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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
विलापगीत

विलापगीत

א [आलेफ ]*

1 वह नगरी जो कभी लोगों से आबाद रहती थी, अब कैसी अकेली बैठी है!+

जो कभी राष्ट्रों से ज़्यादा भरी-पूरी थी, अब कैसे विधवा जैसी हो गयी है!+

जो कभी बहुत-से इलाकों* की मलिका थी, अब कैसे दासी बन गयी है!+

ב [बेथ ]

 2 वह रात-भर फूट-फूटकर रोती है,+ आँसुओं से उसके गाल भीग जाते हैं।

उसके इतने यारों में एक भी ऐसा नहीं जो उसे दिलासा दे।+

उसके अपने साथियों ने उसे दगा दिया है,+ वे सब उसके दुश्‍मन बन बैठे हैं।

ג [गिमेल ]

 3 यहूदा बँधुआई में चली गयी है,+ वह दुख झेल रही है, कड़ी गुलामी कर रही है।+

उसे दूसरे राष्ट्रों में रहना होगा,+ उसे कहीं चैन नहीं।

जब वह बदहाल थी तभी ज़ुल्म ढानेवाले सब उस पर टूट पड़े।

ד [दालथ ]

 4 सिय्योन की तरफ जानेवाली सड़कें मातम मना रही हैं, क्योंकि त्योहार के लिए कोई नहीं आता।+

उसके सब फाटक उजाड़ पड़े हैं,+ उसके याजक आहें भर रहे हैं।

उसकी कुँवारियाँ* गम मना रही हैं, वह खुद दुख से तड़प रही है।

ה [हे ]

 5 उसके बैरी उसके मालिक बन गए हैं, उसके दुश्‍मन बेफिक्र हैं।+

यहोवा ने उसके बहुत-से अपराधों की वजह से उसे यह दुख दिया है।+

दुश्‍मन उसके बच्चों को बँधुआई में ले गया है।+

ו [वाव ]

 6 सिय्योन की बेटी का सारा वैभव मिट गया है।+

उसके हाकिम उन हिरनों जैसे हैं जिन्हें कोई चरागाह नहीं मिला,

उनका पीछा किया जा रहा है, लेकिन वे थके-हारे चल रहे हैं।

ז [जैन ]

 7 मुसीबत के इन दिनों में जब यरूशलेम बेघर हो गयी है,

वह अपने गुज़रे दिनों को याद करती है,

जब उसके पास बेशकीमती चीज़ें हुआ करती थीं।+

उसके लोग बैरी के हाथ में पड़ गए और उसका कोई मददगार न था।+

दुश्‍मनों ने यह सब देखा और उसका गिरना देखकर हँसने लगे।+

ח [हेथ ]

 8 यरूशलेम ने महापाप किया है।+

इसीलिए वह एक घिनौनी चीज़ हो गयी है।

जो कभी उसका बहुत सम्मान करते थे, अब वे उसे नीचा देखते हैं क्योंकि उन्होंने उसका नंगापन देख लिया।+

वह खुद भी कराहती है,+ शर्म से अपना मुँह छिपा लेती है।

ט [टेथ ]

 9 उसकी अशुद्धता उसके घाघरे पर है।

उसने अंजाम की कोई फिक्र नहीं की थी।+

वह ऐसे गिरी कि सब देखकर चौंक गए, उसे दिलासा देनेवाला कोई नहीं।

हे यहोवा, मेरी हालत देख क्योंकि दुश्‍मन खुद पर फूल रहा है।+

י [योध ]

10 बैरी ने उसका सारा खज़ाना लूट लिया है।+

यरूशलेम ने दूसरे राष्ट्रों को अपने पवित्र-स्थान में घुसते देखा,+

उन राष्ट्रों को, जिनको तूने अपनी मंडली में आने से मना किया था।

כ [काफ ]

11 उसके सभी लोग आहें भर रहे हैं, रोटी की तलाश में भटक रहे हैं।+

उन्होंने अपनी कीमती चीज़ें दे डालीं ताकि उन्हें खाने को कुछ मिले और वे ज़िंदा रह सकें।

हे यहोवा, देख, मैं कैसी तुच्छ औरत* बन गयी हूँ।

ל [लामेध ]

12 हे राहगीरो, क्या तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता?

मुझे देखो, मुझ पर गौर करो!

क्या इस दर्द से बढ़कर कोई और दर्द है,

जो यहोवा ने मुझे उस दिन दिया जब उसके क्रोध की आग भड़की थी?+

מ [मेम ]

13 उसने ऊपर से मेरी हड्डियों में आग भेजी,+

वह मेरी हर हड्डी को अपने काबू में करता है।

उसने मेरे पैरों के लिए एक जाल बिछाया, मुझे पीछे मुड़ने पर मजबूर कर दिया।

उसने मुझे दुखियारी बनाकर छोड़ा।

सारा दिन मैं बीमार पड़ी रहती हूँ।

נ [नून ]

14 उसने अपने हाथ से मेरे अपराधों को जुए की तरह कसा है।

उन्हें मेरी गरदन पर रखा गया है, मेरी ताकत जवाब दे गयी है।

यहोवा ने मुझे ऐसे लोगों के हाथ कर दिया जिनका मैं मुकाबला नहीं कर सकती।+

ס [सामेख ]

15 यहोवा ने मेरे बीच से सभी ताकतवर आदमियों को उठाकर फेंक दिया।+

उसने मेरे खिलाफ लोगों का एक दल बुलाया ताकि मेरे जवानों को कुचल दे।+

यहोवा ने यहूदा की कुँवारी बेटी को अंगूर रौंदने के हौद में रौंद दिया।+

ע [ऐयिन ]

16 इसीलिए मैं रो रही हूँ,+ मेरी आँखों से आँसू बह रहे हैं।

क्योंकि जो मुझे दिलासा दे सकता था या मुझे तरो-ताज़ा कर सकता था वह कोसों दूर है।

मेरे बेटों के लिए कोई उम्मीद नहीं बची क्योंकि दुश्‍मन जीत गया है।

פ [पे ]

17 सिय्योन हाथ फैलायी हुई है,+ उसे दिलासा देनेवाला कोई नहीं।

यहोवा ने याकूब के आस-पास के सभी बैरियों को हुक्म दिया कि वे उस पर हमला करें।+

यरूशलेम उनके लिए एक घिनौनी चीज़ बन गयी है।+

צ [सादे ]

18 यहोवा नेक है,+ मैंने उसकी आज्ञाओं के खिलाफ जाकर बगावत की थी।+

सब देशों के लोगो, सुनो और मेरा दर्द देखो।

मेरी कुँवारियाँ* और मेरे जवान बँधुआई में चले गए हैं।+

ק [कोफ ]

19 मैंने अपने यारों को बुलाया, मगर उन्होंने मुझे दगा दे दिया।+

मेरे याजक और प्रधान खाना तलाश रहे थे ताकि ज़िंदा रह सकें,

मगर वे शहर में भटकते-भटकते मर गए।+

ר [रेश ]

20 हे यहोवा, देख, मैं कितनी बड़ी मुसीबत में हूँ।

मेरे अंदर* मरोड़ पड़ रही है।

मेरा दिल अंदर-ही-अंदर छटपटा रहा है, क्योंकि मैंने बगावत करने में हद कर दी।+

बाहर तलवार मेरे बच्चों को मुझसे छीन रही है,+ घर के अंदर भी मौत का मंज़र है।

ש [शीन ]

21 लोगों ने मेरा कराहना सुना है, मुझे दिलासा देनेवाला कोई नहीं।

मेरे सब दुश्‍मनों ने मेरी विपत्ति की खबर सुनी है।

वे बहुत खुश हैं क्योंकि तू यह विपत्ति लाया है।+

मगर तू वह दिन भी लाएगा जिसका तूने ऐलान किया है,+ जब उनकी हालत मेरी जैसी होगी।+

ת [ताव ]

22 उनकी सारी बुराइयों पर तू ध्यान दे, उनके साथ कड़ाई से पेश आ,+

जैसे तू मेरे सभी अपराधों की वजह से मेरे साथ कड़ाई से पेश आया था।

मेरी कराहों का कोई हिसाब नहीं, मेरा मन रोगी है।

א [आलेफ ]

2 देख, यहोवा ने कैसे गुस्से में आकर सिय्योन की बेटी को काले बादल से ढाँप दिया है!

उसने इसराएल की खूबसूरती आसमान से ज़मीन पर पटक दी है।+

अपने क्रोध के दिन उसने अपने पाँवों की चौकी का ध्यान नहीं रखा।+

ב [बेथ ]

 2 यहोवा ने याकूब में रहने की सारी जगह निगल ली हैं, उन पर बिलकुल दया नहीं की।

जलजलाहट में आकर उसने यहूदा की बेटी के किले ढा दिए हैं।+

उसने उसके राज्य और उसके हाकिमों को ज़मीन पर गिराकर बेइज़्ज़त कर दिया है।+

ג [गिमेल ]

 3 गुस्से से तमतमाते हुए उसने इसराएल का हर सींग काट डाला।*

जब दुश्‍मन ने हमला किया तो उसने अपना दायाँ हाथ खींच लिया,+

याकूब पर उसका गुस्सा आग की तरह भड़कता रहा, जिससे आस-पास की हर चीज़ भस्म हो गयी।+

ד [दालथ ]

 4 उसने दुश्‍मन की तरह अपनी कमान चढ़ायी है,

बैरी की तरह हमला करने के लिए अपना दायाँ हाथ उठाया है,+

वह उन सबको मार डालता रहा जो हमारी नज़रों में अनमोल थे।+

उसने सिय्योन की बेटी के तंबू में अपने क्रोध की आग बरसायी।+

ה [हे ]

 5 यहोवा एक दुश्‍मन जैसा बन गया है,+

उसने इसराएल को निगल लिया है।

उसकी सभी मीनारें निगल ली हैं,

उसकी सभी किलेबंद जगह नाश कर दी हैं।

उसने यहूदा की बेटी का मातम और विलाप बढ़ा दिया है।

ו [वाव ]

 6 वह अपने डेरे को बुरी तरह तबाह करता है,+ मानो वह बाग में कोई छप्पर हो।

उसने अपने त्योहारों का अंत* कर दिया है।+

यहोवा ने सिय्योन में त्योहार और सब्त की याद मिटा दी है,

भयानक क्रोध में आकर उसने राजा और याजक को नकार दिया है।+

ז [जैन ]

 7 यहोवा ने अपनी वेदी ठुकरा दी है,

अपने पवित्र-स्थान से अपनी मंज़ूरी हटा ली है।+

उसने उसकी किलेबंद मीनारों की दीवारें दुश्‍मन के हाथ में कर दी हैं।+

उन्होंने यहोवा के भवन में ऐसा होहल्ला मचाया+ मानो कोई त्योहार हो।

ח [हेथ ]

 8 यहोवा ने ठान लिया है कि वह सिय्योन की बेटी की शहरपनाह ढा देगा।+

उसने नापने की डोरी से उसे नापा है।+

उसे नाश करने से अपना हाथ नहीं रोका।

वह शहरपनाह और सुरक्षा की ढलान को मातम मनाने पर मजबूर करता है।

उन्हें कमज़ोर कर दिया गया है।

ט [टेथ ]

 9 उसके फाटक ज़मीन पर गिर पड़े हैं।+

उसने उसके बेड़े तोड़कर नाश कर दिए हैं।

उसके राजा और हाकिम दूसरे राष्ट्रों में हैं।+

कानून* नाम की चीज़ नहीं रही, उसके भविष्यवक्‍ताओं को भी यहोवा से कोई दर्शन नहीं मिलता।+

י [योध ]

10 सिय्योन की बेटी के मुखिया ज़मीन पर खामोश बैठे हैं।+

वे अपने सिर पर धूल डालते हैं और टाट ओढ़ते हैं।+

यरूशलेम की कुँवारियाँ सिर झुकाए बैठी हैं।

כ [काफ ]

11 आँसू बहाते-बहाते मेरी आँखें थक गयी हैं।+

मेरे अंदर* मरोड़ पड़ रही है।

मेरे लोगों की बेटी* गिर गयी है,

नन्हे-मुन्‍ने और दूध-पीते बच्चे कसबे के चौकों पर बेहोश हो रहे हैं,+

इस वजह से मेरा कलेजा ज़मीन पर उँडेल दिया गया है।+

ל [लामेध ]

12 जब वे शहर के चौकों में घायल लोगों की तरह होश खोने लगते हैं,

अपनी-अपनी माँ की गोद में दम तोड़ रहे हैं,

तो कराहते हुए कहते हैं, “अनाज और दाख-मदिरा कहाँ है!”+

מ [मेम ]

13 हे यरूशलेम की बेटी, मैं तुझे किसकी मिसाल दूँ?

किसके साथ तेरी तुलना करूँ?

हे सिय्योन की कुँवारी बेटी, तुझे दिलासा देने के लिए तुझे किसके जैसा बताऊँ?

तेरी तबाही समुंदर की तरह दूर-दूर तक फैली है।+ कौन तुझे चंगा कर सकता है?+

נ [नून ]

14 तेरे भविष्यवक्‍ताओं ने तेरे बारे में जो दर्शन देखे, वे सब झूठे और खोखले थे,+

उन्होंने तेरा गुनाह नहीं बताया, जिससे तू बँधुआई में जाने से बच जाती,+

मगर वे तुझे झूठे और गुमराह करनेवाले दर्शन बताते रहे।+

ס [सामेख ]

15 सभी राहगीर तेरी खिल्ली उड़ाते हैं, ताली बजाते हैं।+

यरूशलेम की बेटी को देखकर हैरानी से सीटी बजाते हैं,+ सिर हिलाते हुए कहते हैं,

“क्या यही वह नगरी है जिसके बारे में वे कहते थे, ‘इसकी खूबसूरती बेमिसाल* है, सारी धरती के लिए यह हर्ष का कारण है’?”+

פ [पे ]

16 तुझे देखकर तेरे सब दुश्‍मनों ने अपना मुँह खोला है।

वे सीटी बजाते हैं और दाँत पीसते हुए कहते हैं, “हमने उसे निगल लिया है।+

हमें जिस दिन का इंतज़ार था, यह वही है!+ वह दिन आ गया है, हमने यह दिन देख लिया है!”+

ע [ऐयिन ]

17 यहोवा ने जैसा करने की ठानी थी वैसा ही किया,+

उसने जो कहा था वह कर दिया,+

मुद्दतों पहले जो आज्ञा दी थी उसके मुताबिक किया।+

उसने उसे ढा दिया है, उस पर बिलकुल दया नहीं की।+

उसने दुश्‍मन को तुझे हराकर मगन होने का मौका दिया,

तेरे बैरियों का सींग ऊँचा कर दिया।*

צ [सादे ]

18 हे सिय्योन की बेटी की शहरपनाह, उनका दिल यहोवा को पुकार रहा है।

दिन-रात तेरी आँखों से आँसू नदी की तरह बहते रहें,

खुद को एक पल के लिए भी आराम न दे, अपनी आँख को चैन न दे।

ק [कोफ ]

19 उठ! रात-भर रोती रह, पहरों की शुरूआत में रोती रह।

आँसू बहाती हुई अपने दिल का सारा हाल यहोवा को बता।

अपने बच्चों की जान की खातिर उसके आगे हाथ फैला

जो भुखमरी की वजह से हर गली के कोने में बेहोश हो रहे हैं।+

ר [रेश ]

20 हे यहोवा, अपने लोगों को देख जिनके साथ तू इतनी कड़ाई से पेश आया।

क्या औरतें इसी तरह अपनी संतान* को, अपनी कोख से जन्मे सेहतमंद बच्चों को खाती रहें?+

क्या इसी तरह यहोवा के पवित्र-स्थान में याजकों और भविष्यवक्‍ताओं का कत्ल होता रहे?+

ש [शीन ]

21 जवान और बूढ़े गलियों में मरे पड़े हैं।+

मेरी कुँवारियाँ* और मेरे जवान तलवार से घात किए गए हैं।+

तूने अपने क्रोध के दिन उन्हें मार डाला, उन्हें काट डाला,

तूने उन पर बिलकुल दया नहीं की।+

ת [ताव ]

22 तूने चारों तरफ से आतंक को बुलाया, जैसे त्योहार के लिए लोगों को बुलाया जाता है।+

यहोवा के क्रोध के दिन कोई भाग नहीं पाया, न ही ज़िंदा बचा,+

जिनको मैंने जन्म दिया,* पाला-पोसा, उनका मेरे दुश्‍मन ने नाश कर दिया।+

א [आलेफ ]

3 मैं वह आदमी हूँ जिसने उसके क्रोध की छड़ी की वजह से दुख झेला है।

 2 उसने मुझे खदेड़ दिया है, वह मुझे उजियाले में नहीं अँधेरे में चलाता है।+

 3 यहाँ तक कि वह दिन-भर, बार-बार मुझ पर हाथ उठाता है।+

ב [बेथ ]

 4 उसने मेरे शरीर और मेरी चमड़ी को गला दिया है,

मेरी हड्डियाँ तोड़ दी हैं।

 5 उसने मुझे घेर लिया है, चारों तरफ से कड़वे ज़हर+ और मुश्‍किलों से घेर लिया है।

 6 उसने मुझे बहुत पहले मरे हुओं की तरह अँधेरे में पड़े रहने के लिए छोड़ दिया है।

ג [गिमेल ]

 7 उसने मेरे चारों तरफ दीवार खड़ी कर दी है ताकि मैं भाग न सकूँ,

मुझे ताँबे की भारी बेड़ियों से जकड़ दिया है।+

 8 और जब मैं बेबस होकर दुहाई देता हूँ, तो वह मेरी प्रार्थना ठुकरा देता है।*+

 9 उसने गढ़े हुए पत्थरों से मेरा रास्ता रोक दिया है,

मेरी राहें टेढ़ी-मेढ़ी कर दी हैं।+

ד [दालथ ]

10 वह घात लगाए रीछ की तरह, छिपकर बैठे शेर की तरह मुझ पर हमला करने की ताक में है।+

11 वह मुझे रास्ते से घसीटकर ले गया और उसने मेरी बोटी-बोटी कर दी है।*

उसने मुझे उजाड़ दिया है।+

12 उसने अपनी कमान चढ़ायी है और मुझ पर अपना तीर साधा है।

ה [हे ]

13 उसने अपने तरकश के तीरों से मेरे गुरदे भेद दिए हैं।

14 सब देशों के लोग मेरा मज़ाक बनाते हैं, मुझ पर गीत बनाकर सारा दिन गाते हैं।

15 उसने मुझे कड़वी चीज़ों से भर दिया है, नागदौना से तर कर दिया है।+

ו [वाव ]

16 वह कंकड़ से मेरे दाँत तोड़ देता है,

मुझे राख में लोटने पर मजबूर करता है।+

17 तूने मेरा चैन छीन लिया है, मैं भूल गया हूँ कि भलाई क्या होती है।

18 इसलिए मैं कहता हूँ, “मेरा वैभव मिट गया है, यहोवा पर मेरी जो आशा थी वह टूट गयी है।”

ז [जैन ]

19 ध्यान दे कि मैं कैसी तकलीफें झेल रहा हूँ, बेघर हो गया हूँ,+ नागदौना और कड़वा ज़हर खा रहा हूँ।+

20 तू ज़रूर ध्यान देगा और नीचे झुककर मेरे पास आएगा।+

21 मैं यह बात दिल में संजोए रखता हूँ, इसीलिए मैं तेरे वक्‍त का इंतज़ार करूँगा।+

ח [हेथ ]

22 यहोवा के अटल प्यार की वजह से ही हमारा अंत नहीं हुआ है,+

उसकी दया कभी मिटती नहीं।+

23 वह हर सुबह नयी होती है,+ तू हमेशा विश्‍वासयोग्य रहता है।+

24 मैंने कहा, “यहोवा मेरा भाग है,+ इसीलिए मैं उसके लिए इंतज़ार करने का नज़रिया बनाए रखूँगा।”+

ט [टेथ ]

25 यहोवा उस इंसान के साथ भलाई करता है जो उस पर आस लगाता है,+ उसकी खोज में लगा रहता है।+

26 इंसान की भलाई इसी में है कि वह खामोश रहकर* उद्धार के लिए यहोवा का इंतज़ार करे।+

27 इंसान की भलाई इसी में है कि वह जवानी में जुआ उठाए।+

י [योध ]

28 जब परमेश्‍वर उस पर यह रखता है, तो वह अकेला बैठा रहे और खामोश रहे।+

29 वह अपना मुँह धूल में रखे,+ शायद अब भी कुछ उम्मीद बाकी हो।+

30 वह अपना गाल थप्पड़ मारनेवाले की तरफ कर दे, जितना अपमान सह सकता है सहे।

כ [काफ ]

31 क्योंकि यहोवा हमें सदा के लिए नहीं ठुकराएगा।+

32 माना कि उसने हमें दुख दिया है, मगर वह अपने भरपूर अटल प्यार के मुताबिक हम पर दया भी दिखाएगा।+

33 क्योंकि वह दिल से नहीं चाहता कि इंसानों को दुख दे, उन्हें सताए।+

ל [लामेध ]

34 धरती के सभी कैदियों को पैरों तले रौंदना,+

35 परम-प्रधान के सामने एक इंसान का न्याय पाने का हक मारना,+

36 एक इंसान के मुकदमे में उसके साथ धोखा करना,

ये ऐसी बातें हैं जो यहोवा बरदाश्‍त नहीं करता।

מ [मेम ]

37 जब तक यहोवा इसकी आज्ञा न दे, कौन बोल सकता है और इसे पूरा कर सकता है?

38 परम-प्रधान के मुँह से

अच्छी और बुरी बातें साथ नहीं निकलतीं।

39 एक इंसान अपने पाप के अंजामों के बारे में क्यों शिकायत करे?+

נ [नून ]

40 आओ हम अपने तौर-तरीके जाँचें और परखें+ और यहोवा के पास लौट जाएँ।+

41 आओ हम स्वर्ग में रहनेवाले परमेश्‍वर के आगे हाथ फैलाएँ और दिल से यह बिनती करें:+

42 “हमने अपराध किया है, बगावत की है+ और तूने हमें माफ नहीं किया।+

ס [सामेख ]

43 तूने गुस्से में आकर हमारा रास्ता रोक दिया है ताकि हम तेरे पास न आएँ,+

तूने हमारा पीछा किया और हमें मार डाला, बिलकुल दया नहीं की।+

44 तूने एक बादल से अपने पास आने का रास्ता रोक दिया है ताकि हमारी प्रार्थना तुझ तक न पहुँचे।+

45 तू हमें देश-देश के लोगों के बीच मैल और कूड़ा-करकट बना देता है।”

פ [पे ]

46 हमारे सब दुश्‍मन हमारे खिलाफ मुँह खोलते हैं।+

47 हम बस खौफ के साए में जीते हैं, गड्‌ढे में गिरे पड़े हैं,+ हम नाश हो गए, तबाह हो गए।+

48 मेरे लोगों की बेटी का गिरना देखकर मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहती है।+

ע [ऐयिन ]

49 मेरी आँखें रुकने का नाम नहीं लेंगी, तब तक बहती रहेंगी,+

50 जब तक कि यहोवा स्वर्ग से मुझ पर नज़र नहीं करता।+

51 मेरे शहर की सब बेटियों के साथ जो हुआ, उस वजह से मेरी आँखों ने मुझे बहुत दुख दिया है।+

צ [सादे ]

52 मेरे दुश्‍मनों ने बेवजह मेरा शिकार किया है, मानो मैं एक चिड़िया हूँ।

53 उन्होंने मुझे गड्‌ढे में डालकर हमेशा के लिए खामोश कर दिया, वे मुझ पर पत्थर फेंकते रहे।

54 पानी मेरे सिर के ऊपर तक आ गया, मैंने कहा, “अब तो मैं गया!”

ק [कोफ ]

55 हे यहोवा, गड्‌ढे की गहराई में से मैंने तेरा नाम पुकारा।+

56 मेरी आवाज़ सुन, मदद और राहत के लिए मेरी पुकार सुन, अपने कान बंद न कर।

57 जिस दिन मैंने तुझे पुकारा, उस दिन तू मेरे करीब आया। तूने मुझसे कहा, “मत डर।”

ר [रेश ]

58 हे यहोवा, तूने मेरी पैरवी की, तूने मेरी जान छुड़ायी।+

59 हे यहोवा, मेरे साथ जो अन्याय हुआ है उसे तूने देखा है, मेहरबानी करके मुझे न्याय दिला।+

60 तूने देखा कि उनमें कैसी बदले की भावना है, उन्होंने मेरे खिलाफ कितनी साज़िशें रची हैं।

ש [सीन ] या [शीन ]

61 हे यहोवा, तूने उनके ताने सुने हैं, उनकी सारी साज़िशें सुनी हैं जो उन्होंने मेरे खिलाफ की हैं,+

62 मेरे विरोधियों की बातें और उनका फुसफुसाना तू जानता है।

63 उन्हें देख, उठते-बैठते वे मेरे बारे में गीत गाकर मेरी खिल्ली उड़ाते हैं!

ת [ताव ]

64 हे यहोवा, तू उनकी करतूतों का सिला उन्हें देगा।

65 तू उन्हें शाप देगा, उनके दिलों को कठोर कर देगा।

66 हे यहोवा, तू गुस्से में आकर उनका पीछा करेगा और अपने आकाश के नीचे से उन्हें मिटा देगा।

א [आलेफ ]

4 जो कभी बढ़िया सोना+ हुआ करता था, देखो, उसकी चमक अब कैसी फीकी पड़ गयी है!

पवित्र पत्थरों+ को देखो, कैसे हर गली के कोने में बिखरे पड़े हैं!+

ב [बेथ ]

 2 सिय्योन के इज़्ज़तदार बेटों को देखो, जो शुद्ध सोने की तरह अनमोल थे,

अब उनकी कीमत कैसे कुम्हार के हाथों बने

मिट्टी के घड़ों जितनी रह गयी है!

ג [गिमेल ]

 3 गीदड़ी भी अपने बच्चों को अपना दूध पिलाती है,

मगर मेरे लोगों की बेटी कैसी बेरहम हो गयी है,+ वीराने के शुतुरमुर्ग जैसी हो गयी है।+

ד [दालथ ]

 4 दूध-पीते बच्चे की जीभ प्यास के मारे तालू से चिपक गयी है।

बच्चे रोटी माँगते हैं,+ मगर उन्हें कोई कुछ नहीं देता।+

ה [हे ]

 5 जो कभी ज़ायकेदार चीज़ों का मज़ा लेते थे, वे अब सड़कों पर पड़े भूख से तड़प रहे हैं।+

जो बचपन से सुर्ख लाल कपड़े पहनने के आदी थे,+ वे अब राख के ढेर पर लोट रहे हैं।

ו [वाव ]

 6 मेरे लोगों की बेटी की सज़ा,* सदोम के पाप की सज़ा से भी भारी है,+

जिसे एक ही पल में गिरा दिया गया था और उसकी मदद करनेवाला कोई न था।+

ז [जैन ]

 7 उसके नाज़ीर+ बर्फ से भी ज़्यादा उजले थे, दूध से भी ज़्यादा सफेद थे।

उनका रंग मूंगों से भी ज़्यादा लाल था, उनका रूप चमकाए हुए नीलम जैसा था।

ח [हेथ ]

 8 मगर अब वे कालिख* से भी ज़्यादा काले हो गए हैं,

गलियों में वे पहचान में भी नहीं आते।

उनकी चमड़ी हड्डियों से सटकर सिकुड़ गयी है,+ सूखी लकड़ी जैसी हो गयी है।

ט [टेथ ]

 9 तलवार से मरनेवाले अकाल से मरनेवालों से बेहतर हैं,+

वे घुल-घुलकर मरते हैं, मानो वे भेद दिए गए हों।

י [योध ]

10 जिन औरतों में ममता होती थी, उन्होंने अपने ही हाथ से अपने बच्चों को उबाला।+

जब मेरे लोगों की बेटी गिर पड़ी, तो उनके बच्चे उनके मातम का खाना बन गए।+

כ [काफ ]

11 यहोवा ने अपना क्रोध दिखाया है,

अपने गुस्से की आग बरसायी है।+

उसने सिय्योन में चिंगारी भड़कायी है जो उसकी बुनियाद को भस्म कर देती है।+

ל [लामेध ]

12 पृथ्वी के राजाओं ने और सारे जगत के निवासियों ने यकीन नहीं किया

कि उसके बैरी, उसके दुश्‍मन यरूशलेम के फाटकों से दाखिल होंगे।+

מ [मेम ]

13 यह सब उसके भविष्यवक्‍ताओं के पापों और याजकों के गुनाहों की वजह से हुआ है,+

जिन्होंने उसके बीच नेक लोगों का खून बहाया है।+

נ [नून ]

14 वे गलियों में अंधों की तरह भटकते हैं।+

वे खून से दूषित हैं,+

इसलिए कोई उनके कपड़े नहीं छूता।

ס [सामेख ]

15 वे चिल्ला-चिल्लाकर उनसे कहते हैं, “दूर रहो! हम अशुद्ध हैं! दूर रहो! दूर रहो! हमें मत छूओ!”

वे बेघर हो गए हैं, यहाँ-वहाँ भटकते हैं।

राष्ट्रों के लोग कहते हैं: “वे हमारे यहाँ नहीं रह सकते।*+

פ [पे ]

16 खुद यहोवा ने उन्हें तितर-बितर कर दिया है,+

वह उन्हें फिर कभी मंज़ूर नहीं करेगा।

लोग याजकों का फिर कभी आदर नहीं करेंगे,+ मुखियाओं पर कृपा नहीं करेंगे।”+

ע [ऐयिन ]

17 हमारी आँखें मदद की राह देखते-देखते थक गयी हैं, ये बेकार ही आस लगाए बैठी हैं।+

हम मदद के लिए एक ऐसे राष्ट्र की तरफ ताकते रहे जो हमें बचा नहीं सकता था।+

צ [सादे ]

18 उन्होंने हर कदम पर हमारा शिकार किया,+ इसलिए हम अपने चौकों में चल-फिर न सके।

हमारा अंत करीब है, हमारे दिन पूरे हो गए हैं क्योंकि हमारा अंत आ गया है।

ק [कोफ ]

19 हमारा पीछा करनेवाले आकाश के उकाबों से भी तेज़ हैं।+

उन्होंने पहाड़ों पर हमारा पीछा किया, वीराने में घात लगाकर हमें पकड़ लिया।

ר [रेश ]

20 जो हमारे जीवन की साँस है, यहोवा का अभिषिक्‍त जन है,+

जिसके बारे में हम कहा करते थे, “उसकी छाँव तले हम राष्ट्रों में जीएँगे,”

वह उनके खोदे हुए बड़े गड्‌ढे में पकड़ा गया है।+

ש [सीन ]

21 एदोम की बेटी, तू जो ऊज़ देश में रहती है, मगन हो, खुशियाँ मना।+

मगर वह प्याला तेरी तरफ भी बढ़ाया जाएगा,+ तू मदहोश हो जाएगी और अपना नंगापन दिखाएगी।+

ת [ताव ]

22 सिय्योन की बेटी, तेरे गुनाह की सज़ा खत्म होने पर है।

वह तुझे फिर बँधुआई में नहीं ले जाएगा।+

मगर एदोम की बेटी, अब वह तेरे गुनाह पर ध्यान देगा।

तेरे पापों का परदाफाश करेगा।+

5 हे यहोवा, हम पर जो गुज़री है उस पर ध्यान दे।

देख कि हम कितने बेइज़्ज़त हुए हैं।+

 2 हमारी विरासत परायों के हवाले कर दी गयी है, हमारे घर परदेसियों को दे दिए गए हैं।+

 3 हम अनाथ हो गए, हम पर से पिता का साया उठ गया है, हमारी माँएँ विधवा जैसी हो गयी हैं।+

 4 हमें अपना ही पानी खरीदना पड़ता है,+ अपनी ही लकड़ी के लिए दाम देना पड़ता है।

 5 हमारा पीछा करनेवाले हमारी गरदन पर सवार हैं,

हम पस्त हो गए हैं, हमें बिलकुल आराम नहीं दिया जाता।+

 6 हम रोटी के लिए मिस्र और अश्‍शूर के आगे हाथ फैलाते हैं+ ताकि अपनी भूख मिटा सकें।

 7 हमारे पुरखों ने पाप किया था और वे अब नहीं रहे, मगर उनके गुनाहों का अंजाम हमें भुगतना पड़ रहा है।

 8 हम पर सेवक राज कर रहे हैं, उनके हाथ से हमें छुड़ानेवाला कोई नहीं।

 9 वीराने की तलवार की वजह से हम अपनी जान जोखिम में डालकर रोटी लाते हैं।+

10 तेज़ भूख से हमारी खाल भट्ठे की तरह तप रही है।+

11 उन्होंने सिय्योन में शादीशुदा औरतों को और यहूदा के शहरों में कुँवारियों को भ्रष्ट* किया।+

12 हाकिम हाथ से लटका दिए गए,+ मुखियाओं का बिलकुल आदर नहीं किया गया।+

13 जवान हाथ की चक्की उठाते हैं, लड़के लकड़ियों का बोझ उठाते हुए लड़खड़ाते हैं।

14 मुखिया अब शहर के फाटकों पर नज़र नहीं आते,+ न ही जवानों का संगीत सुनायी देता है।+

15 हमारे दिलों में अब खुशी नहीं रही, हमारा नाच-गाना मातम में बदल गया है।+

16 हमारे सिर का ताज गिर गया है। धिक्कार है हम पर क्योंकि हमने पाप किया है!

17 इसलिए हमारा मन रोगी है,+

हमारी नज़र धुँधली पड़ गयी है।+

18 सिय्योन पहाड़ उजाड़ पड़ा है,+ वहाँ लोमड़ियाँ घूमती हैं।

19 हे यहोवा, तू सदा अपनी राजगद्दी पर विराजमान रहता है।

तेरी राजगद्दी पीढ़ी-पीढ़ी तक बनी रहती है।+

20 तूने क्यों हमें हमेशा के लिए भुला दिया है, इतने लंबे अरसे से हमें त्याग दिया है?+

21 हे यहोवा, हमें अपने पास वापस ले आ और हम खुशी-खुशी तेरे पास लौट आएँगे।+

हमारे पुराने दिन लौटा दे।+

22 मगर तूने तो हमें पूरी तरह ठुकरा दिया है।

तू अब भी हमसे बहुत गुस्सा है।+

अध्याय 1-4 शोकगीत हैं जिनके पद इब्रानी वर्णमाला के क्रम से रखे गए हैं, यानी हर पद एक इब्रानी अक्षर से शुरू होता है।

या “ज़िला अधिकार-क्षेत्रों।”

या “जवान औरतें।”

यहाँ यरूशलेम को एक औरत के रूप में बताया गया है।

या “जवान औरतें।”

शा., “मेरी अंतड़ियों में।”

या “की पूरी ताकत मिटा दी।”

या “नाश।”

या “हिदायत।”

शा., “मेरी अंतड़ियों में।”

शायद दया दिखाने या हमदर्दी जताने के लिए उन्हें एक बेटी के रूप में बताया गया है।

या “परिपूर्ण।”

या “की ताकत बढ़ा दी।”

या “अपने फलों।”

या “जवान औरतें।”

या “सेहतमंद पैदा किया।”

या “रोक देता है; अनसुनी कर देता है।”

या शायद, “बेकार पड़े रहने पर मजबूर किया है।”

या “सब्र से।”

शा., “का गुनाह।”

शा., “काले रंग।”

या “यहाँ परदेसियों की तरह नहीं रह सकते।”

या “का बलात्कार।”

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