वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • nwt तीतुस 1:1-3:15
  • तीतुस

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • तीतुस
  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
तीतुस

तीतुस के नाम चिट्ठी

1 मैं पौलुस, परमेश्‍वर का दास और यीशु मसीह का प्रेषित हूँ। मेरा विश्‍वास और मेरी सेवा, चुने हुओं के विश्‍वास के मुताबिक है और उस सच्चाई के सही ज्ञान के मुताबिक है जो परमेश्‍वर की भक्‍ति से जुड़ी है 2 और इसका आधार हमेशा की ज़िंदगी की आशा है,+ जिसका वादा परमेश्‍वर ने जो झूठ नहीं बोल सकता,+ मुद्दतों पहले किया था 3 और अपने तय वक्‍त पर प्रचार के ज़रिए उसने अपने वचन का ऐलान कराया है। प्रचार की यह ज़िम्मेदारी हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की आज्ञा से मुझे सौंपी गयी है।+ 4 जिस विश्‍वास में हम सब साझेदार हैं, उस विश्‍वास में मेरे सच्चे बेटे तीतुस, मैं तुझे यह चिट्ठी लिख रहा हूँ:

मेरी दुआ है कि परमेश्‍वर हमारे पिता और मसीह यीशु हमारे उद्धारकर्ता की तरफ से तुझे महा-कृपा और शांति मिले।

5 मैं तुझे क्रेते में इसलिए छोड़ आया था कि तू वहाँ के बिगड़े हुए हालात* सुधारे और जैसे मैंने तुझे हिदायत दी थी, तू शहर-शहर प्राचीनों को नियुक्‍त करे। 6 ऐसे भाई को नियुक्‍त करना जिस पर कोई आरोप न हो, उसकी एक ही पत्नी हो, उसके बच्चे विश्‍वासी हों और उन पर ऐयाशी की ज़िंदगी जीने* का या बागी होने का इलज़ाम न हो।+ 7 निगरानी करनेवाला भाई परमेश्‍वर का ठहराया प्रबंधक होता है इसलिए उस पर कोई इलज़ाम नहीं होना चाहिए। उसे मनमानी करनेवाला,+ गुस्सैल,+ पियक्कड़, मारपीट करनेवाला और बेईमानी की कमाई का लालची नहीं होना चाहिए। 8 बल्कि उसे मेहमान-नवाज़ी करनेवाला,+ भलाई से प्यार करनेवाला, सही सोच रखनेवाला,*+ नेक, वफादार,+ संयम बरतनेवाला+ होना चाहिए। 9 सिखाने की कला के मामले में वह विश्‍वासयोग्य वचन* को मज़बूती से थामे रहता हो+ ताकि वह न सिर्फ खरी* शिक्षा देकर हौसला बढ़ाए+ बल्कि जो इस शिक्षा का विरोध करते हैं उन्हें सुधारे भी।+

10 वहाँ कई लोग बगावती हैं, बेकार की बकबक करते हैं और दूसरों को गुमराह करते हैं, खासकर जो खतना कराने की बात पर अड़े रहते हैं।+ 11 ऐसे लोगों का मुँह बंद करना ज़रूरी है क्योंकि वे बेईमानी की कमाई के लिए ऐसी शिक्षाएँ देते हैं जो उन्हें नहीं देनी चाहिए और पूरे-के-पूरे परिवार का विश्‍वास तबाह कर देते हैं। 12 उन्हीं के एक भविष्यवक्‍ता ने कहा है, “क्रेती लोग झूठे, जंगली जानवरों जैसे खूँखार, आलसी और पेटू होते हैं।”

13 यह गवाही सच्ची है। इसीलिए तू उनके साथ सख्ती से पेश आ और उन्हें सुधारता रह ताकि वे विश्‍वास में मज़बूत* बनें 14 और यहूदियों की कथा-कहानियों और उन लोगों की आज्ञाओं पर ध्यान न दें जो सच्चाई की राह छोड़ देते हैं। 15 शुद्ध लोगों के लिए सबकुछ शुद्ध है।+ मगर जो दूषित हैं और जिनमें विश्‍वास नहीं है, उनके लिए कुछ भी शुद्ध नहीं क्योंकि उनका दिमाग और ज़मीर दोनों दूषित हैं।+ 16 वे परमेश्‍वर को जानने का सरेआम दावा तो करते हैं, मगर उनके काम दिखाते हैं कि वे परमेश्‍वर का इनकार करते हैं+ क्योंकि वे घिनौने और आज्ञा न माननेवाले हैं और किसी भी अच्छे काम के योग्य नहीं।

2 मगर तू वही बातें बताता रह जो खरी* शिक्षा के मुताबिक हैं।+ 2 बुज़ुर्ग आदमी हर बात में संयम बरतनेवाले हों, गंभीर हों, सही सोच रखते हों, उनका विश्‍वास मज़बूत हो, वे प्यार से भरपूर हों और धीरज धरनेवाले हों। 3 इसी तरह, बुज़ुर्ग औरतों का बरताव ऐसा हो जैसा पवित्र लोगों को शोभा देता है। वे बदनाम करनेवाली न हों, बहुत ज़्यादा दाख-मदिरा पीने की आदी न हों बल्कि अच्छी बातें सिखानेवाली हों 4 ताकि वे जवान औरतों को सलाह दें* कि वे अपने पति और बच्चों से प्यार करें, 5 सही सोच रखें, साफ चरित्र बनाए रखें। साथ ही वे अपने घर का काम-काज* करनेवाली, भली और अपने पति के अधीन रहनेवाली हों+ ताकि परमेश्‍वर के वचन की बदनामी न हो।

6 इसी तरह जवान भाइयों को बढ़ावा देता रह कि वे सही सोच रखें।+ 7 और तू खुद भी सब बातों में बढ़िया काम करने की मिसाल रख। पूरी गंभीरता से ऐसी बातें सिखा जो शुद्ध हैं*+ 8 और अच्छी* बातें बता जिनमें कोई दोष न निकाल सके+ ताकि हमारे विरोधी शर्मिंदा हों और उन्हें हमारे खिलाफ कुछ बुरा कहने का मौका न मिले।+ 9 जो दास हैं वे सब बातों में अपने मालिकों के अधीन रहें,+ उन्हें खुश करें, पलटकर जवाब न दें, 10 उनका कुछ न चुराएँ+ बल्कि पूरी तरह भरोसेमंद रहें ताकि वे हर तरह से हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की शिक्षा की शोभा बढ़ा सकें।+

11 परमेश्‍वर की महा-कृपा ज़ाहिर की गयी है जो सब किस्म के लोगों को उद्धार दिलाती है।+ 12 यह हमें सिखाती है कि हम भक्‍तिहीन कामों और दुनियावी इच्छाओं को ठुकराएँ+ और इस दुनिया* में सही सोच रखते हुए और नेकी और परमेश्‍वर की भक्‍ति के साथ जीवन बिताएँ।+ 13 और उस वक्‍त का इंतज़ार करते रहें जब हमारी वह आशा पूरी होगी+ जो हमें खुशी देती है और महान परमेश्‍वर और हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु की महिमा प्रकट होगी। 14 मसीह ने खुद को हमारे लिए दे दिया+ ताकि हमें हर तरह की बुराई से छुड़ाए*+ और शुद्ध करके हमें ऐसे लोग बना ले जो उसकी खास जागीर हों और बढ़िया कामों के लिए जोशीले हों।+

15 तू उन्हें ये सारी बातें बताता रह, उन्हें समझाता* रह और पूरे अधिकार के साथ उनका सुधार करता रह।+ कोई भी तुझे नीचा न देखे।

3 उन्हें याद दिलाता रह कि सरकारों और अधिकारियों के अधीन रहें और उनकी आज्ञा मानें,+ हर अच्छे काम के लिए तैयार रहें, 2 किसी के बारे में भी बदनाम करनेवाली बातें न कहें, झगड़ालू न हों, लिहाज़ करनेवाले हों+ और सब लोगों के साथ पूरी कोमलता से पेश आएँ।+ 3 इसलिए कि एक वक्‍त था जब हम भी मूर्ख थे, आज्ञा नहीं मानते थे, गुमराह थे, तरह-तरह की इच्छाओं के गुलाम थे और ऐशो-आराम में डूबे रहते थे, बुराई में लगे रहते थे, ईर्ष्या करते थे, घिनौने थे और एक-दूसरे से नफरत करते थे।

4 मगर जब हमारे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की कृपा+ और सब इंसानों के लिए उसका प्यार ज़ाहिर हुआ 5 (इसलिए नहीं कि हमने नेक काम किए थे+ बल्कि यह उसकी दया थी),+ तो उसने हमें पानी* के ज़रिए जीवन देकर+ और पवित्र शक्‍ति के ज़रिए नया बनाकर हमारा उद्धार किया।+ 6 उसने यह पवित्र शक्‍ति हमारे उद्धारकर्ता यीशु मसीह के ज़रिए हम पर बहुतायत में* उँडेली है+ 7 ताकि उसकी महा-कृपा के ज़रिए हम नेक ठहराए जाएँ+ और इसके बाद हमेशा की ज़िंदगी की आशा के मुताबिक+ वारिस बनें।+

8 ये बातें भरोसे के लायक हैं और मैं चाहता हूँ कि तू इन बातों पर ज़ोर देता रह ताकि जिन्होंने परमेश्‍वर पर यकीन किया है वे अपना ध्यान बढ़िया काम करने में लगाए रखें। ये बातें लोगों के लिए बढ़िया और फायदेमंद हैं।

9 मगर मूर्खता से भरे वाद-विवादों और वंशावलियों से और कानून पर बहस और झगड़ों से दूर रह क्योंकि इनसे कोई फायदा नहीं होता और ये बेकार हैं।+ 10 अगर कोई आदमी किसी गुट को बढ़ावा देता है,+ तो उसे पहली और दूसरी बार समझा*+ और इसके बाद उससे संगति करना छोड़ दे,+ 11 यह जानते हुए कि ऐसा आदमी सही राह से हट गया है और पाप कर रहा है और उसने खुद को दोषी ठहराया है।

12 जब मैं अरतिमास या तुखिकुस+ को तेरे पास भेजूँ, तो तू नीकुपुलिस में मेरे पास आने की पूरी कोशिश करना क्योंकि मैंने सर्दियाँ वहीं बिताने का फैसला किया है। 13 ज़ेनस को, जो कानून का जानकार है और अपुल्लोस को वह सारी चीज़ें देना जो उनके सफर के लिए ज़रूरी हैं ताकि उन्हें कोई कमी न हो।+ 14 हमारे लोग भी बढ़िया कामों में लगे रहना सीखें ताकि मुसीबत के वक्‍त मदद कर सकें+ और निकम्मे* न बनें।+

15 जो लोग मेरे साथ हैं वे सब तुझे नमस्कार कह रहे हैं। उन लोगों को मेरा नमस्कार कहना जो विश्‍वास में हमसे गहरा लगाव रखते हैं।

परमेश्‍वर की महा-कृपा तुम सब पर बनी रहे।

या “वहाँ की कमियाँ।”

या “बेकाबू बरताव।”

या “समझ-बूझ से; समझदारी से काम लेनेवाला।”

या “भरोसेमंद संदेश।”

या “स्वास्थ्यकर; फायदेमंद।”

या “स्वस्थ।”

या “स्वास्थ्यकर; फायदेमंद।”

या “के होश ठिकाने लाएँ; सिखाएँ।”

या “घर की देखभाल।”

या शायद, “शुद्धता से सिखा।”

या “स्वास्थ्यकर; फायदेमंद।”

या “दुनिया की व्यवस्था।” शब्दावली देखें।

शा., “हमारे लिए फिरौती दे।”

या “उनका हौसला बढ़ाता।”

शा., “स्नान।”

या “उदारता से।”

या “चेतावनी दे।”

शा., “निष्फल।”

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें