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    प्रेषि 13:1 शाब्दिक, “नीगर।”

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    1/1/1991, पेज 20

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    11/15/2000, पेज 12

    10/1/1997, पेज 13-14

    12/1/1992, पेज 4

    6/1/1989, पेज 11-12

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    7/1/2004, पेज 19-20

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    3/15/2010, पेज 7

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    1/1/1991, पेज 20

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    7/1/2004, पेज 21-22

    12/1/1992, पेज 4

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    प्रेषि 13:7 रोमी सेनेट का एक प्रांतीय राज्यपाल।

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    गवाही दो, पेज 87

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    1/1/1991, पेज 20-21

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    3/1/1987, पेज 12

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    गवाही दो, पेज 88-89

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    3/15/2010, पेज 7

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    गवाही दो, पेज 89

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    12/1/1992, पेज 5

    1/1/1991, पेज 21

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    प्रेषि 13:27 शाब्दिक, “शासक।”

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    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/1998, पेज 20

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    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (यिर्म-मला), पेज 24

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    प्रहरीदुर्ग,

    2/1/2000, पेज 13

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (यिर्म-मला), पेज 24

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 21

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    गवाही दो, पेज 90-92

प्रेषितों 13:47

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    यशायाह की भविष्यवाणी-II, पेज 141-142

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1993, पेज 14-16

प्रेषितों 13:48

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2018, पेज 12

    प्रहरीदुर्ग,

    7/1/2000, पेज 11-12

    3/1/1992, पेज 10-11

प्रेषितों 13:50

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  • खोजबीन गाइड

    गवाही दो, पेज 88-91

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 21

प्रेषितों 13:51

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    प्रेषि 13:51 मत्ती 10:14 फुटनोट देखें।

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    गवाही दो, पेज 92, 93-95

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 21

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/1991, पेज 21

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रेषितों 13:1-52

प्रेषितों

13 अंताकिया की मंडली में कई भविष्यवक्‍ता और शिक्षक थे। ये थे, बरनबास, शमौन जो काला* कहलाता था, कुरेने का लूकियुस, मनाएन जो ज़िला शासक हेरोदेस के साथ पढ़ा था और शाऊल। 2 जब ये यहोवा की सेवा करने और उपवास करने में लगे हुए थे, तो पवित्र शक्‍ति ने कहा: “सब लोगों में से मेरे लिए बरनबास और शाऊल को उस काम के लिए अलग करो, जिसके लिए मैंने उन्हें बुलाया है।” 3 तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना की और उन पर हाथ रखे और उन्हें रवाना कर दिया।

4 इसी के मुताबिक, ये आदमी पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में सिलूकिया गए और फिर वहाँ से समुद्री जहाज़ पर चढ़कर कुप्रुस द्वीप के लिए रवाना हुए। 5 और जब वे उस द्वीप के सलमीस शहर पहुँचे, तो वे यहूदियों के सभा-घरों में परमेश्‍वर का वचन सुनाने लगे। उनके साथ यूहन्‍ना मरकुस भी था, जो उनकी सेवा किया करता था।

6 जब वे उस पूरे द्वीप का दौरा करते हुए पाफुस शहर पहुँचे, तो वहाँ उन्हें बार-यीशु नाम का एक यहूदी मिला। वह एक जादूगर और झूठा भविष्यवक्‍ता था। 7 और वह उस प्रांत के राज्यपाल* सिरगियुस पौलुस के साथ-साथ रहता था। सिरगियुस पौलुस बहुत अक्लमंद इंसान था और उसने बरनबास और शाऊल को अपने पास बुलाया और परमेश्‍वर का वचन सुनने की गहरी इच्छा दिखायी। 8 मगर बार-यीशु जो इलीमास जादूगर कहलाता है (इलीमास नाम का मतलब है, जादूगर), उनका विरोध करने लगा और उसने पूरी कोशिश की कि राज्यपाल इस विश्‍वास को न अपनाए। 9 तब शाऊल ने, जिसका नाम पौलुस भी है, पवित्र शक्‍ति से भरकर उसकी तरफ टकटकी लगाकर देखा 10 और कहा: “अरे शैतान की औलाद, तू जो हर तरह की जालसाज़ी और मक्कारी से भरा हुआ है और हर तरह की नेकी का दुश्‍मन है, क्या तू यहोवा की सीधी राहों को बिगाड़ना नहीं छोड़ेगा? 11 अब देख! यहोवा का हाथ तेरे खिलाफ उठा है, और तू अंधा हो जाएगा और कुछ वक्‍त के लिए सूरज की रौशनी नहीं देख पाएगा।” उसी पल उसकी आँखों के आगे घने कोहरे जैसा धुँधलापन और अंधेरा छा गया और वह इधर-उधर टटोलने लगा कि कोई उसका हाथ पकड़कर उसे ले चले। 12 तब जो कुछ हुआ, उसे देखकर राज्यपाल विश्‍वासी बन गया क्योंकि वह यहोवा की शिक्षा से दंग रह गया था।

13 इसके बाद पौलुस और उसके साथी, पाफुस शहर से समुद्री यात्रा करते हुए पमफूलिया प्रांत के पिरगा शहर पहुँचे। मगर यूहन्‍ना मरकुस उन्हें छोड़कर यरूशलेम लौट गया। 14 मगर वे पिरगा से आगे बढ़े और पिसिदिया इलाके के अंताकिया शहर में आए और सब्त के दिन सभा-घर में जाकर बैठ गए। 15 वहाँ सबके सामने मूसा के कानून और भविष्यवक्‍ताओं की किताबों से पढ़ाई किए जाने के बाद, सभा-घर के अधिकारियों ने यह कहकर उन्हें बुलाया: “भाइयो, अगर लोगों की हिम्मत बँधाने के लिए तुम्हारे पास कहने को कुछ हो तो कहो।” 16 तब पौलुस उठा और हाथ से सबको शांत हो जाने का इशारा करते हुए कहा:

“इस्राएलियो और परमेश्‍वर का भय माननेवाले दूसरे लोगो, सुनो। 17 परमेश्‍वर ने हम इस्राएली लोगों के बापदादों को चुना। जिस दौरान वे मिस्र देश में परदेसी होकर रहते थे, तब परमेश्‍वर ने उनका मान बढ़ाया और शक्‍तिशाली हाथ से उन्हें वहाँ से बाहर निकाल लाया। 18 और करीब चालीस साल तक वीराने में उनके तौर-तरीकों को सहता रहा। 19 उसने कनान देश में सात जातियों का नाश करने के बाद, इस्राएलियों को उनके देश में विरासत के तौर पर अपना-अपना हिस्सा दिया: 20 यह सब करीब चार सौ पचास साल के दौरान हुआ।

यह सब होने के बाद, परमेश्‍वर ने उनके बीच न्याय करने के लिए न्यायी ठहराए और इन न्यायियों का दौर शमूएल भविष्यवक्‍ता तक चला। 21 मगर इसके बाद इस्राएली एक राजा की माँग करने लगे और परमेश्‍वर ने उन्हें कीश का बेटा शाऊल दिया, जो बिन्यामीन के गोत्र का था। वह चालीस साल तक उनका राजा रहा। 22 उसे हटाने के बाद, उसने दाविद को उनका राजा बनाकर खड़ा किया, जिसके बारे में उसने गवाही दी और कहा, ‘मैंने यिशै के बेटे, दाविद में एक ऐसा इंसान पाया है जो मेरे मन के मुताबिक है। वह मेरी सारी मरज़ी पूरी करेगा।’ 23 परमेश्‍वर ने जैसा वादा किया था उसी के मुताबिक उसने इसी दाविद के वंश से, इस्राएल के लिए एक उद्धारकर्ता, यानी यीशु को भेजा। 24 यीशु के आने से पहले यूहन्‍ना ने सरेआम इस्राएल के सब लोगों को प्रचार किया था कि वे पश्‍चाताप दिखानेवाला बपतिस्मा लें। 25 मगर जिस दौरान यूहन्‍ना अपना काम पूरा करने में लगा था, तो वह कहा करता था, ‘तुम्हें क्या लगता है कि मैं कौन हूँ? मैं वह नहीं हूँ। मगर देखो! मेरे बाद वह आ रहा है जिसके पैरों की जूतियाँ तक खोलने के मैं लायक नहीं हूँ।’

26 भाइयो, तुम जो अब्राहम के वंश से हो और उसकी संतान हो, साथ ही परमेश्‍वर का भय माननेवाले बाकी लोगो, परमेश्‍वर ने हमारे लिए उद्धार का जो यह ज़रिया चुना है उसका संदेश उसने हमारे पास भेजा है। 27 यरूशलेम के रहनेवालों और उनके धर्म-अधिकारियों* ने उसे न पहचाना, मगर उसका न्याय करते वक्‍त उन्होंने भविष्यवक्‍ताओं की कही वे सारी बातें पूरी कीं जो हर सब्त के दिन पढ़कर सुनायी जाती हैं। 28 हालाँकि उसे सज़ा-ए-मौत देने की उन्हें कोई वजह न मिली, फिर भी उन्होंने पीलातुस से माँग की कि वह मार डाला जाए। 29 और जब उन्होंने उसके बारे में लिखी सारी बातें पूरी कर दीं, तो उसे सूली से नीचे उतारा गया और एक कब्र में रख दिया गया। 30 मगर परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से जी उठाया; 31 और वह कई दिनों तक उन लोगों को दिखायी देता रहा जो उसके साथ गलील से यरूशलेम गए थे, और जो अब सब लोगों के सामने उसके गवाह हैं।

32 इसलिए हम तुम्हें उस वादे के बारे में खुशखबरी सुना रहे हैं जो हमारे बापदादों से किया गया था। 33 इस वादे को परमेश्‍वर ने उनकी संतानों पर, यानी हम पर हर तरह से पूरा किया है और इसके लिए यीशु को मरे हुओं में से जी उठाया है; जैसा कि दूसरे भजन में लिखा भी है, ‘तू मेरा बेटा है, मैं आज के दिन तेरा पिता बना हूँ।’ 34 परमेश्‍वर ने यीशु को मरे हुओं में से जी उठाया है और यह तय कर दिया है कि वह फिर कभी सड़ने के लिए न लौटे, इस सच्चाई को परमेश्‍वर ने यूँ बयान किया है, “मैं तुम लोगों के लिए अटल कृपा के वे काम करता रहूँगा जो विश्‍वासयोग्य हैं और जिनका वादा मैंने दाविद से किया था।” 35 इसलिए दाविद भी एक और भजन में कहता है, ‘तू अपने वफादार जन को सड़ने न देगा।’ 36 जहाँ एक तरफ दाविद था जिसने अपनी पीढ़ी में परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी की जो उस पर ज़ाहिर की गयी थी। वह मौत की नींद सो गया और अपने बापदादों के साथ रखा गया और सड़ भी गया। 37 दूसरी तरफ, वह था जिसे परमेश्‍वर ने जी उठाया और उसने सड़न का मुँह नहीं देखा।

38 इसलिए भाइयो, तुम जान लो कि इसी यीशु के ज़रिए तुम्हें पापों की माफी मिल सकती है, जिसकी खबर तुम्हें सुनायी जा रही है। 39 और यह भी कि जिन बातों में मूसा का कानून तुम्हें निर्दोष नहीं ठहरा सकता, एक विश्‍वास करनेवाले को उन्हीं सब बातों के मामले में इसी यीशु के ज़रिए निर्दोष ठहराया जाता है। 40 इसलिए खबरदार रहो कि भविष्यवक्‍ताओं की किताबों में लिखी यह बात कहीं तुम पर न आ पड़े: 41 ‘हे ठट्ठा करनेवालो, देखो, ताज्जुब करो और मिट जाओ, क्योंकि मैं तुम्हारे दिनों में एक काम करनेवाला हूँ, ऐसा काम जिसके बारे में अगर कोई तुम्हें पूरी बारीकी से भी बताए, तब भी तुम हरगिज़ उसका यकीन न करोगे।’”

42 यह सब कहने के बाद जब वे बाहर जा रहे थे, तब लोग बिनती करने लगे कि ये बातें उन्हें अगले सब्त के दिन फिर सुनायी जाएँ। 43 इसलिए जब सभा बरखास्त हो गयी तो बहुत-से यहूदी और यहूदी धर्म अपनानेवाले, जो परमेश्‍वर की उपासना करते थे, पौलुस और बरनबास के पीछे हो लिए। और पौलुस और बरनबास उनसे बातें कर उन्हें उकसाते रहे कि वे परमेश्‍वर की महा-कृपा में बने रहें।

44 अगले सब्त के दिन करीब-करीब पूरा शहर यहोवा का वचन सुनने के लिए जमा हो गया। 45 जब यहूदियों ने इतनी भारी तादाद में लोग देखे, तो वे जलन से भर गए और पौलुस जो कह रहा था उसे झूठ बताकर परमेश्‍वर की निंदा की। 46 इसलिए पौलुस और बरनबास ने निडर होकर कहा: “यह ज़रूरी था कि परमेश्‍वर का वचन पहले तुम यहूदियों को सुनाया जाए। मगर इसलिए कि तुम इसे ठुकराकर खुद से दूर कर रहे हो और खुद को हमेशा की ज़िंदगी के लायक नहीं ठहराते, इसलिए देखो! हम दूसरी जातियों में जा रहे हैं। 47 दरअसल यहोवा ने यह कहकर हमें आज्ञा दी है, ‘मैंने तुम्हें दूसरी जातियों के लिए रौशनी ठहराया है ताकि तुम पृथ्वी की छोर तक जाकर यह ऐलान करो कि मैं किसके ज़रिए लोगों का उद्धार करूँगा।’”

48 जब गैर-यहूदियों ने यह बात सुनी, तो वे बड़ी खुशी मनाने लगे और यहोवा के वचन की बड़ाई करने लगे, और वे सभी जो हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक अच्छा मन रखते थे, विश्‍वासी बन गए। 49 इतना ही नहीं, यहोवा का वचन आस-पास के पूरे इलाके में फैलाया जाता रहा। 50 मगर यहूदियों ने शहर की जानी-मानी स्त्रियों को, जो परमेश्‍वर की भक्‍त थीं और खास-खास आदमियों को भड़काया। ये लोग, पौलुस और बरनबास पर ज़ुल्म करवाने लगे और उन्हें अपनी सरहदों के बाहर खदेड़ दिया। 51 तब पौलुस और बरनबास ने उनके खिलाफ अपने पाँवों की धूल झाड़ दी* और इकुनियुम शहर चले गए। 52 और चेले आनंद और पवित्र शक्‍ति से भरपूर होते रहे।

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