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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
यिर्मयाह

यिर्मयाह

1 ये यिर्मयाह* के शब्द हैं, जो बिन्यामीन के अनातोत में+ रहनेवाले एक याजक हिलकियाह का बेटा है: 2 यहोवा का संदेश आमोन+ के बेटे और यहूदा के राजा योशियाह+ के राज के 13वें साल मेरे पास पहुँचा। 3 परमेश्‍वर का संदेश मुझे योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के दिनों में+ भी मिला और योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा सिदकियाह+ के राज के 11वें साल तक मिलता रहा। उसका संदेश मुझे तब तक मिलता रहा जब तक कि पाँचवें महीने में यरूशलेम के लोग बँधुआई में न चले गए।+

4 यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा:

 5 “मैं तुझे गर्भ में रचने से पहले ही जानता* था,+

तेरे पैदा होने से पहले ही मैंने तुझे पवित्र ठहराया था,*+

मैंने तुझे राष्ट्रों के लिए एक भविष्यवक्‍ता ठहराया है।”

 6 मगर मैंने कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा,

मुझे तो बोलना भी नहीं आता,+ मैं बस एक लड़का* हूँ।”+

 7 तब यहोवा ने मुझसे कहा,

“यह मत कह कि मैं बस एक लड़का हूँ,

क्योंकि तुझे उन सबके पास जाना होगा जिनके पास मैं तुझे भेज रहा हूँ,

तुझे उनसे हर वह बात कहनी होगी जिसकी मैं तुझे आज्ञा देता हूँ।+

 8 तू उन्हें देखकर डरना मत,+

क्योंकि यहोवा कहता है, ‘मैं तुझे बचाने के लिए तेरे साथ हूँ।’”+

9 फिर यहोवा ने अपना हाथ बढ़ाकर मेरा मुँह छुआ।+ यहोवा ने मुझसे कहा, “मैंने अपने शब्द तेरे मुँह में डाले हैं।+ 10 देख, आज मैंने तुझे राष्ट्रों और राज्यों पर अधिकार दिया है ताकि तू जड़ से उखाड़े और गिराए, नाश करे और ढाए, बनाए और लगाए।”+

11 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, तुझे क्या दिखायी दे रहा है?” मैंने कहा, “मुझे एक बादाम के पेड़* की डाली दिखायी दे रही है।”

12 यहोवा ने कहा, “तूने सही देखा है क्योंकि मैं अपने वचन के मुताबिक काम करने के लिए बिलकुल जागा हुआ हूँ।”

13 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, “तुझे क्या दिखायी दे रहा है?” मैंने कहा, “मुझे उबलता हुआ एक हंडा* दिखायी दे रहा है और उसका मुँह उत्तर से दक्षिण की तरफ झुका हुआ है।” 14 फिर यहोवा ने मुझसे कहा,

“उत्तर से विपत्ति देश के सब लोगों पर टूट पड़ेगी।+

15 क्योंकि यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं उत्तर के राज्यों के सब कुलों को बुला रहा हूँ,+

वे आएँगे और हर कोई यरूशलेम के फाटक के प्रवेश पर

अपनी राजगद्दी पर बैठेगा,+

वे उसके चारों तरफ की शहरपनाह पर

और यहूदा के सभी शहरों पर हमला करेंगे।+

16 मैं उनके सभी दुष्ट कामों की वजह से उन्हें सज़ा सुनाऊँगा,

क्योंकि उन्होंने मुझे छोड़ दिया है+

और वे दूसरे देवताओं के आगे बलिदान चढ़ाते हैं ताकि उसका धुआँ उठे,+

अपने ही हाथ की बनायी चीज़ों के आगे दंडवत करते हैं।’+

17 मगर तू कदम उठाने के लिए तैयार हो जा,*

तुझे जाकर उन्हें हर वह बात बतानी होगी जिसकी मैं तुझे आज्ञा देता हूँ।

तू उनसे खौफ न खाना+

ताकि ऐसा न हो कि मैं तुझे उनके सामने दहशत में डाल दूँ।

18 आज मैं तुझे एक किलेबंद शहर जैसा बनाता हूँ,

लोहे के खंभे और ताँबे की दीवारों जैसा बनाता हूँ ताकि तू पूरे देश का,+

यहूदा के राजाओं और हाकिमों का,

याजकों और देश के आम लोगों का डटकर सामना कर सके।+

19 वे तुझसे लड़ेंगे तो ज़रूर मगर जीत नहीं पाएँगे,*

क्योंकि यहोवा कहता है, ‘मैं तुझे बचाने के लिए तेरे साथ हूँ।’”+

2 यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 2 “तू जाकर यरूशलेम के सामने यह ऐलान कर: ‘यहोवा कहता है,

“मुझे अच्छी तरह याद है कि तू जवानी में मेरे साथ कैसा लगाव* रखती थी,+

जब मुझसे तेरी सगाई हुई तब तू मुझे कितना प्यार करती थी,+

वीराने में तू किस तरह मेरे पीछे-पीछे चलती थी,

जहाँ की ज़मीन बोयी नहीं गयी थी।+

 3 इसराएल यहोवा की नज़र में पवित्र था,+ उसकी फसल का पहला फल था।”’

यहोवा ऐलान करता है, ‘जो कोई उसे खा जाने की कोशिश करता वह दोषी ठहरता।

उस पर मुसीबत टूट पड़ती।’”+

 4 हे याकूब के घराने, हे इसराएल के घराने के सभी कुलो,

यहोवा का संदेश सुनो।

 5 यहोवा कहता है,

“तुम्हारे पुरखों ने मुझमें ऐसा क्या दोष पाया+

कि वे मुझसे इतनी दूर हो गए,

निकम्मी मूरतों के पीछे चलने लगे+ और खुद निकम्मे हो गए?+

 6 उन्होंने यह नहीं कहा, ‘आओ, हम यहोवा की ओर ताकें,

जो हमें मिस्र से निकाल लाया,+

हमें वीराने में राह दिखाते हुए ले चला,

जहाँ जगह-जगह रेगिस्तान+ और खाई हैं,

जहाँ सूखा पड़ता है+ और घोर अंधकार छाया रहता है,

जहाँ से कोई इंसान नहीं गुज़रता,

जहाँ एक भी इंसान नहीं रहता।’

 7 फिर मैं तुम्हें फलों के बागवाले देश में ले आया

ताकि तुम इसकी उपज और अच्छी-अच्छी चीज़ें खा सको।+

मगर तुमने यहाँ आकर मेरे देश को दूषित कर दिया,

मेरी विरासत को घिनौना बना दिया।+

 8 याजकों ने नहीं कहा, ‘आओ, हम यहोवा की ओर ताकें,’+

जिन्हें कानून सिखाने की ज़िम्मेदारी थी उन्होंने मुझे नहीं जाना,

चरवाहों ने मुझसे बगावत की,+

भविष्यवक्‍ताओं ने बाल के नाम से भविष्यवाणी की,+

वे उन देवताओं के पीछे गए जो उन्हें फायदा नहीं पहुँचा सकते थे।

 9 यहोवा ऐलान करता है, ‘इसलिए मैं तुम पर और भी दोष लगाऊँगा,+

तुम्हारे बेटों के बेटों पर दोष लगाऊँगा।’

10 ‘तुम उस पार कित्तीम+ लोगों के द्वीपों में जाओ और देखो।

हाँ, केदार+ को संदेश भेजो और अच्छी तरह पता लगाओ

कि क्या वहाँ कभी ऐसी बात हुई है।

11 क्या किसी राष्ट्र ने कभी अपने देवताओं को छोड़कर उन्हें अपनाया जो देवता नहीं हैं?

लेकिन मेरे अपने लोग मेरी महिमा करने के बजाय बेकार की चीज़ों की महिमा करने लगे।+

12 हे आकाश, तू फटी आँखों से देखता रह,

मारे हैरत के थर-थर काँप,’ यहोवा का यह ऐलान है,

13 ‘क्योंकि मेरे लोगों ने दो बुरे काम किए हैं:

उन्होंने मुझ जीवन के जल के सोते को छोड़ दिया है+

और अपने लिए ऐसे कुंड खोद लिए हैं,*

जो टूटे हुए हैं, जिनमें पानी नहीं ठहरता।’

14 ‘क्या इसराएल कोई सेवक है, या किसी घराने में जन्मा दास है?

फिर क्यों उसे लूट का शिकार होने के लिए छोड़ दिया गया?

15 उस पर जवान शेर गरजते हैं,+

वे ज़ोर-ज़ोर से दहाड़ते हैं।

उन्होंने उसके देश का ऐसा हश्र किया कि देखनेवालों का दिल दहल गया।

उसके शहरों में आग लगा दी जिस वजह से वहाँ कोई नहीं रहता।

16 नोप*+ और तहपनहेस+ के लोग तेरा सिर गंजा कर देते हैं।

17 क्या तू यह सब अपने ऊपर खुद ही नहीं लाया?

तूने ही अपने परमेश्‍वर यहोवा को छोड़ दिया था,+

जो तुझे रास्ता दिखा रहा था।

18 अब तू क्यों मिस्र जाकर+ शीहोर* का पानी पीना चाहता है?

क्यों अश्‍शूर जाकर+ महानदी* का पानी पीना चाहता है?

19 तुझे अपनी दुष्टता से सबक सीखना चाहिए,

तूने जो विश्‍वासघात किया है उससे तुझे फटकार मिलनी चाहिए।

यह जान ले और समझ ले कि अपने परमेश्‍वर यहोवा को छोड़ने का अंजाम

कितना बुरा और भयानक होता है,+

तूने मेरा बिलकुल भी डर नहीं माना,’+ सारे जहान के मालिक, सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का यह ऐलान है।

20 ‘मुद्दतों पहले मैंने तेरा जुआ तोड़ दिया था,+

तेरी बेड़ियाँ तोड़ दी थीं।

मगर तूने कहा, “मैं तेरी सेवा नहीं करूँगी,”

क्योंकि हर ऊँची पहाड़ी के ऊपर और हर घने पेड़ के नीचे+

तू पसर जाती और वेश्‍या के काम करती थी।+

21 जब मैंने तुझे लगाया था तब तू बढ़िया लाल अंगूर की बेल थी,+ तेरे सारे बीज उम्दा थे,

तो फिर तेरी डालियाँ कैसे सड़ने लगीं और तू मेरी नज़र में जंगली बेल कैसे बन गयी?’+

22 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘तू चाहे खार* से खुद को धोए या खूब सज्जी* इस्तेमाल करे,

फिर भी मेरे सामने से तेरे दोष का दाग नहीं मिटेगा।’+

23 तू कैसे कह सकती है, ‘मैंने खुद को दूषित नहीं किया।

मैं बाल देवताओं के पीछे नहीं गयी’?

घाटी में तूने जो किया उसे देख।

अपने कामों पर गौर कर।

तू एक फुर्तीली जवान ऊँटनी जैसी है,

जो बेमकसद इधर-उधर भागती रहती है,

24 तू ऐसी जंगली गधी जैसी है जो वीराने में रहने की आदी है,

जो हवस में आकर हवा सूँघती फिरती है।

जब उसमें सहवास की ज़बरदस्त इच्छा उठती है तो उसे कौन काबू कर सकता है?

उसकी तलाश करनेवालों को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।

वे उसके मौसम* में उसे पा लेते हैं।

25 अपने पाँव नंगे न होने दे

और अपना गला सूखने न दे।

मगर तूने कहा, ‘नहीं, ऐसा नहीं हो सकता!+

मुझे गैरों* से प्यार हो गया है,+

मैं उन्हीं के पीछे जाऊँगी।’+

26 जैसे चोर पकड़े जाने पर शर्मिंदा होता है,

वैसे ही इसराएल के घराने को शर्मिंदा किया गया है,

उन्हें और उनके राजाओं और हाकिमों को,

उनके याजकों और भविष्यवक्‍ताओं को शर्मिंदा किया गया है।+

27 वे एक पेड़ से कहते हैं, ‘तू मेरा पिता है’+

और एक पत्थर से कहते हैं, ‘तूने मुझे जन्म दिया है।’

मगर वे मेरी तरफ मुँह करने के बजाय मुझे पीठ दिखाते हैं।+

संकट के समय वे कहेंगे, ‘आकर हमें बचा ले!’+

28 अब तुम्हारे वे देवता कहाँ गए जिन्हें तुमने खुद के लिए बनाया था?+

अगर वे तुम्हें संकट के समय बचा सकते हैं तो वे आकर बचाएँ,

क्योंकि हे यहूदा, तेरे पास इतने देवता हो गए हैं जितने कि तेरे शहर हैं।+

29 यहोवा ऐलान करता है, ‘तुम क्यों मेरे खिलाफ शिकायत करते हो?

तुम सब क्यों मुझसे बगावत करते हो?’+

30 मैंने बेकार ही तुम्हारे बेटों को मारा।+

वे शिक्षा मानने से इनकार कर देते थे,+

तुम्हारी अपनी तलवार ने तुम्हारे भविष्यवक्‍ताओं को अपना कौर बना लिया,+

जैसे एक खूँखार शेर अपने शिकार को फाड़ खाता है।

31 इस पीढ़ी के लोगो, यहोवा के संदेश पर ध्यान दो।

क्या मैं इसराएल के लिए एक वीराना बन गया हूँ?

दम घोटनेवाले घोर अंधकार का देश बन गया हूँ?

ये लोग, मेरे अपने लोग क्यों कहते हैं, ‘हम जहाँ चाहे वहाँ जाएँगे।

हम फिर कभी तेरे पास नहीं आएँगे’?+

32 क्या एक कुँवारी लड़की कभी अपने गहने भूल सकती है?

क्या एक दुल्हन सीनाबंद* पहनना भूल सकती है?

मगर मेरे अपने लोगों ने न जाने कितने दिनों से मुझे भुला दिया है।+

33 हे औरत, तू प्यार की तलाश में कितनी चालाकी से अपना रास्ता चुनती है!

तूने खुद को दुष्टता की राह पर चलना सिखाया है।+

34 तेरा घाघरा बेगुनाहों और गरीबों के खून से दागदार है,+

ऐसा नहीं कि वे सेंध लगाते हुए पकड़े गए और मारे गए,

फिर भी उनके खून का दाग तेरे पूरे घाघरे पर लगा है।+

35 मगर तू कहती है, ‘मैं बेकसूर हूँ।

उसका क्रोध ज़रूर मुझसे दूर हो गया होगा।’

अब मैं तेरा न्याय करके तुझे सज़ा दूँगा,

क्योंकि तू कहती है, ‘मैंने पाप नहीं किया है।’

36 तू अपने ढुलमुल रवैए को क्यों एक हलकी बात समझती है?

तुझे मिस्र की वजह से भी शर्मिंदा होना पड़ेगा,+

ठीक जैसे तू अश्‍शूर की वजह से शर्मिंदा हुई थी।+

37 इसलिए भी तू सिर पर हाथ रखकर जाएगी,+

क्योंकि यहोवा ने उन्हें ठुकरा दिया है जिन पर तूने भरोसा रखा,

वे तुझे कामयाबी नहीं दिलाएँगे।”

3 लोग पूछते हैं, “अगर एक आदमी अपनी पत्नी को भेज दे और वह उसे छोड़कर चली जाए और किसी दूसरे आदमी की हो जाए, तो क्या वह दोबारा उस औरत को अपनाएगा?”

क्या यह देश पूरी तरह दूषित नहीं हो चुका है?+

यहोवा ऐलान करता है, “तूने बहुत-से यारों के साथ वेश्‍या के काम किए हैं+

और अब तू मेरे पास वापस आना चाहती है?”

 2 “अपनी नज़रें उठाकर उन सूनी पहाड़ियों को देख।

क्या ऐसी कोई जगह है जहाँ तेरे साथ बलात्कार न हुआ हो?

तू उनके इंतज़ार में रास्ते किनारे बैठा करती थी,

जैसे कोई खानाबदोश* वीराने में बैठता है।

तू अपने वेश्‍या के कामों से और अपनी दुष्टता से

देश को दूषित करती रहती है।+

 3 इसलिए बारिश रोक दी गयी है,+

वसंत में पानी नहीं बरसता।

तू उस पत्नी की तरह है जो वेश्‍या के काम करती है, मगर माथे पर शिकन तक नहीं है,

तुझमें शर्म नाम की कोई चीज़ नहीं।+

 4 मगर अब तू मुझे पिता पुकारती है

और यह भी कहती है, ‘तू मेरे बचपन से मेरा साथी रहा है!+

 5 तो फिर क्या यह सही है कि तू हमेशा मुझसे नाराज़ रहे,

मेरे खिलाफ दुश्‍मनी पालता रहे?’

तू यह कहती तो है,

मगर तू जितने बुरे काम कर सकती है वह सब करती रहती है।”+

6 राजा योशियाह+ के दिनों में यहोवा ने मुझसे कहा, “‘क्या तूने देखा है कि विश्‍वासघाती इसराएल ने क्या किया है? वह हर ऊँचे पहाड़ पर चढ़कर और हर घने पेड़ के नीचे जाकर वेश्‍या के काम करती है।+ 7 हालाँकि उसने यह सब किया है, फिर भी मैं उससे कहता रहा कि वह मेरे पास लौट आए।+ मगर वह नहीं लौटी। और यहूदा अपनी दगाबाज़ बहन इसराएल को देखती रही।+ 8 जब मैंने यह देखा तो मैंने विश्‍वासघाती इसराएल को तलाकनामा देकर भेज दिया+ क्योंकि उसने व्यभिचार किया।+ मगर उसकी दगाबाज़ बहन यहूदा नहीं डरी कि उसे भी सज़ा मिल सकती है। वह भी जाकर बेधड़क वेश्‍या के काम करने लगी।+ 9 उसने अपने वेश्‍या के कामों को हलका समझा और देश को दूषित करती रही और पत्थरों और पेड़ों के साथ व्यभिचार करती रही।+ 10 इतना कुछ होने पर भी उसकी दगाबाज़ बहन यहूदा पूरे दिल से मेरे पास नहीं लौटी, उसने सिर्फ लौटने का ढोंग किया।’ यहोवा का यह ऐलान है।”

11 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “विश्‍वासघाती इसराएल, दगाबाज़ यहूदा से कम दोषी निकली है।+ 12 तू उत्तर में जाकर यह संदेश सुना:+

‘यहोवा ऐलान करता है, “हे बागी इसराएल, मेरे पास लौट आ।”’+ ‘यहोवा ऐलान करता है, “मैं तुझे क्रोध-भरी नज़रों से नहीं देखूँगा+ क्योंकि मैं वफादार हूँ।”’ ‘“मैं तुझसे सदा नाराज़ नहीं रहूँगा। 13 बस तू अपना दोष मान ले क्योंकि तूने अपने परमेश्‍वर यहोवा से बगावत की है। तू हर घने पेड़ के नीचे पराए आदमियों* के साथ संबंध रखती और मेरी बात नहीं मानती।” यहोवा का यह ऐलान है।’”

14 यहोवा ऐलान करता है, “हे बगावती बेटो, मेरे पास लौट आओ। मैं तुम्हारा असली मालिक* बन गया हूँ। मैं तुम लोगों को इकट्ठा करूँगा, हर शहर में से एक को और हर परिवार में से दो को लूँगा और सिय्योन वापस ले आऊँगा।+ 15 मैं अपने मन के मुताबिक तुम्हें चरवाहे दूँगा+ और वे तुम्हें ज्ञान और अंदरूनी समझ की खुराक देंगे। 16 तब तुम गिनती में बढ़ जाओगे और फूलोगे-फलोगे।” यहोवा का यह ऐलान है।+ “वे फिर कभी यह न कहेंगे, ‘यहोवा के करार का संदूक!’ यह बात उनके दिल में कभी नहीं आएगी, वे न इसे याद करेंगे और न ही इसकी कमी महसूस करेंगे और यह दोबारा नहीं बनाया जाएगा। 17 उस समय वे यरूशलेम को यहोवा की राजगद्दी कहेंगे+ और सारे राष्ट्रों को यहोवा के नाम की महिमा करने के लिए यरूशलेम लाया जाएगा।+ वे फिर कभी ढीठ होकर अपने दुष्ट मन की नहीं सुनेंगे।”

18 “उन दिनों यहूदा का घराना और इसराएल का घराना साथ-साथ चलेंगे+ और वे मिलकर उत्तर के देश से उस देश में आएँगे जो मैंने तुम्हारे पुरखों को विरासत में दिया था।+ 19 मैंने सोचा था, ‘मैं तुम्हें अपने बेटों में गिनूँगा और तुम्हें विरासत में वह बढ़िया देश दूँगा जो दुनिया के राष्ट्रों की नज़रों में सबसे खूबसूरत विरासत है।’+ मैंने यह भी सोचा था कि तुम मुझे ‘पिता’ कहोगे और मेरे पीछे चलना नहीं छोड़ोगे। 20 यहोवा ऐलान करता है, ‘मगर हे इसराएल के घराने, तूने मेरे साथ विश्‍वासघात किया है, ठीक जैसे एक पत्नी अपने पति से विश्‍वासघात करके उसे छोड़ देती है।’”+

21 सूनी पहाड़ियों पर शोर सुनायी दे रहा है,

इसराएल के लोगों का रोना और गिड़गिड़ाना सुनायी दे रहा है,

क्योंकि उन्होंने टेढ़ी चाल चली है,

अपने परमेश्‍वर यहोवा को भूल गए हैं।+

22 “हे बगावती बेटो, मेरे पास लौट आओ।

मैं तुम्हें चंगा कर दूँगा, तुम्हारी भटकने की आदत छुड़ा दूँगा।”+

“देख, हम आ गए हैं! हम तेरे पास आ गए हैं,

क्योंकि हे यहोवा, तू हमारा परमेश्‍वर है।+

23 पहाड़ियों और पहाड़ों पर होहल्ला मचाकर हमने वाकई खुद को धोखा दिया।+

हमारा परमेश्‍वर यहोवा ही इसराएल का सच्चा उद्धारकर्ता है।+

24 उस शर्मनाक चीज़* ने हमारे बचपन से हमारे पुरखों के खून-पसीने की कमाई खा ली है,+

उनके भेड़-बकरियों और गाय-बैलों,

उनके बेटे-बेटियों को निगल लिया है।

25 आओ हम शर्म के मारे लेट जाएँ,

अपमान का ओढ़ना ओढ़ लें,

क्योंकि हमने अपने परमेश्‍वर यहोवा के खिलाफ पाप किया है,+

बचपन से लेकर आज तक हमने और हमारे पिताओं ने पाप किया है,+

हमने अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात नहीं मानी।”

4 यहोवा ऐलान करता है, “हे इसराएल, अगर तू लौट आए,

मेरे पास लौट आए

और अपनी घिनौनी मूरतें मेरे सामने से हटा दे,

तो तू भगोड़ा बनकर फिरता नहीं रहेगा।+

 2 अगर तू सच्चाई, न्याय और नेकी से यह कहकर शपथ खाए,

‘यहोवा के जीवन की शपथ!’

तो राष्ट्र परमेश्‍वर से आशीष पाएँगे*

और उसके कारण गर्व करेंगे।”+

3 क्योंकि यहोवा, यहूदा के लोगों और यरूशलेम से कहता है,

“तुम ज़मीन जोतो, उसे उपजाऊ बनाओ,

काँटों के बीच बोना छोड़ दो।+

 4 यहूदा और यरूशलेम के लोगो,

यहोवा के लिए अपना खतना करो,

अपने दिलों की खलड़ी निकाल फेंको,+

नहीं तो तुम्हारे दुष्ट कामों की वजह से

मेरा क्रोध आग की तरह भड़क उठेगा

और उसे कोई बुझा न सकेगा।”+

 5 यहूदा में इस बात का ऐलान करो,

यरूशलेम में यह संदेश सुनाओ।

पूरे देश में नरसिंगा फूँको, चिल्ला-चिल्लाकर बताओ।+

पुकार-पुकारकर कहो, “चलो हम सब इकट्ठा हो जाएँ

और किलेबंद शहरों में भाग जाएँ।+

 6 सिय्योन का रास्ता दिखानेवाला एक झंडा खड़ा करो।

खड़े मत रहो, कोई आसरा ढूँढ़ो,”

क्योंकि मैं उत्तर से एक कहर ढानेवाला हूँ,+ एक बड़ी विपत्ति लानेवाला हूँ।

 7 दुश्‍मन ऐसे निकला है जैसे शेर झाड़ी में से निकलता है,+

राष्ट्रों को तबाह करनेवाला चल पड़ा है।+

वह अपनी जगह से रवाना हो चुका है ताकि तुम्हारे देश का ऐसा हश्र करे कि देखनेवालों का दिल दहल जाए।

तुम्हारे शहर खंडहर बना दिए जाएँगे, उनमें एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

 8 इसलिए टाट ओढ़ो,+

मातम मनाओ,* ज़ोर-ज़ोर से रोओ,

क्योंकि यहोवा के क्रोध की आग हमसे दूर नहीं हुई है।

 9 यहोवा ऐलान करता है, “उस दिन राजा हिम्मत* हार जाएगा,+

हाकिम भी हिम्मत* हार जाएँगे,

याजक खौफ खाएँगे और भविष्यवक्‍ताओं के होश उड़ जाएँगे।”+

10 फिर मैंने कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, कितना बुरा हुआ! तूने वाकई इन लोगों को और यरूशलेम को यह कहकर धोखा दिया,+ ‘तुम्हें शांति मिलेगी,’+ जबकि तलवार हमारी गरदन पर है।”

11 उस समय इन लोगों से और यरूशलेम से यह कहा जाएगा:

“रेगिस्तान की सूनी पहाड़ियों से झुलसानेवाली हवा

मेरे लोगों की बेटी* पर चलनेवाली है।

यह हवा अनाज फटकने या साफ करने के लिए नहीं आ रही है।

12 यह तेज़ आँधी मेरे कहने पर इन जगहों से आएगी।

अब मैं उनके खिलाफ फैसला सुनाऊँगा।

13 देख! दुश्‍मन बरसाती बादल की तरह आएगा,

उसके रथ भयानक आँधी की तरह हैं।+

उसके घोड़े उकाबों से भी तेज़ हैं।+

हाय, हम बरबाद हो गए!

14 हे यरूशलेम, अपने दिल से दुष्टता निकालकर उसे साफ कर ताकि तू बच सके।+

तू कब तक अपने मन में बुरे विचार पालती रहेगी?

15 क्योंकि दान से एक आवाज़ खबर दे रही है,+

वह एप्रैम के पहाड़ों से विपत्ति का संदेश सुना रही है।

16 हाँ, राष्ट्रों को खबर भेजो,

यरूशलेम के खिलाफ संदेश सुनाओ।”

“एक दूर देश से कुछ भेदिए* आ रहे हैं,

वे यहूदा के शहरों के खिलाफ युद्ध का ऐलान करेंगे।

17 वे खेत के रखवालों की तरह उसे चारों तरफ से घेर लेंगे,+

क्योंकि उसने मुझसे बगावत की है।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

18 “तुझे अपने ही चालचलन और कामों का अंजाम भुगतना पड़ेगा।+

तेरी तबाही क्या ही दर्दनाक है,

क्योंकि यह तेरे दिल की गहराई तक समाया हुआ है!”

19 हाय, यह दर्द!* हाय, यह दर्द!

मेरे दिल में तेज़ दर्द उठता है।

मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है।

मैं चुप नहीं रह सकता,

क्योंकि मैंने नरसिंगे की आवाज़ सुनी है,

युद्ध का बिगुल* सुना है।+

20 जगह-जगह से तबाही की खबर आ रही है,

क्योंकि पूरा देश नाश किया जा रहा है।

अचानक मेरे अपने तंबू नाश कर दिए गए हैं,

पल-भर में ही मेरे तंबू नाश कर दिए गए हैं।+

21 मैं और कब तक झंडा देखता रहूँ,

नरसिंगे की आवाज़ सुनता रहूँ?+

22 “मेरे लोग मूर्ख हैं,+ वे मुझ पर बिलकुल ध्यान नहीं देते।

मेरे बेटे बेवकूफ हैं, उन्हें ज़रा भी समझ नहीं है।

वे बुरे काम करने में तो बड़े होशियार* हैं,

मगर भले काम करना उन्हें आता ही नहीं।”

23 मैं देश को देखकर दंग रह गया!

वह बिलकुल उजड़ गया था, सुनसान हो गया था।+

मैंने आकाश की ओर ताका तो देखा कि उसमें कोई रौशनी नहीं थी।+

24 पहाड़ों पर नज़र डाली तो देखकर दंग रह गया!

वे काँप रहे थे, पहाड़ियाँ डोल रही थीं।+

25 मैं यह देखकर दंग रह गया कि एक इंसान तक नहीं था!

आकाश के सारे पंछी उड़ गए थे।+

26 मैं यह देखकर दंग रह गया कि फलों का बाग वीरान हो गया था,

उसके सारे शहर ढा दिए गए थे!+

यह सब यहोवा ने किया,

उसके क्रोध की आग भड़क उठी थी।

27 क्योंकि यहोवा ने कहा है, “सारा देश उजाड़ दिया जाएगा,+

मगर मैं उसे पूरी तरह खाक में नहीं मिलाऊँगा।

28 इस वजह से देश मातम मनाएगा+

और ऊपर आकाश अँधेरा हो जाएगा।+

ऐसा इसलिए होगा क्योंकि मैंने कहा है, मैंने फैसला किया है,

मैंने जो सोचा है उसे नहीं बदलूँगा,* न ही पीछे हटूँगा।+

29 घुड़सवारों और तीरंदाज़ों का आना सुनकर

सारा शहर भाग जाता है।+

लोग घनी झाड़ियों में जा छिपते हैं,

चट्टानों पर चढ़ जाते हैं।+

सारे शहर खाली हो गए हैं,

कोई उनमें नहीं रहता।”

30 अब जब तू उजड़ गयी है, तो तू क्या करेगी?

तू सुर्ख लाल कपड़े पहना करती थी,

सोने के ज़ेवरों से खुद को सँवारती थी,

आँखों को और बड़ा दिखाने के लिए काजल लगाती थी।

मगर तेरा यह सारा सजना-सँवरना बेकार गया+

क्योंकि जो अपनी हवस पूरी करने तेरे पास आते थे उन्होंने तुझे ठुकरा दिया,

अब वे तेरी जान के दुश्‍मन बन गए हैं।+

31 मैंने एक बीमार औरत के कराहने जैसी आवाज़ सुनी है,

उस औरत के चिल्लाने जैसी आवाज़ जो पहली बार बच्चा जनती है,

मैंने सिय्योन की बेटी की आवाज़ सुनी है जो एक-एक साँस के लिए हाँफ रही है।

वह अपने हाथ फैलाकर कहती है,+ “हाय, मेरे साथ यह क्या हुआ है,

कातिलों ने मुझे बदहाल करके छोड़ा है!”

5 यरूशलेम की गली-गली घूमकर देखो।

चारों तरफ नज़र दौड़ाओ, ध्यान से देखो।

उसके हर चौक में ढूँढ़ो,

अगर एक भी ऐसा इंसान मिले जो न्याय से काम करता है,+

विश्‍वासयोग्य बने रहने की कोशिश करता है,

तो मैं उस नगरी को माफ कर दूँगा।

 2 वे कहते तो हैं, “यहोवा के जीवन की शपथ!”

मगर उनकी शपथ झूठी होती है।+

 3 हे यहोवा, क्या तेरी आँखें ऐसे लोगों को नहीं ढूँढ़तीं जो तेरे विश्‍वासयोग्य हैं?+

तूने उन्हें मारा, मगर उन पर कोई असर नहीं हुआ।*

तूने उन्हें कुचल दिया, फिर भी उन्होंने सबक नहीं सीखा।+

उन्होंने अपना चेहरा चट्टान से भी ज़्यादा सख्त बना लिया है,+

उन्होंने पलटकर लौटने से इनकार कर दिया है।+

 4 मैंने सोचा, “ये छोटे लोग होंगे।

ये मूर्खता से पेश आते हैं क्योंकि ये यहोवा की राह नहीं जानते,

अपने परमेश्‍वर का फैसला नहीं जानते।

 5 मैं बड़े लोगों के पास जाऊँगा और उनसे बात करूँगा,

उन्होंने ज़रूर यहोवा की राह पर ध्यान दिया होगा,

अपने परमेश्‍वर के फैसले पर ध्यान दिया होगा।+

मगर उन सबने अपना जुआ तोड़ दिया,

अपने बंधन काट डाले।”

 6 इसलिए जंगल का एक शेर उन पर हमला करता है,

वीराने का एक भेड़िया उन्हें फाड़ खाता है,

एक चीता उनके शहरों के पास घात लगाए बैठता है।

वहाँ से बाहर आनेवाले हर किसी की बोटी-बोटी कर दी जाती है।

क्योंकि उन्होंने बहुत-से अपराध किए हैं,

बार-बार विश्‍वासघात किया है।+

 7 मैं तेरा यह गुनाह कैसे माफ कर सकता हूँ?

तेरे बेटों ने मुझे छोड़ दिया है,

वे उसकी शपथ खाते हैं जो परमेश्‍वर नहीं।+

मैंने उनकी ज़रूरतें पूरी कीं,

मगर वे बदचलनी करते रहे,

टोली बनाकर वेश्‍या के घर जाते रहे।

 8 वे हवस में डूबे बेकाबू घोड़ों की तरह हैं,

हर कोई दूसरे की पत्नी के पीछे जाता है।+

 9 यहोवा ऐलान करता है, “क्या मैं इन करतूतों के लिए उनसे हिसाब न माँगूँ?

क्या मैं ऐसे राष्ट्र से अपना बदला न लूँ?”+

10 “आओ, उसके अंगूर के सीढ़ीदार बागों पर हमला करो, उन्हें बरबाद कर दो,

मगर उन्हें पूरी तरह नाश मत करना।+

उसकी फैलती डालियाँ तोड़कर ले जाओ,

क्योंकि वे यहोवा की नहीं हैं।

11 इसराएल के घराने और यहूदा के घराने ने

मुझे दगा देने में हद कर दी है।” यहोवा का यह ऐलान है।+

12 “उन्होंने यहोवा का इनकार किया है,

वे बार-बार कहते हैं, ‘वह कुछ नहीं करेगा।*+

हम पर कोई आफत नहीं आनेवाली।

हम पर न तलवार चलेगी, न अकाल पड़ेगा।’+

13 भविष्यवक्‍ताओं की बातें खोखली हैं,

उनमें वचन* नहीं है।

उनके साथ ऐसा ही हो!”

14 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“ये लोग ऐसा कहते हैं,

इसलिए मैं तेरे मुँह में अपने वचनों को आग बना दूँगा,+

इन लोगों को लकड़ी बना दूँगा

और वह आग इन्हें भस्म कर देगी।”+

15 यहोवा ऐलान करता है, “हे इसराएल के घराने, मैं दूर के एक देश से तुझ पर हमला करानेवाला हूँ।+

वह ऐसा राष्ट्र है जो मुद्दतों से वजूद में है,

जो पुराने ज़माने से है,

जिसकी भाषा तू नहीं जानता,

जिसकी बोली तू नहीं समझ सकता।+

16 उनका तरकश खुली कब्र जैसा है,

वे सब-के-सब सूरमा हैं।

17 वे तेरी फसल और तेरी रोटी खा जाएँगे,+

तेरे बेटे-बेटियों को खा जाएँगे,

तेरी भेड़-बकरियों और तेरे मवेशियों को खा जाएँगे,

तेरी अंगूर की बेलों और तेरे अंजीर के पेड़ों को खा जाएँगे।

वे तलवार से तेरे किलेबंद शहरों को नाश कर देंगे, जिन पर तुझे भरोसा है।”

18 यहोवा ऐलान करता है, “मगर उन दिनों में भी मैं तुम्हें पूरी तरह नाश नहीं करूँगा।+ 19 जब वे तुझसे पूछेंगे, ‘हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमारे साथ ये सब क्यों किया?’ तो तू उनसे कहना, ‘जिस तरह तुम लोगों ने मुझे छोड़कर अपने देश में एक पराए देवता की सेवा की, उसी तरह तुम एक ऐसे देश में, जो तुम्हारा नहीं है, पराए लोगों की सेवा करोगे।’”+

20 याकूब के घराने में यह ऐलान करो,

यहूदा में यह संदेश सुनाओ,

21 “मूर्खो और नासमझ लोगो, सुनो:+

उनकी आँखें तो हैं मगर वे देख नहीं सकते,+

उनके कान तो हैं मगर वे सुन नहीं सकते।+

22 यहोवा ऐलान करता है, ‘क्या तुम्हें मेरा डर नहीं है?

क्या तुम्हें मेरे सामने थर-थर नहीं काँपना चाहिए?

मैंने ही समुंदर के लिए रेत की हद बाँधी थी,

उसके लिए एक सदा का नियम ठहराया था ताकि वह अपनी हद पार न करे।

समुंदर की लहरें कितना भी उछलें मगर वे जीत नहीं सकतीं,

कितना भी गरजें मगर किनारा लाँघ नहीं सकतीं।+

23 लेकिन इन लोगों का मन हठीला और बागी है,

ये मुझे छोड़कर अपने रास्ते चलने लगे।+

24 ये कभी अपने मन में नहीं कहते,

“आओ, हम अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानें,

जो वक्‍त पर हमें बारिश देता है,

पतझड़ और वसंत की बारिश देता है,

जो हमारे लिए कटाई के तय हफ्तों की हिफाज़त करता है।”+

25 तुम्हारे अपने ही गुनाहों ने इन्हें आने से रोक दिया है,

तुम्हारे अपने ही पापों ने तुम्हें अच्छी चीज़ों से दूर कर दिया है।+

26 मेरे लोगों के बीच दुष्ट लोग पाए जाते हैं।

जैसे बहेलिए झुककर घात लगाते हैं, वैसे ही वे भी ताक में रहते हैं।

वे खतरनाक फंदे बिछाते हैं।

वे इंसानों को पकड़ते हैं।

27 पंछियों से भरे एक पिंजरे की तरह

उनके घर छल की कमाई से भरे रहते हैं।+

इसीलिए वे ताकतवर और मालामाल हो गए हैं।

28 वे मोटे और चिकने हो गए हैं,

बुराई उनमें उमड़ती रहती है।

वे अनाथों* के मुकदमे की पैरवी नहीं करते+

ताकि उनका अपना काम बन सके,

वे गरीबों को इंसाफ दिलाने से इनकार करते हैं।’”+

29 यहोवा ऐलान करता है, “क्या मैं इन करतूतों के लिए उनसे हिसाब न माँगूँ?

क्या मैं ऐसे राष्ट्र से अपना बदला न लूँ?

30 देश में जो हुआ है वह भयानक और बहुत घिनौना है:

31 भविष्यवक्‍ता झूठी भविष्यवाणी करते हैं,+

याजक अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करके दूसरों को दबाते हैं।

मेरे अपने लोगों को यह सब बहुत पसंद है।+

मगर जब अंत आएगा तो तुम क्या करोगे?”

6 बिन्यामीन के लोगो, यरूशलेम से दूर कहीं आसरा लो।

तकोआ+ में नरसिंगा फूँको,+

बेत-हक्केरेम में आग जलाकर इशारा दो!

क्योंकि उत्तर से एक विपत्ति तेज़ी से आ रही है, एक बड़ी विपत्ति।+

 2 सिय्योन की बेटी एक खूबसूरत, नाज़ुक औरत जैसी दिखती है।+

 3 चरवाहे और उनके झुंड आएँगे।

वे उसके चारों तरफ अपने तंबू गाड़ेंगे,+

हर चरवाहा अपने झुंड को चराएगा।+

 4 “उससे युद्ध करने के लिए तैयार हो जाओ!

चलो, हम भरी दोपहरी में उस पर हमला करें!”

“हाय, दिन ढलता जा रहा है,

साँझ की छाया बढ़ती जा रही है!”

 5 “चलो, हम रात को उस पर हमला करें,

उसकी किलेबंद मीनारें ढा दें।”+

 6 क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“लकड़ी काटो, यरूशलेम पर हमला करने के लिए ढलान खड़ी करो।+

यह वह नगरी है जिससे हिसाब लेना ज़रूरी है,

उसमें ज़ुल्म-ही-ज़ुल्म होता है।+

 7 जैसे कुंड अपना पानी ताज़ा* रखता है,

वैसे ही वह अपनी बुराई ताज़ी रखती है।

वहाँ हमेशा खून-खराबे और तबाही की चीख-पुकार सुनायी पड़ती है,+

वहाँ मैं हर पल बीमारी और महामारी देखता हूँ।

 8 हे यरूशलेम, चेतावनी पर ध्यान दे, वरना मुझे तुझसे घिन हो जाएगी और मैं तुझसे मुँह फेर लूँगा,+

मैं तुझे ऐसा उजाड़कर रख दूँगा कि तेरे यहाँ एक भी निवासी नहीं रहेगा।”+

 9 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“वे इसराएल के सभी बचे हुओं को बटोर लेंगे, जैसे अंगूर की बेल पर बचे सारे अंगूर तोड़ लिए जाते हैं।

अंगूर बटोरनेवाले की तरह एक बार फिर डालियों पर हाथ फेर।”

10 “मैं किसे बताऊँ, किसे खबरदार करूँ?

कौन मेरी सुनेगा?

देख! उनके कान बंद हैं, इसलिए वे बिलकुल ध्यान नहीं देते।+

देख! वे यहोवा के वचन की खिल्ली उड़ाते हैं,+

उन्हें उसके वचन रास नहीं आते।

11 इसलिए यहोवा के क्रोध की आग मेरे अंदर धधक रही है,

इसे मैं अपने अंदर और दबाकर नहीं रख सकता।”+

“आग का यह प्याला गली के बच्चों पर उँडेल दे,+

जवानों की टोलियों पर उँडेल दे।

उन सबको बंदी बना लिया जाएगा, पति के साथ पत्नी को,

बुज़ुर्गों के साथ उनको भी जो बहुत बूढ़े हैं।+

12 उनके घर दूसरों को दे दिए जाएँगे,

उनके खेत और उनकी पत्नियाँ भी दे दी जाएँगी।+

क्योंकि मैं देश के लोगों के खिलाफ अपना हाथ बढ़ाऊँगा।” यहोवा का यह ऐलान है।

13 “क्योंकि छोटे से लेकर बड़े तक, हर कोई बेईमानी से कमाता है,+

भविष्यवक्‍ता से लेकर याजक तक, हर कोई धोखाधड़ी करता है।+

14 वे यह कहकर मेरे लोगों का घाव सिर्फ ऊपर से ठीक करते हैं,

‘शांति है! शांति है!’

जबकि कोई शांति नहीं है।+

15 क्या उन्हें अपने घिनौने कामों पर शर्म आती है?

नहीं, बिलकुल शर्म नहीं आती!

उनमें शर्म नाम की चीज़ है ही नहीं!+

इसलिए वे भी उनकी तरह गिरेंगे जो गिर चुके हैं।

जब मैं उन्हें सज़ा दूँगा तब वे ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे।” यह बात यहोवा ने कही है।

16 यहोवा कहता है,

“दोराहे पर खड़े हो जाओ और देखो।

पुराने ज़माने की राहों के बारे में पूछो,

पूछो कि सही राह कौन-सी है, फिर उस पर चलो+

और अपने जी को चैन दिलाओ।”

मगर वे कहते हैं, “हम उस राह पर नहीं चलेंगे।”+

17 “मैंने पहरेदार ठहराए+ जिन्होंने कहा,

‘नरसिंगे की आवाज़ पर ध्यान दो!’”+

मगर उन्होंने कहा, “हम ध्यान नहीं देंगे।”+

18 “इसलिए राष्ट्रो, सुनो!

लोगो, जान लो कि उनके साथ क्या होनेवाला है।

19 धरती के सभी लोगो, सुनो!

मैं इन लोगों पर विपत्ति लानेवाला हूँ,+

यह उनकी अपनी ही साज़िशों का अंजाम होगा,

क्योंकि उन्होंने मेरे वचनों पर कोई ध्यान नहीं दिया,

मेरे कानून* को ठुकरा दिया।”

20 “तुम जो शीबा से मेरे लिए लोबान लाते हो

और दूर देश से खुशबूदार वच* लाते हो,

वह मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता।

तुम्हारी पूरी होम-बलियाँ मुझे स्वीकार नहीं,

तुम्हारे बलिदानों से मैं खुश नहीं।”+

21 इसलिए यहोवा कहता है,

“मैं इन लोगों के आगे रोड़े डालूँगा,

जिनसे वे ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे,

पिता और बेटे साथ गिरेंगे,

पड़ोसी और उसका साथी भी गिरेंगे

और वे सब मिट जाएँगे।”+

22 यहोवा कहता है,

“देखो, उत्तर के एक देश से लोग आ रहे हैं,

धरती के छोर से एक बड़े राष्ट्र को जगाया जाएगा।+

23 वे तीर-कमान और बरछी हाथ में लिए आएँगे।

वे बेरहम हैं, किसी पर तरस नहीं खाएँगे।

वे समुंदर की तरह गरजेंगे,

घोड़ों पर सवार होकर आएँगे।+

हे सिय्योन की बेटी, वे दल बाँधकर आएँगे,

एक योद्धा की तरह तुझ पर हमला करेंगे।”

24 हमने इसकी खबर सुनी है।

हमारे हाथ ढीले पड़ गए हैं,+

डर ने हमें जकड़ लिया है,

हम बच्चा जनती औरत की तरह तड़प रहे हैं।+

25 खेत में मत जाओ,

न ही सड़क पर चलो,

क्योंकि दुश्‍मन के हाथ में तलवार है,

चारों तरफ आतंक छाया हुआ है।

26 मेरे लोगों की बेटी,

टाट ओढ़ ले,+ राख में लोट।

तू बिलख-बिलखकर रो, ऐसे मातम मना जैसे कोई इकलौते बेटे की मौत पर मनाता है,+

क्योंकि नाश करनेवाला अचानक हम पर टूट पड़ेगा।+

27 “मैंने तुझे* अपने लोगों के बीच धातु शुद्ध करनेवाला ठहराया है,

जो अच्छी तरह जाँचता-परखता है,

तू उनके तौर-तरीकों पर गौर कर, उनकी जाँच कर।

28 वे सब ढीठ हैं, उनके जैसे लोग कहीं नहीं मिलेंगे,+

वे बदनाम करते फिरते हैं।+

वे ताँबे और लोहे जैसे हैं,

सब-के-सब भ्रष्ट हैं।

29 धौंकनियाँ जल गयीं,

मगर आग से सिर्फ सीसा निकला।

उन्हें शुद्ध करने की ज़बरदस्त कोशिश की गयी, मगर कोई फायदा नहीं हुआ,+

जो बुरे हैं उन्हें अलग नहीं किया गया।+

30 लोग उन्हें खोटी चाँदी कहेंगे,

क्योंकि यहोवा ने उन्हें खोटा पाया है।”+

7 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 2 “तू यहोवा के भवन के फाटक पर खड़े होकर इस संदेश का ऐलान कर, ‘यहूदा के सब लोगो, तुम जो यहोवा के सामने दंडवत करने के लिए इन फाटकों से अंदर जा रहे हो, तुम सब यहोवा का यह संदेश सुनो। 3 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “तुम सब अपना चालचलन सुधारो और अपने तौर-तरीके बदलो, तब मैं तुम्हें इस जगह बसे रहने दूँगा।+ 4 तुम छल-भरी बातों पर भरोसा करके यह मत कहो, ‘यह* यहोवा का मंदिर है, यहोवा का मंदिर, यहोवा का मंदिर!’+ 5 अगर तुम वाकई अपना चालचलन सुधारोगे और अपने तौर-तरीके बदलोगे, दो लोगों के बीच के मुकदमे में सच्चा न्याय करोगे,+ 6 परदेसियों, अनाथों* और विधवाओं को नहीं सताओगे,+ इस जगह बेगुनाहों का खून नहीं बहाओगे और दूसरे देवताओं के पीछे नहीं जाओगे जिससे तुम्हारा नुकसान होगा,+ 7 तब मैं तुम्हें इस देश में बसे रहने दूँगा जो मैंने तुम्हारे पुरखों को सदा* के लिए दिया था।”’”

8 “मगर तुम छल-भरी बातों पर भरोसा करते हो।+ इससे तुम्हें कोई फायदा नहीं होगा। 9 तुम चोरी,+ कत्ल और व्यभिचार करते हो, झूठी शपथ खाते हो,+ बाल देवता के लिए बलिदान चढ़ाते हो+ और उन देवताओं के पीछे जाते हो जिन्हें तुम पहले नहीं जानते थे। तुम्हें क्या लगता है कि तुम ऐसे काम करते हुए भी 10 इस भवन में मेरे सामने आकर खड़े हो सकते हो, जिससे मेरा नाम जुड़ा है? क्या ये सब घिनौने काम करते हुए भी तुम कह सकते हो, ‘हम ज़रूर बच जाएँगे’? 11 क्या तुमने इस भवन को, जिससे मेरा नाम जुड़ा है, लुटेरों की गुफा समझ रखा है?+ मैंने खुद यह देखा है।” यहोवा का यह ऐलान है।

12 “‘अब तुम शीलो में मेरे पवित्र-स्थान जाओ,+ जिसे मैंने अपने नाम की महिमा के लिए पहले चुना था।+ वहाँ जाकर देखो कि मैंने अपनी प्रजा इसराएल की बुराई की वजह से उस जगह का क्या हाल किया।’+ 13 यहोवा ऐलान करता है, ‘फिर भी तुम इन कामों से बाज़ नहीं आए। मैं तुम्हें बार-बार समझाता रहा,* मगर तुमने मेरी नहीं सुनी।+ मैं तुम्हें पुकारता रहा, मगर तुमने कोई जवाब नहीं दिया।+ 14 इसलिए मैंने शीलो का जो हश्र किया था, वही इस भवन का भी करूँगा जिससे मेरा नाम जुड़ा है+ और जिस पर तुम भरोसा करते हो।+ मैं इस जगह का, जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे पुरखों को दी थी, वही हाल करूँगा।+ 15 मैं तुम्हें अपनी नज़रों से दूर कर दूँगा, ठीक जैसे मैंने तुम्हारे सब भाइयों को, एप्रैम के सभी वंशजों को दूर कर दिया था।’+

16 तू इन लोगों की खातिर प्रार्थना मत करना। इनकी खातिर मुझे दुहाई मत देना, न प्रार्थना करना, न फरियाद करना+ क्योंकि मैं नहीं सुनूँगा।+ 17 तू देख ही रहा है कि ये लोग यहूदा के शहरों और यरूशलेम की गलियों में क्या-क्या कर रहे हैं। 18 बेटे लकड़ियाँ इकट्ठी करते हैं, पिता उनमें आग लगाते हैं और पत्नियाँ आटा गूँधती हैं ताकि स्वर्ग की रानी* के लिए बलिदान की टिकियाँ बना सकें+ और वे दूसरे देवताओं के आगे अर्घ चढ़ाते हैं। यह सब करके वे मेरा क्रोध भड़काते हैं।+ 19 यहोवा ऐलान करता है, ‘क्या वे ऐसा करके मुझे दुख पहुँचा रहे हैं?* नहीं, वे खुद ही को दुख पहुँचा रहे हैं, अपना ही अपमान कर रहे हैं।’+ 20 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘देख, मेरे क्रोध और जलजलाहट का प्याला इस जगह पर उँडेला जाएगा,+ इंसान और जानवर पर, मैदान के पेड़ों और ज़मीन की उपज पर उँडेला जाएगा। मेरे क्रोध की आग जलती रहेगी, यह कभी नहीं बुझेगी।’+

21 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘चढ़ाओ, चढ़ाओ, बलिदानों के साथ पूरी होम-बलियाँ चढ़ाओ और उनका गोश्‍त खुद खाओ।+ 22 क्योंकि जिस दिन मैं तुम्हारे पुरखों को मिस्र से बाहर लाया था, उस दिन मैंने उनसे पूरी होम-बलियों और बलिदानों के बारे में न बात की थी, न ही उन्हें आज्ञा दी थी।+ 23 मगर मैंने उनसे यह ज़रूर कहा था: “तुम मेरी आज्ञा मानना, तब मैं तुम्हारा परमेश्‍वर होऊँगा और तुम मेरे लोग होगे।+ मैं तुम्हें जिस राह पर चलने की आज्ञा दूँगा तुम उसी पर चलना ताकि तुम्हारा भला हो।”’+ 24 मगर उन्होंने मेरी नहीं सुनी, मेरी तरफ कान नहीं लगाया।+ इसके बजाय, वे अपनी ही योजनाओं* के मुताबिक चले, ढीठ होकर अपने दुष्ट मन की सुनते रहे+ और आगे बढ़ने के बजाय पीछे जाते रहे। 25 जिस दिन तुम्हारे पुरखे मिस्र से निकले थे, तब से लेकर आज तक तुम ऐसा ही करते आए हो।+ इसलिए मैं अपने सभी सेवकों को, अपने भविष्यवक्‍ताओं को तुम्हारे पास भेजता रहा। मैंने उन्हें हर दिन भेजा, बार-बार भेजा।*+ 26 मगर इन लोगों ने मेरी सुनने से इनकार कर दिया और मेरी तरफ कान नहीं लगाया।+ ये ढीठ-के-ढीठ बने रहे और अपने पुरखों से भी बदतर निकले!

27 तू जाकर ये सारी बातें उनसे कहना।+ मगर वे तेरी नहीं सुनेंगे। तू उन्हें बुलाएगा, मगर वे जवाब नहीं देंगे। 28 तू उनसे कहेगा, ‘यह वह राष्ट्र है जिसने अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा नहीं मानी और शिक्षा लेने से इनकार कर दिया। उनमें एक भी ऐसा इंसान नहीं जो विश्‍वासयोग्य हो। वे विश्‍वासयोग्य रहने के बारे में बात तक नहीं करते।’+

29 अपने लंबे* बाल काटकर फेंक दे और सूनी पहाड़ियों पर जाकर शोकगीत गा क्योंकि यहोवा ने इस पीढ़ी को ठुकरा दिया है। परमेश्‍वर इस पीढ़ी को छोड़ देगा क्योंकि इसने उसका क्रोध भड़काया है। 30 यहोवा ऐलान करता है, ‘यहूदा के लोगों ने मेरी नज़र में बुरे काम किए हैं। उन्होंने उस भवन में, जिससे मेरा नाम जुड़ा है, घिनौनी मूरतें खड़ी करके उसे दूषित कर दिया है।+ 31 उन्होंने “हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी”*+ में तोपेत की ऊँची जगह बनायी हैं ताकि वे अपने बेटे-बेटियों को आग में होम कर दें।+ यह ऐसा काम है जिसकी न तो मैंने कभी आज्ञा दी थी और न ही कभी यह खयाल मेरे मन में आया।’+

32 यहोवा ऐलान करता है, ‘इसलिए देख, वे दिन आ रहे हैं जब यह जगह फिर कभी न तोपेत कहलाएगी, न ही “हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी”* बल्कि “मार-काट की घाटी” कहलाएगी। वे तोपेत में तब तक लाशें दफनाएँगे जब तक कि वहाँ और जगह न बचे।+ 33 और इन लोगों की लाशें आकाश के पक्षियों और धरती के जानवरों का निवाला बन जाएँगी और उन्हें डराकर भगानेवाला कोई न होगा।+ 34 मैं यहूदा के शहरों और यरूशलेम की गलियों का ऐसा हाल कर दूँगा कि वहाँ से न तो खुशियाँ और जश्‍न मनाने की आवाज़ें आएँगी, न ही दूल्हा-दुल्हन के साथ आनंद मनाने की आवाज़ें।+ सारा देश खंडहर बन जाएगा।’”+

8 यहोवा ऐलान करता है, “उस समय यहूदा के राजाओं, हाकिमों, याजकों, भविष्यवक्‍ताओं और यरूशलेम के लोगों की हड्डियाँ उनकी कब्रों से निकाली जाएँगी। 2 उन्हें सूरज, चाँद और आकाश की सारी सेना के सामने बिखेर दिया जाएगा, जिनसे उन्हें बहुत प्यार था, जिनकी वे सेवा करते थे और जिनके पीछे वे जाते थे, जिनसे सलाह करते थे और जिनके आगे दंडवत करते थे।+ वे न तो इकट्ठी की जाएँगी और न ही दफनायी जाएँगी। वे धरती के ऊपर खाद की तरह पड़ी रहेंगी।”+

3 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है, “इस दुष्ट घराने के बचे हुए लोगों को मैं जिन-जिन जगहों में तितर-बितर करूँगा, वहाँ वे जीवन के बजाय मौत की कामना करेंगे।

4 तू उनसे कहना, ‘यहोवा कहता है,

“क्या वे गिरेंगे और दोबारा नहीं उठेंगे?

अगर एक पलटकर लौटे तो क्या दूसरा भी नहीं लौटेगा?

 5 यरूशलेम के ये लोग क्यों मुझसे विश्‍वासघात करने से बाज़ नहीं आते?

वे छल का रास्ता नहीं छोड़ते,

वे पलटकर लौटने से इनकार करते हैं।+

 6 मैंने उन पर ध्यान दिया, उनकी बात सुनता रहा, मगर उनके बात करने का तरीका सही नहीं था।

एक भी इंसान अपनी दुष्टता पर नहीं पछताया, न ही उसने पूछा, ‘मैंने क्या किया है?’+

हर कोई बार-बार उसी रास्ते पर लौट जाता है जिस पर सब चलते हैं,

जैसे घोड़ा सरपट दौड़ता हुआ जंग में जाता है।

 7 आकाश में उड़नेवाला लगलग भी जानता है कि कब उसे उड़कर दूसरी जगह जाना है,*

फाख्ता, बतासी और सारिका* भी समय पर लौटते हैं।*

मगर मेरे अपने लोग यहोवा के फैसले नहीं समझते।”’+

 8 ‘तुम लोग कैसे कह सकते हो, “हम बुद्धिमान हैं, हमारे पास यहोवा का कानून* है”?

सच तो यह है कि शास्त्रियों* की झूठी कलम+ का इस्तेमाल सिर्फ झूठ लिखने के लिए किया गया है।

 9 बुद्धिमानों को शर्मिंदा किया गया है।+

वे घबरा जाएँगे और पकड़े जाएँगे।

देखो, उन्होंने यहोवा का वचन ठुकरा दिया है,

तो फिर उनके पास बुद्धि कहाँ से होगी?

10 इसलिए मैं उनकी पत्नियाँ दूसरे आदमियों को दे दूँगा,

उनके खेत दूसरों के अधिकार में कर दूँगा,+

क्योंकि छोटे से लेकर बड़े तक, हर कोई बेईमानी से कमाता है,+

भविष्यवक्‍ता से लेकर याजक तक, हर कोई धोखाधड़ी करता है।+

11 वे यह कहकर मेरे लोगों की बेटी का घाव सिर्फ ऊपर से ठीक करते हैं,

“शांति है! शांति है!”

जबकि कोई शांति नहीं है।+

12 क्या उन्हें अपने घिनौने कामों पर शर्म आती है?

नहीं, बिलकुल शर्म नहीं आती!

उनमें शर्म नाम की चीज़ है ही नहीं!+

इसलिए वे भी उनकी तरह गिरेंगे जो गिर चुके हैं।

जब मैं उन्हें सज़ा दूँगा तब वे ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे।’+ यह बात यहोवा ने कही है।

13 यहोवा ऐलान करता है, ‘जब मैं उन्हें इकट्ठा करूँगा तो उनका अंत कर दूँगा।

न अंगूर की बेल पर एक अंगूर बचेगा, न ही अंजीर के पेड़ पर एक अंजीर बचेगा और सारे पत्ते मुरझा जाएँगे।

मैंने उन्हें जो भी दिया था उसे वे खो देंगे।’”

14 “हम यहाँ क्यों बैठे हैं?

चलो हम इकट्ठे होकर किलेबंद शहरों में जाएँ और वहाँ मर जाएँ।+

क्योंकि हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमें मिटा देगा,

वह हमें ज़हर मिला पानी पिलाता है,+

क्योंकि हमने यहोवा के खिलाफ पाप किया है।

15 हमने शांति की आशा की थी, मगर कुछ भला नहीं हुआ।

ठीक होने की उम्मीद की थी, मगर खौफ छाया रहा!+

16 दान से उसके घोड़ों का फुफकारना सुनायी दे रहा है।

उसके घोड़ों के हिनहिनाने से पूरी धरती काँप रही है।

दुश्‍मन आते हैं और पूरा देश और उसका सबकुछ खा जाते हैं,

शहर और उसके निवासियों को निगल जाते हैं।”

17 यहोवा ऐलान करता है, “मैं तुम्हारे बीच साँप भेज रहा हूँ,

ऐसे ज़हरीले साँप जिन्हें मंत्र फूँककर काबू नहीं किया जा सकता।

वे तुम्हें डसकर ही रहेंगे।”

18 मेरा दुख बरदाश्‍त से बाहर है,

मेरा मन रोगी है।

19 दूर देश से मदद की पुकार सुनायी दे रही है,

मेरे अपने लोगों की बेटी कह रही है,

“क्या यहोवा सिय्योन में नहीं है?

क्या उसका राजा वहाँ नहीं है?”

“वे क्यों अपनी खुदी हुई मूरतों से,

निकम्मे और पराए देवताओं से मेरा क्रोध भड़काते हैं?”

20 “कटाई का दौर बीत चुका है, गरमियाँ जा चुकी हैं,

मगर हमें नहीं बचाया गया!”

21 अपने लोगों की बेटी का घाव देखकर मैं दुख से बेहाल हूँ,+

मैं बहुत मायूस हूँ।

मैं सदमे में हूँ।

22 क्या गिलाद में बलसाँ* नहीं है?+

क्या वहाँ कोई वैद्य नहीं है?+

तो फिर क्यों मेरे लोगों की बेटी की सेहत ठीक नहीं हुई?+

9 काश, मेरा सिर आँसुओं से भरा कुआँ होता

और मेरी आँखें उनका सोता होतीं!+

तब मैं अपने देश के मारे हुए लोगों के लिए

दिन-रात रोता रहता।

 2 काश, वीराने में मेरे लिए एक मुसाफिरखाना होता!

तब मैं अपने लोगों को छोड़कर दूर चला जाता,

क्योंकि वे सब बदचलन हैं,+

दगाबाज़ों का गुट हैं।

 3 वे अपनी जीभ कमान की तरह मोड़ते हैं,

देश में कोई विश्‍वासयोग्य नहीं है, वहाँ बस झूठ का बोलबाला है,+

यहोवा ऐलान करता है, “वे बुराई-पर-बुराई करते जाते हैं

और मुझ पर कोई ध्यान नहीं देते।”+

 4 “हर कोई अपने पड़ोसी से बचकर रहे,

अपने भाई पर भी भरोसा न करे।

क्योंकि हर भाई गद्दार है,+

हर पड़ोसी दूसरों को बदनाम करनेवाला है।+

 5 हर कोई अपने पड़ोसी को ठगता है,

कोई किसी से सच नहीं कहता।

उन्होंने अपनी जीभ को झूठ बोलना सिखाया है,+

वे बुरे काम करते-करते पस्त हो जाते हैं।

 6 तू छल-कपट से घिरा हुआ है।

वे छल करते हैं और मुझे जानने से इनकार करते हैं।” यहोवा का यह ऐलान है।

 7 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“मैं उन्हें पिघलाकर परखूँगा,+

क्योंकि मैं अपने लोगों की बेटी के साथ और कर ही क्या सकता हूँ?

 8 उनकी जीभ झूठ बोलनेवाला घातक तीर है।

वे एक-दूसरे से शांति की बातें तो करते हैं,

मगर मन में घात लगाने की साज़िश रचते हैं।”

 9 यहोवा ऐलान करता है, “क्या मैं इन करतूतों के लिए उनसे हिसाब न माँगूँ?

क्या मैं ऐसे राष्ट्र से अपना बदला न लूँ?+

10 मैं पहाड़ों के लिए रोऊँगा, मातम मनाऊँगा,

वीराने के चरागाह के लिए शोकगीत गाऊँगा,

क्योंकि वे ऐसे जल गए हैं कि वहाँ से कोई नहीं गुज़रता,

मवेशियों की आवाज़ नहीं सुनायी देती।

आकाश के पंछी और जानवर भाग गए हैं, सब गायब हो गए हैं।+

11 मैं यरूशलेम को मलबे का ढेर+ और गीदड़ों की माँद बना दूँगा,+

यहूदा के शहरों को ऐसा उजाड़ दूँगा कि वहाँ एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

12 कौन इतना बुद्धिमान है कि वह इस बात को समझ सके?

यहोवा ने किससे कहा कि वह जाकर इन बातों का ऐलान करे?

देश क्यों नाश हो गया?

यह क्यों वीराने की तरह ऐसा जल गया है

कि यहाँ से कोई नहीं गुज़रता?”

13 यहोवा जवाब देता है, “क्योंकि उन्होंने मेरा दिया कानून* ठुकरा दिया, उसका पालन नहीं किया और मेरी बात नहीं मानी। 14 इसके बजाय, वे ढीठ होकर अपनी मन-मरज़ी करते रहे+ और बाल देवता की मूरतों के पीछे चलते रहे, जैसे उनके पिताओं ने उन्हें सिखाया था।+ 15 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘देख, मैं इन लोगों को नागदौना खाने और ज़हर मिला पानी पीने पर मजबूर करूँगा।+ 16 मैं उन्हें उन राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा जिन्हें न तो वे जानते हैं, न उनके पुरखे जानते थे।+ और मैं उनके पीछे एक तलवार भेजूँगा और उन पर तब तक वार करता रहूँगा जब तक कि उनका सफाया न कर दूँ।’+

17 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

‘समझ से काम लो।

शोकगीत गानेवाली औरतों को बुलाओ,+

उन औरतों को, जो ऐसे गीत गाने में माहिर हैं।

18 उनसे कहो कि वे जल्द आएँ और हमारे लिए मातम का गीत गाएँ

ताकि हमारी आँखों से आँसुओं की धारा बहे,

हमारी पलकें भीग जाएँ।+

19 सिय्योन से रोने-बिलखने की आवाज़ आ रही है,+

“हाय, हम कैसे बरबाद हो गए हैं!

हम कितने बेइज़्ज़त किए गए हैं!

क्योंकि हमें अपना देश छोड़ना पड़ा, उन्होंने हमारे घर ढा दिए।”+

20 औरतो, यहोवा का संदेश सुनो।

उसने जो कहा है, उस पर कान लगाओ।

अपनी बेटियों को मातम का यह गीत सिखाओ,

एक-दूसरे को यह शोकगीत सिखाओ।+

21 क्योंकि मौत हमारी खिड़कियों से अंदर घुस आयी है,

हमारी मज़बूत मीनारों में घुस आयी है

ताकि गलियों से हमारे बच्चों को

और चौक से हमारे जवानों को छीन ले।’+

22 तू कहना, ‘यहोवा ऐलान करता है,

“लोगों की लाशें ऐसी पड़ी रहेंगी जैसे मैदान में खाद पड़ी रहती है,

जैसे खेत में कतार-भर पूले पड़े रहते हैं जिन्हें कटाई करनेवाला काटकर छोड़ देता है।

और उन्हें इकट्ठा करनेवाला कोई नहीं होगा।”’”+

23 यहोवा कहता है,

“बुद्धिमान आदमी अपनी बुद्धि पर शेखी न मारे,+

ताकतवर आदमी अपनी ताकत पर शेखी न मारे,

न ही दौलतमंद आदमी अपनी दौलत पर शेखी मारे।”+

24 यहोवा ऐलान करता है, “लेकिन अगर कोई गर्व करे तो इस बात पर गर्व करे

कि वह मेरे बारे में अंदरूनी समझ और ज्ञान रखता है+

कि मैं यहोवा हूँ, जो अटल प्यार ज़ाहिर करता है, न्याय करता है और धरती पर नेकी करता है,+

क्योंकि मैं इन्हीं बातों से खुश होता हूँ।”+

25 यहोवा ऐलान करता है, “देखो, वे दिन आ रहे हैं जब मैं ऐसे हर किसी से हिसाब माँगूँगा जो खतना करवाकर भी खतनारहित जैसा है।+ 26 मैं मिस्र,+ यहूदा,+ एदोम,+ मोआब+ और अम्मोनियों+ से और वीराने के उन सभी लोगों से हिसाब माँगूँगा जिनकी कलमें मुँड़ी हुई हैं।+ सारे राष्ट्र खतनारहित हैं और इसराएल के सारे घराने का दिल खतनारहित है।”+

10 हे इसराएल के घराने, सुन कि यहोवा ने तेरे खिलाफ क्या संदेश दिया है। 2 यहोवा कहता है,

“राष्ट्रों के तौर-तरीके मत सीख,+

आकाश के चिन्हों से खौफ मत खा,

जिनसे राष्ट्र खौफ खाते हैं।+

 3 क्योंकि देश-देश के लोगों के रीति-रिवाज़ बस एक धोखा* हैं।

कारीगर एक पेड़ काटता है

और अपने औज़ार से उसे मूरत का आकार देता है।+

 4 वे उसे सोने-चाँदी से सजाते हैं+

और हथौड़े से कील ठोंककर उसे टिकाते हैं ताकि वह गिर न जाए।+

 5 मूरतें, खीरे के खेत में खड़े फूस के पुतले की तरह बोल नहीं सकतीं,+

उन्हें उठाकर ले जाना पड़ता है क्योंकि वे चल नहीं सकतीं।+

उनसे मत डरना क्योंकि वे न तो नुकसान कर सकती हैं,

न भला कर सकती हैं।”+

 6 हे यहोवा, तेरे जैसा कोई नहीं।+

तू महान है, तेरा नाम महान है और उसमें बहुत ताकत है।

 7 हे राष्ट्रों के राजा,+ कौन तुझसे नहीं डरेगा क्योंकि तुझसे डरना सही है,

क्योंकि राष्ट्रों और उनके सब राज्यों में जितने भी बुद्धिमान हैं,

उनमें से एक भी तेरे जैसा नहीं है।+

 8 वे सब नासमझ और मूर्ख हैं।+

एक पेड़ से मिलनेवाली नसीहत धोखा देती* है।+

 9 उनके लिए तरशीश से चाँदी के पत्तर+ और ऊफाज़ से सोना मँगाया जाता है,

जिसे कारीगर और धातु-कारीगर लकड़ी पर मढ़ देते हैं।

वे उन्हें नीले धागे और बैंजनी ऊन का कपड़ा पहनाते हैं।

ये सारी मूरतें कुशल कारीगरों की बनायी हुई हैं।

10 मगर असल में यहोवा ही परमेश्‍वर है।

वह जीवित परमेश्‍वर+ और युग-युग का राजा है।+

उसकी जलजलाहट से धरती काँप उठेगी,+

उसके क्रोध के आगे कोई भी राष्ट्र टिक नहीं पाएगा।

11* तू उनसे कहना:

“जिन देवताओं ने आकाश और धरती को नहीं बनाया,

वे धरती पर से और आकाश के नीचे से मिट जाएँगे।”+

12 उसी ने अपनी शक्‍ति से धरती बनायी,

अपनी बुद्धि से उपजाऊ ज़मीन की मज़बूत बुनियाद डाली+

और अपनी समझ से आकाश फैलाया।+

13 जब वह गरजता है,

तो आकाश के पानी में हलचल होने लगती है,+

वह धरती के कोने-कोने से बादलों* को ऊपर उठाता है।+

बारिश के लिए बिजली* बनाता है

और अपने भंडारों से आँधी चलाता है।+

14 सभी इंसान ऐसे काम करते हैं मानो उनमें समझ और ज्ञान नहीं है।

हर धातु-कारीगर अपनी गढ़ी हुई मूरत की वजह से शर्मिंदा किया जाएगा,+

क्योंकि उसकी धातु की मूरत* एक झूठ है,

वे मूरतें बेजान हैं।*+

15 वे एक धोखा* हैं, बस इस लायक हैं कि उनकी खिल्ली उड़ायी जाए।+

जब उनसे हिसाब लेने का दिन आएगा, तो वे नाश हो जाएँगी।

16 याकूब का भाग इन चीज़ों की तरह नहीं है,

क्योंकि उसी ने हर चीज़ रची है

और इसराएल उसकी विरासत की लाठी है।+

उसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।+

17 हे औरत, तू जो घिरे हुए शहर में है,

ज़मीन से अपनी गठरी उठा।

18 क्योंकि यहोवा कहता है:

“इस समय मैं इस देश के निवासियों को बाहर फेंकनेवाला* हूँ,+

मैं उन्हें संकट से गुज़रने पर मजबूर करूँगा।”

19 हाय! मुझे यह कैसा घाव मिला है।+

यह कभी भर नहीं सकता!

मैंने कहा, “यह मेरी बीमारी है, मुझे इसे झेलना ही पड़ेगा।

20 मेरा तंबू उजड़ गया है, इसके सभी रस्से काट दिए गए हैं।+

मेरे बेटों ने मुझे छोड़ दिया है, वे मेरे साथ नहीं हैं।+

मेरा तंबू खड़ा करने या तानने के लिए कोई नहीं है।

21 क्योंकि चरवाहों ने मूर्खता का काम किया,+

उन्होंने यहोवा की मरज़ी नहीं पूछी।+

इसीलिए उन्होंने अंदरूनी समझ से काम नहीं लिया,

उनके सारे झुंड तितर-बितर हो गए।”+

22 सुनो! एक खबर आयी है! सेना आ रही है!

उत्तर के देश से उनका हुल्लड़ सुनायी दे रहा है,+

वे यहूदा के शहरों को उजाड़कर गीदड़ों की माँद बना देंगे।+

23 हे यहोवा, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि इंसान इस काबिल* नहीं कि अपना रास्ता खुद तय कर सके।

उसे यह अधिकार भी नहीं कि अपने कदमों को राह दिखाए।+

24 हे यहोवा, अपना फैसला सुनाकर मुझे सुधार,

मगर क्रोध में आकर नहीं+ ताकि मैं नाश न हो जाऊँ।+

25 अपने क्रोध का प्याला उन राष्ट्रों पर उँडेल दे जो तुझे नज़रअंदाज़ करते हैं,+

उन घरानों पर जो तेरा नाम नहीं पुकारते।

क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया है,+

हाँ, उन्होंने उसे निगलकर खत्म कर दिया है+

और उसके देश को उजाड़ दिया है।+

11 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 2 “लोगो, इस करार की बातें सुनो!

ये* बातें यहूदा के लोगों और यरूशलेम के निवासियों को बता 3 और उनसे कह, ‘इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “ऐसे हर इंसान पर शाप पड़े, जो इस करार की बातें नहीं मानता,+ 4 जिनकी आज्ञा मैंने तुम्हारे पुरखों को दी थी। जिस दिन मैंने उन्हें मिस्र से, लोहा पिघलानेवाले भट्ठे से निकाला था,+ उस दिन मैंने उनसे कहा था, ‘तुम मेरी बात मानना और वे सारे काम करना जिनकी मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ, तब तुम मेरे लोग होगे और मैं तुम्हारा परमेश्‍वर होऊँगा।+ 5 और मैं वह वादा पूरा करूँगा जो मैंने तुम्हारे पुरखों से शपथ खाकर किया था कि मैं उन्हें वह देश दूँगा, जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं।+ और आज तक तुम इस देश में रह रहे हो।’”’”

तब मैंने जवाब में कहा, “हे यहोवा, आमीन।”*

6 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “यहूदा के शहरों और यरूशलेम की गलियों में इन सारी बातों का ऐलान कर, ‘इस करार की बातें सुनो और इनका पालन करो। 7 क्योंकि जिस दिन मैंने तुम्हारे पुरखों को मिस्र से निकाला था उस दिन मैंने उन्हें समझाकर कहा, “तुम मेरी आज्ञा मानना,” ठीक जैसे आज मैं तुम्हें समझा रहा हूँ। मैंने उन्हें बार-बार समझाया,*+ 8 मगर उन्होंने मेरी नहीं सुनी, मेरी तरफ कान नहीं लगाया। इसके बजाय, हर कोई ढीठ होकर अपने दुष्ट मन की सुनता रहा।+ इसलिए मैंने उन्हें करार में लिखी सज़ा दी, क्योंकि मैंने उन्हें जो आज्ञा दी थी उसे उन्होंने नहीं माना।’”

9 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “यहूदा के लोगों और यरूशलेम के निवासियों ने मुझसे बगावत करने की साज़िश की है। 10 ये वही गुनाह करते हैं जो इनके पुरखे शुरू से करते आए थे, जिन्होंने आज्ञाएँ मानने से इनकार कर दिया था।+ ये लोग भी दूसरे देवताओं के पीछे जाते हैं और उनकी सेवा करते हैं।+ इसराएल के घराने और यहूदा के घराने ने मेरा वह करार तोड़ दिया है जो मैंने उनके पुरखों से किया था।+ 11 इसलिए यहोवा कहता है, ‘अब मैं उन पर ऐसी विपत्ति लानेवाला हूँ+ जिससे वे बच नहीं सकेंगे। जब वे मदद के लिए मुझे पुकारेंगे, तो मैं उनकी नहीं सुनूँगा।+ 12 तब यहूदा के शहरों के लोग और यरूशलेम के निवासी उन देवताओं के पास जाएँगे जिनके लिए वे बलिदान चढ़ाते हैं और उन्हें मदद के लिए पुकारेंगे,+ मगर वे देवता विपत्ति के समय उन्हें किसी भी हाल में नहीं बचा सकेंगे। 13 हे यहूदा, तेरे पास इतने देवता हो गए हैं जितने कि तेरे शहर हैं और तूने उस शर्मनाक चीज़* के लिए इतनी वेदियाँ खड़ी की हैं जितनी कि यरूशलेम में गलियाँ हैं ताकि तू बाल के लिए बलिदान चढ़ा सके।’+

14 तू* इन लोगों की खातिर प्रार्थना मत करना। इनकी खातिर दुहाई मत देना, न ही प्रार्थना करना,+ क्योंकि जब वे विपत्ति के समय मुझे पुकारेंगे तब मैं नहीं सुनूँगा।

15 मेरे प्यारे लोगों को मेरे भवन में रहने का क्या हक है,

जब उनमें से इतने सारे लोग अपनी साज़िशों को अंजाम देते हैं?

क्या पवित्र गोश्‍त* से वे आनेवाली विपत्ति को टाल पाएँगे?

क्या तुम उस वक्‍त जश्‍न मनाओगे?

16 एक वक्‍त था जब यहोवा ने तुझे फलता-फूलता जैतून का पेड़ कहा था,

बढ़िया फलों से लदा खूबसूरत पेड़ कहा था।

मगर एक बड़ी गड़गड़ाहट हुई और उसने पेड़ में आग लगा दी,

उन्होंने उसकी डालियाँ तोड़ डालीं।

17 तुझे लगानेवाले, सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा+ ने ऐलान किया है कि तुझ पर एक विपत्ति टूट पड़ेगी क्योंकि इसराएल के घराने और यहूदा के घराने ने बुरे काम किए हैं और बाल के लिए बलिदान चढ़ाकर मुझे क्रोध दिलाया है।”+

18 यहोवा ने मुझे खबर दी ताकि मैं जान सकूँ,

उस वक्‍त तूने मुझे दिखाया कि वे क्या कर रहे थे।

19 मैं एक शांत मेम्ने की तरह था जिसे हलाल करने के लिए लाया जा रहा था।

मुझे मालूम नहीं था कि वे मेरे खिलाफ यह साज़िश कर रहे हैं:+

“चलो हम इस पेड़ को फलों के साथ नाश कर दें,

इसे काटकर दुनिया से मिटा दें

ताकि फिर कभी इसका नाम याद न किया जाए।”

20 मगर सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा नेकी से न्याय करता है,

वह दिलों को और गहराई में छिपे विचारों* को जाँचता है।+

हे परमेश्‍वर, मुझे यह देखने का मौका दे कि तू उनसे कैसे बदला लेगा,

क्योंकि मैंने अपना मुकदमा तेरे हाथ में छोड़ दिया है।

21 इसलिए अनातोत+ के जो लोग तेरी जान के पीछे पड़े हैं और तुझसे कहते हैं, “यहोवा के नाम से भविष्यवाणी मत कर,+ वरना तू हमारे हाथों मारा जाएगा,” उनके बारे में यहोवा कहता है, 22 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “मैं उन लोगों से हिसाब लेनेवाला हूँ। उनके जवान तलवार से मार डाले जाएँगे+ और उनके बेटे-बेटियाँ अकाल से मर जाएँगे।+ 23 उनमें से एक भी नहीं बचेगा, क्योंकि जिस साल मैं अनातोत+ के लोगों से हिसाब लूँगा, उस साल मैं उन पर विपत्ति लाऊँगा।”

12 हे यहोवा, तू नेक परमेश्‍वर है।+

जब मैं अपनी शिकायत तेरे सामने पेश करता हूँ,

न्याय के मामलों पर तुझसे बात करता हूँ,

तो तू इंसाफ करता है।

दुष्ट अपने काम में क्यों कामयाब होते हैं?+

दगाबाज़ क्यों बेखौफ जीते हैं?

 2 तूने उन्हें लगाया और उन्होंने जड़ पकड़ी।

वे बढ़ गए हैं और फल देते हैं।

तू उनकी ज़बान पर तो है, मगर उनके मन की गहराई में छिपे विचारों* से दूर है।+

 3 मगर हे यहोवा, तू मुझे अच्छी तरह जानता है,+ मुझे देखता है,

तूने मेरा दिल जाँचा और पाया कि यह तेरे साथ एकता में है।+

तू उन्हें ऐसे अलग कर दे जैसे भेड़ों को हलाल के लिए अलग किया जाता है,

उन्हें घात किए जानेवाले दिन के लिए अलग ठहरा दे।

 4 और कब तक यह देश बरबाद होता रहेगा?

हर मैदान के पेड़-पौधे सूखते जाएँगे?+

इस देश के लोगों के बुरे कामों की वजह से

जानवरों और पंछियों का सफाया कर दिया गया है।

क्योंकि यहाँ के लोग कहते हैं, “हमारे साथ जो होगा, उसे परमेश्‍वर नहीं देख सकता।”

 5 अगर तू पैदल चलनेवालों के साथ दौड़ते-दौड़ते थक गया है,

तो घोड़ों के साथ कैसे दौड़ेगा?+

अगर तुझे अमन-चैनवाले देश में बेफिक्र जीने की आदत हो गयी है,

तो तू यरदन किनारे घनी झाड़ियों में क्या करेगा?

 6 क्योंकि तेरे अपने भाइयों ने भी, तेरे पिता के घराने ने भी

तेरे साथ गद्दारी की।+

वे तेरे खिलाफ ज़ोर से चिल्लाए।

तू उनकी बातों पर विश्‍वास न करना,

फिर चाहे वे तुझसे अच्छी बातें क्यों न कहें।

 7 “मैंने अपने घराने को छोड़ दिया है,+ अपनी विरासत त्याग दी है।+

जिसे मैं बहुत प्यार करता था, उसे मैंने उसके दुश्‍मनों के हाथों कर दिया है।+

 8 मेरी विरासत मेरे लिए जंगल का शेर बन गयी,

वह मुझ पर गरजने लगी,

इसलिए मुझे उससे नफरत हो गयी है।

 9 मेरी विरासत मेरे लिए रंगीन* शिकारी पक्षी है,

दूसरे शिकारी पक्षी उसे घेरकर उस पर हमला करते हैं।+

मैदान के सारे जानवरो, आओ, इकट्ठा हो जाओ,

तुम सब खाने के लिए आओ।+

10 बहुत-से चरवाहों ने मेरे अंगूरों के बाग को नाश कर दिया है,+

उन्होंने मेरे हिस्से की ज़मीन रौंद डाली है।+

मेरी मनभावनी ज़मीन को उजाड़कर वीराना बना दिया है।

11 यह बंजर ज़मीन हो गयी है।

यह सूखकर वीरान हो गयी है,*

मेरे सामने उजाड़ पड़ी है।+

पूरा देश उजाड़ दिया गया है,

मगर कोई भी इंसान इस बात पर ध्यान नहीं देता।+

12 नाश करनेवाले, वीराने से जानेवाले सभी रास्तों से गुज़रते हैं,

क्योंकि यहोवा की तलवार एक छोर से दूसरे छोर तक पूरा देश नाश कर रही है।+

किसी को शांति नहीं मिलती।

13 उन्होंने गेहूँ बोया, मगर काँटों की फसल काटी।+

वे मेहनत करते-करते पस्त हो गए, मगर कोई फायदा नहीं हुआ।

वे अपनी उपज पर शर्मिंदा होंगे,

क्योंकि यहोवा के क्रोध की ज्वाला उन पर भड़की है।”

14 यहोवा कहता है, “मैं अपने उन सभी दुष्ट पड़ोसियों को उनके देश से उखाड़ दूँगा,+ जो मेरी इस विरासत को हाथ लगाते हैं, जिसे मैंने अपनी प्रजा इसराएल के अधिकार में किया था।+ और मैं उनके बीच से यहूदा के घराने को उखाड़ दूँगा। 15 मगर उन्हें उखाड़ने के बाद मैं उन पर दया करूँगा और उनमें से हर किसी को उसके देश में और उसकी विरासत की ज़मीन पर वापस ले आऊँगा।”

16 “अगर वे राष्ट्र उन राहों के बारे में सीखेंगे, जिन पर मेरे लोग चलते हैं और मेरे नाम से शपथ खाना सीखेंगे और कहेंगे, ‘यहोवा के जीवन की शपथ!’ ठीक जैसे उन्होंने मेरे लोगों को बाल के नाम से शपथ लेना सिखाया था, तो मैं उन्हें अपने लोगों के बीच फलने-फूलने दूँगा। 17 लेकिन अगर उनमें से कोई राष्ट्र मेरी आज्ञा मानने से इनकार करेगा, तो मैं उसे उखाड़कर नाश कर दूँगा।” यहोवा का यह ऐलान है।+

13 यहोवा ने मुझसे कहा, “तू जाकर अपने लिए मलमल का एक कमरबंद खरीद और अपनी कमर पर बाँध। मगर उसे पानी में मत डुबाना।” 2 मैंने यहोवा के कहे मुताबिक एक कमरबंद खरीदा और अपनी कमर पर बाँध लिया। 3 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा: 4 “जो कमरबंद तूने खरीदकर पहना है, उसे लेकर फरात नदी के पास जा और वहाँ एक चट्टान की दरार में छिपा दे।” 5 मैं यहोवा की आज्ञा के मुताबिक फरात के पास गया और वहाँ कमरबंद छिपा दिया।

6 कई दिनों बाद यहोवा ने मुझसे कहा, “तू उठकर फरात नदी के पास जा और वहाँ से वह कमरबंद निकाल जिसे छिपाने की आज्ञा मैंने तुझे दी थी।” 7 मैं फरात के पास गया और जिस जगह मैंने कमरबंद छिपाया था, वहाँ से खोदकर उसे निकाला। मैंने देखा कि कमरबंद खराब हो गया है और किसी काम का नहीं रहा।

8 फिर यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 9 “यहोवा कहता है, ‘मैं इसी तरह यहूदा का घमंड चूर-चूर कर दूँगा और यरूशलेम का गुरूर तोड़ दूँगा।+ 10 ये दुष्ट लोग जो मेरी आज्ञा मानने से इनकार कर देते हैं,+ ढीठ होकर अपने मन की करते हैं+ और दूसरे देवताओं के पीछे जाते हैं, उनकी सेवा करते और उनके आगे दंडवत करते हैं, वे इस कमरबंद की तरह किसी काम के न रहेंगे।’ 11 यहोवा ऐलान करता है, ‘क्योंकि जैसे एक आदमी कमरबंद को अपनी कमर पर बाँधे रहता है, उसी तरह मैंने इसराएल के पूरे घराने और यहूदा के पूरे घराने को खुद से बाँधे रखा था ताकि वे मेरी प्रजा,+ मेरी शान,+ मेरी महिमा और मेरी शोभा बनें। मगर उन्होंने मेरी आज्ञा नहीं मानी।’+

12 तू उन्हें यह संदेश भी देना: ‘इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “हर बड़ा मटका दाख-मदिरा से भरा रहे।”’ वे तुझसे कहेंगे, ‘हमें पता है, हर बड़ा मटका दाख-मदिरा से भरा होना चाहिए।’ 13 तब तू उनसे कहना, ‘यहोवा कहता है, “देखो, मैं इस देश के सभी निवासियों को, दाविद की राजगद्दी पर बैठनेवाले राजाओं को, याजकों और भविष्यवक्‍ताओं और यरूशलेम के सभी निवासियों को तब तक दाख-मदिरा पिलाता रहूँगा जब तक कि वे मदहोश न हो जाएँ।”+ 14 यहोवा ऐलान करता है, “मैं उन्हें एक-दूसरे से टकरा दूँगा, पिताओं और बेटों को एक-दूसरे से टकराऊँगा।+ मैं उन पर करुणा नहीं करूँगा, न उनके लिए दुख महसूस करूँगा और न ही उन पर दया करूँगा। उन्हें तबाह करने से मुझे कोई चीज़ नहीं रोकेगी।”’+

15 सुनो और ध्यान दो।

तुम मगरूर मत बनो क्योंकि यह बात यहोवा ने कही है।

16 अपने परमेश्‍वर यहोवा की महिमा करो,

इससे पहले कि वह अंधकार ले आए

और शाम के झुटपुटे के समय पहाड़ों पर तुम्हारे पाँव लड़खड़ा जाएँ।

तुम रौशनी की आस लगाओगे,

मगर वह काली छाया ले आएगा,

वह रौशनी को घोर अंधकार में बदल देगा।+

17 और अगर तुम सुनने से इनकार कर दोगे,

तो मैं तुम्हारे घमंड की वजह से छिपकर रोऊँगा।

मैं आँसू बहाऊँगा, मेरी आँखों से आँसुओं की धारा बहेगी,+

क्योंकि यहोवा के झुंड को बंदी बनाकर ले जाया गया है।+

18 राजा और राजमाता से कहना,+ ‘तुम निचली जगह पर बैठो,

क्योंकि तुम्हारे सिर से सुंदर ताज गिर पड़ेंगे।’

19 दक्षिण के शहरों के फाटक बंद हो चुके हैं,* उन्हें खोलनेवाला कोई नहीं।

पूरे यहूदा को बंदी बनाकर ले जाया गया है, किसी को नहीं बख्शा गया।+

20 अपनी आँखें उठा और उत्तर से आनेवालों को देख।+

कहाँ गया वह झुंड जो तुझे सौंपा गया था? कहाँ गयीं तेरी सुंदर-सुंदर भेड़ें?+

21 जब तुझे उन लोगों के हाथों सज़ा मिलेगी,

जिन्हें तूने शुरू से अपना करीबी दोस्त बनाया है, तब तू क्या कहेगी?+

क्या तुझे अचानक दर्द नहीं उठेगा जैसे बच्चा जननेवाली औरत को उठता है?+

22 जब तू मन में कहेगी, ‘यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है?’+

तो तू जान लेना कि तेरे घोर पाप की वजह से ही तेरा घाघरा उतार दिया गया है+

और तेरी एड़ियों को इतना दर्द सहना पड़ा है।

23 क्या एक कूशी* अपने चमड़े का रंग या चीता अपने धब्बे बदल सकता है?+

तो तू कैसे भलाई कर सकती है

जिसने बुराई करना सीख लिया है?

24 मैं उन्हें ऐसे बिखरा दूँगा जैसे रेगिस्तान से चलनेवाली तेज़ हवा घास-फूस को बिखरा देती है।+

25 यह तेरा हिस्सा है, मैंने तेरे लिए यही नापकर दिया है,

क्योंकि तू मुझे भूल गयी+ और झूठी बातों पर भरोसा करती है।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

26 “इसलिए मैं तेरा घाघरा उतार दूँगा

ताकि तू सरेआम शर्मिंदा हो जाए,+

27 तेरे व्यभिचार के कामों+ और तेरी वासना का,

तेरे वेश्‍या के अश्‍लील* कामों का परदाफाश हो जाए।

मैंने पहाड़ियों पर और मैदानों में

तेरी घिनौनी हरकतें देखी हैं।+

हे यरूशलेम, धिक्कार है तुझ पर!

तू और कब तक इसी तरह अशुद्ध रहेगी?”+

14 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा, जो सूखा पड़ने के बारे में है:+

 2 यहूदा मातम मना रहा है,+ उसके फाटक ढह गए हैं।

वे हताश होकर ज़मीन पर गिर पड़े हैं,

यरूशलेम से चीखना-चिल्लाना सुनायी दे रहा है।

 3 वहाँ के मालिक नौकरों* को पानी लाने भेजते हैं।

वे कुंडों* के पास जाते हैं और पाते हैं कि पानी बिलकुल नहीं है।

वे खाली बरतन लिए लौटते हैं।

वे शर्मिंदा और निराश हैं,

अपना सिर ढाँप लेते हैं।

 4 ज़मीन पर दरारें पड़ गयी हैं,

क्योंकि देश में कहीं बारिश नहीं होती,+

किसान मायूस हैं, अपना सिर ढाँप लेते हैं।

 5 मैदान की हिरनी भी अपने नए जन्मे बच्चे को छोड़कर चली जाती है,

क्योंकि कहीं भी घास नहीं है।

 6 जंगली गधे सूनी पहाड़ियों पर खड़े,

गीदड़ों की तरह एक-एक साँस के लिए हाँफते हैं,

उनकी आँखें धुँधला गयी हैं क्योंकि पेड़-पौधे कहीं नहीं हैं।+

 7 माना कि हमारे गुनाह हमारे खिलाफ गवाही देते हैं,

फिर भी हे यहोवा, अपने नाम की खातिर कुछ कर,+

हमने कितनी बार तेरे साथ विश्‍वासघात किया है, उसका कोई हिसाब नहीं,+

हमने तेरे ही खिलाफ पाप किया है।

 8 हे इसराएल की आशा, संकट के समय उसके उद्धारकर्ता,+

तू क्यों ऐसे पेश आ रहा है मानो तू देश में कोई अजनबी हो,

कोई मुसाफिर हो जो सिर्फ रात काटने के लिए रुकता है?

 9 तू क्यों ऐसे आदमी की तरह पेश आ रहा है जो सकते में है,

ऐसे सूरमा की तरह जो बचाने में बेबस है?

क्योंकि हे यहोवा, तू हमारे बीच है+

और हम तेरे नाम से जाने जाते हैं।+

हमें न ठुकरा।

10 यहोवा इन लोगों के बारे में कहता है, “उन्हें इधर-उधर भटकना बहुत पसंद है।+ उन्होंने अपने कदमों को नहीं रोका।+ इसलिए यहोवा उनसे खुश नहीं है।+ अब वह उनके गुनाह पर ध्यान देगा और उनसे उनके पापों का हिसाब लेगा।”+

11 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “तू यह प्रार्थना मत करना कि इन लोगों का भला हो।+ 12 जब वे उपवास करते हैं, तो मैं उनका गिड़गिड़ाना नहीं सुनता,+ जब वे पूरी होम-बलियाँ और अनाज के चढ़ावे चढ़ाते हैं तो मैं उनसे खुश नहीं होता।+ मैं उन्हें तलवार, अकाल और महामारी* से मिटा दूँगा।”+

13 तब मैंने कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, यह कितने अफसोस की बात है! भविष्यवक्‍ता लोगों से कह रहे हैं, ‘तुम्हें तलवार का मुँह नहीं देखना पड़ेगा और न ही तुम पर अकाल पड़ेगा, इसके बजाय परमेश्‍वर इस जगह तुम्हें सच्ची शांति देगा।’”+

14 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “भविष्यवक्‍ता मेरे नाम से झूठी भविष्यवाणी कर रहे हैं।+ मैंने न तो उन्हें भेजा, न उन्हें आज्ञा दी और न ही उनसे बात की।+ वे तुम लोगों को झूठे दर्शन सुनाते हैं, बेकार की भविष्यवाणी बताते हैं और मन में छल की बातें गढ़कर सुनाते हैं।+ 15 इसलिए ये भविष्यवक्‍ता जो मेरे न भेजने पर भी मेरे नाम से भविष्यवाणी करते हैं और कहते हैं कि देश में न तो तलवार चलेगी न अकाल पड़ेगा, उनके बारे में यहोवा कहता है, ‘ये भविष्यवक्‍ता तलवार और अकाल से मारे जाएँगे।+ 16 और जिन लोगों को वे भविष्यवाणी सुना रहे हैं वे भी अकाल और तलवार से मारे जाएँगे और उनकी लाशें यरूशलेम की सड़कों पर फेंक दी जाएँगी। उन्हें, उनकी पत्नियों और उनके बेटे-बेटियों को दफनानेवाला कोई न होगा+ क्योंकि मैं उन पर ऐसी विपत्ति लाऊँगा जिसके वे लायक हैं।’+

17 तू उनसे कहना,

‘मेरी आँखों से दिन-रात आँसुओं की धारा बहती रहे, उसे थमने न दे,+

क्योंकि मेरे लोगों की कुँवारी बेटी को पूरी तरह चूर-चूर कर दिया गया है, तोड़ दिया गया है,+

उसे गहरे ज़ख्म दिए गए हैं।

18 अगर मैं मैदान में जाता हूँ,

तो मुझे तलवार से मारे गए लोगों की लाशें नज़र आती हैं!+

अगर मैं शहर के अंदर जाता हूँ,

तो ऐसे लोग नज़र आते हैं जिन्हें अकाल ने रोगी बना दिया है!+

क्योंकि भविष्यवक्‍ता और याजक, दोनों ऐसे देश में भटकते-फिरते हैं जिसे वे नहीं जानते।’”+

19 हे परमेश्‍वर, क्या तूने यहूदा को पूरी तरह ठुकरा दिया है?

क्या तुझे सिय्योन से घिन हो गयी है?+

तूने हमें ऐसा घाव क्यों दिया जिसे भरा नहीं जा सकता?+

हमने शांति की आशा की थी, मगर कुछ भला नहीं हुआ।

ठीक होने की उम्मीद की थी, मगर खौफ छाया रहा!+

20 हे यहोवा, हम अपनी दुष्टता

और अपने पुरखों का गुनाह कबूल करते हैं,

क्योंकि हमने तेरे खिलाफ पाप किया है।+

21 अपने नाम की खातिर हमें न ठुकरा,+

अपनी गौरवशाली राजगद्दी को तुच्छ न समझ।

हमारे साथ किया करार याद कर, उसे न तोड़।+

22 क्या राष्ट्रों की एक भी निकम्मी मूरत पानी बरसा सकती है?

क्या आसमान अपने आप बौछार कर सकता है?

हे हमारे परमेश्‍वर यहोवा, क्या सिर्फ तू ही नहीं जो ऐसा कर सकता है?+

हमने तुझ पर आशा रखी है,

क्योंकि सिर्फ तूने ये सारे काम किए हैं।

15 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “अगर मूसा और शमूएल भी मेरे सामने खड़े होते,+ तब भी मैं इन लोगों पर रहम नहीं करता। इन लोगों को मेरे सामने से निकाल दे। वे यहाँ से चले जाएँ। 2 और अगर वे पूछें, ‘हम कहाँ जाएँ?’ तो उनसे कहना, ‘यहोवा कहता है,

“जिनके लिए जानलेवा महामारी तय है, वे महामारी के पास जाएँ!

जिनके लिए तलवार तय है, वे तलवार के पास जाएँ!+

जिनके लिए अकाल तय है, वे अकाल के पास जाएँ!

जिनके लिए बँधुआई तय है, वे बँधुआई में जाएँ!”’+

3 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं उन पर चार कहर ढाऊँगा:*+ घात करने के लिए तलवार, उनकी लाशें घसीटकर ले जाने के लिए कुत्ते और उन्हें खा जाने और नाश करने के लिए आकाश के पक्षी और धरती के जानवर।+ 4 हिजकियाह के बेटे और यहूदा के राजा मनश्‍शे ने यरूशलेम में जो काम किए थे,+ उनकी वजह से मैं इन लोगों का ऐसा हश्र करूँगा कि धरती के सब राज्य देखकर दहल जाएँगे।+

 5 हे यरूशलेम, कौन तुझ पर करुणा करेगा?

कौन तुझसे हमदर्दी जताएगा?

कौन तेरी खैरियत पूछने के लिए रुकेगा?’

 6 यहोवा ऐलान करता है, ‘तूने मुझे छोड़ दिया है,

तू बार-बार मुझे पीठ दिखाता है।*+

इसलिए मैं अपना हाथ बढ़ाकर तुझे नाश कर दूँगा।+

मैं तुझ पर तरस खाते-खाते* थक गया हूँ।

 7 मैं देश के शहरों* में उन्हें काँटे से उसाऊँगा।

उनके बच्चों को मारकर उन्हें बेऔलाद कर दूँगा।+

मैं अपने लोगों को नाश कर दूँगा,

क्योंकि उन्होंने अपने तौर-तरीके बदलने से इनकार कर दिया है।+

 8 मेरे सामने उनकी विधवाओं की गिनती समुंदर की बालू से ज़्यादा होगी।

मैं भरी दोपहरी में एक नाश करनेवाले से उन पर हमला करवाऊँगा,

उनकी माँओं और जवानों पर हमला करवाऊँगा।

मैं अचानक उनके बीच हलचल मचा दूँगा, उनमें डर फैला दूँगा।

 9 जिस औरत ने सात बच्चों को जन्म दिया था, वह कमज़ोर हो गयी है,

मुश्‍किल से साँस ले रही है।

उसका सूरज दिन रहते ही ढल गया है,

जिससे शर्मिंदगी और अपमान हुआ है।’*

यहोवा ऐलान करता है, ‘उनमें से जो थोड़े लोग बच गए,

मैं उन्हें दुश्‍मनों की तलवार के हवाले कर दूँगा।’”+

10 हे मेरी माँ, धिक्कार है मुझ पर! तूने मुझे क्यों जन्म दिया,+

पूरे देश के लोग मुझसे लड़ते-झगड़ते हैं।

मैंने न तो किसी से उधार लिया, न ही किसी को उधार दिया,

फिर भी सब मुझे कोसते हैं।

11 यहोवा कहता है, “मैं बेशक तेरे साथ भलाई करूँगा,

विपत्ति के समय मैं तेरी तरफ से बात करूँगा,

मुसीबत की घड़ी में मैं दुश्‍मन से बात करूँगा।

12 क्या कोई लोहे के टुकड़े-टुकड़े कर सकता है?

उत्तर दिशा के लोहे और ताँबे के टुकड़े कर सकता है?

13 तुमने अपने सभी इलाकों में जितने पाप किए हैं,

उनकी वजह से मैं तुम्हारी दौलत और तुम्हारा खज़ाना लूट में दे दूँगा,+

बिना दाम लिए दे दूँगा।

14 मैं उन्हें तुम्हारे दुश्‍मनों को दे दूँगा

ताकि वे उन्हें ऐसे देश में ले जाएँ जिसे तुम नहीं जानते।+

मेरे गुस्से की आग भड़क उठी है,

जो तुम्हें भस्म कर रही है।”+

15 हे यहोवा, तू मेरी तकलीफें जानता है,

मुझे याद कर, मुझ पर ध्यान दे।

मेरे सतानेवालों से मेरी तरफ से बदला ले।+

कहीं मैं नाश न हो जाऊँ* क्योंकि तू क्रोध करने में धीमा है।

जान ले कि मैं तेरी खातिर यह बदनामी झेल रहा हूँ।+

16 तेरा संदेश मुझे मिला और मैंने उसे खाया,+

तेरा संदेश मेरे लिए खुशी का कारण बन गया और मेरा दिल मगन हो गया,

क्योंकि हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, मैं तेरे नाम से जाना जाता हूँ।

17 मैं मौज-मस्ती करनेवालों के साथ बैठकर आनंद नहीं मनाता।+

तेरा हाथ मेरे ऊपर है, इसलिए मैं अकेला बैठता हूँ,

तूने मुझे जलजलाहट* से भर दिया है।+

18 मेरा दर्द क्यों नहीं जाता, मेरा घाव क्यों नहीं भरता?

यह ठीक होने का नाम ही नहीं लेता।

क्या तू मेरे लिए धोखा देनेवाले सोते जैसा होगा,

जिससे पानी मिलने का कोई भरोसा नहीं?

19 इसलिए यहोवा कहता है,

“अगर तू मेरे पास लौट आएगा, तो मैं तुझे बहाल कर दूँगा,

तू मेरे सामने खड़ा रहेगा।

अगर तू कीमती चीज़ों को बेकार चीज़ों से अलग करेगा,

तो तू मेरे मुँह जैसा* बनेगा।

उन्हें मुड़कर तेरे पास लौटना पड़ेगा,

मगर तू उनके पास नहीं जाएगा।”

20 यहोवा ऐलान करता है, “मैं तुझे इन लोगों के लिए ताँबे की मज़बूत दीवार बनाता हूँ।+

वे तुझसे लड़ेंगे तो ज़रूर,

मगर तुझसे जीत नहीं पाएँगे,*+

क्योंकि मैं तुझे बचाने और छुड़ाने के लिए तेरे साथ हूँ।”

21 “मैं तुझे दुष्टों के हाथ से छुड़ा लूँगा,

बेरहम लोगों के चंगुल से निकाल लूँगा।”

16 यहोवा का संदेश एक बार फिर मेरे पास पहुँचा। उसने मुझसे कहा, 2 “तू इस जगह न तो शादी करना, न ही बेटे-बेटियाँ पैदा करना। 3 क्योंकि यहोवा यहाँ पैदा होनेवाले बेटे-बेटियों और उनको जन्म देनेवाले माता-पिताओं के बारे में कहता है, 4 ‘वे जानलेवा बीमारियों से मर जाएँगे,+ मगर उनके लिए मातम मनानेवाला या उन्हें दफनानेवाला कोई न होगा। उनकी लाशें खाद की तरह ज़मीन पर पड़ी रहेंगी।+ वे तलवार और अकाल से नाश हो जाएँगे+ और उनकी लाशें आकाश के पक्षियों और धरती के जानवरों का निवाला बन जाएँगी।’

 5 क्योंकि यहोवा कहता है,

‘तू ऐसे घर में मत जाना जहाँ मातम मनानेवालों को खाना परोसा जाता है,

तू छाती पीटकर मत रोना, न ही हमदर्दी जताना।’+

यहोवा ऐलान करता है, ‘क्योंकि मैंने इन लोगों से शांति छीन ली है,

अपना अटल प्यार और दया उनसे वापस ले ली है।+

 6 इस देश में छोटे-बड़े सभी मरेंगे।

उन्हें दफनाया नहीं जाएगा,

कोई उनके लिए मातम नहीं मनाएगा,

न ही उनके लिए अपना शरीर चीरेगा या सिर मुँड़वाएगा।*

 7 मातम मनानेवालों को कोई खाना नहीं देगा,

उनके अपनों की मौत पर उन्हें कोई दिलासा नहीं देगा,

कोई भी उन्हें दिलासे का प्याला नहीं देगा

कि वे माँ या पिता को खोने के गम में पी सकें।

 8 तू दावतवाले घर में मत जाना,

उनके साथ बैठकर मत खाना-पीना।’

9 क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं तेरे ही दिनों में तेरी आँखों के सामने इस जगह का ऐसा हाल कर दूँगा कि यहाँ से न तो खुशियाँ और जश्‍न मनाने की आवाज़ें आएँगी, न ही दूल्हा-दुल्हन के साथ आनंद मनाने की आवाज़ें।’+

10 जब तू इन लोगों को ये सारी बातें बताएगा तो वे तुझसे पूछेंगे, ‘यहोवा ने क्यों कहा है कि वह हम पर इतनी बड़ी विपत्ति लाएगा? हमने अपने परमेश्‍वर यहोवा के खिलाफ ऐसा क्या गुनाह किया, क्या पाप किया?’+ 11 तू उन्हें जवाब देना, ‘यहोवा ऐलान करता है, “क्योंकि तुम्हारे पुरखे मुझे छोड़कर दूसरे देवताओं के पीछे जाते रहे,+ उनकी सेवा करते रहे और उनके आगे दंडवत करते रहे।+ उन्होंने मुझे छोड़ दिया और मेरे कानून का पालन नहीं किया।+ 12 और तुम तो अपने पुरखों से भी बदतर निकले।+ तुममें से हर कोई मेरी आज्ञा मानने के बजाय ढीठ होकर अपने दुष्ट मन की करता है।+ 13 इसलिए मैं तुम्हें इस देश से निकालकर ऐसे देश में फेंक दूँगा जिसे न तुम जानते हो न तुम्हारे पुरखे जानते थे।+ वहाँ तुम्हें दिन-रात दूसरे देवताओं की सेवा करनी पड़ेगी+ क्योंकि मैं तुम पर कोई रहम नहीं करूँगा।”’

14 यहोवा ऐलान करता है, ‘ऐसे दिन आ रहे हैं जब वे फिर कभी नहीं कहेंगे, “यहोवा के जीवन की शपथ जो इसराएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया था!”+ 15 इसके बजाय, वे कहेंगे, “यहोवा के जीवन की शपथ जो इसराएलियों को उत्तर के देश से और उन सभी देशों से निकाल लाया था जहाँ उसने उन्हें तितर-बितर कर दिया था!” मैं उन्हें वापस उनके देश में ले आऊँगा जो मैंने उनके पुरखों को दिया था।’+

16 यहोवा ऐलान करता है, ‘देखो, मैं बहुत-से मछुवारों को बुलवाऊँगा

और वे उनकी मछुवाई करेंगे।

इसके बाद, मैं बहुत-से शिकारियों को बुलवाऊँगा

और वे हर पहाड़ और हर पहाड़ी पर

और चट्टानों की दरारों में उनका शिकार करेंगे।

17 क्योंकि मेरी आँखें उनका एक-एक काम* देख रही हैं।

वे मुझसे नहीं छिपे हैं,

न ही उनका गुनाह मेरी नज़रों से छिपा है।

18 पहले, मैं उनके गुनाह और उनके पाप का उनसे पूरा बदला चुकाऊँगा,+

क्योंकि उन्होंने मेरे देश को अपनी घिनौनी और बेजान मूरतों* से दूषित कर दिया है,

मेरी विरासत की ज़मीन को अपनी घिनौनी चीज़ों से भर दिया है।’”+

19 हे यहोवा, मेरी ताकत और मेरा मज़बूत गढ़,

जहाँ मैं मुसीबत के दिन भागकर जाता हूँ,+

तेरे पास धरती के कोने-कोने से राष्ट्र आएँगे

और कहेंगे, “हमारे पुरखों ने विरासत में सिर्फ झूठ पाया,

बेकार की चीज़ें पायीं जिनसे कोई फायदा नहीं।”+

20 क्या एक इंसान अपने लिए देवता बना सकता है?

वह जिन्हें बनाता है वे सचमुच के देवता नहीं हैं।+

21 “इसलिए मैं उन्हें दिखा दूँगा,

इस बार मैं उन्हें अपनी शक्‍ति और अपना बल दिखा दूँगा

और उन्हें जानना होगा कि मेरा नाम यहोवा है।”

17 “यहूदा का पाप लोहे की कलम से लिखा गया है।

हीरे की नोक से उनके दिल की पटिया पर

और उनकी वेदियों के सींगों पर गढ़ दिया गया है,

 2 उनके बेटे भी उनकी वेदियों और पूजा-लाठों* को याद करते हैं,+

जो एक घने पेड़ के पास, ऊँची पहाड़ियों पर+

 3 और खुले देहात में पहाड़ों पर थीं।

तेरी दौलत, तेरा सारा खज़ाना मैं लूट में दे दूँगा,+

हाँ, तेरी ऊँची जगह लूट में दे दूँगा क्योंकि तूने अपने सारे इलाकों में पाप किया है।+

 4 तू अपने ही दोष के कारण मेरी दी हुई विरासत खो बैठेगा।+

मैं तुझे एक अनजान देश में भेज दूँगा जहाँ तू अपने दुश्‍मनों की गुलामी करेगा,+

क्योंकि तूने मेरे क्रोध की आग भड़का दी है।*+

यह हमेशा जलती रहेगी।”

 5 यहोवा कहता है,

“शापित है वह इंसान* जो अदना इंसानों पर भरोसा करता है,+

जो इंसानी ताकत का सहारा लेता है,+

जिसका दिल यहोवा से दूर हो जाता है।

 6 वह उस पेड़ की तरह बन जाएगा जो वीराने में अकेला खड़ा रहता है।

वह कभी भलाई नहीं देखेगा,

वह वीराने की सूखी जगहों में ही रहेगा,

नमकवाली जगह में, जहाँ कोई नहीं रह सकता।

 7 उस इंसान* पर परमेश्‍वर की आशीष होती है,

जो यहोवा पर भरोसा रखता है,

जो यहोवा पर आशा रखता है।+

 8 वह उस पेड़ की तरह बन जाएगा जिसे पानी के सोतों के पास लगाया गया है,

जो अपनी जड़ें बहते पानी तक फैलाता है।

उसे तपती गरमी का एहसास नहीं होगा,

उसके पत्ते हमेशा हरे रहेंगे।+

सूखे के साल में उसे कोई चिंता नहीं होगी,

न ही वह फल देना छोड़ेगा।

 9 दिल सबसे बड़ा धोखेबाज़* है और यह उतावला* होता है।+

इसे कौन जान सकता है?

10 मैं यहोवा दिल को जाँचता हूँ,+

गहराई में छिपे विचारों* को परखता हूँ

ताकि हरेक को उसके चालचलन

और उसके कामों के नतीजे के मुताबिक फल दूँ।+

11 जैसे एक तीतर उन अंडों को सेती है जो उसने नहीं दिए,

वैसे ही वह इंसान होता है जो बेईमानी से दौलत कमाता है।*+

दौलत उसे उसकी अधेड़ उम्र में छोड़ देगी

और आखिर में वह मूर्ख साबित होगा।”

12 जिस गौरवशाली राजगद्दी की शुरूआत से महिमा हुई है,

वही हमारा पवित्र-स्थान है।+

13 हे यहोवा, इसराएल की आशा,

तुझे छोड़नेवाले सब शर्मिंदा किए जाएँगे।

तुझसे* बगावत करनेवालों के नाम धूल पर लिखे जाएँगे,+

क्योंकि उन्होंने यहोवा को छोड़ दिया है, जो जीवन का जल देता है।+

14 हे यहोवा, मुझे चंगा कर, तब मैं चंगा हो जाऊँगा।

मुझे बचा ले, तब मैं बच जाऊँगा,+

क्योंकि मैं तेरी ही तारीफ करता हूँ।

15 देख! वे मुझसे कहते हैं,

“यहोवा का वचन अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ?”+

16 मगर मैं एक चरवाहे के नाते तेरे पीछे चलना छोड़कर दूर नहीं भागा,

न ही मैंने मुसीबत के दिन की कामना की।

तू अच्छी तरह जानता है कि मेरे होंठों ने क्या-क्या कहा,

यह सब तेरे सामने ही हुआ है!

17 तू मेरे लिए खौफ की वजह न बन।

तू विपत्ति के दिन मेरी पनाह है।

18 मुझे सतानेवाले शर्मिंदा हो जाएँ,+

मगर मुझे शर्मिंदा न होने दे।

उन पर खौफ छा जाए,

मगर मुझ पर खौफ न छाने दे।

उन पर विपत्ति का दिन ले आ+

और उन्हें कुचलकर पूरी तरह नाश कर दे।*

19 यहोवा ने मुझसे कहा, “जाकर इन लोगों के बेटों के फाटक के पास खड़ा हो, जहाँ से यहूदा के राजा आते-जाते हैं और यरूशलेम के सभी फाटकों के पास खड़ा हो।+ 20 तू उनसे कहना, ‘यहूदा के राजाओ, यहूदा के सब लोगो और यरूशलेम के सभी निवासियो, तुम जो इन फाटकों से दाखिल होते हो, यहोवा का संदेश सुनो। 21 यहोवा कहता है, “तुम इस बात का ध्यान रखना: सब्त के दिन कोई बोझ मत ढोना, न ही उसे यरूशलेम के फाटकों से अंदर लाना।+ 22 सब्त के दिन तुम अपने घरों से कोई बोझ बाहर मत लाना और कोई भी काम मत करना।+ सब्त के दिन को पवित्र मानना, ठीक जैसे मैंने तुम्हारे पुरखों को आज्ञा दी थी।+ 23 मगर उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी थी और उस पर कान नहीं लगाया था। उन्होंने ढीठ होकर मेरी आज्ञा मानने और मेरी शिक्षा कबूल करने से इनकार कर दिया था।”’+

24 ‘यहोवा ऐलान करता है, “लेकिन अगर तुम सख्ती से मेरी बात मानोगे और सब्त के दिन इस शहर के फाटकों से कोई बोझ ढोकर नहीं लाओगे और सब्त के दिन कोई भी काम नहीं करोगे और इस तरह उसे पवित्र मानोगे,+ 25 तो दाविद की राजगद्दी+ पर बैठनेवाले राजा और हाकिम, रथ और घोड़ों पर सवार होकर इस शहर के फाटकों से अंदर आ पाएँगे। राजा और उनके हाकिम, यहूदा के लोग और यरूशलेम के निवासी अंदर आ पाएँगे+ और यह शहर सदा लोगों से आबाद रहेगा। 26 यहूदा के शहरों, यरूशलेम के आस-पास की जगहों, बिन्यामीन के इलाके,+ निचले प्रदेश,+ पहाड़ी प्रदेश और नेगेब* से लोग आ पाएँगे। वे अपने साथ पूरी होम-बलियाँ,+ बलिदान,+ अनाज के चढ़ावे,+ लोबान और धन्यवाद-बलियाँ लेकर यहोवा के भवन में आ पाएँगे।+

27 लेकिन अगर तुम मेरी आज्ञा तोड़कर सब्त के दिन को पवित्र नहीं मानोगे और सब्त के दिन बोझ ढोओगे और उसे यरूशलेम के फाटकों से अंदर लाओगे, तो मैं उसके फाटकों पर आग लगा दूँगा और यह आग यरूशलेम की किलेबंद मीनारों को ज़रूर भस्म कर देगी+ और यह बुझायी नहीं जाएगी।”’”+

18 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा, 2 “तू उठकर कुम्हार के घर जा।+ वहाँ मैं तुझे अपना संदेश सुनाऊँगा।”

3 इसलिए मैं उठकर कुम्हार के घर गया। कुम्हार चाक पर काम कर रहा था। 4 मगर वह मिट्टी से जो बरतन बना रहा था, वह उसके हाथ में बिगड़ गया। इसलिए उसने उसी मिट्टी से दूसरा बरतन बना दिया। उसे जैसा ठीक लगा वैसा बरतन बनाया।

5 फिर यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 6 “यहोवा ऐलान करता है, ‘हे इसराएल के घराने, क्या मैं तेरे साथ ऐसा ही नहीं कर सकता जैसे इस कुम्हार ने किया? हे इसराएल के घराने, देख! जैसे कुम्हार के हाथ में मिट्टी है, वैसे ही तू मेरे हाथ में है।+ 7 जब भी मैं किसी राष्ट्र या राज्य के बारे में कहूँ कि मैं उसे जड़ से उखाड़ दूँगा, ढा दूँगा और नाश कर दूँगा,+ 8 तब अगर वह राष्ट्र अपनी दुष्टता छोड़ दे तो मैं अपनी सोच बदल दूँगा* और उस पर वह विपत्ति नहीं लाऊँगा जिसे लाने की मैंने ठानी थी।+ 9 लेकिन अगर मैं किसी राष्ट्र या राज्य के बारे में कहूँ कि मैं उसे बनाऊँगा और लगाऊँगा 10 और वह मेरी नज़र में बुरे काम करे और मेरी आज्ञा न माने, तो मैं अपनी सोच बदल दूँगा* और मैंने उसके साथ जो भलाई करने की ठानी थी, वह नहीं करूँगा।’

11 अब तू मेहरबानी करके यहूदा के लोगों और यरूशलेम के निवासियों से बोल, ‘यहोवा कहता है, “मैं तुम पर विपत्ति लाने की तैयारी कर रहा हूँ और मुसीबत लाने का उपाय कर रहा हूँ। मेहरबानी करके अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आओ, अपने तौर-तरीके बदलो और अपना चालचलन सुधारो।”’”+

12 मगर उन्होंने कहा, “नहीं, ऐसा नहीं हो सकता!+ हम तो वही करेंगे जो हमने सोचा है। हममें से हर कोई ढीठ होकर अपने दुष्ट मन के मुताबिक काम करेगा।”+

13 इसलिए यहोवा कहता है,

“मेहरबानी करके राष्ट्रों से पूछो।

क्या किसी ने ऐसी बात सुनी है?

इसराएल की कुँवारी ने सबसे घिनौना काम किया है।+

14 क्या लबानोन की पथरीली ढलानों से बर्फ कभी गायब होती है?

या दूर से बहनेवाला ठंडा पानी कभी सूखता है?

15 मगर मेरे लोग मुझे भूल गए हैं।+

वे निकम्मी चीज़ों के आगे बलिदान चढ़ाते हैं,+

लोगों को ठोकर खिलाकर गिराते हैं,

उन्हें पुराने ज़माने की राहों से हटाकर अपनी राहों पर ले चलते हैं,+

कच्चे रास्तों पर ले चलते हैं, जो समतल और सीधे नहीं हैं*

16 ताकि अपने देश का ऐसा हश्र करें कि देखनेवालों का दिल दहल जाए+

और वे हमेशा खौफ खाएँ।*+

वहाँ से गुज़रनेवाला हर कोई डर के मारे देखता रह जाएगा,

हैरत से सिर हिलाएगा।+

17 पूरब से आनेवाली आँधी की तरह मैं उन्हें दुश्‍मन के सामने तितर-बितर कर दूँगा।

मुसीबत के दिन मैं उन्हें अपना मुँह नहीं, पीठ दिखाऊँगा।”+

18 उन्होंने कहा, “चलो, हम यिर्मयाह के खिलाफ एक साज़िश रचते हैं,+ क्योंकि हमारे याजकों के हाथ से कानून* कभी नहीं मिटेगा, न बुद्धिमानों से सलाह मिलनी बंद होगी और न ही भविष्यवक्‍ताओं से संदेश मिलना बंद होगा। चलो, हम उसके खिलाफ बात करें* और वह जो कहता है उस पर बिलकुल ध्यान न दें।”

19 हे यहोवा, मुझ पर ध्यान दे

और सुन कि मेरे विरोधी क्या कह रहे हैं।

20 क्या अच्छाई का बदला बुराई से देना सही है?

उन्होंने मेरी जान लेने के लिए एक गड्‌ढा खोदा है।+

याद कर कि मैं उनके बारे में अच्छी बात कहने के लिए तेरे सामने खड़ा हुआ

ताकि तेरी जलजलाहट उनसे दूर हो जाए।

21 इसलिए उनके बेटों को अकाल के हवाले कर दे,

उन्हें तलवार के हवाले कर दे।+

उनकी पत्नियाँ अपने बच्चों और पति को खो बैठें।+

उनके आदमी जानलेवा महामारी से मारे जाएँ,

उनके जवान लड़ाई में तलवार से मारे जाएँ।+

22 जब तू उन पर अचानक लुटेरों से हमला कराएगा,

तो उनके घरों से चीख-पुकार सुनायी दे।

क्योंकि उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए गड्‌ढा खोदा,

मेरे पाँवों के लिए फंदे बिछाए।+

23 मगर हे यहोवा, तू अच्छी तरह जानता है

कि उन्होंने मुझे मार डालने के लिए क्या-क्या साज़िशें रचीं।+

उनके गुनाह को ढाँप न देना,

न उनके पाप को अपने सामने से मिटाना।

जब तू क्रोध में आकर उनके खिलाफ कदम उठाएगा,

तो वे लड़खड़ाकर तेरे सामने गिर पड़ें।+

19 यहोवा ने मुझसे कहा, “जाकर कुम्हार से मिट्टी की एक सुराही खरीदकर ला।+ लोगों के कुछ मुखियाओं और याजकों के कुछ मुखियाओं को लेकर 2 ‘हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी’+ में जा और ठीकरा फाटक के प्रवेश पर खड़ा हो। वहाँ तू इस संदेश का ऐलान करना जो मैं तुझे बता रहा हूँ। 3 तू उनसे कहना, ‘यहूदा के राजाओ और यरूशलेम के निवासियो, यहोवा का संदेश सुनो। सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“मैं इस जगह एक विपत्ति लानेवाला हूँ, ऐसी विपत्ति कि उसके बारे में सुननेवाले हर किसी के कान झनझना जाएँगे, 4 क्योंकि इन लोगों ने मुझे छोड़ दिया है+ और इस जगह का ऐसा हाल कर दिया है कि यह पहचान में नहीं आती।+ यहाँ वे दूसरे देवताओं के लिए बलिदान चढ़ाते हैं, जिनके बारे में न तो वे जानते हैं, न उनके पुरखे जानते थे और न यहूदा के राजा जानते थे। उन्होंने इस जगह को बेगुनाहों के खून से भर दिया है।+ 5 उन्होंने बाल के लिए ऊँची जगह खड़ी कीं ताकि वहाँ उसके लिए आग में अपने बेटों की पूरी होम-बलि चढ़ा सकें।+ यह ऐसा काम है जिसकी मैंने कभी आज्ञा नहीं दी थी, न मैंने इस बारे में कभी बात की और न ही कभी यह खयाल मेरे मन में आया।”’+

6 ‘यहोवा ऐलान करता है, “इसलिए देखो, वे दिन आ रहे हैं जब यह जगह फिर कभी न तोपेत कहलाएगी, न ही ‘हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी’ बल्कि ‘मार-काट की घाटी’ कहलाएगी।+ 7 मैं इस जगह यहूदा और यरूशलेम की योजनाओं को नाकाम कर दूँगा और उन्हें दुश्‍मनों की तलवार से मरवा डालूँगा और उन लोगों से घात करवाऊँगा जो उनकी जान के पीछे पड़े हैं। मैं उनकी लाशें आकाश के पक्षियों और धरती के जानवरों का निवाला बना दूँगा।+ 8 मैं इस शहर का ऐसा हश्र कर दूँगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा और वे मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएँगे। यहाँ से गुज़रनेवाला हर कोई डर के मारे देखता रह जाएगा और उसकी सारी विपत्तियों की वजह से मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएगा।+ 9 मैं उन्हें अपने बेटे-बेटियों का माँस खाने पर मजबूर कर दूँगा और वे एक-दूसरे का माँस खाएँगे, क्योंकि जब उनके दुश्‍मन और वे लोग, जो उनकी जान के पीछे पड़े हैं, उन्हें चारों तरफ से घेर लेंगे तो वे हर तरह से बेबस हो जाएँगे।”’+

10 फिर तू उन सब आदमियों की आँखों के सामने सुराही तोड़ देना, जो तेरे साथ वहाँ जाएँगे 11 और उनसे कहना, ‘सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “जैसे कोई कुम्हार के बरतन को ऐसे तोड़ देता है कि वह दोबारा जुड़ न सके, उसी तरह मैं इन लोगों को और इस शहर को नाश कर दूँगा। वे तोपेत में तब तक लाशें दफनाते रहेंगे जब तक कि वहाँ और जगह न बचे।”’+

12 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं इस जगह और इसके निवासियों के साथ ऐसा ही करनेवाला हूँ ताकि यह शहर तोपेत जैसा बन जाए। 13 यरूशलेम के घर और यहूदा के राजाओं के महल इस तोपेत की तरह अशुद्ध हो जाएँगे।+ हाँ, वे सभी घर अशुद्ध हो जाएँगे जिनकी छतों पर वे आकाश की सारी सेनाओं के लिए बलिदान चढ़ाते+ और दूसरे देवताओं के लिए अर्घ चढ़ाते थे।’”+

14 जब यिर्मयाह तोपेत से लौटा, जहाँ यहोवा ने उसे भविष्यवाणी करने भेजा था, तो वह यहोवा के भवन के आँगन में खड़ा हुआ और उसने सब लोगों से कहा, 15 “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘देखो, मैं इस शहर और इसके सभी कसबों पर वे सारी विपत्तियाँ लानेवाला हूँ जिनके बारे में मैंने उन्हें बताया था, क्योंकि उन्होंने ढीठ होकर मेरी आज्ञा मानने से इनकार कर दिया है।’”+

20 जब यिर्मयाह इन बातों की भविष्यवाणी कर रहा था तो इम्मेर का बेटा याजक पशहूर सुन रहा था। पशहूर यहोवा के भवन का एक मुख्य अधिकारी था। 2 जब पशहूर ने यह सब सुना तो उसने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह को मारा और उसे यहोवा के भवन में ऊपरी बिन्यामीन फाटक के पासवाले काठ में कस दिया।+ 3 मगर अगले दिन जब पशहूर ने यिर्मयाह को काठ से निकाला तो यिर्मयाह ने उससे कहा,

“यहोवा ने तेरा नाम पशहूर नहीं बल्कि ‘चौतरफा आतंक’ रखा है।+ 4 क्योंकि यहोवा कहता है, ‘मैं तुझे तेरे लिए और तेरे सब दोस्तों के लिए आतंक का कारण बना दूँगा। वे सब तेरी आँखों के सामने अपने दुश्‍मनों की तलवार से मारे जाएँगे।+ मैं पूरे यहूदा को बैबिलोन के राजा के हाथ में कर दूँगा और वह उन्हें बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाएगा और तलवार से मार डालेगा।+ 5 मैं इस शहर की सारी दौलत, इसकी सारी जायदाद, सारी कीमती चीज़ें और यहूदा के राजाओं का सारा खज़ाना उनके दुश्‍मनों के हाथ में दे दूँगा।+ वे उन्हें लूट लेंगे, ज़ब्त कर लेंगे और बैबिलोन ले जाएँगे।+ 6 और हे पशहूर, तू और तेरे घर में रहनेवाले सब लोग बंदी बना लिए जाएँगे। तू बैबिलोन जाएगा और वहाँ मर जाएगा। तुझे वहीं अपने दोस्तों के साथ दफना दिया जाएगा क्योंकि तूने उन्हें झूठी भविष्यवाणियाँ सुनायी हैं।’”+

 7 हे यहोवा, तूने मुझे मूर्ख बनाया और मैं मूर्ख बन गया।

तूने मुझ पर अपना ज़ोर आज़माया और तू जीत गया।+

मैं सारा दिन मज़ाक बन जाता हूँ,

हर कोई मेरी खिल्ली उड़ाता है।+

 8 जब भी मैं तेरा संदेश सुनाता हूँ, तो मुझे ज़ोर-ज़ोर से यही ऐलान करना पड़ता है,

“मार-काट और तबाही मचेगी!”

यहोवा का संदेश सुनाने की वजह से दिन-भर मेरी बेइज़्ज़ती की जाती है, मेरी हँसी उड़ायी जाती है।+

 9 इसलिए मैंने कहा, “अब से मैं उसके बारे में कुछ नहीं बताऊँगा,

उसके नाम से और कुछ नहीं बोलूँगा।”+

लेकिन परमेश्‍वर का संदेश मेरे मन में आग की तरह जलने लगा,

यह मेरी हड्डियों में धधकती आग जैसा था,

मैं उसे रोकते-रोकते थक गया, मुझसे और रहा नहीं गया।+

10 मैंने बहुत-सी झूठी अफवाहें सुनीं,

मुझे चारों तरफ से आतंक ने आ घेरा।+

“चलो उसकी बुराई करते हैं, उसकी बुराई करते हैं!”

मेरे लिए शांति की कामना करनेवाला हर कोई इस इंतज़ार में था कि मैं कब गिरूँगा।+

वे कहते थे, “हो सकता है वह बेवकूफी से कोई गलती करे,

तब हम उसे दबोच सकते हैं, उससे अपना बदला ले सकते हैं।”

11 मगर यहोवा मेरे साथ एक ऐसे वीर योद्धा की तरह था जिससे सब डरते हैं।+

इसलिए मुझे सतानेवाले गिर पड़ेंगे और मुझसे नहीं जीतेंगे।+

उन्हें बुरी तरह शर्मिंदा किया जाएगा, क्योंकि वे कामयाब नहीं होंगे।

उन्हें हमेशा के लिए बेइज़्ज़त किया जाएगा और यह कभी नहीं भुलाया जाएगा।+

12 मगर हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, तू नेक इंसान को जाँचता है।

तू दिल को और गहराई में छिपे विचारों* को देखता है।+

मुझे यह देखने का मौका दे कि तू उनसे कैसे बदला लेगा,+

क्योंकि मैंने अपना मुकदमा तेरे हाथ में छोड़ दिया है।+

13 यहोवा के लिए गीत गाओ! यहोवा की तारीफ करो!

क्योंकि उसने गरीब को दुष्टों के हाथ से छुड़ाया है।

14 लानत है उस दिन पर जब मैं पैदा हुआ था!

वह दिन मुबारक न माना जाए जब मेरी माँ ने मुझे जन्म दिया था!+

15 धिक्कार हो उस आदमी पर जिसने मेरे पिता को यह खुशखबरी सुनायी थी,

“तेरे लड़का हुआ है, लड़का!”

जिसे सुनकर मेरे पिता का दिल बाग-बाग हो गया था।

16 उस आदमी की हालत उन शहरों जैसी हो जाए

जिन्हें यहोवा ने नाश कर दिया, बिलकुल दया नहीं की।

उसे सुबह चीख-पुकार और भरी दोपहरी में युद्ध की ललकार सुनायी दे।

17 मुझे कोख में ही क्यों नहीं मार डाला गया,

जिससे मेरी माँ ही मेरी कब्र बन जाती

और मैं सदा उसकी कोख में पड़ा रहता?+

18 मैं कोख से क्यों बाहर निकला?

बस इसलिए कि मुसीबतें और दुख देखूँ

अपमान सहते-सहते मर जाऊँ?+

21 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह को तब मिला जब राजा सिदकियाह+ ने मल्कियाह के बेटे पशहूर+ और मासेयाह के बेटे याजक सपन्याह+ को उसके पास भेजा और उससे यह पूछने की गुज़ारिश की: 2 “मेहरबानी करके हमारी तरफ से यहोवा से पूछ कि आगे क्या होगा, क्योंकि बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर* हमसे युद्ध करने आया है।+ हो सकता है यहोवा हमारी तरफ से कोई आश्‍चर्य का काम करे जैसे उसने गुज़रे ज़माने में किया था और नबूकदनेस्सर हमें छोड़कर चला जाए।”+

3 यिर्मयाह ने उनसे कहा, “तुम सिदकियाह से कहना, 4 ‘इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “तुम लोग जो हथियार लेकर बैबिलोन के राजा और शहरपनाह के बाहर घेरनेवाले कसदियों से लड़ रहे हो,+ उन हथियारों से मैं तुम्हीं पर हमला कराऊँगा।* मैं उन्हें शहर के बीचों-बीच इकट्ठा करूँगा। 5 मैं अपना शक्‍तिशाली हाथ बढ़ाकर खुद तुमसे युद्ध करूँगा।+ मैं गुस्से, बड़े क्रोध और जलजलाहट में आकर तुमसे लड़ूँगा।+ 6 मैं इस शहर में रहनेवाले सबको मार डालूँगा, इंसान और जानवर दोनों को। वे बड़ी महामारी* से मर जाएँगे।”’+

7 ‘यहोवा ऐलान करता है, “इसके बाद मैं यहूदा के राजा सिदकियाह और उसके सेवकों को और इस शहर के लोगों को, जो महामारी, तलवार और अकाल से ज़िंदा बचेंगे, बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ में कर दूँगा। उनके दुश्‍मनों और उन लोगों के हाथ में कर दूँगा जो उनकी जान के पीछे पड़े हैं।+ वह उन्हें तलवार से मार डालेगा। वह उन पर तरस नहीं खाएगा, उन पर करुणा या दया नहीं करेगा।”’+

8 और इन लोगों से तू कहना, ‘यहोवा कहता है, “देखो, मैं तुम्हें ज़िंदगी या मौत की राह चुनने का मौका देता हूँ। 9 जो कोई इस शहर में ही रहेगा वह तलवार, अकाल और महामारी से मार डाला जाएगा। लेकिन जो कोई बाहर जाकर खुद को उन कसदियों के हवाले कर देगा जो तुम्हें घेरे हुए हैं वह ज़िंदा रहेगा, अपनी जान बचा लेगा।”’*+

10 ‘यहोवा ऐलान करता है, “मैंने इस शहर को ठुकरा दिया है। मैं इस पर विपत्ति ले आऊँगा, इसके साथ कोई भलाई नहीं करूँगा।+ यह शहर बैबिलोन के राजा के हाथ में दे दिया जाएगा+ और वह इसे आग से फूँक देगा।”+

11 यहूदा के राजा के घराने से कहना, यहोवा का संदेश सुन। 12 हे दाविद के घराने के लोगो, यहोवा तुमसे कहता है,

“हर सुबह न्याय करो,

जो लुट रहा है, उसे धोखेबाज़ के हाथ से छुड़ाओ+

ताकि ऐसा न हो कि तुम्हारे दुष्ट कामों की वजह से

मेरे क्रोध की आग भड़क उठे+

और उसे कोई बुझा न सके।”’+

13 यहोवा ऐलान करता है, ‘हे घाटी के निवासी,

हे समतल ज़मीन की चट्टान, मैं तुम्हें सज़ा देनेवाला हूँ।’

‘और तुम जो कहते हो, “हमसे लड़ने कौन आएगा?

हमारे घरों पर कौन हमला करेगा?” यह जान लो,

14 मैं तुम्हारे कामों के मुताबिक

तुमसे हिसाब माँगूँगा।’+ यहोवा का यह ऐलान है।

‘मैं तुम्हारे जंगल में आग लगा दूँगा,

जो तुम्हारे आस-पास की हर चीज़ भस्म कर देगी।’”+

22 यहोवा कहता है, “यहूदा के राजा के महल में जा और यह संदेश सुना: 2 ‘हे दाविद की राजगद्दी पर बैठे यहूदा के राजा, तू और तेरे सेवक और तेरे लोग, जो इन फाटकों से होकर जाते हैं, यहोवा का यह संदेश सुनें। 3 यहोवा कहता है, “न्याय करो। जो लुट रहा है, उसे धोखेबाज़ के हाथ से छुड़ाओ। किसी परदेसी के साथ बदसलूकी मत करो और अनाथ* या विधवा का बुरा मत करो।+ इस जगह किसी बेगुनाह का खून मत बहाओ।+ 4 अगर तुम इन बातों का सख्ती से पालन करोगे, तो दाविद की राजगद्दी पर बैठनेवाले राजा,+ रथों और घोड़ों पर सवार होकर इस भवन के फाटकों से अंदर आ पाएँगे। वे अपने सेवकों और अपने लोगों के साथ अंदर आ पाएँगे।”’+

5 ‘लेकिन अगर तुम इन बातों का पालन नहीं करोगे, तो मैं अपनी शपथ खाकर कहता हूँ कि यह भवन उजाड़ दिया जाएगा।’+ यहोवा का यह ऐलान है।

6 यहूदा के राजा के महल के बारे में यहोवा कहता है,

‘तू मेरे लिए गिलाद जैसा है,

लबानोन की चोटी जैसा है।

मगर मैं तुझे एक वीराना बना दूँगा,

तेरा एक भी शहर आबाद नहीं रहेगा।+

 7 मैं नाश करनेवालों को ठहराकर तेरे खिलाफ भेजूँगा,

उनमें से हर कोई हथियारों से लैस होगा।+

वे तेरे शानदार देवदारों को काट डालेंगे

और आग में झोंक देंगे।+

8 बहुत-से राष्ट्र इस शहर के पास से गुज़रेंगे और एक-दूसरे से पूछेंगे, “यहोवा ने इस महान शहर के साथ ऐसा क्यों किया?”+ 9 फिर वे कहेंगे, “क्योंकि उन्होंने अपने परमेश्‍वर यहोवा का करार तोड़ दिया और दूसरे देवताओं को दंडवत करके उनकी सेवा की।”’+

10 जो मर गया है उसके लिए मत रोओ,

उसके लिए शोक मत मनाओ।

इसके बजाय, जो बँधुआई में जा रहा है उसके लिए फूट-फूटकर रोओ,

क्योंकि वह फिर कभी यह देश नहीं देखेगा जहाँ वह पैदा हुआ था।

11 क्योंकि यहूदा के राजा शल्लूम*+ के बारे में, जो अपने पिता योशियाह की जगह राजा बना+ और यहाँ से बँधुआई में चला गया है, यहोवा कहता है, ‘वह यहाँ फिर कभी नहीं लौटेगा। 12 उसे जिस जगह बंदी बनाकर ले जाया गया है, वह वहीं मर जाएगा। वह यह देश फिर कभी नहीं देखेगा।’+

13 धिक्कार है उस पर जो अंधेर करके अपना महल बनवाता है,

अन्याय से अपने ऊपरी कमरे बनवाता है,

जो अपने साथी से मुफ्त में काम करवाता है,

उसकी मज़दूरी देने से इनकार करता है,+

14 जो कहता है, ‘मैं अपने लिए एक आलीशान महल बनवाऊँगा,

जिसके ऊपरी कमरे बड़े-बड़े होंगे।

मैं उसमें खिड़कियाँ लगवाऊँगा

और देवदार से तख्ताबंदी करूँगा और सिंदूरी* रंग से पुतवाऊँगा।’

15 तुझे क्या लगता है, तेरा राज बस इसलिए कायम रहेगा

क्योंकि तूने देवदार का इस्तेमाल करने में दूसरों को मात दी है?

तेरा पिता भी खाता-पीता था,

मगर उसने न्याय किया+ और उसके साथ भला हुआ।

16 उसने सताए हुओं और गरीबों के हक के लिए उनकी तरफ से फरियाद की,

इसलिए उसके साथ भला हुआ।

यहोवा ऐलान करता है, ‘क्या इस तरह उसने नहीं दिखाया कि वह मुझे जानता था?’

17 ‘मगर तेरी आँखें और तेरा दिल सिर्फ बेईमानी की कमाई पर लगे रहते हैं,

बेगुनाह का खून बहाने पर,

धोखाधड़ी और लूटपाट पर लगे रहते हैं।’

18 इसलिए योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम+ के बारे में यहोवा कहता है,

‘जिस तरह लोग यह कहकर मातम मनाते हैं,

“हाय! मेरे भाई। हाय! मेरी बहन।”

उस तरह कोई यह कहकर उसके लिए मातम नहीं मनाएगा,

“हाय! मेरे मालिक! तेरा वैभव कैसे मिट गया है!”

19 उसकी लाश के साथ वही किया जाएगा+

जो गधे की लाश के साथ किया जाता है,

उसकी लाश घसीटकर यरूशलेम के फाटकों के बाहर फेंक दी जाएगी।’+

20 ऊपर लबानोन जा और चीख-चीखकर रो,

बाशान में चिल्ला-चिल्लाकर रो,

अबारीम से हाय-हाय कर,+

क्योंकि तेरे सभी यारों को कुचल दिया गया है जो तुझ पर मरते थे।+

21 जब तू चैन से रहती थी, तब मैंने तुझे समझाया।

मगर तूने कहा, ‘मैं तेरी आज्ञा नहीं मानूँगी।’+

जवानी से तेरी यही आदत रही है,

तूने मेरी बात कभी नहीं मानी।+

22 आँधी तेरे सभी चरवाहों को उड़ा ले जाएगी,+

तुझ पर मरनेवाले तेरे यार बँधुआई में चले जाएँगे।

तब तुझ पर आनेवाली सारी विपत्तियों की वजह से तुझे शर्मिंदा किया जाएगा, नीचा दिखाया जाएगा।

23 हे लबानोन की रहनेवाली,+

देवदारों के बीच बसेरा करनेवाली,+

जब तुझे दर्द उठेगा तब तू कैसे कराहेगी,

तू बच्चा जननेवाली औरत की तरह कितना तड़पेगी!”+

24 “यहोवा ऐलान करता है, ‘हे यहोयाकीम+ के बेटे और यहूदा के राजा कोन्याह,*+ मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ कि अगर तू मेरे दाएँ हाथ की मुहरवाली अँगूठी होता, तो भी मैं तुझे निकाल फेंकता! 25 मैं तुझे उन लोगों के हाथ में कर दूँगा जो तेरी जान के पीछे पड़े हैं, उनके हाथ में जिनसे तू डरता है। मैं तुझे बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ में और कसदियों के हाथ में दे दूँगा।+ 26 मैं तुझे और तेरी माँ को, जिसने तुझे जन्म दिया, पराए देश में फेंक दूँगा जहाँ तू पैदा नहीं हुआ और तू वहीं मर जाएगा। 27 वे उस देश में कभी नहीं लौटेंगे जिसके लिए वे तरसते हैं।+

28 क्या यह कोन्याह एक तुच्छ और टूटा हुआ घड़ा नहीं है?

ऐसा बरतन जिसे कोई रखना नहीं चाहता?

उसे और उसके वंशजों को क्यों फेंक दिया गया है?

क्यों उन्हें ऐसे देश में फेंक दिया गया है जिसे वे नहीं जानते?’+

29 हे धरती,* हे धरती, हे धरती, यहोवा का संदेश सुन।

30 यहोवा कहता है,

‘इस आदमी के बारे में लिख कि यह बेऔलाद है,

जो जीते-जी कभी कामयाब नहीं होगा,

क्योंकि उसके वंशजों में से कोई भी दाविद की राजगद्दी पर बैठने

और यहूदा पर दोबारा राज करने में कामयाब नहीं होगा।’”+

23 यहोवा ऐलान करता है, “धिक्कार है उन चरवाहों पर जो मेरे चरागाह की भेड़ों को नाश कर रहे हैं, उन्हें तितर-बितर कर रहे हैं!”+

2 इसलिए इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा अपने लोगों के चरवाहों को यह संदेश सुनाता है: “तुमने मेरी भेड़ों को तितर-बितर कर दिया है, उन्हें बिखरा दिया है और उन पर कोई ध्यान नहीं दिया।”+

यहोवा ऐलान करता है, “तुम्हारे दुष्ट कामों की वजह से अब मैं तुम्हें सज़ा दूँगा।”

3 “इसके बाद मैं अपनी बची हुई भेड़ों को उन सभी देशों से इकट्ठा करूँगा, जहाँ मैंने उन्हें तितर-बितर कर दिया।+ मैं उन्हें वापस उनके चरागाह में ले आऊँगा+ और वे फूले-फलेंगी और गिनती में बढ़ जाएँगी।+ 4 मैं उनके लिए ऐसे चरवाहे खड़े करूँगा जो वाकई चरवाहों की तरह उनकी देखभाल करेंगे।+ इसके बाद मेरी भेड़ें न डरेंगी न घबराएँगी, उनमें से एक भी गुम नहीं होगी।” यहोवा का यह ऐलान है।

5 यहोवा ऐलान करता है, “देख, वे दिन आ रहे हैं जब मैं दाविद के वंश से एक नेक अंकुर* उगाऊँगा।+ वह राजा बनकर राज करेगा+ और अंदरूनी समझ से काम लेगा। वह देश में न्याय करेगा।+ 6 उसके दिनों में यहूदा बचाया जाएगा+ और इसराएल महफूज़ बसा रहेगा।+ वह राजा इस नाम से कहलाया जाएगा, ‘यहोवा हमारी नेकी है।’”+

7 यहोवा ऐलान करता है, “मगर ऐसे दिन आ रहे हैं जब वे फिर कभी नहीं कहेंगे, ‘यहोवा के जीवन की शपथ जो इसराएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया था!’+ 8 इसके बजाय वे कहेंगे, ‘यहोवा के जीवन की शपथ जो इसराएल के घराने के वंशजों को उत्तर के देश से और उन सभी देशों से निकालकर वापस लाया था जहाँ उसने उन्हें तितर-बितर कर दिया था।’ फिर वे अपने ही देश में बसे रहेंगे।”+

9 भविष्यवक्‍ताओं के लिए यह संदेश है:

मेरा दिल टूट गया है।

मेरी सारी हड्डियाँ काँप रही हैं।

यहोवा और उसके पवित्र संदेश की वजह से

मेरी हालत ऐसे आदमी की तरह है जो नशे में है,

जिसे दाख-मदिरा ने काबू में कर लिया है।

10 क्योंकि सारा देश बदचलन लोगों से भरा है,+

देश पर ऐसा शाप पड़ा है कि यह मातम मना रहा है,+

वीराने के चरागाह सूख गए हैं।+

उनके तौर-तरीके बुरे हैं, वे अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल करते हैं।

11 यहोवा ऐलान करता है, “भविष्यवक्‍ता और याजक, दोनों दूषित* हो गए हैं।+

यहाँ तक कि मैंने अपने भवन में उन्हें दुष्ट काम करते देखा है।”+

12 यहोवा ऐलान करता है, “इसलिए उनका रास्ता फिसलन भरा और अँधेरा हो जाएगा,+

उन्हें धकेलकर गिरा दिया जाएगा।

जिस साल उनसे हिसाब लिया जाएगा,

मैं उन पर विपत्ति लाऊँगा।”

13 “सामरिया+ के भविष्यवक्‍ताओं में मैंने घिनौनी बातें पायी हैं।

वे बाल के नाम से भविष्यवाणी करते हैं,

मेरी प्रजा इसराएल को गुमराह करते हैं।

14 मैंने यरूशलेम के भविष्यवक्‍ताओं को घिनौने काम करते देखा है।

वे व्यभिचार करते हैं,+ उनकी पूरी ज़िंदगी एक झूठ है,+

वे दुष्टों को बढ़ावा देते हैं,

वे अपनी दुष्टता नहीं छोड़ते।

मेरी नज़र में वे सभी सदोम जैसे हैं,+

इस नगरी के लोग अमोरा जैसे हैं।”+

15 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा भविष्यवक्‍ताओं के खिलाफ यह संदेश सुनाता है:

“देख, मैं उन्हें नागदौना खाने पर मजबूर करूँगा,

ज़हर मिला पानी पिलाऊँगा।+

क्योंकि यरूशलेम के भविष्यवक्‍ताओं से ही पूरे देश में परमेश्‍वर के खिलाफ बगावत फैल गयी है।”

16 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“तुम उन भविष्यवक्‍ताओं की बातें मत सुनो जो तुम्हें भविष्यवाणियाँ सुना रहे हैं।+

वे तुम्हें भ्रम में डाल रहे हैं।*

वे जो दर्शन बताते हैं, वह यहोवा की तरफ से नहीं है,+

बल्कि उनके मन की गढ़ी हुई बातें हैं।+

17 मेरा अनादर करनेवालों से वे बार-बार कहते हैं,

‘यहोवा ने कहा है, “तुम सुख-चैन से जीओगे।”’+

और जो कोई अपने ढीठ मन की करता है, उससे वे कहते हैं,

‘तुझ पर कोई विपत्ति नहीं आएगी।’+

18 कौन यहोवा के दोस्तों की मंडली में खड़ा हुआ है

ताकि उसका संदेश सुने और समझे?

किसने उसका संदेश सुना और उस पर ध्यान दिया है?

19 देखो! यहोवा के क्रोध की भयानक आँधी चलेगी,

उसका क्रोध बवंडर की तरह दुष्टों के सिर पर मँडराएगा।+

20 यहोवा का क्रोध तब तक नहीं टलेगा,

जब तक कि वह उस काम को पूरा नहीं कर लेता,

उसे अंजाम नहीं देता जो उसने मन में ठाना है।

आखिरी दिनों में तुम लोग इसे अच्छी तरह समझोगे।

21 मैंने उन भविष्यवक्‍ताओं को नहीं भेजा, फिर भी वे दौड़कर गए।

मैंने उनसे बात नहीं की, फिर भी उन्होंने भविष्यवाणी की।+

22 अगर वे मेरे दोस्तों की मंडली में खड़े होते,

तो उन्होंने मेरे लोगों को मेरा संदेश सुनाया होता,

उन्हें बुरे रास्ते से और दुष्ट कामों से फेर लिया होता।”+

23 यहोवा ऐलान करता है, “क्या मैं सिर्फ नज़दीक का परमेश्‍वर हूँ, दूर का नहीं?”

24 यहोवा ऐलान करता है, “क्या ऐसी कोई गुप्त जगह है जहाँ इंसान छिप जाए और मैं उसे देख न सकूँ?”+

यहोवा ऐलान करता है, “क्या आकाश में और धरती पर ऐसी कोई चीज़ है जो मेरी नज़रों से बच सके?”+

25 “मैंने भविष्यवक्‍ताओं को मेरे नाम से यह झूठी भविष्यवाणी करते सुना है, ‘मैंने एक सपना देखा है, एक सपना!’+ 26 कब तक इन भविष्यवक्‍ताओं का मन उनसे झूठ बुलवाता रहेगा? वे अपने मन में छल की बातें गढ़कर भविष्यवाणी सुनाते हैं।+ 27 वे एक-दूसरे को सपने बताते हैं ताकि मेरे लोग मेरा नाम भूल जाएँ, ठीक जैसे उनके बाप-दादे बाल की वजह से मेरा नाम भूल गए थे।+ 28 जिस भविष्यवक्‍ता को सपना आया है उसे अपना सपना बताने दो, मगर जिस किसी ने मेरा वचन सुना है वह मेरा वचन सच-सच सुनाए।”

यहोवा ऐलान करता है, “कहाँ घास-फूस और कहाँ अनाज?”

29 यहोवा ऐलान करता है, “क्या मेरा संदेश आग जैसा नहीं है?+ ऐसे हथौड़े जैसा नहीं है जो बड़ी चट्टान को चूर-चूर कर देता है?”+

30 यहोवा ऐलान करता है, “इसलिए मैं इन भविष्यवक्‍ताओं को सज़ा दूँगा, जो मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़कर अपने मन-मुताबिक लोगों को बताते हैं।”+

31 यहोवा ऐलान करता है, “मैं इन भविष्यवक्‍ताओं को सज़ा दूँगा जिनकी जीभ कहती है, ‘परमेश्‍वर ने यह ऐलान किया है!’”+

32 यहोवा ऐलान करता है, “मैं इन भविष्यवक्‍ताओं को सज़ा दूँगा, जो झूठे सपने देखते हैं और मेरे लोगों को सुनाते हैं और झूठी बातें कहकर और शेखी मारकर मेरे लोगों को गुमराह करते हैं।”+

यहोवा ऐलान करता है, “मगर मैंने उन्हें नहीं भेजा था, न ही उन्हें आज्ञा दी थी। इसलिए वे इन लोगों का बिलकुल भी भला नहीं करेंगे।”+

33 “जब ये लोग या कोई भविष्यवक्‍ता या याजक तुझसे पूछे, ‘यहोवा का बोझ* क्या है?’ तो तू उनसे कहना, ‘यहोवा ऐलान करता है, “तुम लोग ही वह बोझ हो! मैं तुम्हें उठाकर फेंक दूँगा।”’+ 34 जो भविष्यवक्‍ता या याजक या लोगों में से कोई कहता है, ‘यह यहोवा का बोझ* है!’ मैं उसे और उसके घराने को सज़ा दूँगा। 35 तुममें से हर कोई अपने साथी और भाई से कहता है, ‘यहोवा ने क्या जवाब दिया है? यहोवा ने क्या कहा है?’ 36 मगर तुम लोग यहोवा के बोझ* का अब से ज़िक्र मत करना, क्योंकि तुम में से हरेक का बोझ* उसका अपना संदेश है। तुमने सेनाओं के परमेश्‍वर और हमारे जीवित परमेश्‍वर यहोवा के संदेश को बदल दिया है।

37 तू भविष्यवक्‍ताओं से कहना, ‘यहोवा ने क्या जवाब दिया है? यहोवा ने क्या कहा है? 38 अगर तुम यह कहते रहोगे, “यह यहोवा का बोझ* है!” तो सुनो यहोवा तुमसे क्या कह रहा है, “मैंने तुमसे कहा था कि तुम यह मत कहना, ‘यह यहोवा का बोझ* है!’ फिर भी तुम कहते हो, ‘यह संदेश यहोवा का बोझ* है!’ 39 इसलिए देखो, मैं तुम्हें उठाकर अपनी नज़रों से दूर फेंक दूँगा, तुम्हें और इस शहर को भी फेंक दूँगा जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे पुरखों को दिया था। 40 मैं तुम्हें हमेशा के लिए बेइज़्ज़त करूँगा और नीचा दिखाऊँगा और यह कभी नहीं भुलाया जाएगा।”’”+

24 जब बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर,* यहोयाकीम के बेटे+ और यहूदा के राजा यकोन्याह* को और उसके साथ यहूदा के हाकिमों, कारीगरों और धातु-कारीगरों* को बंदी बनाकर यरूशलेम से बैबिलोन ले गया,+ तो उसके बाद यहोवा ने मुझे अंजीरों से भरी दो टोकरियाँ दिखायीं। ये टोकरियाँ यहोवा के मंदिर के सामने रखी हुई थीं। 2 एक टोकरी में बहुत अच्छे अंजीर थे, जैसे शुरू की फसल के अंजीर होते हैं। दूसरी टोकरी में खराब अंजीर थे, इतने खराब कि वे खाए नहीं जा सकते थे।

3 फिर यहोवा ने मुझसे पूछा, “यिर्मयाह, तुझे क्या दिखायी दे रहा है?” मैंने कहा, “मुझे अंजीर दिखायी दे रहे हैं। अच्छे अंजीर तो बहुत बढ़िया हैं, मगर खराब अंजीर इतने खराब हैं कि वे खाए नहीं जा सकते।”+

4 तब यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 5 “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘यहूदा के जिन लोगों को मैंने यहाँ से कसदियों के देश में बँधुआई में भेज दिया है, वे मेरे लिए इन अच्छे अंजीरों जैसे हैं। मैं उनके साथ भला करूँगा। 6 मैं उनके अच्छे के लिए उन पर नज़र रखूँगा और उन्हें इस देश में लौटा ले आऊँगा।+ मैं उन्हें बनाऊँगा और नहीं ढाऊँगा, मैं उन्हें लगाऊँगा और जड़ से नहीं उखाड़ूँगा।+ 7 मैं उन्हें ऐसा दिल दूँगा जिससे वे जानें कि मैं यहोवा हूँ।+ वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा,+ क्योंकि वे पूरे दिल से मेरे पास लौटेंगे।+

8 मगर इन खराब अंजीरों के बारे में, जो इतने खराब हैं कि वे खाए नहीं जा सकते,+ यहोवा कहता है, “मैं यहूदा के राजा सिदकियाह,+ उसके हाकिमों, इस देश में बचे हुए यरूशलेम के लोगों और मिस्र में रहनेवालों को इन खराब अंजीरों जैसा समझूँगा।+ 9 मैं उन पर ऐसी विपत्ति लाऊँगा और उनका ऐसा हश्र करूँगा कि धरती के सब राज्य देखकर दहल जाएँगे।+ मैं उन्हें जिन जगहों में तितर-बितर करूँगा,+ वहाँ उनका मज़ाक उड़ाया जाएगा, उन पर कहावत बनायी जाएगी, उनकी खिल्ली उड़ायी जाएगी और उन्हें शाप दिया जाएगा।+ 10 मैं उन पर तब तक तलवार,+ अकाल और महामारी*+ भेजता रहूँगा जब तक कि वे इस देश से मिट नहीं जाते, जो मैंने उन्हें और उनके पुरखों को दिया था।”’”

25 यिर्मयाह को यहूदा के सब लोगों के बारे में एक संदेश मिला। उसे यह संदेश योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज के चौथे साल मिला।+ तब बैबिलोन में राजा नबूकदनेस्सर* के राज का पहला साल था। 2 भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने यहूदा के सब लोगों और यरूशलेम के सब निवासियों के बारे में* यह कहा:

3 “आमोन के बेटे और यहूदा के राजा योशियाह के राज के 13वें साल+ से लेकर आज तक, 23 साल से यहोवा का संदेश मुझे मिलता रहा और मैं उसे बार-बार तुम्हें सुनाता रहा।* मगर तुम हो कि सुनने से इनकार करते रहे।+ 4 यहोवा अपने सभी सेवकों को, भविष्यवक्‍ताओं को तुम्हारे पास बार-बार भेजता रहा,* मगर तुमने उनकी नहीं सुनी और न ही उनकी बातों पर कान लगाया।+ 5 वे तुमसे बिनती करते, ‘तुम सब अपने बुरे रास्तों और दुष्ट कामों से पलटकर लौट आओ,+ तब तुम इस देश में लंबे समय तक रह पाओगे, जो यहोवा ने तुम्हें और तुम्हारे पुरखों को मुद्दतों पहले दिया था। 6 तुम दूसरे देवताओं के पीछे मत जाओ, उनकी सेवा मत करो, उनके आगे दंडवत मत करो और मूर्तियाँ बनाकर मेरा क्रोध मत भड़काओ, वरना मैं तुम पर विपत्ति ले आऊँगा।’

7 यहोवा ऐलान करता है, ‘मगर तुमने मेरी बात मानने के बजाय मूर्तियाँ बनाकर मेरा क्रोध भड़काया और खुद पर विपत्ति ले आए।’+

8 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘“तुमने मेरी आज्ञा नहीं मानी, 9 इसलिए मैं उत्तर के सभी घरानों को बुलवा रहा हूँ।+ मैं अपने सेवक, बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* को बुलवा रहा हूँ।+ मैं उनसे इस देश पर, इसके लोगों पर और इसके आस-पास के सभी राष्ट्रों पर हमला करवाऊँगा।+ मैं उन सबको नाश कर दूँगा और उनका ऐसा हश्र करूँगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा और वे मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएँगे। ये राष्ट्र हमेशा के लिए उजड़े ही रहेंगे।” यहोवा का यह ऐलान है। 10 “मैं इन सबका ऐसा हाल कर दूँगा कि यहाँ से न तो खुशियाँ और जश्‍न मनाने की,+ न ही दूल्हा-दुल्हन के साथ आनंद मनाने की आवाज़ें+ और न ही चक्की पीसने की आवाज़ सुनायी देगी और दीपक की रौशनी भी नहीं दिखायी देगी। 11 यह पूरा देश मलबे का ढेर बन जाएगा और इसे देखनेवालों का दिल दहल जाएगा। और इन राष्ट्रों को 70 साल तक बैबिलोन के राजा की गुलामी करनी होगी।”’+

12 यहोवा ऐलान करता है, ‘मगर जब 70 साल पूरे हो जाएँगे,+ तो मैं बैबिलोन के राजा और उस राष्ट्र से उनके गुनाह का हिसाब माँगूँगा*+ और मैं कसदियों के देश को नाश करके सदा के लिए वीराना बना दूँगा।+ 13 मैं उस देश पर वे सारी विपत्तियाँ ले आऊँगा जो मैंने बतायी थीं और इस किताब में लिखी हैं और जिनकी भविष्यवाणी यिर्मयाह ने सब राष्ट्रों को सुनायी है। 14 बहुत-से राष्ट्र और महान राजा+ उन्हें अपने गुलाम बना लेंगे+ और मैं उनके कामों का उन्हें सिला दूँगा।’”+

15 इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने मुझसे कहा, “मेरे हाथ से क्रोध की मदिरा का यह प्याला ले और उन सभी राष्ट्रों को पिला जिनके पास मैं तुझे भेज रहा हूँ। 16 वे इसे पीएँगे और लड़खड़ाएँगे और मैं उन पर जो तलवार भेजूँगा, उसकी वजह से वे पागलों की तरह बरताव करेंगे।”+

17 तब मैंने यहोवा के हाथ से वह प्याला लिया और उन सभी राष्ट्रों को पिलाया जिनके पास यहोवा ने मुझे भेजा।+ 18 मैंने सबसे पहले यरूशलेम और यहूदा के शहरों,+ उसके राजाओं और हाकिमों को पिलाया ताकि वे इस तरह नाश हो जाएँ कि देखनेवालों का दिल दहल जाए, वे उनका मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएँ और उन्हें शाप दें,+ जैसा कि आज ज़ाहिर है। 19 इसके बाद मिस्र के राजा फिरौन और उसके सेवकों, हाकिमों, उसके सब लोगों+ 20 और उनके यहाँ रहनेवाले परदेसियों की मिली-जुली भीड़ को पिलाया। फिर ऊज़ देश के सभी राजाओं और पलिश्‍तियों के देश+ के सभी राजाओं को पिलाया यानी अश्‍कलोन,+ गाज़ा, एक्रोन और अशदोद के बचे हुए लोगों के राजाओं को। 21 और एदोम,+ मोआब+ और अम्मोनी लोगों को,+ 22 सोर के सभी राजाओं, सीदोन के सभी राजाओं+ और समुंदर के द्वीप के राजाओं को पिलाया। 23 और ददान,+ तेमा, बूज और उन सभी को जिनकी कलमें मुँड़ी हुई हैं,+ 24 अरबी लोगों के सभी राजाओं,+ वीराने में रहनेवाली मिली-जुली भीड़ के सभी राजाओं, 25 जिमरी के सभी राजाओं, एलाम के सभी राजाओं,+ मादियों के सभी राजाओं+ 26 और उत्तर के सभी राष्ट्रों के राजाओं को एक-एक करके पिलाया, फिर चाहे वे पास के हों या दूर के और धरती के बाकी सभी राज्यों को पिलाया। इन सबके बाद शेशक*+ का राजा यह प्याला पीएगा।

27 “तू उनसे कहना, ‘सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “तुम सब इसे पीओ, इतना पीओ कि मदहोश हो जाओ, उलटी करो और ऐसे गिर पड़ो कि उठ न सको+ क्योंकि मैं तुम्हारे बीच तलवार भेज रहा हूँ।”’ 28 और अगर वे तेरे हाथ से प्याला लेकर पीने से इनकार कर दें तो तू उनसे कहना, ‘सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “तुम्हें इसे पीना ही होगा! 29 क्योंकि देखो! मैं जब इस शहर पर सबसे पहले विपत्ति ला रहा हूँ जिससे मेरा नाम जुड़ा है,+ तो तुमने कैसे सोच लिया कि तुम बच जाओगे?”’+

‘तुम सज़ा से हरगिज़ नहीं बचोगे, क्योंकि मैं धरती के सभी निवासियों पर वार करने के लिए एक तलवार बुलवा रहा हूँ।’ सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का यह ऐलान है।

30 तू उन्हें ये भविष्यवाणियाँ सुनाना:

‘यहोवा ऊँचाई से गरजेगा,

अपने पवित्र निवास से बुलंद आवाज़ में बोलेगा।

अपने रहने की जगह के खिलाफ ज़ोर से गरजेगा।

अंगूर रौंदनेवालों की तरह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाएगा,

धरती के सब निवासियों पर जीत पाकर खुशी से गीत गाएगा।’

31 यहोवा ऐलान करता है, ‘धरती के कोने-कोने तक शोरगुल सुनायी देगा,

क्योंकि यहोवा का राष्ट्रों के साथ एक मुकदमा है।

वह खुद सब इंसानों को फैसला सुनाएगा।+

और तलवार से दुष्टों का अंत कर डालेगा।’

32 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

‘देखो! एक-एक करके सब राष्ट्रों पर विपत्ति आएगी,+

धरती के बिलकुल कोने से अचानक एक भयंकर तूफान उठेगा।+

33 उस दिन यहोवा के हाथों मारे गए लोग धरती के एक कोने से दूसरे कोने तक पड़े रहेंगे। उनके लिए कोई मातम नहीं मनाएगा। उनकी लाशें न इकट्ठी की जाएँगी, न ही दफनायी जाएँगी। वे खाद की तरह ज़मीन पर पड़ी रहेंगी।’

34 चरवाहो, बिलख-बिलखकर रोओ, चीखो-चिल्लाओ!

झुंड के बड़े लोगो, राख पर लोटो,

क्योंकि तुम्हें मार डालने और तितर-बितर करने का समय आ गया है,

तुम मिट्टी के बेशकीमती बरतन की तरह गिरकर चूर-चूर हो जाओगे!

35 चरवाहों के लिए भागकर जाने की कोई जगह नहीं,

झुंड के बड़े लोगों के लिए बचने का कोई रास्ता नहीं।

36 चरवाहों की चीख-पुकार सुनो,

झुंड के बड़े लोगों का रोना-बिलखना सुनो,

क्योंकि यहोवा उनके चरागाह को उजाड़ रहा है।

37 उनकी जगह, जहाँ वे शांति से रहते थे, सूनी बना दी गयी हैं,

क्योंकि यहोवा के क्रोध की आग जल रही है।

38 वह ऐसे निकल पड़ा है जैसे एक जवान शेर अपनी माँद से निकलता है,+

भयानक तलवार की वजह से

और उसके क्रोध की जलती आग की वजह से

उनके देश का ऐसा हश्र हुआ है कि देखनेवाले दहल जाते हैं।”

26 योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज की शुरूआत में यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा:+ 2 “यहोवा कहता है, ‘तू यहोवा के भवन के आँगन में खड़ा हो और यहूदा के शहरों के सब लोगों के बारे में* बोल, जो यहोवा के भवन में उपासना* के लिए आते हैं। उन्हें वे सारी बातें बता जिनकी मैं तुझे आज्ञा देता हूँ, उनमें से एक भी बात मत छोड़। 3 हो सकता है वे सुनें और अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आएँ। तब मैं अपनी सोच बदल दूँगा* और उन पर विपत्ति नहीं लाऊँगा जो मैंने उनके दुष्ट कामों की वजह से लाने की ठानी है।+ 4 तू उनसे कह, “यहोवा कहता है, ‘अगर तुम मेरी बात नहीं सुनोगे, मेरा दिया कानून* नहीं मानोगे और 5 मेरे सेवकों, मेरे भविष्यवक्‍ताओं की बात नहीं सुनोगे जिन्हें मैं तुम्हारे पास बार-बार भेज रहा हूँ,* जैसा कि तुम अभी नहीं सुन रहे हो,+ 6 तो मैं इस भवन के साथ वही करूँगा जो मैंने शीलो+ के साथ किया था। मैं इस शहर का ऐसा हश्र करूँगा कि धरती के सभी राष्ट्र शाप देते वक्‍त इसकी मिसाल देंगे।’”’”+

7 जब यिर्मयाह यहोवा के भवन में यह सब कह रहा था, तब याजक, भविष्यवक्‍ता और सब लोग सुन रहे थे।+ 8 जब यिर्मयाह सब लोगों को ये सारी बातें सुना चुका जिनकी आज्ञा यहोवा ने उसे दी थी तो याजकों, भविष्यवक्‍ताओं और सब लोगों ने उसे पकड़ लिया और कहा, “हम तुझे मार डालेंगे। 9 तूने यहोवा के नाम से यह भविष्यवाणी क्यों की, ‘यह भवन शीलो की तरह बन जाएगा और यह शहर ऐसा उजड़ जाएगा कि यहाँ एक भी निवासी नहीं रहेगा’?” यहोवा के भवन में सब लोग यिर्मयाह के चारों तरफ इकट्ठा हो गए।

10 जब यहूदा के हाकिमों ने यह सब सुना तो वे राजा के महल से निकलकर यहोवा के भवन में आए और यहोवा के भवन के नए फाटक के प्रवेश पर बैठे।+ 11 याजकों और भविष्यवक्‍ताओं ने हाकिमों और सब लोगों से कहा, “यह आदमी मौत की सज़ा पाने के लायक है+ क्योंकि इसने इस शहर के खिलाफ भविष्यवाणी की है, जो तुमने खुद अपने कानों से सुनी है।”+

12 तब यिर्मयाह ने सब हाकिमों और सब लोगों से कहा, “मुझे यहोवा ने ही भेजा है कि मैं इस भवन और इस शहर के खिलाफ इन सारी बातों की भविष्यवाणी करूँ जो तुमने सुनी हैं।+ 13 इसलिए तुम अपने तौर-तरीके और अपना चालचलन सुधारो और अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा मानो, तब यहोवा अपनी सोच बदल देगा* और तुम पर वह विपत्ति नहीं लाएगा जिसके बारे में उसने कहा है।+ 14 जहाँ तक मेरी बात है, मैं तुम्हारे हाथ में हूँ। तुम्हें जो ठीक लगे, जो सही लगे मेरे साथ करो। 15 मगर एक बात जान लो, अगर तुमने मुझे मार डाला तो तुम एक बेगुनाह के खून का दोष खुद पर, इस शहर पर और इसके लोगों पर लाओगे, क्योंकि यह सच है कि यहोवा ने ही ये सारी बातें सुनाने के लिए मुझे तुम्हारे पास भेजा है।”

16 तब हाकिमों और सब लोगों ने याजकों और भविष्यवक्‍ताओं से कहा, “इस आदमी ने ऐसा कुछ नहीं किया कि इसे मौत की सज़ा दी जाए, क्योंकि इसने हमारे परमेश्‍वर यहोवा के नाम से हमसे बात की है।”

17 फिर देश के कुछ प्रधान उठे और लोगों की पूरी मंडली से कहने लगे, 18 “मोरेशेत के रहनेवाले मीका+ ने यहूदा के राजा हिजकियाह+ के दिनों में भविष्यवाणी की थी और यहूदा के सब लोगों से कहा था, ‘सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“सिय्योन एक खेत की तरह जोता जाएगा,

यरूशलेम मलबे का ढेर बन जाएगा,+

इस भवन का पहाड़* जंगल की पहाड़ियों जैसा* बन जाएगा।”’+

19 क्या यह सुनकर यहूदा के राजा हिजकियाह और पूरे यहूदा के लोगों ने मीका को मार डाला था? क्या उस राजा ने यहोवा का डर नहीं माना और यहोवा से रहम की भीख नहीं माँगी? तभी यहोवा ने अपनी सोच बदल दी* और उन पर वह विपत्ति नहीं लाया जिसके बारे में उसने कहा था।+ इसलिए अगर हम इसे मार डालेंगे तो हम खुद पर एक बड़ी विपत्ति ला रहे होंगे।

20 एक और आदमी यहोवा के नाम से भविष्यवाणी करता था। उसका नाम उरीयाह था और वह किरयत-यारीम+ के रहनेवाले शमायाह का बेटा था। उरीयाह भी यिर्मयाह की तरह इस शहर और इस देश के खिलाफ भविष्यवाणी करता था। 21 राजा यहोयाकीम+ और उसके सभी शूरवीरों और सभी हाकिमों ने उसकी बातें सुनीं और राजा ने उसे मार डालने की कोशिश की।+ जब उरीयाह को इस बात की खबर मिली तो वह बहुत डर गया और फौरन मिस्र भाग गया। 22 तब राजा यहोयाकीम ने अकबोर के बेटे एलनातान+ को और उसके साथ कुछ और आदमियों को मिस्र भेजा। 23 वे मिस्र से उरीयाह को पकड़कर राजा यहोयाकीम के पास ले आए। राजा ने उसे तलवार से मार डाला+ और उसकी लाश आम लोगों की कब्र में फिंकवा दी।”

24 मगर शापान+ के बेटे अहीकाम+ ने यिर्मयाह का साथ दिया, इसलिए यिर्मयाह को लोगों के हवाले नहीं किया गया कि वे उसे मार डालें।+

27 योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज की शुरूआत में यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 2 “यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तू अपने लिए बंधन और जुए बना और अपनी गरदन पर रख। 3 फिर एदोम,+ मोआब,+ अम्मोनी लोगों,+ सोर+ और सीदोन+ के राजाओं के पास उन दूतों के हाथ ये जुए भेज, जो यहूदा के राजा सिदकियाह के पास यरूशलेम आए हैं। 4 उन दूतों को आज्ञा दे कि वे अपने मालिकों से यह कहें:

“सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, तुम अपने मालिकों से यह कहना, 5 ‘मैंने ही अपना हाथ बढ़ाकर अपनी महाशक्‍ति से धरती और इंसानों को और धरती पर रहनेवाले जानवरों को बनाया है। और मैं जिसे चाहूँ उसे यह सब देता हूँ।+ 6 अब मैंने ये सारे देश अपने सेवक, बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में कर दिए हैं।+ यहाँ तक कि मैदान के जंगली जानवरों को भी उसके अधीन कर दिया है। 7 सारे राष्ट्र उसकी और उसके बेटे और पोते की सेवा करेंगे। वे तब तक उसकी सेवा करते रहेंगे जब तक कि उसके देश का अंत होने का समय नहीं आता।+ तब बहुत-से राष्ट्र और बड़े-बड़े राजा उसे अपना दास बना लेंगे।’+

8 यहोवा ऐलान करता है, ‘अगर कोई राष्ट्र या राज्य बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर की सेवा करने और उसका जुआ अपनी गरदन पर रखने से इनकार कर देता है, तो मैं उस राष्ट्र को तलवार, अकाल और महामारी* से तब तक सज़ा देता रहूँगा+ जब तक कि मैं राजा के हाथों उसे मिटा न दूँ।’

9 ‘इसलिए तुम अपने भविष्यवक्‍ताओं, ज्योतिषियों, सपने देखनेवालों, जादूगरों और टोना-टोटका करनेवालों की बात मत सुनो जो तुमसे कहते हैं, “तुम्हें बैबिलोन के राजा की सेवा नहीं करनी पड़ेगी।” 10 वे तुम्हें झूठी भविष्यवाणियाँ सुना रहे हैं। अगर तुम उनकी सुनोगे तो तुम्हें अपने देश से बहुत दूर ले जाया जाएगा। मैं तुम्हें तितर-बितर कर दूँगा और तुम नाश हो जाओगे।

11 मगर जो राष्ट्र अपनी गरदन पर बैबिलोन के राजा का जुआ रखेगा और उसकी सेवा करेगा, मैं उसे उसके देश में रहने दूँगा ताकि वह वहाँ की ज़मीन जोते और उसमें बसा रहे।’ यहोवा का यह ऐलान है।”’”

12 मैंने यहूदा के राजा सिदकियाह+ से भी यही बात कही, “तुम लोग अपनी-अपनी गरदन पर बैबिलोन के राजा का जुआ रखो और उसकी और उसके लोगों की सेवा करो, तब तुम ज़िंदा रहोगे।+ 13 तू और तेरे लोग क्यों तलवार,+ अकाल+ और महामारी+ से मरना चाहते हैं? यहोवा ने कहा है कि जो राष्ट्र बैबिलोन के राजा की सेवा नहीं करेगा, उसे यही अंजाम भुगतना पड़ेगा। 14 तुम उन भविष्यवक्‍ताओं की बात मत सुनो जो तुमसे कहते हैं, ‘तुम्हें बैबिलोन के राजा की सेवा नहीं करनी पड़ेगी।’+ वे तुम्हें झूठी भविष्यवाणी सुना रहे हैं।+

15 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने उन्हें नहीं भेजा है। वे मेरे नाम से झूठी भविष्यवाणी करते हैं। अगर तुम उनकी सुनोगे, तो मैं तुम्हें तितर-बितर कर दूँगा और तुम और वे भविष्यवक्‍ता भी नाश हो जाएँगे जो तुम्हें भविष्यवाणी सुना रहे हैं।’”+

16 और याजकों और सब लोगों से मैंने कहा, “यहोवा कहता है, ‘तुम अपने भविष्यवक्‍ताओं की बातें मत सुनो जो तुम्हें यह भविष्यवाणी सुनाते हैं, “देखो, यहोवा के भवन के बरतन बहुत जल्द बैबिलोन से वापस लाए जाएँगे!”+ वे तुम्हें झूठी भविष्यवाणी सुना रहे हैं।+ 17 तुम उनकी मत सुनो। बैबिलोन के राजा की सेवा करो, तब तुम ज़िंदा रहोगे।+ वरना यह शहर खंडहर बन जाएगा। 18 अगर वे सचमुच भविष्यवक्‍ता हैं और उन्हें यहोवा से संदेश मिला है, तो वे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा से गिड़गिड़ाकर मिन्‍नत करें कि जो बरतन यहोवा के भवन में, यहूदा के राजा के महल में और यरूशलेम में बचे हुए हैं, उन्हें बैबिलोन न ले जाया जाए।’

19 क्योंकि सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने भवन के खंभों,+ ताँबे के बड़े हौद,*+ हथ-गाड़ियों+ और इस शहर में बचे हुए बरतनों के बारे में एक संदेश दिया है। 20 उन बरतनों के बारे में, जिन्हें बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर उस समय नहीं ले गया जब वह यहोयाकीम के बेटे और यहूदा के राजा यकोन्याह को और यहूदा और यरूशलेम के सभी रुतबेदार लोगों को यरूशलेम से बंदी बनाकर बैबिलोन ले गया था।+ 21 हाँ, सेनाओं के परमेश्‍वर और इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने उन बरतनों के बारे में, जो यहोवा के भवन में, यहूदा के राजा के महल में और यरूशलेम में बचे हैं, यह संदेश दिया है: 22 ‘यहोवा ऐलान करता है, “ये बरतन बैबिलोन ले जाए जाएँगे+ और ये तब तक वहीं रहेंगे जब तक कि मैं इन पर ध्यान न दूँ। फिर मैं इन्हें निकालकर वापस इस जगह ले आऊँगा।”’”+

28 उसी साल यानी यहूदा के राजा सिदकियाह के राज+ की शुरूआत में, चौथे साल के पाँचवें महीने, गिबोन के रहनेवाले+ अज्जूर के बेटे भविष्यवक्‍ता हनन्याह ने यहोवा के भवन में याजकों और सब लोगों के सामने मुझसे कहा, 2 “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं बैबिलोन के राजा का जुआ तोड़ डालूँगा।+ 3 दो साल के अंदर मैं यहोवा के भवन के वे सारे बरतन वापस इस जगह ले आऊँगा जिन्हें बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर यहाँ से अपने देश ले गया था।’”+ 4 “यहोवा ऐलान करता है, ‘और मैं यहोयाकीम+ के बेटे और यहूदा के राजा यकोन्याह+ को और यहूदा के उन सभी लोगों को यहाँ वापस ले आऊँगा जिन्हें बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया गया है,+ क्योंकि मैं बैबिलोन के राजा का जुआ तोड़ डालूँगा।’”

5 तब भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने यहोवा के भवन में खड़े याजकों और सब लोगों के सामने भविष्यवक्‍ता हनन्याह से कहा, 6 “आमीन!* यहोवा ऐसा ही करे! यहोवा तेरी यह भविष्यवाणी पूरी करे और बैबिलोन से यहोवा के भवन के सारे बरतनों को और बंदी बनाए गए सब लोगों को वापस इस जगह ले आए! 7 मगर मेहरबानी करके यह संदेश सुन जो मैं तुझे और इन सब लोगों को सुनाने जा रहा हूँ। 8 मुझसे और तुझसे पहले जो भविष्यवक्‍ता लंबे अरसे से थे, वे कई देशों और बड़े-बड़े राज्यों के बारे में भविष्यवाणी करते थे कि वे युद्ध, विपत्ति और महामारी* के शिकार होंगे। 9 लेकिन ऐसे में अगर कोई भविष्यवक्‍ता शांति की भविष्यवाणी करता, तो वह तभी यहोवा का भेजा हुआ भविष्यवक्‍ता माना जाता जब उसकी बात सच निकलती।”

10 जब भविष्यवक्‍ता हनन्याह ने यह सुना तो उसने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह की गरदन से जुआ उतारकर तोड़ दिया।+ 11 फिर हनन्याह ने सब लोगों के सामने कहा, “यहोवा कहता है, ‘दो साल के अंदर मैं इसी तरह सब राष्ट्रों की गरदन से बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर का जुआ उतारकर तोड़ दूँगा।’”+ तब भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह वहाँ से चला गया।

12 जब भविष्यवक्‍ता हनन्याह ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह की गरदन से जुआ उतारकर तोड़ दिया, तो उसके बाद यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 13 “जाकर हनन्याह से कह, ‘यहोवा कहता है, “तूने लकड़ी के जुए तोड़ दिए हैं,+ मगर इनकी जगह लोहे के जुए रखे जाएँगे।” 14 क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “मैं इन सब राष्ट्रों की गरदन पर एक लोहे का जुआ रखूँगा ताकि वे बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर की गुलामी करें। उन्हें उसकी गुलामी करनी ही पड़ेगी।+ मैं मैदान के जंगली जानवरों को भी उसके हाथ में कर दूँगा।”’”+

15 फिर भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने भविष्यवक्‍ता हनन्याह+ से कहा, “हे हनन्याह, मेहरबानी करके सुन! तुझे यहोवा ने नहीं भेजा है। तूने इन लोगों को एक झूठी बात पर यकीन दिलाया है।+ 16 इसलिए यहोवा कहता है, ‘देख! मैं तुझे धरती से मिटा दूँगा। इसी साल तू मर जाएगा क्योंकि तूने यहोवा के खिलाफ बगावत भड़कायी है।’”+

17 भविष्यवक्‍ता हनन्याह उसी साल के सातवें महीने में मर गया।

29 ये भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के खत में लिखे शब्द हैं जो उसने यरूशलेम से उन बाकी मुखियाओं को, जो बंदी बनाए गए लोगों के बीच थे, याजकों, भविष्यवक्‍ताओं और सब लोगों को भेजा जिन्हें नबूकदनेस्सर यरूशलेम से बंदी बनाकर बैबिलोन ले गया था। 2 जब राजा यकोन्याह,+ राजमाता,+ दरबारी, यहूदा और यरूशलेम के हाकिम, कारीगर और धातु-कारीगर* यरूशलेम से चले गए थे,+ तो इसके बाद यिर्मयाह ने यह खत भेजा था। 3 उसने यह खत शापान+ के बेटे एलासा और हिलकियाह के बेटे गमरयाह के हाथों भेजा, जिन्हें यहूदा के राजा सिदकियाह+ ने बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर के पास भेजा था। खत में यह लिखा था:

4 “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा उन सब लोगों से कहता है, जिन्हें उसने यरूशलेम से बैबिलोन की बँधुआई में भेज दिया है, 5 ‘तुम वहीं घर बनाकर रहो। बाग लगाकर उनके फल खाओ। 6 शादी करो और बेटे-बेटियाँ पैदा करो और अपने बच्चों की भी शादी कराओ ताकि उनके भी बेटे-बेटियाँ हों। वहाँ तुम्हारी गिनती कम न हो, बढ़ती जाए। 7 और उस शहर की शांति की कामना करो जहाँ मैंने तुम्हें बँधुआई में भेज दिया है। उसकी खातिर यहोवा से प्रार्थना करो क्योंकि अगर वहाँ शांति होगी तो तुम भी शांति से रहोगे।+ 8 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “तुम्हारे बीच जो भविष्यवक्‍ता और ज्योतिषी हैं, उनके धोखे में मत आओ।+ वे जो सपने देखकर बताते हैं उन्हें मत सुनो। 9 क्योंकि यहोवा ऐलान करता है, ‘वे मेरे नाम से तुम्हें झूठी भविष्यवाणियाँ सुनाते हैं। उन्हें मैंने नहीं भेजा है।’”’”+

10 “यहोवा कहता है, ‘जब बैबिलोन में तुम्हें रहते 70 साल पूरे हो जाएँगे तो मैं तुम पर ध्यान दूँगा+ और तुम्हें इस जगह वापस लाने का अपना वादा पूरा करूँगा।’+

11 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैंने सोच लिया है कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा। मैं तुम पर विपत्ति नहीं लाऊँगा बल्कि तुम्हें शांति दूँगा।+ मैं तुम्हें एक अच्छा भविष्य और एक आशा दूँगा।+ 12 तुम मुझे पुकारोगे, मेरे पास आकर मुझसे प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूँगा।’+

13 ‘तुम मेरी खोज करोगे और मुझे पाओगे,+ क्योंकि तुम पूरे दिल से मुझे ढूँढ़ोगे।+ 14 मैं तुम्हें मिलूँगा।’+ यहोवा का यह ऐलान है। ‘मैंने तुम्हें जिन-जिन जगहों और राष्ट्रों में तितर-बितर कर दिया है और जहाँ तुम बंदी हो, वहाँ से मैं तुम सबको इकट्ठा करूँगा और उस जगह लौटा ले आऊँगा जहाँ से मैंने तुम्हें बँधुआई में भेज दिया था।’+ यहोवा का यह ऐलान है।+

15 मगर तुम कहते हो, ‘यहोवा ने हमारे लिए बैबिलोन में ही भविष्यवक्‍ताओं को ठहराया है।’

16 यहोवा, दाविद की राजगद्दी पर बैठे राजा से+ और इस शहर में बचे लोगों से यानी तुम्हारे भाइयों से, जो तुम्हारे साथ बँधुआई में नहीं गए, कहता है, 17 ‘सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “देखो, मैं उनके बीच तलवार, अकाल और महामारी*+ भेज रहा हूँ। मैं उन्हें सड़े* अंजीरों जैसा बना दूँगा जो इतने खराब होते हैं कि खाए नहीं जा सकते।”’+

18 ‘मैं तलवार, अकाल और महामारी लेकर उनका पीछा करूँगा+ और उनका ऐसा हश्र करूँगा कि धरती के सब राज्य देखकर दहल जाएँगे,+ शाप देते वक्‍त उनकी मिसाल देंगे, उन्हें देखकर चौंक जाएँगे, उनका मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएँगे+ और जिन देशों के बीच मैं उन्हें तितर-बितर कर दूँगा वहाँ उनकी बदनामी होगी,+ 19 क्योंकि उन्होंने मेरा संदेश नहीं सुना जो मैंने अपने सेवकों, अपने भविष्यवक्‍ताओं के हाथों उनके पास बार-बार भेजा* था।’+ यहोवा का यह ऐलान है।

यहोवा ऐलान करता है, ‘मगर तुमने मेरी बात नहीं मानी।’+

20 इसलिए तुम सब यहोवा का संदेश सुनो, जिन्हें मैंने यरूशलेम से बैबिलोन की बँधुआई में भेज दिया है। 21 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कोलायाह के बेटे अहाब और मासेयाह के बेटे सिदकियाह के बारे में, जो मेरे नाम से तुम्हें झूठी भविष्यवाणी सुनाते हैं,+ यह कहता है, ‘मैं उन्हें बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ में करनेवाला हूँ। वह उन्हें तुम्हारी आँखों के सामने मार डालेगा। 22 उनके साथ जो होगा, उसकी मिसाल देकर बैबिलोन में रहनेवाले यहूदा के सभी बँधुए शाप देते वक्‍त कहेंगे, “यहोवा तुम्हें सिदकियाह और अहाब जैसा कर दे जिन्हें बैबिलोन के राजा ने आग में भून दिया था!” 23 क्योंकि उन्होंने इसराएल में शर्मनाक काम किए थे,+ अपने पड़ोसियों की पत्नियों के साथ व्यभिचार किया और मेरे नाम से झूठे संदेश दिए, जबकि मैंने उन्हें आज्ञा नहीं दी थी।+

यहोवा ऐलान करता है, “मैं यह सब जानता हूँ और इस बात का गवाह हूँ।”’”+

24 “और नेहेलामी शमायाह से तू कहना,+ 25 ‘सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “तूने अपने नाम से यरूशलेम के सब लोगों को, मासेयाह के बेटे याजक सपन्याह+ को और सब याजकों को खत भेजे और उनसे कहा, 26 ‘यहोवा ने याजक यहोयादा के बदले तुझ सपन्याह को याजक ठहराया है ताकि तू यहोवा के भवन का निगरानी करनेवाला बने और ऐसे हर पागल को पकड़ ले जो भविष्यवक्‍ता होने का ढोंग करता है और उसे काठ* में कस दे।+ 27 तो फिर तूने क्यों अनातोत के यिर्मयाह+ को नहीं फटकारा जो तुम्हारा भविष्यवक्‍ता होने का ढोंग करता है?+ 28 उसने बैबिलोन में रहनेवाले हम लोगों को भी खत भेजकर कहा, “बँधुआई लंबे समय तक चलेगी! इसलिए वहीं घर बनाकर रहो। बाग लगाकर उनका फल खाओ,+—”’”’”

29 जब याजक सपन्याह+ ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के सामने यह खत पढ़कर सुनाया, 30 तो यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 31 “बँधुआई में रहनेवाले सब लोगों को यह संदेश भेज: ‘नेहेलामी शमायाह के बारे में यहोवा कहता है, “मैंने शमायाह को नहीं भेजा, फिर भी उसने तुम्हें भविष्यवाणी सुनायी और तुम्हें झूठी बातों पर यकीन दिलाने की कोशिश की,+ 32 इसलिए यहोवा कहता है, ‘अब मैं नेहेलामी शमायाह और उसके वंशजों को सज़ा देनेवाला हूँ। उसके वंशजों में से एक भी आदमी इन लोगों के बीच ज़िंदा नहीं बचेगा। मैं अपने लोगों के साथ जो भलाई करूँगा, उसे वह नहीं देख पाएगा, क्योंकि उसने यहोवा के खिलाफ बगावत भड़कायी है।’ यहोवा का यह ऐलान है।”’”

30 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा, 2 “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं तुझसे जो-जो कहने जा रहा हूँ, वह सब एक किताब में लिख ले। 3 क्योंकि यहोवा ऐलान करता है, “देख! वे दिन आ रहे हैं, जब मैं बँधुआई में पड़े अपने लोगों को, इसराएल और यहूदा को इकट्ठा करूँगा।”+ यहोवा कहता है, “मैं उन्हें वापस उस देश में ले जाऊँगा जो मैंने उनके पुरखों को दिया था और वे दोबारा उस पर अधिकार करेंगे।”’”+

4 यहोवा ने इसराएल और यहूदा को जो संदेश सुनाया वह यह है।

 5 यहोवा कहता है,

“हमने उन लोगों की आवाज़ सुनी है जो डर के मारे चीख रहे हैं,

हर कहीं आतंक छाया है, कहीं शांति नहीं है।

 6 ज़रा पूछो, क्या एक आदमी बच्चा जन सकता है?

तो फिर, मैं क्यों हर ताकतवर आदमी को पेट पकड़े हुए देख रहा हूँ,

जैसे बच्चा जननेवाली औरत पकड़ती है?+

क्यों सबका चेहरा पीला पड़ गया है?

 7 हाय! यह दिन कितना भयानक है!+

आज तक ऐसा दिन नहीं आया।

याकूब के लिए संकट का समय है।

मगर उसे संकट से बचा लिया जाएगा।”

8 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है, “उस दिन मैं उनकी गरदन का जुआ तोड़ दूँगा और बंधनों के दो टुकड़े कर डालूँगा। इसके बाद फिर कभी पराए लोग* उन्हें अपने दास नहीं बनाएँगे। 9 वे अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करेंगे और अपने राजा दाविद की सेवा करेंगे जिसे मैं उनके लिए खड़ा करूँगा।”+

10 यहोवा ऐलान करता है, “मेरे सेवक याकूब, तू मत डर,

इसराएल, तू मत घबरा।+

क्योंकि मैं तुझे दूर देश से छुड़ा लूँगा,

मैं तेरे वंशजों को बँधुआई के देश से निकाल लाऊँगा।+

याकूब वापस आएगा, वह चैन से रहेगा और उसे कोई खतरा नहीं होगा,

उसे कोई नहीं डराएगा।”+

11 यहोवा ऐलान करता है, “क्योंकि मैं तुझे बचाने के लिए तेरे साथ हूँ।

मैं उन सभी राष्ट्रों को मिटा दूँगा जहाँ मैंने तुझे तितर-बितर कर दिया था,+

मगर तुझे नहीं मिटाऊँगा।+

मैं तुझे सुधारने के लिए उतनी फटकार लगाऊँगा जितनी सही है,

तुझे सज़ा दिए बिना हरगिज़ न छोड़ूँगा।”+

12 क्योंकि यहोवा कहता है,

“तुझे जो घाव दिया गया है उसका कोई इलाज नहीं।+

तेरा ज़ख्म कभी ठीक नहीं हो सकता।

13 तेरा मुकदमा लड़नेवाला कोई नहीं है,

तेरे ज़ख्म को भरने का कोई उपाय नहीं।

तेरे लिए कोई इलाज नहीं।

14 तुझ पर मरनेवाले तेरे सभी यार तुझे भूल गए हैं।+

वे अब तुझे ढूँढ़ने नहीं आते।

मैंने एक दुश्‍मन की तरह तुझ पर वार किया है,+

एक बेरहम की तरह तुझे मारा है,

क्योंकि तेरा दोष बहुत बड़ा है, तेरे पाप बेहिसाब हैं।+

15 तू अपने घाव पर क्यों चिल्ला रही है?

तेरे दर्द की कोई दवा नहीं!

तेरा दोष बहुत बड़ा है, तेरे पाप बेहिसाब हैं,+

इसलिए मैंने तेरा यह हाल किया है।

16 बेशक तुझे निगलनेवाले सभी निगल लिए जाएँगे,+

तेरे सारे दुश्‍मन भी बँधुआई में चले जाएँगे।+

जो तुझे लूट रहे हैं, वे लूट लिए जाएँगे,

जो तेरी दौलत छीन रहे हैं, उन सबकी दौलत मैं दूसरों से छिनवाऊँगा।”+

17 यहोवा ऐलान करता है, “वे कहते हैं कि तू ठुकरायी हुई है,

‘सिय्योन को पूछनेवाला कोई नहीं है,’+

मगर मैं तेरी सेहत दुरुस्त कर दूँगा, तेरे घाव ठीक कर दूँगा।”+

18 यहोवा कहता है,

“मैं याकूब के तंबुओं के लोगों को बँधुआई से इकट्ठा करने जा रहा हूँ,+

मैं उसके डेरों पर तरस खाऊँगा।

यह शहर अपने टीले पर फिर से बसाया जाएगा,+

किलेबंद मीनार वहाँ दोबारा खड़ी होगी जहाँ उसे होना चाहिए।

19 उनके यहाँ से शुक्रिया अदा करने और खुशियाँ मनाने की आवाज़ें सुनायी देंगी।+

मैं उनकी गिनती बढ़ाऊँगा, वे कम नहीं होंगे,+

मैं उनकी तादाद बढ़ाकर अनगिनत कर दूँगा,*

वे तुच्छ नहीं समझे जाएँगे।+

20 उसके बेटे बीते दिनों की तरह खुशहाल होंगे,

मेरे सामने उसकी मंडली मज़बूती से कायम होगी।+

उस पर अत्याचार करनेवालों से मैं निपटूँगा।+

21 उसका गौरवशाली जन उसी में से निकलेगा,

उसका शासक उसके बीच से ही आएगा।

मैं उसे अपने पास आने दूँगा और वह मेरे पास आएगा।”

यहोवा ऐलान करता है, “वरना कौन मेरे पास आने की हिम्मत कर सकता है?”

22 “तुम मेरे लोग होगे और मैं तुम्हारा परमेश्‍वर होऊँगा।”+

23 देखो! यहोवा के क्रोध की भयानक आँधी चलेगी,+

तबाही मचानेवाला तूफान दुष्टों के सिर पर मँडराएगा।

24 यहोवा के क्रोध की आग तब तक नहीं बुझेगी,

जब तक कि वह उस काम को पूरा नहीं कर लेता, उसे अंजाम नहीं दे देता जो उसने मन में ठाना है।+

आखिरी दिनों में तुम लोग इसे समझोगे।+

31 यहोवा ऐलान करता है, “उस वक्‍त मैं इसराएल के सभी घरानों का परमेश्‍वर बनूँगा और वे मेरे लोग बनेंगे।”+

 2 यहोवा कहता है,

“जो लोग तलवार से बच गए उन्होंने वीराने में परमेश्‍वर की कृपा पायी,

जब इसराएल अपनी विश्राम की जगह के लिए सफर कर रहा था।”

 3 दूर से यहोवा मेरे पास आया और मुझसे कहा,

“मैं हमेशा से तुझसे प्यार करता आया हूँ।

इसलिए मैंने अटल प्यार से तुझे अपनी तरफ खींचा है।*+

 4 मैं एक बार फिर तुझे बनाऊँगा और तू दोबारा बनायी जाएगी।+

हे इसराएल की कुँवारी बेटी, तू फिर से अपनी डफलियाँ हाथ में लेगी

और खुशी से नाचती हुई निकलेगी।*+

 5 तू सामरिया के पहाड़ों पर फिर से अंगूरों के बाग लगाएगी,+

उन्हें लगानेवाले उनके फलों का आनंद उठाएँगे।+

 6 क्योंकि वह दिन ज़रूर आएगा जब एप्रैम के पहाड़ों पर पहरेदार पुकारेंगे,

‘चलो, हम अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास ऊपर सिय्योन चलें।’”+

 7 क्योंकि यहोवा कहता है,

“याकूब के लिए खुशी के नारे लगाओ।

खुशी से जयजयकार करो क्योंकि तुम सब राष्ट्रों के ऊपर हो।+

इसका ऐलान करो, परमेश्‍वर की तारीफ करो और कहो,

‘हे यहोवा, अपने लोगों का, इसराएल के बचे हुओं का उद्धार कर।’+

 8 मैं उन्हें उत्तर के देश से वापस ला रहा हूँ।+

मैं उन्हें धरती के छोर से इकट्ठा करूँगा।+

उनमें अंधे, लँगड़े,+ गर्भवती औरतें और वे औरतें भी होंगी,

जिनकी प्रसव-पीड़ा शुरू हो चुकी है, वे सब मिलकर आएँगे।

उनकी बड़ी मंडली लौट आएगी।+

 9 वे रोते हुए आएँगे।+

वे रहम की भीख माँगते हुए आएँगे और मैं उन्हें रास्ता दिखाऊँगा।

मैं उन्हें पानी की धाराओं* के पास ले चलूँगा,+

उन्हें समतल रास्ते से ले जाऊँगा ताकि वे ठोकर न खाएँ।

क्योंकि मैं इसराएल का पिता हूँ, एप्रैम मेरा पहलौठा है।”+

10 राष्ट्रो, तुम यहोवा का संदेश सुनो,

दूर-दराज़ के द्वीपों में इसका ऐलान करो:+

“जिसने इसराएल को तितर-बितर कर दिया था, वही उसे इकट्ठा करेगा।

वह उस पर ऐसे नज़र रखेगा जैसे चरवाहा अपने झुंड पर नज़र रखता है।+

11 क्योंकि यहोवा याकूब को छुड़ा लेगा,*+

उसके हाथ से, जो याकूब से भी ताकतवर है।+

12 वे आएँगे और सिय्योन की चोटी पर खुशी से जयजयकार करेंगे,+

उनके चेहरे दमक उठेंगे क्योंकि यहोवा उनके साथ भलाई करेगा,*

उन्हें अनाज, नयी दाख-मदिरा+ और तेल देगा,

उनकी भेड़-बकरियों और मवेशियों के बहुत-से बच्चे होंगे।+

वे अच्छी तरह सिंचे हुए बाग की तरह होंगे+

और फिर कभी कमज़ोर नहीं होंगे।”+

13 “उस वक्‍त कुँवारियाँ खुशी से नाचेंगी,

जवान और बूढ़े आदमी भी नाचेंगे।+

मैं उनके मातम को जश्‍न में बदल दूँगा।+

मैं उन्हें दिलासा दूँगा, उनका शोक दूर करके उन्हें खुशी दूँगा।+

14 मैं याजकों को भरपूर चीज़ें* देकर संतुष्ट करूँगा,

मैं अपने लोगों को जो अच्छी चीज़ें दूँगा, उनसे वे संतुष्ट होंगे।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

15 “यहोवा कहता है,

‘रामाह+ में विलाप करने और बिलख-बिलखकर रोने की आवाज़ें सुनायी दे रही हैं,

राहेल अपने बेटों* के लिए रो रही है।+

उसे कितना भी दिलासा दिया जाए वह शांत नहीं होती

क्योंकि वे अब नहीं रहे।’”+

16 यहोवा कहता है,

“‘अब और मत रो, अपने आँसू पोंछ ले,

क्योंकि तुझे अपने कामों का इनाम मिलनेवाला है।

वे दुश्‍मन के देश से लौट आएँगे।’ यहोवा का यह ऐलान है।+

17 यहोवा ऐलान करता है, ‘तेरा भविष्य उज्ज्वल होगा,+

तेरे बेटे अपने इलाके में लौट आएँगे।’”+

18 “मैंने बेशक एप्रैम का विलाप सुना है,

‘तूने मुझे सुधारा और मैंने अपने अंदर सुधार किया,

मैं ऐसे बछड़े की तरह था जिसे हल चलाने के लिए सधाया नहीं गया।

मुझे फेर दे, मैं फौरन फिर जाऊँगा,

क्योंकि तू मेरा परमेश्‍वर यहोवा है।

19 पलटकर आने के बाद मुझे बड़ा पछतावा हुआ,+

जब मुझे समझाया गया, तब मैंने दुख के मारे अपनी जाँघ पीटी।

जवानी में मैंने जो किया था,

उसकी वजह से मैं शर्मिंदा हुआ, मैंने नीचा महसूस किया।’”+

20 यहोवा ऐलान करता है, “क्या एप्रैम मेरा प्यारा बेटा नहीं, मेरा दुलारा नहीं?+

मैं उसके खिलाफ जितनी बार बोलता हूँ, उतनी बार उसे याद भी करता हूँ।

यही वजह है कि उसके लिए मेरी भावनाएँ* उमड़ आती हैं।+

मैं उस पर ज़रूर तरस खाऊँगा।”+

21 “तू अपने लिए रास्ते में चिन्ह लगा ले,

झंडे खड़े कर।+

राजमार्ग को ध्यान से देख, उस रास्ते को जहाँ से तुझे जाना है।+

इसराएल की कुँवारी बेटी, अपने इन शहरों में लौट आ।

22 विश्‍वासघाती बेटी, तू कब तक भटकती रहेगी?

यहोवा ने धरती पर एक नयी चीज़ की सृष्टि की है:

एक औरत बड़ी बेताबी से आदमी के पीछे पड़ जाएगी।”

23 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “जब मैं बंदी बनाए गए लोगों को इकट्ठा करके वापस लाऊँगा, तो उनके यहूदा देश में और उसके शहरों में फिर से यह कहा जाएगा, ‘हे नेकी के निवास,+ हे पवित्र पहाड़,+ यहोवा तुझे आशीष दे।’ 24 और वहाँ यहूदा और उसके सारे शहर, किसान और चरवाहे, सब साथ रहेंगे।+ 25 मैं थके-हारों को संतुष्ट करूँगा और कमज़ोरों को चुस्त-दुरुस्त कर दूँगा।”+

26 इस पर मेरी आँख खुल गयी और मैं जाग गया। मैं मीठी नींद सोया था।

27 यहोवा ऐलान करता है, “देख! वे दिन आ रहे हैं जब मैं इसराएल के घराने और यहूदा के घराने में इंसान का बीज* और मवेशियों का बीज बोऊँगा।”+

28 यहोवा ऐलान करता है, “जिस तरह मैं उन्हें जड़ से उखाड़ने, गिराने, ढाने, नाश करने और नुकसान पहुँचाने के लिए उन पर नज़र रखे हुए था,+ उसी तरह मैं उन्हें बनाने और लगाने के लिए भी उन पर नज़र रखूँगा।+ 29 उन दिनों वे यह बात फिर कभी नहीं कहेंगे, ‘खट्टे अंगूर खाए पिताओं ने, मगर दाँत खट्टे हुए बेटों के।’+ 30 इसके बजाय हर कोई अपने ही गुनाह के लिए मरेगा। जो कोई खट्टे अंगूर खाएगा, उसी के दाँत खट्टे होंगे।”

31 यहोवा ऐलान करता है, “देख! वे दिन आ रहे हैं जब मैं इसराएल के घराने और यहूदा के घराने के साथ एक नया करार करूँगा।+ 32 वह उस करार जैसा नहीं होगा जो मैंने उनके पुरखों के साथ उस दिन किया था जब मैं उन्हें हाथ पकड़कर मिस्र से निकाल लाया था।+ यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं उनका सच्चा मालिक* था, फिर भी उन्होंने मेरा करार तोड़ दिया।’”+

33 यहोवा ऐलान करता है, “उन दिनों के बाद मैं इसराएल के घराने के साथ यही करार करूँगा। मैं अपना कानून उनके अंदर डालूँगा+ और उनके दिलों पर लिखूँगा।+ मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे।”+

34 यहोवा ऐलान करता है, “इसके बाद फिर कभी कोई अपने पड़ोसी और भाई को यह कहकर नहीं सिखाएगा, ‘यहोवा को जान!’+ क्योंकि छोटे से लेकर बड़े तक, सब मुझे जानेंगे।+ मैं उनका गुनाह माफ करूँगा और उनका पाप फिर कभी याद नहीं करूँगा।”+

35 यहोवा जिसने दिन की रौशनी के लिए सूरज बनाया,

रात की रौशनी के लिए चाँद-सितारों के नियम ठहराए,*

जो समुंदर को झकझोरता है, लहरों को उछालता है,

जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है, वह कहता है:+

36 “‘जैसे ये कायदे-कानून कभी मिटते नहीं,

वैसे ही एक राष्ट्र के नाते इसराएल के वंशज मेरे सामने से कभी नहीं मिटेंगे।’ यहोवा का यह ऐलान है।”+

37 यहोवा कहता है, “‘जैसे ऊपर आकाश की नाप लेना और नीचे धरती की बुनियाद का पता लगाना नामुमकिन है, वैसे ही यह भी नामुमकिन है कि मैं इसराएल के सभी वंशजों को उनके कामों की वजह से ठुकरा दूँ।’ यहोवा का यह ऐलान है।”+

38 यहोवा ऐलान करता है, “देख! वे दिन आ रहे हैं जब हननेल मीनार+ से लेकर ‘कोनेवाले फाटक’+ तक यह शहर यहोवा के लिए बनाया जाएगा।+ 39 और नापने की डोरी+ सीधे गारेब की पहाड़ी तक और फिर वहाँ से घूमकर गोआ जाएगी। 40 और वह पूरी घाटी जहाँ लाशें और राख* पड़ी हैं, दूर किदरोन घाटी+ के सभी सीढ़ीदार खेत और पूरब की तरफ घोड़ा फाटक+ के कोने तक की सारी ज़मीन, ये सारे इलाके यहोवा के लिए पवित्र होंगे।+ वे फिर कभी जड़ से नहीं उखाड़े जाएँगे, न ही ढाए जाएँगे।”

32 यहूदा के राजा सिदकियाह के राज के 10वें साल में, जो नबूकदनेस्सर* के राज का 18वाँ साल था, यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा।+ 2 उस वक्‍त बैबिलोन के राजा की सेनाएँ यरूशलेम को घेरे हुई थीं और भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह, यहूदा के राजमहल के ‘पहरेदारों के आँगन’ में कैद था।+ 3 यहूदा के राजा सिदकियाह ने यह कहकर उसे वहाँ बंद कर दिया था,+ “तू क्यों ऐसी भविष्यवाणी करता है? तू कहता है, ‘यहोवा ने कहा है, “मैं यह शहर बैबिलोन के राजा के हाथ में कर दूँगा और वह इस पर कब्ज़ा कर लेगा।+ 4 यहूदा का राजा सिदकियाह कसदियों के हाथ से नहीं बचेगा, उसे ज़रूर बैबिलोन के राजा के हवाले कर दिया जाएगा। और सिदकियाह को उस राजा से आमने-सामने बात करनी होगी।”’+ 5 यहोवा ऐलान करता है, ‘वह सिदकियाह को बैबिलोन ले जाएगा और जब तक मैं उस पर ध्यान न दूँ वह वहीं रहेगा। तुम लोग कसदियों से चाहे कितना भी लड़ो, तुम जीत नहीं पाओगे।’”+

6 यिर्मयाह ने कहा, “यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा: 7 ‘तेरे पिता के भाई शल्लूम का बेटा हनमेल तेरे पास आएगा और कहेगा, “तू मेरा अनातोतवाला खेत+ अपने लिए खरीद ले, क्योंकि उसे वापस खरीदने का पहला हक तेरा है।”’”+

8 जैसे यहोवा ने कहा था, मेरा चचेरा भाई हनमेल ‘पहरेदारों के आँगन’ में मेरे पास आया और उसने मुझसे कहा, “मेहरबानी करके तू मेरा अनातोतवाला खेत खरीद ले जो बिन्यामीन के इलाके में है, क्योंकि उसे वापस खरीदने और अधिकार में करने का हक तेरा है। तू उसे अपने लिए खरीद ले।” तब मैं जान गया कि यह यहोवा की मरज़ी से हुआ है।

9 इसलिए मैंने अपने चचेरे भाई हनमेल से अनातोतवाला खेत खरीद लिया। मैंने उसे सात शेकेल* और चाँदी के दस टुकड़े तौलकर दे दिए।+ 10 फिर मैंने इस ज़मीन का पट्टा लिखवाया,+ उस पर मुहर लगायी, गवाहों को बुलाया+ और पैसे तराज़ू में तौलकर उसे दे दिए। 11 मैंने वह पट्टा लिया जो आज्ञा और कानून की माँगों के मुताबिक मुहरबंद किया गया था, साथ ही वह पट्टा भी लिया जो मुहरबंद नहीं था। 12 मैंने वह पट्टा अपने चचेरे भाई हनमेल और दस्तखत करनेवाले गवाहों और ‘पहरेदारों के आँगन’ में बैठे सभी यहूदियों के सामने बारूक+ को दिया।+ बारूक, नेरियाह का बेटा+ और महसेयाह का पोता था।

13 फिर मैंने उन सबके सामने बारूक को आज्ञा दी, 14 “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तू ये पट्टे ले। जो मुहरबंद है और जिस पर मुहर नहीं है, दोनों को लेकर मिट्टी के एक बरतन में रख दे ताकि ये लंबे समय तक सुरक्षित रहें।’ 15 क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘इस देश में घरों, खेतों और अंगूरों के बागों का खरीदना फिर से शुरू होगा।’”+

16 नेरियाह के बेटे बारूक को वह पट्टा देने के बाद मैंने यहोवा से यह प्रार्थना की, 17 “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, देख! तूने अपना हाथ बढ़ाकर अपनी महाशक्‍ति से आकाश और धरती को बनाया।+ तेरे लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं। 18 तू ऐसा परमेश्‍वर है जो हज़ारों पीढ़ियों से प्यार* करता है, मगर पिताओं के गुनाह की सज़ा उनके बाद के वंशजों तक को देता है।+ तू सच्चा परमेश्‍वर है, महान और शक्‍तिशाली परमेश्‍वर है जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है। 19 तू शानदार मकसद ठहराता है* और शक्‍तिशाली काम करता है।+ तेरी आँखें इंसानों के सभी तौर-तरीके ध्यान से देखती हैं+ ताकि हरेक को उसके कामों और चालचलन के मुताबिक फल दे।+ 20 तूने मिस्र में ऐसे चिन्ह और चमत्कार किए जो आज तक जाने जाते हैं। ऐसा करके तूने इसराएल में और पूरी दुनिया में बड़ा नाम कमाया,+ जो आज भी कायम है। 21 तू चिन्ह और चमत्कार करके, अपना शक्‍तिशाली हाथ बढ़ाकर और दिल दहलानेवाले बड़े-बड़े काम करके अपनी प्रजा इसराएल को मिस्र से निकाल लाया।+

22 वक्‍त आने पर तूने उन्हें यह देश दिया जहाँ दूध और शहद की धाराएँ बहती हैं+ और जिसके बारे में तूने उनके पुरखों से शपथ खायी थी।+ 23 उन्होंने इस देश में आकर इसे अपने अधिकार में कर लिया, मगर न तेरी आज्ञा मानी, न ही तेरे कानून का पालन किया। तूने उन्हें जो आज्ञाएँ दी थीं उनमें से एक भी नहीं मानी, इसीलिए तू उन पर ये सारी विपत्तियाँ ले आया।+ 24 देख! उस सेना ने शहर पर कब्ज़ा करने के लिए घेराबंदी की ढलान खड़ी की है।+ तलवार,+ अकाल और महामारी*+ की वजह से यह शहर ज़रूर कसदियों के हाथ में चला जाएगा जो इससे लड़ रहे हैं। तूने जो-जो कहा वह सब हो रहा है, जैसा कि तू देख रहा है। 25 हे सारे जहान के मालिक यहोवा, यह शहर ज़रूर कसदियों के हाथ में कर दिया जाएगा। फिर तू क्यों मुझसे कहता है कि तू पैसा देकर वह खेत खरीद ले और गवाहों को बुला?”

26 तब यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 27 “मैं यहोवा हूँ, सभी इंसानों का परमेश्‍वर। क्या मेरे लिए कोई भी काम नामुमकिन है? 28 इसलिए मैं यहोवा कहता हूँ, ‘मैं यह शहर कसदियों के हवाले करने जा रहा हूँ, बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ में करने जा रहा हूँ और वह इस पर कब्ज़ा कर लेगा।+ 29 इस शहर से लड़नेवाले कसदी इसमें घुस आएँगे और इसे आग लगा देंगे। वे शहर के साथ-साथ यहाँ के घर फूँक देंगे+ जिनकी छतों पर लोगों ने बाल देवता के लिए बलिदान चढ़ाए और दूसरे देवताओं के लिए अर्घ चढ़ाया और ऐसा करके मेरा क्रोध भड़काया।’+

30 यहोवा ऐलान करता है, ‘इसराएल और यहूदा के लोगों ने बचपन से सिर्फ ऐसे काम किए जो मेरी नज़र में बुरे हैं।+ इसराएल के लोग अपने कामों से बार-बार मेरा क्रोध भड़काते रहे हैं। 31 जब से यह शहर बना है तब से लेकर आज तक इसने सिर्फ मेरा गुस्सा और क्रोध भड़काया है,+ इसलिए इसे ज़रूर मेरे सामने से दूर कर दिया जाएगा।+ 32 इसराएल और यहूदा के लोगों ने बुरे काम करके मेरा क्रोध भड़काया है। उन लोगों ने, उनके राजाओं,+ हाकिमों,+ याजकों, भविष्यवक्‍ताओं+ और यहूदा और यरूशलेम के निवासियों ने मेरा क्रोध भड़काया है। 33 वे मेरी तरफ मुँह करने के बजाय मुझे पीठ दिखाते रहे।+ मैंने उन्हें सिखाने की बार-बार कोशिश की,* मगर उनमें से किसी ने भी मेरी नहीं सुनी, मेरी शिक्षा स्वीकार नहीं की।+ 34 उन्होंने अपनी घिनौनी मूरतें उस भवन में रख दीं जिससे मेरा नाम जुड़ा है और उसे दूषित कर दिया।+ 35 इतना ही नहीं, उन्होंने “हिन्‍नोम के वंशजों की घाटी”*+ में बाल के लिए ऊँची जगह बनायीं ताकि वहाँ मोलेक के लिए अपने बेटे-बेटियों को आग में होम कर दें।+ यह ऐसा काम है जिसकी न तो मैंने कभी आज्ञा दी थी+ और न ही कभी यह खयाल मेरे मन में आया। ऐसा नीच काम करके उन्होंने यहूदा से पाप करवाया।’

36 इसलिए यह शहर जिसके बारे में तुम कहते हो कि यह तलवार, अकाल और महामारी की वजह से बैबिलोन के राजा के हाथ में कर दिया जाएगा, उसी के बारे में इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, 37 ‘मैं उन्हें उन सभी देशों से इकट्ठा करूँगा जहाँ मैंने उन्हें गुस्से, बड़े क्रोध और जलजलाहट में आकर तितर-बितर कर दिया था।+ मैं उन्हें वापस इस जगह ले आऊँगा और यहाँ महफूज़ बसे रहने दूँगा।+ 38 तब वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा।+ 39 मैं उन सबको एक मन दूँगा+ और एक ही राह पर चलाऊँगा ताकि वे हमेशा मेरा डर मानें। इससे उनका और उनके बाद उनके बच्चों का भला होगा।+ 40 मैं उनके साथ सदा का यह करार करूँगा+ कि मैं उनकी भलाई करना कभी नहीं छोड़ूँगा।+ मैं उनके दिलों में अपना डर बिठाऊँगा इसलिए वे मुझसे मुँह नहीं मोड़ेंगे।+ 41 मैं खुशी-खुशी उनके साथ भलाई करूँगा+ और पूरे दिल और पूरी जान से उन्हें इस देश में मज़बूती से लगाऊँगा।’”+

42 “क्योंकि यहोवा कहता है, ‘जैसे मैं इन लोगों पर इतनी बड़ी विपत्ति ले आया था, वैसे ही मैं उनके साथ वे सारे भले काम करूँगा* जिनका मैं उनसे वादा करता हूँ।+ 43 इस देश में फिर से खेतों का खरीदना शुरू होगा,+ इसके बावजूद कि तुम कहते हो, “यह ऐसा वीरान हो गया है कि यहाँ न इंसान हैं न जानवर और यह कसदियों के हवाले कर दिया गया है।”’

44 यहोवा ऐलान करता है, ‘बिन्यामीन के इलाके में, यरूशलेम के आस-पास के इलाकों में, यहूदा के शहरों में,+ पहाड़ी प्रदेश के शहरों में, निचले इलाके के शहरों में+ और दक्षिण के शहरों में लोग पैसे देकर खेत खरीदेंगे, पट्टे लिखेंगे और उन्हें मुहरबंद करेंगे और गवाहों को बुलाएँगे,+ क्योंकि मैं बंदी बनाए गए लोगों को वापस यहाँ ले आऊँगा।’”+

33 यहोवा का संदेश दूसरी बार यिर्मयाह के पास पहुँचा। वह अब भी ‘पहरेदारों के आँगन’ में कैद था।+ परमेश्‍वर ने यिर्मयाह से कहा, 2 “यह धरती के बनानेवाले यहोवा का संदेश है। यहोवा का संदेश जिसने धरती को रचा और मज़बूती से कायम किया है, हाँ, जिसका नाम यहोवा है, वह कहता है: 3 ‘तू मुझे पुकार और मैं तुझे जवाब दूँगा और तुझे ऐसी बातें ज़रूर बताऊँगा जो तेरी समझ से परे हैं और जिन्हें तू नहीं जानता।’”+

4 “इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा का यह संदेश इस शहर के घरों और यहूदा के राजाओं के महलों के बारे में है जो घेराबंदी की ढलानों और तलवार की वजह से ढा दिए गए हैं।+ 5 यह संदेश उन लोगों के बारे में भी है जो कसदियों से लड़ने आ रहे हैं और उन जगहों के बारे में भी है जहाँ उन लोगों की लाशें भरी हैं जिन्हें मैंने गुस्से और क्रोध में आकर मार डाला था। वे इतने दुष्ट थे कि उनकी वजह से मैंने इस शहर से मुँह फेर लिया था। 6 परमेश्‍वर का संदेश यह है: ‘अब मैं इस नगरी को दुरुस्त करने जा रहा हूँ ताकि यह दोबारा सेहतमंद हो जाए।+ मैं उन्हें चंगा कर दूँगा और भरपूर शांति और सच्चाई की आशीष दूँगा।+ 7 मैं यहूदा और इसराएल के उन लोगों को वापस ले आऊँगा जो बंदी बनाए गए हैं+ और उन्हें दोबारा बनाऊँगा और वे पहले जैसे हो जाएँगे।+ 8 उन्होंने मेरे खिलाफ जो पाप किए थे उनका सारा दोष दूर करके मैं उन्हें शुद्ध कर दूँगा।+ मैं उनके सारे पाप और अपराध माफ कर दूँगा जो उन्होंने मेरे खिलाफ किए थे।+ 9 इस नगरी का नाम मुझे बहुत खुशी देगा। दुनिया के उन सब राष्ट्रों में मेरी तारीफ और महिमा होगी जो सुनेंगे कि मैंने उनके साथ कितनी भलाई की है।+ मैं इस नगरी के साथ जो भलाई करूँगा और इसे जो शांति दूँगा+ उसे देखकर सब राष्ट्र डर जाएँगे और थर-थर काँपेंगे।’”+

10 “यहोवा कहता है, ‘इस जगह के बारे में तुम कहोगे कि यह बिलकुल वीराना है, यहाँ एक इंसान या जानवर तक नहीं है। यहूदा के शहर और यरूशलेम की गलियाँ सूनी पड़ी हैं, यहाँ कोई नहीं रहता, एक इंसान या जानवर तक नहीं है। मगर ये सभी जगह एक बार फिर 11 खुशियाँ और जश्‍न मनाने की आवाज़ों से और दूल्हा-दुल्हन के साथ आनंद मनाने की आवाज़ों से गूँज उठेंगी।+ और लोगों की यह जयजयकार सुनायी देगी: “सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का शुक्रिया अदा करो, क्योंकि यहोवा भला है।+ उसका अटल प्यार सदा बना रहता है!”’+

यहोवा कहता है, ‘वे धन्यवाद-बलियाँ लेकर यहोवा के भवन में आएँगे,+ क्योंकि मैं इस देश के उन लोगों को वापस ले आऊँगा जो बंदी बनाए गए हैं और उनके हालात पहले जैसे हो जाएँगे।’”

12 “सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘इस वीराने में, जहाँ एक इंसान या जानवर तक नहीं है और इसके सभी शहरों में फिर से चरागाह नज़र आएँगे जहाँ चरवाहे अपने झुंडों को बिठाया करेंगे।’+

13 यहोवा कहता है, ‘पहाड़ी प्रदेश के शहरों में, निचले इलाके के शहरों में, दक्षिण के शहरों में, बिन्यामीन के इलाके में, यरूशलेम के आस-पास के इलाकों में+ और यहूदा के शहरों में+ फिर से चरवाहे के हाथ के नीचे से झुंड जाया करेंगे और वह उनकी गिनती करेगा।’”

14 “यहोवा ऐलान करता है, ‘देख! वे दिन आ रहे हैं जब मैं इसराएल के घराने और यहूदा के घराने के साथ भलाई करने का अपना वादा पूरा करूँगा।+ 15 उन दिनों और उस समय मैं दाविद के वंश से एक नेक अंकुर* उगाऊँगा+ और वह देश में न्याय करेगा।+ 16 उस वक्‍त यहूदा बचाया जाएगा+ और यरूशलेम नगरी महफूज़ बसी रहेगी।+ और वह इस नाम से कहलायी जाएगी, “यहोवा हमारी नेकी है।”’”+

17 “यहोवा कहता है, ‘ऐसा कभी नहीं होगा कि इसराएल के घराने की राजगद्दी पर बैठने के लिए दाविद के वंश का कोई आदमी न हो+ 18 या मेरे सामने हाज़िर होकर पूरी होम-बलि चढ़ाने, अनाज के चढ़ावे अर्पित करने और बलिदान चढ़ाने के लिए लेवी याजकों में से कोई न हो।’”

19 यहोवा का संदेश एक बार फिर यिर्मयाह के पास पहुँचा। उसने यिर्मयाह से कहा, 20 “यहोवा कहता है, ‘मैंने दिन और रात के बारे में जो करार किया है उसे अगर तुम तोड़ सको ताकि दिन और रात अपने-अपने समय पर न हों,+ 21 तो ही अपने सेवक दाविद से किया मेरा करार टूट सकेगा+ ताकि उसकी राजगद्दी पर बैठने के लिए उसका कोई बेटा न रहे+ और उन लेवी याजकों से किया करार भी टूट सकेगा जो मेरे सेवक हैं।+ 22 जैसे यह बात पक्की है कि आकाश की सेना नहीं गिनी जा सकती और समुंदर की रेत तौली नहीं जा सकती, वैसे ही यह बात पक्की है कि मैं अपने सेवक दाविद के वंश की और मेरी सेवा करनेवाले लेवियों की गिनती बढ़ाऊँगा।’”

23 यहोवा का संदेश एक बार फिर यिर्मयाह के पास पहुँचा। उसने यिर्मयाह से कहा, 24 “क्या तूने गौर किया कि ये लोग क्या कह रहे हैं? ये कह रहे हैं, ‘यहोवा इन दोनों घरानों को ठुकरा देगा जिन्हें उसने चुना था।’ दुश्‍मन मेरे अपने लोगों की बेइज़्ज़ती करते हैं और उन्हें एक राष्ट्र नहीं मानते।

25 यहोवा कहता है, ‘जिस तरह दिन और रात के बारे में मेरा करार पक्का है+ और आकाश और धरती के लिए मेरे नियम पक्के* हैं,+ 26 उसी तरह यह तय है कि मैं याकूब और अपने सेवक दाविद के वंश को कभी नहीं ठुकराऊँगा और उसके वंश से आनेवाले राजाओं को अब्राहम, इसहाक और याकूब के वंशजों पर राज करने के लिए ठहराऊँगा। क्योंकि मैं उनके लोगों को इकट्ठा करके बँधुआई से लौटा ले आऊँगा+ और उन पर तरस खाऊँगा।’”+

34 जब बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर* और उसकी पूरी सेना और उसके राज के अधीन रहनेवाले सब राज्य और देश, यरूशलेम और उसके सभी शहरों से लड़ रहे थे, तब यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा:+

2 “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तू यहूदा के राजा सिदकियाह+ के पास जा और उससे कह, “यहोवा कहता है, ‘मैं यह शहर बैबिलोन के राजा के हाथ में करने जा रहा हूँ और वह इसे आग से जला देगा।+ 3 तू उसके हाथ से नहीं बचेगा, तुझे ज़रूर पकड़ लिया जाएगा और उसके हाथ में कर दिया जाएगा।+ तू बैबिलोन के राजा से आमने-सामने बात करेगा और तू बैबिलोन जाएगा।’+ 4 मगर यहूदा के राजा सिदकियाह, यहोवा का यह संदेश भी सुन: ‘यहोवा तेरे बारे में कहता है, “तू तलवार से नहीं मारा जाएगा। 5 तू चैन से मरेगा+ और लोग तेरे सम्मान में आग जलाएँगे, जैसे उन्होंने तेरे पुरखों के लिए यानी तुझसे पहले के राजाओं के लिए किया था। वे यह कहकर तेरे लिए मातम मनाएँगे, ‘हाय! मेरे मालिक!’ ऐसा ज़रूर होगा क्योंकि ‘मैंने यह कहा है।’ यहोवा का यह ऐलान है।”’”’”

6 फिर भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने यरूशलेम में यहूदा के राजा सिदकियाह को ये सारी बातें बतायीं। 7 उस वक्‍त बैबिलोन के राजा की सेनाएँ यरूशलेम से और यहूदा के बचे हुए सब शहरों से,+ यानी लाकीश+ और अजेका+ से लड़ रही थीं। यहूदा के शहरों में से सिर्फ इन किलेबंद शहरों पर अब तक कब्ज़ा नहीं किया गया था।

8 यहोवा का यह संदेश इस घटना के बाद यिर्मयाह के पास पहुँचा: राजा सिदकियाह ने यरूशलेम के सब लोगों के साथ एक करार किया था कि वे दासों के लिए छुटकारे का ऐलान करेंगे,+ 9 हर कोई अपने इब्री दास और दासी को आज़ाद कर देगा। कोई भी अपने साथी यहूदी को दास बनाकर नहीं रखेगा। 10 सब हाकिमों और सब लोगों ने इस आज्ञा का पालन किया। उन्होंने करार किया कि हर कोई अपने दास-दासियों को आज़ाद कर देगा और उन्हें दास बनाकर नहीं रखेगा। उन्होंने इस करार के मुताबिक अपने दासों को जाने दिया। 11 मगर बाद में वे उन दास-दासियों को वापस ले आए जिन्हें उन्होंने आज़ाद कर दिया था। वे उन्हें दोबारा दास बनाकर उनसे ज़बरदस्ती सेवा करवाने लगे। 12 इसलिए यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा। यहोवा ने कहा:

13 “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘जिस दिन मैं तुम्हारे पुरखों को गुलामी के घर से, मिस्र से निकाल लाया था,+ उस दिन मैंने उनके साथ एक करार किया था।+ मैंने उनसे कहा था, 14 “हर सात साल के आखिर में तुममें से हरेक को चाहिए कि वह अपने उस इब्री भाई को आज़ाद कर दे जो उसे बेचा गया था। उसने छ: साल तेरी सेवा की होगी, इसलिए तू उसे आज़ाद कर देना।”+ मगर तुम्हारे पुरखों ने मेरी बात नहीं सुनी, न ही मेरी आज्ञा मानी। 15 कुछ समय पहले, तुमने अपने तौर-तरीके बदले और अपने भाई-बंधुओं के लिए छुटकारे का ऐलान करके मेरी नज़र में सही काम किया। तुमने उस भवन में मेरे साथ करार किया जिससे मेरा नाम जुड़ा है। 16 मगर इसके बाद तुमने अपना मन बदल दिया। तुमने जिन दास-दासियों को उनकी मरज़ी के मुताबिक आज़ाद किया था, उन्हें तुम वापस ले आए और उनसे ज़बरदस्ती सेवा करवाने लगे। ऐसा करके तुमने मेरे नाम का अपमान किया।’+

17 इसलिए यहोवा कहता है, ‘तुमने मेरी आज्ञा नहीं मानी कि हर कोई अपने भाई-बंधु के लिए छुटकारे का ऐलान करे।+ इसलिए अब सुनो, मैं तुम्हें छुटकारे का ऐलान करता हूँ। तुम आज़ाद हो जाओगे और तलवार, महामारी* और अकाल से मार डाले जाओगे+ और मैं तुम्हारा ऐसा हश्र कर दूँगा कि धरती के सभी राज्य तुम्हें देखकर दहल जाएँगे।’+ यहोवा का यह ऐलान है। 18 ‘जिन लोगों ने बछड़े के दो भाग किए और उसके बीच से गुज़रकर मेरे सामने करार किया था, मगर उस करार के मुताबिक काम नहीं किया और उसे तोड़ दिया,+ 19 यानी यहूदा के वे हाकिम, यरूशलेम के हाकिम, दरबारी, याजक और देश के सब लोग जो बछड़े के दो भागों के बीच से गुज़रे थे, उनका यह अंजाम होगा: 20 मैं उन्हें दुश्‍मनों के हवाले और उन लोगों के हवाले कर दूँगा जो उनकी जान के पीछे पड़े हैं। उनकी लाशें आकाश के पक्षियों और धरती के जानवरों का निवाला बन जाएँगी।+ 21 मैं यहूदा के राजा सिदकियाह और उसके हाकिमों को उनके दुश्‍मनों के हवाले और उन लोगों के हवाले कर दूँगा जो उनकी जान के पीछे पड़े हैं और बैबिलोन के राजा की सेनाओं के हाथ कर दूँगा+ जो तुमसे लड़ना छोड़कर जा रही हैं।’+

22 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं उन सेनाओं को आदेश दूँगा और वापस इस शहर में ले आऊँगा। वे इससे लड़ेंगी और इस पर कब्ज़ा कर लेंगी और इसे आग से जला देंगी।+ मैं यहूदा के शहरों को ऐसा वीरान कर दूँगा कि वहाँ एक भी निवासी नहीं रहेगा।’”+

35 योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के दिनों+ में यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 2 “रेकाबियों+ के घराने के पास जा और उनसे बात कर। उन्हें यहोवा के भवन में भोजन के एक कमरे* में ले आ। फिर उन्हें पीने के लिए दाख-मदिरा दे।”

3 इसलिए मैं यिर्मयाह के बेटे और हबसिन्याह के पोते याजन्याह को, उसके भाइयों, सब बेटों और रेकाबियों के पूरे घराने को 4 यहोवा के भवन में ले गया। वहाँ मैं उन्हें यिग-दल्याह के बेटे हानान के बेटों के भोजन के कमरे में ले गया। (हानान सच्चे परमेश्‍वर का सेवक था।) यह कमरा, हाकिमों के भोजन के कमरे के पास था और हाकिमों का कमरा, दरबान शल्लूम के बेटे मासेयाह के भोजन के कमरे के ऊपर था। 5 फिर मैंने रेकाबी घराने के आदमियों को दाख-मदिरा से भरे प्याले और कटोरियाँ पेश कीं और उनसे कहा, “लो, दाख-मदिरा पीओ।”

6 मगर उन्होंने कहा, “नहीं, हम दाख-मदिरा नहीं पीएँगे क्योंकि हमारे पुरखे यहोनादाब*+ ने, जो रेकाब का बेटा था, हमें यह आज्ञा दी थी: ‘तुम कभी दाख-मदिरा मत पीना, न ही तुम्हारे वंशज कभी पीएँ। 7 और तुम घर मत बनाना, बीज मत बोना, न अंगूरों के बाग लगाना या उसके अधिकारी होना। तुम सदा तंबुओं में ही रहना ताकि तुम इस देश में लंबे समय तक जी सको, जहाँ तुम परदेसी बनकर रहते हो।’ 8 इसलिए हम हमेशा अपने पुरखे रेकाब के बेटे यहोनादाब की आज्ञा मानते हैं। हम और हमारी पत्नियाँ और हमारे बेटे-बेटियाँ कभी दाख-मदिरा नहीं पीते। 9 हम न रहने के लिए घर बनाते हैं, न ही हमारे पास अंगूरों के बाग या खेत या बीज हैं। 10 हम हमेशा तंबुओं में रहते हैं और हमारे पुरखे यहोनादाब* ने जो-जो आज्ञा दी थी, वह सब मानते हैं। 11 मगर जब बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने इस देश पर हमला किया तो हमने कहा,+ ‘चलो, हम यरूशलेम जाते हैं ताकि कसदियों और सीरिया के लोगों की सेना से बच सकें।’ यही वजह है कि अब हम यरूशलेम में रहते हैं।”

12 यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 13 “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तू जाकर यहूदा के लोगों और यरूशलेम के निवासियों से कहना: यहोवा ऐलान करता है, “क्या मैंने तुम्हें मेरी आज्ञाओं का पालन करने के लिए बार-बार नहीं उभारा था?+ 14 रेकाब के बेटे यहोनादाब ने अपने वंशजों को आज्ञा दी थी कि वे दाख-मदिरा न पीएँ और वे आज तक उसकी आज्ञा मानते हैं और दाख-मदिरा नहीं पीते। इस तरह उन्होंने अपने पुरखे के आदेश का पालन किया है।+ मगर तुम हो कि मेरी आज्ञा कभी नहीं मानते, इसके बावजूद कि मैंने बार-बार तुम्हें बताया है।*+ 15 मैंने अपने सब सेवकों को, भविष्यवक्‍ताओं को तुम्हारे पास भेजा था, बार-बार भेजा था*+ और तुमसे गुज़ारिश करता रहा, ‘तुम सब अपने बुरे रास्तों से पलटकर लौट आओ+ और सही काम करो! दूसरे देवताओं के पीछे मत जाओ, उनकी सेवा मत करो। तब तुम इस देश में बसे रहोगे जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे पुरखों को दिया था।’+ मगर तुमने मेरी बातों पर कान नहीं लगाया और मेरा कहा नहीं माना। 16 रेकाब के बेटे यहोनादाब के वंशज अपने पुरखे के आदेश का पालन करते आए हैं,+ मगर तुम मेरी बात नहीं मानते।”’”

17 “इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं यहूदा पर और यरूशलेम के सब निवासियों पर वे सारी विपत्तियाँ लाने जा रहा हूँ जिनके बारे में मैंने उन्हें चेतावनी दी थी।+ मैं उन्हें समझाता रहा मगर उन्होंने कभी मेरी बात नहीं मानी, मैं उन्हें पुकारता रहा मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।’”+

18 यिर्मयाह ने रेकाबियों के घराने से कहा, “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तुमने अपने पुरखे यहोनादाब की आज्ञा का पालन किया है और तुम उसके सब आदेशों को मानते आए हो और ठीक वैसा ही करते हो जैसा उसने तुमसे कहा था। 19 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “ऐसा कभी नहीं होगा कि रेकाब के बेटे यहोनादाब* के वंशजों में से कोई मेरी सेवा के लिए मेरे सामने हाज़िर न हो।”’”

36 योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज के चौथे साल,+ यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 2 “एक खर्रा ले और उसमें वे सारी बातें लिख जो मैंने इसराएल, यहूदा+ और सब राष्ट्रों के खिलाफ कही हैं।+ योशियाह के दिनों से यानी जिस दिन मैंने तुझसे बात करनी शुरू की थी, तब से लेकर आज तक मैंने तुझे जो-जो बताया वह सब उस पर लिख।+ 3 हो सकता है यहूदा के घराने के लोग उन सारी विपत्तियों के बारे में सुनकर, जो मैंने उन पर लाने की ठानी है, अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आएँ और मैं उनका गुनाह और पाप माफ कर दूँ।”+

4 तब यिर्मयाह ने नेरियाह के बेटे बारूक को बुलाया।+ वह उसे यहोवा की कही सारी बातें शब्द-ब-शब्द बताता गया और बारूक खर्रे में लिखता गया।+ 5 फिर यिर्मयाह ने बारूक को यह आज्ञा दी: “मुझ पर बंदिश लगी है, मैं यहोवा के भवन में नहीं जा सकता। 6 इसलिए तुझे भवन में जाना होगा और मेरे कहने पर तूने खर्रे में यहोवा की जो बातें शब्द-ब-शब्द लिखी हैं वह सब वहाँ पढ़कर सुनाना। तू यहोवा के भवन में उपवास के दिन लोगों को पढ़कर सुनाना। तू यहूदा के सब लोगों को पढ़कर सुनाना जो अपने-अपने शहरों से वहाँ आएँगे। 7 हो सकता है वे यहोवा से रहम की भीख माँगें और वह उनकी सुने और वे सब अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आएँ, क्योंकि यहोवा ने इन लोगों पर गुस्सा और क्रोध भड़काने का जो ऐलान किया है वह बहुत भयानक है।”

8 तब नेरियाह के बेटे बारूक ने वह सब किया जो भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने उसे आज्ञा दी थी। बारूक ने यहोवा के भवन में लोगों को खर्रे* से यहोवा की सारी बातें पढ़कर सुनायीं।+

9 योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज+ के पाँचवें साल के नौवें महीने में, यरूशलेम के सब लोगों ने और यहूदा के शहरों से यरूशलेम आए सब लोगों ने यहोवा के सामने उपवास रखने का ऐलान किया।+ 10 तब बारूक ने यहोवा के भवन में खर्रे* से यिर्मयाह की सारी बातें पढ़कर सुनायीं। उसने यह सब नकल-नवीस* शापान+ के बेटे गमरयाह+ के खाने* में पढ़कर सुनाया, जो यहोवा के भवन के नए फाटक के प्रवेश के पास ऊपरी आँगन में था।+

11 जब मीकायाह ने, जो गमरयाह का बेटा और शापान का पोता था, खर्रे* में लिखी यहोवा की सारी बातें सुनीं 12 तो वह राजमहल में राज-सचिव के कमरे में गया जहाँ सारे हाकिम* बैठे हुए थे: राज-सचिव एलीशामा,+ शमायाह का बेटा दलायाह, अकबोर का बेटा+ एलनातान,+ शापान का बेटा गमरयाह, हनन्याह का बेटा सिदकियाह और बाकी सभी हाकिम। 13 मीकायाह ने उन्हें वे सारी बातें बतायीं जो उसने तब सुनी थीं जब बारूक ने लोगों के सामने खर्रा* पढ़कर सुनाया था।

14 तब सब हाकिमों ने यहूदी के हाथ, जो नतन्याह का बेटा, शेलेम्याह का पोता और कूशी का परपोता था, बारूक के पास यह संदेश भेजा: “तू वह खर्रा लेकर यहाँ आ जो तूने लोगों के सामने पढ़कर सुनाया था।” तब नेरियाह का बेटा बारूक हाथ में खर्रा लिए हाकिमों के पास आया। 15 उन्होंने बारूक से कहा, “मेहरबानी करके बैठ जा और हमें खर्रा पढ़कर सुना।” बारूक ने उन्हें खर्रा पढ़कर सुनाया।

16 जैसे ही उन्होंने सारी बातें सुनीं, वे डर गए और एक-दूसरे को देखने लगे। उन्होंने बारूक से कहा, “हमें राजा को ये सारी बातें बतानी होंगी।” 17 उन्होंने बारूक से पूछा, “मेहरबानी करके हमें बता, तूने यह सब कैसे लिखा? क्या यिर्मयाह ने तुझसे शब्द-ब-शब्द लिखवाया था?” 18 बारूक ने कहा, “हाँ, यिर्मयाह मुझे बताता गया और मैं स्याही से खर्रे* पर शब्द-ब-शब्द लिखता गया।” 19 तब हाकिमों ने बारूक से कहा, “तू और यिर्मयाह जाकर कहीं छिप जा। किसी को मत बताना कि तुम कहाँ छिपे हो।”+

20 फिर हाकिम राजा के पास आँगन में गए और उन्होंने वह खर्रा राज-सचिव एलीशामा के कमरे में रखा। उन्होंने राजा को वे सारी बातें बतायीं जो उन्होंने सुनी थीं।

21 तब राजा ने यहूदी को वह खर्रा लाने भेजा+ और वह उसे राज-सचिव एलीशामा के कमरे से ले आया। यहूदी ने राजा और उसके पास खड़े सब हाकिमों के सामने खर्रा पढ़ना शुरू किया। 22 वह नौवाँ महीना* था और राजा उस भवन में बैठा था जहाँ वह सर्दियाँ गुज़ारता था। उसके सामने अंगीठी जल रही थी। 23 जैसे-जैसे यहूदी खर्रे के तीन-चार स्तंभ पढ़ता, राजा उस हिस्से को राज-सचिव की छुरी से काट देता और अंगीठी में फेंक देता। वह ऐसा तब तक करता रहा जब तक पूरा खर्रा अंगीठी में जलकर राख नहीं हो गया। 24 राजा और उसके सब सेवकों ने खर्रे की सारी बातें सुनीं, मगर वे बिलकुल नहीं डरे, न ही उन्होंने अपने कपड़े फाड़े। 25 एलनातान,+ दलायाह+ और गमरयाह+ ने राजा से मिन्‍नत की थी कि वह खर्रे को न जलाए, मगर उसने उनकी नहीं सुनी। 26 इतना ही नहीं, राजा ने यरहमेल को, जो राजा का बेटा था, अजरीएल के बेटे सरायाह को और अब्देल के बेटे शेलेम्याह को हुक्म दिया कि वे सचिव बारूक और भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह को पकड़ लें। मगर यहोवा ने उन दोनों को छिपाए रखा।+

27 जब राजा ने वह खर्रा जला दिया जिसमें बारूक ने यिर्मयाह की कही बातें शब्द-ब-शब्द लिखी थीं, तो इसके बाद यहोवा का संदेश एक बार फिर यिर्मयाह के पास पहुँचा।+ उसने यिर्मयाह से कहा, 28 “तू एक और खर्रा ले और उस पर पहले खर्रे की सारी बातें लिख जिसे यहूदा के राजा यहोयाकीम ने जला दिया है।+ 29 और तू यहूदा के राजा यहोयाकीम को यह सज़ा सुनाना: ‘यहोवा कहता है, “तूने वह खर्रा जला दिया और कहा, ‘तूने इस पर ऐसा क्यों लिखा: “बैबिलोन का राजा ज़रूर आएगा और इस देश का नाश कर देगा, इसे ऐसा सूना कर देगा कि यहाँ एक इंसान या जानवर तक नहीं रहेगा”?’+ 30 इसलिए यहोवा ने यहूदा के राजा यहोयाकीम को यह सज़ा सुनायी है, ‘उसका कोई बेटा दाविद की राजगद्दी पर नहीं बैठेगा।+ उसकी लाश बाहर छोड़ दी जाएगी ताकि दिन को धूप में और रात को पाले में पड़ी रहे।+ 31 मैं उससे, उसके वंशजों और सेवकों से उनके गुनाह का हिसाब माँगूँगा। मैं उन पर और यरूशलेम के निवासियों और यहूदा के लोगों पर वे सारी विपत्तियाँ ले आऊँगा जो मैंने बतायीं,+ मगर उन्होंने नहीं सुनीं।’”’”+

32 फिर यिर्मयाह ने एक और खर्रा लिया और उसे नेरियाह के बेटे, सचिव बारूक को दिया।+ बारूक ने यिर्मयाह की कही बातें खर्रे* पर शब्द-ब-शब्द लिखीं। उसने उस खर्रे की सारी बातें लिखीं जिसे यहूदा के राजा यहोयाकीम ने आग में जला दिया था।+ खर्रे में इस तरह की और भी कई बातें जोड़ी गयीं।

37 योशियाह का बेटा सिदकियाह,+ यहोयाकीम के बेटे कोन्याह*+ की जगह राज करने लगा, क्योंकि बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने सिदकियाह को यहूदा देश का राजा बना दिया।+ 2 मगर राजा सिदकियाह और उसके सेवकों और देश के लोगों ने यहोवा की वे बातें नहीं मानीं, जो उसने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह से कहलवायी थीं।

3 राजा सिदकियाह ने शेलेम्याह के बेटे यहूकल+ और याजक मासेयाह के बेटे सपन्याह+ को भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के पास यह कहने भेजा: “मेहरबानी करके हमारी तरफ से हमारे परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना कर।” 4 यिर्मयाह को अब तक कैद नहीं किया गया था,+ इसलिए वह लोगों के बीच आज़ाद घूमता था। 5 उस दौरान, मिस्र से फिरौन की सेना निकल पड़ी+ और जब यह खबर यरूशलेम की घेराबंदी करनेवाले कसदियों को मिली, तो वे यरूशलेम छोड़कर चले गए।+ 6 तब यहोवा का यह संदेश भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के पास पहुँचा: 7 “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘यहूदा के राजा से, जिसने तुम्हें मेरी मरज़ी जानने के लिए भेजा है, कहना, “देखो! फिरौन की जो सेना तुम्हारी मदद करने आ रही है, उसे अपने देश मिस्र लौटना पड़ेगा।+ 8 और कसदी लोग वापस इस शहर में आएँगे और इस पर हमला करके कब्ज़ा कर लेंगे और इसे आग से फूँक देंगे।”+ 9 यहोवा कहता है, “तुम यह कहकर खुद को धोखा मत दो, ‘बेशक, कसदी लोग हम पर हमला करना छोड़कर चले जाएँगे,’ क्योंकि वे नहीं जाएँगे। 10 तुम चाहे हमला करनेवाले कसदियों में से सबको मार डालो तो भी उनमें से जो घायल आदमी बच जाएँगे, वे अपने तंबुओं में से उठकर आएँगे और इस शहर को आग से फूँक देंगे।”’”+

11 जब कसदी सेना फिरौन की सेना की वजह से यरूशलेम से घेराबंदी हटाकर चली गयी,+ 12 तो यिर्मयाह यरूशलेम से बिन्यामीन के इलाके में+ जाने के लिए रवाना हुआ ताकि वहाँ अपने लोगों के बीच से अपना भाग ले। 13 मगर जब भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह बिन्यामीन फाटक के पास पहुँचा तो पहरेदारों के अधिकारी यिरियाह ने, जो शेलेम्याह का बेटा और हनन्याह का पोता था, उसे यह कहकर पकड़ लिया, “तू हमारा साथ छोड़कर कसदियों के पास भागा जा रहा है!” 14 मगर यिर्मयाह ने कहा, “नहीं, यह झूठ है! मैं कसदियों का साथ देने नहीं भाग रहा हूँ।” मगर यिरियाह ने उसकी बात नहीं सुनी। उसने यिर्मयाह को पकड़ लिया और उसे हाकिमों के पास ले गया। 15 हाकिम यिर्मयाह पर आग-बबूला हो गए+ और उन्होंने उसे पीटा और सचिव यहोनातान के घर में कैद कर दिया।+ उसका घर कैदखाना बना दिया गया था। 16 यिर्मयाह को उस घर के तहखाने में डाल दिया गया जिसमें कई काल-कोठरियाँ थीं। वह बहुत दिनों तक वहीं पड़ा रहा।

17 फिर राजा सिदकियाह ने यिर्मयाह को अपने महल में बुलवाया और छिपकर उससे कुछ सवाल पूछे।+ उसने यिर्मयाह से पूछा, “क्या यहोवा की तरफ से कोई संदेश है?” यिर्मयाह ने कहा, “हाँ, है! तुझे बैबिलोन के राजा के हाथ में कर दिया जाएगा!”+

18 यिर्मयाह ने राजा सिदकियाह से यह भी कहा, “मैंने तेरे, तेरे सेवकों और इन लोगों के खिलाफ ऐसा क्या पाप किया है, जो तुम लोगों ने मुझे कैद में डाल दिया? 19 तुम्हारे वे भविष्यवक्‍ता कहाँ गए जिन्होंने तुम्हें यह भविष्यवाणी सुनायी थी, ‘बैबिलोन का राजा तुम पर और इस देश पर हमला करने नहीं आएगा’?+ 20 अब हे मेरे मालिक राजा, मेहरबानी करके सुन और मेरी यह बिनती स्वीकार कर। मुझे वापस सचिव यहोनातान के घर मत भेज,+ अगर मैं वहीं रहा तो मर जाऊँगा।”+ 21 इसलिए राजा सिदकियाह ने आदेश दिया कि यिर्मयाह को ‘पहरेदारों के आँगन’ में बंद किया जाए।+ वहाँ उसे हर दिन एक गोल रोटी दी जाती थी, जो नानबाइयों की गली से लायी जाती थी।+ जब तक शहर में रोटी थी तब तक यिर्मयाह को रोटी मिलती रही।+ यिर्मयाह ‘पहरेदारों के आँगन’ में ही रहा।

38 मत्तान के बेटे शपत्याह, पशहूर के बेटे गदल्याह, शेलेम्याह के बेटे यूकल+ और मल्कियाह के बेटे पशहूर+ ने यिर्मयाह को सब लोगों से यह कहते सुना: 2 “यहोवा कहता है, ‘जो कोई इस शहर में ही रहेगा वह तलवार, अकाल और महामारी* से मारा जाएगा।+ लेकिन जो कोई खुद को कसदियों के हवाले कर देगा* वह ज़िंदा रहेगा, अपनी जान बचा लेगा* और वह जीता रहेगा।’+ 3 यहोवा कहता है, ‘यह शहर ज़रूर बैबिलोन के राजा की सेना के हाथ में कर दिया जाएगा और वह इस पर कब्ज़ा कर लेगा।’”+

4 हाकिमों ने राजा से कहा, “इस आदमी को मरवा दे+ क्योंकि यह ऐसी बातें कहकर शहर में बचे सैनिकों और सब लोगों का हौसला तोड़ रहा है।* यह आदमी लोगों की भलाई नहीं बल्कि बुराई चाहता है।” 5 राजा सिदकियाह ने उनसे कहा, “देखो! वह तुम्हारे हाथ में है, तुम उसके साथ जो चाहे करो। राजा तुम्हें रोक नहीं सकता।”

6 इसलिए उन्होंने यिर्मयाह को पकड़ लिया और उसे राजा के बेटे मल्कियाह के कुंड में फेंक दिया। यह कुंड ‘पहरेदारों के आँगन’ में था।+ उन्होंने उसे रस्सों से नीचे उतार दिया। कुंड में बिलकुल पानी नहीं था, सिर्फ दलदल था और यिर्मयाह दलदल में धँसने लगा।

7 एबेद-मेलेक+ नाम के एक इथियोपियाई आदमी ने, जो राजमहल में एक खोजा* था, सुना कि हाकिमों ने यिर्मयाह को कुंड में डाल दिया है। उस वक्‍त राजा, बिन्यामीन फाटक के पास बैठा था।+ 8 तब एबेद-मेलेक राजमहल से निकलकर राजा के पास गया और उससे कहा, 9 “मेरे मालिक राजा, उन आदमियों ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के साथ बहुत बुरा किया, उसे कुंड में डाल दिया! वहाँ वह मर जाएगा क्योंकि शहर में अकाल पड़ा है, खाने के लिए रोटी कहीं नहीं है।”+

10 तब राजा ने इथियोपियाई एबेद-मेलेक को हुक्म दिया, “यहाँ से 30 आदमियों को लेकर जा और भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह को कुंड में से निकाल दे, इससे पहले कि वह मर जाए।” 11 तब एबेद-मेलेक अपने साथ आदमियों को लेकर राजमहल के खज़ाने के तलघर में गया+ और वहाँ से कुछ फटे-पुराने कपड़े और चिथड़े लिए। फिर उन्हें रस्सों से कुंड में यिर्मयाह के पास नीचे उतार दिए। 12 फिर इथियोपियाई एबेद-मेलेक ने यिर्मयाह से कहा, “अपनी दोनों बगलों के नीचे कपड़े और चिथड़े रख और फिर उनके ऊपर रस्से बाँध ले।” यिर्मयाह ने ऐसा ही किया। 13 फिर उन्होंने यिर्मयाह को रस्सों से ऊपर खींचा और कुंड से बाहर निकाला। इसके बाद यिर्मयाह ‘पहरेदारों के आँगन’ में रहा।+

14 राजा सिदकियाह ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह को यहोवा के भवन के तीसरे प्रवेश में बुलवाया। राजा ने यिर्मयाह से कहा, “मुझे तुझसे कुछ पूछना है। तू कुछ छिपाना मत।” 15 यिर्मयाह ने उससे कहा, “अगर मैं तुझे बताऊँ तो तू मुझे ज़रूर मार डालेगा। और अगर मैं तुझे कुछ सलाह दूँ तो तू नहीं मानेगा।” 16 तब राजा सिदकियाह ने अकेले में यिर्मयाह से शपथ खाकर कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ जिसने हमें यह जीवन दिया है, मैं तुझे नहीं मार डालूँगा और उन आदमियों के हवाले नहीं करूँगा जो तेरी जान के पीछे पड़े हैं।”

17 तब यिर्मयाह ने सिदकियाह से कहा, “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘अगर तू खुद को बैबिलोन के राजा के हाकिमों के हवाले कर देगा,* तो तुझे ज़िंदा छोड़ दिया जाएगा, यह शहर आग से नहीं जलाया जाएगा और तू और तेरा घराना जीवित रहेगा।+ 18 लेकिन अगर तू खुद को बैबिलोन के राजा के हाकिमों के हवाले नहीं करेगा,* तो यह शहर कसदियों के हाथ में कर दिया जाएगा। वे इसे आग से फूँक देंगे+ और तू उनके हाथ से नहीं बच पाएगा।’”+

19 राजा सिदकियाह ने यिर्मयाह से कहा, “मुझे उन यहूदियों से डर लगता है जो कसदियों के पास चले गए हैं, क्योंकि अगर मुझे उन यहूदियों के हवाले कर दिया गया तो वे मेरे साथ बहुत बेरहमी से पेश आएँगे।” 20 मगर यिर्मयाह ने कहा, “तुझे उनके हवाले नहीं किया जाएगा। इसलिए मैं तुझसे बिनती करता हूँ, तू यहोवा की बात मान ले जो मैं तुझे बता रहा हूँ। इससे तेरा भला होगा और तू ज़िंदा रहेगा। 21 लेकिन अगर तू खुद को कसदियों के हवाले नहीं करेगा,* तो सुन यहोवा ने मुझे क्या बताया है: 22 देख! यहूदा के राजमहल में जितनी औरतें बच गयी हैं उन सबको बैबिलोन के राजा के हाकिमों के पास लाया जा रहा है+ और वे तुझसे कह रही हैं,

‘जिन आदमियों पर तूने भरोसा किया था, उन्होंने तुझे धोखा दिया और तुझ पर हावी हो गए।+

उन्होंने तेरे पाँव कीचड़ में धँसा दिए।

और अब वे तुझे छोड़कर भाग गए हैं।’

23 और वे तेरी सारी पत्नियों और बेटों को कसदियों के पास ला रहे हैं। तू उनके हाथ से नहीं बचेगा। बैबिलोन का राजा तुझे पकड़ लेगा+ और तेरी वजह से यह शहर आग से जला दिया जाएगा।”+

24 फिर सिदकियाह ने यिर्मयाह से कहा, “तू किसी को इन बातों की खबर न होने देना, वरना तेरी जान की खैर नहीं। 25 अगर हाकिमों को पता चल जाए कि मैंने तुझसे बात की है और वे आकर तुझसे पूछें, ‘मेहरबानी करके हमें बता कि तूने राजा से क्या कहा। हमसे कुछ मत छिपा, हम तुझे नहीं मार डालेंगे।+ बता, राजा ने तुझसे क्या कहा,’ 26 तो तू उनसे कहना, ‘मैं राजा से गुज़ारिश करने गया था कि वह मुझे यहोनातान के घर वापस न भेजे ताकि मैं वहाँ मर न जाऊँ।’”+

27 कुछ समय बाद सारे हाकिम यिर्मयाह के पास आए और उससे सवाल करने लगे। उसने उन्हें वही बातें बतायीं जो राजा ने उसे कहने की आज्ञा दी थी। उन्होंने उससे और कुछ नहीं कहा क्योंकि किसी ने राजा और यिर्मयाह की बातचीत नहीं सुनी थी। 28 यरूशलेम पर कब्ज़ा होने के दिन तक यिर्मयाह ‘पहरेदारों के आँगन’+ में ही रहा।+

39 यहूदा के राजा सिदकियाह के राज के नौवें साल के दसवें महीने में, बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर* अपनी पूरी सेना के साथ यरूशलेम आया और उसे घेर लिया।+

2 सिदकियाह के राज के 11वें साल के चौथे महीने के नौवें दिन, उन्होंने शहरपनाह में दरार कर दी।+ 3 बैबिलोन के राजा के सभी हाकिम शहर के अंदर घुस गए और ‘बीचवाले फाटक’ के पास बैठ गए।+ ये हाकिम थे: नेरगल-शरेसेर जो समगर था, नबो-सर-सेकीम जो रबसारीस था,* नेरगल-शरेसेर जो रबमाग* था और बैबिलोन के राजा के बाकी सभी हाकिम।

4 जब यहूदा के राजा सिदकियाह और सभी सैनिकों ने उन्हें देखा, तो वे शहर से भाग गए।+ वे रात के वक्‍त उस फाटक से भाग निकले जो राजा के बाग के पास दो दीवारों के बीच था और अराबा के रास्ते से आगे बढ़ते गए।+ 5 मगर कसदी सेना ने उनका पीछा किया और यरीहो के वीरानों+ में सिदकियाह को पकड़ लिया। वे उसे बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के पास हमात देश+ के रिबला ले गए,+ जहाँ नबूकदनेस्सर ने उसे सज़ा सुनायी। 6 रिबला में बैबिलोन के राजा ने सिदकियाह की आँखों के सामने उसके बेटों को मरवा डाला और यहूदा के सब रुतबेदार लोगों को मरवा डाला।+ 7 फिर उसने सिदकियाह की आँखें फोड़ दीं और वह उसे ताँबे की बेड़ियों में जकड़कर बैबिलोन ले गया।+

8 फिर कसदियों ने राजमहल और यरूशलेम के सभी घर जलाकर राख कर दिए+ और यरूशलेम की शहरपनाह ढा दी।+ 9 शहर में जो लोग बचे थे, साथ ही जो लोग यहूदा के राजा का साथ छोड़कर बैबिलोन के राजा की तरफ चले गए थे, उन सबको पहरेदारों का सरदार नबूजरदान+ बंदी बनाकर बैबिलोन ले गया। उनके अलावा, देश के बाकी लोगों को भी वह ले गया।

10 मगर पहरेदारों के सरदार नबूजरदान ने यहूदा देश के कुछ ऐसे लोगों को छोड़ दिया जो बहुत गरीब थे और जिनके पास कुछ नहीं था। उस दिन उसने उन्हें अंगूरों के बाग और खेत दिए ताकि वे उनमें काम करें।*+

11 फिर बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने पहरेदारों के सरदार नबूजरदान को यिर्मयाह के बारे में यह आदेश दिया: 12 “इसे ले जा और इसकी देखभाल कर। इसके साथ कुछ बुरा न करना और यह तुझसे जो भी माँगे, दे देना।”+

13 इसलिए पहरेदारों के सरदार नबूजरदान, नबू-सजबान जो रबसारीस* था, नेरगल-शरेसेर जो रबमाग* था और बैबिलोन के राजा के सब बड़े-बड़े अधिकारियों ने अपने आदमी भेजे 14 और यिर्मयाह को ‘पहरेदारों के आँगन’ से निकलवाया+ और उसे अहीकाम के बेटे+ और शापान+ के पोते गदल्याह+ के हवाले किया ताकि उसे गदल्याह के घर ले जाया जाए। इस तरह यिर्मयाह लोगों के बीच रहने लगा।

15 जब यिर्मयाह ‘पहरेदारों के आँगन’ में कैद था,+ तब यहोवा का यह संदेश उसके पास पहुँचा: 16 “इथियोपियाई एबेद-मेलेक+ के पास जा और उससे कह, ‘सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “मैंने कहा था कि मैं इस शहर पर विपत्ति लाऊँगा, इसके साथ कोई भलाई नहीं करूँगा। अब मैं अपनी बात पूरी करने जा रहा हूँ। जिस दिन मैं ऐसा करूँगा उस दिन तू यह देखेगा।”’

17 ‘मगर तुझे मैं उस दिन बचाऊँगा। तू उन लोगों के हाथ में नहीं किया जाएगा जिनसे तू डरता है।’ यहोवा का यह ऐलान है।

18 ‘मैं ज़रूर तेरी हिफाज़त करूँगा, तू तलवार से नहीं मारा जाएगा। तेरी जान सलामत रहेगी*+ क्योंकि तूने मुझ पर भरोसा किया है।’+ यहोवा का यह ऐलान है।”

40 जब पहरेदारों के सरदार नबूजरदान+ ने यिर्मयाह को रामाह+ में आज़ाद कर दिया तो इसके बाद यहोवा का संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा। दरअसल यिर्मयाह यरूशलेम और यहूदा के उन लोगों में मिल गया था जिन्हें बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया जा रहा था। इसलिए नबूजरदान, यिर्मयाह को भी बेड़ियों में जकड़कर रामाह ले गया था। 2 पहरेदारों के सरदार ने जब यिर्मयाह को आज़ाद किया तो वह उसे एक तरफ ले गया और उससे कहा, “तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि इस जगह पर यह विपत्ति आएगी और 3 यहोवा ने जैसा कहा था वैसा ही किया, क्योंकि तुम लोगों ने यहोवा के खिलाफ पाप किया और उसकी बात नहीं मानी। इसीलिए तुम्हारी यह हालत हुई है।+ 4 अब मैं तेरे हाथों की बेड़ियाँ खोलकर तुझे आज़ाद कर रहा हूँ। अगर तुझे ठीक लगे तो मेरे साथ बैबिलोन आ सकता है, मैं तेरी देखभाल करूँगा। लेकिन अगर तू बैबिलोन नहीं आना चाहता, तो मत आ। देख! यह पूरा देश तेरे सामने पड़ा है। तू जहाँ चाहे वहाँ जा सकता है।”+

5 यिर्मयाह लौटने से झिझक रहा था इसलिए नबूजरदान ने उससे कहा, “तू अहीकाम के बेटे+ और शापान+ के पोते गदल्याह के पास चला जा+ जिसे बैबिलोन के राजा ने यहूदा के शहरों का अधिकारी ठहराया है। तू उसके साथ लोगों के बीच रह। अगर तू उसके पास नहीं जाना चाहता तो जहाँ तेरा जी चाहे वहाँ जा।”

फिर पहरेदारों के सरदार ने उसे कुछ खाना और एक तोहफा देकर जाने दिया। 6 तब यिर्मयाह अहीकाम के बेटे गदल्याह के पास मिसपा गया+ और उसके साथ उन लोगों के बीच रहने लगा जो देश में बच गए थे।

7 कुछ समय बाद देहात में रहनेवाले सभी सेनापतियों और उनके आदमियों ने सुना कि बैबिलोन के राजा ने अहीकाम के बेटे गदल्याह को देश का अधिकारी ठहराया है, उसने गदल्याह को देश के उन सभी गरीब आदमी-औरतों और बच्चों का अधिकारी ठहराया है जिन्हें बैबिलोन की बँधुआई में नहीं भेजा गया था।+ 8 वे सेनापति और उनके आदमी गदल्याह के पास मिसपा आए।+ ये थे नतन्याह का बेटा इश्‍माएल,+ कारेह के बेटे योहानान+ और योनातान, तनहूमेत का बेटा सरायाह, नतोपा के रहनेवाले एपै के बेटे, एक माकाती आदमी का बेटा याजन्याह+ और उनके आदमी। 9 अहीकाम के बेटे और शापान के पोते गदल्याह ने शपथ खाकर सेनापतियों और उनके आदमियों से कहा, “तुम लोग कसदियों के सेवक बनने से मत डरो। तुम इसी देश में रहो और बैबिलोन के राजा की सेवा करो। तुम्हें कुछ नहीं होगा, तुम सलामत रहोगे।+ 10 और मैं यहाँ मिसपा में रहकर तुम्हारी तरफ से उन कसदियों से बात करूँगा* जो हमारे पास आते हैं। मगर तुम लोग दाख-मदिरा, गरमियों के फल और तेल इकट्ठा करना और उन्हें बरतनों में जमा करना और उन शहरों में बस जाना जिन्हें तुमने अपने अधिकार में किया है।”+

11 मोआब, अम्मोन, एदोम और दूसरे देशों में रहनेवाले यहूदियों ने भी सुना कि बैबिलोन के राजा ने यहूदा में कुछ लोगों को रहने दिया है और उन पर अहीकाम के बेटे और शापान के पोते गदल्याह को अधिकारी ठहराया है। 12 इसलिए वे सब यहूदी उन सारी जगहों से, जहाँ वे तितर-बितर हो गए थे, यहूदा देश लौटने लगे। वे सब गदल्याह के पास मिसपा आए। और उन्होंने बड़ी तादाद में दाख-मदिरा और गरमियों के फल इकट्ठा किए।

13 कारेह का बेटा योहानान और देहात में रहनेवाले सभी सेनापति गदल्याह के पास मिसपा आए। 14 उन्होंने उससे कहा, “क्या तू जानता है कि अम्मोनियों के राजा+ बालीस ने नतन्याह के बेटे इश्‍माएल को तुझे मार डालने भेजा है?”+ मगर अहीकाम के बेटे गदल्याह ने उनका यकीन नहीं किया।

15 तब कारेह के बेटे योहानान ने मिसपा में गदल्याह से चुपके से कहा, “मुझे जाकर नतन्याह के बेटे इश्‍माएल को मार डालने दे। किसी को पता नहीं चलेगा। वरना वह तुझे मार डालेगा और यहूदा के जितने लोग तेरे पास इकट्ठा हुए हैं वे सब तितर-बितर हो जाएँगे और यहूदा के बचे हुए मिट जाएँगे।” 16 मगर अहीकाम के बेटे गदल्याह+ ने कारेह के बेटे योहानान से कहा, “नहीं, तू ऐसा नहीं करेगा। तू इश्‍माएल के बारे में जो कह रहा है वह झूठ है।”

41 मगर सातवें महीने में नतन्याह का बेटा और एलीशामा का पोता इश्‍माएल,+ अहीकाम के बेटे गदल्याह के पास मिसपा आया।+ इश्‍माएल शाही खानदान से था* और राजा के खास आदमियों में से था। वह अपने साथ दस और आदमियों को लाया। जब वे सब मिलकर मिसपा में खाना खा रहे थे, 2 तो नतन्याह का बेटा इश्‍माएल और उसके साथ आए दस आदमी उठे और उन्होंने अहीकाम के बेटे और शापान के पोते गदल्याह को तलवार से मार डाला। इस तरह इश्‍माएल ने उस आदमी को मार डाला जिसे बैबिलोन के राजा ने देश का अधिकारी ठहराया था। 3 इश्‍माएल ने उन सारे यहूदियों को भी मार डाला जो मिसपा में गदल्याह के साथ थे और उन कसदी सैनिकों को भी जो वहाँ थे।

4 गदल्याह के कत्ल के दूसरे दिन, जब किसी को इसकी खबर नहीं थी, 5 शेकेम,+ शीलो+ और सामरिया+ से 80 आदमी आए। उन्होंने अपनी दाढ़ी मुँड़ा ली थी,+ अपने कपड़े फाड़े थे और शरीर पर घाव किए थे। वे अपने हाथ में अनाज के चढ़ावे और लोबान लिए हुए थे+ ताकि यहोवा के भवन में चढ़ाएँ। 6 तब नतन्याह का बेटा इश्‍माएल रोता हुआ मिसपा से निकलकर उनसे मिलने गया। जब इश्‍माएल उनसे मिला तो उसने कहा, “तुम अहीकाम के बेटे गदल्याह के पास चलो।” 7 मगर जब वे शहर में आए तो नतन्याह के बेटे इश्‍माएल और उसके आदमियों ने उन्हें मार डाला और उनकी लाशें कुंड में फेंक दीं।

8 मगर वहाँ आए आदमियों में से दस ने इश्‍माएल से कहा था, “हमें मत मारो, क्योंकि हमारे पास ढेर सारा गेहूँ, जौ, तेल और शहद है। हमने यह सब खेतों में छिपा रखा है।” इसलिए इश्‍माएल ने उन्हें और उनके भाइयों को नहीं मार डाला। 9 इश्‍माएल ने जितने आदमियों को मार डाला था, उनकी लाशें एक बड़े कुंड में फेंक दीं। यह वही कुंड था जो राजा आसा ने इसराएल के राजा बाशा की वजह से बनाया था।+ उस कुंड को नतन्याह के बेटे इश्‍माएल ने मारे गए आदमियों की लाशों से भर दिया।

10 इश्‍माएल ने मिसपा में बचे हुए लोगों को बंदी बना लिया।+ उनमें राजा की बेटियाँ और मिसपा के बचे हुए लोग भी थे जिन्हें पहरेदारों के सरदार नबूजरदान ने अहीकाम के बेटे गदल्याह के हाथ में सौंपा था।+ नतन्याह का बेटा इश्‍माएल उन सब बंदियों को उस पार अम्मोनियों के यहाँ ले जाने के लिए निकल पड़ा।+

11 जब कारेह के बेटे योहानान+ और उसके साथवाले सभी सेनापतियों ने उन सारे दुष्ट कामों के बारे में सुना जो नतन्याह के बेटे इश्‍माएल ने किए थे, 12 तो वे सब अपने आदमियों को लेकर नतन्याह के बेटे इश्‍माएल से लड़ने निकल पड़े। उन्होंने इश्‍माएल को गिबोन में उस जगह पाया जहाँ बहुत पानी* था।

13 इश्‍माएल के साथ जो लोग थे, उन्होंने जब कारेह के बेटे योहानान और उसके साथवाले सारे सेनापतियों को देखा, तो वे बहुत खुश हुए। 14 तब ये सब लोग, जिन्हें इश्‍माएल बंदी बनाकर मिसपा से लाया था,+ पलटकर कारेह के बेटे योहानान के पास चले गए। 15 मगर नतन्याह का बेटा इश्‍माएल और उसके आदमियों में से आठ जन योहानान के हाथ से बच निकले और अम्मोनियों के पास भाग गए।

16 जब नतन्याह के बेटे इश्‍माएल ने अहीकाम के बेटे गदल्याह को मार डाला,+ तो उसके बाद कारेह के बेटे योहानान और उसके साथवाले सारे सेनापतियों ने मिसपा के उन सभी लोगों को लिया, जिन्हें उन्होंने इश्‍माएल के हाथ से बचाया था। वे उन सैनिकों, आदमियों, औरतों, बच्चों और दरबारियों को गिबोन से वापस ले आए। 17 वे बेतलेहेम+ के पास किमहाम की सराय में रुके। उन्होंने मिस्र जाने का इरादा कर लिया था+ 18 क्योंकि वे कसदियों से डर गए थे। वे इसलिए डर गए थे क्योंकि नतन्याह के बेटे इश्‍माएल ने अहीकाम के बेटे गदल्याह को मार डाला, जिसे बैबिलोन के राजा ने देश का अधिकारी ठहराया था।+

42 फिर सारे सेनापति और कारेह का बेटा योहानान,+ होशायाह का बेटा याजन्याह और छोटे-बड़े, सब लोग 2 भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के पास गए और उससे कहने लगे, “मेहरबानी करके हमारी तरफ से, हम बचे हुए सब लोगों की तरफ से अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना कर। जैसा कि तू देख सकता है, हम थोड़े ही लोग बचे हैं।+ 3 तेरा परमेश्‍वर यहोवा हमें बताए कि हमें क्या करना चाहिए, कौन-सा रास्ता अपनाना चाहिए।”

4 भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने उनसे कहा, “ठीक है, जैसा तुमने कहा, मैं तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना करूँगा। और यहोवा जो-जो कहेगा, वह सब मैं तुम्हें बताऊँगा। एक भी बात नहीं छिपाऊँगा।”

5 उन्होंने यिर्मयाह से कहा, “तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरे ज़रिए हमें जो हिदायत देगा, हम ठीक वैसा ही करेंगे। अगर हमने ऐसा नहीं किया, तो यहोवा इस बात का सच्चा और भरोसेमंद गवाह ठहरे और हमें सज़ा दे। 6 हम अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात ज़रूर मानेंगे, जिसके पास हम तुझे भेज रहे हैं, फिर चाहे उसकी आज्ञा हमें पसंद आए या न आए ताकि अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानने से हमारा भला हो।”

7 दस दिन बाद यहोवा का संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा। 8 तब यिर्मयाह ने कारेह के बेटे योहानान, उसके साथवाले सारे सेनापतियों और छोटे-बड़े, सब लोगों को अपने पास बुलवाया।+ 9 उसने उनसे कहा, “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा, जिसके पास तुमने मुझे इसलिए भेजा कि मैं तुम्हारी खातिर उससे बिनती करूँ, कहता है, 10 ‘अगर तुम इस देश में ही रहोगे, तो मैं तुम्हें बनाऊँगा और नहीं ढाऊँगा, तुम्हें लगाऊँगा और जड़ से नहीं उखाड़ूँगा क्योंकि मैं तुम पर जो विपत्ति ले आया था उस पर मुझे दुख होगा।*+ 11 तुम जो बैबिलोन के राजा से डरते हो, मत डरो।’+

यहोवा ऐलान करता है, ‘तुम उसकी वजह से मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हें बचाने और उसके हाथ से छुड़ाने के लिए तुम्हारे साथ हूँ। 12 मैं तुम पर दया करूँगा+ और वह भी तुम पर दया करेगा और तुम्हें तुम्हारे देश में वापस भेज देगा।

13 लेकिन अगर तुम कहोगे, “नहीं, हम इस देश में नहीं रहेंगे!” और यह कहकर अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा तोड़ोगे: 14 “हम मिस्र ही जाएँगे,+ जहाँ हमें न लड़ाई देखनी पड़ेगी, न नरसिंगे की आवाज़ सुननी पड़ेगी, न ही हम रोटी के लिए तरसेंगे। हम वहीं जाकर रहेंगे,” 15 तो हे यहूदा के बचे हुए लोगो, यहोवा का संदेश सुनो। सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “अगर तुमने मिस्र जाने का पक्का इरादा कर लिया है और तुम वहीं जाकर बस जाओगे,* 16 तो जिस तलवार से तुम डरते हो, वह मिस्र में तुम पर आ पड़ेगी और जिस अकाल से तुम डरते हो, वह तुम्हारा पीछा करता हुआ मिस्र तक पहुँच जाएगा और तुम वहाँ मर जाओगे।+ 17 जितने लोगों ने मिस्र जाकर रहने की ठान ली है वे सब तलवार, अकाल और महामारी* से मारे जाएँगे। मैं उन पर विपत्ति ले आऊँगा और ऐसा कोई न होगा जो उस विपत्ति का शिकार न हो या उससे ज़िंदा बच निकले।”’

18 क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘अगर तुम मिस्र गए तो तुम पर मेरे क्रोध का प्याला उँडेला जाएगा, ठीक जैसे मेरे गुस्से और क्रोध का प्याला यरूशलेम के निवासियों पर उँडेला गया था।+ तुम शापित ठहरोगे, तुम्हारा ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा, तुम्हें बददुआ दी जाएगी, तुम्हारी बदनामी होगी+ और तुम फिर कभी यह जगह नहीं देख पाओगे।’

19 हे यहूदा के बचे हुए लोगो, यहोवा ने कहा है कि तुम मिस्र मत जाओ। जान लो कि आज मैंने तुम्हें खबरदार किया है 20 कि अगर तुमने वहाँ जाने की गलती की तो तुम्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, तुम जान से हाथ धो बैठोगे। तुमने मुझे यह कहकर अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास भेजा था, ‘हमारी तरफ से हमारे परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना कर। हम वही करेंगे जो हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमसे कहेगा।’+ 21 और आज मैंने तुम्हें बता दिया है, मगर तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा नहीं मानोगे, उसने मेरे ज़रिए तुमसे जो-जो कहा है उनमें से एक भी बात नहीं मानोगे।+ 22 इसलिए तुम यह पक्के तौर पर जान लो कि तुम जिस जगह जाकर बस जाना चाहते हो, वहाँ तलवार, अकाल और महामारी से मारे जाओगे।”+

43 यिर्मयाह ने सब लोगों को ये सारी बातें बतायीं जो उनके परमेश्‍वर यहोवा ने कही थीं। उसने उन्हें हर वह बात बतायी जो उनके परमेश्‍वर यहोवा ने उसे बताने के लिए भेजा था। जब वह यह कह चुका, 2 तो होशायाह के बेटे अजरयाह, कारेह के बेटे योहानान+ और सभी गुस्ताख आदमियों ने यिर्मयाह से कहा, “तू झूठ बोल रहा है! हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझे यह कहने के लिए नहीं भेजा, ‘मिस्र मत जाओ, वहाँ मत बसो।’ 3 वह नेरियाह का बेटा बारूक+ तुझे हमारे खिलाफ भड़का रहा है ताकि हम कसदियों के हवाले कर दिए जाएँ, वे हमें मार डालें या बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाएँ।”+

4 कारेह के बेटे योहानान और सब सेनापतियों और लोगों ने यहोवा की यह आज्ञा नहीं मानी कि वे यहूदा में ही रहें। 5 इसके बजाय, कारेह के बेटे योहानान और सब सेनापतियों ने बचे हुए लोगों को लिया। ये वे लोग थे जो उन देशों से यहूदा में बसने के लिए लौट आए थे, जहाँ उन्हें तितर-बितर किया गया था।+ 6 उन्होंने आदमियों, औरतों, बच्चों, राजा की बेटियों और ऐसे हर किसी को लिया जिसे पहरेदारों के सरदार नबूजरदान+ ने अहीकाम के बेटे+ और शापान+ के पोते गदल्याह की निगरानी में छोड़ा था।+ उन्होंने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह और नेरियाह के बेटे बारूक को भी लिया। 7 और वे यहोवा की आज्ञा तोड़कर मिस्र चले गए। वे दूर तहपनहेस तक चले गए।+

8 फिर तहपनहेस में यहोवा का यह संदेश यिर्मयाह के पास पहुँचा: 9 “तू अपने हाथ में बड़े-बड़े पत्थर ले और उन्हें तहपनहेस में फिरौन के घर के प्रवेश के पास ईंटों के चबूतरे में छिपा दे और उन पर गारा लगा दे। तू यहूदी आदमियों के देखते ऐसा करना। 10 फिर तू उनसे कहना, ‘सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “अब मैं अपने सेवक बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* को बुलवा रहा हूँ।+ मैं उसकी राजगद्दी इन्हीं पत्थरों के ऊपर रखूँगा जो मैंने छिपाए हैं और वह उन पर अपना शाही तंबू तानेगा।+ 11 वह आएगा और मिस्र पर वार करेगा।+ जिनके लिए जानलेवा महामारी तय है वे महामारी के हवाले किए जाएँगे, जिनके लिए बँधुआई तय है वे बँधुआई में भेज दिए जाएँगे और जिनके लिए तलवार तय है वे तलवार के हवाले किए जाएँगे।+ 12 मैं मिस्र के देवताओं के मंदिरों को आग लगा दूँगा।+ वह उन मंदिरों को जला देगा और देवताओं को बंदी बनाकर ले जाएगा। वह मिस्र देश को खुद पर ऐसे ओढ़ लेगा जैसे कोई चरवाहा अपना कपड़ा ओढ़ लेता है और वह सही-सलामत* वहाँ से निकल जाएगा। 13 वह मिस्र के बेत-शेमेश* के खंभों को चूर-चूर कर देगा और मिस्र के देवताओं के मंदिरों को आग से जला देगा।”’”

44 यिर्मयाह को उन सभी यहूदियों के लिए एक संदेश मिला जो मिस्र+ के मिगदोल,+ तहपनहेस,+ नोप*+ और पत्रोस के इलाके में रहते थे।+ वह संदेश था: 2 “सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तुम लोगों ने वे सारी विपत्तियाँ देखी हैं जो मैं यरूशलेम+ और यहूदा के सब शहरों पर ला चुका हूँ। आज ये इलाके खंडहर बन गए हैं और वहाँ एक भी निवासी नहीं है।+ 3 ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तुम लोगों ने दुष्ट काम करके मेरा क्रोध भड़काया। तुमने जाकर उन दूसरे देवताओं के लिए बलिदान चढ़ाए+ और उनकी सेवा की जिन्हें न तुम जानते हो और न तुम्हारे बाप-दादे जानते थे।+ 4 मैं बार-बार अपने सेवकों को, अपने भविष्यवक्‍ताओं को तुम्हारे पास भेजकर* तुमसे बिनती करता रहा, “तुम यह घिनौना काम मत करो जिससे मुझे नफरत है।”+ 5 मगर तुमने मेरी बात नहीं सुनी, न ही मेरी तरफ कान लगाया कि दूसरे देवताओं के आगे बलिदान चढ़ाने के दुष्ट काम से फिर सको।+ 6 इसलिए मेरे गुस्से और क्रोध का प्याला उँडेला गया और यहूदा के शहर और यरूशलेम की गलियाँ जलकर राख हो गयीं और वे आज तक खंडहर और वीरान पड़े हैं।’+

7 अब सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तुम क्यों खुद पर एक बड़ी विपत्ति लाना चाहते हो जिससे हर आदमी, औरत, बच्चा और दूध पीता बच्चा यहूदा से मिट जाए और कोई न बचे? 8 तुम मिस्र में, जहाँ तुम बसने गए हो, क्यों अपने हाथों से दूसरे देवताओं को बलिदान चढ़ाकर मेरा क्रोध भड़का रहे हो? तुम नाश हो जाओगे और धरती के सब राष्ट्रों में शापित ठहरोगे और बदनाम हो जाओगे।+ 9 क्या तुम भूल गए कि यहूदा देश में और यरूशलेम की गलियों में तुम्हारे पुरखों ने और यहूदा के राजाओं+ और उनकी पत्नियों+ ने कैसे दुष्ट काम किए थे? और क्या तुम भूल गए कि खुद तुमने और तुम्हारी पत्नियों ने कैसे दुष्ट काम किए हैं?+ 10 आज तक भी तुमने खुद को नम्र नहीं किया,* मेरा डर बिलकुल नहीं माना+ और न ही तुम मेरे कानून और मेरी विधियों पर चले जो मैंने तुम्हें और तुम्हारे पुरखों को दी थीं।’+

11 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैंने ठान लिया है कि मैं तुम पर विपत्ति ले आऊँगा ताकि पूरा यहूदा नाश हो जाए। 12 और मैं यहूदा के उन बचे हुए लोगों को पकड़ूँगा जिन्होंने मिस्र जाकर बसने की ठान ली थी। वे सब मिस्र में नाश हो जाएँगे।+ वे तलवार और अकाल से मारे जाएँगे, छोटे-बड़े सब तलवार और अकाल से मारे जाएँगे। वे शापित ठहरेंगे, उनका ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा, उन्हें बददुआ दी जाएगी और उनकी बदनामी होगी।+ 13 मैं मिस्र में रहनेवालों को तलवार, अकाल और महामारी* से सज़ा दूँगा, ठीक जैसे मैंने यरूशलेम को सज़ा दी थी।+ 14 और यहूदा के जो बचे हुए लोग मिस्र में बसने गए हैं वे न बच पाएँगे और न ही यहूदा देश लौटने के लिए ज़िंदा रहेंगे। वे यहूदा लौटने और वहाँ बसने के लिए तरसेंगे, मगर नहीं लौटेंगे। सिर्फ चंद लोग ही बचेंगे और लौटेंगे।’”

15 तब उन सभी आदमियों ने, जो जानते थे कि उनकी पत्नियाँ दूसरे देवताओं को बलिदान चढ़ाती हैं और वहाँ खड़ी उनकी सभी पत्नियों की बड़ी टोली ने और मिस्र के पत्रोस में रहनेवाले सब लोगों+ ने यिर्मयाह से कहा, 16 “तूने यहोवा के नाम से हमसे जो कहा है हम उसके मुताबिक काम नहीं करेंगे। 17 इसके बजाय, हमने जो कहा है हम वही करेंगे। हम स्वर्ग की रानी* के आगे बलिदान और अर्घ चढ़ाएँगे।+ जब हम यहूदा के शहरों और यरूशलेम की गलियों में ऐसा करते थे तो हमें और हमारे पुरखों, राजाओं और हाकिमों को भरपेट रोटी मिलती थी, हमें किसी चीज़ की कमी नहीं थी और हम पर कभी कोई विपत्ति नहीं आती थी। 18 जब से हमने स्वर्ग की रानी* के आगे बलिदान और अर्घ चढ़ाना बंद कर दिया तब से हमें हर चीज़ की कमी होने लगी और हम तलवार और अकाल से नाश हो गए हैं।”

19 और उन औरतों ने कहा, “जब हम स्वर्ग की रानी* के लिए बलिदान और अर्घ चढ़ाती थीं तो क्या हम अपने पतियों की इजाज़त के बगैर ऐसा करती थीं? क्या हम उनकी इजाज़त के बगैर उस देवी की मूरत के आकार की टिकियाँ बनाकर बलिदान चढ़ाती थीं और उसके लिए अर्घ चढ़ाती थीं?”

20 तब यिर्मयाह ने उससे बात करनेवाले सब लोगों से, उन आदमियों और उनकी पत्नियों से कहा, 21 “तुम और तुम्हारे बाप-दादे, तुम्हारे राजा, हाकिम और देश के लोग यहूदा के शहरों और यरूशलेम की गलियों में जो बलिदान चढ़ाते थे,+ उन्हें यहोवा ने याद किया और वे उसके ध्यान* में आए! 22 और ऐसा वक्‍त आया जब यहोवा तुम्हारे दुष्ट और घिनौने कामों को और बरदाश्‍त न कर सका। तुम्हारा देश उजड़ गया, उसका ऐसा हश्र हुआ कि देखनेवालों का दिल दहल गया, वह शापित ठहरा और वहाँ एक भी निवासी नहीं बचा और उसका आज भी यही हाल है।+ 23 ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि तुमने ये बलिदान चढ़ाए और यहोवा के खिलाफ पाप किया। तुमने यहोवा की बात, उसका कानून और उसकी विधियाँ नहीं मानीं और जो हिदायतें उसने याद दिलायीं उन पर तुम नहीं चले। इसीलिए तुम पर यह विपत्ति आ पड़ी है और आज तक है।”+

24 यिर्मयाह ने सब लोगों से और सब औरतों से यह भी कहा, “मिस्र में रहनेवाले यहूदा के सब लोगो, यहोवा का संदेश सुनो। 25 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘तुमने और तुम्हारी पत्नियों ने अपने मुँह से जो कहा उसे अपने हाथों से पूरा किया। तुमने कहा, “हमने स्वर्ग की रानी* को बलिदान और अर्घ चढ़ाने की मन्‍नतें मानी थीं और हम उन्हें ज़रूर पूरा करेंगे।”+ औरतो, तुम अपनी मन्‍नतें ज़रूर पूरी करोगी, तुमने जैसी मन्‍नतें मानी हैं वैसा ज़रूर करोगी।’

26 इसलिए मिस्र में रहनेवाले यहूदा के सब लोगो, यहोवा का संदेश सुनो: ‘यहोवा कहता है, “मैं अपने महान नाम की शपथ खाकर कहता हूँ कि पूरे मिस्र में फिर कभी यहूदा का कोई भी आदमी मेरे नाम से यह कहकर शपथ नहीं खाएगा, ‘सारे जहान के मालिक यहोवा के जीवन की शपथ!’+ 27 अब मैं उन पर नज़र रखे हुए हूँ, इसलिए नहीं कि उनके साथ भलाई करूँ बल्कि इसलिए कि उन पर विपत्ति ले आऊँ।+ मिस्र में रहनेवाले यहूदा के सब लोग तलवार और अकाल से तब तक नाश होते जाएँगे जब तक कि वे मिट न जाएँ।+ 28 सिर्फ कुछ ही लोग तलवार से बच जाएँगे और मिस्र से यहूदा लौट जाएँगे।+ तब यहूदा के बचे हुए सब लोग जो मिस्र में रहने गए थे, जान जाएँगे कि किसकी बात सच हुई, उनकी या मेरी!”’”

29 “यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं इस जगह पर तुम्हें सज़ा दूँगा और मैं इसकी एक निशानी देता हूँ जिससे तुम जान लोगे कि मैंने तुम पर विपत्ति लाने की जो बात कही है वह ज़रूर पूरी होगी। 30 यहोवा कहता है, “मैं मिस्र के राजा फिरौन होप्रा को उसके दुश्‍मनों और उन लोगों के हाथ में करनेवाला हूँ जो उसकी जान के पीछे पड़े हैं, ठीक जैसे मैंने यहूदा के राजा सिदकियाह को बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ कर दिया जो उसका दुश्‍मन था और उसकी जान के पीछे पड़ा था।”’”+

45 योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज के चौथे साल,+ भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने नेरियाह के बेटे बारूक+ को यह संदेश सुनाया और बारूक ने वही संदेश शब्द-ब-शब्द लिखा:+

2 “बारूक, तेरे बारे में इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, 3 ‘तू कहता है, “हाय! मेरे साथ यह क्या हुआ। यहोवा ने मेरा दर्द बढ़ा दिया है! मैं कराहते-कराहते पस्त हो गया हूँ, मुझे कहीं चैन नहीं।”’

4 तू उससे कहना, ‘यहोवा कहता है, “देख! इस पूरे देश को जिसे मैंने बनाया है ढा रहा हूँ, जिसे मैंने लगाया है जड़ से उखाड़ रहा हूँ।+ 5 मगर तू बड़ी-बड़ी चीज़ों की ख्वाहिश* कर रहा है। ऐसी ख्वाहिश करना बंद कर।”’

‘क्योंकि मैं सब इंसानों पर एक विपत्ति लानेवाला हूँ।+ तू जहाँ कहीं जाएगा, मैं तेरी जान सलामत रखूँगा।’* यहोवा का यह ऐलान है।”+

46 यहोवा का यह संदेश भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के पास पहुँचा, जो राष्ट्रों के बारे में है:+ 2 यह संदेश मिस्र के लिए है।+ योशियाह के बेटे और यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज के चौथे साल,+ मिस्र के राजा फिरौन निको+ की सेना फरात नदी के किनारे थी और बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने उसे कर्कमीश में हरा दिया था। यह संदेश उसी सेना के बारे में है:

 3 “तुम अपनी छोटी ढालें* और बड़ी ढालें तैयार करो,

युद्ध के लिए आगे बढ़ो।

 4 घुड़सवारो, घोड़ों पर साज डालो, उन पर चढ़ जाओ।

टोप पहनकर अपनी-अपनी जगह तैनात हो जाओ।

बरछे पैने करो, बख्तर पहन लो।

 5 यहोवा ऐलान करता है, ‘वे लोग डरे-सहमे क्यों दिख रहे हैं?

वे मैदान छोड़कर भाग रहे हैं, उनके योद्धा कुचल दिए गए हैं।

वे डर के मारे भाग गए हैं, उनके योद्धा मुड़कर भी नहीं देखते।

चारों तरफ आतंक-ही-आतंक है।’

 6 ‘न तेज़ दौड़नेवाले भाग पाएँगे, न योद्धा बच सकेंगे।

उत्तर में, फरात नदी के किनारे

वे ठोकर खाकर गिर पड़े हैं।’+

 7 यह कौन है जो नील नदी की तरह उमड़ता हुआ आ रहा है,

उफनती नदियों की तरह बढ़ा आ रहा है?

 8 यह मिस्र है जो नील नदी की तरह उमड़ता हुआ आ रहा है,+

उफनती नदियों की तरह बढ़ा आ रहा है

और कहता है, ‘मैं उमड़ पड़ूँगा, सारी धरती ढाँप दूँगा।

इस शहर और इसमें रहनेवालों को नाश कर दूँगा।’

 9 घोड़ो, आगे बढ़ो!

रथो, तेज़ी से दौड़ो!

योद्धाओं को आगे बढ़ने दो,

कूश और पुट को आगे बढ़ने दो, जो ढाल पकड़े हुए हैं,+

लूदियों+ को आगे बढ़ने दो, जो कमान चढ़ाते और कुशलता से तीर चलाते हैं।+

10 वह दिन सारे जहान के मालिक, सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का दिन है, जब वह अपने दुश्‍मनों से बदला लेगा। तलवार उन्हें जी-भरकर खाएगी और उनके खून से अपनी प्यास बुझाएगी, क्योंकि सारे जहान के मालिक, सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने उत्तर के देश में फरात नदी+ के किनारे एक बलिदान तैयार किया है।

11 हे मिस्र की कुँवारी बेटी,

ऊपर गिलाद जाकर बलसाँ ले आ।+

तू बेकार में इतने इलाज करा रही है,

क्योंकि तेरी बीमारी की कोई दवा नहीं।+

12 राष्ट्रों ने सुना है कि तेरी कितनी बेइज़्ज़ती हुई है,+

तेरी चीख-पुकार देश-भर में गूँज रही है।

योद्धा, योद्धा से ठोकर खाता है

और दोनों साथ गिर पड़ते हैं।”

13 यहोवा ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह को संदेश दिया कि बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर* मिस्र देश पर हमला करने आ रहा है:+

14 “मिस्र में इसका ऐलान करो, मिगदोल में सुनाओ।+

नोप* और तहपनहेस में सुनाओ।+

कहो, ‘अपनी-अपनी जगह तैनात हो जाओ, तैयार हो जाओ,

क्योंकि एक तलवार तुम्हारे चारों तरफ सबको खा जाएगी।

15 तेरे ताकतवर आदमी क्यों मिट गए?

वे अपनी जगह टिक नहीं पाए,

क्योंकि यहोवा ने उन्हें धकेलकर गिरा दिया।

16 उनकी भीड़-की-भीड़ ठोकर खाकर गिर रही है।

वे एक-दूसरे से कह रहे हैं,

“उठो! आओ हम अपने लोगों के पास, अपने देश लौट जाएँ

क्योंकि यह तलवार बहुत भयानक है।”’

17 उन्होंने वहाँ ऐलान किया है,

‘मिस्र का राजा फिरौन बस बड़बोला है,

उसने मौका* हाथ से गँवा दिया है।’+

18 वह राजा, जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है, ऐलान करता है,

‘मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ,

उसका* आना ऐसा होगा, जैसे पहाड़ों के बीच ताबोर है,+

समुंदर किनारे करमेल है।+

19 हे मिस्र में रहनेवाली बेटी,

बँधुआई में जाने के लिए अपना सामान बाँध ले।

क्योंकि नोप* का ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा,

इसे आग लगा दी जाएगी,* यहाँ कोई निवासी नहीं बचेगा।+

20 मिस्र एक सुंदर कलोर जैसी है,

मगर उत्तर से काटनेवाले कीड़े आकर उस पर टूट पड़ेंगे।

21 उसके किराए के सैनिक भी मोटे किए बछड़ों जैसे हैं,

मगर वे भी पीठ दिखाकर भाग गए।

वे अपनी जगह टिक नहीं पाए,+

क्योंकि उन पर संकट का दिन आ पड़ा है,

उनसे हिसाब लेने का समय आ गया है।’

22 ‘उसकी आवाज़ सरसराते हुए साँप की आवाज़ जैसी है,

क्योंकि वे कुल्हाड़ी लिए पूरे दमखम के साथ आ रहे हैं,

पेड़ काटनेवालों* की तरह आ रहे हैं।’

23 यहोवा ऐलान करता है, ‘वे उसका जंगल काट डालेंगे,

फिर चाहे वह कितना ही घना क्यों न हो।

क्योंकि वे बेशुमार हैं, उनकी तादाद टिड्डियों से कहीं ज़्यादा है।

24 मिस्र की बेटी शर्मिंदा की जाएगी।

उसे उत्तर के लोगों के हवाले कर दिया जाएगा।’+

25 सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘अब मैं नो* शहर+ के आमोन देवता पर,+ फिरौन पर, मिस्र पर, उसके देवताओं+ और राजाओं पर, हाँ, फिरौन और उस पर भरोसा करनेवाले सब लोगों पर ध्यान दूँगा।’+

26 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं उन्हें उन लोगों के हवाले कर दूँगा जो उनकी जान के पीछे पड़े हैं। मैं उन्हें बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* और उसके सेवकों के हवाले कर दूँगा।+ मगर बाद में वह फिर से आबाद होगी, जैसे गुज़रे वक्‍त में थी।’+

27 ‘मगर मेरे सेवक याकूब, तू मत डर,

इसराएल, तू मत घबरा।+

क्योंकि मैं तुझे दूर देश से छुड़ा लूँगा,

तेरे वंश को बँधुआई के देश से निकाल लाऊँगा।+

याकूब वापस आएगा, वह चैन से रहेगा और उसे कोई खतरा नहीं होगा,

उसे कोई नहीं डराएगा।’+

28 यहोवा ऐलान करता है, ‘इसलिए मेरे सेवक याकूब, तू मत डर, मैं तेरे साथ हूँ।

मैं उन सभी राष्ट्रों को मिटा दूँगा जहाँ मैंने तुझे तितर-बितर कर दिया था,+

मगर तुझे नहीं मिटाऊँगा।+

मैं तुझे सुधारने के लिए उतनी फटकार लगाऊँगा जितनी सही है,+

मगर तुझे सज़ा दिए बिना हरगिज़ न छोड़ूँगा।’”

47 यहोवा का यह संदेश भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के पास पहुँचा, जो पलिश्‍तियों के बारे में है।+ यह संदेश गाज़ा पर फिरौन के हमले से पहले दिया गया था। 2 यहोवा कहता है,

“देख! उत्तर से पानी उमड़ता आ रहा है।

उससे ज़बरदस्त बाढ़ आ जाएगी।

वह पूरे देश और उसमें जो कुछ है, उसे डुबा देगा,

शहर और उसके निवासियों को डुबा देगा।

लोगों में हाहाकार मच जाएगा,

देश में रहनेवाला हर कोई ज़ोर-ज़ोर से रोएगा।

 3 जब उसके घोड़ों का दौड़ना सुनायी देगा,

उसके युद्ध-रथों की खड़खड़ाहट सुनायी देगी,

उसके पहियों की घड़घड़ाहट सुनायी देगी,

तो पिता ऐसे भागेंगे कि पीछे मुड़कर अपने बेटों को भी नहीं देखेंगे,

क्योंकि उनके हाथ ढीले पड़ जाएँगे।

 4 वह दिन आ रहा है जब सारे पलिश्‍तियों का नाश किया जाएगा,+

सोर+ और सीदोन+ का बचा हुआ हर संधि-देश मिटा दिया जाएगा।

क्योंकि यहोवा पलिश्‍तियों का नाश कर देगा,

जो कप्तोर* द्वीप से आए लोगों में से बचे हुए हैं।+

 5 गाज़ा अपना सिर मुँड़ाएगा।*

अश्‍कलोन को खामोश कर दिया गया है।+

उनकी घाटी के मैदान में बचे हुए लोगो,

तुम कब तक अपने शरीर पर घाव करते रहोगे?+

 6 हे यहोवा की तलवार,+ तू कब शांत होगी?

अपनी म्यान में लौट जा।

आराम कर और चुप रह।

 7 यह कैसे चुप रह सकती है, जब इसे यहोवा ने आज्ञा दी है?

उसने इसे अश्‍कलोन और समुंदर किनारे के इलाके में भेजा है+

कि उन्हें नाश करे।”

48 मोआब+ के बारे में सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“हाय, नबो+ का कितना बुरा हुआ है! उसे नाश किया गया है!

किरयातैम+ को शर्मिंदा किया गया है, उस पर कब्ज़ा कर लिया गया है।

ऊँचे गढ़ को शर्मिंदा किया गया है, उसे चूर-चूर किया गया है।+

 2 मोआब की अब और बड़ाई नहीं होती।

हेशबोन+ में दुश्‍मनों ने उसे गिराने की साज़िश रची है:

‘आओ, हम उस राष्ट्र को मिटा दें।’

हे मदमेन, तू भी चुप रह

क्योंकि तलवार तेरा पीछा कर रही है।

 3 होरोनैम+ से चीख-पुकार सुनायी दे रही है,

नाश और बड़ी तबाही का शोर सुनायी दे रहा है।

 4 मोआब नाश कर दी गयी है।

उसके बच्चे चिल्ला रहे हैं।

 5 वे रोते हुए लूहीत की चढ़ाई चढ़ रहे हैं।

होरोनैम से नीचे उतरते वक्‍त उन्हें विनाश का हाहाकार सुनायी दे रहा है।+

 6 भागो! अपनी जान बचाकर भागो!

तुम वीराने के सनोवर जैसे बन जाओगे।

 7 तुम अपने कामों और खज़ानों पर भरोसा रखते हो,

इसलिए तुम पर भी कब्ज़ा कर लिया जाएगा।

कमोश+ बँधुआई में चला जाएगा,

उसके साथ-साथ उसके पुजारी और हाकिम भी जाएँगे।

 8 नाश करनेवाला हर शहर पर हमला करेगा,

एक भी शहर नहीं बचेगा।+

घाटी नाश हो जाएगी,

पठारी इलाका मिट जाएगा, ठीक जैसे यहोवा ने कहा है।

 9 मोआब को रास्ता दिखानेवाली निशानी खड़ी करो,

क्योंकि जब वह नाश होकर खंडहर बन जाएगी तो उसके लोग भागेंगे,

उसके शहरों का ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा,

उनमें एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

10 शापित है वह जो यहोवा का दिया काम करने में ढिलाई बरतता है!

शापित है वह जो अपनी तलवार को खून बहाने से रोकता है!

11 मोआबी लोगों को उनके बचपन से किसी ने हाथ नहीं लगाया है,

उस दाख-मदिरा की तरह जिसके नीचे मैल जम गया है।

उन्हें एक बरतन से दूसरे बरतन में नहीं उँडेला गया

और वे कभी बँधुआई में नहीं गए।

इसलिए उनका स्वाद वैसे-का-वैसा ही है

और उनकी गंध नहीं बदली है।

12 यहोवा ऐलान करता है, ‘इसलिए देख! वे दिन आ रहे हैं जब मैं उन्हें पलटने के लिए आदमी भेजूँगा। वे उन्हें पलट देंगे और उनके बरतन खाली कर देंगे और बड़े-बड़े मटके चूर-चूर कर देंगे। 13 मोआबियों को कमोश की वजह से शर्मिंदा होना पड़ेगा, जैसे इसराएल का घराना बेतेल की वजह से शर्मिंदा है, जिस पर उसे भरोसा था।+

14 तुमने यह कहने की हिम्मत कैसे की, “हम वीर योद्धा हैं, युद्ध के लिए तैयार हैं”?’+

15 वह राजा, जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है, ऐलान करता है,+

‘मोआब नाश कर दिया गया है,

दुश्‍मन उसके शहरों में घुस गए हैं,+

उसके सबसे काबिल जवानों का कत्ल कर दिया गया है।’+

16 मोआबियों पर बहुत जल्द मुसीबत आनेवाली है,

उनके गिरने का समय तेज़ी से पास आ रहा है।+

17 उनके आस-पासवालों और उनका नाम जाननेवालों को

उनके साथ हमदर्दी जतानी होगी।

उनसे कहो, ‘हाय, यह ताकतवर छड़ी, गौरवशाली लाठी कैसे तोड़ दी गयी है!’

18 दीबोन+ में रहनेवाली बेटी,

तू शोहरत की बुलंदियों से नीचे आ, प्यासी* बैठी रह,

क्योंकि मोआब को नाश करनेवाला तुझ पर हमला करने आ गया है,

वह तेरी किलेबंद जगहों को नाश कर देगा।+

19 अरोएर+ के रहनेवाले, सड़क किनारे खड़े होकर नज़र रख,

भागनेवाले आदमी और बचकर निकलनेवाली औरत से पूछ, ‘क्या हुआ?’

20 मोआब को शर्मिंदा किया गया है, उस पर खौफ छा गया है।

ज़ोर-ज़ोर से रोओ और चिल्लाओ।

अरनोन+ में ऐलान करो कि मोआब को नाश कर दिया गया है।

21 पठारी इलाके की इन जगहों को सज़ा सुनायी गयी है:+ होलोन, यहस+ और मेपात,+ 22 दीबोन,+ नबो+ और बेत-दिबलातैम, 23 किरयातैम,+ बेत-गामूल और बेत-मोन,+ 24 करियोत+ और बोसरा और मोआब देश के सभी शहर, फिर चाहे वे पास के हों या दूर के।

25 यहोवा ऐलान करता है, ‘मोआब का सींग* काट दिया गया है,

उसका बाज़ू तोड़ दिया गया है।’

26 ‘उसे खूब मदिरा पिलाकर मदहोश कर दो+ क्योंकि उसने यहोवा के खिलाफ जाकर खुद को ऊँचा किया है।+

मोआब अपनी उलटी में लोटता है,

उसकी खिल्ली उड़ायी जा रही है।

27 क्या तूने इसराएल की खिल्ली नहीं उड़ायी थी?+

क्या वह चोरों के बीच पकड़ा गया था,

जो तूने उसे नीचा दिखाते हुए सिर हिलाया और उसके खिलाफ बातें कीं?

28 मोआब के निवासियो, उसके शहर छोड़ दो और चट्टान पर जाकर रहो,

फाख्ते की तरह बन जाओ जो तंग घाटी के किनारों पर घोंसला बनाती है।’”

29 “हमने मोआब के घमंड के बारे में सुना है, वह कितना मगरूर है,

वह हेकड़ीबाज़, घमंडी और मगरूर है, उसका मन घमंड से फूल गया है।”+

30 “यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं उसका क्रोध जानता हूँ,

मगर उसकी खोखली बातें बेकार साबित होंगी।

वे कुछ नहीं करेंगे।

31 इसीलिए मैं मोआब के लिए बिलख-बिलखकर रोऊँगा,

पूरे मोआब के लिए चिल्ला-चिल्लाकर रोऊँगा,

कीर-हेरेस के लोगों के लिए मातम मनाऊँगा।+

32 हे सिबमा+ के अंगूर की बेल, मैं याजेर+ के लिए जितना रोया,

उससे कहीं ज़्यादा तेरे लिए रोऊँगा।

तेरी फलती-फूलती डालियाँ समुंदर पार तक फैल गयी हैं,

समुंदर तक, याजेर तक पहुँच गयी हैं।

नाश करनेवाला तेरे गरमियों के फलों और

तेरे अंगूर की फसलों पर टूट पड़ा है।+

33 तेरे बाग और मोआब देश से खुशियाँ छीन ली गयी हैं,

वहाँ जश्‍न मनाना बंद कर दिया गया है।+

मैंने तेरे अंगूर रौंदने के हौद से दाख-मदिरा का बहना बंद करा दिया है।

अब से कोई खुशी से चिल्लाता हुआ अंगूर नहीं रौंदेगा।

अब उनका चिल्लाना कुछ और ही चिल्लाना होगा।’”+

34 “‘हेशबोन+ से एलाले+ तक चीख-पुकार सुनायी दे रही है।

वे इतनी ज़ोर से चिल्लाते हैं कि यहस+ तक सुनायी देता है,

सोआर से होरोनैम+ और एगलत-शलिशीयाह तक सुनायी देता है।

निमरीम की धाराएँ भी सूख जाएँगी।’+

35 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं मोआब का ऐसा हाल कर दूँगा

कि वहाँ न तो ऊँची जगह पर चढ़ावा अर्पित करनेवाला कोई होगा,

न ही अपने देवता के लिए बलिदान चढ़ानेवाला कोई होगा।

36 इसलिए मेरा दिल एक बाँसुरी* की तरह मोआब के लिए रोएगा,*+

मेरा दिल एक बाँसुरी* की तरह कीर-हेरेस के लोगों के लिए रोएगा।*

क्योंकि उनकी पैदा की हुई दौलत नाश हो जाएगी।

37 हर किसी का सिर मुँड़ा हुआ है,+

दाढ़ी कटी हुई है।

हर किसी का हाथ चिरा हुआ है+

और उनकी कमर पर टाट बँधा हुआ है!’”+

38 “यहोवा ऐलान करता है, ‘मोआब की सभी छतों पर,

उसके सभी चौकों पर, रोने-बिलखने के सिवा कुछ नहीं है।

क्योंकि मैंने मोआब को ऐसे घड़े की तरह चूर-चूर कर दिया है,

जो किसी काम का नहीं।’

39 ‘देखो, वह कितना घबराया हुआ है! ज़ोर-ज़ोर से रोओ!

मोआब ने शर्म से अपनी पीठ फेर ली है!

मोआब मज़ाक बन गया है,

उसका ऐसा हश्र हुआ कि आस-पास के देखनेवाले डर गए हैं।’”

40 “यहोवा कहता है,

‘देखो! जैसे एक उकाब शिकार पर झपटता है,+

वैसे ही वह अपना पंख फैलाकर मोआब पर टूट पड़ेगा।+

41 उसके नगरों को जीत लिया जाएगा,

उसके मज़बूत गढ़ों पर कब्ज़ा कर लिया जाएगा।

उस दिन मोआब के योद्धाओं का दिल डर से ऐसे काँपेगा,

जैसे बच्चा जननेवाली औरत का दिल काँपता है।’”

42 “‘मोआब को ऐसे नाश कर दिया जाएगा कि वह एक राष्ट्र नहीं रहेगा,+

क्योंकि उसने यहोवा के खिलाफ जाकर खुद को ऊँचा किया।’+

43 यहोवा ऐलान करता है, ‘हे मोआब के निवासी,

तेरे आगे खौफ, गड्‌ढा और फंदा है।’

44 यहोवा ऐलान करता है, ‘जो कोई खौफ से भागेगा वह गड्‌ढे में जा गिरेगा,

गड्‌ढे से निकलकर जो ऊपर आएगा वह फंदे में फँस जाएगा।

क्योंकि वह साल आ रहा है जब मैं मोआब के लोगों को सज़ा दूँगा।’

45 ‘भागनेवाले, हेशबोन की परछाईं में लाचार खड़े रहेंगे।

क्योंकि हेशबोन से आग निकलेगी,

सीहोन के बीच से ज्वाला भड़केगी।+

यह आग मोआब का माथा जला देगी,

हुल्लड़ मचानेवालों की खोपड़ी जला देगी।’+

46 ‘हे मोआब, तेरा कितना बुरा हुआ!

कमोश के लोग नाश हो गए।+

तेरे बेटे बंदी बना लिए गए

और तेरी बेटियाँ बँधुआई में चली गयीं।+

47 मगर मैं आखिरी दिनों में मोआब के बंदी लोगों को इकट्ठा करूँगा।’ यहोवा का यह ऐलान है।

‘इसी से मोआब के लिए न्याय का संदेश खत्म होता है।’”+

49 अम्मोनियों+ के लिए यहोवा का यह संदेश है:

“क्या इसराएल का कोई बेटा नहीं है?

क्या उसका कोई वारिस नहीं है?

तो फिर मलकाम+ ने क्यों गाद पर अधिकार कर लिया है?+

क्यों उसके लोग इसराएल के शहरों में रह रहे हैं?”

 2 “यहोवा ऐलान करता है, ‘इसलिए देखो! वे दिन आ रहे हैं,

जब मैं अम्मोनियों+ की रब्बाह नगरी+ को युद्ध का बिगुल* सुनवाऊँगा।

वह उजड़ जाएगी, वहाँ बस एक टीला रह जाएगा।

उसके आस-पास के नगरों में आग लगा दी जाएगी।’

यहोवा कहता है, ‘और इसराएल उनके देश पर कब्ज़ा कर लेगा, जिन्होंने उसका देश ले लिया था।’+

 3 ‘हे हेशबोन, बिलख-बिलखकर रो क्योंकि ऐ को नाश कर दिया गया है!

रब्बाह के आस-पास के नगरो, चिल्ला-चिल्लाकर रोओ।

टाट ओढ़ लो।

बिलख-बिलखकर रोओ और पत्थर के बाड़ों* में इधर-उधर फिरो,

क्योंकि मलकाम बँधुआई में चला जाएगा,

उसके साथ-साथ उसके पुजारी और हाकिम भी जाएँगे।+

 4 हे विश्‍वासघाती बेटी, तू जो अपने खज़ानों पर भरोसा करती है

और कहती है, “मुझ पर कौन हमला करेगा?”

तू क्यों अपनी घाटियों पर

और उस मैदान पर शेखी मारती है जहाँ पानी की धाराएँ बहती हैं?’”

 5 “सारे जहान का मालिक और सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है,

‘मैं तेरे चारों तरफ के लोगों को भेजकर

तुझ पर एक भयानक कहर ढानेवाला हूँ।

तू हर दिशा में तितर-बितर कर दी जाएगी

और भागनेवालों को कोई इकट्ठा नहीं करेगा।’”

 6 “यहोवा ऐलान करता है, ‘मगर मैं बाद में अम्मोनियों के बंदी लोगों को इकट्ठा करूँगा।’”

7 एदोम के लिए सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का यह संदेश है:

“क्या तेमान+ में बुद्धि का अकाल पड़ गया है?

क्या ज्ञानियों के पास बढ़िया सलाह नहीं रही?

क्या उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी है?

 8 हे ददान+ के निवासियो, मुड़कर भागो!

जाकर खाइयों में छिप जाओ!

क्योंकि जब एसाव पर ध्यान देने का समय आएगा,

तो मैं उस पर मुसीबत लाऊँगा।

 9 जब अंगूर बटोरनेवाले तुम्हारे पास आते हैं,

तो बीननेवालों के लिए कुछ अंगूर ज़रूर छोड़ जाते हैं।

जब रात को चोर आते हैं,

तो वे सिर्फ उतना माल चुरा ले जाते हैं जितना वे चाहते हैं।+

10 मगर मैं एसाव को बिलकुल खाली कर दूँगा।

मैं दिखा दूँगा कि उसके छिपने की जगह कहाँ-कहाँ हैं

ताकि वह कहीं छिप न सके।

उसके बच्चे, भाई, पड़ोसी, सब नाश कर दिए जाएँगे+

और उसका नामो-निशान मिट जाएगा।+

11 तुममें जो अनाथ हैं* उन्हें छोड़ दो,

मैं उनकी जान की हिफाज़त करूँगा

और तुममें जो विधवाएँ हैं वे मुझ पर भरोसा रखेंगी।”

12 यहोवा कहता है, “देखो! जब उन लोगों को प्याला पीना पड़ेगा जिन्हें प्याला पीने की सज़ा नहीं सुनायी गयी, तो तू कैसे सज़ा से बच सकता है? तू सज़ा से हरगिज़ नहीं बचेगा, तुझे प्याला पीना ही पड़ेगा।”+

13 यहोवा ऐलान करता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ, बोसरा का ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा,+ उसकी बदनामी होगी, वह उजड़ जाएगी, शापित ठहरेगी और उसके सभी शहर हमेशा के लिए खंडहर बन जाएँगे।”+

14 मैंने यहोवा से एक खबर सुनी है,

राष्ट्रों में एक दूत भेजा गया है जो उनसे कहता है,

“तुम सब इकट्ठा हो जाओ, उस पर हमला करो,

युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।”+

15 “क्योंकि देख! मैंने तुझे राष्ट्रों में छोटा कर दिया है,

इंसानों में तुच्छ बना दिया है।+

16 तू जो चट्टान की दरारों में महफूज़ बसी है,

सबसे ऊँची पहाड़ी पर रहती है,

तेरे फैलाए खौफ ने

और तेरे गुस्ताख दिल ने तुझे धोखा दिया है।

तूने उकाब की तरह ऊँचाई पर अपना घोंसला बनाया है,

फिर भी मैं तुझे वहाँ से नीचे गिरा दूँगा।” यहोवा का यह ऐलान है।

17 “एदोम का ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा।+ उसके पास से गुज़रनेवाला हर कोई डर जाएगा और उसकी सारी विपत्तियों की वजह से मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएगा। 18 सदोम, अमोरा और उनके आस-पास के नगरों का नाश के बाद जो हाल हुआ,+ वही एदोम का भी होगा। उसमें कोई नहीं रहेगा, कोई वहाँ जाकर नहीं बसेगा।” यह बात यहोवा ने कही है।+

19 “देख! इन महफूज़ चरागाहों पर हमला करने कोई आएगा। वह ऐसे आएगा जैसे यरदन के पासवाली घनी झाड़ियों में से एक शेर निकलकर आता है।+ मैं उसे* एक ही पल में उसके सामने से भगा दूँगा। मैं अपने चुने हुए जन को उस पर ठहराऊँगा। क्योंकि मेरे जैसा कौन है और कौन मुझे चुनौती दे सकता है? कौन चरवाहा मेरे सामने टिक पाएगा?+ 20 इसलिए लोगो, सुनो कि यहोवा ने एदोम के खिलाफ क्या फैसला* किया है और तेमान+ के निवासियों के साथ क्या करने की सोची है:

बेशक, झुंड के मेम्नों को घसीटकर ले जाया जाएगा।

वह उनकी वजह से उनका चरागाह उजाड़ देगा।+

21 उनके गिरने के धमाके से धरती काँप उठी है।

चीख-पुकार मच गयी है!

यह आवाज़ दूर लाल सागर तक सुनायी पड़ी है।+

22 देखो! जैसे एक उकाब ऊपर उड़ता और फिर नीचे अपने शिकार पर झपटता है,+

वैसे ही वह अपना पंख फैलाकर बोसरा पर टूट पड़ेगा।+

उस दिन एदोम के योद्धाओं का दिल डर से ऐसे काँपेगा,

जैसे बच्चा जननेवाली औरत का दिल काँपता है।”

23 दमिश्‍क के लिए यह संदेश है:+

“हमात+ और अरपाद शर्मिंदा किए गए हैं,

क्योंकि उन्होंने एक बुरी खबर सुनी है।

डर से उनका हौसला टूट गया है।

समुंदर में ऐसी हलचल मची है जो थम नहीं सकती।

24 दमिश्‍क हिम्मत हार बैठी है।

वह भागने के लिए मुड़ी, मगर उसमें खौफ समा गया।

दुख और दर्द ने उसे जकड़ लिया है,

जैसे बच्चा जननेवाली औरत को जकड़ लेता है।

25 इस गौरवशाली शहर को, खुशियों की नगरी को

लोग छोड़कर क्यों नहीं भागे?

26 उस दिन उसके चौकों पर जवान ढेर हो जाएँगे,

सारे सैनिक नाश हो जाएँगे।” सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का यह ऐलान है।

27 “मैं दमिश्‍क की शहरपनाह को आग लगा दूँगा,

यह आग बेन-हदद की किलेबंद मीनारों को भस्म कर देगी।”+

28 केदार+ के बारे में और हासोर के राज्यों के बारे में, जिन्हें बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने जीत लिया था, यहोवा का यह संदेश है:

“उठो, केदार जाओ,

पूरब के बेटों को नाश कर दो।

29 उनके तंबू और झुंड ले लिए जाएँगे,

उनके तंबू के कपड़े और उनका सारा माल छीन लिया जाएगा।

उनके ऊँट ले लिए जाएँगे,

वे चिल्लाकर केदार के लोगों से कहेंगे, ‘चारों तरफ आतंक-ही-आतंक है!’”

30 यहोवा ऐलान करता है, “हासोर के निवासियो,

भागो, दूर भागो! खाइयों में जाकर छिप जाओ।

क्योंकि बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने तुम्हारे खिलाफ एक रणनीति सोची है,

तुझे तबाह करने की योजना बनायी है।”

31 यहोवा ऐलान करता है, “उठो, उस राष्ट्र पर हमला करो

जो चैन से रह रहा है, महफूज़ बसा हुआ है!

उसके न दरवाज़े हैं न बेड़े, वे अलग-थलग रहते हैं।”

32 यहोवा ऐलान करता है, “उनके ऊँट लूट लिए जाएँगे,

उनके जानवरों के बड़े-बड़े झुंड लूट लिए जाएँगे।

जो लोग अपनी कलमें मुँड़ा लेते हैं,+

मैं उन्हें हर हवा में* बिखरा दूँगा

और हर दिशा से उन पर मुसीबत ले आऊँगा।

33 हासोर, गीदड़ों की माँद बन जाएगी,

हमेशा के लिए उजाड़ पड़ी रहेगी।

वहाँ कोई नहीं रहेगा,

कोई नहीं बसेगा।”

34 यहूदा के राजा सिदकियाह के राज की शुरूआत+ में एलाम के बारे में यहोवा का यह संदेश भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के पास पहुँचा:+ 35 “सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं एलाम की कमान तोड़नेवाला हूँ,+ जिससे उन्हें ताकत मिलती है। 36 मैं एलाम पर आकाश के चारों कोनों से चार हवाएँ बहाऊँगा और उन्हें उन हवाओं में बिखरा दूँगा। ऐसा एक भी राष्ट्र नहीं होगा, जहाँ एलाम के बिखरे हुए लोग नहीं जाएँगे।’”

37 यहोवा ऐलान करता है, “मैं एलाम के लोगों को उनके दुश्‍मनों के सामने और उन लोगों के सामने चूर-चूर कर दूँगा जो उनकी जान के पीछे पड़े हैं। मैं उन पर विपत्ति ले आऊँगा, अपने क्रोध की आग भड़काऊँगा। और मैं उनके पीछे तलवार भेजूँगा और उन पर तब तक वार करता रहूँगा जब तक कि मैं उनका सफाया न कर दूँ।”

38 यहोवा ऐलान करता है, “मैं अपनी राजगद्दी एलाम में रखूँगा+ और वहाँ के राजा और हाकिमों को नाश कर दूँगा।”

39 यहोवा ऐलान करता है, “मगर मैं आखिरी दिनों में एलाम के बंदी लोगों को इकट्ठा करूँगा।”

50 यहोवा ने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के ज़रिए बैबिलोन और कसदियों के देश के बारे में जो संदेश दिया,+ वह यह है:

 2 “राष्ट्रों में इसका ऐलान करो, इसके बारे में सुनाओ।

झंडा खड़ा करो और इसके बारे में सुनाओ।

कुछ भी मत छिपाओ!

बताओ, ‘बैबिलोन पर कब्ज़ा कर लिया गया है।+

बेल को शर्मिंदा किया गया है।+

मरोदक खौफ में है।

बैबिलोन की मूरतें शर्मिंदा की गयी हैं।

उसकी घिनौनी मूरतें* खौफ में हैं।’

 3 क्योंकि उस पर उत्तर के एक राष्ट्र ने हमला किया है।+

उसने उसके देश का ऐसा हाल कर दिया है कि देखनेवालों का दिल दहल जाता है,

उसमें कोई नहीं रहता।

इंसान और जानवर, दोनों भाग गए हैं,

वे वहाँ से चले गए हैं।”

4 यहोवा ऐलान करता है, “उन दिनों इसराएल के लोग और यहूदा के लोग एक-साथ आएँगे।+ वे रोते-रोते चलेंगे+ और मिलकर अपने परमेश्‍वर यहोवा की खोज करेंगे।+ 5 वे सिय्योन की तरफ मुँह करके उसका रास्ता पूछेंगे+ और कहेंगे, ‘आओ, हम सब मिलकर यहोवा के साथ सदा का करार करें जो कभी नहीं भुलाया जाएगा।’+ 6 मेरे लोग उन भेड़ों की तरह हो गए हैं जो खो गयी हैं।+ उनके चरवाहों ने उन्हें भटका दिया है।+ वे उन्हें पहाड़ों पर ले गए। भेड़ें एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर भटक रही हैं। वे अपने आराम की जगह भूल गयी हैं। 7 जिन-जिन को वे मिलीं, उन्होंने उन्हें खा लिया+ और उनके दुश्‍मनों ने कहा, ‘हम दोषी नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने यहोवा के खिलाफ पाप किया जिसमें नेकी वास करती है। उन्होंने यहोवा के खिलाफ पाप किया है जो उनके पुरखों की आशा है।’”

 8 “बैबिलोन से भाग जाओ,

कसदियों के देश से निकल जाओ+

और झुंड के आगे-आगे चलनेवाले बकरों और मेढ़ों जैसे बन जाओ।

 9 मैं उत्तर से बड़े-बड़े राष्ट्रों से मिलकर बनी एक सेना को उभार रहा हूँ,

उसे बैबिलोन पर हमला करने के लिए ला रहा हूँ।+

वे दल बाँधकर उस पर हमला करेंगे।

वहाँ से वह कब्ज़ा कर ली जाएगी।

उनके तीर एक योद्धा के तीर जैसे हैं,

जो माँ-बाप से उनके बच्चे छीन लेते हैं।+

वे कभी निशाने से नहीं चूकते।

10 कसदिया लूट का माल बन जाएगा।+

उसका माल लूटनेवाले पूरी तरह संतुष्ट होंगे।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

11 “क्योंकि जब तुमने मेरी विरासत लूटी,+

तब तुम खुशी से झूमते रहे,+ जश्‍न मनाते रहे।

तुम कलोर की तरह घास पर उछलते रहे,

घोड़ों की तरह हिनहिनाते रहे।

12 तुम्हारी माँ शर्मिंदा की गयी है।+

तुम्हारी जननी निराश हो गयी है।

देखो! वह राष्ट्रों में सबसे कमतर है,

एक सूखा वीराना है, रेगिस्तान है।+

13 यहोवा की जलजलाहट की वजह से वह दोबारा आबाद नहीं की जाएगी,+

वह पूरी तरह उजड़ जाएगी।+

बैबिलोन पर ढाए सारे कहर देखकर उसके पास से गुज़रनेवाला हर कोई डर के मारे देखता रह जाएगा

और सीटी बजाएगा।+

14 तुम सभी जो कमान चढ़ाते हो,

दल बाँधकर हर दिशा से आओ और बैबिलोन पर हमला करो।

उस पर तीर चलाओ, अपना तरकश खाली कर दो,+

क्योंकि उसने यहोवा के खिलाफ पाप किया है।+

15 हर दिशा से उसके खिलाफ युद्ध का ऐलान करो।

उसने हथियार डाल दिया है।

उसके खंभे गिर गए हैं, उसकी शहरपनाह ढा दी गयी है,+

क्योंकि यहोवा उससे बदला ले रहा है।+

तुम उससे अपना बदला लो।

उसने जैसा किया था वैसा ही तुम उसके साथ करो।+

16 बैबिलोन से बीज बोनेवालों को,

कटाई के समय हँसिया चलानेवालों को मिटा दो।+

उस भयानक तलवार की वजह से हर कोई अपने लोगों के पास लौट जाएगा,

हर कोई अपने देश भाग जाएगा।+

17 इसराएल के लोग तितर-बितर की गयी भेड़ें हैं।+ शेरों ने उनका यह हाल किया है।+ पहले, अश्‍शूर का राजा आकर उन्हें खा गया,+ फिर बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने उनकी हड्डियाँ चबा डालीं।+ 18 इसलिए सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं बैबिलोन के राजा और उसके देश को वही सिला दूँगा जो मैंने अश्‍शूर के राजा को दिया था।+ 19 मैं इसराएल को उसके चरागाह में वापस ले आऊँगा।+ वह करमेल और बाशान पर चरेगा,+ एप्रैम+ और गिलाद+ के पहाड़ों पर जी-भरकर खाएगा।’”

20 यहोवा ऐलान करता है, “उन दिनों और उस समय,

इसराएल में दोष ढूँढ़ने पर भी नहीं मिलेगा,

यहूदा में कोई पाप नहीं पाया जाएगा,

क्योंकि मैं उन्हें माफ कर दूँगा जिन्हें मैंने ज़िंदा छोड़ दिया।”+

21 यहोवा ऐलान करता है, “मरातैम देश पर और पकोद के निवासियों पर हमला कर।+

उनका कत्लेआम कर दे, पूरी तरह नाश कर दे।*

मैंने तुझे जो-जो करने की आज्ञा दी है, वह सब कर।

22 देश में युद्ध का शोर सुनायी दे रहा है,

बड़ी तबाही का शोर सुनायी दे रहा है।

23 देख, सब राष्ट्रों को चूर-चूर करनेवाला हथौड़ा कैसे काट डाला गया है, तोड़ दिया गया है!+

देख, राष्ट्रों के बीच बैबिलोन का क्या हश्र हुआ है, देखनेवालों का दिल दहल जाता है।+

24 हे बैबिलोन, मैंने तेरे लिए एक फंदा बिछाया है, तू पकड़ी गयी,

तुझे पता भी नहीं चला।

तुझे ढूँढ़कर बंदी बना लिया गया है,+

क्योंकि तूने यहोवा का विरोध किया।

25 यहोवा ने अपना हथियार-घर खोला है,

वह अपनी जलजलाहट के हथियार बाहर निकालता है।+

क्योंकि सारे जहान के मालिक, सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा को

कसदियों के देश में एक काम करना है।

26 दूर-दूर की जगहों से आकर उस पर हमला करो।+

उसके भंडार खोल दो।+

अनाज के ढेर की तरह उसका ढेर लगा दो।

उसे पूरी तरह नाश कर दो।*+

उसका एक भी इंसान ज़िंदा न बचे।

27 उसके सारे बैल काट डालो,+

उन्हें हलाल के लिए भेज दो।

उनका बहुत बुरा होनेवाला है, क्योंकि उनका दिन आ गया है,

उनसे हिसाब लेने का समय आ गया है!

28 भागनेवालों की आवाज़ सुनायी दे रही है,

बैबिलोन से बचकर भागनेवालों की आवाज़ सुनायी दे रही है,

वे सिय्योन में ऐलान करने जा रहे हैं कि हमारे परमेश्‍वर यहोवा ने बदला चुका दिया है,

अपने मंदिर के लिए बदला चुका दिया है।+

29 बैबिलोन को नाश करने के लिए तीरंदाज़ों को बुलाओ,

उन सबको बुलाओ जो कमान चढ़ाते हैं।+

उसके चारों तरफ छावनी डालो, किसी को बचकर भागने मत दो।

उसे उसके कामों का सिला दो।+

उसने जैसा किया था, वैसा ही उसके साथ करो।+

क्योंकि उसने घमंड में आकर यहोवा के खिलाफ काम किया,

इसराएल के पवित्र परमेश्‍वर के खिलाफ।+

30 उस दिन उसके चौकों पर उसके जवान ढेर हो जाएँगे,+

सारे सैनिक नाश* हो जाएँगे।” यहोवा का यह ऐलान है।

31 सारे जहान का मालिक और सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है, “हे गुस्ताख बैबिलोन,+ देख! मैं तुझे सज़ा दूँगा,+

क्योंकि तेरा वह दिन ज़रूर आएगा, जब मैं तुझसे हिसाब माँगूँगा।

32 हे गुस्ताख बैबिलोन, तू ठोकर खाकर गिरेगी,

तुझे उठानेवाला कोई न होगा।+

मैं तेरे शहरों को आग लगा दूँगा,

यह आग तेरे आस-पास का सबकुछ भस्म कर देगी।”

33 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“इसराएल और यहूदा के लोगों को सताया जा रहा है,

जिन लोगों ने उन्हें बंदी बनाया है, वे उन्हें पकड़े हुए हैं।+

उन्होंने उन्हें छोड़ने से इनकार कर दिया है।+

34 मगर उनका छुड़ानेवाला ताकतवर है।+

उसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।+

वह ज़रूर उनके मुकदमे की पैरवी करेगा+

ताकि उनके देश को चैन दिलाए+

और बैबिलोन के निवासियों में खलबली मचाए।”+

35 यहोवा ऐलान करता है, “कसदियों पर एक तलवार चलेगी,

बैबिलोन के निवासियों, उसके हाकिमों और ज्ञानियों पर तलवार चलेगी।+

36 खोखली बातें करनेवालों* पर तलवार चलेगी और वे मूर्खों जैसा बरताव करेंगे।

उसके योद्धाओं पर तलवार चलेगी और वे घबरा जाएँगे।+

37 उनके घोड़ों और युद्ध-रथों पर तलवार चलेगी,

उसमें रहनेवाले परदेसियों की मिली-जुली भीड़ पर तलवार चलेगी

और वे औरतों जैसे बन जाएँगे।+

उसके खज़ानों पर तलवार चलेगी और वे लूट लिए जाएँगे।+

38 उसकी नदी की धाराएँ तबाह कर दी जाएँगी, वे सूख जाएँगी।+

क्योंकि यह खुदी हुई मूरतों से भरा देश है+

और वे डरावने दर्शन देखने की वजह से पागलों जैसा बरताव करते हैं।

39 इसलिए वह सूखे इलाके के जानवरों और हुआँ-हुआँ करते जानवरों का अड्डा बन जाएगी

और वहाँ शुतुरमुर्ग रहा करेंगे।+

वह फिर कभी आबाद नहीं होगी,

पीढ़ी-दर-पीढ़ी उसमें कोई नहीं बसेगा।”+

40 यहोवा ऐलान करता है, “सदोम, अमोरा और उनके आस-पास के नगरों के नाश के बाद जो हाल हुआ,+ वही उसका भी होगा। उसमें कोई नहीं रहेगा, कोई वहाँ जाकर नहीं बसेगा।+

41 देख! उत्तर से एक देश आ रहा है,

एक महान राष्ट्र और बड़े-बड़े राजाओं को+

धरती के छोर से उभारा जाएगा।+

42 वे तीर-कमान और बरछी से लैस रहते हैं।+

वे खूँखार हैं, किसी पर दया नहीं करते।+

जब वे अपने घोड़ों पर सवार होकर आते हैं,

तो उनका शोर समुंदर के गरजन जैसा होता है।+

हे बैबिलोन की बेटी, वे सब एक होकर, दल बाँधकर तुझ पर हमला करने को तैयार हैं।+

43 बैबिलोन के राजा ने उनके बारे में खबर सुनी है,+

उसके हाथ ढीले पड़ गए हैं।+

उस पर डर और चिंता हावी हो गयी है,

वह दर्द से ऐसे तड़प रहा है जैसे बच्चा जननेवाली औरत तड़पती है।

44 देख! इन महफूज़ चरागाहों पर हमला करने कोई आएगा। वह ऐसे आएगा जैसे यरदन के पासवाली घनी झाड़ियों में से एक शेर निकलकर आता है। मैं उन्हें एक ही पल में उसके सामने से भगा दूँगा। मैं अपने चुने हुए जन को उस पर ठहराऊँगा।+ क्योंकि मेरे जैसा कौन है और कौन मुझे चुनौती दे सकता है? कौन चरवाहा मेरे सामने टिक पाएगा?+ 45 इसलिए लोगो, सुनो कि यहोवा ने बैबिलोन के खिलाफ क्या फैसला* किया है+ और कसदियों के देश के साथ क्या करने की सोची है।

बेशक, झुंड के मेम्नों को घसीटकर ले जाया जाएगा।

वह उनकी वजह से उनका चरागाह उजाड़ देगा।+

46 बैबिलोन पर कब्ज़ा किए जाने का हाहाकार सुनकर धरती काँप उठी है,

उसकी चीख-पुकार राष्ट्रों में सुनायी देगी।”+

51 यहोवा कहता है,

“मैं बैबिलोन और लेब-कामै* के निवासियों को

नाश करने के लिए एक ज़बरदस्त आँधी चलानेवाला हूँ।+

 2 मैं उसानेवालों को बैबिलोन भेजूँगा,

वे उसे फटक देंगे और उसका देश खाली कर देंगे।

संकट के दिन वे हर कोने से उस पर टूट पड़ेंगे।+

 3 तीरंदाज़ अपनी कमान न चढ़ाए।

कोई अपना बख्तर पहनकर खड़ा न हो।

उसके जवानों पर बिलकुल दया न करना।+

उसकी पूरी सेना का नाश कर देना।

 4 वे सब कसदियों के देश में घात होकर ढेर हो जाएँगे,

उसकी सड़कों में उन्हें भेदा जाएगा।+

 5 क्योंकि इसराएल और यहूदा को उनके परमेश्‍वर, सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने नहीं छोड़ा है। वे विधवा जैसे नहीं हैं।+

मगर इसराएल के पवित्र परमेश्‍वर की नज़र में उनका देश* पूरी तरह दोषी है।

 6 बैबिलोन से भाग जाओ,

अपनी जान बचाकर भागो।+

उसके गुनाह की वजह से तुम नाश मत होना।

क्योंकि यह यहोवा के बदला लेने का समय है।

वह उसे उसके किए की सज़ा दे रहा है।+

 7 बैबिलोन यहोवा के हाथ में सोने का प्याला थी,

उसने सारी धरती को मदहोश कर दिया था।

राष्ट्रों ने उसकी दाख-मदिरा पी है,+

इसीलिए वे पागल हो गए हैं।+

 8 बैबिलोन अचानक गिर पड़ी है, टूट गयी है।+

उसके लिए ज़ोर-ज़ोर से रोओ!+

उसका दर्द दूर करने के लिए बलसाँ ले आओ, शायद वह ठीक हो जाए।”

 9 “हमने बैबिलोन को चंगा करने की कोशिश की, मगर वह चंगी न हो सकी।

उसे छोड़ दो, चलो हम सब अपने-अपने देश लौट जाएँ।+

वह सज़ा के लायक है, उसके गुनाह आसमान तक पहुँच गए हैं,

बादलों तक पहुँच गए हैं।+

10 यहोवा ने हमारी खातिर न्याय किया है।+

आओ, हम सिय्योन में अपने परमेश्‍वर यहोवा के कामों का बखान करें।”+

11 “अपने तीरों को तेज़ करो,+ गोलाकार ढालें उठाओ।*

यहोवा ने मादियों के राजाओं के मन को उकसाया है,+

क्योंकि उसने बैबिलोन को तबाह करने की ठान ली है।

यहोवा बदला ले रहा है, अपने मंदिर के लिए बदला ले रहा है।

12 बैबिलोन की शहरपनाह के खिलाफ झंडा खड़ा करो।+

पहरा और सख्त कर दो, पहरेदारों को तैनात करो।

घात लगानेवाले सैनिकों को तैयार करो।

क्योंकि यहोवा ने रणनीति तैयार की है,

वह बैबिलोन के निवासियों को सज़ा देने का वादा पूरा करेगा।”+

13 “हे औरत, तू जो नदी-नहरों पर बैठी हुई है,+

जिसके पास ढेर सारा खज़ाना है,+

तेरा अंत आ गया है, तू मुनाफा कमाने की हद तक पहुँच गयी है।+

14 सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने अपने जीवन की शपथ खाकर कहा है,

‘मैं तुझे सैनिकों से भर दूँगा जो टिड्डियों की तरह अनगिनत होंगे,

वे तुझे हराकर जीत के नारे लगाएँगे।’+

15 उसी ने अपनी शक्‍ति से धरती बनायी,

अपनी बुद्धि से उपजाऊ ज़मीन की मज़बूत बुनियाद डाली+

और अपनी समझ से आकाश फैलाया।+

16 जब वह गरजता है,

तो आकाश के पानी में हलचल होने लगती है,

वह धरती के कोने-कोने से बादलों* को ऊपर उठाता है।

बारिश के लिए बिजली* बनाता है

और अपने भंडारों से आँधी चलाता है।+

17 सभी इंसान ऐसे काम करते हैं मानो उनमें समझ और ज्ञान नहीं है।

हर धातु-कारीगर अपनी गढ़ी हुई मूरत की वजह से शर्मिंदा किया जाएगा,+

क्योंकि उसकी धातु की मूरत* एक झूठ है,

वे मूरतें बेजान हैं।*+

18 वे एक धोखा* हैं,+ बस इस लायक हैं कि उनकी खिल्ली उड़ायी जाए।

जब उनसे हिसाब लेने का दिन आएगा, तो वे नाश हो जाएँगी।

19 याकूब का भाग इन चीज़ों की तरह नहीं है,

क्योंकि उसी ने हर चीज़ रची है,

वही उसकी विरासत की लाठी है।+

उसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।”+

20 “तू मेरे लिए युद्ध का हथियार है, एक लट्ठ है,

क्योंकि मैं तेरे ज़रिए राष्ट्रों को चूर-चूर कर दूँगा,

राज्यों को तबाह कर दूँगा।

21 घोड़े और उसके सवार को चूर-चूर कर दूँगा,

युद्ध-रथ और उसके सवार को चूर-चूर कर दूँगा।

22 आदमी और औरत को चूर-चूर कर दूँगा।

बूढ़े और जवान को चूर-चूर कर दूँगा।

जवान लड़के और जवान लड़की को चूर-चूर कर दूँगा।

23 चरवाहे और उसके झुंड को चूर-चूर कर दूँगा।

किसान और उसके जुताई करनेवाले जानवरों को चूर-चूर कर दूँगा।

राज्यपालों और अधिकारियों को चूर-चूर कर दूँगा।

24 मैं बैबिलोन को और कसदिया के सभी निवासियों को उन सब बुरे कामों का सिला दूँगा,

जो उन्होंने तुम्हारी आँखों के सामने सिय्योन में किए हैं।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

25 यहोवा ऐलान करता है, “हे उजाड़नेवाले पहाड़,

तू जो सारी धरती को उजाड़ रहा है,+ मैं तेरे खिलाफ कदम उठानेवाला हूँ।+

मैं अपना हाथ बढ़ाकर तुझे चट्टानों से नीचे लुढ़का दूँगा

और तुझे जला हुआ पहाड़ बना दूँगा।”

26 यहोवा ऐलान करता है, “लोग तुझसे पत्थर नहीं निकालेंगे,

न कोने के पत्थर के लिए, न बुनियाद डालने के लिए,

क्योंकि तू हमेशा के लिए उजाड़ पड़ा रहेगा।”+

27 “देश में झंडा खड़ा करो,+

राष्ट्रों में नरसिंगा फूँको।

उससे लड़ने के लिए राष्ट्रों को तैयार करो।

अरारात,+ मिन्‍नी और अशकनज+ के राज्यों को बुलाओ।

ऐसा अधिकारी ठहराओ जो उससे लड़ने के लिए सैनिक भरती करे।

घोड़ों से उन पर कड़े बालोंवाली टिड्डियों की तरह हमला कराओ।

28 उससे लड़ने के लिए राष्ट्रों को तैयार करो।

मादै के राजाओं,+ राज्यपालों और सभी अधिकारियों को ठहराओ

और उन सब देशों को ठहराओ जिन पर वे राज करते हैं।

29 धरती डोलेगी और काँपेगी,

क्योंकि यहोवा ने बैबिलोन के साथ जो करने की सोची है वह ज़रूर पूरा होगा।

वह बैबिलोन का ऐसा हश्र कर देगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा, उसमें एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

30 बैबिलोन के योद्धाओं ने लड़ना छोड़ दिया है।

वे अपने मज़बूत गढ़ों में छिप गए हैं।

उनकी हिम्मत जवाब दे गयी है।+

वे औरतों जैसे हो गए हैं।+

बैबिलोन के घरों को आग लगा दी गयी है।

उसके बेड़े तोड़ दिए गए हैं।+

31 एक दूत दौड़कर दूसरे दूत से मिलता है,

एक संदेश देनेवाला दूसरे संदेश देनेवाले से मिलता है

ताकि बैबिलोन के राजा को खबर दे कि उसका शहर चारों तरफ से ले लिया गया है,+

32 उसके घाटों पर कब्ज़ा कर लिया गया है,+

उसकी सरकंडे की नाव आग से जला दी गयी हैं

और सैनिक घबरा गए हैं।”

33 क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर और इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“बैबिलोन की बेटी खलिहान की ज़मीन जैसी है।

अब वक्‍त आ गया है कि उसे दबा-दबाकर सख्त किया जाए।

जल्द ही उसकी कटाई का समय आनेवाला है।”

34 “बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* ने मुझे खा लिया है,+

उसने मुझे उलझन में डाल दिया है।

मुझे खाली बरतन जैसा बना दिया है।

एक बड़े साँप की तरह मुझे निगल लिया है,+

मेरी उम्दा चीज़ों से अपना पेट भर लिया है।

मुझे खंगालकर फेंक दिया है।

35 सिय्योन का निवासी कहता है, ‘मुझ पर और मेरे शरीर पर जो ज़ुल्म किया गया है वही बैबिलोन के साथ हो!’+

यरूशलेम नगरी कहती है, ‘मेरे खून का दोष कसदिया के निवासियों के सिर पड़े!’”

36 इसलिए यहोवा कहता है,

“अब मैं तेरे मुकदमे की पैरवी करूँगा+

और तेरी तरफ से बदला लूँगा।+

मैं उसका समुंदर और उसके कुएँ सुखा दूँगा।+

37 बैबिलोन पत्थरों का ढेर और+

गीदड़ों की माँद बन जाएगी।+

उसका ऐसा हश्र होगा कि देखनेवालों का दिल दहल जाएगा और वे मज़ाक उड़ाते हुए सीटी बजाएँगे,

उसमें एक भी निवासी नहीं रहेगा।+

38 वे सब मिलकर जवान शेरों की तरह दहाड़ेंगे।

शेर के बच्चों की तरह गुर्राएँगे।”

39 यहोवा ऐलान करता है, “जब उनकी हवस की आग भड़केगी,

तो मैं उनके लिए दावत रखूँगा और उन्हें खूब पिलाकर मदहोश कर दूँगा

ताकि वे जश्‍न मनाएँ,+

इसके बाद वे हमेशा के लिए सो जाएँगे,

फिर कभी नहीं उठेंगे।”+

40 “मैं उन्हें मेम्नों की तरह

और बकरों और मेढ़ों की तरह हलाल के लिए ले जाऊँगा।”

41 “देखो! शेशक* पर कैसे कब्ज़ा कर लिया गया है,+

जिसकी पूरी धरती पर बड़ाई होती है, उस पर कैसे अधिकार कर लिया गया है!+

राष्ट्रों के बीच बैबिलोन का ऐसा हश्र हुआ है कि देखनेवालों का दिल दहल जाता है!

42 बैबिलोन पर समुंदर चढ़ आया है,

वह बहुत-सी लहरों में डूब गयी है।

43 उसके शहरों का ऐसा हश्र हुआ है कि देखनेवालों का दिल दहल जाता है,

वह एक सूखा वीराना और रेगिस्तान बन गयी है।

ऐसा देश बन गयी है जहाँ कोई नहीं रहेगा, जहाँ से कोई नहीं गुज़रेगा।+

44 मैं बैबिलोन के बेल देवता पर ध्यान दूँगा+

और उसके मुँह से वह सब निकालूँगा जो वह निगल गया है।+

उसकी तरफ फिर कभी राष्ट्र उमड़ते हुए नहीं जाएँगे,

बैबिलोन की शहरपनाह ढह जाएगी।+

45 मेरे लोगो, उसमें से बाहर निकल आओ!+

यहोवा के क्रोध की आग जल रही है,+ अपनी जान बचाकर भागो!+

46 देश को जो खबर मिलनेवाली है, उससे तुम्हारा दिल कमज़ोर न हो और न ही तुम डरो।

एक साल एक खबर मिलेगी,

दूसरे साल दूसरी खबर मिलेगी

कि देश में कैसी मार-काट मची है, एक शासक दूसरे शासक के खिलाफ उठ रहा है।

47 इसलिए देखो! वे दिन आ रहे हैं,

जब मैं बैबिलोन की खुदी हुई मूरतों पर ध्यान दूँगा।

उसका पूरा देश शर्मिंदा किया जाएगा,

उसके बीच उसके सभी लोग घात होकर ढेर हो जाएँगे।+

48 आकाश, धरती और उनमें जो कुछ है वह सब

बैबिलोन का अंजाम देखकर खुशी से जयजयकार करेंगे,+

क्योंकि उत्तर से उसका विनाश करनेवाले आएँगे।”+ यहोवा का यह ऐलान है।

49 “बैबिलोन ने न सिर्फ इसराएल के लोगों को मार डाला,+

बल्कि अपने बीच रहनेवाले धरती के सब लोगों को मारकर उन्हें ढेर कर दिया।

50 तुम जो तलवार से बच जाते हो, आगे बढ़ते रहो, खड़े मत रहो!+

तुम जो दूर हो, यहोवा को याद करो,

तुम्हारे दिलों में यरूशलेम की याद ताज़ा रहे।”+

51 “हमें शर्मिंदा किया गया है, क्योंकि हम पर ताने कसे गए हैं।

अपमान ने हमारा चेहरा ढाँप दिया है,

क्योंकि परदेसियों* ने यहोवा के भवन की पवित्र जगहों पर हमला कर दिया है।”+

52 यहोवा ऐलान करता है, “इसलिए देख, वे दिन आ रहे हैं,

जब मैं उसकी खुदी हुई मूरतों पर ध्यान दूँगा

और उसके पूरे देश में घायल लोग कराहेंगे।”+

53 यहोवा ऐलान करता है, “बैबिलोन चाहे आसमान की बुलंदियाँ छू जाए,+

चाहे अपने ऊँचे-ऊँचे गढ़ों को मज़बूत करे,

फिर भी मैं उसका नाश करनेवालों को ज़रूर भेजूँगा।”+

54 “सुनो! बैबिलोन में कैसी चीख-पुकार मची है,+

कसदियों के देश में बड़ी तबाही का हाहाकार मचा है।+

55 क्योंकि यहोवा बैबिलोन का नाश कर रहा है,

वह उसका शोर बंद कर देगा।

उसका नाश करनेवाले समुंदर की तरह गरजेंगे।

उनका होहल्ला सुनायी देगा।

56 नाश करनेवाला बैबिलोन पर चढ़ आएगा,+

उसके योद्धा पकड़े जाएँगे,+

उनकी कमान टुकड़े-टुकड़े कर दी जाएँगी,

क्योंकि यहोवा सज़ा देनेवाला परमेश्‍वर है,+

वह उसे ज़रूर उसके कामों का सिला देगा।+

57 मैं उसके हाकिमों और ज्ञानियों को,

उसके राज्यपालों, अधिकारियों और योद्धाओं को

खूब पिलाकर मदहोश कर दूँगा,+

वे हमेशा के लिए सो जाएँगे, फिर कभी नहीं उठेंगे।”+

यह उस राजा का ऐलान है जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।

58 सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है,

“बैबिलोन की शहरपनाह भले ही चौड़ी हो, वह पूरी तरह ढा दी जाएगी,+

उसके फाटक भले ही ऊँचे हों उन्हें आग लगा दी जाएगी।

देश-देश के लोग बेकार में मेहनत करेंगे,

जिसके लिए राष्ट्र काम करते-करते पस्त हो जाएँगे, वह आग में झोंक दिया जाएगा।”+

59 भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने सरायाह को एक आज्ञा दी, जो नेरियाह का बेटा+ और महसेयाह का पोता था। यिर्मयाह ने सरायाह को यह आज्ञा तब दी जब सरायाह यहूदा के राजा सिदकियाह के साथ, उसके राज के चौथे साल बैबिलोन गया। सरायाह राजा का निजी प्रबंधक था। 60 यिर्मयाह ने बैबिलोन पर आनेवाली इन सारी विपत्तियों के बारे में एक किताब में लिखा, यानी ये बातें जो बैबिलोन के खिलाफ लिखी गयी हैं। 61 यिर्मयाह ने सरायाह से कहा, “जब तू बैबिलोन पहुँचे और उस नगरी को देखे तो ये सारी बातें पढ़कर सुनाना। 62 फिर कहना, ‘हे यहोवा, तूने इस जगह के बारे में कहा है कि यह इस तरह नाश कर दी जाएगी कि यहाँ कोई नहीं रहेगा, न इंसान न जानवर। यह हमेशा के लिए उजाड़ पड़ी रहेगी।’+ 63 इस किताब को पढ़ने के बाद इस पर एक पत्थर बाँधना और फरात नदी के बीचों-बीच फेंक देना। 64 फिर कहना, ‘इसी तरह बैबिलोन डूब जाएगी और फिर कभी ऊपर नहीं आएगी+ क्योंकि मैं उस पर विपत्ति लानेवाला हूँ। और वे थककर पस्त हो जाएँगे।’”+

यिर्मयाह के शब्द यहीं तक हैं।

52 सिदकियाह+ जब राजा बना तब वह 21 साल का था और उसने यरूशलेम में रहकर 11 साल राज किया। उसकी माँ का नाम हमूतल+ था जो लिब्ना के रहनेवाले यिर्मयाह की बेटी थी। 2 सिदकियाह, यहोयाकीम की तरह वे सारे काम करता रहा जो यहोवा की नज़र में बुरे थे।+ 3 यरूशलेम और यहूदा के साथ ये बुरी घटनाएँ इसलिए घटीं क्योंकि यहोवा का क्रोध उन पर भड़का हुआ था और आखिर में उसने उन्हें अपनी नज़रों से दूर कर दिया।+ सिदकियाह ने बैबिलोन के राजा से बगावत की।+ 4 सिदकियाह के राज के नौवें साल के दसवें महीने के दसवें दिन, बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर* अपनी पूरी सेना लेकर यरूशलेम पर हमला करने आया। उन्होंने यरूशलेम के बाहर छावनी डाली और उसके चारों तरफ घेराबंदी की दीवार खड़ी की।+ 5 यह घेराबंदी सिदकियाह के राज के 11वें साल तक रही।

6 चौथे महीने के नौवें दिन,+ जब शहर में भयंकर अकाल था और लोगों के पास खाने को कुछ नहीं था,+ 7 तब नबूकदनेस्सर के सैनिकों ने शहरपनाह में दरार कर दी। जब कसदी शहर को घेरे हुए थे तब यरूशलेम के सभी सैनिक रात के वक्‍त उस फाटक से भाग निकले, जो राजा के बाग के पास दो दीवारों के बीच था और अराबा के रास्ते से आगे बढ़ते गए।+ 8 मगर कसदी सेना ने राजा सिदकियाह का पीछा किया+ और यरीहो के वीरानों में उसे पकड़ लिया। तब राजा की सारी सेना उसे छोड़कर इधर-उधर भाग गयी। 9 कसदी लोग राजा सिदकियाह को पकड़कर बैबिलोन के राजा के पास हमात देश के रिबला ले गए और वहाँ बैबिलोन के राजा ने उसे सज़ा सुनायी। 10 उसने सिदकियाह की आँखों के सामने उसके बेटों को मार डाला। उसने रिबला में यहूदा के सब हाकिमों को भी मार डाला। 11 फिर बैबिलोन के राजा ने सिदकियाह की आँखें फोड़ दीं+ और वह उसे ताँबे की बेड़ियों में जकड़कर बैबिलोन ले गया। उसने सिदकियाह को उसकी मौत के दिन तक कैद रखा।

12 फिर बैबिलोन के राजा का सेवक नबूजरदान, जो पहरेदारों का सरदार था, पाँचवें महीने के दसवें दिन यरूशलेम के अंदर गया। यह नबूकदनेस्सर* के राज का 19वाँ साल था।+ 13 नबूजरदान ने यहोवा का भवन, राजमहल, यरूशलेम के सभी घर और सभी बड़े-बड़े घर जलाकर राख कर दिए।+ 14 पहरेदारों के सरदार के साथ आयी पूरी कसदी सेना ने यरूशलेम की शहरपनाह ढा दी।+

15 मगर पहरेदारों का सरदार नबूजरदान कुछ गरीबों को, शहर में बचे लोगों को और उन लोगों को, जो यहूदा के राजा का साथ छोड़कर बैबिलोन के राजा की तरफ चले गए थे, बंदी बनाकर ले गया। साथ ही, बचे हुए हुनरमंद कारीगरों को भी ले गया।+ 16 पहरेदारों के सरदार नबूजरदान ने देश के कुछ ऐसे लोगों को छोड़ दिया जो बहुत गरीब थे ताकि वे अंगूरों के बाग में काम करें और जबरन मज़दूरी करें।+

17 कसदियों ने यहोवा के भवन में ताँबे के बने खंभों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए+ और यहोवा के भवन में जो हथ-गाड़ियाँ+ और ताँबे का बड़ा हौद+ था उसके भी टुकड़े-टुकड़े कर दिए और सारा ताँबा निकालकर बैबिलोन ले गए।+ 18 वे मंदिर में इस्तेमाल होनेवाली हंडियाँ, बेलचे, बाती बुझाने की कैंचियाँ, कटोरे,+ प्याले+ और ताँबे की बाकी सारी चीज़ें उठा ले गए। 19 पहरेदारों का सरदार बड़े कटोरे,+ आग उठाने के करछे, कटोरे, हंडियाँ, दीवटें,+ प्याले और चढ़ावे में इस्तेमाल होनेवाले कटोरे भी ले गया जो शुद्ध सोने और चाँदी के बने थे।+ 20 राजा सुलैमान ने यहोवा के भवन के लिए जो दो खंभे, बड़ा हौद और उसके नीचे ताँबे के 12 बैल+ और हथ-गाड़ियाँ बनायी थीं, उन सबमें इतना ताँबा लगा था कि उसका तौल नहीं किया जा सकता था।

21 दोनों खंभों में से हर खंभे की ऊँचाई 18 हाथ* और गोलाई 12 हाथ थी।+ खंभों की दीवार की मोटाई चार अंगुल* थी और ये अंदर से खोखले थे। 22 दोनों खंभों के ऊपर ताँबे का एक-एक कंगूरा लगा था। दोनों कंगूरों की ऊँचाई पाँच-पाँच हाथ थी।+ हर कंगूरे के चारों तरफ जो जालीदार काम किया गया था और अनार बनाए गए थे वे भी ताँबे के थे। 23 हर कंगूरे के चारों तरफ 96 अनार थे। जालीदार काम के चारों तरफ कुल मिलाकर 100 अनार थे।+

24 पहरेदारों के सरदार ने प्रधान याजक सरायाह+ को और उसके सहायक याजक सपन्याह+ और तीन दरबानों को भी पकड़ लिया।+ 25 वह शहर से उस अधिकारी को ले गया जिसकी कमान के नीचे सैनिक थे, साथ ही वह राजा के सात सलाहकारों को भी ले गया जो शहर में पाए गए। उसने सेनापति के सचिव को भी पकड़ लिया जो देश के लोगों को सेना के लिए इकट्ठा करता था। और शहर में अब भी जो आम लोग बचे हुए थे उनमें से 60 आदमियों को वह पकड़कर ले गया। 26 पहरेदारों का सरदार नबूजरदान उन सबको बैबिलोन के राजा के पास रिबला ले गया। 27 बैबिलोन के राजा ने हमात के रिबला में उन सबको मार डाला।+ इस तरह यहूदा को उसके देश से निकालकर बँधुआई में ले जाया गया।+

28 नबूकदनेस्सर* अपने राज के सातवें साल 3,023 यहूदियों को बँधुआई में ले गया।+

29 नबूकदनेस्सर* के राज के 18वें साल+ यरूशलेम से 832 लोगों को ले जाया गया।

30 नबूकदनेस्सर* के राज के 23वें साल, पहरेदारों का सरदार नबूजरदान 745 यहूदियों को बँधुआई में ले गया।+

कुल मिलाकर 4,600 लोगों को बँधुआई में ले जाया गया।

31 फिर यहूदा के राजा यहोयाकीन की बँधुआई के 37वें साल+ के 12वें महीने के 25वें दिन, बैबिलोन के राजा एवील-मरोदक ने यहोयाकीन को रिहा कर दिया और कैदखाने से बाहर ले आया। एवील-मरोदक उसी साल राजा बना था।+ 32 वह यहोयाकीन के साथ प्यार से बात करता था और उसने यहोयाकीन को उन राजाओं से बढ़कर सम्मान का पद सौंपा जो बैबिलोन में थे। 33 यहोयाकीन ने कैदखाने के कपड़े बदल दिए और उसने सारी ज़िंदगी एवील-मरोदक की मेज़ पर भोजन किया। 34 यहोयाकीन को सारी ज़िंदगी, रोज़-ब-रोज़ बैबिलोन के राजा के यहाँ से खाना मिलता रहा। अपनी मौत के दिन तक उसने राजा के यहाँ खाना खाया।

शायद इसका मतलब है, “यहोवा ऊँचा उठाता है।”

या “चुन लिया।”

या “अलग किया था।”

या “जवान।”

शा., “एक जागनेवाले।”

या “चौड़े मुँहवाला हंडा।”

शा., “अपनी कमर कस ले।”

या “तुझे हरा नहीं पाएँगे।”

या “अटल प्यार।”

या “काटकर निकाले हैं,” शायद चट्टान से।

या “मेम्फिस।”

यानी नील नदी की धारा।

यानी फरात नदी।

या “सोडे।”

एक तरह का साबुन।

शा., “महीने।”

या “पराए देवताओं।”

या “अपनी शादी का कमरबंद।”

शा., “अरबी।”

या “पराए देवताओं।”

या शायद, “तुम्हारा पति।”

या “शर्मनाक देवता।”

इसका यह मतलब हो सकता है कि आशीष पाने के लिए उन्हें भी कुछ कदम उठाने होंगे।

या “अपनी छाती पीटो।”

शा., “दिल।”

शा., “दिल।”

शायद दया दिखाने या हमदर्दी करने के लिए उन्हें एक बेटी के रूप में बताया गया।

शा., “नज़र रखनेवाले” यानी वे जो शहर पर नज़र रखते थे कि कब उस पर हमला किया जाए।

शा., “मेरी अंतड़ियाँ।”

या शायद, “युद्ध की ललकार।”

या “बुद्धिमान।”

या “मैं पछतावा नहीं महसूस करूँगा।”

शा., “वे कमज़ोर नहीं हुए।”

या शायद, “वह वजूद में नहीं है।”

यानी परमेश्‍वर का वचन।

या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”

या “ठंडा।”

या “मेरी हिदायतों।”

एक खुशबूदार नरकट।

यानी यिर्मयाह।

शा., “ये” यानी मंदिर और आस-पास की इमारतें।

या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”

या “हमेशा से हमेशा तक।”

शा., “तड़के उठकर तुमसे बातें करता रहा।”

एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

या “गुस्सा दिला रहे हैं; भड़का रहे हैं।”

या “सलाह।”

शा., “मैं हर दिन तड़के उठकर उन्हें भेजता रहा।”

या “समर्पित।”

शब्दावली में “गेहन्‍ना” देखें।

शब्दावली में “गेहन्‍ना” देखें।

या “अपना तय समय जानता है।”

या शायद, “सारस।”

या “प्रवास करते हैं।”

या “की हिदायत।”

या “सचिवों।”

या “मलहम।”

या “हिदायत।”

या “बेकार।”

या “बेकार।”

मूल पाठ में आय. 11 अरामी भाषा में लिखी गयी थी।

या “भाप।”

या शायद, “झरोखे।”

या “ढली हुई मूरत।”

या “उनमें साँस नहीं है।”

या “बेकार।”

या “उछालनेवाला।”

या “को यह अधिकार।”

ज़ाहिर है कि यह बात यिर्मयाह से कही गयी है।

या “ऐसा ही हो।”

शा., “मैं तड़के उठकर उन्हें समझाता रहा।”

या “शर्मनाक देवता।”

यानी यिर्मयाह।

यानी मंदिर में दिए बलिदानों।

या “गहरी भावनाओं।” शा., “गुरदों।”

या “उनकी गहरी भावनाओं।” शा., “उनके गुरदों।”

या “धब्बेदार।”

या शायद, “यह मातम मनाती है।”

या “को घेर लिया गया है।”

या “इथियोपियाई।”

या “शर्मनाक।”

या “छोटे लोगों।”

या “खाइयों।”

या “बीमारी।”

या शायद, “चार तरह की सज़ाएँ ठहराऊँगा।”

या शायद, “पीछे की तरफ चलता रहता है।”

या “मैं पछतावा महसूस करते-करते।”

शा., “फाटकों।”

या शायद, “वह शर्मिंदा और बेइज़्ज़त हुई।”

शा., “मुझे उठा न लेना।”

या “सज़ा के संदेश।”

या “मेरी तरफ से बोलनेवाला।”

या “तुझे हरा नहीं पाएँगे।”

झूठे धर्मों के मातम के दस्तूर, जो ज़ाहिर है कि बगावती इसराएल में मनाए जाते थे।

शा., “उनके सभी तौर-तरीके।”

शा., “घिनौनी मूरतों की लाशों।”

शब्दावली देखें।

या शायद, “मेरे क्रोध की वजह से तुझे आग की तरह जलाया गया है।”

या “ताकतवर आदमी।”

या “ताकतवर आदमी।”

या “दगाबाज़।”

या शायद, “लाइलाज।”

या “गहरी भावनाओं।” शा., “गुरदों।”

या “जो दौलत कमाता है मगर न्याय से नहीं।”

शा., “मुझसे,” ज़ाहिर है कि यहाँ यहोवा की बात की गयी है।

या “दो बार नाश कर दे।”

या “दक्षिण।”

या “पछतावा महसूस करूँगा।”

या “पछतावा महसूस करूँगा।”

या “बनाए नहीं गए हैं।”

शा., “सीटी बजाएँ।”

या “हिदायत।”

शा., “ज़बान से उसे मारें।”

या “गहरी भावनाओं।” शा., “गुरदों।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “को उलटा घुमाऊँगा।”

या “बीमारी।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “लूट में उसे अपनी जान मिलेगी।”

या “जिसके पिता की मौत हो गयी है।”

यहोआहाज भी कहलाता था।

या “लाल।”

यहोयाकीन और यकोन्याह भी कहलाता था।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “देश।”

या “वारिस।”

या “बगावती।”

या “वे तुझे झूठी आशा से भर रहे हैं।”

या “भारी संदेश।” इसके इब्रानी शब्द के दो मतलब हैं: “परमेश्‍वर की तरफ से भारी संदेश” और “कोई भारी चीज़।”

या “भारी संदेश।”

या “भारी संदेश।”

या “भारी संदेश।”

या “भारी संदेश।”

या “भारी संदेश।”

या “भारी संदेश।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

यहोयाकीन और कोन्याह भी कहलाता था।

या शायद, “सुरक्षा-दीवार बनानेवालों।”

या “बीमारी।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “से।”

शा., “तड़के उठकर तुमसे बातें करता रहा।”

शा., “तड़के उठकर तुम्हारे पास भेजता रहा।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “को उनके गुनाह की सज़ा दूँगा।”

ऐसा मालूम पड़ता है कि यह बाबेल (या बैबिलोन) का एक गुप्त नाम है।

या “से।”

या “दंडवत करने।”

या “पछतावा महसूस करूँगा।”

या “मेरी दी हिदायत।”

शा., “मैं तड़के उठकर तुम्हारे पास भेजता रहा।”

या “पछतावा महसूस करेगा।”

या “मंदिर की पहाड़ी।”

या “जंगल की ऊँची जगह जैसी।”

या “पछतावा महसूस किया।”

या “बीमारी।”

शा., “सागर।”

या “ऐसा ही हो!”

या “बीमारी।”

या शायद, “सुरक्षा-दीवार बनानेवाले।”

या “बीमारी।”

या शायद, “फटे हुए।”

शा., “तड़के उठकर भेजता रहा।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

मूल पाठ में दो शब्द इस्तेमाल किए गए हैं। एक शब्द का मतलब शायद ‘पैरों के लिए काठ’ है और दूसरे का शायद ‘हाथों और सिर के लिए काठ’ है।

या “परदेसी।”

या शायद, “मैं उन्हें सम्मानित करूँगा।”

या “मैं तुझे अपने अटल प्यार का सबूत देता रहा।”

या “हँसनेवालों की तरह नाचती हुई निकलेगी।”

या “घाटियों।”

या “वापस पा लेगा।”

या “उन्हें यहोवा से अच्छी चीज़ें मिलेंगी।”

शा., “चिकना खाना।”

या “बच्चों।”

शा., “अंतड़ियाँ।”

या “संतान।”

या शायद, “उनका पति।”

या “की विधियाँ ठहरायीं।”

यानी बलिदान में जलाए गए जानवरों की पिघली चरबी से भीगी राख।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।

या “अटल प्यार।”

या “तू अपने मकसदों के मामले में महान है।”

या “बीमारी।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “मैं तड़के उठकर उन्हें सिखाता रहा।”

शब्दावली में “गेहन्‍ना” देखें।

या “उन्हें अच्छी चीज़ें दूँगा।”

या “वारिस।”

या “मेरी विधियाँ पक्की।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “बीमारी।”

या “खाने।”

शा., “योनादाब।” यह यहोनादाब नाम का छोटा रूप है।

शा., “योनादाब।” यह यहोनादाब नाम का छोटा रूप है।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “मैं तड़के उठकर तुमसे बातें करता रहा।”

शा., “तड़के उठकर तुम्हारे पास भेजता रहा।”

शा., “योनादाब।” यह यहोनादाब नाम का छोटा रूप है।

या “किताब।”

या “किताब।”

या “शास्त्री।”

या “भोजन के कमरे।”

या “किताब।”

या “दरबारी।”

या “किताब।”

या “किताब।”

नवंबर के बीच से लेकर दिसंबर के बीच तक। अति. ख15 देखें।

या “किताब।”

यहोयाकीन और यकोन्याह भी कहलाता था।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “बीमारी।”

शा., “निकलकर कसदियों के पास जाएगा।”

शा., “लूट में उसे अपनी जान मिलेगी।”

शा., “के हाथ कमज़ोर कर रहा है।”

या “दरबारी।”

शा., “निकलकर बैबिलोन के राजा के हाकिमों के पास जाएगा।”

शा., “निकलकर बैबिलोन के राजा के हाकिमों के पास नहीं जाएगा।”

शा., “निकलकर कसदियों के पास नहीं जाएगा।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या इब्रानी पाठ में इन शब्दों को इस तरीके से भी अलग किया गया है: “नेरगल-शरेसेर, समगर-नबो, सर-सेकीम, रबसारीस।”

या “प्रधान जादूगर (या ज्योतिषी)।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या शायद, “जबरन मज़दूरी करें।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “मुख्य दरबारी।”

या “प्रधान जादूगर (या ज्योतिषी)।”

शा., “तुझे लूट में अपनी जान मिलेगी।”

शा., “के सामने खड़ा रहूँगा।”

शा., “राज का बीज था।”

या शायद, “बड़ा तालाब।”

शा., “मुझे पछतावा महसूस होगा।”

या “कुछ समय के लिए रहोगे।”

या “बीमारी।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “शांति से।”

या “सूरज का भवन (या मंदिर)” यानी हीलिओ-पोलिस।

या “मेम्फिस।”

शा., “तड़के उठकर तुम्हारे पास भेजता रहा।”

या “कुचला हुआ महसूस नहीं किया।”

या “बीमारी।”

एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

शा., “दिल।”

एक देवी की उपाधि जिसे वे इसराएली पूजते थे जो सच्ची उपासना से मुकर गए थे; शायद यह प्रजनन की देवी थी।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “उम्मीद।”

शा., “लूट में तुझे अपनी जान मिलेगी।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

ये ढालें अकसर तीरंदाज़ ढोते थे।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “मेम्फिस।”

शा., “तय समय।”

यानी मिस्र को जीतनेवाले का।

या “मेम्फिस।”

या शायद, “यह बंजर ज़मीन बन जाएगी।”

या “लकड़ियाँ इकट्ठी करनेवालों।”

यानी थीबीज़।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

यानी क्रेते।

यानी वे मातम और शर्म की वजह से अपना सिर मुँड़ा लेंगे।

या शायद, “सूखी ज़मीन पर।”

या “ताकत।”

यानी किसी की मौत पर मातम में बजायी जानेवाली बाँसुरी।

या “होहल्ला मचाएगा।”

यानी किसी की मौत पर मातम में बजायी जानेवाली बाँसुरी।

या “होहल्ला मचाएगा।”

या शायद, “युद्ध की ललकार।”

या “भेड़शालाओं।”

या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”

शायद यहाँ एदोम की बात की गयी है।

या “मकसद।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “हर दिशा में।”

इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

या “उन्हें नाश के हवाले कर दे।”

या “उसे नाश के हवाले कर दो।”

शा., “खामोश।”

या “झूठे भविष्यवक्‍ताओं।”

या “मकसद।”

ऐसा मालूम पड़ता है कि यह कसदिया का एक गुप्त नाम है।

यानी कसदियों का देश।

या शायद, “तरकश भर लो।”

या “भाप।”

या शायद, “झरोखे।”

या “ढली हुई मूरत।”

या “उनमें साँस नहीं है।”

या “बेकार।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

ऐसा मालूम पड़ता है कि यह बाबेल (या बैबिलोन) का एक गुप्त नाम है।

या “अजनबियों।”

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

एक हाथ 44.5 सें.मी. (17.5 इंच) के बराबर था। अति. ख14 देखें।

एक अंगुल 1.85 सें.मी. (0.73 इंच) के बराबर था। अति. ख14 देखें।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।

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