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  • यिर्मयाह 10
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद

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यिर्मयाह का सारांश

      • राष्ट्रों के देवताओं और जीवित परमेश्‍वर के बीच फर्क (1-16)

      • तेज़ी से आनेवाला नाश; बँधुआई (17, 18)

      • यिर्मयाह दुख मनाता है (19-22)

      • भविष्यवक्‍ता की प्रार्थना (23-25)

        • इंसान अपने कदमों को राह नहीं दिखा सकता (23)

यिर्मयाह 10:2

संबंधित आयतें

  • +लैव 18:3, 30; 20:23; व्य 12:30
  • +यश 47:13

यिर्मयाह 10:3

फुटनोट

  • *

    या “बेकार।”

संबंधित आयतें

  • +यश 40:20; 44:14, 15; 45:20; हब 2:18

यिर्मयाह 10:4

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  • +भज 115:4; यश 40:19
  • +यश 41:7

यिर्मयाह 10:5

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  • +हब 2:19
  • +यश 46:7
  • +यश 41:23; 44:9; 1कुर 8:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2017, पेज 1

यिर्मयाह 10:6

संबंधित आयतें

  • +निर्ग 15:11; 2शम 7:22; भज 86:8

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 38

यिर्मयाह 10:7

संबंधित आयतें

  • +भज 22:28
  • +भज 89:6; दान 4:35

यिर्मयाह 10:8

फुटनोट

  • *

    या “बेकार।”

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 51:17; हब 2:18
  • +यश 44:19

यिर्मयाह 10:9

संबंधित आयतें

  • +1रा 10:22

यिर्मयाह 10:10

संबंधित आयतें

  • +यह 3:10; दान 6:26
  • +दान 4:3; हब 1:12; प्रक 15:3
  • +नहू 1:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 7/2019, पेज 1

यिर्मयाह 10:11

फुटनोट

  • *

    मूल पाठ में आय. 11 अरामी भाषा में लिखी गयी थी।

संबंधित आयतें

  • +यश 2:18; यिर्म 51:17, 18; सप 2:11

यिर्मयाह 10:12

संबंधित आयतें

  • +नीत 3:19; यश 45:18
  • +भज 136:3, 5; यश 40:22; यिर्म 51:15, 16

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 51-53

यिर्मयाह 10:13

फुटनोट

  • *

    या “भाप।”

  • *

    या शायद, “झरोखे।”

संबंधित आयतें

  • +अय 37:2; 38:34
  • +अय 36:27; भज 135:7
  • +उत 8:1; निर्ग 14:21; गि 11:31; यो 1:4

यिर्मयाह 10:14

फुटनोट

  • *

    या “ढली हुई मूरत।”

  • *

    या “उनमें साँस नहीं है।”

संबंधित आयतें

  • +यश 42:17; 44:11
  • +यिर्म 51:17; हब 2:18, 19

यिर्मयाह 10:15

फुटनोट

  • *

    या “बेकार।”

संबंधित आयतें

  • +यश 41:29

यिर्मयाह 10:16

संबंधित आयतें

  • +व्य 32:9; भज 135:4
  • +यश 47:4

यिर्मयाह 10:18

फुटनोट

  • *

    या “उछालनेवाला।”

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  • +व्य 28:63; यिर्म 16:13

यिर्मयाह 10:19

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  • +यिर्म 8:21

यिर्मयाह 10:20

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  • +यिर्म 4:20
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यिर्मयाह 10:21

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  • +यिर्म 5:31
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  • +यिर्म 23:1; यहे 34:5, 6

यिर्मयाह 10:22

संबंधित आयतें

  • +यिर्म 1:15; 4:6; 6:22; हब 1:6
  • +यिर्म 9:11

यिर्मयाह 10:23

फुटनोट

  • *

    या “को यह अधिकार।”

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  • +भज 17:5; 37:23; नीत 16:3; 20:24

इंडैक्स

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    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 2 2021 पेज 6

    सजग होइए!,

    अंक 1 2019, पेज 4-5

    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2011, पेज 14

    4/15/2008, पेज 9-10

    11/1/2005, पेज 22

    10/15/2000, पेज 13

    9/1/1999, पेज 19-20

    एकमात्र सच्चा परमेश्‍वर, पेज 51-53

    ज्ञान, पेज 12

    युवाओं के प्रश्‍न, पेज 305-306

यिर्मयाह 10:24

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  • +भज 6:1; 38:1
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यिर्मयाह 10:25

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  • +यश 34:2
  • +यिर्म 51:34
  • +यश 10:22
  • +भज 79:6, 7; यिर्म 8:16; विल 2:22

दूसरें अनुवाद

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दूसरी

यिर्म. 10:2लैव 18:3, 30; 20:23; व्य 12:30
यिर्म. 10:2यश 47:13
यिर्म. 10:3यश 40:20; 44:14, 15; 45:20; हब 2:18
यिर्म. 10:4भज 115:4; यश 40:19
यिर्म. 10:4यश 41:7
यिर्म. 10:5हब 2:19
यिर्म. 10:5यश 46:7
यिर्म. 10:5यश 41:23; 44:9; 1कुर 8:4
यिर्म. 10:6निर्ग 15:11; 2शम 7:22; भज 86:8
यिर्म. 10:7भज 22:28
यिर्म. 10:7भज 89:6; दान 4:35
यिर्म. 10:8यिर्म 51:17; हब 2:18
यिर्म. 10:8यश 44:19
यिर्म. 10:91रा 10:22
यिर्म. 10:10यह 3:10; दान 6:26
यिर्म. 10:10दान 4:3; हब 1:12; प्रक 15:3
यिर्म. 10:10नहू 1:5
यिर्म. 10:11यश 2:18; यिर्म 51:17, 18; सप 2:11
यिर्म. 10:12नीत 3:19; यश 45:18
यिर्म. 10:12भज 136:3, 5; यश 40:22; यिर्म 51:15, 16
यिर्म. 10:13अय 37:2; 38:34
यिर्म. 10:13अय 36:27; भज 135:7
यिर्म. 10:13उत 8:1; निर्ग 14:21; गि 11:31; यो 1:4
यिर्म. 10:14यश 42:17; 44:11
यिर्म. 10:14यिर्म 51:17; हब 2:18, 19
यिर्म. 10:15यश 41:29
यिर्म. 10:16व्य 32:9; भज 135:4
यिर्म. 10:16यश 47:4
यिर्म. 10:18व्य 28:63; यिर्म 16:13
यिर्म. 10:19यिर्म 8:21
यिर्म. 10:20यिर्म 4:20
यिर्म. 10:20यिर्म 31:15
यिर्म. 10:21यिर्म 5:31
यिर्म. 10:21यिर्म 2:8; 8:9
यिर्म. 10:21यिर्म 23:1; यहे 34:5, 6
यिर्म. 10:22यिर्म 1:15; 4:6; 6:22; हब 1:6
यिर्म. 10:22यिर्म 9:11
यिर्म. 10:23भज 17:5; 37:23; नीत 16:3; 20:24
यिर्म. 10:24भज 6:1; 38:1
यिर्म. 10:24यिर्म 30:11
यिर्म. 10:25यश 34:2
यिर्म. 10:25यिर्म 51:34
यिर्म. 10:25यश 10:22
यिर्म. 10:25भज 79:6, 7; यिर्म 8:16; विल 2:22
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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यिर्मयाह 10:1-25

यिर्मयाह

10 हे इसराएल के घराने, सुन कि यहोवा ने तेरे खिलाफ क्या संदेश दिया है। 2 यहोवा कहता है,

“राष्ट्रों के तौर-तरीके मत सीख,+

आकाश के चिन्हों से खौफ मत खा,

जिनसे राष्ट्र खौफ खाते हैं।+

 3 क्योंकि देश-देश के लोगों के रीति-रिवाज़ बस एक धोखा* हैं।

कारीगर एक पेड़ काटता है

और अपने औज़ार से उसे मूरत का आकार देता है।+

 4 वे उसे सोने-चाँदी से सजाते हैं+

और हथौड़े से कील ठोंककर उसे टिकाते हैं ताकि वह गिर न जाए।+

 5 मूरतें, खीरे के खेत में खड़े फूस के पुतले की तरह बोल नहीं सकतीं,+

उन्हें उठाकर ले जाना पड़ता है क्योंकि वे चल नहीं सकतीं।+

उनसे मत डरना क्योंकि वे न तो नुकसान कर सकती हैं,

न भला कर सकती हैं।”+

 6 हे यहोवा, तेरे जैसा कोई नहीं।+

तू महान है, तेरा नाम महान है और उसमें बहुत ताकत है।

 7 हे राष्ट्रों के राजा,+ कौन तुझसे नहीं डरेगा क्योंकि तुझसे डरना सही है,

क्योंकि राष्ट्रों और उनके सब राज्यों में जितने भी बुद्धिमान हैं,

उनमें से एक भी तेरे जैसा नहीं है।+

 8 वे सब नासमझ और मूर्ख हैं।+

एक पेड़ से मिलनेवाली नसीहत धोखा देती* है।+

 9 उनके लिए तरशीश से चाँदी के पत्तर+ और ऊफाज़ से सोना मँगाया जाता है,

जिसे कारीगर और धातु-कारीगर लकड़ी पर मढ़ देते हैं।

वे उन्हें नीले धागे और बैंजनी ऊन का कपड़ा पहनाते हैं।

ये सारी मूरतें कुशल कारीगरों की बनायी हुई हैं।

10 मगर असल में यहोवा ही परमेश्‍वर है।

वह जीवित परमेश्‍वर+ और युग-युग का राजा है।+

उसकी जलजलाहट से धरती काँप उठेगी,+

उसके क्रोध के आगे कोई भी राष्ट्र टिक नहीं पाएगा।

11* तू उनसे कहना:

“जिन देवताओं ने आकाश और धरती को नहीं बनाया,

वे धरती पर से और आकाश के नीचे से मिट जाएँगे।”+

12 उसी ने अपनी शक्‍ति से धरती बनायी,

अपनी बुद्धि से उपजाऊ ज़मीन की मज़बूत बुनियाद डाली+

और अपनी समझ से आकाश फैलाया।+

13 जब वह गरजता है,

तो आकाश के पानी में हलचल होने लगती है,+

वह धरती के कोने-कोने से बादलों* को ऊपर उठाता है।+

बारिश के लिए बिजली* बनाता है

और अपने भंडारों से आँधी चलाता है।+

14 सभी इंसान ऐसे काम करते हैं मानो उनमें समझ और ज्ञान नहीं है।

हर धातु-कारीगर अपनी गढ़ी हुई मूरत की वजह से शर्मिंदा किया जाएगा,+

क्योंकि उसकी धातु की मूरत* एक झूठ है,

वे मूरतें बेजान हैं।*+

15 वे एक धोखा* हैं, बस इस लायक हैं कि उनकी खिल्ली उड़ायी जाए।+

जब उनसे हिसाब लेने का दिन आएगा, तो वे नाश हो जाएँगी।

16 याकूब का भाग इन चीज़ों की तरह नहीं है,

क्योंकि उसी ने हर चीज़ रची है

और इसराएल उसकी विरासत की लाठी है।+

उसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।+

17 हे औरत, तू जो घिरे हुए शहर में है,

ज़मीन से अपनी गठरी उठा।

18 क्योंकि यहोवा कहता है:

“इस समय मैं इस देश के निवासियों को बाहर फेंकनेवाला* हूँ,+

मैं उन्हें संकट से गुज़रने पर मजबूर करूँगा।”

19 हाय! मुझे यह कैसा घाव मिला है।+

यह कभी भर नहीं सकता!

मैंने कहा, “यह मेरी बीमारी है, मुझे इसे झेलना ही पड़ेगा।

20 मेरा तंबू उजड़ गया है, इसके सभी रस्से काट दिए गए हैं।+

मेरे बेटों ने मुझे छोड़ दिया है, वे मेरे साथ नहीं हैं।+

मेरा तंबू खड़ा करने या तानने के लिए कोई नहीं है।

21 क्योंकि चरवाहों ने मूर्खता का काम किया,+

उन्होंने यहोवा की मरज़ी नहीं पूछी।+

इसीलिए उन्होंने अंदरूनी समझ से काम नहीं लिया,

उनके सारे झुंड तितर-बितर हो गए।”+

22 सुनो! एक खबर आयी है! सेना आ रही है!

उत्तर के देश से उनका हुल्लड़ सुनायी दे रहा है,+

वे यहूदा के शहरों को उजाड़कर गीदड़ों की माँद बना देंगे।+

23 हे यहोवा, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि इंसान इस काबिल* नहीं कि अपना रास्ता खुद तय कर सके।

उसे यह अधिकार भी नहीं कि अपने कदमों को राह दिखाए।+

24 हे यहोवा, अपना फैसला सुनाकर मुझे सुधार,

मगर क्रोध में आकर नहीं+ ताकि मैं नाश न हो जाऊँ।+

25 अपने क्रोध का प्याला उन राष्ट्रों पर उँडेल दे जो तुझे नज़रअंदाज़ करते हैं,+

उन घरानों पर जो तेरा नाम नहीं पुकारते।

क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया है,+

हाँ, उन्होंने उसे निगलकर खत्म कर दिया है+

और उसके देश को उजाड़ दिया है।+

हिंदी साहित्य (1972-2025)
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