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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
फिलिप्पियों

फिलिप्पियों के नाम चिट्ठी

1 पौलुस और तीमुथियुस, जो मसीह यीशु के दास हैं, फिलिप्पी+ में रहनेवाले सभी पवित्र जनों को जो मसीह यीशु के साथ एकता में हैं और निगरानी करनेवालों और सहायक सेवकों+ को यह चिट्ठी लिख रहे हैं:

2 हमारे पिता यानी परमेश्‍वर की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से तुम्हें महा-कृपा और शांति मिले।

3 मैं जब भी तुम्हें याद करता हूँ, तो अपने परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ। 4 मैं तुम सबके लिए हमेशा खुशी-खुशी मिन्‍नतें करता हूँ+ 5 क्योंकि जिस दिन तुमने खुशखबरी सुनी थी, उस दिन से लेकर आज के दिन तक तुमने खुशखबरी फैलाने में कितना बढ़िया योगदान दिया है। 6 मुझे इस बात का यकीन है कि परमेश्‍वर जिसने तुम्हारे बीच एक भले काम की शुरूआत की है, वह मसीह यीशु के दिन+ तक उसे पूरा भी करेगा।+ 7 तुम सबके बारे में ऐसा सोचना मेरे लिए बिलकुल सही है क्योंकि तुम मेरे दिल में बसे हो। चाहे मेरी ज़ंजीरों में कैद होने की बात हो या खुशखबरी की पैरवी करने और उसे कानूनी मान्यता दिलाने की,+ तुम सब मेरे साथ परमेश्‍वर की महा-कृपा में साझेदार हो।+

8 परमेश्‍वर मेरा गवाह है कि मैं तुम सबसे मिलने के लिए कितना तरस रहा हूँ, क्योंकि मैं तुमसे वैसा ही गहरा लगाव रखता हूँ जैसा मसीह यीशु रखता है। 9 और मैं यही प्रार्थना करता रहता हूँ कि सही ज्ञान+ और पैनी समझ+ के साथ तुम्हारा प्यार और भी बढ़ता जाए+ 10 ताकि तुम पहचान सको कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं,+ जिससे कि मसीह के दिन तक तुम्हारे अंदर कोई खामी न हो और तुम दूसरों के विश्‍वास में बाधा न बनो*+ 11 और नेकी के फलों से लद जाओ जो तुम यीशु मसीह की बदौलत पैदा कर पाओगे+ ताकि परमेश्‍वर की महिमा और तारीफ हो।

12 भाइयो, मैं चाहता हूँ कि तुम यह जान लो कि आज मैं जिस हाल में हूँ, उससे खुशखबरी फैलाने में मदद ही मिली है। 13 सम्राट के अंगरक्षक दल के सब लोग और बाकी लोग भी जान गए हैं+ कि मैं मसीह की वजह से ज़ंजीरों में हूँ।+ 14 अब प्रभु में ज़्यादातर भाइयों को मेरे कैद में होने की वजह से हिम्मत मिली है और वे पहले से ज़्यादा निडर और बेधड़क होकर परमेश्‍वर का वचन सुना रहे हैं।

15 यह सच है कि कुछ लोग ईर्ष्या और होड़ की भावना से मसीह का प्रचार कर रहे हैं, मगर दूसरे अच्छी भावना से प्रचार कर रहे हैं। 16 जो अच्छी भावना से प्रचार कर रहे हैं वे प्यार की वजह से मसीह का प्रचार करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मुझे खुशखबरी की पैरवी करने के लिए ठहराया गया है।+ 17 मगर जो नेक इरादे से नहीं बल्कि झगड़ा करने के इरादे से प्रचार करते हैं, वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि मैं कैद में दुखी हो जाऊँ। 18 मगर इसका नतीजा क्या हुआ है? यही कि चाहे कोई गलत इरादे से करे या नेक इरादे से, मसीह का प्रचार तो हो रहा है और इससे मुझे खुशी मिलती है। दरअसल, मैं खुशी मनाता रहूँगा 19 क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारी मिन्‍नतों की वजह से और यीशु मसीह से मिलनेवाली पवित्र शक्‍ति की मदद से+ मेरा उद्धार होगा।+ 20 और मैं दिल से यही उम्मीद और आशा करता हूँ कि मुझे किसी भी तरह से शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। इसके बजाय जैसे हमेशा होता आया है, वैसे ही अब भी मेरे बेझिझक बोलने की वजह से मेरे* ज़रिए मसीह की बड़ाई होगी, फिर चाहे मैं जीऊँ या मर जाऊँ।+

21 जहाँ तक मेरी बात है, अगर मैं जीऊँ तो मसीह की सेवा में लगा रहूँगा+ और अगर मैं मर जाऊँ तो यह भी मेरे फायदे के लिए होगा।+ 22 जब तक मैं दुनिया में* ज़िंदा हूँ, मैं अपने काम से और ज़्यादा फल पैदा कर सकूँगा। मैं नहीं बताता कि मैं क्या चुनूँगा। 23 मैं बड़ी उलझन में हूँ कि दोनों में से क्या चुनूँ। मैं चाहता तो यही हूँ कि छुटकारा पाकर मसीह के साथ रहूँ,+ क्योंकि यही बढ़िया रहेगा।+ 24 लेकिन तुम्हारी खातिर मेरे लिए इस दुनिया में जीते रहना ज़्यादा ज़रूरी है। 25 मुझे पूरा यकीन है और मैं जानता हूँ कि मैं ज़िंदा रहूँगा और तुम सबके साथ रहूँगा ताकि तुम तरक्की करो और विश्‍वास में खुशी मनाओ 26 और जब मैं दोबारा तुम्हारे साथ रहूँगा, तो मसीह यीशु में तुम्हारी खुशी उमड़ती रहे।

27 सिर्फ इस बात का ध्यान रखो कि तुम्हारा चालचलन मसीह की खुशखबरी के योग्य रहे*+ ताकि चाहे मैं आकर तुमसे मिलूँ या दूर रहूँ, मैं तुम्हारे बारे में यही सुनूँ और पाऊँ कि तुम सब एक ही सोच रखते हुए, मज़बूती से एक-साथ खड़े हो+ और खुशखबरी पर विश्‍वास के लिए कंधे-से-कंधा मिलाकर कड़ा संघर्ष कर रहे हो 28 और किसी भी बात में विरोधियों से नहीं डरते। यही उनके लिए विनाश+ का और तुम्हारे लिए उद्धार का सबूत है।+ यह परमेश्‍वर की तरफ से है। 29 क्योंकि मसीह की खातिर तुम्हें यह सम्मान दिया गया है कि तुम न सिर्फ उस पर विश्‍वास करो बल्कि उसकी खातिर दुख भी सहो।+ 30 तुम भी वैसा ही संघर्ष कर रहे हो जैसा तुमने मुझे करते देखा था+ और जैसा कि तुमने सुना है मैं अब भी संघर्ष कर रहा हूँ।

2 तो फिर अगर तुम मसीह में एक-दूसरे का हौसला बढ़ाना चाहते हो, प्यार से दिलासा देना चाहते हो, हमदर्दी जताना चाहते हो, एक-दूसरे से गहरा लगाव रखना और एक-दूसरे पर करुणा करना चाहते हो, 2 तो तुम एक जैसी सोच रखो और तुममें एक-सा प्यार हो, तुममें पूरी एकता हो और तुम्हारे विचार एक जैसे हों।+ ऐसा करके तुम मुझे पूरी हद तक खुशी दो। 3 झगड़ालू रवैए+ या अहंकार की वजह से कुछ न करो,+ मगर नम्रता से दूसरों को खुद से बेहतर समझो।+ 4 और हर एक सिर्फ अपने भले की फिक्र में न रहे,+ बल्कि दूसरे के भले की भी फिक्र करे।+

5 तुम वैसी सोच और वैसा नज़रिया रखो जैसा मसीह यीशु का था।+ 6 उसने परमेश्‍वर के स्वरूप में होते हुए भी,+ परमेश्‍वर की बराबरी करने की कभी नहीं सोची।+ 7 इसके बजाय, उसने अपना सबकुछ त्याग दिया* और एक दास का रूप लिया+ और इंसान बन गया।+ 8 इतना ही नहीं, जब वह इंसान बनकर आया* तो उसने खुद को नम्र किया और इस हद तक आज्ञा मानी कि उसने मौत भी,+ हाँ, यातना के काठ* पर मौत भी सह ली।+ 9 इसी वजह से परमेश्‍वर ने उसे पहले से भी ऊँचा पद देकर महान किया+ और कृपा करके उसे वह नाम दिया जो दूसरे हर नाम से महान है+ 10 ताकि जो स्वर्ग में हैं और जो धरती पर हैं और जो ज़मीन के नीचे हैं, हर कोई यीशु के नाम से घुटने टेके+ 11 और हर जीभ खुलकर यह स्वीकार करे कि यीशु मसीह ही प्रभु है+ ताकि परमेश्‍वर हमारे पिता की महिमा हो।

12 मेरे प्यारे भाइयो, तुम हमेशा से आज्ञा मानते आए हो। जब मैं तुम्हारे साथ था तब भी मानते थे और अब जब मैं तुमसे दूर हूँ तो तुम और भी खुशी-खुशी आज्ञा मानते हो। तुम इसी तरह डरते-काँपते हुए अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ। 13 क्योंकि परमेश्‍वर ही अपनी मरज़ी के मुताबिक तुम्हें मज़बूत करता है और तुम्हारे अंदर इच्छा पैदा करता है और उसे पूरा करने की ताकत भी देता है। 14 सब काम बिना कुड़कुड़ाए+ और बिना बहस के करते रहो+ 15 ताकि तुम निर्दोष और मासूम और परमेश्‍वर के बच्चे ठहरो+ और एक टेढ़ी और भ्रष्ट पीढ़ी+ के बीच बेदाग बने रहो, जिसके बीच तुम इस दुनिया में रौशनी की तरह चमक रहे हो+ 16 और जीवन के वचन पर मज़बूत पकड़ बनाए रखो।+ तब मसीह के दिन मैं इस बात पर खुशी मना सकूँगा कि मैं बेकार ही नहीं दौड़ा या मैंने बेकार ही कड़ी मेहनत नहीं की। 17 फिर भी चाहे तुम्हारे उस बलिदान+ पर और तुम्हारी पवित्र सेवा* पर जो तुम विश्‍वास की वजह से कर रहे हो, मुझे अर्घ की तरह उँडेला जा रहा है,+ तो भी मैं खुश होता हूँ और तुम सबके साथ खुशी मनाता हूँ। 18 इसी तरह तुम्हें भी मेरे साथ खुश होना चाहिए और आनंद मनाना चाहिए।

19 अब मैं आशा करता हूँ कि अगर प्रभु यीशु की मरज़ी हो, तो बहुत जल्द मैं तीमुथियुस को तुम्हारे पास भेजूँगा+ ताकि तुम्हारे बारे में खबर सुनकर मेरा हौसला बढ़े। 20 इसलिए कि मेरे पास उसके जैसा स्वभाव रखनेवाला दूसरा और कोई भी नहीं, जो सच्चे दिल से तुम्हारी परवाह करेगा। 21 क्योंकि बाकी सभी अपने ही भले की फिक्र में रहते हैं, कोई यीशु मसीह के काम की फिक्र नहीं करता। 22 लेकिन तुम खुद उसके बारे में जानते हो कि जैसे एक बेटा+ अपने पिता का हाथ बँटाता है वैसे ही उसने खुशखबरी फैलाने में मेरे साथ कड़ी मेहनत की है। 23 इसलिए मैं आशा करता हूँ कि जैसे ही मुझे मालूम पड़ेगा कि मेरे साथ क्या होनेवाला है मैं उसी को तुम्हारे पास भेजूँगा। 24 और प्रभु में मुझे भरोसा है कि मैं खुद भी जल्द ही तुम्हारे पास आऊँगा।+

25 मगर फिलहाल मैं इपाफ्रोदितुस को तुम्हारे पास भेजना ज़रूरी समझता हूँ। वह मेरा भाई, सहकर्मी और संगी सैनिक है और तुम्हारा भेजा हुआ दूत है और एक सेवक के नाते मेरी मदद करता है।+ 26 वह तुम सबको देखने के लिए तरस रहा है और बहुत हताश हो गया है क्योंकि तुमने सुना था कि वह बीमार पड़ गया है। 27 वह इतना बीमार हो गया था कि मरने पर था। मगर परमेश्‍वर ने उस पर दया की और सिर्फ उस पर ही नहीं बल्कि मुझ पर भी की ताकि मुझे दुख-पर-दुख न मिले। 28 इसलिए मैं उसे जल्द-से-जल्द भेज रहा हूँ ताकि उसे देखकर तुम फिर से खुश हो जाओ और मेरी चिंता भी कुछ कम हो जाए। 29 इसलिए जैसा दस्तूर है, प्रभु में बड़ी गर्मजोशी से और खुशी-खुशी उसका स्वागत करना और ऐसे भाइयों को अनमोल समझना।+ 30 क्योंकि मसीह के काम* की खातिर उसने अपनी जान की बाज़ी लगा दी और वह मरने पर था ताकि तुम्हारे यहाँ न होने की कमी पूरी करे और तुम्हारे बदले मेरी सेवा करे।+

3 आखिर में मेरे भाइयो, तुम प्रभु में खुशी मनाते रहो।+ तुम्हें वही बातें फिर से लिखना मेरे लिए परेशानी की बात नहीं है, मगर इनसे तुम्हारी ही हिफाज़त होगी।

2 अशुद्ध लोगों* से खबरदार रहो, नुकसान पहुँचानेवालों से खबरदार रहो और जो शरीर के अंगों की काट-कूट करते हैं, उनसे खबरदार रहो।+ 3 इसलिए कि हम वे हैं जिनका सही मायनों में खतना हुआ है,+ जो परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से पवित्र सेवा करते हैं और मसीह यीशु पर गर्व करते हैं+ और शरीर पर भरोसा नहीं करते। 4 लेकिन अगर किसी के पास शरीर पर भरोसा करने की वजह है, तो सबसे बढ़कर मेरे पास है।

अगर कोई और आदमी सोचता है कि उसके पास शरीर पर भरोसा करने की वजह है तो उससे भी बढ़कर मेरे पास हैं: 5 आठवें दिन मेरा खतना हुआ,+ मैं इसराएल राष्ट्र के बिन्यामीन गोत्र का हूँ, जन्म से इब्रानी हूँ और मेरे माता-पिता भी इब्रानी थे।+ कानून के हिसाब से मैं एक फरीसी हूँ।+ 6 जहाँ तक जोशीला होने की बात है, मैं मंडली पर ज़ुल्म किया करता था।+ जहाँ तक कानून से नेक ठहरने की बात है, मैंने खुद को निर्दोष साबित किया है। 7 फिर भी जो बातें मेरे फायदे की थीं, उन्हें मैंने मसीह की खातिर बेकार समझा है।*+ 8 यही नहीं, मैं अपने प्रभु मसीह यीशु के बारे में उस ज्ञान की खातिर जिसका कोई मोल नहीं लगाया जा सकता, सब बातों को बेकार समझता हूँ। उसी की खातिर मैंने सब बातों को ठुकरा दिया है और मैं उन्हें ढेर सारा कूड़ा समझता हूँ ताकि मसीह को पा सकूँ 9 और उसके साथ एकता में पाया जाऊँ और इस वजह से नहीं कि मैं कानून मानकर नेक ठहरा हूँ बल्कि मसीह पर विश्‍वास करने की वजह से परमेश्‍वर मुझे नेक समझता है।+ 10 मेरा लक्ष्य यही है कि मैं मसीह को और उसके दोबारा ज़िंदा होने की ताकत को जानूँ+ और उसके जैसी दुख-तकलीफें सहूँ+ और उसके जैसी मौत मरने के लिए खुद को दे दूँ+ 11 ताकि मैं किसी तरह उन लोगों में से होऊँ जो पहले ज़िंदा किए जाएँगे।+

12 ऐसी बात नहीं कि मैं अभी से यह इनाम पा चुका हूँ या मैं परिपूर्ण हो चुका हूँ, बल्कि मैं पुरज़ोर कोशिश कर रहा हूँ+ ताकि मैं हर हाल में वह इनाम पा सकूँ जिसके लिए मसीह यीशु ने मुझे चुना है।+ 13 भाइयो, मैं अपने बारे में यह नहीं मानता कि मैं वह इनाम पा चुका हूँ, मगर एक बात पक्की है: जो बातें पीछे रह गयी हैं, उन्हें भूलकर+ मैं खुद को खींचता हुआ उन बातों की तरफ बढ़ता जा रहा हूँ जो आगे रखी हैं।+ 14 और परमेश्‍वर ने मसीह यीशु के ज़रिए ऊपर का जो बुलावा दिया है,+ उस इनाम+ के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए मैं पुरज़ोर कोशिश कर रहा हूँ। 15 इसलिए हम सभी जो प्रौढ़* हैं,+ हमारी सोच और हमारा नज़रिया ऐसा ही हो। और अगर तुम्हारा झुकाव किसी और तरफ होगा तो परमेश्‍वर तुम पर ज़ाहिर कर देगा कि सही सोच और नज़रिया क्या है। 16 और हमने जिस हद तक तरक्की की है, आओ हम इसी राह पर कायदे से चलते रहें।

17 भाइयो, तुम सब मिलकर मेरी मिसाल पर चलो+ और उन पर गौर करते रहो जो उस मिसाल के मुताबिक चलते हैं जो हमने तुम्हारे लिए रखी है। 18 इसलिए कि ऐसे कई हैं जिनका मैं पहले अकसर ज़िक्र किया करता था लेकिन अब उनका ज़िक्र करते वक्‍त मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं, क्योंकि वे मसीह के यातना के काठ* के दुश्‍मन बन गए हैं। 19 उनका अंजाम विनाश है और उनका पेट ही उनका ईश्‍वर है और जिन बातों पर उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए, उन पर वे घमंड करते हैं और धरती की बातों के बारे में सोचते रहते हैं।+ 20 मगर हमारी नागरिकता+ स्वर्ग की है+ और उसी जगह से हम एक उद्धारकर्ता यानी प्रभु यीशु मसीह का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।+ 21 वह अपनी उस महाशक्‍ति से, जिसके ज़रिए वह सबकुछ अपने वश में कर सकता है,+ हमारे तुच्छ शरीर को बदलकर इन्हें अपने शरीर की तरह महिमा से भर देगा।+

4 इसलिए मेरे भाइयो, तुम जो मेरी खुशी और मेरा ताज हो+ और जिनसे मैं प्यार करता हूँ और जिनसे मिलने के लिए मैं तरस रहा हूँ, तुम प्रभु में इसी तरह मज़बूती से खड़े रहो।+

2 मैं यूओदिया को समझाता हूँ और सुन्तुखे को भी कि वे प्रभु में एक जैसी सोच रखें।+ 3 हाँ, मेरे सच्चे सहकर्मी, मैं तुझसे भी गुज़ारिश करता हूँ कि इन दोनों की मदद करता रह क्योंकि इन्होंने खुशखबरी सुनाने में मेरे साथ और क्लेमेंस और मेरे बाकी सहकर्मियों के साथ जिनके नाम जीवन की किताब में हैं,+ कंधे-से-कंधा मिलाकर कड़ी मेहनत की है।*

4 प्रभु में हमेशा खुश रहो। मैं एक बार फिर कहता हूँ, खुश रहो!+ 5 सब लोग जान जाएँ कि तुम लिहाज़ करनेवाले इंसान हो।+ प्रभु पास है। 6 किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो,+ मगर हर बात के बारे में प्रार्थना और मिन्‍नतों और धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर से बिनतियाँ करो।+ 7 तब परमेश्‍वर की वह शांति+ जो समझ से परे है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल की+ और तुम्हारे दिमाग के सोचने की ताकत* की हिफाज़त करेगी।

8 आखिर में भाइयो, जो बातें सच्ची हैं, जो बातें गंभीर सोच-विचार के लायक हैं, जो बातें नेक हैं, जो बातें साफ-सुथरी* हैं, जो बातें चाहने लायक हैं, जो बातें अच्छी मानी जाती हैं, जो बातें सद्‌गुण की हैं और जो तारीफ के लायक हैं, उन्हीं पर ध्यान देते रहो।*+ 9 जो बातें तुमने मुझसे सीखीं और स्वीकार कीं, साथ ही मुझसे सुनीं और मुझमें देखीं, उन्हें मानते रहो+ और शांति का परमेश्‍वर तुम्हारे साथ रहेगा।

10 मैं प्रभु में बहुत खुश हूँ कि अब फिर से तुम मेरे भले के बारे में सोचने लगे हो।+ तुम्हें पहले भी मेरी चिंता थी, मगर तुम्हें यह दिखाने का मौका नहीं मिला था। 11 ऐसा नहीं कि मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत है इसलिए मैं ऐसा कह रहा हूँ, क्योंकि मैं चाहे जैसे भी हाल में रहूँ उसी में संतोष करना मैंने सीख लिया है।+ 12 मैं जानता हूँ कि कम चीज़ों में गुज़ारा करना कैसा होता है+ और यह भी जानता हूँ कि भरपूरी में जीना कैसा होता है। मैंने हर बात में और हर तरह के हालात में यह राज़ सीख लिया है कि भरपेट होना कैसा होता है और भूखे पेट होना कैसा होता है, भरा-पूरा होना कैसा होता है और तंगी झेलना कैसा होता है। 13 इसलिए कि जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्‍ति मिलती है।+

14 फिर भी तुमने यह अच्छा किया कि मेरे दुखों में मेरा साथ दिया। 15 फिलिप्पी के भाइयो, तुम यह भी जानते हो कि जब तुमने पहली बार खुशखबरी सुनी और मैं मकिदुनिया से रवाना हुआ, तो तुम्हारे अलावा किसी भी मंडली ने न तो मेरी मदद की और न मुझसे मदद ली।+ 16 क्योंकि जब मैं थिस्सलुनीके में था, तब तुमने मेरी ज़रूरत पूरी करने के लिए मुझे एक बार नहीं बल्कि दो बार कुछ भेजा था। 17 ऐसा नहीं है कि मैं तुमसे तोहफा पाने की उम्मीद कर रहा हूँ, बल्कि मैं वह फल पाना चाहता हूँ जो तुम्हारे खाते में और अच्छाई जोड़ देगा। 18 मगर मेरे पास ज़रूरत की हर चीज़ है और भरपूर है। अब मुझे कोई कमी नहीं है क्योंकि तुमने इपाफ्रोदितुस+ के हाथों तोहफा जो भेजा है। यह तोहफा परमेश्‍वर को स्वीकार होनेवाला ऐसा खुशबूदार बलिदान है+ जिससे वह बेहद खुश होता है। 19 बदले में मेरा परमेश्‍वर भी अपनी महिमा की दौलत से मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारी हर ज़रूरत पूरी करेगा।+ 20 हमारे परमेश्‍वर और पिता की महिमा हमेशा-हमेशा तक होती रहे। आमीन।

21 हर एक पवित्र जन को जो मसीह यीशु के साथ एकता में है, मेरा नमस्कार कहना। जो भाई मेरे साथ हैं वे तुम्हें नमस्कार कहते हैं। 22 सभी पवित्र जन, खासकर जो सम्राट* के घराने के हैं,+ तुम्हें नमस्कार कहते हैं।

23 तुम जो बढ़िया जज़्बा दिखाते हो उस वजह से प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा तुम पर बनी रहे। आमीन।

शा., “दूसरों को ठोकर न खिलाओ।”

शा., “मेरे शरीर के।”

शा., “शरीर में।”

या “तुम नागरिकों जैसा बरताव करो।”

शा., “खुद को पूरी तरह खाली कर दिया।”

शा., “जब उसने खुद को इंसान की शक्ल-सूरत में पाया।”

शब्दावली देखें।

या “जन-सेवा।”

या शायद, “प्रभु के काम।”

शा., “कुत्तों।”

या शायद, “खुशी-खुशी छोड़ दिया है।”

या “सयाने और समझदार।”

शब्दावली देखें।

या “कड़ा संघर्ष किया है।”

या “तुम्हारे दिमाग; तुम्हारे विचारों।”

या “शुद्ध।”

या “सोचते रहो; मनन करते रहो।”

यूनानी में “कैसर।”

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