दानियेल
1 यहूदा के राजा यहोयाकीम+ के राज के तीसरे साल, बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर यरूशलेम आया और उसने शहर की घेराबंदी कर दी।+ 2 कुछ समय बाद यहोवा ने यहूदा के राजा यहोयाकीम को और सच्चे परमेश्वर के भवन* के कुछ बरतनों को नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिया।+ नबूकदनेस्सर इन बरतनों को शिनार देश*+ ले गया और वहाँ उसने इन्हें अपने देवता के मंदिर के खज़ाने में रख दिया।+
3 फिर राजा ने अपने प्रधान दरबारी अशपनज को आदेश दिया कि वह कुछ इसराएलियों* को ले आए जिनमें शाही घराने के और ऊँचे खानदान के लोग भी हों।+ 4 उसने कहा कि ये ऐसे नौजवान* होने चाहिए जिनमें कोई खामी न हो, वे दिखने में सुंदर हों, उनमें बुद्धि, ज्ञान और पैनी समझ हो+ और वे राजमहल में सेवा करने के काबिल हों। अशपनज को आज्ञा दी गयी थी कि वह उन नौजवानों को कसदियों के साहित्य और उनकी भाषा की शिक्षा दे। 5 राजा ने यह आज्ञा भी दी कि उन्हें हर दिन वही लज़ीज़ खाना और दाख-मदिरा दी जाए जो राजा को दी जाती है। तीन साल तक उन्हें तालीम दी जानी थी,* इसके बाद उन्हें राजा की सेवा शुरू करनी थी।
6 जिन नौजवानों को लाया गया था उनमें से कुछ यहूदा गोत्र* से थे। उनके नाम थे दानियेल,*+ हनन्याह,* मीशाएल* और अजरयाह।*+ 7 इन नौजवानों को मुख्य दरबारी ने नए नाम* दिए। उसने दानियेल को बेलतशस्सर नाम दिया,+ हनन्याह को शदरक, मीशाएल को मेशक और अजरयाह को अबेदनगो।+
8 मगर दानियेल ने अपने दिल में ठान लिया था कि वह न तो राजा के यहाँ से मिलनेवाला लज़ीज़ खाना खाएगा, न ही उसकी दाख-मदिरा पीएगा ताकि खुद को दूषित न करे। इसलिए उसने मुख्य दरबारी से गुज़ारिश की कि उसे छूट दी जाए ताकि वह इन चीज़ों से खुद को दूषित न करे। 9 और सच्चे परमेश्वर ने मुख्य दरबारी को दानियेल पर कृपा और दया करने के लिए उभारा।+ 10 मगर मुख्य दरबारी ने दानियेल से कहा, “मैं अपने मालिक राजा से डरता हूँ जिसने तुम लोगों का खान-पान तय किया है। अगर वह देखेगा कि तुम अपनी उम्र के दूसरे नौजवानों* के मुकाबले कमज़ोर लग रहे हो, तो जानते हो क्या होगा? तुम्हारी वजह से मैं राजा के सामने दोषी ठहरूँगा।” 11 तब दानियेल ने उस अधिकारी से बात की जिसे मुख्य दरबारी ने दानियेल, हनन्याह, मीशाएल और अजरयाह की देखभाल की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। दानियेल ने उससे कहा, 12 “मेहरबानी करके अपने सेवकों को दस दिन तक परखकर देख। हमें खाने के लिए साग-सब्ज़ी और पीने के लिए पानी दे। 13 फिर देख कि कौन दिखने में अच्छा लगता है, हम या राजा के यहाँ से लज़ीज़ खाना खानेवाले नौजवान।* इसके बाद तू फैसला करना कि तू अपने इन सेवकों के साथ आगे क्या करेगा।”
14 अधिकारी ने उनका सुझाव मान लिया और उन्हें दस दिन तक परखा। 15 दस दिन के आखिर में ये नौजवान शाही खाना खानेवाले सभी जवानों* से ज़्यादा अच्छे और तंदुरुस्त दिख रहे थे। 16 इसलिए अधिकारी उन्हें ठहराया गया लज़ीज़ खाना और दाख-मदिरा देने के बजाय साग-सब्ज़ियाँ ही देता रहा। 17 और सच्चे परमेश्वर ने इन चारों नौजवानों* को ज्ञान, बुद्धि और हर तरह के साहित्य के बारे में अंदरूनी समझ दी। उसने दानियेल को हर तरह के दर्शन और सपनों के बारे में समझ दी।+
18 राजा नबूकदनेस्सर ने जो समय तय किया था, उसके आखिर में मुख्य दरबारी ने उन नौजवानों को उसके सामने पेश किया।+ 19 जब राजा ने उनसे बात की तो उसने पाया कि उन सब नौजवानों में दानियेल, हनन्याह, मीशाएल और अजरयाह+ जैसा कोई नहीं है। और वे राजा के सामने सेवा करते रहे। 20 राजा जब भी उनसे ऐसे मामले पर बात करता जिसके लिए बुद्धि और समझ की ज़रूरत होती तो वह पाता कि वे उसके पूरे राज्य के जादू-टोना करनेवाले सभी पुजारियों और तांत्रिकों+ से दस गुना बेहतर हैं। 21 और दानियेल राजा कुसरू के राज के पहले साल तक वहीं रहा।+
2 नबूकदनेस्सर ने अपने राज के दूसरे साल कई सपने देखे और उसका मन इतना बेचैन हो गया+ कि वह सो नहीं पाया। 2 इसलिए राजा ने आदेश दिया कि जादू-टोना करनेवाले पुजारियों, तांत्रिकों, टोना-टोटका करनेवालों और कसदियों* को बुलाया जाए ताकि वे राजा को उसके सपने बताएँ। इसलिए वे सब आए और राजा के सामने खड़े हुए।+ 3 राजा ने उनसे कहा, “मैंने एक सपना देखा है, मैं जानना चाहता हूँ कि वह सपना क्या है। मैं जानने के लिए बहुत बेचैन हूँ।” 4 तब कसदियों ने राजा से अरामी भाषा में कहा,*+ “हे राजा, तू युग-युग जीए। अपने सेवकों को वह सपना बता, फिर हम उसका मतलब बताएँगे।”
5 राजा ने कसदियों से कहा, “तुम लोग बताओ कि मैंने क्या सपना देखा और उसका मतलब क्या है। वरना तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएँगे और तुम्हारे घर आम लोगों के लिए शौचालय* बना दिए जाएँगे। मेरा यह फैसला अटल है। 6 लेकिन अगर तुम मुझे वह सपना और उसका मतलब बताओगे, तो मैं तुम्हें इनाम और तोहफे दूँगा और तुम्हारा बहुत सम्मान करूँगा।+ इसलिए बताओ कि मैंने क्या सपना देखा और उसका मतलब क्या है।”
7 उन्होंने राजा से फिर कहा, “राजा अपने सेवकों को वह सपना बताए, फिर हम उसका मतलब समझाएँगे।”
8 तब राजा ने कहा, “मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तुम टाल-मटोल कर रहे हो, क्योंकि तुम जानते हो कि मेरा फैसला अटल है। 9 अगर तुम मुझे वह सपना नहीं बताओगे तो तुम सबके लिए वह सज़ा तय है। लेकिन तुम सबने मिलकर सोचा है कि समय के गुज़रते शायद मैं अपना मन बदल दूँगा और तब तक तुम मुझे झूठी बातें बताकर धोखे में रखोगे। मगर ऐसा कुछ नहीं होनेवाला। मैं कहता हूँ, तुम मुझे वह सपना बताओ ताकि मैं जानूँ कि तुम उसका मतलब भी समझा सकोगे।”
10 कसदियों ने राजा से कहा, “दुनिया* में ऐसा कोई नहीं होगा जो राजा की यह माँग पूरी कर सके। आज तक किसी महान राजा या राज्यपाल ने किसी जादू-टोना करनेवाले पुजारी से या टोना-टोटका करनेवाले से या कसदी से ऐसी बात नहीं पूछी। 11 राजा जो पूछ रहा है वह बताना मुश्किल है। कोई भी इंसान राजा को यह बात नहीं बता सकता, सिवा देवताओं के जो नश्वर इंसानों के बीच नहीं रहते।”
12 इस पर राजा आग-बबूला हो उठा। उसने हुक्म दिया कि बैबिलोन के सभी ज्ञानियों को मार डाला जाए।+ 13 जब यह हुक्म दिया गया और सभी ज्ञानियों को मार डाला जानेवाला था, तो दानियेल और उसके साथियों को भी ढूँढ़ा गया ताकि उन्हें भी मार डाला जाए।
14 तब दानियेल ने राजा के अंगरक्षकों के सरदार अरयोक से सूझ-बूझ और बहुत सावधानी से बात की, जो बैबिलोन के ज्ञानियों को मार डालने के लिए निकला था। 15 उसने राजा के अधिकारी अरयोक से पूछा, “राजा ने ऐसा कड़ा आदेश क्यों दिया?” तब अरयोक ने दानियेल को सारी बात बतायी।+ 16 फिर दानियेल राजा के सामने गया और उससे गुज़ारिश की कि अगर राजा उसे थोड़ा वक्त दे तो वह उसे सपने का मतलब बता सकता है।
17 फिर दानियेल अपने घर गया और उसने अपने साथियों यानी हनन्याह, मीशाएल और अजरयाह को यह सब बताया। 18 दानियेल ने उनसे यह प्रार्थना करने के लिए कहा कि स्वर्ग का परमेश्वर दया करे और इस रहस्य का खुलासा करे ताकि बैबिलोन के बाकी ज्ञानियों के साथ दानियेल और उसके साथियों का नाश न किया जाए।
19 फिर रात को एक दर्शन में दानियेल पर वह रहस्य खोला गया।+ इसलिए उसने स्वर्ग के परमेश्वर की तारीफ की। 20 दानियेल ने कहा,
21 वह समय और दौर को बदल देता है,+
राजाओं को पद से हटाता है और पद पर ठहराता है,+
बुद्धिमानों को बुद्धि और पैनी समझवालों को ज्ञान देता है।+
22 वह गूढ़ और छिपी बातें ज़ाहिर करता है,+
वह जानता है कि अँधेरे में क्या है,+
उसके साथ रौशनी का निवास है।+
23 हे मेरे पुरखों के परमेश्वर, मैं तेरा शुक्रिया अदा करता हूँ, तेरी तारीफ करता हूँ,
क्योंकि तूने मुझे बुद्धि और शक्ति दी है।
हमने तुझसे जो पूछा वह तूने मुझे बताया है,
राजा को जिस बात की चिंता है वह तूने हम पर ज़ाहिर की है।”+
24 फिर दानियेल अरयोक के पास गया, जिसे राजा ने बैबिलोन के ज्ञानियों को नाश करने का काम सौंपा था।+ दानियेल ने अरयोक से कहा, “बैबिलोन के किसी भी ज्ञानी का नाश मत कर। मुझे राजा के पास ले चल, मैं राजा को उसके सपने का मतलब बताऊँगा।”
25 अरयोक फौरन दानियेल को राजा के सामने ले गया और उससे कहा, “मुझे यहूदा के बंदी लोगों में एक आदमी मिला है+ जो राजा को सपने का मतलब बता सकता है।” 26 राजा ने दानियेल से, जिसका नाम बेलतशस्सर था,+ कहा, “क्या तू वाकई मुझे बता सकता है कि मैंने क्या सपना देखा और उसका मतलब क्या है?”+ 27 दानियेल ने राजा से कहा, “राजा जो रहस्य जानना चाहता है, उसे बताना किसी भी ज्ञानी या तांत्रिक या टोना-टोटका करनेवाले पुजारी या ज्योतिषी के बस की बात नहीं है।+ 28 मगर जो परमेश्वर स्वर्ग में है वह रहस्य खोलनेवाला परमेश्वर है।+ उसने राजा नबूकदनेस्सर को बताया है कि आखिरी दिनों में क्या होनेवाला है। अब सुन कि तूने बिस्तर पर कौन-सा सपना और कौन-से दर्शन देखे थे।
29 हे राजा, जब तू बिस्तर पर था तो तू भविष्य में होनेवाली बातों के बारे में सोचने लगा और रहस्य खोलनेवाले परमेश्वर ने तुझे बताया कि आगे क्या होनेवाला है। 30 मुझ पर यह रहस्य इसलिए नहीं ज़ाहिर किया गया कि मैं दुनिया के सभी इंसानों से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान हूँ बल्कि मुझे इसलिए बताया गया कि मैं राजा को सपने का मतलब बताऊँ और तू जाने कि तू मन में क्या सोच रहा था।+
31 हे राजा, तूने सपने में एक विशाल मूरत देखी। वह मूरत जो तेरे सामने खड़ी थी बहुत लंबी-चौड़ी थी और तेज़ चमक रही थी और उसका रूप भयानक था। 32 मूरत का सिर बढ़िया सोने का बना था,+ उसका सीना और उसके बाज़ू चाँदी के थे,+ पेट और जाँघें ताँबे के थे,+ 33 टाँगें लोहे की थीं,+ पैर का कुछ हिस्सा लोहे का और कुछ मिट्टी* का था।+ 34 तू मूरत को देखता रहा और फिर एक पत्थर, जो किसी के हाथ का काटा हुआ नहीं था, अपने आप आया और सीधे उस मूरत के लोहे और मिट्टी के पैरों पर लगा और उसे चूर-चूर कर दिया।+ 35 तब लोहा, मिट्टी, ताँबा, चाँदी और सोना, सब चूर-चूर हो गए और उस भूसी की तरह बन गए जो गरमियों में खलिहान में होती है। और हवा उन्हें ऐसे उड़ा ले गयी कि कहीं भी उनका नामो-निशान नहीं मिला। मगर वह पत्थर, जिसने मूरत को तोड़ दिया था, एक बड़ा पहाड़ बन गया जिससे पूरी धरती भर गयी।
36 यही वह सपना है जो तूने देखा था। अब हम राजा को इसका मतलब बताएँगे। 37 हे राजा, तू जो राजाओं का राजा है, तुझे स्वर्ग के परमेश्वर ने राज,+ शक्ति, ताकत और शोहरत दी है, 38 उसने सभी इंसानों को तेरे अधिकार में कर दिया है फिर चाहे वे जहाँ भी रहते हों, साथ ही मैदान के जानवरों और आकाश के पंछियों को तेरे अधिकार में कर दिया है और सब पर तुझे राजा ठहराया गया है,+ तू ही सोने का वह सिर है।+
39 मगर तेरे बाद एक और राज खड़ा होगा+ जिसका दर्जा तुझसे कम होगा। उसके बाद एक तीसरा राज खड़ा होगा जो ताँबे का होगा और पूरी धरती पर राज करेगा।+
40 फिर जो चौथा राज आएगा वह लोहे की तरह मज़बूत होगा।+ जैसे लोहा सब चीज़ों को चूर-चूर कर देता है, पीस डालता है, हाँ, जैसे लोहा सब चीज़ों के टुकड़े-टुकड़े कर देता है, वैसे ही वह राज इन सारी हुकूमतों को चूर-चूर कर देगा और पूरी तरह मिटा देगा।+
41 तूने देखा कि मूरत के पैर और उसकी उँगलियाँ कहीं मिट्टी के और कहीं लोहे के थे, उसी तरह यह राज बँट जाएगा। फिर भी इसमें थोड़ा लोहे जैसा कड़ापन रह जाएगा, ठीक जैसे तूने देखा कि कच्ची मिट्टी के साथ लोहा मिला हुआ था। 42 जैसे पैरों की उँगलियाँ कहीं लोहे की और कहीं मिट्टी की थीं, वैसे ही यह राज एक मामले में मज़बूत होगा तो दूसरे में कमज़ोर। 43 जैसे तूने देखा कि कच्ची मिट्टी और लोहा मिला हुआ था, वैसे ही इस राज के कुछ हिस्से लोगों* से मिले होंगे, मगर वे एक-दूसरे से नहीं जुड़े रहेंगे ठीक जैसे लोहा मिट्टी से नहीं जुड़ता।
44 उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर एक ऐसा राज कायम करेगा+ जो कभी नाश नहीं किया जाएगा।+ वह राज किसी और* के हाथ में नहीं किया जाएगा।+ वह राज इन सारी हुकूमतों को चूर-चूर करके उनका अंत कर डालेगा+ और सिर्फ वही हमेशा तक कायम रहेगा,+ 45 ठीक जैसे तूने देखा कि पहाड़ में से एक पत्थर बिना किसी के हाथ के काटे आया और उसने लोहे, ताँबे, मिट्टी, चाँदी और सोने को चूर-चूर कर डाला।+ महान परमेश्वर ने राजा को बताया है कि भविष्य में क्या होगा।+ यह सपना सच्चा है और इसका जो मतलब बताया गया है वह भरोसे के लायक है।”
46 तब राजा नबूकदनेस्सर दानियेल के सामने मुँह के बल ज़मीन पर गिरा और उसने दानियेल का सम्मान किया। उसने आदेश दिया कि दानियेल को भेंट दी जाए और उसके आगे धूप जलाया जाए। 47 राजा ने दानियेल से कहा, “वाकई, तुम्हारा परमेश्वर सब ईश्वरों से महान ईश्वर है, सब राजाओं का मालिक है और रहस्य खोलनेवाला परमेश्वर है, यही वजह है कि तू यह रहस्य बता पाया।”+ 48 फिर राजा ने दानियेल का पद और ऊँचा कर दिया, उसे कई बेहतरीन तोहफे दिए और बैबिलोन के पूरे प्रांत* का शासक और बैबिलोन के सभी ज्ञानियों का मुख्य प्रशासक ठहराया।+ 49 और दानियेल की गुज़ारिश पर राजा ने शदरक, मेशक और अबेदनगो+ को बैबिलोन के प्रांत* के प्रशासन के अधिकारी ठहराया। मगर दानियेल राजा के दरबार में ही काम करता रहा।
3 राजा नबूकदनेस्सर ने सोने की एक मूरत बनवायी जिसकी ऊँचाई 60 हाथ* और चौड़ाई 6 हाथ* थी। उसने यह मूरत बैबिलोन के प्रांत* में दूरा नाम के मैदान में खड़ी करायी। 2 फिर राजा नबूकदनेस्सर ने सूबेदारों, प्रशासकों, राज्यपालों, सलाहकारों, खज़ानचियों, न्यायियों, नगर-अधिकारियों और अलग-अलग प्रांतों* के सभी अधिकारियों को खबर भेजी कि वे उसकी खड़ी करायी मूरत के उद्घाटन पर आएँ।
3 इसलिए सूबेदार, प्रशासक, राज्यपाल, सलाहकार, खज़ानची, न्यायी, नगर-अधिकारी और अलग-अलग प्रांतों* के सभी अधिकारी राजा नबूकदनेस्सर की खड़ी करायी मूरत के उद्घाटन पर हाज़िर हुए। वे सभी उस मूरत के सामने खड़े हो गए। 4 तब संदेश ऐलान करनेवाले ने ज़ोर-ज़ोर से ऐलान किया, “अलग-अलग राष्ट्रों और भाषाओं के लोगो, सुनो। तुम सबको यह हुक्म दिया जाता है 5 कि जब तुम नरसिंगे, बाँसुरी, सुरमंडल, छोटे सुरमंडल, तारोंवाले बाजे, मशकबीन और बाकी सभी साज़ों की आवाज़ सुनोगे, तो तुम सब गिरकर सोने की उस मूरत की पूजा करोगे जो राजा नबूकदनेस्सर ने खड़ी करायी है। 6 जो कोई गिरकर उसकी पूजा नहीं करेगा, उसे फौरन धधकते भट्ठे में फेंक दिया जाएगा।”+ 7 इसलिए जब नरसिंगे, बाँसुरी, सुरमंडल, छोटे सुरमंडल, तारोंवाले बाजे और बाकी सभी साज़ों की आवाज़ सुनायी पड़ी, तो सब राष्ट्रों और भाषाओं के लोगों ने गिरकर सोने की उस मूरत की पूजा की जो राजा नबूकदनेस्सर ने खड़ी करायी थी।
8 उस समय कुछ कसदी लोग राजा के पास आए और यहूदियों पर इलज़ाम लगाने लगे।* 9 वे राजा नबूकदनेस्सर से कहने लगे, “हे राजा, तू युग-युग जीए। 10 हे राजा, तूने हुक्म दिया था कि हर वह इंसान जो नरसिंगे, बाँसुरी, सुरमंडल, छोटे सुरमंडल, तारोंवाले बाजे, मशकबीन और बाकी सभी साज़ों की आवाज़ सुनता है वह गिरकर सोने की मूरत की पूजा करे 11 और जो कोई ऐसा नहीं करेगा उसे धधकते भट्ठे में फेंक दिया जाएगा।+ 12 फिर भी हे राजा, तीन यहूदी आदमियों ने तेरी बिलकुल इज़्ज़त नहीं की। वे शदरक, मेशक, अबेदनगो हैं जिन्हें तूने बैबिलोन के प्रांत* के प्रशासन का ज़िम्मा सौंपा है।+ वे तेरे देवताओं की सेवा नहीं करते और उन्होंने तेरी खड़ी करायी सोने की मूरत को पूजने से इनकार कर दिया है।”
13 यह सुनकर नबूकदनेस्सर क्रोध और जलजलाहट से भर गया और उसने हुक्म दिया कि शदरक, मेशक और अबेदनगो को उसके सामने पेश किया जाए। तब उन आदमियों को राजा के सामने लाया गया। 14 नबूकदनेस्सर ने उनसे कहा, “शदरक, मेशक और अबेदनगो, क्या यह सच है कि तुम लोग मेरे देवताओं की सेवा नहीं करते+ और तुमने मेरी खड़ी करायी सोने की मूरत को पूजने से इनकार कर दिया है? 15 अब सुनो, जब तुम्हें नरसिंगे, बाँसुरी, सुरमंडल, छोटे सुरमंडल, तारोंवाले बाजे, मशकबीन और बाकी सभी साज़ों की आवाज़ सुनायी पड़े, तब तुम अगर गिरकर मेरी बनायी मूरत को पूजने के लिए तैयार हो जाओगे तो बेहतर होगा। लेकिन अगर तुम उसे पूजने से इनकार करोगे तो तुम्हें फौरन धधकते भट्ठे में फेंक दिया जाएगा। ऐसा कौन-सा देवता है जो तुम्हें मेरे हाथ से छुड़ा सकता है?”+
16 शदरक, मेशक और अबेदनगो ने राजा से कहा, “हे राजा नबूकदनेस्सर, हमें इस बारे में कुछ और नहीं कहना। 17 अगर हमें आग के भट्ठे में फेंक दिया जाना है, तो यही सही। हमारा परमेश्वर, जिसकी हम सेवा करते हैं, हमें उस भट्ठे से और तेरे हाथ से छुड़ाने की ताकत रखता है।+ 18 लेकिन अगर वह हमें नहीं छुड़ाता, तो भी हे राजा, हम न तेरे देवताओं की सेवा करेंगे, न ही तेरी खड़ी करायी मूरत की पूजा करेंगे।”+
19 तब नबूकदनेस्सर शदरक, मेशक और अबेदनगो पर भड़क उठा और उसके चेहरे का भाव बदल गया।* उसने हुक्म दिया कि भट्ठे को सात गुना और तेज़ किया जाए। 20 उसने अपनी सेना के कुछ ताकतवर आदमियों को हुक्म दिया कि वे शदरक, मेशक और अबेदनगो को बाँधकर धधकते भट्ठे में फेंक दें।
21 तब उन तीनों आदमियों को उनके चोगों, टोपियों और दूसरे कपड़ों समेत बाँधा गया और धधकते भट्ठे में फेंक दिया गया। 22 राजा का हुक्म इतना सख्त था और भट्ठे को इतना ज़्यादा तेज़ किया गया था कि जो आदमी शदरक, मेशक और अबेदनगो को भट्ठे की तरफ लेकर गए वे आग की लपटों से झुलसकर मर गए। 23 मगर शदरक, मेशक और अबेदनगो, जो बँधे हुए थे, धधकते भट्ठे में गिर गए।
24 फिर राजा नबूकदनेस्सर बहुत डर गया और फौरन उठकर अपने बड़े-बड़े अधिकारियों से कहने लगा, “क्या हमने तीन आदमियों को बाँधकर आग में नहीं फेंका था?” उन्होंने कहा, “हाँ राजा।” 25 उसने कहा, “मगर देखो! मुझे तो चार आदमी आग में खुले घूमते नज़र आ रहे हैं और उन्हें कुछ भी नहीं हुआ है! और चौथा आदमी कोई देवता लग रहा है।”
26 नबूकदनेस्सर धधकते भट्ठे के द्वार पर गया और उसने कहा, “शदरक, मेशक और अबेदनगो, परम-प्रधान परमेश्वर के सेवको,+ बाहर निकलो, इधर आओ!” शदरक, मेशक और अबेदनगो आग में से बाहर निकल आए। 27 वहाँ जमा हुए सूबेदारों, प्रशासकों, राज्यपालों और राजा के बड़े-बड़े अधिकारियों+ ने देखा कि उन तीनों आदमियों को आग से कुछ नहीं हुआ है,+ उनका एक भी बाल नहीं झुलसा है और न ही उनके कपड़े जले हैं। उनसे जलने की बू तक नहीं आ रही।
28 तब नबूकदनेस्सर ने ऐलान किया, “शदरक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर की तारीफ हो,+ जिसने अपने स्वर्गदूत को भेजकर अपने सेवकों को बचाया। इन्होंने उस पर भरोसा किया और राजा का हुक्म नहीं माना। अपने परमेश्वर को छोड़ किसी और देवता की सेवा करने और उसे पूजने के बजाय उन्हें मरना मंज़ूर था।*+ 29 इसलिए मैं आदेश देता हूँ कि अगर किसी राष्ट्र या भाषा के लोगों ने शदरक, मेशक और अबेदनगो के परमेश्वर के खिलाफ कुछ कहा, तो उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएँ और उनके घर आम लोगों के लिए शौचालय* बना दिए जाएँ, क्योंकि ऐसा कोई देवता नहीं जो इस परमेश्वर की तरह छुड़ाने की ताकत रखता हो।”+
30 फिर राजा ने बैबिलोन के प्रांत* में शदरक, मेशक और अबेदनगो को ऊँचा ओहदा दिया।+
4 “पूरी धरती पर रहनेवाले सभी राष्ट्रों और भाषाओं के लोगों को राजा नबूकदनेस्सर का यह संदेश है: तुम्हारा सुख-चैन बढ़ता रहे! 2 मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि परम-प्रधान परमेश्वर ने मुझे क्या-क्या चिन्ह और अजूबे दिखाए हैं। 3 वाकई उसके चिन्ह क्या ही शानदार हैं और उसके अजूबे उसकी लाजवाब ताकत का सबूत देते हैं! उसका राज सदा कायम रहनेवाला राज है और उसका राज पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहता है।+
4 मैं नबूकदनेस्सर अपने महल में चैन से जी रहा था, एक खुशहाल ज़िंदगी बिता रहा था। 5 मैंने एक सपना देखा जिससे मैं बहुत घबरा गया। जब मैं बिस्तर पर लेटा था तब मुझे ऐसे दृश्य और दर्शन दिखायी दिए कि मैं बहुत डर गया।+ 6 इसलिए मैंने हुक्म दिया कि बैबिलोन के सभी ज्ञानियों को मेरे सामने पेश किया जाए ताकि वे मेरे सपने का मतलब बताएँ।+
7 तब जादू-टोना करनेवाले पुजारी, तांत्रिक, कसदी* और ज्योतिषी+ मेरे सामने आए। मैंने उन्हें अपना सपना बताया, मगर वे उसका मतलब नहीं बता सके।+ 8 आखिर में मेरे सामने दानियेल आया। उसका नाम मेरे देवता के नाम पर बेलतशस्सर रखा गया था+ और उसमें पवित्र ईश्वरों की शक्ति है।+ मैंने उसे अपना सपना बताया:
9 ‘हे बेलतशस्सर, जादू-टोना करनेवाले पुजारियों के प्रधान,+ मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तुझमें पवित्र ईश्वरों की शक्ति है+ और तेरे लिए कोई भी रहस्य खोलना मुश्किल नहीं है।+ इसलिए मुझे बता कि मैंने सपने में जो-जो देखा उसका क्या मतलब है।
10 मुझे बिस्तर पर लेटे जो दर्शन मिले उनमें मैंने देखा कि धरती के बीचों-बीच एक पेड़ है+ जो बहुत ऊँचा और विशाल है।+ 11 पेड़ बड़ा होकर बहुत मज़बूत हो गया, उसकी ऊँचाई आसमान छू रही थी और वह धरती के छोर से भी नज़र आता था। 12 उसके पत्ते और डालियाँ बहुत सुंदर थे, वह फलों से लदा हुआ था और उससे सबके लिए खाना मिलता था। उसकी छाँव तले मैदान के जानवर रहते थे, डालियों पर आकाश के पंछी बसेरा करते थे और धरती के सभी प्राणियों को उससे खाना मिलता था।
13 मैंने बिस्तर पर लेटे दर्शन में आगे देखा कि एक पहरेदार, एक पवित्र दूत स्वर्ग से उतर रहा है।+ 14 उसने बुलंद आवाज़ में कहा, “इस पेड़ को काट डालो,+ इसकी डालियाँ काट दो, पत्ते झाड़ दो और फल बिखरा दो! इसके नीचे से जानवर भाग जाएँ और डालियों से पंछी उड़ जाएँ। 15 मगर इसके ठूँठ को जड़ों समेत ज़मीन में ही रहने दो। और ठूँठ को लोहे और ताँबे के एक बंधन से बाँधकर मैदान में घास के बीच छोड़ दो। यह आकाश की ओस से भीगा करे और जानवरों के साथ रहे।+ 16 इसका मन बदल जाए, इंसान का न रहकर जानवर का मन हो जाए और सात काल+ बीतें।+ 17 पहरेदारों+ ने यही आदेश सुनाया है और पवित्र दूतों ने इस फैसले का ऐलान किया है ताकि धरती पर जीनेवाले सब लोग जान जाएँ कि इंसानी राज्यों पर परम-प्रधान परमेश्वर का राज है+ और वह जिसे चाहे उसके हाथ में राज देता है, वह छोटे-से-छोटे इंसान को भी राज करने के लिए ठहराता है।”
18 यही वह सपना था जो मैंने, राजा नबूकदनेस्सर ने देखा। अब हे बेलतशस्सर, तू इसका मतलब बता क्योंकि मेरे राज्य के बाकी ज्ञानियों में से कोई भी इसका मतलब नहीं बता पाया है।+ मगर तू बता सकता है क्योंकि तुझमें पवित्र ईश्वरों की शक्ति है।’
19 तब दानियेल, जिसका नाम बेलतशस्सर है,+ एक पल के लिए बिलकुल सुन्न हो गया और कुछ सोचकर घबराने लगा।
राजा ने कहा, ‘हे बेलतशस्सर, तू सपने और उसके मतलब के बारे में सोचकर मत घबरा।’
बेलतशस्सर ने कहा, ‘हे मेरे मालिक, यह सपना उन पर पूरा हो जो तुझसे नफरत करते हैं और इसका मतलब तेरे दुश्मनों पर लागू हो।
20 जो पेड़ तूने देखा था, जो बहुत बढ़ गया और मज़बूत हो गया था, जिसकी ऊँचाई आसमान छू रही थी और पूरी धरती से नज़र आती थी,+ 21 जिसके पत्ते बहुत सुंदर थे, जो फलों से लदा हुआ था, जिससे सबको खाना मिलता था, जिसके नीचे मैदान के जानवर रहते थे और डालियों पर आकाश के पंछी बसेरा करते थे,+ 22 वह पेड़ तू ही है क्योंकि हे राजा, तू बहुत महान और ताकतवर हो गया है और तेरा वैभव आसमान तक पहुँच गया है+ और तेरा राज धरती के कोने-कोने तक फैल गया है।+
23 और राजा ने एक पहरेदार को, एक पवित्र दूत+ को स्वर्ग से उतरते देखा जो कह रहा था, “इस पेड़ को काट डालो और इसे नाश कर दो। मगर इसके ठूँठ को जड़ों समेत ज़मीन में ही रहने दो और ठूँठ को लोहे और ताँबे के एक बंधन से बाँधकर मैदान की घास के बीच रहने दो। यह आकाश की ओस से भीगा करे और तब तक मैदान के जानवरों के साथ रहे जब तक कि सात काल न बीत जाएँ।”+ 24 हे राजा, अब सुन कि इसका मतलब क्या है। यह परम-प्रधान का फैसला है जो मेरे मालिक राजा पर बीतना तय है। 25 तुझे इंसानों के बीच से खदेड़ दिया जाएगा और तू मैदान के जानवरों के साथ रहा करेगा। तू बैलों की तरह घास-पत्ते खाएगा। तू आकाश की ओस से भीगा करेगा+ और तुझ पर सात काल+ बीतेंगे।+ तब जाकर तू जान जाएगा कि इंसानी राज्यों पर परम-प्रधान परमेश्वर का राज है और वह जिसे चाहे उसके हाथ में राज देता है।+
26 मगर उन्होंने यह भी कहा कि ठूँठ को जड़ों समेत छोड़ दिया जाए।+ इसका मतलब यह है: जब तू जान लेगा कि स्वर्ग में कोई है जो राज करता है* तो तेरा राज तुझे लौटा दिया जाएगा। 27 इसलिए हे राजा, मेहरबानी करके मेरी यह सलाह मान। अपने पापों से फिरकर सही काम कर और दुष्ट काम छोड़कर गरीबों पर दया कर। हो सकता है तेरी खुशहाली के दिन और बढ़ा दिए जाएँ।’”+
28 ये सारी बातें राजा नबूकदनेस्सर पर घटीं।
29 बारह महीने बाद जब राजा बैबिलोन में अपने राजमहल की छत पर टहल रहा था, 30 तब वह कहने लगा, “क्या यह महानगरी बैबिलोन नहीं जिसे मैंने अपने बल से, अपनी ताकत से बनाया है ताकि यह राज-निवास हो और इससे मेरा प्रताप और ऐश्वर्य बढ़े?”
31 राजा अपनी बात पूरी कर भी नहीं पाया था कि आकाश से एक आवाज़ सुनायी दी: “हे राजा नबूकदनेस्सर, तेरे लिए यह संदेश है, ‘राज तेरे हाथ से ले लिया गया है+ 32 और तुझे इंसानों के बीच से खदेड़ दिया जाएगा। तू मैदान के जानवरों के साथ रहेगा और बैलों की तरह घास-पत्ते खाएगा और तुझ पर सात काल गुज़रेंगे। तब जाकर तू जान जाएगा कि इंसानी राज्यों पर परम-प्रधान परमेश्वर का राज है और वह जिसे चाहे उसके हाथ में राज देता है।’”+
33 उसी पल यह बात नबूकदनेस्सर पर पूरी हो गयी। उसे इंसानों के बीच से खदेड़ दिया गया और वह बैलों की तरह घास-पत्ते खाने लगा। उसका शरीर आकाश की ओस से भीगता रहा। उसके बाल उकाबों के पंखों जैसे लंबे हो गए और नाखून पक्षियों के चंगुलों जैसे हो गए।+
34 “उस समय के आखिर में+ मैंने, नबूकदनेस्सर ने ऊपर स्वर्ग की ओर देखा और मेरा दिमाग दुरुस्त हो गया और मैंने परम-प्रधान परमेश्वर की तारीफ की, सदा तक रहनेवाले परमेश्वर की तारीफ और महिमा की, क्योंकि उसका राज सदा कायम रहनेवाला राज है और उसका राज पीढ़ी-दर-पीढ़ी बना रहता है।+ 35 उसके सामने धरती के निवासी कुछ भी नहीं हैं। वह आकाश की सेना और धरती के निवासियों के साथ वही करता है जो उसकी मरज़ी के मुताबिक है। उसे कोई रोक नहीं सकता,*+ न ही उससे कह सकता है, ‘यह तूने क्या किया?’+
36 उस वक्त मेरा दिमाग दुरुस्त हो गया और मेरे राज का प्रताप, मेरा वैभव और मेरी शान मुझे लौटा दी गयी।+ मेरे बड़े-बड़े अधिकारी और रुतबेदार लोग मुझसे मिलने के लिए बेताब होने लगे। मेरा राज मुझे लौटा दिया गया और मुझे पहले से ज़्यादा महान किया गया।
37 अब मैं नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा की तारीफ और बड़ाई करता हूँ, उसकी महिमा करता हूँ+ क्योंकि उसके सभी काम सच्चाई के मुताबिक हैं और उसकी राहें न्याय के मुताबिक हैं+ और जो घमंड करते हैं उन्हें वह नीचा कर सकता है।”+
5 राजा बेलशस्सर+ ने एक बड़ी और आलीशान दावत रखी और अपने हज़ार रुतबेदार लोगों को न्यौता दिया। उसने उन सबके सामने दाख-मदिरा पी।+ 2 बेलशस्सर ने नशे में धुत्त होकर हुक्म दिया कि उसका पिता नबूकदनेस्सर, यरूशलेम के मंदिर से सोने-चाँदी के जो प्याले और कटोरे उठा लाया था,+ वे अब उसके सामने लाए जाएँ ताकि वह और उसके रुतबेदार लोग और उसकी रखैलियाँ और दूसरी पत्नियाँ उनमें से पीएँ। 3 तब सोने के वे बरतन लाए गए जो यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के मंदिर से उठाकर लाए गए थे। राजा, उसके रुतबेदार लोग, उसकी रखैलियाँ और दूसरी पत्नियाँ, सब उनमें से पीने लगे। 4 वे दाख-मदिरा पीकर उन देवताओं की बड़ाई करने लगे जो सोने-चाँदी, ताँबे, लोहे, लकड़ी और पत्थर के बने थे।
5 तब अचानक एक आदमी का हाथ दिखायी दिया और दीवट के पास राजमहल की दीवार के पलस्तर पर कुछ लिखने लगा। राजा ने उस हाथ को दीवार पर लिखते हुए देखा। 6 राजा का चेहरा पीला पड़ गया* और वह कुछ सोचकर घबराने लगा। उसकी कमर के जोड़ हिलने लगे+ और घुटने आपस में टकराने लगे।
7 राजा ने ज़ोर से चिल्लाकर कहा कि तांत्रिकों, कसदियों* और ज्योतिषियों को बुलाया जाए।+ राजा ने बैबिलोन के ज्ञानियों से कहा, “जो कोई यह लिखावट पढ़कर मुझे इसका मतलब बताएगा उसे बैंजनी कपड़ा पहनाया जाएगा, उसके गले में सोने का हार डाला जाएगा+ और उसे इस राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शासक बनाया जाएगा।”+
8 तब राजा के सभी ज्ञानी आए, मगर वे न तो लिखावट पढ़ सके, न ही उसका मतलब राजा को बता सके।+ 9 इसलिए राजा बेलशस्सर बहुत घबरा गया और उसका चेहरा पीला पड़ गया। उसके रुतबेदार लोग भी उलझन में पड़ गए।+
10 राजा और उसके रुतबेदार लोगों की बातें सुनकर रानी दावत-खाने में आयी। रानी ने कहा, “हे राजा, तू युग-युग जीए। तेरा चेहरा क्यों पीला पड़ गया? तुझे खौफ खाने की ज़रूरत नहीं। 11 तेरे राज्य में एक आदमी* है जिसमें पवित्र ईश्वरों की शक्ति है। तेरे पिता के दिनों में उस आदमी में ईश्वरों जैसा ज्ञान, अंदरूनी समझ और बुद्धि पायी गयी थी।+ तेरे पिता राजा नबूकदनेस्सर ने उसे जादू-टोना करनेवाले पुजारियों, तांत्रिकों, कसदियों* और ज्योतिषियों का प्रधान ठहराया था।+ हे राजा, तेरे पिता ने वाकई ऐसा किया था। 12 दानियेल, जिसका नाम राजा ने बेलतशस्सर रखा था,+ बहुत काबिल था, उसमें ज्ञान और अंदरूनी समझ थी, इसलिए वह सपनों का मतलब बता सकता था, पहेलियाँ बुझा सकता था और कोई भी गुत्थी सुलझा सकता था।+ इसलिए दानियेल को बुला, वह तुझे इस लिखावट का मतलब बताएगा।”
13 तब दानियेल को राजा के सामने लाया गया। राजा ने दानियेल से पूछा, “क्या तू दानियेल है? क्या तू उन लोगों में से है जिन्हें मेरा पिता यानी राजा यहूदा से बंदी बनाकर लाया था?+ 14 मैंने सुना है कि तुझमें ईश्वरों की शक्ति है+ और तेरे पास कमाल की बुद्धि, ज्ञान और अंदरूनी समझ है।+ 15 मेरे सामने ज्ञानियों और तांत्रिकों को लाया गया ताकि वे यह लिखावट पढ़कर इसका मतलब मुझे बताएँ, मगर वे नहीं बता पा रहे हैं।+ 16 लेकिन मैंने सुना है कि तेरे पास रहस्य खोलने और गुत्थी सुलझाने की काबिलीयत है।+ इसलिए अगर तू यह लिखावट पढ़कर इसका मतलब मुझे बताए तो तुझे बैंजनी कपड़ा पहनाया जाएगा, तेरे गले में सोने का हार डाला जाएगा और तुझे इस राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शासक बनाया जाएगा।”+
17 दानियेल ने राजा से कहा, “मुझे तेरे तोहफे नहीं चाहिए, तू चाहे तो ये सब किसी और को दे दे। फिर भी, मैं राजा को यह लिखावट पढ़कर सुनाऊँगा और इसका मतलब बताऊँगा। 18 हे राजा, परम-प्रधान परमेश्वर ने तेरे पिता नबूकदनेस्सर को राज, महानता, सम्मान और प्रताप दिया था।+ 19 परमेश्वर की बदौलत उसे जो महानता हासिल हुई थी, उस वजह से सभी राष्ट्रों और भाषाओं के लोग उसके सामने थर-थर काँपते थे।+ वह जिसे चाहे मार डालता और जिसे चाहे ज़िंदा छोड़ देता था, जिसे चाहे सम्मान देता और जिसे चाहे नीचा करता था।+ 20 मगर जब उसका मन घमंड से फूल गया और वह ढीठ हो गया और गुस्ताखी करने लगा,+ तो उसे राजगद्दी से नीचे उतारा गया और उसकी गरिमा उससे छीन ली गयी। 21 उसे इंसानों के बीच से खदेड़ दिया गया, उसका मन जानवर के मन जैसा हो गया और वह जंगली गधों के साथ रहने लगा। वह बैलों की तरह घास-पत्ते खाता और उसका शरीर आकाश की ओस से भीगा करता था। ऐसा तब तक होता रहा जब तक कि उसने नहीं जान लिया कि इंसानी राज्यों पर परम-प्रधान परमेश्वर का राज है और वह जिसे चाहे उसे राज करने के लिए ठहराता है।+
22 मगर हे बेलशस्सर, तू जो उसका बेटा है, तूने यह सब जानते हुए भी अपने मन को नम्र नहीं किया। 23 इसके बजाय तूने स्वर्ग के मालिक, परमेश्वर के खिलाफ जाकर खुद को ऊँचा उठाया+ और तूने उसके भवन के बरतन मँगाए।+ फिर तू और तेरे रुतबेदार लोग, तेरी रखैलियाँ और दूसरी पत्नियाँ, सब उनमें से पीने लगे और तुम सबने उन देवताओं की बड़ाई की जो सोने-चाँदी, ताँबे, लोहे, लकड़ी और पत्थर के बने हैं, जो न कुछ देख-सुन सकते हैं और न ही कुछ जानते हैं।+ मगर तूने उस परमेश्वर की महिमा नहीं की जिसकी बदौलत तू साँस ले रहा है और जिसके हाथ में तेरी ज़िंदगी है।+ 24 इसलिए परमेश्वर ने इस हाथ को भेजा और ये शब्द लिखे गए।+ 25 यहाँ लिखे गए शब्द हैं: मने, मने, तकेल और परसीन।
26 इन शब्दों का मतलब यह है: मने, यानी परमेश्वर ने तेरे राज के दिन गिने हैं और उसका अंत कर दिया है।+
27 तकेल, यानी तुझे तराज़ू में तौला गया और तू हलका पाया गया है।
28 परेस, यानी तेरा राज्य बाँट दिया गया है और मादियों और फारसियों को दे दिया गया है।”+
29 फिर बेलशस्सर के हुक्म पर दानियेल को बैंजनी कपड़ा पहनाया गया, उसके गले में सोने का हार डाला गया और यह ऐलान किया गया कि वह इस राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शासक होगा।+
30 उसी रात कसदी राजा बेलशस्सर मार डाला गया।+ 31 और उसका राज्य मादी दारा+ को मिल गया। दारा करीब 62 साल का था।
6 दारा को अपने पूरे राज्य पर 120 सूबेदारों को ठहराना सही लगा।+ 2 और उन सूबेदारों पर तीन बड़े-बड़े अधिकारी ठहराए गए जिनमें से एक दानियेल था।+ सूबेदार+ इन अधिकारियों को सारी बातों की खबर देते थे ताकि राजा को कोई नुकसान न हो। 3 दानियेल बहुत ही काबिल था इसलिए वह दूसरे बड़े-बड़े अधिकारियों और सूबेदारों में सबसे खास नज़र आने लगा।+ राजा ने फैसला किया कि वह उसे और भी ऊँचा पद देकर पूरे राज्य पर अधिकार सौंपेगा।
4 उस समय बड़े-बड़े अधिकारी और सूबेदार राज-काज के मामले में दानियेल में दोष ढूँढ़ने लगे ताकि उस पर कोई इलज़ाम लगा सकें। मगर उन्हें उसमें कोई दोष नहीं मिला, न ही उसके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत मिला क्योंकि वह एक भरोसेमंद इंसान था, अपने काम में लापरवाह नहीं था और बेईमानी नहीं करता था। 5 वे आदमी कहने लगे, “हमें इस दानियेल में कोई दोष नहीं मिलेगा जिससे हम उस पर इलज़ाम लगा सकें। हमें उसकी शिकायत के लिए कोई ऐसी बात ढूँढ़नी होगी जो उसके परमेश्वर के नियमों से संबंध रखती हो।”+
6 इसलिए वे बड़े-बड़े अधिकारी और सूबेदार टोली बनाकर राजा के सामने गए और कहने लगे, “हे राजा दारा, तू युग-युग जीए। 7 राज्य के सभी बड़े-बड़े अधिकारियों, प्रशासकों, सूबेदारों, ऊँचे ओहदे के अधिकारियों और राज्यपालों ने आपस में मशविरा करके तय किया है कि लोगों पर पाबंदी लगाने का एक शाही फरमान जारी किया जाए कि अगर 30 दिन तक कोई भी राजा को छोड़ किसी और देवता या इंसान से बिनती करे तो उसे शेरों की माँद में फेंक दिया जाएगा।+ 8 इसलिए हे राजा, तू यह फरमान जारी कर दे और इस पर दस्तखत कर दे+ ताकि मादियों और फारसियों के कानून के मुताबिक यह बदला न जाए और न ही रद्द किया जाए।”+
9 इसलिए राजा दारा ने पाबंदी के उस फरमान पर दस्तखत कर दिए।
10 मगर जैसे ही दानियेल को पता चला कि उस फरमान पर राजा ने दस्तखत कर दिए हैं, वह अपने घर गया जिसके ऊपरी कमरे की खिड़कियाँ यरूशलेम की तरफ खुलती थीं।+ और पहले की तरह वह हर दिन तीन बार घुटने टेककर अपने परमेश्वर से प्रार्थना करता रहा और उसकी तारीफ करता रहा। 11 तभी वे आदमी धड़धड़ाते हुए अंदर घुस आए और उन्होंने देखा कि दानियेल अपने परमेश्वर से बिनती कर रहा है और उससे कृपा के लिए मिन्नतें कर रहा है।
12 तब वे राजा के पास गए और उन्होंने उसे पाबंदी के बारे में याद दिलाते हुए कहा, “हे राजा, क्या तूने एक फरमान पर दस्तखत नहीं किए थे कि 30 दिन तक अगर कोई राजा को छोड़ किसी और देवता या इंसान से बिनती करेगा, तो उसे शेरों की माँद में फेंक दिया जाएगा?” राजा ने कहा, “बेशक किया था और मादियों और फारसियों के अटल कानून के मुताबिक यह फरमान रद्द नहीं किया जा सकता।”+ 13 उन्होंने फौरन राजा से कहा, “हे राजा, वह दानियेल, जो यहूदा से लाए गए बंदियों में से है,+ उसने तेरी बिलकुल कदर नहीं की, न ही उस फरमान की कोई परवाह की जिस पर तूने दस्तखत किए थे। वह दिन में तीन बार प्रार्थना करता है।”+ 14 जैसे ही राजा ने यह बात सुनी उसे बहुत दुख हुआ और वह दानियेल को बचाने की तरकीब सोचने लगा। सूरज ढलने तक उसने दानियेल को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की। 15 आखिरकार, वे आदमी टोली बनाकर राजा के पास आए और कहने लगे, “हे राजा, मत भूल कि यह मादियों और फारसियों का कानून है कि राजा जो फरमान जारी करता है या पाबंदी लगाता है, उसे बदला नहीं जा सकता।”+
16 तब राजा ने हुक्म दिया और उन्होंने दानियेल को ले जाकर शेरों की माँद में फेंक दिया।+ राजा ने दानियेल से कहा, “तेरा परमेश्वर, जिसकी तू बिना नागा सेवा करता है, तुझे ज़रूर छुड़ाएगा।” 17 फिर एक पत्थर लाया गया और उसे माँद के मुहाने पर रखा गया। राजा ने अपनी मुहरवाली अँगूठी और अपने अधिकारियों की मुहरवाली अँगूठी से उस पर मुहर लगा दी ताकि दानियेल के बारे में किया गया फैसला बदला न जा सके।
18 फिर राजा अपने महल चला गया। उसने पूरी रात कुछ नहीं खाया और मन-बहलाव करने से इनकार कर दिया* और वह रात-भर सो नहीं सका।* 19 सुबह सूरज की पहली किरण पड़ते ही राजा उठा और जल्दी से शेरों की माँद के पास गया। 20 माँद के पास जाते ही राजा ने दुख-भरी आवाज़ में दानियेल को पुकारा, “हे दानियेल, जीवित परमेश्वर के सेवक, क्या तेरे परमेश्वर ने, जिसकी तू बिना नागा सेवा करता है, तुझे शेरों से बचा लिया है?” 21 दानियेल ने फौरन राजा से कहा, “हे राजा, तू युग-युग जीए। 22 मेरे परमेश्वर ने अपने स्वर्गदूत को भेजकर शेरों का मुँह बंद कर दिया+ और उन्होंने मुझे कुछ नहीं किया।+ ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं परमेश्वर के सामने बेगुनाह हूँ और हे राजा, मैंने तेरा भी कुछ बुरा नहीं किया।”
23 राजा खुशी से फूला नहीं समाया और उसने आज्ञा दी कि दानियेल को माँद में से ऊपर निकाला जाए। तब दानियेल को माँद में से ऊपर निकाला गया। उसके शरीर पर एक खरोंच तक नहीं थी क्योंकि उसने अपने परमेश्वर पर भरोसा रखा था।+
24 फिर राजा के हुक्म पर उन आदमियों को लाया गया जिन्होंने दानियेल पर इलज़ाम लगाया था।* और उन्हें उनके बीवी-बच्चों के साथ शेरों की माँद में फेंक दिया गया। वे माँद की तह तक पहुँचे भी न थे कि शेर उन पर झपट पड़े और उनकी हड्डियाँ तोड़ डालीं।+
25 फिर राजा दारा ने सारी धरती पर रहनेवाले सब राष्ट्रों और भाषाओं के लोगों+ को यह संदेश लिखकर भेजा: “तुम्हारा सुख-चैन बढ़ता रहे! 26 मैं एक फरमान जारी कर रहा हूँ कि मेरे राज्य के हर इलाके में रहनेवाले लोग दानियेल के परमेश्वर का डर मानें और उसका आदर करें,+ क्योंकि वही जीवित परमेश्वर है और युग-युग तक बना रहता है। उसका राज कभी नाश नहीं किया जाएगा और उसका राज करने का अधिकार सदा बना रहेगा।+ 27 वह अपने लोगों को छुड़ाता और बचाता है+ और आकाश और धरती पर चिन्ह और अजूबे दिखाता है।+ इसीलिए उसने दानियेल को शेरों के पंजों से बचा लिया है।”
28 इस तरह दानियेल दारा के राज में और फारसी राजा कुसरू के राज में भी कामयाब हुआ।+
7 बैबिलोन के राजा बेलशस्सर+ के राज के पहले साल, दानियेल ने बिस्तर पर लेटे एक सपना और कुछ दर्शन देखे।+ फिर उसने लिखा कि उसने क्या सपना देखा था।+ उसने जो-जो देखा, उसका पूरा ब्यौरा लिखा। 2 दानियेल ने कहा,
“मैंने रात को दर्शन में यह देखा: आकाश के चारों तरफ से आँधी चलने लगी, जो विशाल समुंदर में हलचल मचाने लगी!+ 3 समुंदर में से चार बड़े-बड़े जानवर+ निकले, जो एक-दूसरे से अलग थे।
4 पहला जानवर शेर जैसा था+ और उसके उकाब जैसे पंख थे।+ मैं उसे देख ही रहा था कि उसके पंख नोच दिए गए और उसे ज़मीन से ऊपर उठाया गया और एक आदमी की तरह दो पैरों पर खड़ा किया गया और उसे एक इंसान का दिल दिया गया।
5 फिर मैंने दूसरा जानवर देखा, जो रीछ जैसा था!+ उसका शरीर एक तरफ से उठा हुआ था और उसके मुँह में दाँतों के बीच तीन पसलियाँ थीं। उससे कहा गया, ‘उठ, खूब माँस खा।’+
6 मैंने दर्शन में आगे देखा कि एक और जानवर निकला जो चीते जैसा था!+ मगर उसकी पीठ पर पक्षियों जैसे चार पंख थे। उस जानवर के चार सिर थे+ और उसे राज करने का अधिकार दिया गया।
7 फिर मैंने दर्शन में चौथा जानवर देखा, जो बड़ा ही खूँखार और डरावना था। वह बहुत ताकतवर था और उसके बड़े-बड़े लोहे के दाँत थे। वह सबकुछ खा जाता और चूर-चूर कर देता और जो कुछ बच जाता उसे पैरों से रौंद डालता।+ वह उससे पहले के सभी जानवरों से अलग था और उसके दस सींग थे। 8 मैं उन सींगों पर गौर कर ही रहा था कि उनके बीच से एक छोटा सींग निकल आया!+ फिर उस छोटे सींग के सामने पहलेवाले सींगों में से तीन उखाड़ दिए गए। फिर मैंने देखा कि उस छोटे सींग में इंसान जैसी आँखें थीं और एक मुँह भी था जो बड़ी-बड़ी डींगें मारता था!+
9 मैं दर्शन देख ही रहा था कि राजगद्दियाँ रखी गयीं और ‘अति प्राचीन’+ अपनी राजगद्दी पर विराजमान हुआ।+ उसकी पोशाक बर्फ जैसी उजली थी+ और उसके सिर के बाल ऊन जैसे सफेद थे। उसकी राजगद्दी आग की ज्वाला थी और राजगद्दी के पहिए धधकती आग थे।+ 10 उसके सामने से आग की धारा बह रही थी।+ हज़ारों-हज़ार स्वर्गदूत उसकी सेवा कर रहे थे, लाखों-लाख उसके सामने खड़े थे।+ फिर अदालत+ की कार्रवाई शुरू हुई और किताबें खोली गयीं।
11 मैं देखता रहा क्योंकि वह सींग बड़ी-बड़ी डींगें हाँक रहा था।+ मैं देख ही रहा था कि वह जानवर मार डाला गया और उसकी लाश आग में डालकर भस्म कर दी गयी। 12 मगर जहाँ तक बाकी जानवरों की बात है,+ उनका राज करने का अधिकार छीन लिया गया और उन्हें कुछ समय और जीने दिया गया।
13 मैंने रात के दर्शनों में आगे देखा कि इंसान के बेटे+ जैसा कोई आकाश के बादलों के साथ आ रहा है! उसे ‘अति प्राचीन’+ के पास जाने की इजाज़त दी गयी और वे उसे उसके सामने ले गए। 14 उसे राज करने का अधिकार,+ सम्मान+ और एक राज दिया गया ताकि सब राष्ट्रों और भाषाओं के लोग उसकी सेवा करें।+ उसका राज करने का अधिकार सदा बना रहेगा, वह कभी नहीं मिटेगा और उसका राज कभी नाश नहीं होगा।+
15 मैं दानियेल मन-ही-मन बहुत परेशान हो उठा, क्योंकि मैं उन दर्शनों से बहुत डर गया था।+ 16 वहाँ जो खड़े थे, उनमें से एक के पास मैं गया ताकि उससे पूछूँ कि उन दर्शनों का असल मतलब क्या है। तब उसने मुझे जवाब दिया और बताया कि उन बातों का मतलब क्या है।
17 ‘ये चार बड़े-बड़े जानवर+ चार राजा हैं जो धरती से उठेंगे।+ 18 मगर राज सबसे महान परमेश्वर के पवित्र जनों+ को दिया जाएगा+ और इस राज पर उनका सदा के लिए अधिकार होगा,+ हाँ, युग-युग तक उन्हीं का अधिकार होगा।’
19 फिर मैंने चौथे जानवर के बारे में ज़्यादा जानना चाहा, जो बाकी जानवरों से बिलकुल अलग था। वह बहुत ही भयानक था और उसके लोहे के दाँत और ताँबे के पंजे थे। वह सबकुछ खा जाता और चूर-चूर कर देता था और जो कुछ बच जाता उसे पैरों से रौंद डालता था।+ 20 मैंने उसके सिर के दस सींगों+ के बारे में भी जानना चाहा और उस दूसरे सींग के बारे में भी, जो बाद में निकल आया था और जिसके सामने तीन सींग उखड़कर गिर गए थे।+ उस सींग की आँखें थीं और एक मुँह भी था जिससे वह बड़ी-बड़ी डींगें मारता था। वह सींग बाकी सींगों से बहुत बड़ा था।
21 मैंने आगे देखा कि वह सींग पवित्र जनों से युद्ध करने लगा और तब तक उन पर अपना ज़ोर आज़माता रहा+ 22 जब तक कि ‘अति प्राचीन’+ न आया और सबसे महान परमेश्वर के पवित्र जनों के पक्ष में फैसला न सुनाया गया।+ और तब वह तय समय आ गया कि पवित्र जन राज पर अधिकार करें।+
23 जो मुझे दर्शन समझा रहा था उसने मुझसे कहा, ‘चौथा जानवर, चौथे राज को दर्शाता है जो धरती पर आएगा। वह बाकी सभी राज्यों से अलग होगा, वह पूरी धरती को खा जाएगा, उसे पैरों तले रौंद डालेगा और चूर-चूर कर देगा।+ 24 दस सींग दस राजाओं को दर्शाते हैं जो उसी राज में से निकलेंगे और उनके बाद एक और राजा आएगा जो पहले के राजाओं से अलग होगा और तीन राजाओं को नीचा दिखाएगा।+ 25 वह परम-प्रधान परमेश्वर के खिलाफ बातें करेगा+ और सबसे महान परमेश्वर के पवित्र जनों को सताता रहेगा। वह समय और कानून को बदलने की कोशिश करेगा और पवित्र जनों को उसके हाथ में एक काल, दो काल और आधे काल* के लिए दे दिया जाएगा।+ 26 मगर फिर अदालत की कार्रवाई शुरू हुई और उन्होंने उसका राज करने का अधिकार छीन लिया ताकि उसे मिटा दें और पूरी तरह नाश कर दें।+
27 और आकाश के नीचे के सारे राज्य और राज करने का अधिकार और उनका वैभव सबसे महान परमेश्वर के पवित्र जनों को दे दिया गया।+ उनका राज सदा तक कायम रहनेवाला राज है+ और सारे राज्य उनकी सेवा करेंगे और उनकी आज्ञा मानेंगे।’
28 मेरे दर्शन का ब्यौरा यहीं खत्म होता है। मैं दानियेल, दर्शन की बातें सोचकर बहुत घबरा गया, मेरा चेहरा पीला पड़ गया,* मगर मैंने यह बात अपने दिल में ही रखी।”
8 राजा बेलशस्सर+ के राज के तीसरे साल मुझ दानियेल को एक और दर्शन मिला।+ 2 मैं एलाम प्रांत*+ में शूशन*+ नाम के किले* में था। मैं ऊलै की नहर के पास था। 3 मैंने नज़रें उठायीं तो देखा कि नहर के सामने एक मेढ़ा+ खड़ा है और उसके दो सींग हैं!+ दोनों सींग लंबे थे, मगर एक सींग दूसरे से ज़्यादा लंबा था। लंबा सींग बाद में निकला था।+ 4 मैंने देखा कि मेढ़ा पश्चिम, उत्तर और दक्षिण की तरफ सींग मार रहा है और कोई भी जंगली जानवर उसके सामने टिक नहीं पा रहा था और ऐसा कोई नहीं था जो उसके हाथ से किसी को छुड़ा सके।+ वह अपनी मन-मरज़ी कर रहा था और खुद को ऊँचा उठा रहा था।
5 फिर मैंने देखा कि पश्चिम से एक बकरा+ आ रहा है जो पूरी धरती पर इतनी तेज़ी से गुज़र रहा था कि उसके पैर ज़मीन को नहीं छू रहे थे! उस बकरे की आँखों के बीच एक सींग था जो देखनेलायक था।+ 6 वह उस दो सींगोंवाले मेढ़े की तरफ आ रहा था जिसे मैंने नहर के पास खड़े देखा था। बकरा गुस्से से भरा हुआ उसकी तरफ दौड़ रहा था।
7 मैंने देखा कि बकरा मेढ़े पर झुँझलाता हुआ उसके बिलकुल पास आ रहा था। वह मेढ़े पर लपका और उसे गिरा दिया और उसके दोनों सींग तोड़ दिए। मेढ़े के पास उसका सामना करने की ताकत नहीं थी। बकरे ने उसे ज़मीन पर गिराकर रौंद दिया और मेढ़े को बकरे के हाथ से छुड़ानेवाला कोई न था।
8 फिर उस बकरे ने खुद को बहुत ऊँचा उठाया। मगर जैसे ही वह ताकतवर हुआ उसका बड़ा सींग तोड़ दिया गया। फिर उस सींग की जगह ऐसे चार सींग निकल आए जो देखनेलायक थे। ये चार सींग धरती की चार दिशाओं की तरफ बढ़ने लगे।+
9 उन चार सींगों में से एक सींग से एक और सींग निकल आया जो छोटा था। यह छोटा सींग दक्षिण और पूरब की तरफ और सुंदर देश* की तरफ बढ़-चढ़कर अपनी ताकत दिखाने लगा।+ 10 यह इतना ताकतवर हो गया कि आकाश की सेना तक पहुँच गया और इसने सेना में से कुछ को और कुछ तारों को धरती पर गिरा दिया और उन्हें रौंद डाला। 11 यहाँ तक कि उसने उस सेना के हाकिम को चुनौती दी और उसकी नियमित बलियाँ छीन ली गयीं और उसका ठहराया हुआ पवित्र-स्थान गिरा दिया गया।+ 12 अपराध की वजह से एक सेना और नियमित बलियाँ उसके हवाले कर दी गयीं और वह सच्चाई को धरती पर गिराता रहा और अपने काम में कामयाब हो गया।
13 फिर मैंने एक पवित्र दूत को बात करते सुना। और एक दूसरे पवित्र दूत ने उससे कहा, “वह दर्शन कब तक पूरा होता रहेगा जो नियमित बलियों और उस अपराध के बारे में है जिससे तबाही मचती है?+ कब तक पवित्र जगह और सेना को रौंदा जाएगा?” 14 उसने मुझसे कहा, “जब तक कि 2,300 शाम और सुबह नहीं बीत जाते। फिर पवित्र जगह को ज़रूर पहले की तरह सही हालत में लाया जाएगा।”
15 मैं दानियेल दर्शन देख रहा था और उसे समझने की कोशिश कर रहा था कि तभी अचानक मैंने देखा कि एक आदमी जैसा कोई मेरे सामने खड़ा है। 16 फिर मैंने ऊलै+ के बीच खड़े एक आदमी की आवाज़ सुनी। उसने पुकारकर कहा, “जिब्राईल,+ इस आदमी ने जो देखा है उसका मतलब इसे समझा।”+ 17 तब वह उस जगह आया जहाँ मैं खड़ा था। मगर जब वह आया तो मैं इतना डर गया कि मैं मुँह के बल गिर पड़ा। उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, तू यह जान ले कि यह दर्शन अंत के समय में पूरा होगा।”+ 18 मगर जब वह मुझसे बात कर रहा था तो मैं मुँह के बल ज़मीन पर गिर गया और गहरी नींद सो गया। उसने मुझे छुआ और मुझे वहाँ खड़ा किया जहाँ मैं पहले खड़ा था।+ 19 फिर उसने कहा, “अब मैं तुझे बताऊँगा कि परमेश्वर के क्रोध के समय के आखिर में क्या होगा, क्योंकि यह दर्शन अंत के तय समय में पूरा होगा।+
20 तूने जो दो सींगोंवाला मेढ़ा देखा वह मादै और फारस के राजाओं को दर्शाता है।+ 21 रोएँदार बकरा यूनान के राजा को दर्शाता है+ और उसकी आँखों के बीच बड़ा सींग यूनान के पहले राजा को दर्शाता है।+ 22 वह सींग तोड़ दिया गया और उसके बदले चार सींग निकल आए,+ उसका मतलब यह है कि उसके राष्ट्र से चार राज्य उभर आएँगे मगर वे राज्य उस राजा के जितने ताकतवर नहीं होंगे।
23 उनके राज्य के आखिरी दौर में, जब अपराधी अपराध करने में हद कर जाएँगे, तब एक ऐसा खूँखार राजा उभरेगा जो उलझानेवाली बातें समझता होगा।* 24 वह बहुत ताकतवर हो जाएगा मगर अपने दम पर नहीं। वह बड़े ही अनोखे तरीके से तबाही मचाएगा* और अपने हर काम में कामयाब होगा। वह शक्तिशाली लोगों को और पवित्र जनों को भी नाश कर देगा।+ 25 वह कामयाब होने के लिए चालाकी से दूसरों को धोखा देगा, मन-ही-मन खुद को बहुत ऊँचा समझेगा और अमन-चैन के दौर में* बहुत-से लोगों को नाश कर देगा। यहाँ तक कि वह हाकिमों के हाकिम से भी लड़ेगा, मगर वह किसी इंसान के हाथ लगाए बगैर तोड़ दिया जाएगा।
26 शाम और सुबह के बारे में दर्शन में जो कहा गया था वह सच है, मगर तू यह दर्शन राज़ रखना क्योंकि यह आज से बहुत दिनों बाद* पूरा होगा।”+
27 मैं दानियेल पस्त हो गया और कुछ दिनों तक बीमार पड़ा रहा।+ फिर मैं उठा और राजा के काम में लग गया,+ मगर मैंने जो देखा था उसकी वजह से मैं सुन्न हो गया और कोई मेरी हालत नहीं समझ पाया था।+
9 यह मादियों के वंशज दारा का पहला साल था।+ दारा अहश-वेरोश का बेटा था और उसे कसदियों के राज्य का राजा बनाया गया था।+ 2 उसके राज के पहले साल मुझ दानियेल को किताबें* पढ़कर यह समझ मिली कि यरूशलेम 70 साल तक उजाड़ पड़ा रहेगा,+ ठीक जैसे यहोवा ने भविष्यवक्ता यिर्मयाह से कहा था।+ 3 इसलिए मैंने सच्चे परमेश्वर यहोवा की तरफ मुँह किया और उससे गिड़गिड़ाकर मिन्नतें कीं। साथ ही, मैंने उपवास किया,+ टाट ओढ़ा और खुद पर राख डाली। 4 मैंने अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना की और हमारे पाप कबूल करते हुए कहा,
“हे सच्चे परमेश्वर यहोवा, तू महान और विस्मयकारी परमेश्वर है, अपना करार निभाता है और जो तुझसे प्यार करते हैं और तेरी आज्ञाएँ मानते हैं, उन्हें तू अपने अटल प्यार का सबूत देता है।+ 5 हमने पाप किया, बुरे काम किए, दुष्ट काम किए और तुझसे बगावत की।+ हम तेरी आज्ञाओं और तेरे न्याय-सिद्धांतों से दूर चले गए। 6 हमने तेरे सेवकों, भविष्यवक्ताओं की बात नहीं सुनी+ जिन्होंने तेरे नाम से हमारे राजाओं, हाकिमों, पुरखों और देश के सभी लोगों को बताया था कि उन्हें क्या करना चाहिए। 7 हे यहोवा, तू नेक है, मगर हम शर्मिंदा हैं जैसे कि आज देखा जा सकता है। यहूदा के लोग, यरूशलेम के निवासी और पूरे इसराएल के लोग शर्मिंदा हैं, जो पास और दूर के उन सभी देशों में रहते हैं जहाँ तूने उन्हें तितर-बितर कर दिया क्योंकि उन्होंने तेरे साथ विश्वासघात किया था।+
8 हे यहोवा, हम और हमारे राजा, हाकिम और बाप-दादे शर्मिंदा हैं क्योंकि हमने तेरे खिलाफ पाप किया है। 9 हमारा परमेश्वर यहोवा दयालु और माफ करनेवाला परमेश्वर है,+ मगर हमने उससे बगावत की।+ 10 हमने अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा नहीं मानी और उसके कानून नहीं माने जो उसने अपने सेवक, भविष्यवक्ताओं के ज़रिए हमें दिए थे।+ 11 पूरे इसराएल ने तेरा कानून लाँघा और तेरी बात मानने के बजाय तुझसे मुँह मोड़ लिया। इसलिए तू हम पर वे सारे शाप ले आया जो तूने शपथ खाकर बताए थे और सच्चे परमेश्वर के सेवक मूसा के कानून में लिखवाए थे।+ हमने वाकई तेरे खिलाफ पाप किया है। 12 परमेश्वर ने हम पर बड़ी विपत्ति लाकर वह बात पूरी की,+ जो उसने हमारे बारे में और हम पर राज करनेवाले शासकों* के बारे में कही थी। यरूशलेम पर जैसा कहर ढाया गया था, वैसा आज तक आकाश के नीचे कहीं पर भी नहीं ढाया गया।+ 13 जैसे मूसा के कानून में लिखा था, हम पर ये सारी विपत्तियाँ आ पड़ीं,+ फिर भी हमने अपने परमेश्वर यहोवा से रहम की भीख नहीं माँगी, हमने गुनाह करना नहीं छोड़ा+ और तेरी सच्चाई को नहीं समझा।*
14 इसलिए यहोवा हम पर नज़र रखे हुए था और विपत्ति लाया, क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा जो कुछ करता है सही करता है, मगर हमने उसकी आज्ञा नहीं मानी।+
15 हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू अपने शक्तिशाली हाथ से अपने लोगों को मिस्र से निकाल लाया था+ और तूने एक बड़ा नाम कमाया जो आज तक मशहूर है।+ हमने पाप किया है और दुष्ट काम किए हैं। 16 हे यहोवा, तू जो हमेशा नेक काम करता है,+ मेहरबानी करके अपना क्रोध और जलजलाहट अपने शहर यरूशलेम से, अपने पवित्र पहाड़ से दूर कर दे। हमारे पुरखों के गुनाहों और हमारे पापों की वजह से यरूशलेम और तेरे लोग आस-पास के सभी लोगों के बीच बदनाम हो गए हैं।+ 17 हे हमारे परमेश्वर, अपने इस सेवक की प्रार्थना और मिन्नतें सुन। हे यहोवा, अपने नाम की खातिर अपने मुख का प्रकाश अपने पवित्र-स्थान पर चमका,+ जो उजाड़ पड़ा है।+ 18 हे मेरे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना पर कान लगा और सुन! अपनी आँखें खोलकर हमारी बदहाली देख और वह शहर जो तेरे नाम से जाना जाता है, उसकी हालत पर गौर कर। हम इसलिए मिन्नतें नहीं कर रहे हैं कि हमने नेक काम किए हैं बल्कि इसलिए कि तू बड़ा दयालु है।+ 19 हे यहोवा, हमारी प्रार्थना सुन। हे यहोवा, हमें माफ कर दे।+ हे यहोवा, हमारी प्रार्थना पर ध्यान दे और हमारी मदद कर! हे मेरे परमेश्वर, अपने नाम की खातिर देर मत कर क्योंकि तेरा शहर और तेरे लोग तेरे नाम से जाने जाते हैं।”+
20 मैं प्रार्थना कर रहा था और अपना और अपने लोगों का पाप कबूल कर रहा था और अपने परमेश्वर यहोवा से उसके पवित्र पहाड़+ की खातिर रहम की भीख माँग रहा था। 21 हाँ, मैं प्रार्थना कर ही रहा था कि जिब्राईल नाम का आदमी,+ जिसे मैंने पहले दर्शन में देखा था,+ मेरे पास आया। उस वक्त मैं बहुत पस्त हो चुका था और शाम का चढ़ावा अर्पित करने का समय हो रहा था। 22 उसने मुझे समझाते हुए कहा,
“दानियेल, अब मैं तुझे सब बातों को और भी अच्छी तरह जानने और समझने की काबिलीयत देने आया हूँ। 23 जब तू मिन्नतें करने लगा तो मुझे एक संदेश मिला और मैं तुझे वह संदेश बताने आया हूँ, क्योंकि तू परमेश्वर के लिए बहुत अनमोल है।*+ इसलिए इस संदेश पर गौर कर और दर्शन को समझ।
24 तेरे लोगों और तेरी पवित्र नगरी+ के लिए 70 हफ्ते* ठहराए गए हैं ताकि अपराध मिटा दिया जाए, पाप का अंत किया जाए,+ गुनाह के लिए प्रायश्चित किया जाए,+ सदा के लिए नेकी कायम की जाए,+ दर्शन और भविष्यवाणी पर मुहर लगायी जाए+ और परम-पवित्र का अभिषेक किया जाए। 25 तू यह बात जान और समझ ले कि जब यरूशलेम को बहाल करने और दोबारा बनाने की आज्ञा दी जाएगी,+ तब से लेकर मसीहा*+ यानी अगुवे+ के आने तक 7 हफ्ते बीतेंगे, फिर 62 हफ्ते बीतेंगे।+ वह नगरी बहाल की जाएगी। उसे बहाल किया जाएगा और एक चौक और नहर समेत दोबारा बनाया जाएगा, मगर मुसीबत के समय।
26 फिर 62 हफ्तों के बीतने पर मसीहा काट डाला जाएगा*+ और उसके पास कुछ नहीं बचेगा।+
और आनेवाले प्रधान की सेना नगरी और पवित्र जगह को नाश कर देगी।+ उसका अंत बाढ़ से होगा। और अंत तक युद्ध चलता रहेगा। और उसके लिए नाश तय किया गया है।+
27 और वह बहुतों के लिए करार को एक हफ्ते तक बरकरार रखेगा। और जब वह हफ्ता आधा बीत जाएगा तो वह बलिदान और चढ़ावे बंद करा देगा।+
और घिनौनी चीज़ों के पंख पर उजाड़नेवाला सवार होकर आएगा।+ और जो तय किया गया है, वह उजाड़ पड़ी हुई जगह पर भी तब तक उँडेला जाएगा जब तक कि वह खाक में नहीं मिल जाती।”
10 फारस के राजा कुसरू के राज के तीसरे साल+ मुझ दानियेल को, जो बेलतशस्सर कहलाता था,+ एक संदेश मिला। वह संदेश सच्चा था और एक बड़ी लड़ाई के बारे में था। दानियेल ने उस संदेश को समझ लिया और उसने जो देखा था, उसके बारे में उसे समझ दी गयी।
2 उन दिनों मैं दानियेल तीन हफ्ते से मातम मना रहा था।+ 3 मैंने तीन हफ्तों से न तो बढ़िया-बढ़िया पकवान और गोश्त खाया, न ही दाख-मदिरा को मुँह लगाया और मैंने शरीर पर तेल भी नहीं मला। 4 पहले महीने के 24वें दिन, जब मैं महानदी टिग्रिस*+ के किनारे था, 5 तब मैंने नज़रें उठायीं तो एक आदमी को देखा जो मलमल की पोशाक पहने हुए था+ और उसकी कमर पर ऊफाज़ के सोने का बना कमरबंद था। 6 उसका शरीर करकेटक रत्न की तरह था,+ चेहरा बिजली की तरह चमक रहा था, आँखें जलती मशालों की तरह थीं, उसकी बाँहें और पैर चमचमाते ताँबे जैसे दिख रहे थे+ और उसकी आवाज़ भीड़ की आवाज़ जैसी बुलंद थी। 7 वह दर्शन सिर्फ मैंने देखा, जो आदमी मेरे साथ थे उन्होंने नहीं देखा।+ फिर भी वे थर-थर काँपने लगे और भागकर कहीं छिप गए।
8 फिर मैं अकेला रह गया और जब मैंने यह अनोखा दर्शन देखा तो बिलकुल बेजान-सा हो गया, लाचार और मरियल-सा हो गया* और मुझमें ताकत नहीं रही।+ 9 फिर मैंने उस आदमी को बोलते हुए सुना, मगर जब वह बोल रहा था तो मैं मुँह के बल ज़मीन पर गिर गया और गहरी नींद सो गया।+ 10 मगर फिर किसी के हाथ ने मुझे छुआ+ और मुझे हिलाया ताकि मैं जाग जाऊँ और हाथों और घुटनों के बल खड़ा हो जाऊँ। 11 फिर उसने मुझसे कहा,
“हे दानियेल, तू जो परमेश्वर के लिए बहुत अनमोल है,*+ मैं तुझे जो बताने जा रहा हूँ उस पर ध्यान दे। तू जहाँ खड़ा था वहाँ खड़ा हो जा क्योंकि मुझे तेरे पास भेजा गया है।”
जब उसने ऐसा कहा तो मैं खड़ा हो गया और काँपता रहा।
12 फिर उसने मुझसे कहा, “हे दानियेल, तू मत डर।+ जिस दिन तूने इन बातों को समझने के लिए मन लगाया और अपने परमेश्वर के सामने खुद को नम्र किया, उसी दिन से तेरी प्रार्थना सुनी गयी और इसी वजह से मैं तेरे पास आया हूँ।+ 13 मगर फारस राज्य का हाकिम+ 21 दिन तक मेरा विरोध करता रहा। फिर मीकाएल,*+ जो सबसे बड़े हाकिमों में से है,* मेरी मदद करने आया और मैं फारस के राजाओं के पास खड़ा रहा। 14 मैं तुझे यह समझाने आया हूँ कि आखिरी दिनों में तेरे लोगों पर क्या बीतेगी+ क्योंकि यह दर्शन भविष्य में पूरा होगा।”+
15 जब उसने मुझसे ये बातें कहीं तो मैंने ज़मीन की तरफ मुँह किया और मुझसे कुछ बोलते न बना। 16 फिर जो आदमी जैसा दिख रहा था, उसने मेरे होंठ छुए+ और तब मैं बोलने लगा। मेरे सामने जो खड़ा था उससे मैंने कहा, “मेरे मालिक, दर्शन की वजह से मैं काँप रहा हूँ, मुझमें ज़रा भी ताकत नहीं है।+ 17 इसलिए मालिक, तेरा यह सेवक तुझसे कैसे बात कर सकता है?+ मुझमें ज़रा भी ताकत नहीं है, बिलकुल भी जान नहीं है।”+
18 फिर जो आदमी जैसा दिख रहा था, उसने मुझे दोबारा छुआ और मेरी हिम्मत बँधायी।+ 19 उसने मुझसे कहा, “हे दानियेल, तू जो परमेश्वर के लिए बहुत अनमोल है,*+ मत डर।+ तेरा भला हो।+ हिम्मत रख, हाँ, हिम्मत रख।” जब उसने ऐसा कहा तो मुझे हिम्मत मिली और मैंने कहा, “मेरे मालिक, अब तू बोल क्योंकि तूने मेरी हिम्मत बँधायी है।”
20 फिर उसने मुझसे कहा, “क्या तू जानता है कि मैं तेरे पास क्यों आया हूँ? अब मैं वापस जाकर फारस के हाकिम से युद्ध करूँगा।+ जब मैं जाऊँगा तो यूनान का हाकिम आएगा। 21 फिर भी मैं तुझे वे बातें बताऊँगा जो सच्चाई की किताब में लिखी हैं। तेरे हाकिम मीकाएल+ के सिवा कोई और इन बातों में मेरा पूरा साथ नहीं दे रहा है।+
11 मादी दारा के राज के पहले साल,+ मैं उसकी हिम्मत बँधाने और उसे मज़बूत करने के लिए* खड़ा हुआ। 2 अब मैं तुझे एक सच्ची बात बताने जा रहा हूँ:
देख! फारस में तीन और राजा उठेंगे और चौथा राजा बाकियों से ज़्यादा दौलत इकट्ठी करेगा। और जब वह अपनी दौलत के दम पर ताकतवर हो जाएगा, तो वह हर किसी को यूनान के राज्य+ के खिलाफ भड़काएगा।
3 फिर एक ताकतवर राजा उठेगा और एक बड़े इलाके पर राज करेगा+ और अपनी मनमानी करेगा। 4 मगर उसके उठने के बाद उसके राज्य के टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएँगे और चार दिशाओं में बिखरा दिए जाएँगे।+ उसका राज्य उसके वंशजों को नहीं दिया जाएगा और जो उसके बाद आएँगे उनका इलाका उसके इलाके जितना नहीं होगा, क्योंकि उसका राज्य जड़ से उखाड़ दिया जाएगा और दूसरों का हो जाएगा।
5 दक्षिण का राजा यानी उसके हाकिमों में से एक ताकतवर हो जाएगा। मगर कोई और उससे ज़्यादा ताकतवर होगा और एक बड़े इलाके पर राज करेगा और वह उससे ज़्यादा अधिकार पाएगा।
6 कुछ साल बाद वे एक संधि करेंगे। दक्षिण के राजा की बेटी उत्तर के राजा के पास आएगी ताकि उनके बीच एक समझौता हो। मगर उस बेटी की ताकत मिट जाएगी और न राजा टिकेगा, न ही उसकी ताकत रहेगी और बेटी दूसरे के हवाले कर दी जाएगी। बेटी और उसे लानेवाले और उसका पिता और वह जिसने उन दिनों उसे ताकतवर बनाया था, सब दूसरों के हवाले कर दिए जाएँगे। 7 उस बेटी की जड़ों में से एक अंकुर निकलकर अपने पिता की जगह लेगा। वह सेना के पास आएगा और उत्तर के राजा के किले पर हमला करेगा और उनके खिलाफ कदम उठाकर उन्हें जीत लेगा। 8 साथ ही, वह उनके देवताओं, उनकी धातु की मूरतों* और उनके सोने-चाँदी की मनभावनी* चीज़ों को लेकर और उनके लोगों को बंदी बनाकर मिस्र लौट आएगा। वह कुछ साल तक उत्तर के राजा पर हमला नहीं करेगा। 9 मगर उत्तर का राजा दक्षिण के राजा के राज्य पर हमला करेगा, लेकिन फिर वह अपने देश लौट जाएगा।
10 उसके बेटे युद्ध की तैयारी करेंगे और एक बड़ी, विशाल सेना इकट्ठी करेंगे। वह ज़रूर आगे बढ़ेगा और एक बाढ़ की तरह सबकुछ बहा ले जाएगा। मगर फिर वह वापस चला जाएगा और युद्ध करता हुआ अपने किले में लौट जाएगा।
11 दक्षिण का राजा कड़वाहट से भर जाएगा और निकल पड़ेगा और उससे यानी उत्तर के राजा से युद्ध करेगा। वह एक बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा, मगर भीड़ उसके हवाले कर दी जाएगी। 12 उस भीड़ को ले जाया जाएगा। उसका मन घमंड से फूल जाएगा और वह लाखों लोगों को गिराएगा, फिर भी वह अपनी ताकत का फायदा नहीं उठाएगा।
13 उत्तर का राजा लौट आएगा और पहले से भी बड़ी भीड़ इकट्ठी करेगा। उस दौर के खत्म होने पर, यानी कुछ साल बाद वह एक विशाल सेना के साथ ज़रूर आएगा, जो हथियारों से पूरी तरह लैस होगी। 14 उस समय दक्षिण के राजा के खिलाफ बहुत-से लोग उठ खड़े होंगे।
तेरे लोगों में से जो खूँखार* हैं वे बहकावे में आकर दर्शन को पूरा करने की कोशिश करेंगे, मगर वे ठोकर खाकर गिर जाएँगे।
15 उत्तर का राजा आएगा और एक किलेबंद शहर के चारों तरफ घेराबंदी की ढलान खड़ी करेगा और उस पर कब्ज़ा कर लेगा। दक्षिण की सेनाएँ और उनके बड़े-बड़े सूरमा नहीं टिक पाएँगे। उनके पास मुकाबला करने की ताकत नहीं होगी। 16 दक्षिण के राजा के खिलाफ आनेवाला अपनी मनमानी करेगा और उसके सामने कोई नहीं टिक पाएगा। वह सुंदर देश*+ में जाकर खड़ा होगा और उसके पास नाश करने की ताकत होगी। 17 वह अपने राज्य की पूरी ताकत को लेकर पक्के इरादे के साथ आएगा, मगर फिर वह उस राजा के साथ समझौता करेगा और कदम उठाएगा। उसे औरतों की बेटी को नाश करने का अधिकार दिया जाएगा। वह बेटी नहीं टिकेगी, न ही उसकी बनी रहेगी। 18 वह फिर से समुंदर किनारे के इलाकों की तरफ मुँह करके बहुत-सी जगहों पर कब्ज़ा कर लेगा। इसने दूसरे के हाथों जो बेइज़्ज़ती सही है, उसे एक सेनापति आकर दूर कर देगा। वह और बेइज़्ज़त न होगा, क्योंकि वह बेइज़्ज़ती करनेवाले को ही बेइज़्ज़त कर देगा। 19 फिर राजा अपने देश के किले की तरफ मुँह करेगा। वह लड़खड़ाकर गिर जाएगा और उसका पता भी न चलेगा।
20 उसकी जगह एक और राजा आएगा जो वैभवशाली राज्य के पूरे इलाके में कर-वसूलनेवाले* को भेजेगा, लेकिन वह राजा कुछ ही दिनों में मिटा दिया जाएगा, मगर न क्रोध से न ही युद्ध से।
21 उसकी जगह एक तुच्छ* आदमी उठेगा और वे राज्य का प्रताप उसके हाथ में नहीं देंगे। वह अमन-चैन के दौर में* आएगा और चिकनी-चुपड़ी* बातें करके राज्य पर अधिकार कर लेगा। 22 वह बाढ़ जैसी सेनाओं को हरा देगा और वे कुचल दी जाएँगी और करार+ का अगुवा+ भी कुचल दिया जाएगा। 23 उन्होंने उसके साथ जो संधि की होगी उसकी वजह से वह छल करेगा और उठेगा और एक छोटे राष्ट्र के दम पर शक्तिशाली बन जाएगा। 24 वह अमन-चैन के एक दौर में* प्रांत* की सबसे बढ़िया जगहों में आएगा और ऐसा काम करेगा जो उसके पुरखों ने नहीं किया था। वह लूट का सारा माल उनमें बाँट देगा और किलेबंद जगहों को लेने की साज़िशें रचेगा, मगर सिर्फ कुछ समय के लिए।
25 वह ताकत और हिम्मत* जुटाएगा और एक विशाल सेना लेकर दक्षिण के राजा पर हमला करने आएगा। दक्षिण का राजा एक बहुत बड़ी और ताकतवर सेना के साथ युद्ध की तैयारी करेगा। वह खड़ा नहीं रह पाएगा क्योंकि वे उसके खिलाफ साज़िशें रचेंगे। 26 उसके साथ शाही खाना खानेवाले ही उसे गिरा देंगे।
जहाँ तक उसकी सेना की बात है, उसका सफाया कर दिया जाएगा* और बहुत-से लोग मार डाले जाएँगे।
27 इन दोनों राजाओं का मन बुराई की तरफ झुका रहेगा। वे एक ही मेज़ पर बैठकर एक-दूसरे से झूठ बोलेंगे। मगर उन्हें किसी भी बात में कामयाबी नहीं मिलेगी क्योंकि अंत भविष्य में तय समय पर होगा।+
28 वह खूब सारा माल लेकर अपने देश लौट जाएगा और उसका मन पवित्र करार के खिलाफ होगा। वह कार्रवाई करेगा और अपने देश लौट जाएगा।
29 वह तय समय पर लौट आएगा और दक्षिण पर हमला करेगा। मगर इस बार हालात पहले जैसे नहीं होंगे, 30 क्योंकि कित्तीम+ के जहाज़ उस पर हमला करेंगे और उसे नीचा किया जाएगा।
वह लौट जाएगा और पवित्र करार पर अपना गुस्सा निकालेगा+ और कदम उठाएगा। वह लौट जाएगा और पवित्र करार छोड़नेवालों पर ध्यान देगा। 31 उसकी सेनाएँ खड़ी होंगी और पवित्र-स्थान और किले को दूषित कर देंगी+ और नियमित बलियाँ बंद कर देंगी।+
और वे उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़ खड़ी करेंगे।+
32 जो लोग करार के खिलाफ दुष्ट काम करते हैं उन्हें वह चिकनी-चुपड़ी बातों से* बगावत की राह पर ले जाएगा। मगर जो लोग अपने परमेश्वर को जानते हैं वे उससे भी मज़बूत साबित होंगे और कदम उठाएँगे। 33 लोगों में से जिनके पास अंदरूनी समझ है+ वे बहुतों को समझ देंगे। उन्हें कुछ दिनों तक तलवार, आग की ज्वाला, बँधुआई और लूटमार से गिराया जाएगा। 34 मगर जब उन्हें गिराया जाएगा तो उन्हें थोड़ी मदद दी जाएगी। बहुत-से लोग चिकनी-चुपड़ी बातें कहकर* उनसे मिल जाएँगे। 35 और अंदरूनी समझ रखनेवालों में से कुछ लोग गिरा दिए जाएँगे ताकि उनकी वजह से शुद्ध करने का काम हो सके और साफ करने और उजला करने का काम+ अंत के समय तक चलता रहे क्योंकि यह सब भविष्य में तय समय पर पूरा होगा।
36 राजा अपनी मनमानी करेगा। वह हर देवता से खुद को ऊपर उठाएगा और उनसे ज़्यादा खुद की बड़ाई करेगा। वह सब ईश्वरों से महान ईश्वर+ के खिलाफ चौंकानेवाली बातें कहेगा। वह तब तक कामयाब होता जाएगा जब तक कि क्रोध पूरी तरह प्रकट नहीं हो जाता क्योंकि जो तय किया गया है वह होकर ही रहेगा। 37 वह अपने पिताओं के ईश्वर की कोई कदर नहीं करेगा, न ही औरतों की ख्वाहिश की या किसी और देवता की परवाह करेगा। वह खुद को सबसे ऊँचा उठाएगा। 38 इसके बजाय* वह किलों के देवता की महिमा करेगा, ऐसे देवता को सोना-चाँदी, कीमती रत्न और मनभावनी* चीज़ें चढ़ाएगा जिसे उसके पिता नहीं जानते थे और ऐसा करके उसकी महिमा करेगा। 39 वह एक पराए देवता के साथ मिलकर* मज़बूत-से-मज़बूत गढ़ों के खिलाफ कदम उठाएगा। जो उसे मानते हैं उनकी* वह बहुत बड़ाई करेगा और उन्हें बहुतों पर राज करने का अधिकार देगा और दाम लेकर उनमें ज़मीन बाँट देगा।
40 अंत के समय में दक्षिण का राजा उससे भिड़ेगा* और उत्तर का राजा रथों, घुड़सवारों और बहुत-से जहाज़ों के साथ उस पर आँधी की तरह टूट पड़ेगा। वह कई देशों में घुस जाएगा और बाढ़ की तरह सबकुछ बहा ले जाएगा। 41 वह सुंदर देश* में भी घुस जाएगा+ और बहुत-से देश हरा दिए जाएँगे। मगर जो उसके हाथ से बच जाएँगे, वे ये हैं: एदोम, मोआब और अम्मोनियों का सबसे खास हिस्सा। 42 वह कई देशों की तरफ अपना हाथ बढ़ाता जाएगा और मिस्र देश भी नहीं बचेगा। 43 वह मिस्र के छिपे खज़ाने यानी सोने-चाँदी और वहाँ की सारी मनभावनी* चीज़ों का मालिक बन जाएगा। लिबिया और इथियोपिया के लोग उसके कदमों में होंगे।*
44 मगर पूरब और उत्तर से मिलनेवाली खबरों से वह बेचैन हो उठेगा और बड़ी जलजलाहट में आकर बहुतों को नाश करने और मिटाने के लिए निकल पड़ेगा। 45 वह अपने शाही* तंबू विशाल सागर और सुंदर देश* के पवित्र पहाड़ के बीच खड़े करेगा।+ आखिरकार उसका अंत हो जाएगा और उसकी मदद करनेवाला कोई न होगा।
12 उस समय के दौरान मीकाएल*+ खड़ा होगा, वह बड़ा हाकिम+ जो तेरे लोगों* की तरफ से खड़ा है। और संकट का ऐसा समय आएगा जैसा एक राष्ट्र के बनने से लेकर उस समय तक नहीं आया होगा। उस समय के दौरान तेरे लोग बच जाएँगे,+ हर कोई जिसका नाम किताब में लिखा है बच जाएगा।+ 2 और जो मिट्टी में मिल गए हैं और मौत की नींद सो रहे हैं, उनमें से कई लोग जाग उठेंगे, कुछ हमेशा की ज़िंदगी के लिए तो कुछ बदनामी और हमेशा का अपमान सहने के लिए।
3 जिनमें अंदरूनी समझ है वे आसमान की तरह तेज़ चमकेंगे और जो बहुतों को नेकी की राह पर लाते हैं वे तारों की तरह हमेशा-हमेशा तक चमकते रहेंगे।
4 और हे दानियेल, तू इन बातों को राज़ रख और अंत के समय तक किताब को मुहरबंद कर दे।+ बहुत-से लोग ढूँढ़-ढाँढ़ करेंगे* और सच्चा ज्ञान बहुत बढ़ जाएगा।”+
5 फिर मुझ दानियेल को वहाँ दो स्वर्गदूत दिखायी दिए, एक नदी के इस किनारे खड़ा था और दूसरा उस किनारे।+ 6 तब एक स्वर्गदूत ने उस आदमी से, जो मलमल की पोशाक पहने था+ और नदी के ऊपर था, पूछा, “ये अनोखी बातें कब जाकर पूरी होंगी?” 7 तब मैंने उस आदमी को बोलते सुना, जो मलमल की पोशाक पहने था और नदी के ऊपर था। उसने अपना दायाँ और बायाँ हाथ स्वर्ग की तरफ उठाया और युग-युग तक जीनेवाले परमेश्वर की शपथ खाकर कहा,+ “ये बातें ठहराए हुए एक काल, दो काल और आधे काल* के लिए होंगी। जैसे ही पवित्र लोगों की ताकत का चूर-चूर करना खत्म हो जाएगा,+ ये सारी बातें पूरी हो जाएँगी।”
8 मैंने ये सारी बातें सुनीं, मगर मैं समझ नहीं पाया।+ इसलिए मैंने पूछा, “मालिक, इन सारी बातों का क्या नतीजा होगा?”
9 उसने कहा, “हे दानियेल, तू जा क्योंकि ये बातें राज़ रखी गयी हैं और अंत के समय तक इन पर मुहर लगायी गयी है।+ 10 बहुत-से लोग खुद को साफ और उजला करेंगे और उन्हें शुद्ध किया जाएगा।+ दुष्ट लोग दुष्टता करेंगे और कोई भी दुष्ट नहीं समझ पाएगा, मगर अंदरूनी समझ रखनेवाले समझ जाएँगे।+
11 जिस समय नियमित बलियाँ+ बंद कर दी गयीं और उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़ खड़ी की गयी,+ तब से 1,290 दिन गुज़रेंगे।
12 सुखी है वह इंसान जो 1,335 दिनों के बीतने तक उम्मीद लगाए रहता है!*
13 मगर जहाँ तक तेरी बात है, तू आखिर तक मज़बूत बना रह। तू आराम करेगा मगर फिर वक्त आने पर अपना हिस्सा पाने के लिए* उठ खड़ा होगा।”+
या “मंदिर।”
यानी बैबिलोनिया।
शा., “इसराएल के बेटों।”
शा., “बच्चे।”
या शायद, “उनका पालन-पोषण होता रहे।”
शा., “के बेटों में।”
मतलब “मेरा न्यायी परमेश्वर है।”
मतलब “यहोवा ने कृपा की।”
शायद इसका मतलब है, “परमेश्वर जैसा कौन है?”
मतलब “यहोवा ने मदद की।”
यानी बैबिलोनी नाम।
शा., “बच्चों।”
शा., “बच्चे।”
शा., “बच्चों।”
शा., “बच्चों।”
यानी ऐसे लोगों का समूह जो ज्योतिष-विद्या और नक्षत्र-विद्या में माहिर थे।
मूल पाठ में दान 2:4ख से लेकर 7:28 तक का हिस्सा अरामी भाषा में लिखा गया था।
या शायद, “कूड़े की जगह; गू-गोबर का ढेर।”
या “सूखी ज़मीन।”
या “हमेशा से हमेशा तक।”
या “भट्ठी में पकायी गयी (या साँचे में ढाली गयी) मिट्टी।”
या “इंसानों के वंशजों,” यानी आम लोग।
या “दूसरे लोगों।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्र।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्र।”
करीब 27 मी. (88 फुट)। अति. ख14 देखें।
करीब 2.7 मी. (8.8 फुट)। अति. ख14 देखें।
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्र।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्रों।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्रों।”
या “को बदनाम करने लगे।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्र।”
या “उसका रवैया पूरी तरह बदल गया।”
या “उन्होंने अपना शरीर अर्पित कर दिया।”
या शायद, “कूड़े की जगह; गू-गोबर का ढेर।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्र।”
यानी ऐसे लोगों का समूह जो ज्योतिष-विद्या और नक्षत्र-विद्या में माहिर थे।
शा., “राज करनेवाला स्वर्ग है।”
या “उसका हाथ कोई नहीं जाँच सकता।”
या “राजा का रूप बदल गया।”
यानी ऐसे लोगों का समूह जो ज्योतिष-विद्या और नक्षत्र-विद्या में माहिर थे।
या “एक काबिल आदमी।”
यानी ऐसे लोगों का समूह जो ज्योतिष-विद्या और नक्षत्र-विद्या में माहिर थे।
या शायद, “उसके पास कोई संगीतकार नहीं लाया गया।”
शा., “उसकी नींद उसके पास से भाग गयी।”
या “को बदनाम किया था।”
यानी साढ़े तीन काल।
या “मेरा रूप बदल गया।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्र।”
या “सूसा।”
या “महल।”
या “सरताज।”
या “साज़िशें करने में माहिर होगा।”
या “वह भयानक विनाश लाएगा।”
या शायद, “और बिना चेतावनी दिए।”
या “दूर भविष्य में।”
यानी पवित्र किताबें।
शा., “हमारा न्याय करनेवाले न्यायियों।”
या “के बारे में अंदरूनी समझ हासिल नहीं की।”
या “बहुत प्यारा है; तेरा बहुत मान है।”
यानी सालोंवाले हफ्ते।
या “अभिषिक्त जन।”
या “मार डाला जाएगा।”
शा., “हिद्देकेल।”
या “अपनी गरिमा खो बैठा।”
या “बहुत प्यारा है; तू जिसका बहुत मान है।”
मतलब “परमेश्वर जैसा कौन है?”
या “सबसे ऊँचे दर्जे का हाकिम है।”
या “बहुत प्यारा है; तू जिसका बहुत मान है।”
या “उसके लिए एक किले की तरह बनने।”
या “ढली हुई मूरतों।”
या “अनमोल।”
या “लुटेरों के बेटे।”
या “सरताज।”
या “काम लेनेवाले जल्लाद।”
या “नीच।”
या शायद, “बिना चेतावनी दिए।”
या “साज़िशों के बारे में।”
या शायद, “बिना चेतावनी दिए।”
या “ज़िला अधिकार-क्षेत्र।”
शा., “अपना दिल।”
या “उसे बाढ़ से बहा दिया जाएगा।”
या “चापलूसी करके; धोखे से।”
या “चापलूसी करके; धोखे से।”
या “उसके बदले।”
या “अनमोल।”
या “की मदद से।”
या शायद, “जिसे भी वह मानता है उसकी।”
या “उससे सींग लड़ाएगा।”
या “सरताज।”
या “अनमोल।”
या “उसके पीछे जाएँगे।”
या “आलीशान।”
या “सरताज।”
मतलब “परमेश्वर जैसा कौन है?”
शा., “तेरे लोगों के बेटों।”
या “उसे [यानी किताब को] अच्छी तरह जाँचेंगे।”
यानी साढ़े तीन काल।
या “का बेसब्री से इंतज़ार करता है।”
या “अपनी ठहरायी जगह पर।”