य सिरजनहार के हवाले सौंपते रहें।

5 इसलिए, जो तुम्हारे बीच प्राचीन हैं, उन्हें मैं यह सीख देकर उकसाता हूँ, क्योंकि मैं भी एक प्राचीन हूँ और मसीह की दुःख-तकलीफों का गवाह हूँ और उस महिमा का साझेदार भी हूँ जो प्रकट होनेवाली है: 2 परमेश्‍वर के झुंड की, जो तुम्हारी देख-रेख में है, चरवाहों की तरह देखभाल करो और ऐसा मजबूरी में नहीं बल्कि खुशी-खुशी करो। बेईमानी से उनसे कुछ हासिल करने के लालच से नहीं, बल्कि तत्परता के साथ करो। 3 न ही उन पर अधिकार जतानेवाले बनो जो परमेश्‍वर की संपत्ति हैं, बल्कि झुंड के लिए मिसाल बन जाओ। 4 और जब प्रधान चरवाहा ज़ाहिर किया जाएगा, तो तुम वह ताज पाओगे जिसकी महिमा कभी नहीं मिटेगी।

5 इसी तरह, मैं नौजवानों को नसीहत देता हूँ कि प्राचीनों के अधीन रहें। मगर तुम सभी एक-दूसरे से पेश आते वक्‍त मन की दीनता धारण करो, क्योंकि परमेश्‍वर घमंडियों का सामना करता है, मगर जो नम्र हैं उन पर महा-कृपा करता है।

6 इसलिए, परमेश्‍वर के शक्‍तिशाली हाथ के नीचे खुद को नम्र करो, ताकि वह सही वक्‍त पर तुम्हें ऊँचा करे। 7 और इस दौरान तुम अपनी सारी चिंताओं का बोझ उसी पर डाल दो, क्योंकि उसे तुम्हारी परवाह है। 8 अपने होश-हवास बनाए रखो, चौकन्‍ने रहो। तुम्हारा दुश्‍मन शैतान,* गरजते हुए शेर की तरह इस ताक में घूम रहा है कि किसे निगल जाए। 9 मगर तुम विश्‍वास में मज़बूत रहकर उसका मुकाबला करो, क्योंकि तुम जानते हो कि सारी दुनिया में तुम्हारे भाइयों की पूरी बिरादरी ऐसी ही दुःख-तकलीफें झेल रही है। 10 मगर, परमेश्‍वर जो हर तरह की महा-कृपा करता है और जिसने तुम्हें मसीह के साथ एकता में हमेशा कायम रहनेवाली अपनी महिमा के लिए बुलाया है, वह तुम्हारे थोड़ी देर तक दुःख उठाने के बाद खुद तुम्हारा प्रशिक्षण खत्म करेगा। वह तुम्हें मज़बूत और शक्‍तिशाली बनाएगा। 11 सदा तक कायम रहनेवाली शक्‍ति उसी की हो। आमीन।

12 भाई सिलवानुस* के ज़रिए, जिसे मैंने विश्‍वासयोग्य पाया है, मैंने तुम्हें ये चंद शब्द लिखे हैं, ताकि तुम्हारी हिम्मत बँधाऊं और इस बात की सच्ची गवाही दूँ कि यही परमेश्‍वर की सच्ची महा-कृपा है और इसमें तुम मज़बूती से खड़े रहो। 13 वह जो बैबिलोन में है और तुम्हारी तरह चुनी हुई है,* तुम्हें नमस्कार कहती है और मरकुस भी जो मेरे बेटे जैसा है तुम्हें नमस्कार कहता है। 14 प्यार के चुंबन से एक-दूसरे का स्वागत करो।

मेरी दुआ है कि तुम सबको जो मसीह के साथ एकता में हैं, शांति मिले।

1पत 1:1 या, “भेजा गया।” यूनानी में “अपोस्टोलोस।”

1पत 1:1 प्रेषि 2:9 फुटनोट देखें।

1पत 1:25 यह उन 237 जगहों में से एक जगह है, जहाँ परमेश्‍वर का नाम, ‘यहोवा’ इस अनुवाद के मुख्य पाठ में पाया जाता है। अतिरिक्‍त लेख 2 देखें।

1पत 2:3 या, “प्रभु की कृपा का स्वाद चखा है।”

1पत 3:9 शाब्दिक, “आशीष दो।”

1पत 3:12 या, “यहोवा का मुख।”

1पत 3:18 यूनानी नफ्मा। अतिरिक्‍त लेख 7 देखें।

1पत 3:20 मत्ती 24:38 फुटनोट देखें।

1पत 4:6 ज़ाहिर है, ये वे लोग हैं जो अपने पापों की वजह से मरे हुओं जैसे थे। इफि 2:1 देखें।

1पत 5:8 शाब्दिक, “इब्‌लीस।” यूनानी में “दियाबोलोस,” जिसका मतलब है “निंदा करनेवाला।”

1पत 5:12 2 कुरि 1:19 फुटनोट देखें।

1पत 5:13 यूनानी भाषा में यहाँ इस्तेमाल किया गया सर्वनाम एक स्त्री को सूचित करता है, जो कि ज़ाहिर तौर पर बैबिलोन की मंडली के लिए इस्तेमाल हुआ है।

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