पहला इतिहास
5 येपेत के बेटे थे गोमेर, मागोग, मादई, यावान, तूबल,+ मेशेक+ और तीरास।+
6 गोमेर के बेटे थे अशकनज, रीपत और तोगरमा।+
7 यावान के बेटे थे एलीशाह, तरशीश, कित्तीम और रोदानी।
8 हाम के बेटे थे कूश,+ मिसरैम, पुट और कनान।
9 कूश के बेटे थे सबा,+ हवीला, सबता, रामा+ और सब-तका।
रामा के बेटे थे शीबा और ददान।
10 कूश का एक और बेटा था, निमरोद।+ निमरोद दुनिया का पहला ऐसा आदमी था जिसने बहुत ताकत हासिल की थी।
11 मिसरैम के बेटे थे लूदी,+ अनामी, लहाबी, नपतूही, 12 पत्रूसी,+ कसलूही (इससे पलिश्ती जाति+ निकली) और कप्तोरी।+
13 कनान के बेटे थे उसका पहलौठा सीदोन,+ फिर हित्त,+ 14 यबूसी,+ एमोरी,+ गिरगाशी,+ 15 हिव्वी,+ अरकी, सीनी, 16 अरवादी,+ समारी और हमाती।
18 अरपक्षद का बेटा शेलह+ था और शेलह का बेटा एबेर था।
19 एबेर के दो बेटे थे। एक का नाम पेलेग*+ था क्योंकि उसके दिनों में धरती* का बँटवारा हुआ था। उसके भाई का नाम योकतान था।
20 योकतान के बेटे थे अल्मोदाद, शेलेप, हसरमावेत, येरह,+ 21 हदोराम, ऊजाल, दिक्ला, 22 ओबाल, अबीमाएल, शीबा, 23 ओपीर,+ हवीला+ और योबाब। ये सब योकतान के बेटे थे।
28 अब्राहम के बेटे थे इसहाक+ और इश्माएल।+
29 इनसे ये कुल निकले: इश्माएल का पहलौठा नबायोत,+ फिर केदार,+ अदबेल, मिबसाम,+ 30 मिशमा, दूमा, मस्सा, हदद, तेमा, 31 यतूर, नापीश और केदमा। ये सब इश्माएल के बेटे थे।
32 अब्राहम की उप-पत्नी कतूरा+ से उसके ये बेटे हुए: जिमरान, योक्षान, मदान, मिद्यान,+ यिशबाक और शूह।+
योक्षान के बेटे थे शीबा और ददान।+
33 मिद्यान के बेटे थे एपा,+ एपेर, हानोक, अबीदा और एलदा।
ये सब कतूरा के बेटे थे।
34 अब्राहम का बेटा इसहाक था।+ इसहाक के बेटे थे एसाव+ और इसराएल।+
35 एसाव के बेटे थे एलीपज, रूएल, यूश, यालाम और कोरह।+
36 एलीपज के बेटे थे तेमान,+ ओमार, सपो, गाताम, कनज, तिम्ना और अमालेक।+
37 रूएल के बेटे थे नहत, जेरह, शम्माह और मिज्जा।+
38 सेईर+ के बेटे थे लोतान, शोबाल, सिबोन, अना, दीशोन, एजेर और दीशान।+
39 लोतान के बेटे थे होरी और होमाम। लोतान की बहन तिम्ना थी।+
40 शोबाल के बेटे थे आल्वान, मानहत, एबाल, शपो और ओनाम।
सिबोन के बेटे थे अय्या और अना।+
दीशोन के बेटे थे हेमदान, एशबान, यित्रान और करान।+
42 एजेर+ के बेटे थे बिलहान, जावान और अकान।
दीशान के बेटे थे ऊज़ और अरान।+
43 इसराएलियों* में राजाओं का दौर शुरू होने से पहले एदोम के इलाके+ में जो राजा हुआ करते थे,+ वे ये हैं: बओर का बेटा बेला जिसका शहर दिनहाबा था। 44 बेला की मौत के बाद योबाब ने राज किया। योबाब, बोसरा+ के रहनेवाले जेरह का बेटा था। 45 योबाब की मौत के बाद हूशाम ने राज किया जो तेमानी लोगों के इलाके से था। 46 हूशाम की मौत के बाद बदद के बेटे हदद ने राज किया। यह वही हदद था जिसने मोआब के इलाके में मिद्यान को हराया था। उसका शहर अवीत था। 47 हदद की मौत के बाद समला ने राज किया जो मसरेका से था। 48 समला की मौत के बाद शौल ने राज किया, जो नदी के पासवाले रहोबोत शहर से था। 49 शौल की मौत के बाद अकबोर के बेटे बाल-हानान ने राज किया। 50 बाल-हानान की मौत के बाद हदद ने राज किया जिसका शहर पाऊ था। उसकी पत्नी का नाम महेतबेल था जो मत्रेद की बेटी थी। और मत्रेद, मेज़ाहाब की बेटी थी। 51 फिर हदद की मौत हो गयी।
एदोम के शेख* ये थे: शेख तिम्ना, शेख अलवा, शेख यतेत,+ 52 शेख ओहोलीबामा, शेख एलाह, शेख पीनोन, 53 शेख कनज, शेख तेमान, शेख मिबसार, 54 शेख मगदीएल और शेख ईराम। ये सभी एदोम के शेख थे।
2 ये इसराएल के बेटे थे: रूबेन,+ शिमोन,+ लेवी,+ यहूदा,+ इस्साकार,+ जबूलून,+ 2 दान,+ यूसुफ,+ बिन्यामीन,+ नप्ताली,+ गाद+ और आशेर।+
3 यहूदा के बेटे थे एर, ओनान और शेलह। यहूदा के ये तीनों बेटे एक कनानी औरत से पैदा हुए थे जो शूआ की बेटी थी।+ मगर यहूदा का पहलौठा एर यहोवा की नज़र में दुष्ट था इसलिए परमेश्वर ने उसे मार डाला। 4 यहूदा के बेटे पेरेस+ और जेरह, उसकी बहू तामार+ से पैदा हुए। यहूदा के कुल मिलाकर पाँच बेटे थे।
5 पेरेस के बेटे थे हेसरोन और हामूल।
6 जेरह के बेटे थे जिमरी, एतान, हेमान, कलकोल और देरा। उसके कुल पाँच बेटे थे।
7 करमी का बेटा था* आकार* जो इसराएल पर आफत* ले आया था।+ वह उन चीज़ों के मामले में विश्वासयोग्य नहीं रहा जो नाश के लायक ठहरायी गयी थीं।+
9 हेसरोन के बेटे थे यरहमेल,+ राम+ और कलूबै।*
10 राम का बेटा अम्मीनादाब था।+ अम्मीनादाब का बेटा नहशोन था,+ जो यहूदा के वंशजों का प्रधान था। 11 नहशोन का बेटा सलमा था।+ सलमा का बेटा बोअज़+ था। 12 बोअज़ का बेटा ओबेद था। ओबेद का बेटा यिशै था।+ 13 यिशै के बेटे थे उसका पहलौठा एलीआब, दूसरा अबीनादाब,+ तीसरा शिमा,+ 14 चौथा नतनेल, पाँचवाँ रद्दै, 15 छठा ओसेम और सातवाँ दाविद।+ 16 उनकी बहनें थीं सरूयाह और अबीगैल।+ सरूयाह के तीन बेटे थे अबीशै,+ योआब+ और असाहेल।+ 17 अबीगैल से अमासा+ पैदा हुआ। अमासा का पिता इश्माएली येतेर था।
18 कालेब* (जो हेसरोन का बेटा था) की पत्नी अजूबाह से और यरीओत से उसके बेटे हुए। उसके बेटे थे येशेर, शोबाब और अरदोन। 19 अजूबाह की मौत के बाद कालेब ने एप्रात से शादी की और एप्रात से उसका बेटा हूर+ पैदा हुआ। 20 हूर का बेटा ऊरी था। ऊरी का बेटा बसलेल था।+
21 बाद में हेसरोन ने माकीर+ (जो गिलाद का पिता था)+ की बेटी से शादी की। तब वह 60 साल का था। जब हेसरोन ने उसके साथ संबंध रखे तो उसका बेटा सगूब पैदा हुआ। 22 सगूब का बेटा याईर+ था जिसके गिलाद के इलाके+ में 23 शहर थे। 23 बाद में गशूर+ और सीरिया+ ने उनसे हव्वोत-याईर+ ले लिया। साथ ही कनात+ और उसके आस-पास के नगर भी ले लिए। उन्होंने कुल मिलाकर 60 शहर ले लिए। ये सभी गिलाद के पिता माकीर के वंशज थे।
24 कालेब-एप्राता में हेसरोन+ की मौत के बाद, हेसरोन की पत्नी अबियाह से उसका बेटा अशहूर+ पैदा हुआ जो तकोआ+ का पिता था।*
25 हेसरोन के पहलौठे यरहमेल के बेटे ये थे: पहलौठा राम, फिर बूना, ओरेन, ओसेम और अहियाह। 26 यरहमेल की एक और पत्नी थी जिसका नाम अतारा था। वह ओनाम की माँ थी। 27 यरहमेल के पहलौठे राम के बेटे थे मास, यामीन और एकेर। 28 ओनाम के बेटे थे शम्मै और यादा। शम्मै के बेटे थे नादाब और अबीशूर। 29 अबीशूर की पत्नी का नाम अबीहैल था जिसने उसके बेटे अहबान और मोलीद को जन्म दिया। 30 नादाब के बेटे थे सेलेद और अप्पैम। मगर सेलेद बेऔलाद मर गया। 31 अप्पैम का बेटा था* यिशी। यिशी का बेटा था* शेशान और शेशान का बेटा था* अहलै। 32 शम्मै के भाई यादा के बेटे थे येतेर और योनातान। मगर येतेर बेऔलाद मर गया। 33 योनातान के बेटे थे पीलेत और ज़ाज़ा। ये सभी यरहमेल के वंशज थे।
34 शेशान का कोई बेटा नहीं था सिर्फ बेटियाँ थीं। शेशान का एक मिस्री सेवक था जिसका नाम यरहा था। 35 शेशान ने अपनी बेटी की शादी अपने सेवक यरहा से करायी जिसने यरहा के बेटे अत्तै को जन्म दिया। 36 अत्तै का बेटा नातान था। नातान का बेटा जाबाद था। 37 जाबाद का बेटा एपलाल था। एपलाल का बेटा ओबेद था। 38 ओबेद का बेटा येहू था। येहू का बेटा अजरयाह था। 39 अजरयाह का बेटा हेलेस था। हेलेस का बेटा एलिआसा था। 40 एलिआसा का बेटा सिस्मै था। सिस्मै का बेटा शल्लूम था। 41 शल्लूम का बेटा यकम्याह था। यकम्याह का बेटा एलीशामा था।
42 यरहमेल के भाई कालेब*+ के बेटे ये थे: उसका पहलौठा मेशा जो ज़ीफ का पिता था और मारेशाह के बेटे। मारेशाह का बेटा हेब्रोन था। 43 हेब्रोन के बेटे थे कोरह, तप्पूह, रेकेम और शमा। 44 शमा का बेटा रहम था, जो योरकाम का पिता था। रेकेम का बेटा शम्मै था। 45 शम्मै का बेटा माओन था। माओन बेत-सूर+ का पिता था। 46 कालेब की उप-पत्नी एपा ने हारान, मोसा और गाजेज को जन्म दिया। हारान का बेटा गाजेज था। 47 याहदै के बेटे थे रेगेम, योताम, गेशान, पेलेत, एपा और शाफ। 48 कालेब की उप-पत्नी माका ने शेबेर और तिरहाना को जन्म दिया। 49 बाद में माका ने इनको जन्म दिया: शाफ जो मदमन्ना+ का पिता था और शेवा जो मकबेना और गिबा+ का पिता था। कालेब की बेटी अकसा थी।+ 50 ये सभी कालेब के वंशज थे।
एप्राता के पहलौठे हूर के बेटे ये थे: शोबाल जो किरयत-यारीम+ का पिता था, 51 सलमा जो बेतलेहेम+ का पिता था और हारेप जो बेत-गादेर का पिता था। 52 शोबाल जो किरयत-यारीम का पिता था, उसके बेटे ये थे: हारोए और मनुहोत के आधे निवासी। 53 किरयत-यारीम में रहनेवाले घराने ये थे: यित्री,+ पूती, शूमाती और मिश्राई। इन्हीं में से सोराई और एशताओली+ लोग निकले। 54 सलमा के बेटे थे बेतलेहेम,+ नतोपा और अतरोत-बेत-योआब के निवासी, मानहत के आधे निवासी और सोरी लोग। 55 याबेस में रहनेवाले शास्त्रियों के घराने थे तिराती, शिमाती और सूकाती। ये वे केनी लोग+ थे जो हम्मत के वंशज थे। हम्मत, रेकाब+ के घराने का पिता था।
3 दाविद के ये बेटे हेब्रोन में पैदा हुए थे:+ पहलौठा अम्नोन+ जिसकी माँ यिजरेली अहीनोअम+ थी, दूसरा दानियेल जिसकी माँ करमेल की रहनेवाली अबीगैल+ थी, 2 तीसरा अबशालोम+ जो माका का बेटा था (माका, गशूर के राजा तल्मै की बेटी थी), चौथा अदोनियाह+ जो हग्गीत का बेटा था, 3 पाँचवाँ शपत्याह जिसकी माँ अबीतल थी और छठा यित्राम जिसकी माँ दाविद की पत्नी एग्ला थी। 4 दाविद के ये छ: बेटे हेब्रोन में पैदा हुए थे। उसने हेब्रोन में रहकर साढ़े सात साल और यरूशलेम में रहकर 33 साल राज किया था।
5 दाविद के ये बेटे यरूशलेम में पैदा हुए थे:+ शिमा, शोबाब, नातान+ और सुलैमान।+ इन चारों की माँ बतशेबा+ थी जो अम्मीएल की बेटी थी। 6 दाविद के नौ और बेटे थे: यिभार, एलीशामा, एलीपेलेत, 7 नोगाह, नेपेग, यापी, 8 एलीशामा, एल्यादा और एलीपेलेत। 9 ये सभी दाविद के बेटे थे और उनकी बहन का नाम तामार था।+ इनके अलावा दाविद की उप-पत्नियों से भी उसके बेटे हुए।
10 सुलैमान का बेटा रहूबियाम था,+ रहूबियाम का बेटा अबियाह+ था, अबियाह का आसा,+ आसा का यहोशापात,+ 11 यहोशापात का यहोराम,+ यहोराम का अहज्याह,+ अहज्याह का यहोआश,+ 12 यहोआश का अमज्याह,+ अमज्याह का अजरयाह,+ अजरयाह का योताम,+ 13 योताम का आहाज,+ आहाज का हिजकियाह,+ हिजकियाह का मनश्शे,+ 14 मनश्शे का आमोन+ और आमोन का बेटा योशियाह+ था। 15 योशियाह के बेटे ये थे: पहलौठा योहानान, दूसरा यहोयाकीम,+ तीसरा सिदकियाह+ और चौथा शल्लूम। 16 यहोयाकीम का बेटा यकोन्याह+ था और यकोन्याह का बेटा सिदकियाह था। 17 बंदी यकोन्याह के बेटे ये थे: शालतीएल, 18 मल्कीराम, पदायाह, शेनस्सर, यकम्याह, होशामा और नदबायाह। 19 पदायाह के बेटे थे जरुबाबेल+ और शिमी। जरुबाबेल के बेटे थे मशुल्लाम और हनन्याह (और उनकी बहन शलोमीत थी)। 20 उसके पाँच और बेटे थे हशूबा, ओहेल, बेरेक्याह, हसदयाह और यूशब-हेसेद। 21 हनन्याह के बेटे थे पलत्याह और यशाया। यशाया का बेटा था* रपायाह, रपायाह का बेटा* अरनान, अरनान का बेटा* ओबद्याह और ओबद्याह का बेटा था* शकन्याह। 22 शकन्याह के बेटे ये थे: शमायाह और उसके बेटे हत्तूश, यिगाल, बारीह, नारयाह और शापात। ये कुल मिलाकर छ: थे। 23 नारयाह के तीन बेटे थे: एल्योएनै, हिजकायाह और अजरीकाम। 24 एल्योएनै के सात बेटे थे: होदव्याह, एल्याशीब, पलायाह, अक्कूब, योहानान, दलायाह और अनानी।
4 यहूदा के बेटे थे पेरेस,+ हेसरोन,+ करमी, हूर+ और शोबाल।+ 2 शोबाल का बेटा रायाह था और रायाह का बेटा यहत। यहत के बेटे थे अहूमै और लहद। ये सोराई घराने थे।+ 3 एताम+ के पिता के बेटे थे: यिजरेल, यिश्मा और यिदबाश (और उनकी बहन का नाम हसलेल-पोनी था) 4 और पनूएल, गदोर का पिता था और एजेर, हूशा का पिता था। ये हूर+ के बेटे थे जो एप्राता का पहलौठा था और बेतलेहेम+ का पिता था। 5 तकोआ+ के पिता अशहूर+ की दो पत्नियाँ थीं, हेला और नारा। 6 नारा से अशहूर के ये बेटे हुए: अहुज्जाम, हेपेर, तेमनी और हाहशतारी। ये नारा के बेटे थे। 7 हेला के बेटे थे सेरेत, यिसहार और एतनान। 8 कोस, आनूब और सोबेबा का और हारूम के बेटे अहरहेल के घरानों का पिता था।
9 याबेस ने अपने भाइयों से ज़्यादा सम्मान पाया और उसकी माँ ने यह कहकर उसका नाम याबेस* रखा, “मैंने बहुत दर्द झेलकर इसे जन्म दिया है।” 10 याबेस ने इसराएल के परमेश्वर से यह प्रार्थना की थी: “हे परमेश्वर, मुझे आशीष दे और मेरी सरहद बढ़ा दे। तेरा हाथ मुझ पर हो और मुझे मुसीबतों से बचाए रखे ताकि मुझे कोई खतरा न हो!” इसलिए परमेश्वर ने उसकी खातिर वही किया जो उसने माँगा था।
11 शूहा के भाई कलूब का बेटा महीर था। महीर का बेटा एशतोन था। 12 एशतोन बेत-रापा, पासेह और तहिन्ना का पिता था और तहिन्ना, ईर-नाहाश का पिता था। ये रेका के आदमी थे। 13 कनज के बेटे थे ओत्नीएल+ और सरायाह। ओत्नीएल का बेटा था* हतत। 14 मोनोतै का बेटा ओप्रा था। सरायाह का बेटा योआब था। और योआब, गेहराशीम* के निवासियों का पिता था। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वे लोग कारीगर थे।
15 यपुन्ने के बेटे कालेब+ के बेटे थे ईरू, एलाह और नाअम। एलाह का बेटा था* कनज। 16 यहल्ले-लेल के बेटे थे ज़ीफ, जीपा, तीरया और असरेल। 17 एजराह के बेटे थे येतेर, मेरेद, एपेर और यालोन। वह* गर्भवती हुई और उसने मिरयम, शम्मै और यिशबह को जन्म दिया जो एश्तमोआ का पिता था। 18 (उसकी यहूदी पत्नी ने येरेद, हेबेर और यकूतीएल को जन्म दिया। येरेद गदोर का पिता था, हेबेर सोको का पिता था और यकूतीएल जानोह का पिता था।) ये फिरौन की बेटी बित्या के बेटे थे जिससे मेरेद ने शादी की थी।
19 नहम की बहन यानी होदियाह की पत्नी के बेटे, गेरेमी कीला और माकाती एश्तमोआ के पिता थे। 20 और शीमोन के बेटे थे अम्नोन, रिन्ना, बेन-हानान और तीलोन। यिशी के बेटे जोहेत और बेन-जोहेत थे।
21 यहूदा के बेटे शेलह के बेटे+ ये थे: एर जो लेका का पिता था, लादा जो मारेशाह का पिता था, अशबेआ के घराने के परिवार जो बेहतरीन कपड़े तैयार करने का काम करते थे, 22 योकीम, कोजेबा के आदमी, योआश और सराप जिन्होंने मोआबी औरतों से शादी की थी और याशूब-लेहेम। ये पुराने ज़माने के दस्तावेज़ हैं।* 23 ये कुम्हार थे जो नताईम और गदेरा में रहते थे। वे वहाँ रहकर राजा के लिए काम करते थे।
24 शिमोन के बेटे थे+ नमूएल, यामीन, यारीब, जेरह और शौल।+ 25 शौल का बेटा शल्लूम था, शल्लूम का मिबसाम और मिबसाम का बेटा मिशमा था। 26 मिशमा के बेटे थे: उसका बेटा हम्मूएल, हम्मूएल का जक्कूर और जक्कूर का बेटा शिमी। 27 शिमी के 16 बेटे और 6 बेटियाँ थीं। मगर उसके भाइयों के ज़्यादा बेटे नहीं थे और उनके किसी भी घराने में इतने ज़्यादा आदमी नहीं थे जितने यहूदा के आदमी थे।+ 28 वे इन जगहों में रहते थे: बेरशेबा,+ मोलादा,+ हसर-शूआल,+ 29 बिल्हा, एसेम,+ तोलाद, 30 बतूएल,+ होरमा,+ सिकलग,+ 31 बेत-मरकाबोत, हसर-सूसीम,+ बेत-बिरी और शारैम। दाविद के राज तक ये शहर उनके थे।
32 उनकी बस्तियाँ थीं एताम, ऐन, रिम्मोन, तोकेन और आशान,+ यानी पाँच शहर, 33 साथ ही दूर बाल तक की वे बस्तियाँ जो इन शहरों के आस-पास थीं। ये उनकी वंशावलियाँ और उन जगहों के नाम हैं जहाँ वे रहते थे। 34 और मशोबाब, यम्लेक, योशा जो अमज्याह का बेटा था, 35 योएल, येहू जो योशिब्याह का बेटा, सरायाह का पोता और असीएल का परपोता था, 36 एल्योएनै, याकोबा, यशोहायाह, असायाह, अदीएल, यसीमीएल, बनायाह, 37 और ज़ीज़ा जो शिपी का बेटा था, शिपी अल्लोन का, अल्लोन यदायाह का, यदायाह शिम्री का और शिम्री शमायाह का बेटा था। 38 ये उनके नाम हैं जो अपने-अपने घराने के प्रधान थे। उनके पुरखों के घराने के लोगों की तादाद बहुत बढ़ गयी थी। 39 वे अपनी भेड़-बकरियों के झुंडों के लिए चरागाहों की तलाश में गदोर के फाटक तक पहुँच गए जो घाटी के पूरब में था। 40 आखिरकार उन्हें बहुत अच्छे और हरे-भरे चरागाह मिले। वह काफी बड़ा और शांत इलाका था और वहाँ कोई खतरा नहीं था। वहाँ पहले हाम के वंशज रहते थे।+ 41 ये लोग, जिनके नामों की सूची दी गयी है, यहूदा के राजा हिजकियाह+ के दिनों में वहाँ गए और उन्होंने वहाँ रहनेवाले हाम के वंशजों और मऊनी लोगों के तंबू नाश कर दिए। उन्होंने उनको मिटा दिया जिसका सबूत आज भी देखा जा सकता है और वे उनकी जगह बस गए क्योंकि उनके झुंडों के लिए वहाँ चरागाह थे।
42 कुछ शिमोनी आदमी, जिनकी गिनती 500 थी, पलत्याह, नारयाह, रपायाह और उज्जीएल के साथ सेईर पहाड़+ पर गए। यिशी के इन बेटों ने उन 500 आदमियों की अगुवाई की थी। 43 उन्होंने वहाँ उन अमालेकियों+ को मार डाला जो बच निकले थे। वे आज तक वहीं बसे हुए हैं।
5 इसराएल के पहलौठे रूबेन+ के बेटों के नाम नीचे दिए गए हैं। रूबेन पहलौठा था मगर क्योंकि उसने अपने पिता की सेज दूषित* कर दी थी,+ इसलिए उसका पहलौठे का हक इसराएल के बेटे यूसुफ के बेटों को दे दिया गया।+ रूबेन का नाम पहलौठे के हक के लिए वंशावली में नहीं लिखा गया। 2 हालाँकि यहूदा+ अपने भाइयों से ज़्यादा महान था और उसी के वंश से वह आया जो अगुवा होता,+ फिर भी पहलौठे का हक यूसुफ का था। 3 इसराएल के पहलौठे रूबेन के बेटे थे हानोक, पल्लू, हेसरोन और करमी।+ 4 योएल के बेटे थे शमायाह, शमायाह का बेटा गोग, गोग का शिमी, 5 शिमी का मीका, मीका का रायाह, रायाह का बाल, 6 और बाल का बेटा बएराह था, जिसे अश्शूर का राजा तिलगत-पिलनेसेर+ बंदी बनाकर ले गया। बएराह, रूबेनियों का एक प्रधान था। 7 उनके घरानों की वंशावली के मुताबिक उसके भाई ये थे: यीएल जो प्रधान था, जकरयाह 8 और बेला जो अजाज का बेटा, शमा का पोता और योएल का परपोता था। बेला अरोएर+ में और दूर नबो और बालमोन+ तक रहता था। 9 वह पूरब में दूर उस जगह तक बस गया जहाँ से फरात नदी के पासवाला वीराना शुरू होता है+ क्योंकि गिलाद के इलाके में उनके मवेशियों की तादाद बहुत बढ़ गयी थी।+ 10 शाऊल के दिनों में उन्होंने हगरी लोगों से युद्ध किया और उन्हें हरा दिया। इसलिए वे गिलाद के पूरब के सारे इलाके में हगरी लोगों के तंबुओं में रहने लगे।
11 उनके पड़ोस में गाद के वंशज थे। वे बाशान प्रदेश में दूर सलका तक बसे हुए थे।+ 12 बाशान में योएल मुखिया था, उसके बाद शापाम था और यानै और शापात भी अगुवे थे। 13 उनके पिताओं के घरानों में उनके भाई थे मीकाएल, मशुल्लाम, शीबा, योरै, याकान, ज़िआ और एबेर। ये कुल मिलाकर सात थे। 14 ये अबीहैल के बेटे थे, अबीहैल हूरी का बेटा था, हूरी यारोह का, यारोह गिलाद का, गिलाद मीकाएल का, मीकाएल यशीशै का, यशीशै यहदो का और यहदो बूज का बेटा था। 15 उनके पिता के घराने का मुखिया अही था, जो अब्दीएल का बेटा और गूनी का पोता था। 16 वे गिलाद और बाशान में, उनके आस-पास के नगरों में और शारोन के सब चरागाहों में उनकी सरहदों तक रहते थे।+ 17 उन सभी का नाम यहूदा के राजा योताम+ और इसराएल के राजा यारोबाम*+ के दिनों में वंशावली में लिखा गया था।
18 रूबेनियों, गादियों और मनश्शे के आधे गोत्र की सेना में 44,760 वीर योद्धा थे जो ढालों, तलवारों और कमान से लैस रहते थे और युद्ध की तालीम पाए हुए थे। 19 उन्होंने हगरी लोगों से और यतूर, नापीश+ और नोदाब से युद्ध किया था।+ 20 उन्होंने युद्ध में परमेश्वर से मदद माँगी थी और परमेश्वर ने उनकी बिनती सुनकर उनकी मदद की क्योंकि उन्होंने उस पर भरोसा किया था।+ परमेश्वर ने हगरी लोगों और उनके साथवाले सभी लोगों को उनके हाथ में कर दिया। 21 उन्होंने उनके सभी जानवर हड़प लिए, 50,000 ऊँट, 2,50,000 भेड़ें और 2,000 गधे। साथ ही उनके 1,00,000 लोगों को बंदी बना लिया। 22 बहुत-से लोग मार डाले गए क्योंकि यह लड़ाई सच्चे परमेश्वर की ओर से थी।+ और वे बँधुआई के समय तक उनके इलाके में बसे रहे।+
23 मनश्शे के आधे गोत्र के वंशज+ बाशान से बाल-हेरमोन तक के इलाके में और सनीर और हेरमोन पहाड़ के इलाके में रहते थे।+ उनकी आबादी बहुत ज़्यादा थी। 24 उनके पिताओं के घरानों के मुखिया ये थे: एपेर, यिशी, एलीएल, अजरीएल, यिर्मयाह, होदव्याह और यहदीएल। वे वीर योद्धा और मशहूर आदमी थे और अपने-अपने पिता के घराने के मुखिया थे। 25 मगर उन्होंने अपने पुरखों के परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया और अपने इलाके के उन लोगों के देवताओं को पूजने* लगे+ जिन्हें परमेश्वर ने उनके सामने से मिटा दिया था। 26 इसलिए इसराएल के परमेश्वर ने अश्शूर के राजा पूल (यानी अश्शूर के राजा तिलगत-पिलनेसेर)+ के मन को उकसाया+ और पूल ने रूबेनियों, गादियों और मनश्शे के आधे गोत्र को बंदी बना लिया और उन्हें हलह, हाबोर, हारा और गोजान नदी तक ले गया।+ वे आज तक उन्हीं जगहों में रहते हैं।
6 लेवी के बेटे थे+ गेरशोन, कहात+ और मरारी।+ 2 कहात के बेटे थे अमराम, यिसहार,+ हेब्रोन और उज्जीएल।+ 3 अमराम के बच्चे* थे+ हारून,+ मूसा+ और मिरयम।+ हारून के बेटे थे नादाब, अबीहू,+ एलिआज़र+ और ईतामार।+ 4 एलिआज़र का बेटा फिनेहास था+ और फिनेहास का बेटा अबीशू था। 5 अबीशू का बेटा बुक्की और बुक्की का बेटा उज्जी था। 6 उज्जी का बेटा जरहयाह और जरहयाह का बेटा मरायोत था। 7 मरायोत का बेटा अमरयाह और अमरयाह का बेटा अहीतूब+ था। 8 अहीतूब का बेटा सादोक+ और सादोक का बेटा अहीमास था।+ 9 अहीमास का बेटा अजरयाह और अजरयाह का बेटा योहानान था। 10 योहानान का बेटा अजरयाह था। उसने यरूशलेम में सुलैमान के बनाए भवन में याजक के नाते सेवा की थी।
11 अजरयाह का बेटा अमरयाह और अमरयाह का बेटा अहीतूब था। 12 अहीतूब का बेटा सादोक+ और सादोक का बेटा शल्लूम था। 13 शल्लूम का बेटा हिलकियाह+ और हिलकियाह का बेटा अजरयाह था। 14 अजरयाह का बेटा सरायाह+ और सरायाह का बेटा यहोसादाक+ था। 15 यहोसादाक उस समय बँधुआई में चला गया जब यहोवा ने यहूदा और यरूशलेम को नबूकदनेस्सर के हाथ बँधुआई में भेज दिया था।
16 लेवी के बेटे थे गेरशोम,* कहात और मरारी। 17 गेरशोम के बेटे थे लिबनी और शिमी।+ 18 कहात के बेटे थे अमराम, यिसहार, हेब्रोन और उज्जीएल।+ 19 मरारी के बेटे थे महली और मूशी।
लेवियों के पुरखों से निकले घराने ये थे:+ 20 गेरशोम के वंशज थे+ उसका बेटा लिबनी, लिबनी का यहत, यहत का जिम्मा, 21 जिम्मा का योआह, योआह का इद्दो, इद्दो का जेरह और जेरह का बेटा यातरै। 22 कहात के बेटे* थे अम्मीनादाब, अम्मीनादाब का बेटा कोरह,+ कोरह के बेटे अस्सीर, 23 एलकाना और एब्यासाप,+ एब्यासाप का बेटा अस्सीर, 24 अस्सीर का ताहत, ताहत का उरीएल, उरीएल का उज्जियाह और उज्जियाह का बेटा शौल। 25 एलकाना के बेटे थे अमासै और अहीमोत। 26 एक और एलकाना के बेटे थे सोपै, सोपै का बेटा नहत, 27 नहत का एलीआब, एलीआब का यरोहाम और यरोहाम का बेटा एलकाना।+ 28 शमूएल+ के बेटे थे, पहलौठा योएल और दूसरा बेटा अबियाह।+ 29 मरारी के बेटे* थे महली,+ महली का बेटा लिबनी, लिबनी का शिमी, शिमी का उज्जाह, 30 उज्जाह का शिमा, शिमा का हग्गियाह और हग्गियाह का बेटा असायाह।
31 दाविद ने कुछ लेवियों को इसलिए चुना कि जब संदूक यहोवा के भवन में रखा जाए तो वहाँ वे गीत गाने का निर्देशन करें।+ 32 जब तक सुलैमान ने यरूशलेम में यहोवा का भवन नहीं बनाया+ तब तक भेंट के तंबू में वे गानों के लिए ज़िम्मेदार थे। उनके लिए जो नियम ठहराया गया था उसके मुताबिक वे सेवा करते थे।+ 33 उन आदमियों के नाम ये हैं जो अपने बेटों के साथ मिलकर यह सेवा करते थे: कहातियों में से हेमान+ गायक जो योएल+ का बेटा था, योएल शमूएल का, 34 शमूएल एलकाना+ का, एलकाना यरोहाम का, यरोहाम एलीएल का, एलीएल तोह का, 35 तोह ज़ूफ का, ज़ूफ एलकाना का, एलकाना महत का, महत अमासै का, 36 अमासै एलकाना का, एलकाना योएल का, योएल अजरयाह का, अजरयाह सपन्याह का, 37 सपन्याह ताहत का, ताहत अस्सीर का, अस्सीर एब्यासाप का, एब्यासाप कोरह का, 38 कोरह यिसहार का, यिसहार कहात का, कहात लेवी का और लेवी इसराएल का बेटा था।
39 हेमान का भाई आसाप+ उसके दायीं तरफ खड़ा रहता था। आसाप बेरेक्याह का बेटा था, बेरेक्याह शिमा का, 40 शिमा मीकाएल का, मीकाएल बासेयाह का, बासेयाह मल्कियाह का, 41 मल्कियाह एत्नी का, एत्नी जेरह का, जेरह अदायाह का, 42 अदायाह एतान का, एतान जिम्मा का, जिम्मा शिमी का, 43 शिमी यहत का, यहत गेरशोम का और गेरशोम लेवी का बेटा था।
44 उनके भाई यानी मरारी के वंशज+ हेमान के बायीं तरफ खड़े रहते थे। एतान+ जो कीशी का बेटा था, कीशी अब्दी का, अब्दी मल्लूक का, 45 मल्लूक हशब्याह का, हशब्याह अमज्याह का, अमज्याह हिलकियाह का, 46 हिलकियाह अमसी का, अमसी बानी का, बानी शेमेर का, 47 शेमेर महली का, महली मूशी का, मूशी मरारी का और मरारी लेवी का बेटा था।
48 उनके दूसरे लेवी भाइयों को सच्चे परमेश्वर के भवन यानी पवित्र डेरे की सारी सेवाएँ करने के लिए ठहराया गया था।*+ 49 हारून और उसके बेटे+ होम-बलि की वेदी पर बलिदान चढ़ाते थे ताकि उसका धुआँ उठे,+ धूप की वेदी पर धूप जलाते थे+ और सबसे पवित्र चीज़ों से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ निभाते थे। वे इसराएल के लिए प्रायश्चित करते थे।+ इस तरह वे वह सारा काम करते थे जिसकी आज्ञा सच्चे परमेश्वर के सेवक मूसा ने दी थी। 50 हारून के वंशज ये थे:+ उसका बेटा एलिआज़र,+ एलिआज़र का बेटा फिनेहास, फिनेहास का अबीशू, 51 अबीशू का बुक्की, बुक्की का उज्जी, उज्जी का जरहयाह, 52 जरहयाह का मरायोत, मरायोत का अमरयाह, अमरयाह का अहीतूब,+ 53 अहीतूब का सादोक+ और सादोक का बेटा अहीमास।
54 वे अपने इलाके की इन जगहों में छावनियाँ* डालकर रहते थे: कहातियों के घराने में से हारून के वंशजों को, जिनके नाम पर पहली चिट्ठी निकली थी, 55 उन्होंने यहूदा के इलाके में से हेब्रोन+ और उसके आस-पास के चरागाह दिए। 56 मगर उन्होंने उस शहर का खेत और उसकी बस्तियाँ यपुन्ने के बेटे कालेब को दीं।+ 57 उन्होंने हारून के वंशजों को शरण नगर+ दिए,* यानी हेब्रोन।+ साथ ही उन्होंने लिब्ना+ और उसके चरागाह, यत्तीर,+ एश्तमोआ और उसके चरागाह,+ 58 हीलेन और उसके चरागाह, दबीर+ और उसके चरागाह, 59 आशान+ और उसके चरागाह और बेत-शेमेश+ और उसके चरागाह दिए। 60 बिन्यामीन गोत्र ने उन्हें गेबा+ और उसके चरागाह, आलेमेत और उसके चरागाह और अनातोत+ और उसके चरागाह दिए। उनके घरानों के कुल मिलाकर 13 शहर थे।+
61 बाकी कहातियों को दस शहर दिए गए। ये शहर गोत्र के घराने के, आधे गोत्र के, मनश्शे के आधे गोत्र के इलाके से दिए गए।*+
62 गेरशोमियों को उनके घरानों के हिसाब से 13 शहर दिए गए। ये शहर इस्साकार, आशेर और नप्ताली गोत्रों और बाशान में रहनेवाले मनश्शे गोत्र के इलाके से दिए गए।+
63 मरारियों को उनके घरानों के हिसाब से चिट्ठी डालकर 12 शहर दिए गए। ये शहर रूबेन, गाद और जबूलून गोत्रों के इलाके से दिए गए।+
64 इस तरह इसराएलियों ने लेवियों को ये शहर और उनके चरागाह दिए।+ 65 इनके अलावा उन्होंने चिट्ठी डालकर यहूदा, शिमोन और बिन्यामीन गोत्रों के इलाके से शहर दिए जिनका ज़िक्र उनके नाम से किया गया है।
66 कुछ कहाती घरानों को एप्रैम गोत्र के इलाके में से शहर मिले ताकि वे उनके इलाके हों।+ 67 उन्होंने उन्हें शरण नगर दिए* यानी एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में शेकेम+ और उसके चरागाह दिए, साथ ही गेजेर+ और उसके चरागाह, 68 योकमाम और उसके चरागाह, बेत-होरोन+ और उसके चरागाह, 69 अय्यालोन+ और उसके चरागाह और गत-रिम्मोन+ और उसके चरागाह। 70 उन्होंने कहातियों के बाकी घरानों को मनश्शे के आधे गोत्र के इलाके से आनेर और उसके चरागाह और बिलआम और उसके चरागाह दिए।
71 उन्होंने गेरशोमियों को मनश्शे के आधे गोत्र के घराने के इलाके से (बाशान का) गोलान+ और उसके चरागाह और अश्तारोत और उसके चरागाह दिए।+ 72 इस्साकार गोत्र के इलाके से केदेश और उसके चरागाह, दाबरात+ और उसके चरागाह,+ 73 रामोत और उसके चरागाह और आनेम और उसके चरागाह दिए। 74 आशेर गोत्र के इलाके से माशाल और उसके चरागाह, अब्दोन और उसके चरागाह,+ 75 हूकोक और उसके चरागाह और रहोब+ और उसके चरागाह दिए। 76 नप्ताली गोत्र के इलाके से (गलील+ का) केदेश+ और उसके चरागाह, हम्मोन और उसके चरागाह और किरयातैम और उसके चरागाह दिए।
77 उन्होंने बाकी मरारियों को जबूलून गोत्र के इलाके से रिम्मोनो और उसके चरागाह और ताबोर और उसके चरागाह दिए।+ 78 यरीहो के पास, यरदन प्रांत के पूरब में रहनेवाले रूबेन गोत्र के इलाके से बेसेर (जो वीराने में है) और उसके चरागाह, यहस+ और उसके चरागाह, 79 कदेमोत+ और उसके चरागाह और मेपात और उसके चरागाह दिए। 80 और गाद गोत्र के इलाके से (गिलाद का) रामोत और उसके चरागाह, महनैम+ और उसके चरागाह, 81 हेशबोन+ और उसके चरागाह और याजेर+ और उसके चरागाह दिए।
7 इस्साकार के चार बेटे थे तोला, पूआ, याशूब और शिमरोन।+ 2 तोला के बेटे थे उज्जी, रपायाह, यरीएल, यहमै, यिबसाम और शिमूएल। ये सब अपने पिताओं के घराने के मुखिया थे। तोला के वंशज वीर योद्धा थे और दाविद के दिनों में उनकी गिनती 22,600 थी। 3 उज्जी के वंशज* थे यिज्रयाह और यिज्रयाह के बेटे मीकाएल, ओबद्याह, योएल और यिश्शायाह। ये पाँचों प्रधान थे। 4 उनके पिताओं के घरानों की वंशावली के मुताबिक उनकी सेना में 36,000 सैनिक थे क्योंकि उनकी बहुत-सी पत्नियाँ और बहुत-से बेटे थे। 5 इस्साकार के सभी घरानों के आदमी वीर योद्धा थे और वंशावली में उनकी गिनती 87,000 थी।+
6 बिन्यामीन के तीन बेटे थे+ बेला,+ बेकेर+ और यदीएल।+ 7 बेला के पाँच बेटे थे एसबोन, उज्जी, उज्जीएल, यरीमोत और ईरी। वे अपने-अपने घराने के मुखिया थे और वीर योद्धा थे और उनकी वंशावली में उनकी गिनती 22,034 थी।+ 8 बेकेर के बेटे थे जमीरा, योआश, एलीएज़ेर, एल्योएनै, ओम्री, यरेमोत, अबियाह, अनातोत और आलेमेत। ये सब बेकेर के बेटे थे। 9 जिन वंशजों के नाम वंशावली में लिखे गए थे यानी वे जो पिताओं के घरानों के मुखिया थे, उनकी गिनती 20,200 थी। 10 यदीएल+ के बेटे थे बिलहान और बिलहान के बेटे यूश, बिन्यामीन, एहूद, कनाना, जेतान, तरशीश और अहीशहर। 11 ये सब यदीएल के बेटे और अपने-अपने पिता के घराने के मुखिया थे। उनके 17,200 वीर योद्धा सेना के साथ युद्ध में जाने के लिए तैयार रहते थे।
12 शुप्पीम और हुप्पीम लोग ईर+ के बेटे थे और हूशी लोग अहेर के बेटे थे।
13 नप्ताली के बेटे थे+ यहसीएल, गूनी, येसेर और शल्लूम। ये सब बिल्हा के वंशज* थे।+
14 मनश्शे+ के बेटे ये थे: असरीएल जो उसकी सीरियाई उप-पत्नी से पैदा हुआ था। (उसने माकीर को भी जन्म दिया जो गिलाद का पिता था।+ 15 माकीर ने हुप्पीम और शुप्पीम की शादी करवायी, जिसकी बहन का नाम माका था।) दूसरे का नाम सलोफाद+ था, मगर सलोफाद की सिर्फ बेटियाँ थीं।+ 16 माकीर की पत्नी माका ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम उसने पेरेश रखा। पेरेश के भाई का नाम शेरेश था और शेरेश के बेटे थे ऊलाम और रेकेम। 17 ऊलाम का बेटा था* बदान। ये सभी गिलाद के बेटे थे, जो माकीर का बेटा और मनश्शे का पोता था। 18 गिलाद की बहन हम्मोलेकेत थी। उसने ईशहोद, अबीएजेर और महला को जन्म दिया। 19 शमीदा के बेटे थे अहयान, शेकेम, लिकही और अनीआम।
20 एप्रैम के बेटे+ ये थे: शूतेलह,+ शूतेलह का बेटा बेरेद, बेरेद का ताहत, ताहत का एलादा, एलादा का ताहत, 21 ताहत का जाबाद और जाबाद का बेटा शूतेलह। एजेर और एलाद भी एप्रैम के बेटे थे। गत+ के आदमियों ने, जो उस इलाके में पैदा हुए थे, उन दोनों को मार डाला क्योंकि वे एप्रैमियों के मवेशियों को चुराने नीचे गए थे। 22 उनका पिता एप्रैम कई दिनों तक मातम मनाता रहा और उसके भाई उसके पास आकर उसे दिलासा देते रहे। 23 बाद में एप्रैम ने अपनी पत्नी के साथ संबंध रखे और वह गर्भवती हुई और उसने एक बेटे को जन्म दिया। मगर एप्रैम ने उसका नाम बरीआ* रखा क्योंकि उसकी पत्नी ने ऐसे वक्त पर बेटे को जन्म दिया जब उसके घराने पर मुसीबत टूट पड़ी थी। 24 उसकी बेटी शेरा थी जिसने निचले+ और ऊपरी बेत-होरोन+ को और उज्जेन-शेरा को बनाया था। 25 उसके बेटे थे रेपा और रेशेप, रेशेप का बेटा था तेलह, तेलह का तहन, 26 तहन का लादान, लादान का अम्मीहूद, अम्मीहूद का एलीशामा, 27 एलीशामा का नून और नून का बेटा यहोशू* था।+
28 उनकी जागीर और बस्तियाँ ये थीं: बेतेल+ और उसके आस-पास के नगर, पूरब में नारान, पश्चिम में गेजेर और उसके आस-पास के नगर, शेकेम और उसके आस-पास के नगर, दूर अय्याह* और उसके आस-पास के नगर, 29 मनश्शे के वंशजों के इलाके के पास बेत-शआन+ और उसके आस-पास के नगर, तानाक+ और उसके आस-पास के नगर, मगिद्दो+ और उसके आस-पास के नगर और दोर+ और उसके आस-पास के नगर। इन इलाकों में इसराएल के बेटे यूसुफ के वंशज रहते थे।
30 आशेर के बेटे थे यिम्नाह, यिश्वा, यिश्वी और बरीआ।+ उनकी बहन थी सेरह।+ 31 बरीआ के बेटे थे हेबेर और मलकीएल और मलकीएल बिरजोत का पिता था। 32 हेबेर के बेटे थे यपलेत, शोमेर और होताम। उनकी बहन शूआ थी। 33 यपलेत के बेटे थे पासक, बिमहाल और अश्वात। ये यपलेत के बेटे थे। 34 शेमेर* के बेटे थे अही, रोहगा, यहुब्बा और अराम। 35 उसके भाई हेलेम* के बेटे थे सोपह, यिम्ना, शेलेश और आमाल। 36 सोपह के बेटे थे सूह, हरनेपेर, शूआल, बेरी, इमरा, 37 बेसेर, होद, शम्मा, शिलशा, यित्रान और बीरा। 38 येतेर के बेटे थे यपुन्ने, पिस्पा और अरा। 39 उल्ला के बेटे थे आरह, हन्नीएल और रिस्या। 40 ये सब आशेर के बेटे थे। वे अपने-अपने पिता के घराने के मुखिया थे। वे खास आदमी और वीर योद्धा थे और सेनापतियों के मुखिया थे। वंशावली के मुताबिक+ उनकी 26,000 आदमियों की सेना थी+ जो युद्ध के लिए तैयार रहती थी।
8 बिन्यामीन+ के बेटे ये थे: पहलौठा बेला,+ दूसरा अशबेल,+ तीसरा अहरह, 2 चौथा नोहा और पाँचवाँ रापा। 3 बेला के बेटे थे अद्दार, गेरा,+ अबीहूद, 4 अबीशू, नामान, अहोह, 5 गेरा, शपूपान और हूराम। 6 ये एहूद के बेटे थे यानी गेबा+ के निवासियों के पिताओं के घरानों के मुखिया, जिन्हें बंदी बनाकर मानहत ले जाया गया था: 7 नामान, अहियाह और गेरा। गेरा ही उन्हें बँधुआई में ले गया था। उसके बेटे थे उज्जा और अहीहूद। 8 शहरैम के बच्चे मोआब के इलाके में पैदा हुए थे। इससे पहले उसने उन्हें भेज दिया था। उसकी पत्नियाँ थीं हूशीम और बारा।* 9 उसकी पत्नी होदेश से उसके ये बेटे हुए: योबाब, सिब्या, मेशा, मलकाम, 10 यूस, साकयाह और मिरमाह। उसके ये बेटे अपने पिताओं के घरानों के मुखिया थे।
11 हूशीम से उसके बेटे अबीतूब और एलपाल पैदा हुए। 12 एलपाल के बेटे थे एबेर, मिशाम, शेमेद (उसने ओनो+ और लोद+ और उसके आस-पास के नगर बनाए थे), 13 बरीआ और शमा। ये अय्यालोन+ के निवासियों के पिताओं के घरानों के मुखिया थे। इन्होंने गत के निवासियों को भगा दिया था। 14 और अहयो, शाशक, यरेमोत, 15 जबद्याह, अराद, एदेर, 16 मीकाएल, यिस्पा और योहा जो बरीआ के बेटे थे। 17 जबद्याह, मशुल्लाम, हिजकी, हेबेर, 18 यिशमरै, यिजलीआ और योबाब जो एलपाल के बेटे थे। 19 याकीम, जिक्री, जब्दी, 20 एलीएनै, सिल्लतै, एलीएल, 21 अदायाह, बरायाह और शिमरात जो शिमी के बेटे थे। 22 यिशपान, एबेर, एलीएल, 23 अब्दोन, जिक्री, हानान, 24 हनन्याह, एलाम, अन्तोतियाह, 25 यिपदयाह और पनूएल जो शाशक के बेटे थे। 26 शमशरै, शहरयाह, अतल्याह, 27 योरेश्याह, एलियाह और जिक्री जो यरोहाम के बेटे थे। 28 ये सभी अपनी वंशावली के मुताबिक अपने-अपने पिता के घराने के मुखिया थे। ये प्रधान यरूशलेम में रहते थे।
29 गिबोन का पिता यीएल गिबोन में रहता था।+ उसकी पत्नी का नाम माका था।+ 30 उसका पहलौठा अब्दोन था, फिर सूर, कीश, बाल, नादाब, 31 गदोर, अहयो और जेकेर। 32 मिकलोत का बेटा शिमयाह था। ये सभी अपने भाइयों के साथ यरूशलेम में रहते थे। उनके साथ उनके और भी भाई रहते थे।
33 नेर+ का बेटा कीश था, कीश का बेटा शाऊल था+ और शाऊल के बेटे थे योनातान,+ मलकीशूआ,+ अबीनादाब+ और एशबाल।*+ 34 योनातान का बेटा मरीब्बाल* था।+ मरीब्बाल का बेटा मीका था।+ 35 मीका के बेटे थे पीतोन, मेलेक, तारेआ और आहाज। 36 आहाज का बेटा यहोअद्दा था और यहोअद्दा के बेटे थे आलेमेत, अज़मावेत और जिमरी। जिमरी का बेटा मोसा था। 37 मोसा का बेटा बिनआ था, बिनआ का रापाह, रापाह का एलिआसा और एलिआसा का बेटा आसेल था। 38 आसेल के छ: बेटे थे और उनके नाम थे अजरीकाम, बोकरू, इश्माएल, शारयाह, ओबद्याह और हानान। ये सभी आसेल के बेटे थे। 39 उसके भाई एशेक के बेटे थे पहलौठा ऊलाम, दूसरा यूश और तीसरा एलीपेलेत। 40 ऊलाम के बेटे वीर योद्धा थे जो कमान चलाने में माहिर थे। उनके कई बेटे और पोते थे जिनकी गिनती 150 थी। ये सभी बिन्यामीन के वंशज थे।
9 सभी इसराएलियों के नाम उनके घरानों के मुताबिक वंशावली में लिखे गए थे। यह वंशावली इसराएल के राजाओं की किताब में लिखी है। यहूदा के लोग परमेश्वर के विश्वासयोग्य नहीं रहे इसलिए उन्हें बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया गया था।+ 2 जो लोग पहले अपने-अपने शहर लौट आए, जहाँ उनकी जागीर थी, वे थे कुछ इसराएली, याजक, लेवी और मंदिर के सेवक।*+ 3 यहूदा, बिन्यामीन, एप्रैम और मनश्शे के कुछ वंशज+ जो यरूशलेम में बस गए थे, वे ये थे: 4 ऊतै जो अम्मीहूद का बेटा था और अम्मीहूद ओम्री का, ओम्री इमरी का और इमरी बानी का बेटा था और बानी यहूदा के बेटे पेरेस+ का एक वंशज था। 5 शिलोनियों में से असायाह, जो अपने पिता के परिवार में पहलौठा था और उसके बेटे। 6 जेरह+ के बेटों में से यूएल और उनके 690 भाई।
7 बिन्यामीन के वंशजों में से सल्लू जो मशुल्लाम का बेटा, होदव्याह का पोता और हस्सनूआ का परपोता था, 8 यिबनायाह जो यरोहाम का बेटा था, एलाह जो उज्जी का बेटा और मिकरी का पोता था और मशुल्लाम जो शपत्याह का बेटा, रूएल का पोता और यिबनियाह का परपोता था। 9 और उन सबके भाइयों की गिनती उनकी वंशावली के मुताबिक 956 थी। ये सभी आदमी अपने-अपने पिता के घराने के मुखिया थे।
10 याजकों में से ये थे: यदायाह, यहोयारीब, याकीन,+ 11 अजरयाह जो हिलकियाह का बेटा था और हिलकियाह मशुल्लाम का, मशुल्लाम सादोक का, सादोक मरायोत का और मरायोत अहीतूब का बेटा था, जो सच्चे परमेश्वर के भवन* में एक अगुवा था, 12 अदायाह जो यरोहाम का बेटा, पशहूर का पोता और मल्कियाह का परपोता था, मासै जो अदीएल का बेटा था और अदीएल यहजेरा का, यहजेरा मशुल्लाम का, मशुल्लाम मशिल्लेमीत का और मशिल्लेमीत इम्मेर का बेटा था, 13 और उन सबके भाई। वे 1,760 आदमी थे जो अपने-अपने पिता के घराने के मुखिया थे। वे बड़े ताकतवर और काबिल आदमी थे और सच्चे परमेश्वर के भवन में सेवा के लिए तैयार रहते थे।
14 लेवियों में से ये थे: शमायाह+ जो हश्शूब का बेटा, अजरीकाम का पोता और मरारी के वंशज हशब्याह का परपोता था, 15 बकबक्कर, हेरेश, गालाल, मत्तन्याह जो मिका का बेटा, जिक्री का पोता और आसाप का परपोता था, 16 ओबद्याह जो शमायाह का बेटा, गालाल का पोता और यदूतून का परपोता था और बेरेक्याह जो आसा का बेटा और एलकाना का पोता था और नतोपा के लोगों की बस्तियों+ में रहता था।
17 पहरेदार+ ये थे: शल्लूम, अक्कूब, तल्मोन और अहीमन। उनका भाई शल्लूम मुखिया था। 18 मगर इससे पहले शल्लूम पूरब की तरफ राजा के फाटक पर तैनात रहता था।+ ये सभी आदमी लेवियों की छावनियों के पहरेदार थे। 19 शल्लूम (जो कोरे का बेटा, एब्यासाप का पोता और कोरह का परपोता था) और उसके पिता के घराने के भाई यानी कोरहवंशी लोग तंबू के पहरेदार थे और इस नाते सेवा से जुड़े कामों की निगरानी करते थे, ठीक जैसे उनके बाप-दादे यहोवा की छावनी की निगरानी करनेवाले और उसके प्रवेश के पहरेदार थे। 20 गुज़रे ज़माने में एलिआज़र का बेटा फिनेहास+ उनका अगुवा था और यहोवा उसके साथ था। 21 मेशेलेम्याह का बेटा जकरयाह+ भेंट के तंबू के प्रवेश का पहरेदार था।
22 जिन आदमियों को प्रवेश के पहरेदार चुना गया था, उनकी कुल गिनती 212 थी। वंशावली में जिस क्रम में उनका नाम लिखा गया था,+ उसके मुताबिक वे अपनी-अपनी बस्ती में बसे थे। दाविद और शमूएल दर्शी+ ने उन्हें यह पद इसलिए सौंपा था क्योंकि वे भरोसेमंद आदमी थे। 23 उन्हें और उनके बेटों को यहोवा के भवन यानी तंबू के भवन के द्वार पर पहरेदार ठहराया गया था।+ 24 पहरेदार उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम चारों दिशाओं में तैनात थे।+ 25 उनके भाइयों को अपनी-अपनी बस्ती से बारी-बारी से आना होता था ताकि वे उनके साथ मिलकर सात दिन तक सेवा करें। 26 चार आदमियों को मुख्य पहरेदारों का पद सौंपा गया था क्योंकि वे भरोसेमंद थे। वे लेवी थे और उनकी ज़िम्मेदारी थी सच्चे परमेश्वर के भवन के खानों* और खज़ानों की देखरेख करना।+ 27 वे सच्चे परमेश्वर के भवन के चारों तरफ अपनी-अपनी जगह पर खड़े रहकर पूरी रात पहरा देते थे क्योंकि यही उनकी ज़िम्मेदारी थी और चाबी उनके हाथ में दी गयी थी और वे हर सुबह भवन के फाटक खोलते थे।
28 उनमें से कुछ को सेवा से जुड़ी चीज़ों की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी।+ जब भी ये चीज़ें अंदर लायी जातीं तो वे उनकी गिनती करते थे और जब उन्हें बाहर ले जाया जाता, तब भी वे उनकी गिनती करते थे। 29 दूसरों को बाकी चीज़ों, सभी पवित्र बरतनों,+ मैदे,+ दाख-मदिरा,+ तेल,+ लोबान+ और बलसाँ के तेल+ का ज़िम्मा सौंपा गया था। 30 याजकों के कुछ वंशज बलसाँ के तेल से मिश्रण तैयार करते थे। 31 लेवियों में से मतित्याह को, जो कोरहवंशी शल्लूम का पहलौठा था, तवे पर पकायी जानेवाली चीज़ों+ का ज़िम्मा सौंपा गया था क्योंकि वह भरोसेमंद था। 32 कुछ कहाती भाइयों को रोटियों के ढेर* की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी+ ताकि वे हर सब्त के दिन उन्हें तैयार करें।+
33 ये गायक थे जो लेवियों के पिताओं के घरानों के मुखिया थे। वे भवन के खानों* में रहते थे और उन्हें दूसरे कामों से छूट दी जाती थी, क्योंकि उन्हें जो काम सौंपा गया था उसमें दिन-रात लगे रहना उनकी ज़िम्मेदारी थी। 34 वे अपनी वंशावली के मुताबिक लेवियों के पिताओं के घरानों के मुखिया और अगुवे थे। वे यरूशलेम में रहते थे।
35 गिबोन का पिता यीएल गिबोन में रहता था।+ उसकी पत्नी का नाम माका था। 36 उसका पहलौठा अब्दोन था, फिर सूर, कीश, बाल, नेर, नादाब, 37 गदोर, अहयो, जकरयाह और मिकलोत। 38 मिकलोत का बेटा शिमाम था। ये सभी अपने भाइयों के साथ यरूशलेम में रहते थे। उनके साथ उनके और भी भाई रहते थे। 39 नेर+ का बेटा कीश था, कीश का बेटा शाऊल था+ और शाऊल के बेटे थे, योनातान,+ मलकीशूआ,+ अबीनादाब+ और एशबाल। 40 योनातान का बेटा मरीब्बाल था।+ मरीब्बाल का बेटा मीका था।+ 41 मीका के बेटे थे पीतोन, मेलेक, तहरे और आहाज। 42 आहाज का बेटा यारा था और यारा के बेटे थे आलेमेत, अज़मावेत और जिमरी। जिमरी का बेटा मोसा था। 43 मोसा का बेटा बिनआ था, बिनआ का रपायाह, रपायाह का एलिआसा और एलिआसा का बेटा आसेल था। 44 आसेल के छ: बेटे थे और उनके नाम थे: अजरीकाम, बोकरू, इश्माएल, शारयाह, ओबद्याह और हानान। ये सब आसेल के बेटे थे।
10 पलिश्ती लोग इसराएलियों से युद्ध कर रहे थे। इसराएली सेना पलिश्तियों से हारकर भाग गयी और बहुत-से इसराएली सैनिक गिलबो पहाड़ पर ढेर हो गए।+ 2 पलिश्ती सैनिक शाऊल और उसके बेटों का पीछा करते-करते उनके पास आ गए। उन्होंने शाऊल के बेटे योनातान, अबीनादाब और मलकीशूआ+ को मार डाला। 3 फिर उन्होंने शाऊल के साथ जमकर लड़ाई की और जब तीरंदाज़ों ने उसे देखा तो उसे घायल कर दिया।+ 4 तब शाऊल ने अपने हथियार ढोनेवाले सैनिक से कहा, “तू अपनी तलवार निकालकर मुझे घोंप दे ताकि ये खतनारहित आदमी मुझे बेरहमी से न मारें।”*+ मगर उसके सैनिक ने इनकार कर दिया क्योंकि ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हुई। तब शाऊल ने अपनी तलवार ली और खुद उस पर गिर गया।+ 5 जब शाऊल के हथियार ढोनेवाले सैनिक ने देखा कि वह मर गया है, तो वह सैनिक भी अपनी तलवार पर गिर पड़ा और मर गया। 6 इस तरह शाऊल और उसके तीन बेटे मर गए और उनके साथ-साथ उसके घराने के सभी लोग मर गए।+ 7 जब घाटी के इलाके में रहनेवाले सब इसराएलियों ने देखा कि सब लोग भाग गए हैं और शाऊल और उसके बेटे मर गए हैं, तो वे अपना-अपना शहर छोड़कर भागने लगे। फिर पलिश्ती आकर उन शहरों में रहने लगे।
8 अगले दिन जब पलिश्ती, मारे गए इसराएली सैनिकों के कपड़े और हथियार लेने आए तो उन्होंने गिलबो पहाड़ पर शाऊल और उसके बेटों की लाशें देखीं।+ 9 उन्होंने शाऊल का सिर काट लिया और उसका बख्तर और सभी हथियार निकाल लिए। उन्होंने पलिश्तियों के पूरे देश में संदेश भेजा कि यह खबर उनके मूरतों के मंदिरों तक और लोगों तक पहुँचायी जाए।+ 10 फिर उन्होंने शाऊल के हथियार ले जाकर अपने देवता के मंदिर में रखे और उसका सिर दागोन के मंदिर+ में लटका दिया।
11 जब गिलाद के याबेश में रहनेवालों+ ने सुना कि पलिश्तियों ने शाऊल के साथ क्या किया है,+ 12 तो उनके सभी योद्धा निकल पड़े और शाऊल और उसके बेटों की लाशें उठा लाए। वे उन लाशों को याबेश ले आए और उनकी हड्डियाँ याबेश में बड़े पेड़ के नीचे दफना दीं।+ और उन्होंने सात दिन तक उपवास किया।
13 इस तरह शाऊल मर गया क्योंकि वह यहोवा का विश्वासयोग्य न रहा और उसने यहोवा की आज्ञा न मानी,+ साथ ही उसने मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करनेवाली औरत से पूछताछ की+ 14 बजाय इसके कि वह यहोवा से उसकी मरज़ी पूछता। इसलिए परमेश्वर ने उसे मार डाला और यिशै के बेटे दाविद को राज सौंप दिया।+
11 कुछ समय बाद सभी इसराएली हेब्रोन में दाविद के पास इकट्ठा हुए+ और कहने लगे, “देख, तेरे साथ हमारा खून का रिश्ता है।*+ 2 बीते समय में जब शाऊल राजा था, तब तू ही लड़ाइयों में इसराएल की अगुवाई करता था।+ तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझसे कहा था, ‘तू एक चरवाहे की तरह मेरी प्रजा इसराएल की देखभाल करेगा और इसराएल का अगुवा बनेगा।’”+ 3 इस तरह इसराएल के सभी मुखिया हेब्रोन में राजा के पास आए और दाविद ने हेब्रोन में यहोवा के सामने उनके साथ एक करार किया। फिर उन्होंने दाविद का अभिषेक करके उसे इसराएल का राजा ठहराया,+ ठीक जैसे यहोवा ने शमूएल से कहलवाया था।+
4 बाद में दाविद और सभी इसराएली यरूशलेम यानी यबूस+ के लिए निकल पड़े जहाँ यबूसी+ रहते थे। 5 यबूस के निवासियों ने दाविद का मज़ाक बनाते हुए कहा, “तू हमारे इलाके में कभी कदम नहीं रख पाएगा!”+ मगर दाविद ने सिय्योन+ के गढ़वाले शहर पर कब्ज़ा कर लिया जो आज दाविदपुर+ कहलाता है। 6 दाविद ने कहा, “जो कोई सबसे पहले यबूसियों पर हमला करेगा वही प्रधान और हाकिम बनेगा।” सरूयाह का बेटा योआब+ सबसे पहले गया और वह प्रधान बन गया। 7 सिय्योन का किला जीतने के बाद दाविद वहाँ जाकर बस गया। इसीलिए उन्होंने उसे दाविदपुर नाम दिया। 8 वह शहर को बनाने लगा। वह टीले* पर और उसके चारों तरफ दूसरी जगहों में दीवारें और इमारतें बनवाने लगा और शहर की बाकी जगहों को योआब ने दोबारा बनाया। 9 इस तरह दाविद दिनों-दिन महान होता गया+ और सेनाओं का परमेश्वर यहोवा उसके साथ था।
10 दाविद के वीर योद्धाओं के मुखिया ये थे, जिन्होंने सब इसराएलियों के संग मिलकर उसे पूरा साथ दिया और जैसे यहोवा ने इसराएल से वादा किया था उन्होंने उसे राजा बनाया।+ 11 दाविद के वीर योद्धाओं की सूची यह है: याशोबाम+ जो एक हकमोनी का बेटा था और तीन सूरमाओं में मुखिया था।+ एक बार उसने अपने भाले से 300 से ज़्यादा दुश्मनों को मार गिराया था।+ 12 अगला सूरमा था एलिआज़र,+ जो अहोही+ दोदो का बेटा था। वह तीन सूरमाओं में से एक था। 13 वह दाविद के साथ पस-दम्मीम+ में था जहाँ पलिश्ती युद्ध के लिए इकट्ठा हुए थे। वहाँ जौ का एक खेत था। लोग पलिश्तियों को देखकर भाग गए, 14 मगर एलिआज़र खेत के बीचों-बीच खड़ा उसकी रक्षा करता रहा और पलिश्तियों को मार गिराता रहा। इसलिए यहोवा ने इसराएलियों को बड़ी जीत दिलायी।*+
15 दाविद की सेना के 30 मुखियाओं में से तीन आदमी चट्टान यानी अदुल्लाम की गुफा में गए जहाँ दाविद था।+ उस समय पलिश्ती सेना रपाई घाटी में छावनी डाले हुई थी।+ 16 दाविद एक महफूज़ जगह पर था और पलिश्तियों की एक टुकड़ी बेतलेहेम में थी। 17 तब दाविद ने कहा, “काश! मुझे बेतलेहेम+ के फाटकवाले कुंड से थोड़ा पानी पीने को मिल जाता!” 18 तब उसके तीन सूरमा पलिश्ती सेना को चीरकर उनकी छावनी में घुस गए और उन्होंने बेतलेहेम के फाटकवाले कुंड से पानी निकाला और दाविद के पास ले आए। मगर दाविद ने पानी पीने से इनकार कर दिया और यहोवा के सामने उँडेल दिया। 19 उसने कहा, “मैं यह पानी पीने की सोच भी नहीं सकता, ऐसा करना मेरे परमेश्वर की नज़र में बिलकुल गलत होगा! मैं इन आदमियों का खून कैसे पी सकता हूँ जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी थी?+ वे अपनी जान जोखिम में डालकर यह पानी लाए।” इसीलिए दाविद ने वह पानी पीने से इनकार कर दिया। उसके तीन सूरमाओं ने ये बड़े-बड़े काम किए थे।
20 अबीशै,+ जो योआब का भाई था,+ तीन और योद्धाओं का अधिकारी बना। उसने अपने भाले से 300 से भी ज़्यादा दुश्मनों को मार गिराया था। वह भी उन तीन योद्धाओं जितना मशहूर था।+ 21 हालाँकि वह उन तीन योद्धाओं में से दो से ज़्यादा कुशल था और उनका मुखिया था, फिर भी वह पहले तीन सूरमाओं के बराबर नहीं पहुँचा।
22 यहोयादा का बेटा बनायाह+ भी एक दिलेर सैनिक था।* उसने कबसेल+ में कई बहादुरी के काम किए थे। उसने मोआब के रहनेवाले अरीएल के दो बेटों को मार गिराया और एक दिन जब बहुत बर्फ पड़ रही थी तो उसने एक सूखे हौद के अंदर जाकर एक शेर को मार डाला।+ 23 उसने एक मिस्री आदमी को भी मार डाला था जो बहुत ऊँची कद-काठी का था। वह पाँच हाथ* लंबा था।+ उस मिस्री के हाथ में जुलाहे के लट्ठे जितना भारी भाला था+ जबकि बनायाह के हाथ में सिर्फ एक डंडा था। बनायाह ने उसका भाला छीन लिया और उसी के भाले से उसे मार डाला।+ 24 यहोयादा के बेटे बनायाह ने ये बड़े-बड़े काम किए थे। वह उन तीन सूरमाओं जितना मशहूर था। 25 हालाँकि वह तीस योद्धाओं से ज़्यादा कुशल था, फिर भी वह उन तीन सूरमाओं के बराबर नहीं पहुँचा।+ लेकिन दाविद ने बनायाह को ही अपने अंगरक्षकों का अधिकारी ठहराया।
26 सेना के वीर योद्धा थे, योआब का भाई असाहेल,+ बेतलेहेम के रहनेवाले दोदो का बेटा एल्हानान,+ 27 हरोर का रहनेवाला शम्मोत, पलोनी हेलेस, 28 तकोआ के रहनेवाले इक्केश का बेटा ईरा,+ अनातोत का रहनेवाला अबीएजेर,+ 29 हूशाई सिब्बकै,+ अहोही के घराने का ईलै, 30 नतोपा का रहनेवाला महरै,+ नतोपा के रहनेवाले बानाह का बेटा हेलेद,+ 31 बिन्यामीन गोत्र के गिबा+ के रहनेवाले रीबै का बेटा इत्तै, पिरातोन का रहनेवाला बनायाह, 32 गाश+ की घाटियों* का रहनेवाला हूरै, बेत-अराबा का रहनेवाला अबीएल, 33 बहूरीम का रहनेवाला अज़मावेत, शालबोनी एलीयाबा, 34 गिजोनी हाशेम के बेटे, हरारी शागे का बेटा योनातान, 35 हरारी सकार का बेटा अहीआम, ऊर का बेटा एलीपाल, 36 मकेराई हेपेर, पलोनी अहियाह, 37 करमेल का रहनेवाला हेसरो, एजबै का बेटा नारै, 38 नातान का भाई योएल, हगरी का बेटा मिभार, 39 अम्मोनी सेलेक, बेरोत का रहनेवाला नहरै जो सरूयाह के बेटे योआब का हथियार ढोनेवाला सैनिक था, 40 यित्री ईरा, यित्री गारेब, 41 हित्ती उरियाह,+ अहलै का बेटा जाबाद, 42 रूबेनी शीजा का बेटा अदीना जो रूबेनियों और उसके साथवाले 30 आदमियों का एक मुखिया था, 43 माका का बेटा हानान, मित्नी योशापात, 44 अश्तारोत का रहनेवाला उज्जिया, अरोएर के रहनेवाले होताम के बेटे शामा और यीएल, 45 शिम्री का बेटा यदीएल और उसका भाई योहा जो तीसी था, 46 महवी एलीएल, एलनाम के बेटे यरीबै और योशव्याह, मोआबी यित्मा, 47 एलीएल, ओबेद और मसोबाई यासीएल।
12 जब दाविद सिकलग में था+ और कीश के बेटे शाऊल की वजह से खुलेआम घूम नहीं पा रहा था,+ तब ये आदमी उसके पास आए। वे उन वीर योद्धाओं में से थे जिन्होंने युद्ध में उसका साथ दिया था।+ 2 वे तीर-कमान से लैस रहते थे और दाएँ-बाएँ दोनों हाथों+ से गोफन का पत्थर और तीर चला सकते थे।+ वे बिन्यामीन+ गोत्र से थे यानी शाऊल के भाई थे। 3 उनका मुखिया अहीएजेर था और उसके साथ थे: योआश, गिबा+ के रहनेवाले शमाआ के दोनों बेटे, अज़मावेत+ के बेटे यजीएल और पेलेत, बराका, अनातोत का रहनेवाला येहू, 4 गिबोनी+ यिशमायाह जो तीस+ में से एक वीर योद्धा था और उनका अधिकारी था, यिर्मयाह, यहजीएल, योहानान, गदेरा का रहनेवाला योजाबाद, 5 एलूजै, यरीमोत, बाल्याह, शमरयाह, हारीपी शपत्याह, 6 कोरह के वंशजों में से एलकाना, यिश्शायाह, अजरेल, योएजेर और याशोबाम,+ 7 और गदोर के रहनेवाले यरोहाम के बेटे योएला और जबद्याह।
8 कुछ गादी लोग दाविद की तरफ हो गए और वे उसके पास वीराने में महफूज़ जगह आए।+ वे वीर योद्धा थे जिन्होंने युद्ध की तालीम पायी थी। वे हाथ में बड़ी ढाल और बरछा लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका मुँह शेर के मुँह जैसा था और वे पहाड़ी चिकारे की तरह फुर्ती से दौड़ते थे। 9 उनका मुखिया एजेर था, दूसरे पद पर ओबद्याह था, तीसरा एलीआब, 10 चौथा मिशमन्ना, पाँचवाँ यिर्मयाह, 11 छठा अत्तै, सातवाँ एलीएल, 12 आठवाँ योहानान, नौवाँ एलजाबाद, 13 दसवाँ यिर्मयाह और ग्यारहवाँ मकबन्नै। 14 ये सभी गादी+ थे और सेना के मुखिया थे। उनमें जो सबसे छोटा था वह 100 सैनिकों के बराबर था और सबसे बड़ा 1,000 के बराबर।+ 15 यही वे आदमी थे जिन्होंने पहले महीने में यरदन पार की थी जब पानी तट के ऊपर बह रहा था। उन्होंने निचले इलाकों में रहनेवाले सब लोगों को पूरब और पश्चिम की तरफ भगा दिया।
16 बिन्यामीन और यहूदा के भी कुछ आदमी दाविद के पास महफूज़ जगह आए थे।+ 17 तब दाविद बाहर उनके पास आया और उनसे कहा, “अगर तुम शांति के इरादे से मेरी मदद करने आए हो तो मेरा दिल तुम्हारे साथ एक होगा। लेकिन अगर तुम मुझे धोखा देकर दुश्मनों के हवाले करने आए हो जबकि मैंने कोई गलती नहीं की है, तो हमारे पुरखों का परमेश्वर देखे और न्याय करे।”+ 18 तब परमेश्वर की पवित्र शक्ति अमासै पर आयी,+ जो तीस का मुखिया था और उसने कहा,
“हे दाविद, हम तेरे लोग हैं, हे यिशै के बेटे, हम तेरे साथ हैं।+
तुझे शांति मिले शांति और तेरी मदद करनेवालों को भी शांति मिले,
क्योंकि तेरा परमेश्वर तेरी मदद कर रहा है।”+
इसलिए दाविद ने उन्हें स्वीकार किया और अपनी टुकड़ियों का मुखिया ठहराया।
19 मनश्शे के कुछ लोग भी शाऊल की सेना छोड़कर दाविद के पास आ गए। ऐसा तब हुआ जब दाविद पलिश्तियों के साथ मिलकर शाऊल से युद्ध करने गया था। मगर दाविद ने पलिश्तियों की मदद नहीं की क्योंकि पलिश्ती सरदारों+ ने सलाह-मशविरा करने के बाद उसे भेज दिया था। उन्होंने कहा, “यह हमें छोड़कर अपने मालिक शाऊल के पास चला जाएगा और हमें अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ेगी।”+ 20 जब दाविद सिकलग गया था,+ तो मनश्शे गोत्र से जो लोग उससे जा मिले वे ये थे: अदनाह, योजाबाद, यदीएल, मीकाएल, योजाबाद, एलीहू और सिल्लतै। वे मनश्शे की सेना में हज़ारों+ के मुखिया थे। 21 उन्होंने लुटेरे-दल से लड़ने में दाविद की मदद की थी क्योंकि वे सब बड़े ताकतवर और दिलेर थे+ और वे उसकी सेना के प्रधान बन गए। 22 हर दिन लोग दाविद की मदद करने उसके पास आते रहे+ और दाविद की सेना बढ़ते-बढ़ते परमेश्वर की सेना जितनी विशाल हो गयी।+
23 ये हथियारबंद सैनिकों के मुखियाओं की गिनती है जो हेब्रोन में दाविद के पास इसलिए आए+ कि यहोवा के आदेश के मुताबिक शाऊल का राज उसे सौंप दें।+ 24 यहूदा के आदमी जो हाथ में बड़ी ढाल और बरछे लिए युद्ध के लिए तैयार थे, वे 6,800 थे। 25 शिमोनियों में से ताकतवर और दिलेर आदमियों की गिनती 7,100 थी।
26 लेवियों में से 4,600 थे। 27 हारून के बेटों+ का अगुवा यहोयादा+ था और उसके साथ 3,700 आदमी थे। 28 उनमें सादोक+ भी था जो एक ताकतवर और दिलेर जवान था और उसके साथ उसके पिता के घराने के 22 प्रधान थे।
29 बिन्यामीनियों यानी शाऊल के भाइयों+ में से 3,000 आदमी थे जिनमें से ज़्यादातर पहले शाऊल के घराने के कामों की निगरानी करते थे। 30 एप्रैमियों में से 20,800 ताकतवर और दिलेर आदमी थे जिनका अपने-अपने पिता के घराने में बड़ा नाम था।
31 मनश्शे के आधे गोत्र में से 18,000 आदमी थे जिन्हें नाम लेकर चुना गया था कि वे आकर दाविद को राजा बनाएँ। 32 इस्साकार गोत्र में से 200 मुखिया थे जिन्होंने उस वक्त के हालात को समझा था और वे जानते थे कि इसराएल को क्या करना चाहिए। उनके सभी भाई उनकी कमान के नीचे थे। 33 जबूलून गोत्र में से 50,000 आदमी थे जो दल बनाकर युद्ध के लिए तैयार थे और सारे हथियारों से लैस थे। वे सब दाविद से जा मिले और उन्होंने ठान लिया था कि वे सिर्फ उसके वफादार रहेंगे।* 34 नप्ताली गोत्र से 1,000 प्रधान थे और उनके साथ 37,000 सैनिक थे जो बड़ी ढाल और भाला पकड़ते थे। 35 दान गोत्र से 28,600 आदमी दल बनाकर युद्ध के लिए तैयार थे। 36 आशेर गोत्र से 40,000 थे जो दल बनाकर युद्ध के लिए तैयार थे।
37 यरदन के उस पार+ रूबेनियों, गादियों और मनश्शे के आधे गोत्र से 1,20,000 सैनिक थे जो हर तरह के हथियार से लैस थे। 38 ये सभी बड़े-बड़े योद्धा थे जो युद्ध के लिए दल बाँधकर खड़े रहते थे। वे पूरे दिल से हेब्रोन आए ताकि दाविद को सारे इसराएल का राजा बनाएँ। और बाकी इसराएली भी दाविद को राजा बनाने के लिए उनके साथ एक हो गए।*+ 39 वे दाविद के साथ वहाँ तीन दिन रहे और उन्होंने खाया-पीया क्योंकि उनके भाइयों ने उनके लिए इसका इंतज़ाम किया था। 40 उनके पास के इलाकों में रहनेवाले, यहाँ तक कि दूर इस्साकार, जबूलून और नप्ताली के लोग भी उनके लिए बड़ी तादाद में खाने की चीज़ें लाते रहे। वे गधों, ऊँटों, खच्चरों और गाय-बैलों पर मैदा, अंजीर और किशमिश की टिकियाँ, दाख-मदिरा और तेल लादकर लाए और गाय-बैल और भेड़ ले आए क्योंकि इसराएल में खुशियाँ मनायी गयीं।
13 दाविद ने सैकड़ों और हज़ारों की टुकड़ियों के प्रधानों से और हर अगुवे से सलाह-मशविरा किया।+ 2 फिर उसने इसराएल की पूरी मंडली से कहा, “अगर तुम्हें सही लगे और हमारे परमेश्वर यहोवा को मंज़ूर हो तो हम इसराएल के सभी इलाकों में रहनेवाले अपने बाकी भाइयों को खबर भेजेंगे और याजकों और लेवियों को भी, जो अपने उन शहरों में हैं+ जिनके आस-पास चरागाह हैं, खबर भेजेंगे कि वे सभी आएँ और हम सब मिलकर 3 हमारे परमेश्वर का संदूक वापस ले आएँ।”+ क्योंकि उन्होंने शाऊल के दिनों में संदूक की देखभाल नहीं की थी।+ 4 पूरी मंडली सहमत हुई क्योंकि सब लोगों को यह बात सही लगी। 5 तब दाविद ने मिस्र की नदी* से लेकर दूर लेबो-हमात* तक रहनेवाले सभी इसराएलियों को इकट्ठा किया+ ताकि वे किरयत-यारीम से सच्चे परमेश्वर का संदूक ले आएँ।+
6 दाविद और पूरा इसराएल बाला+ यानी किरयत-यारीम गए जो यहूदा में है ताकि वहाँ से सच्चे परमेश्वर यहोवा का संदूक ले आएँ, जो करूबों पर* विराजमान है।+ उसी संदूक के सामने लोग उसका नाम पुकारते हैं। 7 मगर उन्होंने सच्चे परमेश्वर के संदूक को एक नयी बैल-गाड़ी पर रखा+ और अबीनादाब के घर से ले जाने लगे। उज्जाह और अहयो गाड़ी के आगे-आगे चल रहे थे।+ 8 दाविद और पूरा इसराएल सच्चे परमेश्वर के सामने पूरे दिल से जश्न मना रहा था। वे सुरमंडल और तारोंवाले दूसरे बाजे, डफली,+ झाँझ बजाते,+ तुरहियाँ फूँकते और गीत गाते हुए जा रहे थे।+ 9 मगर जब वे कीदोन के खलिहान पहुँचे तो ऐसा हुआ कि बैल-गाड़ी पलटने पर हो गयी। तभी उज्जाह ने हाथ बढ़ाकर संदूक पकड़ लिया। 10 इस पर यहोवा का क्रोध उज्जाह पर भड़क उठा और उसने उसे वहीं मार डाला क्योंकि उज्जाह ने हाथ बढ़ाकर संदूक पकड़ लिया था+ और वह परमेश्वर के सामने मर गया।+ 11 मगर यह देखकर कि यहोवा का क्रोध उज्जाह पर भड़क उठा, दाविद बहुत गुस्सा हुआ। इसी घटना की वजह से वह जगह आज तक पेरेस-उज्जाह* के नाम से जानी जाती है।
12 उस दिन दाविद सच्चे परमेश्वर से बहुत डर गया और उसने कहा, “मैं सच्चे परमेश्वर का संदूक अपने पास कैसे लाऊँगा?”+ 13 दाविद संदूक को अपने शहर दाविदपुर नहीं लाया बल्कि उसे गत के रहनेवाले ओबेद-एदोम के घर पहुँचा दिया। 14 सच्चे परमेश्वर का संदूक तीन महीने तक ओबेद-एदोम के घराने के पास ही रहा और यहोवा ओबेद-एदोम के घराने पर और उसका जो कुछ था उस पर आशीषें देता रहा।+
14 सोर के राजा हीराम+ ने दाविद के पास अपने दूत भेजे। साथ ही, उसने देवदार की लकड़ी और कुछ राजमिस्त्री* और बढ़ई भेजे ताकि वे दाविद के लिए एक महल बनाएँ।+ 2 और दाविद को एहसास हो गया कि यहोवा ने इसराएल पर उसका राज मज़बूती से कायम किया है,+ क्योंकि परमेश्वर ने अपनी प्रजा इसराएल की खातिर उसका राज ऊँचा किया था।+
3 दाविद ने यरूशलेम में और भी कुछ औरतों से शादी की+ और उसके और भी बेटे-बेटियाँ हुए।+ 4 यरूशलेम में उसके जो बेटे हुए उनके नाम ये हैं:+ शम्मू, शोबाब, नातान,+ सुलैमान,+ 5 यिभार, एलीशू, एलपेलेत, 6 नोगाह, नेपेग, यापी, 7 एलीशामा, बेल्यादा और एलीपेलेत।
8 जब पलिश्तियों ने सुना कि दाविद का अभिषेक करके उसे पूरे इसराएल का राजा बनाया गया है,+ तो वे सब दाविद की खोज में निकल पड़े।+ जब दाविद को इसका पता चला तो वह उनसे युद्ध करने चल पड़ा। 9 फिर पलिश्ती लोग आए और रपाई घाटी+ में रहनेवालों पर हमला करते रहे। 10 तब दाविद ने परमेश्वर से सलाह की, “क्या मैं जाकर पलिश्तियों पर हमला करूँ? क्या तू उन्हें मेरे हाथ में कर देगा?” यहोवा ने दाविद से कहा, “तू जाकर पलिश्तियों पर हमला कर। मैं उन्हें ज़रूर तेरे हाथ में कर दूँगा।”+ 11 तब दाविद ऊपर बाल-परासीम+ गया और वहाँ उसने पलिश्तियों को मार गिराया। दाविद ने कहा, “सच्चा परमेश्वर मेरे आगे-आगे जाकर पानी की तेज़ धारा की तरह मेरे दुश्मनों पर टूट पड़ा और मेरे हाथों उनका नाश कर दिया।” इसीलिए उन्होंने उस जगह का नाम बाल-परासीम* रखा। 12 पलिश्तियों ने अपने देवताओं की मूर्तियाँ वहीं छोड़ दी थीं और दाविद के आदेश पर उन्हें आग में जला दिया गया।+
13 बाद में पलिश्ती लोगों ने एक बार फिर रपाई घाटी पर हमला कर दिया।+ 14 दाविद ने एक बार फिर सच्चे परमेश्वर से सलाह की, मगर उसने दाविद से कहा, “तू उन पर सामने से हमला मत करना। इसके बजाय, तू पीछे से जाना और बाका झाड़ियों के सामने से उन पर हमला करना।+ 15 जब तुझे झाड़ियों के ऊपर सेना के चलने की आवाज़ सुनायी दे, तो तू हमला शुरू कर देना क्योंकि सच्चा परमेश्वर पलिश्ती सेना को मार गिराने के लिए तेरे आगे-आगे जा चुका होगा।”+ 16 दाविद ने ठीक वैसे ही किया जैसे सच्चे परमेश्वर ने उसे आज्ञा दी थी+ और वे गिबोन से लेकर गेजेर+ तक पलिश्ती सेना को मारते गए। 17 सभी देशों में दाविद का नाम होता गया और यहोवा ने सब राष्ट्रों में उसका डर फैला दिया।+
15 दाविद अपने लिए दाविदपुर में कई इमारतें बनवाता रहा और उसने सच्चे परमेश्वर के संदूक के लिए एक जगह तैयार की और एक तंबू खड़ा किया।+ 2 तब जाकर दाविद ने कहा, “लेवियों को छोड़ और कोई सच्चे परमेश्वर का संदूक नहीं उठाएगा, क्योंकि यहोवा ने उन्हीं को चुना है कि वे यहोवा का संदूक उठाएँ और हमेशा उसकी सेवा करें।”+ 3 फिर दाविद ने पूरे इसराएल को यरूशलेम में इकट्ठा किया ताकि वे यहोवा का संदूक उस जगह ले जाएँ जो उसने तैयार की थी।+
4 दाविद ने हारून के वंशजों+ को और लेवियों+ को इकट्ठा किया: 5 कहातियों में से प्रधान उरीएल और उसके 120 भाई, 6 मरारियों में से प्रधान असायाह+ और उसके 220 भाई, 7 गेरशोमियों में से प्रधान योएल+ और उसके 130 भाई, 8 एलीसापान+ के वंशजों में से प्रधान शमायाह और उसके 200 भाई, 9 हेब्रोन के वंशजों में से प्रधान एलीएल और उसके 80 भाई, 10 उज्जीएल+ के वंशजों में से प्रधान अम्मीनादाब और उसके 112 भाई। 11 इसके अलावा, दाविद ने सादोक और अबियातार याजकों+ को और इन लेवियों को बुलाया, उरीएल, असायाह, योएल, शमायाह, एलीएल और अम्मीनादाब 12 और उसने उन सबसे कहा, “तुम सब लेवियों के पिताओं के घरानों के मुखिया हो। तुम और तुम्हारे भाई खुद को पवित्र करें और इसराएल के परमेश्वर यहोवा का संदूक उस जगह पहुँचाएँ जो मैंने उसके लिए तैयार की है। 13 पहली बार तुम लोगों ने संदूक नहीं ढोया था+ क्योंकि हमने इसे ढोने का सही तरीका जानने की कोशिश नहीं की थी।+ इस वजह से हमारे परमेश्वर यहोवा का क्रोध हम पर भड़क उठा।”+ 14 इसलिए याजकों और लेवियों ने खुद को पवित्र किया ताकि इसराएल के परमेश्वर यहोवा का संदूक ला सकें।
15 फिर लेवियों ने सच्चे परमेश्वर का संदूक डंडों के सहारे अपने कंधों पर उठाया,+ ठीक जैसे यहोवा के वचन के मुताबिक मूसा ने आज्ञा दी थी। 16 इसके बाद दाविद ने लेवियों के प्रधानों को बताया कि वे अपने भाइयों को, जो गायक थे, गाने के लिए ठहराएँ ताकि वे तारोंवाले बाजे, सुरमंडल+ और झाँझ बजाकर ऊँची आवाज़ में गाते हुए जयजयकार करें।+
17 इसलिए लेवियों ने योएल के बेटे हेमान+ को, उसके भाइयों में से बेरेक्याह के बेटे आसाप+ को और उनके मरारी भाइयों में से कूशायाह के बेटे एतान+ को ठहराया। 18 उनके साथ दूसरे दल के ये भाई थे:+ जकरयाह, बेन, याजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, बनायाह, मासेयाह, मतित्याह, एलीपलेहू, मिकनेयाह और पहरेदार ओबेद-एदोम और यीएल। 19 गायक हेमान,+ आसाप+ और एतान को ताँबे के झाँझ बजाने थे,+ 20 जकरयाह, अजीएल, शमीरामोत, यहीएल, उन्नी, एलीआब, मासेयाह और बनायाह ने अलामोत की शैली*+ के मुताबिक तारोंवाले बाजे बजाए, 21 मतित्याह,+ एलीपलेहू, मिकनेयाह, ओबेद-एदोम, यीएल और अजज्याह ने शेमिनिथ* की धुन+ पर सुरमंडल बजाए ताकि वे संगीत का निर्देशन करें। 22 लेवियों के प्रधान कनन्याह+ ने संदूक ढोने के काम की निगरानी की क्योंकि वह इस काम में कुशल था। 23 बेरेक्याह और एलकाना संदूक के पहरेदार थे। 24 इन याजकों ने सच्चे परमेश्वर के संदूक के सामने ज़ोर-ज़ोर से तुरहियाँ फूँकी:+ शबनयाह, योशापात, नतनेल, अमासै, जकरयाह, बनायाह और एलीएज़ेर। ओबेद-एदोम और यहियाह भी संदूक के पहरेदार थे।
25 दाविद और इसराएल के मुखिया और हज़ारों की टुकड़ियों के प्रधान साथ मिलकर ओबेद-एदोम के घर की तरफ गए ताकि वहाँ से यहोवा के करार के संदूक को खुशियाँ मनाते हुए ला सकें।+ 26 सच्चे परमेश्वर ने उन लेवियों की मदद की जो यहोवा के करार का संदूक ढोकर ले जा रहे थे इसलिए उन्होंने सात बैलों और सात मेढ़ों की बलि चढ़ायी।+ 27 दाविद बेहतरीन कपड़े से बना बिन आस्तीन का बागा पहने हुए था, ठीक जैसे संदूक ढोनेवाले सभी लेवी, गायक और संदूक ढोनेवाले गायकों की निगरानी करनेवाला कनन्याह पहने हुए था। दाविद मलमल का एपोद भी पहने हुए था।+ 28 सभी इसराएली नरसिंगे और तुरही फूँकते हुए,+ झाँझ और तारोंवाले बाजे और सुरमंडल ज़ोर-ज़ोर से बजाते हुए और जयजयकार करते हुए यहोवा के करार का संदूक ला रहे थे।+
29 मगर जब यहोवा के करार का संदूक दाविदपुर पहुँचा+ और शाऊल की बेटी मीकल+ ने खिड़की से नीचे झाँककर देखा कि राजा दाविद उछलते-कूदते जश्न मना रहा है तो वह मन-ही-मन उसे तुच्छ समझने लगी।+
16 फिर वे सच्चे परमेश्वर का संदूक ले आए और उसे उस तंबू के अंदर रख दिया जो दाविद ने उसके लिए खड़ा किया था।+ उन्होंने सच्चे परमेश्वर के सामने होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ायीं।+ 2 जब दाविद ये बलियाँ चढ़ा चुका,+ तो उसने यहोवा के नाम से लोगों को आशीर्वाद दिया। 3 और उसने सभी इसराएलियों में से हर आदमी और हर औरत को एक गोल रोटी, एक खजूर की टिकिया और एक किशमिश की टिकिया दी। 4 फिर उसने कुछ लेवियों को यहोवा के संदूक के सामने सेवा करने, इसराएल के परमेश्वर यहोवा का आदर करने,* उसका शुक्रिया अदा करने और उसकी बड़ाई करने के लिए ठहराया।+ 5 आसाप+ मुखिया था और दूसरे पद पर जकरयाह था। यीएल, शमीरामोत, यहीएल, मतित्याह, एलीआब, बनायाह, ओबेद-एदोम और यीएल+ तारोंवाले बाजे और सुरमंडल बजाते थे,+ आसाप झाँझ बजाता था+ 6 और याजक बनायाह और याजक यहजीएल सच्चे परमेश्वर के करार के संदूक के सामने लगातार तुरहियाँ फूँकते थे।
7 उसी दिन दाविद ने पहली बार यहोवा के लिए धन्यवाद का एक गीत रचा और आसाप और उसके भाइयों को वह गीत गाने की हिदायत दी।+ वह गीत यह था:
10 गर्व से उसके पवित्र नाम का बखान करो।+
यहोवा की खोज करनेवालों का दिल मगन हो।+
11 यहोवा और उससे मिलनेवाली ताकत की खोज करो।+
उसकी मंज़ूरी पाने की कोशिश करो।+
12 उसने जो आश्चर्य के काम और चमत्कार किए,
जो फैसले सुनाए उन्हें याद करो,+
13 तुम जो उसके सेवक इसराएल का वंश हो,+
याकूब के बेटे और उसके चुने हुए लोग हो,+ उन्हें याद करो।
14 वह हमारा परमेश्वर यहोवा है।+
उसके किए फैसले सारी धरती पर लागू हैं।+
15 उसका करार सदा तक याद रखो,
वह वादा जो उसने हज़ारों पीढ़ियों के लिए किया है,*+
16 वह करार जो उसने अब्राहम से किया था,+
वह शपथ जो उसने इसहाक से खायी थी+
17 और जिसे याकूब के लिए एक आदेश+
और इसराएल के लिए सदा का करार बना दिया था
18 और कहा था, ‘मैं तुम्हें कनान देश दूँगा+
ताकि यह तुम्हारी तय विरासत हो।’+
21 उसने किसी इंसान को उन्हें सताने नहीं दिया,+
इसके बजाय, उनकी खातिर राजाओं को फटकारा,+
22 उनसे कहा, ‘मेरे अभिषिक्त जनों को हाथ मत लगाना,
मेरे भविष्यवक्ताओं के साथ कुछ बुरा न करना।’+
23 सारी धरती के लोगो, यहोवा के लिए गीत गाओ!
वह जो उद्धार दिलाता है, रोज़-ब-रोज़ उसका ऐलान करो!+
24 राष्ट्रों में उसकी महिमा का ऐलान करो,
देश-देश के लोगों में उसके अजूबों का ऐलान करो।
25 क्योंकि यहोवा महान है, सबसे ज़्यादा तारीफ के काबिल है।
सभी देवताओं से बढ़कर विस्मयकारी है।+
पवित्र पोशाक पहने* यहोवा को दंडवत करो।*+
30 सारी धरती के लोगो, उसके सामने थर-थर काँपो!
पृथ्वी* मज़बूती से कायम की गयी है, यह हिलायी नहीं जा सकती।+
32 समुंदर और उसमें जो भी है, खुशी से गरजें।
मैदान और उनमें जो भी है, खुशियाँ मनाएँ।
35 और कहो, ‘हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, हमें बचा ले,+
हमें दूसरे राष्ट्रों से इकट्ठा करके छुड़ा ले
ताकि हम तेरे पवित्र नाम की तारीफ करें+
और तेरी तारीफ करने+ में बहुत खुशी पाएँ।
36 इसराएल के परमेश्वर यहोवा की युग-युग तक* तारीफ होती रहे।’”
तब सब लोगों ने कहा, “आमीन!”* और उन्होंने यहोवा की बड़ाई की।
37 फिर दाविद ने आसाप और उसके भाइयों को यहोवा के करार के संदूक के सामने ठहराया+ ताकि वे हर दिन के नियम के मुताबिक संदूक के सामने लगातार सेवा करते रहें।+ 38 ओबेद-एदोम और उसके भाइयों की गिनती 68 थी। उसने यदूतून के बेटे ओबेद-एदोम और होसे को पहरेदार ठहराया। 39 याजक सादोक+ और उसके साथी याजकों को गिबोन में ऊँची जगह+ पर ठहराया ताकि वे यहोवा के पवित्र डेरे के सामने 40 होम-बलि की वेदी पर सुबह-शाम नियमित तौर पर यहोवा के लिए होम-बलियाँ चढ़ाएँ और वे सारे काम करें जो यहोवा के कानून में लिखे गए थे और जिनकी आज्ञा उसने इसराएल को दी थी।+ 41 उनके साथ हेमान, यदूतून+ और चुनिंदा आदमियों में से बाकी लोग भी थे जिन्हें नाम से चुना गया था ताकि वे यहोवा का शुक्रिया अदा करें+ क्योंकि “उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।”+ 42 और उनके साथ उसने हेमान+ और यदूतून को तुरहियाँ फूँकने, झाँझ बजाने और सच्चे परमेश्वर की तारीफ में दूसरे साज़* बजाने का काम सौंपा और यदूतून के बेटों+ को फाटक पर ठहराया। 43 इसके बाद सब लोग अपने-अपने घर लौट गए और दाविद अपने घराने को आशीर्वाद देने के लिए गया।
17 जब दाविद अपने महल में रहने लगा, तो उसके कुछ ही समय बाद उसने भविष्यवक्ता नातान+ से कहा, “देख, मैं तो देवदार से बने महल में रह रहा हूँ,+ जबकि यहोवा के करार का संदूक कपड़े से बने तंबू में है।”+ 2 नातान ने दाविद से कहा, “तेरे मन में जो कुछ है वह कर क्योंकि सच्चा परमेश्वर तेरे साथ है।”
3 उसी दिन, रात को परमेश्वर का यह संदेश नातान के पास पहुँचा, 4 “तू जाकर मेरे सेवक दाविद से कहना, ‘यहोवा तुझसे कहता है, “मेरे निवास के लिए भवन बनानेवाला तू नहीं होगा।+ 5 जब से मैं इसराएल को निकाल लाया, तब से लेकर आज तक क्या मैंने किसी भवन में निवास किया है? मैं हमेशा एक तंबू से दूसरे तंबू में और एक डेरे से दूसरे डेरे* में जाता रहा।+ 6 जिस दौरान मैं पूरे इसराएल के साथ-साथ चलता रहा और मैंने अपने लोगों पर न्यायी ठहराए कि वे चरवाहों की तरह उनकी देखभाल करें, तब क्या मैंने कभी किसी न्यायी से कहा कि तूने मेरे लिए देवदार का भवन क्यों नहीं बनाया?”’
7 तू मेरे सेवक दाविद से कहना, ‘सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है, “मैं तुझे चरागाहों से ले आया था जहाँ तू भेड़ों की देखभाल करता था और तुझे अपनी प्रजा इसराएल का अगुवा बनाया।+ 8 तू जहाँ कहीं जाएगा मैं तेरे साथ रहूँगा+ और तेरे सामने से तेरे सभी दुश्मनों को नाश कर दूँगा+ और तेरा नाम ऐसा महान करूँगा कि तू दुनिया के बड़े-बड़े नामी आदमियों में गिना जाएगा।+ 9 मैं अपनी प्रजा इसराएल के लिए एक जगह चुनूँगा और वहाँ उन्हें बसाऊँगा। वे वहाँ चैन से जीएँगे, कोई उन्हें दुख नहीं देगा। उन पर दुष्ट लोग अत्याचार नहीं करेंगे, जैसे गुज़रे वक्त में+ 10 दुष्ट मेरे लोगों पर तब से अत्याचार करते रहे जब मैंने उन पर न्यायी ठहराए थे।+ मैं तेरे सब दुश्मनों को तेरे अधीन कर दूँगा।+ मैं तुझे एक और बात बताता हूँ, ‘यहोवा तेरे लिए एक राज-घराना तैयार करेगा।’
11 जब तेरी उम्र पूरी हो जाएगी और तेरी मौत हो जाएगी* तो मैं तेरे वंश को, तेरे बेटों में से एक को खड़ा करूँगा+ और उसका राज मज़बूती से कायम करूँगा।+ 12 वही मेरे लिए एक भवन बनाएगा+ और मैं उसकी राजगद्दी सदा के लिए मज़बूती से कायम करूँगा।+ 13 मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा बेटा होगा।+ मैं उससे प्यार* करना कभी नहीं छोड़ूँगा,+ जैसे मैंने उस इंसान से करना छोड़ दिया था जो तुझसे पहले था।+ 14 मैं हमेशा के लिए उसे अपने भवन में ठहराऊँगा और अपना राज सौंपूँगा+ और उसकी राजगद्दी सदा तक कायम रहेगी।”’”+
15 नातान ने जाकर ये सारी बातें और यह पूरा दर्शन दाविद को बताया।
16 तब राजा दाविद यहोवा के सामने बैठकर कहने लगा, “हे यहोवा परमेश्वर, मेरी हस्ती ही क्या है? मैं और मेरा घराना कुछ भी नहीं। फिर भी तूने मुझे ऊँचा उठाकर इस मुकाम तक पहुँचाया।+ 17 हे परमेश्वर, तूने यह भी वादा किया है कि तेरे सेवक का राज-घराना मुद्दतों तक कायम रहेगा।+ हे यहोवा परमेश्वर, तूने मुझे इस काबिल समझा है कि मैं और ऊँचा उठाया जाऊँ।* 18 तेरा यह सेवक दाविद इस सम्मान के बारे में तुझसे और क्या कह सकता है? तू तो अपने सेवक को अच्छी तरह जानता है।+ 19 हे यहोवा, तूने अपने सेवक की खातिर और अपने मन की इच्छा के मुताबिक ये सारे महान काम किए हैं और इस तरह अपनी महानता ज़ाहिर की है।+ 20 हे यहोवा, तेरे जैसा और कोई नहीं।+ हमने बहुत-से ईश्वरों के बारे में सुना है, मगर तुझे छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।+ 21 और इस धरती पर तेरी प्रजा इसराएल जैसा और कौन-सा राष्ट्र है?+ सच्चा परमेश्वर जाकर उन्हें छुड़ा लाया ताकि वे उसके अपने लोग बनें।+ तूने अपने लोगों को मिस्र से छुड़ाया और उनके सामने से दूसरी जातियों को खदेड़कर बाहर कर दिया।+ तूने महान और विस्मयकारी काम करके अपना नाम ऊँचा किया।+ 22 तूने अपनी प्रजा इसराएल को हमेशा के लिए अपने लोग बना लिया+ और हे यहोवा, तू उनका परमेश्वर बन गया।+ 23 अब हे यहोवा, तूने अपने सेवक और उसके घराने के बारे में जो वादा किया था उसे पूरा करने में तू हमेशा विश्वासयोग्य रहे और तू ठीक वैसा ही करे जैसा तूने वादा किया है।+ 24 तेरा नाम सदा कायम* और ऊँचा रहे+ ताकि लोग कहें, ‘सेनाओं का परमेश्वर और इसराएल का परमेश्वर यहोवा इसराएल के लिए परमेश्वर है’ और तेरे सेवक दाविद का राज-घराना तेरे सामने सदा तक मज़बूती से कायम रहे।+ 25 हे मेरे परमेश्वर, तूने अपने सेवक को अपना यह मकसद बताया है कि तू उसके लिए एक राज-घराना बनाएगा। इसीलिए तेरा यह सेवक पूरे यकीन के साथ तुझसे यह प्रार्थना कर पाया है। 26 हे यहोवा, तू ही सच्चा परमेश्वर है और तूने अपने सेवक के बारे में इन भले कामों का वादा किया है। 27 इसलिए मेरी दुआ है कि तू अपने सेवक के घराने को खुशी-खुशी आशीष दे और यह घराना तेरे सामने हमेशा कायम रहे क्योंकि हे यहोवा, तूने ही इस घराने को आशीष दी है और यह आशीष सदा बनी रहेगी।”
18 कुछ समय बाद दाविद ने पलिश्तियों को हरा दिया और उन्हें अपने अधीन कर लिया और उनके हाथ से गत+ और उसके आस-पास के नगर ले लिए।+ 2 फिर उसने मोआब को हरा दिया+ और मोआबी लोग दाविद के सेवक बन गए और उसे नज़राना देने लगे।+
3 दाविद ने सोबा के राजा+ हदद-एजेर+ को हमात+ के पास उस वक्त हरा दिया, जब हदद-एजेर फरात नदी तक के इलाके को अपने अधिकार में करने जा रहा था।+ 4 दाविद ने हदद-एजेर के 1,000 रथों, 7,000 घुड़सवारों और 20,000 पैदल सैनिकों को पकड़ लिया।+ इसके बाद दाविद ने उसके रथों के 100 घोड़ों को छोड़ बाकी सब घोड़ों की घुटनस काट दी।+ 5 जब दमिश्क के रहनेवाले सीरियाई लोग सोबा के राजा हदद-एजेर की मदद करने आए तो दाविद ने 22,000 सीरियाई लोगों को मार डाला।+ 6 फिर दाविद ने दमिश्क के सीरियाई लोगों के इलाके में सैनिकों की चौकियाँ बनायीं और वे दाविद के सेवक बन गए और उसे नज़राना देने लगे। दाविद जहाँ कहीं गया यहोवा ने उसे जीत दिलायी।*+ 7 इतना ही नहीं, दाविद ने हदद-एजेर के सेवकों से सोने की गोलाकार ढालें ले लीं और यरूशलेम ले आया। 8 दाविद, हदद-एजेर के शहर तिभत और कून से बहुत सारा ताँबा भी ले आया। उसी ताँबे से सुलैमान ने ताँबे का बड़ा हौद,+ ताँबे के खंभे और ताँबे की बाकी सारी चीज़ें बनायीं।+
9 जब हमात के राजा तोऊ ने सुना कि दाविद ने सोबा के राजा हदद-एजेर की पूरी सेना को हरा दिया है,+ 10 तो उसने फौरन अपने बेटे हदोराम को राजा दाविद के पास भेजा ताकि वह दाविद की खैरियत पूछे और उसे मुबारकबाद दे कि उसने हदद-एजेर को हरा दिया। (तोऊ ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि हदद-एजेर ने कई बार उससे युद्ध किया था।) हदोराम अपने साथ सोने, चाँदी और ताँबे की चीज़ें लाया था। 11 राजा दाविद ने ये सारी चीज़ें यहोवा के लिए पवित्र ठहरायीं,+ ठीक जैसे उसने दूसरे राष्ट्रों के यहाँ से लाया सोना-चाँदी पवित्र ठहराया था यानी एदोम और मोआब, अम्मोनियों,+ पलिश्तियों+ और अमालेकियों+ से लाया सोना-चाँदी।
12 सरूयाह के बेटे अबीशै+ ने नमक घाटी में 18,000 एदोमियों को मार गिराया।+ 13 उसने एदोम में सैनिकों की चौकियाँ बनायीं और सभी एदोमी लोग दाविद के सेवक बन गए।+ दाविद जहाँ कहीं गया, यहोवा ने उसे जीत दिलायी।*+ 14 दाविद पूरे इसराएल पर राज करता था।+ वह अपनी सारी प्रजा के लिए न्याय और नेकी करता था।+ 15 सरूयाह का बेटा योआब दाविद की सेना का सेनापति था,+ अहीलूद का बेटा यहोशापात+ शाही इतिहासकार था, 16 अहीतूब का बेटा सादोक और अबियातार का बेटा अहीमेलेक याजक थे और शबशा राज-सचिव था। 17 यहोयादा का बेटा बनायाह, करेती+ और पलेती लोगों का अधिकारी था।+ और दाविद के बेटे राजा के बादवाले ओहदे पर थे।
19 बाद में अम्मोनियों के राजा नाहाश की मौत हो गयी और उसकी जगह उसका बेटा राजा बना।+ 2 तब दाविद ने कहा, “हानून का पिता नाहाश मेरे साथ कृपा* से पेश आया था,+ इसलिए मैं भी हानून के साथ कृपा* से पेश आऊँगा।” दाविद ने हानून को दिलासा देने के लिए उसके पास अपने दूत भेजे। मगर जब दाविद के सेवक हानून को दिलासा देने के लिए अम्मोनियों+ के देश गए 3 तो अम्मोनियों के हाकिमों ने हानून से कहा, “तुझे क्या लगता है, क्या दाविद ने वाकई तेरे पिता का सम्मान करने और तुझे दिलासा देने के लिए अपने सेवक भेजे हैं? नहीं। उसके सेवक तो इस देश की अच्छी तरह छानबीन और जासूसी करने आए हैं ताकि बाद में आकर तेरा तख्ता उलट दें।” 4 तब हानून ने दाविद के सेवकों को पकड़कर उनकी दाढ़ी मुँड़वा दी+ और कमर से नीचे के उनके कपड़े कटवा दिए और फिर उन्हें भेज दिया। 5 जब दाविद को बताया गया कि उनके साथ कैसा सलूक किया गया है तो उसने फौरन कुछ सेवकों को उनसे मिलने भेजा क्योंकि उनका घोर अपमान हुआ था। राजा ने उनके पास यह संदेश भेजा: “जब तक तुम्हारी दाढ़ी फिर नहीं बढ़ जाती तब तक तुम यरीहो+ में ही रहना। उसके बाद तुम यहाँ लौट आना।”
6 कुछ समय बाद अम्मोनी लोग समझ गए कि उन्होंने दाविद से दुश्मनी मोल ली है। इसलिए हानून और अम्मोनियों ने मेसोपोटामिया,* अराम-माका और सोबा के पास 1,000 तोड़े* चाँदी भेजी ताकि वहाँ से किराए पर रथ और घुड़सवार मँगा सकें।+ 7 इस तरह उन्होंने 32,000 रथों को और माका के राजा और उसके लोगों को किराए पर लिया। फिर वे सब आए और उन्होंने मेदबा+ के सामने छावनी डाली। अम्मोनी लोग युद्ध के लिए अपने-अपने शहर से आकर जमा हो गए।
8 जब दाविद ने इस बारे में सुना तो उसने योआब+ के साथ अपनी पूरी सेना को और बड़े-बड़े सूरमाओं को भेजा।+ 9 अम्मोनी लोग दल बाँधकर शहर के फाटक पर तैनात हो गए, जबकि युद्ध के लिए आए दूसरे राजा उनसे अलग खुले मैदान में थे।
10 जब योआब ने देखा कि दुश्मन की सेनाएँ उस पर आगे-पीछे दोनों तरफ से हमला करने के लिए खड़ी हैं, तो उसने इसराएल के सबसे बढ़िया सैनिक चुने और उन्हें दल बाँधकर सीरियाई लोगों का मुकाबला करने के लिए तैनात किया।+ 11 उसने बाकी सैनिकों को अपने भाई अबीशै की कमान* के नीचे तैनात किया+ और उन्हें दल बाँधकर अम्मोनियों का मुकाबला करने भेजा। 12 उसने अबीशै से कहा, “अगर सीरियाई सेना+ मुझ पर भारी पड़े तो तू मुझे बचाने आना और अगर अम्मोनी लोग तुझ पर भारी पड़े तो मैं तुझे बचाऊँगा। 13 हमें अपने लोगों की खातिर और अपने परमेश्वर के शहरों की खातिर मज़बूत बने रहना होगा और हिम्मत से लड़ना होगा+ और यहोवा वही करेगा जो उसे सही लगता है।”
14 फिर योआब और उसके आदमी सीरियाई लोगों का मुकाबला करने आगे बढ़े और सीरियाई लोग उसके सामने से भाग गए।+ 15 जब अम्मोनियों ने देखा कि सीरियाई लोग भाग गए हैं तो वे भी योआब के भाई अबीशै के सामने से भाग गए और अपने शहर के अंदर चले गए। इसके बाद योआब यरूशलेम लौट आया।
16 जब सीरियाई लोगों ने देखा कि वे इसराएल से हार गए हैं तो उन्होंने महानदी*+ के इलाके के सीरियाई लोगों के पास दूतों के हाथ यह संदेश भेजा कि वे हदद-एजेर की सेना के सेनापति शोपक की अगुवाई में आएँ।+
17 जब दाविद को इसकी खबर दी गयी तो उसने फौरन पूरी इसराएली सेना को इकट्ठा किया और यरदन पार करके उनके पास गया। उसने उनसे मुकाबला करने के लिए दल बाँधा और उन्होंने उससे युद्ध किया।+ 18 मगर सीरियाई लोग इसराएल से हारकर भाग गए और दाविद ने उनके 7,000 सारथियों और 40,000 पैदल सैनिकों को मार डाला। उसने उनके सेनापति शोपक को भी मार डाला। 19 जब हदद-एजेर के सेवकों ने देखा कि वे इसराएल से हार गए हैं+ तो उन्होंने बिना देर किए दाविद के साथ सुलह कर ली और वे उसकी प्रजा बन गए।+ इसके बाद फिर कभी सीरियाई लोगों ने अम्मोनियों की मदद करनी नहीं चाही।
20 साल की शुरूआत में* जब राजा युद्ध के लिए जाया करते हैं, तो ऐसे वक्त पर योआब+ ने एक सेना को लेकर अम्मोनियों का देश तबाह कर दिया और उसके शहर रब्बाह+ को घेर लिया। मगर दाविद यरूशलेम में ही रहा।+ योआब ने रब्बाह पर हमला करके उसे ढा दिया।+ 2 फिर दाविद ने मलकाम के सिर से ताज उतार लिया और पाया कि ताज एक तोड़े* सोने का था और उस पर कीमती रत्न जड़े हुए थे। वह ताज दाविद के सिर पर रखा गया। वह उस शहर से खूब सारा लूट का माल भी ले आया।+ 3 उसने शहर के लोगों को बंदी बना लिया और उन्हें लाकर पत्थर काटने में और तेज़ धारवाले लोहे के औज़ारों और कुल्हाड़ों से काम करने में लगा दिया।+ उसने अम्मोनियों के सभी शहरों के साथ ऐसा किया। आखिर में दाविद और उसकी सारी टुकड़ियाँ यरूशलेम लौट आयीं।
4 इसके बाद, गेजेर में पलिश्तियों और इसराएलियों के बीच युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में हूशाई सिब्बकै+ ने रपाई+ के एक वंशज सिप्पै को मार डाला और पलिश्ती लोग इसराएलियों के अधीन हो गए।
5 पलिश्तियों और इसराएलियों के बीच एक बार फिर लड़ाई छिड़ गयी। इस बार याईर के बेटे एल्हानान ने लहमी को मार डाला, जो गत के रहनेवाले गोलियात+ का भाई था। लहमी के भाले का डंडा जुलाहे के लट्ठे जितना भारी था।+
6 गत+ में एक बार फिर युद्ध छिड़ा। पलिश्ती सेना में एक आदमी था जो बहुत ऊँची कद-काठी का था।+ उसके हाथों और पैरों में छ:-छ: उँगलियाँ थीं यानी कुल मिलाकर उसकी 24 उँगलियाँ थीं। वह भी रपाई का वंशज था।+ 7 वह इसराएल को लगातार ललकारता था।+ इसलिए योनातान ने, जो दाविद के भाई शिमा+ का बेटा था, उसे मार डाला।
8 रपाई के ये वंशज+ गत+ में रहते थे और वे दाविद और उसके सेवकों के हाथों मारे गए।
21 फिर शैतान* इसराएल के खिलाफ उठा और उसने दाविद को इसराएलियों की गिनती लेने के लिए उकसाया।+ 2 इसलिए दाविद ने योआब+ और सेनापतियों से कहा, “जाओ और बेरशेबा से दान+ तक इसराएलियों की गिनती लो। फिर आकर मुझे बताओ ताकि मैं उनकी गिनती जान सकूँ।” 3 मगर योआब ने कहा, “यहोवा अपने लोगों की गिनती 100 गुना बढ़ाए! मेरे मालिक राजा, क्या वे सभी पहले से ही तेरे सेवक नहीं हैं? फिर तू क्यों यह काम करना चाहता है? तू क्यों इसराएल पर दोष लगने का कारण बनना चाहता है?”
4 लेकिन राजा नहीं माना और योआब को उसकी बात के आगे झुकना पड़ा। इसलिए योआब ने पूरे इसराएल का दौरा किया, उसके बाद यरूशलेम लौट आया।+ 5 योआब ने दाविद को उन लोगों की गिनती बतायी जिनका नाम लिखा गया था। पूरे इसराएल में तलवारों से लैस सैनिक 11,00,000 थे और यहूदा के सैनिक 4,70,000.+ 6 मगर लेवी और बिन्यामीन गोत्र के आदमियों की नाम-लिखाई नहीं की गयी+ क्योंकि योआब को राजा की बात बिलकुल घिनौनी लगी।+
7 दाविद के इस काम पर सच्चे परमेश्वर को बहुत क्रोध आया इसलिए उसने इसराएल को सज़ा दी। 8 तब दाविद ने सच्चे परमेश्वर से कहा, “मैंने लोगों की गिनती लेकर बहुत बड़ा पाप किया है।+ दया करके अपने सेवक को माफ कर दे।+ मैंने बड़ी मूर्खता का काम किया है।”+ 9 तब यहोवा ने दाविद के दर्शी गाद+ से कहा, 10 “दाविद के पास जा और उससे कह, ‘यहोवा तुझसे कहता है, “मैं तुझे तीन तरह के कहर बताता हूँ। तू चुन ले कि मैं तुझ पर कौन-सा कहर ढाऊँ।”’” 11 तब गाद ने दाविद के पास जाकर कहा, “यहोवा ने कहा है, ‘तू चुन ले कि तुझ पर कौन-सा कहर ढाया जाए। 12 तेरे देश पर तीन साल तक अकाल पड़े+ या तीन महीने तक तेरे दुश्मनों की तलवार तुझ पर चलती रहे और तुझे नाश करती रहे+ या तीन दिन तक तेरे देश पर यहोवा की तलवार चले यानी महामारी फैले+ और यहोवा का स्वर्गदूत इसराएल के पूरे इलाके को उजाड़ दे?’+ सोचकर बता कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या जवाब दूँ।” 13 दाविद ने गाद से कहा, “मैं बड़े संकट में हूँ। अच्छा है कि मैं यहोवा ही के हाथ पड़ जाऊँ क्योंकि वह बड़ा दयालु है।+ मगर मुझे इंसान के हाथ न पड़ने दे।”+
14 फिर यहोवा ने इसराएल पर महामारी का कहर ढाया+ जिससे 70,000 लोग मारे गए।+ 15 इतना ही नहीं, सच्चे परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत को यरूशलेम का नाश करने के लिए भेजा। मगर जैसे ही यहोवा ने उसे तबाह करते देखा, उसे बड़ा दुख हुआ*+ और उसने नाश करनेवाले स्वर्गदूत से कहा, “बस, अब रुक जा!+ अपना हाथ रोक ले।” उस वक्त यहोवा का स्वर्गदूत यबूसी+ ओरनान के खलिहान+ के बिलकुल पास खड़ा था।
16 जब दाविद ने अपनी आँखें उठायीं तो देखा कि यहोवा का स्वर्गदूत धरती और स्वर्ग के बीच खड़ा है और उसके हाथ में एक तलवार है जिसे वह खींचकर यरूशलेम की तरफ बढ़ाए हुए है।+ दाविद और प्रधान टाट ओढ़े हुए+ फौरन मुँह के बल ज़मीन पर गिर गए।+ 17 दाविद ने सच्चे परमेश्वर से कहा, “लोगों की गिनती लेने के लिए मैंने ही कहा था। पाप तो मैंने किया है, गलती मेरी है।+ फिर तू इन लोगों को क्यों मार रहा है? इन भेड़ों का क्या कसूर है? हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, दया करके इन्हें छोड़ दे और मुझे और मेरे पिता के घराने को सज़ा दे। यह कहर अपने लोगों पर मत ला।”+
18 तब यहोवा के स्वर्गदूत ने गाद+ से कहा कि वह दाविद से कहे कि वह ऊपर जाए और यबूसी ओरनान के खलिहान में यहोवा के लिए एक वेदी खड़ी करे।+ 19 तब दाविद ऊपर गया, ठीक जैसे गाद ने यहोवा के नाम से उसे बताया था। 20 इस बीच जब ओरनान पीछे मुड़ा तो उसने स्वर्गदूत को देखा। उसके साथ उसके जो चार बेटे थे वे जाकर छिप गए। उस समय ओरनान गेहूँ दाँव रहा था। 21 जब दाविद ओरनान के यहाँ गया तो दाविद को देखते ही वह खलिहान से बाहर आया और उसके पास गया। उसने दाविद के सामने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर उसे प्रणाम किया। 22 दाविद ने ओरनान से कहा, “मुझे इस खलिहान की ज़मीन बेच दे* ताकि मैं यहाँ यहोवा के लिए एक वेदी बनाऊँ। तू मुझसे इसकी पूरी कीमत ले ताकि लोगों पर जो कहर आ पड़ा है वह बंद हो जाए।”+ 23 मगर ओरनान ने दाविद से कहा, “मेरे मालिक राजा, इसे अपनी ज़मीन समझ ले। तू इसे ले ले और तुझे जो अच्छा लगे वह कर। मैं तुझे होम-बलियों के लिए बैल, जलाने की लकड़ी के लिए दाँवने की पटिया+ और अनाज के चढ़ावे के लिए गेहूँ देता हूँ। यह सब मैं तुझे देता हूँ।”
24 मगर राजा दाविद ने ओरनान से कहा, “नहीं, मैं ऐसे नहीं लूँगा। मैं पूरा दाम देकर तुझसे यह खरीदूँगा क्योंकि जो तेरा है वह मैं यूँ ही लेकर यहोवा को नहीं दूँगा, न ही ऐसी होम-बलियाँ चढ़ाऊँगा जिनकी मैंने कोई कीमत न चुकायी हो।”+ 25 इसलिए दाविद ने उस ज़मीन के लिए ओरनान को 600 शेकेल* सोना तौलकर दिया। 26 दाविद ने उस जगह यहोवा के लिए एक वेदी खड़ी की+ और उस पर होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ायीं। उसने यहोवा को पुकारा और परमेश्वर ने स्वर्ग से होम-बलि की वेदी पर आग भेजकर दाविद को जवाब दिया।+ 27 फिर यहोवा ने स्वर्गदूत को हुक्म दिया+ कि वह अपनी तलवार वापस म्यान में रख ले। 28 उस वक्त जब दाविद ने देखा कि यहोवा ने यबूसी ओरनान के खलिहान में उसे जवाब दिया है तो वह तब से उसी जगह पर बलिदान चढ़ाने लगा। 29 मगर उस समय यहोवा का पवित्र डेरा, जो मूसा ने वीराने में बनाया था और होम-बलि की वेदी गिबोन में ऊँची जगह पर थी।+ 30 दाविद परमेश्वर से सलाह करने के लिए वहाँ नहीं जा पाया क्योंकि वह यहोवा के स्वर्गदूत की तलवार से बहुत डर गया था।
22 फिर दाविद ने कहा, “यह सच्चे परमेश्वर यहोवा का भवन है और यह इसराएल के लिए होम-बलि की वेदी है।”+
2 फिर दाविद ने हुक्म दिया कि इसराएल में जो परदेसी रहते हैं,+ उन सबको इकट्ठा किया जाए। उसने उन्हें सच्चे परमेश्वर का भवन बनाने के लिए पत्थर काटने और गढ़ने का काम सौंपा।+ 3 दाविद ने दरवाज़ों के कीलों और जोड़ों के लिए ढेर सारा लोहा इकट्ठा किया और उसने इतना ताँबा इकट्ठा किया कि उसे तौला नहीं जा सकता था।+ 4 उसने देवदार की बेहिसाब लकड़ियाँ+ जमा कीं, क्योंकि सीदोन और सोर के लोगों+ ने भारी तादाद में देवदार की लकड़ी लाकर दाविद को दी थी। 5 दाविद ने कहा, “मेरा बेटा सुलैमान अभी लड़का ही है और उसे कोई तजुरबा नहीं है*+ और यहोवा के लिए ऐसा भवन बनाया जाना है जो इतना आलीशान और सुंदर हो कि पूरी दुनिया में उसकी शान के चर्चे हों।+ इसलिए सुलैमान की खातिर मैं भवन बनाने की तैयारियाँ करूँगा।” दाविद ने अपनी मौत से पहले ढेर सारा सामान इकट्ठा किया।
6 साथ ही उसने अपने बेटे सुलैमान को बुलाया और उसे हिदायत दी कि वह इसराएल के परमेश्वर यहोवा के लिए एक भवन बनाए। 7 दाविद ने अपने बेटे सुलैमान से कहा, “यह मेरी दिली तमन्ना थी कि मैं अपने परमेश्वर यहोवा के नाम की महिमा के लिए एक भवन बनाऊँ।+ 8 मगर यहोवा का यह संदेश मुझे दिया गया: ‘तूने बहुत सारा खून बहाया है और बड़े-बड़े युद्ध किए हैं। तू मेरे नाम की महिमा के लिए भवन नहीं बनाएगा,+ क्योंकि तूने धरती पर बहुत सारा खून बहाया है। 9 मगर देख, तेरा एक बेटा होगा,+ जो शांति लानेवाला होगा और मैं उसे आस-पास के सभी दुश्मनों से राहत दिलाऊँगा,+ क्योंकि उसका नाम सुलैमान*+ होगा और मैं उसके दिनों में शांति और चैन की आशीष दूँगा।+ 10 वही मेरे नाम की महिमा के लिए एक भवन बनाएगा।+ वह मेरा बेटा होगा और मैं उसका पिता होऊँगा।+ मैं इसराएल पर उसकी राजगद्दी सदा के लिए मज़बूती से कायम करूँगा।’+
11 इसलिए बेटे, मैं दुआ करता हूँ कि यहोवा तेरे साथ रहे और तू अपने परमेश्वर यहोवा के लिए एक भवन बनाने में कामयाब हो, ठीक जैसे उसने तेरे बारे में कहा है।+ 12 जब यहोवा तुझे इसराएल पर अधिकार देगा तब वह तुझे सूझ-बूझ से काम लेने की काबिलीयत और समझ दे,+ ताकि तू अपने परमेश्वर यहोवा के कानून का पालन करता रहे।+ 13 अगर तू उन नियमों और न्याय-सिद्धांतों को सख्ती से मानेगा,+ जिन्हें इसराएल को देने के लिए यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी,+ तो तू कामयाब होगा। तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना। तू डरना मत और न ही खौफ खाना।+ 14 मैंने बड़े जतन से यहोवा के भवन के लिए 1,00,000 तोड़े* सोना और 10,00,000 तोड़े चाँदी इकट्ठी की है। और इतना सारा ताँबा और लोहा इकट्ठा किया है+ कि तौला नहीं जा सकता। मैंने लकड़ियाँ और पत्थर भी इकट्ठे किए हैं,+ मगर तू उन्हें और बढ़ाएगा। 15 तेरे पास भारी तादाद में कारीगर भी हैं, पत्थर काटनेवाले, राजमिस्त्री,+ बढ़ई और हर तरह के कुशल कारीगर।+ 16 इस काम के लिए इतना सोना, चाँदी, ताँबा और लोहा है कि उसका हिसाब नहीं।+ अब तू यह काम शुरू कर दे और मेरी दुआ है कि यहोवा तेरे साथ रहे।”+
17 इसके बाद दाविद ने इसराएल के सब हाकिमों को आज्ञा दी कि वे उसके बेटे सुलैमान की मदद करें। उसने कहा, 18 “तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे साथ है और उसने तुम्हें हर तरफ से शांति दी है। उसने इस देश के निवासियों को मेरे हाथ में कर दिया है और यह देश, यहोवा और उसके लोगों के सामने मेरे अधीन कर दिया गया है। 19 इसलिए अब तुम ठान लो कि तुम पूरे दिल से और पूरी जान से अपने परमेश्वर यहोवा की खोज करोगे।+ और तुम सच्चे परमेश्वर यहोवा का पवित्र-स्थान बनाने का काम शुरू कर दो+ ताकि यहोवा के करार का संदूक और सच्चे परमेश्वर की पवित्र चीज़ें उस भवन में लायी जाएँ+ जो यहोवा के नाम की महिमा के लिए बनाया जाएगा।”+
23 जब दाविद बहुत बूढ़ा हो गया और उसकी मौत करीब थी,* तब उसने अपने बेटे सुलैमान को इसराएल का राजा बनाया।+ 2 फिर उसने इसराएल के सभी हाकिमों, याजकों+ और लेवियों+ को इकट्ठा किया। 3 उन लेवियों की गिनती ली गयी जिनकी उम्र 30 या उससे ज़्यादा थी।+ उन सब आदमियों की गिनती 38,000 थी। 4 इनमें 24,000 लेवी यहोवा के भवन के काम की देखरेख करनेवाले थे, 6,000 अधिकारी और न्यायी थे,+ 5 4,000 पहरेदार थे+ और 4,000 आदमी वे साज़ बजाकर यहोवा की तारीफ करते थे,+ जिनके बारे में दाविद ने कहा, “मैंने ये साज़ इसलिए बनाए हैं कि इनसे परमेश्वर की तारीफ की जाए।”
6 फिर दाविद ने उन्हें लेवियों के बेटों यानी गेरशोन, कहात और मरारी+ के मुताबिक अलग-अलग दलों में बाँटा।*+ 7 गेरशोनियों में से लादान और शिमी थे। 8 लादान के तीन बेटे थे, प्रधान यहीएल, जेताम और योएल।+ 9 शिमी के तीन बेटे थे शलोमोत, हजीएल और हारान। ये उन पिताओं के घरानों के मुखिया थे जो लादान के घराने में गिने जाते थे। 10 शिमी के बेटे थे यहत, ज़िना, यूश और बरीआ। ये चारों शिमी के बेटे थे। 11 यहत प्रधान था और उसके बाद ज़ीज़ाह था। मगर यूश और बरीआ के ज़्यादा बेटे नहीं थे इसलिए उन दोनों के घरानों को एक ही घराना गिना गया और उन्हें एक ही काम सौंपा गया।
12 कहात के चार बेटे थे अमराम, यिसहार,+ हेब्रोन और उज्जीएल।+ 13 अमराम के बेटे थे हारून+ और मूसा।+ मगर हारून और उसके बेटों को सदा के लिए अलग किया गया था+ ताकि वे परम-पवित्र भाग को पवित्र बनाए रखें, यहोवा के सामने बलिदान चढ़ाएँ, उसकी सेवा करें और उसके नाम से लोगों को हमेशा आशीर्वाद दिया करें।+ 14 सच्चे परमेश्वर के सेवक मूसा के बेटों का नाम लेवियों के गोत्र में गिना गया। 15 मूसा के बेटे थे गेरशोम+ और एलीएज़ेर।+ 16 गेरशोम के बेटों में से शबूएल+ प्रधान था। 17 एलीएज़ेर के वंशजों* में से उसका बेटा रहबयाह+ प्रधान था। रहबयाह के अलावा उसका कोई और बेटा नहीं था। मगर रहबयाह के बहुत-से बेटे थे। 18 यिसहार के बेटों+ में से शलोमीत+ प्रधान था। 19 हेब्रोन के बेटे थे प्रधान यरीयाह, दूसरा अमरयाह, तीसरा यहजीएल और चौथा यकमाम।+ 20 उज्जीएल के बेटे थे+ प्रधान मीका और दूसरा यिश्शायाह।
21 मरारी के बेटे थे महली और मूशी।+ महली के बेटे थे एलिआज़र और कीश। 22 जब एलिआज़र की मौत हुई तो उसका कोई बेटा नहीं था, सिर्फ बेटियाँ थीं। इसलिए उनके रिश्तेदारों* यानी कीश के बेटों ने उनसे शादी की। 23 मूशी के तीन बेटे थे महली, एदेर और यरेमोत।
24 ये सभी लेवी के बेटे थे, जिनके नाम उनके कुलों और पिताओं के घरानों के मुखियाओं के मुताबिक लिखे गए थे। उन्होंने यहोवा के भवन में सेवा की अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ निभायीं। उन सभी की उम्र 20 साल या उससे ज़्यादा थी। 25 दाविद ने कहा, “इसराएल के परमेश्वर यहोवा ने अपने लोगों को राहत दिलायी है+ और वह यरूशलेम में सदा निवास करेगा।+ 26 लेवियों को पवित्र डेरा या उसकी सेवा में इस्तेमाल होनेवाला कोई भी सामान ढोना नहीं पड़ेगा।”+ 27 दाविद की आखिरी हिदायतों के मुताबिक उन लेवियों की गिनती ली गयी थी जिनकी उम्र 20 साल या उससे ज़्यादा थी। 28 उनका काम था यहोवा के भवन की सेवा में हारून के बेटों की मदद करना,+ आँगनों+ और भोजन के कमरों की और हर पवित्र चीज़ को शुद्ध बनाए रखने के काम की देखरेख करना और सच्चे परमेश्वर के भवन की सेवा में जो भी काम ज़रूरी है उसे करना। 29 वे इन चीज़ों के मामले में मदद करते थे, रोटियों के ढेर,*+ अनाज के चढ़ावे के लिए मैदा, बिन-खमीर की पापड़ियाँ,+ तवे पर पकायी जानेवाली टिकियाँ और तेल से गुँधा हुआ आटा।+ साथ ही वे नाप-तौल के हर काम में मदद देते थे। 30 उन्हें हर सुबह और हर शाम खड़े होकर+ यहोवा का धन्यवाद करना था और उसकी तारीफ करनी थी।+ 31 सब्त के मौकों पर,+ नए चाँद के मौकों पर+ और साल के अलग-अलग त्योहारों में+ जब भी यहोवा को होम-बलियाँ चढ़ायी जातीं तो वे मदद करते थे। उनके बारे में दिए गए नियम के मुताबिक जितने लोगों की माँग की गयी थी, उतने लोग यहोवा के सामने नियमित तौर पर सेवा करते थे। 32 वे भेंट के तंबू यानी पवित्र जगह से जुड़ी सेवाएँ करते और अपने भाइयों यानी हारून के बेटों की मदद करते थे। यहोवा के भवन में उनकी यही ज़िम्मेदारियाँ थीं।
24 हारून के वंशजों को जिन दलों में बाँटा गया था वे ये थे: हारून के बेटे थे नादाब, अबीहू,+ एलिआज़र और ईतामार।+ 2 मगर नादाब और अबीहू अपने पिता से पहले ही मर गए+ और उन दोनों का कोई बेटा नहीं था। मगर एलिआज़र+ और ईतामार याजकों के नाते सेवा करते रहे। 3 दाविद ने एलिआज़र के बेटों में से सादोक+ और ईतामार के बेटों में से अहीमेलेक के साथ मिलकर हारून के वंशजों को सेवा के अलग-अलग दल में बाँटा। 4 एलिआज़र के बेटों में ईतामार के बेटों से ज़्यादा मुखिया थे इसलिए उन्होंने इस तरह उन्हें दलों में बाँटा: एलिआज़र के बेटों में उनके पिताओं के घराने के 16 मुखिया थे और ईतामार के बेटों में उनके पिताओं के घराने के 8 मुखिया थे।
5 इसके अलावा, उन्होंने चिट्ठियाँ डालकर+ दोनों समूहों को अलग-अलग दल में बाँटा क्योंकि पवित्र जगह के प्रधान और सच्चे परमेश्वर की सेवा करनेवाले प्रधान दोनों समूहों में थे यानी एलिआज़र और ईतामार के बेटों में। 6 फिर नतनेल के बेटे शमायाह ने, जो लेवियों का सचिव था, राजा, हाकिमों, सादोक+ याजक, अबियातार+ के बेटे अहीमेलेक+ और याजकों और लेवियों के पिताओं के घरानों के प्रधानों के सामने उनके नाम लिखे। चिट्ठी डालकर एलिआज़र के समूह से एक पिता का घराना चुना जाता और एक पिता का घराना ईतामार के समूह से चुना जाता।
7 पहली चिट्ठी यहोयारीब के नाम पड़ी, दूसरी यदायाह के नाम, 8 तीसरी हारीम के नाम, चौथी सोरीम के नाम, 9 पाँचवीं मल्कियाह के नाम, छठी मियामीन के नाम, 10 सातवीं हक्कोस के नाम, आठवीं अबियाह के नाम,+ 11 नौवीं येशू के नाम, दसवीं शकन्याह के नाम, 12 11वीं एल्याशीब के नाम, 12वीं याकीम के नाम, 13 13वीं हुप्पा के नाम, 14वीं येसेबाब के नाम, 14 15वीं बिलगा के नाम, 16वीं इम्मेर के नाम, 15 17वीं हेजीर के नाम, 18वीं हप्पिसेस के नाम, 16 19वीं पतहयाह के नाम, 20वीं यहेजकिएल के नाम, 17 21वीं याकीन के नाम, 22वीं गामूल के नाम, 18 23वीं दलायाह के नाम और 24वीं माज्याह के नाम।
19 इन लेवियों के लिए यही कायदा ठहराया गया था और वे इसी क्रम से यहोवा के भवन में आते और उस इंतज़ाम के मुताबिक सेवा करते थे+ जो उनके पुरखे हारून ने ठहराया था, ठीक जैसे इसराएल के परमेश्वर यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी।
20 बाकी लेवी ये थे: अमराम+ के बेटों में से शूबाएल,+ शूबाएल के बेटों में से येहदयाह, 21 रहबयाह+ के बेटों में से प्रधान यिश्शायाह, 22 यिसहारियों में से शलोमोत,+ शलोमोत के बेटों में से यहत, 23 हेब्रोन के बेटों में से प्रधान यरीयाह,+ दूसरा अमरयाह, तीसरा यहजीएल और चौथा यकमाम, 24 उज्जीएल के बेटों में से मीका, मीका के बेटों में से शामीर। 25 मीका का भाई यिश्शायाह था और यिश्शायाह के बेटों में से जकरयाह।
26 मरारी+ के बेटे थे महली और मूशी, याजियाह के बेटों में से बिनो, 27 मरारी के बेटे ये थे: याजियाह के वंशजों में से बिनो, शोहम, जक्कूर और इब्री। 28 महली के वंशजों में से एलिआज़र जिसका कोई बेटा नहीं था,+ 29 कीश के वंशजों में से यरहमेल 30 और मूशी के बेटे थे महली, एदेर और यरीमोत।
ये अपने पिताओं के घरानों के मुताबिक लेवियों के बेटे थे। 31 इन्होंने भी अपने भाइयों यानी हारून के बेटों की तरह राजा दाविद, सादोक, अहीमेलेक और याजकों और लेवियों के पिताओं के घरानों के प्रधानों के सामने चिट्ठियाँ डालीं।+ उनके पिताओं के सभी घराने बराबर माने गए, फिर चाहे वे बड़े थे या छोटे।
25 इसके अलावा, दाविद और मंदिर में सेवा करनेवाले समूहों के प्रधानों ने मिलकर आसाप, हेमान और यदूतून के कुछ बेटों+ को अलग किया ताकि वे सुरमंडल, तारोंवाले बाजों+ और झाँझ की धुन पर+ भविष्यवाणी करें। इस सेवा के लिए चुने गए आदमियों की सूची यह थी: 2 आसाप के बेटों में से जक्कूर, यूसुफ, नतन्याह और अशरेला। आसाप के ये बेटे उसके निर्देशन में सेवा करते थे और आसाप राजा के निर्देशन में भविष्यवाणी करता था। 3 यदूतून+ के बेटों में से गदल्याह, सरी, यशाया, शिमी, हशब्याह और मतित्याह।+ ये छ: अपने पिता यदूतून के निर्देशन में सेवा करते थे। यदूतून सुरमंडल की धुन पर भविष्यवाणी करता और यहोवा का शुक्रिया अदा करता और उसकी तारीफ करता था।+ 4 हेमान+ के बेटों में से बुक्कियाह, मत्तन्याह, उज्जीएल, शबूएल, यरीमोत, हनन्याह, हनानी, एलीयाता, गिद्दलती, रोममती-एज़ेर, योशबकाशा, मल्लोती, होतीर और महजीओत। 5 ये सभी हेमान के बेटे थे। हेमान राजा का एक दर्शी था, जो सच्चे परमेश्वर की महिमा के लिए उसका संदेश सुनाता था। इसलिए सच्चे परमेश्वर ने हेमान को 14 बेटे और 3 बेटियाँ दीं। 6 ये सभी अपने पिता के निर्देशन में सेवा करते थे और यहोवा के भवन में झाँझ, तारोंवाले बाजों और सुरमंडल की धुन पर गीत गाते थे।+ सच्चे परमेश्वर के भवन में उनकी यही सेवा थी।
आसाप, यदूतून और हेमान राजा के निर्देशन में सेवा करते थे।
7 इनकी और इनके भाइयों की गिनती 288 थी, जिन्हें यहोवा के लिए गीत गाने की तालीम दी गयी थी और वे सभी कुशल गायक थे। 8 उन सबने अपनी ज़िम्मेदारी तय करने के लिए चिट्ठियाँ डालीं,+ फिर चाहे वे छोटे थे या बड़े, गाने में कुशल थे या नौसिखिए।
9 पहली चिट्ठी आसाप के बेटे यूसुफ के नाम निकली,+ दूसरी गदल्याह के नाम+ (उसकी, उसके भाइयों और बेटों की गिनती 12 थी) 10 तीसरी जक्कूर,+ उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 11 चौथी यिसरी, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 12 पाँचवीं नतन्याह,+ उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 13 छठी बुक्कियाह, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 14 सातवीं यसरेला, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 15 आठवीं यशाया, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 16 नौवीं मत्तन्याह, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 17 दसवीं शिमी, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 18 11वीं अजरेल, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 19 12वीं हशब्याह, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 20 13वीं शूबाएल,+ उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 21 14वीं मतित्याह, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 22 15वीं यरेमोत, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 23 16वीं हनन्याह, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 24 17वीं योशबकाशा, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 25 18वीं हनानी, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 26 19वीं मल्लोती, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 27 20वीं एलीयाता, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 28 21वीं होतीर, उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 29 22वीं गिद्दलती,+ उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी, 30 23वीं महजीओत,+ उसके बेटों और भाइयों के नाम, जिनकी गिनती 12 थी 31 और 24वीं रोममती-एज़ेर,+ उसके बेटों और भाइयों के नाम निकली जिनकी गिनती 12 थी।
26 पहरेदारों के दल+ ये थे: कोरहवंशियों में से मेशेलेम्याह+ जो कोरे का बेटा था और कोरे आसाप के बेटों में से था। 2 मेशेलेम्याह के बेटे ये थे: पहलौठा जकरयाह, दूसरा यदीएल, तीसरा जबद्याह, चौथा यतनीएल, 3 पाँचवाँ एलाम, छठा यहोहानान और सातवाँ एल्यहो-एनै। 4 ओबेद-एदोम के बेटे ये थे: पहलौठा शमायाह, दूसरा यहोजाबाद, तीसरा योआह, चौथा सकार, पाँचवाँ नतनेल, 5 छठा अम्मीएल, सातवाँ इस्साकार और आठवाँ पुल्लतै। परमेश्वर की आशीष से उसके ये बेटे हुए थे।
6 ओबेद-एदोम के बेटे शमायाह के बेटे अपने-अपने पिता के घराने के प्रधान थे क्योंकि वे ताकतवर और काबिल आदमी थे। 7 शमायाह के बेटे ये थे: ओत्नी, रपाएल, ओबेद और एलजाबाद। शमायाह के भाई एलीहू और समक्याह भी काबिल आदमी थे। 8 ये सभी ओबेद-एदोम के बेटे थे। वे और उनके बेटे और भाई, सभी सेवा के लिए पूरी तरह काबिल और बिलकुल सही थे। ओबेद-एदोम के घराने से आए इन सभी की गिनती 62 थी। 9 मेशेलेम्याह+ के बेटे और भाई कुल मिलाकर 18 काबिल आदमी थे। 10 मरारी के बेटों में से होसा के बेटे थे: शिम्री प्रधान था। हालाँकि वह पहलौठा नहीं था, फिर भी उसके पिता ने उसे परिवार का प्रधान ठहराया था। 11 दूसरा हिलकियाह, तीसरा तबल्याह और चौथा जकरयाह। होसा के सभी बेटों और भाइयों की गिनती 13 थी।
12 पहरेदारों के इन दलों में मुखियाओं को यहोवा के भवन में सेवा करने के लिए वही काम सौंपा गया था जो उनके भाइयों को दिया गया था। 13 इसलिए उन सबने, फिर चाहे उनका घराना छोटा था या बड़ा, अलग-अलग फाटकों की ज़िम्मेदारियाँ तय करने के लिए चिट्ठियाँ डालीं।+ 14 पूरब के फाटक के लिए चिट्ठी शेलेम्याह के नाम निकली। उन्होंने उसके बेटे जकरयाह के लिए चिट्ठियाँ डालीं और उसकी चिट्ठी उत्तर के फाटक के लिए निकली। जकरयाह एक सूझ-बूझवाला सलाहकार था। 15 दक्षिण के फाटक के लिए चिट्ठी ओबेद-एदोम के नाम निकली और उसके बेटों+ को भंडार-घरों का काम सौंपा गया। 16 पश्चिम के फाटक के लिए चिट्ठी शुप्पीम और होसा+ के नाम निकली। यह फाटक शल्लेकेत नाम फाटक के पास ऊपर जानेवाले राजमार्ग के पास था। पहरेदारों के दल पास-पास तैनात किए गए थे। 17 पूरब के फाटक के पास छ: लेवी ठहराए गए और उत्तर की तरफ हर दिन चार और दक्षिण की तरफ हर दिन चार ठहराए गए थे। भंडार-घरों के लिए दो पहरेदारों के पास दो पहरेदार तैनात किए गए।+ 18 पश्चिम में खंभोंवाले बरामदे के लिए, राजमार्ग के पास चार+ और खंभोंवाले बरामदे के पास दो पहरेदार तैनात किए गए। 19 कोरह और मरारी के वंशजों में से पहरेदारों के दल ये थे।
20 सच्चे परमेश्वर के भवन के खज़ानों पर और पवित्र ठहरायी गयी* चीज़ों के खज़ानों पर लेवियों में से अहियाह को अधिकार सौंपा गया।+ 21 लादान के बेटे ये थे: लादान से निकले गेरशोनियों यानी लादान से निकले पिताओं के घरानों के मुखियाओं में से यहोएली+ 22 और उसके बेटे जेताम और योएल। उन्हें यहोवा के भवन के खज़ानों+ पर अधिकार सौंपा गया था। 23 अमरामियों, यिसहारियों, हेब्रोनियों और उज्जीएलियों+ में से 24 शबूएल, जो मूसा के बेटे गेरशोम का बेटा था। शबूएल एक अगुवा था और उसे भंडार-घरों पर अधिकार सौंपा गया था। 25 शबूएल के भाई, यानी एलीएज़ेर+ के वंशज ये थे: एलीएज़ेर का बेटा रहबयाह+ और रहबयाह के वंशज यशाया, योराम, जिक्री और शलोमोत। 26 इसी शलोमोत को और उसके भाइयों को पवित्र ठहरायी गयी चीज़ों के सभी खज़ानों+ पर अधिकार सौंपा गया था। इन चीज़ों को राजा दाविद,+ पिताओं के घरानों के मुखियाओं,+ हज़ारों और सैकड़ों के प्रधानों और सेनापतियों ने पवित्र ठहराया था। 27 युद्धों और लूट से मिली चीज़ों+ को उन्होंने पवित्र ठहराया था ताकि यहोवा के भवन का रख-रखाव हो सके। 28 वे उन चीज़ों के भी अधिकारी थे जिन्हें शमूएल दर्शी,+ कीश के बेटे शाऊल, नेर के बेटे अब्नेर+ और सरूयाह के बेटे योआब+ ने पवित्र ठहराया था। पवित्र ठहरायी गयी हर चीज़ शलोमीत और उसके भाइयों के अधिकार में सौंपी गयी थी।
29 यिसहारियों+ में से कनन्याह और उसके बेटों को परमेश्वर के भवन के बाहर, प्रशासन का काम दिया गया था। वे इसराएल में अधिकारी और न्यायी थे।+
30 हेब्रोनियों+ में से हशब्याह और उसके भाई, जो कुल मिलाकर 1,700 काबिल आदमी थे, इसराएल में यरदन के पश्चिम के इलाके के प्रशासन के अधिकारी थे। यहोवा के काम और राजा के काम में उनकी यही ज़िम्मेदारियाँ थीं। 31 हेब्रोनियों में से यरियाह+ अपने पिता के घराने से निकले हेब्रोनियों का मुखिया था। दाविद के राज के 40वें साल में+ हेब्रोनियों में ताकतवर काबिल आदमी ढूँढ़े गए और वे गिलाद के याजेर+ में पाए गए। 32 यरियाह के भाइयों की गिनती 2,700 थी। वे सभी काबिल आदमी थे जो अपने पिताओं के घरानों के मुखिया थे। इसलिए राजा दाविद ने उन्हें रूबेनियों, गादियों और मनश्शे के आधे गोत्र का अधिकारी ठहराया ताकि वे सच्चे परमेश्वर के काम और राजा के काम से जुड़े हर मामले की देखरेख करें।
27 यह इसराएली सेना-दलों की गिनती है। इनमें पिताओं के घरानों के मुखिया, हज़ारों और सैकड़ों के प्रधान+ और उनके अधीन काम करनेवाले अधिकारी हैं। ये दल साल के हर महीने बारी-बारी से राजा की सेवा करते थे।*+ हर सेना-दल में 24,000 आदमी थे।
2 पहले महीनेवाले पहले दल का मुखिया जब्दीएल का बेटा याशोबाम+ था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 3 पेरेस के बेटों+ में से वही उन सभी दलों के प्रधानों का मुखिया था जिन्हें पहले महीने सेवा करने के लिए ठहराया गया था। 4 दूसरे महीनेवाले दल का मुखिया अहोही+ दोदै+ था। उसके दल का अगुवा मिकलोत था। इस दल में 24,000 आदमी थे। 5 तीसरे महीने सेवा के लिए ठहराए गए दल का मुखिया बनायाह+ था जो प्रधान याजक यहोयादा+ का बेटा था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 6 यह बनायाह तीस में से एक वीर योद्धा था और उनका अधिकारी था। उसके दल का अधिकारी उसका बेटा अम्मीजाबाद था। 7 चौथे महीने के लिए चौथा प्रधान योआब का भाई असाहेल+ था। उसके बाद उसका बेटा जबद्याह था और उसके दल में 24,000 आदमी थे। 8 पाँचवें महीने के लिए पाँचवाँ प्रधान यिज्राही शमहूत था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 9 छठे महीने के लिए छठा प्रधान तकोआ+ के रहनेवाले इक्केश का बेटा ईरा+ था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 10 सातवें महीने के लिए सातवाँ प्रधान एप्रैमियों का पलोनी हेलेस+ था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 11 आठवें महीने के लिए आठवाँ प्रधान जेरहियों+ का हूशाई सिब्बकै+ था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 12 नौवें महीने के लिए नौवाँ प्रधान बिन्यामीनियों के अनातोत+ का रहनेवाला अबीएजेर+ था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 13 दसवें महीने के लिए दसवाँ प्रधान जेरहियों+ के नतोपा का रहनेवाला महरै+ था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 14 11वें महीने के लिए 11वाँ प्रधान एप्रैमियों के पिरातोन का रहनेवाला बनायाह+ था। उसके दल में 24,000 आदमी थे। 15 12वें महीने के लिए 12वाँ प्रधान हेल्दै था। हेल्दै नतोपा का रहनेवाला और ओत्नीएल का वंशज था। उसके दल में 24,000 आदमी थे।
16 ये इसराएल के गोत्रों के अगुवे थे: रूबेनियों का अगुवा जिक्री का बेटा एलीएज़ेर था। शिमोनियों का अगुवा माका का बेटा शपत्याह था। 17 लेवी गोत्र का अगुवा कमूएल का बेटा हशब्याह था। हारून के वंशजों का अगुवा सादोक था। 18 यहूदा गोत्र का अगुवा एलीहू+ था जो दाविद के भाइयों में से एक था। इस्साकार गोत्र का अगुवा मीकाएल का बेटा ओम्री था। 19 जबूलून गोत्र का अगुवा ओबद्याह का बेटा यिशमायाह था। नप्ताली गोत्र का अगुवा अजरीएल का बेटा यरीमोत था। 20 एप्रैमियों का अगुवा अजज्याह का बेटा होशेआ था। मनश्शे के आधे गोत्र का अगुवा पदायाह का बेटा योएल था। 21 गिलाद के मनश्शे के आधे गोत्र का अगुवा जकरयाह का बेटा इद्दो था। बिन्यामीन गोत्र का अगुवा अब्नेर+ का बेटा यासीएल था। 22 दान गोत्र का अगुवा यरोहाम का बेटा अजरेल था। ये सभी इसराएल के गोत्रों के हाकिम थे।
23 दाविद ने 20 साल या उससे कम उम्र के लोगों की गिनती नहीं ली क्योंकि यहोवा ने वादा किया था कि वह इसराएल की गिनती बढ़ाकर आसमान के तारों जितनी बेशुमार कर देगा।+ 24 सरूयाह के बेटे योआब ने उनकी गिनती करना शुरू किया, मगर पूरा नहीं किया। गिनती लेने की वजह से परमेश्वर का क्रोध इसराएल पर भड़क उठा था+ और उनकी गिनती राजा दाविद के ज़माने के इतिहास में नहीं लिखी गयी थी।
25 राजा के खज़ानों+ का अधिकारी अदीएल का बेटा अज़मावेत था। खेतों, शहरों, कसबों और मीनारों के गोदामों* का अधिकारी उज्जियाह का बेटा योनातान था। 26 खेती-बाड़ी करनेवालों का अधिकारी कलूब का बेटा एज्री था। 27 अंगूरों के बागों की देखरेख करनेवाला अधिकारी शिमी था जो रामाह का रहनेवाला था। दाख-मदिरा बनाने के लिए इस्तेमाल होनेवाली उपज की देखरेख करनेवाला अधिकारी शापामी जब्दी था। 28 शफेलाह+ के जैतून के बागों और गूलर पेड़ों+ की देखरेख करनेवाला अधिकारी गदेरी बाल-हानान था। तेल के भंडारों की देखरेख करनेवाला अधिकारी योआश था। 29 शारोन+ में चरनेवाली भेड़ों के झुंडों की देखरेख करनेवाला अधिकारी शित्रै था जो शारोन का रहनेवाला था। घाटी के मैदानों में चरनेवाले गाय-बैलों के झुंडों की देखरेख करनेवाला अधिकारी अदलै का बेटा शापात था। 30 ऊँटों की देखरेख करनेवाला अधिकारी इश्माएली ओबील था और गधियों के झुंडों की देखरेख करनेवाला अधिकारी येहदयाह था जो मेरोनोत का रहनेवाला था। 31 भेड़-बकरियों के झुंडों की देखरेख करनेवाला अधिकारी हगरी याजीज था। ये सभी राजा दाविद की दौलत की देखरेख करनेवाले प्रधान थे।
32 दाविद का भतीजा योनातान+ एक सलाहकार था। वह अच्छी समझ रखनेवाला आदमी था और राज-सचिव था। हकमोनी का बेटा यहीएल राजा के बेटों+ की देखभाल करता था। 33 अहीतोपेल+ राजा का सलाहकार था और एरेकी हूशै+ राजा का दोस्त* था। 34 अहीतोपेल के बाद बनायाह का बेटा यहोयादा+ और अबियातार+ सलाहकार बने और योआब+ राजा की सेना का सेनापति था।
28 फिर दाविद ने इसराएल के इन सभी अधिकारियों को यरूशलेम में इकट्ठा किया: सभी गोत्रों के हाकिम, राजा की सेवा करनेवाले सेना-दलों के प्रधान,+ हज़ारों और सैकड़ों के प्रधान,+ राजा और उसके बेटों+ की सारी दौलत और मवेशियों की देखरेख करनेवाले प्रधान,+ साथ ही दरबारी और हर ताकतवर और काबिल आदमी।+ 2 राजा दाविद खड़ा हुआ और उसने कहा,
“मेरे भाइयो और मेरे लोगो, मेरी सुनो। मेरी दिली तमन्ना थी कि मैं एक ऐसा भवन बनाऊँ जो यहोवा के करार के संदूक के लिए विश्राम की जगह हो और हमारे परमेश्वर के लिए पाँवों की चौकी हो।+ मैंने उसे बनाने की तैयारियाँ भी की थीं।+ 3 मगर सच्चे परमेश्वर ने मुझसे कहा, ‘तू मेरे नाम की महिमा के लिए भवन नहीं बनाएगा+ क्योंकि तूने बहुत-से युद्ध किए हैं और बहुत खून बहाया है।’+ 4 इसराएल के परमेश्वर यहोवा ने मेरे पिता के पूरे घराने में से मुझे ही चुना था ताकि मैं सदा के लिए इसराएल का राजा बनूँ।+ उसने यहूदा को अगुवा चुना था+ और यहूदा के घरानों में से मेरे पिता का घराना चुना+ और मेरे पिता के बेटों में से मुझी को पूरे इसराएल का राजा बनने के लिए मंज़ूर किया।+ 5 यहोवा ने मुझे कई बेटे दिए+ और उनमें से मेरे बेटे सुलैमान को यहोवा की राजगद्दी पर बैठकर इसराएल पर राज करने के लिए चुना।+
6 परमेश्वर ने मुझसे कहा, ‘तेरा बेटा सुलैमान ही मेरे लिए भवन और आँगन बनाएगा, क्योंकि मैंने उसे अपना बेटा चुना है और मैं उसका पिता बनूँगा।+ 7 अगर वह मेरी आज्ञाओं और मेरे न्याय-सिद्धांतों को मानने में अटल बना रहेगा,+ जैसे वह अभी मान रहा है, तो मैं उसका राज हमेशा के लिए मज़बूती से कायम रखूँगा।’+ 8 इसलिए आज मैं पूरे इसराएल के सामने, यहोवा की मंडली के सामने और हमारे परमेश्वर के सामने तुम लोगों से कहता हूँ कि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की सभी आज्ञाओं को अच्छी तरह समझो और उन्हें मानो, ताकि इस बढ़िया देश पर तुम्हारा अधिकार बना रहे+ और तुम बाद में अपने बेटों को इसे सदा के लिए विरासत में दे सको।
9 और मेरे बेटे सुलैमान, तू अपने पिता के परमेश्वर को जान और पूरे* दिल से और खुशी-खुशी उसकी सेवा कर,+ क्योंकि यहोवा सबके दिलों को जाँचता है+ और मन के हर विचार और इरादे को जानता है।+ अगर तू उसकी खोज करेगा तो वह तुझे मिलेगा।+ लेकिन अगर तू उसे छोड़ देगा, तो वह तुझे हमेशा के लिए ठुकरा देगा।+ 10 इस बात पर अच्छी तरह ध्यान दे क्योंकि यहोवा ने तुझे एक ऐसा भवन बनाने के लिए चुना है जो उसका पवित्र-स्थान होगा। हिम्मत रख और काम में लग जा।”
11 फिर दाविद ने अपने बेटे सुलैमान को मंदिर का बरामदा,+ उसके कमरे, भंडार-घर, छत के खाने, भीतरी कमरे और प्रायश्चित के ढकने का भवन*+ बनाने का नमूना+ दिया। 12 दाविद को परमेश्वर की प्रेरणा से इन सब चीज़ों का जो नमूना मिला था वह सब उसने सुलैमान को दिया: यहोवा के भवन के आँगन,+ उसके चारों तरफ के भोजन के कमरे, सच्चे परमेश्वर के भवन के खज़ाने और पवित्र ठहरायी गयी* चीज़ों के खज़ाने।+ 13 साथ ही, उसने याजकों और लेवियों के दलों+ के बँटवारे के बारे में, यहोवा के भवन में होनेवाली सारी सेवाओं के बारे में और यहोवा के भवन में सेवा के लिए इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ों के बारे में हिदायतें दीं। 14 दाविद ने यह भी बताया कि अलग-अलग कामों में इस्तेमाल होनेवाली सोने की चीज़ें बनाने में कितना सोना लगाए, चाँदी की चीज़ों के लिए कितनी चाँदी लगाए, 15 सोने की दीवटों+ और सोने के दीयों के लिए कितना सोना लगाए, चाँदी की दीवटों में से हर दीवट और उसके दीयों के इस्तेमाल के मुताबिक कितनी चाँदी लगाए, 16 रोटियों का ढेर* रखनेवाली मेज़ों+ में से हर मेज़ के लिए कितना सोना लगाए और चाँदी की मेज़ों के लिए कितनी चाँदी लगाए, 17 काँटों, कटोरों और सुराहियों के लिए कितना शुद्ध सोना लगाए, सोने की कटोरियों+ में से हर कटोरी के लिए कितना सोना लगाए और चाँदी की कटोरियों में से हर कटोरी के लिए कितनी चाँदी लगाए। 18 उसने यह भी बताया कि धूप की वेदी के लिए कितना शुद्ध सोना लगाए+ और रथ के प्रतीक+ यानी सोने के उन करूबों+ के लिए कितना सोना लगाए, जो यहोवा के करार के संदूक के ऊपर पंख फैलाए हुए होंगे और उस पर छाया किए हुए होंगे। 19 दाविद ने कहा, “यहोवा ने मुझे अंदरूनी समझ दी जिस वजह से मैंने भवन की सारी बारीकियों का एक नमूना+ तैयार किया।”+
20 फिर दाविद ने अपने बेटे सुलैमान से कहा, “तू हिम्मत से काम ले और हौसला रख और काम में लग जा। तू डरना मत और न ही खौफ खाना क्योंकि मेरा परमेश्वर यहोवा तेरे साथ है।+ वह तुझे नहीं छोड़ेगा, न ही त्यागेगा।+ वह तेरे साथ तब तक रहेगा जब तक कि यहोवा के लिए भवन बनाने का सारा काम पूरा नहीं हो जाता। 21 सच्चे परमेश्वर के भवन की सारी सेवाओं के लिए याजकों और लेवियों+ के ये सारे दल+ तैयार हैं। तेरे लिए ऐसे कारीगर मौजूद हैं जो हर तरह का काम खुशी-खुशी और कुशलता से करेंगे।+ साथ ही हाकिम+ और सारे लोग भी हैं जो तेरी सब हिदायतों का पालन करेंगे।”
29 अब राजा दाविद ने पूरी मंडली से कहा, “मेरा बेटा सुलैमान, जिसे परमेश्वर ने चुना है,+ अभी जवान है और उसे कोई तजुरबा नहीं है*+ और यह काम बहुत बड़ा है, क्योंकि किसी इंसान के लिए महल नहीं बल्कि यहोवा परमेश्वर के लिए मंदिर बनाया जाना है।+ 2 मैंने अपने परमेश्वर के भवन के लिए तैयारियाँ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मैंने सोने के काम के लिए सोना, चाँदी के काम के लिए चाँदी, ताँबे के काम के लिए ताँबा, लोहे के काम के लिए लोहा,+ लकड़ी,+ सुलेमानी पत्थर, ऐसे पत्थर जिन्हें गारे से जड़ा जा सकता है, पच्चीकारी के पत्थर, हर तरह का कीमती रत्न और भारी तादाद में सिलखड़ी पत्थर इकट्ठा किया है। 3 इन सबके अलावा, मैं पवित्र भवन के लिए अपने खुद के खज़ाने+ से सोना-चाँदी दे रहा हूँ क्योंकि मैं अपने परमेश्वर के भवन से गहरा लगाव रखता हूँ।+ 4 मैं अपने खज़ाने से ओपीर से लाया 3,000 तोड़े* सोना+ और 7,000 तोड़े शुद्ध चाँदी दे रहा हूँ ताकि भवन के कमरों की दीवारें मढ़ी जा सकें। 5 मैं सोने के काम के लिए सोना और चाँदी के काम के लिए चाँदी और कारीगरों के सब कामों के लिए मैं ये सारी चीज़ें देता हूँ। अब तुममें से कौन आगे बढ़कर अपनी इच्छा से यहोवा के लिए भेंट देना चाहेगा?”+
6 तब पिताओं के घरानों के हाकिम, इसराएल के गोत्रों के हाकिम, हज़ारों और सैकड़ों के प्रधान+ और राजा के काम पर ठहराए गए अधिकारी+ अपनी इच्छा से आगे आए। 7 उन्होंने सच्चे परमेश्वर के भवन के काम के लिए यह सब दान किया: 5,000 तोड़े सोना, 10,000 दर्कनोन,* 10,000 तोड़े चाँदी, 18,000 तोड़े ताँबा और 1,00,000 तोड़े लोहा। 8 जिन-जिनके पास कीमती रत्न थे उन्होंने यहोवा के भवन के खज़ाने के लिए दे दिए जिसकी देखरेख गेरशोनी+ यहीएल करता था।+ 9 लोगों को ये चीज़ें भेंट करने में बड़ी खुशी हुई क्योंकि उन्होंने पूरे दिल से और अपनी इच्छा से यहोवा को भेंट की थी+ और राजा दाविद भी बहुत मगन हुआ।
10 फिर दाविद ने पूरी मंडली के सामने यहोवा की बड़ाई की। दाविद ने कहा, “हे हमारे पिता इसराएल के परमेश्वर यहोवा, युग-युग तक* तेरी तारीफ होती रहे। 11 हे यहोवा, महानता,+ ताकत,+ सौंदर्य, वैभव और प्रताप* तेरा ही है+ क्योंकि आकाश और धरती पर जो कुछ है, सब तेरा है।+ हे यहोवा, राज तेरा है।+ तू ऐसा परमेश्वर है जिसने खुद को सबसे ऊँचा किया है, तू परम-प्रधान है। 12 धन और सम्मान तुझी से मिलता है+ और तू हर चीज़ पर राज करता है।+ तेरे हाथ में शक्ति+ और ताकत है।+ तेरा हाथ सबको महान बना सकता है,+ उन्हें ताकत दे सकता है।+ 13 इसलिए अब हे हमारे परमेश्वर, हम तेरा शुक्रिया अदा करते हैं, तेरे खूबसूरत नाम की तारीफ करते हैं।
14 मैं क्या हूँ, मेरी प्रजा क्या है कि हम इस तरह अपनी इच्छा से तुझे कुछ भेंट करें? क्योंकि सबकुछ तुझी से मिलता है और हमने तुझे जो भी दिया वह तेरा ही दिया हुआ है। 15 हम तो तेरी नज़र में परदेसी और प्रवासी जैसे हैं, जैसे हमारे बाप-दादे हुआ करते थे।+ धरती पर हमारी ज़िंदगी के दिन एक छाया के समान हैं+ और हमें कोई आशा नहीं है। 16 हे यहोवा, हमारे परमेश्वर, हमने ये जो दौलत इकट्ठी की है ताकि तेरे पवित्र नाम की महिमा के लिए भवन बना सकें, यह सब तेरी ही दी हुई है, सब पर तेरा ही हक है। 17 हे मेरे परमेश्वर, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि तू दिल को जाँचता है+ और तू निर्दोष चालचलन* से खुश होता है।+ मैंने सीधे-सच्चे मन से और अपनी इच्छा से ये सारी चीज़ें तुझे भेंट की हैं और यह देखकर मैं फूला नहीं समा रहा हूँ कि तेरे लोग जो यहाँ मौजूद हैं, अपनी इच्छा से तुझे भेंट दे रहे हैं। 18 हे यहोवा, हमारे बाप-दादे अब्राहम, इसहाक और इसराएल के परमेश्वर, तू अपने लोगों की मदद कर ताकि वे अपना यह जज़्बा हमेशा बनाए रखें और पूरे दिल से तेरी सेवा करते रहें।+ 19 और मेरे बेटे सुलैमान की मदद कर ताकि वह पूरे* दिल से+ तेरी आज्ञाओं और नियमों पर चले,+ तू जो हिदायतें याद दिलाता है उन्हें माने और उनका पालन करता रहे और वह मंदिर* बनाए जिसके लिए मैंने तैयारियाँ की हैं।”+
20 फिर दाविद ने पूरी मंडली से कहा, “अब तुम सब अपने परमेश्वर यहोवा की तारीफ करो।” तब सारी मंडली ने अपने पुरखों के परमेश्वर यहोवा की तारीफ की और मुँह के बल गिरकर यहोवा को दंडवत किया और राजा को प्रणाम किया। 21 और अगले दिन तक वे सब यहोवा के लिए बलिदान और होम-बलियाँ चढ़ाते रहे।+ उन्होंने यहोवा के लिए 1,000 बैल, 1,000 मेढ़े, 1,000 नर मेम्ने और अर्घ चढ़ाए।+ उन्होंने पूरे इसराएल की तरफ से भारी तादाद में बलिदान चढ़ाए।+ 22 उस दिन उन्होंने यहोवा के सामने खाया-पीया और खुशियाँ मनायीं+ और दोबारा दाविद के बेटे सुलैमान को राजा बनाया और यहोवा के सामने उसका अभिषेक करके उसे अगुवा ठहराया+ और सादोक का अभिषेक करके उसे याजक ठहराया।+ 23 सुलैमान अपने पिता दाविद की जगह यहोवा की राजगद्दी पर बैठा+ और वह कामयाब हुआ। सभी इसराएली उसकी आज्ञा मानते थे। 24 सभी हाकिमों,+ वीर योद्धाओं+ और राजा दाविद के सभी बेटों+ ने खुद को राजा सुलैमान के अधीन किया। 25 यहोवा ने सुलैमान को पूरे इसराएल के सामने बहुत महान किया और उसे इतना राजकीय वैभव दिया जितना कि उससे पहले इसराएल में किसी राजा को नहीं मिला था।+
26 इस तरह यिशै के बेटे दाविद ने पूरे इसराएल पर राज किया। 27 उसने 40 साल इसराएल पर राज किया, 7 साल हेब्रोन में रहकर+ और 33 साल यरूशलेम में रहकर।+ 28 वह अपनी ज़िंदगी से पूरी तरह खुश था। उसने काफी दौलत और शोहरत हासिल की थी और एक लंबी और खुशहाल ज़िंदगी जीने के बाद उसकी मौत हो गयी।+ उसकी जगह उसका बेटा सुलैमान राजा बना।+ 29 राजा दाविद का शुरू से लेकर आखिर तक का पूरा इतिहास दर्शी शमूएल, भविष्यवक्ता नातान+ और दर्शी गाद+ के लेखनों में लिखा है। 30 साथ ही उसके राज और उसके बड़े-बड़े कामों का ब्यौरा, उसकी ज़िंदगी की घटनाएँ और उसके दिनों में इसराएल और आस-पास के सभी राज्यों में हुई घटनाएँ भी लिखी हैं।
आगे अराम के बेटों के नाम हैं। उत 10:23 देखें।
मतलब “बँटवारा।”
या “धरती की आबादी।”
शा., “के बेटे थे।”
शा., “इसराएल के बेटों।”
शेख, गोत्र का प्रधान था।
शा., “के बेटे थे।”
मतलब “आफत लानेवाला; घोर संकट लानेवाला।” यह 7:1 में इसका दूसरा नाम आकान है।
या “मुसीबत; घोर संकट।”
शा., “के बेटे थे।”
आय. 18, 19, 42 में इसका दूसरा नाम कालेब है।
आय. 9 में इसका दूसरा नाम कलूबै है।
इस अध्याय में कुछ नाम लोगों के नहीं बल्कि जगहों के हैं। उन आयतों में “पिता” का शायद मतलब उस जगह को बसानेवाला है।
शा., “के बेटे थे।”
शा., “के बेटे थे।”
शा., “के बेटे थे।”
आय. 9 में इसका दूसरा नाम कलूबै है।
शा., “के बेटे थे।”
शा., “के बेटे।”
शा., “के बेटे।”
शा., “के बेटे थे।”
नाम याबेस शायद उस इब्रानी शब्द से संबंध रखता है जिसका मतलब “दर्द” है।
शा., “के बेटे थे।”
मतलब “कारीगरों की घाटी।”
शा., “के बेटे थे।”
यह शायद आय. 18 में बतायी बित्या है।
या “ये पुरानी परंपरा की बातें हैं।”
या “अशुद्ध।”
यानी यारोबाम द्वितीय।
या “के साथ वेश्याओं जैसी बदचलनी करने।”
शा., “बेटे।”
आय. 1 में इसका दूसरा नाम गेरशोन है।
या “वंशज।”
या “वंशज।”
शा., “दिया गया था।”
या “दीवारों से घिरी छावनियाँ।”
या शायद, “शरण नगर दिया।” यह बात यह 21:13 से मेल खाती है।
या “चिट्ठी डालकर दिए गए।”
या शायद, “शरण नगर दिया।” यह बात यह 21:21 से मेल खाती है।
शा., “बेटे।”
शा., “बेटे।”
शा., “के बेटे थे।”
मतलब “मुसीबत के साथ।”
या “यहोशुआ” जिसका मतलब है, “यहोवा उद्धार है।”
या शायद, “गाज़ा” मगर पलिश्त का गाज़ा नहीं।
आय. 32 में इसका दूसरा नाम शोमेर है।
यह शायद आय. 32 में बताया “होताम” है।
या शायद, “इससे पहले उसने अपनी पत्नियों को यानी हूशीम और बारा को भेज दिया था।”
ईशबोशेत भी कहलाता था।
मपीबोशेत भी कहलाता था।
या “नतीन लोग।” शा., “दिए गए लोग।”
या “मंदिर।”
या “भोजन के कमरों।”
यानी नज़राने की रोटी।
या “भोजन के कमरों।”
या “मेरे साथ बुरा सलूक न करें।”
शा., “हम तेरा हाड़-माँस हैं।”
या “मिल्लो।” इस इब्रानी शब्द का मतलब “भरना” है।
या “का बड़ा उद्धार किया।”
शा., “एक वीर का बेटा था।”
वह 2.23 मी. (7.3 फुट) लंबा था। अति. ख14 देखें।
शब्दावली देखें।
या “जो दाविद से जा मिले उनमें से कोई दोहरे मन का नहीं था।”
शा., “एक दिल के थे।”
या “शीहोर।”
या “हमात के प्रवेश।”
या शायद, “के बीच।”
मतलब “उज्जाह पर भड़क उठा।”
या “दीवार बनानेवाले।”
मतलब “टूट पड़नेवाला मालिक।”
शब्दावली देखें।
शब्दावली देखें।
शा., “को याद करने।”
या “संगीत बजाओ।”
या शायद, “के बारे में बताओ।”
शा., “उस वचन को, जो उसने हज़ारों पीढ़ियों के लिए ठहराया है।”
या “गरिमा।”
या शायद, “उसकी पवित्रता के वैभव की वजह से।”
या “की उपासना करो।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “आ गया है।”
या “हमेशा से हमेशा तक।”
या “ऐसा ही हो!”
या “परमेश्वर के गीतों के साज़।”
शायद इसका मतलब है, “एक तंबू की जगह से दूसरी जगह और एक निवास से दूसरे निवास।”
शा., “तू अपने पुरखों के साथ होने के लिए जाएगा।”
या “अटल प्यार।”
या “तूने मुझे ऊँचे पद का आदमी समझा है।”
या “विश्वासयोग्य साबित हो।”
या “उद्धार दिलाया।”
या “उद्धार दिलाया।”
या “अटल प्यार।”
या “अटल प्यार।”
शा., “अरम-नहरैम।”
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।
शा., “के हाथ।”
यानी फरात नदी।
यानी वसंत में।
करीब 34.2 किलो। अति. ख14 देखें।
या शायद, “एक विरोधी।”
या “इसराएल में हुई तबाही पर पछतावा महसूस हुआ।”
शा., “दे दे।”
एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।
या “नाज़ुक है।”
यह नाम एक इब्रानी शब्द से निकला है जिसका मतलब “शांति” है।
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।
शा., “बूढ़ा और पूरी उम्र का हो गया था।”
या “संगठित किया।”
शा., “बेटों।”
शा., “भाइयों।”
यानी नज़राने की रोटी।
या “समर्पित की हुई।”
शा., “से अंदर आते और बाहर जाते थे।”
या “खज़ानों।”
या “राज़दार।”
या “पूरी तरह लगे हुए।”
या “प्रायश्चित का भवन।”
या “समर्पित की हुई।”
यानी नज़राने की रोटी।
या “नाज़ुक है।”
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।
दर्कनोन सोने का एक फारसी सिक्का था। अति. ख14 देखें।
या “हमेशा से हमेशा तक।”
या “गरिमा।”
या “सदाचार; सीधाई।”
या “पूरी तरह लगे हुए।”
या “किला; महल।”