लैव्यव्यवस्था
1 और यहोवा ने मूसा को बुलाया और भेंट के तंबू में से उससे बात की।+ उसने मूसा से कहा, 2 “इसराएलियों* से कहना, ‘अगर तुममें से कोई यहोवा के लिए किसी पालतू जानवर की बलि चढ़ाना चाहता है, तो उसे गाय-बैलों या भेड़-बकरियों के झुंड में से कोई जानवर चढ़ाना चाहिए।+
3 अगर वह होम-बलि के लिए गाय-बैलों के झुंड में से कोई जानवर देना चाहता है, तो उसे एक ऐसा बैल चुनना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो।+ उसे बैल को भेंट के तंबू के द्वार के पास लाना चाहिए और यहोवा के सामने अपनी इच्छा से उसे पेश करना चाहिए।+ 4 उसे अपना हाथ होम-बलि के जानवर के सिर पर रखना चाहिए और वह जानवर उसकी तरफ से प्रायश्चित के लिए स्वीकार किया जाएगा।
5 इसके बाद बैल यहोवा के सामने हलाल किया जाए। हारून के बेटे यानी याजक+ बैल का खून पास लाएँगे और उसे वेदी के चारों तरफ छिड़केंगे,+ जो भेंट के तंबू के द्वार के पास है। 6 होम-बलि के इस जानवर की खाल निकाल दी जाए और फिर जानवर के टुकड़े-टुकड़े किए जाएँ।+ 7 इसके बाद हारून के बेटे यानी याजक वेदी पर आग जलाएँ+ और लकड़ियाँ तरतीब से रखें। 8 फिर वे जानवर के टुकड़े, उसका सिर और उसकी चरबी* वेदी की जलती लकड़ियों पर तरतीब से रखें।+ 9 अंतड़ियों और पायों को पानी से धोया जाएगा। फिर याजक इन सारी चीज़ों को होम-बलि के तौर पर वेदी पर जलाए ताकि इनका धुआँ उठे। यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है, जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होता है।+
10 अगर कोई होम-बलि के लिए भेड़-बकरियों के झुंड में से जानवर देना चाहता है,+ तो उसे ऐसा नर मेम्ना या बकरा चुनना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो।+ 11 यह मेम्ना यहोवा के सामने वेदी के उत्तर की तरफ हलाल किया जाए। फिर हारून के बेटे यानी याजक मेम्ने का खून वेदी के चारों तरफ छिड़केंगे।+ 12 वह मेम्ने के टुकड़े-टुकड़े करेगा। फिर याजक ये टुकड़े, साथ ही उसका सिर और उसकी चरबी* वेदी की जलती लकड़ियों पर तरतीब से रखेगा। 13 वह अंतड़ियों और पायों को पानी से धोएगा और याजक इन सारी चीज़ों को वेदी पर रखकर जलाएगा ताकि इनका धुआँ उठे। यह होम-बलि है, आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा, जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होता है।
14 लेकिन अगर कोई यहोवा के लिए चिड़िया की होम-बलि चढ़ाना चाहता है, तो उसे एक फाख्ता या कबूतर का एक बच्चा चढ़ाना चाहिए।+ 15 याजक उसे वेदी के पास ले जाए और उसका गला नोचे और उसे वेदी पर जलाए ताकि उसका धुआँ उठे, मगर उसका खून वेदी के एक तरफ बहा दिया जाए। 16 उसे चिड़िया के गले की थैली और उसके पर निकाल देने चाहिए और वेदी के पास पूरब की तरफ उस जगह फेंक देना चाहिए जहाँ राख* जमा की जाती है।+ 17 फिर उसे चाहिए कि वह चिड़िया को पंखों के पास से चीरे, मगर उसके दो टुकड़े न करे। इसके बाद याजक उसे वेदी की जलती लकड़ियों पर रखकर जलाए ताकि उसका धुआँ उठे। यह होम-बलि है, आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा, जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होता है।
2 अगर कोई यहोवा के लिए अनाज का चढ़ावा अर्पित करना चाहता है,+ तो उसका चढ़ावा मैदे का होना चाहिए। वह मैदे पर तेल डाले और उसके ऊपर लोबान रखे।+ 2 फिर वह अपना चढ़ावा लाकर हारून के बेटों यानी याजकों को देगा। याजक उस चढ़ावे में से मुट्ठी-भर मैदा, तेल और सारा लोबान लेगा और उसे प्रतीक* के तौर पर वेदी पर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे।+ यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है, जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होता है। 3 अनाज के चढ़ावे का बचा हुआ हिस्सा हारून और उसके बेटों का होगा।+ यह आग में जलाकर यहोवा को दिए गए चढ़ावे में से है और बहुत पवित्र है।+
4 अगर तुम तंदूर में पके हुए अनाज का चढ़ावा देना चाहते हो, तो वह चढ़ावा मैदे का होना चाहिए। तुम मैदे को तेल से गूँधकर उससे छल्ले जैसी बिन-खमीर की रोटियाँ बनाकर देना या मैदे से बिन-खमीर की पापड़ियाँ बनाना और उन पर तेल चुपड़कर देना।+
5 अगर तुम तवे पर सेंके हुए अनाज का चढ़ावा देना चाहते हो,+ तो वह चढ़ावा तेल से गुँधे हुए बिन-खमीर के मैदे का बना हो। 6 तुम उसके टुकड़े-टुकड़े करना और फिर उस पर तेल डालना।+ यह अनाज का चढ़ावा है।
7 अगर तुम कड़ाही में तले हुए अनाज का चढ़ावा देना चाहते हो, तो वह चढ़ावा मैदे और तेल का होना चाहिए। 8 इन चीज़ों से बना अनाज का चढ़ावा तुम यहोवा के पास लाना। यह याजक को दिया जाएगा और याजक इसे वेदी के पास लाएगा। 9 याजक उसमें से थोड़ा चढ़ावा लेगा और उसे प्रतीक* के तौर पर वेदी पर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे।+ यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है, जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होता है।+ 10 अनाज के चढ़ावे का बचा हुआ हिस्सा हारून और उसके बेटों का होगा। यह आग में जलाकर यहोवा को दिए गए चढ़ावे में से है और बहुत पवित्र है।+
11 तुम यहोवा के लिए अनाज का जो भी चढ़ावा चढ़ाते हो उसमें कोई खमीरी चीज़ मत मिलाना,+ क्योंकि खमीरे आटे या शहद को आग में जलाकर यहोवा के लिए चढ़ावा चढ़ाना मना है।
12 तुम खमीरे आटे और शहद को पहले फल के चढ़ावे के तौर पर यहोवा के लिए चढ़ा सकते हो।+ मगर ये चीज़ें वेदी पर जलाने के लिए मत लाना, जैसे सुगंध देनेवाला चढ़ावा लाया जाता है।
13 तुम अनाज के हर चढ़ावे में नमक मिलाना। तुम अनाज का चढ़ावा नमक मिलाए बगैर मत चढ़ाना क्योंकि नमक तुम्हें अपने परमेश्वर के करार की याद दिलाता है। तुम अपने हर चढ़ावे के साथ नमक ज़रूर अर्पित करना।+
14 अगर तुम यहोवा के लिए पकी हुई पहली फसल में से अनाज का चढ़ावा देना चाहते हो तो अनाज के नए दाने* लाकर देना। उन दानों को तुम आग में भूनना और दरदरा कूटकर उनका चढ़ावा चढ़ाना। यह पकी हुई पहली फसल में से अनाज का चढ़ावा है।+ 15 तुम उस चढ़ावे पर तेल डालना और उसके ऊपर लोबान रखना। यह अनाज का चढ़ावा है। 16 याजक उस चढ़ावे में से कूटे हुए कुछ दाने और तेल और सारा लोबान लेगा और उसे प्रतीक* के तौर पर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे।+ यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है।
3 अगर कोई शांति-बलि अर्पित करना चाहता है+ और वह मवेशियों में से कोई जानवर देना चाहता है, तो वह चाहे गाय दे या बैल, उसे यहोवा के सामने ऐसा जानवर लाना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो। 2 उसे बलि के जानवर के सिर पर अपना हाथ रखना चाहिए। फिर वह जानवर भेंट के तंबू के द्वार पर हलाल किया जाएगा। हारून के बेटे यानी याजक उसका खून वेदी के चारों तरफ छिड़केंगे। 3 वह शांति-बलि के ये हिस्से आग में जलाकर यहोवा को अर्पित करेगा:+ वह चरबी+ जो अंतड़ियों को ढके रहती है, वह सारी चरबी जो अंतड़ियों के आस-पास होती है, 4 दोनों गुरदे और उनके ऊपर की चरबी यानी कमर के पास की चरबी। वह गुरदों के साथ-साथ कलेजे के आस-पास की चरबी भी निकालकर अलग रखेगा।+ 5 हारून के बेटे इन सारी चीज़ों को वेदी की जलती लकड़ियों पर, होम-बलि के ऊपर रखकर जलाएँगे ताकि इनका धुआँ उठे।+ यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है जिसकी सुगंध पाकर वह खुश होता है।+
6 अगर वह यहोवा के लिए भेड़-बकरियों में से किसी जानवर की शांति-बलि चढ़ाना चाहता है, तो उसे ऐसा नर या मादा जानवर अर्पित करना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो।+ 7 अगर वह एक मेम्ना देना चाहता है, तो उसे अपने मेम्ने को यहोवा के सामने लाना चाहिए। 8 उसे अपने जानवर के सिर पर हाथ रखना चाहिए। फिर वह जानवर भेंट के तंबू के सामने हलाल किया जाएगा। हारून के बेटे उसका खून वेदी के चारों तरफ छिड़केंगे। 9 वह शांति-बलि के जानवर की चरबी आग में जलाकर यहोवा को अर्पित करेगा।+ वह मेम्ने के ये सारे हिस्से अलग करेगा: रीढ़ की हड्डी के पास से उसकी चरबीवाली मोटी पूँछ, वह चरबी जो अंतड़ियों को ढके रहती है, वह सारी चरबी जो अंतड़ियों के आस-पास होती है, 10 दोनों गुरदे और उनके ऊपर की चरबी यानी कमर के पास की चरबी। वह गुरदों के साथ-साथ कलेजे के आस-पास की चरबी भी निकालकर अलग रखेगा।+ 11 फिर याजक इन सारी चीज़ों को वेदी पर जलाएगा जिससे इनका धुआँ उठे। यह यहोवा के लिए भोजन* है जो आग में जलाकर उसे अर्पित किया जाता है।+
12 अगर वह बकरी देना चाहता है, तो उसे अपना जानवर यहोवा के सामने लाना चाहिए। 13 वह बकरी के सिर पर अपना हाथ रखेगा और फिर भेंट के तंबू के सामने जानवर हलाल किया जाएगा। हारून के बेटे उसका खून वेदी के चारों तरफ छिड़केंगे। 14 वह जानवर के ये हिस्से आग में जलाकर यहोवा को अर्पित करेगा: वह चरबी जो अंतड़ियों को ढके रहती है, वह सारी चरबी जो अंतड़ियों के आस-पास होती है,+ 15 दोनों गुरदे और उनके ऊपर की चरबी यानी कमर के पास की चरबी। वह गुरदों के साथ-साथ कलेजे के आस-पास की चरबी भी निकालकर अलग रखेगा। 16 फिर याजक इन सारी चीज़ों को वेदी पर जलाएगा ताकि इनका धुआँ उठे। यह आग में जलाकर अर्पित किया जानेवाला भोजन* है जिसकी सुगंध पाकर परमेश्वर खुश होता है। सारी चरबी का हकदार यहोवा है।+
17 तुम चरबी या खून कभी न खाना।+ तुम जहाँ भी रहो यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा तक लागू रहेगा।’”
4 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘अगर तुममें से कोई अनजाने में ऐसा काम करता है जिसे न करने की आज्ञा यहोवा ने दी है,+ तो उस पाप के प्रायश्चित के लिए उसे यह करना होगा:
3 अगर अभिषिक्त याजक+ कोई पाप करता है+ जिससे इसराएल के सभी लोग दोषी हो जाते हैं, तो उसे चाहिए कि वह प्रायश्चित के लिए ऐसे बैल की पाप-बलि यहोवा को अर्पित करे जिसमें कोई दोष न हो।+ 4 वह बैल को भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के सामने लाएगा+ और उसके सिर पर अपना हाथ रखेगा। फिर वह बैल को यहोवा के सामने हलाल करेगा।+ 5 इसके बाद अभिषिक्त याजक+ बैल के खून में से थोड़ा खून लेगा और उसे भेंट के तंबू के अंदर ले जाएगा। 6 फिर वह खून में अपनी उँगली डुबोएगा+ और तंबू के पवित्र भाग में परदे के पास यहोवा के सामने सात बार छिड़केगा।+ 7 वह थोड़ा-सा खून सुगंधित धूप की वेदी के सींगों पर भी लगाएगा,+ जो भेंट के तंबू में यहोवा के सामने रखी है। और बैल का बाकी खून होम-बलि की वेदी के नीचे उँडेल देगा+ जो भेंट के तंबू के द्वार पर है।
8 इसके बाद वह पाप-बलि के बैल की सारी चरबी निकालकर अलग रखेगा, वह चरबी जो अंतड़ियों को ढके रहती है और जो अंतड़ियों के आस-पास होती है, 9 दोनों गुरदे और उनके ऊपर की चरबी यानी कमर के पास की चरबी। वह गुरदों के साथ-साथ कलेजे के आस-पास की चरबी भी निकालकर अलग रखेगा।+ 10 वह बैल की यह सारी चरबी वैसे ही अलग करेगा, जैसे शांति-बलि के बैल की चरबी अलग की जाती है।+ फिर याजक ये सारी चीज़ें होम-बलि की वेदी पर जलाएगा ताकि इनका धुआँ उठे।
11 मगर बैल की खाल, उसका पूरा गोश्त, सिर, पाए, अंतड़ियाँ और गोबर,+ 12 यह सब छावनी के बाहर एक साफ जगह पर ले जाना चाहिए जहाँ राख* फेंकी जाती है। वहाँ पर वह इन सारी चीज़ों को जलती लकड़ियों पर रखकर जला देगा।+ यह सब राख फेंकने की जगह पर ही जला देना चाहिए।
13 अगर इसराएल के सभी लोग अनजाने में कोई पाप करके दोषी बन जाते हैं,+ मगर मंडली को नहीं मालूम कि उन्होंने ऐसा काम किया है जिसे न करने की आज्ञा यहोवा ने दी थी,+ 14 तो जब उनका पाप सामने आ जाता है तब मंडली को चाहिए कि वह पाप-बलि के लिए एक बैल को भेंट के तंबू के सामने लाए। 15 मंडली के मुखिया यहोवा के सामने बैल के सिर पर अपने हाथ रखेंगे और उसे यहोवा के सामने हलाल किया जाएगा।
16 इसके बाद अभिषिक्त याजक बैल का थोड़ा खून लेकर भेंट के तंबू के अंदर जाएगा। 17 फिर वह खून में अपनी उँगली डुबोएगा और परदे के पास यहोवा के सामने उसे सात बार छिड़केगा।+ 18 इसके बाद याजक थोड़ा-सा खून उस वेदी+ के सींगों पर लगाएगा, जो भेंट के तंबू में यहोवा के सामने रखी है। और बैल का बाकी खून होम-बलि की वेदी के नीचे उँडेल देगा जो भेंट के तंबू के द्वार पर है।+ 19 वह बैल की सारी चरबी अलग निकालकर वेदी पर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे।+ 20 याजक को इस बैल के साथ ठीक वही करना है जो वह पाप-बलि के पहले बैल के साथ करता है। इस तरह वह लोगों के पाप के लिए प्रायश्चित करेगा+ और उन्हें माफ किया जाएगा। 21 बैल को छावनी के बाहर ले जाना चाहिए। फिर वह उसे वहाँ पहले बैल की तरह जला देगा।+ यह मंडली के लिए दी जानेवाली पाप-बलि है।+
22 अगर कोई प्रधान+ अनजाने में ऐसा काम करता है जिसे न करने की आज्ञा उसके परमेश्वर यहोवा ने दी है और इस तरह पाप का दोषी बनता है, 23 या अगर उसे पता चलता है कि उसने परमेश्वर की आज्ञा के खिलाफ कोई पाप किया है, तो उसे पाप-बलि के लिए बकरी का ऐसा बच्चा लाना होगा जो नर हो और जिसमें कोई दोष न हो। 24 वह बकरी के बच्चे के सिर पर अपना हाथ रखेगा और उसे यहोवा के सामने उस जगह हलाल करेगा जहाँ होम-बलि का जानवर हलाल किया जाता है।+ यह पाप-बलि है। 25 फिर याजक अपनी उँगली से पाप-बलि के बकरे का थोड़ा-सा खून लेगा और उसे होम-बलि की वेदी के सींगों पर लगाएगा।+ और बाकी खून होम-बलि की वेदी के नीचे उँडेल देगा।+ 26 फिर वह बकरे की सारी चरबी वेदी पर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे, ठीक जैसे शांति-बलि की चरबी जलायी जाती है।+ और याजक, प्रधान के पाप के लिए प्रायश्चित करेगा और उसे माफ कर दिया जाएगा।
27 अगर आम लोगों में से कोई अनजाने में ऐसा काम करता है जिसे न करने की आज्ञा यहोवा ने दी है और इस तरह पाप का दोषी बनता है,+ 28 या अगर उसे पता चलता है कि उसने एक पाप किया है, तो उसे पाप-बलि के लिए बकरी का एक बच्चा लाना होगा, जो मादा हो और जिसमें कोई दोष न हो। 29 वह पाप-बलि के जानवर के सिर पर अपना हाथ रखेगा और उसे उस जगह हलाल करेगा जहाँ होम-बलि का जानवर हलाल किया जाता है।+ 30 याजक अपनी उँगली से बकरी का थोड़ा खून लेगा और उसे होम-बलि की वेदी के सींगों पर लगाएगा और बाकी खून वेदी के नीचे उँडेल देगा।+ 31 फिर वह जानवर की सारी चरबी अलग करेगा,+ ठीक जैसे शांति-बलि के जानवर की चरबी अलग की जाती है।+ और याजक उस चरबी को वेदी पर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे और उसकी सुगंध पाकर यहोवा खुश हो। और याजक उस आदमी के लिए प्रायश्चित करेगा और उसे माफ किया जाएगा।
32 लेकिन अगर वह आदमी पाप-बलि के लिए मेम्ना देना चाहता है, तो उसे ऐसा मेम्ना देना चाहिए जो मादा हो और जिसमें कोई दोष न हो। 33 वह अपना हाथ पाप-बलि के मेम्ने के सिर पर रखेगा और उसे उस जगह हलाल करेगा जहाँ होम-बलि का जानवर हलाल किया जाता है।+ 34 फिर याजक अपनी उँगली से पाप-बलि के मेम्ने का थोड़ा खून लेगा और उसे होम-बलि की वेदी के सींगों पर लगाएगा+ और बाकी खून वेदी के नीचे उँडेल देगा। 35 फिर वह मेम्ने की सारी चरबी अलग करेगा, ठीक जैसे शांति-बलि के मेम्ने की चरबी अलग की जाती है। और याजक वेदी पर यहोवा के लिए अर्पित बलि के ऊपर यह सारी चरबी रखकर जलाएगा ताकि इसका धुआँ उठे।+ और याजक उस आदमी के पाप के लिए प्रायश्चित करेगा और उसे माफ किया जाएगा।+
5 जो इंसान कोई अपराध होते देखता है या उस अपराध के बारे में कुछ जानता है, वह उस अपराध का गवाह बन जाता है। अगर वह सरेआम किया जानेवाला ऐलान सुनता है कि उस अपराध के बारे में गवाही दी जाए,* मगर फिर भी आगे आकर उस बारे में नहीं बताता तो यह पाप है।+ उसे अपने पाप का लेखा देना होगा।
2 या अगर एक इंसान कोई अशुद्ध चीज़ छूता है, फिर चाहे वह अशुद्ध जंगली जानवर की लाश हो या अशुद्ध पालतू जानवर की लाश या झुंड में घूमनेवाले किसी अशुद्ध जीव* की लाश,+ तो वह अशुद्ध हो जाएगा। चाहे उसने अनजाने में छुआ हो फिर भी वह दोषी होगा। 3 अगर कोई अनजाने में किसी अशुद्ध चीज़ को छूता है+ जिससे वह अशुद्ध हो सकता है और उसे इस बात का पता चलता है तो वह दोषी होगा।
4 या अगर कोई जल्दबाज़ी में और बिना सोचे-समझे कसम खाता है, फिर चाहे कुछ अच्छा करने की शपथ हो या बुरा करने की, और बाद में जब उसे अपनी गलती का एहसास होता है कि उसने जल्दबाज़ी में कसम खायी थी तो वह दोषी होगा।*+
5 अगर एक आदमी इनमें से कोई भी पाप करके दोषी हो जाता है, तो उसे कबूल करके बताना होगा+ कि उसने क्या पाप किया है। 6 साथ ही, वह अपने पाप के लिए दोष-बलि का जानवर यहोवा के पास लाएगा।+ वह भेड़ या बकरी का मादा बच्चा लाएगा ताकि उसकी पाप-बलि चढ़ायी जाए। फिर याजक उस आदमी के पाप के लिए प्रायश्चित करेगा।
7 लेकिन अगर अपने पाप के लिए मेम्ने की दोष-बलि देने की उसकी हैसियत नहीं है, तो उसे दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे यहोवा के सामने लाने चाहिए।+ एक पाप-बलि के लिए और दूसरा होम-बलि के लिए।+ 8 उसे ये दोनों चिड़ियाँ याजक के पास लानी होंगी। याजक पाप-बलि की चिड़िया को पहले अर्पित करेगा। वह उसका गला सामने से नोचेगा मगर सिर धड़ से अलग नहीं करेगा। 9 वह पाप-बलि की चिड़िया का थोड़ा-सा खून वेदी के एक तरफ छिड़केगा और बाकी खून वेदी के नीचे बहा देगा।+ यह पाप-बलि है। 10 इसके बाद वह दूसरी चिड़िया की होम-बलि चढ़ाएगा। वह उसी तरीके से होम-बलि चढ़ाएगा जैसे नियमित तौर पर होम-बलियाँ चढ़ायी जाती हैं।+ और याजक उस आदमी के पाप के लिए प्रायश्चित करेगा और उसका पाप माफ किया जाएगा।+
11 अगर उस आदमी के पास दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे देने की भी हैसियत नहीं है, तो उसे पाप-बलि के लिए एपा का दसवाँ भाग* मैदा लाना होगा।+ उसे मैदे में न तो तेल मिलाना चाहिए और न ही उसके ऊपर लोबान रखना चाहिए, क्योंकि यह पाप-बलि है। 12 वह याजक के पास यह मैदा लाएगा और याजक उसमें से मुट्ठी-भर मैदा प्रतीक* के तौर पर निकालेगा। फिर वह उस मुट्ठी-भर मैदे को वेदी पर यहोवा के लिए अर्पित बलि के ऊपर रखकर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे। यह पाप-बलि है। 13 उस आदमी ने ऊपर बताए पापों में से चाहे जो भी पाप किया हो, उसके लिए याजक प्रायश्चित करेगा और उस आदमी को माफ किया जाएगा।+ अनाज के चढ़ावे की तरह इस चढ़ावे का बचा हुआ मैदा याजक का होगा।’”+
14 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 15 “अगर कोई यहोवा की पवित्र चीज़ों के मामले में अनजाने में कोई पाप करता है और विश्वासयोग्य होने से चूक जाता है,+ तो उसे यहोवा के पास ऐसा मेढ़ा लाना होगा जिसमें कोई दोष न हो। उसे मेढ़े की दोष-बलि चढ़ानी होगी।+ याजक बताएगा कि मेढ़ा पवित्र-स्थान के शेकेल* के मुताबिक कितने शेकेल* चाँदी का होना चाहिए।+ 16 साथ ही, उसने जिन पवित्र चीज़ों के मामले में पाप किया है, उनका मुआवज़ा भी उसे भरना होगा। उसे मुआवज़े में उन चीज़ों की कीमत और उस कीमत का पाँचवाँ हिस्सा जोड़कर अदा करना होगा।+ वह याजक को यह सब देगा ताकि वह मेढ़े की दोष-बलि चढ़ाकर उसके लिए प्रायश्चित करे।+ और उसका पाप माफ किया जाएगा।+
17 अगर कोई आदमी ऐसा काम करता है जिसे न करने की आज्ञा यहोवा ने दी है, तो चाहे उसने यह पाप अनजाने में किया हो, फिर भी वह पाप का दोषी होगा और उसे इसका लेखा देना होगा।+ 18 उसे पाप-बलि के लिए याजक को ऐसा मेढ़ा लाकर देना होगा जिसमें कोई दोष न हो। यह मेढ़ा बतायी गयी कीमत का होना चाहिए।+ फिर याजक उस आदमी के अनजाने में किए पाप के लिए प्रायश्चित करेगा और उसे माफ किया जाएगा। 19 यह दोष-बलि है क्योंकि वह बेशक यहोवा के खिलाफ पाप करके दोषी ठहरा था।”
6 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “अगर किसी ने अपने पड़ोसी की अमानत या उसकी दी हुई चीज़ के साथ हेरा-फेरी की है+ या उसका कोई सामान लूटा है या उसे ठगा है तो यह पाप है। वह यहोवा का विश्वासयोग्य नहीं रहा।+ 3 उसी तरह, अगर वह किसी की खोयी हुई चीज़ मिलने पर उसके बारे में झूठ बोलता है तो यह पाप है। और अगर वह इनमें से कोई भी पाप करता है और झूठी कसम खाकर कहता है कि मैंने ऐसा नहीं किया,+ 4 तो भी वह परमेश्वर के सामने पाप का दोषी होगा। उसे अपने पड़ोसी की चीज़ लौटा देनी होगी, फिर चाहे उसने वह चीज़ चुरायी हो या ज़बरदस्ती वसूली हो, छल करके ली हो या वह चीज़ अमानत के तौर पर उसे रखने के लिए दी गयी हो या खो जाने पर उसे मिली हो 5 या उसने झूठी शपथ खाकर रख ली हो। उसने चाहे किसी भी तरह से पड़ोसी की चीज़ ली हो, उसे पूरी भरपाई करनी होगी।+ साथ ही, उसकी कीमत का पाँचवाँ हिस्सा भी देना होगा। उसे चाहिए कि जिस दिन उसका दोष साबित हो जाता है, उसी दिन वह चीज़ उसके मालिक को लौटा दे। 6 फिर वह एक दोष-बलि का जानवर याजक के पास लाएगा ताकि उसे यहोवा को अर्पित किया जाए। उसे झुंड में से ऐसा मेढ़ा चुनना होगा जिसमें कोई दोष न हो और जो बतायी हुई कीमत का हो।+ 7 याजक उस आदमी के लिए यहोवा के सामने प्रायश्चित करेगा और वह चाहे किसी भी पाप का दोषी हो उसे माफ किया जाएगा।”+
8 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 9 “हारून और उसके बेटों को यह आज्ञा देना: ‘यह होम-बलि का नियम है:+ होम-बलि के जानवर को वेदी की आग पर पूरी रात यानी सुबह तक जलने दिया जाए। वेदी पर आग लगातार जलती रहे। 10 सुबह होने पर याजक मलमल से बनी, याजक की पोशाक+ और मलमल का जाँघिया पहनकर तैयार होगा।+ फिर वह वेदी के पास आकर होम-बलि की राख* उठाएगा+ और उसे वेदी के एक तरफ रखेगा। 11 इसके बाद यह पोशाक उतारकर+ वह दूसरे कपड़े पहनेगा और राख उठाकर छावनी के बाहर एक साफ जगह ले जाएगा।+ 12 वेदी पर आग हमेशा जलाए रखनी चाहिए। यह आग कभी नहीं बुझनी चाहिए। याजक को चाहिए कि वह हर सुबह वेदी पर लकड़ियाँ जलाए+ और उसके ऊपर होम-बलि के जानवर के टुकड़े तरतीब से रखे। वह उसके ऊपर शांति-बलि के जानवरों की चरबी रखकर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे।+ 13 वेदी पर आग लगातार जलाए रखनी चाहिए। यह आग कभी नहीं बुझनी चाहिए।
14 यह अनाज के चढ़ावे का नियम है:+ हारून के बेटो, तुम्हें यह चढ़ावा यहोवा के सामने वेदी के पास लाना चाहिए। 15 फिर तुममें से एक याजक अनाज के चढ़ावे में से मुट्ठी-भर मैदा, थोड़ा-सा तेल और चढ़ावे के ऊपर रखा सारा लोबान लेगा और उसे वेदी पर यहोवा के लिए प्रतीक* के तौर पर जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे और उसकी सुगंध पाकर वह खुश हो।+ 16 उसका बचा हुआ हिस्सा हारून और उसके बेटे खाएँगे।+ वे इससे बिन-खमीर की रोटियाँ बनाकर पवित्र जगह पर खाएँगे। वे इन्हें भेंट के तंबू के आँगन में खाएँगे।+ 17 रोटियाँ बनाते वक्त उनमें ज़रा भी खमीर नहीं मिलाना चाहिए।+ मुझे जो चढ़ावा आग में जलाकर दिया जाता है, उसमें से यह हिस्सा मैं उन्हें देता हूँ।+ उनका यह हिस्सा पाप-बलि और दोष-बलि की तरह बहुत पवित्र है।+ 18 हारून के बेटों में से हर आदमी ये रोटियाँ खाएगा।+ यहोवा के लिए आग में जलाकर चढ़ायी जानेवाली बलि में से यह हारून के परिवार को दिया जानेवाला हिस्सा है। उन्हें यह हिस्सा पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदा दिया जाएगा।+ हर वह चीज़ जो उनसे* छू जाए पवित्र हो जाएगी।’”
19 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 20 “जिस दिन हारून का अभिषेक किया जाएगा,+ उस दिन हारून और उसके बेटे यहोवा के लिए एपा का दसवाँ भाग*+ मैदा चढ़ाएँगे, आधा मैदा सुबह और आधा शाम को। आगे जब भी हारून के किसी बेटे का अभिषेक किया जाएगा तब यही चढ़ावा चढ़ाया जाएगा।+ 21 अनाज का यह चढ़ावा तैयार करने के लिए मैदा तेल से गूँधा जाए और तवे पर सेंककर पकाया जाए।+ फिर उसके टुकड़े-टुकड़े किए जाएँ और उनमें अच्छी तरह तेल मिलाकर यहोवा के सामने लाया जाए ताकि उसकी सुगंध पाकर वह खुश हो। 22 हारून के बाद उसके बेटों में से जो उसकी जगह याजक बनेगा+ और जिसका अभिषेक किया जाएगा उसे यह चढ़ावा चढ़ाना होगा। यह नियम तुम्हें हमेशा के लिए दिया जाता है कि अनाज का यह चढ़ावा पूरा-का-पूरा यहोवा के लिए जलाया जाए ताकि इसका धुआँ उठे। 23 याजक जब भी अनाज का चढ़ावा देगा तो उसे पूरा-का-पूरा चढ़ावा जला देना चाहिए। इस चढ़ावे को खाना मना है।”
24 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 25 “हारून और उसके बेटों से कहना, ‘यह पाप-बलि का नियम है:+ पाप-बलि का जानवर यहोवा के सामने उसी जगह हलाल किया जाए जहाँ होम-बलि का जानवर हलाल किया जाता है।+ यह बलि बहुत पवित्र है। 26 जो याजक पाप के प्रायश्चित के लिए यह बलि चढ़ाता है वह इसे खाएगा।+ वह इसे पवित्र जगह पर यानी भेंट के तंबू के आँगन में खाएगा।+
27 हर वह चीज़ जो बलि के जानवर के गोश्त को छू जाए पवित्र हो जाएगी। अगर किसी की पोशाक पर इस जानवर के खून के छींटे पड़ जाते हैं तो उसे पवित्र जगह में ही अपनी पोशाक धोकर साफ करनी चाहिए। 28 अगर इसका गोश्त मिट्टी के बरतन में उबाला गया हो, तो वह बरतन बाद में चूर-चूर कर दिया जाए। लेकिन अगर यह ताँबे के बरतन में उबाला जाता है तो उसे रगड़-रगड़कर साफ करना चाहिए और पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए।
29 इस बलि का गोश्त सिर्फ याजक खा सकते हैं।+ यह बहुत पवित्र है।+ 30 लेकिन जिस पाप-बलि के जानवर का थोड़ा-सा खून भेंट के तंबू के अंदर ले जाया जाता है ताकि पवित्र-स्थान में प्रायश्चित किया जाए, उसका गोश्त हरगिज़ नहीं खाना चाहिए।+ उसे आग में जलाकर भस्म कर देना चाहिए।
7 तुम दोष-बलि के बारे में इस नियम का पालन करना:+ यह बलि बहुत पवित्र है। 2 वे दोष-बलि का जानवर उसी जगह हलाल करेंगे जहाँ होम-बलि के जानवर हलाल करते हैं। इस बलि के जानवर का खून+ वेदी के चारों तरफ छिड़का जाए।+ 3 वह जानवर की सारी चरबी अर्पित करेगा,+ उसकी चरबीवाली मोटी पूँछ, वह चरबी जो अंतड़ियों को ढके रहती है, 4 दोनों गुरदे और उनकी चरबी यानी कमर के पास की चरबी। वह गुरदों के साथ-साथ कलेजे के आस-पास की चरबी भी निकालकर अलग रखेगा।+ 5 फिर याजक इन सारी चीज़ों को वेदी पर रखकर जलाएगा ताकि इनका धुआँ उठे। यह आग में जलाकर यहोवा को दिया जानेवाला चढ़ावा है।+ यह दोष-बलि है। 6 इस बलि में से सिर्फ याजक खा सकते हैं।+ इसे पवित्र जगह में खाना चाहिए। यह बहुत पवित्र है।+ 7 दोष-बलि पर भी वही नियम लागू होगा जो पाप-बलि के लिए दिया गया है। बलि के गोश्त पर उस याजक का हक है जो प्रायश्चित के लिए यह बलि चढ़ाता है।+
8 जब एक याजक किसी के लिए होम-बलि का जानवर अर्पित करता है तो उस जानवर की खाल+ उस याजक की होगी।
9 अनाज का जो भी चढ़ावा तंदूर या कड़ाही में या तवे पर पकाकर चढ़ाया जाता है,+ उसे खाने का हक उसी याजक को है जो यह चढ़ावा चढ़ाता है। यह उसी का होगा।+ 10 मगर अनाज का ऐसा हर चढ़ावा जो पकाया न गया हो, हारून के सभी बेटों का होगा, फिर चाहे उसमें तेल मिला हो+ या वह सूखा हो।+ उन सबको इसका बराबर हिस्सा मिलेगा।
11 यहोवा को दी जानेवाली शांति-बलि के बारे में तुम इस नियम का पालन करना:+ 12 अगर कोई परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए शांति-बलि चढ़ाता है,+ तो उसे धन्यवाद-बलि के जानवर के साथ ये चीज़ें भी लाकर देनी होंगी: छल्ले जैसी बिन-खमीर की रोटियाँ जो तेल से गूँधकर बनायी गयी हों, तेल चुपड़ी बिन-खमीर की पापड़ियाँ और तेल से सने मैदे की बनी छल्ले जैसी रोटियाँ जो तेल से तर हों। 13 इसके अलावा, धन्यवाद देने के लिए दी जानेवाली शांति-बलि के साथ वह छल्ले जैसी खमीरी रोटियाँ भी देगा। 14 वह इनमें से हर तरह की एक-एक रोटी अलग निकालकर यहोवा को अर्पित करेगा। यह इस चढ़ावे का पवित्र हिस्सा है। इस पर उस याजक का हक होगा जो शांति-बलि के जानवरों का खून वेदी पर छिड़कता है।+ 15 धन्यवाद के लिए दी जानेवाली शांति-बलि का गोश्त उसी दिन खाया जाए जिस दिन यह बलि दी जाती है। अगली सुबह तक यह गोश्त बचाकर न रखा जाए।+
16 अगर किसी की शांति-बलि उसकी मन्नत-बलि+ या स्वेच्छा-बलि है,+ तो बलि के जानवर का गोश्त उस दिन खाया जाए जिस दिन बलि चढ़ायी जाती है। इस बलि का जो गोश्त बच जाता है वह अगले दिन भी खाया जा सकता है। 17 लेकिन अगर तीसरे दिन तक भी कुछ बच जाता है तो उसे आग में जला देना चाहिए।+ 18 अगर शांति-बलि का गोश्त तीसरे दिन खाया जाता है, तो जिसने यह बलि दी है वह परमेश्वर की मंज़ूरी नहीं पाएगा। उसकी बलि बेमाने हो जाएगी और घिनौनी चीज़ साबित होगी। जो तीसरे दिन वह गोश्त खाता है उसे अपने गुनाह का लेखा देना होगा।+ 19 अगर बलि का गोश्त किसी अशुद्ध चीज़ से छू जाए तो उस गोश्त को खाना मना है। उसे आग में जला देना चाहिए। हर कोई जो शुद्ध है वह शुद्ध गोश्त खा सकता है।
20 अगर कोई अशुद्ध हालत में होते हुए भी यहोवा के लिए दी गयी शांति-बलि का गोश्त खाता है, तो उसे मौत की सज़ा दी जाए।+ 21 अगर कोई किसी अशुद्ध इंसान+ या अशुद्ध जानवर+ या किसी अशुद्ध घिनौनी चीज़+ को छूता है और ऐसी अशुद्ध हालत में वह यहोवा के लिए चढ़ायी गयी शांति-बलि के गोश्त में से खाता है तो उसे मौत की सज़ा दी जाए।’”
22 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 23 “इसराएलियों से कहना, ‘तुम बैल या मेम्ने या बकरी की चरबी हरगिज़ मत खाना।+ 24 तुम ऐसे जानवर की चरबी भी मत खाना, जो मरा हुआ पाया जाता है या जिसे किसी दूसरे जानवर ने मार डाला है। उसकी चरबी किसी और काम के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।+ 25 जो कोई ऐसे जानवर की चरबी खाता है, जिसे वह आग में जलाकर यहोवा को देने के लिए लाता है, उसे मौत की सज़ा दी जाए।
26 तुम जहाँ भी रहते हो, तुम किसी भी जीव का खून मत खाना,+ फिर चाहे वह चिड़ियों का खून हो या जानवरों का। 27 अगर कोई किसी भी जीव का खून खाता है, तो उसे मौत की सज़ा दी जाए।’”+
28 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 29 “इसराएलियों से कहना, ‘जो कोई यहोवा के लिए शांति-बलि चढ़ाता है, उसे बलि का कुछ हिस्सा यहोवा को अर्पित करने के लिए लाना चाहिए।+ 30 यह हिस्सा बलि के जानवर का सीना और चरबी है, जिन्हें वह अपने हाथों पर रखकर लाएगा+ ताकि उसे आग में जलाकर यहोवा को अर्पित किया जाए। वह उसे यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाएगा। यह हिलाया जानेवाला चढ़ावा है।+ 31 याजक यह चरबी वेदी पर रखकर जलाएगा ताकि इसका धुआँ उठे,+ मगर सीना, हारून और उसके बेटों को दिया जाएगा।+
32 तुम अपनी शांति-बलियों के जानवर का दायाँ पैर, जो पवित्र हिस्सा है, याजक को देना।+ 33 यह हिस्सा यानी दायाँ पैर हारून के उस बेटे का होगा जो शांति-बलि के जानवर का खून और चरबी अर्पित करेगा।+ 34 इसराएली अपनी शांति-बलियों में से जो चढ़ावा हिलाकर देते हैं उसमें से सीना और पवित्र हिस्सा यानी पैर अलग निकालकर मैं हारून याजक और उसके बेटों को देता हूँ। इसराएलियों को यह नियम हमेशा के लिए दिया जाता है।+
35 यहोवा के लिए आग में जलाकर जो चढ़ावा दिया जाता है, उसमें से यह हिस्सा याजकों के लिए यानी हारून और उसके बेटों के लिए अलग रखा जाए। यह आज्ञा उसी दिन दी गयी थी जिस दिन उन्हें याजकों के नाते यहोवा की सेवा करने के लिए हाज़िर किया गया था।+ 36 जिस दिन यहोवा ने उनका अभिषेक किया था,+ उसी दिन उसने यह आज्ञा दी थी कि इसराएलियों की दी हुई बलि में से यह हिस्सा उन्हें दिया जाए। यह नियम पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदा के लिए उन पर लागू रहेगा।’”
37 ये सारे नियम होम-बलि,+ अनाज के चढ़ावे,+ पाप-बलि,+ दोष-बलि,+ याजकपद सौंपने के मौके पर दी जानेवाली बलि+ और शांति-बलि+ के बारे में दिए गए। 38 यहोवा ने ये सारे नियम सीनै पहाड़ पर मूसा को दिए थे।+ उसने मूसा को ये नियम उस दिन दिए जिस दिन उसने इसराएलियों को आज्ञा दी थी कि वे सीनै वीराने में यहोवा के लिए बलियाँ अर्पित करें।+
8 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “तू हारून और उसके बेटों को ले आना+ और उनके लिए बनायी गयी पोशाकें+ और अभिषेक का तेल,+ पाप-बलि का बैल, दो मेढ़े और बिन-खमीर की रोटियों से भरी टोकरी भी साथ लेना।+ 3 और लोगों की पूरी मंडली को भेंट के तंबू के द्वार पर इकट्ठा करना।”
4 मूसा ने ठीक वैसे ही किया जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी। और पूरी मंडली भेंट के तंबू के द्वार पर इकट्ठा हो गयी। 5 मूसा ने मंडली से कहा, “यहोवा ने हमें ये-ये करने की आज्ञा दी है।” 6 इसके बाद मूसा ने हारून और उसके बेटों को पास लाकर उन्हें नहाने की आज्ञा दी।+ 7 फिर मूसा ने हारून को उसका कुरता पहनाया+ और उस पर कमर-पट्टी बाँधी।+ इसके बाद उसे बिन आस्तीन का बागा+ और उसके ऊपर एपोद पहनाया+ और एपोद को बुने हुए कमरबंद से कसकर बाँध दिया।+ 8 फिर उसने हारून पर सीनाबंद बाँधा+ और उसके अंदर ऊरीम और तुम्मीम रखे।+ 9 इसके बाद उसने हारून के सिर पर पगड़ी रखी+ और पगड़ी के सामने सोने की चमचमाती पट्टी बाँधी जो समर्पण की पवित्र निशानी है।*+ मूसा ने यह सब ठीक वैसे ही किया जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी।
10 फिर मूसा ने अभिषेक का तेल लिया और पवित्र डेरे और उसके सारे साजो-सामान का अभिषेक करके+ उन्हें पवित्र ठहराया। 11 फिर उसने अभिषेक का थोड़ा-सा तेल लेकर वेदी पर सात बार छिड़का और वेदी और उसके साथ इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ों का और हौद और उसकी टेक का अभिषेक करके उन्हें पवित्र ठहराया। 12 आखिर में उसने अभिषेक का थोड़ा-सा तेल लिया और हारून के सिर पर उँडेलकर उसका अभिषेक किया ताकि उसे पवित्र ठहराए।+
13 इसके बाद मूसा हारून के बेटों को पास ले आया और उन्हें कुरते पहनाए और कमर-पट्टी बाँधी और सिर पर साफा बाँधा,+ ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी।
14 फिर वह पाप-बलि का बैल ले आया। हारून और उसके बेटों ने पाप-बलि के बैल के सिर पर अपने हाथ रखे।+ 15 मूसा ने बैल हलाल किया और अपनी उँगली से उसका खून लिया+ और उसे वेदी के सींगों पर लगाया। इस तरह उसने वेदी से पाप दूर करके उसे शुद्ध किया और बैल का बाकी खून वेदी के नीचे उँडेल दिया। इस तरह उसने वेदी के लिए प्रायश्चित किया और उसे पवित्र ठहराया। 16 इसके बाद उसने बैल की वह सारी चरबी ली जो अंतड़ियों को ढके रहती है और जो कलेजे के आस-पास होती है, साथ ही दोनों गुरदे और उनकी चरबी भी ली। मूसा ने वे सारी चीज़ें वेदी पर रखकर जलायीं जिससे उनका धुआँ उठा।+ 17 बैल के बाकी हिस्से, उसकी खाल, उसका गोश्त और गोबर, यह सब छावनी के बाहर ले जाकर जला दिया गया।+ सबकुछ ठीक वैसे ही किया गया जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
18 इसके बाद वह होम-बलि का मेढ़ा पास ले आया। हारून और उसके बेटों ने मेढ़े के सिर पर अपने हाथ रखे।+ 19 फिर मूसा ने वह मेढ़ा हलाल किया और उसका खून वेदी के चारों तरफ छिड़का। 20 उसने मेढ़े को काटकर उसके टुकड़े-टुकड़े किए और मेढ़े का सिर, उसके टुकड़े और उसकी चरबी* जलायी जिससे उनका धुआँ उठा। 21 उसने मेढ़े की अंतड़ियों और पायों को पानी से धोकर साफ किया और पूरे मेढ़े को वेदी पर रखकर जलाया जिससे उसका धुआँ उठा। यह होम-बलि थी जिसकी सुगंध पाकर परमेश्वर खुश हुआ। यह आग में जलाकर यहोवा को दिया गया चढ़ावा था, ठीक जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
22 इसके बाद वह दूसरे मेढ़े को लाया जो याजकपद सौंपने के मौके पर दिया जानेवाला मेढ़ा था।+ हारून और उसके बेटों ने मेढ़े के सिर पर अपने हाथ रखे।+ 23 मूसा ने मेढ़ा हलाल किया और उसका थोड़ा-सा खून लेकर हारून के दाएँ कान के निचले सिरे पर, दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाया। 24 फिर वह हारून के बेटों को सामने लाया और मेढ़े का थोड़ा-सा खून उनके दाएँ कान के निचले सिरे पर, दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाया। मूसा ने बाकी खून वेदी के चारों तरफ छिड़का।+
25 फिर उसने मेढ़े की चरबी, उसकी चरबीवाली मोटी पूँछ और वह सारी चरबी ली जो अंतड़ियों को ढके रहती है और जो कलेजे के आस-पास होती है और दोनों गुरदे और उनकी चरबी और दायाँ पैर भी लिया।+ 26 साथ ही, उसने यहोवा के सामने रखी बिन-खमीर की रोटियों की टोकरी में से बिन-खमीर की छल्ले जैसी एक रोटी,+ तेल से गूँधकर बनायी गयी छल्ले जैसी एक रोटी+ और एक पापड़ी ली। उसने ये रोटियाँ मेढ़े की चरबी और उसके दाएँ पैर के ऊपर रखीं। 27 इसके बाद उसने ये सारी चीज़ें हारून और उसके बेटों की हथेलियों पर रखीं और ये चीज़ें यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलायीं। यह हिलाकर दिया गया चढ़ावा था। 28 फिर मूसा ने उनके हाथ से ये सारी चीज़ें लीं और वेदी पर होम-बलि के ऊपर रखकर जलायीं जिससे इनका धुआँ उठा। यह याजकपद सौंपने के मौके पर दी गयी बलि थी जिसकी सुगंध पाकर परमेश्वर खुश हुआ। यह आग में जलाकर यहोवा को दिया गया चढ़ावा था।
29 फिर मूसा ने मेढ़े का सीना लिया और उसे यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाया। यह हिलाकर दिया गया चढ़ावा था।+ याजकपद सौंपने के मौके पर बलि किए गए मेढ़े का यह हिस्सा मूसा को दिया गया, ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी।+
30 मूसा ने थोड़ा-सा अभिषेक का तेल+ और वेदी से थोड़ा खून लिया और उसे हारून और उसकी पोशाक पर और उसके बेटों और उनकी पोशाकों पर छिड़का। इस तरह उसने हारून और उसके बेटों को और उनकी पोशाकों को पवित्र ठहराया।+
31 फिर मूसा ने हारून और उसके बेटों से कहा, “तुम मेढ़े का गोश्त भेंट के तंबू के द्वार पर उबालना।+ फिर तुम सब वहीं द्वार पर वह गोश्त और वे रोटियाँ खाना जो याजकपद सौंपने के मौके के लिए रखी टोकरी में हैं। मुझे आज्ञा दी गयी है कि हारून और उसके बेटे यह सब खाएँगे।+ 32 जो गोश्त और रोटियाँ बच जाती हैं उन्हें तुम आग में जला देना।+ 33 तुम सात दिन तक भेंट के तंबू के द्वार से बाहर मत जाना, जब तक कि तुम्हें याजकपद सौंपने के दिन पूरे नहीं हो जाते क्योंकि तुम्हें याजकपद सौंपने* में पूरे सात दिन लगेंगे।+ 34 आज हमने जो-जो किया वह सब करने की आज्ञा यहोवा ने दी थी ताकि तुम सबका प्रायश्चित किया जाए।+ 35 सात दिन तक तुम सब रात-दिन भेंट के तंबू के द्वार पर ही रहना+ और यहोवा ने जो-जो हिदायत दी है उसका पालन करके अपना फर्ज़ निभाना,+ वरना तुम मार डाले जाओगे। परमेश्वर ने मुझे यही आज्ञा दी है।”
36 हारून और उसके बेटों ने वह सब किया जो यहोवा ने मूसा के ज़रिए आज्ञा दी थी।
9 आठवें दिन+ मूसा ने हारून और उसके बेटों और इसराएल के मुखियाओं को बुलाया। 2 उसने हारून से कहा, “तू अपनी पाप-बलि के लिए एक बछड़ा+ और होम-बलि के लिए एक मेढ़ा ले और उन्हें यहोवा को अर्पित कर। ये ऐसे जानवर होने चाहिए जिनमें कोई दोष न हो। 3 मगर तू इसराएलियों से कहना, ‘तुम पाप-बलि के लिए एक बकरा, होम-बलि के लिए एक साल का बछड़ा और एक साल का नर मेम्ना लाना, जिनमें कोई दोष न हो 4 और शांति-बलि के लिए एक बैल और एक मेढ़ा लाना+ और तेल मिला हुआ अनाज का चढ़ावा भी लाना।+ यहोवा के सामने इन सारे जानवरों की बलि देना और तेल मिला हुआ अनाज का चढ़ावा चढ़ाना क्योंकि आज के दिन यहोवा तुम्हारे सामने प्रकट होगा।’”+
5 फिर वे भेंट के तंबू के सामने वह सब ले आए जिसकी आज्ञा मूसा ने उन्हें दी थी। फिर इसराएलियों की पूरी मंडली आगे आयी और यहोवा के सामने खड़ी हुई। 6 मूसा ने उनसे कहा, “यहोवा ने यह करने की आज्ञा दी है ताकि यहोवा की महिमा तुम लोगों को दिखायी दे।”+ 7 फिर मूसा ने हारून से कहा, “तू वेदी के पास जा और अपनी पाप-बलि+ और होम-बलि चढ़ा और अपने और अपने घराने के लिए प्रायश्चित कर।+ और लोगों की दी हुई बलि भी चढ़ा+ और उनके लिए प्रायश्चित कर,+ ठीक जैसे यहोवा ने आज्ञा दी है।”
8 हारून फौरन वेदी के पास गया और उसने पाप-बलि का वह बछड़ा हलाल किया जो उसके पाप के प्रायश्चित के लिए था।+ 9 फिर हारून के बेटों ने बछड़े का खून उसे दिया+ और उसने खून में अपनी उँगली डुबोयी और उसे वेदी के सींगों पर लगाया और बाकी खून उसने वेदी के नीचे उँडेल दिया।+ 10 उसने पाप-बलि के बछड़े की चरबी, गुरदे और कलेजे के आस-पास की चरबी वेदी पर रखकर जलायी जिससे उसका धुआँ उठा। उसने यह ठीक वैसे ही किया जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।+ 11 उसने बछड़े का गोश्त और उसकी खाल छावनी के बाहर ले जाकर आग में जला दी।+
12 इसके बाद उसने होम-बलि का जानवर हलाल किया। फिर हारून के बेटों ने जानवर का खून उसे दिया और उसने वह खून वेदी के चारों तरफ छिड़का।+ 13 फिर उन्होंने उसे होम-बलि के जानवर का सिर और उसके टुकड़े दिए और उसने ये चीज़ें वेदी पर रखकर जलायीं जिससे धुआँ उठा। 14 इसके बाद उसने अंतड़ियों और पायों को धोकर साफ किया और उन्हें वेदी पर होम-बलि के ऊपर रखकर जलाया जिससे धुआँ उठा।
15 इसके बाद उसने लोगों का दिया चढ़ावा अर्पित किया। उसने पाप-बलि का वह बकरा लिया जो लोगों के पापों के लिए था। उसने बकरा हलाल किया और पहले जानवर की तरह उसकी पाप-बलि चढ़ायी। 16 इसके बाद उसने होम-बलि उसी तरह अर्पित की जैसे नियमित तौर पर होम-बलियाँ अर्पित की जाती हैं।+
17 फिर उसने अनाज का चढ़ावा अर्पित किया।+ उसने इस चढ़ावे में से मुट्ठी-भर चीज़ें लीं और उन्हें वेदी पर रखकर जलाया जिससे धुआँ उठा। यह सुबह की होम-बलि के अलावा दिया गया चढ़ावा था।+
18 इसके बाद उसने शांति-बलि का वह बैल और मेढ़ा हलाल किया जो लोगों के लिए था। फिर हारून के बेटों ने उन जानवरों का खून उसे दिया और उसने वह खून वेदी के चारों तरफ छिड़का।+ 19 फिर उन्होंने बैल की चरबी,+ मेढ़े की चरबीवाली मोटी पूँछ, गुरदे, कलेजे की चरबी और वह चरबी ली जो अंदरूनी अंगों को ढके रहती है+ 20 और यह सारी चरबी उन्होंने बैल और मेढ़े के सीने पर रखी। इसके बाद उसने वह सारी चरबी ली और वेदी पर रखकर जलायी जिससे उसका धुआँ उठा।+ 21 फिर हारून ने बलि के दोनों जानवरों का सीना और दायाँ पैर लेकर यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाया, ठीक जैसे मूसा ने आज्ञा दी थी। यह हिलाकर दिया जानेवाला चढ़ावा था।+
22 फिर हारून ने लोगों की तरफ अपने हाथ उठाए और उन्हें आशीर्वाद दिया।+ और वह पाप-बलि, होम-बलि और शांति-बलियाँ अर्पित करने के बाद नीचे उतरा। 23 आखिर में मूसा और हारून, भेंट के तंबू के अंदर गए और फिर बाहर आने के बाद उन्होंने लोगों को आशीर्वाद दिया।+
अब यहोवा की महिमा सब लोगों को दिखायी दी।+ 24 फिर यहोवा की तरफ से वेदी पर आग बरसी+ और उस पर रखी होम-बलि और चरबी को भस्म करने लगी। जब सब लोगों ने यह देखा तो वे खुशी से जयजयकार करने लगे और उन्होंने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर दंडवत किया।+
10 बाद में हारून के बेटों, नादाब और अबीहू+ ने अपना-अपना धूपदान लिया और उनमें आग भरी और धूप डाला।+ फिर वे यहोवा के सामने ऐसी आग चढ़ाने लगे जो नियम के खिलाफ थी,+ जिसकी आज्ञा परमेश्वर ने उन्हें नहीं दी थी। 2 मगर उसी पल यहोवा की तरफ से उन दोनों पर आग बरसी+ और वे यहोवा के सामने मर गए।+ 3 तब मूसा ने हारून से कहा, “यहोवा ने कहा है, ‘मैं उन लोगों के बीच पवित्र ठहरूँगा जो मेरे पास आते हैं+ और सब लोगों के सामने मेरी महिमा होगी।’” हारून खामोश रहा।
4 फिर मूसा ने हारून के चाचा उज्जीएल+ के बेटे, मीशाएल और एलसापान को बुलाया और उनसे कहा, “तुम दोनों यहाँ आओ और अपने भाइयों की लाशें पवित्र-स्थान के सामने से उठाकर छावनी के बाहर ले जाओ।” 5 तब वे दोनों मूसा के कहे मुताबिक आगे आए और नादाब और अबीहू को उनके कुरतों समेत उठाकर छावनी के बाहर ले गए।
6 फिर मूसा ने हारून और उसके दूसरे बेटों, एलिआज़र और ईतामार से कहा, “तुम दुख के मारे अपने बाल बिखरे हुए मत रहने देना, न ही अपने कपड़े फाड़ना,+ वरना तुम मार डाले जाओगे और परमेश्वर का क्रोध पूरी मंडली पर भड़क उठेगा। यहोवा ने जिन्हें आग से मार डाला है, उनके लिए तुम्हारे भाई यानी इसराएल का पूरा घराना मातम मनाएगा। 7 मगर तुम भेंट के तंबू के द्वार से बाहर मत जाना, वरना तुम मर जाओगे क्योंकि यहोवा के पवित्र तेल से तुम्हारा अभिषेक हुआ है।”+ हारून और उसके बेटों ने मूसा के कहे मुताबिक किया।
8 फिर यहोवा ने हारून से कहा, 9 “तू और तेरे बेटे कभी-भी दाख-मदिरा या किसी और तरह की शराब पीकर भेंट के तंबू में न आएँ,+ वरना तुम मार डाले जाओगे। यह नियम पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदा के लिए तुम पर लागू रहेगा। 10 यह नियम तुम्हें इसलिए दिया जा रहा है ताकि तुम शुद्ध और अशुद्ध चीज़ों के बीच और जो चीज़ें पवित्र हैं और जो पवित्र नहीं हैं, उनके बीच फर्क कर सको+ 11 और इसराएलियों को वे सारे कायदे-कानून सिखा सको जो यहोवा ने मूसा के ज़रिए बताए हैं।”+
12 फिर मूसा ने हारून और उसके बचे हुए दोनों बेटों, एलिआज़र और ईतामार से कहा, “यहोवा के लिए जो अनाज का चढ़ावा आग में जलाकर दिया गया था, उसका बचा हुआ हिस्सा लो और उसमें खमीर मिलाए बिना रोटियाँ बनाओ और वेदी के पास खाओ+ क्योंकि वह बहुत पवित्र है।+ 13 उसे पवित्र जगह में ही खाना+ क्योंकि यहोवा के लिए आग में जलाकर दिए गए चढ़ावे में से वह तुम्हारा और तुम्हारे बेटों का हिस्सा है। मुझे आज्ञा दी गयी है कि तुम्हें ऐसा करना है। 14 और हिलाकर दिए गए चढ़ावे में से सीना और पवित्र हिस्से में से पैर+ भी तुम और तुम्हारे बेटे-बेटियाँ शुद्ध जगह में खाएँगे।+ इसराएलियों की शांति-बलियों में से ये चीज़ें तुम्हें और तुम्हारे बेटों को दी जाती हैं। 15 इसराएली आग में अर्पित की जानेवाली चरबी के साथ-साथ पवित्र हिस्से में से पैर और हिलाकर दिए जानेवाले चढ़ावे में से सीना लाएँगे ताकि वे इन्हें यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाएँ। इस तरह वे हिलाकर दिया जानेवाला चढ़ावा अर्पित करेंगे। इसके बाद सीना और पैर तुम्हें और तुम्हारे बेटों को दिया जाएगा। इन पर हमेशा के लिए तुम्हारा हक रहेगा+ ठीक जैसे यहोवा ने आज्ञा दी है।”
16 जब मूसा ने पाप-बलि के लिए अर्पित बकरे को बहुत ध्यान से ढूँढ़ा+ तो उसने पाया कि उसे जला दिया गया है। तब वह हारून के बचे हुए बेटों यानी एलिआज़र और ईतामार पर भड़क उठा। उसने उनसे कहा, 17 “तुमने पवित्र जगह पर पाप-बलि का गोश्त क्यों नहीं खाया?+ वह बहुत पवित्र चीज़ है और तुम्हें खाने के लिए दिया गया है ताकि तुम मंडली के पाप का लेखा दे सको और यहोवा के सामने उनके लिए प्रायश्चित कर सको। 18 इस बलि के जानवर का खून पवित्र-स्थान के अंदर नहीं लाया गया था।+ तुम्हें पवित्र जगह में उसे ज़रूर खाना चाहिए था क्योंकि मुझे आज्ञा दी गयी है कि तुम्हें ऐसा करना है।” 19 हारून ने मूसा से कहा, “आज लोगों ने यहोवा के सामने जो पाप-बलि और होम-बलि चढ़ायी है,+ मैं उनका गोश्त नहीं खा सका। तू अच्छी तरह जानता है कि आज मुझ पर क्या बीती है। ऐसे में अगर मैं पाप-बलि का गोश्त खाता तो क्या यहोवा मुझसे खुश होता?” 20 मूसा को हारून की यह बात सही लगी।
11 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘तुम ज़मीन पर रहनेवाले ये जीव-जंतु खा सकते हो:+ 3 ऐसा हर जानवर जिसके खुर दो भागों में बँटे होते हैं और जो जुगाली भी करता है।
4 मगर तुम ये जानवर नहीं खा सकते जो या तो जुगाली करते हैं या जिनके खुर दो भागों में बँटे होते हैं: ऊँट, जो जुगाली तो करता है मगर उसके खुर दो भागों में नहीं बँटे होते। वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है।+ 5 चट्टानी बिज्जू,+ जो जुगाली तो करता है मगर उसके खुर दो भागों में नहीं बँटे होते। वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। 6 खरगोश, जो जुगाली तो करता है मगर उसके खुर दो भागों में नहीं बँटे होते। वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। 7 और सूअर,+ जिसके खुर तो दो भागों में बँटे होते हैं मगर वह जुगाली नहीं करता। वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। 8 तुम इनमें से किसी भी जानवर का गोश्त न खाना और न ही इसकी लाश छूना। ये सभी जानवर तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।+
9 तुम पानी में रहनेवाले ये जीव-जंतु खा सकते हो: नदी या समुंदर का ऐसा हर जीव जिसके पंख और छिलके होते हैं।+ 10 लेकिन नदी या समुंदर के ऐसे जीवों को खाना मना है जिनके पंख और छिलके नहीं होते, फिर चाहे वे झुंड में रहनेवाले जीव हों या दूसरे किस्म के जीव। वे तुम्हारे लिए घिनौने हैं। 11 हाँ, तुम्हारी नज़र में वे सभी घिनौने हों। तुम ऐसे किसी भी जीव को न खाना।+ अगर तुम्हें ऐसा मरा हुआ जीव मिले तो उससे घिन करना। 12 पानी के अंदर रहनेवाला ऐसा हर जीव तुम्हारे लिए घिनौना है जिसके पंख और छिलके नहीं होते।
13 आकाश में उड़नेवाले ये सभी जीव तुम्हारे लिए घिनौने हैं और इन्हें तुम मत खाना क्योंकि ये घिनौने हैं: उकाब,+ समुद्री बाज़, काला गिद्ध, 14 लाल चील और हर किस्म की काली चील, 15 हर किस्म का कौवा, 16 शुतुरमुर्ग, उल्लू, धोमरा, हर किस्म का बाज़, 17 छोटा उल्लू, पन-कौवा, लंबे कानोंवाला उल्लू, 18 हंस, हवासिल, गिद्ध, 19 लगलग, हर किस्म का बगुला, हुदहुद और चमगादड़। 20 पंखवाला ऐसा हर कीट-पतंगा तुम्हारे लिए घिनौना है जो झुंड में उड़ता है और चार पैरों के बल चलता है।
21 जो पंखवाले कीट-पतंगे झुंड में उड़ते हैं और चार पैरों के बल चलते हैं, उनमें से सिर्फ ऐसे कीट-पतंगे तुम खा सकते हो जिनके कूदने-फाँदने के पैर भी होते हैं। 22 इस किस्म के कीट-पतंगों में से तुम इन्हें खा सकते हो: उड़नेवाली तरह-तरह की टिड्डियाँ, आम टिड्डी,+ झींगुर और टिड्डा। 23 मगर पंखवाले बाकी सभी कीट-पतंगे जो झुंड में उड़ते हैं और जिनके चार पैर होते हैं, वे तुम्हारे लिए घिनौने हों। 24 उन्हें खाने से तुम अशुद्ध हो जाओगे। जो कोई ऐसे मरे हुए कीट-पतंगों को छूता है वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ 25 जो कोई ऐसे मरे हुए कीट-पतंगों को उठाता है, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए।+ वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।
26 ऐसा हर जानवर तुम्हारे लिए अशुद्ध है जिसके खुर फटे तो होते हैं, मगर दो भागों में नहीं बँटे होते, साथ ही वह जुगाली भी नहीं करता। जो कोई उसे छुएगा वह अशुद्ध हो जाएगा।+ 27 चार पैरोंवाले जो जीव-जंतु पंजों के सहारे चलते हैं वे सब तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं। जो कोई उनकी लाश छुएगा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 28 जो कोई उनकी लाश उठाता है, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए।+ वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ ऐसे जीव-जंतु तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
29 ज़मीन पर जो जीव झुंड में रहते हैं, उनमें से ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं: छछूँदर, चूहा,+ हर किस्म की छिपकली, 30 घरेलू छिपकली, गोह, सरटिका, सांडा और गिरगिट। 31 झुंड में रहनेवाले ये सभी जीव तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।+ जो कोई उनकी लाश छुएगा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+
32 अगर इनमें से कोई मरा हुआ जीव किसी चीज़ पर गिरता है, चाहे लकड़ी के बरतन पर या कपड़े या खाल या टाट पर, तो वह चीज़ अशुद्ध हो जाएगी। रोज़ाना के काम में इस्तेमाल होनेवाला जो बरतन अशुद्ध हो जाता है उसे पानी में डुबोकर रखना चाहिए। वह बरतन शाम तक अशुद्ध रहेगा और उसके बाद वह शुद्ध होगा। 33 अगर मरा हुआ जीव किसी मिट्टी के बरतन में गिरता है तो तुम उस बरतन को चूर-चूर कर देना और उसके अंदर जो भी था वह अशुद्ध हो जाएगा।+ 34 अगर ऐसे अशुद्ध बरतन में रखा पानी किसी खाने की चीज़ पर पड़े तो वह चीज़ अशुद्ध हो जाएगी। ऐसे बरतन में पीने के लिए जो भी रखा हो, वह अशुद्ध हो जाएगा। 35 ये मरे हुए जीव चाहे किसी भी चीज़ पर गिरें वह चीज़ अशुद्ध हो जाएगी। अगर तंदूर या चूल्हे पर ये जीव गिरते हैं तो उसे चूर-चूर कर देना चाहिए। वह अशुद्ध है और तुम्हारे लिए अशुद्ध बना रहेगा। 36 लेकिन अगर पानी के सोते या कुंड में ऐसा मरा हुआ जीव गिर जाए तो वह सोता या कुंड शुद्ध रहेगा। मगर जो कोई उस मरे हुए जीव को पानी से निकालता है वह अशुद्ध हो जाएगा। 37 अगर मरा हुआ जीव किसी ऐसे बीज पर गिरता है जो बोने के लिए रखा हुआ है तो वह बीज शुद्ध ही रहेगा। 38 लेकिन अगर मरे हुए जीव का कोई हिस्सा भिगोए हुए बीज पर गिरता है तो वह बीज तुम्हारे लिए अशुद्ध हो जाएगा।
39 अगर ऐसा कोई जानवर जिसे खाने की तुम्हें इजाज़त है, मरा हुआ पाया जाए तो जो उसकी लाश छुएगा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ 40 अगर किसी ने ऐसे मरे हुए जानवर का गोश्त खा लिया तो उसे अपने कपड़े धोने चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ जो कोई ऐसे जानवर की लाश उठाता है उसे अपने कपड़े धोने चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 41 धरती के वे सभी जीव घिनौने हैं जो झुंड में रहते हैं।+ इन्हें खाना मना है। 42 तुम ऐसा कोई भी जीव मत खाना जो पेट के बल रेंगता है, चार पैरों के सहारे चलता है या जो झुंड में रहता है और जिसके बहुत-से पैर होते हैं, क्योंकि ये घिनौने हैं।+ 43 तुम झुंड में रहनेवाले किसी भी जीव की वजह से घिनौने मत बनना। तुम उनकी वजह से दूषित और अशुद्ध मत हो जाना।+ 44 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।+ तुम्हें शुद्ध और पवित्र बने रहना है+ क्योंकि मैं पवित्र हूँ।+ तुम धरती के ऐसे किसी भी जीव की वजह से खुद को अशुद्ध मत करना जो झुंड में रहता है। 45 मैं यहोवा हूँ और तुम्हें इसलिए मिस्र देश से निकालकर ले जा रहा हूँ ताकि यह साबित करूँ कि मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ।+ तुम्हें पवित्र बने रहना है+ क्योंकि मैं पवित्र हूँ।+
46 ये सभी नियम जानवरों, उड़नेवाले जीवों, पानी के जीव-जंतुओं और झुंड में रहनेवाले धरती के जीवों के बारे में हैं। 47 ये नियम इसलिए दिए गए हैं ताकि तुम शुद्ध और अशुद्ध चीज़ के बीच और जो जीव खाए जा सकते हैं और जो नहीं खाए जा सकते, उनके बीच फर्क कर सको।’”+
12 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘अगर एक औरत गर्भवती होती है और लड़के को जन्म देती है, तो वह सात दिन तक अशुद्ध रहेगी, जैसे वह माहवारी के दिनों में अशुद्ध रहती है।+ 3 लड़के के जन्म के आठवें दिन उसका खतना किया जाना चाहिए।+ 4 उस औरत को खून बहने की वजह से हुई अशुद्ध हालत से निकलकर शुद्ध होने में 33 दिन और लगेंगे। जब तक उसके शुद्ध होने के दिन पूरे नहीं होते, तब तक उसे कोई भी पवित्र चीज़ नहीं छूनी चाहिए और पवित्र-स्थान में नहीं आना चाहिए।
5 अगर एक औरत लड़की को जन्म देती है तो वह 14 दिन तक अशुद्ध रहेगी, जैसे वह माहवारी के दिनों में अशुद्ध रहती है। उसे खून बहने की वजह से हुई अशुद्ध हालत से निकलकर शुद्ध होने में 66 दिन और लगेंगे। 6 जब एक औरत के शुद्ध होने के दिन पूरे हो जाते हैं, फिर चाहे यह बेटे के जन्म के बाद हो या बेटी के, तो उसे होम-बलि के लिए एक साल का नर मेम्ना+ और पाप-बलि के लिए कबूतर का एक बच्चा या एक फाख्ता लेकर भेंट के तंबू के द्वार पर जाना चाहिए और याजक को देना चाहिए। 7 याजक यहोवा के सामने उन्हें अर्पित करेगा और उस औरत के लिए प्रायश्चित करेगा। तब वह औरत खून बहने की वजह से हुई अशुद्ध हालत से छूटकर शुद्ध हो जाएगी। यह नियम उस औरत के लिए है जिसका बच्चा होता है, चाहे लड़का हो या लड़की। 8 लेकिन अगर वह बलि के लिए मेढ़ा नहीं दे सकती तो उसे दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे लाकर देने चाहिए,+ एक होम-बलि के लिए और एक पाप-बलि के लिए। याजक उस औरत के लिए प्रायश्चित करेगा और वह शुद्ध हो जाएगी।’”
13 यहोवा ने मूसा और हारून से यह भी कहा, 2 “अगर किसी आदमी की त्वचा पर सूजन या पपड़ी या दाग दिखायी देता है और उसके कोढ़*+ में बदलने का खतरा है, तो यह ज़रूरी है कि उस आदमी को हारून याजक के पास या उसके बेटों में से किसी याजक के पास लाया जाए।+ 3 याजक उस आदमी की त्वचा पर हुए संक्रमण की जाँच करेगा। अगर त्वचा के संक्रमित हिस्से के रोएँ सफेद हो गए हैं और संक्रमण त्वचा के अंदर तक दिखायी देता है, तो यह कोढ़ की बीमारी है। याजक उसे जाँचने के बाद ऐलान करेगा कि वह आदमी अशुद्ध है। 4 अगर दाग सफेद है, मगर संक्रमण त्वचा के अंदर तक नहीं दिखायी देता और उस हिस्से के रोएँ भी सफेद नहीं हुए, तो याजक उस संक्रमित आदमी को सात दिन के लिए दूसरों से अलग रखेगा।+ 5 सातवें दिन याजक दोबारा उसकी जाँच करेगा। अगर दाग दिखने में वैसे का वैसा ही है और त्वचा पर और नहीं फैला है, तो याजक उस आदमी को सात दिन और अलग रखेगा।
6 सातवें दिन याजक फिर से उसकी जाँच करेगा। अगर संक्रमण का दाग काफी हलका हो गया है और त्वचा पर नहीं फैला है, तो याजक ऐलान करेगा कि वह आदमी शुद्ध है।+ वह बस एक मामूली घाव था। फिर वह आदमी अपने कपड़े धोएगा और शुद्ध हो जाएगा। 7 लेकिन अगर शुद्ध ठहरने के लिए याजक से जाँच करवाने के बाद यह साफ दिखायी देता है कि संक्रमण त्वचा पर फैल गया है तो उसे एक बार फिर* याजक के पास जाना चाहिए। 8 याजक उसकी जाँच करेगा। जब वह देखेगा कि त्वचा पर पपड़ी फैल गयी है, तो वह ऐलान करेगा कि वह आदमी अशुद्ध है। उसे कोढ़ है।+
9 अगर किसी आदमी के शरीर पर कोढ़ बढ़ने लगता है तो उसे याजक के पास लाया जाए। 10 याजक उसकी जाँच करेगा।+ अगर त्वचा पर सूजन है और वह सफेद है, वहाँ के रोएँ सफेद हो गए हैं और सूजन में खुला घाव है,+ 11 तो यह पुराना कोढ़ है। याजक ऐलान करेगा कि वह आदमी अशुद्ध है। याजक को उसे दोबारा जाँचने के लिए अलग नहीं रखना चाहिए+ क्योंकि वह अशुद्ध है। 12 लेकिन अगर किसी आदमी के पूरे शरीर पर कोढ़ फैल गया है और याजक देख सकता है कि सिर से पाँव तक कोढ़ भरा हुआ है 13 और वह उसे जाँचने पर पाता है कि कोढ़ पूरी त्वचा पर फैल गया है, तो वह ऐलान करेगा कि उसका कोढ़ दूसरों को लगनेवाला कोढ़ नहीं है।* उसकी पूरी त्वचा सफेद हो गयी है और वह शुद्ध है। 14 लेकिन अगर कभी उसकी त्वचा में खुला घाव दिखायी देने लगता है तो वह आदमी अशुद्ध हो जाएगा। 15 जब याजक उसका खुला घाव देखेगा तो उस घाव की वजह से वह ऐलान करेगा कि वह आदमी अशुद्ध है।+ उसे कोढ़ की बीमारी है।+ 16 अगर उस आदमी का खुला घाव दोबारा सफेद हो जाता है तो वह याजक के पास आएगा। 17 याजक उसकी जाँच करेगा।+ अगर उसका संक्रमण सफेद हो गया है तो याजक ऐलान करेगा कि संक्रमित आदमी शुद्ध है।
18 अगर किसी के शरीर पर फोड़ा निकल आता है और वह ठीक हो जाता है, 19 लेकिन जहाँ फोड़ा निकला था वहाँ की त्वचा सूजकर सफेद हो जाती है या वहाँ लाल-सफेद दाग बन जाता है, तो उसे जाँच के लिए याजक के पास जाना चाहिए। 20 याजक उसकी जाँच करेगा।+ अगर दाग त्वचा के अंदर तक दिखायी देता है और वहाँ के रोएँ सफेद हो गए हैं, तो याजक ऐलान करेगा कि वह आदमी अशुद्ध है। यह कोढ़ की बीमारी है, जो फोड़े की जगह पर निकल आयी है। 21 लेकिन अगर याजक उसे जाँचने पर पाता है कि वहाँ के रोएँ सफेद नहीं हुए हैं और दाग त्वचा के अंदर तक नहीं है और दाग हलका हो गया है, तो याजक उसे सात दिन के लिए अलग रखेगा।+ 22 और अगर यह साफ दिखायी देता है कि दाग त्वचा पर फैल गया है तो याजक ऐलान करेगा कि वह अशुद्ध है। उसे कोढ़ है। 23 लेकिन अगर दाग वैसे का वैसा ही है और फैला नहीं है तो इसका मतलब है कि उसकी सूजन फोड़े की वजह से थी। याजक ऐलान करेगा कि वह आदमी शुद्ध है।+
24 अगर जलने की वजह से किसी की त्वचा पर घाव बन जाता है और वह कच्चा घाव सफेद या लाल-सफेद रंग के दाग में बदल जाता है, 25 तो याजक उसकी जाँच करेगा। अगर उस दाग के रोएँ सफेद हो गए हैं और दाग त्वचा के अंदर तक दिखायी देता है तो यह कोढ़ है जो उस घाव में निकल आया है। याजक ऐलान करेगा कि वह आदमी अशुद्ध है। उसे कोढ़ की बीमारी है। 26 लेकिन अगर याजक उसे जाँचने पर पाता है कि उस दाग का एक भी रोयाँ सफेद नहीं हुआ और दाग त्वचा के अंदर तक दिखायी नहीं देता और सफेदी कम हो गयी है तो वह उस आदमी को सात दिन के लिए अलग रखेगा।+ 27 सातवें दिन याजक उसकी दोबारा जाँच करेगा। तब अगर यह साफ दिखायी देता है कि दाग त्वचा पर फैल गया है तो याजक ऐलान करेगा कि वह आदमी अशुद्ध है। उसे कोढ़ की बीमारी है। 28 लेकिन अगर दाग वैसे का वैसा ही है और त्वचा पर फैला नहीं है और उसकी सफेदी कम हो गयी है, तो इसका मतलब है कि वह सूजन सिर्फ घाव की वजह से थी। याजक ऐलान करेगा कि वह आदमी शुद्ध है क्योंकि यह घाव की सूजन है।
29 अगर किसी आदमी या औरत के सिर या ठोढ़ी पर संक्रमण हो जाता है, 30 तो याजक उस संक्रमण की जाँच करेगा।+ अगर संक्रमण त्वचा के अंदर तक दिखायी देता है और उस हिस्से के बाल पतले और पीले पड़ गए हैं तो याजक ऐलान करेगा कि वह इंसान अशुद्ध है। यह सिर की खाल या दाढ़ी में होनेवाला संक्रमण है। यह सिर या ठोढ़ी में होनेवाला कोढ़ है। 31 लेकिन अगर याजक देखता है कि संक्रमण त्वचा के अंदर तक नहीं दिखायी देता और वहाँ एक भी काला बाल नहीं है, तो याजक को चाहिए कि वह संक्रमित इंसान को सात दिन के लिए अलग रखे।+ 32 सातवें दिन याजक उस संक्रमण की जाँच करेगा। अगर संक्रमण फैला नहीं है और न ही वहाँ के बाल पीले हुए हैं और संक्रमण त्वचा के अंदर तक नहीं दिखायी पड़ता, 33 तो उस इंसान को चाहिए कि वह अपने सिर या ठोढ़ी के बाल मुँड़वा ले, मगर संक्रमित हिस्से के बाल न मुँड़वाए। फिर याजक उस संक्रमित इंसान को सात दिन और अलग रखेगा।
34 सातवें दिन याजक फिर से संक्रमित हिस्से की जाँच करेगा। अगर सिर की खाल या दाढ़ी का संक्रमण त्वचा पर नहीं फैला है और त्वचा के अंदर तक नहीं दिखायी देता, तो याजक को ऐलान करना चाहिए कि वह शुद्ध है। उस आदमी को अपने कपड़े धोकर शुद्ध होना चाहिए। 35 लेकिन अगर शुद्ध ठहराए जाने के बाद यह साफ दिखायी देता है कि संक्रमण फैल गया है, 36 तो याजक उसकी जाँच करेगा। अगर संक्रमण त्वचा पर फैल गया है तो वह आदमी अशुद्ध है। याजक को यह देखने की ज़रूरत नहीं कि उसके संक्रमित हिस्से के बाल पीले हुए हैं या नहीं। 37 लेकिन अगर जाँच से पता चलता है कि संक्रमण फैला नहीं है और वहाँ काले बाल उग आए हैं तो इसका मतलब है कि उसका संक्रमण दूर हो गया है। वह शुद्ध है। याजक ऐलान करेगा कि वह शुद्ध है।+
38 अगर एक आदमी या औरत की त्वचा पर दाग दिखायी देते हैं और वे दाग सफेद हैं, 39 तो याजक उनकी जाँच करेगा।+ अगर दाग हलके सफेद हैं, तो यह त्वचा पर होनेवाला ददोरा है। इससे कोई खतरा नहीं है। वह आदमी या औरत शुद्ध है।
40 अगर एक आदमी के सिर के बाल झड़ जाते हैं और वह गंजा हो जाता है, तो वह अशुद्ध नहीं शुद्ध है। 41 अगर उसके सिर पर सामने के बाल झड़ जाते हैं और उस हिस्से में वह गंजा हो जाता है, तो वह अशुद्ध नहीं शुद्ध है। 42 लेकिन अगर सिर के सामने के गंजे हिस्से पर या माथे पर लाल-सफेद घाव बन जाता है, तो यह कोढ़ है जो सिर की खाल या माथे पर निकल आया है। 43 याजक उसकी जाँच करेगा। अगर उसके गंजे हिस्से में या माथे पर संक्रमण की वजह से हुई सूजन लाल-सफेद है और त्वचा पर होनेवाले कोढ़ जैसी दिखती है, 44 तो वह आदमी कोढ़ी है। वह अशुद्ध है। उसके सिर पर हुई बीमारी की वजह से याजक को ऐलान करना चाहिए कि वह आदमी अशुद्ध है। 45 जिसे कोढ़ की बीमारी है वह फटे हुए कपड़े पहने, बाल बिखरे हुए रखे, अपनी मूँछें ढाँप ले और चिल्ला-चिल्लाकर कहे, ‘मैं अशुद्ध हूँ, अशुद्ध!’ 46 जितने समय तक उसे बीमारी रहेगी वह अशुद्ध रहेगा। इस अशुद्ध हालत की वजह से उसे लोगों की बस्ती से दूर अलग रहना चाहिए। उसका बसेरा छावनी के बाहर होगा।+
47 अगर कोढ़ की बीमारी किसी पोशाक पर हो जाए, चाहे वह ऊनी हो या मलमल की, 48 या कोढ़ उस पोशाक के ताने या बाने में, या किसी चमड़े पर या चमड़े की बनी किसी चीज़ पर हो जाए 49 और उस पोशाक, चमड़े, ताने, बाने या चमड़े की चीज़ पर पीले-हरे या लाल रंग का दाग दिखायी दे, तो यह कोढ़ की निशानी है। वह चीज़ ले जाकर याजक को दिखायी जाए। 50 याजक उस कोढ़ की जाँच करेगा और उस दागदार चीज़ को सात दिन तक अलग रखेगा।+ 51 सातवें दिन याजक उस पोशाक या उसके ताने या बाने पर या चमड़े (चाहे यह चमड़ा किसी भी चीज़ के लिए इस्तेमाल होता हो) पर हुए कोढ़ को जाँचेगा। अगर वह पाता है कि दाग उस चीज़ पर फैल गया है, तो जान लो कि यह फैलनेवाला कोढ़ है। वह चीज़ अशुद्ध है।+ 52 उसे चाहिए कि जिस ऊनी या मलमल की पोशाक पर या जिसके ताने या बाने या चमड़े की चीज़ पर कोढ़ हुआ है उसे जला दे, क्योंकि यह फैलनेवाला कोढ़ है। वह चीज़ आग में जला दी जाए।
53 लेकिन अगर याजक उस पोशाक या उसके ताने या बाने या चमड़े की चीज़ को जाँचने पर पाता है कि दाग बाकी हिस्सों पर नहीं फैला है, 54 तो वह आदेश देगा कि उस संक्रमित चीज़ को अच्छी तरह धोकर साफ किया जाए। इसके बाद वह और सात दिन के लिए उसे अलग रखेगा। 55 उसकी धुलाई के बाद याजक उसकी जाँच करेगा। अगर दाग वैसे का वैसा ही है तो चाहे वह दूसरे हिस्सों में न फैला हो, फिर भी वह चीज़ अशुद्ध है। तुम्हें उस चीज़ को आग में जला देना होगा क्योंकि कोढ़ ने उसे अंदर या बाहर से खा लिया है।
56 अगर याजक उसे जाँचने पर पाता है कि अच्छी धुलाई के बाद दाग हलका हो गया है तो वह उस पोशाक या चमड़े, ताने या बाने से दागवाला हिस्सा फाड़कर निकाल देगा। 57 लेकिन अगर दाग उस पोशाक या चमड़े, ताने या बाने के किसी और हिस्से पर नज़र आता है तो इसका मतलब है कि दाग फैल रहा है। उस संक्रमित चीज़ को तुम आग में जला देना।+ 58 लेकिन अगर पोशाक या ताने या बाने या चमड़े की चीज़ की धुलाई के बाद दाग गायब हो जाता है, तो तुम उस चीज़ को दोबारा धोना। वह चीज़ शुद्ध हो जाएगी।
59 ये नियम कोढ़ की बीमारी के बारे में हैं, फिर चाहे यह ऊन या मलमल से बुनी पोशाक पर या उसके ताने या बाने पर या चमड़े की किसी चीज़ पर हो जाए। उसे शुद्ध या अशुद्ध ठहराने के लिए ये नियम दिए गए हैं।”
14 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “जब एक आदमी का कोढ़ ठीक हो जाता है, तो यह ज़रूरी है कि उसे शुद्ध ठहराने के लिए याजक के पास लाया जाए। जिस दिन उसे लाया जाता है उस दिन उसे शुद्ध ठहराने के लिए इस नियम का पालन किया जाना चाहिए।+ 3 याजक छावनी के बाहर उस आदमी के पास जाएगा और उसकी जाँच करेगा। अगर वह देखता है कि उस आदमी का कोढ़ ठीक हो गया है, 4 तो वह उसे आज्ञा देगा कि वह दो शुद्ध चिड़ियाँ, देवदार की लकड़ी, सुर्ख लाल कपड़ा और मरुआ लाए ताकि उसे शुद्ध किया जाए।+ 5 फिर याजक आज्ञा देगा कि एक चिड़िया को लिया जाए और उसे ताज़े पानी से भरे मिट्टी के बरतन के ऊपर हलाल किया जाए। 6 फिर वह ज़िंदा चिड़िया लेगा और उसके साथ देवदार की लकड़ी, सुर्ख लाल कपड़ा और मरुआ भी लेगा और इन सबको एक-साथ पहली चिड़िया के खून में डुबोएगा जिसे ताज़े पानी के ऊपर हलाल किया गया था। 7 फिर वह बरतन से खून लेगा और उस आदमी पर सात बार छिड़केगा, जो कोढ़ से शुद्ध होने के लिए आया है, और ऐलान करेगा कि वह आदमी शुद्ध है। वह ज़िंदा चिड़िया को खुले मैदान में छोड़ देगा।+
8 जिस आदमी को शुद्ध किया जा रहा है उसे चाहिए कि वह अपने कपड़े धोए, अपने सब बाल मूँड़े और नहाए। वह शुद्ध हो जाएगा। इसके बाद वह छावनी में आ सकता है, मगर उसे सात दिन तक अपने तंबू के बाहर रहना होगा। 9 सातवें दिन उसे अपने सिर, ठोढ़ी और भौंहों के सारे बाल मूँड़ने चाहिए। फिर उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शुद्ध हो जाएगा।
10 आठवें दिन वह याजक के पास ये सारी चीज़ें लेकर जाएगा: ऐसे दो नर मेम्ने जिनमें कोई दोष न हो, एक साल की मादा मेम्ना जिसमें कोई दोष न हो,+ अनाज के चढ़ावे के लिए एपा का तीन-दहाई भाग* मैदा जिसमें तेल मिला हो+ और लोज-भर* तेल।+ 11 जो याजक ऐलान करता है कि वह आदमी शुद्ध है, वह उस आदमी को उसके चढ़ावे के साथ भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के सामने ले जाएगा। 12 फिर याजक दोष-बलि के लिए एक नर मेम्ना+ और लोज-भर तेल लेगा और उन्हें यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाएगा। यह हिलाकर दिया जानेवाला चढ़ावा है।+ 13 फिर वह मेम्ने को पवित्र जगह में हलाल करेगा, जहाँ आम तौर पर पाप-बलि और होम-बलि का जानवर हलाल किया जाता है,+ क्योंकि पाप-बलि की तरह दोष-बलि के गोश्त पर याजक का हक है।+ यह बहुत पवित्र है।+
14 फिर याजक दोष-बलि के मेम्ने का थोड़ा-सा खून लेगा और शुद्ध होनेवाले आदमी के दाएँ कान के निचले सिरे पर, दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाएगा। 15 फिर याजक लोज-भर तेल में से थोड़ा तेल लेकर+ अपनी बायीं हथेली पर डालेगा। 16 फिर अपने दाएँ हाथ की उँगली उस तेल में डुबोएगा और यहोवा के सामने सात बार अपनी उँगली से उसे छिड़केगा। 17 इसके बाद याजक हथेली पर बचे तेल में से थोड़ा तेल लेगा और शुद्ध होनेवाले आदमी के दाएँ कान के निचले सिरे पर, दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाएगा, जिन पर पहले से दोष-बलि के जानवर का खून लगा होगा। 18 याजक की हथेली में जो तेल बच जाता है, उसे वह शुद्ध होनेवाले आदमी के सिर पर डालेगा। और याजक यहोवा के सामने उस आदमी के लिए प्रायश्चित करेगा।+
19 इसके बाद याजक पाप-बलि चढ़ाएगा+ और उस आदमी के लिए प्रायश्चित करेगा जो अशुद्ध हालत से शुद्ध किया जा रहा है। फिर वह होम-बलि का जानवर हलाल करेगा। 20 याजक वेदी पर होम-बलि और अनाज का चढ़ावा अर्पित करेगा+ और उस आदमी के लिए प्रायश्चित करेगा+ और वह आदमी शुद्ध हो जाएगा।+
21 अगर वह आदमी गरीब है और उसकी इतनी हैसियत नहीं कि इन चीज़ों की बलि दे सके तो अपने प्रायश्चित के लिए वह एक नर मेम्ने की दोष-बलि देगा जिसे आगे-पीछे हिलाकर चढ़ाया जाएगा। साथ ही, वह अनाज के चढ़ावे के लिए एपा का दसवाँ भाग* मैदा जिसमें तेल मिला हो, लोज-भर तेल 22 और अपनी हैसियत के मुताबिक दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे देगा। एक चिड़िया पाप-बलि के लिए और दूसरी होम-बलि के लिए होगी।+ 23 वह आठवें दिन+ यह सब लेकर भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के सामने जाएगा और याजक को देगा ताकि उसे शुद्ध ठहराया जाए।+
24 याजक दोष-बलि का मेम्ना+ और लोज-भर तेल लेगा और उन्हें यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाएगा। यह हिलाकर दिया जानेवाला चढ़ावा है।+ 25 फिर वह दोष-बलि का मेम्ना हलाल करेगा। याजक उस दोष-बलि का थोड़ा-सा खून लेगा और शुद्ध होनेवाले आदमी के दाएँ कान के निचले सिरे पर, दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाएगा।+ 26 फिर याजक थोड़ा तेल लेकर अपनी बायीं हथेली पर डालेगा+ 27 और अपने दाएँ हाथ की उँगली से उस हथेली का थोड़ा तेल लेगा और यहोवा के सामने सात बार छिड़केगा। 28 इसके बाद याजक उस तेल में से थोड़ा तेल लेकर शुद्ध होनेवाले आदमी के दाएँ कान के निचले सिरे पर, दाएँ हाथ के अँगूठे पर और दाएँ पैर के अँगूठे पर लगाएगा, जहाँ पहले उसने दोष-बलि के जानवर का खून लगाया था। 29 याजक की हथेली में जो तेल बच जाता है, उसे वह शुद्ध होनेवाले आदमी के सिर पर डालेगा ताकि यहोवा के सामने उस आदमी के लिए प्रायश्चित कर सके।
30 वह आदमी अपनी हैसियत के मुताबिक जो फाख्ते या कबूतर के बच्चे देगा,+ उनमें से एक की 31 पाप-बलि और दूसरे की होम-बलि चढ़ायी जाएगी।+ साथ ही, अनाज का चढ़ावा भी चढ़ाया जाएगा। और याजक शुद्ध होनेवाले उस आदमी के लिए यहोवा के सामने प्रायश्चित करेगा।+
32 यह नियम ऐसे आदमी के लिए है जिसका कोढ़ ठीक हो गया है, मगर उसकी इतनी हैसियत नहीं कि वह उन चीज़ों की बलि दे सके जो उसे शुद्ध ठहराने के लिए ज़रूरी हैं।”
33 फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, 34 “जब तुम लोग कनान देश में बस जाओगे+ जिसका मैं तुम्हें अधिकारी बनाऊँगा,+ तब अगर मैं किसी घर पर कोढ़ लगने दूँ,+ 35 तो उस घर के मालिक को चाहिए कि वह याजक के पास जाए और उससे कहे, ‘मेरे घर की दीवार पर एक दाग दिखायी दे रहा है और वह कोढ़ जैसा लग रहा है।’ 36 तब याजक उसे आज्ञा देगा कि इससे पहले कि वह घर की जाँच करने आए घर खाली कर दिया जाए। वरना उस घर में जो भी है उसे याजक अशुद्ध ठहरा देगा। जब घर खाली कर दिया जाएगा, तब याजक घर के अंदर जाकर उसका मुआयना करेगा। 37 वह दीवार के उस हिस्से की जाँच करेगा जहाँ बीमारी के लक्षण नज़र आते हैं। अगर दीवार पर पीले-हरे या लाल रंग के गड्ढे हैं और ये दीवार की सतह के अंदर तक नज़र आते हैं, 38 तो याजक घर से बाहर द्वार पर जाएगा और सात दिन के लिए उसे बंद कर देगा।+
39 फिर सातवें दिन याजक वापस उस घर पर आएगा और उसका मुआयना करेगा। अगर दीवारों के बाकी हिस्सों में भी दाग फैल गए हैं, 40 तो याजक आज्ञा देगा कि दीवार से वे पत्थर निकाल दिए जाएँ जिनमें दाग हैं और ये पत्थर शहर के बाहर किसी अशुद्ध जगह ले जाकर फेंक दिए जाएँ। 41 इसके बाद वह आज्ञा देगा कि घर का पूरा अंदरूनी हिस्सा अच्छी तरह खुरच दिया जाए और उसका पलस्तर और गारा निकालकर शहर के बाहर किसी अशुद्ध जगह ले जाकर फेंक दिया जाए। 42 फिर दीवार से निकाले गए पत्थरों की जगह दूसरे पत्थर लगाए जाएँ और पूरे घर पर नया गारा और पलस्तर लगाया जाए।
43 लेकिन अगर दीवारों से पत्थर निकालने, पूरे घर को खुरचने और नया पलस्तर लगाने के बाद फिर से दाग निकल आते हैं, 44 तो याजक उस घर के अंदर जाएगा और उसका मुआयना करेगा। अगर उस घर में बीमारी फैल गयी है तो यह खतरनाक कोढ़ है।+ वह घर अशुद्ध है। 45 याजक आज्ञा देगा कि घर ढा दिया जाए और उसके पत्थर, उसकी बल्लियाँ, उस पर लगा सारा पलस्तर और गारा, सब ले जाकर शहर के बाहर किसी अशुद्ध जगह पर फेंक दिया जाए।+ 46 जितने दिन तक वह घर बंद रखा गया था+ उस दौरान अगर कोई उसके अंदर गया हो तो वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ 47 अगर उस दौरान कोई उस घर में सोया हो, तो उसे अपने कपड़े धोने चाहिए। उसी तरह, अगर उस दौरान कोई उस घर के अंदर कुछ खाता है, तो उसे अपने कपड़े धोने चाहिए।
48 लेकिन अगर घर पर नया पलस्तर लगने के बाद, याजक आकर देखता है कि बीमारी घर की दीवारों पर नहीं फैली है, तो वह ऐलान करेगा कि घर शुद्ध है क्योंकि बीमारी दूर हो गयी है। 49 घर की अशुद्धता दूर करने के लिए वह दो चिड़ियाँ, देवदार की लकड़ी, सुर्ख लाल कपड़ा और मरुआ लेगा।+ 50 फिर वह उनमें से एक चिड़िया लेगा और ताज़े पानी से भरे मिट्टी के बरतन के ऊपर उसे हलाल करेगा। 51 इसके बाद वह देवदार की लकड़ी, मरुआ, सुर्ख लाल कपड़ा और ज़िंदा चिड़िया लेगा और उन सबको पहली चिड़िया के खून में डुबोएगा, जिसे ताज़े पानी के ऊपर हलाल किया गया था। फिर वह बरतन में से खून लेगा और घर की तरफ सात बार छिड़केगा।+ 52 इस तरह वह चिड़िया के खून, ताज़े पानी, ज़िंदा चिड़िया, देवदार की लकड़ी, मरुए और सुर्ख लाल कपड़े से घर की अशुद्धता दूर करके उसे शुद्ध करेगा। 53 फिर वह ज़िंदा चिड़िया को शहर से बाहर खुले मैदान में छोड़ देगा और घर के लिए प्रायश्चित करेगा। वह घर शुद्ध हो जाएगा।
54 ये सारे नियम तरह-तरह के कोढ़, सिर की खाल या दाढ़ी के संक्रमण,+ 55 पोशाक या घर पर होनेवाले कोढ़+ 56 और त्वचा की सूजन, पपड़ी और दाग के बारे में हैं+ 57 ताकि यह तय किया जा सके कि एक चीज़ कब अशुद्ध हो जाती है और कब शुद्ध।+ ये सारे नियम कोढ़ के बारे में हैं।”+
15 यहोवा ने मूसा और हारून से यह भी कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘अगर एक आदमी के जननांगों से रिसाव होता है, तो वह उस रिसाव की वजह से अशुद्ध है।+ 3 चाहे उसके जननांगों से लगातार रिसाव होता हो या रिसाव की वजह से जननांगों में रुकावट पैदा हो, फिर भी वह अशुद्ध है।
4 अगर एक आदमी का रिसाव होता है तो वह जिस बिस्तर पर लेटता है या जिस चीज़ पर बैठता है, वह बिस्तर या चीज़ अशुद्ध हो जाएगी। 5 जो कोई उसका बिस्तर छूता है, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ 6 जो कोई ऐसी चीज़ पर बैठता है जिस पर वह आदमी बैठा था, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 7 जो कोई उस आदमी को छूता है जिसका रिसाव होता है, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 8 जिसका रिसाव होता है वह अगर किसी शुद्ध आदमी पर थूक दे, तो जिस पर उसने थूका है उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 9 जिसका रिसाव होता है वह अगर ज़ीन पर बैठकर सवारी करता है, तो वह ज़ीन अशुद्ध हो जाएगी। 10 जो कोई ऐसी चीज़ छूता है जिस पर वह आदमी बैठा था, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। जो कोई ऐसी अशुद्ध चीज़ें उठाता है उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 11 जिसका रिसाव होता है+ वह अगर अपने हाथ धोए बगैर किसी को छू ले, तो जिसे उसने छुआ है उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 12 जिसका रिसाव होता है वह अगर किसी मिट्टी के बरतन को छूता है, तो वह बरतन चूर-चूर कर दिया जाए। अगर वह किसी लकड़ी के बरतन को छूता है तो वह बरतन पानी से धोया जाए।+
13 जब उस आदमी का रिसाव बंद हो जाता है और उसकी अशुद्धता दूर हो जाती है, तो उसे शुद्ध ठहरने के लिए सात दिन गिनने चाहिए और फिर अपने कपड़े धोने चाहिए और ताज़े पानी से नहाना चाहिए और वह शुद्ध हो जाएगा।+ 14 आठवें दिन उसे दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे लेकर+ भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के सामने आना चाहिए और याजक को देना चाहिए। 15 याजक उन चिड़ियों की बलि चढ़ाएगा, एक की पाप-बलि और दूसरी की होम-बलि। और याजक उस आदमी के लिए यहोवा के सामने प्रायश्चित करेगा जो रिसाव की वजह से अशुद्ध हो गया था।
16 अगर किसी आदमी का वीर्य निकल जाए, तो उसे अच्छी तरह नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ 17 उसे ऐसे किसी भी कपड़े या चमड़े की चीज़ को धोना चाहिए जिस पर वीर्य गिरा हो। वह चीज़ शाम तक अशुद्ध रहेगी।
18 जब एक आदमी एक औरत के साथ सोता है और उसका वीर्य निकल जाता है, तो उन्हें नहाना चाहिए। वे दोनों शाम तक अशुद्ध रहेंगे।+
19 अगर एक औरत के शरीर से खून बहता है, तो वह सात दिन तक माहवारी की वजह से अशुद्ध रहेगी।+ जो कोई ऐसी औरत को छुएगा वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ 20 जब वह माहवारी की वजह से अशुद्ध हालत में होती है, तो वह जिस बिस्तर पर लेटती है या जिस चीज़ पर बैठती है वह बिस्तर या चीज़ अशुद्ध हो जाएगी।+ 21 जो कोई उसका बिस्तर छूता है, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 22 वह जिस चीज़ पर बैठती है, उसे अगर कोई छूता है तो उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा। 23 अगर कोई उस बिस्तर या चीज़ को छू लेता है जिस पर वह बैठी थी, तो वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ 24 अगर कोई आदमी उसके साथ सोता है और उस औरत का माहवारी का खून उस आदमी को लग जाता है,+ तो वह आदमी सात दिन तक अशुद्ध रहेगा। वह जिस बिस्तर पर लेटेगा वह अशुद्ध हो जाएगा।
25 अगर एक औरत का खून तब बहता है जब उसकी माहवारी का समय नहीं है और बहुत दिनों तक बहता रहता है+ या माहवारी के दिन बीतने के बाद भी उसका खून बहना जारी रहता है,+ तो जितने दिनों तक उसका खून बहता है उतने दिन वह अशुद्ध रहेगी, जैसे वह आम तौर पर माहवारी के दिनों में अशुद्ध रहती है। 26 खून बहने के दिनों में वह जिस बिस्तर पर लेटती है या जिस चीज़ पर बैठती है वह बिस्तर या चीज़ अशुद्ध हो जाएगी, जैसे माहवारी के दिनों में उसके लेटने या बैठने से अशुद्ध होती है।+ 27 जो कोई उन चीज़ों को छूता है वह अशुद्ध हो जाएगा। उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+
28 लेकिन जब उसका खून बहना बंद हो जाता है, तो उसे सात दिन गिनने चाहिए और उसके बाद वह शुद्ध होगी।+ 29 आठवें दिन उसे दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे लेकर+ भेंट के तंबू के द्वार पर आना चाहिए और याजक को देना चाहिए।+ 30 याजक एक चिड़िया की पाप-बलि और दूसरी की होम-बलि चढ़ाएगा। और वह यहोवा के सामने उस औरत के लिए प्रायश्चित करेगा जो खून बहने की वजह से अशुद्ध हो गयी थी।+
31 इस तरह तुम इसराएलियों को अशुद्ध होने से बचाए रखना ताकि ऐसा न हो कि वे अपनी अशुद्धता से मेरे पवित्र डेरे को, जो उनके बीच है, दूषित कर दें और मौत की सज़ा पाएँ।+
32 ये नियम इन सभी के बारे में हैं: ऐसा आदमी जिसका रिसाव होता है, जो वीर्य निकलने से अशुद्ध है,+ 33 ऐसी औरत जो माहवारी के दौरान अशुद्ध है,+ ऐसा आदमी जिसके शरीर से रिसाव होता है, ऐसी औरत जिसे उस वक्त माहवारी होती है जब उसका समय नहीं है+ और ऐसा आदमी जो किसी अशुद्ध औरत के साथ सोता है।’”
16 यहोवा ने हारून के दो बेटों की मौत के बाद मूसा से बात की। हारून के ये बेटे यहोवा के सामने जाने की वजह से मर गए थे।+ 2 यहोवा ने मूसा से कहा, “अपने भाई हारून से कहना कि वह परम-पवित्र जगह में परदे के अंदर,+ संदूक के ढकने के सामने यूँ ही किसी भी वक्त नहीं आ सकता।+ वरना वह मर जाएगा+ क्योंकि मैं उस ढकने के ऊपर बादल+ में प्रकट होऊँगा।+
3 हारून को परम-पवित्र जगह में आने से पहले पाप-बलि के लिए एक बैल+ और होम-बलि के लिए एक मेढ़े की बलि चढ़ानी होगी।+ 4 उसे चाहिए कि वह परम-पवित्र जगह में आने से पहले नहाए,+ फिर मलमल का पवित्र कुरता+ और मलमल का जाँघिया+ पहने, कुरते के ऊपर मलमल की कमर-पट्टी+ बाँधे और सिर पर मलमल की पगड़ी+ पहने। यह पवित्र पोशाक+ है।
5 उसे इसराएलियों की मंडली से पाप-बलि के लिए बकरी के दो नर बच्चे और होम-बलि के लिए एक मेढ़ा लेना चाहिए।+
6 फिर हारून को पाप-बलि का बैल सामने लाना चाहिए, जो उसके अपने पापों के लिए होगा। वह अपने और अपने घराने के पापों के लिए प्रायश्चित करेगा।+
7 इसके बाद हारून बकरी के दोनों बच्चों को लेगा और उन्हें भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के सामने खड़ा करेगा। 8 फिर वह दोनों के लिए चिट्ठियाँ डालेगा जिससे तय होगा कि कौन-सा बकरा यहोवा को अर्पित किया जाएगा और कौन-सा अजाजेल* के लिए होगा। 9 जिस बकरे पर यहोवा के नाम की चिट्ठी निकलती है+ उसकी वह पाप-बलि चढ़ाएगा। 10 और जिस बकरे पर अजाजेल के लिए चिट्ठी निकलती है उसे यहोवा के सामने ज़िंदा खड़ा किया जाए ताकि पापों का प्रायश्चित हो और उसे अजाजेल के लिए वीराने में ले जाकर छोड़ दिया जाए।+
11 हारून पाप-बलि का बैल सामने लाएगा जो उसके अपने पापों के लिए होगा। वह अपने और अपने घराने के पापों के लिए प्रायश्चित करेगा। इसके बाद वह पाप-बलि का बैल हलाल करेगा।+
12 इसके बाद वह आग उठाने का करछा लेगा+ जिसमें यहोवा के सामने रखी वेदी का जलता हुआ कोयला भरा होगा,+ साथ ही दो मुट्ठी बढ़िया सुगंधित धूप लेगा+ और यह सब लेकर परदे के अंदर जाएगा।+ 13 फिर वह यहोवा के सामने आग के ऊपर धूप डालेगा+ जिससे धूप का धुआँ गवाही के संदूक+ के ढकने पर छा जाएगा।+ ऐसा वह इसलिए करेगा ताकि वह मर न जाए।
14 वह बैल का थोड़ा खून लेगा+ और अपनी उँगली से संदूक के ढकने के सामने, पूरब की तरफ छिड़केगा। वह ढकने के सामने सात बार खून छिड़केगा।+
15 फिर वह पाप-बलि का बकरा हलाल करेगा जो लोगों के लिए होगा।+ वह बकरे का खून+ लेकर परदे के अंदर जाएगा+ और उसे ठीक उसी तरह छिड़केगा जैसे वह बैल का खून छिड़कता है। उसे यह खून ढकने के सामने छिड़कना चाहिए।
16 हारून परम-पवित्र जगह के लिए प्रायश्चित करेगा ताकि वह इसराएलियों के अशुद्ध कामों, अपराधों और पापों की वजह से दूषित न हो जाए।+ उसे भेंट के तंबू के लिए भी प्रायश्चित करना होगा क्योंकि यह तंबू ऐसे लोगों के बीच है जो अशुद्ध काम करते हैं।
17 जब भी हारून प्रायश्चित करने के लिए परम-पवित्र जगह में जाएगा, तो उसके बाहर आने तक भेंट के तंबू में कोई और आदमी नज़र न आए। हारून अपने और अपने घराने+ के लिए और इसराएल की पूरी मंडली+ के लिए प्रायश्चित करेगा।
18 फिर वह बाहर उस वेदी के पास जाएगा+ जो यहोवा के सामने है और उस वेदी के लिए प्रायश्चित करेगा। वह बैल और बकरे का थोड़ा खून लेकर वेदी के सींगों पर लगाएगा। 19 साथ ही, अपनी उँगली से थोड़ा खून वेदी पर सात बार छिड़केगा और वेदी को इसराएलियों के अशुद्ध कामों से शुद्ध करेगा और पवित्र ठहराएगा।
20 जब वह परम-पवित्र जगह, भेंट के तंबू और वेदी के लिए प्रायश्चित कर लेगा+ तो इसके बाद वह ज़िंदा बकरे को सामने लाएगा।+ 21 हारून बकरे के सिर पर अपने दोनों हाथ रखेगा और इसराएलियों के सभी गुनाह, उनके सभी अपराध और पाप कबूल करेगा और यह सब बकरे के सिर पर डाल देगा।+ फिर वह बकरे को उस आदमी के हाथ वीराने में भेज देगा जो इस काम के लिए चुना जाता है।* 22 इस तरह हारून बकरे को वीराने में भेज देगा+ और वह बकरा लोगों के सारे पाप+ दूर वीराने में ले जाएगा।+
23 फिर हारून भेंट के तंबू में जाएगा और अपनी मलमल की पोशाक उतार देगा जिसे पहनकर वह परम-पवित्र जगह में गया था। वह पोशाक उतारकर नीचे रखेगा। 24 फिर वह तंबू के आँगन में नहाएगा+ और अपनी दूसरी पोशाक पहनेगा।+ फिर वह अपनी होम-बलि+ और लोगों की होम-बलि चढ़ाएगा+ और अपने और लोगों के पापों का प्रायश्चित करेगा।+ 25 वह वेदी पर पाप-बलि की चरबी जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे।
26 जो आदमी अजाजेल के लिए बकरे को छोड़कर आएगा+ उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। इसके बाद वह छावनी में आ सकता है।
27 पाप-बलि के उस बैल और बकरे को, जिनका खून प्रायश्चित के लिए परम-पवित्र जगह में ले जाया गया था, छावनी के बाहर ले जाया जाएगा और उनकी खाल, उनका गोश्त और गोबर आग में जला दिया जाएगा।+ 28 जो ये चीज़ें जलाता है, उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। इसके बाद वह छावनी में आ सकता है।
29 तुम लोगों को यह नियम हमेशा के लिए दिया जाता है: साल के सातवें महीने के दसवें दिन तुम सबको अपने पापों के लिए दुख ज़ाहिर करना होगा।* इस दिन तुममें से किसी को भी कोई काम नहीं करना चाहिए,+ न किसी इसराएली को और न ही तुम्हारे बीच रहनेवाले किसी परदेसी को। 30 यह वह दिन होगा जब तुम्हारे लिए प्रायश्चित किया जाएगा+ ताकि तुम शुद्ध ठहराए जाओ। तुम यहोवा के सामने अपने सब पापों से शुद्ध हो जाओगे।+ 31 यह तुम्हारे लिए सब्त का दिन होगा, पूरे विश्राम का दिन। इस दिन तुम्हें अपने पापों के लिए दुख ज़ाहिर करना होगा।+ यह नियम हमेशा के लिए लागू रहेगा।
32 प्रायश्चित करने का काम वही याजक करेगा जिसका अभिषेक किया जाता है+ और जिसे अपने पिता की जगह+ याजकपद सौंपा जाता है।*+ वह पवित्र पोशाक+ यानी मलमल की पोशाक पहनेगा।+ 33 वह परम-पवित्र जगह,+ भेंट के तंबू+ और वेदी+ के लिए प्रायश्चित करेगा। वह याजकों और मंडली के सब लोगों के लिए भी प्रायश्चित करेगा।+ 34 यह नियम तुम्हें हमेशा के लिए दिया जा रहा है+ कि तुम साल में एक बार इसराएलियों के पापों के लिए प्रायश्चित करो।”+
उसने ठीक वैसा ही किया जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
17 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “तू हारून और उसके बेटों से और सभी इसराएलियों से कहना, ‘यहोवा ने यह आज्ञा दी है:
3 “अगर कोई इसराएली छावनी के अंदर या छावनी के बाहर बैल, मेढ़ा या बकरी हलाल करता है, 4 बजाय इसके कि उसे यहोवा को देने के लिए भेंट के तंबू के द्वार पर लाए और यहोवा के इस पवित्र डेरे के सामने अर्पित करे, तो वह आदमी खून का दोषी होगा। उसने खून बहाने का पाप किया है इसलिए उसे मौत की सज़ा दी जाए। 5 यह नियम इसलिए दिया जा रहा है ताकि अब से इसराएली खुले मैदान में जानवरों की बलि न चढ़ाएँ बल्कि अपने जानवर भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के पास लाएँ और याजक को दें। उन्हें यहोवा के लिए इन जानवरों की शांति-बलि चढ़ानी चाहिए।+ 6 याजक बलि के जानवर का खून लेकर भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा की वेदी पर छिड़केगा और उसकी चरबी जलाएगा ताकि उसका धुआँ उठे और उसकी सुगंध पाकर यहोवा खुश हो।+ 7 अब से वे दुष्ट स्वर्गदूतों* के लिए बलि न चढ़ाएँ+ जिनकी वे पूजा* करते हैं।+ यह नियम तुम्हें और तुम्हारी आनेवाली पीढ़ियों को हमेशा के लिए दिया जाता है।”’
8 तू उनसे कहना, ‘अगर कोई इसराएली या तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी होम-बलि या किसी और तरह की बलि चढ़ाता है 9 और बलि का जानवर यहोवा को देने के लिए भेंट के तंबू के द्वार पर नहीं लाता, तो उसे मौत की सज़ा दी जाए।+
10 अगर कोई इसराएली या तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी किसी भी जीव का खून खाता है,+ तो मैं उसे बेशक ठुकरा दूँगा और उसे मौत की सज़ा दूँगा। 11 क्योंकि हरेक जीवित प्राणी की जान* उसके खून में है।+ और मैंने खुद यह इंतज़ाम ठहराया है कि खून वेदी पर उँडेला जाए+ ताकि तुम्हारी जान के लिए प्रायश्चित हो, क्योंकि खून में ही जान है और खून से ही पापों का प्रायश्चित किया जा सकता है।+ 12 इसीलिए मैंने इसराएलियों से कहा, “किसी भी इसराएली या तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसी+ को खून नहीं खाना चाहिए।”+
13 अगर कोई इसराएली या तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी शिकार करता है और ऐसा जंगली जानवर या चिड़िया पकड़ता है, जिसे खाने की तुम्हें इजाज़त है, तो उसे उस जानवर या चिड़िया का खून ज़मीन पर बहा देना चाहिए+ और मिट्टी से ढाँप देना चाहिए। 14 हरेक जीवित प्राणी का खून ही उसका जीवन है क्योंकि खून में उसकी जान है। इसीलिए मैंने इसराएलियों से कहा, “तुम किसी भी जीवित प्राणी का खून न खाना, क्योंकि हर जीवित प्राणी का खून उसका जीवन है। जो भी खून खाएगा उसे मौत की सज़ा दी जाएगी।”+ 15 अगर कोई इसराएली या तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी ऐसे जानवर का गोश्त खाता है, जो उसे मरा हुआ मिला था या जिसे जंगली जानवर ने फाड़ डाला था,+ तो उसे अपने कपड़े धोने चाहिए और नहाना चाहिए। वह शाम तक अशुद्ध रहेगा।+ उसके बाद वह शुद्ध होगा। 16 अगर वह अपने कपड़े नहीं धोता और नहाता नहीं, तो उसे अपने गुनाह का लेखा देना होगा।’”+
18 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।+ 3 तुम ऐसे काम न करना जैसे मिस्र के लोग करते हैं, जहाँ तुम पहले रहते थे और न ही तुम कनान के लोगों के जैसे काम करना, जहाँ मैं तुम्हें ले जा रहा हूँ।+ तुम उनकी विधियों पर मत चलना। 4 तुम मेरे न्याय-सिद्धांतों को मानना, मेरी विधियों का पालन किया करना और उन पर चलना।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। 5 तुम मेरी विधियों और मेरे न्याय-सिद्धांतों का ज़रूर पालन किया करना। हर कोई जो ऐसा करता है वह ज़िंदा रहेगा।+ मैं यहोवा हूँ।
6 तुममें से कोई भी आदमी अपने किसी भी नज़दीकी रिश्तेदार के साथ यौन-संबंध रखने* के लिए उसके करीब न जाए।+ मैं यहोवा हूँ। 7 तुम अपने पिता या अपनी माँ के साथ यौन-संबंध न रखना। वह तुम्हारी माँ है, तुम्हें उसके साथ यौन-संबंध नहीं रखना चाहिए।
8 तुम अपने पिता की पत्नी के साथ यौन-संबंध न रखना।+ ऐसा करना अपने पिता का अपमान करना है।*
9 तुम अपनी बहन के साथ यौन-संबंध न रखना, फिर चाहे वह तुम्हारे पिता की बेटी हो या माँ की बेटी, चाहे वह तुम्हारे ही घराने में पैदा हुई हो या किसी और घराने में।+
10 तुम न तो अपनी पोती के साथ और न ही अपनी नातिन के साथ यौन-संबंध रखना क्योंकि ऐसा करके तुम खुद का ही अपमान कर रहे होगे।
11 तुम अपने पिता की पत्नी की बेटी के साथ यौन-संबंध न रखना। वह तुम्हारे ही पिता की संतान है, तुम्हारी बहन है।
12 तुम अपनी बुआ के साथ यौन-संबंध न रखना। उसका तुम्हारे पिता के साथ खून का रिश्ता है।+
13 तुम अपनी मौसी के साथ यौन-संबंध न रखना। उसका तुम्हारी माँ के साथ खून का रिश्ता है।
14 तुम अपने पिता के भाई की पत्नी के साथ यौन-संबंध न रखना। वह तुम्हारी चाची* है। उसके साथ संबंध रखना अपने पिता के भाई का अपमान करना है।*+
15 तुम अपनी बहू के साथ यौन-संबंध न रखना।+ वह तुम्हारे बेटे की पत्नी है। तुम्हें उसके साथ यौन-संबंध नहीं रखना चाहिए।
16 तुम अपने भाई की पत्नी के साथ यौन-संबंध न रखना+ क्योंकि ऐसा करना अपने भाई का अपमान करना है।*
17 अगर तुम किसी औरत से शादी करते हो तो उसकी बेटी के साथ यौन-संबंध न रखना।+ तुम उस औरत की पोती और नातिन के साथ यौन-संबंध न रखना। वे उस औरत की नज़दीकी रिश्तेदार हैं। उनके साथ यौन-संबंध रखना अश्लील काम* है।
18 तुम अपनी पत्नी के जीते-जी उसकी बहन से शादी करके उसकी सौतन मत लाना+ और उसकी बहन के साथ यौन-संबंध न रखना।
19 तुम किसी ऐसी औरत के साथ यौन-संबंध रखने के लिए उसके करीब न जाना जो माहवारी की वजह से अशुद्ध हालत में है।+
20 तुम अपने किसी संगी-साथी* की पत्नी के साथ यौन-संबंध न रखना। ऐसा करने से तुम अशुद्ध हो जाओगे।+
21 तुम अपने किसी भी बच्चे को मोलेक देवता को अर्पित* करने के लिए मत देना।+ मोलेक के लिए अपना बच्चा देकर अपने परमेश्वर के नाम का अपमान न करना।+ मैं यहोवा हूँ।
22 तुममें से कोई भी आदमी दूसरे आदमी के साथ यौन-संबंध न रखे, जैसे तुम औरत के साथ संबंध रखते हो।+ यह एक घिनौना काम है।
23 कोई भी आदमी जानवर के साथ यौन-संबंध न रखे। इससे वह आदमी अशुद्ध हो जाएगा। उसी तरह कोई भी औरत जानवर के साथ यौन-संबंध रखने के इरादे से उसके सामने न जाए।+ यह अस्वाभाविक है।
24 तुम इनमें से कोई भी काम करके अशुद्ध मत हो जाना, क्योंकि मैं जिन जातियों को तुम्हारे सामने से खदेड़ रहा हूँ, वे ऐसे ही कामों से अशुद्ध हो गयी हैं।+ 25 इसी वजह से वह देश अशुद्ध है और मैं उसमें रहनेवालों को उनके गुनाहों की सज़ा दूँगा। उन्हें उस देश से खदेड़ दिया जाएगा।*+ 26 मगर तुममें से हर कोई, चाहे वह इसराएली हो या तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी,+ मेरी विधियों और न्याय-सिद्धांतों का पालन किया करे+ और इस तरह का कोई भी घिनौना काम न करे, 27 क्योंकि तुमसे पहले जो लोग उस देश में रहते थे वे ऐसे ही घिनौने काम करते थे+ और उनकी वजह से देश अशुद्ध है। 28 अगर तुम उनके जैसे काम करके देश को दूषित नहीं करोगे तो तुम्हें वहाँ से नहीं खदेड़ा जाएगा* जैसे तुमसे पहले रहनेवाली जातियों को खदेड़ा* जाएगा। 29 अगर कोई इनमें से एक भी घिनौना काम करता है, तो उसे मौत की सज़ा दी जाए। 30 तुम ऐसा कोई भी घिनौना रीति-रिवाज़ न मानना जो वहाँ के लोग मानते थे+ और इस तरह तुम अशुद्ध न होना। इन कामों से दूर रहकर तुम अपना फर्ज़ निभाना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’”
19 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “इसराएलियों की पूरी मंडली से कहना, ‘तुम पवित्र बने रहो क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा पवित्र हूँ।+
3 तुममें से हर कोई अपनी माँ और अपने पिता का आदर करे।*+ तुम मेरे सब्तों को मानना।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। 4 तुम निकम्मे देवताओं की तरफ न फिरना+ और न ही अपने लिए देवताओं की मूरतें ढालकर बनाना।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
5 जब भी तुम यहोवा को शांति-बलि अर्पित करते हो,+ तो बलि इस तरह अर्पित करना कि तुम परमेश्वर की मंज़ूरी पा सको।+ 6 जिस दिन तुम बलि देते हो, उस दिन और उसके अगले दिन तुम्हें उसका गोश्त खाना चाहिए। अगर तीसरे दिन तक कुछ बच जाता है तो उसे आग में जला देना चाहिए।+ 7 अगर तीसरे दिन बलि में से कुछ खाया जाता है, तो यह घिनौना काम है जिसे परमेश्वर मंज़ूर नहीं करेगा। 8 जो उसे खाता है उसे अपने गुनाह का हिसाब देना होगा क्योंकि उसने यहोवा की पवित्र चीज़ को तुच्छ जाना है। ऐसे इंसान को मौत की सज़ा दी जाए।
9 जब तुम अपने खेत की फसल काटोगे तो उसका कोना-कोना साफ मत कर देना और कटाई के वक्त जो बालें रह जाती हैं उन्हें मत बीनना।+ 10 उसी तरह, जब तुम अपने अंगूरों के बाग से फल इकट्ठा करते हो तो बेलों पर छूटे हुए अंगूर मत तोड़ना और न ही बाग में बिखरे अंगूर उठाना। यह सब तुम गरीबों* और अपने बीच रहनेवाले परदेसियों के लिए छोड़ देना।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
11 तुम चोरी न करना,+ किसी के साथ धोखा न करना+ और एक-दूसरे के साथ बेईमानी न करना। 12 तुम मेरे नाम से झूठी शपथ न खाना+ और इस तरह अपने परमेश्वर के नाम का अपमान न करना। मैं यहोवा हूँ। 13 तुम अपने संगी-साथी को न ठगना+ और उसे न लूटना।+ तुम दिहाड़ी के मज़दूर की मज़दूरी रात-भर, अगली सुबह तक अपने पास मत रखना।+
14 तुम किसी बधिर को बददुआ मत देना और न ही किसी अंधे के रास्ते में रोड़ा अटकाना।+ तुम अपने परमेश्वर का डर मानना।+ मैं यहोवा हूँ।
15 तुम मुकदमे में अन्याय न करना। न किसी गरीब की तरफदारी करना और न ही किसी अमीर का पक्ष लेना।+ तुम अपने संगी-साथी का न्याय सच्चाई से करना।
16 तुम किसी के बारे में झूठी बातें फैलाकर उसे अपने लोगों के बीच बदनाम न करना।+ तुम अपने संगी-साथी की जान* के दुश्मन न बनना।*+ मैं यहोवा हूँ।
17 तुम मन-ही-मन अपने भाई से नफरत न करना।+ अगर तुम्हारे संगी-साथी ने कोई पाप किया है, तो उसे सुधारने के लिए ज़रूर फटकारना+ ताकि तुम उसके पाप में साझेदार न बनो।
18 तुम अपने किसी जाति भाई से बदला न लेना,+ न ही उसके खिलाफ दुश्मनी पालना। तुम अपने संगी-साथी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो।+ मैं यहोवा हूँ।
19 तुम मेरी इन विधियों का पालन किया करना: तुम दो अलग-अलग तरह के पालतू जानवरों का आपस में सहवास कराकर दोगले जानवर न पैदा कराना। तुम अपने खेत में दो अलग-अलग तरह के बीज न बोना।+ तुम ऐसी पोशाक न पहनना जो दो अलग-अलग किस्म के धागों से बुनकर तैयार की गयी हो।+
20 अगर एक आदमी ऐसी दासी के साथ यौन-संबंध रखता है जिसकी किसी और आदमी से शादी तय हुई है, मगर अभी तक वह आज़ाद नहीं हुई है या रकम देकर छुड़ायी नहीं गयी है, तो उन दोनों को सज़ा दी जाए। मगर उन्हें मौत की सज़ा न दी जाए क्योंकि वह दासी अभी तक आज़ाद नहीं हुई थी। 21 उस आदमी को दोष-बलि के लिए एक मेढ़ा लेकर भेंट के तंबू के द्वार पर यहोवा के पास जाना चाहिए।+ 22 याजक उस आदमी की दोष-बलि का मेढ़ा यहोवा के सामने अर्पित करेगा और उसके पाप के लिए प्रायश्चित करेगा। और उसका पाप माफ कर दिया जाएगा।
23 जब तुम उस देश में जाकर बस जाओगे जो मैं तुम्हें देनेवाला हूँ और वहाँ कोई पेड़ लगाओगे तो उस पर शुरू में लगनेवाले फलों को अशुद्ध मानना और उन्हें मत खाना।* तीन साल तक तुम्हारे लिए उसका फल खाना मना है।* 24 मगर चौथे साल उसके सभी फल शुद्ध होंगे और तुम खुशी मनाते हुए उसके फल यहोवा को अर्पित करोगे।+ 25 फिर पाँचवें साल तुम उसका फल खाओगे और बढ़िया पैदावार पाओगे। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
26 तुम ऐसी कोई भी चीज़ न खाना जिसमें खून मिला हो।+
तुम शकुन न विचारना और न ही जादू-टोना करना।+
27 तुम अपनी कलमें न मुँड़वाना और अपनी दाढ़ी के किनारे काटकर उसका आकार न बिगाड़ना।+
28 तुम अपने शरीर पर कोई निशान न गुदवाना और न ही किसी की मौत का मातम मनाने के लिए अपने शरीर पर घाव करना।+ मैं यहोवा हूँ।
29 तुम अपनी बेटी को वेश्या बनाकर उसका अपमान मत करना+ ताकि वेश्याओं के काम न हों और देश बदचलनी से न भर जाए।+
30 तुम मेरे सब्तों को मानना+ और मेरे पवित्र-स्थान का गहरा आदर करना।* मैं यहोवा हूँ।
31 तुम उनके पास न जाना जो मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करते हैं+ और न ही भविष्य बतानेवालों से पूछताछ करना+ ताकि तुम उनकी वजह से अशुद्ध न हो जाओ। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
32 तुम पके बालवालों के सामने उठ खड़े होना+ और बुज़ुर्गों का आदर करना।+ इस तरह तुम अपने परमेश्वर का डर मानना।+ मैं यहोवा हूँ।
33 अगर तुम्हारे यहाँ कोई परदेसी रहता है तो उसके साथ बदसलूकी न करना।+ 34 तुम अपने बीच रहनेवाले परदेसी के साथ वैसा ही सलूक करना जैसा तुम अपने इसराएली भाई के साथ करते हो।+ तुम उससे वैसा ही प्यार करना जैसा तुम खुद से करते हो, क्योंकि एक वक्त तुम भी मिस्र में परदेसी हुआ करते थे।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
35 तुम नापने या तौलने के लिए गलत माप इस्तेमाल न करना।+ 36 तुम सिर्फ ऐसा तराज़ू, बाट-पत्थर और पैमाना इस्तेमाल करना जो बिलकुल सही हो।*+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ, मैं ही तुम्हें मिस्र से निकाल लाया हूँ। 37 इसलिए तुम मेरी सभी विधियों और मेरे सभी न्याय-सिद्धांतों का पालन किया करना और उन पर चलना।+ मैं यहोवा हूँ।’”
20 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “तू इसराएलियों से कहना, ‘अगर कोई इसराएली आदमी या इसराएल में रहनेवाला कोई परदेसी अपने किसी बच्चे को मोलेक के लिए अर्पित करता है, तो उसे हर हाल में मार डाला जाए।+ देश के लोगों को उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए। 3 मैं ऐसे आदमी को ठुकरा दूँगा और उसे मौत की सज़ा दूँगा क्योंकि उसने अपना बच्चा मोलेक को अर्पित करके मेरे पवित्र-स्थान को दूषित किया है+ और मेरे पवित्र नाम का अपमान किया है। 4 अगर देश के लोग यह जानते हुए भी कि उसने अपना बच्चा मोलेक को अर्पित किया है, उसका अपराध अनदेखा कर देते हैं और उसे मौत की सज़ा नहीं देते,+ 5 तो मैं बेशक उस आदमी और उसके परिवार को ठुकरा दूँगा।+ मैं उस आदमी को और उसके साथ मिलकर मोलेक को पूजनेवालों को मौत की सज़ा दूँगा।
6 अगर कोई ऐसे इंसान के पास जाता है जो मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करता है+ या भविष्य बताता है,+ तो वह मेरे साथ विश्वासघात* करता है। मैं बेशक उसके खिलाफ हो जाऊँगा और उसे मौत की सज़ा दूँगा।+
7 तुम खुद को शुद्ध और पवित्र बनाए रखना+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। 8 तुम मेरी विधियों का पालन किया करना और उनके मुताबिक चलना।+ मैं यहोवा हूँ, मैं तुम्हें पवित्र ठहरा रहा हूँ।+
9 अगर कोई अपने पिता या अपनी माँ को शाप देता है तो उसे हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए।+ उसने अपने पिता या अपनी माँ को शाप दिया है, इसलिए उसका खून उसी के सिर पर पड़ेगा।
10 अगर कोई अपने संगी-साथी की पत्नी के साथ व्यभिचार करता है तो उसे मौत की सज़ा दी जाए। व्यभिचार करनेवाले उस आदमी और औरत, दोनों को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए।+ 11 जो आदमी अपने पिता की पत्नी के साथ सोता है वह अपने पिता का अपमान करता है।*+ उस आदमी और औरत को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए। उन दोनों का खून उन्हीं के सिर पड़ेगा। 12 अगर एक आदमी अपनी बहू के साथ सोता है तो उन दोनों को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए। उन्होंने जो स्वाभाविक है उसके खिलाफ काम किया है। उनका खून उन्हीं के सिर पड़ेगा।+
13 अगर एक आदमी किसी आदमी के साथ सोता है जैसे आदमी-औरत साथ सोते हैं, तो वे दोनों घिनौना काम करते हैं।+ उन दोनों आदमियों को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए। उनका खून उन्हीं के सिर पड़ेगा।
14 अगर एक आदमी किसी औरत से शादी करता है और उसकी माँ के साथ यौन-संबंध रखता है तो यह अश्लील काम* है।+ उस आदमी और उन दोनों औरतों को मौत की सज़ा दी जाए और फिर आग में जला दिया जाए+ ताकि तुम्हारे बीच ऐसे अश्लील काम आगे न होते रहें।
15 अगर एक आदमी किसी जानवर के साथ यौन-संबंध रखता है तो उसे हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए और उस जानवर को मार डाला जाए।+ 16 अगर एक औरत किसी जानवर के साथ यौन-संबंध रखने के इरादे से उसके करीब जाती है,+ तो तुम उस औरत और जानवर दोनों को मार डालना। जानवर के साथ यौन-संबंध रखनेवाले आदमी और औरत को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए। उनका खून उन्हीं के सिर पड़ेगा।
17 अगर एक आदमी अपनी बहन के साथ यौन-संबंध रखता है, फिर चाहे वह उसके पिता की बेटी हो या माँ की बेटी और वे एक-दूसरे का नंगापन देखते हैं तो यह एक शर्मनाक बात है।+ उन्हें उनके लोगों के देखते मौत की सज़ा दी जाए। उस आदमी ने अपनी बहन का अपमान किया है।* उसे अपने गुनाह का लेखा देना होगा।
18 अगर एक आदमी किसी औरत की माहवारी के दिनों में उसके साथ सोता है और यौन-संबंध रखता है तो वे दोनों खून को अपवित्र समझते हैं।+ उन दोनों को मौत की सज़ा दी जाए।
19 तुम अपनी मौसी या बुआ के साथ यौन-संबंध न रखना क्योंकि ऐसा करना अपने सगे रिश्तेदार का अपमान करना है।+ ऐसा करनेवाले आदमी और औरत दोनों को अपने गुनाह का लेखा देना होगा। 20 जो आदमी अपनी चाची या मामी के साथ सोता है वह अपने चाचा या मामा का अपमान करता है।*+ ऐसा करनेवाले आदमी और औरत दोनों को अपने पाप का लेखा देना होगा। उन्हें मार डाला जाए ताकि उनकी कोई औलाद न हो। 21 अगर कोई अपने भाई की पत्नी के साथ संबंध रखता है तो यह एक घिनौना काम है।+ वह अपने भाई का अपमान करता है।* ऐसा करनेवाले आदमी और औरत दोनों को मार डाला जाए ताकि उनकी कोई औलाद न हो।
22 तुम मेरी सभी विधियों और मेरे सभी न्याय-सिद्धांतों का पालन करना+ और उनके मुताबिक चलना+ ताकि मैं तुम्हें जिस देश में ले जा रहा हूँ वहाँ से तुम्हें खदेड़ न दिया जाए।*+ 23 तुम उन जातियों की विधियों पर मत चलना जिन्हें मैं तुम्हारे सामने से खदेड़ रहा हूँ,+ क्योंकि वे ऐसे नीच काम करते हैं और मैं उन जातियों से घिन करता हूँ।+ 24 इसीलिए मैंने तुमसे कहा है, “तुम उस देश को अपने अधिकार में कर लोगे और मैं उस देश को तुम्हारी जागीर बना दूँगा, जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं।+ मैं यहोवा हूँ, तुम्हारा परमेश्वर जिसने तुम्हें दूसरी जातियों से अलग किया है।”+ 25 तुम शुद्ध और अशुद्ध जानवरों के बीच और शुद्ध और अशुद्ध चिड़ियों के बीच फर्क करना।+ मैंने जिन जानवरों, चिड़ियों और ज़मीन पर रेंगनेवाले जीवों के बारे में तुम्हें आज्ञा दी है कि तुम उन्हें अशुद्ध मानना, उनमें से किसी की वजह से तुम घिनौने मत बनना।+ 26 तुम मेरे पवित्र लोग बने रहना क्योंकि मैं यहोवा पवित्र हूँ।+ मैं तुम्हें दूसरे देशों के लोगों से अलग कर रहा हूँ ताकि तुम मेरे अपने लोग बने रहो।+
27 अगर कोई आदमी या औरत मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करे या भविष्य बताने का काम करे,* तो उसे हर हाल में मार डाला जाए।+ लोगों को उसे पत्थरों से मार डालना चाहिए। उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।’”
21 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, “तू याजकों से यानी हारून के बेटों से कहना, ‘एक याजक को अपने लोगों में से किसी की मौत पर खुद को दूषित नहीं करना चाहिए।+ 2 लेकिन वह अपने नज़दीकी रिश्तेदारों की मौत पर खुद को दूषित कर सकता है, अपनी माँ, अपने पिता, बेटे, बेटी या भाई की मौत पर। 3 उसी तरह, वह अपने पास रहनेवाली कुँवारी बहन की मौत पर, जिसकी शादी नहीं हुई थी, खुद को दूषित कर सकता है। 4 मगर वह किसी ऐसी औरत के लिए खुद को दूषित और अपवित्र नहीं कर सकता, जो उसके लोगों में से किसी आदमी की पत्नी थी। 5 याजकों को किसी की मौत पर अपना सिर नहीं मुँड़वाना चाहिए+ और न ही अपनी कलमें कटवानी चाहिए या अपने तन पर घाव करना चाहिए।+ 6 उन्हें अपने परमेश्वर के लिए पवित्र बने रहना चाहिए+ और अपने परमेश्वर के नाम का अपमान नहीं करना चाहिए,+ क्योंकि वे यहोवा के लिए आग में बलियाँ यानी अपने परमेश्वर के लिए भोजन अर्पित करने का काम करते हैं। इसलिए उन्हें पवित्र बने रहना है।+ 7 एक याजक को किसी वेश्या+ से या ऐसी औरत से शादी नहीं करनी चाहिए जो किसी और से भ्रष्ट हो गयी है या जिसके पति ने उसे तलाक दे दिया है,+ क्योंकि याजक अपने परमेश्वर के लिए पवित्र होता है। 8 तुम लोग एक याजक को पवित्र मानना,+ क्योंकि वही तुम्हारे परमेश्वर के लिए भोजन अर्पित करने का काम करता है। तुम्हें एक याजक को इसलिए पवित्र मानना चाहिए क्योंकि मैं यहोवा पवित्र हूँ और मैं ही तुम लोगों को पवित्र ठहरा रहा हूँ।+
9 अगर किसी याजक की बेटी वेश्या बनकर भ्रष्ट हो जाती है, तो वह अपने पिता का अपमान करती है, इसलिए उसे मौत की सज़ा दी जानी चाहिए और फिर आग में जला देना चाहिए।+
10 जो याजक अपने भाइयों में से महायाजक चुना जाता है, उसे किसी की भी मौत पर अपने बाल बिखरे हुए नहीं रखने चाहिए और न ही अपनी पोशाक फाड़नी चाहिए,+ क्योंकि उसके सिर पर अभिषेक का तेल उँडेला गया है+ और उसे याजकपद सौंपा गया है* ताकि वह याजक की पोशाक+ पहने। 11 महायाजक को किसी भी इंसान की लाश के पास नहीं जाना चाहिए,+ यहाँ तक कि अपने पिता या अपनी माँ की मौत पर भी उसे खुद को दूषित नहीं करना चाहिए। 12 उसे पवित्र-स्थान से बाहर कदम नहीं रखना चाहिए और अपने परमेश्वर के पवित्र-स्थान को दूषित नहीं करना चाहिए,+ क्योंकि परमेश्वर के पवित्र तेल से उसका अभिषेक किया गया है जो उसके समर्पण की निशानी है।+ मैं यहोवा हूँ।
13 उसे सिर्फ ऐसी औरत से शादी करनी चाहिए जो कुँवारी है।+ 14 उसे किसी विधवा या तलाकशुदा औरत या वेश्या या ऐसी औरत से शादी नहीं करनी चाहिए जो भ्रष्ट हो चुकी है। इसके बजाय, उसे अपने लोगों में से किसी कुँवारी से ही शादी करनी चाहिए। 15 उसे अपने लोगों के बीच अपनी संतान का अपमान नहीं करना चाहिए,+ क्योंकि मैं यहोवा हूँ, मैं उसे पवित्र ठहरा रहा हूँ।’”
16 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 17 “हारून से कहना, ‘तेरे वंशजों में से ऐसा कोई भी आदमी, जिसके शरीर में कोई दोष है, अपने परमेश्वर को भोजन अर्पित करने के लिए पवित्र-स्थान के पास नहीं जा सकता। यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी लागू रहेगा। 18 तुम्हारे वंशजों में से ऐसा कोई भी आदमी पवित्र-स्थान के पास नहीं जा सकता जिसके शरीर में इनमें से एक भी दोष है: वह अंधा या लँगड़ा है या उसके चेहरे का रूप बिगड़ा है* या उसका एक हाथ या पैर ज़्यादा लंबा है 19 या उसके हाथ या पैर की हड्डी टूटी है 20 या उसकी पीठ पर कूबड़ है या वह बौना है* या उसकी आँखों में कोई दोष है या उसे दाद या खाज है या उसके अंड कुचले हुए हैं।+ 21 हारून याजक के वंशजों में से किसी आदमी के शरीर में अगर ऐसा एक भी दोष है, तो वह यहोवा के लिए आग में बलि जलाकर अर्पित नहीं कर सकता। उसके शरीर में दोष है, इसलिए वह अपने परमेश्वर को भोजन अर्पित करने वेदी के पास न जाए। 22 उसे अपने परमेश्वर के भोजन में से वे चीज़ें खाने की इजाज़त है जो पवित्र हैं+ और वे भी जो बहुत पवित्र हैं।+ 23 मगर वह न परदे के पास+ और न ही वेदी के पास जा सकता है,+ क्योंकि उसके शरीर में दोष है। उसे मेरा पवित्र-स्थान दूषित नहीं करना चाहिए+ क्योंकि मैं यहोवा हूँ, मैं उन्हें पवित्र ठहरा रहा हूँ।’”+
24 मूसा ने हारून और उसके बेटों को और सभी इसराएलियों को ये सारी बातें बतायीं।
22 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “हारून और उसके बेटों से कहना कि वे इसराएलियों की दी हुई पवित्र चीज़ों के मामले में एहतियात बरतें* और लोग जो चीज़ें मेरे लिए पवित्र ठहराते हैं+ उनके मामले में मेरे पवित्र नाम का अपमान न करें।+ मैं यहोवा हूँ। 3 उनसे कहना, ‘अगर तुम्हारा कोई वंशज अशुद्ध हालत में होते हुए भी उन पवित्र चीज़ों के पास आता है जिन्हें इसराएली यहोवा के लिए पवित्र ठहराते हैं, तो उसे मेरे सामने मौत की सज़ा दी जाए। यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी लागू रहेगा।+ मैं यहोवा हूँ। 4 हारून के वंशजों में से अगर कोई आदमी अशुद्ध हो जाता है तो वह तब तक पवित्र चीज़ों में से नहीं खा सकता जब तक कि वह दोबारा शुद्ध नहीं हो जाता।+ जैसे वह आदमी जिसे कोढ़ है,+ जो रिसाव से पीड़ित है,+ वीर्य निकलने से अशुद्ध है,+ जिसने किसी ऐसे आदमी को छुआ है जो किसी की लाश छूने की वजह से अशुद्ध है,+ 5 जिसने झुंड में रहनेवाले किसी अशुद्ध जीव को छुआ है+ या जिसने ऐसे इंसान को छुआ है जो किसी वजह से अशुद्ध हालत में है।+ 6 जो इनमें से किसी को भी छूता है वह शाम तक अशुद्ध रहेगा और तब तक वह पवित्र चीज़ों में से कुछ भी नहीं खा सकता। उसे शुद्ध होने के लिए नहाना चाहिए+ 7 और सूरज ढलने तक इंतज़ार करना चाहिए। इसके बाद वह शुद्ध हो जाएगा। फिर वह पवित्र चीज़ों में से खा सकता है क्योंकि उसे मिलनेवाला भोजन यही है।+ 8 साथ ही, एक याजक को ऐसे जानवर का गोश्त नहीं खाना चाहिए जो मरा हुआ पाया जाता है या जिसे जंगली जानवरों ने फाड़ डाला है। ऐसा गोश्त खाने से वह अशुद्ध हो जाएगा।+ मैं यहोवा हूँ।
9 उन्हें मेरे नियमों का पालन करना चाहिए ताकि वे इनके खिलाफ जाकर पवित्र चीज़ों को दूषित करने का पाप न करें और मार न डाले जाएँ। मैं यहोवा हूँ, मैं उन्हें पवित्र ठहरा रहा हूँ।
10 ऐसा कोई भी इंसान पवित्र चीज़ें नहीं खा सकता जिसे ये चीज़ें खाने का अधिकार नहीं है।*+ याजक के घर ठहरा कोई परदेसी मेहमान या याजक के लिए काम करनेवाला कोई दिहाड़ी का मज़दूर पवित्र चीज़ें नहीं खा सकता। 11 लेकिन अगर एक याजक ने पैसा देकर कोई दास खरीदा है तो वह दास पवित्र चीज़ों में से खा सकता है। याजक के घराने में पैदा होनेवाले दास भी उसके हिस्से में से खा सकते हैं।+ 12 अगर एक याजक की बेटी ऐसे आदमी से शादी करती है जो याजक नहीं है,* तो वह दान में दी गयी पवित्र चीज़ों में से नहीं खा सकती। 13 लेकिन अगर एक याजक की बेटी विधवा हो जाती है या उसका तलाक हो जाता है और वह बेऔलाद है और अपने पिता के घर आकर रहने लगती है जैसे वह बचपन में रहती थी, तो वह अपने पिता के हिस्से में से खा सकती है।+ मगर ऐसा कोई भी इंसान पवित्र चीज़ें नहीं खा सकता जिसे खाने का अधिकार नहीं है।*
14 अगर एक आदमी गलती से कोई पवित्र चीज़ खा लेता है तो उसे उस चीज़ का पूरा मुआवज़ा और उसके साथ उसका पाँचवाँ हिस्सा जोड़कर पवित्र चढ़ावा याजक को देना होगा।+ 15 याजक उन पवित्र चीज़ों को दूषित न करें जो इसराएली यहोवा के लिए दान में देते हैं।+ 16 अगर याजक लोगों को पवित्र चीज़ें खाने देंगे तो वे लोगों को पाप के दोषी बनाएँगे जिससे लोग सज़ा पाएँगे। मैं यहोवा हूँ, मैं उन्हें पवित्र ठहरा रहा हूँ।’”
17 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 18 “तू हारून और उसके बेटों से और सब इसराएलियों से कहना, ‘अगर कोई इसराएली या इसराएल में कोई परदेसी अपनी मन्नत पूरी करने के लिए या स्वेच्छा-बलि के लिए होम-बलि का जानवर यहोवा को देना चाहता है,+ 19 तो उसे ऐसा बैल या मेम्ना या बकरा देना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो,+ तभी वह मंज़ूर किया जाएगा। 20 तुम्हें ऐसा कोई भी जानवर अर्पित नहीं करना चाहिए जिसमें कोई दोष है,+ क्योंकि ऐसी बलि चढ़ाने से तुम मंज़ूरी नहीं पाओगे।
21 अगर एक आदमी अपनी मन्नत पूरी करने के लिए या स्वेच्छा-बलि के लिए यहोवा को शांति-बलि देना चाहता है,+ तो उसे गाय-बैलों या भेड़-बकरियों में से ऐसा जानवर देना चाहिए जिसमें कोई दोष न हो, तभी वह मंज़ूर किया जाएगा। बलि के जानवर में कोई भी दोष नहीं होना चाहिए। 22 तुम ऐसा कोई भी जानवर अर्पित न करना जो अंधा है या जिसकी हड्डी टूटी है या जिसके शरीर पर घाव, मस्सा, दाद या खाज है। तुम यहोवा के लिए ऐसा कोई भी जानवर अर्पित न करना, न ही यहोवा की वेदी पर ऐसे जानवर की बलि चढ़ाना। 23 अगर किसी बैल या भेड़ का एक पैर बाकी से लंबा या छोटा है, तो तुम उसे स्वेच्छा-बलि के लिए दे सकते हो। मगर ऐसा जानवर मन्नत-बलि के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा। 24 तुम ऐसा जानवर यहोवा के लिए अर्पित न करना जिसके अंड नष्ट हो गए हों या कुचले हों या निकाल दिए गए हों या काट दिए गए हों। तुम अपने देश में ऐसे जानवर की बलि न चढ़ाना। 25 तुम किसी परदेसी के हाथ से ऐसे जानवर की बलि लेकर अपने परमेश्वर के लिए भोजन मत अर्पित करना, क्योंकि ऐसे जानवरों में दोष और विकार है। उनकी बलि स्वीकार नहीं की जाएगी।’”
26 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 27 “जब भी कोई बछड़ा, मेम्ना या बकरी का बच्चा पैदा होता है तो उसे सात दिन तक अपनी माँ के साथ रहने देना।+ आठवें दिन या उसके बाद तुम उसे यहोवा के लिए आग में जलाकर अर्पित कर सकते हो। तब उसे स्वीकार किया जाएगा। 28 तुम किसी गाय के साथ उसका बछड़ा या भेड़ के साथ उसका मेम्ना एक ही दिन हलाल मत करना।+
29 जब भी तुम यहोवा के लिए धन्यवाद-बलि चढ़ाते हो+ तो बलिदान इस तरह अर्पित करना कि तुम मंज़ूरी पा सको। 30 जिस दिन तुम यह बलि चढ़ाते हो उसी दिन यह गोश्त खाया जाए। तुम्हें अगली सुबह तक कुछ भी बचाकर नहीं रखना चाहिए।+ मैं यहोवा हूँ।
31 तुम मेरी आज्ञाओं का पालन किया करना और उनके मुताबिक चलना।+ मैं यहोवा हूँ। 32 तुम मेरे पवित्र नाम का अपमान न करना।+ इसके बजाय मुझे इसराएलियों में पवित्र माना जाए।+ मैं यहोवा हूँ, मैं तुम्हें पवित्र ठहरा रहा हूँ+ 33 और मैं तुम्हें मिस्र से निकालकर इसलिए ला रहा हूँ ताकि खुद को तुम्हारा परमेश्वर साबित करूँ।+ मैं यहोवा हूँ।”
23 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘यहोवा तुम्हें साल के अलग-अलग वक्त पर जो त्योहार मनाने के लिए कहता है,+ वे पवित्र सभाएँ हैं। तुम्हें उन त्योहारों का ऐलान करना होगा।+ तुम साल के अलग-अलग वक्त पर मेरे लिए ये त्योहार मनाना:
3 तुम छ: दिन काम कर सकते हो, मगर सातवाँ दिन सब्त होगा, पूरे विश्राम+ और पवित्र सभा का दिन होगा। इस दिन तुम्हें किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहिए। तुम जहाँ भी रहते हो, वहाँ सातवाँ दिन यहोवा के लिए सब्त होगा।+
4 यहोवा ने तुम्हें साल के अलग-अलग वक्त पर जो त्योहार मनाने और पवित्र सभाएँ रखने के बारे में बताया है और जिनका तुम्हें तय वक्त पर ऐलान करना है, वे ये हैं: 5 साल के पहले महीने के 14वें दिन,+ शाम के झुटपुटे के समय* यहोवा के लिए फसह मनाया जाएगा।+
6 इसी महीने के 15वें दिन यहोवा के लिए बिन-खमीर की रोटी का त्योहार होगा।+ तुम्हें सात दिन तक बिन-खमीर की रोटी खानी होगी।+ 7 पहले दिन तुम एक पवित्र सभा रखोगे।+ इस दिन तुम्हें मेहनत का कोई भी काम नहीं करना चाहिए। 8 त्योहार के सातों दिन तुम यहोवा के लिए चढ़ावा आग में जलाकर अर्पित करोगे। सातवें दिन एक पवित्र सभा होगी। इस दिन तुम्हें मेहनत का कोई भी काम नहीं करना चाहिए।’”
9 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 10 “इसराएलियों से कहना, ‘जब तुम उस देश में बस जाओगे जो मैं तुम्हें देनेवाला हूँ और तुम अपनी फसल काटोगे, तो पहले फल का एक पूला+ ले जाकर याजक को देना।+ 11 याजक वह पूला यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाएगा ताकि तुम्हारे लिए मंज़ूरी पा सके। याजक ऐसा सब्त के बादवाले दिन करेगा। 12 जिस दिन तुम्हारी फसल का पूला आगे-पीछे हिलाकर चढ़ाया जाएगा, उसी दिन तुम्हें एक साल का ऐसा नर मेम्ना ले जाकर अर्पित करना होगा जिसमें कोई दोष न हो। यह यहोवा के लिए होम-बलि है। 13 साथ ही, तुम अनाज का चढ़ावा भी चढ़ाना। इस चढ़ावे में तुम एपा के दो-दहाई भाग* मैदे में तेल मिलाकर देना। इसे आग में जलाकर यहोवा के लिए अर्पित किया जाएगा ताकि इसकी सुगंध पाकर वह खुश हो। और एक-चौथाई हीन* दाख-मदिरा का अर्घ देना। 14 तुम्हें उस दिन तक नया अनाज या भुना हुआ अनाज नहीं खाना चाहिए, न ही नए अनाज से रोटी बनाकर खानी चाहिए जब तक कि तुम यह चढ़ावा अपने परमेश्वर को अर्पित नहीं करते। तुम जहाँ भी रहो, यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा के लिए लागू रहेगा।
15 सब्त के बादवाले दिन जब तुम अनाज का पूला लाकर देते हो और उसे हिलाकर चढ़ाया जाता है, तो उस दिन से तुम सात सब्त गिनना।+ ये पूरे सात हफ्ते होने चाहिए। 16 इस तरह जब सातवें सब्त के अगले दिन 50 दिन पूरे होंगे,+ तो उस दिन तुम यहोवा को नए अनाज का चढ़ावा अर्पित करना।+ 17 इस चढ़ावे के लिए तुम अपने घरों से दो-दो रोटियाँ लाना ताकि उन्हें हिलाकर चढ़ाया जा सके। ये रोटियाँ एपा के दो-दहाई भाग* मैदे की बनी हों। मैदे में खमीर मिलाना और उससे रोटियाँ बनाकर तंदूर में सेंकना।+ यह पकी फसल का पहला फल है जो तुम यहोवा के लिए अर्पित करोगे।+ 18 रोटियों के साथ तुम ये जानवर भी अर्पित करना: एक-एक साल के सात नर मेम्ने जिनमें कोई दोष न हो, एक बैल और दो मेढ़े।+ तुम यहोवा के लिए इन जानवरों की होम-बलि चढ़ाना और इस बलि के साथ दिया जानेवाला अनाज का चढ़ावा और अर्घ भी देना। इन सबको आग में जलाकर यहोवा को अर्पित करना ताकि इनकी सुगंध पाकर वह खुश हो। 19 इसके अलावा, तुम बकरी के एक बच्चे की पाप-बलि+ और एक-एक साल के दो नर मेम्नों की शांति-बलि अर्पित करना।+ 20 याजक इन दोनों नर मेम्नों को, पकी फसल के पहले फलों यानी रोटियों के साथ यहोवा के सामने आगे-पीछे हिलाकर चढ़ाएगा। यह यहोवा के लिए हिलाकर दिया जानेवाला पवित्र चढ़ावा है जिस पर याजक का हक होगा।+ 21 इस दिन तुम ऐलान करना+ कि आज एक पवित्र सभा है। इस दिन तुम मेहनत का कोई काम न करना। तुम जहाँ भी रहो, यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा के लिए लागू रहेगा।
22 जब तुम अपने खेत की फसल काटोगे तो उसका कोना-कोना साफ मत कर देना और कटाई के वक्त जो बालें गिर जाती हैं उन्हें मत उठाना।+ यह सब तुम गरीबों*+ और तुम्हारे बीच रहनेवाले परदेसियों+ के लिए छोड़ देना। मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’”
23 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 24 “इसराएलियों से कहना, ‘सातवें महीने का पहला दिन, पूरे विश्राम का दिन होगा। इस दिन पवित्र सभा होगी। यह यादगार का दिन होगा जिसके बारे में तुरही फूँककर ऐलान किया जाएगा।+ 25 तुम इस दिन मेहनत का कोई काम न करना। और तुम यहोवा के लिए एक चढ़ावा आग में जलाकर अर्पित करना।’”
26 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 27 “मगर सातवें महीने का दसवाँ दिन प्रायश्चित का दिन होगा।+ इस दिन तुम एक पवित्र सभा रखना और अपने पापों के लिए दुख ज़ाहिर करना*+ और यहोवा के लिए एक चढ़ावा आग में जलाकर अर्पित करना। 28 इस दिन तुम किसी भी तरह का काम नहीं करोगे, क्योंकि यह प्रायश्चित का दिन होगा+ जब तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के सामने तुम्हारे लिए प्रायश्चित किया जाएगा। 29 जो इस दिन अपने पापों के लिए दुख ज़ाहिर नहीं करेगा,* उसे मौत की सज़ा दी जाएगी।+ 30 जो इस दिन किसी भी तरह का काम करेगा, उसे मैं उसके लोगों में से नाश कर दूँगा। 31 तुम्हें इस दिन किसी भी तरह का काम नहीं करना चाहिए। तुम जहाँ भी रहो, यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा के लिए लागू रहेगा। 32 यह तुम्हारे लिए सब्त का दिन, पूरे विश्राम का दिन होगा। सातवें महीने के नौवें दिन की शाम से तुम अपने पापों के लिए दुख ज़ाहिर करना शुरू करोगे।+ तुम उस दिन की शाम से अगले दिन की शाम तक सब्त मनाना।”
33 यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, 34 “इसराएलियों से कहना, ‘सातवें महीने के 15वें दिन छप्परों का त्योहार होगा। यह त्योहार यहोवा के लिए सात दिन मनाया जाएगा।+ 35 पहले दिन तुम एक पवित्र सभा रखना और उस दिन मेहनत का कोई भी काम न करना। 36 सात दिनों तक तुम यहोवा के लिए एक चढ़ावा आग में जलाकर अर्पित करना। आठवें दिन तुम एक पवित्र सभा रखना+ और यहोवा के लिए एक चढ़ावा आग में जलाकर अर्पित करना। यह परमेश्वर की उपासना के लिए खास सभा होगी। इस दिन तुम्हें मेहनत का कोई भी काम नहीं करना चाहिए।
37 ये साल के अलग-अलग वक्त पर यहोवा के लिए मनाए जानेवाले त्योहार हैं,+ जिनके बारे में तुम्हें ऐलान करना है कि ये पवित्र सभाएँ हैं।+ इन त्योहारों में तुम यहोवा के लिए यह सब चढ़ावा आग में जलाकर अर्पित करोगे: होम-बलि,+ अनाज का चढ़ावा+ और अर्घ।+ यह सब ठीक उसी तरह चढ़ाना जैसे त्योहार के दौरान हर मौके के लिए तय किया गया है। 38 तुम यहोवा के सब्त के मौकों पर जो चढ़ावा देते हो+ और उसके लिए जो भेंट,+ मन्नत-बलि+ और स्वेच्छा-बलि+ दिया करते हो, उन सबके अलावा तुम त्योहार के मौकों पर यहोवा के लिए बताया गया चढ़ावा देना। 39 सातवें महीने के 15वें दिन यानी अपने खेत की फसल बटोरने के बाद, तुम सात दिन तक यहोवा के लिए त्योहार मनाना।+ पहला और आठवाँ दिन पूरे विश्राम का दिन होगा।+ 40 पहले दिन तुम बढ़िया पेड़ों के फल और खजूर, घने पत्तोंवाले पेड़ों+ और घाटी के पीपल की डालियाँ लेना और सात दिन+ तक अपने परमेश्वर यहोवा के सामने खुशियाँ मनाना।+ 41 साल के ये सात दिन तुम यहोवा के लिए त्योहार मनाना।+ तुम यह त्योहार सातवें महीने में मनाना। यह नियम तुम पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा के लिए लागू रहेगा। 42 इस त्योहार के सातों दिन तुम्हें छप्परों में रहना होगा।+ इसराएल के सब लोगों को छप्परों में ही रहना होगा, 43 ताकि आनेवाली पीढ़ियाँ जानें+ कि जब मैं इसराएलियों को मिस्र से बाहर निकालकर ला रहा था तो मैंने उनके लिए छप्परों में ही रहने का इंतज़ाम किया था।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’”
44 मूसा ने इसराएलियों को यहोवा के उन त्योहारों के बारे में बताया, जो साल के अलग-अलग वक्त पर मनाए जाते।
24 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इसराएलियों को आज्ञा दे कि वे भेंट के तंबू के दीयों को हमेशा जलाए रखने के लिए शुद्ध जैतून का तेल लाकर तुझे दें, जो कूटकर निकाला गया हो।+ 3 हारून को चाहिए कि वह इन दीयों को, जो तंबू में गवाही के संदूक के पासवाले परदे की इस तरफ हैं, यहोवा के सामने शाम से सुबह तक लगातार जलाए रखने का इंतज़ाम करे। यह नियम पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदा के लिए तुम पर लागू रहेगा। 4 हारून को यहोवा के सामने शुद्ध सोने की दीवट+ पर ये दीए हमेशा तरतीब से रखने चाहिए।
5 तुम मैदा लेकर उससे छल्ले जैसी 12 रोटियाँ तंदूर में सेंककर बनाना। हर रोटी एपा के दो-दहाई भाग* मैदे की बनायी जाए। 6 तुम छ:-छ: रोटियों के दो ढेर+ शुद्ध सोने की मेज़ पर यहोवा के सामने रखना।+ 7 तुम हरेक ढेर के ऊपर शुद्ध लोबान रखना। यह लोबान रोटी का प्रतीक* होगा+ जिसे आग में जलाकर यहोवा को अर्पित किया जाएगा। 8 उसे बिना नागा हर सब्त के दिन यहोवा के सामने ये रोटियाँ तरतीब से रखनी चाहिए।+ यह इसराएलियों के साथ किया गया सदा का करार है। 9 ये रोटियाँ हारून और उसके बेटों को दी जाएँगी+ और वे इन्हें पवित्र जगह में खाएँगे,+ क्योंकि ये रोटियाँ याजक के लिए बहुत पवित्र हैं और उस चढ़ावे में से हैं जो यहोवा के लिए आग में जलाकर अर्पित किया जाता है। यह नियम तुम्हें हमेशा के लिए दिया जाता है।”
10 इसराएलियों में एक ऐसा आदमी था जिसकी माँ इसराएली थी मगर पिता मिस्री था।+ एक दिन छावनी में इस आदमी की एक इसराएली आदमी से लड़ाई हो गयी। 11 वह आदमी जिसकी माँ इसराएली थी, परमेश्वर के नाम* की निंदा करने लगा और उसके बारे में अपमान की बातें कहने लगा।+ इसलिए लोग उसे मूसा के पास ले आए।+ उस आदमी की माँ का नाम शलोमीत था। वह दान गोत्र के दिबरी की बेटी थी। 12 लोगों ने उस आदमी को तब तक के लिए हिरासत में रखा जब तक कि उन्हें उसके बारे में यहोवा का फैसला पता नहीं चला।+
13 यहोवा ने मूसा से कहा, 14 “तू उस आदमी को छावनी के बाहर ले जा जिसने अपमान की बातें कही हैं। फिर जितने लोगों ने उसकी बातें सुनी थीं वे सब उसके सिर पर अपने हाथ रखें और लोगों की पूरी मंडली उसे पत्थरों से मार डाले।+ 15 तू इसराएलियों से कहना, ‘अगर कोई अपने परमेश्वर के बारे में अपमान की बातें कहता है तो उसे अपने पाप का लेखा देना होगा। 16 यहोवा के नाम की निंदा करनेवाले को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए।+ लोगों की पूरी मंडली उसे पत्थरों से मार डाले। जो भी परमेश्वर के नाम की निंदा करता है उसे मौत की सज़ा दी जाए, फिर चाहे वह इसराएली हो या तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी।
17 अगर कोई आदमी किसी इंसान की जान लेता है, तो उसे हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए।+ 18 लेकिन अगर एक आदमी किसी के पालतू जानवर को मार डालता है, तो उसे मुआवज़ा भरना होगा। उसे जानवर के बदले जानवर देना होगा। 19 अगर एक आदमी किसी आदमी पर हमला करके उसे घायल कर देता है, तो उसके साथ भी वही किया जाए जो उसने दूसरे के साथ किया है।+ 20 अगर उसने दूसरे की हड्डी तोड़ी है तो उसकी भी हड्डी तोड़ी जाए, उसी तरह आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत या उसने जो भी चोट पहुँचायी है, वही चोट उसे दी जाए।+ 21 अगर एक आदमी किसी जानवर को मार डालता है तो उसे मुआवज़ा भरना होगा।+ लेकिन अगर एक आदमी किसी इंसान की जान लेता है तो उसे मौत की सज़ा दी जाए।+
22 तुम सब पर एक ही न्याय-सिद्धांत लागू होगा, फिर चाहे तुम इसराएली हो या इसराएलियों के बीच रहनेवाले परदेसी,+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’”
23 मूसा ने ये सारी बातें इसराएलियों को बतायीं। फिर वे उस आदमी को छावनी के बाहर ले आए जिसने परमेश्वर के बारे में अपमान की बातें कही थीं। और उन्होंने उसे पत्थरों से मार डाला।+ इस तरह इसराएलियों ने ठीक वही किया जो यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
25 फिर यहोवा ने सीनै पहाड़ पर मूसा से कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘कुछ समय बाद जब तुम उस देश में बस जाओगे जो मैं तुम्हें देनेवाला हूँ,+ तो पूरे देश की ज़मीन को यहोवा के लिए सब्त का विश्राम मिला करेगा।+ 3 छ: साल तुम खेत में बीज बोना और छ: साल अपने अंगूरों के बाग की छँटाई करना और ज़मीन की उपज इकट्ठा किया करना।+ 4 मगर सातवाँ साल देश की ज़मीन के लिए पूरे विश्राम का साल यानी यहोवा के लिए सब्त होगा। उस साल तुम न खेत में बीज बोना और न ही अंगूरों के बाग की छँटाई करना। 5 पिछली फसल की कटाई के बाद खेत में जो दाने रह जाते हैं, उनसे अपने आप उगनेवाले अनाज की कटाई मत करना। उसी तरह अंगूरों के बाग से, जिसकी छँटाई नहीं की जाती, वे अंगूर मत बटोरना जो अपने आप उग आते हैं। सातवाँ साल देश की ज़मीन के लिए पूरे विश्राम का साल होगा। 6 लेकिन सब्त के साल के दौरान ज़मीन पर जो कुछ अपने आप उगता है उसे तुम, तुम्हारे दास-दासियाँ, दिहाड़ी के मज़दूर और तुम्हारे साथ रहनेवाले परदेसी खा सकते हैं। 7 साथ ही, तुम्हारे पालतू जानवर और तुम्हारे इलाके के जंगली जानवर खा सकते हैं। तुम ज़मीन से मिलनेवाली सारी उपज खा सकते हो।
8 तुम सात सब्त के साल गिनना, यानी सात गुना सात साल। इस तरह जब कुल मिलाकर 49 साल पूरे होंगे, 9 तो उस 49वें साल के सातवें महीने के दसवें दिन यानी प्रायश्चित के दिन,+ तुम अपने देश में ज़ोर-ज़ोर से नरसिंगा फूँकना। देश का कोना-कोना नरसिंगे की आवाज़ से गूँज उठे। 10 तुम 50वें साल को पवित्र मानना और देश के सभी निवासियों के लिए छुटकारे का ऐलान करना।+ तुम सबके लिए 50वाँ साल छुटकारे का साल होगा। उस साल तुममें से हर किसी को उसकी बेची हुई जायदाद लौटा दी जाएगी। हर कोई अपने परिवार के पास लौट जाए।+ 11 तुम्हारे लिए 50वाँ साल छुटकारे का साल होगा। उस साल तुम ज़मीन पर न बीज बोना और न ही पिछली फसल की कटाई के बचे दानों से उगनेवाले अनाज की कटाई करना। और अंगूरों के बाग से, जिसकी छँटाई नहीं की जाती, अंगूर मत बटोरना+ 12 क्योंकि 50वाँ साल छुटकारे का साल है। तुम उसे पवित्र साल मानना। उस साल तुम सिर्फ वे चीज़ें खा सकते हो जो ज़मीन पर अपने आप उगती हैं।+
13 इस छुटकारे के साल के दौरान तुममें से हर किसी को अपनी बेची हुई जायदाद लौटा दी जाएगी।+ 14 जब तुम अपने संगी-साथी को कुछ बेचते हो या उससे कुछ खरीदते हो, तो उसके साथ बेईमानी करके उसका फायदा न उठाना।+ 15 जब तुम अपने संगी-साथी से ज़मीन खरीदते हो तो तुम यह गिनना कि छुटकारे के साल को बीते अब कितने साल हो गए हैं। और बेचनेवाले को देखना चाहिए कि छुटकारे का साल आने में अब कितने साल बाकी हैं जिनके दौरान फसल की पैदावार होगी। फिर उतने सालों की पैदावार के हिसाब से उसे कीमत लगाकर तुम्हें बेचना चाहिए।+ 16 अगर छुटकारे का साल आने में बहुत साल बाकी हैं तो बेचनेवाला कीमत बढ़ा सकता है, लेकिन अगर थोड़े ही साल बाकी हैं तो उसे कम कीमत में बेचना चाहिए, क्योंकि दरअसल वह तुम्हें वह फसल बेच रहा है जो बचे हुए सालों के दौरान उगेगी। 17 तुममें से कोई भी अपने संगी-साथी के साथ बेईमानी करके उसका फायदा न उठाए।+ तुम अपने परमेश्वर का डर मानना+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।+ 18 अगर तुम मेरी विधियाँ मानोगे और मेरे न्याय-सिद्धांतों का पालन किया करोगे तो तुम देश में महफूज़ बसे रहोगे।+ 19 ज़मीन से तुम्हें अच्छी पैदावार मिलेगी,+ तुम्हें खाने की कोई कमी नहीं होगी और तुम महफूज़ बसे रहोगे।+
20 लेकिन शायद तुम कहो, “अगर हम सातवें साल बीज नहीं बोएँगे और फसल नहीं काटेंगे तो खाएँगे क्या?”+ 21 मैं छठे साल ज़मीन पर आशीषों की बौछार करूँगा, इसलिए उस साल इतनी ज़्यादा पैदावार होगी कि यह तीन साल तक तुम्हारे पास भरपूर होगी।+ 22 आठवें साल तुम बीज बोओगे और नौवें साल तक पुरानी फसल का अनाज खाओगे। नयी फसल की उपज मिलने तक तुम पुरानी फसल का ही अनाज खाओगे।
23 देश की कोई भी ज़मीन हमेशा के लिए किसी और को न बेची जाए+ क्योंकि देश की सारी ज़मीन मेरी है।+ और तुम मेरी नज़र में इस देश में परदेसी और प्रवासी हो।+ 24 पूरे देश में हर किसी को यह हक दिया जाए कि अगर वह कभी अपनी ज़मीन बेच देता है तो उसे दोबारा खरीदकर वापस पा सकता है।
25 अगर तुम्हारा कोई इसराएली भाई गरीबी में पड़ जाए और मजबूरी में उसे अपनी कुछ ज़मीन बेचनी पड़े, तो उसके किसी नज़दीकी रिश्तेदार को उसका छुड़ानेवाला बनना होगा और उसकी बिकी हुई ज़मीन वापस खरीदनी होगी।+ 26 अगर एक आदमी का कोई छुड़ानेवाला नहीं है, मगर उसने इतनी दौलत कमा ली है कि वह खुद अपनी ज़मीन वापस खरीद सकता है, 27 तो उसे कीमत देकर अपनी ज़मीन वापस खरीदनी चाहिए। उसे गिनना चाहिए कि उसकी ज़मीन की बिक्री के बाद अब तक कितने साल बीते हैं और इन सालों की पैदावार की कीमत उस कीमत से घटा देनी चाहिए जो उसे ज़मीन बेचने पर मिली थी। फिर बची हुई रकम देकर उसे अपनी ज़मीन वापस खरीद लेनी चाहिए।+
28 लेकिन अगर एक आदमी के पास अपनी ज़मीन वापस पाने का कोई रास्ता नहीं है, तो छुटकारे के साल तक ज़मीन उस आदमी की रहेगी जिसने खरीद ली है।+ फिर छुटकारे के साल, ज़मीन उसके असली मालिक को यानी उस आदमी को लौटा दी जाएगी जिसने बेची थी।+
29 अगर एक आदमी का घर शहरपनाहवाले नगर में है और वह उसे बेचता है तो बेचने के बाद वह एक साल के अंदर उसे वापस खरीद सकता है। पूरे एक साल तक उसके पास अपना घर वापस खरीदने का हक रहेगा।+ 30 लेकिन अगर पूरे साल के बीतने तक वह शहरपनाहवाले नगर में अपना घर वापस नहीं खरीदता तो घर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा के लिए उस आदमी का हो जाएगा जिसने खरीदा है। छुटकारे के साल वह घर उस आदमी को वापस न दिया जाए जिसने बेचा था। 31 लेकिन अगर एक आदमी का घर शहरपनाहवाले नगर में नहीं, बल्कि एक खुली बस्ती में है तो उसका घर खेत का हिस्सा माना जाएगा। अगर वह अपना घर बेचता है तो उसके पास उसे वापस खरीदने का हक रहेगा। और अगर वह नहीं खरीद पाता तो छुटकारे के साल उसे वापस दे दिया जाए।
32 जहाँ तक लेवियों के घरों की बात है जो उनके शहरों में हैं,+ वे उन्हें बेचने के बाद कभी-भी वापस खरीद सकते हैं। यह हक उनके पास हमेशा के लिए रहेगा। 33 अगर एक लेवी शहर में अपना बेचा हुआ घर वापस नहीं खरीदता, तो छुटकारे के साल उसे वह घर वापस दे दिया जाएगा+ क्योंकि इसराएलियों के बीच लेवियों के शहरों में जितने भी मकान हैं, वे लेवियों की अपनी जायदाद हैं।+ 34 मगर किसी लेवी को अपने शहरों के आस-पास के चरागाह की कोई भी ज़मीन नहीं बेचनी चाहिए,+ क्योंकि यह लेवियों की हमेशा की जागीर है।
35 अगर तुम्हारे आस-पास रहनेवाला कोई इसराएली भाई गरीबी में पड़ जाता है और अपना गुज़ारा नहीं कर पाता, तो तुम उसकी मदद करना+ जैसे तुम अपने बीच रहनेवाले परदेसी और प्रवासी+ की मदद करते ताकि वह तुम्हारे बीच ही रहकर अपना गुज़र-बसर कर सके। 36 तुम ऐसे गरीब भाई से ब्याज मत लेना या उसका फायदा उठाकर मुनाफा मत कमाना।+ तुम अपने परमेश्वर का डर मानना+ ताकि तुम्हारा भाई तुम्हारे बीच ही रहकर अपना गुज़र-बसर कर सके। 37 जब तुम उसे पैसा उधार देते हो तो ब्याज न लेना+ या तुम उसे जो खाना देते हो उससे मुनाफा मत कमाना। 38 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। मैं तुम्हें मिस्र से निकालकर कनान ले जा रहा हूँ+ ताकि यह साबित करूँ कि मैं तुम्हारा परमेश्वर हूँ।+
39 अगर तुम्हारे आस-पास रहनेवाला कोई इसराएली भाई गरीबी में पड़ जाता है और मजबूर होकर खुद को तुम्हारे हाथ बेच देता है,+ तो तुम उससे वैसे काम न करवाना जैसे तुम एक दास से करवाते हो।+ 40 तुम उससे उतना ही काम लेना जितना तुम दिहाड़ी के मज़दूर से या एक प्रवासी से लेते हो।+ वह छुटकारे के साल तक तुम्हारे यहाँ काम करेगा। 41 उसके बाद वह अपने बाल-बच्चों* को लेकर तुम्हारे यहाँ से अपने रिश्तेदारों के पास लौट जाएगा। उसे अपने पुरखों की ज़मीन पर रहने के लिए लौट जाना चाहिए।+ 42 क्योंकि इसराएली दरअसल मेरे दास हैं जिन्हें मैं मिस्र से बाहर निकाल लाया हूँ।+ उन्हें खुद को किसी के हाथ बेचकर उसका दास नहीं बनना चाहिए। 43 तुम उस इसराएली भाई के साथ बेरहमी से मत पेश आना+ और अपने परमेश्वर का डर मानना।+ 44 तुम्हारे यहाँ जो भी दास-दासियाँ होंगे वे आस-पास की दूसरी जातियों से होने चाहिए। तुम उन जातियों के लोगों से दास-दासियाँ खरीद सकते हो। 45 उसी तरह, जो परदेसी तुम्हारे यहाँ बस जाते हैं, उनसे और उनकी संतान के परिवारों से तुम दास खरीद सकते हो।+ वे तुम्हारी जागीर हो जाएँगे। 46 तुम ये दास विरासत में अपने बेटों को दे सकते हो ताकि वे तुम्हारे बाद तुम्हारी संतान की हमेशा की जागीर हो जाएँ। तुम इन लोगों से दासों की तरह काम ले सकते हो, मगर अपने इसराएली भाइयों पर अत्याचार मत करना।+
47 अगर तुम्हारे बीच रहनेवाला कोई परदेसी या प्रवासी बहुत दौलतमंद हो जाता है और तुम्हारा कोई इसराएली भाई गरीबी की वजह से खुद को उस प्रवासी या परदेसी या उसके किसी रिश्तेदार के हाथ बेच देता है, 48 तो उस इसराएली के पास वापस खरीदे जाने और छुड़ाए जाने का हक होगा। उसका कोई सगा भाई उसे वापस खरीदकर छुड़ा सकता है,+ 49 या उसका चाचा या चचेरा भाई या उसके घराने का कोई नज़दीकी रिश्तेदार* उसे वापस खरीदकर छुड़ा सकता है।
या अगर वह इसराएली खुद दौलतमंद हो जाता है तो वह अपनी कीमत अदा करके छूट सकता है।+ 50 इसराएली को उस खरीदार के साथ मिलकर हिसाब लगाना चाहिए कि जिस साल उसने खुद को बेचा था तब से छुटकारे के साल तक कितने साल होंगे।+ और उतने सालों के लिए उसे जो मज़दूरी मिलती वही उसकी बिक्री की कीमत होगी।+ उसकी मज़दूरी दिहाड़ी के मज़दूर को दी जानेवाली मज़दूरी के हिसाब से तय होगी।+ 51 अगर छुटकारे के साल के लिए बहुत ज़्यादा साल बचे हैं तो उसे उन बचे हुए सालों के हिसाब से कीमत देकर खुद को छुड़ाना चाहिए। 52 उसी तरह, अगर छुटकारे के साल के लिए बहुत कम साल बचे हैं तो उसे उन बचे हुए सालों के हिसाब से कीमत देकर खुद को छुड़ाना चाहिए। 53 उसे साल-दर-साल एक दिहाड़ी के मज़दूर की तरह खरीदार के यहाँ काम करना होगा। और तुम ध्यान रखना कि उसका खरीदार उसके साथ बेरहमी से पेश न आए।+ 54 लेकिन अगर एक इसराएली इन शर्तों के मुताबिक कीमत अदा करके खुद को छुड़ा नहीं सकता, तो छुटकारे के साल+ वह और उसके बच्चे* छूट जाएँगे।
55 इसराएली मेरे दास हैं। हाँ, ये मेरे दास हैं जिन्हें मैं मिस्र से बाहर निकाल लाया हूँ।+ मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।
26 तुम अपने लिए निकम्मे देवता न बनाना,+ न ही पूजा के लिए मूरत तराशना+ या पूजा-स्तंभ खड़े करना। और अपने देश में कोई नक्काशीदार पत्थर+ खड़ा करके उसके आगे दंडवत न करना,+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ। 2 तुम मेरे सब्तों को मानना और मेरे पवित्र-स्थान का गहरा आदर करना।* मैं यहोवा हूँ।
3 अगर तुम मेरी विधियों पर चलते रहोगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करते रहोगे और उनके मुताबिक चलोगे,+ 4 तो मैं तुम्हारे लिए वक्त पर बारिश कराऊँगा+ और देश की ज़मीन पैदावार देगी+ और मैदान के पेड़ फल दिया करेंगे। 5 तुम्हें इतनी भरपूर फसल मिलेगी कि अनाज का दाँवना अंगूरों की कटाई के मौसम तक चलता रहेगा। और अंगूरों की इतनी पैदावार होगी कि उनकी कटाई खेतों में बीज बोने के मौसम तक चलती रहेगी। तुम्हें रोटी की कोई कमी नहीं होगी और तुम अपने देश में महफूज़ बसे रहोगे।+ 6 मैं इस देश को शांति दूँगा+ और तुम चैन की नींद सो पाओगे, कोई तुम्हें नहीं डराएगा।+ मैं देश से खूँखार जंगली जानवरों को दूर कर दूँगा और कोई भी तलवार लेकर तुम्हारे देश पर हमला नहीं करेगा। 7 तुम बेशक अपने दुश्मनों को खदेड़ दोगे और वे तलवार से मारे जाएँगे। 8 चाहे दुश्मन 100 हों, उन्हें मार भगाने के लिए तुम्हारे पाँच आदमी काफी होंगे। चाहे दुश्मन 10,000 हों, उन्हें मार भगाने के लिए तुम्हारे 100 आदमी काफी होंगे। तुम्हारे दुश्मन तलवार से मारे जाएँगे।+
9 मैं तुम्हें आशीष दूँगा जिससे तुम फलोगे-फूलोगे और तुम्हारी गिनती कई गुना बढ़ जाएगी।+ मैं अपना वह करार निभाऊँगा जो मैंने तुम्हारे साथ किया है।+ 10 तुम पिछली फसल का अनाज खाकर खत्म नहीं कर पाओगे कि तुम्हें नयी फसल का अनाज रखने के लिए पुराना अनाज खाली करना पड़ेगा। 11 मैं तुम्हारे बीच अपना पवित्र डेरा खड़ा करूँगा+ और मैं तुम्हें नहीं ठुकराऊँगा। 12 मैं तुम्हारे बीच चलूँगा-फिरूँगा और तुम्हारा परमेश्वर बना रहूँगा+ और तुम भी मेरे लोग बने रहोगे।+ 13 मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तुम्हें मिस्र से बाहर निकाल लाया ताकि तुम मिस्रियों की और गुलामी न करो। मैंने तुम्हारी गुलामी का जुआ तोड़ डाला ताकि तुम सिर उठाकर जी सको।*
14 लेकिन अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगे, इन सारी आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे,+ 15 मेरी विधियों को ठुकरा दोगे+ और मेरे न्याय-सिद्धांतों से घिन करके मेरी आज्ञाओं के खिलाफ जाओगे और मेरा करार तोड़ दोगे,+ 16 तो मैं तुम्हें ज़रूर इसकी सज़ा दूँगा। मैं तुम पर मुसीबतों का कहर ढा दूँगा और तुम्हें तपेदिक और तेज़ बुखार से पीड़ित करूँगा जिससे तुम आँखों की रौशनी खो बैठोगे और घुल-घुलकर मर जाओगे। तुम खेत में बीज तो बोओगे, मगर उसकी उपज नहीं खा सकोगे क्योंकि दुश्मन आकर तुम्हारी उपज चट कर जाएँगे।+ 17 मैं तुम्हें ठुकरा दूँगा, इसलिए तुम अपने दुश्मनों से हार जाओगे।+ तुम्हारे विरोधी आकर तुम्हें पैरों तले रौंद डालेंगे।+ चाहे तुम्हारा पीछा करनेवाला कोई न हो, फिर भी तुम भागोगे।+
18 अगर इतना कुछ भुगतने के बाद भी तुम मेरी बात नहीं मानोगे, तो मुझे तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें सात गुना ज़्यादा सज़ा देनी पड़ेगी। 19 मैं तुम्हारी ढिठाई और घमंड चूर-चूर कर दूँगा और तुम्हारे ऊपर के आसमान को लोहे जैसा+ और तुम्हारे देश की धरती को ताँबे जैसी बना दूँगा। 20 तुम खेती-बाड़ी और बागबानी में चाहे मेहनत करते-करते पस्त हो जाओ, फिर भी तुम्हारी ज़मीन उपज नहीं देगी,+ न खेतों से कुछ पैदावार होगी और न ही तुम्हारे पेड़ों पर कोई फल लगेगा।
21 अगर तुम मेरे खिलाफ काम करते रहोगे और मेरी बात मानने से इनकार कर दोगे, तो मुझे तुम्हारे पापों के हिसाब से तुम पर सात गुना ज़्यादा कहर ढाना होगा। 22 मैं तुम्हारे बीच जंगली जानवर छोड़ दूँगा+ जो तुम्हारे बच्चों को तुमसे हमेशा के लिए छीन लेंगे+ और तुम्हारे पालतू जानवरों को फाड़ खाएँगे। तुम्हारी गिनती कम हो जाएगी और सड़कें सुनसान हो जाएँगी।+
23 इतना कुछ होने के बाद भी अगर तुम नहीं सुधरोगे+ और मेरे खिलाफ काम करने की ज़िद पर अड़े रहोगे, 24 तो मैं भी तुम्हारे खिलाफ हो जाऊँगा और तुम्हारे पापों के लिए तुम पर सात बार कहर ढाऊँगा। 25 तुम जब मेरा करार तोड़ोगे,+ तो उसका बदला चुकाने के लिए मैं तुम पर तलवार चलवाऊँगा। अगर तुम लोग अपनी जान बचाकर शहरों में भाग जाओगे तो मैं वहाँ तुम्हारे बीच बीमारी फैला दूँगा+ और तुम्हें किसी दुश्मन के हाथ कर दूँगा।+ 26 मैं तुम्हारे यहाँ खाने की ऐसी तंगी फैला दूँगा*+ कि दस औरतों के रोटी सेंकने के लिए एक तंदूर काफी होगा और तुम्हें रोटी तौल-तौलकर बाँटी जाएगी।+ तुम रोटी खाओगे तो सही, मगर तुम्हारी भूख नहीं मिटेगी।+
27 इतना कुछ होने के बाद भी अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगे और मेरे खिलाफ काम करने की ज़िद पर अड़े रहोगे, 28 तो मैं तुम्हारा और भी कड़ा विरोध करूँगा।+ और मुझे तुम्हारे पापों के लिए तुम्हें सात बार सज़ा देनी पड़ेगी। 29 तुम पर ऐसी नौबत आएगी कि तुम अपने ही बेटे-बेटियों का माँस खाओगे।+ 30 तुमने पूजा के लिए जितनी भी ऊँची जगह बनायी होंगी वे सब मैं ढा दूँगा+ और तुम्हारे धूप-स्तंभों को तोड़ डालूँगा। मैं तुम्हारी बेजान घिनौनी मूरतों* के ढेर पर तुम्हारी लाशों का ढेर लगा दूँगा।+ मुझे तुमसे इतनी घिन हो जाएगी कि मैं तुमसे अपना मुँह फेर लूँगा।+ 31 मैं तुम्हारे शहरों को तलवार के हवाले कर दूँगा+ और तुम्हारे पवित्र-स्थान उजाड़ दूँगा। मैं तुम्हारे बलिदानों की सुगंध नहीं लूँगा। 32 मैं तुम्हारे देश को ऐसा वीरान कर दूँगा+ कि जब तुम्हारे दुश्मन आकर वहाँ बसेंगे तो देश की हालत देखकर दंग रह जाएँगे।+ 33 मैं तुम्हें दूसरे राष्ट्रों में बिखरा दूँगा+ और म्यान से अपनी तलवार निकाले तुम्हारा पीछा करूँगा।+ तुम्हारा देश वीरान कर दिया जाएगा+ और सारे शहर तबाह कर दिए जाएँगे।
34 जितने समय तक तुम दुश्मनों के देश में रहोगे और तुम्हारा देश सुनसान पड़ा रहेगा, उतने समय तक देश उन सारे सब्तों का कर्ज़ चुकाएगा जो उसने तब तक नहीं मनाए होंगे। उस दौरान देश को विश्राम मिलेगा* क्योंकि उसे वे सारे सब्त मनाने होंगे जो उसने तब तक नहीं मनाए।+ 35 जितने समय तक देश उजाड़ पड़ा रहेगा उतने समय तक उसे विश्राम मिलेगा क्योंकि तुमने वहाँ रहते वक्त सब्त नहीं मनाए जिसकी वजह से उसे विश्राम नहीं मिला था।
36 तुममें से जो लोग ज़िंदा बचेंगे+ और दुश्मनों के देश में रहेंगे, उनके दिलों में मैं डर पैदा कर दूँगा। वे पत्ते की ज़रा-सी खड़खड़ाहट पर भी डर जाएँगे और ऐसे भागेंगे मानो कोई तलवार लिए उनका पीछा कर रहा हो। भले ही कोई उनका पीछा न कर रहा हो, फिर भी वे भागते-भागते गिर पड़ेंगे।+ 37 वे ठोकर खाकर एक-दूसरे पर गिर पड़ेंगे मानो कोई तलवार लिए उनका पीछा कर रहा हो, जबकि असल में उनका पीछा करनेवाला कोई न होगा। तुम अपने दुश्मनों का मुकाबला नहीं कर पाओगे।+ 38 तुम दूसरे राष्ट्रों के बीच रहते हुए नाश हो जाओगे+ और तुम्हारे दुश्मनों का देश तुम्हें निगल जाएगा। 39 तुममें से जो ज़िंदा बचेंगे उन्हें मैं उनके गुनाहों की वजह से दुश्मनों के देश में सड़ने के लिए छोड़ दूँगा।+ हाँ, वे अपने पुरखों के गुनाहों की वजह से+ सड़-गल जाएँगे। 40 तब वे कबूल करेंगे कि उन्होंने और उनके पुरखों ने पाप किया है+ और मेरे खिलाफ जाकर मेरे साथ विश्वासघात किया है।+ 41 इस वजह से मैं भी उनके खिलाफ हो गया+ और मैंने उन्हें दुश्मनों के देश में भेज दिया।+
मैंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनका ढीठ* मन नम्र हो जाए+ और वे अपने गुनाहों का कर्ज़ चुकाएँ। 42 तब मैं अपना वह करार याद करूँगा जो मैंने याकूब,+ इसहाक+ और अब्राहम+ से किया था। और मैं देश की हालत पर ध्यान दूँगा। 43 जितने समय तक लोग देश में नहीं होंगे और देश वीरान रहेगा, उतने समय तक देश सब्तों का कर्ज़ चुकाएगा+ और वे अपने गुनाहों की सज़ा भुगतेंगे क्योंकि उन्होंने मेरे न्याय-सिद्धांत ठुकरा दिए और मेरी विधियों से घिन की।+ 44 मगर जब वे दुश्मनों के देश में होंगे तब मैं उन्हें पूरी तरह नहीं ठुकराऊँगा,+ न ही उनसे ऐसी घिन करूँगा कि उनका सर्वनाश कर डालूँ क्योंकि ऐसा करने से मैं खुद अपना करार तोड़नेवाला ठहरूँगा+ जो मैंने उनके साथ किया था। मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मैं उनका परमेश्वर यहोवा हूँ। 45 मैं उनकी खातिर वह करार याद रखूँगा जो मैंने उनके पुरखों से किया था,+ जिन्हें मैं दूसरी जातियों के देखते मिस्र से बाहर ले आया था+ ताकि मैं खुद को उनका परमेश्वर साबित करूँ। मैं यहोवा हूँ।’”
46 यहोवा ने सीनै पहाड़ पर मूसा के ज़रिए इसराएलियों को ये सारे नियम, न्याय-सिद्धांत और कानून दिए।+
27 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, 2 “इसराएलियों से कहना, ‘अगर एक आदमी किसी इंसान के लिए तय कीमत यहोवा को देने की खास मन्नत मानता है+ तो ऐसे मामलों में यह रकम दी जानी चाहिए: 3 20 से 60 साल के आदमियों की तय कीमत पवित्र-स्थान के शेकेल* के मुताबिक 50 शेकेल* चाँदी होगी। 4 मगर इस उम्र की औरतों की तय कीमत 30 शेकेल होगी। 5 5 से 20 साल की उम्र के लड़कों की तय कीमत 20 शेकेल और लड़कियों की कीमत 10 शेकेल होगी। 6 एक महीने से लेकर पाँच साल के लड़कों की तय कीमत पाँच शेकेल चाँदी और लड़कियों की कीमत तीन शेकेल चाँदी होगी।
7 जिन आदमियों की उम्र 60 साल या उससे ज़्यादा है उनकी तय कीमत 15 शेकेल और इस उम्र की औरतों की कीमत 10 शेकेल होगी। 8 अगर मन्नत माननेवाला गरीब होने की वजह से तय कीमत नहीं दे सकता+ तो वह उस इंसान को याजक के सामने खड़ा करवाएगा जिसे देने की उसने मन्नत मानी है और याजक उस इंसान की कीमत तय करेगा। याजक मन्नत माननेवाले आदमी की हैसियत के हिसाब से कीमत आँकेगा और उसे बताएगा कि वह कितनी कीमत दे सकता है।+
9 अगर एक आदमी ऐसा कोई जानवर देने की मन्नत मानता है जो यहोवा को अर्पित किया जाता है, तो वह चाहे जो भी जानवर यहोवा को दे वह पवित्र ठहरेगा। 10 एक बार मन्नत मानने के बाद वह उस जानवर के बदले ऐसा जानवर नहीं दे सकता, जो उससे बेहतर है या उसके जितना अच्छा नहीं है। लेकिन अगर वह पहलेवाले के बदले दूसरा जानवर देता है तो उसके दोनों जानवर पवित्र ठहरेंगे। 11 अगर एक आदमी ऐसा अशुद्ध जानवर+ देने की मन्नत मानता है जो यहोवा को अर्पित नहीं किया जाता, तो वह अपना जानवर लाकर याजक के सामने खड़ा करेगा। 12 याजक यह देखकर कि जानवर अच्छा है या नहीं, उसकी कीमत तय करेगा। याजक जो कीमत तय करेगा, वही जानवर की कीमत होगी। 13 लेकिन अगर वह आदमी कभी अपना जानवर वापस खरीदना चाहता है तो उसे जानवर की तय कीमत के साथ उसका पाँचवाँ हिस्सा जोड़कर देना होगा।+
14 अगर एक आदमी अपना घर यहोवा को देने के लिए अलग करता है और उसे पवित्र ठहराता है, तो याजक यह देखकर कि घर अच्छा है या नहीं, उसकी कीमत तय करेगा। याजक जो कीमत तय करेगा, वही घर की कीमत होगी।+ 15 लेकिन अगर वह आदमी कभी अपना घर वापस खरीदना चाहता है तो उसे घर की तय कीमत के साथ उसका पाँचवाँ हिस्सा जोड़कर देना होगा। तभी वह अपना घर वापस पा सकेगा।
16 अगर एक आदमी अपने खेत की ज़मीन का कोई टुकड़ा यहोवा को देने के लिए अलग ठहराता है, तो उसकी कीमत इस हिसाब से आँकी जाएगी कि उसमें कितना बीज बोया जाता है। एक होमेर* जौ के बीज के लिए 50 शेकेल चाँदी देनी होगी। 17 अगर वह छुटकारे के साल+ अपना खेत अलग ठहराता है तो उसे तय कीमत ही अदा करनी होगी। 18 लेकिन अगर एक आदमी छुटकारे के साल के बाद कभी अपना खेत अलग ठहराता है, तो याजक गिनेगा कि अगला छुटकारे का साल आने में और कितने साल बाकी हैं और उसके मुताबिक तय कीमत घटाएगा।+ 19 लेकिन अगर वह आदमी अपना खेत अलग ठहराकर देने के बाद, कभी उसे वापस खरीदना चाहता है तो उसे खेत की कीमत के साथ उसका पाँचवाँ हिस्सा जोड़कर देना होगा। तभी वह खेत उसका होगा। 20 लेकिन अगर वह खेत वापस नहीं खरीदता और खेत किसी और को बेच दिया जाता है, तो बाद में वह फिर कभी उसे वापस नहीं खरीद सकेगा। 21 छुटकारे के साल वह खेत यहोवा का हो जाएगा और पवित्र ठहरेगा और उसके लिए समर्पित चीज़ हो जाएगा। और खेत की वह ज़मीन याजकों की जायदाद हो जाएगी।+
22 अगर एक आदमी ऐसा खेत अलग ठहराकर यहोवा को देता है जो उसकी विरासत की ज़मीन का हिस्सा नहीं है बल्कि उसने किसी और से खरीदा है,+ 23 तो याजक गिनेगा कि छुटकारे का साल आने में कितने साल बाकी हैं, फिर उसके हिसाब से उसकी कीमत तय करेगा। उस आदमी को यह रकम उसी दिन देनी होगी जिस दिन कीमत तय की जाती है।+ वह रकम यहोवा के लिए पवित्र चीज़ मानी जाएगी। 24 फिर छुटकारे के साल वह खेत उसके असली मालिक को यानी उस आदमी को लौटा दिया जाएगा जिससे खेत खरीदा गया था।+
25 जो भी कीमत तय की जाती है वह पवित्र-स्थान के शेकेल के मुताबिक होनी चाहिए। और यह शेकेल 20 गेरा* का होना चाहिए।
26 मगर किसी को भी जानवरों के पहलौठों को अलग नहीं ठहराना चाहिए, क्योंकि वे पहलौठे होने के नाते जन्म से ही यहोवा के हैं।+ चाहे वह पहलौठा बैल हो या भेड़, वह पहले से ही यहोवा का है।+ 27 अगर एक आदमी अपने अशुद्ध जानवर के पहलौठे को तय कीमत देकर छुड़ाना चाहता है तो उसे तय कीमत के साथ उसका पाँचवाँ हिस्सा भी जोड़कर देना होगा।+ लेकिन अगर वह कीमत देकर अपना जानवर वापस नहीं खरीदता तो वह जानवर तय कीमत में किसी और को बेच दिया जाएगा।
28 लेकिन अगर एक आदमी अपना जानवर, खेत या किसी इंसान को बिना किसी शर्त के यहोवा के लिए समर्पित कर देता है* तो उसे वापस नहीं खरीदा जा सकता, न ही किसी और को बेचा जा सकता है। जो कुछ यहोवा को समर्पित किया जाता है वह उसके लिए बहुत पवित्र है।+ 29 और ऐसा कोई इंसान भी नहीं छुड़ाया जा सकता जिसे मौत की सज़ा सुनायी गयी है और नाश के लिए अलग ठहराया गया है।+ ऐसे इंसान को हर हाल में मार डाला जाए।+
30 देश की ज़मीन की उपज का दसवाँ हिस्सा+ यहोवा का है, फिर चाहे यह खेत की पैदावार का दसवाँ हिस्सा हो या पेड़ों पर लगनेवाले फलों का। यह यहोवा के लिए पवित्र है। 31 अगर एक आदमी अपनी उपज का दसवाँ हिस्सा देने के बाद उसे वापस खरीदना चाहता है तो उसे उसकी कीमत के साथ उसका पाँचवाँ हिस्सा जोड़कर देना होगा। 32 तुम गाय-बैलों या भेड़-बकरियों के हर दस जानवरों में से एक जानवर यहोवा को देना। चरवाहे की लाठी के नीचे से जानेवाले जानवरों को गिनते वक्त हर दसवें जानवर को अलग रखना। झुंड का यह दसवाँ हिस्सा परमेश्वर के लिए पवित्र है। 33 एक आदमी को यह नहीं देखना चाहिए कि उसके दसवें हिस्से के जानवर अच्छे हैं या नहीं, और न ही उनके बदले दूसरे जानवर देने चाहिए। अगर वह कभी एक जानवर के बदले दूसरा जानवर देता है तो उसका पहला और दूसरा जानवर दोनों परमेश्वर के हो जाएँगे और पवित्र ठहरेंगे।+ उन्हें वापस नहीं खरीदा जा सकता।’”
34 यहोवा ने ये सारे नियम इसराएलियों के लिए दिए। उसने सीनै पहाड़ पर मूसा को ये नियम बताए।+
शा., “इसराएल के बेटों।”
या “गुरदों के आस-पास की चरबी।”
या “गुरदों के आस-पास की चरबी।”
यानी बलिदान में जलाए गए जानवरों की पिघली चरबी से भीगी राख।
या “यादगार।”
या “यादगार।”
या “की हरी बालें।”
या “यादगार।”
शा., “रोटी,” यानी शांति-बलि में से परमेश्वर का हिस्सा।
शा., “रोटी,” यानी शांति-बलि में से परमेश्वर का हिस्सा।
यानी बलिदान में जलाए गए जानवरों की पिघली चरबी से भीगी राख।
शा., “वह एक शाप (या शपथ) की आवाज़ सुनता है।” मुमकिन है कि यह किसी अपराध के बारे में ऐसा ऐलान था जिसमें अपराधी को या फिर उस गवाह को शाप सुनाया जाता था जो सामने आकर गवाही नहीं देता।
ज़ाहिर है कि यहाँ इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्द का मतलब है, झुंड में घूमनेवाले छोटे-छोटे जीव-जंतु जो हवा या पानी में या ज़मीन पर होते हैं।
इसका मतलब हो सकता है कि वह अपनी मन्नत पूरी नहीं करता।
एपा का दसवाँ भाग 2.2 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “यादगार।”
या “पवित्र शेकेल।”
एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।
यानी बलिदान में जलाए गए जानवरों की पिघली चरबी से भीगी राख।
या “यादगार।”
या “चढ़ावों से।”
एपा का दसवाँ भाग 2.2 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “जो पवित्र ताज है।”
या “गुरदों के आस-पास की चरबी।”
शा., “तुम्हारे हाथ भरने।”
जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “कोढ़” किया गया है उसके कई मतलब हैं। उसमें तरह-तरह के चर्मरोग और कुछ ऐसे संक्रमण भी शामिल हैं जो कपड़ों और घरों में पाए जाते हैं।
या “दूसरी बार।”
या “वह आदमी शुद्ध है।”
एपा का तीन-दहाई भाग 6.6 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
एक लोज 0.31 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
एपा का दसवाँ भाग 2.2 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
शायद इसका मतलब है, “वह बकरा जो गायब हो जाता है।”
या “जो तैयार खड़ा रहता है।”
‘दुख ज़ाहिर करने’ का आम तौर पर यह मतलब समझा जाता है, खुद को कई चीज़ों से दूर रखना और इसमें उपवास करना शामिल है।
शा., “जिसका हाथ भरा जाता है।”
शा., “बकरों।”
या “जिनके साथ वे वेश्याओं जैसी बदचलनी।”
शब्दावली में “जीवन” देखें।
शा., “का तन उघाड़ने।” यहाँ और आगे की आयतों में।
शा., “यह तुम्हारे पिता का नंगापन है।”
या “ताई।”
शा., “का तन उघाड़ना है।”
शा., “यह तुम्हारे भाई का नंगापन है।”
या “शर्मनाक काम; कामुकता।”
या “पड़ोसी।”
या “बलि।”
शा., “वह देश उन्हें उगल देगा।”
शा., “वह देश तुम्हें नहीं उगल देगा।”
शा., “उगल दिया।”
शा., “से डरे।”
या “मुसीबत के मारों।”
शा., “खून।”
या शायद, “अपने संगी-साथी की जान खतरे में देखकर यूँ ही खड़े मत रहना।”
शा., “उसकी खलड़ी मानना।”
शा., “खतनारहित ठहरे।”
शा., “डर मानना।”
शा., “सच्चा एपा और सच्चा हीन इस्तेमाल करना।” अति. ख14 देखें।
या “वह वेश्याओं जैसी बदचलनी।”
शा., “का तन उघाड़ता है।”
या “शर्मनाक काम; कामुकता।”
शा., “का तन उघाड़ा है।”
शा., “का तन उघाड़ता है।”
शा., “का तन उघाड़ता है।”
शा., “वह देश तुम्हें उगल न दे।”
या “उसमें भविष्य बतानेवाला दुष्ट स्वर्गदूत समाया हो।”
शा., “उसका हाथ भरा गया है।”
शा., “या उसकी नाक में दरार है।”
या शायद, “वह सूखकर काँटा हो गया है।”
शा., “से खुद को अलग रखें।”
शा., “जो पराया हो,” यानी जो हारून-वंशी न हो।
या “किसी पराए से शादी करती है।”
शा., “जो पराया हो,” यानी जो हारून-वंशी न हो।
शा., “दो शामों के बीच।”
एपा का दो-दहाई भाग 4.4 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
एक हीन 3.67 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
एपा का दो-दहाई भाग 4.4 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “मुसीबत के मारों।”
‘दुख ज़ाहिर करने’ का आम तौर पर यह मतलब समझा जाता है, खुद को कई चीज़ों से दूर रखना और इसमें उपवास करना शामिल है।
या शायद, “उपवास नहीं करेगा।”
एपा का दो-दहाई भाग 4.4 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “की यादगार।”
यानी नाम यहोवा, जैसा आय. 15 और 16 से पता चलता है।
शा., “बेटों।”
या “जिसके साथ उसका खून का रिश्ता हो।”
शा., “बेटे।”
शा., “डर मानना।”
शा., “और तुम्हें सीधा खड़ा करके चलाया।”
शा., “तुम्हारी रोटी के छड़ तोड़ दूँगा।” शायद यहाँ रोटी लटकानेवाले छड़ों की बात की गयी है।
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
या “सब्त मनाएगा।”
शा., “खतनारहित।”
या “पवित्र शेकेल।”
एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।
एक होमेर 220 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
एक गेरा 0.57 ग्रा. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
या “नाश के लिए समर्पित किया जाता है।”