यहेजकेल
1 जब 30वें साल के चौथे महीने के पाँचवें दिन मैं कबार नदी के पास उन लोगों के साथ था जो बँधुआई में थे,+ तब आकाश खुल गया और परमेश्वर की तरफ से मुझे दर्शन मिले। 2 (यह राजा यहोयाकीन की बँधुआई का पाँचवाँ साल था।)+ उस दिन 3 यहोवा का संदेश याजक बूजी के बेटे यहेजकेल* के पास पहुँचा, जो कसदियों के देश+ में कबार नदी के पास रहता था। वहाँ यहोवा का हाथ उस पर आया।+
4 मुझ यहेजकेल को दर्शन में उत्तर से एक भयानक आँधी आती हुई दिखायी दी।+ उसके साथ एक बहुत बड़ा बादल था जिसमें से आग की लपटें* निकल रही थीं।+ बादल के चारों तरफ तेज़ रौशनी चमक रही थी। आग के बीच में से सोने-चाँदी जैसा चमचमाता हुआ कुछ नज़र आया।+ 5 उसके अंदर चार जीवित प्राणी जैसे दिखायी दिए+ और उनमें से हरेक का रूप इंसान जैसा था। 6 हर प्राणी के चार चेहरे और चार पंख थे।+ 7 उनके पैर सीधे थे और पाँव के तलवे बछड़े के खुर जैसे थे। उनके पैर चमचमाते ताँबे जैसे चमक रहे थे।+ 8 उनके चारों तरफ के पंखों के नीचे इंसानों के हाथ जैसे थे। चारों प्राणियों के चेहरे और पंख थे। 9 उनके पंख एक-दूसरे को छूते थे। जब भी वे आगे बढ़ते तो सीधे जाते थे, कभी मुड़ते नहीं थे।+
10 चारों प्राणियों के चेहरे इस तरह थे: हरेक के सामने की तरफ आदमी का चेहरा था, दायीं तरफ शेर का चेहरा,+ बायीं तरफ बैल का+ और पीछे की तरफ उकाब का।+ 11 उनके चेहरे इसी तरह थे। उनके पंख उनके ऊपर फैले हुए थे। हर प्राणी के दो पंख थे जो एक-दूसरे को छूते थे और बाकी दो पंख शरीर को ढके हुए थे।+
12 वे सभी सीधे आगे की तरफ बढ़ते थे। जहाँ पवित्र शक्ति उन्हें बढ़ने के लिए उभारती थी वे वहीं जाते थे।+ जब भी वे आगे बढ़ते तो कभी मुड़ते नहीं थे। 13 ये जीवित प्राणी दिखने में जलते अंगारे जैसे थे और उनके बीच दहकती आग की मशालों जैसा कुछ था जो आ-जा रहा था और आग में से बिजली चमक रही थी।+ 14 जब ये जीवित प्राणी आगे बढ़ते और वापस आते, तो ऐसा लग रहा था मानो बिजली कौंध रही हो।
15 जब मैं चार चेहरोंवाले उन जीवित प्राणियों+ को गौर से देख रहा था तो मैंने देखा कि हरेक के पास में धरती पर एक पहिया है। 16 चारों पहियों का रूप और उनकी बनावट करकेटक रत्न जैसी थी और वे चमक रहे थे और चारों एक जैसे दिख रहे थे। उनका रूप और उनकी बनावट दिखने में ऐसी थी मानो हर पहिए के अंदर एक और पहिया लगा हो।* 17 जब पहिए आगे बढ़ते तो वे चार दिशाओं में से किसी भी दिशा में बिना मुड़े जा सकते थे। 18 हर पहिए का घेरा इतना ऊँचा था कि देखनेवाले की साँसें थम जाएँ और हर पहिए के पूरे घेरे में आँखें-ही-आँखें थीं।+ 19 जब भी जीवित प्राणी आगे बढ़ते तो उनके साथ-साथ पहिए भी जाते थे। और जब भी जीवित प्राणी धरती से ऊपर उठाए जाते तो उनके साथ पहिए भी ऊपर उठाए जाते थे।+ 20 पवित्र शक्ति उन्हें जहाँ कहीं जाने के लिए उभारती, वे वहीं जाते थे। पवित्र शक्ति जहाँ कहीं जाती, वे भी वहाँ जाते थे। जब भी जीवित प्राणी ऊपर उठाए जाते तो उनके साथ-साथ पहिए भी उठाए जाते थे क्योंकि जो शक्ति जीवित प्राणियों पर काम कर रही थी, वही शक्ति पहियों में भी थी। 21 जब भी जीवित प्राणी आगे बढ़ते तो पहिए भी साथ-साथ जाते थे और जब वे प्राणी कहीं रुक जाते तो पहिए भी वहीं रुक जाते थे। जब वे प्राणी धरती से ऊपर उठाए जाते तो पहिए भी उनके साथ ऊपर उठाए जाते थे, क्योंकि जो पवित्र शक्ति जीवित प्राणियों पर काम कर रही थी वही पहियों में भी थी।
22 उन जीवित प्राणियों के सिरों के ऊपर फलक जैसा कुछ था+ जो बर्फ की तरह इतना उज्ज्वल था और ऐसा चमचमा रहा था कि बयान नहीं किया जा सकता। 23 फलक के नीचे जीवित प्राणियों के पंख सीधे थे* और उनके पंख एक-दूसरे को छू रहे थे। हर प्राणी अपने दो पंखों से शरीर का एक तरफ ढकता था और बाकी दो पंखों से दूसरी तरफ ढकता था। 24 मैंने उनके पंखों की आवाज़ सुनी जो पानी की तेज़ धारा की गड़गड़ाहट जैसी और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की आवाज़ जैसी लग रही थी।+ जब वे आगे बढ़ते तो ऐसी आवाज़ आती जैसे किसी सेना का भयानक शोर हो। जब वे एक जगह खड़े होते तो अपने पंख नीचे कर लेते थे।
25 उनके सिर के ऊपर जो फलक था, उसके ऊपर से एक आवाज़ आ रही थी। (जब वे एक जगह खड़े होते तो अपने पंख नीचे कर लेते थे।) 26 उनके सिर के ऊपर जो फलक था, उसके ऊपर कुछ था जो नीलम का बना हुआ लग रहा था+ और राजगद्दी जैसा दिख रहा था।+ राजगद्दी पर कोई बैठा था जिसका रूप इंसान जैसा था।+ 27 जो उसकी कमर और ऊपर का हिस्सा लग रहा था वह सोने-चाँदी जैसा चमचमा रहा था।+ उसमें से आग जैसा कुछ निकल रहा था। कमर के नीचे का हिस्सा आग जैसा लग रहा था।+ उसके चारों तरफ ऐसी रौनक फैली हुई थी 28 जैसे बरसात के दिन बादल में निकलनेवाले मेघ-धनुष में होती है।+ उसके चारों तरफ फैली चकाचौंध रौशनी दिखने में ऐसी ही लग रही थी। वह यहोवा के महाप्रताप जैसा लग रहा था।+ जब मैंने यह देखा तो मैं मुँह के बल नीचे गिरा और मुझे किसी के बोलने की आवाज़ सुनायी देने लगी।
2 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे,* अपने पैरों के बल खड़ा हो जा। मैं तुझे कुछ बताना चाहता हूँ।”+ 2 जब उसने मुझसे बात की तो पवित्र शक्ति मेरे अंदर आयी और उसने मुझे पैरों के बल खड़ा किया,+ इसलिए जो मुझसे बात कर रहा था मैं उसकी बातें सुन सका।
3 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, मैं तुझे इसराएल के लोगों के पास भेज रहा हूँ,+ उन बगावती राष्ट्रों के पास जिन्होंने मुझसे बगावत की है।+ अपने पुरखों की तरह ये लोग भी आज तक मेरी आज्ञाएँ तोड़ते आए हैं।+ 4 मैं तुझे ऐसे लोगों के पास भेज रहा हूँ जो बड़े ही ढीठ* और कठोर हैं।+ तू जाकर उनसे कहना, ‘सारे जहान के मालिक यहोवा का यह संदेश है।’ 5 मगर वे चाहे तेरी सुनें या न सुनें क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं,+ उन्हें इतना ज़रूर पता चल जाएगा कि उनके बीच एक भविष्यवक्ता हुआ करता था।+
6 इंसान के बेटे, तू उनसे बिलकुल मत डरना,+ उनकी बातों से मत घबराना, इसके बावजूद कि तू काँटों और कँटीली झाड़ियों से घिरा है*+ और बिच्छुओं के बीच रहता है। तू उनकी बातों से मत डरना,+ न ही उनके चेहरे देखकर खौफ खाना+ क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं। 7 चाहे वे सुनें या न सुनें, तू उन्हें मेरा संदेश ज़रूर देना क्योंकि वे बगावती लोग हैं।+
8 इंसान के बेटे, मैं तुझे जो बताने जा रहा हूँ उसे ध्यान से सुनना। इस बगावती घराने की तरह तू भी बागी मत बन जाना। अब तू अपना मुँह खोल और मैं तुझे जो दे रहा हूँ उसे खा ले।”+
9 फिर मैंने देखा कि किसी का हाथ मेरी तरफ बढ़ रहा है+ और उस हाथ में लिखा हुआ एक खर्रा* है।+ 10 जब उसने मेरे सामने खर्रा खोला तो मैंने देखा कि उस पर सामने और पीछे, दोनों तरफ कुछ लिखा हुआ है।+ उस पर शोकगीत और दुख और मातम के शब्द लिखे हुए थे।+
3 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, तेरे सामने जो चीज़ है उसे खा ले।* हाँ, इस खर्रे को खा ले और फिर जाकर इसराएल के घराने से बात कर।”+
2 तब मैंने अपना मुँह खोला और उसने मुझे वह खर्रा खाने के लिए दिया। 3 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, यह खर्रा जो मैं तुझे दे रहा हूँ इसे खा ले और इससे अपना पेट भर।” जब मैं खर्रा खाने लगा तो वह मेरे मुँह में शहद जैसा मीठा लगा।+
4 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, इसराएल के घराने के पास जा और उसे मेरा संदेश सुना। 5 मैं तुझे ऐसे लोगों के पास नहीं भेज रहा हूँ जिनकी भाषा तेरे लिए समझना मुश्किल है या जिनकी बोली तू नहीं जानता, बल्कि तुझे इसराएल के घराने के पास ही भेज रहा हूँ। 6 मैं तुझे ऐसे बहुत-से राष्ट्रों के पास नहीं भेज रहा हूँ जिनकी भाषा तेरे लिए समझना मुश्किल है या जिनकी बोली तू नहीं जानता या जिनकी बातें तेरी समझ से बाहर हैं। अगर मैं तुझे उनके पास भेजूँ तो वे तेरी बात सुन लेंगे,+ 7 मगर इसराएल का घराना तेरा संदेश सुनने से इनकार कर देगा क्योंकि वह मेरी बात सुनना ही नहीं चाहता।+ इसराएल के घराने के सभी लोग दिल और दिमाग से ढीठ हैं।+ 8 मगर वे जितने ढीठ और सख्त हैं, मैंने तुझे भी उतना ही सख्त और मज़बूत किया है।*+ 9 मैंने तुझे हीरे जैसा सख्त कर दिया और चकमक पत्थर से भी कड़ा बना दिया है।+ तू उन लोगों से डरना मत, न ही उनके चेहरे देखकर खौफ खाना+ क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं।”
10 उसने मुझसे यह भी कहा, “इंसान के बेटे, मैं तुझे जो-जो बता रहा हूँ उसे तू ध्यान से सुन और अपने दिल में बिठा ले। 11 फिर तू अपने लोगों* के पास जा जो बँधुआई में हैं+ और उन्हें मेरा संदेश सुना। चाहे वे तेरी बात सुनें या सुनने से इनकार कर दें, तू उनसे कहना, ‘सारे जहान के मालिक यहोवा का यह संदेश है।’”+
12 फिर एक शक्ति* मुझे उठाकर ले गयी+ और मैंने पीछे से तेज़ गड़गड़ाहट जैसी आवाज़ सुनी जो कह रही थी, “जहाँ यहोवा रहता है वहाँ से उसके प्रताप की बड़ाई हो।” 13 और उन जीवित प्राणियों के पंखों के एक-दूसरे से लगने की आवाज़ आ रही थी+ और पास में जो पहिए थे, उनके घूमने की आवाज़ आ रही थी+ और एक ज़ोरदार गड़गड़ाहट हो रही थी। 14 फिर वह शक्ति* मुझे उठाकर अपने साथ ले चली। जब मैं उसके साथ जा रहा था तो मेरा मन गुस्से और कड़वाहट से भरा था, मगर यहोवा का हाथ मुझ पर मज़बूती से कायम था। 15 मैं बंदी बनाए गए लोगों के पास गया जो कबार नदी के पास तेल-अबीब में रहते थे।+ मैं वहीं उनके यहाँ रहने लगा। मेरी सदमे की सी हालत हो गयी थी+ और मैं उसी हाल में सात दिन तक उनके बीच रहा।
16 फिर सात दिन के बीतने पर यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा:
17 “इंसान के बेटे, मैंने तुझे इसराएल के घराने के लिए पहरेदार ठहराया है।+ जब तू मेरे मुँह से कोई संदेश सुनता है, तो जाकर मेरी तरफ से लोगों को चेतावनी देना।+ 18 जब मैं किसी दुष्ट से कहूँ, ‘तू ज़रूर मर जाएगा,’ मगर तू जाकर उसे चेतावनी नहीं देता और उसे नहीं बताता कि वह अपने दुष्ट कामों से फिर जाए और अपनी जान बचाए,+ तो वह दुष्ट अपनी दुष्टता की वजह से मर जाएगा,+ मगर उसके खून का हिसाब मैं तुझसे माँगूँगा।*+ 19 लेकिन अगर तू एक दुष्ट को चेतावनी देता है, फिर भी वह अपने दुष्ट कामों से नहीं फिरता और बुराई का रास्ता नहीं छोड़ता तो वह अपने गुनाह की वजह से मरेगा, लेकिन तू अपनी जान बचाएगा।+ 20 अगर एक नेक इंसान नेकी की राह छोड़कर गलत काम करने लगता है,* तो मैं उसकी राह में बाधाएँ पैदा करूँगा और वह मर जाएगा।+ अगर तू उसे चेतावनी नहीं देगा तो वह अपने पाप की वजह से मर जाएगा और उसने पहले जितने भी नेक काम किए थे वे याद नहीं किए जाएँगे, मगर उसके खून का हिसाब मैं तुझसे माँगूँगा।*+ 21 लेकिन अगर तू उस नेक इंसान को चेतावनी देता है कि वह पाप न करे और वह पाप नहीं करता, तो वह ज़रूर ज़िंदा रहेगा क्योंकि उसे चेतावनी दी गयी है+ और तू भी अपनी जान बचाएगा।”
22 फिर वहाँ यहोवा का हाथ मुझ पर आया और उसने मुझसे कहा, “उठ और घाटी में जा। मैं तुझसे वहाँ बात करूँगा।” 23 तब मैं उठा और घाटी में गया और देख! वहाँ यहोवा की महिमा दिखायी दी।+ बिलकुल वैसी ही महिमा जैसी मैंने कबार नदी के पास देखी थी+ और मैं मुँह के बल गिर गया। 24 फिर पवित्र शक्ति मेरे अंदर आयी और उसने मुझे पैरों के बल खड़ा किया।+ तब परमेश्वर ने मुझसे बात की और कहा,
“तू अपने घर के अंदर जा और दरवाज़ा बंद कर ले। 25 इंसान के बेटे, वे लोग तुझे रस्सियों से बाँध देंगे ताकि तू उनके पास न जा सके। 26 मैं तेरी जीभ तालू से चिपका दूँगा और तू उन्हें फटकारने के लिए उनसे कुछ नहीं कह पाएगा क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं। 27 लेकिन जब भी मैं तुझसे बात करूँगा तो तेरा मुँह खोल दूँगा और तू उनसे कहना,+ ‘सारे जहान के मालिक यहोवा का यह संदेश है।’ उनमें से जो सुनना चाहता है वह सुने+ और जो सुनने से इनकार करता है वह इनकार कर दे क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं।+
4 इंसान के बेटे, तू एक ईंट लेना और उसे अपने सामने रखना। उस पर एक शहर की, हाँ, यरूशलेम की नक्काशी करना। 2 तू उसके सामने ऐसे हाव-भाव करना मानो उसकी घेराबंदी कर रहा हो।+ उसके चारों तरफ घेराबंदी की दीवार खड़ी करना,+ एक ढलान बनाना,+ छावनियाँ डालना और बख्तरबंद गाड़ियों से उसे घेर लेना।+ 3 एक लोहे का तवा लेना और उसे अपने और शहर के बीच लोहे की एक दीवार की तरह खड़ा करना। फिर शहर को गुस्से-भरी नज़रों से देखना और उसकी घेराबंदी करना। इस तरह तू दिखाना कि कैसे शहर को घेरकर उस पर कब्ज़ा कर लिया जाएगा। यह इसराएल के घराने के लिए एक चिन्ह ठहरेगा।+
4 फिर तू अपनी बायीं करवट लेटना और इसराएल के घराने के पाप का दोष अपने ऊपर* रखना।+ तू जितने दिन उस करवट लेटा करेगा, उतने दिन तू उसका दोष अपने ऊपर लिए रहेगा। 5 इसराएल का घराना जितने साल मेरे खिलाफ पाप करता है, उनमें से हर एक साल के लिए एक दिन के हिसाब से, मैंने तेरे लिए 390 दिन तय किए हैं।+ इतने दिन तक तू इसराएल के घराने के पाप का दोष अपने ऊपर लिए रहेगा। 6 तुझे इतने दिनों तक ऐसा ही करना होगा।
इन दिनों के बीतने पर तुझे 40 दिन और लेटना होगा। इस बार तू अपनी दायीं करवट लेटना और यहूदा के घराने के पापों का दोष अपने ऊपर लिए रहना।+ मैंने एक साल के लिए एक दिन के हिसाब से ये दिन तय किए हैं। 7 तुझे अपनी आस्तीनें चढ़ाकर गुस्से-भरी नज़रों से यरूशलेम की घेराबंदी देखनी होगी+ और उसके खिलाफ भविष्यवाणी करनी होगी।
8 देख! मैं तुझे रस्सियों से बाँध दूँगा ताकि जब तक घेराबंदी के दिन पूरे नहीं होते, तब तक तू एक करवट से दूसरी करवट मुड़ न सके।
9 तू गेहूँ, जौ, बाकला, मसूर, चेना और कठिया गेहूँ लेना और यह सब एक बरतन में डालना और इन्हें मिलाकर अपने लिए रोटी बनाना। जितने दिन तू एक करवट लेटा करेगा उतने दिन यानी 390 दिन तू ऐसी रोटी खाएगा।+ 10 तू हर दिन सिर्फ 20 शेकेल* खाना तौलकर खाएगा। तू दिन में कई बार तय वक्त पर इसे खाएगा।
11 पानी भी तू नापकर पीएगा। एक दिन में तू सिर्फ हीन का छठा हिस्सा* पानी पीएगा। तू दिन में कई बार तय वक्त पर इसे पीएगा।
12 तू अपनी रोटी ऐसे खाएगा मानो वह जौ की गोल रोटी हो। तू लोगों के देखते इंसानों का सूखा मल जलाकर उसकी आग पर यह रोटी सेंकेगा।” 13 यहोवा ने यह भी कहा, “जब मैं इसराएलियों को दूसरे देशों में तितर-बितर कर दूँगा तो वहाँ वे इसी तरह अशुद्ध रोटी खाएँगे।”+
14 तब मैंने कहा, “नहीं, यह मुझसे नहीं होगा! हे सारे जहान के मालिक यहोवा, मैं बचपन से आज तक कभी दूषित नहीं हुआ। मैंने कभी ऐसे जानवर का गोश्त नहीं खाया जो मरा हुआ मिला हो या जिसे जंगली जानवर ने फाड़ डाला हो।+ आज तक मेरे मुँह में किसी भी तरह का अशुद्ध* गोश्त नहीं गया।”+
15 तब उसने कहा, “ठीक है, मैं तुझे इंसानों के मल के बदले मवेशियों का गोबर इस्तेमाल करने की इजाज़त देता हूँ। तू अपनी रोटी उपलों पर सेंकना।” 16 फिर उसने कहा, “इंसान के बेटे, मैं यरूशलेम में खाने की तंगी फैलाने जा रहा हूँ।*+ लोग चिंता में डूबे हुए तौल-तौलकर रोटी खाएँगे+ और खौफ में जीते हुए नाप-नापकर पानी पीया करेंगे।+ 17 रोटी और पानी की तंगी के मारे लोग हैरान-परेशान एक-दूसरे को देखेंगे और अपने गुनाहों की सज़ा भुगतते-भुगतते नाश हो जाएँगे।
5 इंसान के बेटे, तू एक तेज़ धारवाली तलवार लेना और नाई के उस्तरे की तरह उससे अपने सिर के बाल और दाढ़ी मूँड़ना। फिर एक तराज़ू लेकर कटे बालों को तौलना और उन्हें तीन हिस्सों में बाँटना। 2 जब नगरी की घेराबंदी के दिन पूरे हो जाएँ, तो उन बालों का एक हिस्सा तू नगरी के अंदर आग में जला देगा।+ दूसरा हिस्सा लेकर नगरी के चारों तरफ तलवार से काटेगा+ और आखिर में बचा तीसरा हिस्सा हवा में उड़ा देगा। और मैं एक तलवार खींचकर उनका पीछा करूँगा।+
3 तू तीसरे हिस्से में से कुछ बाल अलग लेना और अपने चोगे की तह में लपेटकर रखना। 4 फिर उस हिस्से में से कुछ और बाल लेकर उन्हें आग में झोंक देना और पूरी तरह जला देना। इसी में से आग इसराएल के पूरे घराने में फैल जाएगी।+
5 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘यह यरूशलेम नगरी है। मैंने इसे राष्ट्रों के बीचों-बीच कायम किया था और दूसरे देश इसके आस-पास बसे हैं। 6 मगर इसने मेरे न्याय-सिद्धांतों और मेरी विधियों के खिलाफ जाकर बगावत की और अपने आस-पास के राष्ट्रों और देशों से भी बढ़कर दुष्ट काम किए।+ इसके लोगों ने मेरे न्याय-सिद्धांतों को ठुकरा दिया और वे मेरी विधियों पर नहीं चले।’
7 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तू अपने आस-पास के सब राष्ट्रों से भी ज़्यादा मुसीबत खड़ी करती थी। तूने मेरी विधियों को नहीं माना और न ही मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन किया। इसके बजाय, तूने अपने आस-पास के सभी राष्ट्रों के तौर-तरीके अपना लिए।+ 8 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हे नगरी, देख मैं तेरे खिलाफ हूँ।+ मैं सब राष्ट्रों के देखते तुझे सज़ा दूँगा।+ 9 तूने जितने भी घिनौने काम किए हैं, उनकी वजह से मैं तेरा इतना बुरा हश्र करूँगा जितना न आज तक मैंने किया है और न आगे कभी करूँगा।+
10 तेरे बीच पिता अपने बेटों का माँस खा जाएँगे+ और बेटे अपने पिताओं का माँस खा जाएँगे। मैं तेरे लोगों को सज़ा दूँगा और जो बच जाएँगे उन्हें चारों दिशाओं में तितर-बितर कर दूँगा।”’+
11 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘तूने मेरे पवित्र-स्थान को अपनी घिनौनी मूरतों और अपने घिनौने कामों से दूषित कर दिया है,+ इसलिए मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, मैं भी तुझे ठुकरा* दूँगा। मेरी आँखें तुझ पर तरस नहीं खाएँगी और मैं तुझ पर बिलकुल दया नहीं करूँगा।+ 12 तेरे एक-तिहाई लोग महामारी* से मर जाएँगे या अकाल की मार से मिट जाएँगे। और एक-तिहाई लोग तेरे चारों तरफ तलवार से मार डाले जाएँगे+ और बचे हुए एक-तिहाई लोगों को मैं चारों दिशाओं में तितर-बितर कर दूँगा। फिर मैं एक तलवार खींचकर उनका पीछा करूँगा।+ 13 तब जाकर मेरा गुस्सा ठंडा होगा, मेरा क्रोध शांत होगा और मुझे चैन मिलेगा।+ जब मैं उन पर अपना क्रोध प्रकट करके उन्हें सज़ा दूँगा, तो उन्हें मानना पड़ेगा कि मुझ यहोवा ने यह सब इसलिए कहा है क्योंकि मैं माँग करता हूँ कि सिर्फ और सिर्फ मेरी भक्ति की जाए।+
14 मैं तुझे उजाड़ दूँगा और तू आस-पास के राष्ट्रों के बीच मज़ाक बनकर रह जाएगी और तेरे पास से गुज़रनेवाला हर कोई तुझे देखकर तेरी खिल्ली उड़ाएगा।+ 15 जब मैं गुस्से और क्रोध में आकर तेरा न्याय करूँगा और तुझे कड़ी-से-कड़ी सज़ा दूँगा तो तेरी हालत देखकर आस-पास के सभी राष्ट्र तेरी हँसी उड़ाएँगे और तुझे नीची नज़रों से देखेंगे।+ तू उनके लिए एक सबक बन जाएगी और तेरी बरबादी देखकर वे बेहद डर जाएँगे। मुझ यहोवा ने यह बात कही है।
16 मैं उन पर अकाल के घातक तीर छोड़ूँगा ताकि वे नाश हो जाएँ। ये तीर जो मैं तुझ पर छोड़ूँगा, तुझे नाश कर देंगे।+ मैं खाने की ऐसी तंगी फैला दूँगा* कि अकाल का कहर और भी बढ़ जाएगा।+ 17 मैं तेरे बीच अकाल और खूँखार जंगली जानवर भेजूँगा+ और ये तेरे बच्चों को तुझसे छीन लेंगे। महामारी और खून-खराबे से तेरा हाल बेहाल हो जाएगा और मैं तुझ पर एक तलवार चलाऊँगा।+ मुझ यहोवा ने यह बात कही है।’”
6 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, इसराएल के पहाड़ों की तरफ मुँह करना और उनके खिलाफ भविष्यवाणी करना। 3 तू उनसे कहना, ‘इसराएल के पहाड़ो, सारे जहान के मालिक यहोवा का यह संदेश सुनो: सारे जहान का मालिक यहोवा पहाड़ों, पहाड़ियों, नदियों और घाटियों से कहता है, “देखो! मैं तुम पर एक तलवार चलवाऊँगा और तुम्हारी ऊँची जगह नाश कर दूँगा। 4 तुम्हारी वेदियाँ ढा दी जाएँगी, धूप-स्तंभ टुकड़े-टुकड़े कर दिए जाएँगे+ और तुम्हारे जिन लोगों को मार डाला जाएगा उनकी लाशें मैं तुम्हारी घिनौनी मूरतों* के सामने फेंक दूँगा।+ 5 मैं इसराएल के लोगों की लाशें उन्हीं की घिनौनी मूरतों के सामने फेंक दूँगा और तुम्हारी हड्डियाँ तुम्हारी वेदियों के चारों तरफ बिखरा दूँगा।+ 6 तुम जहाँ-जहाँ रहते हो, वहाँ के सभी शहर नाश कर दिए जाएँगे,+ ऊँची जगह ढा दी जाएँगी और उजाड़ पड़ी रहेंगी।+ तुम्हारी वेदियाँ ढा दी जाएँगी और चूर-चूर कर दी जाएँगी। तुम्हारी घिनौनी मूरतें नष्ट कर दी जाएँगी, तुम्हारे धूप-स्तंभ तोड़ दिए जाएँगे और तुम्हारे हाथ की बनायी हुई चीज़ें मिटा दी जाएँगी। 7 तुम्हारे बीच मारे गए लोगों का ढेर लग जाएगा।+ तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+
8 मगर मैं तुममें से कुछ लोगों को ज़िंदा छोड़ दूँगा। जब तुम दूसरे देशों में तितर-बितर किए जाओगे तो तुममें से कुछ लोग तलवार से बच जाएँगे।+ 9 तुम्हारे ये बचे हुए लोग जब उन देशों में बंदी बनकर रहेंगे तो वहाँ मुझे याद करेंगे।+ उन्हें एहसास होगा कि जब उनका मन विश्वासघाती* होकर मुझसे फिर गया और वे वासना-भरी नज़रों से* घिनौनी मूरतों के पीछे गए,+ तो उन्होंने किस कदर मेरा दिल दुखाया था।+ वे उन सारे बुरे और घिनौने कामों से घिन करेंगे जो उन्होंने किए थे और शर्मिंदा महसूस करेंगे।+ 10 उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ और मैंने उन पर यह कहर ढाने की जो धमकियाँ दी थीं वे बेकार ही नहीं दी थीं।”’+
11 सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तू मारे दुख के अपनी हथेलियाँ पीटना और अपने पैर पटकना और इसराएल के घराने ने जितने भी नीच और घिनौने काम किए हैं, उनके लिए मातम मनाना क्योंकि वे तलवार, अकाल और महामारी से मार डाले जाएँगे।+ 12 जो दूर है वह महामारी से मरेगा, जो पास है वह तलवार से मार डाला जाएगा और जो इन दोनों की मार से बच जाता है वह अकाल से मरेगा। मैं उन पर अपना गुस्सा उतारकर ही दम लूँगा।+ 13 जिन लोगों को मार डाला जाएगा उनकी लाशें उनकी घिनौनी मूरतों के पास, उनकी वेदियों के चारों तरफ,+ हर ऊँची पहाड़ी पर, सभी पहाड़ों की चोटियों पर, हर घने पेड़ के नीचे और बड़े-बड़े पेड़ों की डालियों के नीचे पड़ी रहेंगी, जहाँ वे अपनी घिनौनी मूरतों को खुश करने के लिए सुगंधित बलिदान चढ़ाया करते थे।*+ तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+ 14 मैं अपना हाथ बढ़ाकर उन्हें सज़ा दूँगा और पूरे देश को वीरान बना दूँगा। मैं उनकी सारी बस्तियाँ उजाड़ दूँगा और वे दिबला के पासवाले वीराने से भी ज़्यादा वीरान हो जाएँगी। तब उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”
7 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, सारे जहान का मालिक यहोवा इसराएल देश के बारे में कहता है: ‘अंत आ रहा है, अंत! देश के कोने-कोने का अंत कर दिया जाएगा। 3 तुम पर अंत आनेवाला है। मैं तुम पर अपना गुस्सा उतारकर ही रहूँगा और तुम्हारे चालचलन के मुताबिक तुम्हारा न्याय करूँगा। तुमने जितने भी घिनौने काम किए हैं उन सबका लेखा मैं तुमसे लूँगा। 4 मेरी आँखें तुम पर तरस नहीं खाएँगी और न ही मैं तुम पर दया करूँगा।+ तुम्हारे चालचलन के मुताबिक ही मैं तुम्हें फल दूँगा और तुम अपने घिनौने कामों का अंजाम भुगतोगे।+ तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’+
5 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘देखो, तुम पर आफत आनेवाली है! ऐसी आफत जो कभी किसी पर नहीं आयी।+ 6 अंत आनेवाला है, अंत! यह अंत ज़रूर आएगा। यह तुम पर अचानक आ पड़ेगा।* देखो! यह बस आ ही गया है। 7 तुम जो देश में बसे हुए हो अब तुम्हारी बारी* आ गयी है। समय आ गया है, वह दिन करीब है।+ पहाड़ों पर हाहाकार मचा हुआ है, वहाँ से जश्न और मौज-मस्ती की आवाज़ें नहीं आ रहीं।
8 मैं बहुत जल्द तुम पर अपने क्रोध का प्याला उँडेल दूँगा+ और अपना गुस्सा पूरी तरह उतारूँगा।+ मैं तुम्हारे चालचलन के मुताबिक तुम्हारा न्याय करूँगा और तुमने जितने भी घिनौने काम किए हैं, उन सबका मैं तुमसे लेखा लूँगा। 9 मेरी आँखें तुम पर तरस नहीं खाएँगी और न ही मैं तुम पर दया करूँगा।+ तुम्हारे चालचलन के मुताबिक ही मैं तुम्हें फल दूँगा और तुम अपने घिनौने कामों का अंजाम भुगतोगे। तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा ही तुम्हें सज़ा दे रहा हूँ।+
10 देखो! देखो, वह दिन आ रहा है!+ तुम्हारी बारी* आ गयी है। छड़ी तैयार है और गुस्ताखी बढ़ गयी है। 11 हिंसा ने बढ़ते-बढ़ते दुष्ट को सज़ा देनेवाली छड़ी का रूप ले लिया है।+ इसके बाद न वे, न उनकी भीड़, न उनकी दौलत या शोहरत बचेगी। 12 वह समय ज़रूर आएगा, वह दिन ज़रूर आएगा। न खरीदनेवाला खुशियाँ मनाए और न ही बेचनेवाला मातम मनाए, क्योंकि उनकी पूरी भीड़ पर मेरा क्रोध भड़का हुआ है।*+ 13 अपनी ज़मीन बेचनेवाला वापस उसमें कदम नहीं रख पाएगा, फिर चाहे उसकी जान क्यों न बख्श दी जाए क्योंकि इस दर्शन की बातें पूरी-की-पूरी भीड़ पर घटेंगी। कोई भी नहीं लौटेगा और अपने गुनाह की वजह से* कोई भी अपनी जान नहीं बचा सकेगा।
14 उन्होंने तुरही फूँक दी है+ और हर कोई तैयार है, मगर लड़ाई में कोई नहीं जा रहा क्योंकि पूरी भीड़ पर मेरा क्रोध भड़का हुआ है।+ 15 बाहर तलवार है,+ अंदर महामारी और अकाल है। जो बाहर मैदान में होगा वह तलवार से मार डाला जाएगा और जो शहर के अंदर होगा वह अकाल और महामारी से मारा जाएगा।+ 16 जो लोग इन विपत्तियों से किसी तरह बच निकलेंगे, वे पहाड़ों पर जाएँगे और वहाँ हर कोई अपने गुनाह की वजह से ऐसे शोक मनाएगा जैसे घाटियों में रहनेवाली फाख्ते कराहती हैं।+ 17 उन सबके हाथ ढीले पड़ जाएँगे और उनके घुटनों से पानी टपकने लगेगा।*+ 18 उन्होंने टाट ओढ़ लिया है+ और वे थर-थर काँप रहे हैं। वे सभी शर्मिंदा किए जाएँगे और हर किसी का सिर गंजा हो जाएगा।*+
19 वे अपनी चाँदी सड़कों पर फेंक देंगे और उन्हें अपने सोने से घिन होने लगेगी। यहोवा की जलजलाहट के दिन न उनकी चाँदी उन्हें बचा पाएगी, न उनका सोना।+ वे कभी संतुष्ट नहीं होंगे और न ही अपना पेट भर पाएँगे, क्योंकि यह* उनके लिए ठोकर का कारण बन गया है जो उनसे गुनाह कराता है। 20 उन्हें अपने खूबसूरत गहनों पर बड़ा घमंड था और उन्होंने उनसे* अपनी घिनौनी मूरतें बनायी थीं।+ इसलिए मैं उनके सोने-चाँदी को उनकी नज़रों में घिनौना बना दूँगा। 21 मैं यह सब* परदेसियों और दुनिया के दुष्ट लोगों के हाथ कर दूँगा। वे आकर इसे लूट लेंगे और इस खज़ाने को दूषित कर देंगे।
22 मैं उनसे अपना मुँह फेर लूँगा+ और वे* मेरी गुप्त जगह* को दूषित कर देंगे। लुटेरे उसमें घुस जाएँगे और उसे दूषित कर देंगे।+
23 ज़ंजीरें* तैयार करो+ क्योंकि पूरा देश अन्याय से बहाए खून से भरा है+ और शहर में हर कहीं मार-काट मची है।+ 24 दुनिया के सबसे खूँखार राष्ट्र को मैं यहाँ ले आऊँगा+ और वह उनके घरों पर कब्ज़ा कर लेगा।+ मैं ताकतवर लोगों का घमंड चूर-चूर कर दूँगा और उनकी पवित्र जगह दूषित कर दी जाएँगी।+ 25 जब वे दुख से तड़प रहे होंगे, तो ढूँढ़ने पर भी उन्हें शांति नहीं मिलेगी।+ 26 मुसीबत-पर-मुसीबत टूट पड़ेगी, उन्हें एक-के-बाद-एक बुरी खबर दी जाएगी। लोग बेकार ही भविष्यवक्ता से दर्शन पाने की आस लगाएँगे+ और याजक कानून* सिखाना और मुखिया सलाह देना बंद कर देंगे।+ 27 राजा मातम मनाएगा,+ प्रधान मायूसी* की चादर ओढ़े रहेगा और देश के लोगों के हाथ डर से थर-थर काँपेंगे। मैं उनके चालचलन के हिसाब से उनके साथ पेश आऊँगा। उन्होंने दूसरों का जिस तरह फैसला किया था उसी तरह मैं भी उनका फैसला करूँगा। तब उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”+
8 छठे साल* के छठे महीने के पाँचवें दिन, जब मैं अपने घर में बैठा हुआ था और यहूदा के मुखिया मेरे सामने बैठे हुए थे, तब सारे जहान के मालिक यहोवा का हाथ मुझ पर आया। 2 जब मैंने देखा तो मुझे कोई नज़र आया जिसका रूप आग जैसा था। और उसका जो भाग कमर जैसा लग रहा था+ उसके नीचे के पूरे हिस्से में आग थी और कमर से ऊपर का हिस्सा सोने-चाँदी जैसा चमचमा रहा था।+ 3 फिर उसने हाथ जैसा कुछ आगे बढ़ाया और मेरे सिर के बालों से मुझे पकड़ा। और एक शक्ति* ने मुझे धरती और आकाश के बीच उठाया और वह परमेश्वर की तरफ से मिले दर्शनों में मुझे यरूशलेम ले आयी। वह मुझे भीतरी फाटक के प्रवेश पर ले आयी+ जो उत्तर की तरफ है। वहाँ वह मूरत रखी हुई थी जो परमेश्वर को क्रोध दिलाती है।+ 4 और देखो! वहाँ इसराएल के परमेश्वर की वैसी ही महिमा थी+ जैसी मैंने घाटी में देखी थी।+
5 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, ज़रा अपनी नज़रें उठाकर उत्तर की तरफ देख।” तब मैंने उत्तर की तरफ नज़रें उठायीं और देखा कि वहाँ वेदी के दरवाज़े के उत्तर की तरफ प्रवेश में वह मूरत थी जो परमेश्वर को क्रोध दिलाती है। 6 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, क्या तू देख रहा है कि इसराएल का घराना यहाँ कैसे नीच और घिनौने काम कर रहा है+ जिस वजह से मैं अपने पवित्र-स्थान से दूर जाने पर मजबूर हो गया हूँ?+ मगर अब तू ऐसे घिनौने काम देखेगा जो इससे भी भयंकर हैं।”
7 फिर वह मुझे आँगन के प्रवेश पर ले आया और वहाँ मैंने दीवार में एक छेद देखा। 8 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, इस दीवार में एक बड़ा-सा छेद कर।” तब मैंने दीवार में बड़ा-सा छेद किया और देखा कि वहाँ अंदर जाने का एक रास्ता है। 9 उसने मुझसे कहा, “अब तू अंदर जा और देख कि वहाँ लोग कितने बुरे और घिनौने काम कर रहे हैं।” 10 फिर मैं अंदर गया और मैंने नज़र दौड़ायी तो देखा कि वहाँ दीवार पर चारों तरफ तरह-तरह के रेंगनेवाले जीव-जंतुओं, अशुद्ध जानवरों+ और इसराएल के घराने की सारी घिनौनी मूरतों*+ की नक्काशियाँ भरी पड़ी हैं। 11 और उनके सामने इसराएल के घराने के 70 मुखिया खड़े हैं जिनमें शापान+ का बेटा याजन्याह भी था। हर मुखिया के हाथ में उसका धूपदान था जिसमें से सुगंधित धूप का धुआँ बादल की तरह ऊपर उठ रहा था।+ 12 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, क्या तू देख रहा है कि इसराएल के घराने के मुखिया यहाँ अँधेरे में क्या कर रहे हैं? क्या तू देख रहा है कि वे सभी अंदरवाले कमरों में क्या कर रहे हैं, जहाँ उनकी अपनी-अपनी मूरतों की नुमाइश लगी हुई है?* वे कह रहे हैं, ‘यहोवा हमें नहीं देख रहा। यहोवा ने इस देश को छोड़ दिया है।’”+
13 फिर उसने मुझसे कहा, “अब आगे तू लोगों को ऐसे-ऐसे घिनौने काम करते देखेगा जो इससे भी भयंकर हैं।” 14 फिर वह मुझे यहोवा के भवन के उत्तरी दरवाज़े के प्रवेश पर ले आया। वहाँ मैंने देखा कि कुछ औरतें बैठी हुई तम्मूज देवता के लिए रो रही थीं।
15 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, क्या तू यह सब देख रहा है? अब तू इससे भी बढ़कर घिनौने काम देखेगा।”+ 16 फिर वह मुझे यहोवा के भवन के भीतरी आँगन में ले आया।+ वहाँ यहोवा के मंदिर के प्रवेश पर, बरामदे और वेदी के बीच करीब 25 आदमी थे। वे सब अपनी पीठ यहोवा के मंदिर की तरफ और अपना मुँह पूरब की तरफ किए हुए थे और पूरब में सूरज को दंडवत कर रहे थे।+
17 उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, क्या तू यह सब देख रहा है? क्या यह कोई छोटी बात है कि यहूदा का घराना ऐसे-ऐसे घिनौने काम करे और पूरे देश को खून-खराबे से भर दे+ और मुझे क्रोध दिलाता रहे? और देख, वे उस डाली* को मेरी नाक के पास ला रहे हैं। 18 इसलिए अब मैं क्रोध में आकर उन्हें सज़ा दूँगा। मेरी आँखें उन पर तरस नहीं खाएँगी और न ही मैं उन पर दया करूँगा।+ चाहे वे चीख-चीखकर मेरी दुहाई दें फिर भी मैं उनकी नहीं सुनूँगा।”+
9 फिर उसने ज़ोर से आवाज़ लगायी और मेरे सुनते हुए कहा, “उन आदमियों को बुलाओ जो इस शहर को सज़ा देंगे। हर आदमी अपने हाथ में नाश करने का हथियार लेकर आए!”
2 मैंने देखा कि उत्तर के ऊपरी दरवाज़े की तरफ से छ: आदमी चले आ रहे हैं।+ हर आदमी के हाथ में चूर-चूर करनेवाला एक हथियार था। उन छ: आदमियों के बीच एक और आदमी था जो मलमल की पोशाक पहने और कमर पर लिपिक की कलम-दवात* बाँधे हुए था। ये सारे आदमी मंदिर में आए और ताँबे की वेदी+ के पास खड़े हो गए।
3 तब इसराएल के परमेश्वर की महिमा,+ जो अब तक करूबों के ऊपर छायी हुई थी, वहाँ से हटकर भवन के दरवाज़े की दहलीज़ पर आ गयी।+ फिर परमेश्वर ने उस आदमी को आवाज़ दी जो मलमल की पोशाक पहने और कमर पर लिपिक की कलम-दवात बाँधे हुए था। 4 यहोवा ने उससे कहा, “तू पूरे यरूशलेम का दौरा कर और उन सभी के माथे पर एक निशान लगा जो शहर में होनेवाले घिनौने कामों+ की वजह से आहें भरते और कराहते हैं।”+
5 फिर उसने बाकी छ: आदमियों से मेरे सुनते कहा, “तुम लोग इस आदमी के पीछे-पीछे पूरे शहर में जाओ और लोगों को मार डालो। तुम्हारी आँखें उन पर तरस न खाएँ, न ही तुम बिलकुल दया करना।+ 6 बूढ़े, जवान, छोटे-छोटे बच्चे, कुँवारी लड़कियाँ, औरतें, सबको मार डालना, किसी को भी मत छोड़ना।+ मगर तुम ऐसे किसी भी आदमी के पास मत जाना जिसके माथे पर निशान लगा हो।+ तुम यह काम मेरे पवित्र-स्थान से शुरू करना।”+ तब उन आदमियों ने सबसे पहले उन मुखियाओं को मार डाला जो भवन के सामने मौजूद थे।+ 7 फिर उसने उन आदमियों से कहा, “इस भवन को दूषित कर दो और इसके आँगनों को मारे गए लोगों की लाशों से भर दो।+ जाओ, जाकर लोगों को मार डालो!” तब वे वहाँ से गए और उन्होंने शहर के लोगों को मार डाला।
8 जब वे लोगों को मार रहे थे, तो मैं अकेला बच गया। मैं मुँह के बल गिरा और चिल्लाने लगा, “हाय! ये कैसी बरबादी! हे सारे जहान के मालिक यहोवा, क्या तू इसी तरह यरूशलेम पर अपने क्रोध का प्याला उँडेलता रहेगा? क्या तू इसराएल में बचे लोगों में से किसी को भी ज़िंदा नहीं छोड़ेगा?”+
9 तब उसने मुझसे कहा, “इसराएल और यहूदा के घराने ने गुनाह करने में सारी हदें पार कर दी हैं।+ पूरा देश खून-खराबे से भर गया है+ और शहर में हर कहीं भ्रष्टाचार-ही-भ्रष्टाचार है,+ क्योंकि वे कहते हैं, ‘यहोवा ने इस देश को छोड़ दिया है, यहोवा हमें नहीं देख रहा।’+ 10 मेरी आँखें उन पर तरस नहीं खाएँगी, मैं उन पर बिलकुल दया नहीं करूँगा।+ मैं उनके चालचलन के मुताबिक उन्हें फल दूँगा।”
11 फिर मैंने उस आदमी को देखा जो मलमल की पोशाक पहने और कमर पर कलम-दवात बाँधे हुए था। वह वापस आया और उसने कहा, “तूने मुझे जैसी आज्ञा दी थी, मैंने बिलकुल वैसा ही किया।”
10 फिर मैंने गौर किया कि करूबों के सिर के ऊपर जो फलक था, उसके ऊपर नीलम जैसा कुछ दिखायी दे रहा था। वह दिखने में एक राजगद्दी जैसा था।+ 2 फिर परमेश्वर ने मलमल की पोशाक पहने आदमी+ से कहा, “करूबों के नीचे घूमते पहियों+ के बीच जा और करूबों के बीच से जलते अंगारे लेकर अपने दोनों हाथों में भर ले+ और उन्हें शहर पर फेंक दे।”+ तब वह आदमी मेरे देखते उनके बीच गया।
3 जब वह आदमी पहियों के बीच गया तब करूब भवन के दायीं तरफ खड़े थे और भीतरी आँगन बादल से भर गया था। 4 फिर यहोवा की महिमा का तेज+ करूबों के पास से उठा और भवन के दरवाज़े की दहलीज़ पर जा ठहरा। भवन धीरे-धीरे बादल से भर गया+ और पूरा आँगन यहोवा की महिमा के तेज से चकाचौंध हो गया। 5 करूबों के पंखों की आवाज़ इतनी ज़ोरदार थी कि बाहरी आँगन तक सुनायी दे रही थी और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बोलने जैसी आवाज़ थी।+
6 फिर परमेश्वर ने मलमल की पोशाक पहने आदमी को यह आज्ञा दी: “तू घूमते हुए पहियों और करूबों के बीच से थोड़ी आग ले।” तब वह आदमी वहाँ गया और पहिए के पास खड़ा हो गया। 7 फिर करूबों में से एक ने अपना हाथ उस आग की तरफ बढ़ाया जो उनके बीच थी+ और थोड़ी आग लेकर मलमल की पोशाक पहने आदमी+ के दोनों हाथों पर रख दी। वह आदमी आग लेकर बाहर निकल गया। 8 करूबों के पंखों के नीचे इंसान के हाथों जैसा कुछ दिखता था।+
9 जब मैं देख रहा था तो मुझे करूबों के पास में चार पहिए दिखायी दिए। हर करूब के पास में एक पहिया था और ये पहिए करकेटक की तरह चमक रहे थे।+ 10 चारों पहिए दिखने में एक जैसे लग रहे थे। ऐसा मालूम पड़ रहा था जैसे हर पहिए के अंदर एक और पहिया लगा है। 11 जब पहिए आगे बढ़ते तो वे चार दिशाओं में से किसी भी दिशा में बिना मुड़े जा सकते थे, क्योंकि पहिए बिना मुड़े उसी दिशा में जाते थे जिधर करूबों का सिर होता था। 12 करूबों का पूरा शरीर, उनकी पीठ, उनके हाथ और पंख आँखों से भरे हुए थे। उनके पास जो चार पहिए थे उनके पूरे घेरे में भी आँखें-ही-आँखें थीं।+ 13 फिर मैंने एक आवाज़ सुनी जिसने पहियों को यह कहकर पुकारा: “घूमनेवाले पहियो!”
14 हरेक* के चार चेहरे थे। पहला चेहरा करूब के चेहरे जैसा था, दूसरा आदमी* का चेहरा, तीसरा शेर का और चौथा उकाब का चेहरा था।+
15 ये करूब वही जीवित प्राणी थे जो मैंने कबार नदी के पास देखे थे।+ करूब जब भी ऊपर उठते 16 और आगे बढ़ते तो उनके साथ-साथ पहिए भी बढ़ते थे। जब करूब अपने पंख उठाकर धरती से ऊपर उठते, तब भी पहिए करूबों से दूर नहीं जाते थे, न ही मुड़ते थे।+ 17 जब वे जीवित प्राणी कहीं रुक जाते तो पहिए भी वहीं रुक जाते और जब वे ऊपर उठते तो साथ में पहिए भी उठते थे, क्योंकि जो पवित्र शक्ति जीवित प्राणियों पर काम कर रही थी वही पहियों में भी थी।
18 फिर यहोवा की महिमा का तेज+ भवन के दरवाज़े की दहलीज़ से उठ गया और करूबों पर जा ठहरा।+ 19 मैंने देखा कि फिर करूब अपने पंख उठाकर धरती से ऊपर उठ गए। करूबों के साथ-साथ पहिए भी ऊपर जाने लगे। वे जाकर यहोवा के भवन के पूरबवाले फाटक के प्रवेश पर ठहर गए और इसराएल के परमेश्वर की महिमा का तेज उन पर छाया रहा।+
20 ये वही जीवित प्राणी थे जिन्हें मैंने कबार नदी के पास इसराएल के परमेश्वर की राजगद्दी के नीचे देखा था।+ इसलिए मैं जान गया कि वे करूब ही थे। 21 चारों करूबों के चार-चार चेहरे और चार-चार पंख थे और उनके पंखों के नीचे इंसान के हाथों जैसा कुछ दिखता था।+ 22 उनके चेहरे बिलकुल उन प्राणियों के चेहरों जैसे थे जो मैंने कबार नदी के पास देखे थे।+ हर करूब सीधे आगे की तरफ बढ़ता था।+
11 फिर एक शक्ति* ने मुझे ऊपर उठाया और वह मुझे यहोवा के भवन के पूरबवाले फाटक पर ले गयी जो पूरब की तरफ खुलता है।+ वहाँ फाटक के प्रवेश पर मैंने 25 आदमी देखे जो लोगों के हाकिम थे।+ उनमें अज्जूर का बेटा याजन्याह और बनायाह का बेटा पलत्याह भी था। 2 परमेश्वर ने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, ये वे आदमी हैं जो साज़िशें रचते हैं और इस नगरी में* गलत सलाह देते हैं। 3 वे कहते हैं, ‘अभी तो हमें यहाँ और भी घर बनाने हैं।+ यह नगरी* एक हंडा* है+ और हम उसके अंदर का गोश्त हैं।’
4 इसलिए इंसान के बेटे, उन लोगों के खिलाफ भविष्यवाणी कर। हाँ, भविष्यवाणी कर।”+
5 फिर यहोवा की पवित्र शक्ति मुझ पर आयी+ और उसने मुझसे कहा, “जाकर उनसे कहना, ‘यहोवा कहता है, “हे इसराएल के घराने के लोगो, तुम बिलकुल ठीक कह रहे हो। मैं जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो। 6 तुमने इस नगरी में बहुतों को मरवा डाला है और उनकी लाशों से सड़कें भर दी हैं।”’”+ 7 “इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘हाँ, यह नगरी हंडा है।+ मगर इसके अंदर का गोश्त वह सारी लाशें हैं जो तुमने पूरी नगरी में बिछा दी हैं। जहाँ तक तुम लोगों की बात है, तुम इससे बाहर निकाल दिए जाओगे।’”
8 “सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘तुम लोग तलवार से डरते हो न?+ अब देखना, मैं तुम पर तलवार ही चलवाऊँगा। 9 मैं तुम्हें नगरी से बाहर निकाल दूँगा और परदेसियों के हवाले कर दूँगा और तुम्हें सज़ा दूँगा।+ 10 तुम तलवार से मारे जाओगे।+ मैं इसराएल की सरहद पर तुम्हें सज़ा दूँगा।+ तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+ 11 यह नगरी एक हंडे की तरह तुम्हारी हिफाज़त नहीं करेगी और न ही तुम गोश्त की तरह इसके अंदर महफूज़ रह पाओगे, क्योंकि मैं इसराएल की सरहद पर तुम्हें सज़ा दूँगा। 12 तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ, क्योंकि तुम मेरे कायदे-कानूनों पर नहीं चले और तुमने मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन नहीं किया।+ इसके बजाय, तुमने अपने आस-पास के राष्ट्रों के न्याय-सिद्धांत अपना लिए हैं।’”+
13 जैसे ही मैंने भविष्यवाणी करना खत्म किया, बनायाह का बेटा पलत्याह मर गया। और मैं मुँह के बल ज़मीन पर गिरा और ज़ोर से चिल्ला उठा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा! क्या तू इसी तरह इसराएल के बचे हुओं को भी मार डालेगा?”+
14 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास आया। उसने मुझसे कहा, 15 “इंसान के बेटे, तेरे जो भाई ज़मीन वापस खरीदने का अधिकार रखते हैं, उनसे और इसराएल के पूरे घराने से यरूशलेम के लोगों ने कहा है, ‘तुम यहोवा से बहुत दूर रहो। देश की ज़मीन हमारी है। यह हमारे अधिकार में कर दी गयी है।’ 16 इसलिए तू कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हालाँकि मैंने उन लोगों को इस देश से निकालकर दूर-दूर के देशों में भेज दिया है और वहाँ तितर-बितर कर दिया है,+ फिर भी मैं उन देशों में कुछ समय तक उनके लिए पवित्र-स्थान बना रहूँगा।”’+
17 इसलिए तू कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं तुम्हें दूसरे देशों और राष्ट्रों से इकट्ठा करूँगा, जहाँ तुम तितर-बितर किए गए हो। फिर मैं तुम्हें इसराएल देश की ज़मीन दे दूँगा।+ 18 वे इसराएल लौट जाएँगे और वहाँ से सारी घिनौनी चीज़ें और घिनौने काम दूर कर देंगे।+ 19 मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा*+ और उनके अंदर एक नया रुझान पैदा करूँगा।+ उनका दिल जो पत्थर जैसा सख्त हो गया था,+ उसके बदले मैं उन्हें एक ऐसा दिल दूँगा जो कोमल होगा*+ 20 ताकि वे मेरी विधियों पर चलें, मेरे न्याय-सिद्धांतों को मानें और उनका पालन करें। तब वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा।”’
21 ‘“मगर जिन लोगों ने दिल में ठान लिया है कि वे अपनी घिनौनी चीज़ों और अपने घिनौने कामों में लगे रहेंगे, उन्हें मैं उनकी करतूतों का फल दूँगा।” सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।’”
22 इसके बाद करूबों ने अपने पंख ऊपर उठा लिए और पहिए उनके बिलकुल पास थे+ और इसराएल के परमेश्वर की महिमा उनके ऊपर छायी रही।+ 23 फिर यहोवा की महिमा+ नगरी से ऊपर उठने लगी और जाकर उस पहाड़ पर ठहर गयी जो नगरी के पूरब में है।+ 24 इसके बाद एक शक्ति* ने मुझे ऊपर उठाया और परमेश्वर की शक्ति से मिले दर्शन में मुझे कसदिया में उन लोगों के पास पहुँचाया जो वहाँ बंदी थे। तब वह दर्शन, जो मैं देख रहा था, खत्म हो गया। 25 फिर मैं बंदी लोगों को वे सारी बातें बताने लगा जो यहोवा ने मुझे दर्शन में दिखायी थीं।
12 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, तू जिन लोगों के बीच रहता है वे बगावती घराने के लोग हैं। उनकी आँखें तो हैं मगर वे देखते नहीं, उनके कान तो हैं मगर सुनते नहीं+ क्योंकि वे बगावती घराने के लोग हैं।+ 3 इंसान के बेटे, तू बँधुआई में जाने के लिए सामान बाँध ले और दिन के वक्त जब लोग तुझे देख रहे हों तब अपना सामान लेकर ऐसे निकल जैसे तू बँधुआई में जा रहा है। तू लोगों के देखते अपने घर से किसी और जगह बँधुआई में जा। हालाँकि वे बगावती घराने के लोग हैं, फिर भी हो सकता है वे तुझ पर ध्यान दें। 4 तू बँधुआई का सामान लेकर लोगों के देखते दिन के वक्त बाहर निकल और शाम को उनके देखते ऐसे निकल मानो तुझे बंदी बनाकर ले जाया जा रहा है।+
5 तू लोगों के देखते दीवार में एक छेद कर और अपनी चीज़ें लेकर छेद में से उस पार निकल जा।+ 6 जब अँधेरा होगा तब तू उनके देखते अपनी चीज़ें कंधे पर रखकर निकल जा। तू अपना चेहरा ढक ले ताकि तू ज़मीन को न देख सके क्योंकि मैंने तुझे इसराएल के घराने के लिए एक चिन्ह ठहराया है।”+
7 मैंने ठीक वैसे ही किया जैसे मुझे आज्ञा दी गयी थी। दिन के वक्त मैंने अपना सामान निकाला जैसे कोई बँधुआई में जाने के लिए सामान निकालता है। और शाम को मैंने अपने हाथ से दीवार में छेद किया। जब अँधेरा हुआ तो मैंने अपना सामान उठाया और कंधे पर रखकर लोगों के देखते निकल पड़ा।
8 सुबह होने पर यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 9 “इंसान के बेटे, इसराएल के बगावती घराने के लोगों ने तुझसे पूछा है कि तू क्या कर रहा है। 10 तू उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “यह संदेश यरूशलेम शहर में रहनेवाले प्रधान+ और इसराएल के पूरे घराने के बारे में है।”’
11 तू उनसे कहना कि तू उनके लिए एक चिन्ह है+ और जैसा तूने किया है वैसा ही उनके साथ किया जाएगा। उन्हें बंदी बनाकर दूर देश भेज दिया जाएगा।+ 12 जो उनका प्रधान है वह अपना सामान कंधे पर रखकर अँधेरे में निकलेगा। वह दीवार में एक छेद करेगा और अपना सामान लेकर छेद में से उस पार निकलेगा।+ वह अपना चेहरा ढक लेगा इसलिए वह ज़मीन नहीं देख सकेगा। 13 मैं उस पर अपना जाल डालूँगा और वह उसमें फँस जाएगा।+ फिर मैं उसे कसदियों के देश बैबिलोन ले जाऊँगा, मगर वह उस देश को नहीं देखेगा और वहीं मर जाएगा।+ 14 उसके सभी सहायकों और सैनिकों को, जो उसके आस-पास रहते हैं, मैं चारों दिशाओं में तितर-बितर कर दूँगा।+ और मैं तलवार खींचकर उनका पीछा करूँगा।+ 15 जब मैं उन्हें अलग-अलग देशों में बिखरा दूँगा और वहाँ तितर-बितर कर दूँगा तो उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ। 16 मगर मैं उनमें से कुछ लोगों को छोड़ दूँगा। वे तलवार, अकाल और महामारी की मार से बच जाएँगे ताकि वे जिन राष्ट्रों में जाएँगे, वहाँ लोगों को बता सकें कि उन्होंने कैसे-कैसे घिनौने काम किए थे। तब उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”
17 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 18 “इंसान के बेटे, तू डरते-काँपते हुए अपनी रोटी खाना और बड़ी परेशानी और चिंता में डूबे हुए पानी पीना।+ 19 तू देश के लोगों से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा इसराएल देश के यरूशलेम के निवासियों से कहता है, “वे गहरी चिंता में डूबे हुए अपनी रोटी खाएँगे और खौफ में जीते हुए पानी पीएँगे क्योंकि देश में रहनेवालों ने जो मार-काट मचा रखी है, उसकी वजह से उनका देश पूरी तरह उजाड़ दिया जाएगा।+ 20 जो शहर लोगों से आबाद हैं, वे उजाड़ दिए जाएँगे और देश की पूरी ज़मीन बंजर हो जाएगी।+ तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”’”+
21 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 22 “इंसान के बेटे, इसराएल में यह कैसी कहावत चली है, ‘दिन गुज़रते जा रहे हैं पर एक भी दर्शन पूरा नहीं हुआ’?+ 23 इसलिए तू उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं इस कहावत का अंत कर दूँगा ताकि इसराएल में यह फिर कभी लोगों की ज़बान पर न आए।”’ और तू उनसे कहना, ‘वे दिन बहुत करीब हैं+ जब एक-एक दर्शन पूरा होगा।’ 24 इसके बाद फिर कभी इसराएल के घराने में कोई भी झूठा दर्शन या चिकनी-चुपड़ी बातों की* भविष्यवाणी नहीं सुनी जाएगी।+ 25 ‘“क्योंकि मैं यहोवा बात करूँगा और मैं जो कुछ कहूँगा वह बिना देरी के पूरा हो जाएगा।+ बगावती घराने के लोगो, मैं तुम्हारे जीते-जी+ अपनी बात कहूँगा और उसे पूरा भी करूँगा।” सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।’”
26 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 27 “इंसान के बेटे, इसराएल के लोगों* का कहना है, ‘यह आदमी जो दर्शन देखता है वह एक अरसे बाद जाकर पूरा होगा और इसकी भविष्यवाणियाँ बहुत समय बाद पूरी होंगी।’+ 28 इसलिए तू उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “‘मेरी किसी भी बात के पूरे होने में देर नहीं होगी। मैं जो कहता हूँ वह होकर ही रहेगा।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”’”
13 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, इसराएल के उन भविष्यवक्ताओं के खिलाफ भविष्यवाणी कर+ जो खुद की गढ़ी हुई भविष्यवाणियाँ सुनाते हैं।*+ उनसे कह, ‘यहोवा का संदेश सुनो। 3 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “धिक्कार है उन मूर्ख भविष्यवक्ताओं पर जो अपने मन से भविष्यवाणी करते हैं जबकि उन्हें कोई दर्शन नहीं मिला है!+ 4 हे इसराएल, तेरे भविष्यवक्ता खंडहरों में रहनेवाली लोमड़ियों जैसे बन गए हैं। 5 तुम इसराएल के घराने की खातिर पत्थर की शहरपनाह में आयी दरारें भरने उनके पास नहीं जाओगे+ और इसलिए इसराएल यहोवा के युद्ध के दिन खड़ा नहीं रह पाएगा।”+ 6 “उन्होंने झूठे दर्शन देखे हैं और झूठी भविष्यवाणी की है। यहोवा ने उन्हें नहीं भेजा है, फिर भी वे कहते हैं, ‘यह यहोवा का संदेश है’ और सोचते हैं कि उनकी बात सच निकलेगी।+ 7 तुमने जो दर्शन देखा क्या वह झूठा नहीं है? और हालाँकि मैंने तुम्हें कोई संदेश नहीं दिया, फिर भी जब तुम कहते हो, ‘यह यहोवा का संदेश है,’ तो क्या तुम झूठी भविष्यवाणी नहीं करते?”’
8 ‘इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “‘तुमने जो बातें कही हैं वे झूठी हैं और तुमने जो दर्शन देखे वे भी झूठे हैं, इसलिए मैं तुम्हारे खिलाफ हूँ।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”+ 9 मेरा हाथ उन भविष्यवक्ताओं पर उठा है जो झूठे दर्शन देखते हैं और झूठी भविष्यवाणी करते हैं।+ वे उन लोगों में नहीं होंगे जिनके साथ मैं करीबी रिश्ता रखता हूँ और न ही उनके नाम इसराएल के घराने की नाम-लिखाई की किताब में लिखे जाएँगे और वे इसराएल देश कभी नहीं लौट पाएँगे। तब तुम्हें जानना होगा कि मैं सारे जहान का मालिक यहोवा हूँ।+ 10 उनके साथ यह सब इसलिए होगा क्योंकि उन्होंने यह कहकर मेरे लोगों को गुमराह किया है, “शांति है, शांति!” जबकि शांति कहीं नहीं है।+ जब एक कमज़ोर दीवार खड़ी की जाती है तो वे उसकी सफेदी करते हैं।’*+
11 सफेदी करनेवालों से कहना कि वह दीवार ढह जाएगी। ऐसी घनघोर बारिश होगी, ओले गिरेंगे और भयंकर आँधियाँ चलेंगी कि दीवार टूटकर गिर जाएगी।+ 12 और जब दीवार गिरेगी तो तुमसे पूछा जाएगा, ‘कहाँ गयी वह सफेदी जो तुमने की थी?’+
13 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं क्रोध में आकर भयंकर आँधियाँ चलाऊँगा, गुस्से में आकर घनघोर बारिश कराऊँगा और बड़ी जलजलाहट में आकर ओले बरसाऊँगा। 14 मैं तुम्हारी सफेदी की हुई दीवार तोड़ डालूँगा और ज़मीन पर गिरा दूँगा और उसकी बुनियाद तक दिखने लगेगी। जब नगरी गिर पड़ेगी तो तुम लोग उसके अंदर नाश हो जाओगे और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’
15 ‘मैं उस दीवार पर और उसकी सफेदी करनेवालों पर अपना गुस्सा पूरी तरह उतारने के बाद तुमसे कहूँगा, “अब न वह दीवार रही न उसकी सफेदी करनेवाले।+ 16 इसराएल के वे भविष्यवक्ता अब नहीं रहे, जिन्होंने यरूशलेम को भविष्यवाणियाँ सुनायी थीं और दर्शन देखे थे कि वहाँ शांति है जबकि शांति बिलकुल नहीं थी।”’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
17 इंसान के बेटे, अब तू अपने लोगों में से उन औरतों से बात कर जो खुद की गढ़ी हुई भविष्यवाणियाँ सुनाती हैं। तू उनके खिलाफ भविष्यवाणी कर। 18 उनसे कह, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “धिक्कार है उन औरतों पर जो हर तरह के लोगों के लिए तावीज़ बनाती हैं और हर तरह के लोगों के सिर के लिए परदे बनाती हैं ताकि उन्हें फँसाकर उनकी जान ले लें! क्या तुम मेरे लोगों की जान का शिकार कर रही हो और अपनी जान बचाने की कोशिश कर रही हो? 19 क्या तुम मुट्ठी-भर जौ और रोटी के टुकड़ों के लिए मेरे लोगों के बीच मेरा अपमान करोगी?+ मेरे लोगों में से जो तुम्हारी झूठी बातें सुनते हैं, क्या तुम उन्हें अपनी झूठी बातों में फँसाकर मार डालोगी और इस तरह ऐसे लोगों को मारोगी जिन्हें मारना सही नहीं और ऐसे लोगों को ज़िंदा रखोगी जो ज़िंदा रहने के लायक नहीं हैं?”’+
20 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘हे औरतो, मैं तुम्हारे उन तावीज़ों की वजह से तुम्हारे खिलाफ हूँ जिनका इस्तेमाल करके तुम लोगों का ऐसे शिकार करती हो मानो वे पंछी हों। मैं तुम्हारी बाँहों से तावीज़ निकाल दूँगा और उन लोगों को आज़ाद कर दूँगा जिनका तुम ऐसे शिकार करती हो मानो वे पंछी हों। 21 मैं तुम्हारे परदे फाड़ दूँगा और अपने लोगों को तुम्हारे हाथ से छुड़ा लूँगा। इसके बाद फिर कभी तुम उनका शिकार नहीं कर पाओगी और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+ 22 तुमने अपने झूठ से नेक इंसान का हौसला तोड़ दिया है+ जबकि मैंने उसे कोई दुख* नहीं दिया था। और तुमने दुष्ट के हाथ मज़बूत किए हैं+ जिस वजह से वह अपने बुरे कामों से नहीं फिरता कि वह ज़िंदा बच सके।+ 23 इसलिए अब तुम और झूठे दर्शन नहीं देख पाओगी और न ही ज्योतिषी का काम कर पाओगी।+ मैं अपने लोगों को तुम्हारे हाथ से छुड़ा लूँगा और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”
14 इसराएल के कुछ मुखिया मेरे पास आए और मेरे सामने बैठे।+ 2 फिर यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 3 “इंसान के बेटे, इन आदमियों ने अपनी घिनौनी मूरतों* के पीछे चलने की ठान ली है और लोगों के सामने ठोकर का पत्थर रख दिया है जो उनसे पाप करवाता है। अब यही आदमी मेरी मरज़ी जानने तेरे पास आए हैं। मैं उन्हें अपनी मरज़ी क्यों बताऊँ?+ 4 उन आदमियों से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “अगर एक इसराएली ने अपनी घिनौनी मूरतों के पीछे चलने की ठान ली है और वह लोगों के सामने ठोकर का पत्थर रखता है, जो उनसे पाप करवाता है और फिर मेरी मरज़ी जानने के लिए एक भविष्यवक्ता के पास आता है, तो मैं यहोवा उसे उतनी कड़ी सज़ा दूँगा जितनी कि उसकी घिनौनी मूरतें हैं। 5 मैं इसराएल के घराने के लोगों के दिलों में डर बिठा दूँगा* क्योंकि उन सबने मुझे छोड़ दिया है और अपनी घिनौनी मूरतों के पीछे चलने लगे हैं।”’+
6 इसलिए इसराएल के घराने से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “तुम सब मेरे पास लौट आओ, अपनी घिनौनी मूरतों और अपने सब घिनौने कामों से मुँह फेर लो,+ 7 क्योंकि अगर कोई इसराएली या इसराएल में रहनेवाला कोई परदेसी खुद को मुझसे अलग कर देता है और अपनी घिनौनी मूरतों के पीछे चलने की ठान लेता है और लोगों के सामने ठोकर का पत्थर रखता है जो उनसे पाप करवाता है और फिर मेरे भविष्यवक्ता के पास मेरी मरज़ी जानने आता है,+ तो मैं यहोवा खुद उस आदमी को जवाब दूँगा। 8 मैं उस आदमी के खिलाफ हो जाऊँगा और उसका ऐसा हश्र करूँगा कि उससे दूसरों को सबक मिले और उस पर एक कहावत बन जाए। मैं उसे अपने लोगों के बीच से नाश कर दूँगा+ और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”’
9 ‘लेकिन अगर वह भविष्यवक्ता मूर्ख बन जाता है और उससे पूछताछ करनेवाले आदमी को कोई भविष्यवाणी सुनाता है, तो जान लेना कि उस भविष्यवक्ता को मुझ यहोवा ने ही मूर्ख बनाया है।+ मैं उसके खिलाफ अपना हाथ बढ़ाऊँगा और उसे अपनी प्रजा इसराएल के बीच से मिटा दूँगा। 10 उस भविष्यवक्ता और उससे पूछताछ करनेवाले आदमी दोनों को अपने दोष की सज़ा मिलेगी, पूछताछ करनेवाला उतना ही दोषी ठहरेगा जितना कि वह भविष्यवक्ता। 11 ऐसा इसलिए है ताकि इसराएल का घराना मुझसे दूर जाकर भटकना और अपने सभी अपराधों से खुद को दूषित करना छोड़ दे। तब वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
12 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 13 “इंसान के बेटे, अगर एक देश मुझसे विश्वासघात करके मेरे खिलाफ पाप करे तो मैं उसके खिलाफ अपना हाथ बढ़ाऊँगा और उसकी खाने-पीने की चीज़ों का भंडार नष्ट कर दूँगा।*+ मैं देश में अकाल भेजूँगा+ और इंसान और जानवर, दोनों को वहाँ से मिटा दूँगा।”+ 14 “सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘अगर उस देश में नूह,+ दानियेल+ और अय्यूब+ भी हों, तो ये तीनों आदमी अपनी नेकी की वजह से सिर्फ अपनी जान बचा पाएँगे।’”+
15 “‘अगर मैं पूरे देश में खूँखार जंगली जानवरों को भेजूँगा तो वे सब लोगों को खाकर देश खाली कर देंगे* और उसे वीरान बना देंगे। और जंगली जानवरों के डर से वहाँ से कोई आ-जा नहीं सकेगा।+ 16 मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, अगर उस देश में ये तीनों आदमी हों तो भी ये अपने बेटे-बेटियों को नहीं बचा पाएँगे। ये सिर्फ खुद को बचा पाएँगे और पूरा देश उजाड़ हो जाएगा।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
17 “‘अगर मैं उस देश पर तलवार चलवाऊँ+ और कहूँ, “पूरे देश में तलवार चलायी जाए,” तो मैं इंसान और जानवर दोनों को मार डालूँगा।+ 18 मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, अगर उस देश में ये तीनों आदमी हों तो भी ये अपने बेटे-बेटियों को नहीं बचा पाएँगे। ये सिर्फ खुद को बचा पाएँगे।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
19 “‘अगर मैं उस देश पर महामारी ले आऊँ+ और उस पर अपने क्रोध का प्याला उँडेलूँ और इंसानों और जानवरों को मिटाने के लिए खून की नदियाँ बहा दूँ 20 तो मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ कि चाहे उस देश में नूह,+ दानियेल+ और अय्यूब+ रहते हों तो भी ये आदमी अपने बेटे-बेटियों को नहीं बचा पाएँगे। ये अपनी नेकी की वजह से सिर्फ खुद को बचा पाएँगे।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”+
21 “सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘यरूशलेम का यही हाल होगा जब मैं उसे इन चार तरीकों से यानी तलवार, अकाल, खूँखार जंगली जानवर और महामारी से सज़ा दूँगा+ और इंसान और जानवर, दोनों को मिटा दूँगा।+ 22 मगर उनमें से कुछ आदमी-औरत बच जाएँगे और उन्हें देश से बाहर ले जाया जाएगा।+ वे तुम्हारे पास आएँगे और जब तुम उनके तौर-तरीके और उनके काम देखोगे, तो तुम्हें ज़रूर इस बात से तसल्ली मिलेगी कि मैंने यरूशलेम पर इतना बड़ा कहर ढाया और उसके साथ यह सब किया।’”
23 “‘जब तुम उनके तौर-तरीके और उनके काम देखोगे तो तुम्हें इस बात से तसल्ली मिलेगी कि मुझे यरूशलेम के साथ जो भी करना पड़ा वह बेवजह नहीं था।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
15 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, क्या अंगूर की बेल की लकड़ी दूसरे पेड़ की लकड़ी से या जंगल के पेड़ों की डाली से ज़्यादा अच्छी होती है? 3 क्या उसकी लकड़ी से बनाया डंडा किसी काम का होता है? क्या उससे बरतन टाँगने के लिए खूँटी तक बनायी जा सकती है? 4 वह तो बस आग जलाने के काम आती है। आग उसके दोनों कोने जला देती है और बीच का हिस्सा भस्म कर देती है। क्या अब वह लकड़ी किसी काम की है? 5 जब वह जलने से पहले किसी काम की नहीं थी, तो अब जलने के बाद किस काम आएगी? अब तो वह पहले से भी बेकार हो जाएगी!”
6 “इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जैसे जंगल के पेड़ों में से अंगूर की बेल की लकड़ी मैंने आग जलाने के लिए दी है, वैसे ही मैं यरूशलेम के निवासियों का नाश कर दूँगा।+ 7 मैं उनके खिलाफ हो गया हूँ। वे भले ही आग से बच निकले हैं, मगर आग उन्हें ज़रूर भस्म कर देगी। जब मैं उनके खिलाफ होऊँगा तो तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”+
8 “‘मैं पूरे देश को उजाड़ दूँगा+ क्योंकि उन्होंने विश्वासघात किया है।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
16 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, यरूशलेम नगरी को उसके घिनौने काम जता दे।+ 3 तू उससे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा यरूशलेम से कहता है, “तू कनानियों के देश में पैदा हुई थी। तेरी शुरूआत वहीं से हुई थी। तेरा पिता एमोरी था+ और माँ हित्ती थी।+ 4 जिस दिन तू पैदा हुई थी, उस दिन तेरा नाल नहीं काटा गया और न ही तुझे पानी से नहलाकर साफ किया गया। न तुझ पर नमक मला गया और न ही तुझे कपड़ों में लपेटा गया। 5 किसी ने तुझ पर इतना भी तरस न खाया कि तेरे लिए इनमें से एक भी काम करता। किसी ने भी तुझ पर दया नहीं की। उलटा तुझे खुले मैदान में यूँ ही फेंक दिया गया क्योंकि जिस दिन तू पैदा हुई थी उस दिन तुझसे नफरत की गयी थी।
6 जब मैं तेरे यहाँ से गुज़र रहा था तो मैंने देखा कि तू अपने खून में पड़ी पैर मार रही है। तुझे अपने खून में पड़ा देखकर मैंने कहा, ‘ज़िंदा रह!’ हाँ, जब मैंने देखा कि तू अपने ही खून में पड़ी है तो मैंने कहा, ‘ज़िंदा रह!’ 7 मैंने तुझे मैदान में उगनेवाले पौधों की तरह गिनती में बहुत बढ़ाया। तू बड़ी होती गयी और पूरी तरह खिल गयी और तूने बढ़िया-से-बढ़िया गहनों से अपना सिंगार किया। तेरी छातियाँ सुडौल हो गयीं और तेरे बाल बढ़ गए। मगर अब भी तेरा तन ढका नहीं था, तू बिलकुल नंगी थी।”’
8 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जब मैं तेरे पास से गुज़र रहा था तो मैंने देखा कि तू सयानी हो गयी है और अब तेरी प्यार करने की उम्र हो गयी है। इसलिए मैंने अपना बागा तुझे ओढ़ा दिया+ और तेरा तन ढाँप दिया। मैंने शपथ खाकर तेरे साथ एक करार किया और तू मेरी हो गयी। 9 मैंने तुझे पानी से नहलाया, तेरे शरीर पर लगा खून पानी से धो दिया और तुझ पर तेल मला।+ 10 फिर मैंने तुझे कढ़ाई की हुई सुंदर पोशाक पहनायी, तेरे पैरों में बेहतरीन चमड़े की* जूतियाँ पहनायीं, तुझे बढ़िया मलमल ओढ़ाया और महँगे-महँगे कपड़े पहनाए। 11 मैंने तुझे गहनों से सजाया-सँवारा, हाथों में कंगन और गले में हार पहनाया। 12 मैंने तेरी नाक में नथनी, कानों में बालियाँ और सिर पर एक सुंदर-सा ताज भी पहनाया। 13 तू सोने-चाँदी से अपना सिंगार करती थी और तेरी पोशाकें बढ़िया मलमल, महँगे-महँगे कपड़ों और कढ़ाईदार कपड़ों से बनी होती थीं। तू मैदे, शहद और तेल से बने पकवानों का मज़ा लेती थी। दिनों-दिन तेरा रूप इस तरह निखरता गया कि तेरी खूबसूरती देखते बनती थी+ और तू रानी बनने* के काबिल हो गयी।’”
14 “सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैंने तुझे अपना वैभव प्रदान किया जिस वजह से तू अपनी बेदाग* खूबसूरती के लिए इतनी मशहूर हो गयी कि सब देशों में तेरी शोहरत* के चर्चे होने लगे।’”+
15 “‘मगर तू अपनी खूबसूरती पर घमंड करने लगी+ और तूने अपनी शोहरत का गलत इस्तेमाल किया और एक वेश्या बन गयी।+ तू आने-जानेवाले हर आदमी के साथ बेझिझक बदचलनी करती रही+ और उन पर अपनी खूबसूरती लुटाती रही। 16 तूने अपने कुछ कपड़े लिए और उनसे रंग-बिरंगी ऊँची जगह बनायीं जहाँ तू वेश्या के काम करती थी।+ तूने ऐसे नीच काम किए हैं जो कभी होने ही नहीं चाहिए थे और आगे भी कभी नहीं दोहराए जाने चाहिए। 17 मैंने तुझे सोने-चाँदी के जो खूबसूरत गहने दिए थे,* उनसे तूने आदमियों की मूरतें बनायीं और उन्हें पूजने लगी।*+ 18 तू अपनी कढ़ाईदार पोशाकें ले जाकर उन्हें* ढकती थी और तूने उनके आगे मेरा तेल और मेरा धूप चढ़ाया।+ 19 मैंने तुझे खाने के लिए मैदे, तेल और शहद से बनी जो रोटी दी थी, वह भी ले जाकर तूने उन मूरतों के आगे अर्पित कर दी ताकि उनकी सुगंध पाकर वे खुश हों।+ तूने ऐसा ही किया।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
20 “‘तू वेश्या के कामों में इस हद तक गिर गयी कि तू अपने बेटे-बेटियों को भी, जिन्हें तूने मेरे लिए जन्म दिया था,+ मूरतों के पास ले जाती और उनके सामने बलिदान करती थी।+ 21 तू मेरे बेटों को मार डालती थी और उन्हें आग में होम कर देती थी।+ 22 तू घिनौने काम करने और वेश्या के काम करने में इतनी डूब गयी कि तू बचपन के वे दिन भूल गयी जब तेरा तन ढका हुआ नहीं था और तू नंगी थी और अपने खून में पड़ी हुई पैर मार रही थी। 23 धिक्कार है तुझ पर, धिक्कार! तूने बुराई करने में हद कर दी है।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है। 24 ‘तूने हर चौक में अपने लिए एक टीला बनाया और एक ऊँची जगह खड़ी की। 25 तूने हर गली के मोड़ पर ऊँची जगह बनायीं। तूने खुद को आने-जानेवाले हर किसी के हाथ सौंप दिया और इस तरह तू जो कभी खूबसूरत हुआ करती थी, अब तूने खुद को घिनौना बना लिया है।+ तूने बढ़-चढ़कर वेश्या के काम किए हैं।+ 26 तूने अपने पड़ोसी देश मिस्र के कामुक बेटों के साथ वेश्या के काम किए+ और बढ़-चढ़कर बदचलनी करके मेरा क्रोध भड़काया है। 27 इसलिए अब मैं तेरे खिलाफ अपना हाथ बढ़ाऊँगा और तेरी खाने-पीने की चीज़ों में कटौती कर दूँगा+ और तुझे पलिश्तियों की बेटियों की मरज़ी पर छोड़ दूँगा जो तुझसे नफरत करती हैं+ और जो तेरे अश्लील काम देखकर दंग रह गयी थीं।+
28 अब भी तेरी प्यास नहीं बुझी थी, इसलिए तूने अश्शूर के बेटों के साथ भी वेश्या के काम किए।+ लेकिन उनसे भी तेरा जी नहीं भरा। 29 इसलिए तू सौदागरों के देश में और कसदियों के साथ और भी ज़्यादा वेश्या के काम करने लगी।+ मगर इससे भी तेरी प्यास नहीं बुझी।’ 30 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तेरा दिल किस कदर रोगी* हो गया था* जब तूने एक बेशर्म वेश्या की तरह ऐसे काम किए थे!+ 31 मगर जब तूने हर गली के मोड़ पर अपने लिए टीला बनाया और हर चौक पर ऊँची जगह खड़ी की, तो तू दूसरी वेश्याओं से हटकर थी, क्योंकि तूने अपने यारों से रकम लेने से इनकार कर दिया था। 32 तू ऐसी बदचलन औरत है जो अपने पति को छोड़ पराए आदमियों के पास जाती है।+ 33 सब वेश्याएँ तो अपने पास आनेवाले आदमियों से रकम लेती हैं,+ मगर तू है कि खुद उन आदमियों को रकम देती है जो अपनी हवस पूरी करने तेरे पास आते हैं।+ तू खुद पैसा देकर आदमियों को लुभाती है ताकि हर कोने से आदमी तेरे पास खिंचे चले आएँ और तेरे साथ नीच काम करें।+ 34 तू दूसरी वेश्याओं से बिलकुल हटकर है। तेरी जैसी वेश्या कहीं नहीं मिलेगी! तू अपने पास आनेवाले आदमियों से रकम लेने के बजाय खुद उन्हें रकम देती है। तेरा तरीका ही उलटा है।’
35 इसलिए हे वेश्या,+ अब सुन कि यहोवा क्या कहता है। 36 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘क्योंकि तूने अपनी वासनाएँ पूरी करने में हद कर दी है और तूने अपने यारों और अपनी सभी घिनौनी मूरतों* के साथ वेश्या के काम करके अपने तन की नुमाइश की है+ और उन मूरतों के लिए तूने अपने बेटों तक का खून अर्पित कर दिया है,+ 37 इसलिए मैं तेरे सभी यारों को इकट्ठा करूँगा जिन्हें तूने खुश किया है और मैं उन सबको इकट्ठा करूँगा जिन्हें तू प्यार करती थी और उन्हें भी जिनसे तू नफरत करती थी। मैं चारों तरफ से उन्हें लाकर तेरे खिलाफ खड़ा करूँगा और उन्हें तेरा नंगापन दिखाऊँगा और वे देखेंगे।+
38 मैं तुझे वह सज़ा दूँगा जो बदचलन औरतों+ को और खून करनेवाली औरतों+ को दी जाती है। मैं क्रोध और जलजलाहट में आकर तेरा खून बहाऊँगा।+ 39 मैं तुझे उनके हाथ कर दूँगा। वे तेरे टीले ढा देंगे, तेरी ऊँची जगह गिरा देंगे,+ तेरे तन से कपड़े उतार देंगे,+ तेरे सुंदर-सुंदर गहने* ले लेंगे+ और तुझे बिलकुल नंगा करके छोड़ेंगे। 40 वे तेरे खिलाफ एक भीड़ ले आएँगे+ और तुझे पत्थरों से मार डालेंगे+ और अपनी तलवारों से घात कर देंगे।+ 41 वे तेरे घर जलाकर राख कर देंगे+ और बहुत-सी औरतों के सामने तुझे सज़ा देंगे। मैं तेरे वेश्या के कामों का अंत कर दूँगा+ और इसके बाद तू अपने यारों को रकम नहीं दे पाएगी। 42 मैं तुझ पर अपना गुस्सा पूरी तरह उतारूँगा+ और मेरी जलजलाहट ठंडी हो जाएगी।+ मैं शांत हो जाऊँगा और फिर कभी नहीं भड़कूँगा।’
43 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘तूने अपने बचपन के वे दिन भुला दिए+ और ये सारे काम करके मुझे गुस्सा दिलाया। इसलिए अब मैं तुझे तेरे कामों का फल दूँगा और तू फिर कभी ऐसे अश्लील और घिनौने काम नहीं करेगी।
44 देख! कहावतें कहनेवाला हर कोई तेरे बारे में यह कहावत कहेगा, “जैसी माँ, वैसी बेटी!”+ 45 तू सचमुच अपनी माँ की बेटी है। तेरी माँ ने भी अपने पति और बच्चों को तुच्छ जाना था। और तू अपनी बहनों जैसी है जिन्होंने अपने पति और बच्चों को तुच्छ जाना था। तेरी माँ हित्ती थी और पिता एमोरी था।’”+
46 “‘तेरी बड़ी बहन सामरिया है+ जो अपनी बेटियों* के साथ तेरे उत्तर में* रहती है।+ और तेरी छोटी बहन सदोम है जो अपनी बेटियों+ के साथ तेरे दक्षिण में* रहती है।+ 47 तूने न सिर्फ उनके रंग-ढंग अपना लिए और उनके जैसे घिनौने काम किए बल्कि देखते-ही-देखते तू बदचलनी करने में उनसे भी आगे निकल गयी।’+ 48 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, तेरी बहन सदोम और उसकी बेटियों ने वे काम नहीं किए जो तूने और तेरी बेटियों ने किए हैं। 49 देख! तेरी बहन सदोम का गुनाह यह था: वह और उसकी बेटियाँ+ घमंड से फूल गयी थीं।+ वे अपनी ही दुनिया में मगन रहतीं और बेपरवाह थीं।+ उनके पास खाने-पीने की चीज़ों की भरमार थी,+ फिर भी उन्होंने गरीबों और मुसीबत के मारों की मदद नहीं की।+ 50 उनका घमंड कभी कम नहीं हुआ।+ वे ऐसे कामों में लगी रहीं जो मेरी नज़र में घिनौने थे।+ इसलिए मैंने उन्हें मिटा देना ज़रूरी समझा।+
51 तूने जितने पाप किए हैं, सामरिया+ ने उसके आधे भी नहीं किए। तू अपनी बहनों के मुकाबले इतने ज़्यादा घिनौने काम करती गयी कि वे नेक मालूम पड़ती हैं।+ 52 क्योंकि तूने इस तरह अपनी बहनों के कामों को सही ठहराया है,* इसलिए तुझे अब बुरी तरह बेइज़्ज़त होना पड़ेगा। तूने उनसे ज़्यादा घोर पाप किए हैं इसलिए वे नेक मालूम पड़ती हैं। इसी वजह से अब तुझे शर्मिंदा और बेइज़्ज़त होना पड़ेगा।’
53 ‘मैं उनके बंदी बनाए लोगों को, यानी सदोम और उसकी बेटियों के और सामरिया और उसकी बेटियों के बंदी बनाए लोगों को इकट्ठा करूँगा। उनके साथ-साथ मैं तेरे लोगों को भी इकट्ठा करूँगा जिन्हें बंदी बना लिया गया है+ 54 ताकि तेरी बेइज़्ज़ती हो। तुझे ज़रूर बेइज़्ज़त होना पड़ेगा क्योंकि तेरी वजह से उन्हें तसल्ली मिली है। 55 तेरी बहनें, सदोम और सामरिया और उनकी बेटियाँ फिर से बहाल की जाएँगी। उनके साथ-साथ तुझे और तेरी बेटियों को भी बहाल किया जाएगा।+ 56 अपने घमंड की वजह से तू अपनी बहन सदोम को इस लायक भी नहीं समझती थी कि उसका नाम ज़बान पर लाए 57 जब तक कि तेरी दुष्टता का परदाफाश नहीं हो गया।+ मगर अब सीरिया की बेटियाँ और उसके पड़ोसी तेरी खिल्ली उड़ाते हैं और तेरे आस-पास रहनेवाले पलिश्तियों की बेटियाँ+ तुझ पर ताना कसती हैं। 58 तुझे अपने अश्लील और घिनौने कामों का अंजाम भुगतना होगा।’ यहोवा ने यह फैसला सुनाया है।”
59 “सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘अब मैं तेरे साथ वही करूँगा जो तूने मेरे साथ किया है।+ तूने मेरा करार तोड़कर अपनी शपथ को तुच्छ जाना है।+ 60 मगर मैं अपना वह करार नहीं भूलूँगा जो मैंने तेरी जवानी में तेरे साथ किया था। और मैं तेरे साथ ऐसा करार करूँगा जो सदा कायम रहेगा।+ 61 जब तू अपनी बड़ी और छोटी बहनों को अपना लेगी, तब तू अपना पहले का चालचलन याद करके शर्मिंदा महसूस करेगी।+ फिर मैं तेरी बहनों को तेरी बेटियाँ बनाकर तुझे सौंप दूँगा, मगर तेरे साथ कोई करार करने की वजह से नहीं।’
62 ‘मैं तेरे साथ अपना करार पक्का करूँगा और तुझे जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ। 63 तेरे सब पापों के बावजूद जब मैं तुझे माफ कर दूँगा*+ तब तुझे अपने पहले का चालचलन याद आएगा और तू इतना शर्मिंदा महसूस करेगी कि तुझसे कुछ बोलते नहीं बनेगा।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
17 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, इसराएल के घराने के बारे में यह पहेली और मिसाल सुना:+ 3 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “वह बड़े-बड़े पंखोंवाला बड़ा उकाब,+ जिसके डैने लंबे-लंबे और रंग-बिरंगे परों से भरे हैं, लबानोन आया+ और देवदार की चोटी से एक फुनगी तोड़कर ले गया।+ 4 उसने देवदार की सबसे ऊपरवाली फुनगी तोड़ ली और उसे सौदागरों के देश ले गया और सौदागरों के शहर में लगा दिया।+ 5 फिर उसने देश का कुछ बीज लिया+ और उसे एक उपजाऊ खेत में बो दिया। उसने उसे ऐसे बोया जैसे बेद-सादा पेड़ को भरपूर पानी के पास लगाया जाता है। 6 फिर उस बीज में से अंकुर फूटा और उससे एक बेल निकली जो नीचे ज़मीन पर फैलने लगी।+ उसके पत्ते नीचे की तरफ थे और उसकी जड़ें ज़मीन के अंदर बढ़ती गयीं। इस तरह अंगूर की एक बेल तैयार हुई और उसमें टहनियाँ और डालियाँ निकलने लगीं।+
7 फिर एक और बड़ा-सा उकाब आया+ जिसके बड़े-बड़े पंख और डैने थे।+ जब अंगूर की बेल ने उकाब को देखा तो उसने बड़ी उम्मीद से अपनी जड़ें उसकी तरफ फैलायीं। यह बेल जिस बाग में लगायी गयी थी, वहाँ से उसने अपनी जड़ें दूर उस उकाब की तरफ फैलायीं और अपनी पत्तियाँ और डालियाँ उसकी तरफ बढ़ायीं ताकि उकाब उसकी सिंचाई करे।+ 8 यह अंगूर की बेल पहले ही भरपूर पानी के पास अच्छी ज़मीन में लगायी गयी थी ताकि उसमें डालियाँ निकलें, फल लगें और वह एक बहुत बड़ी अंगूर की बेल बन जाए।”’+
9 तू लोगों से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “क्या यह बेल फूलेगी-फलेगी? क्या कोई आकर उसकी जड़ें उखाड़ नहीं देगा?+ फिर क्या उसके फल सड़ नहीं जाएँगे और अंकुर मुरझा नहीं जाएँगे?+ वह इतनी सूख जाएगी कि उसे जड़ से उखाड़ने के लिए किसी मज़बूत हाथ की या बहुत-से लोगों की ज़रूरत नहीं होगी। 10 माना कि वह दूसरी जगह से लाकर यहाँ लगायी गयी है, फिर भी क्या वह फूलेगी-फलेगी? जब उस पर पूरब की हवा चलेगी, तो क्या वह पूरी तरह सूख नहीं जाएगी? वह जिस बाग में उगी है, वहाँ वह सूख जाएगी।”’”
11 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 12 “ज़रा उस बगावती घराने के लोगों से कहना, ‘क्या तुम इन बातों का मतलब समझे? देखो! बैबिलोन का राजा यरूशलेम आया और वह यरूशलेम के राजा और हाकिमों को पकड़कर अपने साथ बैबिलोन ले गया।+ 13 फिर उसने राज-घराने की संतानों में से एक को लिया+ और उसके साथ एक करार किया और उसे एक शपथ धरायी।+ इसके बाद वह आकर देश के खास-खास लोगों को अपने साथ ले गया+ 14 ताकि राज इस तरह गिर जाए कि वह दोबारा उठ न पाए और उसे अपना वजूद बनाए रखने के लिए बैबिलोन के साथ अपना करार निभाना ज़रूरी हो जाए।+ 15 मगर कुछ समय बाद यरूशलेम के राजा ने उससे बगावत की+ और अपने दूतों को मिस्र भेजा ताकि वे वहाँ से घोड़े और एक बड़ी सेना ले आएँ।+ क्या वह इसमें कामयाब होगा? क्या ऐसे काम करनेवाला सज़ा से बच पाएगा? क्या वह करार तोड़कर भी बच पाएगा?’+
16 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, वह बैबिलोन में ही मर जाएगा, उस राजा* के देश में जिसने उसे* राजा बनाया था, जिसकी शपथ को उसने तुच्छ जाना और जिसका करार उसने तोड़ दिया।+ 17 फिरौन की विशाल सेना और अनगिनत टुकड़ियाँ युद्ध के वक्त किसी काम की नहीं होंगी+ जब लोगों को मार डालने के लिए उसके चारों तरफ घेराबंदी की दीवारें और ढलानें खड़ी की जाएँगी। 18 उसने एक शपथ को तुच्छ जाना है और एक करार तोड़ा है। उसने वादा करने के बाद भी यह सब किया इसलिए वह बच नहीं पाएगा।”’
19 ‘इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, उसने मेरी शपथ को तुच्छ जाना है और मेरा करार तोड़ा है, इसलिए मैं उसे ज़रूर सज़ा दूँगा।+ 20 मैं उस पर अपना जाल डालूँगा और वह उसमें फँस जाएगा।+ मैं उसे बैबिलोन ले जाऊँगा और वहाँ उससे मुकदमा लड़ूँगा क्योंकि उसने मेरे साथ विश्वासघात किया है।+ 21 उसकी पलटन के जितने सैनिक जान बचाकर भागेंगे, वे सभी तलवार से मारे जाएँगे और जो बच जाएँगे वे हर दिशा में तितर-बितर हो जाएँगे।+ तब तुम्हें जानना होगा कि यह सब मुझ यहोवा ने ही कहा है।”’+
22 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं उस ऊँचे देवदार की चोटी से एक फुनगी लूँगा+ और उसे लगाऊँगा। मैं देवदार की सबसे ऊपरवाली कोमल टहनियों में से एक फुनगी लूँगा+ और खुद उसे एक ऊँचे और विशाल पहाड़ पर लगाऊँगा।+ 23 मैं उसे इसराएल के एक ऊँचे पहाड़ पर लगाऊँगा। उसकी डालियाँ खूब बढ़ेंगी, उस पर बहुत-से फल लगेंगे और वह एक विशाल देवदार बन जाएगा। हर तरह के पंछी उसके नीचे बसेरा करेंगे और उसकी डालियों की छाँव में रहा करेंगे। 24 तब मैदान के सभी पेड़ों को जानना होगा कि मुझ यहोवा ने ही बड़े पेड़ को नीचे गिराया और छोटे पेड़ को ऊँचा उठाया,+ मैंने ही हरे-भरे पेड़ को सुखा दिया और सूखे पेड़ को हरा-भरा कर दिया।+ मुझ यहोवा ने यह कहा है और वैसा कर भी दिया है।”’”
18 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इसराएल देश में यह कैसी कहावत चली है, ‘खट्टे अंगूर खाए पिताओं ने, दाँत खट्टे हुए बेटों के’?+
3 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, वह दिन आएगा जब तुम इसराएल में यह कहावत कहना बंद कर दोगे। 4 देखो! सबकी जान* का मालिक मैं हूँ। जैसे पिता की जान का वैसे बेटे की जान का मालिक मैं ही हूँ। जो इंसान* पाप करता है, वही मरेगा।
5 मान लो एक आदमी नेक है और वह हमेशा ऐसे काम करता है जो सही और न्याय के मुताबिक हैं। 6 वह पहाड़ों पर मूरतों के आगे बलि की हुई चीज़ें नहीं खाता,+ इसराएल के घराने की घिनौनी मूरतों* पर आस नहीं लगाता, अपने पड़ोसी की पत्नी को भ्रष्ट नहीं करता,+ किसी औरत के साथ उसकी माहवारी के दौरान संबंध नहीं रखता,+ 7 वह किसी के साथ बुरा सलूक नहीं करता,+ अपने कर्ज़दार की गिरवी की चीज़ लौटा देता है,+ वह किसी को लूटता नहीं,+ अपना खाना भूखे को खिला देता है,+ उसे कपड़ा देता है जिसके पास तन ढकने को कपड़ा नहीं,+ 8 ब्याज नहीं लेता और किसी का फायदा उठाकर मुनाफा नहीं कमाता,+ अन्याय नहीं करता+ और दो लोगों का आपसी झगड़ा निपटाते वक्त सच्चा न्याय करता है+ 9 और मेरी विधियों पर चलता और मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन करता है ताकि मेरा विश्वासयोग्य बना रहे। ऐसा आदमी नेक है और वह बेशक जीता रहेगा।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
10 ‘अब मान लो उसका एक बेटा है जो लुटेरा या कातिल बन जाता है+ या इनमें से कोई भी पाप करता है 11 (जबकि पिता ने ऐसा एक भी काम नहीं किया): वह पहाड़ों पर मूरतों के आगे बलि की हुई चीज़ें खाता है, अपने पड़ोसी की पत्नी को भ्रष्ट कर देता है, 12 ज़रूरतमंदों और गरीबों के साथ बुरा सलूक करता है,+ दूसरों को लूटता है, गिरवी की चीज़ नहीं लौटाता, घिनौनी मूरतों पर आस लगाता है,+ घिनौने काम करता है,+ 13 ब्याज लेता है और दूसरे का फायदा उठाकर उससे मुनाफा कमाता है।+ ऐसा बेटा जीता नहीं रहेगा। उसने ये सारे घिनौने काम किए हैं, इसलिए वह ज़रूर मार डाला जाएगा। उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।
14 मगर मान लो एक पिता ये सारे पाप करता है और उसका बेटा अपने पिता को यह सब करते देखता है, मगर उसकी तरह नहीं बनता। 15 वह पहाड़ों पर मूरतों के आगे बलि की हुई चीज़ें नहीं खाता, इसराएल के घराने की घिनौनी मूरतों पर आस नहीं लगाता, अपने पड़ोसी की पत्नी को भ्रष्ट नहीं करता, 16 किसी के साथ बुरा सलूक नहीं करता, गिरवी की चीज़ ज़ब्त नहीं करता, किसी को लूटता नहीं, अपना खाना भूखे को खिला देता है, जिसके पास तन ढकने के लिए कपड़ा नहीं उसे कपड़ा देता है, 17 वह गरीबों को नहीं सताता, ब्याज नहीं लेता और दूसरे का फायदा उठाकर उससे मुनाफा नहीं कमाता। वह मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन करता और मेरी विधियों पर चलता है। ऐसा आदमी अपने पिता के गुनाह की वजह से नहीं मरेगा। वह बेशक जीता रहेगा। 18 मगर उसका पिता अपने गुनाह की वजह से मर जाएगा, क्योंकि उसने धोखाधड़ी की है, अपने संगी-साथी को लूटा है और अपने लोगों के बीच गलत काम किया है।
19 मगर तुम कहोगे, “बेटा अपने पिता के गुनाह का दोषी क्यों नहीं हो सकता?” क्योंकि बेटे ने हमेशा न्याय किया है, मेरी सभी विधियों का पालन किया है और उनके मुताबिक चला है इसलिए वह बेशक जीता रहेगा।+ 20 जो इंसान* पाप करता है, वही मरेगा।+ पिता के गुनाह के लिए बेटा बिलकुल दोषी नहीं होगा और बेटे के गुनाह के लिए पिता बिलकुल दोषी नहीं होगा। जो नेक है उसकी नेकी का फल उसी को मिलेगा और जो दुष्ट है उसकी दुष्टता का हिसाब सिर्फ उसी से माँगा जाएगा।+
21 अगर एक दुष्ट अपने सभी पापों से फिर जाता है और मेरी विधियों का पालन करने लगता है और न्याय करता है, तो वह बेशक जीता रहेगा। वह नहीं मरेगा।+ 22 उसने पहले जितने भी अपराध किए थे, उनमें से किसी भी अपराध के लिए उससे लेखा नहीं लिया जाएगा।*+ नेक काम करने की वजह से वह जीता रहेगा।’+
23 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तुम्हें क्या लगता है, क्या मुझे किसी दुष्ट के मरने से खुशी होती है? बिलकुल नहीं।+ मैं तो यही चाहता हूँ कि वह अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आए और जीता रहे।’+
24 ‘लेकिन जब एक नेक इंसान नेकी की राह छोड़कर गलत काम करने लगता है* और वे सारे घिनौने काम करता है जो दुष्ट करते हैं, तो क्या वह जीता रहेगा? नहीं। उसने जितने भी नेक काम किए थे वे याद नहीं किए जाएँगे।+ उसने परमेश्वर से जो विश्वासघात किया है और जो पाप किए हैं उनकी वजह से वह मर जाएगा।+
25 मगर तुम कहोगे, “यहोवा के काम करने का तरीका सही नहीं है।”+ इसराएल के घराने के लोगो, ज़रा सुनो! मेरे काम करने का तरीका सही नहीं है+ या तुम्हारे तौर-तरीके गलत हैं?+
26 जब एक नेक इंसान नेकी की राह छोड़कर गलत काम करने लगता है, तो वह मर जाएगा। वह अपनी ही दुष्टता की वजह से मरेगा।
27 जब एक दुष्ट अपने दुष्ट काम छोड़कर न्याय करने लगता है, तो वह अपनी जान बचाएगा।+ 28 जब उसे अपने सभी अपराधों का एहसास होता है और उनसे फिर जाता है, तो वह बेशक जीता रहेगा। वह नहीं मरेगा।
29 मगर इसराएल का घराना कहेगा, “यहोवा के काम करने का तरीका सही नहीं है।” इसराएल के घराने के लोगो, ज़रा सोचो, मेरे काम करने का तरीका सही नहीं है या तुम्हारे तौर-तरीके गलत हैं?’+
30 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘इसराएल के घराने के लोगो, मैं तुममें से हरेक का फैसला उसके चालचलन के मुताबिक करूँगा।+ इसलिए तुम अपने सारे बुरे काम करना छोड़ दो और पलटकर लौट आओ ताकि तुम्हारे बुरे काम तुम्हारे लिए ठोकर की वजह बनकर तुम्हें दोषी न ठहराएँ। 31 तुम अपने सब अपराधों को खुद से दूर कर दो+ और अपना दिल और अपनी सोच बदलो।+ हे इसराएल के घराने, तू क्यों बेकार में अपनी जान गँवाना चाहता है?’+
32 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मुझे किसी के मरने से खुशी नहीं होती,+ इसलिए पलटकर लौट आओ और जीते रहो।’”+
19 “तू इसराएल के प्रधानों के बारे में एक शोकगीत गाना 2 और कहना,
‘तेरी माँ शेरों के बीच रहनेवाली एक शेरनी थी!
वह ताकतवर जवान शेरों के बीच लेटती और अपने बच्चों को पालती थी।
3 उसने अपने एक बच्चे को बड़ा किया और वह ताकतवर जवान शेर बना।+
उसने शिकार को फाड़ खाना सीखा,
इंसानों तक को खा लिया।
5 शेरनी उसका इंतज़ार करती रही, आखिरकार उसने देखा कि उसके लौटने की कोई उम्मीद नहीं।
तब उसने अपने बच्चों में से एक और को बड़ा किया, उसे ताकतवर जवान शेर बनाकर भेजा।
6 वह भी दूसरे शेरों के बीच घूमने लगा और एक ताकतवर जवान शेर बन गया।
उसने शिकार को फाड़ खाना सीखा, इंसानों तक को खा लिया।+
7 वह दबे पाँव उनकी किलेबंद मीनारों में गया, उनके शहरों को तहस-नहस कर दिया,
उजड़े देश में चारों तरफ उसकी दहाड़ गूँजने लगी।+
8 आस-पास के राष्ट्रों ने आकर उस पर जाल डाला,
उसे गड्ढे में फँसाकर पकड़ लिया।
9 उन्होंने नकेल डालकर उसे पिंजरे में बंद कर दिया, वे उसे बैबिलोन के राजा के पास ले गए।
वहाँ उन्होंने उसे कैद कर दिया ताकि उसका गरजन फिर कभी इसराएल के पहाड़ों पर सुनायी न दे।
10 तेरी माँ उस अंगूर की बेल जैसी थी+ जो तेरे खून में है,* जो पानी के पास लगायी गयी थी।
भरपूर पानी की वजह से वह फलने लगी और डालियों से भर गयी।
11 उसकी डालियाँ* इतनी मज़बूत हो गयीं कि वे राजाओं के राजदंड बनने लायक थीं।
वह बढ़ती गयी, दूसरे पेड़ों से भी ऊँची हो गयी।
वह इतनी ऊँची हो गयी और डालियों और पत्तों से इतनी भर गयी कि दूर से भी नज़र आती थी।
12 मगर परमेश्वर ने जलजलाहट में आकर उसे जड़ से उखाड़ डाला+ और ज़मीन पर पटक दिया,
पूरब की हवा ने उसके फल सुखा दिए।
उसकी मज़बूत डालियाँ तोड़ दी गयीं, वे सूख गयीं+ और आग ने उन्हें भस्म कर दिया।+
14 आग उसकी डालियों* से टहनियों और फलों तक फैल गयी और उन्हें भस्म कर दिया।
पेड़ पर एक भी मज़बूत डाली नहीं बची, राज करने के लिए एक भी राजदंड नहीं रहा।+
यह एक शोकगीत है और यह शोकगीत ही बना रहेगा।’”
20 सातवें साल के पाँचवें महीने के दसवें दिन, इसराएल के कुछ मुखिया यहोवा की मरज़ी जानने मेरे पास आए और मेरे सामने बैठ गए। 2 तब यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 3 “इंसान के बेटे, इसराएल के मुखियाओं से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “क्या तुम मेरी मरज़ी जानने आए हो? सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, मैं तुम्हें जवाब नहीं दूँगा।’”’+
4 इंसान के बेटे, क्या तू उनका न्याय करने* के लिए तैयार है? क्या तू तैयार है? उन्हें बता कि उनके पुरखों ने कैसे-कैसे घिनौने काम किए थे।+ 5 उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “जिस दिन मैंने इसराएल को चुना था,+ उसी दिन मैंने याकूब के घराने की संतानों से शपथ खायी थी और मिस्र देश में खुद को उन पर प्रकट किया था।+ हाँ, मैंने शपथ खाकर उनसे कहा था, ‘मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’ 6 उस दिन मैंने शपथ खाकर कहा था कि मैं उन्हें मिस्र से बाहर निकाल लाऊँगा और एक ऐसे देश में ले जाऊँगा जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं।+ वह देश मैंने काफी देख-परखकर* उनके लिए चुना था। वह दुनिया का सबसे सुंदर, सबसे निराला देश* था। 7 फिर मैंने उनसे कहा, ‘तुममें से हर कोई अपनी घिनौनी चीज़ें फेंक दे जो तुम्हारी आँखों के सामने हैं। मिस्र की घिनौनी मूरतों* से खुद को दूषित मत करो।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’+
8 मगर उन्होंने मुझसे बगावत की। वे मेरी बात मानने के लिए हरगिज़ तैयार नहीं थे। उन्होंने अपने सामने से घिनौनी चीज़ें नहीं फेंकीं, न ही मिस्र की घिनौनी मूरतें छोड़ीं।+ इसलिए मैंने ठान लिया कि मैं मिस्र में उन पर अपने क्रोध का प्याला उँडेलूँगा और उन पर अपना गुस्सा उतारकर ही दम लूँगा। 9 मगर फिर मैंने अपने नाम की खातिर ऐसा किया कि वे जिन जातियों के बीच रहते थे, उनके सामने मेरे नाम का अपमान न हो+ क्योंकि जब मैं उन्हें* मिस्र से बाहर ले आया तो मैंने दूसरी जातियों के देखते उन* पर खुद को प्रकट किया था।+ 10 इस तरह मैं उन्हें मिस्र से बाहर ले आया और वीराने में ले गया।+
11 इसके बाद, मैंने उन्हें अपनी विधियाँ दीं और अपने न्याय-सिद्धांत बताए+ ताकि जो कोई उन पर चले वह ज़िंदा रहे।+ 12 मैंने उनके लिए अपने सब्त भी ठहराए+ जो उनके और मेरे बीच एक निशानी होते+ ताकि वे जानें कि मुझ यहोवा ने उन्हें पवित्र ठहराया है।
13 मगर इसराएल के घराने के लोगों ने वीराने में मुझसे बगावत की।+ वे मेरी विधियों पर नहीं चले और उन्होंने मेरे न्याय-सिद्धांतों को ठुकरा दिया, जिनका पालन करने पर ही इंसान ज़िंदा रहेगा। उन्होंने मेरे सब्तों को पूरी तरह अपवित्र कर दिया। इसलिए मैंने ठान लिया कि मैं वीराने में उन पर अपने क्रोध का प्याला उँडेलकर उन्हें मिटा दूँगा।+ 14 मगर फिर मैंने अपने नाम की खातिर कुछ ऐसा किया कि उन जातियों के सामने मेरे नाम का अपमान न हो जिनके देखते मैं उन्हें* मिस्र से बाहर ले आया था।+ 15 मैंने वीराने में शपथ खाकर उनसे यह भी कहा था कि मैं उन्हें उस देश में नहीं ले जाऊँगा जो मैंने उन्हें दिया था,+ जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं+ और जो दुनिया का सबसे सुंदर, सबसे निराला देश* है। 16 मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उन्होंने मेरे न्याय-सिद्धांतों को ठुकरा दिया था, वे मेरी विधियों पर नहीं चले और मेरे सब्त अपवित्र कर दिए क्योंकि उनका दिल अपनी घिनौनी मूरतों पर लग गया था।+
17 मगर फिर मैंने* उन पर तरस खाया और उन्हें नाश नहीं किया। मैंने वीराने में उन्हें नहीं मिटाया। 18 मैंने वीराने में उनके बेटों+ से कहा, ‘तुम अपने पुरखों के उसूलों पर मत चलना,+ उनके न्याय-सिद्धांतों को मत मानना, न ही उनकी घिनौनी मूरतों से खुद को दूषित करना। 19 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। तुम मेरी विधियों पर चलना, मेरे न्याय-सिद्धांत मानना और उनके मुताबिक काम करना।+ 20 तुम मेरे सब्तों को पवित्र मानना+ और ये सब्त मेरे और तुम्हारे बीच एक निशानी ठहरेंगे ताकि तुम जान लो कि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’+
21 मगर उनके बेटे मुझसे बगावत करने लगे।+ वे मेरी विधियों पर नहीं चले और उन्होंने मेरे न्याय-सिद्धांत नहीं माने, जिनका पालन करने पर ही इंसान ज़िंदा रहेगा। उन्होंने मेरे सब्तों को अपवित्र कर दिया। तब मैंने ठान लिया कि मैं वीराने में उन पर अपने क्रोध का प्याला उँडेलूँगा और उन पर अपना गुस्सा उतारकर ही दम लूँगा।+ 22 मगर मैंने ऐसा नहीं किया,+ अपने नाम की खातिर खुद को रोक लिया+ ताकि उन जातियों के सामने मेरे नाम का अपमान न हो जिनके देखते मैं उन्हें* मिस्र से बाहर ले आया था। 23 फिर मैंने वीराने में शपथ खाकर उनसे कहा कि मैं उन्हें दूसरे राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा और दूसरे देशों में बिखरा दूँगा+ 24 क्योंकि उन्होंने मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन नहीं किया, मेरी विधियाँ ठुकरा दीं,+ मेरे सब्त अपवित्र कर दिए और वे अपने पुरखों की घिनौनी मूरतों के पीछे चलते रहे।*+ 25 मैंने उन्हें ऐसे नियमों को मानने दिया जो अच्छे नहीं थे और ऐसे न्याय-सिद्धांतों का पालन करने दिया जिनसे उन्हें ज़िंदगी नहीं मिलती।+ 26 जब वे अपने हर पहलौठे बच्चे को आग में होम कर देते+ तो मैंने उन्हें अपने ही बलिदानों से दूषित होने दिया ताकि उन्हें नाश करूँ और वे जान जाएँ कि मैं यहोवा हूँ।”’
27 इसलिए इंसान के बेटे, इसराएल के घराने के लोगों से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “तुम्हारे पुरखों ने भी इसी तरह मेरे साथ विश्वासघात करके मेरे नाम की निंदा की थी। 28 मैं उन्हें उस देश में ले आया था जिसे देने के बारे में मैंने शपथ खायी थी।+ जब उन्होंने वहाँ ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ और हरे-भरे पेड़ देखे+ तो वहाँ बलिदान और भेंट चढ़ाकर मुझे क्रोध दिलाया। वे उन जगहों पर अपने सुगंधित बलिदान चढ़ाते और अपना अर्घ उँडेलते थे। 29 तब मैंने उनसे पूछा, ‘तुम इस ऊँची जगह पर क्यों जा रहे हो? (वह जगह आज तक ऊँची जगह कहलाती है।)’”’+
30 अब तू इसराएल के घराने के लोगों से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “तुम भी क्यों अपने पुरखों की तरह घिनौनी मूरतों के पीछे जाकर मेरे साथ विश्वासघात* करते हो और खुद को दूषित करते हो?+ 31 आज के दिन तक तुम अपने बेटों को आग में होम करके उन्हें अपनी घिनौनी मूरतों के लिए अर्पित करते हो और अपने बलिदानों से खुद को दूषित करते हो।+ इसराएल के घराने के लोगो, तुम ऐसे-ऐसे काम करते हुए भी यह उम्मीद करते हो कि मैं तुम्हारे पूछने पर जवाब दूँगा?”’+
सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, मैं तुम्हें जवाब नहीं दूँगा।+ 32 तुम मन-ही-मन कहते हो, “चलो हम दूसरे राष्ट्रों की तरह बन जाएँ, उन जातियों के लोगों की तरह जो लकड़ी और पत्थर के देवताओं को पूजते हैं।”*+ मगर तुम्हारी यह इच्छा कभी पूरी नहीं होगी।’”
33 “सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, मैं एक राजा के नाते तुम पर राज करूँगा और अपना शक्तिशाली हाथ बढ़ाकर तुम्हें सज़ा दूँगा और अपने क्रोध का प्याला तुम पर उँडेल दूँगा।+ 34 मैं अपना शक्तिशाली हाथ बढ़ाकर और अपने क्रोध का प्याला उँडेलकर तुम्हें दूसरे देशों में से बाहर निकाल लाऊँगा और तुम्हें उन देशों से इकट्ठा करूँगा जहाँ तुम्हें तितर-बितर कर दिया गया है।+ 35 मैं तुम्हें दूसरे देशों के वीराने में ले जाऊँगा और वहाँ आमने-सामने तुमसे मुकदमा लड़ूँगा।’+
36 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जैसे मिस्र के वीराने में मैंने तुम्हारे पुरखों से मुकदमा लड़ा था, उसी तरह मैं तुमसे भी मुकदमा लड़ूँगा। 37 मैं तुम्हें चरवाहे की लाठी के नीचे से गुज़रने पर मजबूर करूँगा+ और तुम्हें करार के बंधन में बाँधूँगा। 38 मगर मैं तुम्हारे बीच से उन लोगों को अलग कर दूँगा जो बागी हैं और मेरे खिलाफ अपराध करते हैं।+ मैं उन्हें उस देश से निकाल लाऊँगा जहाँ वे परदेसी बनकर रहते हैं, मगर वे इसराएल देश में कदम नहीं रख सकेंगे।+ और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’
39 इसराएल के घराने के लोगो, सारे जहान का मालिक यहोवा तुमसे कहता है, ‘तुममें से हर कोई जाए और अपनी घिनौनी मूरतों की सेवा करे।+ लेकिन बाद में अगर तुम मेरी नहीं सुनोगे तो तुम्हें इसका अंजाम भुगतना होगा। तुम अपने बलिदानों और अपनी घिनौनी मूरतों से फिर कभी मेरे पवित्र नाम का अपमान नहीं कर पाओगे।’+
40 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मेरे पवित्र पहाड़ पर, हाँ, इसराएल के एक ऊँचे पहाड़+ पर इसराएल का पूरा घराना मेरी सेवा करेगा।+ वहाँ मैं तुमसे खुश होऊँगा और तुमसे भेंट और पहले फलों का चढ़ावा लिया करूँगा, मैं तुमसे ये सब पवित्र चीज़ें लिया करूँगा।+ 41 जब मैं तुम्हें दूसरे देशों से निकाल लाऊँगा और जिन देशों में तुम तितर-बितर किए गए हो वहाँ से इकट्ठा करूँगा,+ तो मैं तुम्हारे बलिदानों की खुशबू से खुश होऊँगा और दूसरे राष्ट्रों के सामने मैं तुम्हारे बीच अपनी पवित्रता दिखाऊँगा।’+
42 ‘जब मैं तुम्हें इसराएल देश वापस ले आऊँगा,+ जिसे देने के बारे में मैंने तुम्हारे पुरखों से शपथ खायी थी, तो तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+ 43 वहाँ जब तुम याद करोगे कि तुमने अपने चालचलन और अपने कामों से कैसे खुद को दूषित कर लिया था,+ तो तुम्हें खुद से* घिन हो जाएगी।+ 44 इसराएल के घराने के लोगो, मैं तुम्हारे बुरे चालचलन या भ्रष्ट कामों के मुताबिक तुम्हारे साथ सलूक नहीं करूँगा बल्कि अपने नाम की खातिर तुम्हारे लिए कदम उठाऊँगा, तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
45 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 46 “इंसान के बेटे, अब तू दक्षिण के भाग की तरफ मुँह कर और दक्षिण की तरफ ऐलान कर और दक्षिण के जंगल को भविष्यवाणी सुना। 47 दक्षिण के जंगल से कहना, ‘यहोवा का संदेश सुन। सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं तेरे बीच आग की ऐसी चिंगारी भड़काने जा रहा हूँ+ जो तेरे हर पेड़ को जलाकर राख कर देगी, फिर चाहे वह हरा-भरा हो या सूखा। यह आग नहीं बुझेगी+ और उसकी वजह से दक्षिण से लेकर उत्तर तक हर किसी का चेहरा झुलस जाएगा। 48 तब सब लोग जान जाएँगे कि मुझ यहोवा ने यह आग लगायी है, इसलिए यह आग बुझायी नहीं जा सकती।”’”+
49 फिर मैंने कहा, “हाय, सारे जहान के मालिक यहोवा! ज़रा देख, ये लोग मेरे बारे में कहते हैं, ‘यह आदमी तो पहेलियाँ बुझा रहा है।’”*
21 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, यरूशलेम की तरफ मुँह करना और उन पवित्र जगहों के खिलाफ संदेश सुनाना और इसराएल देश के खिलाफ भविष्यवाणी करना। 3 इसराएल देश से कहना, ‘यहोवा कहता है, “देख, मैं तेरे खिलाफ हूँ। मैं म्यान से अपनी तलवार खींचूँगा+ और तेरे यहाँ रहनेवाले हर किसी को काट डालूँगा, फिर चाहे वह नेक हो या दुष्ट। 4 मैं तेरे सभी लोगों को, नेक और दुष्ट सबको काट डालूँगा, इसलिए मैं म्यान से तलवार खींचकर दक्षिण से लेकर उत्तर तक सब लोगों पर चलाऊँगा। 5 तब सब लोगों को जानना होगा कि मुझ यहोवा ने ही म्यान से तलवार खींची है। यह वापस म्यान में नहीं जाएगी।”’+
6 इंसान के बेटे, तू* लोगों के सामने थर-थर काँप और कराह। हाँ, उनके सामने बुरी तरह कराह।+ 7 अगर वे तुझसे पूछें, ‘तू क्यों कराह रहा है?’ तो कहना, ‘मुझे एक बुरी खबर मिली है।’ यह खबर लोगों को ज़रूर मिलेगी और तब डर के मारे सबका दिल काँप उठेगा, उनके हाथ ढीले पड़ जाएँगे, हिम्मत टूट जाएगी और हर किसी के घुटनों से पानी टपकने लगेगा।*+ सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘देख! यह ज़रूर होगा, ज़रूर!’”
8 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 9 “इंसान के बेटे, तू यह भविष्यवाणी करना, ‘यहोवा कहता है, “लोगों से कहना, ‘देखो, एक तलवार! एक तलवार+ तेज़ की गयी है, खूब चमकायी गयी है। 10 भीड़-की-भीड़ का नाश करने के लिए उसे तेज़ किया गया है, बिजली की तरह कौंधने के लिए उसे चमकाया गया है।’”’”
“क्या हमें जश्न नहीं मनाना चाहिए?”
“‘क्या यह* मेरे बेटे के राजदंड को ठुकरा देगी,+ जैसे यह हर पेड़ को ठुकरा देती है?
11 यह इसलिए दी गयी है कि यह चमकायी जाए और हाथ में ली जाए। यह तलवार तेज़ की गयी है और चमकायी गयी है ताकि इसे जल्लाद के हाथ में दिया जाए।+
12 इंसान के बेटे, ज़ोर से चिल्ला, बिलख-बिलखकर रो+ क्योंकि मेरे लोगों पर तलवार चलने ही वाली है। यह इसराएल के सभी प्रधानों को मार डालेगी।+ वे मेरे लोगों के साथ-साथ तलवार का कौर हो जाएँगे। इसलिए दुख के मारे अपनी जाँघ पीट। 13 क्योंकि जाँच की गयी है+ और अगर तलवार राजदंड को ठुकरा दे तो क्या होगा? यह* हमेशा के लिए मिट जाएगा।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
14 इंसान के बेटे, तू भविष्यवाणी कर, ताली बजा और तीन बार ‘तलवार!’ कह। यह घात करनेवाली तलवार है जो चारों तरफ मँडरा रही है। यह भीड़-की-भीड़ को मार डालेगी।+ 15 लोगों का दिल डर के मारे काँप उठेगा+ और बहुत-से लोग शहर के फाटकों के पास गिर पड़ेंगे। मैं तलवार से लोगों को नाश कर दूँगा। हाँ, यह तलवार बिजली की तरह चमक रही है और नाश करने के लिए चमकायी गयी है! 16 दायीं तरफ तेज़ी से काट! अब बायीं तरफ घूम! तुझे जहाँ जाने का हुक्म दिया जाए वहाँ जा! 17 मैं भी ताली बजाऊँगा और अपना गुस्सा पूरी तरह उतारूँगा।+ मुझ यहोवा ने यह बात कही है।”
18 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 19 “इंसान के बेटे, बैबिलोन का राजा अपनी तलवार हाथ में लिए आ रहा है। उसके लिए दो रास्ते तय कर। दोनों रास्ते एक ही देश से शुरू होंगे। जिस जगह ये दोनों रास्ते अलग होकर दो शहरों की तरफ जाएँगे वहाँ एक संकेत-चिन्ह लगाया जाए। 20 तू निशान लगाकर दिखा कि उनमें से कौन-सा रास्ता लेने पर उसकी तलवार अम्मोनियों के शहर रब्बाह जाएगी+ और कौन-सा रास्ता लेने पर यहूदा के किलेबंद शहर यरूशलेम जाएगी।+ 21 जब बैबिलोन का राजा उस दोराहे पर आएगा तो वहाँ रुककर शकुन विचारेगा कि उसे कौन-सा रास्ता लेना चाहिए। वह अपने तीर हिलाएगा, अपनी मूरतों* से सलाह-मशविरा करेगा और जानवर के कलेजे की जाँच करेगा। 22 जब वह शकुन विचारेगा तो उसका दायाँ हाथ यरूशलेम को चुनेगा कि वह वहीं जाए, बख्तरबंद गाड़ियाँ खड़ी करे, कत्लेआम का हुक्म दे, जंग का ऐलान करे, बख्तरबंद गाड़ियों से उसके फाटक तोड़ दे, घेराबंदी की दीवार खड़ी करे और ढलान बनाए।+ 23 मगर यह सब उन लोगों* को झूठा शकुन लगेगा जिन्होंने उनसे शपथ खायी थी।+ मगर राजा उनका दोष याद करेगा और उन्हें बंदी बनाकर ले जाएगा।+
24 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तुमने अपने अपराधों को सरेआम ज़ाहिर किया है, तुमने अपने कामों से अपने पापों का खुलासा किया है। इस तरह तुमने खुद याद दिलाया है कि तुम कितने दोषी हो। अब क्योंकि तुम याद किए जा रहे हो, इसलिए तुम्हें ज़बरदस्ती घसीटकर ले जाया जाएगा।’
25 हे इसराएल के दुष्ट प्रधान, तू जो बुरी तरह घायल है, तेरा दिन आ गया है।+ वह घड़ी आ गयी है जब तुझे सज़ा देकर तेरा अंत कर दिया जाएगा। 26 सारे जहान का मालिक यहोवा तुझसे कहता है, ‘उतार अपनी पगड़ी, उतार दे अपना ताज।+ यह जैसा है वैसा नहीं रहेगा।+ जो नीचे है उसे ऊपर उठा+ और जो ऊपर है उसे नीचे गिरा।+ 27 अब मैं इस राज का अंत कर दूँगा, अंत। हाँ, मैं इसका अंत कर दूँगा! जब तक वह नहीं आता जिसके पास कानूनी हक है,+ तब तक यह किसी का नहीं होगा। जब वह आएगा तब मैं यह उसी को दूँगा।’+
28 इंसान के बेटे, तू यह भविष्यवाणी करना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा अम्मोनियों और उनकी अपमान-भरी बातों के बारे में यह कहता है।’ तू यह कहना, ‘देखो एक तलवार! लोगों का घात करने के लिए एक तलवार खींची गयी है। इसे चमकाया गया है कि यह सबको खा जाए और बिजली की तरह चमके। 29 तुम्हारे बारे में झूठे दर्शन देखे गए हैं और झूठी भविष्यवाणी की गयी है, फिर भी तुम्हें उन मारे गए लोगों की लाशों के ऊपर ढेर कर दिया जाएगा, उन दुष्टों की लाशों* के ऊपर जिनका दिन आ गया है। वह घड़ी आ गयी है जब उन्हें सज़ा देकर उनका अंत कर दिया जाएगा। 30 तलवार अपनी म्यान में वापस रख। जिस जगह तुम्हें सिरजा गया था, जिस देश में तुम्हारी शुरूआत हुई थी वहीं मैं तुम्हारा न्याय करूँगा। 31 मैं तुम पर अपने क्रोध का प्याला उँडेलूँगा। मैं तुम पर अपने गुस्से की आग फूँकूँगा और तुम्हें उन बेरहम लोगों के हाथ कर दूँगा जो मार-काट करने में उस्ताद हैं।+ 32 तुम आग जलाने की लकड़ी बन जाओगे,+ देश में तुम्हारे खून की नदियाँ बहा दी जाएँगी और तुम्हें फिर कभी याद नहीं किया जाएगा क्योंकि मुझ यहोवा ने यह बात कही है।’”
22 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, क्या तू उस नगरी को सज़ा सुनाने के लिए तैयार है* जो खून की दोषी है?+ क्या तू उसके सभी घिनौने कामों का परदाफाश करने के लिए तैयार है?+ 3 तू उससे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हे नगरी, तू जो अपने यहाँ खून की नदियाँ बहाती है+ और घिनौनी मूरतें* बनाकर खुद को दूषित करती है,+ तेरा वक्त आ रहा है,+ 4 तूने जो खून बहाया है उसकी वजह से तू दोषी है+ और तेरी घिनौनी मूरतों ने तुझे अशुद्ध कर दिया है।+ तूने अपने विनाश का दिन और पास बुला लिया है और तेरी ज़िंदगी के साल अब गिनती के रह गए हैं। इसीलिए मैं तुझे राष्ट्रों के बीच मज़ाक बना दूँगा और सब देशों में तेरी खिल्ली उड़ायी जाएगी।+ 5 हे बदनाम और अशांत नगरी, तेरे आस-पास के और दूर-दूर के सभी देश तेरी खिल्ली उड़ाएँगे।+ 6 देख! तेरे यहाँ रहनेवाला इसराएल का हर प्रधान अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करके खून बहाता है।+ 7 तेरे यहाँ लोग अपने माँ-बाप को नीचा दिखाते हैं।+ वे परदेसियों को ठगते हैं और अनाथों* और विधवाओं पर अत्याचार करते हैं।”’”+
8 “‘तू मेरी पवित्र जगहों को तुच्छ समझती है और मेरे सब्तों को अपवित्र करती है।+ 9 तेरे यहाँ लोग दूसरों को बदनाम करनेवाले हैं जो उनका खून बहाने पर तुले रहते हैं।+ वे तेरे यहाँ पहाड़ों पर मूरतों के आगे बलि की हुई चीज़ें खाते हैं और अश्लील कामों में डूबे रहते हैं।+ 10 तेरे यहाँ कोई अपने पिता की पत्नी के साथ संबंध रखता है,*+ तो कोई ऐसी औरत के साथ जो माहवारी की वजह से अशुद्ध है।+ 11 तेरे यहाँ कोई अपने पड़ोसी की पत्नी के साथ नीच काम करता है,+ कोई अपनी बहू के साथ अश्लील काम करके उसे दूषित करता है,+ तो कोई अपनी बहन को यानी अपने पिता की बेटी को भ्रष्ट कर देता है।+ 12 तेरे यहाँ लोग खून करने के लिए घूस लेते हैं।+ तू ब्याज पर या मुनाफे के लिए कर्ज़ देती है+ और अपने पड़ोसियों से पैसा ऐंठती है।+ हाँ, तू मुझे बिलकुल भूल गयी है।’ सारे जहान के मालिक यहोवा ने यह कहा है।
13 ‘देख! तेरी बेईमानी की कमाई से और तेरे यहाँ होनेवाले खून-खराबे से मुझे घिन हो गयी है और मैं अपनी हथेलियाँ पीटता हूँ। 14 जिन दिनों मैं तेरे खिलाफ कार्रवाई करूँगा तब क्या तू हिम्मत से सह पाएगी* और तेरा हाथ मज़बूत बना रहेगा?+ मुझ यहोवा ने यह बात कही है और मैं ऐसा ज़रूर करूँगा। 15 मैं तेरे लोगों को अलग-अलग राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा, दूसरे देशों में बिखरा दूँगा+ और तेरे अशुद्ध कामों का अंत कर डालूँगा।+ 16 दूसरे राष्ट्रों के सामने तेरी बेइज़्ज़ती होगी और तुझे जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”+
17 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 18 “इंसान के बेटे, इसराएल का घराना मेरी नज़र में धातु के मैल जैसा बेकार हो गया है। सब-के-सब एक जलती भट्ठी में गलनेवाला ताँबा, राँगा, लोहा और सीसा हैं। वे पिघलायी हुई चाँदी का मैल हैं।+
19 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तुम सब धातु के मैल जैसे बेकार हो गए हो,+ इसलिए मैं तुम्हें यरूशलेम के अंदर इकट्ठा करनेवाला हूँ। 20 जैसे चाँदी, ताँबे, लोहे, सीसे और राँगे को भट्ठी में इकट्ठा किया जाता है और आग फूँककर उन्हें पिघलाया जाता है, उसी तरह मैं गुस्से और क्रोध में आकर तुम्हें इकट्ठा करूँगा और तुम पर आग फूँककर तुम्हें गला दूँगा।+ 21 मैं तुम सबको इकट्ठा करूँगा और तुम पर अपने क्रोध की आग फूँकूँगा+ और तुम सब उसके अंदर गल जाओगे।+ 22 जैसे भट्ठी में चाँदी पिघलायी जाती है, वैसे ही तुम उसके अंदर गला दिए जाओगे। और तुम्हें जानना होगा कि मुझ यहोवा ने ही तुम पर अपने गुस्से की आग बरसायी है।’”
23 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 24 “इंसान के बेटे, उससे कहना, ‘तू ऐसा देश है जिसे मेरी जलजलाहट के दिन शुद्ध नहीं किया जाएगा और न ही तुझ पर बारिश होगी। 25 तेरे भविष्यवक्ता तेरे यहाँ लोगों को मारने के लिए साज़िश रचते हैं+ और उन्हें निगल जाते हैं, जैसे एक दहाड़ता शेर अपने शिकार को फाड़ खाता है।+ वे दूसरों का खज़ाना और उनकी बेशकीमती चीज़ें हड़प लेते हैं। उन्होंने तेरे यहाँ कितनी ही औरतों को विधवा बना दिया है। 26 तेरे याजकों ने मेरे कानून का उल्लंघन किया है+ और वे मेरी पवित्र जगहों को दूषित करते रहते हैं।+ वे पवित्र और आम चीज़ों के बीच कोई फर्क नहीं करते+ और लोगों को नहीं सिखाते कि क्या शुद्ध है और क्या अशुद्ध।+ वे मेरे सब्त मानने से इनकार कर देते हैं और मेरा अपमान करते हैं। 27 तेरे यहाँ हाकिम शिकार को फाड़ खानेवाले भेड़ियों जैसे हैं, वे बेईमानी की कमाई के लिए लोगों को मार डालते हैं, उनका खून बहाते हैं।+ 28 मगर तेरे भविष्यवक्ता उनकी काली करतूतों को ढाँप देते हैं, जैसे कोई दीवार में आयी दरारों पर सफेदी करके उन्हें ढाँप देता है। वे झूठे दर्शन देखते हैं और झूठी भविष्यवाणियाँ करते हैं+ और कहते हैं, “सारे जहान के मालिक यहोवा ने यह कहा है,” जबकि यहोवा ने कुछ नहीं कहा है। 29 तेरे लोगों ने धोखाधड़ी और लूटमार की है,+ गरीबों और ज़रूरतमंदों पर ज़ुल्म किया है और परदेसियों को ठगा है और उन्हें न्याय दिलाने से इनकार किया है।’
30 ‘मैं उनके बीच एक ऐसा आदमी ढूँढ़ रहा था जो पत्थर की टूटी दीवार की मरम्मत कर सके या देश की खातिर उस दरार में मेरे सामने खड़ा हो सके ताकि यह नगरी नाश न की जाए।+ मगर मुझे ऐसा कोई भी नहीं मिला। 31 इसलिए मैं उन पर अपने गुस्से की आग बरसाऊँगा और अपनी जलजलाहट से उन्हें भस्म कर दूँगा। मैं उनके चालचलन का फल उन्हें ज़रूर दूँगा।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
23 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, सुन। दो औरतें थीं जो एक ही माँ की बेटियाँ थीं।+ 3 वे मिस्र में वेश्या बन गयीं+ और जवानी से ही वेश्या का काम करने लगीं। वहाँ उन्होंने बदचलनी की और अपनी पवित्रता पूरी तरह खो दी। 4 उनमें से बड़ी बहन का नाम ओहोला* था और छोटी का ओहोलीबा।* वे मेरी हो गयीं और उन्होंने बेटे-बेटियों को जन्म दिया। ओहोला दरअसल सामरिया है+ और ओहोलीबा, यरूशलेम।
5 ओहोला जब मेरी थी तभी वेश्या बन बैठी।+ अपनी वासना पूरी करने के लिए वह अपने पड़ोसियों के पास जाया करती थी, अपने अश्शूरी यारों+ के पास जो उस पर मरते थे।+ 6 उसके यार नीले लिबास पहने अश्शूर के राज्यपाल और अधिकारी थे, सुंदर-सजीले जवान थे जो बड़ी शान से घोड़ों पर सवारी करते थे। 7 वह अश्शूर के बड़े-बड़े आदमियों के साथ बदचलनी करती रही और उन लोगों की घिनौनी मूरतों* से खुद को दूषित करती रही+ जिनके लिए वह कामातुर रहती थी। 8 उसने मिस्र में जो वेश्या के काम शुरू किए थे उन्हें नहीं छोड़ा। जब वह जवान थी तब मिस्र के आदमी उसके साथ सोया करते थे और उन्होंने उसे पूरी तरह भ्रष्ट कर दिया। वे उसके पास जाकर अपनी हवस पूरी करते थे।+ 9 इसलिए मैंने उसे अश्शूरी आदमियों को दे दिया जो उस पर मरते थे,+ क्योंकि वह उन्हीं के लिए कामातुर रहती थी। 10 उन्होंने उसे पूरी तरह नंगा कर दिया,+ उसके बेटे-बेटियों को उससे छीन लिया+ और उसे तलवार से मार डाला। वह औरतों में सबसे बदनाम हो गयी थी और उन्होंने उसे सज़ा दी।
11 जब उसकी बहन ओहोलीबा ने उसे देखा तो उसने अपनी वासना पूरी करने के लिए उससे भी बढ़-चढ़कर बदचलनी की। वेश्या के काम करने में वह अपनी बहन से भी बदतर निकली।+ 12 अपनी वासना पूरी करने के लिए वह पड़ोस के अश्शूरी राज्यपालों और अधिकारियों के पास जाने लगी,+ उन सुंदर-सजीले जवानों के पास जो बढ़िया-बढ़िया लिबास पहने घोड़ों पर सवारी करते थे। 13 इस तरह ओहोलीबा ने भी खुद को दूषित कर लिया और मैंने दोनों बहनों को एक ही राह पर चलते देखा।+ 14 ओहोलीबा और भी बढ़-चढ़कर बदचलनी करती गयी। उसने दीवार पर सिंदूरी लाल रंग से रंगी कसदी आदमियों की नक्काशियाँ देखीं, 15 जो कमरबंद बाँधे थे और सिर पर लहराती सुंदर पगड़ियाँ पहने थे। ये सारी-की-सारी नक्काशियाँ कसदिया में पैदा हुए बैबिलोनी आदमियों की थीं और उनका रंग-रूप सूरमाओं जैसा था। 16 उसने जैसे ही उन्हें देखा, वह उनके साथ संबंध बनाने के लिए मचलने लगी और उसने अपने दूतों को उन आदमियों के पास कसदिया भेजा।+ 17 फिर बैबिलोन के आदमी उस पर प्यार लुटाने उसके बिस्तर पर आते रहे और उन्होंने अपनी हवस पूरी करके* उसे दूषित कर दिया। जब वह उन आदमियों से दूषित हो गयी तो वह उनसे घिन करने लगी और उनसे मुँह फेर लिया।
18 जब वह शर्म-हया की सारी हदें पार करके वेश्या के काम करने लगी और अपने तन की नुमाइश करने लगी,+ तो मुझे उससे घिन होने लगी और मैंने उससे मुँह फेर लिया, जैसे मैंने उसकी बहन से भी मुँह फेर लिया था।+ 19 वह जवानी के उन दिनों को याद करती जब वह मिस्र में वेश्या के काम करती थी+ और पहले से भी बढ़-चढ़कर बदचलनी करती।+ 20 वह उन आदमियों की रखैलियों की तरह उनके पास जाने लगी जिनके लिंग गधे और घोड़े के लिंग जैसे होते हैं। 21 ओहोलीबा, तू ऐसे अश्लील काम करने के लिए बेताब रहती है जो तूने मिस्र में रहते वक्त जवानी में किए थे।+ जवानी में वहाँ के आदमियों ने तुझे भ्रष्ट कर दिया था।+
22 इसलिए ओहोलीबा सुन, सारे जहान का मालिक यहोवा तुझसे क्या कहता है, ‘मैं तेरे यारों को तेरे खिलाफ भड़काने जा रहा हूँ+ जिनसे तूने घिन करके अपना मुँह फेर लिया था। मैं उन्हें चारों तरफ से तेरे खिलाफ ले आऊँगा।+ 23 मैं बैबिलोन के आदमियों+ को और सारे कसदियों को,+ पकोद, शोआ और कोआ के आदमियों को,+ साथ ही अश्शूर के सारे आदमियों को तेरे खिलाफ खड़ा करूँगा। हाँ, उन सभी राज्यपालों, अधिकारियों और चुने हुए सूरमाओं को जो एक-से-बढ़कर-एक सुंदर-सजीले जवान हैं और घोड़ों पर बड़ी शान से सवारी करते हैं। 24 वे रथों की तेज़ घड़घड़ाहट के साथ और एक बड़ी सेना लेकर तुझ पर टूट पड़ेंगे जो बड़ी ढालों, छोटी ढालों* और टोप से पूरी तरह लैस होगी। वे तुझे चारों तरफ से घेर लेंगे और मैं उन्हें तेरा न्याय करने का अधिकार दूँगा और वे अपने तरीके से तुझे सज़ा देंगे।+ 25 मैं तुझ पर अपनी जलजलाहट प्रकट करूँगा और वे गुस्से में आकर तेरा बहुत बुरा हश्र करेंगे। वे तेरी नाक और तेरे कान काट डालेंगे। तेरे लोगों में से जो बच जाएँगे वे तलवार से मारे जाएँगे। वे तेरे बेटे-बेटियों को तुझसे छीन लेंगे और तेरे लोगों में से जो बच जाएँगे वे आग में भस्म कर दिए जाएँगे।+ 26 वे तेरे कपड़े उतार लेंगे+ और तेरे सुंदर गहने* छीन लेंगे।+ 27 मैं तेरे अश्लील कामों और तेरे वेश्या के कामों का अंत कर दूँगा+ जो तूने मिस्र में शुरू किए थे।+ तू उन्हें फिर कभी न देख सकेगी और न ही मिस्र को कभी याद कर पाएगी।’
28 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘देख, मैं तुझे उन सबके हवाले करने पर हूँ जिनसे तू नफरत करती है, जिनसे तूने घिन करके अपना मुँह फेर लिया है।+ 29 वे तुझसे नफरत करेंगे, तेरे पसीने की सारी कमाई लूट लेंगे+ और तुझे पूरी तरह नंगा छोड़ जाएँगे। तेरी बदचलनी के शर्मनाक कामों का, तेरे अश्लील कामों और तेरे वेश्या के कामों का परदाफाश हो जाएगा।+ 30 तुझ पर यह नौबत इसलिए आएगी क्योंकि तू एक वेश्या की तरह दूसरे राष्ट्रों के पीछे भागती रही+ और तूने उनकी घिनौनी मूरतों से खुद को दूषित कर लिया।+ 31 तूने भी अपनी बहन के रंग-ढंग अपना लिए हैं,+ इसलिए उसका प्याला तेरे हाथ में दूँगा।’+
32 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
‘तू अपनी बहन के चौड़े, गहरे प्याले से पीएगी,+
तू एक मज़ाक बनकर रह जाएगी और तेरी हँसी उड़ायी जाएगी, क्योंकि उस प्याले में यही सब भरा है।+
33 तू अपनी बहन सामरिया का प्याला पीएगी,
जो खौफ और तबाही का प्याला है,
तू पी-पीकर मदहोश हो जाएगी और तेरा दुख बरदाश्त के बाहर होगा।*
34 तुझे यह प्याला पीना ही होगा, इसकी एक-एक बूँद पीनी होगी,+
तुझे प्याले के टुकड़े तक चबाने होंगे और तू मारे दुख के अपनी छातियाँ चीरेगी।
“यह मैंने खुद कहा है,” सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।’
35 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तू मुझे भूल गयी है। तूने मेरी बिलकुल भी कदर नहीं की।+ इसलिए तुझे अपने अश्लील कामों का और अपने वेश्या के कामों का अंजाम भुगतना ही होगा।’”
36 इसके बाद यहोवा ने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, क्या तू ओहोला और ओहोलीबा+ को मेरा फैसला सुनाएगा और उनके घिनौने कामों के लिए उन्हें दोषी ठहराएगा? 37 उन्होंने व्यभिचार किया है*+ और उनके हाथ खून से रंगे हैं। उन्होंने न सिर्फ घिनौनी मूरतों को पूजा* है बल्कि मेरे लिए उन्होंने जो बेटे पैदा किए थे, उन्हें भी मूरतों के आगे भोग चढ़ाने के लिए आग में होम कर दिया है।+ 38 और-तो-और उन्होंने मेरे साथ यह सब किया: उन्होंने उस दिन मेरे पवित्र-स्थान को दूषित कर दिया और मेरे सब्तों को अपवित्र कर दिया। 39 अपने बेटों को घिनौनी मूरतों के आगे बलि चढ़ाने के बाद,+ उन्होंने उसी दिन मेरे पवित्र-स्थान में आकर उसे दूषित कर दिया।+ उन्होंने मेरे भवन के अंदर ऐसा किया। 40 इतना ही नहीं, उन्होंने दूर-दूर से आदमियों को बुलाने के लिए एक दूत भी भेजा।+ जब वे आदमी आ रहे थे तो तूने नहा-धोकर अपनी आँखों को सँवारा और सुंदर गहनों से अपना सिंगार किया+ 41 और जाकर एक आलीशान दीवान पर बैठ गयी।+ तेरे आगे एक मेज़ थी+ जिस पर तूने मेरा धूप और मेरा तेल रखा।+ 42 वहाँ मस्ती में डूबे आदमियों की भीड़ का शोरगुल सुनायी दिया, जिनमें वीराने से लाए गए शराबी भी थे। उन्होंने इन दोनों औरतों के हाथों में कंगन पहनाए और सिर पर खूबसूरत ताज रखे।
43 इसके बाद मैंने उस औरत के बारे में, जो व्यभिचार करते-करते पस्त हो गयी है, यह कहा: ‘अब भी यह औरत वेश्या के कामों से बाज़ नहीं आएगी।’ 44 वे आदमी उसके पास जाते रहे जैसे कोई किसी वेश्या के पास बार-बार जाता है। वे ओहोला और ओहोलीबा के पास इसी तरह जाते रहे जो अश्लील कामों के लिए बदनाम हैं। 45 मगर नेक आदमी उन दोनों को व्यभिचार और कत्ल की वह सज़ा देंगे जिसकी वे लायक हैं।+ उन्होंने व्यभिचार किया है और उनके हाथ खून से रंगे हैं इसलिए उनका यही अंजाम होगा।+
46 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘उनके खिलाफ एक सेना लायी जाएगी और उनका ऐसा हश्र किया जाएगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा और उन्हें लूट लिया जाएगा।+ 47 सेना उन पर पत्थर फेंकेगी+ और तलवारों से उन्हें काट डालेगी। वह उनके बेटे-बेटियों को मार डालेगी+ और उनके घर आग से फूँक देगी।+ 48 मैं देश में अश्लील कामों का अंत कर दूँगा और सारी औरतें तुमसे सबक सीखेंगी और कोई भी औरत तुम्हारी तरह अश्लील काम नहीं करेगी।+ 49 तुमने जो अश्लील काम किए हैं और अपनी घिनौनी मूरतों को पूजकर जो पाप किया है, उसकी सज़ा वे ज़रूर तुम्हें देंगे और तुम्हें जानना होगा कि मैं सारे जहान का मालिक यहोवा हूँ।’”+
24 नौवें साल के दसवें महीने के दसवें दिन यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, आज की यह तारीख लिख ले। आज ही के दिन बैबिलोन के राजा ने यरूशलेम पर हमला शुरू किया है।+ 3 तू उस बगावती घराने के बारे में एक मिसाल* बताना और उनके बारे में कहना,
‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“हंडे* को आग पर रख और उसमें पानी डाल।+
4 उसमें गोश्त के टुकड़े डाल,+ बढ़िया-बढ़िया टुकड़े डाल,
जाँघ और कंधे के टुकड़े डाल, उसे अच्छी-अच्छी हड्डियों से भर दे।
5 झुंड की सबसे मोटी-ताज़ी भेड़ ले+ और हंडे के नीचे चारों तरफ लकड़ियाँ जमा दे।
गोश्त के टुकड़े उबाल और हड्डियाँ पका।”’
6 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
‘धिक्कार है इस खूनी नगरी पर!+
यह ज़ंग लगा हंडा है जिसका ज़ंग निकाला नहीं गया है!
इसे खाली कर, टुकड़े एक-एक करके बाहर निकाल,+ उन पर चिट्ठियाँ मत डाल।
इसने ज़मीन पर नहीं उँडेला कि उसे मिट्टी से ढका जाए।+
8 मैंने इसका बहाया खून चिकनी, खुली चट्टान पर छोड़ा है
ताकि उसे ढका न जाए
और मैं क्रोध में आकर इससे बदला लूँ।’+
9 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
‘धिक्कार है इस खूनी नगरी पर!+
मैं इसके चारों तरफ लकड़ियों का ढेर और बढ़ा दूँगा।
10 मोटी-मोटी लकड़ियों का ढेर लगा दो, आग लगा दो,
हंडे का गोश्त अच्छी तरह उबालो, शोरबा उँडेल दो और हड्डियों को जलकर राख हो जाने दो।
11 खाली हंडा अंगारों पर रखो कि वह गरम हो जाए,
उसका ताँबा पूरा लाल हो जाए,
तब उसकी गंदगी अंदर-ही-अंदर पिघल जाएगी+ और आग उसका ज़ंग खा लेगी।
इसे ज़ंग के साथ आग में झोंक दो!’
13 ‘तू अपने अश्लील कामों की वजह से अशुद्ध हो गयी है।+ मैंने तुझे शुद्ध करने की बहुत कोशिश की, मगर तू शुद्ध नहीं होती। तू तब तक शुद्ध नहीं होगी जब तक कि मैं तुझ पर अपना गुस्सा पूरी तरह उतार न लूँ।+ 14 यह बात मुझ यहोवा ने कही है। यह ज़रूर पूरी होगी। मैं तुझे सज़ा देने से पीछे नहीं हटूँगा, तुझ पर बिलकुल तरस नहीं खाऊँगा और न ही अपना फैसला बदलूँगा।+ तेरे रंग-ढंग और तेरे चालचलन के मुताबिक वे तेरा न्याय करेंगे।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
15 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 16 “इंसान के बेटे, मैं तेरी प्यारी संगिनी को अचानक मारकर तुझसे छीन लूँगा।+ तू उसके लिए न तो मातम मनाना,* न रोना, न ही आँसू बहाना। 17 तू मन-ही-मन कराहना और मातम का कोई दस्तूर न मानना।+ सिर पर पगड़ी और पैरों में जूतियाँ पहनना।+ अपनी मूँछें* न ढाँपना+ और जब दूसरे तुझे रोटी लाकर दें तो उसे न खाना।”+
18 सुबह मैंने लोगों को परमेश्वर का संदेश सुनाया और शाम को मेरी पत्नी की मौत हो गयी। अगली सुबह मैंने वैसा ही किया जैसी मुझे आज्ञा दी गयी थी। 19 तब लोग मुझसे कहने लगे, “हमें बता कि तू यह सब जो कर रहा है, हमारे लिए क्या मायने रखता है?” 20 मैंने उनसे कहा, “यहोवा ने मुझे यह संदेश दिया है: 21 ‘इसराएल के घराने से कहना, “सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं अपने पवित्र-स्थान को दूषित करनेवाला हूँ+ जिस पर तुम्हें बड़ा गुमान है, जो तुम्हें बहुत प्यारा है और जिसे तुम दिल से चाहते हो। तुम्हारे अपने बेटे-बेटियाँ, जिन्हें तुम पीछे छोड़ आए हो, तलवार से मारे जाएँगे।+ 22 तब तुम्हें भी वही करना होगा जो मैंने किया था। तुम अपनी मूँछें नहीं ढाँपोगे और न ही वह रोटी खाओगे जो दूसरे तुम्हें लाकर देंगे।+ 23 तुम सिर पर पगड़ी बाँधे और पैरों में जूतियाँ पहने रहोगे। तुम न तो मातम मनाओगे, न ही रोओगे बल्कि तुम अपने गुनाहों की वजह से सड़-गल जाओगे+ और एक-दूसरे के सामने कराहोगे। 24 यहेजकेल तुम्हारे लिए एक चिन्ह ठहरा है।+ जैसा उसने किया है तुम भी वैसा ही करोगे। जब ये सारी बातें घटेंगी, तब तुम्हें जानना होगा कि मैं सारे जहान का मालिक यहोवा हूँ।’”’”
25 “इंसान के बेटे, मैं उनका किला उनसे छीन लूँगा जो उनकी खुशी का खज़ाना है, जो उन्हें बहुत प्यारा है और जिसे वे दिल से चाहते हैं। मैं उनके बेटे-बेटियों को भी उनसे छीन लूँगा।+ जिस दिन मैं ऐसा करूँगा उस दिन 26 यह खबर तुझे एक ऐसा आदमी देगा जो अपनी जान बचाकर वहाँ से भाग आएगा।+ 27 उस दिन तू अपना मुँह खोलेगा और उस आदमी से बात करेगा। इसके बाद तू कभी चुप न रहेगा।+ तू उन लोगों के लिए एक चिन्ह ठहरेगा और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”
25 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे सुन, अम्मोनियों+ की तरफ मुँह कर और उनके खिलाफ भविष्यवाणी कर।+ 3 तू अम्मोनियों से कहना, ‘सारे जहान के मालिक यहोवा का संदेश सुनो। सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “जब मेरा पवित्र-स्थान दूषित किया गया था, इसराएल देश उजाड़ा गया और यहूदा का घराना बँधुआई में चला गया था, तब तुमने कहा, ‘अच्छा हुआ!’ 4 इसलिए मैं तुम्हें पूरब के लोगों के हवाले करने जा रहा हूँ और वे तुम पर कब्ज़ा कर लेंगे। वे तुम्हारे देश में छावनियाँ* डालेंगे और तंबू गाड़कर बस जाएँगे। वे तुम्हारे देश की उपज खाएँगे और तुम्हारी भेड़-बकरियों का दूध पीएँगे। 5 मैं तुम्हारे शहर रब्बाह+ को ऊँटों के लिए चरागाह बना दूँगा और तुम अम्मोनियों का देश भेड़-बकरियों के लिए आराम करने की जगह बन जाएगा और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”’”
6 “सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तुमने इसराएल देश का हाल देखकर तालियाँ बजायी थी+ और तुम नाचने-झूमने लगे* और तुमने उन्हें नीचा दिखाने के लिए जश्न मनाया था।+ 7 इसलिए मैं तुम्हारे खिलाफ अपना हाथ बढ़ाऊँगा और तुम्हें दूसरे राष्ट्रों के हवाले कर दूँगा और वे तुम्हें लूट लेंगे। मैं देशों के बीच से तुम्हें मिटा डालूँगा और तुम्हारे देश का नाश कर दूँगा।+ मैं तुम्हें खत्म कर दूँगा और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’
8 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मोआब+ और सेईर+ ने कहा था, “देखो! यहूदा के घराने की हालत दुनिया के बाकी सभी राष्ट्रों जैसी हो गयी है।” 9 इसलिए मैं मोआब की सरहद पर बसे शहर बेत-यशिमोत, बालमोन और किरयातैम+ तक को, जो उसकी शान* हैं, दुश्मनों के लिए खोल रहा हूँ। 10 मैं अम्मोनियों के साथ-साथ मोआबियों को भी पूरब के लोगों के हवाले कर दूँगा+ ताकि वे उन पर कब्ज़ा कर लें। इस तरह राष्ट्रों के बीच अम्मोनियों को फिर कभी याद नहीं किया जाएगा।+ 11 मैं मोआब को सज़ा दूँगा+ और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’
12 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘एदोम ने यहूदा के घराने से बदला लिया और ऐसा करके बहुत बड़े पाप का दोषी बन गया।+ 13 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं एदोम के खिलाफ भी अपना हाथ बढ़ाऊँगा और उसके देश से इंसानों और मवेशियों, दोनों को काट डालूँगा। मैं उसे उजाड़ दूँगा।+ तेमान से ददान तक रहनेवाले सभी तलवार से मारे जाएँगे।+ 14 ‘मैं अपनी प्रजा इसराएल के हाथों एदोम से बदला लूँगा।+ उनके ज़रिए मैं एदोम पर अपना गुस्सा और क्रोध भड़काऊँगा ताकि एदोम जान जाए कि मैं किस तरह बदला लेता हूँ।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”’
15 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘पलिश्तियों ने सदियों पुरानी दुश्मनी की वजह से इसराएलियों से बदला लेने और उन्हें मिटा डालने की घिनौनी साज़िश की थी।+ 16 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं पलिश्तियों के खिलाफ हाथ बढ़ाने जा रहा हूँ+ और मैं करेती लोगों को काट डालूँगा+ और समुद्र-तट के बचे हुए निवासियों को नाश कर दूँगा।+ 17 मैं उन्हें कड़ी-से-कड़ी सज़ा देकर उनसे बदला लूँगा और जब मैं उनसे बदला लूँगा तो उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”’”
26 ग्यारहवें साल के महीने के पहले दिन यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 2 “इंसान के बेटे सुन, सोर नगरी ने यरूशलेम की खिल्ली उड़ाते हुए कहा है,+ ‘यह नगरी, जो सब देशों के लिए फाटक जैसी थी, आज देखो इसे तोड़ दिया गया है!+ अच्छा हुआ! अब देखना, सारे लोग मेरे पास आएँगे और मैं मालामाल हो जाऊँगी।’ 3 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘हे सोर, मैं तेरे खिलाफ हूँ। मैं बहुत-से राष्ट्रों को तेरे खिलाफ ऐसे उठाऊँगा, जैसे समुंदर अपनी लहरें उठाता है। 4 वे सोर की दीवारें ढा देंगे और उसकी मीनारें गिरा देंगे।+ मैं उसकी मिट्टी खुरच-खुरचकर उसे चिकनी, खुली चट्टान बना दूँगा। 5 वह समुंदर के बीच मछुवाई के बड़े-बड़े जाल सुखाने की जगह बन जाएगी।’+
‘क्योंकि यह मैंने कहा है और दुनिया के राष्ट्र आकर उसे लूट लेंगे।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है। 6 ‘सोर में देहात की खुली बस्तियों* में रहनेवाले सभी तलवार से काट डाले जाएँगे और लोगों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’
7 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं उत्तर से बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* को सोर पर हमला करने भेज रहा हूँ।+ वह राजाओं का राजा है+ जिसके पास बेशुमार घोड़े,+ युद्ध-रथ,+ घुड़सवार और बहुत-से सैनिकों से बनी एक सेना है। 8 वह देहात में तेरी खुली बस्तियों को तलवार से तहस-नहस कर देगा। वह तुझ पर हमला करने के लिए घेराबंदी की दीवार खड़ी करेगा और ढलान बनाएगा और तुझसे अपना बचाव करने के लिए एक बड़ी ढाल तैयार करेगा। 9 वह अपनी बख्तरबंद गाड़ी* से तेरी दीवारों को मार-मारकर ढा देगा और अपने कुल्हाड़ों* से तेरी मीनारें गिरा देगा। 10 उसके पास इतनी तादाद में घोड़े होंगे कि उनके दौड़ने से उठनेवाली धूल तुझे ढक लेगी। वह तेरे फाटकों में ऐसे घुस आएगा जैसे लोग टूटी दीवारों से धड़धड़ाते हुए शहर में घुस जाते हैं। तब उसके घुड़सवारों, युद्ध-रथों और उनके पहियों की तेज़ गड़गड़ाहट से तेरी दीवारें हिल जाएँगी। 11 उसके घोड़े अपनी टापों से तेरी सड़कों को रौंद डालेंगे।+ वह अपनी तलवार से तेरे लोगों को मार डालेगा और तेरे बड़े-बड़े मज़बूत खंभे ज़मीन पर गिरकर चकनाचूर हो जाएँगे। 12 वे तेरी सारी दौलत और व्यापार का सारा माल लूट लेंगे,+ तेरी दीवारें ढा देंगे और तेरे आलीशान घरों को उजाड़ देंगे। फिर वे तेरे पत्थर, तेरा लकड़ी का सामान और तेरी मिट्टी समुंदर में डाल देंगे।’
13 ‘मैं तेरे बीच से गाने-बजाने की सारी आवाज़ें बंद कर दूँगा। तेरे यहाँ सुरमंडल की धुनें फिर कभी सुनायी न देंगी।+ 14 मैं तुझे चिकनी, खुली चट्टान बना दूँगा और तू मछुवाई के बड़े-बड़े जाल सुखाने की जगह बन जाएगी।+ तू फिर कभी नहीं बसायी जाएगी क्योंकि यह बात मुझ यहोवा ने कही है।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
15 सारे जहान का मालिक यहोवा सोर से कहता है, ‘जब तू गिरेगी और तेरे यहाँ मरनेवाले लोग* कराहेंगे और तेरे बीच मार-काट मचेगी, तो ऐसा हाहाकार होगा कि सारे द्वीप थर-थर काँपने लगेंगे।+ 16 समुंदर के सभी हाकिम* अपनी-अपनी गद्दी से उतर जाएँगे, अपने चोगे* और खूबसूरत कढ़ाईदार कपड़े उतार देंगे और थर-थर काँपेंगे।* वे ज़मीन पर बैठ जाएँगे, थर-थर काँपते रहेंगे और हैरत-भरी नज़रों से तुझे ताकेंगे।+ 17 वे तेरे लिए शोकगीत गाएँगे+ और तुझसे कहेंगे,
“तू वह नगरी है जिसकी बड़ाई की जाती थी, समुंदर से लोग आकर तेरे यहाँ बसते थे,
समुंदर पर तेरा और तेरे लोगों का दबदबा था,+
तूने धरती के सभी लोगों में डर फैला दिया था,
हाय! अब तू किस कदर नाश हो गयी है।+
19 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं तेरा हाल उन शहरों की तरह कर दूँगा जो सुनसान और वीरान पड़े हैं। मैं समुंदर की उफनती लहरें तुझ पर चढ़ाऊँगा और तू गहरे सागर में डूब जाएगी।+ 20 मैं तुझे गड्ढे* में उतार दूँगा जैसे मैं दूसरों को उतारता हूँ, जहाँ लंबे अरसे से मरे हुए लोग हैं। मैं तुझे उन गहराइयों में फेंक दूँगा जहाँ मुद्दतों से कई जगह उजाड़ पड़ी हैं और मैं तुझे उस कब्र में डाल दूँगा जहाँ बाकी सब लोग डाले जाते हैं+ ताकि तू फिर कभी आबाद न हो। फिर मैं ज़िंदा लोगों के देश में रौनक ले आऊँगा।*
21 मैं तुझ पर अचानक कहर ढाऊँगा और तू फिर कभी नज़र नहीं आएगी।+ वे तुझे ढूँढ़ेंगे, मगर तू कहीं नहीं मिलेगी।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
27 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, सोर के बारे में एक शोकगीत गा+ 3 और उससे कह,
‘समुंदर के फाटकों पर रहनेवाले,
बहुत-से द्वीपों के देशों के साथ व्यापार करनेवाले,
सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
5 उन्होंने तेरे सारे तख्ते सनीर से लायी सनोवर की लकड़ी से बनाए+
तेरा मस्तूल लबानोन के एक देवदार से बनाया।
6 तेरे चप्पू बाशान के बाँज के पेड़ों से तैयार किए
तेरे आगे का हिस्सा कित्तीम द्वीपों+ के सरो पेड़ की लकड़ियों से बनाया गया जिस पर हाथी-दाँत का काम था।
7 तेरे पाल मिस्र से लाए रंग-बिरंगे मलमल से बनाए गए,
तेरे फर्श पर लगा शामियाना एलीशाह+ द्वीपों से लाए नीले धागे और बैंजनी ऊन का बना था।
8 तेरे खेवैए सीदोन और अरवाद+ से थे।
हे सोर, तेरे नाविक तेरे ही हुनरमंद आदमी थे।+
9 तेरी जुड़ाई करनेवाले, गबाल के कुशल और तजुरबेकार लोग* थे।+
समुंदर के सभी जहाज़ और उनके मल्लाह तेरे पास लेन-देन करने आते थे।
10 तेरी सेना में फारस, लूद और पुट+ के योद्धा थे
वे तुझ पर अपनी ढालें और टोप लटकाया करते थे, उन्होंने तेरी शान बढ़ा दी थी।
11 तेरी सेना में अरवाद के आदमी थे जो तेरे चारों तरफ की दीवारों पर तैनात रहते थे,
तेरी मीनारों पर शूरवीर खड़े रहते थे।
तेरे चारों तरफ की दीवारों पर वे अपनी गोल ढालें टाँगते थे,
उन्होंने तुझे इतना निखारा कि तेरी सुंदरता बेमिसाल* है।
12 तेरी बेशुमार दौलत देखकर तरशीश+ ने तेरे साथ कारोबार किया।+ उसने तेरे माल के बदले तुझे चाँदी, लोहा, राँगा और सीसा दिया।+ 13 यावान, तूबल+ और मेशेक+ ने तेरे साथ व्यापार किया और तेरे माल के बदले तुझे दास-दासियाँ+ और ताँबे की चीज़ें दीं। 14 तोगरमा के घराने+ ने तेरे माल के बदले तुझे घोड़े और खच्चर दिए। 15 ददान+ के लोगों ने भी तेरे साथ व्यापार किया। तूने बहुत-से द्वीपों में सौदागरों को काम पर रखा। वे तुझे नज़राने में हाथी-दाँत+ और आबनूस की लकड़ी दिया करते थे। 16 तेरी चीज़ों की भरमार देखकर एदोम ने तेरे साथ कारोबार किया। उसने तेरे माल के बदले तुझे फिरोज़ा, बैंजनी ऊन, रंगीन कढ़ाईदार कपड़े, बेहतरीन-से-बेहतरीन कपड़े, मूंगे और माणिक दिए।
17 यहूदा और इसराएल देश ने भी तेरे साथ व्यापार किया और तेरे माल के बदले तुझे मिन्नीत+ का गेहूँ, खाने की बढ़िया-बढ़िया चीज़ें, शहद,+ तेल और बलसाँ+ दिया।+
18 तेरी चीज़ों की भरमार और तेरी सारी दौलत देखकर दमिश्क+ ने तेरे साथ कारोबार किया। उसने तुझे बदले में हेलबोन की दाख-मदिरा और ज़हार की ऊन* दी। 19 ऊजाल के वदान और यावान ने तेरे माल के बदले तुझे पिटवाँ लोहा, तज* और वच* दिए। 20 ददान+ ने तेरे साथ ज़ीन के कपड़ों* का व्यापार किया। 21 तूने अरबी लोगों और केदार+ के सभी प्रधानों को काम पर रखा जो मेम्नों, मेढ़ों और बकरियों के व्यापारी थे।+ 22 शीबा और रामा+ के सौदागरों ने भी तेरे साथ व्यापार किया। उन्होंने तेरे माल के बदले तुझे हर तरह के बढ़िया-बढ़िया इत्र, कीमती पत्थर और सोना दिया।+ 23 हारान,+ कन्ने और अदन+ ने, साथ ही शीबा,+ अस्सूर+ और कलमद के सौदागरों ने तेरे साथ व्यापार किया। 24 वे तेरे बाज़ार में सुंदर-सुंदर कपड़ों और नीले कपड़ों से बने ऐसे चोगों का व्यापार करते थे जिन पर रंगीन कढ़ाई का काम था। साथ ही, रंग-बिरंगे कालीन को रस्सों से अच्छी तरह बाँधकर लाते और बेचते थे।
25 तरशीश के जहाज़+ तेरा माल ढोया करते थे
इसलिए समुंदर के बीचों-बीच तू हमेशा सामान से लदा रहता था, भरा रहता था।*
26 तेरे खेवैए तुझे समुंदर की गहराइयों में ले गए,
पूरब की तेज़ आँधी ने बीच समुंदर में तुझे ऐसा मारा कि तू तहस-नहस हो गया।
27 तेरी दौलत, तेरा माल-असबाब, तेरे मल्लाह और नाविक,
तेरी जुड़ाई करनेवाले, तेरे व्यापारी+ और तेरे सभी योद्धा,+
तुझ पर सवार सारी भीड़,
सबकुछ उस दिन बीच समुंदर में समा जाएगा जब तू गिरेगा।+
28 तेरे नाविकों का चीखना सुनकर समुंदर किनारे के इलाके काँप उठेंगे।
29 सभी खेवैए, मल्लाह और नाविक
अपने-अपने जहाज़ से उतरकर ज़मीन पर आ खड़े होंगे।
31 वे अपना सिर मुँड़वा लेंगे और टाट ओढ़ेंगे,
तेरे लिए विलाप करेंगे और ज़ोर-ज़ोर से रोएँगे।
32 वे मारे दुख के तेरे बारे में शोकगीत गाएँगे और यह राग अलापेंगे:
‘सोर की टक्कर का कौन है, जो आज गहरे सागर में खामोश पड़ा है?+
33 तेरा माल समुंदर के रास्ते आया करता था और तू देश-देश के लोगों को खुश करता था।+
तू अपनी अपार दौलत और माल-असबाब से धरती के राजाओं को मालामाल करता था।+
34 मगर आज तू समुंदर की गहराइयों में टूटकर तहस-नहस हो गया है,+
तेरे साथ तेरा सारा माल और तेरे लोग डूब गए।+
35 द्वीपों के सब लोग फटी आँखों से तुझे देखेंगे,+
उनके राजा मारे डर के थर-थर काँपेंगे,+ उनके चेहरे फक पड़ जाएँगे।
36 राष्ट्रों के सौदागर तेरी यह हालत देखकर मारे हैरत के सीटी बजाएँगे।
तेरा अंत अचानक और भयानक होगा,
तू हमेशा के लिए मिट जाएगा।’”’”+
28 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, सोर के अगुवे से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“तेरा मन घमंड से फूल गया है,+ तू बार-बार कहता है, ‘मैं एक ईश्वर हूँ।
मैं बीच समुंदर में एक ईश्वर के आसन पर बैठा हूँ।’+
मगर तू जो खुद को ईश्वर समझता है,
तू कोई ईश्वर नहीं, मामूली इंसान है।
3 तू खुद को दानियेल से ज़्यादा बुद्धिमान समझता है।+
तू सोचता है कि ऐसा कोई रहस्य नहीं जो तेरी समझ से बाहर हो।
4 तूने अपनी बुद्धि और पैनी समझ से खूब दौलत बटोरी है,
तू अपने खज़ाने में सोना-चाँदी जमा करता जा रहा है।+
5 तूने बड़ी हुनरमंदी से लेन-देन करके बेशुमार दौलत कमायी है,+
अपनी दौलत की वजह से तेरा मन घमंड से फूल गया है।”’
6 ‘इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“तू मन-ही-मन खुद को ईश्वर समझता है न?
7 इसलिए मैं तेरे खिलाफ परदेसियों को ला रहा हूँ, जो राष्ट्रों में से सबसे खूँखार लोग हैं,+
वे तेरी हर खूबसूरत चीज़ पर तलवारें चलाएँगे जो तूने अपनी बुद्धि से हासिल की है
और तेरी शान मिट्टी में मिलाकर तुझे दूषित कर देंगे।+
9 क्या तब भी तू अपने कातिल से कहेगा, ‘मैं एक ईश्वर हूँ’?
तू अपने दूषित करनेवालों के हाथ में कोई ईश्वर नहीं, अदना इंसान होगा।”’
10 ‘तू परदेसियों के हाथों ऐसे मारा जाएगा मानो तू कोई खतनारहित हो,
क्योंकि यह बात मैंने कही है।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
11 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 12 “इंसान के बेटे, सोर के राजा के बारे में एक शोकगीत गा और उससे कह, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
13 तू परमेश्वर के बाग, अदन में था।
तुझे हर तरह के अनमोल रत्न से जड़े कपड़े पहनाए गए थे
—माणिक, पुखराज और यशब, करकेटक, सुलेमानी और मरगज, नीलम, फिरोज़ा+ और पन्ना।
उन्हें सोने के खाँचों में बिठाया गया था।
जिस दिन तुझे सिरजा गया था, उसी दिन तेरे लिए ये तैयार किए गए थे।
14 मैंने तेरा अभिषेक करके तुझे पहरा देनेवाला करूब ठहराया था।
तू परमेश्वर के पवित्र पहाड़ पर था+ और आग से धधकते पत्थरों के बीच चला करता था।
15 जिस दिन तुझे सिरजा गया था, उस दिन से लेकर तब तक तू अपने चालचलन में निर्दोष रहा
जब तक कि तुझमें बुराई न पायी गयी।+
मैं तुझे दूषित जानकर परमेश्वर के पहाड़ से निकाल दूँगा और तेरा नाश कर दूँगा।+
हे पहरा देनेवाले करूब, तुझे मैं धधकते पत्थरों के बीच से निकाल दूँगा।
17 अपनी सुंदरता की वजह से तेरा मन घमंड से फूल गया है।+
अपनी शान की वजह से तूने अपनी बुद्धि भ्रष्ट कर ली है।+
मैं तुझे नीचे ज़मीन पर पटक दूँगा।+
तुझे राजाओं के सामने तमाशा बना दूँगा।
18 तेरे पाप के भारी दोष और व्यापार में तेरी बेईमानी ने तेरे पवित्र-स्थानों को दूषित कर दिया है।
मैं तुझमें आग की ज्वाला भड़काऊँगा जो तुझे भस्म कर देगी।+
मैं धरती पर सबके सामने तुझे जलाकर राख कर दूँगा।
19 देश-देश के सभी लोग जो तुझे जानते थे, तुझे देखकर हक्के-बक्के रह जाएँगे।+
तेरा अंत अचानक और भयानक होगा।
तू हमेशा के लिए मिट जाएगा।”’”+
20 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 21 “इंसान के बेटे, सीदोन की तरफ मुँह कर+ और उसके खिलाफ भविष्यवाणी कर। 22 तू उससे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“हे सीदोन, मैं तेरे खिलाफ हूँ और तेरे यहाँ मेरी महिमा होगी।
जब मैं तेरा न्याय करके तुझे सज़ा दूँगा और तेरे यहाँ खुद को पवित्र ठहराऊँगा, तो लोगों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।
23 मैं सीदोन में महामारी भेजूँगा और उसकी सड़कों पर खून की नदियाँ बहेंगी।
जब उस पर चारों दिशाओं से तलवार चलेगी, तो वहाँ लाशों का ढेर लग जाएगा
और लोगों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+
24 इसके बाद इसराएल का घराना फिर कभी ऐसे लोगों से नहीं घिरा रहेगा जो उनके साथ नीच व्यवहार करते हैं, कँटीली झाड़ियों और काँटों की तरह चुभते हैं।+ और लोगों को जानना होगा कि मैं सारे जहान का मालिक यहोवा हूँ।”’
25 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “जब मैं इसराएल के घराने को उन सभी देशों से दोबारा इकट्ठा करूँगा जहाँ उन्हें तितर-बितर किया गया है,+ तब मैं सब देशों के देखते उनके बीच पवित्र ठहरूँगा।+ फिर वे अपने देश में जाकर बसेंगे+ जो मैंने अपने सेवक याकूब को दिया था।+ 26 वहाँ वे महफूज़ बसे रहेंगे,+ घर बनाएँगे और अंगूरों के बाग लगाएँगे।+ वे तब महफूज़ बसे रहेंगे जब मैं उनके आस-पास के लोगों का न्याय करके उन्हें सज़ा दूँगा जो उन्हें तुच्छ जानकर उनके साथ नीच व्यवहार करते हैं।+ और उन्हें जानना होगा कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ।”’”
29 दसवें साल के दसवें महीने के 12वें दिन यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 2 “इंसान के बेटे, मिस्र के राजा फिरौन की तरफ मुँह कर और उसके और पूरे मिस्र के खिलाफ यह भविष्यवाणी कर:+ 3 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“हे मिस्र के राजा फिरौन, मैं तेरे खिलाफ हूँ।+
तू वह बड़ा और भयानक जीव है जो नील* की धाराओं में लेटा रहता है।+
तू कहता है, ‘यह नील नदी मेरी है।
मैंने इसे अपने लिए बनाया है।’+
4 मगर मैं तेरे जबड़ों में काँटे डालूँगा और तेरी नील की मछलियों को तेरे छिलके पर चिपटाऊँगा।
मैं तुझे और तुझसे चिपटी सारी मछलियों को नील से खींचकर बाहर निकालूँगा।
5 मैं तुझे और तेरी नील की सारी मछलियों को ले जाकर रेगिस्तान में छोड़ दूँगा।
तू खुले मैदान में गिर पड़ेगा और कोई तेरी लाश के बिखरे हुए टुकड़े इकट्ठे नहीं करेगा।+
मैं तुझे धरती के जंगली जानवरों और आकाश के पक्षियों का निवाला बना दूँगा।+
6 तब मिस्र के सभी निवासियों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ,
क्योंकि इसराएल के घराने ने जब उन पर टेक लगायी तो वे बस एक सूखा तिनका* साबित हुए।+
7 जब उन्होंने तेरा हाथ पकड़ा तो तू कुचला गया,
तेरी वजह से उनके कंधे ज़ख्मी हो गए।
8 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “अब मैं तुझ पर तलवार चलाऊँगा+ और तेरे बीच से इंसानों और जानवरों, दोनों को काट डालूँगा। 9 मिस्र उजाड़ दिया जाएगा और तबाह हो जाएगा+ और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ, क्योंकि तूने* कहा था, ‘नील नदी मेरी है और मैंने ही इसे बनाया है।’+ 10 देख, मैं तेरे और तेरी नील नदी के खिलाफ हूँ। मैं मिस्र देश को तबाह कर दूँगा, उसे सूखा देश बनाकर छोड़ूँगा। मिगदोल+ से लेकर इथियोपिया की सरहद पर बसे सवेने+ तक मैं पूरे मिस्र को उजाड़कर एक वीराना बना दूँगा।+ 11 न तो इंसान और न ही मवेशी वहाँ से गुज़रेंगे।+ वह 40 साल यूँ ही सुनसान पड़ा रहेगा। 12 मैं मिस्र को उजड़े हुए देशों से भी ज़्यादा उजाड़ दूँगा। और 40 साल उसके शहर उजड़े हुए शहरों से भी ज़्यादा उजाड़ पड़े रहेंगे।+ मैं मिस्रियों को दूसरे राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा और दूसरे देशों में बिखरा दूँगा।”+
13 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं 40 साल के बाद मिस्रियों को उन देशों से इकट्ठा करूँगा जहाँ वे तितर-बितर हो चुके होंगे।+ 14 मैं मिस्री बंदियों को दोबारा उनके देश और उनकी जन्म-भूमि पत्रोस+ ले आऊँगा। इसके बाद उनके देश का दुनिया में कोई नाम नहीं होगा। 15 मिस्र दुनिया के बाकी राज्यों से कमतर हो जाएगा और फिर कभी दूसरे राष्ट्रों पर अधिकार नहीं चला पाएगा।+ मैं मिस्रियों को इतना घटा दूँगा कि वे फिर कभी दूसरे देशों पर कब्ज़ा नहीं कर पाएँगे।+ 16 इसराएल का घराना फिर कभी सहारे के लिए मिस्र की तरफ नहीं ताकेगा।+ उन्हें मिस्र को देखकर बस यही याद आएगा कि उन्होंने मिस्रियों से मदद लेकर कितनी बड़ी भूल की थी। और उन्हें जानना होगा कि मैं सारे जहान का मालिक यहोवा हूँ।”’”
17 फिर 27वें साल के पहले महीने के पहले दिन, यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 18 “इंसान के बेटे, बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर*+ ने सोर पर हमला करने के लिए अपने सैनिकों से खूब मशक्कत करवायी थी।+ सभी सैनिकों के सिर गंजे हो गए और कंधे छिल गए थे। मगर इस मेहनत के बदले न तो नबूकदनेस्सर को और न ही उसकी सेना को कोई मज़दूरी मिली थी।
19 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘देख, मैं मिस्र को बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ करनेवाला हूँ।+ वह मिस्र के सारे खज़ाने खाली कर देगा और उसे लूट लेगा। यही उसकी सेना की मज़दूरी होगी।’
20 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘नबूकदनेस्सर ने उस* पर हमला करने में जो कड़ी मेहनत की थी, उसके बदले मैं उसे मिस्र दूँगा क्योंकि उसने यह काम मेरे लिए किया था।’+
21 उस दिन मैं इसराएल के घराने के लिए एक सींग उगाऊँगा*+ और तुझे उनके बीच बोलने का मौका दूँगा और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”
30 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, तू यह भविष्यवाणी कर: ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“लोगो, यह कहकर विलाप करो, ‘हाय, वह दिन आ रहा है!’
3 वह दिन नज़दीक है। हाँ, यहोवा का दिन नज़दीक है।+
वह काली घटाओं का दिन होगा,+ राष्ट्रों को सज़ा देने का समय होगा।+
4 मिस्र पर एक तलवार चलेगी, वहाँ हर कहीं लाशें पड़ी होंगी, यह देखकर इथियोपिया बौखला जाएगा।
उसकी दौलत लूट ली गयी है, उसकी नींवें तोड़ दी गयी हैं।+
5 इथियोपिया,+ पुट,+ लूद और मिली-जुली भीड़*
और कूब के लोगों को, साथ ही करार किए हुए देश के बेटों को,*
सबको तलवार से मार गिराया जाएगा।”’
6 यहोवा कहता है,
‘मिस्र के हिमायती भी गिर जाएँगे
और उसकी ताकत का गुरूर तोड़ दिया जाएगा।’+
सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मिगदोल+ से लेकर सवेने+ तक सभी तलवार से मारे जाएँगे। 7 उन्हें उजड़े हुए देशों से भी ज़्यादा उजाड़ दिया जाएगा और उनके शहर उजड़े हुए शहरों में से सबसे ज़्यादा उजाड़ पड़े रहेंगे।+ 8 मैं मिस्र को आग में झोंक दूँगा और उसके साथ संधि करनेवाले सभी भस्म हो जाएँगे। तब उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ। 9 उस दिन मैं इथियोपिया को, जिसे खुद पर कुछ ज़्यादा ही भरोसा है, कँपाने के लिए जहाज़ों पर अपने दूत भेजूँगा। मिस्र पर जिस दिन कहर टूटेगा तब इथियोपिया बौखला जाएगा। वह दिन ज़रूर आएगा।’
10 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथों मिस्र की भीड़ का अंत कर दूँगा।+ 11 मिस्र का नाश करने के लिए नबूकदनेस्सर और उसकी टुकड़ियों को लाया जाएगा जो राष्ट्रों में से सबसे खूँखार लोग हैं।+ वे अपनी तलवार मिस्र पर चलाएँगे और पूरे देश में लाशें बिछा देंगे।+ 12 मैं नील नदी की नहरों+ को सुखा दूँगा और मिस्र को दुष्टों के हाथ बेच दूँगा। यह देश और इसमें जो कुछ है, वह सब मैं परदेसियों के हाथों उजाड़ दूँगा।+ यह बात मुझ यहोवा ने कही है।’
13 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं घिनौनी मूरतों* का भी नाश कर दूँगा और नोप* के निकम्मे देवताओं को मिटा दूँगा।+ इसके बाद फिर कभी मिस्र का अपना कोई हाकिम* नहीं होगा। मैं मिस्र में आतंक फैला दूँगा।+ 14 मैं पत्रोस+ को उजाड़ दूँगा और सोअन को आग से फूँक दूँगा और नो* शहर को भी सज़ा दूँगा।+ 15 और मैं सीन पर, जो मिस्र का मज़बूत गढ़ है, अपने क्रोध का प्याला उँडेलूँगा और नो की आबादी मिटा दूँगा। 16 मैं मिस्र को आग से फूँक दूँगा और सीन पर खौफ छा जाएगा, नो में घुसपैठ की जाएगी और नोप* पर दिन-दहाड़े हमला होगा! 17 ओन* और पीवेसेत के जवान तलवार से मारे जाएँगे और उनके शहरों में रहनेवालों को बंदी बनाकर ले जाया जाएगा। 18 जब मैं तहपनहेस में मिस्र का जुआ तोड़ूँगा तो वहाँ दिन में ही अँधेरा छा जाएगा।+ उस दिन उसकी ताकत का गुरूर टूट जाएगा,+ उसे काले बादल ढक लेंगे और उसके कसबों में रहनेवाले बंदी बना लिए जाएँगे।+ 19 मैं मिस्र को सज़ा दूँगा और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”
20 फिर 11वें साल के पहले महीने के सातवें दिन यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 21 “इंसान के बेटे, मैंने मिस्र के राजा फिरौन का बाज़ू तोड़ दिया है। उसकी टूटी हड्डी को ठीक करने के लिए उस पर पट्टी नहीं बाँधी जाएगी और वह कभी तलवार नहीं उठा सकेगा।”
22 “इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘देख, मैं मिस्र के राजा फिरौन के खिलाफ हूँ।+ मैं उसके दोनों बाज़ू तोड़ दूँगा, जो मज़बूत है उसे भी और जो टूटा है उसे भी।+ मैं उसके हाथ से तलवार गिरा दूँगा।+ 23 फिर मैं मिस्रियों को अलग-अलग राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा और दूसरे देशों में बिखरा दूँगा।+ 24 मगर मैं बैबिलोन के राजा के बाज़ुओं को मज़बूत करूँगा*+ और उसके हाथ में अपनी तलवार दूँगा।+ मैं फिरौन के बाज़ू तोड़ दूँगा और वह उसके सामने* ज़ोर-ज़ोर से कराहेगा जैसे कोई मरता हुआ इंसान कराहता है। 25 मैं बैबिलोन के राजा के बाज़ुओं को मज़बूत करूँगा, जबकि फिरौन के बाज़ू ढीले पड़ जाएँगे। जब मैं बैबिलोन के राजा के हाथ में अपनी तलवार दूँगा और वह उसे मिस्र पर चलाएगा+ तो उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ। 26 मैं मिस्री लोगों को अलग-अलग राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा और दूसरे देशों में बिखरा दूँगा।+ और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”
31 फिर 11वें साल के तीसरे महीने के पहले दिन, यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, मिस्र के राजा फिरौन और उसकी भीड़ से कहना,+
‘अपनी महानता की वजह से तू किसके बराबर है?
3 एक अश्शूरी था, लबानोन का एक देवदार
जिसकी डालियाँ सुंदर थीं, जो बहुत ऊँचा और छायादार था,
उसकी चोटी बादलों को छूती थी।
4 पानी की धाराओं ने उसे खूब बढ़ाया, गहरे पानी के सोतों ने उसे ऊँचा किया।
जहाँ वह लगाया गया था वहाँ चारों तरफ नदियाँ थीं,
उनकी नालियाँ मैदान के सभी पेड़ों को सींचती थीं।
5 इसलिए वह मैदान के बाकी सभी पेड़ों से ऊँचा हो गया।
उसकी शाखाएँ कई गुना बढ़ती गयीं, डालियाँ लंबी होती गयीं,
क्योंकि उसकी नदियों में भरपूर पानी था।
6 आकाश के सभी पंछी उसकी शाखाओं पर बसेरा करते थे,
सभी जंगली जानवर उसकी डालियों के नीचे बच्चे देते थे
और घनी आबादीवाले सारे राष्ट्र उसकी छाँव में रहते थे।
7 उसकी सुंदरता और लंबी-लंबी डालियाँ लाजवाब थीं,
क्योंकि उसकी जड़ें गहरे पानी में अंदर तक फैली हुई थीं।
8 परमेश्वर के बाग+ में कोई और देवदार उसके जैसा नहीं था।
न किसी सनोवर पर उसके जैसी शाखाएँ थीं,
न किसी चिनार पर उसके जैसी डालियाँ।
परमेश्वर के बाग में कोई और पेड़ ऐसा न था जो सुंदरता में उसे टक्कर दे सके।
9 मैंने ही उसे हरा-भरा बनाकर सुंदर रूप दिया,
सच्चे परमेश्वर के बाग, अदन के बाकी सभी पेड़ उससे जलते थे।’
10 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘वह* इतना ऊँचा होता गया कि उसकी चोटी बादलों को छूने लगी और अपनी ऊँचाई की वजह से उसका मन घमंड से फूल गया। 11 मैं उसे राष्ट्रों के सबसे ताकतवर शासक के हवाले कर दूँगा।+ वह उसके खिलाफ कदम उठाएगा। मैं उसकी दुष्टता की वजह से उसे ठुकरा दूँगा। 12 परदेसी जो दुनिया के सबसे खूँखार लोग हैं, वे आकर उसे काट डालेंगे और पहाड़ों पर छोड़ देंगे। उसकी टहनियाँ और सारे पत्ते घाटियों में झड़ जाएँगे, उसकी डालियाँ देश में बहती धाराओं में टूटी पड़ी रहेंगी।+ धरती के जितने देश उसकी छाँव तले रहते थे वे सब उसे छोड़कर चले जाएँगे। 13 आकाश के सारे पंछी उसके गिरे हुए तने पर बसेरा करेंगे और सभी जंगली जानवर उसकी डालियों पर रहा करेंगे।+ 14 ऐसा इसलिए होगा ताकि पानी की धाराओं के पास लगा कोई भी पेड़ इतना ऊँचा न बढ़े और न ही उसकी चोटी बादलों को छूने लगे और पानी की बहुतायत से बढ़नेवाला कोई भी पेड़ बादलों जितनी ऊँचाई हासिल न करे। ये सारे पेड़ मौत के हवाले किए जाएँगे और इन्हें धरती के नीचे फेंक दिया जाएगा, उस गड्ढे* में जहाँ मरनेवाले सभी इंसान जाते हैं।’
15 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जिस दिन वह पेड़ नीचे कब्र में जाएगा उस दिन मैं सबसे मातम मनवाऊँगा। मैं नदियों को ढाँप दूँगा और उनकी धाराएँ रोक दूँगा, इसलिए पेड़ों को भरपूर पानी मिलना बंद हो जाएगा। उस पेड़ की वजह से मैं लबानोन में अंधकार फैला दूँगा और मैदान के सारे पेड़ मुरझा जाएँगे। 16 जब मैं उसे कब्र में गिराऊँगा, उस गड्ढे* में जहाँ मरनेवाले सभी जाते हैं तो उसके गिरने के धमाके से सभी राष्ट्र थर-थर काँपने लगेंगे। उसके गिरने से अदन के सभी पेड़+ और लबानोन के सभी शानदार और बेहतरीन पेड़, जिनकी अच्छी सिंचाई होती है, धरती के नीचे दिलासा पाएँगे। 17 वे उसके साथ कब्र में नीचे चले गए जहाँ वे सभी पड़े हैं जिन्हें तलवार से मारा गया था।+ साथ ही उसके हिमायती* भी चले गए जो राष्ट्रों के बीच उसकी छाँव तले रहते थे।’+
18 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘तू इतना शानदार और महान है कि अदन के बाग का कोई भी पेड़ तेरी बराबरी नहीं कर सकता।+ फिर भी तुझे नीचे उस जगह उतारा जाएगा जहाँ अदन के सारे पेड़ पड़े हैं। तू उन खतनारहित लोगों के बीच पड़ा रहेगा जिन्हें तलवार से मार डाला गया है। फिरौन और उसकी सारी भीड़ का यही अंजाम होगा।’”
32 और 12वें साल के 12वें महीने के पहले दिन, यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, मिस्र के राजा फिरौन के बारे में एक शोकगीत गा और उससे कह,
‘तू राष्ट्रों के बीच एक जवान ताकतवर शेर जैसा था,
मगर तुझे खामोश कर दिया गया है।
तू समुंदर के एक बड़े भयानक जीव की तरह था,+ तू अपनी नदियों में उछाल मारता था,
अपने पैरों से पानी मटमैला करता था, नदियों* को गंदा करता था।’
3 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
‘मैं कई राष्ट्रों की एक टोली से तुझ पर अपना जाल डलवाऊँगा,
वे तुझे मेरे बड़े जाल में फाँसकर ऊपर खींच लेंगे।
4 मैं तुझे ज़मीन पर ले जाकर छोड़ दूँगा,
खुले मैदान में पटक दूँगा।
मैं आकाश के सारे पंछियों को तुझ पर बिठाऊँगा,
पूरी धरती के जंगली जानवरों को तेरा माँस खिलाकर संतुष्ट करूँगा।+
6 तेरे खून की जो तेज़ धारा फूटेगी उससे मैं ज़मीन को पहाड़ों की ऊँचाइयों तक तर कर दूँगा,
तेरे खून से नदियाँ भर जाएँगी।’*
7 ‘जब तुझे बुझा दिया जाएगा तब मैं आकाश को ढाँप दूँगा, उसके तारों की चमक मिटा दूँगा।
मैं सूरज को बादलों से ढक दूँगा,
चाँद अपनी चाँदनी नहीं बिखेरेगा।+
8 मैं तेरी वजह से आकाश की सारी जगमगाती ज्योतियों की रौशनी खत्म कर दूँगा,
तेरे देश को अंधकार से ढाँप दूँगा।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
9 ‘जब मैं तेरे लोगों को बंदी बनवाकर दूसरे राष्ट्रों में भेज दूँगा,
उन देशों में, जो उनके लिए अनजान हैं,
तो देश-देश के लोगों के दिलों में घबराहट पैदा कर दूँगा।+
10 जब मैं देश-देश के राजाओं के देखते तुझ पर तलवार चलाऊँगा,
तो वे डर के मारे थरथराने लगेंगे, उनके लोग हक्के-बक्के रह जाएँगे।
जिस दिन तू गिरेगा उस दिन
सभी काँपते रहेंगे कि कहीं वे भी न मार डाले जाएँ।’
11 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
‘बैबिलोन के राजा की तलवार तुझ पर चलेगी।+
12 मैं तेरी भीड़ को उसके सूरमाओं की तलवारों का कौर बना दूँगा,
उसके सभी सूरमा दुनिया के सबसे खूँखार लोग हैं।+
वे मिस्र का घमंड चूर कर देंगे और उसकी पूरी भीड़ मिट जाएगी।+
13 मैं उसके नदी-नालों के पास रहनेवाले सभी मवेशियों को नाश कर दूँगा,+
फिर कभी उसके नदी-नाले किसी इंसान के पैर या जानवर के खुर से गंदे नहीं होंगे।’+
14 ‘उस वक्त मैं उनका पानी साफ करूँगा,
उनकी नदियों को तेल की तरह बहाऊँगा।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
15 ‘मैं मिस्र को उजाड़कर वीराना बना दूँगा, भरे-पूरे देश को खाली कर दूँगा,+
उसके सभी निवासियों को मार डालूँगा।
तब उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+
16 यह एक शोकगीत है और लोग ज़रूर यह राग अलापेंगे,
देश-देश की औरतें इसे अलापेंगी।
वे मिस्र और उसकी सारी भीड़ के लिए इसे अलापेंगे।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
17 फिर 12वें साल के महीने* के 15वें दिन यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 18 “इंसान के बेटे, मिस्र की भीड़ के लिए ज़ोर-ज़ोर से रो और उसे और ताकतवर देशों की बेटियों को धरती के नीचे उस गड्ढे* में उतार दे, जहाँ मरनेवाले सभी जाते हैं।
19 ‘तुझे क्या लगता है, तू दुनिया में सबसे ज़्यादा खूबसूरत है? नीचे जा, खतनारहित लोगों के साथ पड़ी रह!’
20 ‘वे तलवार से मारे हुओं के बीच ढेर हो जाएँगे।+ उसे तलवार के हवाले किया गया है। उसे उसकी सारी भीड़ समेत घसीटकर दूर ले जाओ।
21 कब्र की गहराइयों से बड़े-बड़े दिग्गज सैनिक उससे और उसके मददगारों से बात करेंगे। मिस्रियों को तलवार से मार डाला जाएगा और वे ज़रूर नीचे जाएँगे और वहाँ खतनारहित लोगों की तरह पड़े रहेंगे। 22 वहाँ अश्शूर अपनी पूरी टोली के साथ पड़ा है। उनकी कब्रें उसके चारों तरफ हैं, वे सब-के-सब तलवार से मारे गए हैं।+ 23 उसकी कब्रें गड्ढे* की गहराइयों में हैं और उसकी कब्र के चारों तरफ उसकी टोली की कब्रें भी हैं। उन्होंने जीते-जी लोगों* में आतंक फैला दिया था, इसीलिए वे तलवार से मारे गए।
24 वहाँ एलाम+ भी पड़ा है और उसकी कब्र के आस-पास उसकी भीड़ की कब्रें हैं जिन्हें तलवार से मार डाला गया है। उन्हें खतनारहित हालत में धरती के नीचे जाना पड़ा क्योंकि उन्होंने जीते-जी लोगों* में आतंक फैला दिया था। अब उन्हें उनके साथ अपमान सहना पड़ेगा जो उस गड्ढे* में जाते हैं। 25 घात किए हुओं के बीच उसकी सेज लगायी गयी है। उसकी कब्र के चारों तरफ उसकी भीड़ की कब्रें हैं। वे सब-के-सब खतनारहित हैं और उन्हें तलवार से मार डाला गया है क्योंकि उन्होंने जीते-जी लोगों* में आतंक फैला दिया था। अब उन्हें उनके साथ अपमान सहना पड़ेगा जो उस गड्ढे* में जाते हैं। उसे घात किए हुओं के बीच डाल दिया गया है।
26 वहाँ मेशेक, तूबल+ और उनकी* सारी भीड़ भी पड़ी है। उनकी कब्रें उसकी कब्र के चारों तरफ हैं। वे सब-के-सब खतनारहित हैं और उन्हें तलवार से भेदा गया है, क्योंकि उन्होंने जीते-जी लोगों* में आतंक फैला दिया था। 27 वे उन खतनारहित शूरवीरों के साथ पड़े रहेंगे जिन्हें मार गिराया गया था और जो अपने युद्ध के हथियार समेत नीचे कब्र में चले गए थे। लोग उनकी तलवारें उनके सिर के नीचे रखेंगे* और उनके पाप की सज़ा उनकी हड्डियों तक को मिलेगी, क्योंकि इन शूरवीरों ने जीते-जी लोगों* में आतंक फैला दिया था। 28 मगर तुझे खतनारहित लोगों के साथ कुचल दिया जाएगा और तू उन लोगों के साथ पड़ा रहेगा जिन्हें तलवार से मार डाला गया था।
29 वहाँ एदोम+ भी पड़ा है। उसके राजा और सभी प्रधान बहुत शक्तिशाली होने के बावजूद उन लोगों के साथ पड़े हैं जो तलवार से मार डाले गए थे। वे भी उन लोगों के साथ पड़े रहेंगे जो खतनारहित हैं+ और उस गड्ढे* में जाते हैं।
30 वहाँ उत्तर के सभी हाकिम* और सभी सीदोनी भी पड़े हैं।+ उन्होंने जीते-जी अपनी ताकत के दम पर लोगों में आतंक फैला दिया था, मगर बाद में उन्हें शर्मनाक हालत में धरती के नीचे उन लोगों के बीच जाना पड़ा जो मार डाले गए थे। वे खतनारहित हालत में उन लोगों के साथ पड़े रहेंगे जिन्हें तलवार से मार डाला गया था और वे उन लोगों के साथ अपमान सहेंगे जो उस गड्ढे* में जाते हैं।
31 फिरौन यह सब देखेगा और उसकी भीड़ के साथ जो हुआ, उसे देखकर दिलासा पाएगा।+ फिरौन और उसकी पूरी सेना को तलवार से मार डाला जाएगा।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
32 ‘फिरौन ने जीते-जी लोगों* में आतंक फैला दिया था, इसलिए उसे और उसकी भीड़ को उन खतनारहित लोगों के साथ मौत की नींद सुला दिया जाएगा जिन्हें तलवार से मार डाला गया था।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
33 यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 2 “इंसान के बेटे, तू अपने लोगों को मेरा यह संदेश सुना:+
‘अगर मैं किसी देश पर तलवार लाऊँ+ और उस देश के लोग एक आदमी को चुनकर उसे अपना पहरेदार ठहराएँ 3 और पहरेदार देखे कि देश पर तलवार चलनेवाली है और वह नरसिंगा फूँककर लोगों को खबरदार करे,+ 4 तो जो कोई नरसिंगे की आवाज़ सुनकर भी चेतावनी को अनसुना करता है,+ वह तलवार से मार डाला जाएगा। वह अपनी मौत का ज़िम्मेदार खुद होगा।+ 5 उसने नरसिंगे की आवाज़ सुनकर भी चेतावनी को अनसुना किया। वह अपनी मौत का ज़िम्मेदार खुद होगा। अगर उसने चेतावनी सुनी होती तो उसकी जान बच जाती।
6 लेकिन अगर पहरेदार यह देखकर भी कि देश पर तलवार चलनेवाली है, नरसिंगा न फूँके+ और इसलिए लोगों को कोई चेतावनी न मिले तो देश में से जो कोई तलवार से मार डाला जाएगा, वह अपने गुनाह की वजह से खुद मरेगा, मगर उसके खून का हिसाब मैं पहरेदार से माँगूँगा।’*+
7 इंसान के बेटे, मैंने तुझे इसराएल के घराने के लिए पहरेदार ठहराया है। जब तू मेरे मुँह से कोई संदेश सुनता है, तो जाकर मेरी तरफ से लोगों को चेतावनी देना।+ 8 जब मैं किसी दुष्ट से कहूँ, ‘हे दुष्ट, तू ज़रूर मर जाएगा!’+ मगर तू जाकर उसे चेतावनी न दे कि वह अपने तौर-तरीके बदले, तो वह दुष्ट अपने गुनाह की वजह से मर जाएगा,+ मगर उसके खून का हिसाब मैं तुझसे माँगूँगा। 9 लेकिन अगर तू एक दुष्ट को चेतावनी देता है कि वह अपने दुष्ट कामों से फिर जाए, मगर वह अपने तौर-तरीके बदलने से इनकार कर देता है, तो वह अपने गुनाह की वजह से मरेगा,+ लेकिन तू अपनी जान बचाएगा।+
10 इंसान के बेटे, इसराएल के घराने से कहना, ‘तुम लोगों ने कहा है, “हम अपनी बगावत और अपने पापों के भारी बोझ से दबे हुए हैं, उनकी वजह से हम गलते जा रहे हैं,+ अब हम कैसे बच सकते हैं?”’+ 11 मगर तू उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ कि मुझे किसी दुष्ट के मरने से खुशी नहीं होती।+ इसके बजाय, मुझे इससे खुशी मिलती है कि दुष्ट अपने तौर-तरीके बदले+ और जीता रहे।+ इसराएल के घराने, मेरे पास लौट आ, अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आ।+ तू क्यों अपनी जान गँवाना चाहता है?”’+
12 इंसान के बेटे, तू अपने लोगों से कहना, ‘अगर एक नेक इंसान बगावत करने लगे तो उसने पहले जो नेक काम किए थे वे उसे बचा नहीं सकेंगे।+ अगर एक दुष्ट आदमी दुष्ट काम करना छोड़ देता है तो वह उन दुष्ट कामों की वजह से नाश नहीं होगा जो उसने पहले किए थे।+ एक नेक इंसान जिस दिन पाप करता है, उस दिन उसके वे नेक काम उसे बचा नहीं पाएँगे जो उसने पहले किए थे।+ 13 अगर मैं एक नेक इंसान से कहूँ, “तू ज़रूर जीता रहेगा” और वह यह सोचकर बुरे काम* करने लगे कि उसने पहले जो नेक काम किए थे उनकी वजह से उसे कोई सज़ा नहीं मिलेगी,+ तो वह नाश किया जाएगा। उसका एक भी नेक काम नहीं गिना जाएगा। इसके बजाय, उसने जो बुरे काम किए हैं उनकी वजह से वह मर जाएगा।+
14 अगर मैं एक दुष्ट से कहूँ, “तू ज़रूर मर जाएगा” और वह पाप करना छोड़कर न्याय करने लगे,+ 15 गिरवी की चीज़ लौटा दे,+ लूटी हुई चीज़ वापस कर दे+ और गलत काम छोड़कर वह सारी विधियाँ मानने लगे जिन पर चलने से ही इंसान ज़िंदा रहेगा, तो वह बेशक जीता रहेगा।+ वह नहीं मरेगा। 16 उसके किसी भी पाप के लिए उससे हिसाब नहीं लिया जाएगा*+ बल्कि न्याय करने की वजह से वह जीता रहेगा।’+
17 मगर तेरे लोगों ने कहा है, ‘यहोवा के काम करने का तरीका सही नहीं है,’ जबकि उन्हीं के तौर-तरीके गलत हैं।
18 जब एक नेक इंसान नेकी की राह छोड़कर गलत काम करने लगता है, तो वह अपने इन कामों की वजह से ज़रूर मरेगा।+ 19 लेकिन अगर एक दुष्ट अपने दुष्ट काम छोड़कर न्याय करने लगे तो वह ज़िंदा रहेगा।+
20 मगर तुम लोगों ने कहा है, ‘यहोवा के काम करने का तरीका सही नहीं है।’+ इसराएल के घराने के लोगो, मैं तुममें से हरेक का न्याय उसके चालचलन के हिसाब से करूँगा।”
21 हमारी बँधुआई के 12वें साल के दसवें महीने के पाँचवें दिन, एक आदमी मेरे पास आया जो यरूशलेम से भाग आया था।+ उसने मुझे यह खबर दी, “शहर पर कब्ज़ा कर लिया गया है!”+
22 जिस दिन सुबह वह आदमी मेरे पास आया था, उससे पहलेवाली शाम यहोवा का हाथ मुझ पर आया और उसने मेरा मुँह खोल दिया। तब मेरी ज़बान खुल गयी और मैं गूँगा न रहा।+
23 फिर यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 24 “इंसान के बेटे, इन खंडहरों में रहनेवाले+ इसराएल देश के बारे में कह रहे हैं, ‘जब एक अकेले अब्राहम को इस देश का अधिकारी बनाया जा सकता है,+ तो हमें क्यों नहीं? हम तो बहुत-से लोग हैं। ज़रूर यह देश हमारे अधिकार में कर दिया गया है।’
25 इसलिए तू उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “यह देश तुम्हारे अधिकार में कैसे किया जा सकता है? तुम लोग खून समेत माँस खाते हो,+ घिनौनी मूरतों* की ओर ताकते हो और खून की नदियाँ बहाते हो।+ 26 तुम अपनी तलवार का सहारा लेते हो,+ घिनौने काम करते हो और तुममें से हरेक अपने पड़ोसी की पत्नी को दूषित करता है।+ तो फिर यह देश तुम्हारे अधिकार में कैसे किया जा सकता है?”’+
27 तू उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, जो खंडहरों में रहते हैं वे तलवार से मारे जाएँगे, जो खुले मैदान में रहते हैं उन्हें मैं जंगली जानवरों का निवाला बना दूँगा और जो मज़बूत गढ़ों और गुफाओं में रहते हैं वे बीमारी से मारे जाएँगे।+ 28 मैं इस देश को उजाड़कर बिलकुल वीरान बना दूँगा,+ उसकी ताकत का गुरूर तोड़ दिया जाएगा और मैं इसराएल के पहाड़ों को ऐसा उजाड़ दूँगा+ कि वहाँ से कोई नहीं गुज़र पाएगा। 29 जब मैं उनके घिनौने कामों+ की वजह से देश को उजाड़कर बिलकुल वीरान बना दूँगा+ तो उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”’
30 इंसान के बेटे, तेरे लोग दीवारों की आड़ में और अपने घर की दहलीज़ पर तेरे बारे में आपस में बातें करते हैं।+ हर कोई अपने भाई से कहता है, ‘चलो, चलकर सुनते हैं कि यहोवा ने क्या संदेश दिया है।’ 31 हमेशा की तरह उनकी भीड़ तेरे पास आएगी और वे तेरे सामने बैठकर तेरी बातें सुनेंगे, मगर उनके मुताबिक काम नहीं करेंगे।+ वे मुँह से तो बढ़-चढ़कर तेरी तारीफ करेंगे,* मगर उनका दिल बेईमानी की कमाई के लिए ललचाता है। 32 देख! तू उनके लिए कोई प्रेम गीत गानेवाले जैसा है, जो तारोंवाले बाजे की मधुर धुन पर सुरीली आवाज़ में गीत गाता है। वे सब तेरा संदेश सुनेंगे, मगर कोई उसके मुताबिक काम नहीं करेगा। 33 और जब तेरे संदेश की बातें सच निकलेंगी जो कि ज़रूर सच होंगी, तब उन्हें जानना होगा कि उनके बीच कोई भविष्यवक्ता हुआ करता था।”+
34 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, इसराएल के चरवाहों के खिलाफ भविष्यवाणी कर। उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “धिक्कार है इसराएल के चरवाहों पर,+ जो बस अपना ही पेट भरते रहते हैं! क्या चरवाहों का काम यह नहीं कि वे झुंड को खिलाएँ-पिलाएँ?+ 3 तुम जानवरों की चरबी खाते हो, उनकी ऊन से अपने लिए गरम कपड़े बनाते हो और मोटे-ताज़े जानवर हलाल करते हो,+ मगर तुम झुंड को चराते नहीं।+ 4 तुमने कमज़ोरों को मज़बूत नहीं किया, बीमारों को ठीक नहीं किया, घायलों की मरहम-पट्टी नहीं की, भटके हुओं को झुंड में वापस नहीं लाए और खोए हुओं को तुम ढूँढ़ने नहीं गए।+ इसके बजाय, तुमने उन पर तानाशाहों की तरह राज किया और अत्याचार किया।+ 5 उनका कोई चरवाहा नहीं था, इसलिए वे तितर-बितर हो गयीं+ और मैदान के सभी जंगली जानवरों का निवाला बन गयीं। 6 मेरी भेड़ें सभी पहाड़ों और हर पहाड़ी पर भटकती रहीं और धरती के कोने-कोने तक तितर-बितर हो गयीं। उनकी तलाश करनेवाला या उन्हें ढूँढ़नेवाला कोई नहीं था।
7 इसलिए चरवाहो, यहोवा का यह संदेश सुनो, 8 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, मैं ज़रूर कदम उठाऊँगा। मेरी भेड़ें शिकार हो गयीं, सभी जंगली जानवरों का निवाला बन गयीं, क्योंकि उनका कोई चरवाहा नहीं था। मेरे चरवाहों ने मेरी भेड़ों को नहीं ढूँढ़ा। वे मेरी भेड़ों को खिलाने-पिलाने के बजाय अपना ही पेट भरते रहे।”’ 9 इसलिए चरवाहो, यहोवा का संदेश सुनो। 10 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं इन चरवाहों के खिलाफ हूँ और उनसे अपनी भेड़ों का हिसाब माँगूँगा।* मैं उन्हें भेड़ों को चराने* के काम से निकाल दूँगा+ और वे फिर कभी अपना पेट न भर सकेंगे। मैं अपनी भेड़ों को उनके मुँह से छुड़ाऊँगा ताकि वे फिर कभी उनका निवाला न बनें।’”
11 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “देखो, मैं खुद अपनी भेड़ों को ढूँढ़कर लाऊँगा और उनकी देखभाल करूँगा।+ 12 जैसे एक चरवाहा उन भेड़ों को ढूँढ़कर लाता है जो तितर-बितर हो गयी हैं और उन्हें खिलाता-पिलाता है, उसी तरह मैं अपनी भेड़ों की देखभाल करूँगा।+ मैं उन्हें उन सभी जगहों से बचाकर ले आऊँगा जहाँ वे काले घने बादलों के दिन+ तितर-बितर हो गयी थीं। 13 मैं उन्हें दूसरे देशों से निकाल लाऊँगा और उन्हें इकट्ठा करूँगा और उनके अपने देश में बसाऊँगा। मैं उन्हें इसराएल के पहाड़ों पर, नदियों के पास और बसी हुई जगहों के पास चराऊँगा।+ 14 मैं हरे-भरे चरागाहों में उन्हें चराऊँगा और वे इसराएल के ऊँचे पहाड़ों पर चरा करेंगी।+ वहाँ वे हरियाली में बैठा करेंगी+ और इसराएल के पहाड़ों पर बढ़िया-से-बढ़िया चरागाहों में चरा करेंगी।”
15 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं अपनी भेड़ों को खुद चराऊँगा+ और आराम करने की जगह ले जाऊँगा।+ 16 मैं खोयी हुई भेड़ को ढूँढ़ूँगा,+ भटकी हुई को वापस लाऊँगा, जो घायल है उसकी मरहम-पट्टी करूँगा और जो कमज़ोर है उसे मज़बूत करूँगा, मगर जो मोटी-ताज़ी और तगड़ी है उसे मिटा डालूँगा। मैं उसका न्याय करके उसे सज़ा दूँगा।”
17 मेरी भेड़ो, सारे जहान का मालिक यहोवा तुमसे कहता है, “मैं बहुत जल्द झुंड की भेड़ों, मेढ़ों और बकरों का न्याय करनेवाला हूँ।+ 18 तुमने बढ़िया-बढ़िया चरागाहों में खूब खाया है। क्या यह काफी नहीं था जो अब बाकी चरागाहों को अपने पैरों से रौंदने लगे हो? तुमने जी-भरकर साफ पानी पीया है। क्या यह काफी नहीं था जो अब बाकी पानी को पैर मार-मारकर गंदा करते हो? 19 क्या मेरी भेड़ें उन चरागाहों में चरें जिन्हें तुमने रौंद डाला है और वह पानी पीएँ जो तुमने पैर मारकर गंदा कर दिया है?”
20 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा उनसे कहता है, “देखो, मैं मोटी-ताज़ी भेड़ और दुबली-पतली भेड़ का न्याय खुद करूँगा 21 क्योंकि तुम बीमार भेड़ों को अपने पांजर और कंधों से धकेलते रहते हो और सींगों से तब तक मारते रहते हो जब तक कि वे दूर-दूर तक तितर-बितर न हो जाएँ। 22 मैं अपनी भेड़ों को बचाऊँगा और वे फिर कभी किसी का शिकार नहीं होंगी।+ मैं हरेक भेड़ का न्याय करूँगा। 23 मैं उन सब पर एक चरवाहे को, अपने सेवक दाविद को ठहराऊँगा+ और वह उन्हें चराएगा। वह खुद उन्हें चराएगा और उनका चरवाहा बन जाएगा।+ 24 मैं यहोवा उनका परमेश्वर होऊँगा+ और मेरा सेवक दाविद उनका प्रधान होगा।+ यह बात मुझ यहोवा ने कही है।
25 मैं उनके साथ एक शांति का करार करूँगा+ और देश से खूँखार जंगली जानवरों को निकाल दूँगा+ ताकि वे लोग वीराने में महफूज़ रह सकें और जंगलों में सो सकें।+ 26 मैं उन्हें और उस पूरे इलाके को, जो मेरी पहाड़ी के आस-पास है, एक आशीष ठहराऊँगा।+ मैं वक्त पर बारिश कराऊँगा और वहाँ आशीषों की बौछार होगी।+ 27 मैदान के पेड़ फलेंगे और ज़मीन अपनी उपज दिया करेगी+ और वे देश में महफूज़ बसे रहेंगे। जब मैं उनकी गुलामी का जुआ तोड़ डालूँगा+ और उन्हें उन लोगों के हाथ से छुड़ाऊँगा जिन्होंने उन्हें गुलाम बना लिया है, तो उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ। 28 इसके बाद फिर कभी दूसरे राष्ट्र उन्हें अपना शिकार नहीं बना सकेंगे और जंगली जानवर उन्हें नहीं खा सकेंगे। वे महफूज़ बसे रहेंगे और उन्हें कोई नहीं डराएगा।+
29 मैं उन्हें ऐसा बाग दूँगा जिसका बड़ा नाम होगा और वे फिर कभी देश में अकाल से नहीं मरेंगे+ और दूसरे राष्ट्र उन्हें नीचा नहीं दिखाएँगे।+ 30 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘तब उन्हें जानना होगा कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा उनके साथ हूँ और इसराएल के घराने के वे लोग मेरी प्रजा हैं।’”’+
31 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘तुम लोग मेरी भेड़ें हो+ जिनकी मैं देखभाल करता हूँ। तुम अदना इंसान हो और मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ।’”
35 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, सेईर के पहाड़ी प्रदेश+ की तरफ मुँह कर और उसके खिलाफ भविष्यवाणी कर।+ 3 उससे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हे सेईर के पहाड़ी प्रदेश, मैं तेरे खिलाफ हूँ। मैं अपना हाथ तेरे खिलाफ बढ़ाऊँगा और तुझे उजाड़कर वीराना बना दूँगा।+ 4 मैं तेरे शहरों को खंडहर बना दूँगा और तू बिलकुल वीरान हो जाएगा+ और तुझे जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ। 5 क्योंकि तूने हमेशा इसराएलियों से दुश्मनी की है+ और जब वे मुसीबत में थे और उन्हें सज़ा देकर उनका अंत करने का समय आया, तब तूने उन्हें पकड़कर तलवार के हवाले कर दिया था।”’+
6 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘इसलिए मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, मैंने तेरी मौत तय कर दी है और मौत तेरा पीछा नहीं छोड़ेगी।+ तूने जिन लोगों से नफरत की थी उनका तूने खून बहा दिया था। इसलिए तेरा भी खून बहा दिया जाएगा।+ 7 मैं सेईर के पहाड़ी प्रदेश को उजाड़कर वीराना बना दूँगा+ और वहाँ से गुज़रनेवाले और लौटनेवाले हर किसी को नाश कर दूँगा। 8 मैं उसके पहाड़ों को मारे गए लोगों की लाशों से भर दूँगा। तेरी पहाड़ियों पर और घाटियों और नदियों में भी तलवार से मारे गए लोगों की लाशें पड़ी रहेंगी। 9 मैं तुझे हमेशा के लिए उजाड़ दूँगा और तेरे शहर फिर कभी आबाद नहीं किए जाएँगे+ और तुझे जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’
10 हालाँकि मैं यहोवा खुद उन दोनों देशों में मौजूद था, फिर भी तूने कहा, ‘ये दोनों राष्ट्र और ये दोनों देश मेरे हो जाएँगे, इन दोनों पर हमारा कब्ज़ा हो जाएगा।’+ 11 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, जिस तरह तूने उनसे नफरत की, उन पर गुस्सा उतारा और उनसे जलन की, उसी तरह मैं भी तेरे साथ पेश आऊँगा।+ जब मैं तेरा न्याय करूँगा तो उनके बीच खुद को प्रकट करूँगा। 12 तब तुझे जानना होगा कि मुझ यहोवा ने वह सारी अपमान की बातें सुनी हैं जो तूने इसराएल के पहाड़ों के बारे में कही थीं। तूने कहा था, “उन्हें उजाड़ दिया गया है और हमें दे दिया गया है ताकि हम उन्हें खा जाएँ।” 13 तूने घमंड से भरकर मेरे खिलाफ बहुत-सी बातें की थीं।+ मैंने तेरी एक-एक बात सुनी है।’
14 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जब मैं तुझे उजाड़कर वीराना बना दूँगा तब सारी धरती खुशियाँ मनाएगी। 15 जब इसराएल के घराने की विरासत उजाड़ दी गयी थी तब तूने जश्न मनाया था। अब मैं भी तेरा वही हाल करूँगा।+ हे सेईर के पहाड़ी प्रदेश, हाँ, एदोम के पूरे इलाके, तुझे उजाड़कर खंडहर बना दिया जाएगा+ और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”
36 “इंसान के बेटे, इसराएल के पहाड़ों के बारे में यह भविष्यवाणी कर: ‘इसराएल के पहाड़ो, यहोवा का संदेश सुनो। 2 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “दुश्मनों ने तुम्हारे बारे में कहा है, ‘अरे वाह! पुराने ज़माने की ऊँची-ऊँची जगह भी हमारे कब्ज़े में आ गयीं!’”’+
3 इसलिए यह भविष्यवाणी कर: ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “उन्होंने तुम्हें उजाड़ दिया और हर दिशा से तुम पर हमला किया ताकि दूसरे राष्ट्रों के बचे हुए लोग तुम पर कब्ज़ा कर लें और लोग तुम्हारे बारे में झूठी बातें कहकर तुम्हें बदनाम करते रहें।+ 4 इसलिए इसराएल के पहाड़ो, सारे जहान के मालिक यहोवा का संदेश सुनो! सारे जहान का मालिक यहोवा पहाड़ों और पहाड़ियों से, नदियों और घाटियों से, उजड़े हुए खंडहरों से+ और उन वीरान शहरों से बात करता है जिन्हें आस-पास के राष्ट्रों के बचे हुए लोगों ने लूटा और जिनका मज़ाक उड़ाया।+ 5 इन सबसे सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘दूसरे राष्ट्रों के बचे हुए लोगों पर और पूरे एदोम पर मेरे क्रोध की आग भड़क उठेगी+ और मैं उन्हें फैसला सुनाऊँगा। उन्होंने बड़ी खुशी से और मेरे लोगों को नीचा दिखाते हुए+ मेरे देश के बारे में दावा किया है कि यह उनकी जागीर है ताकि वे इसके चराईवाले मैदान हड़प लें और इसे लूट लें।’”’+
6 इसराएल देश के बारे में भविष्यवाणी कर और पहाड़ों और पहाड़ियों से, नदियों और घाटियों से कह, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “देखो! मैं क्रोध और जलजलाहट में आकर दूसरे देशों को फैसला सुनाऊँगा क्योंकि उन्होंने तेरी बेइज़्ज़ती की है।”’+
7 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं अपना हाथ ऊपर उठाता हूँ और शपथ खाकर कहता हूँ कि आस-पास के राष्ट्रों ने जिस तरह तुम्हारी बेइज़्ज़ती की है, उसी तरह उन्हें भी बेइज़्ज़त होना पड़ेगा।+ 8 मगर हे इसराएल के पहाड़ो, तुम मेरी प्रजा इसराएल के लिए डालियाँ और फल पैदा करोगे+ क्योंकि वे बहुत जल्द लौट आएँगे। 9 मैं तुम्हारे साथ हूँ और एक बार फिर मैं तुम पर ध्यान दूँगा और तुम्हारी ज़मीन जोती-बोई जाएगी। 10 मैं तुम्हारे लोगों की, पूरे इसराएल के घराने की गिनती कई गुना बढ़ाऊँगा। उसके शहर फिर से आबाद किए जाएँगे+ और खंडहर दोबारा बनाए जाएँगे।+ 11 हाँ, मैं तुम्हारे लोगों और मवेशियों की गिनती कई गुना बढ़ाऊँगा,+ उनकी तादाद बढ़ती जाएगी और वे खूब फलेंगे-फूलेंगे। मैं तुम्हें पहले की तरह आबाद करूँगा+ और तुम्हें पहले से ज़्यादा खुशहाली दूँगा+ और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+ 12 मैं अपनी प्रजा इसराएल के लोगों को तुम पर चलाऊँगा और वे तुम पर कब्ज़ा कर लेंगे।+ तुम उनकी विरासत बन जाओगे और फिर कभी तुम उनसे उनके बच्चे नहीं छीनोगे।’”+
13 “सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘वे तुम्हारे बारे में कहते हैं, “तुम ऐसा देश हो जो लोगों को निगल जाता है और राष्ट्रों से उनके बच्चों को छीन लेता है।”’ 14 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मगर अब तुम फिर कभी लोगों को नहीं खाओगे और न ही राष्ट्रों से उनके बच्चों को छीनोगे। 15 मैं तुम्हें दूसरे राष्ट्रों के हाथों अपमान झेलने के लिए उनके हवाले नहीं करूँगा और न ही तुम्हें लोगों के ताने सहने पड़ेंगे।+ और तुम फिर कभी अपने राष्ट्रों के लिए ठोकर की वजह नहीं बनोगे।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
16 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 17 “इंसान के बेटे, जब इसराएल के घराने के लोग अपने देश में रहते थे, तब उन्होंने अपने चालचलन और तौर-तरीकों से देश को अशुद्ध कर दिया था।+ मेरी नज़र में उनका चालचलन उतना ही अशुद्ध था जितना कि माहवारी की अशुद्धता।+ 18 उन्होंने देश में खून की नदियाँ बहा दी थीं और अपनी घिनौनी मूरतों* से देश को अशुद्ध कर दिया था,+ इसलिए मैंने उन पर अपने क्रोध का प्याला उँडेला।+ 19 मैंने उन्हें दूसरे राष्ट्रों में तितर-बितर कर दिया और अलग-अलग देशों में बिखरा दिया।+ मैंने उनके चालचलन और तौर-तरीकों के मुताबिक उन्हें सज़ा दी। 20 मगर जब वे दूसरे राष्ट्रों में गए तो वहाँ के लोगों ने उनके बारे में यह कहकर मेरे पवित्र नाम का अपमान किया:+ ‘ये यहोवा के लोग हैं, मगर इन्हें उसका देश छोड़ना पड़ा।’ 21 इसराएल का घराना जब दूसरे राष्ट्रों में गया तो उसने मेरे पवित्र नाम का अपमान किया, इसलिए अब मैं दिखाऊँगा कि मैं अपने पवित्र नाम की कितनी फिक्र करता हूँ।”+
22 “इसलिए इसराएल के घराने से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हे इसराएल के घराने के लोगो, मैं तुम्हारी खातिर नहीं बल्कि अपने पवित्र नाम की खातिर कदम उठानेवाला हूँ जिसका तुमने दूसरे राष्ट्रों के बीच अपमान किया है।”’+ 23 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं अपने महान नाम को ज़रूर पवित्र करूँगा,+ जिसका तुमने दूसरे राष्ट्रों के बीच अपमान किया था। जब दूसरे राष्ट्रों के देखते मैं तुम्हारे बीच पवित्र ठहरूँगा तो उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।+ 24 मैं तुम्हें अलग-अलग राष्ट्रों से लूँगा, सब देशों से इकट्ठा करूँगा और वापस तुम्हारे देश में ले आऊँगा।+ 25 मैं तुम पर शुद्ध पानी छिड़कूँगा और तुम शुद्ध हो जाओगे।+ मैं तुम्हारी सारी अशुद्धता और तुम्हारी घिनौनी मूरतों+ की अशुद्धता दूर करके तुम्हें शुद्ध कर दूँगा।+ 26 मैं तुम्हें एक नया दिल दूँगा+ और तुम्हारे अंदर एक नया रुझान पैदा करूँगा।+ तुम्हारा दिल जो पत्थर जैसा सख्त हो गया था,+ उसके बदले मैं तुम्हें एक ऐसा दिल दूँगा जो कोमल होगा।* 27 मैं अपनी पवित्र शक्ति से तुम्हारी सोच बदल दूँगा और तब तुम मेरे कायदे-कानूनों को मानोगे+ और मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन किया करोगे। 28 फिर तुम उस देश में रह पाओगे जो मैंने तुम्हारे पुरखों को दिया था। तुम मेरे लोग होगे और मैं तुम्हारा परमेश्वर होऊँगा।’+
29 ‘मैं तुम्हारी सारी अशुद्धता दूर करके तुम्हें बचाऊँगा, अनाज को अच्छी पैदावार देने का हुक्म दूँगा और तुम पर अकाल नहीं लाऊँगा।+ 30 मैं पेड़ों के फल और खेतों की उपज खूब बढ़ाऊँगा ताकि तुम्हें फिर कभी अकाल की वजह से राष्ट्रों के बीच बेइज़्ज़त न होना पड़े।+ 31 उस वक्त तुम याद करोगे कि तुमने कैसे दुष्ट काम किए थे और तुम्हारे काम अच्छे नहीं थे और तब अपने पाप के दोष की वजह से और उन घिनौने कामों की वजह से तुम्हें खुद से घिन हो जाएगी।+ 32 मगर तुम यह बात जान लो, मैं यह सब तुम्हारी खातिर नहीं कर रहा हूँ।+ हे इसराएल के घराने, अपने चालचलन की वजह से शर्मिंदा महसूस कर, अपमान सह।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
33 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जिस दिन मैं तुम्हारे सभी पापों का दोष मिटाकर तुम्हें शुद्ध करूँगा, उस दिन मैं शहरों को फिर से आबाद करूँगा+ और खंडहरों को दोबारा बनाऊँगा।+ 34 वह देश जो सब आने-जानेवालों के सामने उजाड़ पड़ा है उसकी ज़मीन पर खेती की जाएगी। 35 और लोग कहेंगे, “यह देश जो कभी उजाड़ पड़ा था, अब अदन के बाग+ जैसा बन गया है। इसके शहरों को तहस-नहस करके खंडहर बना दिया गया था, मगर अब वे किलेबंद शहर बन गए हैं और लोगों से आबाद हैं।”+ 36 तब तुम्हारे आस-पास बचे हुए राष्ट्रों को जानना होगा कि जिसे ढा दिया गया था उसे मुझ यहोवा ने ही बनाया है और जो ज़मीन उजाड़ पड़ी थी वहाँ मैंने ही पेड़ लगाए हैं। मुझ यहोवा ने यह बात कही है और मैंने ही इसे पूरा किया है।’+
37 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं इसराएल के घराने को यह बिनती करने दूँगा कि मैं उन्हें भेड़-बकरियों के एक झुंड की तरह कई गुना बढ़ा दूँ। 38 जैसे पवित्र लोगों की भीड़ होती है और यरूशलेम में त्योहार के वक्त+ जानवरों का बड़ा झुंड होता है* उसी तरह ये शहर जो अब खंडहर हैं, लोगों के झुंड से भर जाएँगे।+ तब उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’”
37 यहोवा का हाथ मुझ पर था और यहोवा अपनी पवित्र शक्ति से मुझे बाहर ले गया और उसने मुझे घाटी के मैदान के बीचों-बीच लाकर खड़ा किया।+ वह मैदान हड्डियों से भरा था। 2 उसने मुझे उनके चारों तरफ घुमाया और मैंने देखा कि उस मैदान में हड्डियाँ-ही-हड्डियाँ भरी हैं और वे सभी एकदम सूखी हैं।+ 3 उसने मुझसे पूछा, “इंसान के बेटे, क्या इन हड्डियों में दोबारा जान आ सकती है?” मैंने कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, यह तो सिर्फ तू जानता है।”+ 4 तब उसने मुझसे कहा, “इन हड्डियों के बारे में भविष्यवाणी कर और उनसे कह, ‘सूखी हड्डियो, यहोवा का यह संदेश सुनो:
5 सारे जहान का मालिक यहोवा इन हड्डियों से कहता है, “मैं तुम्हारे अंदर साँस फूँकूँगा और तुम ज़िंदा हो जाओगी।+ 6 मैं तुम पर नसें लगाऊँगा, माँस भरूँगा, खाल चढ़ाऊँगा और तुममें साँस फूँकूँगा और तब तुम ज़िंदा हो जाओगी। और तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”’”
7 फिर मैं भविष्यवाणी करने लगा ठीक जैसे मुझे आज्ञा दी गयी थी। मैं भविष्यवाणी कर ही रहा था कि मुझे ज़ोर की खड़खड़ाहट सुनायी पड़ी और मैंने देखा कि हड्डियाँ एक-दूसरे से जुड़ने लगी हैं। 8 फिर मैंने देखा कि हड्डियों पर नसें लग रही हैं, माँस भर रहा है और खाल चढ़ रही है। लेकिन अब भी उनमें साँस नहीं थी।
9 फिर उसने मुझसे कहा, “हवा को भविष्यवाणी सुना। इंसान के बेटे, हवा को भविष्यवाणी सुना और उससे कह, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हे हवा,* चारों दिशाओं से आकर इन मारे गए लोगों में समा जा ताकि ये ज़िंदा हो जाएँ।”’”
10 तब जैसे मुझे बताया गया था, मैंने हवा को भविष्यवाणी सुनायी। तब उनमें साँस आ गयी और वे ज़िंदा हो गए और अपने पैरों पर उठ खड़े हुए।+ और वे एक बहुत बड़ी सेना बन गए।
11 फिर उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, इन हड्डियों का मतलब इसराएल का पूरा घराना है।+ वे कहते हैं, ‘हमारी हड्डियाँ सूख गयी हैं, हमारी आशा मिट चुकी है।+ हमें पूरी तरह काट डाला गया है।’ 12 इसलिए तू उन्हें यह भविष्यवाणी सुना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मेरे लोगो, मैं तुम्हारी कब्रें खोलकर+ तुम्हें वहाँ से उठाऊँगा और इसराएल देश ले जाऊँगा।+ 13 मेरे लोगो, जब मैं तुम्हारी कब्रें खोलूँगा और तुम्हें वहाँ से उठाऊँगा तब तुम्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”’+ 14 ‘मैं तुममें अपनी पवित्र शक्ति डालूँगा और तुम ज़िंदा हो जाओगे।+ मैं तुम्हें तुम्हारे देश में बसाऊँगा और तुम्हें जानना होगा कि यह बात मुझ यहोवा ने कही है और मैंने ही इसे पूरा किया है।’ यहोवा का यह ऐलान है।”
15 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 16 “इंसान के बेटे, एक छड़ी ले और उस पर यह लिख, ‘यहूदा के लिए और इसराएल के लोगों के लिए जो उसके साथ* हैं।’+ फिर एक और छड़ी ले और उस पर यह लिख, ‘एप्रैम की छड़ी, यूसुफ के लिए और इसराएल के पूरे घराने के लिए जो उसके साथ* है।’+ 17 फिर उन छड़ियों को एक-दूसरे के पास ला ताकि वे दोनों तेरे हाथ में जुड़कर एक छड़ी बन जाएँ।+ 18 जब तेरे लोग* तुझसे कहेंगे, ‘क्या तू हमें नहीं बताएगा कि इन सब बातों का क्या मतलब है?’ 19 तो तू उनसे कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं एप्रैम के हाथ से यूसुफ की छड़ी लूँगा और इसराएल के सभी गोत्रों को लूँगा जो यूसुफ के साथ हैं और उन्हें यहूदा की छड़ी से जोड़ दूँगा और दोनों को एक ही छड़ी बनाऊँगा+ और वे मेरे हाथ में एक छड़ी बन जाएँगे।”’ 20 वे छड़ियाँ जिन पर तू लिखेगा, तेरे हाथ में ही रहें ताकि लोग उन्हें देख सकें।
21 फिर तू लोगों को बताना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं इसराएलियों को उन राष्ट्रों से निकालूँगा जहाँ वे चले गए हैं और उन्हें हर दिशा से इकट्ठा करके उनके अपने देश ले जाऊँगा।+ 22 फिर इसराएल के पहाड़ों पर मैं उनके देश में उन सबसे एक राष्ट्र बनाऊँगा+ और उन सब पर एक ही राजा राज करेगा।+ इसके बाद वे दो अलग-अलग राष्ट्र नहीं होंगे, न ही दो राज्यों में बँटे हुए होंगे।+ 23 वे फिर कभी अपनी घिनौनी मूरतों,* अपने नीच कामों और अपराधों से खुद को दूषित नहीं करेंगे।+ उन्होंने मेरे साथ विश्वासघात करके जो-जो पाप किए थे उनसे छुड़ाकर मैं उन्हें शुद्ध करूँगा। तब वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा।+
24 मेरा सेवक दाविद उनका राजा होगा+ और उन सबका एक ही चरवाहा होगा।+ वे मेरे न्याय-सिद्धांतों को मानेंगे और मेरी विधियों का सख्ती से पालन करेंगे।+ 25 वे उस देश में बसेंगे जो मैंने अपने सेवक याकूब को दिया था और जहाँ तुम्हारे बाप-दादे रहते थे।+ वे और उनके बच्चे* और नाती-पोते सदा उसमें बसे रहेंगे।+ और मेरा सेवक दाविद सदा के लिए उनका प्रधान* बना रहेगा।+
26 मैं उनके साथ एक शांति का करार करूँगा।+ यह करार सदा तक कायम रहेगा। मैं उन्हें उनके देश में बसाऊँगा और उनकी गिनती बढ़ाऊँगा+ और उनके बीच सदा के लिए अपना पवित्र-स्थान खड़ा करूँगा। 27 मेरा डेरा* उनके बीच होगा* और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे।+ 28 जब मेरा पवित्र-स्थान सदा के लिए उनके बीच बना रहेगा तो सभी राष्ट्रों को जानना होगा कि मैं यहोवा इसराएल को पवित्र कर रहा हूँ।”’”+
38 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “इंसान के बेटे, मागोग देश के गोग+ की तरफ मुँह कर जो मेशेक और तूबल+ के प्रधानों का मुखिया* है और उसके खिलाफ यह भविष्यवाणी कर:+ 3 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हे गोग, मेशेक और तूबल के प्रधानों के मुखिया,* देख मैं तेरे खिलाफ हूँ। 4 मैं तुझे फेर दूँगा, तेरे जबड़ों में काँटे डालूँगा+ और तुझे तेरी पूरी सेना समेत खींच लाऊँगा,+ तेरे घोड़ों और घुड़सवारों को, जो बढ़िया और शानदार कपड़े पहने हैं। तेरी उस बड़ी टोली को मैं खींच लाऊँगा जो बड़ी ढालों, छोटी ढालों* और तलवारों से लैस है। 5 उनके साथ फारस, इथियोपिया और पुट+ के सैनिक भी हैं जो हाथ में छोटी ढाल लिए और सिर पर टोप पहने हैं। 6 गोमेर और उसकी सारी टुकड़ियाँ और उत्तर के दूर-दराज़ इलाकों से तोगरमा का घराना+ और उनकी सारी टुकड़ियाँ भी तेरे साथ हैं। तेरे साथ कई देश हैं।+
7 तू अपनी सारी सेनाओं के साथ तैयार हो जा, युद्ध के लिए तैयार हो जा। तू उन सबका सेनापति होगा।
8 कई दिन बीतने के बाद तुझ पर ध्यान दिया जाएगा।* आखिरकार कई सालों बाद तू उस देश पर धावा बोल देगा, जिसके लोग तलवार से घाव खाने के बाद बहाल किए गए थे। उन्हें कई देशों से इकट्ठा करके इसराएल के पहाड़ों पर बसाया गया था जो लंबे अरसे से उजाड़ पड़े थे। इस देश के निवासियों को दूसरे देशों से निकालकर वापस उनके अपने देश में बसाया गया था और वे सब महफूज़ जी रहे हैं।+ 9 तू तेज़ आँधी की तरह उन पर टूट पड़ेगा और अपनी सेनाओं और कई देशों के साथ उनके देश को बादलों की तरह ढक लेगा।”’
10 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘उस दिन तेरे मन में तरह-तरह के विचार उठेंगे और तू एक साज़िश रचेगा। 11 तू कहेगा, “मैं जाकर उस देश पर धावा बोलूँगा जिसकी बस्तियों की हिफाज़त के लिए कोई दीवार नहीं है।*+ मैं उन लोगों पर हमला करूँगा जो बिना किसी डर के महफूज़ जी रहे हैं। वे सब ऐसी बस्तियों में रहते हैं जिनकी हिफाज़त के लिए न कोई दीवार है, न कोई फाटक और न बेड़े।” 12 तू सोचेगा कि मैं जाकर पूरे देश को लूट लूँगा और वहाँ से खूब सारा माल बटोरकर लाऊँगा। मैं उन सारी जगहों पर हमला करूँगा जो पहले उजाड़ पड़ी थीं मगर अब आबाद हैं।+ मैं उन लोगों पर हमला करूँगा जिन्हें दूसरे राष्ट्रों से दोबारा इकट्ठा किया गया है+ और जो अब धरती के बीचों-बीच रहते हैं और अपनी धन-संपत्ति बढ़ाते जा रहे हैं।+
13 शीबा+ और ददान,+ साथ ही तरशीश के व्यापारी+ और उसके सभी वीर योद्धा* तुझसे कहेंगे, “क्या तू उस देश पर धावा बोलकर खूब सारा माल और लूट बटोरने जा रहा है? क्या तूने सोना-चाँदी और दौलत लूटने, ज़मीन-जायदाद हड़पने और खूब सारी लूट ले जाने के लिए अपनी सेनाओं को तैयार किया है?”’
14 इसलिए इंसान के बेटे, तू गोग को यह भविष्यवाणी सुना: ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “उस दिन जब मेरे लोग महफूज़ बसे रहेंगे तो बेशक तेरी नज़र उन पर पड़ेगी।+ 15 तू उत्तर से, अपने दूर-दराज़ इलाकों से आएगा।+ तू और तेरे साथ बहुत-से देश आएँगे, तुम सबकी बड़ी टोली और विशाल सेना घोड़ों पर सवार होकर आएगी।+ 16 तुम मेरी प्रजा इसराएल पर ऐसे धावा बोलोगे जैसे घने बादल एक देश को ढक लेते हैं। हे गोग, मैं आखिरी दिनों में तुझे अपने देश के खिलाफ लाऊँगा+ ताकि तेरी वजह से जब मैं राष्ट्रों के सामने खुद को पवित्र ठहराऊँ तो वे जान लें कि मैं कौन हूँ।”’+
17 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘क्या तू वही नहीं जिसके बारे में मैंने बहुत पहले अपने सेवकों से, इसराएल के भविष्यवक्ताओं से कहलवाया था? उन्होंने कई सालों तक भविष्यवाणी की थी कि तुझे इसराएलियों पर हमला करने के लिए लाया जाएगा।’
18 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘जिस दिन गोग इसराएल देश पर हमला करेगा, उस दिन मेरे क्रोध की ज्वाला भड़क उठेगी।+ 19 मैं बड़ी जलजलाहट में आकर बोलूँगा और उस दिन इसराएल देश में एक भारी भूकंप होगा। 20 मेरी वजह से समुंदर की मछलियाँ, आकाश के पक्षी, मैदान के जंगली जानवर, ज़मीन पर रेंगनेवाले सभी जीव और धरती के सभी इंसान काँप उठेंगे और पहाड़ ढा दिए जाएँगे,+ खड़ी चट्टानें टूटकर गिर पड़ेंगी और हरेक दीवार टूटकर गिर जाएगी।’
21 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं अपने सभी पहाड़ों पर हुक्म दूँगा कि गोग पर तलवार चलायी जाए। तब हर कोई अपने ही भाई पर तलवार चलाएगा।+ 22 मैं उस पर महामारी लाकर+ और खून की नदियाँ बहाकर उसे सज़ा दूँगा।* मैं उस पर और उसकी सारी सेनाओं और कई देशों पर जो उसके साथ हैं, मूसलाधार बारिश कराऊँगा, ओले, आग और गंधक बरसाऊँगा।+ 23 मैं बहुत-से राष्ट्रों के देखते अपनी महिमा करूँगा, खुद को पवित्र ठहराऊँगा और खुद को प्रकट करूँगा और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।’
39 इंसान के बेटे, तू गोग के खिलाफ यह भविष्यवाणी सुना:+ ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “हे गोग, मेशेक और तूबल+ के प्रधानों के मुखिया,* देख मैं तेरे खिलाफ हूँ। 2 मैं तुझे घुमा दूँगा और हाँक-हाँकर तुझे उत्तर के दूर-दराज़ इलाकों से निकलवाऊँगा+ और इसराएल के पहाड़ों पर ले आऊँगा। 3 मैं तुझे ऐसा मारूँगा कि तेरे बाएँ हाथ से कमान और दाएँ हाथ से तीर गिर जाएँगे। 4 तू इसराएल के पहाड़ों पर गिर जाएगा,+ तू और तेरी सारी टुकड़ियाँ और वे देश जो तेरे साथ होंगे, सब ढेर हो जाएँगे। मैं तुझे तरह-तरह के शिकारी पक्षियों और मैदान के जंगली जानवरों का निवाला बना दूँगा।”’+
5 ‘तू खुले मैदान में जा गिरेगा,+ क्योंकि यह बात मैंने कही है।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
6 ‘मैं मागोग पर और उन सभी पर, जो द्वीपों में महफूज़ रहते हैं, आग भेजूँगा+ और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ। 7 मैं अपना पवित्र नाम अपनी प्रजा इसराएल के बीच ज़ाहिर करूँगा और फिर कभी अपने पवित्र नाम का अपमान नहीं होने दूँगा और राष्ट्रों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ,+ इसराएल में पवित्र परमेश्वर।’+
8 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘हाँ, यह पूरा होनेवाला है और ज़रूर होगा। यह वही दिन है जिसके बारे में मैंने बताया है। 9 इसराएल के लोग अपने-अपने शहरों से बाहर निकल आएँगे और सारे हथियारों को, छोटी ढालों,* बड़ी ढालों, तीर-कमानों, युद्ध के लट्ठ* और बरछियों को आग जलाने के काम में लाएँगे।+ वे सात साल तक इन्हीं से आग जलाएँगे। 10 उन्हें मैदानों या जंगलों में जाकर लकड़ियाँ इकट्ठी नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि वे इन्हीं हथियारों को जलाया करेंगे।’
‘जिन लोगों ने उन्हें लूटा था उन्हीं को वे लूटेंगे और जिन्होंने उनका सबकुछ छीन लिया था उनका वे सबकुछ छीन लेंगे।’ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
11 ‘उस दिन मैं गोग+ के लिए इसराएल देश की उस घाटी में एक कब्रिस्तान दूँगा जहाँ से समुंदर के पूरब की तरफ सफर करनेवाले गुज़रते हैं और इससे मुसाफिरों का रास्ता रुक जाएगा। वे गोग और उसकी सारी भीड़ को वहीं गाड़ देंगे और उस घाटी को हामोन-गोग घाटी* नाम देंगे।+ 12 इसराएल के घराने को उन्हें गाड़कर देश को शुद्ध करने में सात महीने लगेंगे।+ 13 देश के सभी लोग उन्हें गाड़ने में लग जाएँगे और इससे उस दिन उनका बड़ा नाम होगा जब मैं खुद की महिमा करूँगा।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
14 ‘लोगों को यह काम दिया जाएगा कि लगातार देश का दौरा करें और देश की ज़मीन पर बची लाशें गाड़ दें ताकि देश को शुद्ध किया जा सके। वे सात महीने तक लाशें ढूँढ़ते रहेंगे। 15 जब भी देश का दौरा करनेवालों को कहीं किसी इंसान की हड्डी दिखायी देगी, तो वे उसके पास एक निशानी लगाएँगे। फिर जिन्हें गाड़ने का काम दिया गया है वे उस हड्डी को हामोन-गोग घाटी में गाड़ देंगे।+ 16 वहाँ एक शहर भी होगा जिसका नाम हमोना* होगा। और वे पूरे देश को शुद्ध कर देंगे।’+
17 इंसान के बेटे, सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तू तरह-तरह के पक्षियों से और मैदान के सभी जंगली जानवरों से कहना, “तुम सब इकट्ठा होकर यहाँ आओ। मेरे बलिदान के आस-पास जमा हो जाओ जो मैं तुम्हारे लिए तैयार कर रहा हूँ। मैंने इसराएल के पहाड़ों पर तुम सबके लिए एक बड़ा भोज तैयार किया है।+ तुम माँस खाओगे और खून पीओगे।+ 18 तुम बाशान के मोटे किए सभी जानवरों की दावत उड़ाओगे, मेढ़ों, मेम्नों, बकरियों और बैलों की दावत उड़ाओगे। हाँ, तुम बड़े-बड़े शूरवीरों का माँस खाओगे और धरती के प्रधानों का खून पीओगे। 19 जो बलिदान मैंने तुम्हारे लिए तैयार किया है, तुम उसकी चरबी ठूँस-ठूँसकर खाओगे और खून पी-पीकर मदहोश हो जाओगे।”’
20 ‘तुम मेरी मेज़ पर घोड़ों, सारथियों, शूरवीरों और हर तरह के योद्धा का माँस जी-भरकर खाओगे।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
21 ‘मैं राष्ट्रों के बीच अपनी महिमा दिखाऊँगा और सब राष्ट्र देखेंगे कि मैंने कैसे न्याय करके उन्हें सज़ा दी है और उनके बीच कैसे अपनी शक्ति दिखायी* है।+ 22 उस दिन से इसराएल के घराने को जानना होगा कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। 23 और राष्ट्रों को जानना होगा कि इसराएल के घराने को उसी के गुनाह की वजह से, मेरे साथ विश्वासघात करने की वजह से बँधुआई में भेज दिया गया था।+ मैंने उनसे अपना मुँह फेर लिया+ और उन्हें दुश्मनों के हवाले कर दिया+ और वे सब तलवार से मारे गए। 24 मैंने उनकी अशुद्धता और उनके गुनाहों के मुताबिक उनको सज़ा दी और उनसे अपना मुँह फेर लिया।’
25 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘मैं याकूब के लोगों को, जो बंदी बनाए गए हैं, उनके देश वापस ले आऊँगा+ और इसराएल के पूरे घराने पर दया करूँगा+ और पूरे जोश के साथ अपने पवित्र नाम की पैरवी करूँगा।+ 26 अपने विश्वासघात और बुरे कामों की वजह से बेइज़्ज़ती सहने के बाद+ वे अपने देश में महफूज़ बसे रहेंगे और उन्हें कोई नहीं डराएगा।+ 27 जब मैं उन्हें दूसरे देशों से वापस ले आऊँगा और उनके दुश्मनों के देशों से उन्हें इकट्ठा करूँगा+ तब मैं बहुत-से राष्ट्रों के देखते उनके बीच खुद को पवित्र ठहराऊँगा।’+
28 ‘मैं उन्हें उन राष्ट्रों से इकट्ठा करूँगा जहाँ मैंने उन्हें बँधुआई में भेज दिया था। मैं उन्हें वापस उनके अपने देश में ले आऊँगा और किसी को भी पराए देश में नहीं छोड़ूँगा+ और तब उन्हें जानना होगा कि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। 29 इसके बाद मैं फिर कभी अपना मुँह उनसे नहीं फेरूँगा,+ क्योंकि मैं इसराएल के घराने पर अपनी पवित्र शक्ति उँडेलूँगा।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
40 हमारी बँधुआई के 25वें साल,+ यानी शहर* पर कब्ज़ा किए जाने के 14वें साल के पहले महीने के दसवें दिन,+ यहोवा का हाथ मुझ पर आया और वह मुझे शहर ले गया।+ 2 परमेश्वर की तरफ से मुझे दर्शन मिले जिनमें वह मुझे इसराएल देश ले गया और उसने मुझे एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर खड़ा किया।+ उस पहाड़ पर दक्षिण की तरफ मुझे शहर जैसा कुछ दिखायी दिया।
3 जब वह मुझे वहाँ ले गया तो मैंने वहाँ एक आदमी को देखा जिसका रूप ताँबे जैसा था।+ उसके हाथ में अलसी की एक डोरी और एक माप-छड़* था+ और वह दरवाज़े पर खड़ा था। 4 उस आदमी ने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, मैं तुझे जो कुछ दिखाऊँगा वह सब तू गौर से देखना और मेरी हर बात ध्यान से सुनना। मैं तुझे जो भी दिखाऊँगा उस पर पूरा ध्यान देना क्योंकि तुझे यहाँ इसीलिए लाया गया है। तू जो भी देखेगा वह सब इसराएल के घराने को बताना।”+
5 मैंने उस मंदिर* के बाहर चारों तरफ एक दीवार देखी। उस आदमी के हाथ में जो माप-छड़ था वह छ: हाथ लंबा था। (हर हाथ के माप में चार अंगुल जोड़ा गया था।)* वह माप-छड़ से दीवार नापने लगा। दीवार की मोटाई और ऊँचाई एक-एक छड़ थी।
6 फिर वह उस दरवाज़े* पर गया जिसका मुँह पूरब की तरफ था+ और उसकी सीढ़ियाँ चढ़ा। उसने दरवाज़े की दहलीज़ नापी। उसकी चौड़ाई एक छड़ थी और दरवाज़े के दूसरी तरफ की दहलीज़ की चौड़ाई भी एक छड़ थी। 7 दरवाज़े के अंदर पहरेदारों के खाने बने थे। हर खाने की लंबाई और चौड़ाई एक-एक छड़ थी। और एक खाने से दूसरे खाने के बीच पाँच-पाँच हाथ की दूरी थी।+ दरवाज़े की जो दहलीज़ बरामदे के पास और अंदर की तरफ थी, उसकी चौड़ाई भी एक छड़ थी।
8 फिर उसने वह बरामदा नापा जो अंदर की तरफ था और वह एक छड़ था। 9 फिर उसने दरवाज़े का बरामदा नापा और उसकी नाप आठ हाथ थी। उसने बरामदे के दोनों तरफ के खंभे नापे और उनकी नाप दो-दो हाथ थी। दरवाज़े का यह बरामदा अंदर की तरफ था।
10 पूरब के दरवाज़े में दोनों तरफ पहरेदारों के तीन-तीन खाने थे। तीनों खाने एक ही नाप के थे और दोनों तरफ के खंभे भी एक ही नाप के थे।
11 फिर उसने दरवाज़े के प्रवेश की चौड़ाई नापी और वह 10 हाथ थी और दरवाज़े की लंबाई 13 हाथ थी।
12 पहरेदारों के खानों के सामने बाड़े से बँधी हुई जो खुली जगह थी, वह दोनों तरफ एक-एक हाथ थी। दोनों तरफ पहरेदारों के खाने छ:-छ: हाथ थे।
13 फिर उसने एक तरफवाले खाने की छत* से दूसरी तरफवाले खाने की छत तक दरवाज़े की चौड़ाई नापी। यह 25 हाथ थी। खानों के प्रवेश एक-दूसरे के आमने-सामने थे।+ 14 फिर उसने दोनों तरफ के खंभों की ऊँचाई नापी। यह 60 हाथ थी। आँगन के चारों तरफ के दरवाज़ों के दोनों तरफ के खंभों की ऊँचाई भी 60 हाथ थी। 15 दरवाज़े के बाहरी हिस्से से लेकर उसके बरामदे के सामनेवाले हिस्से तक की लंबाई 50 हाथ थी।
16 पहरेदारों के खानों के लिए और दोनों तरफ उनके खंभों के लिए ऐसी खिड़कियाँ थीं जो अंदर की ओर चौड़ी और बाहर की ओर सँकरी थीं।*+ दरवाज़ों के बरामदों के लिए भी हर तरफ खिड़कियाँ थीं और दोनों तरफ के खंभों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी।+
17 फिर वह मुझे बाहरी आँगन में ले आया। आँगन के चारों तरफ एक फर्श बना हुआ था। मैंने वहाँ भोजन के कमरे देखे।*+ कुल मिलाकर 30 कमरे थे। 18 दरवाज़ों के दोनों तरफ के उस फर्श की चौड़ाई दरवाज़े की लंबाई जितनी थी। यह फर्श निचला फर्श था।
19 फिर उसने निचले दरवाज़े और भीतरी आँगन में जानेवाले दरवाज़े के बीच की दूरी नापी। यह दूरी 100 हाथ थी। पूरब और उत्तर के दरवाज़ों से भी इतनी ही दूरी थी।
20 बाहरी आँगन में उत्तर की तरफ भी एक दरवाज़ा था। उस आदमी ने उस दरवाज़े की लंबाई-चौड़ाई नापी। 21 उस दरवाज़े में भी दोनों तरफ पहरेदारों के तीन-तीन खाने थे। उसके दोनों तरफ के खंभों और बरामदे की नाप, पहले दरवाज़े के खंभों और बरामदे की नाप जितनी ही थी। उत्तर का दरवाज़ा भी 50 हाथ लंबा और 25 हाथ चौड़ा था। 22 उसकी खिड़कियों, उसके बरामदे और उस पर बनी खजूर के पेड़ों की नक्काशी+ की नाप पूरब के दरवाज़े जितनी ही थी। उस दरवाज़े तक पहुँचने के लिए लोगों को सात सीढ़ियाँ चढ़नी होती थीं और उसका बरामदा उनके सामने था।
23 उत्तर के दरवाज़े और पूरब के दरवाज़े के सामने भीतरी आँगन में एक-एक दरवाज़ा था। उसने एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े के बीच की दूरी नापी। यह दूरी 100 हाथ थी।
24 इसके बाद वह मुझे दक्षिण की तरफ ले आया और मैंने दक्षिण में भी एक दरवाज़ा देखा।+ उसने उसके दोनों तरफ के खंभों और बरामदे को नापा। उनकी नाप भी बाकी दरवाज़ों के खंभों और बरामदे जितनी ही थी। 25 उस दरवाज़े में दोनों तरफ और बरामदे में भी वैसी ही खिड़कियाँ थीं जैसी दूसरे दरवाज़ों में थीं। दक्षिण का दरवाज़ा 50 हाथ लंबा और 25 हाथ चौड़ा था। 26 उस दरवाज़े तक पहुँचने के लिए सात सीढ़ियाँ थीं+ और उसका बरामदा उनके सामने था। बरामदे के दोनों तरफ एक-एक खंभा था और खंभों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी।
27 भीतरी आँगन में भी दक्षिण की तरफ एक दरवाज़ा था। उस आदमी ने दक्षिण की तरफवाले दोनों दरवाज़ों के बीच की दूरी नापी। यह दूरी 100 हाथ थी। 28 इसके बाद वह मुझे भीतरी आँगन के दक्षिणी दरवाज़े से भीतरी आँगन में ले आया। जब उसने यह दक्षिणी दरवाज़ा नापा तो उसकी नाप भी दूसरे दरवाज़ों जितनी ही थी। 29 उसके पहरेदारों के खानों, उसके दोनों तरफ के खंभों और उसके बरामदे की नाप दूसरे दरवाज़ों के खानों, खंभों और बरामदे जितनी थी। उस दरवाज़े के दोनों तरफ और उसके बरामदे में खिड़कियाँ थीं। वह दरवाज़ा 50 हाथ लंबा और 25 हाथ चौड़ा था।+ 30 भीतरी आँगन के सभी दरवाज़ों में बरामदे थे और उन बरामदों की लंबाई 25 हाथ और चौड़ाई 5 हाथ थी। 31 दक्षिणी दरवाज़े का बरामदा बाहरी आँगन की तरफ था और उसके दोनों तरफ के खंभों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी+ और उस दरवाज़े तक पहुँचने के लिए आठ सीढ़ियाँ थीं।+
32 जब वह मुझे पूरब से भीतरी आँगन में ले आया तो उसने वहाँ का दरवाज़ा नापा। उसकी नाप दूसरे दरवाज़ों जितनी ही थी। 33 उसके पहरेदारों के खानों, उसके दोनों तरफ के खंभों और उसके बरामदे की नाप दूसरे दरवाज़ों के खानों, खंभों और बरामदे जितनी थी। उस दरवाज़े के दोनों तरफ और उसके बरामदे में खिड़कियाँ थीं। वह दरवाज़ा 50 हाथ लंबा और 25 हाथ चौड़ा था। 34 उसका बरामदा बाहरी आँगन की तरफ था और उसके दोनों तरफ के खंभों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी और उस दरवाज़े तक पहुँचने के लिए आठ सीढ़ियाँ थीं।
35 फिर वह मुझे उत्तरी दरवाज़े* पर ले आया+ और उसे नापा। उसकी नाप भी दूसरे दरवाज़ों जितनी थी। 36 उसके पहरेदारों के खानों, दोनों तरफ के खंभों और उसके बरामदे की नाप दूसरे दरवाज़ों के खानों, खंभों और बरामदे जितनी थी। उसके दोनों तरफ खिड़कियाँ थीं। वह दरवाज़ा 50 हाथ लंबा और 25 हाथ चौड़ा था। 37 उसके दोनों तरफ के खंभे बाहरी आँगन की तरफ थे और उन खंभों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी। उस दरवाज़े तक पहुँचने के लिए आठ सीढ़ियाँ थीं।
38 भीतरी आँगन के दरवाज़ों के खंभों के पास भोजन का कमरा था जिसका एक प्रवेश था। इस कमरे में पूरी होम-बलि के जानवरों का माँस धोया जाता था।+
39 उत्तरी दरवाज़े के बरामदे के दोनों तरफ दो-दो मेज़ें थीं। उन पर पूरी होम-बलि,+ पाप-बलि+ और दोष-बलि के जानवर हलाल किए जाते थे।+ 40 उत्तरी दरवाज़े की तरफ जानेवाले रास्ते पर बाहर दोनों तरफ दो-दो मेज़ें थीं और दरवाज़े के बरामदे के दूसरी तरफ भी दो-दो मेज़ें थीं। 41 दरवाज़े के दोनों तरफ चार-चार मेज़ें थीं। कुल मिलाकर आठ मेज़ें थीं जिन पर बलिदान के जानवर हलाल किए जाते थे। 42 पूरी होम-बलि की चारों मेज़ें गढ़े हुए पत्थरों की बनी थीं। उन मेज़ों की लंबाई डेढ़ हाथ, चौड़ाई डेढ़ हाथ और ऊँचाई एक हाथ थी। उन मेज़ों पर वे औज़ार रखे जाते थे जिनसे होम-बलि और दूसरे बलिदानों के जानवर हलाल किए जाते थे। 43 भीतरी दीवारों के चारों तरफ ताक बनी हुई थीं जो चार अंगुल चौड़ी थीं। उन मेज़ों पर भेंट के चढ़ावे का माँस रखा जाता था।
44 भीतरी आँगन के दरवाज़े के बाहर गायकों के लिए भोजन के कमरे थे।+ ये कमरे भीतरी आँगन में उत्तरी दरवाज़े के पास थे और उनका प्रवेश दक्षिण की तरफ था। एक और भोजन का कमरा पूरब के दरवाज़े के पास था जिसका प्रवेश उत्तर की तरफ था।
45 उस आदमी ने मुझे बताया, “भोजन का यह कमरा, जिसका प्रवेश दक्षिण की तरफ है, उन याजकों के लिए है जिन्हें मंदिर में सेवा की ज़िम्मेदारी दी गयी है।+ 46 और भोजन का वह कमरा, जिसका प्रवेश उत्तर की तरफ है, उन याजकों के लिए है जिन्हें वेदी के पास सेवा करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है।+ वे याजक सादोक के वंशज हैं।+ लेवियों में से उन्हीं याजकों को यहोवा के पास आकर उसकी सेवा करने के लिए ठहराया गया है।”+
47 इसके बाद उसने भीतरी आँगन नापा। यह आँगन चौकोर था, 100 हाथ लंबा, 100 हाथ चौड़ा। मंदिर के सामने वेदी थी।
48 फिर वह मुझे मंदिर के बरामदे में ले आया+ और उसने बरामदे के दोनों खंभे नापे जो उसके प्रवेश में दायीं और बायीं तरफ थे। हर खंभा पाँच हाथ लंबा और तीन हाथ चौड़ा था।
49 बरामदा 20 हाथ लंबा और 11* हाथ चौड़ा था। उस तक पहुँचने के लिए लोगों को कुछ सीढ़ियाँ चढ़नी होती थीं। बरामदे के दोनों तरफ के खंभों के पास दो और खंभे थे। हर खंभे के पास एक खंभा था।+
41 इसके बाद वह मुझे पवित्र-स्थान के बाहरी कमरे* में ले गया। उसने उस कमरे के दोनों तरफ के खंभे नापे, एक दायीं तरफ था और दूसरा बायीं तरफ। हर खंभे की मोटाई छ: हाथ* थी। 2 इस कमरे का प्रवेश दस हाथ चौड़ा था और प्रवेश के दायीं और बायीं तरफ के खंभे पाँच हाथ चौड़े थे। फिर उसने बाहरी कमरा नापा। उसकी लंबाई 40 हाथ और चौड़ाई 20 हाथ थी।
3 फिर वह अंदर* गया और उसने प्रवेश के एक तरफ का खंभा नापा। उसकी मोटाई दो हाथ और चौड़ाई सात हाथ थी। प्रवेश छ: हाथ चौड़ा था। 4 फिर उसने वह कमरा नापा जो पवित्र-स्थान के बाहरी कमरे के सामने था। उसकी लंबाई 20 हाथ और चौड़ाई 20 हाथ थी।+ उसने मुझे बताया, “यह परम-पवित्र भाग है।”+
5 फिर उसने मंदिर की दीवार नापी। उसकी मोटाई छ: हाथ थी। मंदिर के चारों तरफ खाने थे और हर खाने की चौड़ाई चार हाथ थी।+ 6 इन खानों की तीन मंज़िलें थीं, जो एक के ऊपर एक थीं। हर मंज़िल में 30 खाने थे। ये खाने चारों तरफ की दीवार के ताक के सहारे टिके हुए थे। इसलिए खानों की शहतीरें मंदिर की दीवार के अंदर नहीं घुसायी गयी थीं।+ 7 मंदिर के दोनों तरफ के ऊपरी खानों तक जाने का रास्ता घुमावदार था।+ यह रास्ता नीचे से ऊपरी मंज़िलों तक चौड़ा होता गया था। बीचवाली मंज़िल के खाने, निचली मंज़िल के खानों से चौड़े थे और तीसरी मंज़िल के खाने बीचवाली मंज़िल के खानों से भी चौड़े थे।
8 मैंने मंदिर के चारों तरफ एक ऊँचा चबूतरा देखा जिस पर मंदिर के साथवाले खाने बने हुए थे। उस चबूतरे की ऊँचाई कोने तक छ: हाथ के पूरे माप-छड़ के बराबर थी। 9 खानों की बाहरी दीवार की मोटाई पाँच हाथ थी। उन खानों के किनारे-किनारे खुली जगह* थी जो मंदिर का ही हिस्सा थी।
10 मंदिर और भोजन के कमरों*+ के बीच हर तरफ 20 हाथ चौड़ी खुली जगह थी। 11 उत्तर की तरफ, मंदिर के साथवाले खानों और खाली जगह के बीच एक प्रवेश था। इसी तरह का एक और प्रवेश मंदिर के दक्षिण की तरफ था। मंदिर के चारों तरफ की खुली जगह की चौड़ाई पाँच हाथ थी।
12 जो इमारत पश्चिम में, खुली जगह के सामने थी, वह 70 हाथ चौड़ी और 90 हाथ लंबी थी। उस इमारत के चारों तरफ की दीवार की मोटाई पाँच हाथ थी।
13 जब उसने मंदिर नापा तो देखा कि उसकी लंबाई 100 हाथ थी। वह खाली जगह, वह इमारत* और उसकी दीवारें, उन सबकी लंबाई भी कुल मिलाकर 100 हाथ थी। 14 मंदिर का सामनेवाला हिस्सा जो पूरब की तरफ था, उसकी चौड़ाई और दोनों तरफ की खाली जगह की चौड़ाई कुल मिलाकर 100 हाथ थी।
15 उस आदमी ने उस इमारत की लंबाई नापी जो पीछेवाली खाली जगह के पास थी। उसने इमारत की चौड़ाई और उसके दोनों तरफ के गलियारों की चौड़ाई नापी, जो कुल मिलाकर 100 हाथ थी।
उसने पवित्र-स्थान का बाहरी कमरा, भीतरी कमरा+ और आँगन के बरामदे नापे। 16 उसने इन तीनों जगहों की दहलीज़ें, सँकरी खिड़कियाँ+ और गलियारे भी नापे। हर दहलीज़ के पास फर्श से लेकर खिड़कियों तक लकड़ी के तख्ते लगे थे+ और खिड़कियाँ ढकी थीं। 17 उसने प्रवेश का ऊपरी हिस्सा, मंदिर के अंदर का हिस्सा, बाहर का हिस्सा और चारों तरफ की दीवार नापी। 18 उस पर करूबों और खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी।+ हर दो करूब के बीच एक खजूर का पेड़ था और हर करूब के दो मुँह थे, 19 एक इंसान का और एक शेर का। इंसान का मुँह एक तरफ के खजूर के पेड़ की तरफ था और शेर का मुँह दूसरी तरफ के खजूर के पेड़ की तरफ था।+ पूरे मंदिर में इसी तरह की नक्काशी थी। 20 पवित्र-स्थान के प्रवेश की दीवार पर, फर्श से लेकर ऊपर तक करूबों और खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी।
21 पवित्र-स्थान के फाटकों की चौखटें* चौकोर थीं।+ पवित्र जगह* के सामने 22 लकड़ी की वेदी+ जैसा कुछ था। वह तीन हाथ ऊँचा और दो हाथ लंबा था। उसके चार कोने थे और उसका आधार और उसकी अलंगें लकड़ी की बनी थीं। उस आदमी ने मुझे बताया, “यही यहोवा के सामने की मेज़ है।”+
23 पवित्र-स्थान के बाहरी कमरे में दो किवाड़वाला एक फाटक था और अंदर की पवित्र जगह में भी ऐसा ही एक फाटक था।+ 24 इन फाटकों के हर किवाड़ में दो पल्ले थे जो मुड़कर दोहरे हो जाते थे। 25 पवित्र-स्थान की दीवारों की तरह उसके फाटकों पर भी करूबों और खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी।+ बरामदे के ठीक बाहर लकड़ी का एक छज्जा भी था। 26 बरामदे के दोनों तरफ, मंदिर के साथवाले खानों में और छज्जों के पास सँकरी खिड़कियाँ+ और खजूर के पेड़ों की नक्काशी थी।
42 फिर वह मुझे उत्तर के बाहरी आँगन में ले गया।+ वह मुझे भोजन के कमरोंवाली इमारत के पास ले गया, जो खुली जगह के पास,+ सटी हुई इमारत+ के उत्तर में थी। 2 भोजन के कमरोंवाली इमारत का प्रवेश उत्तर की तरफ था और उस तरफ इमारत की पूरी लंबाई 100 हाथ* और चौड़ाई 50 हाथ थी। 3 वह इमारत बाहरी आँगन के फर्श और भीतरी आँगन की उस खुली जगह के बीच थी जो 20 हाथ चौड़ी थी।+ इस इमारत के दो हिस्से थे और दोनों हिस्सों में तीन-तीन मंज़िलें थीं और उनके गलियारे एक-दूसरे के सामने थे। 4 इमारत के दोनों हिस्सों के बीच एक रास्ता था+ जो 100 हाथ लंबा* और 10 हाथ चौड़ा था। भोजन के कमरों* के लिए प्रवेश उत्तर की तरफ थे। 5 इस इमारत के दोनों हिस्सों की ऊपरी मंज़िलों की चौड़ाई बीचवाली और निचली मंज़िलों से कम थी। ऐसा इसलिए था क्योंकि ऊपरी मंज़िलों के गलियारों ने खाने के कमरों की बहुत जगह ले ली थी। 6 भोजन के कमरों की तीन मंज़िलें थीं, मगर इनमें कोई खंभा नहीं था, जैसे आँगनों में थे। इसीलिए निचली और बीचवाली मंज़िलों के मुकाबले ऊपरी मंज़िलें कम जगह में बनायी गयी थीं।
7 भोजन के कमरोंवाली इमारत का जो हिस्सा बाहरी आँगन की तरफ था, उसके पास पत्थर की एक दीवार थी। यह दीवार इमारत के दूसरे हिस्से के सामने थी। इस दीवार की लंबाई 50 हाथ थी, 8 क्योंकि इमारत का जो हिस्सा बाहरी आँगन की तरफ था वह सिर्फ 50 हाथ लंबा था, जबकि पवित्र-स्थान की तरफवाला हिस्सा 100 हाथ लंबा था। 9 भोजन के कमरोंवाली इमारत का प्रवेश पूरब की तरफ था, जो बाहरी आँगन से इमारत में आने के लिए था।
10 पूरब की तरफ आँगन के पत्थर की दीवार की चौड़ाई में, खुली जगह और इमारत के पास भी भोजन के कमरे थे।+ 11 इनके सामने भी वैसा ही एक रास्ता था जैसे उत्तर में भोजन के कमरों के सामने था।+ इन कमरों की लंबाई-चौड़ाई उत्तर के कमरों जितनी ही थी और कमरों से बाहर जाने का रास्ता भी वैसा ही था जैसा उत्तर की इमारत में था। उनका पूरा ढाँचा उत्तर के कमरों जैसा था। उनके प्रवेश 12 उन भोजन के कमरों के प्रवेश जैसे थे जो दक्षिण की तरफ थे। रास्ते की शुरूआत में एक प्रवेश था जो पूरब में पत्थर की दीवार के पास था। यह प्रवेश इमारत के अंदर जाने के लिए था।+
13 फिर उस आदमी ने मुझे बताया, “खाली जगह के पास उत्तर और दक्षिणवाले भोजन के कमरे,+ भोजन के पवित्र कमरे हैं। ये कमरे उन याजकों के लिए हैं जो यहोवा के पास आकर उसकी सेवा करते हैं। वे इन कमरों में उस भेंट की चीज़ें खाते हैं जो बहुत पवित्र है।+ यह जगह पवित्र है इसलिए वे इन्हीं कमरों में अनाज के चढ़ावे, पाप-बलि और दोष-बलि के लिए अर्पित की गयी चीज़ें रखते हैं जो बहुत पवित्र हैं।+ 14 जब भी याजकों को पवित्र जगह से बाहरी आँगन में जाना हो, तो उन्हें पहले अपनी वह पोशाक बदलनी होगी जिसे पहनकर वे पवित्र जगह में सेवा करते हैं।+ वे अपनी यह पोशाक बदले बगैर बाहरी आँगन में नहीं जा सकते क्योंकि यह पवित्र पोशाक है। जब भी याजक उन जगहों में जाते हैं जहाँ आम लोगों को आने की इजाज़त है, तो उन्हें अपनी पवित्र पोशाक बदलकर दूसरे कपड़े पहनने चाहिए।”
15 जब उसने मंदिर के अंदर का हिस्सा* और उसके आस-पास का सबकुछ नाप लिया, तो वह मुझे बाहरी आँगन के पूरब के दरवाज़े से बाहर ले गया।+ और उसने वह पूरी जगह नापी।
16 उसने माप-छड़* से पूरब का हिस्सा नापा। पूरब में एक कोने से दूसरे कोने तक की लंबाई 500 छड़ थी।
17 उसने माप-छड़ से उत्तर का हिस्सा नापा और उसकी लंबाई 500 छड़ थी।
18 उसने माप-छड़ से दक्षिण का हिस्सा नापा और उसकी लंबाई 500 छड़ थी।
19 उसने माप-छड़ से पश्चिम का हिस्सा नापा और उसकी लंबाई 500 छड़ थी।
20 उसने चारों हिस्से नापे। उसके चारों तरफ एक दीवार थी+ जिसकी लंबाई-चौड़ाई 500 छड़ थी।+ यह दीवार पवित्र जगह को उस जगह से अलग करने के लिए थी जो आम इस्तेमाल के लिए थी।+
43 इसके बाद वह मुझे पूरब के दरवाज़े पर ले गया।+ 2 वहाँ मैंने इसराएल के परमेश्वर की महिमा देखी जो पूरब से आ रही थी।+ परमेश्वर की आवाज़ नदी की तेज़ धारा की गड़गड़ाहट जैसी थी+ और धरती उसकी महिमा से रौशन हो गयी।+ 3 मैंने वहाँ जो देखा वह उस दर्शन जैसा था जो मैंने उस वक्त देखा था जब मैं* शहर का नाश करने आया था। मैंने वहाँ जो देखा वह बिलकुल वैसा ही था जो मैंने कबार नदी के पास देखा था।+ और मैं मुँह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा।
4 फिर यहोवा की महिमा पूरब के दरवाज़े से मंदिर* में आयी।+ 5 फिर एक शक्ति* ने मुझे उठाया और वह मुझे भीतरी आँगन में ले गयी। वहाँ मैंने देखा कि पूरा मंदिर यहोवा की महिमा से भर गया है।+ 6 फिर मैंने मंदिर में से किसी की आवाज़ सुनी जो मुझसे बात कर रहा था और वह आदमी मेरे पास आकर खड़ा हो गया।+ 7 परमेश्वर ने मुझसे कहा,
“इंसान के बेटे, यही मेरी राजगद्दी की जगह है+ और यही मेरे पाँव रखने की जगह है।+ यहाँ मैं इसराएलियों के बीच सदा तक निवास करूँगा।+ इसके बाद फिर कभी न तो इसराएल का घराना न ही उसके राजा मेरे साथ विश्वासघात करके* मेरे पवित्र नाम का अपमान करेंगे।+ जब उनके राजा मर जाएँगे तो वे उनकी लाशों से भी मेरे पवित्र नाम का अपमान नहीं करेंगे। 8 उन्होंने मेरे मंदिर की दहलीज़ से सटाकर अपनी दहलीज़ बनायी और मेरे मंदिर के खंभे के पास अपना खंभा लगा दिया, जिससे उनके और मेरे बीच सिर्फ एक दीवार की आड़ रह गयी।+ इस तरह उन्होंने घिनौने काम करके मेरे पवित्र नाम का अपमान किया। इसलिए मैंने क्रोध में आकर उनका नाश कर दिया।+ 9 अब वे मेरे साथ और विश्वासघात न करें* और अपने राजाओं की लाशें मुझसे दूर कर दें। तब मैं उनके बीच सदा के लिए निवास करूँगा।+
10 इंसान के बेटे, इसराएल के घराने को मंदिर के बारे में ब्यौरा दे+ ताकि वे अपने गुनाहों पर शर्मिंदा महसूस करें+ और मंदिर के नमूने पर गौर करें।* 11 अगर वे अपने सभी कामों पर शर्मिंदा महसूस करते हैं तो तू उन्हें मंदिर के नमूने, उसकी बनावट, उसके प्रवेश और निकलने के रास्तों के बारे में समझाना।+ उन्हें मंदिर का पूरा नमूना दिखाना और उसकी विधियाँ और नियम बताना। तू ये सारी बातें उनके देखते लिखना ताकि वे मंदिर का पूरा नमूना गौर से देखें और उसकी विधियों का पालन करें।+ 12 मंदिर का यही नियम है: पहाड़ के ऊपर का सारा इलाका बहुत पवित्र है।+ देख! मंदिर का नियम यही है।
13 वेदी की नाप हाथ के हिसाब से यह है:+ इसका आधार एक हाथ ऊँचा और एक हाथ चौड़ा है। (हर हाथ के माप में चार अंगुल जोड़ा गया था।)* आधार के चारों तरफ एक किनारा है जो एक बित्ता* ऊँचा है। यह वेदी का आधार है। 14 फर्श पर बने आधार के ऊपरवाले छोटे कगार की ऊँचाई दो हाथ और चौड़ाई एक हाथ है। इस छोटे कगार पर बने बड़े कगार की ऊँचाई चार हाथ और चौड़ाई एक हाथ है। 15 वेदी के अग्नि-कुंड की ऊँचाई चार हाथ है। इस अग्नि-कुंड के चारों कोनों पर चार सींग ऊपर की तरफ निकले हुए हैं।+ 16 अग्नि-कुंड चौकोर है, 12 हाथ लंबा, 12 हाथ चौड़ा।+ 17 बड़े कगार की लंबाई-चौड़ाई चौदह-चौदह हाथ है और उसके चारों तरफ बना किनारा आधा हाथ है। वेदी का आधार चारों तरफ से एक हाथ निकला है।
वेदी की सीढ़ियाँ पूरब की तरफ हैं।”
18 इसके बाद उसने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जब वेदी बनायी जाएगी तो इन निर्देशों का पालन किया जाए ताकि पूरी होम-बलियाँ चढ़ायी जाएँ और उनका खून वेदी पर छिड़का जाए।’+
19 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘तुम झुंड में से एक बैल लेना और सादोक के वंश के लेवी याजकों को देना+ जो मेरे पास आकर मेरी सेवा करते हैं। वे उस बैल की पाप-बलि चढ़ाएँगे।+ 20 तुम उसका थोड़ा खून लेकर वेदी के चारों सींगों पर, बड़े कगार के चारों कोनों पर और चारों तरफ के किनारे पर लगाना ताकि वेदी से पाप दूर करके उसे शुद्ध किया जाए और उसके लिए प्रायश्चित किया जाए।+ 21 फिर तुम पाप-बलि का बैल पवित्र-स्थान के बाहर, मंदिर की तय जगह पर ले जाना ताकि उसे जलाया जा सके।+ 22 अगले दिन तुम पाप-बलि के लिए एक ऐसा बकरा अर्पित करना जिसमें कोई दोष न हो। वे इस जानवर की भी बलि चढ़ाकर वेदी से पाप दूर करेंगे और उसे शुद्ध करेंगे, ठीक जैसे वे बैल की बलि चढ़ाकर उससे पाप दूर करते और शुद्ध करते हैं।’
23 ‘जब तुम वेदी से पाप दूर करके उसे शुद्ध कर चुके होगे, तो तुम झुंड में से एक ऐसे बैल और मेढ़े की बलि चढ़ाओगे जिनमें कोई दोष न हो। 24 तुम उन्हें यहोवा के लिए अर्पित करना। याजक उन जानवरों के गोश्त पर नमक छिड़केंगे+ और उनकी होम-बलि का पूरा चढ़ावा यहोवा के लिए अर्पित करेंगे। 25 तुम सात दिन तक हर रोज़ पाप-बलि के लिए एक बकरा, एक बैल और एक मेढ़ा अर्पित करोगे।+ ये ऐसे जानवर होने चाहिए जिनमें कोई दोष न हो।* 26 उन्हें सात दिन तक वेदी के लिए प्रायश्चित करना होगा और वेदी को शुद्ध करके उसका उद्घाटन करना होगा। 27 जब वेदी को शुद्ध करने के सात दिन पूरे हो जाएँ तो आठवें दिन+ और उसके बाद याजक तुम्हारी* पूरी होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ वेदी पर अर्पित किया करेंगे और मैं तुमसे खुश होऊँगा।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।”
44 वह मुझे वापस पवित्र-स्थान के उस बाहरी दरवाज़े के पास ले आया जो पूरब में था।+ वह दरवाज़ा बंद था।+ 2 फिर यहोवा ने मुझे बताया, “यह दरवाज़ा बंद ही रहेगा। इसे खोला नहीं जाएगा और कोई भी इंसान इसमें से नहीं जा पाएगा। इसराएल के परमेश्वर यहोवा ने इस दरवाज़े से प्रवेश किया है,+ इसलिए इसे बंद रखा जाए। 3 लेकिन प्रधान इस दरवाज़े के अंदर बैठेगा ताकि यहोवा के सामने रोटी खाए+ क्योंकि वह एक प्रधान है। वह दरवाज़े के बरामदे से होकर अंदर आया करेगा और उस बरामदे से होकर बाहर जाया करेगा।”+
4 इसके बाद वह मुझे उत्तरी दरवाज़े से मंदिर के सामने ले आया। वहाँ मैंने देखा कि यहोवा का मंदिर यहोवा की महिमा से भरा हुआ है+ और मैं मुँह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा।+ 5 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “इंसान के बेटे, मैं तुझे यहोवा के मंदिर की विधियों और उसके नियमों के बारे में जो कुछ बताऊँगा उस पर ध्यान देना, मैं तुझे जो कुछ दिखाऊँगा उसे गौर से देखना और मेरी हर बात कान लगाकर सुनना। पवित्र-स्थान के प्रवेश और बाहर निकलने के सभी रास्तों को तू ध्यान से देखना।+ 6 तू इसराएल के बगावती घराने से कहना, ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “इसराएल के घराने के लोगो, बहुत हो चुका! तुमने घिनौने काम करने में हद कर दी है। 7 तुम मेरे पवित्र-स्थान के अंदर उन परदेसियों को ले आते हो जो तन और मन से खतनारहित हैं और वे मेरे मंदिर को दूषित कर देते हैं। एक तरफ तो तुम मुझे रोटी, चरबी और खून अर्पित करते हो, वहीं दूसरी तरफ घिनौने काम करके मेरा करार तोड़ते हो। 8 तुमने मेरी पवित्र चीज़ों की देखभाल नहीं की।+ इसके बजाय, तुम मेरे पवित्र-स्थान से जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ दूसरों को सौंप देते हो।”’
9 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “इसराएल में रहनेवाले ऐसे किसी भी परदेसी को मेरे पवित्र-स्थान के अंदर कदम रखने की इजाज़त नहीं है जो तन और मन से खतनारहित है।”’
10 ‘जब इसराएल मेरी राह से फिरकर दूर चला गया और अपनी घिनौनी मूरतों* के पीछे चलने लगा, तब जो लेवी मुझसे दूर चले गए थे,+ उन्हें अपने गुनाह का अंजाम भुगतना पड़ेगा। 11 फिर वे मेरे पवित्र-स्थान में सेवक बनकर मंदिर के दरवाज़ों की निगरानी करेंगे+ और मंदिर में सेवा करेंगे। वे लोगों की पूरी होम-बलि और दूसरे बलिदानों के जानवर हलाल किया करेंगे और लोगों की सेवा करने के लिए उनके सामने हाज़िर रहेंगे।’ 12 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘उन लेवियों ने लोगों की सेवा उनकी घिनौनी मूरतों के सामने की और ऐसा करके वे इसराएल के घराने के लिए ठोकर का पत्थर बने जिस वजह से उसने पाप किया।+ इसलिए मैंने हाथ उठाकर शपथ खायी है कि उन्हें अपने गुनाह का अंजाम भुगतना पड़ेगा। 13 वे मेरे याजकों के नाते मेरे पास आकर सेवा नहीं करेंगे और मेरी किसी भी चीज़ के पास नहीं जाएँगे जो पवित्र या बहुत पवित्र है। उन्हें अपने घिनौने कामों की वजह से शर्मिंदा होना पड़ेगा। 14 लेकिन मैं उन्हें मंदिर की ज़िम्मेदारियाँ सौंपूँगा ताकि वे वहाँ सेवा के सभी काम कर सकें।’+
15 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘लेकिन जहाँ तक सादोक वंश के लेवी याजकों की बात है,+ वे मेरे पास आकर मेरी सेवा करेंगे और मेरे सामने हाज़िर होकर मुझे चरबी और खून अर्पित करेंगे+ क्योंकि जब इसराएली मेरी राह से फिरकर दूर चले गए थे, तब भी ये लेवी मेरे पवित्र-स्थान में अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाते रहे।+ 16 ये लोग ही मेरे पवित्र-स्थान में कदम रखेंगे और मेरी मेज़ के पास आकर मेरी सेवा किया करेंगे+ और मेरी तरफ उनकी जो ज़िम्मेदारी बनती है उसे पूरा करेंगे।+
17 जब वे भीतरी आँगन के दरवाज़ों के अंदर जाएँगे तो उन्हें मलमल के कपड़े पहनने चाहिए।+ जब वे भीतरी आँगन के दरवाज़ों में या अंदर सेवा करते हैं तो उनके शरीर पर कोई भी ऊनी कपड़ा नहीं होना चाहिए। 18 उन्हें मलमल की पगड़ी और मलमल के लंबे जाँघिये पहनने चाहिए।+ उन्हें ऐसा कोई भी कपड़ा नहीं पहनना चाहिए जिससे पसीना छूटता है। 19 जब भी उन्हें बाहरी आँगन में जाना हो जहाँ आम लोग होते हैं, तो उन्हें पहले अपनी वह पोशाक बदलनी चाहिए जिसे पहनकर वे मंदिर में सेवा करते हैं।+ उन्हें अपनी पोशाक भोजन के पवित्र कमरों* में रख देनी चाहिए।+ उन्हें दूसरे कपड़े पहनकर बाहरी आँगन में जाना चाहिए ताकि वे अपनी पवित्र पोशाक से आम लोगों को पवित्र न करें। 20 उन्हें अपना सिर नहीं मुँड़ाना चाहिए+ और न ही अपने बाल ज़्यादा बढ़ाने चाहिए। उन्हें बाल कटवाते रहना चाहिए। 21 याजकों को भीतरी आँगन में जाने से पहले दाख-मदिरा नहीं पीनी चाहिए।+ 22 उन्हें एक विधवा या तलाकशुदा औरत को अपनी पत्नी नहीं बनाना चाहिए।+ मगर वे इसराएलियों में से किसी कुँवारी लड़की से या याजक की विधवा से शादी कर सकते हैं।’+
23 ‘याजकों को चाहिए कि वे मेरे लोगों को पवित्र और आम बातों के बीच और शुद्ध और अशुद्ध बातों के बीच फर्क करना सिखाएँ।+ 24 उन्हें न्यायी बनकर मुकदमों की सुनवाई करनी चाहिए+ और मेरे न्याय-सिद्धांतों के मुताबिक फैसला करना चाहिए।+ उन्हें मेरे सभी त्योहारों के नियमों और विधियों का पालन करना चाहिए+ और मेरे सब्तों को पवित्र मानना चाहिए। 25 उन्हें किसी इंसान की लाश के पास नहीं जाना चाहिए वरना वे अशुद्ध हो जाएँगे। लेकिन अगर एक याजक के पिता, उसकी माँ, बेटे, बेटी, भाई या अविवाहित बहन की मौत हो जाती है तो वह उसकी लाश के पास जा सकता है और अशुद्ध हो सकता है।+ 26 फिर उस याजक को शुद्ध होने के बाद सात दिन इंतज़ार करना चाहिए। 27 इसके बाद वह जिस दिन भीतरी आँगन में यानी पवित्र जगह में सेवा करने जाएगा उस दिन उसे अपने लिए एक पाप-बलि चढ़ानी होगी।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
28 ‘उनकी विरासत यह होगी: मैं ही उनकी विरासत हूँ।+ इसराएल देश में तुम उन्हें कोई ज़मीन न देना क्योंकि मैं उनकी जागीर हूँ। 29 ये ही वे लोग हैं जिन्हें अनाज के चढ़ावे, पाप-बलि और दोष-बलि में से हिस्सा खाने को मिलेगा+ और इसराएल में समर्पित की हुई हर चीज़ उनकी होगी।+ 30 तुम्हारी हर तरह की पहली उपज के सबसे बढ़िया फलों पर और तुम्हारे हर तरह के दान पर याजकों का हक होगा।+ साथ ही, तुम पहले फल का अनाज दरदरा कूटकर याजकों को देना।+ इससे तुम्हारे घराने पर आशीष बनी रहेगी।+ 31 याजकों को किसी ऐसे पक्षी या जानवर का गोश्त नहीं खाना चाहिए, जो मरा हुआ या फाड़ा हुआ पाया जाता है।’+
45 ‘जब तुम देश की ज़मीन विरासत में बाँटोगे,+ तो उसमें से एक भाग यहोवा को भेंट करना। यह देश का पवित्र भाग होगा।+ इसकी लंबाई 25,000 हाथ* और चौड़ाई 10,000 हाथ होनी चाहिए।+ यह पूरा भाग* पवित्र होगा। 2 इसी ज़मीन का एक चौकोर हिस्सा पवित्र जगह के लिए होगा, जिसकी लंबाई 500 हाथ और चौड़ाई 500 हाथ होगी।*+ पवित्र जगह के चारों तरफ पचास-पचास हाथ चौड़ा चरागाह होगा।+ 3 पवित्र भाग में से 25,000 हाथ लंबी और 10,000 हाथ चौड़ी ज़मीन अलग करना। उस ज़मीन में पवित्र-स्थान होगा जो बहुत पवित्र होगा। 4 ज़मीन का यह टुकड़ा याजकों को दिया गया पवित्र भाग होगा,+ जो पवित्र-स्थान के सेवक हैं और यहोवा के पास आकर उसकी सेवा करते हैं।+ इसी हिस्से में उनके घर होंगे और पवित्र-स्थान के लिए पवित्र जगह भी होगी।
5 मंदिर में सेवा करनेवाले लेवियों के लिए ज़मीन का एक टुकड़ा होगा, जिसकी लंबाई 25,000 हाथ और चौड़ाई 10,000 हाथ होगी।+ और भोजन के 20 कमरे*+ उनके हिस्से में होंगे।
6 तुम शहर के लिए 25,000 हाथ लंबी और 5,000 हाथ चौड़ी ज़मीन अलग करना।+ (यह ज़मीन भेंट किए गए पवित्र भाग के बराबर में होगी।) यह ज़मीन इसराएल के पूरे घराने की होगी।
7 प्रधान की ज़मीन, पवित्र भेंट की ज़मीन और शहर के लिए अलग की गयी ज़मीन के दोनों तरफ होगी। उसकी ज़मीन, पवित्र भेंट की ज़मीन और शहर की ज़मीन के पास होगी। यह पश्चिम और पूरब की तरफ होगी। इसकी लंबाई पूरब से पश्चिम की सरहद तक बाकी गोत्रों की ज़मीन की लंबाई के बराबर होगी।+ 8 इसराएल में यह ज़मीन प्रधान की जागीर होगी। मेरे ठहराए प्रधान फिर कभी मेरे लोगों के साथ बदसलूकी नहीं करेंगे+ और वे इसराएल के घराने के लिए गोत्रों के हिसाब से ज़मीन का बँटवारा करेंगे।’+
9 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘इसराएल के प्रधानो, बहुत हो चुका!’
‘अब लोगों को सताना और उन पर अत्याचार करना बंद करो। न्याय करो।+ मेरे लोगों की जायदाद हड़पना बंद करो।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा ने यह ऐलान किया है। 10 ‘तुम्हें ऐसा तराज़ू, एपा* और बत* इस्तेमाल करना चाहिए जो सही हो।+ 11 तुम्हारे एपा और बत तय नाप के होने चाहिए। बत में होमेर* का दसवाँ भाग समाए और एपा में भी होमेर का दसवाँ भाग समाए। दोनों की नाप होमेर के हिसाब से होनी चाहिए। 12 एक शेकेल*+ 20 गेरा* का होना चाहिए। और 20 शेकेल, 25 शेकेल और 15 शेकेल को मिलाकर एक मानेह* होगा।’
13 ‘तुम्हें भेंट में यह सब देना चाहिए: हर होमेर गेहूँ में से एपा का छठा भाग और हर होमेर जौ में से एपा का छठा भाग। 14 तुम्हें तेल का जो तय हिस्सा देना है, वह बत के हिसाब से नापकर दिया जाए। बत, कोर* का दसवाँ भाग है। बत, होमेर का भी दसवाँ भाग है क्योंकि दस बत से एक होमेर बनता है। 15 और इसराएल के जानवरों के झुंड में से हर 200 भेड़ों में से एक भेड़ देना। ये सारी भेंट अनाज के चढ़ावे,+ पूरी होम-बलि+ और शांति-बलियों+ के लिए होगी ताकि लोगों के लिए प्रायश्चित किया जा सके।’+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
16 ‘देश के सभी लोग इसराएल के प्रधान को यह भेंट दिया करेंगे।+ 17 लेकिन प्रधान इस बात के लिए ज़िम्मेदार होगा कि त्योहारों और नए चाँद के मौकों पर, सब्तों+ और इसराएल के घराने के लिए तय किए गए सारे त्योहारों के दौरान पूरी होम-बलियाँ,+ अनाज का चढ़ावा+ और अर्घ दिया जाए।+ उसी को पाप-बलि, अनाज के चढ़ावे, पूरी होम-बलि और शांति-बलियों का इंतज़ाम करना होगा ताकि इसराएल के घराने के लिए प्रायश्चित किया जा सके।’
18 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘पहले महीने के पहले दिन तुम झुंड में से ऐसा बैल लेना, जिसमें कोई दोष न हो और उसकी बलि चढ़ाकर पवित्र-स्थान से पाप दूर करना और उसे शुद्ध करना।+ 19 याजक पाप-बलि का थोड़ा खून लेकर मंदिर के फाटक की चौखट पर,+ वेदी के कगार के चारों कोनों पर और भीतरी आँगन के दरवाज़े के खंभे पर लगाएगा। 20 ऐसा तुम महीने के सातवें दिन भी करना क्योंकि हो सकता है कोई अनजाने में या गलती से पाप कर बैठा हो।+ तुम्हें मंदिर के लिए प्रायश्चित करना होगा।+
21 पहले महीने के 14वें दिन तुम फसह का त्योहार मनाओगे।+ सात दिन तक तुम्हें बिन-खमीर की रोटी खानी चाहिए।+ 22 उस दिन प्रधान अपनी खातिर और देश के सभी लोगों की खातिर पाप-बलि के लिए एक बैल का इंतज़ाम करेगा।+ 23 सात दिन के त्योहार में वह यहोवा को पूरी होम-बलि चढ़ाने के लिए ऐसे सात बैलों और सात मेढ़ों का इंतज़ाम करेगा जिनमें कोई दोष न हो।+ साथ ही, वह पाप-बलि के लिए सात बकरों का भी इंतज़ाम करेगा। हर दिन एक-एक बैल, मेढ़े और बकरे की बलि की जाएगी। 24 उसे हर बैल और मेढ़े के साथ एक-एक एपा अनाज का चढ़ावा और हर एपा के साथ एक हीन* तेल का इंतज़ाम करना चाहिए।
25 सातवें महीने के 15वें दिन से शुरू होनेवाले सात दिन के त्योहार के दौरान+ भी उसे वैसी ही पाप-बलि, पूरी होम-बलि, अनाज के चढ़ावे और तेल का इंतज़ाम करना चाहिए।’”
46 “सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘भीतरी आँगन के पूरब का दरवाज़ा+ काम-काज के छ: दिन+ बंद रखा जाए।+ मगर सब्त के दिन और नए चाँद के दिन उसे खोला जाए। 2 प्रधान दरवाज़े के बरामदे से होकर आएगा+ और दरवाज़े के खंभे के पास खड़ा होगा। याजक उसकी दी हुई पूरी होम-बलि और शांति-बलियाँ अर्पित करेंगे और प्रधान दरवाज़े की दहलीज़ पर झुककर दंडवत करेगा और फिर बाहर चला जाएगा। मगर इस दरवाज़े को शाम से पहले बंद नहीं करना चाहिए। 3 सब्त और नए चाँद के दिन उस दरवाज़े के प्रवेश के पास देश के लोग भी यहोवा के सामने झुककर दंडवत करेंगे।+
4 सब्त के दिन प्रधान, यहोवा को जो पूरी होम-बलि अर्पित करेगा, वह छ: नर मेम्नों और एक मेढ़े की होनी चाहिए जिनमें कोई दोष न हो।+ 5 वह मेढ़े के साथ एपा-भर* अनाज का चढ़ावा देगा और नर मेम्नों के साथ अनाज का उतना चढ़ावा देगा जितना वह दे सकता है। और वह हर एपा चढ़ावे के साथ एक हीन* तेल देगा।+ 6 नए चाँद के दिन वह झुंड में से एक बैल, छ: नर मेम्ने और एक मेढ़ा अर्पित करेगा। इन जानवरों में कोई दोष नहीं होना चाहिए।+ 7 उसे बैल और मेढ़े के साथ एक-एक एपा अनाज का चढ़ावा देना होगा और नर मेम्नों के साथ वह अनाज का उतना चढ़ावा देगा जितना वह दे सकता है। उसे हर एपा चढ़ावे के साथ एक हीन तेल देना होगा।
8 जब-जब प्रधान को आना होता है, उसे दरवाज़े के बरामदे से होकर आना चाहिए और उसी रास्ते से वापस बाहर जाना चाहिए।+ 9 और जब देश के लोग त्योहारों के दौरान यहोवा की उपासना करने उसके सामने आते हैं,+ तो उत्तरी दरवाज़े+ से अंदर आनेवालों को दक्षिणी दरवाज़े से बाहर जाना चाहिए+ और दक्षिणी दरवाज़े से आनेवालों को उत्तरी दरवाज़े से बाहर जाना चाहिए। किसी को भी उस दरवाज़े से वापस नहीं जाना चाहिए जिससे वह अंदर आता है। लोग जिस दरवाज़े से अंदर आते हैं, उसके सामनेवाले दरवाज़े से उन्हें बाहर जाना चाहिए। 10 और लोगों के बीच जो प्रधान है, उसे तब अंदर आना चाहिए जब लोग अंदर आते हैं और तब बाहर जाना चाहिए जब वे बाहर जाते हैं। 11 त्योहारों और ठहराए गए खास दिनों पर उसे बैल और मेढ़े के साथ एक-एक एपा अनाज का चढ़ावा देना चाहिए और नर मेम्नों के साथ अनाज का उतना चढ़ावा देना चाहिए जितना वह दे सकता है। और उसे हर एपा चढ़ावे के साथ एक हीन तेल देना चाहिए।+
12 अगर प्रधान यहोवा को पूरी होम-बलि+ या शांति-बलियों की स्वेच्छा-बलि देना चाहता है, तो उसके लिए पूरब का दरवाज़ा खोला जाएगा। वह पूरी होम-बलि और शांति-बलियाँ उसी तरह लाकर देगा जैसे वह सब्त के दिन बलियाँ लाकर देता है।+ जब वह बाहर चला जाएगा तो दरवाज़ा बंद कर दिया जाए।+
13 तू हर दिन यहोवा को पूरी होम-बलि चढ़ाने के लिए ऐसा नर मेम्ना देना, जो एक साल का हो और जिसमें कोई दोष न हो।+ ऐसा तू हर सुबह करना। 14 हर सुबह इस होम-बलि के साथ तू अनाज के चढ़ावे के लिए एपा का छठा हिस्सा मैदा और मैदे पर छिड़कने के लिए एक-तिहाई हीन तेल देना। यह नियमित तौर पर यहोवा को दिया जानेवाला अनाज का चढ़ावा है। यह नियम सदा तक लागू रहेगा। 15 इस तरह उन्हें हर सुबह नियमित तौर पर पूरी होम-बलि के लिए नर मेम्ना, अनाज का चढ़ावा और तेल देना चाहिए।’
16 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘अगर प्रधान अपने बेटों में से हरेक को तोहफे में ज़मीन देता है कि वह उनकी विरासत बन जाए, तो वह ज़मीन उसके बेटों की हो जाएगी। वह ज़मीन उनकी जागीर बन जाएगी जो उन्हें विरासत में मिलती है। 17 लेकिन अगर वह अपने किसी दास को अपनी विरासत में से कुछ ज़मीन तोहफे में देता है, तो वह ज़मीन छुटकारे के साल तक दास की रहेगी।+ इसके बाद वह ज़मीन वापस प्रधान की हो जाएगी। सिर्फ उसके बेटों को दी गयी विरासत की ज़मीन हमेशा के लिए उनकी हो जाएगी। 18 प्रधान लोगों को उनकी विरासत की किसी ज़मीन से ज़बरदस्ती न निकाले और उनकी ज़मीन न हड़पे। उसे सिर्फ अपनी ज़मीन में से अपने बेटों को विरासत देनी चाहिए ताकि मेरे लोगों में से किसी को ज़बरदस्ती उसकी ज़मीन से न निकाला जाए।’”
19 इसके बाद वह मुझे उस दरवाज़े के पासवाले प्रवेश से ले आया+ जो उत्तर में याजकों के भोजन के पवित्र कमरों* की तरफ जाता है।+ वहाँ मैंने पीछे पश्चिम की तरफ एक जगह देखी। 20 उसने मुझे बताया, “यह वह जगह है जहाँ याजक दोष-बलि और पाप-बलि का गोश्त उबालेंगे और अनाज के चढ़ावे की रोटियाँ सेंकेंगे।+ वे इसी जगह पर यह सब पकाएँगे ताकि उन्हें कोई भी चीज़ बाहरी आँगन में न ले जानी पड़े और वे लोगों को पवित्र न करें।”+
21 फिर वह मुझे बाहरी आँगन में ले गया और उसने मुझे आँगन के चारों कोनों में घुमाया। मैंने हर कोने में एक छोटा आँगन देखा। 22 चारों कोनों में चार छोटे आँगन थे। ये आँगन 40 हाथ* लंबे और 30 हाथ चौड़े थे। चारों आँगन एक ही नाप के थे। 23 इन आँगनों में चारों तरफ कगार बने थे* और कगारों के नीचे चढ़ावे की चीज़ें पकाने की जगह बनी थीं। 24 फिर उसने मुझे बताया, “इन जगहों में मंदिर के सेवक लोगों की दी हुई बलिदान की चीज़ें पकाते हैं।”+
47 इसके बाद वह मुझे वापस मंदिर के प्रवेश पर ले गया।+ वहाँ मैंने देखा कि मंदिर की दहलीज़ के नीचे से पानी की एक धारा बहती हुई पूरब की तरफ जा रही है,+ क्योंकि मंदिर के आगे का हिस्सा पूरब की तरफ था। पानी की यह धारा मंदिर की दहलीज़ के नीचे से दायीं तरफ और वेदी के दक्षिण की तरफ बह रही थी।
2 फिर वह मुझे उत्तरी दरवाज़े से बाहर ले गया+ और घुमाकर पूरबवाले बाहरी दरवाज़े पर ले आया।+ मैंने देखा कि दरवाज़े के दायीं तरफ पानी की धारा हलकी-हलकी बह रही है।
3 वह आदमी हाथ में एक नापने की डोरी लिए पूरब की तरफ जाने लगा+ और उसने पूरब के दरवाज़े से 1,000 हाथ* की दूरी तक पानी की धारा नापी। फिर उसने मुझे पानी की धारा पार करने को कहा। वहाँ पानी टखनों तक था।
4 फिर उसने 1,000 हाथ की दूरी और नापी और मुझे पानी की धारा पार करने को कहा। वहाँ पानी घुटनों तक गहरा था।
उसने 1,000 हाथ की दूरी और नापी और मुझे पानी की धारा पार करने को कहा। वहाँ पानी कमर तक गहरा था।
5 उसने 1,000 हाथ की दूरी और नापी। वहाँ पानी बढ़कर नदी बन गया था जिसे मैं पैदल पार नहीं कर सका। नदी इतनी गहरी थी कि उसे तैरकर ही पार किया जा सकता था। वह ऐसी नदी थी जिसे चलकर पार नहीं किया जा सकता था।
6 उसने मुझसे पूछा, “इंसान के बेटे, क्या तू यह सब देख रहा है?”
फिर वह मुझे पैदल चलाकर वापस नदी किनारे ले आया। 7 वापस लौटने पर मैंने देखा कि नदी किनारे दोनों तरफ बहुत सारे पेड़ हैं।+ 8 फिर उसने मुझे बताया, “नदी का यह पानी पूरब के इलाके की तरफ बहता है और फिर अराबा*+ से होता हुआ समुंदर में जा मिलता है। जब यह पानी समुंदर में जा मिलेगा+ तो उसका पानी मीठा* हो जाएगा। 9 अब उसका पानी जहाँ भी बहेगा वह समुद्री जीवों के झुंडों से भर जाएगा। वहाँ मछलियों की भरमार होगी क्योंकि वहाँ यह पानी बहेगा। समुंदर का पानी मीठा* हो जाएगा और जहाँ कहीं उसका पानी बहेगा, वहाँ हर तरह का समुद्री जीव ज़िंदा रह पाएगा।
10 एनगदी+ से लेकर ऐन-एग्लैम तक समुंदर किनारे मछुवारे खड़े रहेंगे, जहाँ बड़े-बड़े जाल सुखाने की जगह होगी। वहाँ तरह-तरह की मछलियों की भरमार होगी, जैसे महासागर*+ में होती है।
11 इसके पास कुछ जगह दलदली और कीचड़ से भरी होंगी। उनका पानी बदलकर मीठा* नहीं होगा, वह खारा ही रहेगा।+
12 नदी किनारे दोनों तरफ हर तरह के फलदार पेड़ उगेंगे। उनके पत्ते कभी नहीं मुरझाएँगे और उनका फलना कभी बंद नहीं होगा। वे हर महीने नए फल देंगे क्योंकि वे पवित्र-स्थान से निकलनेवाले पानी से सींचे जाते हैं।+ उनके फल खाने के लिए होंगे और पत्ते रोग दूर करने के काम आएँगे।”+
13 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “तुम देश का यह इलाका इसराएल के 12 गोत्रों को विरासत में बाँटोगे और यूसुफ को दो हिस्से मिलेंगे।+ 14 तुम यह इलाका विरासत में पाओगे और हर किसी को बराबर हिस्सा मिलेगा।* मैंने तुम्हारे पुरखों से शपथ खाकर कहा था कि यह देश उन्हें दिया जाएगा+ और अब तुम्हें विरासत में यह दिया जा रहा है।
15 देश की उत्तरी सरहद यह है: महासागर से लेकर हेतलोन की तरफ जानेवाले रास्ते+ से होते हुए सदाद+ तक और 16 सदाद से हमात+ तक और हमात से बेरोता+ तक और बेरोता से सिबरैम तक जो दमिश्क और हमात के इलाकों के बीच है और सिबरैम से हासेर-हत्तीकोन तक जो हौरान+ की सरहद के पास है। 17 इस तरह सरहद सागर से हसर-एनोन+ तक होगी। यह सरहद दमिश्क की सरहद के साथ-साथ आगे उत्तर तक और हमात की सरहद तक होगी।+ यह उत्तरी सरहद है।
18 पूरब की सरहद हौरान और दमिश्क के इलाकों के बीच है। यह यरदन नदी के किनारे-किनारे जाती है, जो गिलाद+ और इसराएल देश के बीच है। तुम सरहद* से लेकर पूर्वी सागर* तक नापना। यह पूर्वी सरहद है।
19 दक्षिणी सरहद तामार से मरीबोत-कादेश के सोतों+ तक, फिर घाटी* तक और महासागर तक होगी।+ यह दक्षिणी सरहद है।
20 पश्चिम में महासागर है और दक्षिणी सरहद से उस जगह तक पश्चिमी सरहद है जिसके सामने लेबो-हमात*+ है। यह पश्चिमी सरहद है।”
21 “तुम यह देश आपस में यानी इसराएल के 12 गोत्रों में बाँटना। 22 तुम विरासत में इसकी ज़मीन अपने लोगों में और अपने बीच रहनेवाले उन परदेसियों में बाँटना जिनके बच्चे तुम्हारे देश में पैदा हुए हैं। परदेसी भी तुम्हारी तरह पैदाइशी इसराएली माने जाएँगे। उन्हें भी तुम्हारे इसराएली गोत्रों के बीच विरासत की ज़मीन मिलेगी। 23 तुम हर परदेसी को विरासत की ज़मीन उस गोत्र के इलाके में देना जहाँ वह रहता है।” सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
48 “ये गोत्रों के नाम हैं जो उत्तरी छोर से शुरू होते हैं: दान का हिस्सा+ हेतलोन जानेवाले रास्ते से लेबो-हमात*+ तक, लेबो-हमात से हसर-एनान तक और दमिश्क की सरहद के किनारे-किनारे उत्तर की तरफ और हमात के पास+ तक फैला होगा। दान का हिस्सा पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 2 आशेर का हिस्सा+ दान के दक्षिण में होगा। यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 3 नप्ताली का हिस्सा+ आशेर के दक्षिण में होगा। यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 4 मनश्शे का हिस्सा+ नप्ताली के दक्षिण में होगा। यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 5 एप्रैम का हिस्सा मनश्शे के दक्षिण में होगा।+ यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 6 रूबेन का हिस्सा एप्रैम के दक्षिण में होगा।+ यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 7 यहूदा का हिस्सा रूबेन के दक्षिण में होगा।+ यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 8 तुम यहूदा के दक्षिण में, 25,000 हाथ* चौड़ी ज़मीन भेंट के लिए अलग रखना।+ यह टुकड़ा जिस ज़मीन में होगा, उसकी लंबाई पूरब से पश्चिम तक दूसरे गोत्रों की ज़मीन की लंबाई के बराबर होगी। भेंट की ज़मीन के बीचों-बीच पवित्र-स्थान होगा।
9 तुम्हें यहोवा को भेंट करने के लिए जो ज़मीन अलग रखनी है, उसकी लंबाई 25,000 हाथ और चौड़ाई 10,000 हाथ होगी। 10 पवित्र भेंट की यह ज़मीन याजकों के लिए होगी।+ उसकी लंबाई उत्तर में 25,000 हाथ और दक्षिण में 25,000 हाथ होगी और चौड़ाई पूरब में 10,000 हाथ और पश्चिम में 10,000 हाथ होगी। यहोवा का पवित्र-स्थान इस ज़मीन के बीचों-बीच होगा। 11 यह ज़मीन सादोक वंश के याजकों के लिए होगी जिन्हें पवित्र ठहराया गया है,+ क्योंकि मेरी तरफ उनकी जो ज़िम्मेदारी बनती है, वह उन्होंने पूरी की और जब बाकी इसराएली और लेवी मेरी राह से फिरकर दूर चले गए, तब ये याजक मुझसे दूर नहीं गए।+ 12 उन्हें भेंट की गयी उस ज़मीन में हिस्सा मिलेगा जिसे अलग किया गया है और जो बहुत पवित्र है। उनका हिस्सा लेवियों के हिस्से के दक्षिण में होगा।
13 याजकों के इलाके के बिलकुल पास लेवियों का हिस्सा होगा। उनकी ज़मीन की लंबाई 25,000 हाथ और चौड़ाई 10,000 हाथ होगी। (ज़मीन की पूरी लंबाई 25,000 हाथ और चौड़ाई 10,000 हाथ होगी।) 14 देश की सबसे बढ़िया ज़मीन में से यह जो हिस्सा लेवियों को दिया जाएगा, उन्हें उसका कोई भी टुकड़ा न तो बेचना चाहिए, न किसी से अदला-बदली करनी चाहिए और न ही किसी के नाम करना चाहिए क्योंकि यह ज़मीन यहोवा की नज़र में पवित्र है।
15 बाकी ज़मीन, जो 5,000 हाथ चौड़ी और 25,000 हाथ लंबी सीमा से लगी है, शहर के आम इस्तेमाल के लिए होगी।+ उसमें घर और चरागाह होंगे। और उस ज़मीन के बीचों-बीच शहर होगा।+ 16 शहर की नाप यह होगी: उत्तरी सीमा 4,500 हाथ, दक्षिणी सीमा 4,500 हाथ, पूर्वी सीमा 4,500 हाथ और पश्चिमी सीमा 4,500 हाथ होगी। 17 शहर की चराई की ज़मीन उत्तर में 250 हाथ, दक्षिण में 250 हाथ, पूरब में 250 हाथ और पश्चिम में 250 हाथ चौड़ी होगी।
18 बाकी ज़मीन की लंबाई पवित्र भेंट की ज़मीन की लंबाई के बराबर होगी,+ पूरब की तरफ 10,000 हाथ और पश्चिम की तरफ 10,000 हाथ। यह ज़मीन पवित्र भेंट की ज़मीन के बराबर होगी और इस ज़मीन की उपज शहर में सेवा करनेवालों के खाने के लिए होगी। 19 शहर में सेवा करनेवाले सब गोत्रों के लोग इस ज़मीन पर जुताई-बोआई करेंगे।+
20 भेंट की पूरी ज़मीन चौकोर होगी और उसकी लंबाई 25,000 हाथ और चौड़ाई 25,000 हाथ होगी। तुम यह ज़मीन पवित्र भेंट और शहर के लिए अलग रखना।
21 पवित्र भेंट की ज़मीन और शहर की ज़मीन के दोनों तरफ जो ज़मीन बचेगी वह प्रधान की होगी।+ यह ज़मीन, 25,000 हाथ लंबी पवित्र भेंट की ज़मीन के पूरब और पश्चिम में होगी। यह ज़मीन आस-पास के दोनों गोत्रों की ज़मीन के बराबर में होगी और यह प्रधान के लिए होगी। पवित्र भेंट की ज़मीन और मंदिर का पवित्र-स्थान इस ज़मीन के बीचों-बीच होंगे।
22 लेवियों की ज़मीन और शहर की ज़मीन, प्रधान की ज़मीन के बीच होगी। प्रधान का इलाका, यहूदा की सरहद+ और बिन्यामीन की सरहद के बीच होगा।
23 बाकी गोत्रों की ज़मीन का बँटवारा इस तरह किया जाएगा: बिन्यामीन का हिस्सा पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा।+ 24 शिमोन का हिस्सा बिन्यामीन के दक्षिण में होगा।+ यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 25 इस्साकार का हिस्सा+ शिमोन के दक्षिण में होगा। यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 26 जबूलून का हिस्सा इस्साकार के दक्षिण में होगा।+ यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा।+ 27 गाद का हिस्सा जबूलून के दक्षिण में होगा।+ यह पूर्वी सरहद से पश्चिमी सरहद तक होगा। 28 दक्षिणी सरहद, जो गाद की सरहद से लगी हुई है, तामार+ से लेकर मरीबोत-कादेश के सोतों+ तक, फिर वहाँ से घाटी*+ तक और वहाँ से महासागर* तक होगी।
29 यही वह देश है जिसे तुम इसराएल के गोत्रों को विरासत में बाँटना+ और ये उनके हिस्से होंगे।”+ सारे जहान के मालिक यहोवा का यह ऐलान है।
30 “शहर से निकलने के लिए ये रास्ते होंगे: उत्तरी सीमा 4,500 हाथ लंबी होगी।+
31 शहर के फाटकों के नाम इसराएल के गोत्रों के नाम पर रखे जाएँगे। उत्तर में तीन फाटक होंगे, एक रूबेन का, एक यहूदा का और एक लेवी का।
32 पूर्वी सीमा 4,500 हाथ लंबी होगी और उस सीमा पर तीन फाटक होंगे, एक यूसुफ का, एक बिन्यामीन का और एक दान का।
33 दक्षिणी सीमा 4,500 हाथ लंबी होगी और उस सीमा पर तीन फाटक होंगे, एक शिमोन का, एक इस्साकार का और एक जबूलून का।
34 पश्चिमी सीमा 4,500 हाथ लंबी होगी और उस सीमा पर तीन फाटक होंगे, एक गाद का, एक आशेर का और एक नप्ताली का।
35 शहर की चारों सीमाओं की कुल नाप 18,000 हाथ होगी। उस दिन से शहर का नाम होगा, ‘यहोवा वहाँ है।’”+
मतलब “परमेश्वर मज़बूत करता है।”
या “बिजली।”
शायद एक ही आकार के दो पहिए समकोण में इस तरह जोड़े गए थे कि उनकी धुरी ऊपर और नीचे एक ही सीध में थी।
या शायद, “सीधे फैले हुए थे।”
‘इंसान का बेटा,’ ये शब्द इस किताब में 93 बार आए हैं जिनमें से यह पहली बार है।
या “सख्त चेहरेवाले।”
या शायद, “कि लोग ढीठ हैं और चुभनेवाली चीज़ों की तरह हैं।”
या “किताब का एक खर्रा।”
शा., “जो तुझे मिला है उसे खा ले।”
शा., “मैंने तेरा चेहरा उनके चेहरे जितना कठोर और तेरा माथा उनके माथे जितना सख्त बना दिया है।”
शा., “अपने लोगों के बेटों।”
यहाँ इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द का मतलब पवित्र शक्ति या कोई स्वर्गदूत हो सकता है।
यहाँ इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द का मतलब पवित्र शक्ति या कोई स्वर्गदूत हो सकता है।
या “उसके खून के लिए मैं तुझे ज़िम्मेदार ठहराऊँगा।”
या “अन्याय करता है।”
या “उसके खून के लिए मैं तुझे ज़िम्मेदार ठहराऊँगा।”
शा., “उस पर” यानी यहेजकेल के बायीं तरफ।
करीब 230 ग्रा. अति. ख14 देखें।
करीब 0.6 ली. अति. ख14 देखें।
या “घिनौना।”
शा., “रोटी के छड़ तोड़ दूँगा।” शायद यहाँ रोटी लटकानेवाले छड़ों की बात की गयी है।
या “घटा।”
या “बीमारी।”
शा., “तुम्हारी रोटी के छड़ तोड़ दूँगा।” शायद यहाँ रोटी लटकानेवाले छड़ों की बात की गयी है।
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “अनैतिक; नीच।”
या “अनैतिक होकर।”
या “मनभावनी सुगंध चढ़ाते थे।”
शा., “यह तुम्हारे खिलाफ जागा है।”
या शायद, “माला।”
या शायद, “माला।”
यानी न जायदाद खरीदनेवालों को फायदा होगा न ही बेचनेवालों को, क्योंकि सबका नाश हो जाएगा।
या शायद, “और गलत काम करके।”
यानी डर के मारे पेशाब निकल जाएगा।
यानी मातम की वजह से उनका सिर मुँड़ा दिया जाएगा।
यानी उनका सोना-चाँदी।
यानी सोने-चाँदी की उनकी चीज़ें।
यानी उनका सोना-चाँदी जिनसे उन्होंने मूरतें बनायीं।
यानी दुश्मन।
ज़ाहिर है कि यह यहोवा के पवित्र-स्थान का भीतरी कमरा है।
यानी गुलामी की ज़ंजीरें।
या “हिदायत।”
या “तबाही।”
यहाँ बँधुआई में यहेजकेल के छठे साल की बात की गयी है।
यहाँ इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द का मतलब पवित्र शक्ति या कोई स्वर्गदूत हो सकता है।
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “कि वे गढ़ी हुई मूरतोंवाले भीतरी कमरों में क्या कर रहे हैं?”
ज़ाहिर है कि यह मूर्तिपूजा में इस्तेमाल की जानेवाली डाली है।
या “शास्त्री की दवात।”
यानी हर करूब।
या “इंसान।”
यहाँ इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द का मतलब पवित्र शक्ति या कोई स्वर्गदूत हो सकता है।
या “के खिलाफ।”
यानी यरूशलेम शहर। यहूदियों ने सोचा कि वे वहाँ महफूज़ रहेंगे।
या “चौड़े मुँहवाला हंडा।”
शा., “एक दिल दूँगा।”
यानी ऐसा दिल जो परमेश्वर का मार्गदर्शन मानने को तैयार होगा।
यहाँ इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द का मतलब पवित्र शक्ति या कोई स्वर्गदूत हो सकता है।
या “छल से भरी।”
शा., “घराने।”
या “जो अपने ही मन से भविष्यवाणी करते हैं।”
यानी अंदर एक कमज़ोर दीवार बनाते हैं और उस पर सफेदी करके उसे मज़बूत दिखाने की कोशिश करते हैं।
या “दर्द।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
शा., “इसराएल के घराने के दिलों को अपने कब्ज़े में कर लूँगा।”
शा., “तुम्हारी रोटी के छड़ तोड़ दूँगा।” शायद यहाँ रोटी लटकानेवाले छड़ों की बात की गयी है।
या “वे देश के बच्चों को मारकर उससे छीन लेंगे।”
या “सील मछली की खाल से बनी।”
या “शाही ओहदे।”
या “परिपूर्ण।”
शा., “नाम।”
या “सजावट की चीज़ें दी थीं।”
या “उनसे वेश्याओं जैसी बदचलनी की।”
यानी आदमियों की मूरतों को।
या “कमज़ोर।”
या शायद, “मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आ रहा है।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “तेरी सजावट की चीज़ें।”
मुमकिन है कि यहाँ आस-पास के नगरों की बात की गयी है।
शा., “बायीं तरफ।”
शा., “दायीं तरफ।”
या “उसकी वकालत की है।”
शा., “तेरी खातिर प्रायश्चित करूँगा।”
यानी नबूकदनेस्सर।
यानी सिदकियाह।
शब्दावली में “जीवन” देखें।
शब्दावली में “जीवन” देखें।
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
शब्दावली में “जीवन” देखें।
शा., “अपराध को याद नहीं किया जाएगा।”
या “अन्याय करता है।”
या शायद, “तेरे अंगूरों के बाग में एक बेल जैसी थी।”
या “डंडे।”
या “डंडों।”
या “उन्हें फैसला सुनाने।”
या “जासूसी करके।”
या “सरताज।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
यानी इसराएल को।
यानी इसराएल।
यानी इसराएल को।
या “सरताज।”
शा., “मेरी आँख ने।”
यानी इसराएल को।
शा., “मूरतों पर उनकी आँखें लगी थीं।”
या “जाकर वेश्याओं जैसी बदचलनी।”
या “की सेवा करते हैं।”
शा., “अपनी सूरत से।”
या “कहावतें कहता है।”
शा., “तेरी कमर।”
यानी डर के मारे पेशाब निकल जाएगा।
यानी यहोवा की तलवार।
या “राजदंड।”
शा., “कुल देवताओं।”
यानी यरूशलेम के निवासियों।
शा., “घात किए हुओं की गरदन।”
शा., “का न्याय करेगा, उसका न्याय करेगा।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
शा., “अपने पिता का तन उघाड़ता है।”
शा., “तेरा दिल सह पाएगा।”
मतलब “उसका तंबू।”
मतलब “मेरा तंबू उसमें है।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “नाजायज़ संबंध रखकर।”
ये ढालें अकसर तीरंदाज़ ढोते थे।
या “सजावट की चीज़ें।”
शा., “मदहोशी और दुख से भर जाएगी।”
यानी परमेश्वर से विश्वासघात किया है।
या “मूरतों के साथ व्यभिचार किया।”
या “एक रूपक कथा।”
या “चौड़े मुँहवाले हंडे।”
या “छाती मत पीटना।”
या “अपने ऊपर का होंठ।”
या “दीवारों से घिरी छावनियाँ।”
या “पैर पटकने लगे।”
या “सरताज।”
शा., “बेटियों।”
शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।
या “हमला करने के अपने यंत्र।”
या “तलवारों।”
शा., “घात किए हुए लोग।”
या “प्रधान।”
या “बिन आस्तीन के चोगे।”
शा., “थरथराहट के कपड़े पहनेंगे।”
या “कब्र।”
या “को सजाऊँगा।”
या “परिपूर्ण।”
या “परिपूर्ण।”
शा., “बूढ़े आदमी।”
या “परिपूर्ण।”
या “लाल-भूरे रंग की ऊन।”
यह दालचीनी की जाति का एक पेड़ है।
एक खुशबूदार नरकट।
या “बुने हुए कपड़ों से तैयार की गयी पोशाकों।”
या शायद, “और शानदार लगता था।”
या “कब्र।”
शा., “तूने नमूने पर मुहर लगा दी थी।”
यहाँ और आगे की आयतों में “नील” का मतलब है नील नदी और उसकी नहरें।
शा., “एक नरकट।”
शा., “कमर।”
शा., “उसने।”
शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।
शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।
यानी सोर।
या “इसराएल के घराने को ताकत दूँगा।”
या “दूसरे राष्ट्रों के सब लोग।”
शायद यहाँ मिस्र से संधि करनेवाले इसराएलियों की बात की गयी है।
शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “मेम्फिस।”
या “प्रधान।”
यानी थीबीज़।
या “मेम्फिस।”
यानी हीलिओ-पोलिस।
या “राजा की ताकत बढ़ाऊँगा।”
यानी बैबिलोन के राजा के सामने।
शा., “तू।”
या “कब्र।”
या “कब्र।”
शा., “बाज़ू।”
शा., “उनकी नदियों।”
शा., “नदियों के तल तुझसे (या तेरे साथ) भर जाएँगे।”
शायद यह 12वाँ महीना था। आय. 1 से मिलाकर देखें।
या “कब्र।”
या “कब्र।”
शा., “जीवितों के देश।”
शा., “जीवितों के देश।”
या “कब्र।”
शा., “जीवितों के देश।”
या “कब्र।”
शा., “उसकी।”
शा., “जीवितों के देश।”
शायद इसका यह मतलब है कि योद्धाओं को सम्मान देकर उनकी तलवारों के साथ दफनाया जाएगा।
शा., “जीवितों के देश।”
या “कब्र।”
या “अगुवे।”
या “कब्र।”
शा., “जीवितों के देश।”
या “के लिए मैं पहरेदार को ज़िम्मेदार ठहराऊँगा।”
या “अन्याय।”
शा., “को याद नहीं किया जाएगा।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “तो काम-वासना से भरी बातें करेंगे।”
या “मैं उनसे अपनी भेड़ें वापस माँगूँगा।”
या “की देखभाल करने।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
यानी ऐसा दिल जो परमेश्वर का मार्गदर्शन मानने को तैयार होगा।
या शायद, “जैसे त्योहार के वक्त यरूशलेम में बलि के लिए भेड़ों का झुंड होता है।”
या “साँस।”
या “साझेदार।”
या “उसका साझेदार।”
शा., “तेरे लोगों के बेटे।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
शा., “बेटे।”
या “हाकिम।”
या “निवास-स्थान; घर।”
या “उनके ऊपर तना रहेगा।”
या “का प्रधान हाकिम।”
या “प्रधान हाकिम।”
ये ढालें अकसर तीरंदाज़ ढोते थे।
या “तुझे बुलाया जाएगा।”
या “जो खुली बस्तियों का देश है।”
या “जवान शेर।”
या “उससे मुकदमा लड़ूँगा।”
या “प्रधान हाकिम।”
ये ढालें अकसर तीरंदाज़ ढोते थे।
या शायद, “भालों।”
या “गोग की भीड़ की घाटी।”
मतलब “भीड़।”
शा., “अपना हाथ दिखाया।”
यानी यरूशलेम।
अति. ख14 देखें।
शा., “भवन।” अध्याय 40-48 में जहाँ-जहाँ “भवन” का मतलब मंदिर या मंदिर और उसके आस-पास की इमारतें हैं वहाँ “मंदिर” लिखा है।
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
यह दरवाज़ा एक बड़ी इमारत था जिसमें कई खाने थे।
शायद यह पहरेदार के खाने की दीवार का ऊपरी हिस्सा है।
या “खंभों के लिए ढलाननुमा खिड़कियाँ थीं।”
या “वहाँ खाने देखे।”
यानी भीतरी आँगन का उत्तरी दरवाज़ा।
या शायद, “12.”
शा., “मंदिर।” अध्याय 41 और 42 में इस शब्द का मतलब है, पवित्र-स्थान का बाहरी कमरा (यानी पवित्र भाग) या पूरा पवित्र-स्थान (यानी मंदिर जिसमें पवित्र और परम-पवित्र भाग शामिल है)।
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
यानी पवित्र-स्थान के भीतरी कमरे या परम-पवित्र भाग के अंदर।
ज़ाहिर है, यह मंदिर के चारों तरफ आने-जाने का सँकरा रास्ता है।
या “खानों।”
यानी पवित्र-स्थान के पश्चिम की इमारत।
शा., “फाटक की चौखट।” ज़ाहिर है कि यहाँ पवित्र भाग के प्रवेश की बात की गयी है।
ज़ाहिर है कि यह परम-पवित्र भाग है।
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
यूनानी सेप्टुआजेंट के मुताबिक “100 हाथ लंबा।” इब्रानी पाठ में लिखा है, “एक हाथ लंबा रास्ता।” अति. ख14 देखें।
या “खानों।”
शा., “अंदर का भवन।”
अति. ख14 देखें।
या शायद, “वह।”
शा., “भवन।”
यहाँ इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द का मतलब पवित्र शक्ति या कोई स्वर्गदूत हो सकता है।
या “राजा वेश्याओं जैसी बदचलनी करके।”
या “वे वेश्याओं जैसी बदचलनी करना बंद करें।”
शा., “का नमूना नापें।”
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
करीब 22.2 सें.मी. (8.75 इंच)। अति. ख14 देखें।
या “जो परिपूर्ण हों।”
यानी लोगों की।
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “खानों।”
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
या “उसकी सारी सरहदों के अंदर की जगह।”
शा., “500 बटे 500.”
या “खाने।”
अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
या “मीना।” अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
अति. ख14 देखें।
या “खानों।”
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
या “कतारें बनी थीं।”
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
या “वीराने।”
शा., “स्वस्थ।”
शा., “स्वस्थ।”
यानी भूमध्य सागर।
शा., “स्वस्थ।”
शा., “तुममें से हरेक अपने भाई की तरह यह इलाका विरासत में पाएगा।”
यानी उत्तरी सरहद।
यानी मृत सागर।
यानी मिस्र घाटी।
या “हमात का प्रवेश।”
या “हमात के प्रवेश।”
यह लंबे हाथ का माप है। अति. ख14 देखें।
यानी मिस्र घाटी।
यानी भूमध्य सागर।