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  • पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)
यहोशू

यहोशू

1 यहोवा के सेवक मूसा की मौत के बाद यहोवा ने मूसा के सेवक, नून के बेटे यहोशू*+ से कहा, 2 “मेरा सेवक मूसा मर चुका है।+ अब तू इसराएल के लोगों को लेकर यरदन के पार जा और उन्हें उस देश में ले जा जो मैं उन्हें देनेवाला हूँ।+ 3 जहाँ भी तुम्हारे कदम पड़ेंगे वह जगह तुम्हारी हो जाएगी, जैसा मैंने मूसा से वादा किया था।+ 4 तुम्हारा इलाका इस वीराने से लेकर लबानोन और महानदी फरात तक (जो हित्तियों का सारा इलाका है)+ और पश्‍चिम में महासागर* तक फैला होगा।+ 5 तेरे जीवन-भर कोई तुझे हरा नहीं पाएगा।+ जैसे मैं मूसा के साथ था वैसे ही तेरे साथ रहूँगा।+ मैं तेरा साथ कभी नहीं छोड़ूँगा और न ही तुझे त्यागूँगा।+ 6 तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना+ क्योंकि तू ही इन लोगों को उस देश का वारिस बनाएगा जिसे देने की शपथ मैंने उनके पुरखों से खायी थी।+

7 तू हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना और मेरे सेवक मूसा ने जिस कानून को मानने की आज्ञा दी थी, उसका तू सख्ती से पालन करना। तू न तो दाएँ मुड़ना न बाएँ+ ताकि तू हर काम बुद्धिमानी से कर सके।+ 8 कानून की इस किताब को अपने मुँह से दूर न करना,+ दिन-रात इसे धीमी आवाज़ में पढ़ना* ताकि तू इसकी एक-एक बात का अच्छे-से पालन कर सके।+ तब तू कामयाब होगा और बुद्धिमानी से चल पाएगा।+ 9 मैं एक बार फिर तुझसे कहता हूँ, हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना। तू न डरना, न खौफ खाना क्योंकि तू जहाँ-जहाँ जाएगा तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे साथ रहेगा।”+

10 इसके बाद यहोशू ने लोगों के अधिकारियों से कहा, 11 “पूरी छावनी में जाकर लोगों को यह आज्ञा दो, ‘अपने लिए खाने-पीने की चीज़ें बाँध लो क्योंकि तीन दिन के अंदर तुम यरदन पार जानेवाले हो और उस देश को अपने अधिकार में करनेवाले हो जिसे तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे अधीन कर देगा।’”+

12 फिर यहोशू ने रूबेन और गाद के वंशजों और मनश्‍शे के आधे गोत्र से कहा, 13 “यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें जो आज्ञा दी थी उसे याद करो,+ ‘तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें चैन दिया है और यह देश भी तुम्हें दे दिया है। 14 तुम्हारे बीवी-बच्चे और तुम्हारे जानवर यरदन के इस पार* के इलाके में ही रहें, जो मूसा ने तुम्हें दिया है।+ लेकिन तुम सब वीर योद्धा+ अलग-अलग दल बाँधकर अपने भाइयों से पहले नदी के उस पार जाना।+ तुम तब तक उनकी मदद करना 15 जब तक कि यहोवा उन्हें चैन नहीं देता जैसे तुम्हें दिया है और जब तक वे उस देश पर अधिकार नहीं कर लेते जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उन्हें देनेवाला है। इसके बाद तुम वापस आकर अपने इलाके में बस जाना जो यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें यरदन के इस पार पूरब में दिया है।’”+

16 तब उन्होंने यहोशू से कहा, “तूने हमसे जो-जो कहा है हम वह सब करेंगे। तू हमें जहाँ भी भेजेगा हम जाएँगे।+ 17 जिस तरह हमने मूसा की हर बात मानी थी हम तेरी बात भी मानेंगे। तेरा परमेश्‍वर यहोवा हमेशा तेरे साथ रहे, जैसे वह मूसा के साथ था।+ 18 जो कोई तेरे हुक्म के खिलाफ जाए और तेरी आज्ञा न माने वह मार डाला जाए।+ तू बस हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना।”+

2 फिर नून के बेटे यहोशू ने शित्तीम से+ दो आदमियों को चुपके से जासूसी करने भेजा और उनसे कहा, “जाओ जाकर उस देश की, खासकर यरीहो की खोज-खबर लेकर आओ।” वे दोनों जासूस निकल पड़े और राहाब नाम की एक वेश्‍या के घर आकर ठहरे।+ 2 यरीहो के राजा को किसी ने खबर दी, “हमारे देश की जासूसी करने आज रात कुछ इसराएली आदमी आए हैं।” 3 इस पर यरीहो के राजा ने राहाब के पास यह संदेश भिजवाया, “जो आदमी तेरे घर रुके हैं, उन्हें बाहर ला क्योंकि वे पूरे देश की जासूसी करने आए हैं।”

4 राहाब ने उन दोनों जासूसों को छिपा रखा था लेकिन उसने राजा के आदमियों से कहा, “कुछ आदमी यहाँ आए तो थे मगर मुझे नहीं पता कि वे कहाँ से थे। 5 और रात को शहर का फाटक बंद होने से पहले वे शहर से निकल गए। पता नहीं वे कहाँ गए, लेकिन अगर तुम फौरन उनके पीछे जाओ तो उन्हें पकड़ लोगे।” 6 (दरअसल राहाब ने जासूसों को छत पर बिछे अलसी के डंठलों के बीच छिपा दिया था।) 7 इस पर राजा के आदमी उनका पीछा करने के लिए यरदन के घाट की तरफ भागे+ और जैसे ही वे शहर से निकले, शहर का फाटक बंद कर दिया गया।

8 इससे पहले कि उन दो जासूसों की आँख लग जाती, राहाब उनके पास छत पर आयी। 9 उसने उनसे कहा, “मैं जानती हूँ कि यहोवा तुम्हें यह देश ज़रूर देगा।+ तुम लोगों का डर हममें समा गया है+ और तुम्हारी वजह से सब निवासियों के हौसले पस्त हो गए हैं।+ 10 क्योंकि हमने सुना है कि जब तुम मिस्र से निकले तो यहोवा ने तुम्हारे सामने लाल सागर का पानी सुखा दिया।+ हमने यह भी सुना है कि तुमने यरदन के उस पार* एमोरियों के दोनों राजाओं सीहोन और ओग का क्या हाल किया+ और कैसे उन्हें पूरी तरह नाश कर दिया। 11 यह सुनकर हमारे जी में जी न रहा। तुम्हारी वजह से हमारी हिम्मत टूट गयी क्योंकि हम जान गए कि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा स्वर्ग और पृथ्वी का परमेश्‍वर है।+ 12 इसलिए अब यहोवा की शपथ खाओ कि जैसे मैंने तुम पर कृपा* की है, वैसे ही तुम मेरे पिता के घराने पर कृपा* करोगे। मुझे कोई ऐसी निशानी दो जिससे मुझे यकीन हो कि तुम अपना वादा पूरा करोगे।* 13 तुम मेरे माता-पिता, मेरे भाई-बहन और उनके घराने के सब लोगों की जान बख्शना और हमें मौत के मुँह से बचाना।”+

14 इस पर उन आदमियों ने राहाब से कहा, “अगर हम अपना वादा पूरा न करें, तो तुम्हारी जगह हमारी जान चली जाए! बस तू किसी से यह मत कहना कि हम क्यों आए थे। फिर जब यहोवा हमें यह देश देगा, तो हम तेरे साथ कृपा* और सच्चाई से पेश आएँगे।” 15 इसके बाद राहाब ने एक रस्सी के सहारे उन्हें खिड़की से नीचे उतार दिया क्योंकि उसका घर शहरपनाह की दीवार से सटा हुआ था। दरअसल उसका घर दीवार के ऊपर ही बना हुआ था।+ 16 राहाब ने उनसे कहा, “तुम पहाड़ी इलाके में चले जाओ और तीन दिन तक वहीं छिपे रहो ताकि तुम्हारा पीछा करनेवाले तुम्हें ढूँढ़ न सकें। जब वे शहर लौट आएँ, तब तुम अपने रास्ते चले जाना।”

17 जासूसों ने राहाब से कहा, “तूने हमसे जो शपथ ली है, हम उससे बँधे हैं।+ 18 मगर उसके लिए तुझे यह करना होगा: जब हम वापस इस देश में आएँगे तो तू यह चमकीली लाल रस्सी इस खिड़की पर बाँधना जिससे तूने हमें नीचे उतारा है। और तू अपने माता-पिता, भाइयों और अपने पिता के घराने के सब लोगों को अपने साथ इस घर में इकट्ठा कर लेना।+ 19 अगर तेरे घर से कोई बाहर निकला और मारा गया, तो उसके खून का दोष उसी के सिर आएगा और हम निर्दोष ठहरेंगे। लेकिन अगर कोई घर में होते हुए मारा गया, तो उसके खून का दोष हमारे सिर आएगा। 20 और हाँ, अगर तूने किसी को बताया कि हम यहाँ क्यों आए थे+ तो हम अपनी शपथ से छूट जाएँगे।” 21 राहाब ने कहा, “जैसा तुमने कहा है वैसा ही हो।”

फिर उसने उन्हें रवाना किया और वे अपने रास्ते चले गए। इसके बाद, राहाब ने खिड़की पर चमकीली लाल रस्सी बाँध दी। 22 वे दोनों जासूस राहाब के घर से निकलकर पहाड़ी इलाके में चले गए और तीन दिन तक वहीं रहे जब तक कि उनका पीछा करनेवाले वापस शहर नहीं लौट गए। उन आदमियों ने हर सड़क पर जासूसों को ढूँढ़ा लेकिन वे कहीं नहीं मिले। 23 इसके बाद, वे दोनों जासूस पहाड़ी इलाके से नीचे उतरे और नदी पार करके नून के बेटे यहोशू के पास आए और जो-जो घटा था वह सब कह सुनाया। 24 उन्होंने यहोशू से कहा, “यहोवा ने वह देश हमारे हाथ कर दिया है।+ हमारी वजह से उस देश के सारे निवासियों के हौसले पस्त हो गए हैं।”+

3 फिर यहोशू सुबह-सुबह उठा और सब इसराएलियों को लेकर शित्तीम से रवाना हुआ+ और यरदन के पास पहुँचा। नदी पार करने से पहले उन्होंने वहीं रात गुज़ारी।

2 तीन दिन बाद उनके अधिकारियों+ ने पूरी छावनी में जाकर 3 लोगों को आज्ञा दी, “जैसे ही तुम देखो कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के करार का संदूक लेवी गोत्र के याजकों ने उठा लिया है,+ तो तुम अपनी-अपनी जगह से निकल पड़ना और संदूक के पीछे-पीछे जाना 4 ताकि तुम्हें पता हो कि तुम्हें किस रास्ते जाना है क्योंकि यह रास्ता तुम्हारे लिए नया है। तुम संदूक से करीब 2,000 हाथ* की दूरी रखना, उससे नज़दीक न जाना।”

5 यहोशू ने लोगों से कहा, “तैयार हो जाओ*+ क्योंकि कल यहोवा तुम्हारे सामने अद्‌भुत काम करेगा।”+

6 फिर यहोशू ने याजकों से कहा, “करार का संदूक उठाओ+ और लोगों के आगे-आगे चलो।” उन्होंने करार का संदूक उठाया और लोगों के आगे-आगे चलने लगे।

7 यहोवा ने यहोशू से कहा, “आज से मैं तुझे सब इसराएलियों की नज़रों में ऊँचा उठाऊँगा+ ताकि वे जान लें कि मैं तेरे साथ हूँ,+ ठीक जैसे मैं मूसा के साथ था।+ 8 तू करार का संदूक उठानेवाले याजकों को यह आज्ञा दे, ‘जब तुम यरदन किनारे पहुँचो तब उसमें पैर रखना और वहीं खड़े रहना।’”+

9 यहोशू ने इसराएलियों से कहा, “आओ और सुनो कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने क्या कहा है।” 10 फिर उसने कहा, “इससे तुम जान जाओगे कि जीवित परमेश्‍वर तुम्हारे बीच है+ और वह तुम्हारे सामने से कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्जियों, गिरगाशियों, एमोरियों और यबूसियों को ज़रूर खदेड़ देगा।+ 11 देखो! पूरी धरती के मालिक के करार का संदूक तुम्हारे आगे-आगे यरदन में जा रहा है। 12 अब इसराएल के गोत्रों में से 12 आदमियों को चुनो, हर गोत्र में से एक आदमी।+ 13 पूरी धरती के मालिक यहोवा का संदूक उठानेवाले याजक जैसे ही यरदन में पैर रखेंगे, तो जो पानी बहकर नीचे आ रहा है, वह वहीं रुक जाएगा और दीवार* की तरह खड़ा हो जाएगा।”+

14 इसलिए जब लोगों ने यरदन पार करने के लिए अपना तंबू उठाया, तो करार का संदूक उठानेवाले याजक+ लोगों के आगे-आगे गए। 15 जैसे ही संदूक उठानेवाले याजक यरदन के किनारे पहुँचे और उनके पैर पानी में पड़े (कटनी के इस समय यरदन में इतना पानी भर जाता था कि वह तट के ऊपर बहने लगता था)+ 16 तो जो पानी बहकर नीचे आ रहा था, वह वहीं रुक गया। यह पानी दूर आदम नाम के शहर में (जो सारतान के पास था) दीवार* की तरह खड़ा हो गया, जबकि उससे आगे का पानी अराबा के सागर या लवण सागर* में बह गया। इस तरह नदी का बहना बंद हो गया और लोग नदी पार करके यरीहो के पास पहुँच गए। 17 जब सारे इसराएली नदी पार कर रहे थे, तब यहोवा के करार का संदूक उठानेवाले याजक नदी के बीचों-बीच सूखी ज़मीन पर खड़े थे।+ और वे तब तक खड़े रहे जब तक कि पूरे राष्ट्र ने यरदन को पार न कर लिया।+

4 जैसे ही पूरे राष्ट्र ने यरदन को पार किया, यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 “लोगों में से 12 आदमियों को बुला, हर गोत्र में से एक आदमी।+ 3 और उन्हें यह आज्ञा दे, ‘यरदन के बीचों-बीच जहाँ याजक खड़े हैं,+ वहाँ से 12 बड़े पत्थर उठाओ और उन्हें नदी के पार उस जगह ले जाकर खड़ा करो जहाँ आज तुम रात बिताओगे।’”+

4 तब यहोशू ने 12 आदमियों को बुलाया जिन्हें उसने इसराएलियों में से चुना था, हर गोत्र से एक आदमी। 5 उसने उनसे कहा, “तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के संदूक के आगे यरदन के बीच में जाओ। और इसराएल के हर गोत्र की गिनती के हिसाब से एक पत्थर अपने कंधे पर उठाकर ले जाओ। 6 ये पत्थर तुम्हें याद दिलाएँगे कि परमेश्‍वर ने तुम्हारे लिए क्या किया था। आगे चलकर जब तुम्हारे बेटे तुमसे पूछें, ‘ये पत्थर यहाँ क्यों हैं?’+ 7 तो उनसे कहना, ‘जब यहोवा के करार का संदूक यरदन के पार ले जाया गया, तो उसके आगे यरदन का पानी बहना बंद हो गया था।+ ये पत्थर यहाँ इसलिए खड़े किए गए हैं कि इसराएल के लोगों को हमेशा इस घटना की याद दिलाएँ।’”+

8 यहोशू ने जैसा कहा इसराएलियों ने वैसा ही किया। उन आदमियों ने इसराएल के हर गोत्र की गिनती के हिसाब से यरदन के बीच में से 12 पत्थर उठाए। वे उन्हें उस जगह ले आए जहाँ वे रात बितानेवाले थे और वहीं उन्हें खड़ा कर दिया, ठीक जैसे यहोवा ने यहोशू को हिदायत दी थी।

9 यहोशू ने यरदन के बीचों-बीच भी 12 पत्थर खड़े किए, जहाँ याजक करार का संदूक उठाए हुए थे।+ ये पत्थर आज तक वहीं पर हैं।

10 संदूक उठानेवाले याजक तब तक खड़े रहे जब तक लोगों ने वह सबकुछ नहीं कर लिया, जिसकी आज्ञा यहोवा ने यहोशू को दी थी और जिसके बारे में मूसा ने यहोशू से कहा था। इस दौरान लोग फुर्ती से नदी पार करते रहे। 11 जब सारे लोग नदी पार कर चुके, तो उनके देखते-देखते याजक भी यहोवा का संदूक उठाए यरदन के पार आ गए।+ 12 रूबेन और गाद के वंशज और मनश्‍शे के आधे गोत्र भी सैनिकों की तरह अलग-अलग दल बाँधकर बाकी इसराएलियों से पहले नदी के उस पार गए,+ ठीक जैसे मूसा ने उन्हें हिदायत दी थी।+ 13 युद्ध के लिए तैयार करीब 40,000 सैनिक यहोवा के सामने नदी पार कर यरीहो के वीराने में आए।

14 उस दिन यहोवा ने यहोशू को सभी इसराएलियों की नज़र में ऊँचा उठाया+ और उन्होंने यहोशू के जीवन-भर उसे गहरा आदर दिया,* जैसे उन्होंने मूसा को दिया था।+

15 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, 16 “गवाही का संदूक+ उठानेवाले याजकों को आज्ञा दे कि वे यरदन से निकलकर इस पार आ जाएँ।” 17 तब यहोशू ने याजकों को आज्ञा दी, “यरदन से निकलकर इस पार आ जाओ।” 18 यहोवा के करार का संदूक उठानेवाले याजक+ यरदन के बीच से किनारे आए। जैसे ही उन्होंने बाहर सूखी ज़मीन पर कदम रखा, यरदन का पानी फिर से उमड़ने लगा और तट के ऊपर बहने लगा।+

19 इस तरह पहले महीने के दसवें दिन लोगों ने यरदन को पार किया और यरीहो की पूर्वी सरहद के पास गिलगाल में अपना पड़ाव डाला।+

20 जो 12 पत्थर उन्होंने यरदन में से लिए थे, उन्हें यहोशू ने गिलगाल में खड़ा किया।+ 21 फिर उसने इसराएलियों से कहा, “भविष्य में जब कभी तुम्हारे बच्चे तुमसे पूछें, ‘ये पत्थर क्यों खड़े किए गए हैं?’+ 22 तो तुम उन्हें समझाना, ‘इसराएलियों ने यरदन की सूखी ज़मीन पर चलकर उसे पार किया था।+ 23 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमारे सामने उसका पानी सुखा दिया था ताकि हम उसे पार कर सकें, ठीक जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमारे सामने लाल सागर का पानी सुखा दिया था और सारे इसराएलियों ने उसे पार किया था।+ 24 उसने यह इसलिए किया ताकि धरती के सब लोग जान जाएँ कि यहोवा का हाथ कितना शक्‍तिशाली है+ और तुम भी हमेशा अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानो।’”

5 इस तरह यहोवा ने इसराएलियों के सामने यरदन का पानी सुखा दिया ताकि वे उसे पार कर सकें। जब पश्‍चिम में रहनेवाले एमोरियों+ के सभी राजाओं और समुंदर किनारे रहनेवाले कनानियों+ के सभी राजाओं ने यह सुना, तो इसराएलियों की वजह से उनके जी में जी न रहा+ और उनकी हिम्मत टूट गयी।+

2 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “चकमक पत्थर की तेज़ छुरियाँ बना और इसराएली आदमियों का खतना करवा।”*+ 3 यहोशू ने ऐसा ही किया। उसने चकमक पत्थर की तेज़ छुरियाँ बनायीं और गिबात-हाअरालोत* में इसराएली आदमियों का खतना करवाया।+ 4 यहोशू ने उनका खतना इस वजह से करवाया: मिस्र से निकले जितने भी आदमी युद्ध में लड़ने के काबिल थे,* सब-के-सब मिस्र से निकलने के बाद वीराने में सफर के दौरान ही मर गए।+ 5 मिस्र छोड़नेवाले सभी आदमियों का खतना हुआ था मगर वहाँ से निकलने के बाद जितने वीराने में पैदा हुए थे, उनमें से किसी का खतना नहीं हुआ था। 6 इसराएली 40 साल तक वीराने में भटकते फिरे+ और इस दौरान पूरा राष्ट्र यानी युद्ध में लड़ने के काबिल सभी आदमी, जो मिस्र से निकले थे और जिन्होंने यहोवा की बात नहीं मानी, मर गए।+ क्योंकि यहोवा ने शपथ खायी थी कि ये लोग वह देश कभी नहीं देख पाएँगे,+ जिसका वादा यहोवा ने उनके पुरखों से किया था+ कि वह अपने लोगों को* ऐसा देश देगा जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं।+ 7 उनकी जगह परमेश्‍वर उनके बेटों को उस देश में लाया।+ यहोशू ने इन्हीं लोगों का खतना करवाया क्योंकि वीराने में इनका खतना नहीं हुआ था।

8 इसराएल राष्ट्र के सब आदमियों ने खतना होने के बाद, छावनी में ही आराम किया जब तक कि वे ठीक न हो गए।

9 इसके बाद यहोवा ने यहोशू से कहा, “आज मैंने वह बदनामी दूर कर दी है जो मिस्र ने तुम्हारी की थी।” इसलिए उस जगह का नाम गिलगाल* पड़ा+ जो आज तक इसी नाम से जानी जाती है।

10 इसराएली गिलगाल में ही पड़ाव डाले रहे। वहाँ उन्होंने यरीहो के वीराने में, महीने के 14वें दिन शाम के वक्‍त फसह का त्योहार मनाया।+ 11 फसह के अगले दिन से वे ज़मीन की उपज खाने लगे। उस दिन उन्होंने बिन-खमीर की रोटी+ और भुना हुआ अनाज खाया। 12 जिस दिन इसराएलियों ने ज़मीन की उपज खायी, उसी दिन से उन्हें मन्‍ना मिलना बंद हो गया। इसके बाद उन्हें फिर कभी मन्‍ना नहीं मिला+ और वे उस साल से कनान देश की पैदावार खाने लगे।+

13 जब यहोशू यरीहो के पास था तो उसने नज़र उठाकर देखा कि सामने एक आदमी खड़ा है+ और उसके हाथ में एक तलवार है।+ यहोशू ने उसके पास जाकर उससे पूछा, “तू किसकी तरफ है, हमारी तरफ या दुश्‍मनों की?” 14 उसने यहोशू से कहा, “जैसा तू समझ रहा है वैसा नहीं है। मैं यहोवा की सेना का प्रधान* हूँ।”+ यह सुनते ही यहोशू ने मुँह के बल गिरकर उसे प्रणाम किया और उससे कहा, “अपने इस सेवक के लिए मेरे प्रभु की क्या आज्ञा है?” 15 यहोवा की सेना के प्रधान ने उससे कहा, “तू अपनी जूतियाँ उतार दे क्योंकि जिस जगह तू खड़ा है वह पवित्र है।” यहोशू ने तुरंत अपनी जूतियाँ उतार दीं।+

6 इसराएलियों की वजह से यरीहो के फाटक कसकर बंद कर दिए गए। न तो कोई शहर से बाहर जा सकता था न ही अंदर आ सकता था।+

2 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “देख! मैंने यरीहो को, उसके राजा और उसके बड़े-बड़े योद्धाओं को तेरे हाथ कर दिया है।+ 3 तू अपने सभी सैनिकों के साथ शहर के चारों ओर चक्कर काटना। हर दिन शहर का एक चक्कर लगाना और ऐसा छ: दिन तक करना। 4 सात याजकों से कहना कि वे हाथ में एक-एक नरसिंगा लिए संदूक के आगे-आगे चलें। मगर सातवें दिन शहर के सात चक्कर लगाना और याजक नरसिंगे फूँकें।+ 5 सातवाँ चक्कर पूरा होने पर जैसे ही नरसिंगे की आवाज़ सुनायी दे,* तू सभी लोगों के साथ ज़ोरदार आवाज़ में युद्ध का ऐलान करना। तब यरीहो की शहरपनाह गिर जाएगी+ और तुम सीधे शहर में घुसकर धावा बोल देना।”

6 तब नून के बेटे यहोशू ने याजकों को बुलाकर कहा, “तुम्हें करार का संदूक उठाना है और सात याजकों को हाथ में एक-एक नरसिंगा लिए यहोवा के संदूक के आगे-आगे चलना है।”+ 7 यहोशू ने लोगों से कहा, “तुम्हें आगे बढ़कर शहर के चारों ओर चक्कर लगाना है। हथियारबंद सैनिकों+ को यहोवा के संदूक के आगे रहना है।” 8 यहोशू ने जैसा कहा उन्होंने वैसा ही किया। सात याजक हाथ में एक-एक नरसिंगा लिए यहोवा के आगे-आगे चले और नरसिंगे फूँकने लगे। यहोवा के करार का संदूक उनके पीछे-पीछे आ रहा था। 9 हथियारबंद सैनिक, नरसिंगे फूँकनेवाले याजकों के आगे गए और संदूक के पीछे-पीछे सैनिकों का एक और दल हिफाज़त के लिए चला। इस बीच याजक नरसिंगे फूँकते रहे।

10 यहोशू ने लोगों को आज्ञा दी, “तुम चिल्लाना मत, तुम्हारे मुँह से कोई आवाज़ न निकले। जब तक मैं न कहूँ, खामोश रहना। जिस दिन मैं कहूँ ‘चिल्लाओ!’ उस दिन ज़ोर से चिल्लाना।” 11 यहोशू के कहने पर यहोवा का संदूक लेकर शहर के चारों ओर चक्कर लगाया गया। शहर का एक चक्कर काटने के बाद लोग वापस छावनी में आ गए और रात-भर वहीं रहे।

12 अगले दिन यहोशू सुबह-सुबह उठा और याजकों ने यहोवा का संदूक लिया+ 13 और सात याजक अपने-अपने नरसिंगे फूँकते हुए यहोवा के संदूक के आगे-आगे चलने लगे। उनके आगे हथियारबंद सैनिक चल रहे थे जबकि यहोवा के संदूक के पीछे-पीछे, सैनिकों का एक और दल हिफाज़त के लिए चल रहा था। इस दौरान याजक नरसिंगे फूँकते जा रहे थे। 14 दूसरे दिन भी उन्होंने शहर का एक चक्कर काटा और वापस छावनी में आ गए। छ: दिन तक उन्होंने ऐसा ही किया।+

15 सातवें दिन उजाला होते ही वे उठे और उन्होंने हर दिन की तरह शहर के चारों ओर चक्कर लगाया। मगर इस दिन उन्होंने शहर के सात चक्कर लगाए।+ 16 सातवाँ चक्कर पूरा होते ही याजकों ने नरसिंगे फूँके और यहोशू ने लोगों से कहा, “ज़ोर से चिल्लाओ!+ यहोवा ने यह शहर तुम्हें दे दिया है। 17 यह शहर और इसमें जो कुछ है उस पर यहोवा का अधिकार है और उसने इन्हें नाश के लायक ठहराया है।+ सिर्फ राहाब+ वेश्‍या और उसके साथ उसके घर में जो कोई है, उन्हें ज़िंदा छोड़ देना क्योंकि राहाब ने हमारे जासूसों को छिपाया था।+ 18 मगर नाश के लायक ठहरायी चीज़ों से तुम दूर रहना।+ कहीं ऐसा न हो कि तुम उनका लालच करने लगो और उनमें से कुछ ले लो।+ अगर तुमने ऐसा किया तो इसराएल की छावनी नाश के लायक ठहरेगी और हम पर आफत आ पड़ेगी।*+ 19 लेकिन सोना-चाँदी और ताँबे और लोहे की चीज़ें यहोवा के खज़ाने में दे देना।+ ये चीज़ें यहोवा की नज़र में पवित्र हैं।”+

20 जब नरसिंगे फूँके गए तब लोग ज़ोर से चिल्लाए।+ नरसिंगों की आवाज़ सुनकर उन्होंने ज़ोरदार आवाज़ में युद्ध का ऐलान किया और उसी वक्‍त यरीहो की शहरपनाह गिर गयी।+ वे सीधे शहर में घुस गए और उस पर कब्ज़ा कर लिया। 21 उन्होंने बूढ़े-जवान, आदमी-औरत, बैल, भेड़ और गधे, सबको तलवार से मार डाला।+

22 अब यहोशू ने उन दो आदमियों से, जो देश की जासूसी करने गए थे कहा, “उस वेश्‍या के घर जाओ और उसे और उसके घराने के सब लोगों को सही-सलामत बाहर ले आओ, जैसा तुमने उससे शपथ खायी थी।”+ 23 इस पर दोनों जवान आदमी राहाब के घर गए और वे राहाब, उसके माता-पिता, उसके भाइयों और जो कोई उसके साथ था, हाँ, उसके पूरे परिवार को ले आए।+ वे उन्हें सही-सलामत इसराएल की छावनी के बाहर एक महफूज़ जगह ले गए।

24 फिर उन्होंने यरीहो शहर और उसकी सारी चीज़ें जला डालीं। लेकिन सोना-चाँदी, ताँबे और लोहे की चीज़ें उन्होंने यहोवा के खज़ाने में दे दीं।+ 25 और यहोशू ने राहाब वेश्‍या, उसके पिता के घराने और जो कोई राहाब के साथ था, उन्हें ज़िंदा छोड़ दिया।+ राहाब आज भी इसराएल में रहती है+ क्योंकि उसने उन आदमियों को छिपाया था जिन्हें यहोशू ने यरीहो में जासूसी करने भेजा था।+

26 उस वक्‍त यहोशू ने यह शपथ खायी,* “जो आदमी यरीहो शहर को दोबारा खड़ा करने की कोशिश करेगा, उस पर यहोवा का शाप पड़ेगा। उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। अगर उसने इसकी नींव डाली तो उसका पहलौठा बेटा मर जाएगा। और अगर उसने इसके फाटक लगाए तो उसका सबसे छोटा बेटा मर जाएगा।”+

27 इस तरह यहोवा यहोशू के साथ रहा+ और धरती के कोने-कोने तक उसका नाम फैल गया।+

7 इसराएलियों ने नाश के लिए ठहरायी चीज़ों के बारे में परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़कर विश्‍वासघात किया। आकान+ ने उन चीज़ों में से कुछ चीज़ें ले ली थीं।+ इसलिए यहोवा का क्रोध इसराएलियों पर भड़क उठा।+ आकान यहूदा गोत्र से था, वह करमी का बेटा था, करमी जब्दी का और जब्दी जेरह का।

2 यहोशू ने यरीहो से कुछ आदमियों को ऐ नाम की जगह+ भेजा, जो बेतेल+ के पूरब में बेत-आवेन के पास थी। उसने उनसे कहा, “जाओ, जाकर उस जगह की जासूसी करो।” तब उन्होंने जाकर ऐ शहर की जासूसी की। 3 वापस आने पर उन्होंने यहोशू से कहा, “ऐ पर हमला बोलने के लिए हमारी पूरी सेना को जाने की ज़रूरत नहीं। उस इलाके में बहुत कम लोग रहते हैं, उन्हें हराने के लिए हमारे दो-तीन हज़ार सैनिक काफी होंगे। अच्छा होगा कि हम अपने सभी सैनिकों को वहाँ ले जाकर न थकाएँ।”

4 इसलिए करीब 3,000 इसराएली सैनिक वहाँ गए, लेकिन उन्हें ऐ के लोगों से हारकर भागना पड़ा।+ 5 ऐ के आदमियों ने शहर के फाटक से उनका पीछा करते हुए, उन्हें पहाड़ी के नीचे शबारीम* तक खदेड़ा। उन्होंने रास्ते में 36 इसराएली सैनिकों को मार गिराया। इससे इसराएलियों का दिल काँप उठा और उनकी हिम्मत टूट गयी।*

6 जब यहोशू ने इस बारे में सुना तो मारे दुख के उसने अपने कपड़े फाड़े और वह यहोवा के संदूक के सामने ज़मीन पर मुँह के बल गिर गया। यहोशू और इसराएल के मुखिया शाम तक इसी तरह शोक मनाते रहे और अपने सिर पर धूल डालते रहे। 7 यहोशू ने परमेश्‍वर से कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू क्यों हमें इतनी दूर यरदन के पार लाया? क्या सिर्फ इसलिए कि तू हमें एमोरियों के हवाले कर दे और वे हमें मार डालें? इससे तो अच्छा होता कि हम यरदन के उस पार* ही रह जाते! 8 माफ करना यहोवा, मगर जिस तरह इसराएलियों को अपने दुश्‍मनों के सामने से* भागना पड़ा, उसे देखकर मैं और क्या कहूँ? 9 जब कनानियों और देश के बाकी निवासियों को यह पता चलेगा, तो वे हम पर टूट पड़ेंगे और धरती से हमारा नामो-निशान मिटा डालेंगे। इससे तेरे महान नाम पर कितना बड़ा कलंक लगेगा!”+

10 यहोवा ने यहोशू से कहा, “उठ! तू क्यों इस तरह ज़मीन पर पड़ा शोक मना रहा है? 11 इसराएल ने पाप किया है। उन्होंने नाश के लायक ठहरायी चीज़ों+ में से कुछ चीज़ें चुरायी हैं+ और अपने सामान में छिपा ली हैं।+ उन्होंने मेरा करार तोड़ दिया+ जिसे मानने की मैंने आज्ञा दी थी। 12 इसलिए इसराएली अपने दुश्‍मनों के आगे टिक नहीं पाएँगे। वे उन्हें पीठ दिखाकर भाग जाएँगे क्योंकि अब वे नाश के लायक ठहराए गए हैं। मैं तब तक तुम्हारा साथ नहीं दूँगा, जब तक तुम अपने बीच में से उसे नहीं मिटा देते जो नाश के लायक ठहराया गया है।+ 13 अब उठ और लोगों को तैयार* कर।+ उनसे कहना, ‘कल के लिए तैयार हो जाओ क्योंकि इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने कहा है, “हे इसराएल के लोगो, तुम्हारे बीच कोई है जो नाश के लायक ठहराया गया है। जब तक तुम उसे अपने बीच से मिटा नहीं देते, तब तक तुम अपने दुश्‍मनों के आगे टिक नहीं पाओगे। 14 कल सुबह तुम सब अपने-अपने गोत्र के हिसाब से इकट्ठा होना। उन गोत्रों में से यहोवा जिस गोत्र को अलग करेगा वह आगे आए।+ फिर उस गोत्र में से यहोवा जिस घराने को अलग करेगा वह आगे आए। उस घराने में से जिस परिवार को यहोवा अलग करेगा वह आगे आए। और उस परिवार के सभी आदमी एक-एक करके आगे आएँ। 15 उनमें से जो आदमी नाश के लायक ठहरायी चीज़ लेने का दोषी पाया जाएगा, उसे और जो कुछ उसका है, सब खत्म कर दिया जाएगा और जला दिया जाएगा।+ क्योंकि उस आदमी ने यहोवा का करार तोड़ा है+ और इसराएल में शर्मनाक काम किया है।”’”

16 अगले दिन यहोशू सुबह-सुबह उठा और उसने सभी इसराएलियों को उनके गोत्रों के हिसाब से इकट्ठा किया। तब सब गोत्रों में से यहूदा गोत्र अलग किया गया। 17 यहोशू ने यहूदा के सभी घरानों को आगे आने के लिए कहा और उनमें से जेरह का घराना+ अलग किया गया। फिर उसने जेरह के घराने के सभी आदमियों को एक-एक करके आगे आने के लिए कहा और उनमें से जब्दी को अलग किया गया। 18 आखिर में उसने जब्दी के परिवार के सभी आदमियों को एक-एक करके आगे आने के लिए कहा। और आकान को अलग किया गया।+ यहूदा गोत्र का आकान करमी का बेटा था, करमी जब्दी का और जब्दी जेरह का। 19 तब यहोशू ने आकान से कहा, “मेरे बेटे, इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपना पाप कबूल कर और उसका आदर कर। सच-सच बता कि तूने क्या किया है। मुझसे कुछ मत छिपा।”

20 आकान ने यहोशू से कहा, “हाँ, मैं ही वह आदमी हूँ जिसने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के खिलाफ पाप किया है। 21 जब मैं लूट का माल इकट्ठा कर रहा था, तब मेरी नज़र शिनार+ की एक सुंदर और महँगी पोशाक पर पड़ी। मैंने 200 शेकेल* चाँदी और सोने की एक ईंट भी देखी जिसका वज़न 50 शेकेल था। मेरा मन ललचाने लगा और मैं उन्हें अपने तंबू में ले आया। तुझे वे चीज़ें मेरे तंबू में ज़मीन में गड़ी मिलेंगी और सोना-चाँदी सबसे नीचे रखा होगा।”

22 तब यहोशू ने फौरन अपने आदमियों को भेजा और वे भागकर आकान के तंबू में गए। पोशाक ज़मीन में गड़ी हुई मिली और सोना-चाँदी सबसे नीचे रखा हुआ था। 23 उन्होंने वे चीज़ें तंबू से लीं और उन्हें यहोशू और सारे इसराएलियों के पास ले आए और यहोवा के सामने रखा। 24 यहोशू और सारे इसराएली, जेरह के बेटे आकान+ को और उसकी चुरायी चाँदी, महँगी पोशाक, सोने की ईंट,+ साथ ही उसके बेटे-बेटियों, बैल, गधों और भेड़-बकरियों और उसके तंबू को और जो कुछ उसका था, सबकुछ लेकर आकोर घाटी+ में आए। 25 यहोशू ने आकान से कहा, “तू क्यों हम पर यह आफत* लाया?+ अब देख यहोवा तुझ पर आफत लाएगा।” इसके बाद सारे इसराएलियों ने उन्हें पत्थरों से मार डाला+ और आग में जला दिया।+ इस तरह उन्होंने पत्थरों से उन्हें मौत के घाट उतार दिया। 26 उन्होंने उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा दिया जो आज भी वहाँ है। तब यहोवा का क्रोध शांत हो गया।+ इस घटना की वजह से आज तक वह जगह आकोर* घाटी के नाम से जानी जाती है।

8 इसके बाद यहोवा ने यहोशू से कहा, “तू डरना मत और न ही खौफ खाना।+ अपने सभी सैनिकों को साथ लेकर ऐ पर चढ़ाई कर। देख, मैंने ऐ के राजा, उसके लोगों, उसके शहर और उसके सारे इलाके को तेरे हाथ में कर दिया है।+ 2 तू ऐ और उसके राजा का नाश कर देना, ठीक जैसे तूने यरीहो और उसके राजा का किया था।+ मगर वहाँ से मिलनेवाला लूट का माल और मवेशी अपने लिए रख लेना। ऐ पर हमला करने के लिए अपने सैनिकों को शहर के पीछे की तरफ घात में बिठाना।”

3 इस पर यहोशू और उसके सभी सैनिकों ने ऐ पर हमला करने की तैयारी की। यहोशू ने 30,000 वीर योद्धाओं को चुना और उन्हें रात को रवाना कर दिया। 4 उसने उन्हें आज्ञा दी, “तुम्हें शहर के पीछे की तरफ घात लगाकर बैठना है। शहर से ज़्यादा दूर मत जाना और हमला करने के लिए सब-के-सब तैयार रहना। 5 मैं अपने सब साथियों को लेकर सामने से शहर की तरफ बढ़ूँगा। जब शहर के लोग पिछली बार की तरह हमसे मुकाबला करने आएँगे,+ तो हम उन्हें पीठ दिखाकर भागने लगेंगे। 6 वे यह सोचकर हमारा पीछा करेंगे कि हम पिछली बार की तरह उनसे डरकर भाग रहे हैं।+ हम तब तक भागते रहेंगे जब तक कि हम उन्हें शहर से बहुत दूर न ले जाएँ। 7 तब तुम लोग जो घात लगाए बैठे होगे, उठकर शहर पर कब्ज़ा कर लेना। तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा उसे तुम्हारे हाथ में कर देगा। 8 शहर पर कब्ज़ा करते ही तुम उसमें आग लगा देना।+ यहोवा ने जैसा कहा है तुम वैसा ही करना। यह तुम्हारे लिए मेरा आदेश है।”

9 फिर यहोशू ने उन्हें उस जगह भेजा जहाँ उन्हें घात लगाए बैठना था। वे ऐ शहर के पश्‍चिम में यानी ऐ और बेतेल के बीच घात लगाकर बैठ गए। जबकि यहोशू सारी रात सैनिकों के साथ रहा।

10 यहोशू सुबह-सुबह उठा और उसने अपने सैनिकों को इकट्ठा किया। फिर यहोशू और इसराएल के मुखिया उनकी अगुवाई करते हुए उन्हें ऐ तक ले गए। 11 यहोशू के साथ जितने भी सैनिक थे,+ उनका पूरा दल शहर की तरफ गया और उन्होंने शहर के उत्तर में पड़ाव डाला। उनके और ऐ शहर के बीच सिर्फ एक घाटी थी। 12 इस बीच यहोशू ने 5,000 आदमियों को घात लगाने के लिए भेज दिया था।+ वे ऐ शहर के पश्‍चिम में यानी ऐ और बेतेल+ के बीच घात लगाकर बैठे थे। 13 इस तरह सैनिकों का बड़ा दल शहर के उत्तर में तैनात था+ जबकि घात में बैठे सैनिक शहर के पीछे की तरफ पश्‍चिम में थे।+ और यहोशू उस रात घाटी के बीच गया।

14 जब ऐ के राजा ने इसराएली सेना को देखा, तो वह सुबह-सुबह अपने आदमियों को लेकर उनसे लड़ने निकल पड़ा। वे उस जगह आए जहाँ सामने की तरफ वीराना था। मगर ऐ का राजा नहीं जानता था कि इसराएली सैनिक शहर के पीछे की तरफ भी घात लगाए बैठे हैं। 15 जब ऐ के आदमियों ने हमला बोला तो यहोशू और उसके सैनिक ऐसे भागने लगे मानो उनसे हारकर भाग रहे हों। वे वीराने की तरफ जानेवाले रास्ते पर भागने लगे।+ 16 उनका पीछा करने के लिए ऐ के सभी आदमियों को बुलाया गया। वे यहोशू और उसकी सेना का पीछा करते-करते शहर से दूर निकल गए। 17 ऐ और बेतेल में एक भी आदमी नहीं बचा, सब-के-सब इसराएलियों का पीछा करने चले गए। वे शहर को खुला छोड़ गए, उसकी रक्षा करने के लिए कोई नहीं रहा।

18 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, “तेरे पास जो बरछी है उसे ऐ की तरफ दिखा।+ मैं ऐ को तेरे हाथ में कर दूँगा।”+ तब यहोशू ने हाथ उठाकर वह बरछी शहर की तरफ दिखायी। 19 जैसे ही उसने अपना हाथ उठाया, घात में बैठे सैनिक उठ खड़े हुए और भागकर शहर में गए और उस पर कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने फौरन शहर में आग लगा दी।+

20 जब ऐ के आदमियों ने पीछे मुड़कर देखा तो उन्हें शहर से धुआँ उठता दिखायी दिया, जो आसमान तक पहुँच रहा था। तब वे किसी भी तरफ भाग न सके। जो इसराएली सैनिक वीराने की तरफ भाग रहे थे, वे पलटकर उन पर टूट पड़े। 21 इस तरह जब यहोशू और उसके साथवाले सैनिकों ने देखा कि घात लगानेवाले सैनिकों ने शहर पर कब्ज़ा कर लिया है और शहर से धुआँ उठ रहा है, तो उन्होंने पलटकर ऐ के आदमियों पर हमला बोल दिया। 22 उन्हें मारने के लिए दूसरे सैनिक भी शहर से बाहर आ गए। अब ऐ के आदमी बुरी तरह फँस गए, कुछ इसराएली सैनिक इस तरफ थे तो कुछ उस तरफ। उन्होंने ऐ के सभी आदमियों को मार डाला, एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा और न ही भागने दिया।+ 23 लेकिन वे ऐ के राजा को ज़िंदा पकड़कर यहोशू के पास ले आए।+

24 जब इसराएलियों ने ऐ के सभी लोगों को, जो वीराने में उनका पीछा कर रहे थे, तलवार से मार डाला और उनमें से एक को भी न छोड़ा, तब वे सब ऐ शहर की तरफ मुड़े। वे शहर में गए और वहाँ जितने लोग थे, उन्हें तलवार से मार डाला। 25 उस दिन ऐ के जितने आदमी-औरत मारे गए उनकी गिनती 12,000 थी। 26 यहोशू अपनी बरछी तब तक उठाए रहा+ जब तक कि ऐ के सभी लोगों का नाश नहीं कर दिया गया।+ 27 इसराएलियों ने लूट का सारा माल और सारे मवेशी अपने लिए ले लिए, ठीक जैसे यहोवा ने यहोशू को हिदायत दी थी।+

28 फिर यहोशू ने ऐ को जलाकर राख कर दिया और वह शहर हमेशा के लिए मलबे का ढेर बन गया+ और आज तक वह ऐसा ही है। 29 उसने ऐ के राजा को मारकर काठ* पर लटका दिया और उसे शाम तक वहीं रहने दिया। जब सूरज डूबनेवाला था तो यहोशू ने आज्ञा दी कि उसकी लाश काठ से उतार दी जाए।+ उन्होंने लाश शहर के फाटक के सामने फेंक दी और उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा दिया, जो आज तक वहाँ है।

30 इसके बाद यहोशू ने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के लिए एबाल पहाड़ पर एक वेदी बनायी,+ 31 ठीक जैसे यहोवा के सेवक मूसा ने इसराएलियों को आज्ञा दी थी और मूसा के कानून की किताब+ में भी लिखा था, “तुम ऐसे पत्थरों से एक वेदी बनाना, जिन पर लोहे का औज़ार न चलाया गया हो।”+ उस वेदी पर इसराएलियों ने यहोवा के लिए होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ायीं।+

32 फिर यहोशू ने वहाँ पत्थरों पर उस कानून को लिख दिया+ जो मूसा ने इसराएलियों के सामने लिखा था।+ 33 सभी इसराएली, उनके मुखिया, उनके अधिकारी और न्यायी दो समूहों में बँटकर लेवी याजकों की तरफ मुँह करके खड़े हुए जो यहोवा के करार का संदूक लिए हुए थे। उस भीड़ में पैदाइशी इसराएलियों के साथ परदेसी भी थे।+ एक समूह गरिज्जीम पहाड़ के सामने खड़ा था और दूसरा एबाल पहाड़ के सामने,+ (ठीक जैसे यहोवा के सेवक मूसा ने आज्ञा दी थी)+ ताकि इसराएल के लोगों को आशीर्वाद दिया जाए। 34 इसके बाद यहोशू ने कानून की किताब में बतायी सारी आशीष+ और शाप+ पढ़कर सुनाए।+ 35 यहोशू ने वे सारी बातें इसराएल की पूरी मंडली के सामने पढ़कर सुनायीं, ठीक जैसे मूसा ने उसे आज्ञा दी थी।+ एक भी ऐसी बात नहीं थी जो उसने न सुनायी हो। इसराएलियों की उस मंडली में औरतें, बच्चे और उनके बीच रहनेवाले परदेसी भी थे।+

9 यह खबर हित्तियों, एमोरियों, कनानियों, परिज्जियों, हिव्वियों और यबूसियों+ के राजाओं ने सुनी, जो यरदन के पश्‍चिम के पहाड़ी प्रदेशों पर,+ शफेलाह और महासागर*+ के सारे तटवर्ती इलाकों पर और लबानोन के सामनेवाले इलाकों पर राज करते थे। 2 तब उन सबने यहोशू और इसराएलियों से लड़ने के लिए आपस में संधि की।+

3 गिबोन के लोगों+ ने भी सुना कि यहोशू ने यरीहो और ऐ का क्या हाल किया है।+ 4 तब गिबोनियों ने होशियारी से काम लिया। उन्होंने फटी-पुरानी बोरियों में खाने की कुछ चीज़ें डालीं और बोरियों को अपने गधों पर लाद दिया। उन्होंने कुछ पुरानी, मरम्मत की हुई मशकें लीं, 5 घिसी हुई जूतियाँ पहनीं जिन पर पैवंद लगे हुए थे और फटे-पुराने कपड़े पहने। उन्होंने जितनी भी रोटियाँ लीं, वे सब सूखी और भुरभुरी थीं। 6 फिर वे गिलगाल आए जहाँ इसराएली छावनी डाले हुए थे+ और यहोशू और इसराएली आदमियों से कहने लगे, “हम दूर देश से आए हैं। हम चाहते हैं कि तुम लोग हमारे साथ शांति का करार करो।” 7 मगर इसराएलियों ने उन हिव्वी लोगों+ से कहा, “हम तुम्हारे साथ करार कैसे कर लें?+ क्या पता तुम यहीं आस-पास से आए हो!” 8 उन्होंने यहोशू से कहा, “तू हमें अपना दास बना ले।”

यहोशू ने उनसे पूछा, “तुम लोग कौन हो और कहाँ से आए हो?” 9 उन्होंने कहा, “तेरे ये दास एक दूर देश के रहनेवाले हैं।+ हम इसलिए आए हैं क्योंकि हमने तेरे परमेश्‍वर यहोवा के नाम के बारे में सुना है। हमने यह भी सुना है कि वह कितना महान है और उसने मिस्र में कैसे बड़े-बड़े काम किए।+ 10 और यरदन के उस पार* एमोरियों के दोनों राजाओं का क्या हाल किया, कैसे उसने हेशबोन के राजा सीहोन और बाशान के राजा ओग का नाश किया,+ जो अश्‍तारोत में रहता था। 11 इसलिए हमारे मुखियाओं और देश के सभी लोगों ने हमसे कहा, ‘तुम सफर के लिए खाने का सामान बाँधो और जाकर इसराएलियों से मिलो। तुम उनसे कहना, “हम तुम्हारे दास बनने को तैयार हैं।+ मेहरबानी करके हमारे साथ शांति का करार करो।”’+ 12 देख, ये रोटियाँ हमने घर से निकलते वक्‍त ली थीं। तब ये गरम और ताज़ी थीं मगर अब सूखकर भुरभुरी हो गयी हैं।+ 13 ये मशकें नयी थीं जब हमने इन्हें भरा था, लेकिन अब ये फट गयी हैं।+ हमारे कपड़े और जूतियाँ भी फट गयी हैं क्योंकि हम बहुत लंबा सफर करके आए हैं।”

14 तब इसराएली आदमियों ने उनकी खाने-पीने की चीज़ों को गौर से देखा। मगर इस बारे में उन्होंने यहोवा से कुछ नहीं पूछा।+ 15 यहोशू ने उनके साथ शांति का करार किया+ और उनसे वादा किया कि वह उनका नाश नहीं करेगा। इसराएल की मंडली के प्रधानों ने भी यही शपथ खायी।+

16 तीन दिन बाद इसराएलियों को पता चला कि वे किसी दूर देश से नहीं बल्कि पास के इलाके से हैं। 17 तब इसराएली उनके शहर गिबोन,+ कपीरा, बएरोत और किरयत-यारीम+ के लिए रवाना हुए और तीसरे दिन वहाँ पहुँचे। 18 मगर इसराएलियों ने उन पर हमला नहीं किया क्योंकि उनकी मंडली के प्रधानों ने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की शपथ खाकर उनसे वादा किया था+ कि वे उनका नाश नहीं करेंगे। तब पूरी मंडली अपने प्रधानों पर कुड़कुड़ाने लगी। 19 इस पर प्रधानों ने इसराएलियों की मंडली से कहा, “हमने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की शपथ खायी है इसलिए हम उनका नाश नहीं कर सकते। 20 हम उन्हें छोड़ देंगे। अगर हमने अपनी शपथ तोड़ दी, तो परमेश्‍वर का क्रोध हम पर भड़क उठेगा।”+ 21 और जैसा प्रधानों ने गिबोनियों से वादा किया था, उन्होंने यह भी कहा, “हम उन्हें ज़िंदा छोड़ देंगे, मगर अब से वे पूरी मंडली के लिए लकड़ियाँ बीनेंगे और पानी भरेंगे।”

22 यहोशू ने गिबोनियों को बुलाया और उनसे कहा, “तुमने हमारे साथ यह चाल क्यों चली? तुमने क्यों कहा कि हम दूर देश से आए हैं जबकि तुम यहीं पास में रहते हो?+ 23 अब से तुम शापित हो+ और तुम हमेशा के लिए दास बने रहोगे और मेरे परमेश्‍वर के भवन के लिए लकड़ियाँ बीनोगे और पानी भरोगे।” 24 गिबोनियों ने यहोशू से कहा, “मालिक, हमने सुना था कि तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने अपने सेवक मूसा को आज्ञा दी थी कि वह यहाँ के सभी निवासियों को मिटाकर पूरा इलाका तुम लोगों को दे दे।+ हमें मालूम था कि तुम हमें भी जान से मार दोगे। हम बहुत डर गए थे+ इसीलिए हमने यह सब किया।+ 25 अब हम तेरे रहमो-करम पर हैं। तुझे जो सही लगे वह कर।” 26 यहोशू ने वैसा ही किया। उसने उन्हें इसराएलियों के हाथ से छुड़ाया और इसराएलियों ने उन्हें नहीं मारा। 27 लेकिन उस दिन यहोशू ने उनसे कहा कि अब से वे इसराएलियों की मंडली के लिए और यहोवा की ठहरायी जगह+ पर उसकी वेदी के लिए लकड़ियाँ बीनेंगे और पानी भरेंगे।+ आज तक वे लोग यही काम करते हैं।+

10 यरूशलेम के राजा अदोनी-सेदेक ने सुना कि यहोशू ने ऐ पर कब्ज़ा करके उसका नाश कर दिया है। और ऐ और उसके राजा का वही हश्र किया है+ जो उसने यरीहो और उसके राजा का किया था।+ उसने यह भी सुना कि गिबोन के लोगों ने इसराएलियों के साथ शांति का करार किया है+ और उनके बीच रहने लगे हैं। 2 यह सब सुनकर अदोनी-सेदेक की रातों की नींद उड़ गयी+ क्योंकि गिबोन भी उन शहरों जितना बड़ा और शक्‍तिशाली था, जिन पर राजा राज करते थे। गिबोन शहर, ऐ से भी ज़्यादा ताकतवर था+ और उसके सभी आदमी वीर योद्धा थे। 3 इसलिए यरूशलेम के राजा अदोनी-सेदेक ने हेब्रोन+ के राजा होहाम, यरमूत के राजा पिराम, लाकीश के राजा यापी और एगलोन के राजा+ दबीर को यह संदेश भेजा, 4 “मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। गिबोनियों ने यहोशू और इसराएलियों के साथ शांति का करार कर लिया है,+ इसलिए आओ हम उन पर हमला बोल दें।” 5 तब यरूशलेम, हेब्रोन, यरमूत, लाकीश और एगलोन के राजा अपनी-अपनी सेनाओं के साथ इकट्ठा हुए। पाँचों एमोरी+ राजा निकल पड़े और उन्होंने गिबोन से लड़ने के लिए छावनी डाली।

6 तब गिबोन के आदमियों ने यहोशू को, जो गिलगाल में डेरा डाले हुए था,+ यह संदेश भेजा, “हमें बचा ले! पहाड़ी प्रदेश के सभी एमोरी राजा हमसे युद्ध करने के लिए इकट्ठा हो गए हैं। जल्दी आकर हमारी रक्षा कर, अपने दासों को बेसहारा मत छोड़।”*+ 7 तब यहोशू अपने सभी सैनिकों और वीर योद्धाओं को साथ लेकर गिलगाल से रवाना हो गया।+

8 यहोवा ने यहोशू से कहा, “उनसे मत डर+ क्योंकि मैंने उनको तेरे हाथ कर दिया है।+ उनमें से कोई भी तेरे सामने नहीं टिक पाएगा।”+ 9 यहोशू ने गिलगाल से रात-भर का सफर तय किया और अचानक दुश्‍मनों पर हमला बोल दिया। 10 यहोवा ने इसराएलियों के सामने उनके बीच खलबली मचा दी+ और इसराएलियों ने गिबोन में भारी तादाद में दुश्‍मनों को मार डाला। वे ऊपर बेत-होरोन की चढ़ाई पर उनका पीछा करते गए और उन्हें अजेका और मक्केदा तक मारते गए। 11 जब एमोरी, इसराएलियों से जान बचाकर बेत-होरोन से नीचे की तरफ भागने लगे, तो यहोवा ने आसमान से उन पर बड़े-बड़े ओले बरसाए। बेत-होरोन से अजेका तक उन पर ओले बरसते गए और वे मर गए। इसराएलियों ने तलवार से जितनों को मारा था उससे कहीं ज़्यादा लोग ओलों से मारे गए।

12 जिस दिन यहोवा ने इसराएलियों के सामने एमोरियों को हराया, उस दिन यहोशू ने यहोवा से कहा और इसराएलियों के सामने पुकारा,

“हे सूरज, गिबोन पर थम जा,+

हे चाँद, अय्यालोन घाटी पर ठहर जा।”

13 इसलिए सूरज और चाँद थम गए और तब तक ठहरे रहे जब तक कि इसराएलियों ने अपने दुश्‍मनों को हरा न दिया। क्या यह बात याशार की किताब+ में नहीं लिखी है कि सूरज आसमान के बीचों-बीच थम गया था और पूरे एक दिन तक नहीं डूबा? 14 न तो इससे पहले, न ही इसके बाद ऐसा कोई दिन आया, जब यहोवा ने एक इंसान की बात सुनकर ऐसा किया हो।+ क्योंकि यहोवा, इसराएल की तरफ से लड़ रहा था।+

15 फिर यहोशू सभी इसराएलियों के साथ गिलगाल में अपनी छावनी में लौट आया।+

16 इस बीच एमोरियों के पाँचों राजा भाग गए और जाकर मक्केदा+ में एक गुफा में छिप गए। 17 यहोशू को खबर दी गयी कि वे पाँचों राजा मक्केदा+ की एक गुफा में छिपे हुए हैं। 18 तब यहोशू ने कहा, “गुफा का मुँह बड़े-बड़े पत्थरों से बंद कर दो और कुछ आदमियों को पहरे पर बिठाओ। 19 बाकी सैनिक दुश्‍मनों का पीछा करें और पीछे से उन पर हमला करके उन्हें मार डालें।+ उन्हें अपने शहरों में घुसने का मौका मत दो। तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने उन्हें तुम्हारे हाथ में कर दिया है।”

20 यहोशू और इसराएलियों ने इतनी भारी तादाद में एमोरी सैनिकों को मारा कि उनकी सेना लगभग मिट गयी। बस चंद आदमी ज़िंदा बचे और वे मज़बूत गढ़वाले शहरों में भाग गए। 21 इसके बाद सभी इसराएली सही-सलामत यहोशू के पास मक्केदा की छावनी में लौट आए। किसी ने भी इसराएलियों के खिलाफ कुछ बोलने की जुर्रत नहीं की।* 22 फिर यहोशू ने आज्ञा दी, “गुफा के मुँह से पत्थर हटाओ और उन पाँचों राजाओं को बाहर मेरे पास लाओ।” 23 उन्होंने ऐसा ही किया। वे यरूशलेम, हेब्रोन, यरमूत, लाकीश और एगलोन के राजा+ को गुफा से निकालकर यहोशू के पास ले आए। 24 जब ये राजा यहोशू के पास लाए गए, तो उसने इसराएल के सभी आदमियों को बुलवाया और उन सेनापतियों से जो उसके साथ युद्ध में गए थे कहा, “तुम सब आगे बढ़ो और इन राजाओं की गरदन पर अपना पाँव रखो।” वे आगे आए और उन्होंने राजाओं की गरदन पर अपने पाँव रखे।+ 25 फिर यहोशू ने उनसे कहा, “तुम डरना मत और न ही खौफ खाना।+ हिम्मत से काम लेना और हौसला रखना। क्योंकि यहोवा तुम्हारे सभी दुश्‍मनों को जिनसे तुम युद्ध करोगे, इसी तरह तुम्हारे अधीन कर देगा।”+

26 इसके बाद यहोशू ने उन राजाओं को मार डाला और उन्हें पाँच काठों* पर लटका दिया। उन सबकी लाशें शाम तक काठों पर ही रहीं। 27 सूरज डूबने पर यहोशू ने आदेश दिया कि उनकी लाशें काठों से उतार दो+ और उसी गुफा में फेंक दो जहाँ वे छिपे हुए थे। उनकी लाशें गुफा में फेंक दी गयीं और उसका मुँह बड़े-बड़े पत्थरों से बंद कर दिया गया। ये पत्थर आज भी वहीं हैं।

28 उसी दिन यहोशू ने मक्केदा पर भी कब्ज़ा कर लिया+ और तलवार से उसके राजा और उसके सभी लोगों को पूरी तरह खत्म कर दिया, किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा।+ उसने मक्केदा के राजा का वही हश्र किया+ जो उसने यरीहो के राजा का किया था।

29 फिर यहोशू सब इसराएलियों के साथ मक्केदा से लिब्ना की तरफ बढ़ा और उन्होंने लिब्ना से युद्ध किया।+ 30 यहोवा ने लिब्ना और उसके राजा+ को भी उनके हाथ कर दिया। उन्होंने लिब्ना के सभी लोगों को तलवार से मार डाला, किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा। उन्होंने लिब्ना के राजा का वही हश्र किया जो उन्होंने यरीहो के राजा का किया था।+

31 लिब्ना के बाद यहोशू सब इसराएलियों को लेकर लाकीश+ की तरफ बढ़ा और उन्होंने वहाँ छावनी डाली और लाकीश से युद्ध किया। 32 यहोवा ने लाकीश को इसराएल के हाथ कर दिया और अगले दिन उन्होंने उस पर कब्ज़ा कर लिया। उन्होंने लाकीश के सभी लोगों को तलवार से मार डाला,+ ठीक जैसे उन्होंने लिब्ना के लोगों को मार डाला था।

33 गेजेर का राजा+ होराम, लाकीश की मदद करने आया था मगर यहोशू ने होराम और उसके लोगों को मार डाला, किसी को भी नहीं छोड़ा।

34 फिर यहोशू सब इसराएलियों के साथ लाकीश से एगलोन+ की तरफ बढ़ा। उन्होंने वहाँ छावनी डाली और एगलोन से युद्ध किया। 35 उस दिन उन्होंने एगलोन पर कब्ज़ा कर लिया और उसके सब लोगों को तलवार से खत्म कर दिया, ठीक जैसे उन्होंने लाकीश के लोगों को खत्म किया था।+

36 फिर यहोशू सब इसराएलियों के साथ एगलोन से हेब्रोन+ की तरफ बढ़ा और उन्होंने हेब्रोन से युद्ध किया। 37 उन्होंने हेब्रोन पर कब्ज़ा कर लिया और उस शहर के राजा को, वहाँ के सभी लोगों और उसके आस-पास के नगरों के लोगों को तलवार से मार डाला, किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा। यहोशू ने हेब्रोन और उसके सभी लोगों को पूरी तरह मिटा दिया, ठीक जैसे उसने एगलोन को मिटाया था।

38 आखिर में यहोशू सब इसराएलियों के साथ दबीर+ की तरफ बढ़ा और उन्होंने दबीर से युद्ध किया। 39 यहोशू ने दबीर पर कब्ज़ा कर लिया और वहाँ के राजा, उसके लोगों और आस-पास के नगरों के लोगों को तलवार से पूरी तरह खत्म कर दिया,+ किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा।+ उसने दबीर और उसके राजा का वही हश्र किया जो उसने हेब्रोन और लिब्ना का और उनके राजाओं का किया था।

40 इस तरह यहोशू ने पूरे देश को यानी पहाड़ी प्रदेश, नेगेब, शफेलाह+ और ढलानों को और उनके राजाओं को जीत लिया और वहाँ किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा। उसने एक-एक को मार डाला,+ ठीक जैसा इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने आज्ञा दी थी।+ 41 यहोशू ने कादेश-बरने+ से लेकर गाज़ा+ तक का इलाका, गोशेन+ का पूरा इलाका और गिबोन+ तक का इलाका अपने कब्ज़े में कर लिया। 42 यहोशू ने वहाँ के सभी राजाओं को एक-एक करके हरा दिया और उनका देश ले लिया क्योंकि इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा उनकी तरफ से लड़ रहा था।+ 43 फिर यहोशू सभी इसराएलियों के साथ गिलगाल में अपनी छावनी में लौट आया।+

11 जब हासोर के राजा याबीन ने यह खबर सुनी तो उसने फौरन मादोन के राजा+ योबाब को, शिमरोन और अक्षाप के राजाओं+ को 2 और जो-जो राजा उत्तर के पहाड़ी प्रदेश में, किन्‍नेरेत के दक्षिणी मैदानी इलाकों* में, शफेलाह और पश्‍चिम में दोर+ की पहाड़ियों पर रहते थे, उन सबको संदेश भेजा। 3 उसने पूरब-पश्‍चिम दोनों तरफ के कनानियों+ को, पहाड़ों में रहनेवाले एमोरियों,+ हित्तियों, परिज्जियों, यबूसियों को और मिसपा में हेरमोन पहाड़+ के नीचे रहनेवाले हिव्वियों+ को भी संदेश भेजा। 4 तब वे सब अपनी-अपनी सेना लेकर निकल पड़े। उनकी गिनती इतनी थी कि वे समुंदर किनारे की बालू के किनकों जितने लग रहे थे। वे अपने साथ बेहिसाब घोड़े और युद्ध-रथ लाए। 5 इन सभी राजाओं ने साथ मिलकर इसराएल से युद्ध करने का फैसला किया और उन्होंने मेरोम के सोते के पास छावनी डाली।

6 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “तू उनसे मत डरना+ क्योंकि कल इस समय तक मैं उन सबको इसराएल के हाथ कर दूँगा और तुम उनको मार डालोगे। तुम उनके घोड़ों की घुटनस काट देना+ और उनके रथों को आग में जला देना।” 7 फिर यहोशू अपने सभी सैनिकों को साथ लेकर गया और उसने मेरोम के सोते के पास दुश्‍मनों पर अचानक हमला बोल दिया। 8 यहोवा ने उन्हें इसराएल के हाथ कर दिया+ और इसराएलियों ने उन्हें हरा दिया। वे महानगर सीदोन+ और मिस्रपोत-मैम+ तक और पूरब में मिसपे घाटी तक उन्हें मारते गए और एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा।+ 9 यहोशू ने वही किया जो यहोवा ने उसे बताया था, उसने दुश्‍मनों के घोड़ों की घुटनस काट दी और रथों को आग में जला दिया।+

10 इतना ही नहीं, यहोशू ने हासोर जाकर उस पर कब्ज़ा कर लिया और वहाँ के राजा को तलवार से मार डाला+ क्योंकि अब तक हासोर वहाँ के सभी राज्यों का मुख्य शहर था। 11 इसराएलियों ने हासोर के सभी लोगों को तलवार से मारकर उनका पूरी तरह नाश कर दिया,+ एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा।+ इसके बाद, यहोशू ने हासोर को जला डाला। 12 यहोशू ने उन सभी राजाओं के शहरों पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें हराकर तलवार से मार डाला।+ उसने उन सबका नाश कर दिया,+ ठीक जैसे यहोवा के सेवक मूसा ने आज्ञा दी थी। 13 मगर इसराएलियों ने उन शहरों को नहीं जलाया जो टीलों पर बसे थे। सिर्फ हासोर ही ऐसा शहर था जिसे यहोशू ने जला दिया था। 14 इसराएली उन शहरों से लूट का सारा माल और सारे मवेशी अपने लिए ले गए।+ मगर वहाँ के सभी इंसानों को उन्होंने तलवार से मार डाला,+ एक को भी ज़िंदा नहीं छोड़ा।+ 15 यहोवा ने अपने सेवक मूसा को जो-जो आज्ञा दी थी वह सब मूसा ने यहोशू को बतायी थी+ और यहोशू ने ठीक वैसा ही किया। उसने ऐसा कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ा जिसकी आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी।+

16 यहोशू ने ये सारे इलाके जीत लिए: यहूदा का पहाड़ी प्रदेश, पूरा नेगेब,+ पूरा गोशेन प्रदेश, शफेलाह,+ अराबा,+ इसराएल का पहाड़ी प्रदेश और उसका निचला हिस्सा। 17 उसने सेईर के पास हालाक पहाड़ से लेकर ऊपर तक का वह सारा इलाका जीत लिया, जो दूर हेरमोन पहाड़+ के नीचे लबानोन घाटी में बालगाद+ तक फैला है। उसने वहाँ के सभी राजाओं को हरा दिया और उन्हें मार डाला। 18 उन सभी राजाओं से युद्ध करते-करते यहोशू को काफी समय लगा। 19 गिबोन शहर के हिव्वियों को छोड़ किसी और शहर के लोगों ने इसराएलियों के साथ शांति का करार नहीं किया।+ उन शहरों को इसराएलियों ने युद्ध करके जीत लिया।+ 20 यहोवा ने उन लोगों का दिल कठोर होने दिया,+ जिस वजह से उन्होंने इसराएल से युद्ध किया और परमेश्‍वर ने उन सबका पूरी तरह नाश कर दिया, उन पर कोई रहम नहीं किया।+ जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी, उन सबका नाश किया जाना था।+

21 उस समय यहोशू ने पहाड़ी प्रदेश, हेब्रोन, दबीर, अनाब और यहूदा और इसराएल के पहाड़ी प्रदेशों से अनाकियों का सफाया कर दिया।+ यहोशू ने उन्हें और उनके शहरों को पूरी तरह नाश कर दिया।+ 22 इसके बाद इसराएलियों के देश में एक भी अनाकी नहीं बचा। सिर्फ गाज़ा,+ गत+ और अशदोद+ में कुछ अनाकी रह गए।+ 23 इस तरह यहोशू ने यह सारा देश अपने कब्ज़े में कर लिया, ठीक जैसे यहोवा ने मूसा से वादा किया था।+ फिर यहोशू ने यह देश इसराएलियों को दिया ताकि सभी गोत्रों को अपना-अपना हिस्सा मिले और यह उनकी विरासत ठहरे।+ इसके बाद युद्ध खत्म हो गया और देश में शांति बनी रही।+

12 इसराएलियों ने यरदन के पूरब में अरनोन घाटी+ से लेकर ऊपर हेरमोन पहाड़+ तक और पूरब में फैले पूरे अराबा को अपने अधिकार में कर लिया। उन्होंने उस देश के जिन राजाओं को हराया उनमें से एक था,+ 2 एमोरियों का राजा सीहोन+ जो हेशबोन में रहता था। वह अरोएर+ से राज करता था जो अरनोन घाटी+ के किनारे बसा था। अरनोन घाटी के बीच से लेकर यब्बोक घाटी तक का पूरा इलाका और गिलाद का आधा भाग उसके राज में आता था। यब्बोक घाटी अम्मोनियों के इलाके की भी सरहद थी। 3 वह पूरब में अराबा के इलाके पर भी राज करता था, जो किन्‍नेरेत झील*+ से लेकर अराबा के सागर यानी लवण सागर* तक फैला था और पूरब में बेत-यशिमोत और दक्षिण में पिसगा की ढलानों के नीचे तक था।+

4 इसराएलियों ने जिस दूसरे राजा के इलाके पर अधिकार किया, वह था बाशान का राजा ओग।+ वह बचे हुए रपाई लोगों में से था+ और अश्‍तारोत और एदरेई में रहता था। 5 उसका राज हेरमोन पहाड़ के इलाके, सलका और पूरे बाशान+ तक फैला था, जहाँ से गशूरियों और माकातियों+ का इलाका शुरू होता था। वह हेशबोन के राजा सीहोन+ के इलाके की सीमा तक, गिलाद के आधे भाग पर भी राज करता था।

6 इन राजाओं को यहोवा के सेवक मूसा और इसराएलियों ने हराया था,+ जिसके बाद यहोवा के सेवक मूसा ने उनका इलाका रूबेनियों और गादियों को और मनश्‍शे के आधे गोत्र को दे दिया।+

7 यहोशू और इसराएलियों ने यरदन के पश्‍चिम में रहनेवाले राजाओं को हराया और इसके बाद यहोशू ने उनका पूरा इलाका इसराएल के गोत्रों में बाँट दिया, हर गोत्र को अपना-अपना हिस्सा दिया गया।+ यह इलाका लबानोन+ घाटी में बालगाद+ से लेकर सेईर+ के पास हालाक पहाड़+ तक फैला था। 8 इसमें पहाड़ी प्रदेश, शफेलाह, अराबा, ढलानें, वीराना और नेगेब आता था,+ जिनमें हित्ती, एमोरी,+ कनानी, परिज्जी, हिव्वी और यबूसी रहते थे।+ जिन राजाओं को हराया गया वे थे:

 9 यरीहो का राजा;+

बेतेल के पास ऐ का राजा;+

10 यरूशलेम का राजा;

हेब्रोन का राजा;+

11 यरमूत का राजा;

लाकीश का राजा;

12 एगलोन का राजा;

गेजेर का राजा;+

13 दबीर+ का राजा;

गदेर का राजा;

14 होरमा का राजा;

अराद का राजा;

15 लिब्ना+ का राजा;

अदुल्लाम का राजा;

16 मक्केदा का राजा;+

बेतेल+ का राजा;

17 तप्पूह का राजा;

हेपेर का राजा;

18 अपेक का राजा;

लश्‍शारोन का राजा;

19 मादोन का राजा;

हासोर का राजा;+

20 शिमरोन-मरोन का राजा;

अक्षाप का राजा;

21 तानाक का राजा;

मगिद्दो का राजा;

22 केदेश का राजा;

करमेल में योकनाम+ का राजा;

23 दोर की पहाड़ियों पर दोर का राजा;+

गिलगाल में गोयीम का राजा

24 और तिरसा का राजा। कुल मिलाकर 31 राजा।

13 अब यहोशू बहुत बूढ़ा हो गया था, उसकी उम्र ढल चुकी थी।+ यहोवा ने उससे कहा, “तू बूढ़ा हो गया है और तेरी उम्र ढल चुकी है। लेकिन अब भी इस देश के कई इलाकों पर कब्ज़ा करना* बाकी है। 2 जो इलाके रह गए हैं, वे ये हैं:+ पलिश्‍तियों और गशूरियों+ का सारा इलाका 3 (जो मिस्र के पूरब में* नील नदी की धारा* से लेकर उत्तर में एक्रोन की सीमा तक फैला है। इसे कनानी इलाका माना जाता था)।+ इसमें गाज़ा, अशदोद,+ अश्‍कलोन,+ गत+ और एक्रोन+ में रहनेवालों के इलाके भी आते हैं, जिन पर पलिश्‍तियों के पाँच सरदारों+ का राज है। अव्वी लोगों+ का इलाका 4 जो दक्षिण में पड़ता है, कनानियों का सारा इलाका, और माराह जो सीदोनियों+ के इलाके में आता है और दूर अपेक तक का इलाका जो एमोरियों की सरहद के पास है, 5 गबाली लोगों+ का इलाका और पूरब की तरफ लबानोन का सारा इलाका जो हेरमोन पहाड़ के नीचे बालगाद से लेकर लेबो-हमात+ तक है 6 और लबानोन+ से लेकर मिस्रपोत-मैम+ में रहनेवाले पहाड़ी प्रदेश के लोगों का और सीदोनियों+ का सारा इलाका। मैं यहाँ रहनेवाले सब लोगों को इसराएलियों के सामने से खदेड़ दूँगा।+ तू बस इस देश को इसराएलियों में बाँट देना, जैसा मैंने तुझे आज्ञा दी थी ताकि यह उनकी विरासत ठहरे।+ 7 इसलिए अब तू नौ गोत्रों और मनश्‍शे के आधे गोत्र को उनके हिस्से की ज़मीन बाँट दे।”+

8 बाकी आधे गोत्र ने और रूबेनियों और गादियों ने विरासत की वह ज़मीन ली जो मूसा ने उन्हें यरदन के पूरब में दी थी। यहोवा के सेवक मूसा ने उन्हें ये इलाके दिए थे:+ 9 अरनोन घाटी+ के किनारे अरोएर+ और घाटी के बीच के शहर से लेकर दीबोन तक फैला मेदबा का पठारी इलाका 10 और अम्मोनियों की सीमा तक वे सारे शहर जो हेशबोन में रहनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन के इलाके में आते थे।+ 11 इसके अलावा गिलाद, गशूरी और माकाती लोगों का इलाका,+ हेरमोन पहाड़ और सलका तक+ पूरे बाशान का इलाका।+ 12 और बाशान के राजा ओग का सारा इलाका, जो अश्‍तारोत और एदरेई में राज करता था। (वह बचे हुए रपाई लोगों में से था।)+ मूसा ने उन राजाओं को हराया और उन्हें उनके इलाकों से खदेड़ दिया।+ 13 मगर इसराएलियों ने गशूरी और माकाती लोगों को नहीं खदेड़ा।+ और वे आज तक इसराएलियों के बीच रहते हैं।

14 उसने सिर्फ लेवी गोत्र को विरासत की कोई ज़मीन नहीं दी।+ क्योंकि उसने वादा किया था कि जो चढ़ावा इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा को आग में अर्पित किया जाता है, वही उनकी विरासत होगा।+

15 मूसा ने रूबेन गोत्र के सारे घरानों को उनके हिस्से की ज़मीन दी ताकि यह उनकी विरासत ठहरे। 16 उन्हें ये इलाके मिले: अरनोन घाटी के किनारे अरोएर शहर, साथ ही वह शहर जो घाटी के बीच में है, मेदबा का सारा पठारी इलाका, 17 हेशबोन और पठारी इलाके में आनेवाले सारे नगर,+ दीबोन, बामोत-बाल, बेत-बालमोन,+ 18 यहस,+ कदेमोत,+ मेपात,+ 19 किरयातैम, सिबमा,+ सेरेथ-शहर जो घाटी के पास पहाड़ पर है, 20 बेतपोर, पिसगा की ढलानें,+ बेत-यशिमोत,+ 21 साथ ही पठारी इलाके के सारे शहर और वह सारा इलाका* जो हेशबोन+ से राज करनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन के राज में आता था। मूसा ने सीहोन को और मिद्यानी प्रधान एवी, रेकेम, सूर, हूर और रेबा को हराया,+ जो सीहोन के अधीन राज करते थे और उसी इलाके में रहते थे। 22 इसराएलियों ने ज्योतिषी बिलाम+ को जो बओर का बेटा था, बाकी लोगों के साथ तलवार से मार डाला। 23 रूबेनियों का इलाका यरदन तक था और यह इलाका और इसके सभी शहर और बस्तियाँ रूबेन गोत्र के सारे घरानों की विरासत थीं।

24 मूसा ने गाद गोत्र के सारे घरानों को भी उनके हिस्से की ज़मीन दी ताकि यह उनकी विरासत ठहरे। 25 उन्हें ये इलाके मिले: याजेर+ और गिलाद के सारे शहर और अरोएर तक अम्मोनियों का आधा इलाका,+ जो रब्बाह+ के सामने पड़ता था। 26 और हेशबोन+ से लेकर रामत-मिस्पे और बतोनीम तक, महनैम+ से लेकर दबीर की सीमा तक 27 और घाटी में बेत-हारम, बेत-निमराह,+ सुक्कोत+ और सापोन का इलाका और हेशबोन के राजा सीहोन+ के राज्य का बचा हुआ इलाका। यह इलाका किन्‍नेरेत झील*+ के दक्षिणी हिस्से तक यरदन के पूरब में था जिसकी सीमा यरदन थी। 28 इस इलाके के सभी शहर और बस्तियाँ गाद गोत्र के सारे घरानों की विरासत थीं।

29 फिर मूसा ने मनश्‍शे के आधे गोत्र के घरानों को उनके हिस्से की ज़मीन दी ताकि यह उनकी विरासत ठहरे।+ 30 उनका इलाका महनैम+ से लेकर पूरे बाशान यानी बाशान के राजा ओग के पूरे इलाके तक फैला था। उन्हें बाशान में याईर के सब कसबे,+ 60 नगर दिए गए। 31 गिलाद का आधा इलाका और बाशान के राजा ओग के शहर अश्‍तारोत और एदरेई,+ यह सब मनश्‍शे के बेटे माकीर के बेटों+ को यानी माकीर के आधे घराने को दिए गए।

32 यह वह ज़मीन है जो मूसा ने इसराएलियों को दी थी ताकि यह उनकी विरासत ठहरे। उसने ये इलाके उन्हें तब दिए थे, जब वे यरीहो के पूरब में यरदन के उस पार मोआब के बंजर इलाके में थे।+

33 मगर मूसा ने लेवी गोत्र को विरासत की कोई ज़मीन नहीं दी।+ क्योंकि इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा उनकी विरासत है जैसा परमेश्‍वर ने उनसे वादा किया था।+

14 अब याजक एलिआज़र, नून के बेटे यहोशू और इसराएल गोत्र के कुलों के मुखियाओं ने इसराएलियों को कनान देश में उनके हिस्से की ज़मीन दी ताकि यह उनकी विरासत बन जाए।+ 2 यह ज़मीन चिट्ठियाँ डालकर साढ़े नौ गोत्रों में बाँट दी गयी,+ ठीक जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।+ 3 मूसा ने बाकी ढाई गोत्रों को यरदन के उस पार* उनके हिस्से की ज़मीन दे दी थी,+ मगर उसने लेवियों को गोत्रों के बीच विरासत की कोई ज़मीन नहीं दी।+ 4 यूसुफ के वंशजों को दो गोत्र माना जाता था,+ एक मनश्‍शे और दूसरा एप्रैम।+ लेवियों को ज़मीन का कोई हिस्सा नहीं दिया गया, सिर्फ रहने के लिए शहर दिए गए+ और उनके मवेशियों के लिए चरागाह दिए गए।+ 5 इस तरह इसराएलियों ने ज़मीन को अलग-अलग हिस्सों में बाँटा जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।

6 फिर यहूदा के आदमी गिलगाल में यहोशू के पास आए+ और कनिज्जी यपुन्‍ने के बेटे कालेब+ ने यहोशू से कहा, “तू अच्छी तरह जानता है कि यहोवा ने कादेश-बरने+ में सच्चे परमेश्‍वर के सेवक मूसा+ से तेरे और मेरे बारे में क्या कहा था।+ 7 मैं 40 साल का था जब यहोवा के सेवक मूसा ने मुझे कादेश-बरने से इस देश की जासूसी करने भेजा+ और मैंने लौटकर देश के बारे में सही-सही खबर दी।+ 8 हालाँकि मेरे साथ गए भाइयों ने अपनी खबर से लोगों के दिलों में खौफ बिठा दिया और उनके हौसले पस्त कर दिए, मगर मैंने पूरे दिल से अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानी।+ 9 उस वक्‍त मूसा ने मुझसे शपथ खाकर कहा था, ‘जिस ज़मीन पर तूने कदम रखा है, वह तेरे और तेरे बेटों के लिए हमेशा की विरासत बन जाएगी क्योंकि तूने पूरे दिल से मेरे परमेश्‍वर यहोवा की बात मानी।’+ 10 जब इसराएली वीराने में भटक रहे थे+ तब से लेकर आज तक, इन 45 सालों में यहोवा ने मुझे सँभाले रखा,+ ठीक जैसे यहोवा ने मेरे बारे में मूसा से वादा किया था।+ देख, अब मैं 85 साल का हो चला हूँ। 11 आज भी मुझमें वही दमखम है जो उस वक्‍त था जब मूसा ने मुझे भेजा था। अब भी मुझमें इतनी ताकत है कि मैं युद्ध कर सकता हूँ और कई दूसरे काम कर सकता हूँ। 12 इसलिए मुझे वह पहाड़ी प्रदेश दे दे जिसे देने का वादा यहोवा ने मुझसे उस दिन किया था। हालाँकि उस दिन तूने सुना था कि अनाकी लोग वहाँ किलेबंद शहरों में रहते हैं,+ मगर यहोवा मेरे साथ है+ और मैं उन्हें खदेड़ दूँगा, जैसा यहोवा ने वादा किया था।”+

13 तब यहोशू ने यपुन्‍ने के बेटे कालेब को आशीर्वाद दिया और उसे हेब्रोन दिया ताकि यह उसकी विरासत ठहरे।+ 14 इसलिए हेब्रोन आज तक कनिज्जी यपुन्‍ने के बेटे कालेब की विरासत है क्योंकि उसने पूरे दिल से इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की बात मानी।+ 15 हेब्रोन का नाम पहले किरयत-अरबा था+ (अरबा, अनाकी लोगों में बहुत बड़ा आदमी था)। इसके बाद युद्ध खत्म हो गया और देश में शांति बनी रही।+

15 यहूदा गोत्र के घरानों को चिट्ठियाँ डालकर जो ज़मीन दी गयी थी+ वह एदोम+ की सरहद, सिन वीराने और नेगेब के दक्षिणी कोने तक फैली हुई थी। 2 दक्षिण में उनकी सरहद लवण सागर* के छोर से यानी इसकी दक्षिणी खाड़ी से शुरू होती थी।+ 3 और आगे दक्षिण में अकराबीम की चढ़ाई+ से होकर सिन तक जाती थी। फिर कादेश-बरने के दक्षिण+ से यह सरहद उत्तर की तरफ मुड़ती थी और हेसरोन से होकर अद्दार तक जाती थी और करका की तरफ मुड़ती थी। 4 आगे यह सरहद असमोन+ से लेकर मिस्र घाटी*+ तक जाती थी और सागर* पर खत्म होती थी। यह उनकी दक्षिणी सरहद थी।

5 यरदन के मुहाने से लेकर पूरा लवण सागर* यहूदा के इलाके की पूर्वी सीमा था। उत्तर में उनकी सरहद सागर की खाड़ी से शुरू होती थी, जहाँ यरदन नदी, सागर से मिलती थी।+ 6 यहाँ से उनकी सरहद बेत-होग्ला+ से होते हुए बेत-अराबा+ के उत्तर में जाती थी और बोहन के पत्थर पर पहुँचती थी।+ बोहन, रूबेन का वंशज था। 7 यह सरहद आकोर घाटी+ में दबीर तक जाती थी और वहाँ से उत्तर में गिलगाल+ की तरफ मुड़ती थी। गिलगाल, अदुम्मीम की चढ़ाई के सामने है और अदुम्मीम, घाटी के दक्षिण में पड़ता है। यहाँ से उनकी सरहद एन-शेमेश+ के सोते से एन-रोगेल+ तक जाती थी। 8 फिर ‘हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी’+ से होते हुए यबूसी+ शहर यानी यरूशलेम+ की दक्षिणी ढलान तक पहुँचती थी। वहाँ से यह सरहद उस पहाड़ की चोटी तक जाती थी, जो हिन्‍नोम घाटी के पश्‍चिम में और रपाई घाटी के उत्तरी छोर पर था। 9 फिर यह सरहद पहाड़ की चोटी से उतरते हुए नेप्तोह के सोते+ पर निकलती थी और आगे एप्रोन पहाड़ पर बसे शहरों तक जाती थी और फिर बाला पर पहुँचती थी, जिसे किरयत-यारीम भी कहा जाता है।+ 10 बाला से यह सरहद मुड़कर पश्‍चिम की तरफ सेईर पहाड़ तक जाती थी और वहाँ से यारीम पहाड़ की उत्तरी ढलान पर पहुँचती थी, जिसे कसालोन कहते हैं। फिर यह नीचे बेत-शेमेश+ को जाती थी और वहाँ से तिमना+ पर पहुँचती थी। 11 यह सरहद एक्रोन+ की उत्तरी ढलान को छूते हुए शिक्करोन पर और बाला पहाड़ से होते हुए यब्नेल पर निकलती थी और सागर पर खत्म होती थी।

12 महासागर* और उसका तट यहूदा के इलाके की पश्‍चिमी सीमा था।+ यहूदा के वंशजों के घराने को मिले इलाके की यही सरहद थी।

13 यहोशू ने यपुन्‍ने के बेटे कालेब+ को यहूदा के वंशजों के इलाके में किरयत-अरबा (अरबा, अनाक का पिता था) यानी हेब्रोन दिया,+ जैसा यहोवा ने यहोशू को आज्ञा दी थी। 14 कालेब ने वहाँ से अनाक के तीन बेटों को खदेड़ा+ जिनके नाम थे शेशै, अहीमन और तल्मै।+ इन्हीं से अनाकी लोग निकले थे। 15 इसके बाद कालेब दबीर के लोगों से लड़ने गया।+ (दबीर पहले किरयत-सेपर कहलाता था।) 16 कालेब ने कहा, “जो आदमी किरयत-सेपर पर हमला करके उसे जीत लेगा, उसकी शादी मैं अपनी बेटी अकसा से करवाऊँगा।” 17 ओत्नीएल+ ने किरयत-सेपर को जीत लिया। वह कालेब के भाई कनज का बेटा था+ और कालेब ने अपनी बेटी अकसा+ की शादी उससे करवा दी। 18 जब अकसा घर जा रही थी तो वह अपने पति से बार-बार कहने लगी कि मेरे पिता से ज़मीन का एक टुकड़ा माँग। फिर वह गधे से उतरी* और कालेब ने उससे पूछा, “तू क्या चाहती है?”+ 19 अकसा ने कहा, “तेरी यह बेटी तुझसे एक आशीर्वाद चाहती है। मुझे गुल्लोत-मइम* का इलाका दे दे क्योंकि मुझे दक्षिण* में ज़मीन का जो टुकड़ा मिला है वह सूखा है।” इसलिए कालेब ने उसे ऊपरी गुल्लोत और निचला गुल्लोत दिया।

20 यह यहूदा गोत्र के सभी घरानों की विरासत थी।

21 यहूदा गोत्र के दक्षिणी छोर पर और एदोम की सरहद+ की तरफ ये शहर थे: कबसेल, एदेर, यागूर, 22 कीना, दीमोना, अदादा, 23 केदेश, हासोर, यित्नान, 24 ज़ीफ, तेलेम, बालोत, 25 हासोर-हदत्ता, करियोत-हेसरोन यानी हासोर, 26 अमाम, शमा, मोलादा,+ 27 हसर-गद्दा, हेशमोन, बेत-पालेत,+ 28 हसर-शूआल, बेरशेबा,+ बिजयोत्या, 29 बाला, इय्यीम, एसेम, 30 एलतोलद, कसील, होरमा,+ 31 सिकलग,+ मदमन्‍ना, सनसन्‍ना, 32 लबाओत, शिलहीम, ऐन और रिम्मोन।+ कुल मिलाकर 29 शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

33 शफेलाह+ में उनके ये शहर थे: एशताओल, सोरा,+ अशना, 34 जानोह, एन-गन्‍नीम, तप्पूह, एनाम, 35 यरमूत, अदुल्लाम,+ सोकोह, अजेका,+ 36 शारैम,+ अदीतैम और गदेरा और गदेरोतैम,* 14 शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

37 सनान, हदाशा, मिगदल-गाद, 38 दिलान, मिसपे, योकतेल, 39 लाकीश,+ बोसकत, एगलोन, 40 कब्बोन, लहमाम, कितलीश, 41 गदेरोत, बेत-दागोन, नामा और मक्केदा,+ 16 शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

42 लिब्ना,+ एतेर, आशान,+ 43 यिफ्ताह, अशना, नसिब, 44 कीला, अकजीब और मारेशाह, नौ शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

45 एक्रोन और उसके आस-पास के नगर और बस्तियाँ। 46 एक्रोन के पश्‍चिम में अशदोद के आस-पास का सारा इलाका और वहाँ की बस्तियाँ।

47 अशदोद+ और उसके आस-पास के नगर और बस्तियाँ, गाज़ा+ और उसके आस-पास के नगर और बस्तियाँ जो मिस्र घाटी तक फैली हुई थीं और महासागर* और उसके तट का इलाका।+

48 पहाड़ी प्रदेश में ये शहर थे: शामीर, यत्तीर,+ सोकोह, 49 दन्‍ना, किरयत-सन्‍ना यानी दबीर, 50 अनाब, एश्‍तमो,+ आनीम, 51 गोशेन,+ होलोन और गीलो,+ 11 शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

52 अरब, दूमा, एशान, 53 यानीम, बेत-तप्पूह, अपेका, 54 हुमता, किरयत-अरबा यानी हेब्रोन+ और सीओर, नौ शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

55 माओन,+ करमेल, ज़ीफ,+ युत्ता, 56 यिजरेल, योकदाम, जानोह, 57 केन, गिबा और तिमना,+ दस शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

58 हलहूल, बेत-सूर, गदोर, 59 मरात, बेतनोत और एलतेकोन, छ: शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

60 किरयत-बाल यानी किरयत-यारीम+ और रब्बाह, दो शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

61 वीराने में उनके ये शहर थे: बेत-अराबा,+ मिद्दीन, सकाका, 62 निबशान, लवण शहर और एनगदी,+ छ: शहर और इसके अलावा उनकी बस्तियाँ।

63 मगर यरूशलेम में रहनेवाले यबूसियों+ को यहूदा के लोग नहीं खदेड़ पाए।+ इसलिए यबूसी आज तक उनके बीच यरूशलेम में रहते हैं।

16 यूसुफ के वंशजों को चिट्ठियाँ डालकर ज़मीन का जो हिस्सा दिया गया,+ उसकी सरहद यरीहो के पास यरदन से शुरू होती थी और उन सोतों तक जाती थी जो यरीहो के पूरब में पड़ते थे। फिर यह सरहद यरीहो के सामने वीराने से होते हुए बेतेल के पहाड़ी प्रदेश तक पहुँचती थी।+ 2 फिर लूज के पास बेतेल से होते हुए यह अतारोत तक जाती थी, जो एरेकी लोगों की सीमा है। 3 वहाँ से यह सरहद पश्‍चिम की तरफ यपलेती लोगों की सीमा से उतरकर निचले बेत-होरोन की सीमा+ और गेजेर+ तक जाती थी और सागर पर खत्म होती थी।

4 इस तरह यूसुफ के वंशजों,+ मनश्‍शे और एप्रैम गोत्रों ने अपने-अपने हिस्से की ज़मीन ली।+ 5 एप्रैम के वंशजों के सभी घरानों को विरासत में जो ज़मीन दी गयी, उसकी सरहद यह थी: पूरब में अतारोत-अद्दार+ से होते हुए ऊपरी बेत-होरोन+ तक 6 और वहाँ से आगे सागर तक। उत्तर में मिकमतात+ से यह सीमा पूरब की तरफ तानत-शीलो तक जाती थी और यानोह से होकर गुज़रती थी। 7 फिर यह सीमा यानोह से नीचे उतरकर अतारोत और नारा से होते हुए यरीहो+ और यरदन तक पहुँचती थी। 8 तप्पूह+ से यह सरहद पश्‍चिम की तरफ कानाह घाटी से होते हुए सागर पर खत्म होती थी।+ यह इलाका एप्रैम गोत्र के सभी घरानों की विरासत था। 9 एप्रैम के वंशजों को मनश्‍शे के इलाके में वे शहर और बस्तियाँ भी मिलीं, जो उनके लिए अलग की गयी थीं।+

10 लेकिन एप्रैमियों ने गेजेर में रहनेवाले कनानियों को नहीं खदेड़ा।+ इसलिए आज तक कनानी उनके बीच रहते हैं+ और उनके अधीन रहकर जबरन मज़दूरी करते हैं।+

17 फिर मनश्‍शे+ गोत्र को चिट्ठियाँ डालकर ज़मीन दी गयी+ क्योंकि मनश्‍शे, यूसुफ का पहलौठा था।+ माकीर,+ मनश्‍शे का पहलौठा बेटा और गिलाद का पिता था। वह एक वीर योद्धा था इसलिए उसे गिलाद और बाशान का इलाका मिला।+ 2 मनश्‍शे के बाकी वंशजों के अलग-अलग घरानों को भी चिट्ठियाँ डालकर ज़मीन दी गयी। ये वंशज थे: अबीएजेर के बेटे,+ हेलेक के बेटे, असरीएल के बेटे, शेकेम के बेटे, हेपेर के बेटे और शमीदा के बेटे। ये यूसुफ के बेटे मनश्‍शे के वंश से आए अलग-अलग घराने के आदमी थे।+ 3 मनश्‍शे का बेटा माकीर था, माकीर का गिलाद, गिलाद का हेपेर और हेपेर का बेटा सलोफाद+ था। सलोफाद के कोई बेटा नहीं था सिर्फ बेटियाँ थीं, जिनके नाम थे महला, नोआ, होग्ला, मिलका और तिरसा। 4 इसलिए उन्होंने याजक एलिआज़र, नून के बेटे यहोशू और प्रधानों के पास आकर कहा,+ “यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी कि हमारे पिता के भाइयों के साथ हमें भी विरासत की ज़मीन दी जाए।”+ यहोवा के आदेश पर सलोफाद की बेटियों को अपने पिता के भाइयों के साथ विरासत की ज़मीन दी गयी।+

5 यरदन के पूरब में गिलाद और बाशान+ के अलावा, मनश्‍शे गोत्र को यरदन के इस पार* भी ज़मीन के दस हिस्से मिले। 6 इसलिए मनश्‍शे गोत्र में बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी विरासत मिली। मनश्‍शे के बाकी वंशजों को गिलाद का इलाका दिया गया।

7 मनश्‍शे गोत्र की सरहद आशेर से लेकर मिकमतात तक थी+ जो शेकेम+ के सामने पड़ता था। फिर यह सरहद दक्षिण की तरफ एन-तप्पूह के लोगों के इलाके तक जाती थी। 8 तप्पूह+ का इलाका मनश्‍शे को मिला मगर तप्पूह शहर जो मनश्‍शे की सरहद पर था, एप्रैम के वंशजों के हिस्से में आया। 9 फिर मनश्‍शे की सरहद नीचे कानाह घाटी के दक्षिण की तरफ जाती थी और उसके उत्तर से होते हुए सागर पर खत्म होती थी।+ मनश्‍शे के इलाके में एप्रैम के भी शहर थे।+ 10 सरहद का दक्षिणी इलाका एप्रैम का था और उत्तरी इलाका मनश्‍शे का। मनश्‍शे के इलाके की एक सरहद सागर थी।+ उनकी* उत्तरी सरहद आशेर के इलाके तक और पूर्वी सरहद इस्साकार के इलाके तक थी।

11 इस्साकार और आशेर के इलाकों में मनश्‍शे को ये शहर और उनके लोग दिए गए: बेत-शआन, यिबलाम,+ दोर,+ एन्दोर,+ तानाक+ और मगिद्दो। इन शहरों के साथ-साथ उनके आस-पास के नगर भी उन्हें दिए गए। इनमें से तीन शहर पहाड़ी इलाके में बसे थे।

12 लेकिन मनश्‍शे के वंशज इन शहरों पर कब्ज़ा नहीं कर पाए क्योंकि कनानी लोग इस इलाके को नहीं छोड़ रहे थे।+ 13 फिर जब इसराएली ताकतवर हो गए, तो वे कनानियों से जबरन मज़दूरी करवाने लगे।+ मगर उन्होंने कनानियों को पूरी तरह नहीं खदेड़ा।+

14 यूसुफ के वंशजों ने यहोशू से कहा, “हम गिनती में बहुत हैं क्योंकि यहोवा की आशीष हम पर रही है।+ इतना बड़ा गोत्र होने पर भी हमें* एक ही हिस्सा* क्यों मिला?”+ 15 यहोशू ने उनसे कहा, “अगर तुम गिनती में इतने ज़्यादा हो कि एप्रैम का पहाड़ी प्रदेश+ तुम्हारे लिए कम पड़ रहा है, तो जाओ, परिज्जी+ और रपाई लोगों+ के जंगलों को काटकर वहाँ का इलाका ले लो।” 16 तब यूसुफ के वंशजों ने कहा, “तूने सच कहा, यह पहाड़ी प्रदेश हमारे लिए काफी नहीं। मगर घाटी में रहनेवाले कनानी जो बेत-शआन+ और उसके आस-पास के नगरों में और यिजरेल घाटी+ में रहते हैं, उन सबके पास ऐसे युद्ध-रथ+ हैं जिनके पहियों में तलवारें लगी हुई हैं।”* 17 तब यहोशू ने यूसुफ के घराने, एप्रैम और मनश्‍शे से कहा, “तुम गिनती में बहुत हो और तुम शक्‍तिशाली भी हो। तुम्हें ज़मीन का सिर्फ एक हिस्सा नहीं मिलेगा+ 18 बल्कि पूरा पहाड़ी प्रदेश तुम्हारा हो जाएगा।+ हालाँकि यह इलाका जंगल है मगर तुम इसे काटकर रहने की जगह बनाओगे और यह इलाका तुम्हारी सरहद ठहरेगा। तुम यहाँ से कनानियों को ज़रूर खदेड़ दोगे, फिर चाहे वे कितने ही ताकतवर क्यों न हों और उनके पास ऐसे युद्ध-रथ क्यों न हों जिनके पहियों में तलवारें लगी हुई हैं।”*+

18 इसराएलियों की पूरी मंडली शीलो में इकट्ठा हुई+ और उन्होंने वहाँ पर भेंट का तंबू खड़ा किया।+ उस समय तक कनान देश उनके अधीन हो चुका था।+ 2 लेकिन अभी-भी सात गोत्रों को विरासत की ज़मीन नहीं दी गयी थी। 3 इसलिए यहोशू ने इसराएलियों से कहा, “यह देश जो तुम्हारे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, तुम कब तक इस पर पूरी तरह कब्ज़ा करने में ढिलाई करोगे?+ 4 हर गोत्र में से मेरे लिए तीन आदमी चुनो। वे पूरे देश का दौरा करें और इलाके की पूरी जानकारी इकट्ठा करें ताकि इसे हर गोत्र में बाँटा जा सके। इसके बाद वे मेरे पास आएँ। 5 वे देश को सात हिस्सों में बाँट दें।+ यहूदा का गोत्र दक्षिण में अपने इलाके में ही रहेगा+ और यूसुफ का घराना उत्तर में अपने इलाके में।+ 6 इसलिए जाओ देश का दौरा करके उसे सात हिस्सों में बाँटो और उसका नक्शा मेरे पास लाओ। मैं हमारे परमेश्‍वर यहोवा के सामने चिट्ठियाँ डालूँगा+ कि कौन-सा हिस्सा किसे मिलना चाहिए। 7 लेकिन लेवियों को तुम्हारे बीच कोई हिस्सा नहीं दिया जाएगा।+ क्योंकि मंदिर में यहोवा की सेवा करना* ही उनकी विरासत है।+ गाद, रूबेन और मनश्‍शे के आधे गोत्र+ को यहोवा के सेवक मूसा ने यरदन के पूरब में उनके हिस्से की ज़मीन पहले ही दे दी थी।”

8 तब उन आदमियों ने जाने की तैयारी की। यहोशू ने उन्हें आज्ञा दी, “पूरे देश का दौरा करो और इलाके की पूरी जानकारी लेकर आओ। फिर मैं शीलो में यहोवा के सामने तुम लोगों के लिए चिट्ठियाँ डालूँगा।”+ 9 तब वे आदमी निकल पड़े। उन्होंने पूरे देश का दौरा किया और दस्तावेज़ में लिखा कि वहाँ कौन-कौन-से शहर हैं। उन्होंने देश को सात हिस्सों में बाँटा। इसके बाद वे शीलो की छावनी में यहोशू के पास लौट आए। 10 तब यहोशू ने शीलो में यहोवा के सामने इसराएलियों के लिए चिट्ठियाँ डालीं+ और उन्हें उनके हिस्से की ज़मीन बाँटी।+

11 पहली चिट्ठी बिन्यामीन गोत्र के नाम निकली। उनके घरानों को जो इलाका दिया गया, वह यहूदा+ और यूसुफ के इलाकों के बीच पड़ता था।+ 12 उनकी उत्तरी सरहद यरदन से शुरू होती थी और यरीहो+ की उत्तरी ढलान से होते हुए पश्‍चिम की तरफ ऊपर पहाड़ पर निकलती थी। फिर बेत-आवेन+ के पास वीराने को जाती थी। 13 वहाँ से यह सरहद बढ़ती हुई लूज यानी बेतेल+ की दक्षिणी ढलान तक पहुँचती थी। फिर पहाड़ पर बसे अतारोत-अद्दार+ तक जाती थी, जो निचले बेत-होरोन+ के दक्षिण में पड़ता था। 14 बेत-होरोन के सामने के पहाड़ से यह सरहद दक्षिण की तरफ मुड़ती थी और किरयत-बाल यानी किरयत-यारीम+ पर खत्म होती थी, जो यहूदा का शहर था। यह बिन्यामीन गोत्र की पश्‍चिमी सरहद थी।

15 दक्षिण में उनकी सरहद किरयत-यारीम के छोर से शुरू होकर पश्‍चिम की तरफ जाती थी। यह नेप्तोह के सोते+ पर भी जाती थी। 16 फिर यह सरहद रपाई+ घाटी के उत्तरी छोर पर पहाड़ के नीचे तक जाती थी। इस पहाड़ के सामने ‘हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी’+ थी। पहाड़ से यह सरहद हिन्‍नोम घाटी में उतरती थी और यबूसी+ शहर की दक्षिणी ढलान से होकर नीचे एन-रोगेल+ तक जाती थी। 17 वहाँ से यह उत्तर की तरफ एन-शेमेश को जाती थी और गलीलोत पर निकलती थी जो अदुम्मीम की चढ़ाई के सामने था।+ यह सरहद बोहन के पत्थर+ पर पहुँचती थी। बोहन, रूबेन का वंशज था। 18 फिर यह सरहद अराबा के सामने उत्तरी ढलान से होते हुए नीचे अराबा की ओर जाती थी। 19 वहाँ से यह बेत-होग्ला+ की उत्तरी ढलान से आगे बढ़ते हुए लवण सागर* की उत्तरी खाड़ी और यरदन के दक्षिणी मुहाने पर खत्म होती थी।+ यह उनकी दक्षिणी सरहद थी। 20 उनकी पूर्वी सरहद यरदन थी। यह बिन्यामीन के वंशजों के घराने का इलाका और उसके चारों तरफ की सरहद थी। यही इलाका उनकी विरासत ठहरा।

21 बिन्यामीन गोत्र के घरानों को ये शहर मिले: यरीहो, बेत-होग्ला, एमेक-कसीस, 22 बेत-अराबा,+ समारैम, बेतेल,+ 23 अव्वीम, पारा, ओप्रा, 24 कपर-अम्मोनी, ओप्नी और गेबा,+ 12 शहर और उनकी बस्तियाँ।

25 गिबोन,+ रामाह, बएरोत, 26 मिसपे, कपीरा, मोसाह, 27 रेकेम, यिरपेल, तरला, 28 सेला,+ एलेप, यबूसी शहर यानी यरूशलेम,+ गिबा+ और किरयत, 14 शहर और उनकी बस्तियाँ।

यह बिन्यामीन के वंशजों के सारे घरानों की विरासत थी।

19 फिर दूसरी चिट्ठी+ शिमोन गोत्र+ के घरानों के नाम निकली और उन्हें यहूदा के इलाके में ही विरासत की ज़मीन दी गयी।+ 2 उनके हिस्से में ये जगह आयीं: शीबा के साथ बेरशेबा,+ मोलादा,+ 3 हसर-शूआल,+ बालाह, एसेम,+ 4 एलतोलद,+ बतूल, होरमा, 5 सिकलग,+ बेत-मरकाबोत, हसर-सूसा, 6 बेत-लबाओत+ और शारूहेन, 13 शहर और उनकी बस्तियाँ; 7 ऐन, रिम्मोन, एतेर और आशान,+ चार शहर और उनकी बस्तियाँ; 8 इन शहरों के आस-पास और बालात-बेर या दक्षिण के रामाह तक जितनी भी बस्तियाँ थीं, उन्हें मिलीं। यह शिमोन गोत्र के सारे घरानों की विरासत थी। 9 उन्हें यह विरासत यहूदा के हिस्से से दी गयी थी। क्योंकि यहूदा का इलाका उसके लोगों के लिए बहुत बड़ा था। इस तरह शिमोन के वंशजों को यहूदा के इलाके में ही ज़मीन मिली।+

10 तीसरी चिट्ठी+ जबूलून के वंशजों+ के घरानों के नाम निकली। उनकी सरहद सारीद तक थी। 11 उनकी सरहद पश्‍चिम में मरला और दब्बेशेत को जाती थी और फिर योकनाम के सामनेवाली घाटी तक पहुँचती थी। 12 सारीद से यह सरहद पूरब में किसलोत-ताबोर की सीमा को छूते हुए दाबरात+ पर निकलती थी और फिर यापी तक जाती थी। 13 वहाँ से आगे बढ़ती हुई यह पूरब में गत-हेपेर+ और एत-कासीन को जाती थी। फिर रिम्मोन पर निकलकर नेआ तक पहुँचती थी। 14 उत्तर में यह सरहद हन्‍नातोन की तरफ मुड़ती थी और यिफतह-एल घाटी में जाकर खत्म होती थी। 15 इसके अलावा कत्तात, नहलाल, शिमरोन,+ यिदला और बेतलेहेम+ भी उन्हें दिया गया। कुल मिलाकर 12 शहर और उनकी बस्तियाँ। 16 ये शहर और उनकी बस्तियाँ जबूलून के सारे घरानों+ की विरासत थीं।

17 चौथी चिट्ठी+ इस्साकार+ के वंशजों के घरानों के नाम निकली। 18 उनकी सरहद पर ये जगह थीं: यिजरेल,+ कसुल्लोत, शूनेम,+ 19 हपारैम, शीओन, अनाहरत, 20 रब्बीत, किश्‍योन, एबेस, 21 रेमेत, एन-गन्‍नीम,+ एनहद्दा और बेत-पस्सेस। 22 फिर उनकी सरहद ताबोर,+ शहसूमा और बेत-शेमेश से होते हुए यरदन पर खत्म होती थी। कुल मिलाकर 16 शहर और उनकी बस्तियाँ। 23 ये शहर और उनकी बस्तियाँ इस्साकार गोत्र के सारे घरानों+ की विरासत थीं।

24 पाँचवीं चिट्ठी+ आशेर+ गोत्र के घरानों के नाम निकली। 25 उनकी सरहद पर ये जगह थीं: हेलकत,+ हली, बेतेन, अक्षाप, 26 अल्लाम-मेलेक, अमाद और मिशाल। यह सरहद पश्‍चिम की तरफ करमेल+ और शीहोर-लिबनात तक जाती थी। 27 यह सरहद पूरब की ओर बेत-दागोन को जाती थी और जबूलून की सीमा को छूते हुए यिफतह-एल घाटी के उत्तर में जाती थी। वहाँ से यह बेत-एमेक और नीएल पर निकलती और आगे बढ़ती हुई काबूल के बायीं तरफ पहुँचती थी। 28 और यह एबरोन, रहोब, हम्मोन, कानाह और महानगर सीदोन+ तक जाती थी। 29 फिर यह रामाह की तरफ जाती थी और मज़बूत गढ़वाले शहर सोर+ तक पहुँचती थी। यह होसा की तरफ बढ़ती हुई सागर पर खत्म होती थी, जिसके आस-पास अकजीब, 30 उम्मा, अपेक+ और रहोब+ थे। कुल मिलाकर 22 शहर और उनकी बस्तियाँ। 31 ये शहर और उनकी बस्तियाँ आशेर गोत्र के सारे घरानों+ की विरासत थीं।

32 छठी चिट्ठी+ नप्ताली के वंशजों के घरानों के नाम निकली। 33 उनकी सरहद हेलेप और सानन्‍नीम में बड़े पेड़+ से लेकर अदामी-नेकेब तक और यब्नेल से होकर लक्कूम तक जाती थी और यरदन पर खत्म होती थी। 34 फिर यह सरहद पश्‍चिम की तरफ अजनोत-ताबोर तक जाती थी और वहाँ से बढ़ती हुई हुक्कोक और दक्षिण में जबूलून तक पहुँचती थी। नप्ताली के इलाके की पश्‍चिमी सीमा आशेर तक जाती थी। और पूर्वी सीमा यरदन के पास यहूदा* तक। 35 उनके मज़बूत गढ़वाले शहर ये थे: सिद्दीम, सेर, हम्मत,+ रक्कत, किन्‍नेरेत, 36 अदामा, रामाह, हासोर,+ 37 केदेश,+ एदरेई, एन-हासोर, 38 यिरोन, मिग-दलेल, होरेम, बेतनात और बेत-शेमेश।+ कुल मिलाकर 19 शहर और उनकी बस्तियाँ। 39 ये शहर और उनकी बस्तियाँ नप्ताली गोत्र के सारे घरानों+ की विरासत थीं।

40 सातवीं चिट्ठी+ दान+ गोत्र के घरानों के नाम निकली। 41 उनकी सरहद पर ये जगह थीं: सोरा,+ एशताओल, ईरशेमेश, 42 शालब्बीन,+ अय्यालोन,+ यितला, 43 एलोन, तिमना,+ एक्रोन,+ 44 एल-तके, गिब्बतोन,+ बालात, 45 यहूद, बनेबराक, गत-रिम्मोन,+ 46 मे-यरकोन और रक्कोन। यह सरहद याफा+ के सामने से होकर जाती थी। 47 लेकिन दान का इलाका उनके लिए कम पड़ रहा था।+ इसलिए उन्होंने जाकर लेशेम+ पर हमला बोला और उसके लोगों को तलवार से मार डाला। फिर उन्होंने उस पर कब्ज़ा किया और उसमें बस गए। उन्होंने लेशेम का नाम बदलकर दान रखा जो उनके पुरखे का नाम था।+ 48 ये शहर और उनकी बस्तियाँ दान गोत्र के सारे घरानों की विरासत थीं।

49 इस तरह उन्होंने देश को बाँटने और इसराएलियों को अपनी-अपनी विरासत की ज़मीन देने का काम पूरा किया। फिर इसराएलियों ने अपने बीच नून के बेटे यहोशू को उसके हिस्से की ज़मीन दी। 50 यहोवा के हुक्म पर उन्होंने यहोशू को वह शहर दिया जो उसने माँगा था। उसे एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में तिमनत-सेरह+ दिया गया और यहोशू उस शहर को दोबारा बनाकर उसमें रहने लगा।

51 यह सब विरासत की वह ज़मीन थी जिसे याजक एलिआज़र, नून के बेटे यहोशू और इसराएल के सभी गोत्र के कुलों के मुखियाओं ने शीलो+ में यहोवा के सामने, भेंट के तंबू के द्वार+ पर चिट्ठियाँ डालकर बाँटा था।+ इस तरह उन्होंने देश को बाँटने का काम खत्म किया।

20 फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, 2 “इसराएलियों को बता कि जैसा मैंने मूसा से कहलवाया था, वे अपने लिए शरण नगर+ चुन लें 3 ताकि जो इंसान अनजाने में या गलती से किसी का खून कर दे, वह इन नगरों में भाग सके। वहाँ उसे खून का बदला लेनेवाले से हिफाज़त मिलेगी।+ 4 उसे उन नगरों में से किसी एक में भागना होगा+ और नगर के फाटक पर+ आकर वहाँ के मुखियाओं के सामने अपना मामला पेश करना होगा। तब वे उसे नगर में ले लेंगे और उसे रहने की जगह देंगे और वह उनके साथ रहेगा। 5 अगर खून का बदला लेनेवाला उसका पीछा करते हुए वहाँ आता है, तो मुखिया उस आदमी को बदला लेनेवाले के हाथ में नहीं सौंपेंगे क्योंकि उसने अनजाने में अपने साथी का खून किया था, न कि नफरत की वजह से।+ 6 उसे उसी नगर में रहना होगा जब तक कि वह मंडली के सामने मुकदमे के लिए पेश नहीं होता।+ और निर्दोष साबित होने के बाद भी उसे नगर में तब तक रहना होगा जब तक महायाजक की मौत नहीं हो जाती।+ इसके बाद वह चाहे तो अपने शहर और अपने घर लौट सकता है जहाँ से वह भागा था।”+

7 इसलिए इसराएलियों ने ये सभी नगर अलग* ठहराए: नप्ताली के पहाड़ी प्रदेश में गलील का केदेश,+ एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में शेकेम+ और यहूदा के पहाड़ी प्रदेश में किरयत-अरबा+ यानी हेब्रोन। 8 यरीहो के पास यरदन के पूरब में उन्होंने ये नगर चुने: रूबेन गोत्र के पठारी इलाके के वीराने में बेसेर,+ गाद गोत्र के गिलाद में रामोत+ और मनश्‍शे गोत्र के बाशान में गोलान।+

9 ये वे नगर थे जो इसराएलियों और उनके बीच रहनेवाले परदेसियों के लिए चुने गए ताकि अगर कोई अनजाने में किसी का खून कर दे, तो वह भागकर इन नगरों में शरण ले सके+ और मंडली के सामने मुकदमे के लिए पेश होने से पहले, खून का बदला लेनेवाला उसे मार न डाले।+

21 लेवियों के घरानों के मुखियाओं ने याजक एलिआज़र,+ नून के बेटे यहोशू और इसराएल गोत्र के कुलों के मुखियाओं के पास 2 कनान देश के शीलो+ में आकर उनसे कहा, “यहोवा ने मूसा के ज़रिए आज्ञा दी थी कि हमें रहने के लिए शहर दिए जाएँ और हमारे जानवरों के लिए चरागाह दिए जाएँ।”+ 3 यहोवा के आदेश के मुताबिक इसराएलियों ने अपनी विरासत की ज़मीन में से लेवियों को शहर+ और चरागाह दिए।+

4 पहली चिट्ठी कहातियों के घरानों+ के नाम निकली। और उन लेवियों को जो याजक हारून के वंशज थे, यहूदा,+ शिमोन+ और बिन्यामीन के इलाके में से 13 शहर दिए गए।*+

5 बाकी कहातियों को एप्रैम+ और दान के और मनश्‍शे के आधे गोत्र के इलाके में से दस शहर दिए गए।*+

6 गेरशोनियों+ को इस्साकार, आशेर और नप्ताली गोत्रों और बाशान में रहनेवाले मनश्‍शे के आधे गोत्र के इलाके में से 13 शहर दिए गए।+

7 मरारियों+ को उनके घरानों के हिसाब से रूबेन, गाद और जबूलून गोत्रों के इलाके में से 12 शहर दिए गए।+

8 इस तरह इसराएलियों ने चिट्ठियाँ डालकर लेवियों को शहर और उनके चरागाह दिए, ठीक जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।+

9 ये उन शहरों के नाम हैं जो उन्होंने यहूदा और शिमोन गोत्रों के इलाके से दिए।+ 10 ये शहर हारून के बेटों को मिले जो लेवी गोत्र के कहाती घराने से थे क्योंकि पहली चिट्ठी उन्हीं के नाम निकली थी। 11 इसराएलियों ने उन्हें यहूदा के पहाड़ी प्रदेश में किरयत-अरबा+ (अरबा, अनाक का पिता था) यानी हेब्रोन+ और उसके आस-पास के चरागाह दिए। 12 मगर उन्होंने उस शहर का खेत और उसकी बस्तियाँ यपुन्‍ने के बेटे कालेब को दीं ताकि वे उसकी जागीर बन जाएँ।+

13 याजक हारून के बेटों को हेब्रोन और उसके चरागाह दिए गए। हेब्रोन+ खून के दोषी इंसान के लिए शरण नगर था।+ इसके अलावा उन्हें लिब्ना+ और उसके चरागाह, 14 यत्तीर+ और उसके चरागाह, एश्‍तमोआ+ और उसके चरागाह,  15 होलोन+ और उसके चरागाह, दबीर+ और उसके चरागाह,  16 ऐन+ और उसके चरागाह, युत्ता+ और उसके चरागाह और बेत-शेमेश और उसके चरागाह भी दिए गए। शिमोन और यहूदा के इलाके में से उन्हें नौ शहर मिले।

17 बिन्यामीन के इलाके में से उन्हें ये शहर दिए गए: गिबोन+ और उसके चरागाह, गेबा और उसके चरागाह,+ 18 अनातोत+ और उसके चरागाह और अल्मोन और उसके चरागाह; कुल चार शहर।

19 हारून के वंशज जो याजक थे, उन्हें कुल मिलाकर 13 शहर और उनके चरागाह+ दिए गए।

20 लेवी गोत्र में कहातियों के बाकी घरानों के लिए चिट्ठियाँ डाली गयीं और उन्हें एप्रैम गोत्र के इलाके में से शहर दिए गए। 21 इसराएलियों ने उन्हें एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में शेकेम और उसके चरागाह दिए। शेकेम+ खून के दोषी इंसान के लिए शरण नगर था।+ इसके अलावा उन्हें गेजेर+ और उसके चरागाह, 22 किबसैम और उसके चरागाह और बेत-होरोन+ और उसके चरागाह भी दिए गए; कुल चार शहर।

23 दान गोत्र के इलाके में से उन्हें एल-तके और उसके चरागाह, गिब्बतोन और उसके चरागाह, 24 अय्यालोन+ और उसके चरागाह और गत-रिम्मोन और उसके चरागाह दिए गए; कुल चार शहर।

25 उन्हें मनश्‍शे के आधे गोत्र के इलाके में से तानाक+ और उसके चरागाह और गत-रिम्मोन और उसके चरागाह दिए गए; कुल दो शहर।

26 कहातियों के बाकी घरानों को कुल मिलाकर दस शहर और उनके चरागाह मिले।

27 लेवियों के कुल में गेरशोनियों+ को, मनश्‍शे के आधे गोत्र के इलाके में से (बाशान का) गोलान+ और उसके चरागाह मिले। गोलान खून के दोषी इंसान के लिए शरण नगर था। इसके अलावा, उन्हें बेशतरा और उसके चरागाह भी मिले; कुल दो शहर।

28 इस्साकार गोत्र के इलाके में से+ उन्हें किश्‍योन और उसके चरागाह, दाबरात+ और उसके चरागाह, 29 यरमूत और उसके चरागाह और एन-गन्‍नीम और उसके चरागाह दिए गए; कुल चार शहर।

30 आशेर गोत्र के इलाके में से+ उन्हें मिशाल और उसके चरागाह, अब्दोन और उसके चरागाह, 31 हेलकत+ और उसके चरागाह और रहोब+ और उसके चरागाह दिए गए; कुल चार शहर।

32 नप्ताली गोत्र के इलाके में उन्हें गलील में केदेश+ और उसके चरागाह दिए गए। केदेश खून के दोषी इंसान के लिए शरण नगर था।+ इसके अलावा, उन्हें हम्मोत-दोर और उसके चरागाह और करतान और उसके चरागाह दिए गए; कुल तीन शहर।

33 गेरशोनियों को उनके घरानों के हिसाब से कुल मिलाकर 13 शहर और उनके चरागाह दिए गए।

34 बाकी लेवियों को यानी मरारियों के घरानों+ को जबूलून गोत्र के इलाके में से+ योकनाम+ और उसके चरागाह, कर्ता और उसके चरागाह, 35 दिम्ना और उसके चरागाह और नहलाल+ और उसके चरागाह दिए गए; कुल चार शहर।

36 रूबेन गोत्र के इलाके में से उन्हें बेसेर+ और उसके चरागाह, यहस और उसके चरागाह,+ 37 कदेमोत और उसके चरागाह और मेपात और उसके चरागाह दिए गए; कुल चार शहर।

38 गाद गोत्र के इलाके में से+ उन्हें गिलाद में रामोत और उसके चरागाह दिए गए। रामोत खून के दोषी इंसान के लिए शरण नगर था।+ इसके अलावा उन्हें महनैम+ और उसके चरागाह, 39 हेशबोन+ और उसके चरागाह और याजेर+ और उसके चरागाह दिए गए। कुल चार शहर।

40 लेवियों के बाकी घरानों यानी मरारियों को उनके घरानों के हिसाब से कुल मिलाकर 12 शहर दिए गए।

41 इसराएलियों के बीच लेवियों के हिस्से में कुल मिलाकर 48 शहर और उनके चरागाह आए।+ 42 इनमें से हर शहर के आस-पास चरागाह था।

43 इस तरह यहोवा ने इसराएलियों को वह सारा देश दिया, जिसे देने का वादा उसने उनके पुरखों से किया था।+ और इसराएलियों ने उस देश को अपने अधिकार में कर लिया और उसमें बस गए।+ 44 जैसे यहोवा ने उनके पुरखों से वादा किया था,+ उसने इसराएलियों को चारों तरफ से चैन दिया और उनका एक भी दुश्‍मन उनके खिलाफ खड़ा न रह सका।+ यहोवा ने उनके सब दुश्‍मनों को उनके हाथ कर दिया।+ 45 यहोवा ने इसराएल के घराने से जितने भी बेहतरीन वादे किए थे वे सब-के-सब पूरे हुए, एक भी वादा बिना पूरा हुए नहीं रहा।+

22 फिर यहोशू ने रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र को बुलाया 2 और उनसे कहा, “यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें जो-जो आज्ञाएँ दी थीं,+ उन सबका तुमने पालन किया और तुमने मेरी बात भी मानी।+ 3 तुमने अब तक अपने भाइयों का साथ दिया+ और अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ मानकर अपना फर्ज़ अच्छी तरह निभाया।+ 4 अब तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे भाइयों को चैन दिया है, ठीक जैसा उसने उनसे वादा किया था।+ इसलिए अब तुम घर लौट जाओ, यरदन के उस पार* अपने इलाके में लौट जाओ, जो यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें दिया था।+ 5 मगर हाँ, इस बात का ध्यान रखना कि तुम उस आज्ञा और कानून को मानते रहो, जो यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें दिया था।+ यानी तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करना,+ उसकी बतायी सब राहों पर चलना,+ उसके नियमों का पालन करना,+ उससे लिपटे रहना+ और पूरे दिल और पूरी जान से उसकी सेवा करना।”+

6 इसके बाद, यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें रवाना किया। वे अपने-अपने घर लौट गए। 7 मनश्‍शे के आधे गोत्र को मूसा ने बाशान में विरासत की ज़मीन दी थी+ जबकि बाकी आधे गोत्र को यहोशू ने यरदन के पश्‍चिम में उनके इसराएली भाइयों के साथ ज़मीन दी।+ यही नहीं, यहोशू ने उन्हें घर भेजते वक्‍त आशीर्वाद दिया 8 और उनसे कहा, “अपने डेरों में वापस लौट जाओ और अपने साथ बेशुमार दौलत, ढेर सारे मवेशी, सोना-चाँदी, ताँबा, लोहा और बहुत सारे कपड़े ले जाओ।+ दुश्‍मनों से लूटा गया यह माल तुम अपने भाइयों के साथ बाँट लेना।”+

9 इसके बाद रूबेनी, गादी और मनश्‍शे के आधे गोत्र ने कनान के शीलो में अपने इसराएली भाइयों से विदा ली। वे गिलाद के लिए निकल पड़े+ जो उनकी विरासत की ज़मीन थी और जिसमें बसने का आदेश यहोवा ने मूसा के ज़रिए उन्हें दिया था।+ 10 जब रूबेनी, गादी और मनश्‍शे का आधा गोत्र कनान के इलाके में यरदन के पास पहुँचा, तो उन्होंने वहाँ एक बड़ी और शानदार वेदी बनायी। 11 बाद में बाकी इसराएलियों ने यह खबर सुनी,+ “इसराएलियों के इलाके में रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र ने यरदन के पास, कनान की सीमा पर एक वेदी खड़ी की है।” 12 इस पर इसराएल की पूरी मंडली शीलो में इकट्ठा हुई+ कि उनसे युद्ध करने के लिए जाए।

13 तब इसराएलियों ने एलिआज़र के बेटे याजक फिनेहास+ को गिलाद के इलाके में रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र के पास भेजा। 14 फिनेहास के साथ दस प्रधान भी गए, हर गोत्र से एक प्रधान। ये सभी अपने-अपने पिता के कुल के मुखिया थे, जो कुल हज़ारों इसराएलियों से मिलकर बना था।+ 15 जब वे रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र के पास गिलाद में आए तो उन्होंने कहा,

16 “यहोवा की सारी मंडली कह रही है कि तुमने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के साथ यह कैसा विश्‍वासघात किया?+ तुमने वेदी खड़ी करके दिखाया है कि तुम बागी हो और यहोवा के पीछे नहीं चलना चाहते।+ 17 क्या पोर में हमने जो पाप किया वह कम था? भूल गए, यहोवा की मंडली पर कितना बड़ा कहर टूटा था! आज तक हम उसका अंजाम भुगत रहे हैं।+ 18 तुम यहोवा के पीछे चलना छोड़कर अच्छा नहीं कर रहे हो। अगर आज तुमने यहोवा से बगावत की, तो कल इसराएल की पूरी मंडली पर उसका क्रोध भड़क उठेगा।+ 19 अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारा इलाका अशुद्ध है, तो इस पार यहोवा के इलाके में आओ+ जहाँ यहोवा का पवित्र डेरा है+ और हमारे साथ बस जाओ। मगर यहोवा के खिलाफ बगावत मत करो, न ही परमेश्‍वर यहोवा की वेदी के अलावा कोई दूसरी वेदी बनाकर हमें उसके सामने बागी बनाओ।+ 20 याद है, जब जेरह के बेटे आकान+ ने नाश के लायक ठहरायी चीज़ें चुराकर आज्ञा तोड़ी, तो परमेश्‍वर का क्रोध इसराएल की पूरी मंडली पर कितना भड़क उठा था।+ उसके गुनाह की वजह से न सिर्फ उसे बल्कि दूसरों को भी अपनी जान गँवानी पड़ी।”+

21 तब रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र ने उन आदमियों से, जो हज़ारों इसराएलियों से बने अलग-अलग कुल के मुखिया थे, कहा,+ 22 “सब ईश्‍वरों से महान ईश्‍वर यहोवा! हाँ, सब ईश्‍वरों से महान ईश्‍वर यहोवा+ जानता है कि सच क्या है और सारा इसराएल भी जान जाएगा। अगर हमने सचमुच यहोवा से बगावत की है, उससे विश्‍वासघात किया है तो वह हमें न बचाए। 23 अगर हमने यहोवा से मुँह मोड़ने के लिए यह वेदी खड़ी की है और इस इरादे से इसे बनाया है कि हम उस पर होम-बलियाँ, अनाज का चढ़ावा और शांति-बलियाँ चढ़ाएँ, तो यहोवा हमें सज़ा दे।+ 24 मगर भाइयो, हमने यह वेदी इसलिए बनायी है क्योंकि हमें डर था कि कहीं आगे चलकर तुम्हारे बेटे हमारे बेटों से यह न कहें कि ‘इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा से तुम्हारा क्या वास्ता? 25 हे रूबेनियो और गादियो, यहोवा ने हमारे और तुम्हारे बीच यरदन को सीमा ठहराया है। यहोवा से तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं।’ यह कहकर कहीं तुम्हारे बेटे हमारे बेटों को यहोवा की उपासना करने* से न रोक दें।

26 इसलिए हमने सोचा कि हम एक वेदी बनाएँ। होम-बलियाँ या बलिदान चढ़ाने के लिए नहीं, 27 बल्कि इसलिए कि यह हमारे और तुम्हारे बीच और हमारी आनेवाली पीढ़ियों के बीच एक गवाह ठहरे+ कि हम यहोवा की सेवा करते रहेंगे और उसके लिए होम-बलियाँ, शांति-बलियाँ और दूसरे बलिदान चढ़ाते रहेंगे।+ कहीं ऐसा न हो कि आगे चलकर तुम्हारे बेटे हमारे बेटों से कहें, ‘यहोवा से तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं।’ 28 हमने सोचा कि अगर वे कभी हमसे या हमारे बच्चों से ऐसा कहें तो हम उनसे कहेंगे, ‘यह वेदी देखो जो बिलकुल यहोवा की वेदी जैसी दिखती है और जिसे हमारे पुरखों ने बनाया था। उन्होंने इसे होम-बलियाँ या बलिदान चढ़ाने के लिए नहीं बनाया था, यह तो इस बात की निशानी है कि हमारा तुमसे रिश्‍ता है।’ 29 हम अपने परमेश्‍वर यहोवा से बगावत करने और उससे मुँह मोड़ने की सोच भी नहीं सकते!+ जब यहोवा के पवित्र डेरे के सामने उसकी वेदी पहले से मौजूद है, तो भला हम दूसरी वेदी बनाकर उस पर यहोवा के लिए होम-बलियाँ, अनाज का चढ़ावा और दूसरे बलिदान कैसे चढ़ा सकते हैं?”+

30 जब याजक फिनेहास और मंडली के प्रधानों ने, जो हज़ारों इसराएलियों से बने अलग-अलग कुल के मुखिया थे रूबेन, गाद और मनश्‍शे के वंशजों की यह बात सुनी तो उन्हें तसल्ली हुई।+ 31 फिर एलिआज़र के बेटे याजक फिनेहास ने रूबेन, गाद और मनश्‍शे के वंशजों से कहा, “आज हमें यकीन हो गया है कि यहोवा हमारे बीच है क्योंकि तुमने यहोवा से विश्‍वासघात नहीं किया। अब यहोवा हम इसराएलियों को सज़ा नहीं देगा।”

32 इसके बाद, एलिआज़र का बेटा याजक फिनेहास और सभी प्रधान, गिलाद के इलाके में रूबेनियों और गादियों के पास से लौटकर कनान आए। उन्होंने बाकी इसराएलियों को सारा हाल कह सुनाया। 33 यह खबर सुनकर इसराएली खुश हुए और उन्होंने परमेश्‍वर की बड़ाई की। उन्होंने रूबेनियों और गादियों से युद्ध करने और उनके इलाकों को तबाह करने का विचार छोड़ दिया।

34 इस तरह रूबेनियों और गादियों ने उस वेदी* को एक नाम दिया और कहा, “यह वेदी हम सबके लिए इस बात की गवाह है कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।”

23 यहोवा ने इसराएल को उसके आस-पास के सभी दुश्‍मनों से महफूज़ रखा और उन्हें चैन दिलाया।+ अब बहुत दिन बीत चुके थे। यहोशू बूढ़ा हो चला था और उसकी उम्र ढल चुकी थी।+ 2 उसने सभी इसराएलियों को, उनके मुखियाओं, प्रधानों, न्यायियों और अधिकारियों+ को इकट्ठा किया।+ उसने उनसे कहा, “अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और मेरी उम्र ढल चुकी है। 3 तुमने खुद अपनी आँखों से देखा कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारी खातिर दुश्‍मन राष्ट्रों के साथ क्या-क्या किया। हाँ, यहोवा ही तुम्हारी तरफ से लड़ रहा था।+ 4 यरदन से पश्‍चिम में महासागर* तक जितने भी राष्ट्र थे, उन्हें मैंने खदेड़ दिया+ और उनका देश तुम्हें दिया।*+ हालाँकि कुछ अभी-भी रह गए हैं लेकिन यह देश तुम्हारा है। 5 तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने ही तुम्हारे सामने से उन्हें खदेड़ा+ और उन्हें यहाँ से निकाला और तुमने उनके देश को अपने अधिकार में कर लिया, ठीक जैसा तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुमसे वादा किया था।+

6 अब तुम्हें मूसा के कानून की किताब में लिखी सारी बातों का पालन करने+ और उस पर चलने के लिए हिम्मत दिखानी होगी। तुम इससे न तो दाएँ मुड़ना न बाएँ,+ 7 न ही उन राष्ट्रों के लोगों के साथ मेल-जोल रखना+ जो तुम्हारे बीच रहते हैं। तुम न तो उनके देवताओं के नाम पुकारना,+ न ही उनकी कसम खाना। तुम उनकी उपासना न करना और न ही उनके सामने दंडवत करना।+ 8 इसके बजाय तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से लिपटे रहना,+ जैसा तुम आज तक करते आए हो। 9 यहोवा तुम्हारे सामने से बड़े और शक्‍तिशाली राष्ट्रों को निकाल देगा+ क्योंकि आज तक तुम्हारे सामने एक भी आदमी नहीं टिक पाया।+ 10 तुम्हारा एक आदमी उनके हज़ार आदमियों को खदेड़ देगा+ क्योंकि तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारी तरफ से लड़ेगा,+ जैसा उसने तुमसे वादा किया था।+ 11 इसलिए तुम हमेशा इस बात का ध्यान रखना+ कि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करते रहो।+

12 लेकिन अगर तुम परमेश्‍वर को छोड़ दोगे और उन राष्ट्रों के लोगों से मिल जाओगे जो तुम्हारे बीच रह गए हैं,+ उनसे शादी करके रिश्‍तेदारी करोगे+ और मेल-जोल रखोगे 13 तो जान लो, तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा इन राष्ट्रों को तुम्हारे लिए फिर नहीं खदेड़ेगा।+ वे तुम्हारे लिए फंदा और जाल बन जाएँगे। वे तब तक तुम्हारी पीठ पर कोड़ों की तरह बरसेंगे+ और तुम्हारी आँखों में काँटों की तरह चुभेंगे, जब तक कि तुम इस बढ़िया देश से मिट नहीं जाते जिसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें दिया है।

14 देखो, अब मैं ज़्यादा दिन नहीं जीऊँगा।* तुम अच्छी तरह जानते हो कि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुमसे जितने भी बेहतरीन वादे किए थे वे सब-के-सब पूरे हुए, एक भी वादा बिना पूरा हुए नहीं रहा।+ 15 मगर जिस तरह यहोवा ने अपने सारे बेहतरीन वादे पूरे किए,+ उसी तरह मुसीबतें* लाने के बारे में यहोवा ने जो-जो कहा था, उसे भी पूरा करेगा और यहोवा तुम्हें इस बढ़िया देश से मिटा डालेगा जो उसने तुम्हें दिया है।+ 16 अगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के उस करार को तोड़ोगे जिसे मानने की आज्ञा उसने तुम्हें दी है और अगर तुम दूसरे देवताओं के आगे दंडवत करोगे और उनकी सेवा करोगे, तो यहोवा का क्रोध तुम पर भड़क उठेगा।+ और देखते-ही-देखते तुम इस बढ़िया देश से जो परमेश्‍वर ने तुम्हें दिया है, मिट जाओगे।”+

24 इसके बाद, यहोशू ने इसराएल के सभी गोत्रों को शेकेम में इकट्ठा किया और उनके मुखियाओं, प्रधानों, न्यायियों और अधिकारियों को बुलाया।+ और वे आकर सच्चे परमेश्‍वर के सामने खड़े हुए। 2 यहोशू ने उन सबसे कहा, “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘बहुत अरसे पहले तुम्हारे बाप-दादा+ महानदी के उस पार* रहते थे+ और दूसरे देवताओं की उपासना करते थे।+ इनमें से एक तिरह था जो अब्राहम और नाहोर का पिता था।

3 फिर मैं तुम्हारे पुरखा अब्राहम+ को महानदी* के उस पार से ले आया और उसे पूरे कनान देश का दौरा करवाया। मैंने उसके वंश को बढ़ाया।+ मेरी आशीष से वह इसहाक का पिता बना।+ 4 मैंने इसहाक को दो बेटे दिए, याकूब और एसाव।+ आगे चलकर मैंने एसाव को सेईर पहाड़ का इलाका दिया कि वह उसकी जागीर बन जाए।+ और याकूब और उसके बेटे मिस्र चले गए।+ 5 फिर मैंने मूसा और हारून को भेजा+ और मिस्र पर तरह-तरह के कहर ढाए+ और तुम इसराएलियों को वहाँ से निकाल ले आया। 6 जब तुम्हारे बाप-दादा मिस्र से निकलकर+ लाल सागर के पास आए, तो मिस्री सेना अपने रथों और घुड़सवारों के साथ उनका पीछा करते हुए वहाँ आ गयी।+ 7 तब वे मुझ यहोवा को ज़ोर-ज़ोर से पुकारने लगे।+ इसलिए मैंने उनके और मिस्रियों के बीच एक काला बादल ठहराया। फिर मैंने सागर का पानी मिस्रियों पर छोड़ दिया और उन्हें डुबा दिया।+ इसराएलियों ने खुद देखा था कि मैंने मिस्र में क्या-क्या किया।+ इसके बाद तुम कई सालों* तक वीराने में रहे।+

8 फिर मैं तुम्हें यरदन के उस पार* ले आया जहाँ एमोरी लोग रहते थे और उन्होंने तुमसे युद्ध किया।+ लेकिन मैंने उन्हें तुम्हारे हाथ कर दिया ताकि तुम उनके इलाके पर कब्ज़ा करके उसमें बस जाओ। मैंने उन्हें तुम्हारे सामने से मिटा डाला।+ 9 इसके बाद, सिप्पोर का बेटा और मोआब का राजा बालाक, इसराएल से लड़ने के लिए तुम्हारे खिलाफ उठा। उसने बओर के बेटे बिलाम को बुलाया कि वह तुम्हें शाप दे।+ 10 मगर मैंने बिलाम की नहीं सुनी।+ मैंने उसी के मुँह से तुम्हें बार-बार आशीर्वाद दिलवाया+ और तुम्हें उसके हाथ से छुड़ाया।+

11 फिर तुम यरदन पार करके यरीहो में आए।+ यरीहो के अगुवों,* एमोरियों, परिज्जियों, कनानियों, हित्तियों, गिरगाशियों, हिव्वियों और यबूसियों ने तुमसे युद्ध किया। मगर मैंने उन्हें तुम्हारे हवाले कर दिया।+ 12 तुम्हारे वहाँ जाने से पहले ही मैंने उनका हौसला तोड़ दिया।* और जैसे तुमने एमोरियों के दोनों राजाओं को खदेड़ा था उसी तरह तुमने उन्हें भी खदेड़ डाला।+ मगर यह जीत तुम्हें अपनी तलवार और धनुष के दम पर नहीं मिली।+ 13 इस तरह मैंने तुम्हें ऐसा देश दिया जिसके लिए तुमने कोई मेहनत नहीं की और न ही तुमने इसके शहर खड़े किए।+ तुम सिर्फ यहाँ आए और रहने लगे। और अंगूरों और जैतून के जो बाग तुमने नहीं लगाए, उनके फल खाने लगे।’+

14 इसलिए यहोवा से डरो, निर्दोष और विश्‍वासयोग्य बने रहकर* उसकी सेवा करो।+ उन देवताओं की मूरतों को निकाल फेंको जिनकी उपासना तुम्हारे बाप-दादा महानदी * के उस पार और मिस्र में करते थे।+ और यहोवा की उपासना करो। 15 लेकिन अगर तुम यहोवा की सेवा नहीं करना चाहते, तो आज चुन लो कि तुम किसकी सेवा करोगे।+ क्या उन देवताओं की जिन्हें तुम्हारे बाप-दादा महानदी * के उस पार पूजते थे?+ या एमोरियों के देवताओं की, जिनके इलाके में तुम रह रहे हो?+ मगर मैंने और मेरे घराने ने ठान लिया है कि हम यहोवा की सेवा करेंगे।”

16 इस पर लोगों ने कहा, “हम यहोवा को छोड़ दूसरे देवताओं की उपासना करने की सोच भी नहीं सकते। 17 हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने ही हमें और हमारे बाप-दादा को गुलामी के घर, मिस्र देश से आज़ाद किया।+ उसने हमारी आँखों के सामने बड़े-बड़े चमत्कार किए।+ वह पूरे रास्ते हमारी हिफाज़त करता रहा और हम जिन-जिन लोगों के बीच से होकर गए, उनसे हमें बचाता रहा।+ 18 इस देश में हमसे पहले जितने भी एमोरी और दूसरे लोग रहते थे, यहोवा ने उन सबको खदेड़ दिया। इसलिए हम भी यहोवा की सेवा करेंगे क्योंकि वही हमारा परमेश्‍वर है।”

19 तब यहोशू ने लोगों से कहा, “क्या तुम सचमुच यहोवा की सेवा कर पाओगे? वह एक पवित्र परमेश्‍वर है+ और माँग करता है कि सिर्फ उसी की भक्‍ति की जाए।+ वह तुम्हारे अपराधों* और पापों को माफ नहीं करेगा।+ 20 अगर तुम यहोवा को छोड़ पराए देवताओं की उपासना करने लगो, तो वह तुम्हारे खिलाफ हो जाएगा और तुम्हें पूरी तरह मिटा डालेगा, फिर चाहे उसने तुम्हारे लिए भलाई क्यों न की हो।”+

21 लोगों ने यहोशू से कहा, “हम सिर्फ यहोवा की सेवा करेंगे।”+ 22 तब यहोशू ने उनसे कहा, “तुम इस बात के गवाह हो कि तुमने खुद अपनी मरज़ी से यहोवा की सेवा करने का चुनाव किया है।”+ उन्होंने कहा, “हाँ, हम इस बात के गवाह हैं।”

23 “तो फिर पराए देवताओं की मूरतें निकाल फेंको और अपना मन इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की ओर लगाओ।” 24 तब लोगों ने यहोशू से कहा, “हम अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करेंगे और उसी की बात मानेंगे।”

25 उस दिन शेकेम में यहोशू ने लोगों के साथ एक करार किया और इस करार को मानने के लिए उन्हें कुछ नियम और न्याय-सिद्धांत दिए। 26 यहोशू ने ये बातें परमेश्‍वर के कानून की किताब+ में लिखीं। फिर उसने एक बड़ा पत्थर लिया+ और उसे यहोवा की पवित्र जगह के पास एक बड़े पेड़ के नीचे खड़ा किया।

27 यहोशू ने लोगों से कहा, “देखो, यह पत्थर गवाह है+ क्योंकि यहोवा ने इसी के सामने हमसे ये सारी बातें कही हैं। अगर तुम अपने परमेश्‍वर को ठुकरा दोगे, तो यह पत्थर तुम्हारे खिलाफ गवाह ठहरेगा।” 28 फिर यहोशू ने लोगों को विदा किया और वे अपने-अपने इलाके में लौट गए।+

29 इसके बाद यहोवा के सेवक, नून के बेटे यहोशू की मौत हो गयी। वह 110 साल का था।+ 30 लोगों ने उसे तिमनत-सेरह में दफनाया। यह जगह एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में गाश पहाड़ के उत्तर में थी और यहोशू को दिए इलाके में आती थी।+ 31 इसराएली, यहोशू के जीते-जी यहोवा की उपासना करते रहे और उन मुखियाओं के दिनों में भी करते रहे, जो यहोशू के बाद ज़िंदा थे और जानते थे कि यहोवा ने इसराएलियों के लिए क्या-क्या काम किए हैं।+

32 इसराएली मिस्र से यूसुफ की जो हड्डियाँ लाए थे,+ वे उन्होंने शेकेम में ज़मीन के एक टुकड़े में दफना दीं। यह ज़मीन याकूब ने हमोर के बेटों (हमोर के एक बेटे का नाम शेकेम था) से चाँदी के 100 टुकड़ों में खरीदी थी।+ यह ज़मीन यूसुफ के बेटों की जागीर बन गयी।+

33 हारून के बेटे एलिआज़र की भी मौत हो गयी।+ और लोगों ने उसे ‘फिनेहास की पहाड़ी’ पर दफनाया, जो उसके बेटे फिनेहास+ को एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में दी गयी थी।

या “यहोशुआ” जिसका मतलब है, “यहोवा उद्धार है।”

यानी भूमध्य सागर।

या “इस पर मनन करना।”

यानी पूरब में।

यानी पूरब में।

या “अटल प्यार।”

या “अटल प्यार।”

या “कोई भरोसेमंद निशानी दो।”

या “अटल प्यार।”

करीब 890 मी. (2,920 फुट)। अति. ख14 देखें।

या “खुद को पवित्र करो।”

या “बाँध।”

या “बाँध।”

यानी मृत सागर।

शा., “उसका डर मानते रहे।”

शा., “दूसरी बार खतना करवा।”

मतलब “खलड़ियों का टीला।”

या “जिनकी उम्र सैनिक-सेवा की थी।”

शा., “हमें।”

मतलब “लुढ़कना; लुढ़काकर दूर कर देना।”

या “हाकिम।”

या “देर तक बजते सुनायी दे।”

या “घोर संकट आ पड़ेगा।”

या शायद, “लोगों से यह शपथ खिलवायी।”

मतलब “खदानें।”

शा., “का दिल पिघलकर पानी जैसा हो गया।”

यानी पूरब में।

या “को पीठ दिखाकर।”

या “पवित्र।”

एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।

या “घोर संकट।”

मतलब “आफत; घोर संकट।”

या “पेड़।”

यानी भूमध्य सागर।

यानी पूरब में।

शा., “पर से अपना हाथ मत हटा।”

या “जीभ तक न हिलायी।”

या “पेड़ों।”

या “अराबा।”

यानी गन्‍नेसरत झील या गलील झील।

यानी मृत सागर।

या “को जीतना।”

शा., “के सामने।”

या “शीहोर।”

यहाँ शायद सीहोन के राज के उस हिस्से की बात की गयी है जिसमें आय. 15-20 में बताए इलाके आते हैं। आय. 27 देखें।

यानी गन्‍नेसरत झील या गलील झील।

यानी पूरब में।

यानी मृत सागर।

शब्दावली देखें।

यानी महासागर, भूमध्य सागर।

यानी मृत सागर।

यानी भूमध्य सागर।

या शायद, “ध्यान खींचने के लिए उसने गधे पर बैठे-बैठे ताली बजायी।”

मतलब “पानी के कुंड।”

या “नेगेब।”

या शायद, “गदेरा और उसकी भेड़शालाएँ।”

यानी भूमध्य सागर।

यानी पश्‍चिम में।

यानी मनश्‍शे के लोगों या उनके इलाके की।

शा., “मुझे।”

शा., “चिट्ठी डालकर और नापकर देश का एक ही हिस्सा।”

शा., “लोहे के रथ हैं।”

शा., “लोहे के रथ क्यों न हों।”

या “यहोवा के याजकों के तौर पर सेवा करना।”

यानी मृत सागर।

ज़ाहिर है कि यहाँ यहूदा गोत्र की नहीं बल्कि उस आदमी के घराने की बात की गयी है जो यहूदा गोत्र से था।

या “पवित्र।”

या “चिट्ठियाँ डालकर दिए गए।”

या “चिट्ठियाँ डालकर दिए गए।”

यानी पूरब में।

शा., “का डर मानने।”

आस-पास की आयतों से ऐसा मालूम होता है कि उस वेदी का नाम शायद “गवाह” रखा गया।

यानी भूमध्य सागर।

या “चिट्ठियाँ डालकर बाँटा।”

शा., “मैं दुनिया की रीत के मुताबिक जा रहा हूँ।”

या “शाप।”

यानी फरात नदी के पूरब में।

यानी फरात नदी।

शा., “दिनों।”

यानी पूरब में।

या शायद, “ज़मींदारों।”

या शायद, “उनमें डर; आतंक फैला दिया।”

या “सच्चाई से।”

यानी फरात नदी।

यानी फरात नदी।

या “तुम्हारी बगावत।”

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